BCom 3rd Year Accounting Entries Forteiture Study Material notes in Hindi

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Accounting Entries Forfeiture

BCom 2nd Year Cost Accounting Study Material Notes in Hindi

हरण का लेखा प्रविष्टियाँ  (Accounting Entries of  Forfeiture )

हरण की लेखा प्रविष्टि इन अंशों के निर्गमन की शर्तों के अनुसार भिन्न हो जाती है। अतः यहाँ प्रत्येक स्थिति का विवेचन पृथक-पृथक किया गया है।

(अ) सम-मूल्य पर निर्गमित अंशों का हरण (Forfeiture of shares issued at par) : अंशों के हरण पर ‘अंश पूँजी खाता’ इन अंशों पर माँगी गई कुल राशि से डेबिट किया जाता है तथा भूगतान न की विभिन्न याचनाओं के खाते (या अवशिष्ट याचना खाता) अपहरित अंशों पर बकाया राशियों से क्रेडिट किये जाते हैं। दोषी अंशधारी से इन अंशों पर प्राप्त कर ली गई राशि कम्पनी का पूँजीगत लाभ है और इसे अपहरित अंश खाता (Forfeited Shares Account or Share Forfeiture Account or Shares Forfeited Account) में क्रेडिट किया जाता है। लेखा-प्रविष्टि इस प्रकार है :

Share Capital Account                      Dr.  (No. of Forfeited Shares X Called up value per share)

To Respective Unpaid Calls Account      (Amount unpaid on forfeited shares)

(or Calls-in-Arrear Account)

To Forfeited Shares Account            (Amount paid on forfeited shares)

‘अपहरित अंश खाता’ का शेष चिट्ठे में दायित्व पक्ष की ओर ‘प्रार्थित पूँजी’ उप-शीर्ष के अन्तर्गत एक पृथक मद की तरह तब तक दिखाया जाता रहेगा जब तक कि ये अंश पूनर्निर्गमित नहीं कर दिये जाते। ‘प्रार्थित पूजी’ व ‘याचित पूजी’ की अंश-संख्या अपहरित अंशों की संख्या से कम कर दी जाती है।

उदाहरण 16. एक लिमिटेड कम्पनी की अधिकृत पूँजी 10 ₹ वाले अंशों में विभाजित 2,50,000 ₹ है। इनमें से 4,000 पूर्ण दत्त | अंश भवन क्रय के भुगतान में निर्गमित किये गये, 8,000 अंशों के लिये जनता से प्रार्थना-पत्र प्राप्त हुए और प्रथम वर्ष में प्रति अंश 5₹ माँगे गये जो 2₹ आवेदन पर, 1₹ आबंटन पर, 1₹ प्रथम माँग पर तथा 1₹ द्वितीय माँग पर देय हैं। इन अंशों पर प्राप्त राशि निम्न प्रकार थी :

6,000 अंशों पर माँग की गयी पूर्ण राशि

1,250 अंशों पर 4 ₹ प्रति अंश

500 अंशों पर 3 ₹ प्रति अंश

250 अंशों पर 2 ₹प्रति अंश

संचालकों ने ऐसे 750 अंशों को जब्त कर लिया जिन पर 4 ₹ प्रति अंश से कम राशि प्राप्त हुई थी।

कम्पनी के पूँजी व्यवहारों के अभिलेखन के लिये जर्नल और रोकड़ बही की प्रविष्टियाँ कीजिये तथा प्रथम  वर्ष के अन्त में कम्पनी के चिटठे में कम्पनी की पँजी दिखलाइये।

A limited company has an authorised capital of₹2,50,000 in ₹ 10 shares. Of these, 4,000 shares were issued as fully paid in payment of purchasing the building, 8,000 shares were subscribed for by the public and during the first year₹5 per share was called up, payable on application ₹2, on allotment ₹1, on first call * 1 and on second call * 1. The amount received in respect of these shares were as follows:

On 6,000 shares, the full amount called,

On 1,250 shares, ₹4per share,

On 500 shares,₹3per share,

On 250 shares, *2 per share.

Directors forfeited 750 shares on which less than * 4 per share had been received.

Give journal entries, recording the capital transactions of the company a would appear in the company’s Balance Sheet at the end of the first year.

Accounting Entries Forteiture

(i) अपहरित अंशों पर प्रीमियम प्राप्त हो चुका है (Premium on forfeited shares has been received) : इस में हरण के समय अपहरित अंशों पर प्राप्त प्रीमियम की राशि से ‘अंश प्रीमियम खाता’ डेबिट करके रदद नहीं किया जा क्योंकि कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 52 के अनुसार अंशों के निर्गमन पर प्राप्त प्रीमियम को इस धारा के अन्तर्गत पर कार्यों के अतिरिक्त अन्य किसी कार्य में प्रयोग करना धारा 66 के अन्तर्गत पूँजी की कटौती माना जायेगा। अतः इस स्थिति में के समय लेखा-प्रविष्टि उसी तरह की जायेगी जैसी कि अंशों के सम-मूल्य पर निर्गमन की स्थिति में हरण किये जाने पर ही है। (पृष्ठ 1.30 पर देखिये)

(ii) अपहरित अंशों पर प्रीमियम प्राप्त नहीं हुआ है (Premium on forfeited shares has not been received)- इस __स्थिति में हरण के समय ‘प्रतिभूति प्रीमियम खाते’ को अपहरित अंशों पर अप्राप्त प्रीमियम की राशि से डेबिट करके रदद करना । होगा। इसके लिये निम्न प्रविष्टि पारित की जायेगी : Share Capital Account                  Dr. (With the called up value of forfeited shares)

Securities Premium Account       (With the amount of premium not received

on forfeited shares)

To Respective Unpaid Calls Accounts    (With the respecting unpaid amount of call

(or Calls-in-Arrear Account)  on forfeited shares)

To Forfeited Shares Account                     (With total amount received on forfeited shares)

यहाँ पर ध्यान रहे कि यदि अंशों का हरण प्रीमियम की राशि वाली याचना के देय होने से पहले ही कर लिया गया है तो हरण के समय ‘प्रतिभूति प्रीमियम खाते’ को डेबिट नहीं किया जायेगा। यहाँ यह भी ध्यान रहे कि इस दशा में यह भी हो सकता है कि प्रतिभूति प्रीमियम खाते का जमा शेष निर्गमित अंशों के अनुपात में न रहे।

उदाहरण 17. सपन लि० ने 100 ₹ वाले, 5,000 अंश 20% प्रीमियम पर निर्गमित किये जो कि 30% आवेदन पर, 40% आबंटन पर और 30% (20% अंश प्रीमियम सहित) प्रथम माँग पर और शेष अन्तिम माँग पर देय था। सभी अंशों के लिये आवेदन आये और आबंटन किया गया। मि० रमेश जिसके पास 100 अश थे, आबंटन का धन भुगतान करने में असफल रहा और उसके अंश अपहरित कर लिये गये। हरण के बाद प्रथम माँग की गई और मि० ए० बनर्जी जो कि 200 अंशों का धारक है, प्रथम माँग का भुगतान करने में असफल रहा और उसके अंश अपहरित कर लिये गये। इस हरण के पश्चात् अन्तिम याचना की गई जो कि जे० वसु के 500 अंशों के अतिरिक्त सभी अंशों पर प्राप्त हो गई और कम्पनी ने उसके अंश भी अपहरित कर लिये। आवश्यक जर्नल की प्रविष्टियाँ पारित करो और हरण के पश्चात कम्पनी का चिट्ठा दिखलाइये।

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Sapan Ltd. issued 5,000 shares of 100 each at premium of 20%, payable 30% on application, 40% on allotment and 30% (including 20% securities premium) on first call and the balance on final call. All the shares were applied for and allotment was made. Mr. Ramesh who holds 100 shares failed to pay the allotment money and his shares were forfeited. After forfeiture, the first call was made and Mr. A. Banerji who holds 200 shares failed to pay first call and his shares were forfeited. After this forfeiture, the final call was made which was received on all shares except 500 shares of Mr. J. Basu and his shares were also forfeited by the company.

Pass necessary journal entries and show the Balance Sheet of the company after forfeiture.

