BCom 1st Year Business Communication Bad News Letters Study Material Notes in Hindi

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BCom 1st Year Business Communication Bad News Letters Study Material Notes in Hindi

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Bad News Letters Study Material
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BCom 1st Year Business Communication Request Letter Study Material Notes in Hindi

प्रतिकूल सन्देश पत्र

(Bad News Letters)

प्रतिकल सन्देश पत्र से आशय ऐसे पत्र से है जिसमें पत्र प्राप्तकर्ता को ऐसी सूचना दी जाती है। जो उसके हितों के प्रतिकूल हो। ऐसे पत्र लिखते समय लेखक (पत्र प्रेषक) का उद्देश्य प्रतिकूल सन्देश को इस प्रकार प्रस्तुत करना होता है कि पत्र प्राप्तकर्ता यह अनुभव करे कि यदि उसे स्वयं निर्णय लेना पड़ता, तो वह भी ऐसा ही निर्णय लेता। इसके लिये यह आवश्यक होता है कि पत्र में अपनी बात को दृढ़ता से प्रस्तुत किया जाए तथा लिया गया निर्णय पक्षपातरहित तथा तर्कसंगत हो। इन पत्रों का उद्देश्य पत्र प्राप्तकर्ता को प्रतिकूल सूचना देने के साथ-साथ उसकी सद्भावना बनाए रखना भी होता है।

व्यवसाय में भी अनेक नकारात्मक, अप्रिय, हानिकर, असफलता, मंदीकाल, अस्वीकृति एवं खेद प्रकट करने वाले क्षण आते हैं। इन्हीं क्षणों के क्रिया-कलापों की सूचना जब हम पाठक को देते हैं तो हमारे पत्र-लेखन-कौशल की वास्तविक परीक्षा होती है। व्यावसायिक गतिविधियाँ सद्भाव पर टिकी हुई होती है। अत: हमें इन प्रतिकूल सन्देशों को बड़ी चतुराई एवं कुशलता के साथ इस प्रकार नियोजित करना होता है कि श्रोता तक वास्तविक सन्देश भी पहुँच जाए तथा व्यावसायिक सद्भाव एवं भावी सहयोग भी बना रहे।

Business Communication Bad News

प्रतिकूल सन्देश पत्रों के उद्देश्य

(Purpose of Bad News Letters)

प्रतिकूल संवाद पत्र लिखने के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित प्रकार हैं

(1) पत्र प्राप्तकर्ता को प्रतिकूल सूचना प्रदान करना।

(2) नकारात्मक संवाद को इस प्रकार से प्रस्तुत करना कि पत्र प्राप्तकर्ता उसे समझकर स्वीकार कर ले।

(3) पत्र प्राप्तकर्ता की सद्भावना संस्था के साथ बनाए रखना।

(4) सन्देश को इस प्रकार प्रस्तुत करना जिससे पत्र प्राप्तकर्ता इस बात से सहमत हो जाए कि लिया गया निर्णय पक्षपातरहित एवं तर्कपूर्ण है।

(5) प्राप्तकर्ता को यह अनुभव कराना कि यदि उसे स्वयं निर्णय लेना पड़ता, तो वह भी यही निर्णय लेता। (6) संस्था की छवि में सुधार करना।

प्रतिकूल सन्देश पत्र लिखने की परिस्थितियाँ

(Circumstances of Writing Bad News Letters)

प्रतिकूल सन्देश पत्र मुख्यत: निम्नलिखित सूचनाएँ प्रदान करने के लिये लिखे जाते हैं

(i) अस्वीकृत प्रार्थनाओं के लिये।

(ii) उपभोक्ता के लिये अलाभकारी नीतियों की घोषणा के लिये।

(iii) प्रदर्शन का नकारात्मक मूल्यांकन व अनुशासनात्मक विज्ञप्तियाँ जारी करने के लिये।

