Bcom 2nd year Cost Accountig of Certain Overheads Study Material Notes in Hindi

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Bcom 2nd year Cost Accounting of Certain Overheads Study Material Notes in Hindi

Table of Contents

Bcom 2nd year Cost Accounting of Certain Overheads Study Material Notes in Hindi : absorption of overheads , Calculation  Labour hour Rate Administration overheads , Statements Showing Total Cost and Sales This post is very Important for Bcom 2nd Year Students .

BCom 2nd Year Cost Accounting Cost Audit Study Material Notes In Hindi

उपरिव्ययों का अवशोषण एवं विशेष उपरिव्ययों का लेखांकन

(Absorption of Overheads and Accounting of Certain Overheads)

उपरिव्ययों का अवशोषण/संविलयन

(Absorption of Overheads)

उपरिव्ययों के आवंटन एवं अभिभाजन (Allocation and Apportionment) से प्रत्येक उत्पादन विभाग या लागत केल क कुल उपरिव्यय ज्ञात हो जाते हैं। उपरिव्ययों के अभिभाजन (Apportionment) के पश्चात् यह आवश्यक हो जाता है कि सम्पूर्ण विभागीय उपरिव्ययों को सम्बन्धित विभाग द्वारा उत्पादित इकाइयों या पूर्ण किय गय उपकायों में किसी उचित आधार पर वितरित किया जाये ताकि प्रति इकाई कल लागत अथवा प्रत्येक उपकार्य की कुल लागत सही ढंग से ज्ञात हो सके। दर प्रक्रिया को ही उपरिव्ययों का अवशोषण या संविलयन कहते है।

व्हेलडन के अनुसार, “समस्त विभागीय उपरिव्ययों को उस विभाग द्वारा निर्मित इकाइयों पर वितरित करना उपरिव्ययों का अवशोषण कहलाता है।”

सी० आई० एम० ए० के अनुसार, “उपरिव्ययों का लागत इकाइयों पर आबंटन करना ही उपरिव्यय अवशोषण कहलाता है। 12

उपरिव्ययों का अवशोषण/संविलयन दो चरणों में किया जाता है-(i) उपरिव्यय अवशोषण दर का निर्धारण एवं उपरिव्यय अवशोषण की परिकलित दर को लागत इकाइयों पर चार्ज करना।

उपरिव्ययों के अनभाजन एवं उपरिव्ययों के अवशोषण में अन्तर

(Difference between Apportionment and Absorption of Overheads)

किसी न्यायोचित आधार पर अप्रत्यक्ष व्ययों को विभिन्न विभागों में बाँटने की प्रक्रिया उपरिव्ययों का अनभाजन कहलाती हैं जबकि अवशोषण या संविलयन का अर्थ किसी विशेष विभाग पर अनुभाजित उपरिव्ययों को उस विभाग में उत्पादित इकाइयों या पूर्ण किये गये उपकार्यों पर वितरित करना है। ‘अनुभाजन’ व ‘अवशोषण’ के अर्थ से दोनों में निम्नलिखित अन्तर स्पष्ट होते हैं

(i) ‘अनुभाजन’ के अन्तर्गत कल उपरिव्ययों को विभिन्न उत्पादन केन्द्रों व सेवा केन्द्रों में वितरित किया जाता है। प्रकार अनुभाजन के द्वारा कुल उपरिव्ययों में किसी विभाग विशेष का हिस्सा ज्ञात हो जाता है जबकि अवशोषण के अन्तर्गत विभागीय उपरिव्ययों को उत्पादन की प्रत्येक इकाई या प्रत्येक उपकार्य पर वितरित किया जाता है।

(ii) अवशोषण की प्रक्रिया अनुभाजन का कार्य समाप्त होने के पश्चात् ही प्रारम्भ होती है अर्थात् अनुभाजन के बिना अवशोषण नहीं हो सकता।

(iii) उपरिव्ययों के अनुभाजन हेतु उचित अनुपातों का प्रयोग किया जाता है जबकि अवशोषण हेतु प्राय: प्रतिशत दरों का प्रयोग किया जाता है।

