BCom 1st Year Business Communication Interviewing Skills Study Material Notes in Hindi

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BCom 1st Year Business Communication Interviewing Skills Study Material Notes in Hindi

Table of Contents

BCom 1st Year Business Communication Interviewing Skills Study Material Notes in Hindi: Characteristics of an Overview  Types of Interview Importance of Interview Limitation of Interview Appearing of Interview Questions Frequently Asked During Employment Interview Resume  Contents of a Resume Applications of Jobs Kinds of Applications Drafting Effective Applications latter Application for the post of Computer Operator  Examinations Questions Long Answer Question Short Answer Questions :

Interviewing Skills Study Material
Interviewing Skills Study Material

BCom 1st Year Business Communication Effective Listening Study Material Notes in Hindi

साक्षात्कार कला

(Interviewing Skills)

साक्षात्कार को अंग्रेजी में Interview कहते हैं जो फ्रैंच भाषा के शब्द ‘Entrevoir’ से लिया गया है। इसका अभिप्राय एक दूसरे को देखने से है। साक्षात्कार के अन्तर्गत प्रश्नों के माध्यम से एक व्यक्ति, दसरे व्यक्ति के ज्ञान को जानकारी प्राप्त करता है। अत: साक्षात्कार से आशय वार्तालाप या उस परस्पर मौखिक संचार क्रिया से है जो सामान्यतः दो व्यक्तियों के मध्य किसी विशेष उद्देश्य के लिये सम्पन्न की जाती है।

साक्षात्कार, औपचारिक सम्प्रेषण का एक सशक्त माध्यम है जिसमें किसी व्यक्ति/व्यक्तियों से उसकी पूरी जानकारी प्राप्त की जाती है। किसी संस्था द्वारा किसी व्यक्ति का नौकरी के लिये मूल्यांकन करना, कर्मचारी को संस्था की व्यवस्था से अवगत कराना, कर्मचारियों को परामर्श देना आदि कार्यों के लिये साक्षात्कार का आयोजन किया जाता है।

जब आवेदकों के आवेदन-पत्रों की जाँच हो जाती है तो उसके पश्चात् आवेदकों को प्रारम्भिक साक्षात्कार के लिये बुलाया जाता है। इसके द्वारा यह पता लगाने का प्रयत्न किया जाता है कि आवेदक मानसिक एवं शारीरिक रुप से उस पद के योग्य है अथवा नहीं? इसके अन्तर्गत सामान्यत: आवेदक की रुचि, आयु, अनुभव, शिक्षा इत्यादि से सम्बन्धित सामान्य प्रश्न पूछे जाते हैं। साक्षात्कार में प्रश्नों के माध्यम से सूचनाएँ प्राप्त करने के लिये आपस में परिचय किया जाता है।

एच० पी० यंग के अनुसार, “साक्षात्कार क्षेत्रीय कार्य की एक विशेष तकनीक है, जिसका प्रयोग किसी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के व्यवहार को देखने, उनके कथनों को लिखने व सामाजिक अथवा अन्त: क्रिया के स्पष्ट परिणामों का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।”

वी० एम० पामर के अनुसार, “साक्षात्कार दो व्यक्तियों के मध्य पायी जाने वाली एक विशेष सामाजिक परिस्थिति है जिसमें एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया के अन्तर्गत दोनों व्यक्ति परस्पर उत्तर-प्रतिउत्तर करते हैं।”

अतः स्पष्ट है कि साक्षात्कार मौखिक संचार की एक प्रक्रिया है जिसमें आमने सामने बैठकर बातचीत की जाती है। इससे साक्षात्कार लेने वाले को अभ्यर्थी की योग्यता, कार्यक्षमता, कुशलता, रूचि, तत्काल बुद्धि, परिपक्वता आदि के मूल्यांकन में सहायता मिलती है।

Business Communication Interviewing Skills

साक्षात्कार की विशेषताएँ

(Characteristics Of An Interview)

साक्षात्कार विभिन्न उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए आयोजित किये जाते हैं, परन्तु विभिन्न प्रकार के साक्षात्कार में निम्नलिखित सामान्य विशेषताएं होती हैं

(1) यह निर्धारित उद्देश्य के लिए किये जाते हैं और यह उद्देश्य साक्षात्कार लेने वालों व देने वालों दोनों को स्पष्ट होता है।

(2) दोनों पक्षों के लिये सम्प्रेषण घटना की तैयारी या पूर्व अभ्यास आवश्यक होता है।

(3) सभी साक्षात्कार पूर्व-निर्धारित होते हैं।

(4) साक्षात्कार में कम से कम दो पक्षों या प्रतिभागियों का होना अनिवार्य है, परन्तु सामान्य रूप से एक साक्षात्कार देने वाला कई साक्षात्कार लेने वालों का सामना करता है।

(5) इसमें विचारों तथा सूचनाओं का स्वच्छ आदान-प्रदान होता है। सम्प्रेषित सूचनाएं गोपनीय भा हो सकती हैं और नहीं भी।