(iv) ऐसे संवाद जिन्हें प्राप्तकर्ता अपमानजनक अथवा अनाधिकृत चेष्टा माने।

(v) माल वापसी या उसमें त्रुटि की सूचना देने के लिये।

(vi) ऋण या अधिविकर्ष देने से इन्कार की सूचना देने के लिये।

प्रतिकूल सन्देश पत्र लिखते समय ध्यान देने योग्य बातें कोई भी

1 प्रतिकुल सूचना यदि किसी को देनी है तो सर्वप्रथम पढ़ने वाले की मानसिकता को तैयार करें, जिससे कि वह इस प्रतिकूल सूचना को सहन कर सके।

2. विचारणीयता एवं शिष्टता का ध्यान रखना चाहिए।

3. प्रतिकूल संवाद के कारणों का उल्लेख करना चाहिए। ।

4. यदि अशुभ से बचने के कुछ विकल्प हैं तो उनका पत्र में उल्लेख करना चाहिए।

5 प्रतिकल संवाद के बावजूद ग्राहक के लाभों का वर्णन करना चाहिए।

सकारात्मक विवरण के साथ पाठक की भावी सफलता की कामना करनी चाहिए।

Business Communication Bad News

प्रतिकूल सन्देश पत्रों का नियोजन

(Planning of the Bad News Letters)

प्रतिकूल सन्देश पत्रों की योजना दो प्रकार से बनाई जा सकती है

1 अप्रत्यक्ष विधि (Indirect Approach)

2. प्रत्यक्ष विधि (Direct Approach)

(1) अप्रत्यक्ष विधि-अप्रत्यक्ष विधि के अन्तर्गत सहायक तथ्यों को पहले प्रस्तुत करते हैं तथा बाद में मुख्य विचार को प्रस्तुत किया जाता हैं। (The indirect plan is that plan in which you present the supporting data first and then the main idea.)

किसी व्यक्ति को नाराज किए बिना घुमावदार तरीके से अपनी बात कह देना ही अप्रत्यक्ष विधि है। यदि हम पत्र नकारात्मक ढंग से आरम्भ करते हैं, तो सम्भव है कि पत्र प्राप्तकर्ता उस पत्र में आगे दिए हुए कारणों को न पढ़े। अप्रत्यक्ष योजना का प्रयोग करने का उद्देश्य यही होता है कि पत्र प्राप्तकर्ता हमें निष्पक्ष माने तथा साथ ही उसे यह भी लगे कि हम अन्य शर्तों पर उससे व्यापार करने के इच्छुक हैं।

अप्रत्यक्ष विधि में प्रतिकूल सन्देश पत्रों का नियोजन करने के लिए पत्र को चार भागों में बाँटा जा सकता है

(अ) प्रथम खण्ड-प्रतिरोधक कथन‘ (Opening Part-‘Buffer’)-अंग्रेजी शब्द Buffer का अर्थ है प्रतिरोधक अर्थात् झटका सहन करने वाला। प्रतिकल सन्देश पत्रों में आरम्भ में कोई ऐसा प्रतिरोधक कथन (Buffer Statement) लिखा जाता है, जिससे पाठक प्रतिकल सन्देश को ग्रहण करने योग्य हो जाए। इसके लिए सबसे पहले कोई सुखद, तटस्थ अथवा अन्य कोई पाठक के हित का कथन लिखा जाता है।

प्रतिरोधी एक तटस्थ अथवा सकारात्मक कथन है जो प्रतिकूल सूचना को विलम्बित करने देता है।

के० ओ० लोकर के शब्दों में, “प्रभावी बनने के लिए प्रतिरोधी, पाठक को अच्छी मनः स्थिति में रखता है। प्रतिकूल सूचना नहीं देता, उसके अन्तर्गत सकारात्मक उत्तर भी निहित नहीं होता। वह पाठक को स्वाभाविक रूप में पत्र के मुख्य भाग तक ले जाता है। सामान्यतः जो कथन प्रतिरोधी के रूप में प्रयोग होते हैं वो हैं-अनुकूल सूचना, तथ्य और घटनाओं का क्रम, संलग्न दस्तावेजों का सन्दर्भ, नियमगत कथन एवं धन्यवाद के कथन।”

