Bcom 2nd Year Cost Accounting Contract Cost Study Material Notes In Hindi( Part 1)

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Bcom 2nd Year Cost Accounting Contract Cost Study Material Notes In Hindi( Part 1)

Table of Contents

Bcom 2nd Year Cost Accounting Contract Cost Study Material Notes In Hindi main Features,  Produce (This post is very  important for Bcom 2nd year students)

Contract Cost Study Material
Contract Cost Study Material

Cost accounting notes in Hindi

ठेका लागत निर्धारण विधि

(Contract Costing)

ठेका लागत-विधि को समझने से पूर्व उपयुक्त होगा कि संक्षेप में ठेके (Contract) का अर्थ समझ लिया जाया ।

ठेके का अर्थ (Meaning of Contract)-एक निश्चित मुल्य पर माल की आपूर्ति करने, कार्य करने, आदि से सम्बान्धत समझौते को ठेका (Contract) कहते हैं। इस प्रकार ठेका एक ऐसा समझौता है जिसके अन्तर्गत किसी निश्चित काय को निश्चित समयावधि में एक निश्चित राशि या मूल्य पर करने का वचन दिया जाता है। वस्तुत: ठेके का निष्पादन । ठकदार तथा ठेकेदाता के मध्य तय हई शर्तों के अनुसार किया जाता है। पुल, बाँध, जहाज, भवन और जटिल उपकरणों के। निर्माण में ठेका पद्धति ही अपनायी जाती है। ठेके की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार है

  1. प्रत्येक ठेका सामान्यत: एक निश्चित राशि के लिये किया जाता है जिसे ठेका मूल्य (Contract Price) कहते हैं।
  2. ठेका देने वाले को ठेकादाता (Contracter) तथा ठेके पर कार्य करने वाले को ठेकेदार (Contractor) कहते हैं।
  3. सामान्यतः ठेका पूर्ण होने पर ही ठेकेदाता ठेका मूल्य का भुगतान ठेकेदार को करता है परन्तु दीर्घकालीन ठेकों की दशा में जैसे-जैसे कार्य पूरा होता जाता है उसके अनुसार ही किस्तों में भुगतान भी कर दिया जाता है।

ठेका लागत निर्धारण विधि

(Contract Costing)

ठेका लागत निर्धारण विधि लागत लेखांकन की ऐसी विधि है जो उन व्यक्तियों या संस्थाओं द्वारा अपनाई जाती है जो भवन निर्माण, सड़कें, बाँध, नहरें, रेलवे लाइन, पल.पाइप लाइन (पानी, तेल, गैस अथवा मल निकासी आदि), अस्पताल । स्कूल, कॉलिज आदि के भवन निर्माण का कार्य ठेके पर लेकर पूरे करते हैं।

अन्य व्यवसाय एवं उद्योगों की भाँति ठेकेदार भी प्रत्येक ठेके के सम्बन्ध में लागत व आय की पूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहता है ताकि वर्ष के अन्त में उस ठेके पर हुए लाभ या हानि का पता लग सके। इसके लिए ही वह ठेका लागत-विधि को अपनाता है। इस प्रकार ठेका लागत-विधि का प्रमुख उद्देश्य ठेका पूर्ण होने पर अथवा समय-समय पर निष्पादन के प्रत्येक स्तर पर लेके से सम्बन्धित लागत व आय का इस प्रकार हिसाब रखना है, ताकि

  1. सम्बन्धित ठेके की कुल लागत ज्ञात हो सके तथा
  2. उस ठेके पर हुए लाभ या हानि का ज्ञान प्राप्त हो सके।

प्रत्येक ठेके से सम्बन्धित लागत व आय का पूर्ण हिसाब रखने के लिये ठेकेदार अपनी लेखा पुस्तकों में एक खाता खोलता है जिसे ठेका खाता’ (Contract Account) कहते हैं।

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ठेका लागत निर्धारण विधि की मुख्य विशेषताएँ

(Main Features of Contract Costing)

ठेका लागत निर्धारण विधि की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

    1. ठेका लागत विधि में प्रत्येक ठेके को एक पृथक् लागत की इकाई मानकर इसकी लागत निकाली जाती है।
    2. प्रत्येक ठेके का एक पृथक् खाता खोला जाता है ताकि इस पर लाभ-हानि ज्ञात की जा सके।
    3. ठेकों का निर्माण कार्य कारखाना भवन से बाहर ठेके के कार्यस्थल (Work Site) पर किया जाता है।
    4. प्रायः ठेका अवधि लम्बी होती है, अत: कार्य पूरा होने में एक वर्ष से अधिक का समय लग जाता है। 5. ठेके से सम्बन्धित कुछ विशेष कार्य उप-ठेकेदार से कराया जा सकता है जिसका ठेकादाता से कोई सम्बन्ध नहीं होता है।
    5. जब ठेका अवधि लम्बी होती है, तो ठेकेदार प्रमाणित कार्य के एक निश्चित प्रतिशत के बराबर ही भुगतान प्राप्त । करता है, शेष राशि का भुगतान ठेका पूरा होने पर किया जाता है।।
    6. यदि निर्धारित अवधि में ठेका कार्य पूरा न हो तो ठेकादाता काम में देरी के लिए ठेकेदार से समझौते के अनुसार जुर्माना वसूल कर सकता है।
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ठेका लागत निर्धारण की प्रक्रिया

(Contract Costing Procedure)

अथवा

ठेकेदार की पुस्तकों में ठेका खाता तैयार करना

(Contract Account in the Books of Contractor)

प्रायः प्रत्येक ठेकेदार के पास एक ही समय पर कई ठेके होते हैं, अत: वह विभिन्न ठेको का लेखा रखने के लिये एक खाता-बहा रखता है। इस खाता-बही में प्रत्येक ठेके के लिए पृथक-पृथक खाता खोला जाता हार पहचान के लिये प्रत्येक ठेके को एक क्रमांक (Number) प्रदान कर दिया जाता है जिससे उस ठेके के लिए पृथक-पृथक खाता खोला जाता है। प्रत्येक ठेके के खाते की द्वारा पहचाना जा सके। इसके अतिरिक्त ठेके से सम्बन्धित अन्य सूचनाएं जस, ठका-स्थ एक क्रमाक (Number) प्रदान कर दिया जाता है जिससे उस ठेके के खाते को उसके नम्बर सके इसके अतिरिक्त ठेके से सम्बन्धित अन्य सचनाएँ जैसे. ठेका-स्थल (Site), ठेका कार्य आरम्भ करन Price), आदि सूचनाएँ भी ठेका खाते के ऊपर लिख दी जाती हैं। ठेका काय पूरा किये जाने की तिथि (Completion Date), ठेका मूल्य (Contract price )  आदि सूचनाएं  भी ठेका खाते के ऊपर  लिख दी जाती है

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ठेकेदार ठेके के सम्बन्ध में किये गये सभी प्रत्यक्ष एव अप्रत्यक्ष के सम्बन्ध में किये गये सभी प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष व्ययों को ठेके खाते की डेबिट में लिखता है जबकि स्थल स स्टोसे को लौटाई गई सामग्री, अन्य ठेकों को हस्तान्तरित सामग्री, ठेका स्थल पर बची हुई सामग्री तथा प्लाण्ट माणत काय का मूल्य तथा अप्रमाणित कार्य की लागत को ठेके खाते की क्रेडिट में दर्शाता है। अन्त में, ठक पर हुए, लाभ या हानि को ज्ञात करने के लिए ठेके खाते के दोनों पक्षों का योग करते हैं। यदि ठेके खाते की क्रेडिट साइड का योग आषक हाता ह ता अन्तर को लाभ माना जाता है जबकि डेबिट साइड का योग अधिक होने पर प्रकट अन्तर हानि होता है।।

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ठेके खाते की डेबिट में लिखी जाने वाली प्रमुख मदों का विवेचन ।

(1) सामग्री (Materials)-प्रत्येक ठेका कार्य को परा करने के लिए प्रयोग की जाने वाली सामग्री का मूल्य ठेके खाते को डेबिट में लिखा जाता है। ठेके में प्रयोग की जाने वाली सामग्री तीन स्रोतों से प्राप्त हो सकती है-बाजार से सामग्री क्रय करके, स्टोर से सामग्री का निर्गमन तथा अन्य ठेकों से सामग्री का उक्त ठेके पर स्थानान्तरण।

कभी-कभी ठेके की शर्तों के अनुसार ठेका कार्य को सम्पन्न करने के लिए ठेकादाता भी कुछ सामग्री देता है। ऐसी सामग्रियों का मूल्य सम्बन्धित टेका खाते में नहीं दिखाया जाता क्योंकि उसका ठेका मूल्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। परन्तु ऐसी सामग्री का हिसाब अवश्य रखना चाहिए क्योंकि अन्त में बची हुई सामग्री ठेकादाता को लौटानी होती है।

