BCom 1st Year Responsibility Accounting Study Material notes in Hindi

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B Com  1st Year Responsibility Accounting Study Material Notes in Hindi

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BCom  1st Year Responsibility Accounting Study Material Notes in Hindi : Meaning of Accounting Responsibility Centres ControllabilityDistinction Between Cost Centres and Responsibility Centres Objectives of Accounting (Most Important Post For Bcom 1st Year Students )

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BCom 3rd Year Auditing Practices India Study Material Notes In hindi

उत्तरदायित्व लेखांकन

(RESPONSIBILITY ACCOUNTING)

वर्तमान में उत्तरदायित्व लेखांकन को प्रबन्धकीय नियन्त्रण की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तकनीक माना जाता है। इसके अन्तर्गत प्रबन्धन द्वारा संस्था के कार्यकलापों को इस प्रकार नियोजित करना ताकि कर्मचारी संस्था के मूल उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु पूरे। मनोयोग से कार्य करने हेतु अभिप्रेरित हो एवं अवांछनीय कार्यों को भी करने की प्रवृत्ति पर भी अंकुश लगाया जा सके।

उत्तरदायित्व लेखांकन का अर्थ

(Meaning of Responsibility Accounting)

उत्तरदायित्व लेखांकन नियन्त्रण की एक विशिष्ट प्रद्धति है जिसके माध्यम से लागत के लिए उत्तरदायित्व का निर्धारण किया जाता है। यह लागत की अन्य पद्धति यथा प्रमाप लागत लेखा-विधि या बजटरी नियन्त्रण पद्धति की ही तरह है, परन्तु इसमें किसी विशेष कार्य को करने के लिए रखे गये व्यक्तियों के उत्तरदायित्व-निर्धारण पर अधिक बल दिया जाता है। इस पद्धति में लागत की पहचान उत्तरदायी व्यक्तियों के अनुरूप ही हो जाती है। इसमें लागत पर बेहतर नियन्त्रण सम्भव हो जाता है क्योंकि नियन्त्रण का केन्द्र-बिन्दु लागत पर नियन्त्रण न होकर उस लागत के लिए उत्तरदायी व्यक्ति पर नियन्त्रण होता है।

वस्तुत: उत्तरदायित्व लेखांकन की कोई नयी पद्धति नहीं है, बल्कि लेखों व रिपोर्ट्स की एक ऐसी व्यवस्था है, जिससे लागतों एवं संस्था के प्रत्येक कार्य के लिए किसी निश्चित व्यक्ति या समूहों को उत्तरदायी ठहराया जाता है। प्रबन्ध के सभी स्तरों के लिए लेखा विवरणों को इस प्रकार से तैयार किया जाता है कि कार्यशील (Operating) व्यक्ति इन विवरणों को अपनी क्रियाओं एवं लागतों को नियन्त्रित करने के लिए एक प्रभावशाली औजार के रूप में प्रयोग कर सके। फलस्वरूप लेखा नियन्त्रण पद्धति को उत्तरदायित्वों के अनुसार व्यवस्थित कर लिया जाता है और सम्पूर्ण संगठन इकाई को अनेक उत्तरदायित्व केन्द्रों में विभाजित कर दिया जाता है। इन्हें कभी-कभी उत्तरदायित्व इकाई भी कहते हैं। प्रत्येक उत्तरदायित्व केन्द्र के लिए एक अकेला व्यक्ति उत्तरदायी ठहराया जाता है। अत: प्रत्येक उत्तरदायित्व केन्द्र पर केवल उन्हीं लागतों को संकलित किया जाता है जिन पर उस केन्द्र के अधिकारी का नियन्त्रण है और जिसके लिए वह उत्तरदायी है।

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उत्तरदायित्व लेखांकन की परिभाषाएँ

(Definitions of Responsibility Accounting)