Bcom 2nd year Cost Accounting of Certain Overheads Study Material Notes in Hindi (Most Important Notes For Bcom 2nd Year Students )




उपरिव्यय अवशोषण दरों के प्रकार

(Types of Overheads Absorption Rate)

उपरिव्यय दरों का निर्धारण उपरिव्ययों को विभिन्न उपकार्यों, प्रक्रियाओं अथवा उत्पादित इकाइयों में संविलयन हेतु किया जाता है। कुल उपरिव्यय की राशि में उपरिव्ययों के अवशोषण हेतु चुने गये आधार से भाग करके प्राप्त होने वाली दर उपरिव्यय दर कहलाती है। सामान्यतया उपरिव्यय दरें निम्नलिखित प्रकार की हो सकती हैं

(i) वास्तविक उपरिव्यय दर (Actual Overhead Rate)—यह दर वास्तविक उपरिव्यय लागतों पर आधारित होती है एवं इस दर को तभी ज्ञात किया जा सकता है जब वास्तविक उपरिव्यय लागते ज्ञात कर ली जाएँ। कुल वास्तविक उपरिव्ययों को चुने गये आधार से भाग करने पर वास्तविक उपरिव्यय दर ज्ञात हो जाती है। संक्षेप में, वास्तविक उपरिव्यय दर की गणना अग्रलिखित सूत्र के द्वारा की जा सकती है1.

निम्नलिखित सामाओं के कारण वास्तविक उपरिव्यय दरों का प्रयोग वांछनीय नहीं माना जाता

(1) वास्तविक दर की गणना लेखा अवधि की समाप्ति से पूर्व नहीं की जा सकता। इससे लातग ज्ञात करने में विलम्भ होता है।

2.वास्तविक दर का प्रयोग टैण्डर देने के लिये नहीं किया जा सकता।

3.वास्तविक दरें लागत नियन्त्रण का आधार प्रदान नहीं करती।

(ii) पूर्व-निर्धारित उपरिव्यय दर (Pre-determined Overhead kare)  पूर्व-निर्धारित उपरिव्यय दर की गणना अनुमानित उपरिव्ययों के आधार पर की जाती है। इस हेतु उपरिव्ययों का पूर्वानुमान (जिसे बजट आता है। इस हेतु उपरिव्ययों का पूर्वानमान (जिसे बजट उपरिव्यय भी कहते हैं) लगा लिया जाता है। दर की गणना के लिए लेखा अवधि (प्रायः एक वर्ष) के अनुमानित उपारच्या आधार से विभाजित कर दिया जाता है। इसको ज्ञात करने का सूत्र निम्नलिखित है—

वास्तविक उपरिव्यय दर की तुलना में पूर्व-निर्धारित उपरिव्यय दरें अधिक उपयोगी होती हैं। इनके लाभ निम्नलिखित है

1.इस दर की गणना के लिए लेखा अवधि समाप्त होने की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती तथा उपरिव्यय दर पहले से ही उपलब्ध रहती हैं ।

2.विक्रय मूल्य पूर्व-निर्धारित करने तथा टैण्डर भरने के लिए दन टरों से लागत का अनमान शीघ्रता से किया जा सकता है ।

3.लागत नियन्त्रण के लिए दरें अधिक प्रभावी सिद्ध होती हैं।

इस दर का लागू करने से उपरिव्ययों का कम अवशोषण Under Absorption) अथवा अधिक अवशोषण (Over Absorption) हो सकता है।

Bcom 2nd year Cost Accounting of Certain Overheads Study Material Notes in Hindi (Cost Accouting)

(iii) एकाका एव बहुसंख्यक उपरिव्यय दर (Sinale and Multiple Overhead Rate) उपरिव्ययों का अवशाषण करन हेतु प्रत्येक विभाग/प्रत्येक उपकार्य हेतु अलग-अलग उपरिव्यय दर ज्ञात की जा सकती है अथवा सभी विभागा/सम्पूण कारखाने के लिए एक पम्मिलित उपरिव्यय ज्ञात की जा सकती है।