 

(स) कटौती पर निय मित अंशों का हरण ( Forfeiture of Shares Issued at Discount ) इस स्थिति में अपरहित किये गए अंशों पर दी गयी  कटौती का आनुपातिक राशि निरस्त कर दी जानी चाहिये। इसके लिये ‘अंश कटौती खाता’ क्रेडिट किया जाता है। इसके लिये निम्नलिखित जर्नल की प्रविष्टि की जाती है :

Share Capital Account                                  Dr. (With called up value of forfeited shares)

To Respective Unpaid Calls Account          (With the respective unpaid amount of call on forfeited shares)

To Share Discount Account                            (With proportionate amount of discount allowed on forfeited shares)

To Forfeited Shares Account                           (With amount received on forfeited shares)

नोट : अंशों का कटौती पर निर्गमन कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 53 के अनुसार वर्जित है। अतः अब उपर्युक्त मामला अर्थहीन है और केवल शैक्षिक महत्व का ही रह गया है।

अंशों का समर्पण (Surrender of Shares) : किसी अंशधारी के अपने अंशों पर याचनाओं के भुगतान करने में असमर्थ होने | पर उसके द्वारा अपने अंशों को निरस्त कराने के लिये कम्पनी को उन अंशों की ऐच्छिक वापसी अंशों का समर्पण कहलाता है। इस प्रकार समर्पित अंश कम्पनी द्वारा रद्द कर दिये जाते हैं। इस स्थिति में ऐसा अंशधारी अपने अंशों की वैधता पर प्रश्न लगाने से । वंचित हो जाता है। अंशों के समर्पण का वही प्रभाव होता है जो कि अंशों के हरण का होता है तथा इसकी लेखा-प्रविष्टि भी हरण की भाँति ही की जाती है। समर्पित अंशों को अपहरित अंशों की भाँति पुनर्निर्गमित किया जा सकता है। अंशों के समर्पण का प्रावधान । न तो कम्पनी अधिनियम में है और न ही इस अधिनियम की Table F में है। फिर कम्पनी के अन्तर्नियम संचालकों को अंशों के। समर्पण को स्वीकार करने की अनुमति प्रदान कर सकते हैं।

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अपहरित अंशों का पुनर्निर्गमन (Reissue of Forfeited Shares)

कम्पनी अधिनियम की तालिका F का वाक्यांश 31 संचालक मण्डल को अपहरित अंशों के पुनर्निर्गमन का अधिकार प्रदान करती है। पुनर्निर्गमन के समय की बाजार स्थिति के अनुसार यह सम-मूल्य पर हो सकता है अथवा प्रीमियम पर अथवा कटौती पर। किन्तु । यदि अंश कटौती पर पुनर्निर्गमित किये जाते हैं तो एक अंश के पुनर्निर्गमन पर कटौती (या हानि) की राशि उसके हरण के समय ‘अपहरित अंश खाते’ (Forfeited Shares Account) में क्रेडिट किये गये सकल लाभ (Gross gain on forfeiture) से अधिक | नहीं होनी चाहिये। यदि कटौती की राशि लाभ से अधिक है तो आधिक्य उत्तरदायी संचालकों से वसूल किया जा सकता है। पुनर्निर्गमन के पश्चात् अपहरित अंश खाते का शेष जो कि हरण पर हुआ शुद्ध पूँजीगत लाभ होता है, ‘पूँजी संचय खाते’ (Capital Reserve Account) में हस्तान्तरित कर दिया जायेगा और उसे कम्पनी के चिट्ठे के दायित्व पक्ष की ओर ‘संचय एवं आधिक्य’ शीर्ष के अन्तर्गत दिखलाया जायेगा। पूँजी संचय खाते को प्रारम्भिक व्ययों, ख्याति, अंशों व ऋणपत्रों के निर्गमन पर कटौती और किसी अन्य पूँजीगत प्रकृति की हानि के अपलेखन के लिये प्रयोग किया जा सकता है।

लेखा प्रविष्टियाँ (Accounting Entries)

(1) अपहरित ऐसे अंशों का पुनर्निर्गमन जो कि प्रारम्भ में सम-मूल्य पर निर्गमित किये गये थे –

अंशों का पुनर्निर्गमन सम-मूल्य पर किया जा सकता है अथवा प्रीमियम पर अथवा कटौती पर।

(अ) यदि अपहरित अंश सम-मूल्य पर पुनर्निर्गमित किये जाते हैं :

(i) अंशों के पुनर्निर्गमन पर :

Bank Account                           Dr. (With the amount received)

To Share Capital Account     (With the paid-up value of shares reissued)

(ii) अपहरित अंश खाता के पूँजी संचय खाते में हस्तान्तरित करने पर :

Forfeited Shares Account                             Dr. With the entire amount standing to the credit

To Capital Reserve Account                           of Forfeited Shares Account

(ब) यदि अपहरित अंश प्रीमियम पर पुनर्निर्गमित किये जाते हैं :

(i) अंशों के पुनर्निर्गमन पर :

Bank Account                                  Dr. (With the total amount received)

To Share Capital Account                (With the paid-up value of shares reissued)

To Securities Premium Account      (With the amount of premium)

कुछ लेखापालों की राय है कि अंशों के पुनर्निर्गमन पर प्रीमियम को ‘पूँजी संचय खाते’ में हस्तान्तरित करना चाहिये किन्तु हम इस राय से सहमत नहीं हैं।

(ii) अपहरित अंश खाता के पूँजी संचय खाते में हस्तान्तरण पर :

Forfeited Shares Account              Dr. With the entire amount standing to the credit

To Capital Reserve Account          of Forfeited Shares Account

(स) यदि अपहरित अंश कटौती (हानि) पर पुनर्निर्गमित किये जाते हैं :

(i) अंशों के पुनर्निर्गमन पर :

Bank Account                                (With the amount received)

Forfeited Shares Account            Dr. (With the discount allowed (or loss) on reissue)

To Share Capital Account           (With the paid-up value of shares reissued)

(ii) अपहरित अंश खाता के पूँजी संचय खाते में हस्तान्तरण पर :

Forfeited Shares Account                  With the net gain, if any, on reissue

To Capital Reserve Account

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पुनर्निर्गमन पर शुद्ध लाभ (net gain on reissue) की राशि पुनर्निर्गमित अंशों के हरण के समय के आनुपातिक सकल लाभ (proportionate gross gain on forfeiture) में से पुनर्निर्गमन पर हुई हानि घटाकर ज्ञात की जायेगी।

उदाहरण 18. (अ) निम्नलिखित मामलों में अंशों के हरण और पनर्निर्गमन के लिये जर्नल की प्रविष्टियाँ दीजिये ।

(i) प्रीमियर कम्पनी लि० ने मि० तपन के 10 ₹ वाले. 8₹ माँगे गये 3.000 अंशों को अपहरित कर लिया। कम्पनी ने बाद में इन अंशों को बिमल कान्त को 10 ₹ प्रति अंश के लिये पूर्णदत्त के रूप में पूनर्निर्गमित कर दिया।

(ii) करीम लि० ने मि० अकबर के 10₹ वाले पूर्ण याचित 500 अंशों को 4₹ प्रति अंश की अन्तिम याचना राशि के भुगतान करने के कारण अपहरित कर लिया। बाद में कम्पनी ने इन अंशों को पर्णदत्त के रूप में 12 ₹ प्रति अंश के लिये मि०। सलीम को पुनर्निर्गमित कर दिया।

(iii) टाटा लि० ने मि० ए० रे के 10 ₹ वाले पूर्ण याचित 300 अंशों को 3₹ प्रति अंश के आबंटन धन और 4₹ प्रति अंश की अन्तिम याचना के भुगतान न करने के कारण अपहरित कर लिया। ये अंश 8 ₹ प्रति अंश के लिये मि० पी० सेठी को पुनर्निर्गमित कर दिये गये।

(ब) भारत कम्पनी ने 10 ₹ वाले सम-मूल्य पर निर्गमित 200 समता अंश अपहरित किये जिन पर 2 ₹ प्रति अंश प्रथम माँग और 3 ₹ प्रति अंश द्वितीय व अन्तिम माँग के अप्राप्त रहे थे। ये अंश एक संचालक को 9 ₹ प्रति अंश की दर पर पूर्णदत्त के रूप में पुनर्निर्गमित कर दिये। हरण पर कोई लेखे नहीं किये गये किन्तु जब अंश पुनर्निर्गमित किये गये, प्राप्त रोकड़ को ‘समता अंश

पूँजी खाता’ में क्रेडिट कर दिया गया। परिशोधन लेखा कीजिये।।

(A) Give journal entries for the forfeiture and reissue of shares in the following cases :

(i) Premier Company Ltd. forfeited 3,000 shares of₹ 10 each,₹8 called up held by Mr. Tapan for non-payment of second call money of 3 per share. These shares were subsequently reissued by the Company to Bimal Kant for ₹ 10 per share as fully paid-up. .

(ii) Karim Ltd. forfeited 500 shares of 10 each, fully called up held by Mr. Akbar for non-payment of final call money of 4 per share. These shares were subsequently reissued by the Company toMr. Salim for₹ 12 per share as fully paid-up.

(iii) Tata Ltd. forfeited 300 shares of₹ 10 each fully called up, held by Mr. A. Ray for non-payment of ___allotment money of₹3per share and final call of₹4per share. These shares were reissued to Mr. P.Sethi for₹8per share.

(B) Bharat Company forfeited 200 equity shares of₹10 each issued at par for non-payment of the first call @ ₹2per share and the second and final call @₹3per share. These shares are reissued as fully paidup to one of the directors @ 9 per share. No entries are made on forfeiture but when the shares are reissued, the cash received is credited to Equity Share Capital Account. Give the rectifying entry

उदाहरण 19. एम० खेतान लि० की, जिसकी अधिकृत पूंजी 10 ₹ वाले 20,000 अंशों में विभक्त थी, स्थापना एम० खेतान के व्यवसाय को 1,00,000 ₹ में क्रय करने के लिये की गई जिसे पूर्णदत्त अंश आवंटित किए गये।

1 जनवरी 2014 को क्रय प्रतिफल के भुगतान का कार्य पूर्ण किया गया तथा 9,000 अंश जनता को सम-मूल्य पर निर्गमित किए गए। आवेदन पर 2 ₹, आंबंटन पर 1 ₹ देय था, एक मार्च को प्रथम याचना 2 ₹ 50 पैसे प्रति अंश तथा द्वितीय याचना 2 ₹ प्रति अंश 1 मई को देय थी।

31 दिसम्बर 2014 को प्रार्थित अंशों की स्थिति निम्नलिखित थी :

अंशों की संख्या    प्रति अंश भुगतान किया

8,900                        7.50 ₹

60                          5.50 ₹

30                          3.00 ₹

10                             2.00 ₹

31 दिसम्बर 2014 को जिन अंशों पर 5 ₹ 50 पैसे से कम प्राप्त हुए थे, वे जब्त कर लिए गए। 28 फरवरी 2015 को अंशों पर अदत्त धनराशि एकत्रित की गई। 1 मार्च 2015 को जब्त किये अंशों को मि० गोयनका को 8 ₹ 50 पैसे प्रति अंश की दर से पुनर्निर्गमित किया गया और इनको पूर्णदत्त माना गया।

1 मई 2015 को संचालकों ने 2 ₹ 50 पैसे की अन्तिम याचना माँगी जो कि 1 जून को देय थी। पूर्ण धनराशि प्राप्त हो गई। उपरोक्त से आवश्यक प्रविष्टियाँ कीजिये।

1 Khaitan Ltd. was formed with an authorised capital of 20,000 equity shares of ₹ 10 each to purchase the business of M. Khaitan for 1,00,000 by the allotment of fully paid shares.