इन्स्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एण्ड वर्क्स एकाउन्टेन्ट्स ऑफ इण्डिया, के अनुसार, “उत्तरदायित्व लेखांकन प्रबन्धकीय लेखांकन की एक ऐसी प्रणाली है, जिसके अन्तर्गत प्रबन्ध के विभिन्न स्तरों को प्रत्यायोजित उत्तरदायित्व के अनुसार उत्तरदेयता निश्चित की जाती है और प्रत्यायोजित उत्तरदायित्व के सन्दर्भ में पर्याप्त प्रतिपुष्टि प्राप्त करने हेतु स्थापित एक प्रबन्धकीय सूचना एवं प्रतिवेदन देने की प्रणाली है। इस प्रणाली के अन्तर्गत एक व्यक्ति में निर्दिष्ट अधिकार के अधीन एक संगठन के प्रभागों या इकाइयों को उत्तरदायित्व केन्द्रों के रूप में विकसित किया जाता है तथा उनके निष्पादन का व्यक्तिगत रूप से मूल्यांकन किया जाता है।”

चार्ल्स टी० हैटग्रेन के अनुसार, “उत्तरदायित्व लेखांकन संगठन के अन्तर्गत विभिन्न निर्णयन केन्द्रों को मान्यता देता है और व्यक्तिगत प्रबन्धकों, जो मूल रूप से विचाराधीन लागत के विषय में निर्णय के लिए उत्तरदायी होते हैं, के अनुरूप लागत की खोज करता है।”

रॉबर्ट एन० एन्थनी के अनुसार, “उत्तरदायी लेखांकन प्रबन्धकीय लेखांकन का वह रूप है, जो नियोजित व वास्तविक दोनों । प्रकार की लेखांकन सूचना को उत्तरदायित्व केन्द्रों के आधार पर संग्रहीत व प्रतिवेदित करता है।

एण्डरसन के अनुसार “यह अवधारणा (अर्थात् उत्तरदायितव लेखांकन) ऐसी लेखांकन पद्धति को समावेशित करती है जिसमें सूचनाओं व समंकों को इस ढंग से एकत्रित व प्रतिवेदित किया जाता है, जो संस्था के उत्तरदायित्व संरचना से घनिष्ठ रूप से। सम्बद्ध हो।” ___

जॉन ए० हिग्गिस के अनुसार, “यह लेखांकन की एक प्रणाली है, जोकि एक संगठन से इस प्रकार से संग्रथित होती है कि संगठन के अन्तर्गत उत्तरदायित्व के स्तरों के आधार पर लागतें संकलित, अभिलिखित व प्रतिवेदित की जाती हैं। संगठन के प्रत्येक पर्यवेक्षीय क्षेत्र पर केवल वे ही लागते चार्ज की जाती हैं जिनके लिए वह उत्तरदायी है और जिस पर इसका नियन्त्रण है।”

विलियम एल फरेरा के अनुसार, “उत्तरदायी लेखांकन का सार उत्तरदायित्व के क्षेत्रों के अनुसार लागतों व आगमों का संकलन है जिसमें प्रमापित लागतों व बजटों के अन्तरों को उनके लिए उत्तरदायी व्यक्ति या समूह के साथ पहचाना जा सके।”

आर० एम० भण्डारी के अनुसार, “उत्तरदायित्व लेखांकन वह पद्धति है, जिसके अन्तर्गत उत्तरदायि त्व के प्रत्येक स्तर पर, लागतें संकलित व प्रतिवेदित की जाती हैं, ताकि प्रबन्ध द्वारा प्रत्येक स्तर पर क्रियाओं और लागतों के नियन्त्रण के लिए लेखांकन लागत समंकों का प्रयोग किया जा सके।”

एग्लेस्टन के अनुसार, “उत्तरदायित्व लेखांकन को सरल ढंग से संगठन में विभागीय प्रबन्धकों एवं पर्यवेक्षकों के उत्तरदायित्व लेखांकन ‘नियन्त्रण पद्धति को बाँधना’ के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।”

1 .“Responsibility Accounting is a system of management accounting under which accountability is established according to the responsibility delegated to various levels of management and a management information and reporting system instituted to give adequate feedback in terms of the delegated responsibility. Under this system division or units of an organisation under a specified authority in a person are developing responsibility centres and evaluated individually for their performance.”

-Institute of Cost and works Accountant of India.

2 .”Responsibility Accounting recognises various decision centres throughout organisation and traces costs to the individual managers who are primarily responsible for making decisions about the costs in question.”

3 .”Responsibility Accounting is that type of Management Accounting that collects and reports both planned and actual accounting information in terms of responsibility centres.”

-Robert N. Anthony

4 .“This concept (i.e., responsibility accounting) encompasses an accounting system in which the information and data are gathered and reported in a manner closely related to the responsibility structure of the enterprise.”