(अ) एकाकी दर/कम्बल दर/ कारा दर (Single or Blanket Rate)-जब सम्पूर्ण कारखाने के लिए उपरिव्ययों के अवशोषण हेतु एक ही उपरिव्यय दर प्रयोग की जाती है, तो उसे एकाकी दर/ कम्बल दर। कोरी दर कहते है। यह पद्धति छोटे स्तर पर उत्पादन करने वाली संस्थाओं के लिये ज्यादा उपयोगी है या उन संस्थाओं में भी यह लाग की जाती है जहाँ पर एक जैसी वस्तुओं का उत्पादन होता ।

  (ब) बहुसंख्यक उपरिव्यय दरें (Multiple Overhead Rates)—बहुसंख्यक उपरिव्यय दरों से अभिप्राय प्रत्येक उत्पादन विभाग, प्रत्येक सेवा विभाग अथवा प्रत्येक लागत केन्द्र के लिए एक अलग उपरिव्यय दर ज्ञात करने से है। बहुसंख्यक उपरिव्यय दरों को निम्नलिखित सूत्र की सहायता से ज्ञात किया जा सकता है—




उपरिव्ययों के अवशोषण की विधियाँ

(Methods of Absorption of Overheads)( Bcom 2nd Year notes in Hindi )

उपरिव्ययों के अवशोषण की विभिन्न विधियों को तीन शीर्षकों में बाँटा जा सकता है

(1) कारखाना उपरिव्ययों का अवशोषण (Absorption of Factory Overheads)|

(II) कार्यालय एवं प्रशासन उपरिव्ययों का अवशोषण (Absorption of Office and Administration Overheads)|

(III) बिक्री एवं वितरण उपरिव्ययों का अवशोषण (Absorption of Selling and Distribution Overheads)|

(1) कारखाना उपरिव्ययों का अवशोषण या वसूली

(Absorption or Recovery of Factory Overheads)

किसी उत्पादन विभाग के कारखाना उपरिव्ययों को उस विभाग द्वारा उत्पादित इकाइयों या पर्ण किये गये वितरित या चार्ज करना कारखाना उपरिव्ययों का अवशोषण कहलाता ह। कारखाना उपरिव्ययों को विभाग द्वारा इकाइयों अथवा पर्ण किये गये कार्यों पर किस दर पर चार्ज किया जाये, इसके लिए अग्रलिखित में प्रयोग की जा सकती है

(1) प्रत्यक्ष सामग्री पर प्रतिशत रीति (Percentage on Direct Ma

(2) प्रत्यक्ष श्रम पर प्रतिशत रीति (Percentage on Direct Wages

(3) मुल लागत पर प्रतिशत रीति (Percentage on Prime Cost Method .

(4)प्रत्यक्ष श्रम घण्टा दर रीति (Direct Labour Hour Rate Me

(5) मशीन घण्टा दर रीति (Machine Hour Rate Method),

(6) मशीन घण्टा दर तथा  प्रत्यक्ष श्रम घण्टा दर की मिश्रित रीति ( Combined Method of Machine and Labour Hour Rate .

(7) उत्पादन आधार रीति (Output Basis Method)

(1) प्रत्यक्ष सामग्री पर प्रतिशत रीति इस रीति के अन्तर्गत विभाग के कुल कारखाना उपरिव्ययों का उस विभाग में  उपयोग हुई प्रत्यक्ष सामग्री की लागत के साथ प्रतिशत ज्ञात कर लिया जाता है । जिसका सूत्र निम्न प्रकार है ।

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उक्त प्रतिशत ज्ञात हो जाने पर प्रत्येक उत्पादित वस्तु या पूर्ण किये गये उपकार्य  में लगी हुई  प्रतय्क्ष सामग्री की लागत पर उक्त प्रतिशत दर के कारखााना उपरिव्यय का भार डाल दिया जाता है ।

उपयुक्तता- इस रीति का प्रयोग केवल निम्नलिखित परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए

(अ) जहां लागत तत्वों में सामग्री सबसे अधिक महत्वपूर्ण एवं मूल्यवान हो।

(ब) जहा उत्पादन की इकाइयाँ समान हों और जिनमें एक समान सामग्री का प्रयोग किया

व्यवहारिक कठिनाइयाँ या दोष -यह पद्धति सरल अवश्य है परन्त इसमें निम्नलिखित कमियाँ हैं जिनकी वजह से व्यवहार में इसका प्रयोग बहुत कम किया जाता है

(1) प्राय: उत्पादन में अनेक प्रकार की सामग्रियाँ प्रयोग की जाती हैं जिनके मल्य भी भिन्न-भिन्न होते हैं। इतना ही नहीं, समय-समय पर सामग्री के मूल्यों में भी परिवर्तन होता रहता है जबकि कारखाना उपरिव्यय अपरिवर्तित रहते है।।

(2) इस रीति में कुशल व अकुशल श्रमिकों के होने पर भी उपरिव्यय के अवशोषण में कोई भिन्नता नहीं रखी जाती है। कुशल श्रमिक, अकुशल श्रमिकों की अपेक्षा कार्य को शीघ्रता से कर लेते हैं। परिणामत: अपेक्षाकृत उपरिव्यय भी कम होंगे।

(3) कारखाने के बहुत से उपरिव्यय समय पर आधारित होते हैं परन्तु इस पद्धति में समय को कोई महत्व नहीं दिया जाता है।

(4) इस रीति में इस बात पर भी कोई ध्यान नहीं दिया जाता कि उत्पादन यन्त्रों की सहायता से किया जा रहा है अथवा श्रमिकों द्वारा। यदि निर्माण कार्य में मशीनों का प्रयोग अधिक किया जाता है तो अधिकांश व्यय मशीनों से सम्बन्धित होंगे न कि सामग्री के मूल्य से। अतः प्रत्यक्ष सामग्री के आधार पर उपरिव्ययों का अवशोषण न्याय संगत नहीं होगा।

(2) प्रत्यक्ष श्रम पर प्रतिशत रीति-इस रीति के अन्तर्गत कारखाना उपरिव्ययों का अवशोषण प्रत्यक्ष श्रम के आधार पर किया जाता है। इस पद्धति में सर्वप्रथम निम्नलिखित सूत्र के द्वारा विभागीय कारखाना उपरिव्ययों का विभागीय प्रत्यक्ष श्रम के साथ प्रतिशत ज्ञात किया जाता है —

किसी कार्य पर प्रत्यक्ष श्रम की लागत 1,200₹ है तो उस उपकार्य पर 1,200 x 5/100=60 rs  कारखाना उपरिव्यय के लिए चार्ज किये जायेंगे।

उपयक्तता-इस पद्धति का प्रयोग निम्न दशाओं में उपयुक्त माना जाता है

(1) जहाँ मशीनों की अपेक्षा श्रमिकों का प्रयोग अधिक होता है।

(2) जहाँ श्रमिकों को दी जाने वाली मजदूरी में स्थिरता हो अर्थात् मजदूरी में अधिक परिवर्तन नहीं होते हों।।

(3) समान कुशलता व पारिश्रमिक के श्रमिक कार्य करते हों।

(4) जहाँ विभिन्न उपकार्यों पर एक ही प्रकार का कार्य किया जाता हो।

गुण-इस विधि में निम्नलिखित गुण हैं

(1) इस पद्धति में समय तत्व को अधिक महत्व दिया गया है क्योकि जितना अधिक पारिश्रमिक होगा उतना ही अधिक समय व्यतीत हुआ होगा और उतने ही उपरिव्यय अधिक होंगे।

(2) सामग्री के मूल्य की अपेक्षा श्रमिकों को भुगतान किये जाने वाले पारिश्रमिक में तीव्र परिवर्तन नहीं होते हैं।

(3) प्रत्यक्ष मजदूरी तथा कारखाना उपरिव्ययों में सीधा सम्बन्ध है, अत: कारखाना उपरिव्ययों को इस पद्धति से बाँटना अधिक वैज्ञानिक तथा तर्कसंगत है।