Business Communication Interviewing Skills

साक्षात्कार के प्रकार

(Types Of Interviews)

साक्षात्कारों के प्रमुख रूप से निम्नलिखित आठ प्रकार होते हैं

(1) नौकरी सम्बन्धी साक्षात्कार (Employment Interviews)-इस प्रकार के साक्षात्कार नए। कमचारियों को चुनने के लिये किये जाते हैं। इसका उद्देश्य नियोक्ता को प्राथी के विषय में सम्पर्ण । जानकारी उपलब्ध कराना होता है। इसमें आवेदक की योग्यताओं और गुणों को सीधे तौर से आमने सामने बैठकर मौखिक विचार विमर्श के द्वारा पहचानने और आँकने का कार्य किया जाता है। इस प्रकार क साक्षात्कार में साक्षात्कार देने वाले व्यक्ति की मुद्रा, बातचीत करने का तरीका, आचार-विचार तथा हाव-भाव के अवलोकन एवं विश्लेषण से उसकी रुचि, अभिप्रेरणा, स्वभाव, संतुलन, उत्तरदायित्व ग्रहण करने की योग्यता, तत्काल बद्धि तथा परिपक्वता आदि का मूल्यांकन किया जाता है।

(2) परिचय कराने वाला साक्षात्कार (Orientation Interviews) इस प्रकार के साक्षात्कार का उद्देश्य नए कर्मचारी को उसके कर्त्तव्य और संस्था के बारे में परिचित कराना होता है। इस तरह के साक्षात्कार में महत्त्वपूर्ण काम नियोक्ता का होता है, इसलिये उसे इस अवसर के लिये पर्याप्त तैयारी करनी चाहिए। इस साक्षात्कार में कर्मचारी को संस्था की संस्कृति, रीतियों, नीतियों एवं मूल्यों के बारे में जानकारी दी जाती है साथ ही उसे कार पार्किंग के बारे में हिदायतें, इंश्योरेंस कार्यक्रम के बारे में जानकारी, नौकरी विवरण पुस्तिका, कार्यालय के वैज्ञानिक उपकरण आदि के विषय में भी बताया जाता है। जो प्रबन्धक इस तरह का साक्षात्कार कर रहा है उसे कर्मचारी को स्पष्ट बताना चाहिए कि उसे क्या काम करना है और कम्पनी को उससे क्या-क्या अपेक्षाएँ हैं।

(3) परामर्शदात्री साक्षात्कार (Counselling Interviews)-इस प्रकार के साक्षात्कार प्रायः कर्मचारियों की सहायता के लिये किये जाते हैं। इसका उद्देश्य कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करना होता है। इस प्रकार के साक्षात्कार में हमेशा यह नहीं होता कि परामर्शदाता अपने अधीन छोटे कर्मचारी को बुलाकर बात करे बल्कि कभी-कभी अधिशासी को भी अपने अधीनस्थ कर्मचारी से पथ-प्रदर्शन की आवश्यकता होती है।

(4) कार्यसफलता आँकने वाले साक्षात्कार (Performance Appraisal Interview)-इस प्रकार के साक्षात्कार कर्मचारी की सफलता को पहचानने के लिये, उसके काम की स्पष्ट तस्वीर दिखाने के लिये, सुधार की आवश्यकता पर बल देने के लिये और कर्मचारी को अपना कार्य कुशलता से करने की चेतावनी देने के लिये होते हैं। इस प्रकार के साक्षात्कार कर्मचारियों की कार्यकुशलता में वृद्धि करने तथा उनकी कमियों को दूर करने में सहायक होते हैं।

(5) शिकायत सम्बन्धी साक्षात्कार (Grievance Interviews)-शिकायत सम्बन्धी साक्षात्कार का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों की शिकायतों को सुनकर दूर करना होता है। यह कर्मचारियों को यह अवसर प्रदान करता है कि वह प्रबन्धकों को संस्था के कार्यों और नीतियों के बारे में शिकायत कर सकें। यदि साक्षात्कार में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों खुलकर बात करें तभी इस प्रकार की शिकायतों का निवारण सम्भव हो सकता है।

(6) संशोधन सम्बन्धी साक्षात्कार (Correctional Interviews) इस प्रकार के साक्षात्कार, कर्मचारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कदम उठाने के लिये और संशोधनात्मक कार्यवाही करने के लिये किये जाते हैं। जिस कर्मचारी ने आचरण के नियमों का उल्लंघन किया हो, अथवा संस्था के सहयोग को ग किया हो तथा गम्भीर रूप से नौकरी की अपेक्षाओं पर पूरा उतरने में असफल रहा हो, उसके विरूद्ध साक्षात्कार किये जाते हैं। यह साक्षात्कार तभी करना चाहिए जब दोनों दल शान्त हो तथा कर्मचारी को अपनी भावनाएं व्यक्त करने का अवसर भी दिया जाना चाहिए।