-Anderson

5 .”It is a system of accounting which is tailored to an organisation so that costs are

accumulated, recorded and reported by levels of responsibility within the organisation. Each supervisory area in the organisation is charged, only with the cost for which it is responsible and over which it has control.”

-John A. Higgins

 6.«The essence of responsibility accounting is the accumulation of costs and revenue according to areas of responsibility in order that deviation from standard cost and budgets can be identified with the person or group responsible.”

-William. L. Ferrara

7 . Responsibility Accounting is a system under which costs are accumulated and reported level of responsibility so that the accounting and costs data may be used by the management at each level in controlling the operations and their costs. KM D. Responsibility Accounting can be defined simply as ‘tying the accounting control by Banisation and the responsibilities of department managers and supervisors.-Eggleston

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उत्तरदायित्व लेखांकन के मुख्य लक्षण

(Main Features of Responsibility Accountings)

(1) उत्तरदायित्व लेखांकन का प्रारम्भिक बिन्द संगठन चार्ट है जिसमें प्रत्येक अधिकारी वर्ग का कार्यक्षेत्र स्पष्ट किया गया होता है।

(2) इसमें सम्पूर्ण लागतों का वर्गीकरण उत्तरदायित्व केन्द्रों के आधार पर किया जाता है।

(3) प्रत्येक उत्तरदायित्व केन्द्र पर केवल वे ही लागतें संग्रहीत की जाती हैं जिन पर केन्द्र के अधिकारी का नियन्त्रण होता है।

(4) इसमें अनियन्त्रणीय लागतों का अस्तित्व नहीं होता है क्योंकि प्रत्येक लागत किसी-न-किसी अधिकारी द्वारा __अवश्य नियन्त्रणीय होती है। फिर भी यदि कोई लागत अनियन्त्रणीय रह जाती है तो प्रत्येक केन्द्र पर इन्हें। नियन्त्रणीय लागतों से अलग संग्रहीत किया जाता है।

(5) प्रत्येक उत्तरदायित्व केन्द्र की नियन्त्रणीय लागतों को विभिन्न प्रकारों के अनुसार इस प्रकार वर्गीकृत किया जाता  है जिससे वे विश्लेषण के लिए उपयुक्त आधार प्रदान कर सकें।

(6) इसमें प्रत्येक उत्तरदायित्व केन्द्र का अधिकारी अपने केन्द्र के वास्तविक निष्पादन/परिणामों

की तुलना पर्वनिर्धारित लक्ष्यों से करता है तथा अपनी सफलता या असफलता को स्पष्ट करते हुए उच्च प्रबन्ध के समक्ष एक निश्चित प्रारूप में रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।

उत्तरदायित्व लेखांकन में निहित कदम

(Steps Involved in Responsibility Accounting)

उत्तरदायित्व लेखांकन के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए निम्न कदम उठाने पड़ते हैं

(1) सर्वप्रथम बजट या लक्ष्य निर्धारित किये जाते हैं और इन लक्ष्यों को सम्बन्धित अधिकारियों को संवहित किया जाता है।

(2) वास्तविक निष्पादन/परिणाम का सतत मूल्यांकन होता है। इसके लिए वास्तविक परिणाम भी सम्बन्धित ___ अधिकारियों को सूचित किया जाता है।

(3) विचरणांशों की रिपोर्ट उच्च प्रबन्ध को दी जाती है। साथ में उस अधिकारी या उत्तरदायित्व केन्द्र का नाम भी सूचित किया जाता है जिसको अमुक कार्य सौंपा गया था।

(4) सुधारात्मक कदम उठाये जाते हैं और सम्बन्धित अधिकारियों या उत्तरदायित्व केन्द्रों को भी इस कदम की सूचना दी जाती है।

उत्तरदायित्व लेखांकन को लागू करने की महत्त्वपूर्ण कड़ी उत्तरदायित्व केन्द्रों की स्थापना है। इसी प्रकार उत्तरदायित्व की स्थापना के बाद लागत की नियन्त्रणीयता (Controllability) की अवधारणा भी उत्तरदायित्व लेखांकन का आधार है। इन दोनों की। व्याख्या नीचे दी गयी है।

उत्तरदायित्व केन्द्र

(Responsibility Centres)