(2) मजदूरी (Wages)—प्रत्येक ठेके पर ठेका कार्य को सम्पन्न करने के लिए कुछ श्रमिक, मिस्त्री, आदि लगाये जाते हैं। इन्हें दिये जाने वाले पारिश्रमिक की रकम से सम्बन्धित ठेका खाता डेबिट कर दिया जाता है। यदि श्रमिक सम्पूर्ण समय एक ही ठेके पर कार्य करता है तो समय पत्रक (Time Card) से ही मजदूरी ज्ञात कर ली जाती है परन्तु जो श्रमिक एक से अधिक ठेकों पर कार्य करते हैं उनके लिये समय कार्ड तथा उपकार्य-कार्ड का उपयोग कर मजदूरी-संक्षिप्ति बनाकर अलग-अलग ठेके पर किये गये कार्य की मजदूरी ज्ञात कर ली जाती है। ठेका खाता बनाने की तिथि पर जो मजदरी देय तो हो गई है, परन्तु जिसका भुगतान नहीं किया गया है उसे अदत्त (Unpaid or Outstanding) या अर्जित (Accrued) मजदूरी के रूप में ठेके खाते की डेबिट में ही दिखा देते हैं। इसका दूसरा विकल्प यह भी हो सकता है कि अदत्त या अर्जित मजदूरी की रकम को चुकता की गई मजदूरी के साथ जोड़कर ही लिख दें।

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(3) प्रत्यक्ष व्यय (Direct Expenses)-मजदूरी के अतिरिक्त ठेके पर कुछ अन्य प्रत्यक्ष व्यय भी हो सकते हैं: जैसे, गाड़ी भाडा. दलाई, विशेष मशीन का किराया, आदि। ऐसे सभी व्ययों को सम्बन्धित ठेके खाते में डेबिट में लिख दिया जाता है।

(4) अप्रत्यक्ष व्यय (Indirect Expenses)-ऐसे व्यय जो किसी एक विशिष्ट ठेके के लिए न किये जाकर सामूहिक रूप से सभी ठेकों के लिये किये जाते हैं, उन्हें अप्रत्यक्ष व्यय के नाम से पुकारा जाता है। उदाहरणार्थ, कार्यालय व्यय, अधीक्षक तथा अभियन्ता का वेतन, आदि। इस प्रकार के अप्रत्यक्ष व्ययों को सम्बन्धित ठेकों में प्रत्यक्ष मजदूरी, सामग्री के मल्य अथवा किसी अन्य आधार पर अभिभाजित करके ठेके खाते की डेबिट में लिख दिया जाता है। यदि इन व्ययों की भी। कोई राशि वर्ष के अन्त में अर्जित (Accrued) या अदत्त (Unpaid) है तो उसे भी ठेके खाते की डेबिट में लिख देते हैं या सम्बन्धित अप्रत्यक्ष व्यय में जोड़कर दिखा दिया जाता है।

(5) प्लाण्ट एवं औजार (Plant and Tools)-प्राय: सभी ठेका कार्यों को परा करने में विभिन्न प्रकार के प्लाण्ट, मशीन, कल तथा यन्त्रों का उपयोग किया जाता है। ठेके पर प्रयोग किये जाने वाले संयन्त्र तथा मशीनरी को ठेके खाते में। निम्नलिखित दो विधियों में से किसी भी एक विधि द्वारा लिखा जा सकता है

(अ) प्लाण्ट के मूल्य से ठेका खाता डेबिट करना-कुछ संयन्त्र ठेके पर लम्बी अवधि तक काम आते हैं या एक हो । ठेके पर प्रयोग होते-होते उनके समाप्त होने की सम्भावना होती है, ऐसे निर्गमित प्लाण्ट एवं औजार का पूरा मूल्य ठेके खाते । की डेबिट में लिख दिया जाता है। यदि निर्गमित प्लाण्ट या मशीन का कछ भाग स्टोर को वापस कर दिया गया हो. अथवा।

बेच दिया गया हो अथवा नष्ट हो गया हो तो उ ठेका खाता बन्द किया जाता है तो अपलिखित मूल्य ज्ञात कर लि है। कभी-कभी ठेका खाता बन्द करने के अथवा नष्ट हो गया हो तो उसकी लागत से ठेका खाता क्रेडिट कर देते है। लेखा अवधि के अन्तर बन्द किया जाता है तो ठेका स्थल पर बचे हए प्लाण्ट के मल्य में निर्धारित दर से हास घटाकर प्लाष्टक मूल्य ज्ञात कर लिया जाता है जिसे ठेके खाते को क्रेडिट साइड में ‘Plant at Site’ शीर्षक के अन्तर्गत दिया

मठका खाता बन्द करने की तिथि को उक्त प्लाण्ट की मूल्यांकित राशि (Valued Amount) स्वयम ही ठेके खाते की क्रेडिट में लिख दिया जाता है। ताता एसी स्थिति में प्लाण्ट का अपलिखित मल्य ज्ञात करने की आवश्यकता नहीं होती वरन् मूल्याकित राशिका

(ब) केवल हास की राशि को चार्ज करना-जब एक ही प्लाण्ट को विभिन्न ठेको पर थोड़े-थोड़े समय के लि प्रयोग किया जाता है तो ऐसी दशा में प्रत्येक ठेके पर प्रयक्त प्लाण्ट की उपयोग अवधि के लिए निर्धारित दर सप्लाण्टा मूल्य-हास ज्ञात करके उसे ठेके खाते की डेबिट में ‘प्लाण्ट पर मूल्य-हास’ (Depreciation on Plant) शाषक क अन्तर्गत दिखा देते हैं।

ह्रास की गणना (Calculation of Depreciation)यदि संयन्त्र की लागत, अवशेष मूल्य, स्थापना व्यय, प्लाण का अनुमानित जीवन काल तथा ठेके पर प्लाण्ट के प्रयोग की अवधि सम्बन्धी जानकारी दी हुई है तो हास को रकम र करने हेतु निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग करेंगे

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(i) कभी-कभी मूल लागत या अपलिखित मूल्य पर हास की दर प्रतिशत के रूप में दी हुई होती है तो हमें यह देखना चाहिए कि हास की प्रदत्त प्रतिशत में वार्षिक शब्द लिखा हुआ है या नहीं। यदि प्रदत्त प्रतिशत में वार्षिक शब्द लिखा हुआ है। तो उतनी ही अवधि का हास लगायेंगे जितनी अवधि के लिए उस प्लाण्ट को ठेके पर प्रयोग किया गया है। उदाहरण के लिए, कोई ठेका 1 सितम्बर, 2019 को शुरू किया गया एवं उसी दिन 20,000₹ मूल्य का प्लाण्ट निर्गमित किया गया। हमें 31 दिसम्बर, 2019 को ठेका खाता तैयार करना है एवं हास की दर 10% वार्षिक दी हुई है तो ऐसी दशा में 1 सितम्बर, 2019 से 31 दिसम्बर, 2019 तक की चार माह की अवधि के लिए हास की रकममाह की अवधिलि 2 0,000x10x4

–666.67 ₹ होगी। दूसरी

100×12 और यदि प्रदत्त ह्रास दर में वार्षिक शब्द न लिखा हो तो इस बात पर कोई ध्यान नहीं देंगे कि प्लाण्ट की उपयोग अवधि कितनी है। सीधे प्रदत्त प्रतिशत के अनुसार हास की गणना कर ली जायेगी। यदि उक्त उदाहरण में हास की दर 10% दी हई। हो तो ह्रास की रकम

20,000×10

100

-2,000₹ होगी।

नोट-यदि ठेके पर प्रयोग किया जाने वाला प्लाण्ट किराये (Hire) पर लिया गया है तो किराये के रूप में दी गई। रकम ही ठेके खाते की डेबिट में लिखी जाती है। ह्रास के लिए कोई लेखा नहीं करेंगे।

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(6) उप-ठेका लागत (Sub-Contract Cost)-कभी-कभी ठेकेदार अपने ठेके का एक भाग पूरा करने का ठेका किसी दूसरे ठेकेदार को दे देता है। उदाहरण के लिए, एक ठेकेदार ने किसी पिक्चर हॉल को बनाने का ठेका लिया और ठेका लेने के उपरान्त नींव खोदने का ठेका ‘एक्स’ को, लकड़ी के काम का ठेका ‘वाई’ को तथा बिजली के काम का ठेका ‘जैड’ को दे देता है तो इन तीनों ठेकेदारों को मुख्य ठेकेदार के द्वारा जो भुगतान किया जायेगा वह कुल ठेका लागत का ही एक अंग होगा। इस प्रकार जब ठेकेदार अपने ठेका कार्य के कछ भाग को दसरों को ठेका देकर सम्पन्न कराते हैं तो उसे उप-ठेका कहा जाता है और उप-ठेका के लिए भुगतान की जाने वाली राशि उप-ठेका लागत कहलाती है जिसे ठेके खाते की डेबिट में लिखा जाता है।

