Bcom 2nd Year Cost Accounting Machine Hour Rate Method Factory Study material notes in Hindi

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Bcom 2nd Year Cost Accounting Machine Hour Rate Method Factory Study material notes in Hindi

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Bcom 2nd year cost Accounting under Absorption of Overheads study material notes in hindi

कारखाना उपरिव्ययों के अवशोषण की

मशीन घण्टा दर पद्धति

Machine Hour Rate Method of Factory

Overheads Absorption

पिछले अध्याय में हम विवेचना कर चुके हैं कि मशीन घण्टा दर पद्धति कारखाना उपरिव्ययों के अवशोषण पद्धति है। कारखाना उपरिव्ययों के अवशोषण की इस पद्धति का प्रयोग मुख्यतः ऐसे उद्योगों में किया जाता है जहाँ कार्य में मशीनों का अत्यधिक उपयोग किया जाता है क्योंकि ऐसे उद्योगों में अधिकांश उपरिव्यय मशीनों से ही सम्बन्धित होतें हैं। आधुनिक मशीनी युग में कारखाना उपरिव्ययों का अवशोषण करने हेतु यह पद्धति सर्वाधिक उपयुक्त है।

मशीन घण्टा दर का अर्थ एवं परिभाषा

(Meaning and Definition of Machine Hour Rate)

सरल शब्दों में, मशीन घंटा दर का अर्थ एक विशेष मशीन को एक घंटा चलाने की उपरिव्यय लागत से है। यह का प्रत्येक मशीन के लिए अलग-अलग ज्ञात की जाती है। मशीन घंटा दर ज्ञात करने के लिए अवशोषित किये जाने वाले । उपरिव्ययों में उसी अवधि के अनुमानित मशीन परिचालन के घण्टों का भाग कर देते हैं।

सी० आई० एम० ए० लन्दन के अनसार “यह लागत अभिभाजन या उपरिव्यय अवशोषण की अभिभाजन या उपरिव्यय अवशोषण की वास्तविक या पूर्व निश्चित दर है जिसे निकालने के लिए अभिभाजन या अवशोषण की जाने वाली लागत को उन घंटों की संख्या से भाग दिया। जाता है जिनके लिए मशीन या मशीनें चलाई जाती हैं या चलाए जाने की संभावना है।”

मशीन घंटा दर विधि के अनुसार कारखाना उपरिव्ययों का अवशोषण प्रत्येक उपकार्य पर लगाए गये मशीन घंटों की संख्या के आधार पर किया जाता है। किसी उपकार्य द्वारा अवशोषित राशि निकालने के लिए, उस उपकार्य के उत्पादन में जितने घंटे मशीन ने काम किया है, उन घंटों को मशीन-घंटा दर से गुणा कर दिया जाता है। यदि एक उपकार्य को पूरा करने । के लिए एक से आधक मशीनों ने कार्य किया है तो प्रत्येक मशीन के द्वारा कार्य करने के घंटे ज्ञात कर लिए जाते हैं तथा प्रत्येक मशीन के घंटों को उसी मशीन की घंटा दर से गुणा करके कुल उपरिव्ययों की राशि निकाल ली जाती है जो उस उपकार्य द्वारा अवशोषित की जायेगी।

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मशीन घण्टा दर के सम्बन्ध में ध्यान देने योग्य बातें

(1) इस पद्धति के अन्तर्गत मशीन को एक लागत केन्द्र (Cost Centre) मानते हैं।

(2) मशीनों पर जो व्यय अभिभाजित किए जाते हैं, वे कारखाना उपरिव्यय (Factory overheads) होते हैं, न कि केवल मशीनों के व्यय।

(3) मशीन के कार्यशील घण्टों का पहले से ही अनुमान कर लिया जाता है।

(4) जो व्यय मशीन से प्रत्यक्ष रूप में सम्बन्धित होते हैं, उनकी सम्पूर्ण राशि को उसी मशीन पर आबंटित कर दिया जाता है जैसे कि मशीन का ह्रास, अनुरक्षण एवं मरम्मत व्यय तथा शक्ति व्यय, आदि।

(5) जो कारखाना उपरिव्यय ऐसे होते हैं प्रत्यक्ष रूप से किसी विशेष मशीन से सम्बन्धित नहीं किया जा सकता उनको उप्युक्त आधार पर विभिन्न मशीनों पर अभिभाजित कर दिया जाता है ।

मशीन घण्टा दर की गणना विधि (Computation Procedure of M.H.R.)