उत्तरदायित्व केन्द्र वह केन्द्र है जिसका प्रमुख किसी कार्य विशेष के सफल निष्पादन हेतु उत्तरदायी होता है। यह उत्तरदायित्व उत्पादन के रूप में, साधनों के उचित उपयोग के रूप में या उत्पादन की लागत के दक्षतापूर्ण सुसंचालन हेतु हो सकते हैं। उत्तरदायित्व केन्द्र की स्थापना से व्यवसाय के सर्वोच्च अधिकारी से लेकर विभिन्न विभागों के अध्यक्षों, उन विभागों के विभिन्न विभागों या उपविभागों के अध्यक्षों तथा यहाँ तक कि एक अकेले व्यक्ति के कार्य के निष्पादन के उत्तरदायित्व को निर्धारित कर दिया जाता है। । यह निर्धारण अनेक रूपों में हो सकता है। उत्पादन के नियन्त्रण के लिए विभिन्न विभागों में एक निश्चित मात्रा में उत्पादन हेतु । उत्तरदायित्व केन्द्रों का निर्धारण किया जा सकता है। इसी प्रकार विक्रय नियन्त्रण हेतु प्रत्येक क्षेत्र तथा उपक्षेत्रों के लिए एक निश्चित विक्रय मात्रा के उत्तरदायित्व का निर्धारण किया जा सकता है। इसी प्रकार लागत नियन्त्रण हेतु अनेक उत्तरदायित्व केन्द्र हो सकते हैं।

_ यद्यपि यह कहना सरल है कि प्रत्येक कार्य के निष्पादन हेतु उत्तरदायित्व केन्द्रों की स्थापना की जानी चाहिए, किन्तु व्यवहार में ऐसे केन्द्रों की स्थापना का कार्य अत्यन्त जटिल होता है। वस्तुत: उत्तरदायित्व केन्द्र का उत्तरदायित्व स्पष्ट रूप से परिभाषित किया । जाना चाहिए ताकि एक केन्द्र दूसरे केन्द्र पर अपने उत्तरदायित्व को न टाल सके या एक केन्द्र के उत्तरदायित्व से न ढक जाये। __प्रबन्धकीय नियन्त्रण हेतु आवश्यक लेखांकन सूचनाओं की प्राप्ति की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए तीन प्रकार के उत्तरदायित्व केन्द्र हो सकते हैं-(i) व्यय केन्द्र, (ii) लाभ केन्द्र तथा (iii) विनियोग केन्द्र।

इनका विशद् विवेचन नीचे दिया जा रहा है

(1) व्यय केन्द्र (Expenses Centres)—इन्हें कभी-कभी लागत केन्द्र भी कहते हैं। यदि किसी उत्तरदायित्व केन्द्र पर होने वाले व्ययों की ही गणना की जाती है न कि उसके उत्पादन (Output) के मौद्रिक मूल्य का] तो ऐसा केन्द्र व्यय केन्द्र कहलाता है।हालांकि प्रत्येक केन्द पर कुछ-न-कुछ उत्पादन अवश्यक होता है, परन्त अनेक स्थितियों में उनके उत्पादन का मोद्रिक मापन तो सम्भव होता है और न ही आवश्यक। उदाहरण के लिए, किसी संस्था के लेखांकन विभाग या सेवा विभाग (Service Dept.) के योगदान का मौद्रिक मूल्य मालूम करना जटिल कार्य है। सामान्यतः किसी संस्था की स्टाफ इकाइयाँ और व्यक्तिगत उत्पादन विभाग व्यय केन्द्र ही होते हैं। डिकोस्टर व शेफर (Decoster and Schafer) के अनुसार, “एक लागत केन्द्र का उत्तरदायित्व है; जहाँ । लागत (व्यय) मुख्य नियोजन व नियन्त्रण समंक होते हैं।”

(A cost centre is a responsibility centre where costs (expenses) are the principal planning and controls data). इस प्रकार व्यय केन्द्रों पर होने वाले व्ययों की गणना करनी चाहिए, उत्पादन की मात्रा या मूल्य का नहीं।

