BCom 1st year Business Communications Persuasive Letters Study Material Notes in Hindi

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BCom 1st Year Business Communications Persuasive Letters Study Material Notes in Hindi

BCom 1st Year Business Communications Persuasive Letters Study Material Notes in Hindi: Purpose of Persuasive Letter How to Persuade Others Main Elements  of Persuasive Letters Kinds of Persuasive Letters Sales Letter Objectives of Sales Letters Elements of an Effective Sales Letters Types of Sales Letters Plannings of Sales  Letters Examinations Long Answer Questions Short  Answer Questions :

Business Communications Persuasive Letters
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प्रेरक पत्र

(Persuasive Letters)

प्रेरक अथवा प्रवर्तन (Promotion) का आशय है कि किसी व्यक्ति की मनोवृत्ति को परिवर्तित करना एवं अपनी इच्छा के अनुसार उनसे कार्य करवाना। वर्तमान प्रतिस्पर्धा के युग में व्यवसाय में प्रवर्तन कला अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। प्रत्येक विक्रेता को अपनी वस्तु बेचने के लिये क्रेताओं को उत्पाद को कय करने हेतु प्रेरित करना पड़ता है।

अतः जब पत्रों का लेखन इस प्रकार से किया जाता है कि श्रोता या पाठक पत्र में प्रस्तत सृजनात्मक सन्देश को सुनकर/पढ़कर प्रेरित होता है तो इस प्रकार के पत्रों को प्रेरक पत्र कहते हैं। इन पत्रों के माध्यम से सम्बन्धित श्रोता या पाठक के व्यवहार में परिवर्तन लाने का प्रयास किया जाता है। प्रेरक पत्र में लेखक का अनरोध प्रभावशाली होना चाहिए ताकि उसके प्रभाव से निश्चित रूप से प्राप्तकर्ता या पाठक के हृदय पर इतना गहरा प्रभाव पड़े कि वह पत्र के उद्देश्यानुरूप परिवर्तित हो जाये। इसलिए इन पत्रों में प्रस्तुत सन्देश तर्कपूर्ण तथा विश्वास जीतने वाला होता है। इन पत्रों में प्रस्तुत सन्देश का उद्देश्य, आवश्यकताएँ एवं प्रेरणाएँ प्रत्यक्ष तथा स्पष्ट होती हैं। प्रेरक सन्देश अत्यन्त प्रभावशाली तब होता है जब भावनात्मक तथ्यों की प्रस्तुति तर्क पूर्ण रूप से की गई हो। साथ ही साथ प्रस्तुत सन्देश जितना अधिक विश्वसनीय होगा पत्र का प्रेरणीय पक्ष उतना ही अधिक प्रबल होगा। इन पत्रों को लिखते समय व्यक्ति को चाहिए कि पत्र में रोचक शब्द का प्रयोग किया जाये अर्थात् उचित तथा अनुकूल शब्दों का चयन एक अच्छे प्रेरक पत्र का आधार होता है।

ऐसे पत्रों के द्वारा पाठक की रूचि जाग्रत करने का प्रयास किया जाता है तथा उनको अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है।

प्रेरित करने वाले पत्रों का सन्देश तर्कपूर्ण, विश्वास दिलाने वाला तथा आधिकारिक तथ्यों पर आधारित होता है। आधुनिक युग में प्रेरक संचार का प्रयोग व्यापार और विज्ञापन के क्षेत्र में उत्पादों को बेचने तथा कम्पनी की ख्याति को बढ़ाने के लिये किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत आदेश व प्रार्थना पत्र, बिक्री पत्र, वसूली पत्र, नौकरी के लिये आवेदन पत्र आदि आते हैं।

रोनाल्ड स्पार्कमैन के अनुसार, “प्रेरित करने से अभिप्राय किसी को कुछ विशेष काम करने के लिए कहने से अधिक है। औपचारिक शब्दों में, यह तुरन्त या भविष्य में लोगों के दृष्टिकोण को बदलने एवं उनके कार्यों को प्रभावित करने की प्रक्रिया है।”

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प्रेरक पत्रों के उद्देश्य

(Purpose of Persuasive Letter)

प्रेरक पत्रों के निम्नलिखित उद्देश्य होते हैं

पाठक को अपनी इच्छानुसार कार्य करने के लिये प्रेरित करना

2. पाठक के मानसिक विरोध पर नियन्त्रण स्थापित करना एवं उसे अपने पक्ष में करना।

3. पाठक को पर्याप्त सूचना उपलब्ध करवाना ताकि वह समझसके कि उसे क्या करना है।

4. संस्था तथा प्रेषक की साफ सुथरी छवि प्रस्तुत करना।

5. पत्र भेजने वाले तथा प्राप्तकर्ता के सम्बन्धों को सुदृढ़ बनाना।

दूसरों का प्रवर्तन कैसे करें?

(How to Persuade Others?)

दूसरों का प्रवर्तन कैसे किया जाय यह एक कठिन प्रश्न है। प्रवर्तन के लिये व्यक्ति के लेखन में। कला होनी चाहिये और यह कला ज्ञान, अनुभव एवं सतत् लेखन के द्वारा ही अर्जित की जा सकती है। यहाँ दसरों को प्रेरित करने के लिये निम्नलिखित सुझाव दिये जा सकते हैं

सम्बन्धित व्यक्ति की आवश्यकताओं की पहचान की जाए।

2. उनके अनुरूप पत्र का लेखन किया जाए।

3.किसी भी तथ्य को प्रमाण के साथ प्रस्तुत किया जाए।

4. पत्र के पाठक को होने वाले निजी लाभ से उनको अवगत कराया जाए।

5. स्वयं द्वारा आदर्श चरित्र प्रस्तुत किया जाय।

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प्रेरक पत्रों के मख्य तत्त्व / आधार

(Main Elements of Persuasive Letters)