(4) यह पद्धति सरल तथा सुगम है।

दोष-(1) इस पद्धति में इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता कि कार्य श्रमिकों द्वारा हाथ से किया जाता है अथवा मशीनों की सहायता से। जिन उपक्रमों में उत्पादन श्रमिकों की अपेक्षा मशीनों की सहायता से होता है वहाँ अप्रत्यक्ष व्ययों को श्रमिकों के पारिश्रमिक के आधार पर विभाजित करना उचित नहीं है।

(2) कुशल व अकुशल श्रमिकों में भेद नहीं किया जाता जिस कारण इस पद्धति से कारखाना उपरिव्यय चार्ज किये जाने के कारण व्यय का भार कुशल श्रमिकों पर अधिक व अकुशल श्रमिकों पर वास्तविकता से कम पड़ता है जो उचित नहीं है।

(3) यह पद्धति समय पर आधारित है परन्तु जहाँ पर कार्यानुसार मजदूरी दी जाती है वहाँ पर समय का महत्व नहीं रहता। अतः कार्यानुसार पारिश्रमिक भुगतान की स्थिति में यह पद्धति उपयुक्त नहीं रहती।

(4) जहाँ अधिसमय (overtime) दिया जाता है वहाँ प्रत्यक्ष श्रम में अधिसमय की मजदूरी भी सम्मिलित होने पर उपरिव्ययों की प्रतिशत दर में वृद्धि हो जाती है जबकि वास्तव में उपरिव्यय उस अनुपात में नहीं बढ़ते हैं।

(3) मल लागत पर प्रतिशत रीति-इस पद्धति के अन्तर्गत कारखाना उपरिव्ययों के अवशोषण हेत उपरिव्ययों का प्रतिशत उत्पादन की मूल लागत (Prime cost) के साथ ज्ञात किया जाता है और फिर उसी प्रतिशत के आधार पर सभी उपकार्यों के कारखाना उपरिव्यय ज्ञात करके लागत में जोड़ दिया जाता है। वस्तुतः यह रीति उपरोक्त दोनों पद्धतियों का ही मिश्रित रूप है। अवशोषण की दर मूल लागत के प्रतिशत के रूप में निर्धारित करने हेतु निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है  ।

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उपयुक्तता-यह पद्धति निम्नलिखित दशाओं में ही उपयुक्त रहती है ।

(1) जहाँ पर एक ही प्रकार की प्रमापित वस्तु का उत्पादन किया जाता है।

(2) उत्पादन कार्य में मशीनों का प्रयोग बहुत कम किया जाता है।

(3) विभिन्न कार्यों में प्रत्यक्ष सामग्री व प्रत्यक्ष श्रम के व्यय का अनुपात समान हो।

गुण-(1) यह पद्धति भी अत्यन्त सरल है। (2) चूँकि मूल लागत में प्रत्यक्ष सामग्री और प्रत्यक्ष श्रम दोनों की लागत का समावेश होता है अत: इस पद्धति के अन्तर्गत प्रत्यक्ष सामग्री व प्रत्यक्ष श्रम लागत के दोष एक-दूसरे का प्रतिकार कर देंगे और दोनों पद्धतियों के लाभ प्राप्त हो जायेंगे।

दोष-(1) इस पद्धति में मशीनों के प्रयोग की अपेक्षा की गई है जबकि आधुनिक युग में उत्पादन कार्य में मशीनों का प्रयोग अधिक किया जाता है। (2) समय तत्व जिसका का अप्तयक्ष वय्यों  से अधिक सम्बन्ध है इस पद्धति में कम ध्यन दिया जाता है। (3) पूर्व वर्णित दोनों रीतियों की कमियाँ भी इसमें निहित हैं ।