(2) लाभ केन्द्र (Profit centers)—इन्हें कभी-कभी वित्तीय निष्पादन केन्द्र (Financial performance centres) या दत्तांश उपान्त केन्द्र (Contribution margin centres) भी कहते हैं। जब किसी उत्तरदायित्व केन्द्र द्वारा निष्पादित कार्यों से प्राप्त होने वाले आगम (Revenues) और उस पर होने वाले व्यय (Costs) दोनों की ही गणना की जाती है, तो वह लाभ केन्द्र कहलाता । है। जब आगम उत्पादन का मौद्रिक मूल्य होता है तो व्यय प्रयुक्त साधनों का माप होता है। आगम व व्यय का अन्तर लाभ कहलाता । है। इस प्रकार लाभ केन्द्र का प्रमुख समंक आगम व व्यय है। यहाँ पर यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि एक केन्द्र की उत्पत्ति के माल्य को ही आगम मान लिया जाता है, चाहे वह वसूल या अर्जित हुआ हो या नहीं। इस प्रकार किसी व्यावसायिक संस्था का उत्पादन।

साग भी लाभ केन्द्र माना जा सकता है, क्योंकि यह अपनी उत्पत्ति को विक्रय विभाग को बेचता ही है। जो संस्थाएँ लाभ न कमान । बाली संस्थाएँ हैं, उनके सन्दर्भ में लाभ केन्द्र की अवधारणा अनुपयुक्त प्रतीत होती है; अत: ऐसी संस्थाओं में इस अवधारणा के लिए । ‘वित्तीय निष्पादन केन्द्र’ शब्द का प्रयोग किया जाता है।

3) विनियोग केन्द्र (Investment Centres) विनियोग केन्द्र की अवधारणा एक नवीन अवधारणा है। जिस केन्द्र के लिए निष्पादन का माप केवल लाभ क आधार पर ही न करके बल्कि उस केन्द्र के लिए किये गये विनियोग से सम्बन्धित करका जाता है उसे विनियोग केन्द्र कहत हा कुछ उत्तरदायी केन्द्र ऐसे भी होते हैं जिनके अधिकारी केन्द्र पर होने वाले आगमों व व्ययों के साथ-साथ उन सम्पत्तिया वानयागा) कालए भा उत्तरदायी होते हैं, जिन्हें उन केन्द्रों पर प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार।

प्रत्येक उत्तरदायित्व केन्द्र का अधिकारी जिन सम्पत्तियों का प्रयोग करता है. उस पर एक सन्तोषजनक प्रत्याय (Return) आजत। करने के लिए बाध्य ही होता है। इस प्रकार विनियोग केन्द्र अवधारणा विनियोग-प्रयोग की क्षमता के मूल्यांकन को दशाता हो।

नियन्त्रणीयता

(Controllability)

प्रबन्धकीय नियन्त्रण का यह सामान्य सिद्धान्त है कि उत्तरदायित्व की मात्रा का निर्धारण करते समय यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि यह कितना उसके अधिकार-क्षेत्र के अन्तर्गत नियन्त्रण योग्य है। किसी को कार्य निष्पादन के अच्छे या बुरे परिणामों के लिए केवल उसी सीमा तक उत्तरदायी ठहराया जा सकता है जिस सीमा तक उसके उत्तरदायित्व का अधिकार-क्षेत्र है तथा जिस सीमा तक वह व्यक्ति अपने स्वविवेक का प्रयोग कर सकता है।

इस प्रकार नियन्त्रण प्रणाली ऐसी होनी आवश्यक है जिसमें प्रत्येक उत्तरदायित्व केन्द्र की समस्त मदों को दो भागों में बाँटा जाय, प्रथम-नियन्त्रणीय मद तथा द्वितीय-अनियन सय मद। यद्यपि व्यावहारिक रूप में ऐसा स्पष्ट विभाजन कठिन होता है. किन्तु फिर भी ऐसे विभाजन से सम्बन्धित उत्तरदायी व्यक्ति को स्पष्ट रूप में उत्तरदायी ठहराने या न ठहराने में मदद मिलती है। उदाहरणार्थ, किसी संस्था की श्रम लागत (Labour Cost) के लिए किसी फोरमैन को उत्तरदायी उठराना उचित नहीं है, क्योंकि श्रम लागत उसके नियन्त्रण के बाहर अर्थात् अनियन्त्रणीय है। श्रम की लागत फोरमैन की कार्यक्षमता पर कम तथा व्यक्तियों का चयन करने वाले विभाग, बाजार के श्रम की दर तथा उत्पादन मात्रा पर अधिक निर्भर करती है। यदि कोई मद ऐसी है जोकि नियन्त्रणीय हे तथा फोरमैन के अधिकार-क्षेत्र (Jurisdiction) में है तो इसके लिए उसे निश्चित रूप से उत्तरदायी ठहराया जा सकेगा, कार्य निष्पादन को उचित ढंग से पूरा करने पर उसे पुरस्कृत किया जा सकेगा, साथ ही उचित कार्य निष्पादन न होने की दशा में उसे दण्डित किया जा सकेगा।