(7) निर्गम साक्षात्कार (Exit Interviews)-इस प्रकार के साक्षात्कार प्राय: संस्था के किसी निपोषन के द्वारा यह जानने के लिये किये जाते हैं कि कोई कर्मचारी संस्था को क्यों समस्याओं का ज्ञान प्राप्त होता है जिनका समाधान संस्था के प्रबन्धकों को छोड़कर जा रहा है ना चाहिए। इस तरह के साक्षात्कार में यदि कर्मचारी को यह आश्वासन दिया जाए कि में उठाए गए मुद्दों को पूरी तरह गुप्त रखा जाएगा तो यह अधिक लाभदायक रहता है

(8) सूचना एकत्रित करने वाले साक्षाल Interviews)-उत्पादक और कर्मचारी इस प्रकार के साथ से और उत्पादों को उपभोक्ताओं की अपेक्षाओं के अनुरूप बनाने के लिये साक्षात्कार करके ऑकडे एकत्रित किये जाते हैं। इन आंकड़ों का विश्लषण करण और भविष्य की क्रिया निश्चित की जाती है।

Business Communication Interviewing Skills

साक्षात्कार का महत्त्व

(Importance of Interview)

कर्मचारी का नियुक्ति से लेकर उसे प्रशिक्षित करने एवं उसके क्रियाकलापों की जानकारी तथा उसक कार्य मूल्यांकन करने तक में साक्षात्कार एक महत्त्वपूर्ण माध्यम है। किसी संस्था के लिये साक्षात्कार के महत्त्व को निम्नलिखित प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है

1 योग्य कर्मचारी का चयन (Selection of qualified employee)-साक्षात्कार क मा याग्य कर्मचारी के चयन का अवसर प्राप्त होता है। कशल. अनभवी एवं दक्ष कर्मचारियों की प्राप्ति के लिये साक्षात्कार महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है। ।

2. विचारों का आदानप्रदान (Exchange of ideas) साक्षात्कार के द्वारा साक्षात्कार देने वाले एवं साक्षात्कार लेने वाले दोनों के मध्य विचारों का आदान-प्रदान होता है जिससे दोनों को समस्या की पर्याप्त जानकारी प्राप्त होती है। सन्देहों का निवारण तत्काल सम्भव होता है।

3. कर्मचारियों के कार्यों का मल्यांकन (Evaluation of employee’s Work)-साक्षात्कार के माध्यम से कर्मचारियों के कार्यों का मल्यांकन किया जा सकता है तथा उन्हें सही कार्य करने के लिये दिशा निर्देशित भी किया जा सकता है।

4. अभिप्रेरणा (Motivation) समय समय पर साक्षात्कार कराते रहने से कर्मचारियों में कार्य के प्रति लापरवाही उत्पन्न नहीं होती है। अत: यह कर्मचारी को कार्य के लिये अभिप्रेरित करता है।

5. सूचनाओं के एकत्रीकरण का साधन (Means of data collection)—किसी भी शोध या समस्या से सम्बन्धित सूचनाओं को एकत्र करने के लिये साक्षात्कार ही एक मात्र सही साधन है। साक्षात्कार के द्वारा सम्बन्धित व्यक्तियों से सीधे सम्पर्क कर उनके बारे में सही सूचना प्राप्त की जा सकती है।

6. गहन अध्ययन (Intensive study) साक्षात्कार में विषय का गहन अध्ययन किया जाता है। साक्षात्कारकर्ता को उत्तरदाता से अनेक महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ प्राप्त हो जाती हैं, जिनकी साक्षात्कारकर्ता कभी कल्पना भी नहीं कर सकता।

7. लोचपूर्ण (Flexible)-साक्षात्कार पद्धति में आवश्यकतानुसार कमी या वृद्धि की जा सकती है। इसकी समय सीमा व प्रश्नों की संख्या अपनी सुविधा के अनुसार घटायी या बढ़ायी जा सकती है।

8. भूतकालीन घटनाओं का अध्ययन (Study of past events) यदि किसी भूतकालीन घटना का अध्ययन करना है या जानकारी प्राप्त करनी है तो सम्बन्धित व्यक्ति का साक्षात्कार लेकर भूतकालीन घटनाओं का अध्ययन किया जा सकता है।

9. विश्वसनीयता (Reliability) साक्षात्कार पद्धति से नियुक्ति या आँकड़ों का एकत्रीकरण या भूतकालीन घटनाओं का अध्ययन अधिक विश्वसनीय हाता है। इसमें साक्षात्कारकर्ता स्वयं साक्षात्कार के समय उपस्थित रहता है, अत: उत्तरदाता अपने को गलत तरीके से प्रस्तुत नहीं कर सकता है।

Business Communication Interviewing Skills

साक्षात्कार का संचालन करना

(Conducting the Interview)