जिस प्रकार वाहन में बम्पर का प्रयोग झटके को रोकने के लिये किया जाता है। उसी प्रकार पत्र-प्राप्तकर्ता को प्रतिकूल सन्देश के झटके से बचाने के लिए प्रतिरोधी का प्रयोग किया जाता है।

मर्फी, हिल्डरवैंड तथा थॉमस (Murphy, Hilderbandt and Thomas) ने एक प्रतिकूल सूचना वाले पत्र को आरम्भ करने के लिए निम्नलिखित तरीके सुझाए हैं

(i) सहमति (Agreement)-हमें पाठक के साथ किसी-न-किसी विषय पर सहमति बनानी चाहिए, सम्भव हो सके तो सहमति व्यापारिक शर्तो अथवा कीमत जैसे महत्त्वपूर्ण विषय पर होनी चाहिए।

(ii) सराहना (Appreciation)-पाठक को उसके द्वारा भेजे गए चैक, सूचना, प्रार्थना-पत्र सहयोग अथवा अन्य किसी विषय के लिए धन्यवाद देना चाहिए।

(iii) आश्वासन (Assurance)-पाठक को आश्वस्त करना चाहिए कि आप समस्या से सम्बन्धित सभी उपलब्ध तथ्यों की ईमानदारी से व्याख्या तथा सावधानीपूर्वक निरीक्षण करेंगे।

(iv) प्रशंसा (Compliments)-पाठक के पिछले रिकॉर्ड के लिए अथवा किसी और बात के लिए उसकी प्रशंसा अवश्य करें। उदाहरणत: उसकी ईमानदारी, तथ्यों पर पकड़ अथवा ऐसी अन्य धारणाएँ।

(v) सहयोग (Co-operation)—जितना सहयोग आप कर सकते हैं उतने सहयोग की इच्छा प्रकट करनी चाहिए।

(vi) शुभ सूचना (Good News) यदि आप पाठक की कोई इच्छा या प्रार्थना स्वीकार कर सकते हैं तो वहीं से अपना पत्र आरम्भ करना चाहिए।

(vi) तटस्थ औपचारिकताएँ (Neutral Courtesy) अपने आरम्भिक कथनों को तटस्थ रखना चाहिए। उदाहरणार्थ, यदि आपको कीमत बढ़ानी है अथवा सुविधाएँ कम करनी हैं तो ‘परिवर्तन’ शब्द का प्रयोग करना चाहिए।

(viii) आपसी समझ (Understanding) पाठक के प्रति अपनी समझ एवं सहानुभूति प्रदर्शित करनी चाहिए। निम्नलिखित तालिका प्रतिरोधी के विभिन्न प्रकारों को उदाहरण सहित प्रस्तुत करती है

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प्रतिरोधी के प्रका

(Types of Buffer)

प्रतिरोधी (Buffer)

अत: प्रतिरोधक कथन निम्नलिखित प्रकार से लिखा जा सकता है

  • किसी बात पर पत्र प्राप्तकर्ता से सहमति व्यक्त करके,
  • अपनी ईमानदारी एवं सद्भावना का विश्वास दिलाकर
  • पत्र प्राप्तकर्ता के पूर्व आचरण या अनुरोध पर शुभकामनाएँ देकर
  • सूचना, प्रार्थना या सहयोग आदि के लिए पत्र प्राप्तकर्ता का धन्यवाद व्यक्त करके.
  • यथासम्भव सहयोग की इच्छा व्यक्त करके,
  • अनुरोध की आंशिक स्वीकृति की सूचना देकर,
  • तटस्थ रहकर किसी परिवर्तन की सूचना देकर जैसे मूल्य परिवर्तन आदि।
  • पत्र प्राप्तकर्ता से सहानुभूति व्यक्त करके।