इस सम्बन्ध में प्रमाप लागत-विधि (Standard Costing) नियन्त्रणीय एवं अनियन्त्रणीय लागत में अन्तर करने का कार्य कर सकती है। उदाहरणार्थ, यद्यपि फोरमेन के लिए श्रम लागत अनियन्त्रणीय है, किन्तु यदि प्रबन्धक उचित प्रमाप निर्धारित कर देते हैं उपलब्धियों से तुलना की जाती है तो इस प्रकार प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर अन्तर (Variation) के लिए फोरमैन को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।

यह आवश्यक है कि प्रत्येक उत्तरदायित्व केन्द्र पर दोनों प्रकार की लागतों को पृथक्-पृथक् संग्रहीत किया जाये जिससे सर्वोच्च प्रबन्ध उत्तरदायित्व केन्द्रों के अधिकारियों को उनके अपने-अपने केन्द्रों की केवल उन्हीं लागतों के लिए उत्तरदायी ठहरा सके जिन पर उनका नियन्त्रण है। ऐसा करना प्रभावपूर्ण प्रबन्ध नियन्त्रण के लिए बहुत आवश्यक है। एक उतरदायित्व केन्द्र पर अनियन्त्रणीय लागतों के भी एकत्रित करने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं

(1) किसी एक निरीक्षक (किसी उत्तरदायित्व केन्द्र के अधिकारी) को इन लागतों से सम्बन्धित कर प्रबन्ध अप्रत्यक्ष

रूप से उसे इन पर नियन्त्रण करने के लिए अभिप्रेरित कर सकता है।

(2) प्रत्येक उत्तरदायित्व केन्द्र पर दोनों ही लागतों के संकलित (Accumulate) करने से उत्पादन की कुल लागत

ज्ञात की जा सकती है। इससे विक्रय-मूल्य की गणना करने में सरलता रहती है।

(3) किसी उत्तरदायित्व केन्द्र पर दोनों लागतों के संकलित करने से केन्द्र के अधिकारी को यह ज्ञात हो जाता है कि

कम्पनी उसके केन्द्र पर कितना व्यय करती है। इससे वह कम्पनी में अपने केन्द्र की महत्ता आंक सकता है।

(4) इससे केन्द्र के अधिकारी को यह ज्ञात हो जाता है कि उसके केन्द्र की कुछ लागत के कितने भाग पर उसका नियन्त्रण है, लेकिन यदि कुछ लागतों में नियन्त्रणीय लागत का भाग कम है तो यह केन्द्र के अधिकारी को लागत नियन्त्रण के प्रति उदासीन भी बना सकता है क्योंकि वह यह सोच सकता है कि उसके द्वारा नियन्त्रित लागत कुछ लागत पर कोई विशेष प्रभाव नहीं डालेगी। अत: उसे उन पर नियन्त्रण के लिए अधिक चिन्ता नहीं करनी चाहिए। इस दोष के होते हुए भी दोनों लागतों को संकलित करना ही अधिक लाभदायक है। हाँ, ये दोनों अलग-अलग संकलित की जानी चाहिए।

लागत केन्द्र व उत्तरादायित्व केन्द्र में अन्तर

(Distinction Between Cost Centres and Responsibility Centres)