साक्षात्कार का आयोजन किस प्रकार किया जाए, यह एक साक्षात्कारकर्ता के लिये मुख्य प्रश्न होता है। साक्षात्कार का आयोजन सफल तभी माना जायेगा जब साक्षात्कार करने का उद्देश्य पूरा हो जाए। इस सम्बन्ध में निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है

1 साक्षात्कार की योजना बनाना (Planning for Interview) किसी भी कार्य को प्रारम्भ करने से पूर्व उसकी पूरी योजना बनानी चाहिये तभी कार्य सही तरीके से पूर्ण होता है। अत: साक्षात्कार प्रारम्भ करने से पूर्व साक्षात्कार के लिये योजना तैयार की जानी चाहिये क्योंकि साक्षात्कार का आयोजन कोई सरल कार्य नहीं है। साक्षात्कार की योजना बनाने में सर्वप्रथम यह निश्चित करना चाहिये कि साक्षात्कार का विषय क्या होगा, साक्षात्कार का स्थान कहाँ होगा। अभ्यर्थियों के बैठने की व्यवस्था कैसी होगी, साक्षात्कार के लिये विषय विशेषज्ञ बुलाये जायेंगे या स्ततः ही साक्षात्कार की क्रिया सम्पन्न की जायगा. साक्षात्कार लन का विधि क्या होगी. क्या साक्षात्कार समद में लिया जायेगा या अकले एक-एक करके लिया जायेगा आदि। इन सभी बातों पर पूर्ण विचार करने के पश्चात ही साक्षात्कार लेने की क्रिया प्रारम्भ की जानी चाहिये।

2. साक्षात्कार का प्रारम्भ (Starting of interview)-साक्षात्कार का प्रारम्भ करना सबरी। जाधक महत्त्वपूर्ण होता है। साक्षात्कार को प्रारम्भ करते समय साक्षात्कार के उद्देश्य पर पूनः एकध्यान दिया जाना चाहिये तथा इस प्रकार का वातावरण बनाना चाहिये कि साक्षात्कारकता और साक्षात्कार खुले भाव से संचार करने के लिये प्रेरित हो सकें। ऐसा होने पर ही साक्षात्कारी के बारे में सही जानकारी प्राप्त हो पायेगी।

3. साक्षात्कारी से सकारात्मक सम्बन्ध बनाना (Building Positive relationship from interviewee)-साक्षात्कारकर्ता को चाहिये कि साक्षात्कारी से साक्षात्कार प्रारम्भ करते समय सर्वप्रथम उससे सकारात्मक सम्बन्ध स्थापित करने की कोशिश करे। इसके लिये उससे कुछ सामान्य एवं व्यक्तिगत बातें करनी चाहियें तथा उसे सफल साक्षात्कार के लिए प्रोत्साहन करना चाहिए।

4. साक्षात्कार का उद्देश्य बताना (Explain the purpose of interview)-साक्षात्कार को प्रारम्भ करने के बाद साक्षात्कारी को साक्षात्कार का उद्देश्य बताना चाहिये। यदि साक्षात्कार सूचनाओं के एकत्रीकरण से सम्बन्धित है तब तो यह बहुत ही आवश्यक हो जाता है।

5. साक्षात्कार देने वाले व्यक्ति की भावनाओं का सम्मान करना (Honour the emotions of interviewee) साक्षात्कारकर्ता को चाहिये कि वह साक्षात्कार देने वाले व्यक्ति की भावनाओं का पूरा सम्मान करे जिससे उसे प्रश्नों के उत्तर देने में किसी प्रकार की घबराहट न हो।

6. साक्षात्कार में पूछे जाने वाले प्रश्नों की रूपरेखा बनाना (Outline of questions to be asked)-साक्षात्कारकर्ता को साक्षात्कार के पूर्व इस बात पर भी ध्यान देना चाहिये कि उसे किस तरह के प्रश्न पूछने हैं। प्रश्न प्राय: दो प्रकार के होते हैं। एक तो खुले प्रश्न जिन पर साक्षात्कारी खुल कर लम्बे समय तक बोल सकता है। जैसे-वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर प्रकाश डालिये, आतंकवाद की समस्या पर टिप्पणी कीजिए आदि। दूसरे, बन्द प्रश्न अर्थात जिनके उत्तर की सीमा पहले से निर्धारित रहती है; जैसे-आपने बी.काम. कहाँ से पास किया, आप क्यों इस कम्पनी में आना चाहते हैं, आप कितना वेतन लेना चाहेंगे आदि। साक्षात्कारकर्ता को उद्देश्य रहित प्रश्न नहीं पूछने चाहिये। प्रश्न, विषय-वस्तु के अनुकूल होने चाहिये।