किसी भी अन्य व्यक्ति अथवा संस्था को वही कार्य करने के लिये प्रेरित करना जो हम चाहते हैं, वास्तव में अत्यन्त ही कठिन कार्य होता है। प्रेरित करने वाले पत्रों के ‘आधार से अभिप्राय उन तत्वों (Factors) से है जो ये निर्धारित करते हैं कि किसी सन्देश के प्रति लोगों के विरोध को कैसे समाप्त किया जा सकता है तथा उन्हें अपने कार्यों एवं विश्वासों में परिवर्तन करने के लिए कैसे प्रेरित किया जा सकता है।

थिले और बोवी के अनुसार, निम्नलिखित तत्व प्रेरित करने वाले पत्रों (Persuasive letters) के आधार को निर्धारित करते हैं

(1) आवश्यकतायें एवं प्रार्थनायें (Needs and Appeals)-आवश्यकतायें तथा प्रार्थनायें प्रेरित करने वाले पत्रों के आधार का एक महत्त्वपूर्ण तत्व है। आवश्यकतायें आधारभूत जैसे सुरक्षा (Safety) अथवा उच्चस्तरीय जैसे, सम्मान या आदर प्राप्त करने की हो सकती हैं। लोगों की आवश्यकतों को ध्यान में रखते हुये यदि उनसे प्रार्थना या अपील की जाये जो उन्हें अपने दृष्टिकोण को परिवर्तित करने या किसी विशष कार्य को करने के लिये प्रेरित किया जा सकता है। लोगों की आवश्यकताएँ अलग-अलग होती हैं जिसके कारण सभी व्यक्ति दिए गए सन्देश के प्रति भिन्न-भिन्न प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। आवश्यकताओं के व्यक्तिगत अन्तरों के कारण संस्था को अपने पाठकों अथवा श्रोताओं का विश्लेषण करना चाहिये तथा फिर एक सन्देश का निर्माण करना चाहिये जो उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप हो।

(2) भावना तथा तर्क (Emotion and Logic)-प्रत्येक व्यक्ति/संस्था का किसी दृष्टिकोण को अपनाने के पीछे कोई न कोई भावना तथा तर्क होता है। उनके दृष्टिकोण में परिवर्तन के लिये भावनात्मक आकर्षण एवं तर्क संगत प्रभाव प्रस्तुत करना आवश्यक है।

(3) विश्वसनीयता (Reliability) विश्वसनीयता, प्रेरक सन्देशों का एक प्रमुख आधार तत्व है। सन्देश की तथ्यों द्वारा पुष्टि करके उसे विश्वसनीय बनाया जा सकता है।

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प्रमाण-पत्र, दस्तावेज, आँकड़े, शोध परिणाम तथा तथ्य, ये सभी निष्पक्ष प्रमाण हैं जो सन्देश को विश्वसनीय बनाते हैं। इन सभी के स्रोत के सम्बन्ध में सूचना देना भी अच्छा रहता है। __कई प्रकार के निजी गुण जेसे उत्साह, निष्पक्षता, निष्कपटता, विशेष ज्ञान, अच्छे इरादे, समानता आदि भी विश्वसनीयता को बढ़ाते हैं।

(4) उचित शब्दों का चुनाव (Selection of Proper Words)—प्रेरित करने वाले संचार के लिए आवश्यक है कि उचित शब्दों का चुनाव किया जाए। शब्द रोचक होने चाहिये। यदि संचार की सामग्री श्रोताओं की रुचि के अनुसार है तो वह श्रोताओं को अन्य प्रकार की सामग्री की अपेक्षा अधिक प्रभावित करती है। इस प्रकार की सामग्री श्रोताओं का ध्यान आकर्षित करने में अधिक सफल होती है। इस प्रकार पत्र में उचित शब्दों का चुनाव अच्छे पत्र का आधार होता है।

पेरणात्मक पत्रों का नियोजन (Planning for the Persuasive Letters)-प्रेरणात्मक पत्रों का नियोजन दो प्रकार से किया जा सकता है

1.प्रत्यक्ष विधि (Direct Approach)

2. अप्रत्यक्ष विधि (Indirect Approach)

1 प्रत्यक्ष विधि (Direct Approach)-इसमें पत्र लेखक प्रत्यक्ष ढंग में अपने निवेदन की व्याख्या करता है

जब पाठक/श्रोता को बहुत अधिक प्रेरित करने की आवश्यकता नहीं होती अथवा पाठक/श्रोता की ओर से अधिक प्रतिरोध की आशंका नहीं होती तो प्रेरक पत्रों के नियोजन में प्रत्यक्ष विधि का प्रयोग किया जाता है। प्रत्यक्ष विधि में प्रेरणात्मक पत्रों के नियोजन को तीन भागों में बाँटा जा सकता है

 (i) मुख्य विचार-प्रथम भाग में मुख्य विचार को सीधे ही प्रश्न, कथन अथवा कारण के रूप प्रस्तुत किया जाता है। उदाहरण

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 “500/-₹ आपके ! संलग्न प्रश्नावली को भरकर अपना दृष्टिकोण हमें बताएँ और ₹ 500 नकल पाएँ।”

(ii) व्याख्या-इस भाग में मुख्य विचार के समर्थन में आँकड़ों सहित विवरण या व्याख्या प्रर की जाती है जिससे प्राप्तकर्ता सूचना देने वाले की बात से भली-भाँति सहमत हो सके।

(iii) समापन-इस भाग में इच्छित कार्यवाही के लिये शिष्टतापूर्वक, विनम्र भाव से अनुरोध किया जाता है तथा भविष्य में सहयोग का आश्वासन भी दिया जाता है।