(7) अतिरिक्त किये गये कार्य की लागत (Cost of Extra Work Done)-कभी-कभी ठेकादाता मूल ठेके के। अतिरिक्त कुछ अतिरिक्त कार्य भी ठेकेदार से करवाता है जिसके लिए वह ठेकेदार से तय हुई रकम के अतिरिक्त अलग से भूगतान भी करता है। ऐसे अतिरिक्त किये गये कार्य का लेखा ठेका खाते में निम्नलिखित दो प्रकार से किया जा सकता है

(i) यदि अतिरिक्त कार्य को राशि नगण्य (Insignificant) है तो ठेकेदार उक्त लागत को मल ठेके खाते के डेबिट पक्ष । में ही दिखा सकता है और इस अतिरिक्त कार्य के लिए ठेकादाता से प्राप्त अतिरिक्त रकम को भी मल ठेके खाते के क्रेडिट । पक्ष में दिखा दिया जाता है। इस प्रकार अतिरिक्त किये गये कार्य के लिए अलग से खाता खोलने की आवश्यकता नहीं है।

(ii) यदि अतिरिक्त कार्य की राशि बड़ी हो तो इसके लिए अलग खाता खोलना चाहिए, ताकि ‘मल ठेके’ तथा ‘अतिरिक्त कार्य’ पर अलग-अलग लाभ-हानि ज्ञात किया जा सके।

(8) ‘अनुरक्षणया पोषण व्यय (Maintenance Expenses)-कभी-कभी ठेका कार्य ठेकादाता को स्थानान्तरित । करने की निर्धारित तिथि से पूर्व ही पूर्ण हो जाता है। अत: निर्धारित तिथि तक ठेकेदार को ठेका कार्य की देखभाल स्वयं ही करनी पडंती है ताकि किसी प्रकार की कोई क्षति न हो। इस प्रकार निश्चित तिथि तक देखभाल करने में जो व्यय होता है उसे भण’ या ‘पोषण व्यय’ कहा जाता है। इस प्रकार के व्ययों की रकम को भी ठेके खाते की डेबिट में दर्शाया जाता है।

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पर्यत व्ययों के अतिरिक्त ठेके से सम्बन्धित अन्य कुछ व्यय और भी हो सकते हैं। ऐसे सभी व्ययों को ठेके खाते की डेबिट में ही लिखा जाता है।

ठेके खाते के क्रेडिट पक्ष में लिखी जाने वाली प्रमुख मदें

ठेके खाते के क्रेडिट पक्ष में सामान्यत: निम्नलिखित मदें लिखी जाती है

लौटाई गई सामग्री या संयन्त्र (Materials or Plant Returned)-ठेका पूरा होने पर अथवा वित्तीय वर्ष के बीच में यदि ठेका स्थल से कोई सामग्री या संयन्त्र वापस किया जाता है तो इस प्रकार वापस की गई सामग्री या संयन्त्र का मल्य ठेके खाते की क्रेडिट में लिखा जाता है। इस सम्बन्ध में निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना आवश्यक है

(a) यदि पूर्तिकर्ता को सामग्री वापस की गई है तो ठेके खाते की क्रेडिट में ‘By Material returned to Supplier’ लिखेंगे अर्थात पूर्तिकर्ता का खाता डेबिट तथा ठेका खाता क्रेडिट होता है।

(b) यदि सामग्री स्टोर्स को लौटाई जाती है तो ठेके खाते की क्रेडिट में ‘By Material returned to Stores’ लिखेंगे अर्थात स्टोर्स नियन्त्रण खाता डेबिट तथा ठेका खाता क्रेडिट किया जाता है।

(c) यदि वित्तीय वर्ष के दौरान निर्गमित प्लाण्ट का कुछ भाग स्टोर्स को वापस लौटा दिया जाता है तो ठेके खाते की क्रेडिट में ‘By Plantreturned to Stores’ लिखेंगे।

2) सामग्री या संयन्त्र का अन्य ठेकों को स्थानान्तरण (Materials or Plant transferred to other Contracts)-जब अनावश्यक सामग्री या संयन्त्र किसी दूसरे ठेके को स्थानान्तरित किया जाता है तो इस प्रकार स्थानान्तरित की गई सामग्री या संयन्त्र का मूल्य स्थानान्तरित करने वाले ठेके खाते की क्रेडिट में ‘By Materials or Plant transferred toContractNo…..’ लिखा जाता है।

(3) बेची गई सामग्री या संयन्त्र (Materials or Plant Sold)-कार्यस्थल पर उपलब्ध सामग्री या संयन्त्र में से यदि कुछ सामग्री या संयन्त्र बेच दिया जाता है, तो उसके बेचने से जो राशि प्राप्त होती है उसे ठेके खाते की क्रेडिट में ‘By Sale of Materials or Plant’ लिखते हैं। यदि विक्रय से कुछ लाभ हुआ है तो उसे ठेके खाते की डेबिट में ‘To P & LAc’ लिखेंगे और यदि हानि हुई है तो उसे ठेके खाते की क्रेडिट में ‘ByP& LA/c’ लिखेंगे।

(4) नष्ट , चोरी अथवा खोई हुई सामग्री या संयन्त्र (Materials or Plant Destroyed, Lost, Damage, etc.)-कार्यस्थल पर भेजी गई सामग्री या संयन्त्र आग लग जाने, बाढ़ आ जाने अथवा किसी अन्य कारण से नष्ट हो जाता है, चोरी चला जाता है, खो जाता है तो इस प्रकार से नष्ट हुई सामग्री तथा संयन्त्र की रकम से ठेके खाते को क्रेडिट तथा लाभ-हानि खाते को डेबिट किया जाता है अर्थात् इनकी राशि को ठेके खाते की क्रेडिट में ‘By P& LA/C’ लिखा जाता है। ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि नष्ट, चोरी अथवा खोई हुई सामग्री या संयन्त्र ठेके से सम्बन्धित न होकर आकस्मिक या असामान्य हानि है जिसे ठेका लागत का अंग नहीं माना जा सकता है। इसीलिए इस प्रकार की हानि को लाभ-हानि खाते के नाम पक्ष में लिखा जाता है।

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(5) हस्तस्थ या स्थल पर सामग्री (Materials in Hand or at Site)-ठेका खाता तैयार किये जाने की तिथि पर जितनी सामग्री ठेका स्थल पर मौजूद होती है उसे हस्तस्थ या स्थल पर सामग्री कहते हैं। ऐसी सामग्री को ठेके खाते के क्रेडिट में लिखा जाता है।

(6) हस्तस्थ या स्थल पर संयन्त्र (Plant in Hand or at Site)-ठेका खाता तैयार किये जाने की तिथि पर जितनी रकम का संयन्त्र ठेका स्थल पर मौजद होता है उसे हस्तस्थ या स्थल पर संयन्त्र कहते हैं। ऐसे संयन्त्र को ठेके खाते के क्रेडिट में लिखा जाता है।

(7) निर्माणाधीन कार्य (Work-in-Progress)-यदि ठका खाता तयार करन का ताथ तक ठका कार्य पूर्ण नहीं हुआ है तो उसे अपर्ण ठेका कहा जाता है। अपूर्ण ठेकों की दशा में निमाणाधान काय का मूल्य ठेके खाते की क्रेडिट में Work-in-Progress’ लिखा जाता है। निर्माणाधीन कार्य के अन्तर्गत प्रमाणित कार्य तथा ‘अप्रमाणित कार्य को शामिल जाता है। इनकी संक्षिप्त विवेचना निम्नलिखित है

प्रमाणित कार्य (Work certified|)  कोई भी ठेकादाता, ठेकेदार को तभी भुगतान देता है जब वह इस बात से संतष्ट -साथ भूगतान करने से पूर्व वह यह भी जानना चाहता है कि जाता है कि उसके द्वारा किया गया कार्य ठीक है, इसके साथ-साथ भुगतान करने से पर्व व कितने मल्य का कार्य पूर्ण हो चका है। अधिकतर ठेकादाता भुगतान दन स पूर्व ठेकेदार द्वारा पूर्ण किये शों के अनुसार कार्य के उपयुक्त होने पर ये कार्य को स्वीकृत करने के साथ-साथ पूर्ण कार्य के मूल्य का प्रमाण-पत्र ठेकेदार को दे देते हैं। इस प्रकार ठेकेदाता के, माण-पत्र ठेकेदार को दे देते हैं। इस प्रकार ठेकेदाता के अभियन्ताओं या शिल्पा द्वारा जितने मूल्य के कार्य का प्रमाण-पत्र दिया जाता है उसे ही प्रमाणित कार्य (Work Certified) कहते हैं। इसके बाद ठेकेदार ठेके की शतों के अनुसार प्रमाणित कार्य के मूल कर लेते हैं। प्रमाणित कार्य का कुछ प्रतिशत ठेकेदाता द्वारा पर किया जाता है। इसे अवरोध राशि या प्रतिधारण राशि (Retentic के अनुसार प्रमाणित कार्य के मूल्य का एक निश्चित प्रतिशत (60% से 90% तक) ठेकादाता से प्राप्त कार्य का कुछ प्रतिशत ठेकेदाता द्वारा रोक लिया जाता है जिसका भुगतान अन्त में ठेका कार्य पूर्ण होने अपराध राशि या प्रतिधारण राशि (Retention Money) कहते हैं। यह राशि ठेकादाता इसलिए राकता बाद ठकदार परिस्थितियोंवश ठेका कार्य को बीच में ही बन्द कर दे अथवा उस कार्य का निधारत समयमा पूरा नही ताठकदाता द्वारा इस प्रकार होने वाली हानि की क्षतिपूर्ति इस अवरोध राशि में से कर ली जाती है।