साक्षात्कार का संचालन इस बात पर भी निर्भर करता है कि साक्षात्कार किस प्रकार का है। नौकरी के लिये यदि साक्षात्कार लिया जा रहा हो तो साक्षात्कार संचालन की क्रिया ऐसी होनी चाहिये जो उम्मीदवार को बोलने का अवसर दे, उसे निराश होने से बचायें, उसे ध्यानपूर्वक सुना जाए, उसकी भावनाओं का सम्मान किया जाए, आलोचना न की जाए तथा सरल भाषा का प्रयोग किया जाए। इसी प्रकार यदि सूचना एकत्रित करने के लिये साक्षात्कार लिया जाना है तो साक्षात्कारी का अभिवादन कीजिये, साक्षात्कार का कारण बताइये, साक्षात्कार में लगने वाला समय बताइए। उसकी सूचनाओं को गुप्त रखने का आश्वासन दीजिये, उसे बोलने का पर्याप्त समय दें तथा अन्त में उसका धन्यवाद अवश्य करें। इस प्रकार साक्षात्कार के प्रकार के अनुसार उसका संचालन किया जाना चाहिये।

Business Communication Interviewing Skills

साक्षात्कार की सीमाएँ

(Limitations of Interview)

साक्षात्कार की पद्धति समस्त क्रियाओं जैसे चयन, प्रशिक्षण, समंक संकलन आदि के लिये अत्यन्त उपयोगी है किन्तु इसमें कुछ दोष उत्पन्न होने की भी सम्भावना बनी रहती है, जिसे उसकी निम्नलिखित सीमाओं के रूप में स्पष्ट किया जा सकता है

1 व्यक्तिगत पक्षपात की सम्भावना (Possibility of Personal bias) साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता यदि चाहे तो व्यक्तिगत पक्षपात कर सकता है अर्थात् किसी को भी नौकरी के लिये चयनित कर सकता है तथा आँकड़ों में मनमाना परिवर्तन कर सकता है। उसी प्रकार उत्तर देने वाला व्यक्ति भी अपनी सूचनाओं को छिपा सकता है या गलत जानकारी दे सकता है।

2. मॅहगी पद्धति (Costly method) साक्षात्कार के द्वारा सूचनाओं को एकत्र करना काफी श्रमसाध्य तथा खचीला होता है, इसलिये सभी संस्थाओं के लिये यह व्यवस्था उपयोगी नहीं होती है।

3. गलत जानकारी (Wrong information)-यदि कोई व्यक्ति अपने बारे में सही जानकारी देने से डरता है तो वह गलत जानकारी देगा तथा इस पर आधारित कोई भी शोध एवं विश्लेषण भी गलत हो जाएगा।

4. बड़े अध्ययन के लिये अनुपयुक्त (Useless for large study)-अध्ययन का क्षेत्र यदि काफी बड़ा होता है तो वहाँ साक्षात्कार के माध्यम से सूचनाओंको एकत्र करना काफी मश्किल रहता है। ऐसे अध्ययनों के लिये साक्षात्कार माध्यम को न अपनाकर किसी अन्य माध्यम को न अपनाकर किसी अन्य साधन से सचना एकत्र कर लना अधिक प्रभावी होगा।

साक्षात्कार के लिये प्रस्तुति

(Appearing for interview)

साक्षात्कार के लिये प्रस्तुति से आशय है कि एक साक्षात्कार देने वाले व्याव

किस प्रकार प्रस्तुत करना चाहिये अर्थात् उसके लिये कौन-कौन सी तैयारी करनी चाहिये जिससे कि उसे साक्षात्कार में सफलता प्राप्त हो सके।

साक्षात्कारी को इस सम्बन्ध में निम्नलिखित कार्य करने चाहिये

(1) पूर्व नियाजन (Pre-Planning)-साक्षात्कार से पहले आवेदक को अपने व्यक्तित्व को सुधारन एव स्वय को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने के लिये पर्वाभ्यास कर लेना चाहिए। आवेदक का साक्षात्कार के लिये योजना बनाकर तैयारी करनी चाहिए। नौकरी और अन्य विषयों पर पूछे जाने वाले प्रश्नों का पूर्वानुमान करके उन्हें पूरी तरह से तैयार कर लेना चाहिए। इस बात पर चिन्तन कर लेना। चाहिये कि साक्षात्कार लेने वालों के समक्ष कैसे अपने भाव व्यक्त करने हैं।

(2) कम्पनी का अध्ययन (Study of Company) आवेदक जिस कम्पनी अथवा संस्था में साक्षात्कार के लिए जा रहा है वहाँ के बारे में उसे अच्छी तरह जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए जैसे

(i) उस कम्पनी की कार्य-प्रणाली किस प्रकार की है ?

(ii) कम्पनी कौन-सा व्यवसाय कर रही है ?

(iii) कम्पनी की आर्थिक स्थिति कैसी है?

(iv) कम्पनी की राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में स्थिति कैसी है ?

(v) कम्पनी के अन्य पदाधिकारियों की स्थिति किस प्रकार की है ?