2. अप्रत्यक्ष विधि (Indirect Approach)-इस विधि का प्रयोग जटिल एवं कठिन परिस्थितियों में ही किया जाता है। जब पत्र लेखक को इस बात की आशंका होती है कि पत्र प्राप्तकर्ता आपत्ति या विरोध प्रकट करेंगे तो उसे अपनी बात पर बल देने के लिये प्रमाणों तथा आँकड़ों की आवश्यकता पड़ती है। इस विधि के अन्तर्गत प्रेरक पत्रों का नियोजन प्रसिद्ध सूत्र AIDA के आधार पर किया जाता है

प्रथम भाग →Attention →ध्यान

द्वितीय भाग → I→ Interest → रुचि

तृतीय भाग → D→ Desire → इच्छा

चतुर्थ भाग →A→Action -→ कार्यवाही

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इस प्रकार एक प्रेरित करने वाले पत्र के चार भाग हो सकते हैं

1 A. ध्यान : प्रथम वाक्य खण्ड (A : Attention : First Paragraph)-प्रेरक पत्रों का प्रथम भाग श्रोता का ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से लिखा जाता है। इसमें पाठक के हित व लाभ की बात को स्पष्ट करना चाहिए जिससे वह पत्र पढ़ने के लिये प्रेरित हो जाए।

पाठकों को प्रारम्भ में ही भरोसा दिलाना होता है कि आप कछ लाभदायक कहने जा रहे हैं। पाठक जानना चाहता हैं कि ‘मेरे लिये क्या सन्देशका ना चाहता हैं कि ‘मेरे लिये क्या सन्देश है?’ प्रत्येक प्रेरित करने वाले पत्र 191 को ऐसे आरम्भ करना चाहिये ताकि पाठकों का ध्यान आकर्षित हो। प्रेरक पत्र

(अ) व्यक्तिगत (ब) “आप” दृष्टिकोण (You Attitude) प्रयोग से भरपूर (स) फिजूल बातों रहित तथा (द) प्रासंगिक (Relevant) होना चाहिये। एक प्रेरित करने वाले पत्र का आरम्भ निम्नलिखित ढंग से किया जा सकता है

(2) रुचिकर टिप्पणी से आरम्भ करें (Open with Agreeable Comment), (2) सच्ची प्रशंसा से आरम्भ करें (Open with Sincere compliment, (3) पाठक/श्रोताओं के अनुकूल कथन से आरम्भ करें (Open with Audience Friendly Statement).

(2)  रुचि : दूसरा वाक्य खण्ड (I. Interest : Second Paragraph)-पत्र के द्वितीय भाग का उद्देश्य पाठक में रूचि जाग्रत करना होता है अर्थात् पत्र के इस हिस्से में ऐसे तथ्यों व संवादों का प्रयोग किया जाता है जिससे उस पत्र के प्रस्ताव के प्रति रुचि जाग्रत हो जाये। इसलिए आवश्यक है कि इस हिस्से में पाठक के विचारों की अभिव्यक्ति की जाये। अपनी बात पर बल देने के लिये तथ्य व ऑकड़े दिये जाने चाहियें तथा भावनात्मक व मनोवैज्ञानिक अपील की जानी चाहिए। – इस खण्ड में अपनी योजना, उत्पाद अथवा सेवा के विषय में बताने के पश्चात् यह बताना चाहिये कि पाठकों के लिये यह किस प्रकार लाभदायक है। अपने उत्पाद, योजना तथा सेवा की मुख्य विशेषतायें, निर्माण, आकार, कार्यक्षमता, सुन्दरता, कार्य आदि को स्पष्ट करना चाहिए। इससे पाठकों को होने वाले प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लाभों को स्पष्ट रूप से वर्णित करना चाहिए।

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(3) D : इच्छा तीसरा वाक्य खण्ड (D : Desire Third Paragraph)-पत्र के तृतीय भाग में मुख्य विषय वस्तु की प्रस्तुति तार्किक व प्रमाणिक आधार पर की जाती है जिससे पाठक पत्र के प्रस्ताव के प्रति अपनी इच्छा प्रकट करने लगे।

(4) A : कार्य : अन्तिम वाक्य खण्ड (A : Action : The Last Paragraph)-पत्र के चतुर्थ अर्थात् समापन भाग में पाठक के हित को स्पष्ट करते हुए अनुरोध किया जाता है, जो कार्यवाही की ओर पाठक को अभिमुख करता है ताकि पाठक तथ्यों से प्रेरित होकर अपनी सहमति दे दें।

प्रेरित पत्रों में भाषा शैली स्पष्ट, शुद्ध, सुगठित एवं परिमार्जित होती है जो पाठक/श्रोता में रुचि उत्पन्न करने का कार्य करती है। इसमें संवादों की प्रस्तुति तर्कपूर्ण व तथ्यात्मक होती है जो पाठक/श्रोता को प्रसन्न व सन्तुष्ट करती है। इन पत्रो का समापन भी इतना आकर्षक व हृदयस्पर्शी होता है कि पाठक इससे सम्मोहित होकर अन्त में पत्र के प्रस्ताव के प्रति अपनी स्वीकृति प्रदान कर देता है।

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प्रेरक/प्रेरणात्मक पत्रों के प्रकार

(Kinds of Persuasive Letters)

व्यवसाय के दैनिक संचालन में प्राय: निम्नलिखित अवसरों पर प्रेरक पत्रों की आवश्यकता होती

(i) उत्पाद अथवा सेवा के विषय में अनुरोध करना।

(ii) किसी सन्दर्भ में कर्मचारी द्वारा प्रार्थना।

(iii) नियोक्ता द्वारा कर्मचारियों से अनुरोध।

(iv) किसी पक्ष से ऐसा अनुरोध जिसमें अधिक समय तथा व्यक्तिगत प्रयास की आवश्यकता हो।