मशीन घण्टा दर की गणना हेतु सर्वप्रथम सम्पर्ण: इसके बाद विभागाच उपारण्यषा का उस विभाग द्वारा प्रयुक्त मशीनों में वितरित कर प्रत्येक मशीन के उपारव्यय काम पूर्ण कारखाना उपरिव्ययों को विभिन्न विभागों में अनभाजित कर लिया जाता न कर लिया जाता है। तदुपरान्त प्रत्येक मशीन से सास मशीन स सम्बन्धित उपरिव्ययों के योग को उस अवधि के मशीन के सामान्य कार्यशील घण्टों से भाग देकर मशीन घण्टा दर जात कर ली जा ण्टा दर ज्ञात कर ली जाती है। विभागीय उपरिव्ययों को विभिन्न मशीनों पर वितारत। करने की दृष्टि से, दो भागों में बाँटा जा सकता है

(1) स्थायी व्यय (Standing Charges)

(2) मशीन व्यय या परिवर्तनशील व्यय (Machine expenses or Variable expenses),

स्थायी व्यय-ऐसे व्यय सामान्यतः सम्पूर्ण विभाग के लिए किए जाते हैं तथा मशीन के प्रयोग पर निर्भर न हाकर स्थिर है। जैसे. कारखान का किराया, प्रकाश व ताप, बीमा, पर्यवेक्षण आटि। ऐसे व्ययों को किसी वैज्ञानिक आधार पर वितरित कर प्रत्येक मशीन से सम्बन्धित उपरिव्ययों  का अंश ज्ञात कर लिया जाता है। कुछ प्रमुख स्थायी व्यय एवं उनके विभाजन का आधार निम्नलिखित प्रकार हैं

1 किराया दर, कर आदि (Rent, Rats. Taxes. etc) इस व्यय को प्रत्येक मशीन द्वारा घेरी गई जगह के अनुपात म जित किया जाता है। घेरी गई जगह की जानकारी न दी हर्ड होने पर यह माना जाता है कि सभी मशीनी द्वारा एक समान जगह घेरी गई है।

2.प्रकाश एवं ताप (Lighting and Heating) इस व्यय को (i) प्रत्येक मशीन पर लगे हुए बिजली के पाइण्ट्स या बल्बों की संख्या के अनुपात में अथवा (i) मशीनों पर कार्यरत श्रमिकों की संख्या में अनुपात में अथवा (iii) मशीनों द्वारा घरा। जगह के अनुपात में विभाजित किया जाता है।

3.श्रम कल्याण व्यय,  कैन्टीन व्यय एवं राष्ट्रीय बीमा योजना (Labour Welfare Expenses. Canteen Expenses | and National Insurance Scheme)—इस व्यय को विभिन्न मशीनों पर कार्यरत श्रमिकों की संख्या के अनुपात में बाँटा जाता है।

4.निरीक्षण व्यय, पर्यवेक्षक, फोरमैन, आदि का वेतन (Inspection and Supervision Expenses, Salary of Supervisors, foreman, Engineers, etc.) इस व्यय को इन व्यक्तियों द्वारा विभिन्न मशीनों पर व्यतीत किये गये समय के अनुपात में बाँटा जाता है। व्यतीत किये गये समय की जानकारी न दी हुई होने की दशा में सभी मशीनों पर बराबर बँटवारा किया जायेगा। अप्रत्यक्ष श्रमिकों का पारिश्रमिक मशीनों पर कार्यरत श्रमिकों की संख्या के अनुपात में बाँटा जाता है। यदि जिस मशीन की मशीन घंटादर ज्ञात करनी है,केवल उसी मशीन हेतु अप्रत्यक्ष श्रम की राशिदी हुई हो तो सम्पूर्ण राशि ले लेते हैं।

5. बीमा व्यय (Insurance Expenses) सामान्यतया जिस मशीन की हमें मशीन घण्टा दर ज्ञात करनी होती है, बीमा व्यय केवल उसी मशीन का दिया हुआ होता है। अत: बीमा व्यय के बँटवारे की आवश्यकता ही नहीं होती है। परन्तु यदि स्पष्ट रूप से कारखाने में लगी हुई सभी मशीनों का बीमा व्यय दिया हुआ हो तो मशीनों के बीमा मूल्य के अनुपात में, बीमा अवधि को ध्यान में रखते हुए बँटवारा किया जाता है।

6. चिकनाई तेल, रुई के गूदड़ एवं उपभोग्य स्टोर्स आदि (Lubricating oil, Cotton-Waste and Consumable Stores) किसी स्पष्ट सूचना के अभाव में यह माना जाता है कि यह व्यय केवल उसी मशीन का दिया हुआ है, जिस मशीन की मशीन घण्टा दर ज्ञात करनी है। यदि यह व्यय कारखाने में लगी हुई सभी मशीनों अर्थात् सम्पूर्ण विभाग का दिया हुआ हो। तो सम्बन्धित अवधि में विभिन्न मशीनों के कार्यशील घण्टों के अनुपात में बँटवारा किया जायेगा।