(3) उपयुक्त वस्त्र पहनना (Dress Properly)-आवेदक जिस प्रकार की नौकरी के लिये साक्षात्कार देने जा रहा है, उसे उसके अनुरूप ही वस्त्र पहनने चाहिये। इस समय के लिये वस्त्रों का चुनाव रूढ़िवादी होना चाहिये। साक्षात्कार के लिये जाते समये महिलाओं को कम से कम मेकअप करना चाहिए।

(4) सभी प्रमाणपत्र लेना (Take All Certificates)-आवेदक को अपनी योग्यता तथा अनुभव से सम्बन्धित सभी. मूल प्रमाण-पत्र तथा अपने शैक्षिक प्रमाण-पत्र एवं उनकी फोटोस्टेट प्रति अवश्य ही अपने साथ ले जानी चाहिए। आवेदक को अपना आत्म-सार (Bio-Data) भी अवश्य साथ ले जाना चाहिए।

(5) समय का ध्यान रखना (Be on Time) आवेदक को साक्षात्कार का समय तथा दिनांक अच्छा तरह याद रखना चाहिए। आवेदक को साक्षात्कार के समय से थोड़ा पहले साक्षात्कार के स्थान पर पहँच जाना चाहिए। साक्षात्कार से एक दिन पहले ही टेलीफोन द्वारा अपने साक्षात्कार के दिन तथा समय की पुन: पुष्टि कर लेनी चाहिये।

(6) साक्षात्कार देना (Being Interviewed) साक्षात्कार के लिये कमरे में जाने से पहले अपना आत्मविश्वास सकारात्मक विचारों से पुन: प्राप्त करना चाहिये। साक्षात्कार के समय नौकरी और संस्था के प्रति अपना जोश प्रकट करना चाहिये तथा यदि किसी प्रश्न का उत्तर न आता हो तो नम्रता से इस बात को स्वीकार करना चाहिये। अपनी घबराहट, व्याकुलता और नकारात्मक भावनओं पर नियन्त्रण रखना चाहिये। अन्त में, साक्षात्कार समिति का धन्यवाद करके पूर्ण आत्मविश्वास के साथ कमरे से बाहर आना चाहिये।

रोजगार साक्षात्कार में अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

(Questions Frequently Asked During Employment Interviews)

रोजगार साक्षात्कार में पूछे जाने वाले प्रश्नों को निम्नांकित बिन्दुओं के आधार पर विभाजित कर सकते हैं

(1) परिचयात्मक प्रश्न (Introductory Questions)

(2) योग्यता सम्बन्धी प्रश्न (Questions regarding Qualifications)

(3) संस्थान सम्बन्धी प्रश्न (Questions related to organisation)

(4) व्यक्तिगत रुचि से सम्बन्धित प्रश्न (Questions related to personal interests)

(5) भविष्य नियोजन सम्बन्धी प्रश्न (Questions related to future plans)

(1) परिचयात्मक प्रश्न (Introductory Questions)

(i) आपका क्या नाम है? What is your name?

(ii) आपके पिताजी क्या काम करते हैं ? What is your father?

(iii) आप कितने भाई-बहिन हैं ? How many brothers and sisters you have ?

(iv) क्या आप शादी-शुदा हैं ? Are you married ?

(2) योग्यता सम्बन्धी प्रश्न (Questions Regarding Qualification)

(i) आपकी शैक्षणिक योग्यता क्या है ?  What is your educational qualification?

(ii) आपकी विशेष योग्यताएँ क्या है ? What are your own special abilities?

(iii) आपने इन्हें कब पूरा किया ? When did you complete them?

(iv) आपने कितने प्रतिशत अंक प्राप्त किये ? How much percentage of marks you obtain?

(v) आपने अपनी शैक्षणिक योग्यताएँ किस विश्वविद्यालय से पूर्ण की हैं ? From which university you have completed your educational qualifications?

(vi) आपकी व्यावसायिक योग्यता क्या है ? What is your professional qualification ?

(vii) आपकी रुचि किन-किन पाठ्यक्रमों में अधिक रही?

In which subjects were you most interested?

(3) संस्थान सम्बन्धी प्रश्न (Questions related to Organisation)

(i) आप हमारी कम्पनी के बारे में क्या जानते हैं ? What do you know about our company ?

(ii) आप हमारी कम्पनी में काम करने के लिये क्यों सोचते हो? Why do you think to work in our company ?

(iii) आप हमारी कम्पनी में किस पद पर नियुक्ति की आशा रखते हो? At which post do you hope to be appointed in our company ?

(iv) आप कितना वेतन प्राप्त करने की आशा करते हो? How much salary do you expect?

(v) आपने पहले कौन से पदों पर कार्य किया है ? Which posts have you held earlier ?

(vi) आपने अपनी पुरानी नौकरी को क्यों छोड़ दिया ? Why did you leave your last job?

(vii) आपने अब तक जो नौकरियाँ की है उनसे क्या सीखा है ? What have you learned from some of the jobs you have held ?

(viii) अपनी किन योग्यताओं के कारण आप यह सोचते हो कि आप अपने कार्यक्षेत्र में सफल होंगे?

Which of your qualifications make you feel that you will be successful in your field?