(v) नीतियों में परिवर्तन के लिए अनुरोध।

(vi) शिकायत एवं समायोजनों से सम्बन्धित अनुरोध।

(vii) निष्पादन में सुधार के लिए अनुरोध।

(viii) विक्रय संवर्द्धन के लिए बिक्री-पत्र।

(ix) बकाया वसूली के लिए पत्र।

यद्यपि इन पत्रों का क्षेत्र अत्यन्त ही विस्तृत है, परन्तु कुछ पत्र जैसे-विक्रय पत्र व वसली पत्र इसके अत्याधिक प्रचलित प्रारूप हैं। बिक्री पत्रों के नियोजन की यहाँ विवेचना की जा रही है जबकि वसूली पत्र को समझने हेतु तकादे के पत्र का अध्ययन कीजिए।

बिक्री पत्र

(Sales Letter)

वर्तमान वैश्वीकरण के युग में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण व्यवसाय की प्रमुख समस्या विपणन की है। बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने उपभोक्ता को सम्राट का स्वरूप प्रदान कर दिया है। इस स्थिति में किसी वस्तु या सेवा को बेचना सरल कार्य नहीं है, अत: विक्रेता उपभोक्ता को प्रभावित करने के लिए विक्रय सम्बन्धी तरह-तरह की तकनीकों का प्रयोग करता है। सूचना क्रांति के युग में उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिये विज्ञापनों पर अत्याधिक व्यय किया जा रहा है ताकि वस्तुओं की बिक्री को बढाया जा सके। ऐसी स्थिति में विक्रय पत्र वस्त के विक्रय संवर्धन में एक उत्प्रेरक का कार्य करते हैं।

बिक्री पत्र या विक्रय पत्र वे पत्र हैं जो माल तथा सेवायें बेचने के लिये लिखे जाते हैं। बिक्री लिखने के लिए विशेष योग्यता की आवश्यकता होती है। एक अच्छा बिक्री पत्र सफल विज्ञापन की भाँति पढ़ने वाले का ध्यान आकर्षित करता है, उसमें हित एवं जानकारी प्राप्त करने की इच्छा को प्रोत्साहित । करता है और उसे प्रस्तावित माल एवं सेवाओं को खरीदने के लिये प्रेरित करता है।

केवल छोटे-मोटे अपवादों के अतिरिक्त विक्रय पत्र पेशेवर लेखकों द्वारा लिखे जाते हैं जो शब्दों द्वारा माल बेचने में निपुण होते हैं।”

विक्रय पत्र लिखते समय अपना ध्यान उत्पाद एवं पाठक पर रखें। उत्पाद तथा सेवा की अपील को तथा भावी ग्राहकों के लाभों को ध्यानपूर्वक देखें।”2

-बागय फराइर एवं थामस

बिक्री पत्रों के उद्देश्य

(Objects of Sales Letters)

बिक्री पत्रों के निम्नलिखित उद्देश्य होते हैं

1 विक्रय में वृद्धि (Increase in Sale)-व्यावसायिक संस्थाओं द्वारा इन पत्रों का प्रयोग विक्रय संवर्धन हेतु किया जाता है। वस्तुओं व सेवाओं के सम्बन्ध में वांछित सूचना प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्तियों को इन पत्रों के माध्यम से सूचनाओं को प्रेषित किया जाता है जिसे प्राप्त कर वे वस्तुओं व सेवाओं को क्रय करने हेतु अभिप्रेरित होते हैं।

2. सम्पर्क बढ़ाना (Widening the Contact)-आज के व्यस्त समय में सभी ग्राहकों से प्रत्यक्ष रूप से सम्पर्क करना सम्भव नहीं रह गया है, अत: बिक्री पत्रों के माध्यम से ही सम्पर्क क्षेत्र बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।

3. नये ग्राहक बनाना (Creating the New Customers) व्यावसायिक संस्थाएँ नये ग्राहकों की सम्भावनाओं का सर्वेक्षण करवाकर उन्हें बिक्री पत्र प्रेषित कर उनसे आदेश प्राप्त करने का प्रयास करती हैं।

4. पुराने ग्रहाकों को बनाये रखना (Retaining the old Customers)-पुराने ग्राहक असन्तुष्ट न हो जाएँ इसके लिए उनसे निरन्तर सम्पर्क बनाये रखा जाता है एवं बिक्री पत्र प्रेषित किये जाते रहते

5. उत्पाद एवं व्यवसाय के विषय में सूचना देना (To Provide the Information about the Product and Business)-अधिक लोगों को व्यवसाय एवं उत्पाद के विषय में सूचित करना भी बिक्री पत्रों का महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है। यदि लोगों के पास जानकारी होगी तो वें कभी भी वास्तविक ग्राहक बन सकते हैं।

6. छवि बनाना (Building the Image)-बिक्री पत्रों के द्वारा जनता को कम्पनी के उत्पाद एवं सेवाओं के सम्बन्ध में अनेक महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ मिलती रहती हैं। ठोस एवं सारगर्भित सूचनाएँ संस्था की छवि निर्माण में सहायता करती हैं।

7. प्रत्यक्ष बिक्री करना (To make a Direct Sale)-व्यवसायिक संस्थाएँ अपनी वस्तुओं/ सेवाओं की प्रत्यक्ष बिक्री हेतु भी विक्रय पत्रों का प्रयोग करती हैं।

एक प्रभावशाली बिक्री पत्र के आवश्यक तत्त्व

(Elements of An Effective Sales Letter)

एक प्रभावशाली बिक्री पत्र में अग्रलिखित बातों का होना आवश्यक है

1.उद्देश्य निर्धारण (Determination of Object) एक प्रभावशाली बिक्री पत्र लिखने के लिये उसका उद्देश्य पूर्व में ही निर्धारित कर लेना चाहिये कि किस विशिष्ट उद्देश्य के लिये बिक्री पत्र लिखा जाना है।

2. ग्राहक विश्लेषण (Customer Analysis)-बिक्री पत्र को तैयार करने से पूर्व इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि बिक्री पत्र जिन व्यक्तियों से सम्बन्धित है उनका सतर्कतापूर्वक विश्लेषण किया जाए अर्थात् उनकी शिक्षा, आयु, लिंग, आय एवं पृष्ठभूमि आदि की सघन (गहन) जानकारी प्राप्त की जाए।