On 1st January 2014, the purchase consideration was satisfied and 9,000 shares were subscribed for by the public.₹2per share being payable on application and Re. 1 per share on allotment. A first call of र 2.50 per share was due on 1st March and a second call of 2 per share

On 1st May. On 31st December 2014, position as regards shares subscribed by the public was as follows:

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No. of Shares     Amount paid per share

8,900                              ₹7.50

60                                 5.50

30                                 3.00

10                                 2.00

On 31st December 2014,all shares on which less than ₹ 5.50 per share had been paid were forfeited. On 28th February 2015, the arrears on shares were collected.

On Ist May 2015, the directors made a final call of 250 per share. payable on 1st June. The amount was duly received.

Draft Journal entries to record all the above transactions. Cash transactions are to be passed through Cash Book.

(2) अपहरित ऐसे अंशों का पुनर्निर्गमन जो कि प्रारम्भ में प्रीमियम पर निर्गमित किये गये थे (Reissue of forfeited shares | which were originally issued at premium): ऐसे अंशों के पुनर्निर्गमन पर लेखा-प्रविष्टि के सम्बन्ध में लेखापालों में काटा मतभेद है। कुछ लेखापालों का तर्क है कि ‘प्रतिभूति प्रीमियम खाते’ को दत्त अंशपूँजी के आनुपातिक बनाये रखने के लिये ऐसे अपहरित अंशों का पुनर्निर्गमन प्रीमियम पर होना चाहिये। दूसरे शब्दों में, यदि ऐसे अपहरित अंशों पर हरण की तिथि तक अंश प्रीमियम प्राप्त हो चुका है तब तो इनके पुनर्निर्गमन पर ‘प्रतिभूति प्रीमियम खाते’ को क्रेडिट करना आवश्यक नहीं। किन्तु यदि ऐसे अपहरित अंशों पर हरण की तिथि तक अंश प्रीमियम नहीं प्राप्त हुआ था तब इनके पुनर्निर्गमन पर इनसे सम्बन्धित अंश प्रीमियम की राशि से ‘प्रतिभूति प्रीमियम खाते’ को क्रेडिट करना आवश्यक है तथा ‘अपहरित अंश खाते’ में डेबिट की जाने वाले राशि की गणना इस क्रेडिट को ध्यान में रखकर ही की जायेगी। उदाहरण के लिये यदि एक अंशधारी ने अपने 10 ₹ वाले 100 अंशों पर कम्पनी को 33 प्रति अंश की आवेदन राशि ही चुकाई है तथा 2 ₹ प्रीमियम सहित 5₹ आबंटन पर तथा 4₹ याचना पर न भुगतान किये जाने के कारण कम्पनी द्वारा उसके अंश अपहरित कर लिये जाते हैं। बाद में कम्पनी इन अंशों को 11 ₹ प्रति अंश पर पूनर्निर्गमित कर। देती है तो इस मत के अनुसार इन व्यवहारों की निम्न लेखा-प्रविष्टियाँ की जायेंगी :

(i) On forfeiture of shares :

Share Capital Account (100×10)                          1,000

Securities Premium Account (100×2)                   200

To Share Allotment Account (100×5)                                      500

To Share Call Account (100 x 4)                                                   400

To Forfeited Shares Account (100×3)                                       300

(ii) On reissue of shares :

Bank Account (100 x 11)                                           1,100

Forfeited Shares Account (100×1)                           100

To Share Capital Account (100 x 10)                                        1,000

To Securities Premium Account (100 x 2)                                  200

(iii) On transfer of balance of forfeited shares account :

Forfeited Shares Account                                       Dr. 200

To Capital Reserve Account                                                         200

अधिकतर लेखापाल उपर्युक्त तर्क से सहमत नहीं हैं। इसके लिये निम्नलिखित तीन तर्क दिये जाते हैं –

(1) अंश प्रीमियम को सदैव ही दत्त अंशपूँजी के एक स्थिर अनुपात में बनाये रखना न तो कम्पनी अधिनियम के अनुसार आवश्यक है और न किसी लेखा-सिद्धान्त या लेखा-अवधारणा के अनुसार ही।

(2) किसी कम्पनी को अपने अंशों को प्रीमियम पर निर्गमित करने के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता है।

(3) यदि पूनर्निर्गमन में प्रीमियम की राशि इनके प्रारम्भिक निर्गमन पर प्रीमियम की राशि से अधिक होती है तो अंश प्रीमियम खाते का दत्त अंशपूँजी से स्थिर सम्बन्ध बनाये रखने के लिये इस अधिक प्रीमियम की राशि को ‘पूँजी संचय’ (Capital Reserve) में हस्तान्तरित करना होगा जो कि लेखा प्रणाली को जटिल बनायेगा। इन तों के आधार पर हमारा मत है कि जब तक संचालक मण्डल ने इसके सम्बन्ध में कोई स्पष्ट प्रस्ताव न पारित कर दिया हो, तब तक ‘प्रतिभूति प्रीमियम खाते’ को अपहरित अंश खाते की लागत पर नहीं क्रेडिट किया जाना चाहिये। संक्षेप में, प्रारम्भ में प्रीमियम पर निर्गमित अंशों के हरण के पश्चात् इनके पुनर्निर्गमन पर लेखा-प्रविष्टि उसी तरह की जायेगी जैसा कि प्रारम्भ में सम-मूल्य पर निर्गमित अंशों के सम्बन्ध में किया जाता है। उपर्युक्त उदाहरण में अंशों के पुनर्निर्गमन पर निम्न लेखा-प्रविष्टियाँ की जायेंगी :

(i) Bank Account To Share Capital Account          Dr. 1,100

To Securities Premium Account                                                                          1,000

(ii) Forfeited Shares Account                                    100 Dr.

To Capital Reserve Account                                                                                   300

उदाहरण 20. नीलम कम्पनी लि० ने 10 ₹ वाले 80,000 समता अंश 25% प्रीमियम पर निर्गमित किये जो कि 4 ₹ प्रति अंश आवेदन पर 6.50 ₹ प्रति अंश आबंटन पर और शेष प्रथम व अन्तिम याचना पर देय थे। कल 91.000 अंशों के लिये आवदन। प्राप्त हए जिसमें से 11,000 अंशों के आवेदन अस्वीकार किये गये जबकि सभी अन्य आवेदन पर्णतया स्वीकार किये गये। मि० अशोक जो कि 200 अंशों का धारक है, आबंटन का धन नहीं चुका सका और कम्पनी ने उसके अंश जब्त कर लिये और ये अश। को विमल को 8 ₹ दत्त 9 ₹ प्रति अंश पर पुननिर्गमित कर दिये गये। इसके पश्चात कम्पनी ने प्रथम व अन्तिम याचना की जो कि । रमेश के 500 अंशों के अतिरिक्त सभी से प्राप्त कर ली गई। कम्पनी ने उचित नोटिस देने के बाद उसके अंश जब्त कर लिये तथा । बाद में इन्हें पूर्णदत्त 9 ₹ प्रति अंश पर दिनेश को निर्गमित किया गया।

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उपर्युक्त व्यवहारों का कम्पनी के जर्नल में लेखा करो।

Neelam Co Ltd issued 80,000 equity shares of 10 each at a premium of 25% payable 4 per share on application, * 6.50 per share on the allotment and the balance on first and final call. Applications to 91.000 shares out of which applications for 11,000 shares were rejected while all other applications are fully accepted. Mr. Ashok, the holder of 200 shares failed to pay allotment money and his shares were forfeited by the company and these shares were reissued to Vimal, as 8 paid up at 9 per share. After this, the Company made the first and final call, which was duly received except, on 500 shares of Ramesh. The Company after serving due notice forfeited his shares. Later, these were reissued to Dinesh as fully paid at 9 per share.

Make necessary entries of the above transactions in the Company’s Journal.