व्यवहार मतो प्रमाणित कार्य का मल्य ठेकेदाता के अभियन्ताओं या शिल्पकारों से ज्ञात हो जाता है। परन्तु प्रश्ना में प्रमाणित कार्य के सम्बन्ध में निम्नलिखित स्थितियां हो सकती है

(A) प्रमाणित कार्य का मूल्य तथा ठेकेदाता द्वारा प्रदत्त रकम दोनों सूचनाएँ ही प्रश्न में दे रखी हों-उदाहरणार्थ, उकदाता क शिल्पकारों ने 2.00,000₹ का कार्य प्रमाणित किया जिसके 80% का भुगतान कर दिया गया।

(B) प्रमाणित कार्य का मल्य न बताया गया हो वरन ठेकेदाता द्वारा प्रदत्त रकम एवं दी गई रकम प्रमाणित कार्य का कितनप्रतिशत है, की सूचना दी हई हो-ऐसी दशा में प्रमाणित कार्य का मूल्य ज्ञात करने हेतु निम्नलिखित सूत्र प्रयोग किया। जाता है

अप्रमाणित कार्य (Uncertified Work) यह आवश्यक नहीं है कि ठेकेदार जिस दिन ठेका खाता तैयार करे उसी दिन कार्य प्रमाणित हो, परिणामस्वरूप ठेका खाता तैयार करने की तिथि तक ठेकेदार ने जितना कार्य पूर्ण किया है वह सम्पूर्ण । कार्य प्रमाणित नहीं हो पाता। अत: ठेका खाता बनाने की तिथि पर कुछ कार्य ऐसा हो सकता है जो ठेकेदार द्वारा किया जा चुका है लेकिन ठेकेदाता के शिल्पकारों द्वारा प्रमाणित नहीं किया गया है। दूसरे शब्दों में, प्रमाणित कार्य की तिथि से खाते बन्द करने की तिथि तक जितना कार्य ठेके पर हो जाता है, उसे अप्रमाणित कार्य कहते हैं। इसे सदैव लागत मल्य पर लिखा। जाता है, ठेका मूल्य पर नहीं। इस प्रकार अप्रमाणित कार्य में लाभ सम्मिलित नहीं होता।

(8) ठेका मल्य Contract Price)-यदि ठेका पूर्ण हो चका है और सारा ठेका कार्य प्रमाणित हो चका है तो ठेका मल्य की राशि को ठेके खाते की क्रेडिट साइड में ‘By Contractee’s A/c’ लिखा जाता है। इस प्रकार ठेका पूर्ण एव प्रमाणित हो जाने पर ठेका मूल्य की रकम से ठेकेदाता को डेबिट तथा ठेके खाते को क्रेडिट किया जाता है। यदि ठेका पूरा नहीं हुआ है तो ठेका मूल्य को ठेके खाते में नहीं लिखा जाता है।

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ठेका खाता बन्द करना तथा उस पर लाभ-हानि ज्ञात करना

ठेकेदार द्वारा ठेका खाता तैयार करने का प्रमुख उद्देश्य ठेके पर हुए लाभ-हानि की गणना करना है। उपर्युक्त प्रकार से ठेका खाता तैयार करने के बाद ठेके खाते के दोनों पक्षों का योग किया जाता है। यदि क्रेडिट पक्ष का योग डेबिट पक्ष के योग

की तुलना में अधिक है तो ठेके पर लाभ माना जाता

हता ठक पर लाभ माना जाता है जबकि डेबिट पक्ष का योग अधिक होने पर हानि मानी जाती है। वस्तुत: ठेका पर लाभ-हानि की गणना, ठेके की पूर्णता स्थिति पर निर्भर करती है। ठेके की पूर्णता के सम्बन्धमा तीन स्थितियाँ हो सकती है

(1) जब ठेका पूर्ण हो गया हो,

(ii) जब ठेका अपूर्ण हो,

(iii) जब ठेका लगभग पूर्ण हो।

हानि होने की दशा में -यदि ठके खाते की डेबिट साइड का योग अधिक हो तो टेके पर हानि मानी जाती है और हान हान पर उपराक्त ताना दशाओं में ही हानि की सम्पर्ण रकम लाशहानिखाते में हस्तान्तरित कर देते अथात लाभका डाबट तथा ठक खाते को क्रेडिट करते हैं। इसलिए हानि होने पर हानि की राशि को ठेके खाते की क्रडिट म’Byri A/c’ लिख देते हैं।

लाभ होने की दशा में यदि ठेके पर लाभ हआ है तो ऐसी दशा में लाभ की गणना निम्न प्रकार की जाती है

(i) जब ठेका पूर्ण हो गया हो-यदि ठेका पूर्ण हो गया है और लाभ प्रकट कर रहा है तो लाभ की पूरी राशि का ठक खाते की डेबिट में ‘ToP&LA/c’ लिखकर ठेका खाता बन्द कर दिया जाता है।

(ii) जब ठेका अपूर्ण हो-बड़े-बड़े ठेकों के पूर्ण होने में अनेक वर्ष लग जाते हैं। यदि ऐसी स्थिति में ठेका पूर्ण होने पर ही लाभ-हानि ज्ञात की जाये तो यह व्यापारिक दृष्टिकोण से अनचित होगा। ठेका पूर्ण होने पर ही लाभ ज्ञात करने का दशा में आय कर सम्बन्धी कठिनाई भी उत्पन्न हो सकती है। अतः अपर्ण ठेकों पर प्रत्येक वर्ष के अन्त में लाभ ज्ञात किया जाना अनिवार्य हो जाता है। लेकिन ऐसे ठेकों पर अर्जित लाभ की सम्पूर्ण राशि लाभ-हानि खाते में क्रेडिट नहीं की जा सकती क्योकि ठेके पर बचे हुए आगे के निर्माण कार्य में हानि भी हो सकती है। अतः ठेकेदार द्वारा अपूर्ण ठेकों पर अजित सम्पूर्ण लाभ का कुछ भाग तो लाभ-हानि खाते में क्रेडिट किया जाता है एवं कुछ भाग भावी हानियों से बचने के लिए निर्माणाधीन खाते (Work-in-Progress A/c) में संचय के रूप में रखा जाता है। विभिन्न परिस्थितियों में अर्जित लाभ की कितनी राशि लाभ-हानि खाते में क्रेडिट की जाये, इसके लिए निम्नलिखित बिन्दुओं पर ध्यान दना आवश्यक ह

(a) यदि प्रमाणित कार्य ठेका मूल्य के 1/4 से भी कम हो-ऐसी दशा में अर्जित लाभ का कोई भी भाग लाभ-हानि खाते में क्रेडिट करना उचित नहीं है, क्योकि कार्य की भावी स्थिति की सही जानकारी का अनुमान इस समय तक लगा पाना सम्भव नहीं होता। अतः ऐसे ठेकों पर अर्जित लाभ की सम्पूर्ण राशि निर्माणाधीन कार्य खाते में क्रेडिट कर देनी चाहिए। इसलिए ऐसे ठेकों पर अर्जित लाभ की पूरी राशि को ठेके खाते की डेबिट में ‘To Work-in-Progress A/c (Profit in Reserve)’ लिख कर ठेके खाते को बन्द कर दिया जाता है।

(b) यदि प्रमाणित कार्य ठेका मूल्य के 1/4 या इससे अधिक लेकिन उसके 1/2 से कम हो-ऐसी दशा में सर्वप्रथम अर्जित लाभ को उस अनुपात में कम किया जाता है जिस अनुपात में प्रमाणित कार्य पर ठेकेदाता ने भुगतान दिया है। इसे “प्राप्त लाभ’ (Profit Received) कहते हैं जिसकी गणना हेतु अनलिखित सूत्र का प्रयोग किया जा सकता है

प्राप्त लाभ ( Profit Received)= Total Profit *Cash Received

Work Certified

इस प्रकार जात किये गये प्राप्त लाभ का एक-तिहाई भाग उस वर्ष के लाभ-हानि खाते में क्रेडिट करना उचित माना जाता है।