प्रतिरोधी लिखते समय यह सावधानी रखनी चाहिए कि प्रतिरोधी इतना सकारात्मक भी नहीं होना चाहिए कि उसके पश्चात् पाठक ‘हाँ’ की आशा करने लगे (The buffer should not be so sound that the reader expects a “yes” or favourable answer.) क्योकि उसके बाद प्रतिकूल सूचना को स्वीकार करना अत्यन्त कठिन हो जाता है। एक अत्यन्त मनोहारी प्रतिरोधी एक झूठी आशा भी जगा सकता है, अत: एक प्रतिरोधी की शैली तटस्थ होनी चाहिए। प्रतिरोधी ऐसा न हो कि पाठक को ये भ्रम हो जाए कि सूचना शुभ ही होगी।

एक प्रतिरोधी (Buffer) लिखने के बाद इन प्रश्नों से उसका मूल्यांकन करना चाहिए कि, क्या वह प्रतिरोधी रूचिकर है? क्या प्रतिरोधी निरपेक्ष है, जिसमें न ‘हाँ’ कहा गया है और न ही ‘ना’। क्या प्रतिरोधी आसानी से उन कारणों की तरफ बढ़ रहा है जो आप अपने निर्णय के लिए देंगे। यदि आप सभी प्रश्नों के उत्तर ‘हाँ’ में दे सकते हैं तो आप आराम से अपनी सूचना की तरफ बढ़ सकते हैं।

(ब) द्वितीय खण्ड-विवरण/व्याख्या‘ (Second Part-‘Explanation’)-इस भाग में सतर्कतापूर्वक एवं चतुराई से आँकड़ों या अन्य प्रमाणों के माध्यम से अपनी कार्यवाही को उचित सिद्ध करते हुए आवश्यक विवरण दें। पाठक को इस बात का विश्वास दिलाएँ कि कम्पनी की नीतियाँ सभी के लिए समान रूप से लागू की गई हैं अथवा पाठक के दीर्घकालीन हितों को ध्यान में रखकर ऐसा निर्णय लेना पड़ा है। ऐसे कारण नहीं देने चाहिए जिनसे केवल अपने व्यवसाय का लाभ ही प्रकट होता हो।

  • विनम्रता के साथ पहले अपने निर्णय से सम्बन्धित सभी कारणों को अनुकूल से प्रतिकूल के क्रम में लिखें।
  • सावधानीपूर्वक यह दर्शाने का प्रयास करना चाहिए कि सन्देश प्राप्तकर्ता के अनुरोध पर अपने तथा सन्देश प्राप्तकर्ता दोनों के व्यावसायिक हितों को ध्यान में रखकर ही निर्णय लिया गया है।

इस प्रकार यह स्पष्ट है कि प्रतिकूल सन्देशों को लिखते समय द्वितीय भाग में अत्यन्त चतुराई, सावधानी एवं विनम्रता की आवश्यकता होती है। यही प्रयास किया जाना चाहिए कि पाठक सन्देश को स्वीकार भी कर ले तथा भविष्य में सहयोग भी करता रहे।

इस तरह के पत्र में नकारात्मक एवं प्रतिकूल शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, जैसे, असन्तुष्ट (Dissatisfied), खेद (Regret), भूल (Error), बहुत बुरा लगा (Shocked)। ऐसी भाषा का प्रयोग करना चाहिए जो सम्मानजनक हो। आरोप लगाने वाली भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए। तटस्थ, सभ्य भाषा में ही श्रोता की गलतियों की जानकारी देनी चाहिए।

उदाहरण के लिये, “जैसा कि मशीन के साथ दी गई निर्देश पुस्तिका में कहा गया है कि प्रयोग में न आने के समय इसे ठण्डे एवं सूखे स्थान पर रखें। हमारे मरम्मत विभाग द्वारा निरीक्षण कराये जाने पर इसकी मोटर में जंग लगी पाई गई जिससे मोटर ठीक प्रकार से काम नहीं कर पा रही है।”