Forfeited Share Account                                                                  Dr                   3,500

To Capital Reserve Account                                                                                                   3,500

( Transfer to net Gain on Reissue to Capital Reserve a/c)

उदाहरण 21. एक सीमित दायित्व वाली कम्पनी ने 10 ₹ वाले 2 ₹ प्रति अंश प्रीमियम पर 40,000 अंशों के आवेदन का आमंत्रण देते हुए एक प्रविवरण निर्गमित किया। धनराशि इस प्रकार देय थी :

आवेदन पर                              2₹ प्रति अंश

आबंटन पर                    5₹ प्रति अंश (प्रीमियम सहित)

प्रथम याचना पर                    3₹ प्रति अंश

द्वितीय याचना पर                2₹ प्रति अंश 60,000

अंशों के लिये आवेदन प्राप्त हुए जिसमें नितिन के 1,400 अंशों का आवेदन भी सम्मिलित है। आवेदकों को अंश आवंटित किये गये जिसमें नितिन को आवंटित 1,000 अंश सम्मिलित हैं। बकाया आवेदन अस्वीकार कर दिये गये और धनराशि वापस कर दी गयी। नितिन द्वारा आवेदन पर अधिक दी गयी राशि को उसके आबंटन पर देय राशि के लिये प्रयुक्त किया गया। नितिन आबंटन पर देय राशि का भुगतान न कर सका और बाद में उसके प्रथम याचना के भुगतान न करने पर उसके अंश अपहरित किये गये। ये अंश राजीव को पूर्णदत्त प्रीमियम सहित 10 ₹ प्रति की दर से बेच दिये गये। सभी अंशधारियों से द्वितीय याचना पर देय राशि पूरी प्राप्त हुई। कम्पनी की पुस्तकों में जर्नल की प्रविष्टियाँ दीजिये।

A limited company issued a prospectus inviting applications for 40,000 shares of ₹ 10 each at a |premium of₹2 per share payable as under :

On application                        ₹2 per share

On allotment                 ₹5per share (including premium)

On first call                             ₹3per share

On second call                      ₹2per share

Applications were received for 60,000 shares including one from Nitin who applied for 1,400 shares. Shares were allotted to the applicants including Nitin to whom only 1,000 shares were allotted, the remaining applications were refused and amount refunded. Money overpaid by Nitin on application was employed on account of sums due on allotment. Nitin failed to pay the allotment money due and on his subsequent failure to pay the first call his shares were forfeited. These shares were sold as fully paid to Rajiv at 10 each including premium. Amount due on the second call was received in full from all the shareholders. Show the journal entries in the books of the company

(3) अपहरित ऐसे अंशों का पुनर्निर्गमन जो कि प्रारम्भ में बटे (कटौती) पर निर्गमित किये गये थे : यदि ऐसे अंश सम-मूल्य अथवा प्रीमियम पर पुनर्निर्गमित किये जाते हैं तो लेखा-प्रविष्टियाँ सम-मूल्य पर निर्गमित अंशों की तरह ही की जायेंगी। किन्तु यदि ऐसे अंश बटे (या हानि) पर पुनर्निर्गमित किये जाते हैं तो पुनर्निर्गमित अंशों की आनुपातिक प्रारम्भिक बट्टे की राशि तक ‘अंशों पर कटौती खाता’ डेबिट करना होगा तथा ‘अपहरित अंश खाता’ कमी की राशि, यदि कोई है, से ही डेबिट किया जायेगा। चूँकि कम्पनी अधिनियम 2013 के पारित होने के पश्चात् अशों को कटौती पर नहीं निर्गमित किया जा सकता है, अतः अब यह मामला केवल शैक्षिक परिचर्चा के लिये ही रह गया है।

जब सभी अपहरित अंश नहीं निर्गमित किये जाते

(When all forfeited shares are not reissued)

जब अपहरित अंशों का एक भाग ही पुनर्निर्गमित किया जाता है तो अपहरित अंशों के पुनर्निर्गमित भाग से सम्बन्धित अपहरित | अंश खाते में सकल लाभ की केवल आनुपातिक राशि ही नये आवंटकी को दी गई कटौती को पूरा करने के लिये प्रयोग की जा | सकती है तथा इस आनुपातिक राशि से बचा शेष पुनर्निर्गमन पर शुद्ध लाभ माना जायेगा और इसे पूँजी संचय खाते में हस्तान्तरित कर देना चाहिये। अपहरित अंशों के पुनर्निर्गमित नहीं किये गये भाग से सम्बन्धित सकल लाभ की आनुपातिक राशि अपहरित अंश खाते में ही पड़ी रहेगी और यह राशि चिठे के दायित्व पक्ष की ओर चुकता पूँजी के बाद दिखलाई जायेगी।

उदाहरण 22. निम्नलिखित मामलों में अंशों के हरण और पुनर्निर्गमन के जर्नल लेखे करो :

(i) भारत कम्पनी ने कमल के 10 ₹ वाले 7 ₹याचित 300 अंश अपहरित किये जो कि इन अंशों पर 3 ₹ प्रति अंश की प्रथम माँग नहीं दे सका। इनमें से 200 अंश विमल को पूर्णदत्त अंशों के रूप में 7 ₹ प्रति अंश के लिये पनर्निर्गमित किये गये।

(ii) भारत कम्पनी ने नीता के 10 ₹ वाले 6 ₹याचित 200 अंश अपहरित किये; ये अंश 10 % कटौती पर निर्गमित किये गये थे और नीता ने केवल 2₹ प्रति अंश चुकाये थे। इनमें से 160 अश गीता को 8 ₹ दत्त के रूप में 6 ₹ प्रति अंश के लिये पुनर्निर्गमित किये गये।

(iii) भारत कम्पनी ने अविनाश को 11 ₹ प्रति अंश की दर से निर्गमित 10 ₹ वाले 150 अंश अपहरित किये। इन अंशों पर उसने केवल ₹ प्रति अंश आवेदन राशि ही चुकाई थी किन्तु वह 6₹ प्रति अंश (प्रीमियम सहित) आबंटन राशि तथा 27 प्रति अंश के नहीं दे सका था। इनमें से 60 अंश अजीत को पूर्णदत्त रूप में 12 ₹ प्रति अंश के लिये, 40 अंश अनुप को पर्णदत्त रूप में 10% कटौती पर तथा शेष अंश राकेश को 20% कटौती पर पुनर्निर्गमित किये गये। पनर्निर्गमन भिन्न-भिन्न तिथियों पर किया गया।

Give journal entries for the forfeiture and re-issue of shares in the following cases :

(i)  Bharat Company forfeited 300 shares of ₹ 10 each, ₹7 called up of Kamal who could not pay the first call of ₹3per share on these shares. out of these,200 shares were re-issued to Vimal as fiilly Paid- UP

अधिक अभिदान की दशा में आनुपातिक आधार पर आवंटित अंशों का हरण और पुनर्निर्गमन

(Forfeiture and Reissue of Shares Allotted on Pro-rata basis in case of over-subscription)

अधिक अभिदान की दशा में सामान्यतया अंश आनपातिक आधार पर आवंटित किये जाते हैं और कम्पनी आतरक आवदन शार को आबंटन और/अथवा याचनाओं में समायोजन के लिये रोक लेती हैं। यदि आनपातिक आधार पर आवंटित अंशों में से कुछ एस। अंश अपहरित किये जाते हैं, जिन पर आबंटन पर देय राशि प्राप्त नहीं हो सकी है तो उन पर आबंटन की अवशिष्ट राशि का गणना में कुछ कठिनाई आती है। इसकी गणना के लिये निम्नांकित प्रक्रिया अपनानी चाहिये :

(1) आबंटन पर सभी अंशधारियों से देय राशि की गणना करो और इसमें से उनसे आवेदन पर प्राप्त अग्रिम की राशि घटाइये।

(2) उपर्युक्त (1) में से अपहरित अंशों पर आबंटन की अवशिष्ट राशि घटाकर आबंटन पर प्राप्त धन ज्ञात की जाती है। अपहरित अंशों पर आबंटन की अवशिष्ट राशि की गणना करने के लिये इन अंशों पर देय आबंटन की राशि में से इनका आवेदन का अतिरेक घटाया जाता है तथा इस अतिरेक की गणना भुगतान में चूक करने वाले अंशधारी से आवेदन पर प्राप्त राशि में से उन्हें आवंटित अंशों पर देय आवेदन राशि घटाकर की जा सकती है अथवा इस अंशधारी को आवंटित अंशों का सभी अंशधारियों को आवंटित कुल अंशों से अनुपात को आवेदन पर प्राप्त कुल अतिरेक से गुणा करके की जा सकती है।

उदाहरण 23. मधु लिमिटेड ने 100 ₹ वाले 10,000 समता अंशों के लिए 10 ₹ प्रति अंश प्रीमियम पर प्रार्थना पत्र निमंत्रित किए जो निम्न प्रकार देय थे :

50 ₹ प्रार्थना पत्र पर, 35 ₹ आबंटन पर (प्रीमियम सहित) और 25 ₹ माँग पर।

15,000 अंशों के लिए प्रार्थना पत्र आये। 2,500 अंशों के प्रार्थियों को कोई आबंटन नहीं किया गया और उनका धन 31 मई 2014 को वापिस कर दिया गया। उसी दिन शेष प्रार्थियों को समानुपात (Pro-rata) आबंटन किया गया।

श्री अतुल्य को 20 अंश आबंटित किए गए थे। वह 31 मई 2014 को की गई आबंटन की माँग तथा 31 जुलाई 2014 को की गई मांग का भुगतान न कर सका। कम्पनी ने 31 अक्तूबर 2014 को उसके अंश अपहरित कर लिए और उसी वर्ष की 31 दिसम्बर को 105 ₹ प्रति अंश की दर से इलयास को पुनः निर्गमित कर दिए।

उपर्युक्त कम्पनी की पुस्तकों में जर्नल और रोकड़ बही की प्रविष्टियाँ दिखलाइये और चिट्ठा भी तैयार करो।

The Madhu Co. Ltd. invited applications for 10,000 equity shares of₹ 100 each at a premium of₹ 10 each payable as below:

₹50 on application,

₹35 on allotment (including premium) and ₹

25 on call.