संक्षेप में ऐसे ठेकों पर निम्नलिखित सूत्र से प्राप्त रकम लाभ-हानि खाते में क्रेडिट की जाती है तथा शेष आकस्मिकताओं के लिए संचय के रूप में निर्माणाधीन कार्य खाते में क्रेडिट की जाती है

Profit  to be Transferred  to p&l A/c = Total Profit * Cash Received *1

Work Certified *3

(c) यदि प्रमाणित कार्य ठेका मूल्य का 1/2 या इससे अधिक हो-ऐसी दशा में प्राप्त लाभ का दो-तिहाई भाग लाभ-हानि खाते में क्रेडिट करना उचित माना जाता है। सूत्र के रूप में इसे निम्न प्रकार प्रकट किया जा सकता है

Profit to  be transferred to p&l a/c  Total Profit *Cash Received  *2

Work Certified *3

नोट- यदि प्रश्न में यह सूचना नहीं दी हई है कि प्रमाणित कार्य = ठेकादाता द्वारा प्रमाणित कार्य के विरुद्ध भुगतान की गई रकम की जानकारी नहीं दी गई है तो प्रमाणित कार्य है उतनी ही रकम प्राप्त हो गई है। की जानकारी न होने पर प्राप्त लाभ का 2/3 भाग ही लाभ-हानि खाते में हस्तान्तरित करते हैं। (2) ठेका मूल्य की जानकारी न होने पर प्राप्त लाभ का 2/3 भाग ही लाभ हानि खाते में हस्तान्तरित करते हैं

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अपूर्ण ठेकों पर लाभ की गणना का औचित्य

(Justification of Profit on Incomplete Contracts)

अपूर्ण ठेकों पर निम्नलिखित कारणों से लाभ की गणना करना उचित माना जाता है

1 यदि काई ठेका अनेक वर्षों में परा होता है तो उस पर अर्जित लाभ अन्तिम वर्ष में किये गये कार्य से ही अर्जित नहीं हुआ है बल्कि पूर्व वर्ष में किये गये कार्य का भी इसमें पूरा योगदान है। अतः उन वषा म भाल जब ठेका कार्य अपूर्ण था।

  1. 2. विभिन्न वर्षो में लाभ-हानि खाते द्वारा प्रकट लाभ में संगतता (consistency) रखने के लिए भी अपूर्ण ठेका पर का गणना करना आवश्यक है अन्यथा जिस वर्ष में कोई भी ठेका पूर्ण न हो उस वर्ष के लाभ शून्य एवं जिस वर्ष में ज्यादा ठेके पूर्ण होंगे उस वर्ष का लाभ अधिक प्रकट होगा जबकि विभिन्न वर्षों में किये गये कार्यों में इतना अन्तर नहीं है।
  2. अपूर्ण ठेकों पर लाभ प्रदर्शित न करने से किसी एक वर्ष में लाभ अधिक हो जायेगा जिससे उस वर्ष अधिक दर से आयकर देना होगा।
  3. अपूर्ण ठेकों पर लाभ की गणना इस प्रकार से की जाती है कि रूढ़िवादी परम्परा (conservative convention) को ध्यान में रखते हुए कम से कम लाभ ही लाभ-हानि खाते में ले जाया जाये। जैसे

(i) लाभ की गणना केवल उस कार्य पर की जाती है जिसको प्रमाणित कर दिया गया है। अप्रमाणित कार्य को लागत पर ही दिखाया जाता है।

(ii) प्रमाणित कार्य पर लाभ की गणना तभी की जाती है जब प्रमाणित कार्य ठेका मूल्य के 25 प्रतिशत से अधिक हो।

(ii) यह माना जाता है कि जैसे-जैसे पूर्ण कार्य का अनुपात कुल पूर्ण होने वाले कार्य की तुलना में बढ़ेगा, भविष्य के प्रति संदिग्धता में कमी आयेगी। अतः इसी आधार पर लाभ का केवल 1/3 या 2/3 भाग ही लाभ-हानि खाते में ले जाया जाता

(iv) 1/3 या 2/3 लाभ को भी उस अनुपात में कम कर दिया जाता है जो अनुपात ठेकादाता से प्राप्त राशि एवं प्रमाणित कार्य में है।

स्पष्ट है कि अपूर्ण ठेकों पर नियमानुसार लाभ की गणना करना न्यायोचित है। ।

(ii) लगभग पूर्ण होने वाले ठेकों पर लाभ की गणना-ऐसे ठेके जिन पर अधिकांश कार्य हो चुका है तथा ठेके का बहुत थोड़ा भाग पूरा किया जाना शेष रह गया है, लगभग पूर्ण होने वाले ठेके कहलाते हैं। ऐसे ठेकों पर लाभ-हानि खाते में ले जायी जाने वाली लाभ की राशि की गणना उस वर्ष के कुल अर्जित लाभ के आधार पर न की जाकर ठेका पूर्ण होने वाले अनुमानित लाभ के आधार पर की जाती है। अत: इस प्रकार के ठेके पर अब तक किये गये कुल वास्तविक व्ययों में शेष कार्य को पूरा करने में लगने वाले अनुमानित व्ययों को जोड़कर ठेके की कुल अनुमानित लागत ज्ञात कर ली जाती है। इस प्रकार से ज्ञात की गई कुल अनुमानित लागत को ठेका मूल्य में से घटाने पर उक्त ठेके पर अनुमानित लाभ (Estimated Profit on Contract) की रकम ज्ञात हो जाती है। इस अनुमानित लाभ की गणना चालू लेखा वर्ष के लिए पूर्व वर्णित नियमों के आधार पर तैयार किये जाने वाले ठेका खाता के अतिरिक्त, ‘अनुमानित ठेका खाता’ (Estimated Contract Account) या ‘अनुमानित लाभ का विवरण’ बनाकर की जा सकती है। अन्त में, इस अनुमानित लाभ को आधार मानते हुए निम्नलिखित में से किसी भी सूत्र के द्वारा लाभ-हानि खाते में क्रेडिट किये जाने वाले लाभ की राशि ज्ञात कर ली जाती है

उपरोक्त विवेचन के आधार पर ठेके खाते का प्रारूप निम्नानुसार होता है

 

निर्माणाधीन कार्य खाता या क्रयमाण कार्य रहा ।( work in progress a/c)  तैयार करना जैसा कि पीछे स्पष्ट किया जा चुका है कि प्रमाणित कार्य का मूल्य ( Value of work certified ) तथा अप्रमाणित कार्य की लागत ( cost of work uncertified )  दोनों को निर्माणाधीन कार्य के अन्तर्गत शामिल किया जाता है। इसके अतिरिक्त अर्जित लाभ का वह भाग जो लाभ-हानि खाते में क्रेडिट नहीं किया गया है, उसे भी निर्माणाधीन कार्य खाते में ही हस्तान्तरित किया जाता है। इस आधार पर निर्माणाधीन कार्य खाते का प्रारूप निम्नानुसार होता है

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इस प्रकार इस खाते का शेष निर्माणाधीन कार्य का मूल्य होता है ।निर्माणाधीन कार्य का मूल्य  उपरोक्त खाता बनाने के स्थान पर अनलिखित सूत्रों के आधार पर भी ज्ञात किया जा सकता है

यद्यपि उपरोक्त दोनों सूत्रों से निर्माणाधीन कार्य का मूल्य एकसमान ही आयेगा परन्तु दोनों सूत्रों में निम्नलिखित अन्तर स्पष्ट होता है

(I) प्रथम सूत्र में प्रमाणित कार्य का मूल्य अर्थात ठेका मूल्य के अनुसार जितनी रकम का कार्य प्रमाणित किया गया है। का प्रयोग हुआ है जबकि द्वितीय सूत्र में प्रमाणित कार्य की लागत अर्थात जो कार्य प्रमाणित हुआ है उसे पूरा करने में ठेकेदार की अपनी कितनी लागत आई है, का प्रयोग हुआ है।

(2) प्रथम सूत्र में अर्जित लाभ की उस राशि को घटाया है जिसे लाभ-हानि खाते में क्रेडिट नहीं किया जाता है अर्थात संचय में रखा गया है जबकि दूसरे सत्र में कुल लाभ के उस भाग को जोड़ा गया है जिसे लाभ-हानि खाते में क्रेडिट किया। गया है।

निर्माणाधीन कार्य को चिट्ठे में दर्शाना (Work-in-Progress in Balance Sheet)-निर्माणाधीन कार्य ठेकेदार के लिए एक प्रकार की सम्पत्ति होती है क्योंकि ठेकेदार को इसका मूल्य प्राप्त होना होता है। अतः निर्माणाधीन कार्य का मूल्य चिठे के सम्पत्ति पक्ष में दर्शाया जाता है, किन्तु प्रमाणित कार्य के विरुद्ध ठेकेदार जितनी राशि ठेकेदाता से प्राप्त कर चका है। उसे निर्माणाधीन कार्य के मूल्य में से घटा देते हैं।

Balance Sheet

Assets side

Balance of work in progress                                                                    ………………

(-) Advance received from contractee                                                ………………….