(ix) आपके विचार में एक अच्छी कम्पनी में एक व्यक्ति की प्रगति कैसे निर्धारित होती है ?

What do you think about the determination of an individual’s progress in a good company?

(x) आपके चुने हुए क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए कौन सी व्यक्तिगत विशेषताएँ हैं ?

What personal characteristics are necessary for success in your chosen field?

(4) व्यक्तिगत रुचि से सम्बन्धित प्रश्न (Ouestions related to personal Interests)

(i) क्या आप खेलों में भाग लेना पसन्द करते हैं या देखना पसन्द करते हैं ?

Do you enjoy sports as a participant or as an observer?

(ii) आप दूसरों के साथ काम करना पसन्द करते हैं या अकेले ?

Do you like working with others or by yourself?

(iii) आप जो कार्य करते हैं, उसका महत्त्वपूर्ण पहलू क्या होता है ?

What remains the most important aspect of the work you do?

(iv) आपने किस प्रकार की नौकरियों को सबसे अधिक या सबसे कम पसन्द किया है ? और क्यों?

What jobs have you enjoyed the most or the least? Why?

(v) किस क्षेत्र में आप प्रशिक्षित हैं, उनमें आपको क्या अवसर नजर आते हैं?

What scope can you think by the field in which you are educated?

(vi) क्या आप काम करने के नियमित घन्टे पसन्द करते हैं ?

Do you prefer regular hours for work?

(vii) क्या आप अनुसन्धान में रुचि रखते हैं?

Are you interested in research?

(viii) अतिरिक्त समय में काम करने के सम्बन्ध में आपकी क्या राय है ?

What is your opinion about overtime?

(ix) आपने अभी हाल में कौन सी पुस्तकों का अध्ययन किया है ?

What books have you read recently?

(x) किस प्रकार के कार्य में आपकी सबसे अधिक रुचि है ?

What kind of work interests you ?

(xi) क्या आप यात्रा करना पसन्द करते हैं ?

Do you like to travel?

(xii) आपकी सबसे बड़ी कमजोरी क्या है ?

What is your major weakness?

(xiii) आपकी सबसे अधिक रुचि किस पद में है ?

In what type of position are you most interested?

(xiv) क्या आप वहाँ जाने के लिये तैयार हैं जहाँ कम्पनी आपको भेजेगी ?

Are you ready to go where the company wants to send you?

(xv) आपने कौन सा ऐसा कार्य किया है जो आपके काम करने की इच्छा एवं पहल को प्रकट करता है?

What have you done that shows your initiative and willingness to work?

(5) भविष्य नियोजन सम्बन्धी प्रश्न (Questions related to the Future Plans)

(i) आपकी भविष्य में व्यावसायिक योजनाएँ क्या हैं ?

What are your future vocational plans?

(ii) क्या आप अपने व्यावसायिक क्षेत्र से सम्बन्धित योग्यता को और बढ़ाना चाहते हो?

Do you think to improve your vocational education related to the business?

(iii) कार्य पर नियुक्ति के पश्चात् क्या आप अपने अनुभव अपने साथियों के साथ बाँटना चाहेंगे?

Would you like to share your experiences with your colleagues after the appointment?

जीवनवृत्त/आत्मसार/रिज्यूम (Resume)

किसी व्यक्ति की योग्यताओं एवं स्व निर्मित जीवन पथ की उपलब्धियों के संक्षिप्त विवरण को आत्मसार के नाम से जाना जाता है। आधुनिक व्यावसायिक व्यस्त वातावरण में ऐसे प्रस्तुतीकरण की आवश्यकता होती है जो कम समय में प्रभावी तरीके से नियोक्ता को आवश्यक सूचनाएँ उपलब्ध करा सके। इसी कारण रोजगार की तलाश में लगे व्यक्तियों के लिये आत्मसार का महत्त्व बढ़ता जा रहा है। इसके द्वारा वे अपनी जीवन उपलब्धियों, शैक्षणिक योग्यता तथा व्यक्तिगत विवरण को प्रत्याशित नियोक्ता तक पहुंचाते हैं तथा नियोक्ता आत्मसार के विश्लेषण के द्वारा योग्य व अनुभवी अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिये बुलाते हैं।

अत: स्पष्ट है कि आवेदन पत्र के साथ आवेदक द्वारा जो सम्पूर्ण व्यक्तिगत जानकारी संलग्न की जाती है उसे ही जीवनवृत्त कहा जाता है। एक जीवनवृत्त अत्यन्त ही आकर्षक, सुबोध एवं संक्षिप्त होना चाहिए। जीवनवृत्त इस प्रकार से बनाया जाना चाहिए जिससे आपको नौकरी की तलाश के अभियान में सहायता मिले। दूसरे शब्दों में, जीवनवृत्त सारांश ऐसा होना चाहिए कि किसी पद के लिये आवेदन करने वालों की भीड़ में आप अलग से दिखाई दें। जीवनवृत में आप अपनी कमजोरियों को थोड़ा कम करके एवं खूबियों पर जोर देते हुए अपने आपको प्रस्तुत कर सकते हैं।