Applications for 15,000 shares were received. The applicants for 2,500 shares did not get any allotment and their money was returned on 31st May 2014. Allotment was made pro rata to the remaining applicants on the same date.

Mr. Atulya was allotted 20 shares. He failed to pay the amount due on allotment (31st May 2014) and the call (31st July 2014). The company forfeited his shares on 31st October 2014 and subsequently reissued to Mr. Ellias on 31st December, in the same year at * 105 per share..

Show the journal and cash book entries in the books of the above company, and also prepare balance sheet.

आवेदन पर 2, आबंटन पर 5₹, प्रथम माँग पर 3₹ और द्वितीय माँग पर 2₹।18.000 अशा के लिये आवेदन प्राप्त हा और 14400 संशों के आवेदकों को आनपातिक आबंटन किया गया। आवदना पर अधिक भुगतान धन को आबंटन पर देय राशियों के लिये प्रयोग किया गया।

किसमत लाल, जिसे 240 अंश आवंटित किये गये थे. आबंटन का धन भुगतान न कर सका आर बाद भुगतान में असफल होने पर उसके अंश अपहरित कर लिये गये। चिक्कराम जिसे 360 अंश आवंटित किये गये थे, दोनों मागों का भगतान करने में असफल रहा और द्वितीय माँग के बाद उसके अंश अपहरित कर लिये गये।

अपहरित अंशों में से 480 अंश हीरा लाल को पूर्णदत्त के रूप में 9 ₹ प्रति अंश के लिये बेचे गये। इसमें किसमत लाल के सभी अंश शामिल थे। जर्नल और रोकड़ बही के लेखे तथा चिट्ठा दिखलाइये।

Dum Dum (India) Ltd. issued a prospectus inviting applications for 12,000 shares of 10 each at a premium of₹2 per share payable as follows :

On application                    ₹2

On allotment                       5

On first call                         3

On second call                    ₹2

Applications were received for 18,000 shares and allotment made pro rata to the applicants of 14,400 shares. Money over-paid on applications was employed on account of sums due on allotment.

Kismatlal, to whom 240 shares were allotted, failed to pay the allotment money and on his subsequent failure to pay the first call, his shares were forfeited. Chikkuram, who was allotted 360 shares, failed to pay the two calls and his shares were forfeited after the second call.

Of the shares forfeited 480 shares were sold to Hiralal credited as fully paid for 9 per share, the whole of Kismatlal’s shares being included. Show Journal and Cash Book entries and the Balance Sheet.

उदाहरण 25. नव लक्ष्मी लि० ने 10 ₹ वाले 50,000 अंशों के आवेदन के आमंत्रण हेतु एक प्रविवरण निर्गमित किया। ये अंश । निम्नलिखित शर्तों पर सम-मूल्य पर निर्गमित किये गये :

आवेदन पर 3₹, आबंटन पर 4₹ और शेष प्रथम व अन्तिम माँग पर। 60,000 अंशों के लिये आवेदन प्राप्त हुए। निम्नलिखित आधार पर आबंटन किये गये :

(i) 10,000 अंशों के आवेदकों को – पूर्ण

(ii) 20,000 अंशों के आवेदकों को – 15,000 अंश

(iii) 30,000 अंशों के आवेदकों को – 25,000 अंश।

आवेदन पर भुगतान की गयी सभी अतिरेक राशि को आबंटन पर देय राशि से समायोजित करना है। अंश पूर्ण याचित और चुकता हुए सिवाय 20,000 अंशों के आवेदक समूह में से 2,000 अंशों के लिये आवेदन करने वाले से जिसने आबंटन और प्रथम व अन्तिम माँग की राशियों का भुगतान नहीं किया।

संचालकों ने सभी अंशों जिन पर माँगों का भुगतान नहीं हुआ था, का हरण कर लिया। 1,000 अपहरित अंश पूर्णदत्त रूप में 8₹ प्रति अंश लेकर पुनर्निर्गमित कर दिये गये।

नव लक्ष्मी लि० की पुस्तकों में जर्नल की प्रविष्टियाँ दीजिये।

Nav Lakshmi Ltd. issued a prospectus inviting applications for 50,000 shares of ₹ 10 each. These shares were issued at par on the following terms :

On application ₹3, on allotment ₹4 and on first and final call the balance. Applications were received for 60,000 shares. Allotments were made on the following basis :

(i) To applicants for 10,000 shares – in full.

(ii) To applicants for 20,000 shares – 15,000 shares.

(iii) To applicants for 30,000 shares – 25,000 shares. All excess amount paid on application is to be adjusted against amount due on allotment.

The shares were fully called and paid up except amounts on allotment and first and final call not paid by those who applied for 2,000 shares out of the group applying for 20,000 shares.

All the shares on which calls were not paid were forfeited by the Board of Directors. 1,000 forfeited shares were reissued as fully paid on receipt of₹8 per share.

Show the Journal entries in the books of Nav Laksmi Ltd.

 

उदाहरण 26. राबिन्स लिमिटेड ने 10 ₹ वाले 10,000 समता अंश 2 ₹ प्रति अंश प्रीमियम पर निर्गमित किए जो निम्न प्रकार देय थे- आवेदन पर 2 ₹, आबंटन पर 4 ₹ (प्रीमियम सहित) और 3 ₹ प्रथम याचना पर। 11,000 अंशों के लिये प्रार्थना-पत्र प्राप्त हुए और संचालकों ने आबंटन करते समय 500 अंशों पर प्रार्थना पत्र पर प्राप्त अधिक राशि को आबंटन में समायोजित किया। आबंटन -की तिथि के तीन माह बाद प्रथम याचना की गई।

कम्पनी को समस्त देय राशि प्राप्त हो गई केवल एक अंशधारी जिसके पास 200 अंश थे प्रार्थना पत्र के अतिरिक्त कोई राशि न दे सका और एक अन्य जिसके पास 100 अंश थे याचना का भुगतान न कर सका।

संचालकों ने उचित नोटिस देने के बाद इन अंशों को अपहरित कर लिया और 2.000 ₹ प्रतिफल में, जो प्राप्त हो गया एक । अन्य अंशधारी को पुनः निर्गमित कर दिया।

उपर्युक्त से अंशों के हरण तथा पुनर्निर्गमन सम्बन्धी जर्नल लेखे करो तथा कम्पनी की पुस्तकों में सम्बन्धित खाते बनाओ।

Robbins Ltd. issued 10,000 equity shares of 10 each at a premium of 2 per share, payable application. ₹4 on allotment (including the premium) and ₹ 3 on first call. Subscriptions were received for 2 on 11.000 shares and the directors, while making allotment, adjusted the excess money received on application to the allotment money due in respect of 500 shares. Three months after the date of allotment, the first call was made.

The company received all money due except in the case of a holder of money due except in the case of a holder of 200 shares from whom nothing! honey was received and in respect of another holder of 100 shares in whose case the Ilssue. The directors, after giving proper notice forfeited the defaulting shares and reissued them to a shareholder for a consideration of 2.000 which was duly received.

From the above, show the journal entries in respect of forfeiture and re-issue of shares and the ledger accounts in the books of the company.

Accounting Entries Forteiture

अधिकार अंशों का निर्गमन (Issue of Right Shares)

जब कभी अंश पूँजी वाली एक सार्वजनिक कम्पनी अपने समामेलन के दो वर्ष बाद अथवा इसके अंशों के प्रथम आबंटन के एक वर्ष बाद, जो भी पहले हो, और अंशों का निर्गमन करके अपनी प्रार्थित पूँजी में (अधिकृत पूँजी की सीमाओं के अन्तर्गत) वृद्धि करना चाहती है तो कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 62 (1) के अनुसार उसे अपने इन नये अंशों को :

(अ) अपने विद्यमान समता अंशधारियों को जहाँ तक सम्भव हो, उनके द्वारा धारित अंशों के अनुपात में क्रय करने के लिये आमन्त्रित

करना होगा (धारा 62 (1) (a))। समता अंशधारियों का यह अधिकार अंश क्रयाधिकार कहलाता है तथा इस प्रकार अंशों का निर्गमन ‘अधिकार अंशों का निर्गमन’ कहलाता है। ऐसा प्रस्ताव निम्नलिखित शतों के साथ प्रस्ताव पत्र भेजकर किया जाता है :

(i) इस प्रकार का प्रस्ताव वर्तमान अंशधारियों को एक नोटिस भेजकर किया जायेगा जिसमें प्रस्तावित अंशों की संख्या तथा वह अवधि जिसके अन्तर्गत प्रस्ताव को स्वीकार करना है, का उल्लेख करना होगा। यह अवधि प्रस्ताव की तिथि से कम से कम 15 दिन किन्तु 30 दिन से अधिक नहीं होनी चाहिये। धारा 62 (2) के अनुसार इस प्रकार का नोटिस निर्गम खुलने के कम से कम 3 दिन पहले रजिस्टर्ड पोस्ट अथवा स्पीड पोस्ट अथवा इलैक्ट्रोनिक मोड के माध्यम से सभी विद्यमान अंशधारियों को भेजा जायेगा। (ii) जब तक कम्पनी के अन्तर्नियमों में इसके विपरीत प्रावधान न हो, उपरोक्त प्रस्ताव में सम्बन्धित व्यक्ति को प्रस्तावित सभी या इनमें से किसी भी अंशों को किसी अन्य व्यक्ति के पक्ष में त्यागने का अधिकार सम्मिलित हुआ माना जायेगा तथा उल्लिखित नोटिस में इस अधिकार का स्पष्ट कथन होना चाहिये। अंशधारी निर्धारित अवधि के अन्तर्गत प्रस्ताव को स्वीकार, अस्वीकार या तृतीय व्यक्ति के पक्ष में त्याग सकता है।