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ठेकेदाता का खाता तैयार करना (Preparation of Contractee’s Account)-ठेकेदार के लिए ठेके से सम्बन्धित सभी लेन-देनों में केवल दो ही व्यवहार ठेकेदाता से सम्बन्धित होते है-एक तो समय-समय पर ठेकेदाता से प्रमाणित कार्य के विरुद्ध प्राप्त अग्रिम भुगतान का व्यवहार, दूसरे ठेका पूर्ण एवं प्रमाणित हो जाने पर ठेका मुल्य की रकम ठेकादाता पर वाजिब (due) हो जाने का व्यवहार। इन दोनों व्यवहारों के सम्बन्ध में ठेकेदार अपनी लेखा पुस्तकों में निम्नलिखित प्रविष्टि करता है।

चिट्ठा तैयार करना (Preparation of Balance Sheet) याद चिट्ठा तय सम्पत्तियाँ चिट्ठे के सम्पत्ति पक्ष में तथा दायित्व, दायित्व पक्ष में दिखा दिये जायेगे। ठेके से सम्बन्धित चि०१ यदि चिट्ठा तैयार करना हो तो ठेके से सम्बन्धित समस्त निम्नानुसार होता है

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ठेका मूल्य निर्धारण के प्रकार

(Types of Coñtract Price Determination)

जैसा कि पूर्व में स्पष्ट किया जा चुका है कि किसी भी ठेका कार्य के सम्बन्ध में ठेका कार्य को प्रारम्भ करने से पूर्व ठेकेदार एवं ठेकादाता के बीच ठेका मूल्य तय होना परम आवश्यक है अन्यथा बाद में दोनों पक्षों के बीच विवाद उत्पन्न होना निश्चित है। ठेका मूल्य निम्नलिखित तीन तरीके से निर्धारित किया जा सकता है

निश्चित ठेका मूल्य (Fixed Contract Price)-जब ठेकेदार एवं ठेकादाता दोनों पक्षकार ठेका कार्य के लिए एक तय किये गये निश्चित मूल्य पर सहमत हो जाते हैं, तो इसे निश्चित ठेका मूल्य कहते हैं। ऐसी दशा में यदि ठेका कार्य प्रारम्भ करने के बाद ठेका कार्य में प्रयुक्त होने वाली सामग्री या श्रम अथवा अन्य व्ययों में कोई कमी या वृद्धि होती है तो भी तय ठेका कार्य हेतु उसी ठेका मूल्य पर ठेका कार्य पूरा करना पड़ता है।

(2) लागत योग ठेके (Cost Plus Contracts)-कभी-कभी ठेकेदार एवं ठेकादाता के बीच ठेका मल्य (Contract Price) निश्चित न होकर यह तय हो जाता है कि ठेकेदाता, ठेकेदार का ठेके पर आने वाली कुल लागत के अतिरिक्त कर प्रतिशत लाभ के रूप में देगा। ठेके के इस स्वरूप को ‘लागत योग ठका पद्धात के नाम से जाना जाता है। इस रीति का प्रयोग युद्ध के समय, आर्थिक उथल-पुथल की अवधि म तथा एसा पारास्थातया म किया जाता है जबकि की अवधि में तथा ऐसी परिस्थितियों में किया जाता है जबकि ठेका कार्य अतिशीघ्र निष्पादित करना हो परन्तु ठेका मूल्य का निधारण यथाचित शुद्धता सानधारत करना सम्भव न हो। इस पद्धति में अपव्यय को प्रोत्साहन मिलता है क्योकि ठेकेदार द्वारा खचा का बढ़ा-चढ़ा कर बताया जाता हा इसा कारण याकेदार द्वारा खर्चों को बढ़ा-चढ़ा कर बताया जाता है। इसी कारण यह पद्धति केवल सरकारी विभागों द्वारा ही अपनायी जाती है, निजी संस्थाओं द्वारा नहीं।।

लागत योग पद्धति के लाभ-लागत योग पद्धति के निम्नलिखित लाभ हैं

ठेकेदारों को लाभ-1. ऐसे ठेकों में हानि होने की जोखिम नहीं होती।

  1. यह पद्धति ठेके से सम्बन्धित सामग्री मूल्यो, श्रम दरों आदि में उतार-चढ़ाव की जोखिम से गायन
  2. यह विधि ठेकों के निविदा मूल्य (Tender price) निर्धारित करने का कार्य सरल बनाती है।

ठेकेदाताओं को लाभ-ठेकादाता को ठेकेदार के लेखों का अंकेक्षण कराने का अधिकार होता है जिससे ठेकेदार द्वारा व्यय की प्रदर्शित रकम की सत्यता का पता चल जाता है।

दोष-इस पद्धति के निम्नलिखित दोष भी हैं

ठेकेदार को हानियाँ-1. ठेकेदार को लागतें कम करने तथा कार्य को मितव्ययितापूर्वक करने के लिए कोई प्रोत्साहन नहा मिलता है, अपितु इससे अपव्यय को बढ़ावा मिलता है क्योकि लागत अधिक होने पर लाभ भा बढ़ जाता हा

  1. अनुकूल बाजार परिस्थितियों के कारण लागतों में कमी होने का लाभ ठेकेदार को नहीं मिलता है।

ठेकेदाताओं को हानियाँ-1 ठेकेदार की अकशलता व लापरवाही के कारण जब ठेके की लागत बढ़ती है तो। ठेकादाता को ठेके का उच्च मूल्य चुकाना पड़ता है।

  1. ठेका कार्य पूर्ण होने तक टेकादाता को ठेका मल्य का ज्ञान नहीं होता तथा अनिश्चितता की स्थिति बनी रहती है।
  2. (3) वृद्धि वाक्यांश अथवा सोपान धारा (Escalation Clause)-सामान्यतः ठेकेदार ठेका प्रारम्भ करने से पूर्व ही अनुमानित लागतों के आधार पर ठेका मूल्य का अनुमान लगाकर ठेकेदाता से अनुबन्ध करता है। परन्तु दीर्घकालीन ठेकों की दशा में दीर्घकाल में मूल्यों में परिवर्तन होने पर ठेकेदार अथवा ठेकेदाता दोनों पक्षों में से किसी भी एक पक्ष को हानि हो। सकती है। इसलिए ठेका अनुबन्ध में एक वाक्यांश रख दिया जाता है जिसके अनुसार सामग्री, श्रम व अन्य व्ययों में मूल्यों में परिवर्तन होने पर ठेका मूल्य में भी उसी के अनुसार परिवर्तन कर दिया जाता है। इस वाक्यांश को ही वृद्धि वाक्यांश या सापान धारा (Escalation Clause) कहते हैं। इसके अनुसार सामग्री, श्रम तथा अन्य व्ययों के मूल्यों में निश्चित प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि होने पर ठेकों के मूल्य में एक निश्चित प्रतिशत से वृद्धि कर दी जाती है जबकि मूल्यों में कमी होने पर ठेकेदार ठेका मूल्य में एक निश्चित प्रतिशत से कमी कर देता है।

Bcom 2nd Year Cost Accounting Contract Cost Study Material Notes In Hindi( Part 1)

ठेके से सम्बन्धित प्रश्नों को हल करने में ध्यान देने योग्य महत्त्वपूर्ण बातें

ठेके से सम्बन्धित प्रश्नों को हल करने से पूर्व निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना आवश्यक है

(1) यह ध्यान से देख लें कि आपको क्या तैयार करने के लिए कहा गया है। केवल ठेका खाता तैयार करना है, या निर्माणाधीन कार्य खाता एवं ठेकेदाता खाता भी तैयार करना है। इसके साथ-साथ यह भी ध्यान से देख लें कि चिट्ठा तैयार। करने के लिए कहा गया है या केवल निर्माणाधीन कार्य को चिट्ठे में दर्शाने की बात कही गई है।

(2) ठेका प्रारम्भ करने की तिथि एवं खाता तैयार करने की तिथि देख लें ताकि यह पता लग जाये कि कितनी अवधि के लिए ठेका खाता तैयार किया जा रहा है।

(3) यह देखें कि ठेका पूर्ण हो गया है या अपूर्ण है। अपूर्ण ठेकों की दशा में यह भी देखिये कि प्रमाणित कार्य का ठेका मूल्य के साथ क्या अनुपात है? प्रमाणित कार्य ठेका मूल्य के 1/4 से कम है अथवा 1/4 या इससे अधिक लेकिन 1/2 से कम है या 12 एवं अधिक है। अर्जित लाभ का कितना भाग लाभ-हानि खाते में क्रेडिट करें इसके लिए यह जानना जरूरी है।