(स) तृतीय खण्ड-निर्णय‘ (Third Part-‘Decision’)-प्रतिकूल सन्देश पत्र में यही खण्ड है जिसमें प्रतिकूल सन्देश लिखा जाता है। प्रतिकूल सन्देश का निर्णय स्पष्ट, सकारात्मक तथा संक्षिप्त करने के लिए निम्नलिखित विकल्प अपनाए जा सकते हैं

(a) यदि प्रतिकूल सन्देश का कारण अत्यन्त स्पष्ट है और पाठक स्वयं अनुमान लगा सकता है तो किसी झंझट में न पड़कर सीधे-सीधे अपना निर्णय लिखा जा सकता है।

(b) यदि आवश्यक हो तो पाठक को अपनी नीतियों तथा सेवाओं से पुन: लाभ उठाने की सलाह दी जा सकती है।

(c) यदि पाठक को कोई अन्य विकल्प सुझाया जा सकता है तो उसे यह बताना आवश्यक है कि प्रतिकूल सन्देश देना अपरिहार्य हो गया था।

(d) प्रतिकूल सन्देशों को यथासम्भव अनुच्छेद के मध्य में लिखा जाना चाहिए। नकारात्मक शैली प्रयोग करने से बचना चाहिए। श्रोता को प्रतिकूल निर्णय से किसी प्रकार का भ्रम उत्पन्न नहीं होना चाहिए।

उदाहरण (Examples)

“आपकी प्रार्थना पर जल्दी ही पुनः विचार किया जायेगा।”

“सावधानीपर्वक विचार-विमर्श के पश्चात् हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि इस समय आपको हमसे नकद माल क्रय करना ही श्रेयस्कर होगा।”

“आपको विश्वास दिलाया जाता है कि आपके मामले पर उपलब्ध सूचनाओं का सावधानी से विश्लेषण किया गया है। भविष्य में आपकी स्थिति जब सुधर जाएगी तो आपकी उधार क्रय की प्रार्थना पर हम पुनः विचार अवश्य करेंगे।”

(द) चतुर्थ खण्ड-समापन‘ (Fourth Part-‘Ending’)-प्रतिकूल-सूचना वाले पत्रों का अन्त सकारात्मक होना चाहिए। आप इन पत्रों का अन्त, पाठक से कोई मैत्री-प्रार्थना अथवा आश्वासन या पाठक के लाभ के बारे में बातें करके, कर सकते हैं। वास्तव में, आपको प्रतिकूल सूचना देने के बाद यह प्रयास करना चाहिए कि आपका पत्र पाठक के लिए किसी उपयुक्त सूचना के साथ समाप्त हो। आप पाठक की समस्या को कोई सुविचारित हल भी सुझा सकते हैं।

निम्नलिखित विचार कुछ सकारात्मक एवं मित्रतापूर्ण अन्त प्रस्तुत करते हैं

(i) आश्वासन दीजिए कि आप पाठक की एक ग्राहक के रूप में प्रशंसा करते हैं।

(ii) भविष्य में सहयोग, सुझाव अथवा कोई शिकायत हो तो उसे भी आमन्त्रित करें।

(iii) यह भी स्पष्ट कर दें कि कौन सा कार्य कब और किस तरह करना है।

(iv) पाठक के लिए भविष्य में भी सेवा की इच्छा व्यक्त करें। अनुपयुक्त सूचना को न दोहराएँ। इस तरह के कथनों का प्रयोग भी न करें जैसे “मुझे विश्वास है कि हमारा निर्णय सन्तोषजनक है” और “यदि आपको हमारे निर्णय से कोई समस्या है तो हमें अवश्य बताएं।”