(iii) उपरोक्त नोटिस में निर्दिष्ट समय की समाप्ति के पश्चात् अथवा इससे पूर्व सम्बन्धित अंशधारी से प्रस्ताव को अस्वीकार की सूचना प्राप्त होने पर संचालक मण्डल इन अंशों को किसी अन्य व्यक्ति को इस तरह बेचने के लिए स्वतंत्र होगा जिससे अंशधारियों और कम्पनी का अहित न हो।

(ब) कर्मचारी स्कन्ध विकल्प योजना (Employees’ Stock Option Plan) के अन्तर्गत निर्धारित शतों के अधीन अपने कर्मचारियों को किन्तु इसके लिये कम्पनी को विशेष प्रस्ताव पारित करना होगा। (धारा 62 (i) (b))

(स) यदि ऐसे अंशों का मूल्य एक पंजीकृत मूल्यांकक की मूल्यांकन रिपोर्ट द्वारा निर्धारित किया गया है तो विशेष प्रस्ताव द्वारा अधिकत होने पर नकदी के लिये अथवा नकदी के अतिरिक्त अन्य प्रतिफल में किन्हीं भी व्यक्तियों को, चाहे उन व्यक्तिया म । उल्लिखित (अ) और (ब) व्यक्ति सम्मिलित हैं अथवा नहीं। (धारा 62(i)(c)) अधिकार अंशों पर भुगतान एक मुश्त लिया जा सकता है अथवा किश्तों में। ये अंश सममूल्य पर निर्गमित किये जो सकत ।।

प्रीमियम पर अथवा कटौती पर। अधिकार अंशों के आबंटन में आये सभी भिन्नात्मक अंशों (Fractional Shares) को पूर्ण अंशो का निर्गमन, हरण एवं पुनर्निर्गमन बदलकर संचालक इन्हें बाजार में बेच देते हैं तथा प्राप्त राशि को उन अंशधारियों में बाँट दिया जाता है जिनके ये भिन्नात्मक अंश थे।

उदाहरण 27. एक लिमिटेड कम्पनी ने 20,000 समता अंश जिसमें से प्रत्येक 10₹का है, निर्गमित किए। ये सभा अशा 2014 को पूर्णदत्त हैं। कम्पनी के संचालकों ने 1 फरवरी 2015 को अपने समता अंशधारियों को पूराने दो अंशों के बदले म एक अधिकार वाला अंश देने का निश्चय किया। यह अधिकार वाला अंश 14₹ प्रति अंश की दर से निर्गमित किया गया। इसम स । आवेदन पर तथा 10₹ प्रीमियम सहित आबंटन पर देय है। समता अंशधारियों ने 8.000 अधिकार वाले अश ल लए। शष अशा ।। जिन्हें कि समता अंशधारियों ने नहीं लिया संचालकों ने बाजार में 29.000 ₹ में बेच दिया। इस निर्गमन में 500 ₹ व्यय हुए। कम्पना। की पुस्तकों में आवश्यक जर्नल लेखे कीजिए। सभी भुगतान यथा समय प्राप्त हो जाए।

A limited company issued 20,000 equity shares of 10 each. All these shares are fully paid up on 31st December 2014. On 1st February 2015 directors of the company decided to give one right share in exchange of two old equity shares to its existing equity shareholders. This right share was issued at the rate of * 4 per share payable as 4 on application and * 10 on allotment including premium. Equity shareholders, took up 8,000 right shares. Remaining right shares, which were not taken over by equity shareholders, were sold by the directors for ₹29,000 in the open market. Expenses of this issue amounted to ₹ 500. Pass the necessary journal entries in the books of the company. All payments have been received in time.

कर्मचारी स्कन्ध विकल्प योजना (Employees’ Stock Option Plan)

कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 2(37) के अनुसार “कर्मचारी स्कन्ध विकल्प” का आशय एक कम्पनी द्वारा अपने सत्रधारी कम्पनी या सहायक कम्पनी या कम्पनियों, यदि कोई हैं, के संचालकों, अफसरों अथवा कर्मचारियों को एक भावी तिथि पर एक पूर्व निर्धारित मल्य पर अपने अंश क्रय का अधिकार प्रदान करना है। यह एक ऐच्छिक योजना है। किन्त इस योजना के अन्तर्गत कर्मचारियों के लिये प्रतिभूतियों का आरक्षण 5 प्रतिशत से अधिक नहीं किया जा सकता है। इस योजना के अन्तर्गत कम्पनी के वे । प्रवर्तक संचालक और अधिकारी शामिल नहीं किये जा सकते हैं जिनके स्वयं के या उनके समह या संस्था के पास कम्पना क 10 प्रतिशत या अधिक समता अंश हों। इस योजना के अन्तर्गत निर्गमित किये गये अंशों का न्यनतम लेन-देन न करने की अवधि निगमित लेखा-विधि (Tock-in period) एक वर्ष होगा। इस योजना के अन्तर्गत अंश निर्गमित किये जाने पर अंश के बाजार मूल्य और निर्गम मूल्य का REmployees’ Compensation Expenses Account” में डेबिट किया जायेगा तथा वर्ष की समाप्ति पर इसे लाभ-हानि पालाखत किया जायेगा। यदि लॉक-इन पीरियड के कारण इनका मूल्य बाजार मूल्य से कम माना जाता है तो लेखा-पुस्तकों में अंश निर्गमन का लेखा इस कम मूल्य के आधार पर किया जायेगा।

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अधिलाभांश अंश का निर्गमन (Issue of Bonus Shares)

अधिलाभांश का आशय (Meaning of Bonus) एक कम्पनी द्वारा अपने अंशधारियों में लाभांश के अतिरिक्त किया गया वितरण अधिलाभांश (Bonus) कहलाता है। यह तब दिया जाता है जबकि कम्पनी सामान्य से अधिक लाभ कमा रही है। यह दो प्रकार का होता है : (1) नकद अधिलाभांश (Cash Bonus) और (2) पूँजीगत अधिलाभांश (Capital Bonus)।

नकद अधिलाभांश (Cash Bonus) : एक कम्पनी द्वारा अपने अंशधारियों को नियमित लाभांश के अतिरिक्त किया गया अन्य कोई नकद वितरण ही नकद अधिलाभांश कहलाता है। यह तब दिया जाता है जबकि कम्पनी के पास बहुत अधिक लाभ और संचितियाँ एकत्रित हो गयी हों तथा पर्याप्त फालतू नकदी भी हो। यदि कम्पनी में तरल कोषों की कमी है अथवा उसे अपने भावी विकास के लिये कोषों की आवश्यकता है तो ऐसी स्थिति में नकद अधिलाभांश कम्पनी की प्रगति को रोक सकता है। वस्तुतः नकद अधिलाभांश तब उचित माना जाता है जबकि कम्पनी में यकायक लाभ बढ़ गये हों किन्तु कम्पनी लाभांश की दर न बढ़ाना चाहे और न ही अधिकृत पूँजी की सीमा को देखते हुए बोनस अंशों का निर्गमन सम्भव हो पा रहा हो।

पूँजीगत अधिलाभांश या स्कन्ध लाभांश (Capital Bonus or Stock Dividend) : पूँजीगत अधिलाभांश का आशय कम्पनी द्वारा अपने अंशधारियों को लाभांश के रूप में अपने अंश वितरित करने से होता है। दूसरे शब्दों में, एक कम्पनी द्वारा अपने विद्यमान अंशधारियों को उनसे बिना कोई प्रतिफल लिये अपने अंशों का निर्गमन ही पूँजीगत अधिलाभांश या स्कन्ध लाभांश कहलाता है। इस प्रकार निर्गमित किये जाने वाले अंश ही अधिलाभांश अंश या बोनस अंश कहलाते हैं। ये अंश सम मूल्य (At par) पर निर्गमित किये जा सकते हैं अथवा अधिमूल्य (Premium) पर।

पूँजीगत अधिलाभांश का एक रूप और हो सकता है जिसके अन्तर्गत कम्पनी अपने अंशतः दत्त (partly paid-up) अंशों को उन पर अयाचित राशि अंशधारियों से लिये बिना ही पूर्णदत्त (fully paid-up) बना लेती है।