उत्तरदायित्व केन्द्र लागत केन्द्रों से भिन्न होते हैं। आई. सी. एम. ए., लन्दन के अनुसार, “लागत केन्द्र एक स्थिति, व्यक्ति। या साज-सज्जा का एक मद होता है, जिसके लिए लागत निर्धारित की जा सकती है और लागत नियन्त्रण के उद्देश्य के लिए। प्रयोग की जा सकती है।” (A cost centre is a location, person or item of equipment for which costs may be ascertained and used for the purpose of cost control)। इस प्रकार लागत केन्द्र का प्रयोग लागत की मदों को संग्रहीत करने के साधन के रूप में होता है, ताकि उन्हें उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं से सम्बन्धित किया जा सके। इस प्रकार लागत। केन्द्र की दशा में अधिक बल कार्य, प्रक्रिया व वस्तुओं पर दिया जाता है, जिनकी लागत निर्धारित होती है, न कि उन व्यक्तियों पर बल दिया जाता है जो इनका प्रबन्ध करते हैं। दूसरी तरफ उत्तरदायित्व केन्द्रों का निर्माण संगठन में उत्तरदायी सदस्यों को भारार्पित उत्तरदायित्वों के आधार पर इस उद्देश्य से किया जाता है कि इन प्रबन्धकों द्वारा नियन्त्रणीय लागतों को पहचाना जा सके और उसे प्रबन्धकीय नियन्त्रण का साधन बनाया जा सके। इतना अन्तर होने के बावजूद भी कभी-कभी लागत केन्द्र को उत्तरदायित्व केन्द्र बनाया जा सकता है।

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उत्तरदायित्व लेखांकन के लाभ या उद्देश्य

(Benefits or Objectives of Responsibility Accounting)

उत्तरदायित्व लेखांकन के अनेक लाभ या उद्देश्य हो सकते हैं, परन्तु मूल लाभ लागत पर प्रभावशाली नियन्त्रण ही है। परम्परागत लागत लेखांकन प्रणाली द्वारा केवल वस्तु या उत्पाद की लागत ही निर्धारित की जा सकती है। इसी प्रकार प्रमाप लागत लेखा-विधि से केवल लागत नियन्त्रण ही सम्भव हो पाता है परन्तु उत्तरदायित्व लेखांकन से दोनों उद्देश्यों (वस्तु की लागत का निर्धारण एवं लागत नियन्त्रण) की पूर्ति की जा सकती है। चूंकि इसमें प्रत्येक कार्यरत व्यक्ति के दायित्व व अधिकारों का स्पष्ट विभाजन व रेखांकन पाया जाता है और प्रत्येक उत्तरदायित्व केन्द्र पर केवल नियन्त्रणीय लागतों को ही संकलित किया जाता है, अत: इसमें अधिकारी को उससे सम्बन्धित केन्द्र की क्रियाओं के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है और इस प्रकार लागत नियन्त्रण को प्रभावपूर्ण बनाया जा सकता है। इसके अलावा, सभी उत्तरदायित्व केन्द्रों की कुल लागतों का योग करके वस्तु या उत्पादन की लागत भी ज्ञात की जा सकती है।

उक्त मूल लाभ या उद्देश्य के अलावा उत्तरदायित्व लेखांकन से अन्य लाभ भी हो सकते हैं। यथा (i) संस्था की विभिन्न क्रियाओं को उत्तरदायित्व केन्द्रों में वर्गीकृत करने से बजटरी प्रणाली के प्रयोग में सुगमता रहती है। (ii) कुशल कर्मचारियों के परस्कृत करने व अकुशल कर्मचारियों को दण्डित करने की व्यवस्था बनायी जा सकती है। (iii) इस पद्धति से लेखा रिपोट अपवाद के सिद्धान्त पर तैयार की जाती है, जिससे सामान्य समस्याओं के निराकरण में प्रबन्ध का समय व्यर्थ नष्ट नहीं होत है। (iv) समस्त क्रियाओं के विधिवत् नियोजन से कागजी कार्य में कमी आ जाती है।

4 .उत्तरदायित्व लेखांकन की परिभाषा दीजिए। इसको लागू करने के लिए कैन-से पग उठाये जाते हैं? |

5. उत्तरदायित्व लेखांकन क्या है? लागत केन्द्र व उत्तरदायित्व केन्द्र में अन्तर कीजिए।

1. What do you understand by ‘Responsibility Accounting’? Discuss its salient features.

2. Explain the concept and features of Responsibility Accounting.

3. Write short notes on :

(a) Investment Centre                            (b) Profits Centre

(c) Expense Centre                               (d) Controllability

4. Define Responsibility Accounting. What steps are being taken for introducing it?

5. What is Responsibility Accounting? Distinguish between Cost Centres and Responsibility Centres,

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chetansati

Admin

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