आत्मसार की विषय सामग्री

(Contents Of A Resume)

मर्फी, हिल्डर ब्राण्ड तथा थॉमस ने आत्मसार की विषय सामग्री को निम्नलिखित प्रकार विभाजित किया है

(1) प्रारम्भिक भाग-इस भाग में अभ्यर्थी का नाम व पता, कार्य लक्ष्य तथा आधारभूत योग्यता जो उस पद के लिये आवश्यक है, का उल्लेख होता है।

(2) शैक्षणिक योग्यताइस भाग में अभ्यर्थी अपनी शैक्षणिक योग्यता का विवरण देता है। इसमें स्कूल, कालेज, विश्वविद्यालय का नाम, परीक्षा का नाम, उत्तीर्ण करने का वर्ष, श्रेणी, शैक्षणिक सम्मान तथा छात्रवृत्तियों आदि का उल्लेख होता है।

(3) कार्य अनुभवइस भाग में कार्य अनुभव से सम्बन्धित सूचनाएँ दी जाती हैं। यह भाग नियोक्ता को सबसे अधिक आकर्षित करता है क्योंकि इसके अध्ययन से वह यह निश्चित करता है कि अभ्यर्थी उसके कार्य के अनुकूल है या नहीं। इस भाग में अभी तक अन्य संस्थानों में किये गये कार्यों का विवरण जैसे नियोक्ता का नाम, स्थान, पद का नाम, किये गये विशेष कार्यों का विवरण तथा अपनी स्थिति के बारे में लिखा जाता है। इसमें यह ध्यान रखना चाहिए कि वर्तमान कार्य अनुभव के विवरण को सबसे पहले देना चाहिए, उससे ठीक पूर्व वाला अनुभव उसके बाद एवं इसी प्रकार अवरोही क्रम में अनुभव का विवरण देते हुए सबसे पहले वाला अनुभव सबसे अन्त में देना चाहिए।

(4) उपलब्धियाँ, सम्मान एवं सेवा सम्बन्धी क्रियाएँ-इसमें स्कूल, कालेज व विश्वविद्यालय स्तर पर प्राप्त विभिन्न सम्मान, विभिन्न प्रकाशन, भ्रमण यात्राएँ, भाषा ज्ञान, सामाजिक सेवाएँ तथा अन्य उपलब्धियों का विवरण दिया जाता है।

(5) व्यक्तिगत विवरणइस भाग में व्यक्तिगत जीवन से सम्बन्धित विवरण दिया जाता है। भारत में अभी आत्म सार में व्यक्तिगत विवरण देना आवश्यक माना जाता है।

(6) सन्दर्भप्रायः साक्षात्कार से पूर्व या तुरन्त पश्चात् नियोक्ता प्रार्थी से सन्दर्भो की सूची अवश्य माँगता है। ये सन्दर्भ इसलिए माँगे जाते हैं ताकि आत्मसार में दी गई सचना का सत्यापन किया जा सके। सन्दर्भ में प्राय: कुछ प्रतिष्ठित व्यक्तियों के नाम व पते माँगे जाते हैं जो प्रार्थी को जानते हों। अभ्यर्थी को सन्दर्भ में ऐसे नामों को देना चाहिए जिन्हें वह अच्छी तरीके से जानता हो और वह भी अभ्यर्थी को भली भाँति जानते हों।

आत्मसार का प्रारूप

Name                                                                Rajeev Goel

Address:                                                            Sr. Engineer

Sri Mohan Chemicals Ltd.

Delhi Road, Meerut

E-mail rajeevgoel @gmail.Com

आत्म-सार लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें आत्म-सार एक प्रकार का विज्ञापन होता है जो एक व्यक्ति को रोजगार दिलाने में सहायक होता है। इससे प्रभावित होकर ही नियोक्ता उसे साक्षात्कार के लिये आमन्त्रित करते हैं। आत्म-सार तैयार करते समय निम्नलिखित बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए

(1) आत्म-सार में तथ्य वास्तविक होने चाहिये।

(2) आत्म-सार में दिये गए समस्त आवश्यक सूचनाएँ उपलब्ध होनी चाहिये।

(3) अनावश्यक सूचनाओं का कभी उल्लेख नहीं करना चाहिए।

(4) आत्म-सार संक्षिप्त विवरण के रूप में होना चाहिए।

(5) अपनी विशेषताओं को आकर्षक ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए।

(6) आत्म-सार में जहाँ तक सम्भव हो रोजगार के अनुरूप ही समस्त योग्यताओं एवं अनुभवों का वर्णन होना चाहिए।

(7) आत्म-सार में दी गई सूचनाएँ बड़ी ईमानदारी से देनी चाहिये।

(8) आत्म-सार में वाक्य छोटे-छोटे होने चाहिये जिससे पढ़ने वाला व्यक्ति प्रभावित हो जाए।

chetansati

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