(4) हास के सम्बन्ध में ध्यान से देख लें कि हास की प्रदत्त प्रतिशत के साथ वार्षिक शब्द लिखा हुआ है या नहीं। यदि वार्षिक शब्द लिखा है तो यह देखना होगा कि प्लाण्ट एवं मशीनरी उक्त ठेके पर कितनी अवधि के लिए प्रयोग किये गये हैं अन्यथा यह देखने की कोई आवश्यकता नहीं है।

(5) यदि प्रदत्त प्रश्न लगभग पूर्ण होने वाले ठेके से सम्बन्धित है तो यह पता लगाना होगा कि अनुमानित लाभ कितना है।

(6) यदि ठेकेदाता से प्राप्त रकम एवं वह प्रमाणित कार्य के साथ क्या अनुपात रखती है यह दिया हुआ है परन्तु प्रमाणित कार्य का मूल्य नहीं दिया गया है तो उसे ज्ञात करना होगा।

(7) अप्रमाणित कार्य सदैव लागत पर दर्शाते हैं कभी भी ठेका मूल्य पर नहीं। कार्य प्रमाणित होने के बाद परन्तु ठेका खाता तैयार करने की तिथि तक ठेका कार्य के सम्बन्ध में किये गये व्ययों का योग ही अप्रमाणित कार्य की लागत होती है।

(8) यदि प्रश्न में उपयोग की गई सामग्री (Materials Consumed or Used) तथा हस्तस्थ या स्थल पर सामग्री Materials in Hand or at Site) दिया हुआ है तो ठेके खाते की डेबिट में निर्गमित सामग्री (Materials Issued) को दशति हैं जो इन दोनों का योग करने से प्राप्त होती है अर्थात

(Materials Issued – Materials Consumed + Materials in Hand or at Site)

(9) ठेका मूल्य ज्ञात न होने पर प्राप्त लाभ का 2/3 भाग ही लाभ-हानि खाते में हस्तान्तरित करते हैं।

BCom 2nd Year Cost Accounting Contract Cost Study Material Notes In Hindi( Part 1)

Illustrations Showing Treatment of Materials in Contract Account

Illustration l.

निम्नलिखित सूचना के आधार पर आप ‘ए’ ठेका खाता में सामग्री का लेखा कैसे करेंगे, दिखाइयेसामयी कय की गयी 30,000र रुपये, स्टोर से निर्गमित की गई सामग्री 15,000१. ‘बी’ ठेके से प्राप्त की गई सामग्री 4.000₹: स्टोर को वापिस की गई सामग्रा 1,500 ₹; 1,000 ₹ की लागत की सामग्री चोरी हो गई: 300 ₹ की सामग्री

आग से नष्ट हो गई 1,000 की लागत की सामग्री 800 में बेची गई ; सामग्री हाथ में 3,000  की है ठेके पर  उपभोग की गई सामग्री की रकम भी बताइये।

Show how you would deal with the material in the ‘A’ Contract A/c with the following information:

Materials purchased 30,000; Materials issued from store ? 15,000; Materials received from ‘B’ contract 4,000 materials returned to store 1,500 Materials costing 1,000   was sold for 800 Materials on hand 3,000 also find out  the amount of material consumed on contract .

 Illustration 3.

अजय ने एक ठेका 30 सित्म्बर को ,2018  को लिया पुस्तक प्रति वर्ष मार्च को बन्द होती है 1 दिसम्बर 2018 को 33 ,000 का एक पलान्ट क्रय किया गया तथा उसके लगाने पर 3,000 व्यय किया 31 मार्च , 2019 को प्लान्ट का एक भाग जिसकी लागत 3600 थी  3,000 मे बेच दिया गया 900 की लागत का एक प्लान्ट उसी

स्टोर को वापस कर दिया गया। 1,200 ₹ का प्लाण्ट चोरी चला गया। ठेके खाते में प्लाण्ट दिखाइये यदि

ह्रास की दर 10% लगाई जाए यदि ह्रास की दर 10% प्रति वर्ष होती तो क्य अन्तर बडंता ?

Bcom 2nd Year Cost Accounting Contract Cost Study Material Notes In Hindi( Part 1) (Most Important for Bcom 2nd Year Students )

Ajay took a contract on 30 September, 2018. The books are closed on 31st March every year. On ist December, 2018 a plant was purchased for 33,000 and 3.000 were spent on its installation. On 31st March, 2019 one portion of the plant the cost of which was 3,600 was sold for 3.000. On the same date a part of the plant costing < 900 was returned to store. Plant costing 1.200 was theft away Show plant in Contract A/c if depreciation is charged @ 10%. What would have been the difference if the depreciation were @ 10% pa

BCom 2nd Year Cost Accounting Contract Cost Study Material Notes In Hindi( Part 1)

निश्चित ठेका मूल्य के पूर्ण ठेकों से सम्बन्धित उदाहरण

Illustration 4.

1 जनवरी, 2019 को ललित लि. द्वारा लिये गये ठेके का मूल्य 1,00,000₹ था। ठेके पर निम्नलिखित व्यय हए

The Contract price of a contract undertaken by Lalit Ltd. on 1st January, 2019 was ? 1,00,000. Following expenses were incurred on the contract:

उपभोग्य सामग्री (Materials Consumed)                                                10,000

30.9.2019 को हस्तस्थ सामग्री (Materials in hand on 30.9.2019)  2,000

मजदूरी (Weges)                                                                                               10,000

प्रत्यक्ष व्यय (Direct Expenses)                                                                     40,000

प्लाण्ट क्रय क्रिया (Plant Purchased)                                                            20,000

30 सितम्बर , 2019 को ठेका मूल्य प्राप्त हो गया। प्लाण्ट पर 10% का दर से हास काहिये

20,000 30 सितम्बर, 2019 को ठेका पूरा हो गया और ठेका मूल्य प्राप्त हो गया। प्लाण्ट पर ।।

के लिए चार्ज कीजिये। ठेकेदार की पुस्तकों में ठेका खाता व ठेकादाता खाता और मजदूरी का 20% अप्रत्यक्ष व्ययों के लिए चार्ज कीजिये। ठेकेदार की परत बनाइये।

The Contract was completed on 30th Sept., 2019 and the contract pric depreciation on plant @ 10% and charge indirect expenses @ 2002 Account and Contractee’s Account in the books of contractor.

नोट-(1) चूँकि प्रश्न में Material Consumed दिया गया है अतः उसमें हस्तस्थ सामग्री के शेष को जोड़कर निर्गमित सामग्री (MaterialsIssued) ज्ञात कर ठेके खाते की डेबिट में लिखा गया है।

(2) प्लाण्ट पर चार्ज किये जाने वाले हास की प्रदत्त प्रतिशत दर में प्रतिवर्ष शब्द नहीं लिखा हुआ है अतः हास काटने में प्लाण्ट को प्रयोग करने की अवधि को ध्यान में नहीं रखा गया है

Bcom 2nd Year Cost Accounting Contract Cost Study Material Notes In Hindi

Illustration 5.

: श्याम एण्ड कम्पनी ने एक ठेका 3,00,000₹ का लिया जो 6 माह में पूर्ण हो गया। ठेकेदार ने इस ठेके को पूर्ण करने के लिये निम्नलिखित व्यय किये

Shyam and Company under-took a contract for ₹3,00,000 which was completed in six months. Following expenditure was made by the Contractors to complete the contract

प्रत्यक्ष सामग्री (Direct Materials)                                            1,,18,800

मजदूरी (Wages)                                                                            79,200

विशेष प्लाण्ट (Special Plant)                                                     52,800

स्टोर्स निर्गमित (Stores Issued)                                                  21,120

खुले औजार (Loose Tools)                                                            9,900

टैक्टर को चलाने की लागत (Running Cost of Tractor):

चलाने के लिए सामग्री (Running Materials)                            1,160

ड्राइवर की मजदूरी, इत्यादि (Wages of driver, etc.)                16,000

अन्य प्रत्यक्ष व्यय (Other Direct Expenses)                             7,900

ठेके के पूर्ण होने पर प्लाण्ट को मूल लागत पर 20% हास लगाकर वापिस कर दिया गया। खले औजार और स्टोस । कमशः 6.600र तथा 2.670 ₹ के वापिस किये गये। ट्रैक्टर का मूल्य 60,000र था और इस ठेके पर 200 वार्षिक गीसमेहास वसल करना है। प्रशासन व्यय जो इस ठेक से वसूल करने हे कुल कारखाना लागत के 10% है।

ठेका खाता और ठेकादाता खाता यह मानकर तैयार कीजिये कि वाजिब राशि ठेकादाता से प्राप्त हो गई है।

On completion of the contract, the plant was returned subject to a depreciation on 20% on the original cost. The value of loose tools and stores returned 6,600 and 2,670 respectively. The value of the tractor was 60,000 and depreciation was to be charged for this contract @ 20% per annum. The amount of administration expenses to be charged to the contract is calculated at the rate of 10% on Total Works Cost.