एक मैत्रीपूर्ण सकारात्मक अन्त (i) साख बढ़ाता है, (ii) कार्य के विषय में सुझाव देता है, तथा (iii) भविष्य के प्रति एक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।

(2) प्रत्यक्ष विधि (Direct Approach)-प्रतिकूल-सूचना वाले पत्र की प्रत्यक्ष संरचना वह संरचना है जिसमें आप प्रतिकूल सूचना को स्पष्ट रूप से आरम्भ में ही प्रस्तुत कर देते हैं। आरम्भ में ही प्रतिकूल सूचना देने के दो स्पष्ट लाभ होते हैं-(i) यह सूचना को लघु बनाता है। (ii) पाठक को सूचना के मुख्य भाव तक पहुँचने में कम समय लगता है।

प्रत्यक्ष विधि का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार के किसी प्रतिकूल सन्देश को भेजने के लिए किया जा सकता है

(i) दैनिक गतिविधियों से सम्बन्धित प्रतिकूल सन्देश, जिन पर पाठक बहुत अधिक निराश नहीं होता अथवा अधिक भावुकता से नहीं सोचता।

(ii) अनिवार्य एवं आवश्यक सन्देश, जिनमें पाठक का तुरन्त ध्यान खींचना आवश्यक है, जैसे उगाही प्रक्रिया का अन्तिम चरण।

(iii) ऐसे पाठक को सन्देश देना जो प्रतिकूल सन्देश प्रथम भाग में पढ़ने का आदी है। (iv) एक ही व्यवसाय के दो विभागों के बीच पत्र व्यवहार।

प्रत्यक्ष विधि में प्रतिकूल सन्देश भेजने सम्बन्धी पत्र की संरचना में तीन भाग किये जाते हैं। इनकी विषय सामग्री अप्रत्यक्ष विधि की भॉति ही है किन्तु इनका क्रम निम्न प्रकार बदल दिया जाता है

(अ) प्रथम खण्ड-मुख्य विचार‘ (First Part-‘Main Idea’)-प्रत्यक्ष विधि के अन्तर्गत प्रथम खण्ड में ही सीधे प्रतिकूल सन्देश लिख दिया जाता है। प्रतिरोधात्मक कथन (Buffer Statement) का प्रयोग या तो बिल्कुल नहीं होता या फिर अत्यन्त संक्षेप में किया जाता है।

उदाहरण (Examples)-“जैसा कि हमारे प्रतिष्ठान की नीति है कि हम केवल नकद माल का विक्रय करते हैं, आपके उधार क्रय प्रस्ताव को हम विनम्रता से अस्वीकार करते हैं।”

“पिछले वर्षों के व्यवसाय पर विचार तथा भविष्य के लिए नियोजन को देखते हुए अब उधार विक्रय की नीतियों में कुछ परिवर्तन करना अपरिहार्य हो गया है।”

“कच्चे माल के मूल्यों में भारी वृद्धि तथा अतिरिक्त श्रम की अनुपलब्धता के कारण उत्पादन लागत निरन्तर बढ़ रही है, जिसके कारण हम उत्पाद की कीमतों में मामूली वृद्धि करने के लिए विवश हैं।”

(ब) द्वितीय खण्ड-व्याख्या (Second Part-Explanation)-द्वितीय खण्ड में प्रतिकल निर्णय के समर्थन में सावधानीपूर्वक व्याख्या एवं विश्लेषण किया जाना चाहिए ताकि प्रतिकल से औचित्य सिद्ध किया जा सके। इस खण्ड का विवरण अप्रत्यक्ष विधि में द्वितीय खण्ड जैसा ही है।