3. उत्पाद या सेवा का ज्ञान (Knowledge of Product or Service)-व्यावसायिक संस्था जिस वस्तु या सेवा से सम्बन्धित बिक्री पत्र का लेखन करना चाहती है, उस उत्पाद/ सेवा के बारे में लेखक को पूर्ण ज्ञान होना आवश्यक है। यदि आप पुस्तकें विक्रय कर रहे हैं तो उन्हें पढ़िये, खाने की वस्तुओं को खाकर देखें; कपड़ों को पहने; धुलाई सेवा का प्रयोग करें। यदि कोई उत्पाद ऐसा है कि आप स्वयं उसका प्रयोग नहीं कर सकते जैसे बच्चों के जूते अथवा कुत्तों का भोजन तो भी यथासम्भव दूसरों पर उनका परीक्षण करें। जितना अधिक उत्पाद का ज्ञान आपको होगा, बिक्री पत्र में उतना ही अधिक अच्छा आप उसके बारे में लिख सकेंगे।

4. संलग्नक की जानकारी (Knowledge of Enclosures)-बिक्री-पत्र लिखने से पूर्व यह निश्चित कर लेना चाहिए कि बिक्री पत्र के साथ क्या-क्या संलग्न किया जाएगा। संलग्नक, बिक्री पत्र में लिखी हुई सूचना को प्रमाणित करने करने में सहायता करते हैं।

5. उपयुक्त समय (Time)–बिक्री-पत्र यदि उपयुक्त समय पर लिखा जाएगा, तभी उसका उद्देश्य पूर्ण होगा। अत: उपयुक्त समय का ध्यान अवश्य ही रखा जाना चाहिए।

6. विचारात्मक शैली (Thoughtful Tone) बिक्री-पत्र विचारात्मक शैली में लिखा जाना चाहिए। विचारपूर्ण बिक्री पत्र ही श्रीता पर अपना प्रभाव छोड़ने में सफल होता है। पत्र को विचारपूर्ण बनाने के लिए भाषा, आँकड़ें, प्रामाणिक कथन, श्रोता के लाभ के कथन आदि का प्रभावी ढंग से प्रयोग करना चाहिए।

बिक्री पत्रों के प्रकार

(Types of Sales Letters)

बिक्री पत्रों को निम्नलिखित दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है

(i) प्रार्थित / याचित बिक्री पत्र (Solicited Sales Letters),

(ii) अप्रार्थित / अयाचित पत्र (Unsolicited Sales Letters)|

प्रार्थित बिक्री पत्र से आशय याचित या अनुरोधित बिक्री पत्र से है जो किसी ग्राहक अथवा व्यक्ति द्वारा उत्पाद या सेवा के विषय में जानकारी माँगे जाने पर लिखे जाते हैं। इस प्रकार के पत्रों का प्रत्योत्तर उत्साहपूर्वक, तत्परता तथा यथोचित रूप में दिया जाना चाहिए।

अप्रार्थित बिक्री पत्रों से आशय उन अयाचित बिक्री पत्रों से है जो सम्भावित व पुराने ग्राहकों को संस्था द्वारा स्वयं लिखे जाते हैं। इन पत्रों को लिखना आसान नहीं होता क्योंकि ग्राहकों को आकर्षित व अभिप्रेरित करने हेतु कुशल लेखन क्षमता की आवश्यकता होती है। ऐसे पत्रों को लिखने के लिए पत्र लेखन कला के सूत्र AIDA का प्रयोग किया जाता है।

बिक्री पत्रों का नियोजन

(Planning of Sales Letters)

(1) याचित बिक्री पत्र का नियोजन (Planning of Solicited Sales Letter)–याचित बिक्री पत्र को नियोजन की दृष्टि से निम्नलिखित तीन भागों में बाँटा जा सकता है

(i) प्रथम खण्ड-‘अनुकूल सन्देश’ (First Part-‘Good News’)-याचित बिक्री पत्र का प्रारम्भ सकारात्मक कथन तथा किसी अनुकूल सन्देश से किया जाना चाहिए। इससे श्रोता की पत्र को पढ़ने में रूचि बढ़ेगी।

उदाहरण (Example)

“हमें आपका पत्र प्राप्त करके अत्यधिक प्रसन्नता हुई तथा इससे भी अधिक प्रसन्नता की बात यह है कि हम आपकी शर्तों पर माल की आपूर्ति करने का निर्णय ले चुके हैं।” |

(ii) द्वितीय खण्ड-“विषय” (Second Part- “Text”) इस भाग में माँगी गई सभी सूचनाओं का विवरण देना चाहिए। सूचनाओं को सकारात्मक से नकारात्मक के क्रम में देना चाहिए अर्थात् पहले सबसे अच्छी या सकारात्मक सूचना, फिर मध्यम रूप से अच्छी तथा फिर यदि कोई नकारात्मक सूचना देनी आवश्यक है तो उसे देना चाहिए। नकारात्मक सूचनाओं को पूर्ण सत्यता एवं ईमानदारी तथा विनम्रता । के साथ देना चाहिए।

उदाहरण (Example)-“पुन: आपने जो विक्रय-पश्चात सेवा. माल की आपूर्ति में लगने वाले समय तथा रोकड़ छूट के विषय में जानकारी मांगी है. तो हमें आपको यह सूचित करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि अब आपके शहर में ही हमारा एक सेवा केन्द्र खुल गया है। वहाँ से आपको कुशल कारीगरों द्वारा तुरन्त एवं नि:शुल्क सेवा मिलेगी। माल हमारे यहाँ से ट्रक से ही भेजा जाता है जो प्राय: 3-4 दिन में आपके पास पहुँच जाया करेगा। हमारी कम्पनी की नकद विक्रय की नीति है, इसमें भी आपको 5% छूट का लाभ मिलगा।”