7. अन्य स्थायी व्यय (Other Standing Charges)—इन व्ययों को परिस्थितियों के अनुसार न्यायोचित आधार पर बाँटा जायेगा।

उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि स्थायी व्ययों में अनेक मदें सम्मिलित होती हैं । प्राय: इनसे सम्बन्धित प्रत्येक मद की अलग-अलग मशीन घण्टा दर ज्ञात नहीं की जाती, वरन् कुल स्थायी व्ययों में मशीन के अनुमानित सामान्य कार्यशील घण्टों का भाग देकर प्रति घण्टा मशीन के परिचालन पर स्थायी व्ययों का भाग ज्ञात किया जाता है। अत: सभी स्थायी व्यय एक निश्चित अवधि के लिए लेते हैं। यह अवधि एक दिन, एक सप्ताह, चार सप्ताह, एक माह, त्रैमासिक या वार्षिक हो सकती है। यदि प्रश्न में। M.H.R. की गणना हेतु कोई विशिष्ट अवधि दी गई है तब तो स्थायी व्यय उसी अवधि के लिए लेंगे अन्यथा सुविधानुसार कोई भी अवधि ले सकते हैं। जितनी अवधि के स्थायी व्यय लेते है उसे आधार अवधि (Base period) कहा जाता है।

मशीन व्यय या परिवर्तनशील व्यय-ऐसे व्यय जो प्रत्येक मशीन के लिए अलग-अलग दिए हए हों तथा जो मशीन के प्रयोग के अनसार परिवर्तित होते रहते हैं, उन्हें मशान व्यय या पारवतनशाल व्यय कहते है। मशीन व्ययों से सम्बन्धित सभी मदों की स्वतन्त्र रूप से पृथक्-पृथक मशीन घण्टा दर जात की जाती है। ऐसे व्ययों तथा उनकी गणना सम्बन्धी विवेचना निम्नलिखित है

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(i) ह्रास (Depreciation)-सामान्यतः हास की प्रति घण्टा गणना मशीन के क्रय मूल्य, उस लान व क खचे जोड़कर उसमें से मशीन के अवशेष मल्य को घटाकर शेष शद्ध मल्य में मशीन के प्रभावी जीवन के कार्यशाल घण्टों का भाग देकर की जाती है। सूत्र रूप में

Depreciation per hour = Cost of machine – Scrap value

Total working life of machine in hours

नोट-यदि प्रश्न में वार्षिक कार्यशील घण्टों की सचना दी हई हो तो उनमें मशीन के जीवनकाल (वर्षों) की गुणा कर देते हैं जिससे Total working life of machine in hours ज्ञात हो जाता है।।

(ii) मरम्मत एव अनुरक्षण व्यय (Repairs and Maintenance)-प्रश्न में इनका रकम जितना अवाष कलादा हड हा, प्रदत्त रकम म उसी अवधि के कार्यशील घण्टों का भाग देकर प्रति घण्टा मरम्मत एवं अनुरक्षण व्यय का दर ज्ञात कर ली। जाता हा एक वर्ष के मरम्मत व्यय दिये हए होने पर उनकी रकम में एक वर्ष के कार्यशील घण्टो का भाग किया जाता है। जबकि सम्पूर्ण जीवनकाल के व्यय दिये हए होने पर जीवन के कल कार्यशील घण्टों का भाग दिया जाएगा।

(III) शक्ति व्यय (Power expenses)-प्रति घण्टा शक्ति व्यय की गणना हेत सर्वप्रथम मशीन द्वारा प्रति घण्टा प्रयोग लाइ शक्ति का इकाइयो (Units) का पता लगाया जाता है, तदुपरान्त उन इकाइयों में प्रदत्त प्रति इकाई दर से गणा करके प्रति घण्टा शक्ति व्यय की रकम ज्ञात हो जाती है।

(IV) स्टीम व पाना (Steam and Water)-प्रश्न में दी हई सूचनाओं में आवश्यक गुणा-भाग करके प्रति घण्टा टर ज्ञात कर ली जाती है।

नोट-यदि प्रश्न में मशीन व्ययों की मदों के लिए प्रति घण्टा दर स्वयं ही दी हुई हो तो सीधे उन्हें ही प्रयोग कर लेते हैं। ऐसी दशा में किसी गणना की आवश्यकता नहीं होती।

अन्त में, ‘स्थायी व्ययों की प्रति घण्टा दर’ एवं सभी परिवर्तनशील व्ययों की प्रति घण्टा दरों को जोड़ लिया जाता है जिससे मशीन घण्टा दर ज्ञात हो जाती है।

chetansati

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