पूँजीगत लाभांश चाहे अधिलाभांश अंश निर्गमित करके दिया जाय और चाहे अंशतः दत्त अंशों को पूर्ण दत्त बनाकर दिया जाय, इससे कम्पनी की नकद स्थिति पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है; इससे एक ओर तो कम्पनी के एकत्रित लाभ और संचय घट जाते हैं और दूसरी ओर उतनी ही राशि से कम्पनी की चुकता पूँजी (paid-up capital) बढ़ जाती है। चूँकि इस प्रक्रिया में संकलित लाभ और संचय कम्पनी की अंश पूँजी में परिवर्तित हो जाते हैं अतः इसे ‘लाभों और संचयों का पूँजीकरण’ (Capitalisation of । Profits and Reserves) भी कहते हैं। अतः जब कम्पनी के पास लाभ और संचय तो पर्याप्त मात्रा में हों किन्तु लाभांश भुगतान के लिये नकद कोषों की कमी हो अथवा यदि कम्पनी अपने नकद कोषों का प्रयोग अपने विकास एवं विस्तार के लिये करना चाहती है तो वह पूँजीगत अधिलाभांश घोषित करके अपने अंशधारियों को सन्तुष्ट कर सकती है।

अधिलाभांश अंश निर्गमन के स्रोत (Sources of Bonus Issue of Shares): कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 63(1) के अनुसार एक कम्पनी द्वारा अपने सदस्यों को पूर्णदत्त अधिलाभांश अंशों के निर्गम के लिये निम्नलिखित का प्रयोग किया जा सकता है :

  1. मुक्त संचय (Free Reserves) : मुक्त संचयों में निम्नलिखित सम्मिलित होते हैं :

(अ) लाभ-हानि खाते का शेष (P.&L. Account Balance)

(ब) लाभों से सृजित सामान्य या अन्य संचितियाँ (General Reserves or other reserves created out of profits) –

जैसे विकास छूट संचिति, विनियोग भत्ता संचिति, ऋणपत्र शोधन संचिति आदि।

(स) ऋणपत्रों के शोधन के बाद सिंकिंग फण्ड खाते का शेष (Balance of Sinking Fund Account after debeneutres have been redeemed)

(द) प्राप्त पूँजीगत लाभ और संचितियाँ (Realised Capital Profits and Reserves) 2 प्रतिभति अधिमूल्य खाते का शेष (Balance of Securities Premium Account) 2 पंजी शोधन संचिति खाता (Capital Redemption Reserve Account)

नोट : (i) सम्पत्तियों के पुनर्मूल्यांकन द्वारा सृजित संचितियों के पूँजीकरण द्वारा बोनस अंशों का निर्गमन इस अधिनियम द्वारा निषेध कर दिया गया है।

उपर्यक्त 2 और 3 का प्रयाग अशतः दत्त अंशों को पूर्णदत्त बनाने के लिये नहीं किया जा सकता है। अंशों का निर्गमन, हरण एवं पुनर्निर्गमन

अधिलाभांश अंशों के निर्गम की शर्ते (Conditions for Issue of Bonus Shares)

कम्पनी अधिनियम 2013 का धारा 63 (2) के अनुसार कोई कम्पनी अपने लाभों या संचितियों का पूर्णदत्त अधिलाभांश अशा क। निर्गमन के लिये पूँजीकरण निम्न शर्तों के अधीन ही कर सकती है :

(अ) यह उसके अन्तर्नियमों द्वारा अधिकत है;

(ब) बोर्ड की संस्तुति पर कम्पनी की व्यापक सभा में बोर्ड को इसके लिये अधिकृत कर दिया गया है; (स) इसके द्वारा निर्गमित ऋण प्रतिभूतियों या स्थायी जमाओं पर देय ब्याज या मूलधन के भुगतान में इसने कोई चूक नहीं की है।

(द) इसने कर्मचारियों की वैधानिक देयों जैसे प्रावीडेन्ट फण्ड, उपहार और बोनस के लिये अंशदान, के भुगतान में कोई चूक नहीं का

(इ) आवंटन की तिथि पर अंशतः दत्त अंशों, यदि कोई हैं, को पूर्णदत्त बना दिया गया है;

(फ) यह निर्धारित की गई सभी शर्तों का पालन करती है।

धारा 63 (3) के अनुसार बोनस अंश लाभांश के बदले में नहीं निर्गमित किये जायेंगे।

कम्पनीज़ (अंश पूँजी और ऋणपत्र) नियम 2014 के नियम 14 के अनुसार बोर्ड द्वारा बोनस निर्गमन की संस्तुति के निर्णय की विज्ञप्ति के पश्चात् इसे वापस नहीं लिया जा सकता है।

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अधिलाभांश अंश निर्गमन के लिये सेबी के दिशानिर्देश (SEBI Guidelines for Issue of Bonus Shares)

उदारीकरण के चालू पग और प्राथमिक बाजार में सुधारों के साथ चलने के लिये सेबी (Securities and Exchange Board of India) ने अपनी 13-4-1994 की प्रेस विज्ञप्ति द्वारा बोनस निर्गम के लिये दिशानिर्देशों में संशोधन किये। संशोधित दिशानिर्देश निम्नलिखित हैं :

(i) प्रयोज्यता (Applicability): दिशानिर्देश विद्यमान सूचीबद्ध कम्पनियों (Listed Companies) पर लागू होते हैं। बोनस अंश के निर्गमन की इच्छुक कम्पनियाँ निर्गतकर्ता द्वारा यथावत हस्ताक्षरित और इसके वैधानिक अंकेक्षक द्वारा अथवा पेशेवर कम्पनी सचिव (Company Secretary in practice) द्वारा यथावत् प्रति-हस्ताक्षरित इस आशय का एक प्रमाणपत्र अग्रसारित (Forward) करेंगी कि इन दिशानिर्देशों में निर्दिष्ट अधिलाभांश अंशों के निर्गमन के लिये शर्तों और दशाओं का पालन किया गया है।

(ii) ऋणपत्रधारियों के अधिकार (Rights of Debenture Holoders) : किसी सार्वजनिक अथवा अधिकार निर्गम के पश्चात अधिलाभांश अंशों का निर्गम तभी किया जा सकेगा जबकि इससे कम्पनी के पूर्ण परिवर्तनीय ऋणपत्रों (FCDs)/अंशतः परिवर्तनीय ऋणपत्रों (PCDS) के धारकों के अधिकार या मूल्य में कोई कमी नहीं आ रही हो। दूसरे शब्दों में, इन ऋणपत्रों के परिवर्तन तक कोई कम्पनी अधिलाभांश अंश तभी निर्गमित कर सकेगी जबकि इसका लाभ इन ऋणपत्रधारियों को भी दिया जाय। इसके लिये कम्पनी इन ऋणपत्रों के परिवर्तनीय भाग के लिये आनुपातिक अंश आरक्षित कर देगी, यद्यपि ये अंश इन

ऋणपत्रों के धारकों को इनके परिवर्तन के समय ही निर्गमित किये जायेंगे।

(iii) मुक्त संचितियों से निर्गम (Issue out of Free Reserve) : अधिलाभांश निर्गम केवल वास्तविक लाभों से सृजित मुक्त संचितियों अथवा रोकड़ में प्राप्त प्रतिभूति प्रीमियम से ही किया जा सकता है।

(iv) पुनर्मूल्याकंन संचितियाँ (Revaluation Reserve) : स्थायी सम्पत्तियों के पुनर्मूल्यांकन से सृजित संचितियों का पूँजीकरण नहीं किया जा सकता है।

(v) लाभांश के बदले अभिलाभांश (Bonus in lieu of Dividend) : लाभांश के बदले अभिलाभांश निर्गम की घोषणा स्वीकार्य नहीं है।

(vi) पूर्णदत्त अंश (Fully Paid Shares) : अधिलाभांश अंश निर्गमन तभी स्वीकृत किया जाता है जबकि कम्पनी के अंशतः चुकता (Partly paid) अंशों, यदि कोई हैं, को पूर्ण चुकता बना दिया गया हो।

(vii) स्थायी जमाओं/ऋणपत्रों और वैधानिक देयताओं में कोई चूक नहीं (No Default in respect of Fixed Deposits/ Debentures and Statutory Dues): (A) यदि कम्पनी ने सार्वजनिक जमाओं और/अथवा ऋणपत्रों पर ब्याज अथवा उनकी परिपक्वता या शोधन तिथि पर मूलधन की वापसी में चूक की है तो अधिलाभांश निर्गम की स्वीकृति नहीं दी जायेगी। (B) यदि कम्पनी ने कर्मचारियों की वैधानिक देयताओं (Statutory dues), जैसे प्रावीडेन्ट फण्ड देयतायें, उपहार, बोनस आदि

के भुगतान में चूक की है तो अधिलाभांश निर्गम की स्वीकृति नहीं दी जायेगी।

(viii) क्रियान्वयन (Implementation) : संचालक मण्डल द्वारा अधिलाभांश निर्गम के प्रस्ताव बोनस प्रस्तावों को लागू कर देना होगा तथा अनुमोदित बोनस निर्गम के निर्णय में परिवर्तन का कम्पनी को कोई विकल्प स्वीकार्य नहीं होगा।

(ix) अन्तनियमें   में व्यवस्था (Provision in Articles) : कम्पनी के अन्तर्नियमों में संचितियों के पूजीकरण की व्यवस्था होनी चाहिये। यदि ऐसा नहीं है तो कम्पनी को अपनी व्यापक सभा में इस आशय का एक प्रस्ताव पारित करके अन्तर्नियमों में ऐसी व्यवस्था करनी होगी।

(x) अधिकृत पूँजी (Authorised Capital) : यदि अधिलाभांश अंशों के निर्गमन से कम्पनी की प्रार्थित और चुकता पूजी अधिकता पूँजी से अधिक हो जाती है तो अधिकृत पूँजी में वृद्धि के लिये कम्पनी की व्यापक सभा में एक प्रस्ताव पारित करना होगा

अधिलाभांश निर्गमन का लेखाकरण (Accounting for Bonus Issue) (1) बोनस स्वीकृत और घोषित किये जाने पर :

Surplus Account                                           Dr

Securities Premium Account                 Dr

Respective Reserve Account                   Dr

To Bonus to Shareholders Account

(2) बोनस का भुगतान नकद में किये जाने पर :

Bonus to Shareholders Account    Dr

To Bank Account

(3) बोनस का भुगतान अंशों के निर्गमन द्वारा किये जाने पर :

Bonus to Shareholders Account          Dr

To Share Capital Account

नोट : यदि बोनस अंश प्रीमियम पर निर्गमित किये जाते हैं तो प्रीमियम की राशि से प्रतिभूति प्रीमियम खाता क्रेडिट किया जायेगा।

(4) बोनस का भुगतान ऋणपत्रों के निर्गमन द्वारा किये जाने पर :

Bonus to Shareholders Account         Dr

To Debentures Account

(5) जब बोनस आंशिक चुकता अंशों को पूर्ण चुकता बनाने के लिये दिया जाय :

(अ) आंशिक चुकता अंशों पर अन्तिम याचना की माँग करना :

Share Final Call Account                         Dr.