(iii) तृतीय भाग-‘कार्यवाही‘ (Third Part- Action’)-बिक्री पत्र का यह समापन भाग होता है। यह भाग की गई कार्यवाही की सकारात्मक सूचना देने वाला तथा श्रोता के हित की बात सुझाने वाला होना चाहिए। भविष्य में सहयोग का आश्वासन भी दिया जाना चाहिए।

उदाहरण (Example) आपके शहर में लगभग 30 फर्म हमसे माल मँगाती हैं। यह हमारा सौभाग्य होगा कि हमें आपसे व्यापार करने का अवसर मिलेगा।”

(2) अप्रार्थित बिक्री पत्र का नियोजन (Planing a unsolicited sales letter)-चूंकि अप्रार्थित बिक्री पत्र लिखना आसान नहीं होता। अत: अप्रार्थित बिक्री पत्र के लेखन हेतु लेखक को AIDA सूत्र का प्रयोग करना अच्छा रहता है। बिक्री पत्र के सन्दर्भ में AIDA का विश्लेषण इस प्रकार

(i) A→Attention → ध्यान → प्रथम भाग

(ii) I→ Interest → रुचि → द्वितीय भाग

(iii) D→Desire → इच्छा → तृतीय भाग

(iv)A→Action → कार्यवाही → चतुर्थ एवं समापन भाग

(i) प्रथम भागध्यान (First Part-Attention)-बिक्री पत्र इस प्रकार से प्रारम्भ किये जाते हैं। जिससे पाठक का ध्यान आकर्षित हो। बिक्री पत्र के प्रथम भाग में ध्यानाकर्षण के लिए छोटा, सरल, तथा जिज्ञासा उत्पन्न करने वाले वाक्य का प्रयोग किया जाता है ताकि ग्राहक पत्र को पढ़ने हेतु प्रेरित हो सके। इस वाक्य का सम्बन्ध उस उत्पाद अथवा सेवा अथवा विचार से सम्बन्धित होना चाहिए जिसको हम बढ़ावा देना चाहते हैं। इसमें पाठकों को यह सोचने के लिए बाध्य किया जाता है कि आपका उत्पाद/सेवा उनकी वांछित आवश्यकता को पूरा कर सकता है। उदाहरण के लिये

  • “क्या आप अपनी खिड़कियों के आस-पास के छिद्रों द्वारा बर्फानी हवा के अनुभव से तंग आ चुके हैं?” स्ट्रीम सील वैदरस्ट्रीपिंग (Storm seal wheathers stripping) की सहायता से गर्म रहें तथा ऊर्जा बचायें।
  • हमारा उत्पाद आपको बुढ़ापे की चिन्ता से दूर करेगा।
  • आपकी सुन्दरता में चार चाँद लगा देने वाली क्रीम।
  • “क्या आप रात में चैन की नींद सोना चाहते हैं।”
  • “क्या आप मुद्रास्फीति को अपने कठिनाई से कमाये गए धन को नष्ट करते देख-देख कर थक गए है?”
  • “यह रहा आपका नया रोमेलाइट पैकिंग शीट का नि:शुल्क नमूना।” , “
  • क्या आप घर बैठे ही कमाई करना चाहते हैं?”

(ii) द्वितीय भागरुचि उत्पन्न करना (Second Part-Interest Build up)-अप्रार्थित बिक्री पत्र के इस भाग में वस्तु व सेवा के सकारात्मक गुणों का विवरण दिया जाता है तथा पाठक में अपने उत्पाद / सेवा के प्रति रुचि उत्पन्न करने का प्रयास किया जाता है। इस भाग में यह बताना चाहिए कि प्रस्तावित उत्पाद या सेवा नए ग्राहक के लिये किस प्रकार उपयोगी है। इससे पाठक की आगे पत्र पढ़ने तथा वस्तु या सेवा में रुचि बढ़ेगी। बिक्री पत्र को उद्देश्य के अनुरूप इस प्रकार प्रस्तुत करें कि उससे सम्बन्धित सकारात्मक पहलूओं को उपभोक्ता महसूस करे। ग्राहकों को आकर्षित करने वाली अपीलों की पहचान करके उनको अपने उत्पाद/सेवा से सम्बन्धित करने का प्रयास करना चाहिए। भावनात्मक अपील हमारी प्रेम भावना, मित्र भावना, गर्व, भय, आनन्द, सुरक्षा तथा रूप से सम्बन्धित होती हैं जबकि तर्कयक्त अपील में पैसा कमाना, खर्च किए हुए पैसे से अधिक सन्तुष्टि प्राप्त करना, परिवार तथा मित्रों में सम्मानजनक स्थान बनाये रखना, अच्छी नौकरी करना. समय तथा शक्ति की बचत करना, वातावरण की रक्षा करना एवं किसी भी उत्पाद का अधिकतम लाभ उठाना। जब उत्पाद/सेवा इस प्रकार की किसी अपील से सम्बन्धित होंगी तो निश्चय ही पाठक की उस उत्पाद/सेवा में रुचि उत्पन्न हो जाती है।

“आप दो दिन तक हर प्रकार के रास्ते पर हमारी जोखिम पर हमारी कम्पनी द्वारा निर्मित बाइक का प्रयोग करके देखें। यदि किसी भी कारण से आप सन्तुष्ट न हों तो उसे हमारे डिपो में जमा करा दें। है न कमाल का ऑफर।” “अगर आप सन्तुष्ट नहीं हैं तो 10 दिनों में पैसे वापस। ईमानदारी से कहा जाए तो अभी तक केवल 2 प्रतिशत लोगों ने ही हमारे उत्पाद को लौटाया है। इससे पता चलता है कि हम जनता की सेवा किस प्रकार कर रहे हैं।”