Bcom 2nd Year Cost Accounting Contract Cost Study Material Notes In Hindi( Part 1)

Prepare the Contract Account and the Contractee’s A/c assuming that the amount due from the

Contractee was only received.

Solution:

नोट-प्लाण्ट पर हास के प्रदत्त प्रतिशत में वार्षिक शब्द नहीं लिखा हुआ है, इसलिये प्लाण्ट की उपयोग अवधि पा काई ध्यान नहीं दिया गया है जबकि टैक्टर के सम्बन्ध में हास के प्रतिशत क साथ वाषिक शब्द लिखा हुआ है, अत: 6 माह के लिये ही हास काटा गया है।

Ilustration 6.

श्री बक्सी निर्माण कम्पनी ने एक होटल बनाने का ठेका 11.1.2018 को लिया । ठेका मूल्य 20,50,000  ता 31 दिस्मबर ,2018 को अग्रलिखित विवरण थे

Shri Bakshi Construction Company took a contract on 11.1.2018 for the construction of shat contract price was 20,50,000. The following were details on 31st December, 2018:

बाजार से सामग्री का क्रय (Material purchased from the market)             3,20,000

स्टोर से सामग्री का निर्गमन (Material issued from stores)                          3,80,000

मजदूरी भुगतान (Wages paid)                                                                              6,00,000

ठेके को निर्गमित प्लाण्ट (Plant issued to site)                                                   1,00,000

स्थापन व्यय (Establishment expenses)                                                           90,000

अन्य ठेका से हस्तान्तरित सामग्री (Materials transferred from other contract) 4,20,000

सामग्री का विक्रय ( लागत 50, 000) [Material sold (cost 50,000)                    60,000

सामग्री चोरी गयी (Material stolen)                                                                              40,000

व्यर्थ सामग्री का विक्रय (Sale of waste materials)                                                      5,00

स्टार को वापस सामग्री (Materials retumed to store)                                             80,000

10 जुलाई 2018 को प्लान्ट का विक्य (लागत 50,000)

(Plant sold on 10 July, 2018 (Cost 50,000)]                                                         30,000

30.12.2018  को ठेका पूर्ण हुआ (Contract completed on 31 December, 2018)

ठेका खाता बनाइए तथा प्लाण्ट पर 15% प्रतिवर्ष हास लगाइए।

Prepare Contract Account and charge 15% depreciation per annum on plant.

लागत योग ठेके (Cost Plus Contracts)

 Ilustration 7.

अग्रलिखित विवरणों से एक ठेका खाता बनाइये

Write up a Contract Account from the following particulars :

प्रत्यक्ष सामग्री (Direct Materials)                                                          18,000

मजदूरी (Wages)                                                                                             12,000

विशेष प्लाण्ट (Special Plant)                                                                        8,000

स्टोर से निर्गमित (Stores issued)                                                                3,200

खुले औजार (Loose Tools)                                                                            1,500

ट्रैक्टर की लागत (Cost of Tractor):

चलाने के लिए सामग्री (Running Materials)                                                1,000

ड्राइवर के लिए सामग्री (Wages of Driver, etc.)                                           1,600

कर्मचारी कल्याण वय्य (Workmen’s Welfare Expenses)                      1,200

ठेका 20 सप्ताह म पूर्ण हो गया, उसके बाद प्लाण्ट को मल लागत पर 20%हास लगाकर वापिस कर दिया खुले औजार व स्टोर्स क्रमश 1,000 और 400 के वापिस किये गए ट्रैक्टर का मूल्य 19,500 था और इस ठेका पर 20% प्रतिवर्ष की दर से हास लगाना है। कारखाना लागत पर 15% की दर से आपको कार्यालय-आयव्यय को व्यवस्था करनी है। ठेका कुल लागत पर 20% लाभ पर कार्यान्वित किया गया।

The contract was completed in 20 weeks at the end of which period plant was returned subject to a depreciation of 20% on the original cost. The value of loose tools and stores returned were 1,000 and 400 respectively. The value of the tractor was 19,500 and depreciation was to be charged to this contact at the rate of 20% per annum. You are required to provide office on cost at the rate of 15% on Works COSE The contract was executed at a profit of 20% on total cost.

BCom 2nd Year Cost Accounting Contract Cost Study Material Notes In Hindi( Part 1)

निश्चित ठेका मूल्य वाले अपूर्ण ठेकों से सम्बन्धित क्रियात्मक उदाहरण-जब ठेका हानि दर्शाता हो Illustration 8.

भवन निर्माणकों की एक फर्म ने, जो बड़े ठेके लेती है. एक खाता-बही में प्रत्येक ठेके का अलग खाता रखा। ठेका संख्या 222 के सम्बन्ध में 30 जून, 2018 को निम्नलिखित व्यय दिखाया गया

A firm of Builders, carrying out large contract, kept in a Ledger separate accounts for each contract On 30th June, 2018 of the following was shown as being the expenditure in connection with Contract No.222:

ईंटें व चूना क्रय क्रिया (Bricks and mortars purchased)                                         58,165

स्टोर से सामग्री (Materials from store)                                                                         9,800

लकड़ी के दरवाजे एवं खिड़की, आदि (Wooden doors, windows, etc.)                     12,500

लोहा, स्टील, आदि क्रय किया (Iron, steel, etc., purchased)                                      3.600

श्रम (Labour)                                                                                                                        74,600

विविध व्यय (Sundry expenses)                                                                                        2,025

पर्यवेक्षण व्ययों का आनुपातिक अंश (Proportion of supervision charges) |        8,700

ठेका जो 1 फरवरी, 2018 को आरम्भ किया गया 3,00,000₹ का था और इंजीनियर के द्वारा प्रमाणित राशि. प्रतिधारण धन का 20% घटाकर 1,20,000₹ की थी, कार्य 30 जून, 2018 तक प्रमाणित हुआ था। 30 जून, 2018 को स्थल पर सामग्री 1,600₹ की थी।

ठेके पर 30 जून, 2018 तक लाभ-हानि दिखाते हुए खाता तैयार कीजिये।

The contract which had been commenced on Ist Feb., 2018 was for 3,00,000 and the amount certified by the engineer, after deduction of 20% retention money was र 1,20,000, the works being certified to 30th June, 2018. The materials at site on 30th June, 2018

नोट-प्रश्न में प्रतिधारण धन 20% बताया गया है, इसका अर्थ है कि ठेकादाता प्रमाणित कार्य के 80% का भुगतान करता है। ठेकादाता से प्राप्त रकम 1,20,000₹ है, अतः प्रमाणित कार्य का मूल्य निम्नलिखित प्रकार ज्ञात किया गया है

Value of Work Certified = Cash Recd. from Contractee x.

                              = 1,20,000 x 100 = ₹ 1,50,000

जब ठेका लाभ दर्शाता हो परन्तु प्रमाणित कार्य, ठेका मूल्य के 1/4 से कम हो

Illustration 9.

एक भवन ठेकेदार ने 1 जनवरी, 2019 को किसी भवन के निर्माण का एक ठेका लिया। ठेका मूल्य 4,00,000 र निश्चित हुआ। ठेकेदार ने वर्ष के दौरान अग्रलिखित व्यय किये

A building contractor took a contract for the construction of a certain building on 1st January, 2019. The contract price was agreed at 4,00,000. The contractor had made the following expenditure during the year:

 

Direct materials purchased                                                    20,000

Materials issued from stores                                                    5,000

Direct Labour                                                                                   15,000

Plant                                                                                                   40,000

Indirect expenses                                                                         10.,000

निम्नलिखित अतिरिक्त सूचनाओं से वर्ष का एक ठेका खाता बनाइये। चालू कार्य की राशि जि चिट्ठे में दिखाया जाये, को भी दिखाइये

From the following further information prepare a Contract Account for amount of Work-in-progress which will be shown in the Balance Sheet of the contracter

नोट ठेकादाता से प्राप्त नकद रकम को दायित्व पक्ष में दिखायेंगे क्योंकि प्राप्त रकम W.I.P. के शेष से अधिक है। जब ठेका लाभ दर्शाता है परन्तु प्रमाणित कार्य ठेका मूल्य के 1/4 या अधिक लेकिन 12 से कम हो

Illustration 10.

जनवरी, 2019 को एक ठेका 3,00,000 ₹ में लिया गया और वर्ष के दौरान निम्नलिखित व्यय हये

On Jan. 1. 2019 a Contract undertaken for 3,00,000 and incurred the following expenses during the year:

स्टोर से निर्गमित सामग्री (Materials issued from Stores)                                            2,000

सामग्री क्रय की गई (Materials Purchased)                                                                       60,000

मजदूरी (Wages)                                                                                                                         40,000

 

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