(4) प्रत्यक्ष श्रम घण्टा दर रीति-इस पद्दति के अन्तर्गत कारखाना उपरिक्त की अवशोषण दर ज्ञात करने के लिए उत्पादन के प्रत्येक विभाग में श्रम द्दारा किये गए प्रत्यश्र कार्य के घण्टों के योग से उस विभाग के कारखाना उपरिवय्यों को भाग दिया जाता है । जिससे प्रत्यश्र श्रम घण्टा दर ज्ञात हो जाती है । प्रत्येक विभाग के श्रम घण्टों को इस दर से गुणा करने पर उस विभाग के कारखाना उपरिव्यय ज्ञात हो जाते हैं । संक्षेप में इस आधार पर उपरिव्यय अवशोषण का दर ज्ञात करने का सूत्र अग्र प्रकार हैं

 

उयुक्तता-इस पद्धति का प्रयोग उन संस्थाओं के लिए अधिक उपयक्त होता है जहाँ अधिकाश उत्पादन कार्य श्रम द्वारा ही किया जाता है। इसके अतिरिक्त समान “है। इसके अतिरिक्त समान समय में पर्ण होने वाले उपकार्यों पर भी उपरिव्यय का अवशोषण करने के लिए प्रत्यक्ष श्रम घण्टा दर ही अधिक उपयुक्त होती है।

दोष-जहाँ पर उत्पादन कार्य को सम्पन्न कर पर उत्पादन कार्य को सम्पन्न करने के लिए श्रमिकों की अपेक्षा मशीनों का अधिक प्रयोग होता है. यह प्रणाली अनुपयुक्त है। दूसरे इस पद्धति को अपनाने से प्रत्येक विभाग तथा प्रत्येक वस्तू या उपकार्य क लिए कार्यशील ज्ञात करने हेतु आतिरिक्त लेखे रखने पड़ते हैं जिससे उपरिव्ययों में अनावश्यक वृद्धि हो जाता है।

प्रत्यक्ष श्रम घण्टा दर रीति को निम्न उदाहरण द्वारा भली प्रकार समझा जा सकता है । 

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Illustration 1.

निम्नलिखित सूचनाओं के आधार पर प्रत्यक्ष श्रम घण्टा दर ज्ञात कीजिए

(1) फैक्टरी के विभाग में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या 200 है. कल कार्य दिवस 300 तथा प्रतिदिन 10 घण्टे कार्य किया जाता है, (iii) कुल दिनों में से 10% कार्यहीन समय के लिए घटाना है, तथा (iv) कुल विभागीय उपरिव्यय 81,000 हैं।

You are required to find out Direct Labour Hour Rate from the following information: (U The total number of operators working in the department of factory is 200, (11) The department Works 300 days in a year and the number of hours per day is 10. (iii) From the total number of days 10% are to be deducted for idle time and (iv) Total departmental overheads amounted to 81,000rs .

Solution :

 Computation of Direct Labour Hour Rate

Illustration 2.

X लिमिटेड में तीन उत्पादन विभाग A,B,C तथा एक सेवा विभाग है।

निम्नलिखित आँकड़े एक मास के उपलब्ध हैं। मास में प्रतिदिन 8 घण्टे के 25 कार्यशील दिन हैं। सभी विभागों में इन दिनों में पूर्ण उपस्थिति रही।

X Ltd, has three production departments A, B and C and one service department ‘S’.

The following particulars are available for one month of 25 working days of 8 hours each day. All departments work all days with full attendance:

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(5) मशीन घण्टा दर रीति-जब उत्पादन कार्यों को सम्पन्न करने के लिए मशीनों का अधिक प्रयोग किया जाता है, तो कारखाना उपरिव्यय के अवशोषण के लिए इस रीति का प्रयोग किया जाता है। अवशोषित किये जाने वाले व्ययों को मशीन परिचालन के सम्भावित घण्टों की संख्या से भाग देकर मशीन घण्टा दर ज्ञात हो जाती है। मशीन घण्टा दर प्रत्येक मशीन के लिए पृथक-पृथक ज्ञात की जा सकती है अथवा मशीनों के एक वा मशीनों के एक वर्ग की भी जात की जा सकती है। मशीनों के एक वर्ग की क एक मशीन दूसरी मशीन की पूरक हो।