(iii) ततीय भाग-‘इच्छा‘ (Third Section-‘Desire’)-पाठक/श्रोता की व्यवसाय के उत्पाद या सेवा में इच्छा जगाने के लिए उसके लाभ बताने चाहिए। सन्तुष्ट ग्राहकों का कथन उद्धरित किया जा सकता है। मूल्य भुगतान की सरल एवं आसान योजना प्रस्तुत करें। मुफ्त नमूनों का वितरण करें। श्रोता को बताएँ कि वस्तु या सेवा उसके लिए कितनी उपयोगी है जैसे समय बचाने वाली, धन की बचत करने वाली, स्वास्थ्यप्रद, परिवार को प्रसन्न रखने वाली तथा प्रयोग में कितनी आसान है।

उदाहरण द्वारा बताना चाहिये कि किस प्रकार आपके उत्पाद ने दूसरे ग्राहकों को लाभ पहुँचाया है अथवा उत्पाद के लाभों को वैज्ञानिक अध्ययन द्वारा एकत्रित आंकड़ों द्वारा सिद्ध करना चाहिये। पत्र में उत्पाद वापिस लेने का विश्वास दिलाया जा सकता है अथवा कोई ऐसा ढंग अपनाया जा सकता है जिससे आप अपने उत्पाद के प्रति विश्वास दिलवा कर इसका समर्थन कर सके।

यदि आपके उत्पाद/सेवा का मूल्य तुलनात्मक दृष्टि से ऊँचा है तो आपको चाहिये कि इसके वे गुण तथा लाभ बतायें जो इसका मूल्य ऊँचा रहने का समर्थन करते हैं। यदि मूल्य कम है तो अपने उत्पाद के गुणों की प्रतियोगियों के उत्पाद से, प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से, तुलना करनी चाहिए।

(iv) चतुर्थ भाग-‘कार्यवाही‘ (Fourth Part-Action’)-इस खण्ड में इच्छित विशेष कार्यवाही का अनुरोध किया जाना चाहिए। आवश्यक हो तो कार्यवाही की विधि तथा कार्यवाही करने पर पाठक/श्रोता को होने वाले लाभ को स्पष्ट करते हुए इच्छित कार्यवाही की अपील करनी चाहिए। यह अपील सकारात्मक, सद्भावनात्मक, भविष्य में सहयोग की इच्छा लिए हुए तथा स्पष्ट एवं संक्षिप्त होनी चाहिए। एक निश्चित समय में सम्भावित ग्राहकों की प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए निम्न प्रकार की घोषणा की जा सकती है

  • निश्चित समय के लिए घटे हुए विशेष मूल्य,
  • वस्तु का मुफ्त परीक्षण,
  • आय में वृद्धि, दू
  • सरी फर्मों को वस्तु नहीं बेची जाएगी।
  • खरीदने में औपचारिकताएँ कम होना आदि।

संक्षेप में, यह कहा जा सकता है कि एक सफल एवं प्रभावी बिक्री पत्र लिखना बहुत कठिन कार्य है। अच्छे बिक्री पत्र में इस प्रकार प्रस्तुतिकरण किया जाता है कि पाठक प्रभावित हो जाता है तथा वे स्वयं वस्तु/सेवा क्रय करने के लिये तत्पर हो जाते हैं। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सम्पादन एवं पुनः लेखन एवं निरन्तर अभ्यास की आवश्यकता होती है।

Business Communications Persuasive Letters

उदाहरण (Example)-“हमारा उपहार साथ ही संलग्न है। आप हमें एक पंखा खरीदने का आदेश दें और हम आपको देंगे दूसरा पंखा-बिल्कुल मुफ्त।”

“इस समय कोई भी रकम मत भेजिए। हम जानते हैं कि आपका क्रेडिट कार्ड बन चुका है। केवल संलग्न फार्म पर हस्ताक्षर करें तथा अपने क्रेडिट कार्ड की संख्या स्पष्ट लिखें। हम बिल का समायोजन आपके क्रेडिट कार्ड में से सीधे ही कर लेंगे।” उदाहरण 1

एस.के. एण्ड कम्पनी

गंगा प्लाजा, मुरादाबाद।

दिनांक : 10 मई, 2016

प्रति,

डॉ० राकेश गुप्ता

सेक्टर III आवास विकास कॉलोनी

मुरादाबाद।

प्रिय महोदय,

क्या आप स्वच्छ एवं स्वादिष्ट पानी पीना चाहते हैं और पानी से होने वाली बीमारियों से बचना चाहते हैं? यदि हाँ तो आपके लिये ऊषा कम्पनी ने जर्मनी की ब्रीटा कम्पनी के साथ मिलकर एक वाटर फिल्टर प्रस्तुत किया है जिसे ऊषा ब्रीटा वाटर प्यरीफायर नाम से बेचा जा रहा है।

यह वाटर प्यूरीफायर विशेष रूप से भारतीय परिवेश के अनुरूप बनाया गया है जिसमें जर्मन तकनीक का प्रयोग किया गया है। इसमें पानी कई प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद बिल्कुल स्वच्छ, शन्या बैक्टीरिया एवं स्वादिष्ट हो जाता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिये लाभकारी सिद्ध होगा

मुरादाबाद में मुझे कम्पनी ने अपना अधिकृत प्रतिनिधि नियुक्त किया है। मैं चाहता हूँ कि आप अपने साथियों के साथ हमारे प्रतिष्ठान पर पधारें और इस उत्पाद की विशिष्टताओं से अवगत हों। इस समय इसकी बिक्री पर हम 20% छुट की व्यवस्था दिये हुये हैं जो जल्द ही समाप्त हो जाएगी। यदि। आप घर से सीधे ऑर्डर करना चाहते हैं तो मेरे टॉल फ्री नम्बर 3456788 पर आदेश करें और वॉटर प्यूरीफायर आपके घर एक घन्टे के अन्दर लग जायेगा जिसका कोई अतिरिक्त चार्ज भी नहीं लिया जायेगा।