(स) तृतीय खण्ड-समापन (Third Part-Ending) तृतीय खण्ड का विवरण भा पूर्व म अप्रत्यक्ष विधि में दिये गये अन्तिम खण्ड-समापन जैसा ही है। वास्तव में अप्रत्यक्ष विधि में 4 खण्ड है। और प्रत्यक्ष विधि में 3 खण्ड हैं। इसके अतिरिक्त प्रत्यक्ष विधि में खण्डों की क्रम व्यवस्था बदल दी गई। है। यद्यपि इनका विवरण एक जैसा ही है अर्थात प्रत्यक्ष विधि में भी प्रतिकल सन्देश पत्र का समापन मित्रवत्, सद्भाव, सहयोग, शुभकामना तथा सकारात्मक भाव प्रकट करने वाला होना चाहिए।

Business Communication Bad News

परीक्षा हेतु सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

(Expected Important Questions for Examination)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(Long Answer Questions)

1 प्रतिकूल सन्देशों से क्या आशय है? किन परिस्थितियों में ये सन्देश दिये जाते हैं?

What is meant by Bad News? Under what circumstances these news are communicated?

2. प्रतिकूल सन्देश पत्रों का नियोजन आप कैसे करेंगे? अप्रत्यक्ष एवं प्रत्यक्ष विधि का प्रयोग किन परिस्थितियों में किया जाता है?

How will you plan for a Bad News Letter? Under What Circumstances Indirect and Direct Approaches are used?

3. अप्रत्यक्ष विधि में प्रतिकूल सन्देश पत्र का नियोजन करने के लिए अपनी योजना की रूपरेखा दीजिए।

Give the outline of your plan for a Bad News Letter under Indirect Approach.

4. प्रतिरोधी से क्या आशय है? प्रतिरोधी के विभिन्न प्रकार उदाहरण सहित दें। प्रतिरोधी लिखते समय।  किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

What is meant by buffer? Explain types of buffer with examples. What points should be kept in mind while writing a buffer?

5. आपके व्यवसाय में नकद विक्रय की नीति होने के कारण माँगी गई उधार क्रय की सुविधा की ‘अस्वीकृति के विषय में पत्र लिखिए। यह भी बताइए कि पत्र का नियोजन कैसे करेंगे।

Being a cash sale policy in your firm, write a refusal letter for credit purchase facility requested. How will you plan the said letter? Explain.

6. आपको दोषपूर्ण पुस्तकों का पार्सल प्राप्त हुआ है। प्रकाशक को खराब पुस्तकें भेजने के लिए शिकायती पत्र लिखिए।

You have received a parcel containing defective books. Write a complaint letter to publisher for sending defective books.

7. आपसे किसी फर्म की गोपनीय साख सूचना मांगी गई है अपनी व्यावसायिक नीतियों का सन्दर्भ देते हुए आप एक अस्वीकृति पत्र लिखिए।

You have been asked to provide the confidential credit information of a firm. Giving reference of your business policies write a refusal letter to that party.

8. अस्वीकार करने वाले प्रतिकूल सूचना पत्रों के मूल तत्वों का वर्णन कीजिए। एक दावे को अस्वीकृत करते हुए एक पत्र भी लिखिए।

Explain the essential elements of a bad news letter refusing adjustments of claim and complaints. Write a bad news letter refusing claim.

Business Communication Bad News

लघु उत्तरीय प्रश्न

(Short Answer Questions)

1 प्रतिकूल सन्देश पत्र से क्या आशय है?

What is meant by bad newsletters?

2. प्रतिकूल सूचना पत्र लिखने के लिये हम कौन सी रणनीतियाँ अपनाते हैं?

Which strategies are followed for writing bad newsletters?

3. प्रतिकूल सन्देश पत्र लिखने की अप्रत्यक्ष योजना के क्या लाभ हैं?

What are the merits of writing bad news letters by an indirect approach?

4. प्रतिकूल सन्देश लिखने में प्रतिरोधी की क्या भूमिका है?

What is the role of a buffer in writing bad newsletters?

5. प्रतिरोधी के विभिन्न प्रकार उदाहरण सहित दें।

Give various types of buffers for example.

6. उधार मनाही पत्र का नमूना दीजिए।

Give an example of a credit refusal letter.

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chetansati

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