नोट इस रीति के विस्तृत अध्ययन हेतु अगला अध्याय देखें ।

(6) मशीन घण्टा तथा श्रम घण्टा दर का मिक्षित रीति सामान्यतः उत्पादन विभागों में कुछ कार्य मशीनों द्वारा समपन्न किया जाता है अत: उत्पादन कार्य में श्रम व मशीन दोनों का महत्व होने के कारण ही उपरिव्यय के अवशोषण की मिश्रित पद्दति को अपनाया जाने लगा है इस पद्धति के अनुसार जो उपरिव्यय मशीनों से सम्बन्धित होने के तथा जो व्यय प्रत्यक्ष श्रम से सम्बन्धित होते हैं उन्हें मशीन घण्टा दर के आधार पर तथा जो व्यय प्रत्यक्ष श्रम से सम्बन्धित होते हैं उन्हें प्रत्यक्ष दर  घण्टा दर के आधार पर उपकार्य के कुल उपरिव्यय माने जाते हैं।

लाभ 1- उत्पादन कार्य मशीन तथा श्रम दोनों की सहायता से होने के कारण यह पद्धति सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।

दोष-यह पद्धति सैद्धान्तिक रूप से सरल परन्तु तथा व्यावहारिक रुप से अत्यन्त जटिल है क्यकिं इस पद्धति में अन्तर्गत विभागीय उपरिव्यय को दो भागों में बाँटकर दो अवशोषण की दरे निकालना अपेक्षाकृत कठिन है ।

(7) -इस पद्धति के अन्तर्गत एक विभाग के कुल  उपरिवय्यों को उस  विभाग में निर्मित वस्तु की इकाइयों से भाग देकर प्रति इकाई उपरिव्यय ज्ञात कर लिए जातें हैं । इस प्रकार जो दर प्राप्त  की जाती है । उसके आधार परविभिन्न उपकार्यों पर उपरिव्ययों का अवशोषण कर दिया जाता है।

उदाहरणार्थ-किसी फैक्टरी के एक विभाग के कारखाना उपरिव्यय 8.000 ₹ है तथा कुल 40,000 इकाइयों का उत्पादन हुआ है तो उत्पादन आधार रीति के अन्तर्गत उपरिव्यय अवशोषण दर 8,000/40,000 = 0.20₹ प्रति इकाई होगी। यदि किसी उपकार्य 40,000 पर 500 इकाईयों का उत्पादन किया गया है तो उस उपकार्य पर 500 x0.20 = 100₹ के उपरिव्यय का भार पड़ेगा।

उपयुक्तता-यह पद्धति वहाँ उपयुक्त रहती है जहाँ (i) एक ही प्रकार की इकाइयों का उत्पादन होता है, (ii) उत्पादित वस्तुओं की इकाई प्रमापित हो, जैसे, गैलन, लिटर, पौण्ड तथा टन, आदि (iii) श्रमिकों को एक ही समय विभिन्न उपकार्यों पर कई प्रकार के कार्य करने पड़ते हैं।

दोष-यद्यपि यह पद्धति अत्यन्त सरल है परन्तु जिन संस्थाओं में भिन्न-भिन्न प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन होता है तो इस आधार को प्रयोग में नहीं लाया जा सकता।

कारखाना उपरिव्ययों के अवशोषण से सम्बन्धित क्रियात्मक उदाहरण उनके हल सहित।

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Illustration 3.

एक्स लिमिटेड के बजट से लिए हए निम्नलिखित विवरण हैं

The following are the details as taken from the budgeted figures of X Ltd. :

अनुमानित वार्षिक कारखाना उपरिव्यय                                                                            1,16,000rs

(Estimated Factory Overhead of the year)

वर्ष से सम्बन्धित अनुमानित प्रत्यक्ष श्रम घण्टे                                                                 2,69,200 hours

(Estimated Direct Labour hours for the year)

वर्ष से सम्बन्धित अनुमानित प्रत्यक्ष श्रम लागत                                                              1,95,600rs

