BCom 2nd year cost Accounting Unit output costing method study material notes in Hindi

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BCom 2nd year cost Accounting Unit output costing method study material notes in Hindi

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इकाई अथवा उत्पादन लागत निर्धारण विधि

(Unit or Output Costing Method)

लागत लेखांकन का एक प्रमुख उद्देश्य उत्पादन की कुल लागत एवं प्रति इकाई लागत ज्ञात करना है। विभिन्न प्रकार के उत्पादों एवं सेवाओं की लागत निर्धारण के लिए लागत निर्धारण की विभिन्न विधियाँ प्रयोग की जाती हैं जिनका वर्णन प्रथम अध्याय में किया गया है। इकाई अथवा उत्पादन लागत निर्धारण विधि भी उनमें से एक है। इस विधि को एकल लागत पद्धति (Single Costing Method) कहते हैं। लागत निर्धारण की इस पद्धति का प्रयोग मुख्यत: उन संस्थाओं में किया जाता हे जहां सामान्यत: एक ही प्रकार की प्रमापित वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है, उत्पादन की इकाई एक-सी होती है तथा उत्पादन भी एक ही पद्धति से किया जाता है। उदाहरणार्थ, चीनी उद्योग, वस्त्र उद्योग, सीमेण्ट उद्योग, कोयला खान तथा ईंटों के भट्टे, आदि उद्योग इस विधि का प्रयोग करते हैं।

इकाई अथवा उत्पादन लागत निर्धारण विधि का अर्थ एवं परिभाषा
(Meaning and Definitions of Unit or output Costing )

 इकाई अथवा उत्पादन लागत निर्धारण विधि लागत लेखांकन की एक ऐसी विधि है जिसके अन्तर्गत एकरूप या एक समान (Identical) निर्मित वस्तुओं की कुल उत्पादन लागत एवं प्रति इकाई उत्पादन लागत ज्ञात की जाती है। इसीलिए इसे इकाई अथवा उत्पादन लागत निर्धारण विधि कहते हैं। वस्तुत: इस पद्धति के अन्तर्गत प्रति इकाई लागत ज्ञात करने के। साथ-साथ कुल लागत को विभिन्न स्तरों के अन्तर्गत प्रदर्शित किया जाता है। प्रथम स्तर में प्रत्यक्ष सामग्री, प्रत्यक्ष मजदूरी तथा अन्य प्रत्यक्ष व्ययों को दर्शाते हैं। इन तीनों के योग को मूल लागत (Prime Cost)कहते हैं। द्वितीय स्तर में कारखाना उपरिव्ययों (Factory Overheads) को दिखाते हैं। ये वे व्यय हैं जो उत्पादन कार्य हेतु कारखाने के अन्दर और उत्पादित वस्त के कारखाने के बाहर जाने के पूर्व किये जाते हैं। मूल लागत और कारखाना उपरिव्यय के योग को कारखाना लागत (Works Cost) कहते हैं। इसके पश्चात् तृतीय स्तर में कार्यालय उपरिव्यय (Office Overheads) आते हैं। कारखाना लागत और कार्यालय उपरिव्यय के योग को उत्पादन लागत (Cost of Production) या कार्यालय लागत (Office Cost) कहते हैं। इस उत्पादन लागत में विक्रय एवं वितरण के व्यय (Selling and Distribution expenses) जोड़ देने पर कुल लागत (Total Cost) ज्ञात हो जाती है। कुल लागत को उत्पादन का विक्रय मूल्य नहीं कहा जा सकता। विक्रय मूल्य, कुल लागत एवं लाभ का योग होता है। इनका विस्तृत वर्णन पीछे ‘लागत के तत्व’ वाले अध्याय में कर चुके हैं। इकाई अथवा उत्पादन लागत निर्धारण विधि की मुख्य परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं

हेरोल्ड जे० ह्वेलडन के अनुसार “उत्पादन लागत लेखांकन या इकाई लागत लेखांकन, लागत निर्धारण की एक ऐसी रीति है जो उत्पादन की इकाई पर आधारित है, जहाँ निर्माण कार्य निरन्तर होता है तथा यह इकाइयाँ समान प्रकार की होती है या उन्हें अनुपातों द्वारा एकसमान बनाया जा सकता है।”

जे० आर० बाटलीबॉय के अनुसार, “इकाई अथवा उत्पादन लागत प्रणाली का प्रयोग उस व्यवसाय में किया जाता है जो केवल प्रमापित वस्तु का उत्पादन करते हैं और उत्पादन की एक आधारभूत इकाई की लागत ज्ञात करनी हो।”

वाल्टर डब्ल्यू० बिग के अनुसार “जहाँ एक ही प्रकार की वस्तुएँ, जिन्हें किसी परिमाण या इकाई के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, उत्पादित की जाती हैं, इस प्रकार की रीति का प्रयोग किया जाता है।

उपरोक्त परिभाषाओं के अध्ययन से स्पष्ट है कि इस विधि का प्रयोग उन्हीं उद्योगों में किया जाता है जहाँ(i) उत्पादन कार्य निरन्तर चलता हो।

(ii) उत्पादन को सुविधाजनक भौतिक इकाई (Physical unit) में मापना सम्भव हो; जैसे, प्रति टन, प्रति किलोग्राम, प्रति मीटर, प्रति गैलन, आदि।

(iii) एक ही प्रकार की वस्तु का उत्पादन किया जाता हो या एक ही वस्तु की विभिन्न किस्मों का उत्पादन किया जाता हो।

(iv) उत्पादन की इकाइयाँ एकसमान हों या अनुपात के आधार पर उन्हें समान बनाया जा सक

(v) उत्पादित वस्तु की प्रति इकाई लागत ज्ञात करनी हो।

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उपयुक्त उद्योगों के नाम व इकाई (Name and Cost Unit of Specific Industries)यह तो स्पष्ट ही कि यह पद्धति कुछ विशिष्ट उद्योगों के लिए ही उपयुक्त है। ऐसे प्रमुख उद्योग एवं उनसे सम्बन्धित लागत इकाई निम्न प्रकार हैं ।

उद्योग का नाम                                                     लागत इकाई

(1) वस्त्र उद्योग                                                    प्रति मीटर

(2) ईंट उद्योग                                                       प्रति 1,000 ईट

(3) दुग्ध उद्योग                                                     प्रति लिटर

(4) कागज उद्योग                                                प्रति रिम या प्रति किलोग्राम

(5) चीनी उद्योग                                                  प्रति क्णिवण्टल

(6) सीमेण्ट उद्योग                                               प्रति टन

(7) कोयला उद्योग                                                प्रति टन

(8) शराब उद्योग                                                 प्रति बैरल

(9) खान उद्योग                                                  प्रति टन

(10) स्टील उद्धोग                                                 प्रति टन

इकाई लागत लेखांकन के उद्देश्य (Objects of Unit Costing)

(1) निश्चित अवधि में उत्पादित वस्तुओं की कुल लागत तथा प्रति इकाई लागत ज्ञात करना।

(2) कुल लागत को विभिन्न स्तरों के आधार पर प्रदर्शित करना।

(3) लागत की तलनात्मक जानकारी प्रस्तुत कर परिवर्तन के कारण ज्ञात करना।

(4) लागत के प्रत्येक तत्व का कुल लागत से प्रतिशत ज्ञात करना।

(5) विक्रय मूल्य व टेण्डर मूल्य का निर्धारण।

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