भवदीय

सुरेश श्रीवास्तव

प्रोपराइटर

उदाहरण 2

अंकित इलैक्ट्रोनिक्स

52, महात्मा गांधी रोड, जयपुर

27, जनवरी, 2016

प्रिय ग्राहक,

आपके घर के लिए Year Round Climate Control अब उपलब्ध है। ताजी परिचालन हवा आपके घर को सर्दियों में गर्म तथा गर्मियों में ठण्डा रखेगी। आपके Climate Control पैकेज में गर्मी के महीनों में Air-conditioning के लिए उपभोग की जाने वाली गैस की विशेष रियायती दरें सम्मिलित होंगी। आप जानते ही हैं कि गैस वाला air-conditioning अधिक विश्वसनीय तथा टिकाऊ होता है क्योंकि इसमें घूमने वाले पार्टस कम होते हैं। इस समय हमारे यहाँ संस्थापन करने वाले कर्मचारी व्यस्त नहीं हैं; अत: हम आपको विश्वसनीय तथा तुरन्त सेवा प्रस्तुत कर सकते हैं। आप अभी से विचार करें और हमें मौका दें कि हम आपकी Year Round Climate Control सम्बन्धी योजना तैयार करने में सहायता कर सकें।

आपका हितैषी

मोहन लाल

विक्रय प्रबन्धक

उदाहरण 3-

विक्रय वृद्धि के लिए कपड़ों की बिक्री

अनुपम फेब्रिक्स

करोल बाग

नई दिल्ली।

28 अप्रैल, 2016

विभिन्न प्रकार के लुभावने रंगों के कपड़ों एवं साड़ियों की बिक्री पर भारी छूट।

हम एक ही स्थान पर अनेक प्रकार के आधुनिक वस्त्रों का संकलन करके आपकी सेवा करने के लिये तैयार हैं। बाम्बे डाइग मिल की सूती साड़ियाँ ही नहीं आप यहाँ पाएँगे बनारसी, कांजीवरम, चन्देरी. कोटा तथा बंगलौरी साड़ियों का अनुपम संग्रह। हमारे यहाँ सिले-सिलाये क्लासिक वस्त्र भी नए रंगों तथा नई वैरायटी में आपको उपलब्ध होंगे तथा इनकी कीमत इतनी कम कि एक बार तो आपको विश्वास ही नहीं होगा। इसके अतिरिक्त पाँच हजार ₹ तक की खरीददारी करने पर आपको 20% विशेष छट भी दी जागी। वैवाहिक साड़ियों का ऐसा उत्तम संग्रह शायद ही कहीं आपको मिले। कृपया जल्दी कीजिए। पहले आइए और पाइए अपनी पसन्द की सर्वोत्तम वैरायटी

Business Communications Persuasive Letters

परीक्षा हेतु सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

(Expected Important Questions for Examination)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(Long Answer Questions)

प्रेरित करने से आप क्या समझते हैं? एक प्रेरक पत्र के उद्देश्यों तथा आधार का वर्णन कीजिए।

What do you mean persuasiveness? Explain the purpose and foundation of a persuasive letter.

2. प्रेरक पत्रों का नियोजन आप कैसे करेंगे? एक प्रेरक पत्र का नमूना दीजिए।

How will you plan a persuasive letter? Give a format of persuasive letter.

3. प्रेरित करने वाला पत्र लिखने के लिए AIDA सूत्र की व्याख्या कीजिए। वाटर प्यूरीफायर (Water Purifier) को बेचने के लिए एक विक्रय पत्र लिखें।

Explain AIDA formula to write a persuasive letter. Write a sale letter to sell Water Purifier.

4. बिक्री पत्र से आप क्या समझते हैं? बिक्री पत्रों के प्रकार एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।

What do you mean by Sales Letter? Explain the types and purposes of sales letters.

5. बिक्री पत्र क्या है? एक बिक्री पत्र लिखने से पूर्व आप किन बिन्दुओं पर ध्यान देंगे?

What is Sales letter? Which points should be remembered before writing a sales letter?

6. ध्यान, रुचि, इच्छा तथा कार्यवाही का सूत्र प्रयोग करते हुए बिक्री पत्र तैयार करें।

Write a Sales Letter using the formula of attention, Interest, Desire and Action.

7. बिक्री पत्र लिखने के लिए आप प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष विधि का प्रयोग कैसे करेंगे?

How will you use a Direct and Indirect plan to write a Sales Letter?

8. वसूली पत्रों से क्या आशय है? अपने एक ग्राहक से वसूली करने के लिए लिखे गये पत्रों को एक श्रृंखला में समझाइए।

What is meant by collection letter? Explain in series the letter written for collection from a customer of your business.

Business Communications Persuasive Letters

लघु उत्तरीय प्रश्न

(Short Answer Questions)

1 प्रेरक पत्र के उद्देश्य बताइए।

Write purposes of persuasive letter.

2. AIDA सूत्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

Write a short note on AIDA.

3. एक प्रेरित करने वाले पत्र की योजना में आप कौन से कदम उठायेंगे।

What steps will you take to plan a persuasive letter?

4. एक बिक्री पत्र क्या है?

What is a sales letter?

5. एक बिक्री पत्र लिखते समय कौन-सी बातों का ध्यान रखना चाहिये?

What points should be kept in mind while drafting a sales letter?

6. वसूली पत्र लिखने का क्या उद्देश्य होता है?

What are the purpose of collection letter?

7. वसूली पत्र क्या होते हैं?

What are collection letters?

8. सन्देश को प्रभावी बनाने की क्या तकनीक है?

What technique is used to make message effective?

9. प्रेरक पत्रों के प्रमुख प्रकार बताइए।

State the main types of persuasive letters.

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chetansati

Admin

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