(Estimated Direct Labour Cost of the year)

अनुमानित मशीन घण्टे (Estimated Machine Hours)                                                    1,01,000rs

(अ) निम्नलिखित विधियों का प्रयोग करते हुए उपरिव्यय के अवशोषण की दर ज्ञात कीजिए

Calculate Overhead asborption rates using the following methods:

(i) प्रत्यक्ष श्रम लागत विधि (Direct Labour Cost Method)

(ii) प्रत्यक्ष श्रम घण्टा दर विधि (Direct Labour Hour Rate Method)

(iii) मशीन घण्टा दर विधि (Machine Hour Rate Method)|

(ब) उपर्युक्त प्रत्येक विधि के अन्तर्गत नीचे दी हुई सूचनाओं से उपकार्य नं० 15 की कारखाना लागत भी ज्ञात कीजिए

Also find out Factory Cost of Job No. 15 under each of the above methods from the details given below:

प्रत्यक्ष सामग्री की लागत (Cost of Direct Material)                                                     840rs

प्रत्यक्ष श्रम मजदूरी (Direct Labour Wages)                                                                900rs

प्रत्यक्ष श्रम घण्टे (Direct Labour Hours)                                                                     600

मशीन घण्टे (Machine Hours)                                                                                     400

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 Solution:

(a) Computation of Overhead Absorption Rates under Various Methods

Illustration 4.

निम्नलिखित सूचनाएँ एक फर्नीचर निर्माता के तीन कार्यों से सम्बन्धित हैं

The following figures relate to three jobs of a furniture manufacturer:

स्टूल (Stool )            कुर्सी (Chairs)                    मेज (Tables )

6,000                            3,000                                600

उत्पादन (इकाइयों में )

Output(in units )

कुल कारखाना उपरिव्यय (Total Factory Overhead) =₹60,000

आपको प्रत्येक प्रकार के फर्नीचर का कारखाना उपरिव्यय ज्ञात करना है यदि कारखाना उपरिव्यय वितरण करने के उद्देश्य से 1 मेज 4 स्टूल के बराबर और 2 कुर्सियाँ 1 मेज के बराबर मानी जायें।

You are required to determine the factory overhead of each type of furniture after assuming that one table is equivalent to four stools and two chairs are equivalent to one table for the purpose of factory overhead allocation.

Solution:

कारखाना उपरिव्ययों के अवशोषण हेतु सर्वप्रथम स्टूल, कुर्सी व मेज के उत्पादन को प्रदत्त सूचना के आधार पर मेज के रूप में परिवर्तित कर लेंगे।

अत: मेज के रूप में तीनों फर्नीचर का उत्पादन 1,500, 1,500 एवं 600 इकाई होगा। इसलिए कारखाना उपरिव्ययों को 5:5:2 के अनुपात में वितरित कर देंगे।

Illustration 5.

एक कम्पनी चार उत्पादों अ. ब. स तथा दके निर्माण में कार्यरत है। यदि कम्पनी केवल एक ही प्रकार का उत्पाद बनाती है, तो मासिक उत्पादन ‘अ’ की4,000 इकाइयाँ या ‘ब’ की 8,000 या ‘स’ की 12,000 या ‘द’ की 24,000 इकाइयाँ हो सकता है।

A company is engaged in the manufacture of four lines A, B, C and D. If the company manufacture only one line, the monthly production can be either 4,000 units of A or 8,000 units of B or 12.000 units of Cor 24,000 units of D.

एक माह में वास्तविक उत्पादन (Actual production in a month is)

A: 000 units: B: 1,500 units:C:4.200 units: D:8,500 units |

माह के लिए कारखाना उपरिव्यय 1,00,000र हैं, जिन्हें उत्पादित इकाइयों के आधार पर अवशोषित करना है। अवशोषण अनुपात और अवशोषित उपरिव्यय की रकम दर्शाइए।

Factory overhead expenses for the month are 1,00,000, which are to be absorbed to each line on the basis of units produced. Show the absorption ratio and amount of overheads absorbed.

Solution :

chetansati

Admin

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