To Share Capital Account

(ब) बोनस से याचना की मांग पूरी करना :

Bonus to Shareholders Account              Dr

To Share Final Call Account

उदाहरण 7. एक लिमिटेड कम्पनी के पास ₹ 10 वाले 10,000 समता अंशों की अंश पूँजी है। प्रत्येक अंश पर ₹7 माँगा गया था जो दे दिया गया। कम्पनी के पास ₹ 1,50,000 की संचित निधि है। ₹ 1,05,000 बोनस की घोषणा करते हुए कम्पनी ने एक प्रस्ताव पारित किया कि बोनस का प्रयोग अंशतः दत्त अंशों को पूर्णदत्त अंशों में परिवर्तित करने के लिये किया जायेगा तथा शेष राशि का प्रयोग 25% प्रीमियम पर पूर्णदत्त अंशों के आवंटन हेत किया जायेगा।

कम्पनी की पुस्तकों में आवश्यक जर्नल की प्रविष्टियाँ कीजिए।

A limited company has share capital, which consists of 10.000 equity shares of₹ 10 each, ₹7per share called and paid. The company has also a reserve fund of ₹1,50,000. The company passed a resolution declaring a bonus of₹ 1,05,000 for the shareholders. The bonus is to be utilised for making partly paid shares as fully paid and the balance to be used for the allotment of fully paid shares at 25% premium.

Pass necessary journal entries to give effect to the above resolution of the company

उदाहरण 8. एक कम्पनी की चुकता पूँजी ₹ 100 वाले 2,000 समता अंशों में विभक्त है जिन पर ₹ 75 चुकता है। सामान्य सचय खाते में ₹2,00,000 तथा प्रतिभूति प्रीमियम खाते में ₹ 25.000 हैं। कम्पनी ने अंशधारियों को एक ₹ 50 प्रति अंश का बोनस दिया जिसका भुगतान अंशों को पूर्णदत्त करने तथा शेष रोकड़ के रूप में किया। आवश्यक जर्नल लेखे करो।

The paid up capital of a company consists of 2,000 Equity Shares of ₹ 100 each, ₹75 per share paid up. The balance in General Reserve was ₹2,00,000 and Securities Premium ₹ 25,000. The company declared a bonus of 50 per share in payment of which the shares were made fully paid and the remaining was paid in cash. Give Journal entries.

कम्पनी द्वारा अपने अंशों का वापसी-क्रय (Buy-back of Shares by a Company)

एक कम्पनी द्वारा अपने अंशों का पुनक्रय अंशों का वापसी-क्रय (Buy-back) कहलाता है। कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 68 (1) एक कम्पनी को कुछ दशाओं में स्वयं अपने अंश या अन्य निर्दिष्ट प्रतिभूतियाँ निरस्त करने के लिये क्रय करने की अनुमति प्रदान करती है। इस क्रय के लिये धन की व्यवस्था (i) मुक्त संचयों से, अथवा (ii) प्रतिभूति अधिमूल्य खाते से, अथवा (iii) उसी प्रकार के अंशों या उसी प्रकार की अन्य निर्दिष्ट प्रतिभूतियों के पूर्व निर्गमन से प्राप्त राशि के अतिरिक्त किन्हीं अन्य प्रकार के अंशों या किन्हीं अन्य प्रकार की निर्दिष्ट प्रतिभूतियों से प्राप्त राशि से किया जा सकता है।

अंशों की वापसी-क्रय की शर्ते (Terms and Conditions of Buy-back of Shares)

कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 68 (2) के अनुसार एक कम्पनी निम्नलिखित शतों के पूरा करने पर ही अपने अंश क्रय कर सकती है :

(1) कम्पनी के अन्तर्नियम उसे अपने अंश क्रय करने के लिये अधिकृत करते हों।

(2) कम्पनी की व्यापक सभा में उसे अपने अंश क्रय करने को अधिकृत करने वाला एक विशेष प्रस्ताव पारित करना होगा। किन्तु यह नियम वहाँ नहीं लागू होगा जहाँ (i) संचालक मंडल अपनी सभा में एक प्रस्ताव पारित करके अपने अंश क्रय करने को अधिकृत करता है, (ii) निर्गम की राशि कम्पनी की प्रदत्त. समता अंश पूँजी और मुक्त संचयों के योग के 10% से अधिक न हो (iii) गत 365 दिनों के अन्तर्गत इस प्रकार के वापसी-क्रय का कोई प्रस्ताव नहीं किया गया हो। प्रस्ताव में वापसी-क्रय पर

दिया जाने वाला अधिकतम मूल्य भी निर्दिष्ट होना चाहिये।

(3) वापसी-क्रय कम्पनी की कुल प्रदत्त पूँजी और मुक्त संचयों के योग के 25% से अधिक का नहीं होना चाहिये।

(4) इस प्रकार के वापसी-क्रय के पश्चात् ऋण-समता अनुपात 2:1 से अधिक नहीं होना चाहिये। तथापि, केन्द्रीय सरकार द्वारा किसी वर्ग या वर्गों की कम्पनियों के लिये ऋण का एक उच्च अनपात नियत किया जाना है।

लेखांकन व्यवहार (Accounting Treatment) (1) क्रय किये समता अंशों के अंकित मल्य के बराबर राशि पँजी शोधन संचिति खाता या पूँजी वापसी क्रय संचिति खाता में हस्तान्तरित की जायेगी और इसके लिये निम्न प्रविष्टि पारित की जायेगी :

Securities Premium Account                   Dr

General Reserve Account (if any)            Dr

Divisible Profit Account                            Dr

To Capital Redemption Reserve Account

नोट : (i) जब अंशों के नये निर्गम से प्राप्त राशि से वापसी-क्रय किया जाता है तो पूँजी शोधन संचिति खाते के सृजन का आवश्यकता नहीं होती है।

(ii) पूँजी शोधन संचिति खाते का प्रयोग पूर्णदत्त अधिलाभांश अंशों के निर्गमन के लिये किया जा सकता है।

वापसी-क्रय का लेखा:

(a) If buy-back is at par:

Equity Share Capital Account                       Dr. With the nominal value of shares purchased

To Bank Account

(b) If buy-back is at premium :

Equity Share Capital Account                              Dr       (With the nominal value)

General Reserve/ Securities Premium Account    Dr  (With the amount of premium)

To Bank Account                                           (With the total)

(C) If buy-back is at discount :

Equity Share Capital Account                          Dr       ( With the nominal value)

To Bank Account                                                  Dr    (With the amount paid)

To Capital Reserve Account                                   (With the amount of discount)

  1. अंशों के वापसी-क्रय पर किये गये व्यय :

Buy-back Expenses Account                          Dr  with the amount paid

To Bank Account

  1. वापसी-क्रय के व्ययों का अपलेखन :

Profit & Loss Account                                                 Dr.

To Buy-back Expenses Account

Accounting Entries Forteiture

उदाहरण 28. त्रिपाठी लि० ने 10 ₹ प्रति के 10,00,000 समता अंश निर्गमित किये। प्रतिभूति प्रीमियम खाते का शेष 4,00,000 ₹ था और सामान्य संचिति 10,00,000 ₹ थी। कम्पनी ने सीधे अपने अंशधारियों से 8 ₹ प्रति अंश पर अपनी अंश पूँजी का 20% वापसी-क्रय का निश्चय किया। कम्पनी ने 2 माह पूर्व वापसी-क्रय के उद्देश्य से 6,00,000 ₹ के 10% पूर्वाधिकारी अंश निर्गमित किये थे। कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 68 के प्रावधानों के अनुरूप कम्पनी की पुस्तकों में वापसी-क्रय से सम्बन्धित लेन-देनों का अभिलेखन करो।

Tripathi Ltd. has issued 10,00,000 equity shares of₹ 10 each. The balance in the securities premium account was ₹4,00,000 and general reserve ₹ 10,00,000. The company decided to buy-back 20% of its share capital direct from its shareholders at ₹8 per share. The company has issued ₹6,00,000, 10% preference shares two months back for the purpose of buyback. Record the transactions relating to buyback in the books of the company in accordance with the provisions of Section 68 of Companies Act, 2013

chetansati

Admin

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