BCom 3rd Year Corporate Accounting Issue Debentures Study Material Notes In Hindi

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BCom 3rd Year Corporate Accounting Issue Debentures Study Material Notes In Hindi:  Meaning of Debentures  Kinds of Debentures Difference between share Issue of Debentures  Journal Entries Debentures Premium  Balance Sheet Collateral Security Issue Debentures Redeemable Premium ( Main Post of BCom Students )

 Issue Debentures Study Material
Issue Debentures Study Material

BCom 2nd Year Cost Accounting Study Material Notes in Hindi

ऋणपत्रों का निर्गमन

(Issue of Debentures)

ऋणपत्र का आशय (Meaning of Debenture)

एक कम्पनी ऋणपत्र निर्गमित करके अपने लिये कोषों की व्यवस्था कर सकती है। ऋणपत्र कम्पनी की सार्वमुद्रा के अन्तर्गत उसके द्वारा लिये गये ऋण की स्वीकृति का एक प्रलेख होता है। इसमें एक कम्पनी अपने ऋणदाताओं से ऋणपत्र की राशि व निर्धारित व्याज इसमें उल्लिखित शर्तों के अनुसार लौटाने का अनुबन्ध करती है। भारतीय कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 2 (30) के अनुसार, “ऋणपत्र में ऋणपत्र स्टॉक, बांड और कम्पनी की अन्य प्रतिभूतियाँ सम्मिलित हैं, चाहे वे कम्पनी की सम्पत्तियों, पर प्रभार उत्पन्न करते हों या न करते हों।’ ऋणपत्रों पर एक निश्चित दर से ब्याज दिया जाता है और ब्याज की दर ऋणपत्र के नाम के साथ जुड़ी होती है। उदाहरण के लिये यदि किसी ऋणपत्र पर 12% ब्याज दिया जाता है तो ऐसे ऋणपत्र को “12% ऋणपत्र” के नाम से लिखा जायेगा।

ऋणपत्रों के प्रकार (Kinds of Debentures)

ऋणपत्रों को विभिन्न दृष्टिकोण से निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है :

(1) सुरक्षा की दृष्टि से (From security point of view) : इस दृष्टि से ऋणपत्र दो प्रकार के होते हैं – खुले और बन्धक।

(अ) खुले या साधारण ऋणपत्र (Naked or Simple Debentures) : ये ऋणपत्र बिना किसी प्रतिभूति के निर्गमित किये जाते – हैं। अतः कम्पनी के समापन पर इन्हें साधारण लेनदार की भाँति ही भुगतान पाने का अधिकार होता है।

(ब) बन्धक ऋणपत्र (Mortgaged Debentures) : ये ऋणपत्र कम्पनी की किसी सम्पत्ति को बन्धक रखकर निर्गमित किये | जाते हैं और ऋणपत्रधारकों का इन सम्पत्तियों पर प्रभार रहता है। सामान्यतया ऋणपत्र इसी श्रेणी के होते हैं।

(2) स्थायित्व की दृष्टि से (From permanence point of view) : इस दृष्टि से ऋणपत्र शोध्य हो सकता है अथवा अशोध्य।

() शोध्य ऋणपत्र (Redeemable Debentures) : ये वे ऋणपत्र होते हैं जिनका शोधन कम्पनी के जीवनकाल में ही कर | दिया जाता है। ऋणपत्र अनिवार्य रूप से शोध्य ही होते हैं। (ब) अशोध्य ऋणपत्र (Irredeemable Debentures) : ये वे ऋणपत्र होते हैं जिनका भुगतान कम्पनी के समापन पर ही नी के जीवनकाल में ऋणपत्रधारकों को निर्धारित दर से केवल ब्याज पाने का ही अधिकार होता है, मूलधन की वापसी का नहीं।

(3) अभिलेख की दृष्टि से (From record point of view): इस दृष्टि से ऋणपत्रों को वाहक और रजिस्टर्ड दो वर्गों में  रखा जाता है।

(अ) वाहक ऋणपत्र (Bearer Debentures) : ये वे ऋणपत्र होते हैं जिनके धारकों का नाम कम्पनी के किसी रजिस्टर में नहीं लिखा जाता है। अतः इनके धारक ही इनके मूलधन व ब्याज लेने का अधिकार रखते हैं। ऐसे ऋणपत्रों के स्वामित्व का हस्तान्तरण केवल सुपुर्दगी द्वारा ही हो जाता है।

(ब) रजिस्टर्ड ऋणपत्र (Registered Debentures) : इनके धारकों का नाम कम्पनी के ‘ऋणपत्रधारियों के रजिस्टर’ में लिखा जाता है तथा ये ही इनके मूलधन की वापसी व ब्याज पाने का अधिकार रखते हैं। ऐसे ऋणपत्रों के स्वामित्व का हस्तान्तरण निर्धारित | विधि द्वारा ही सम्भव होता है।

(4) प्राथमिकता की दृष्टि से (From poriority point of view): इस दृष्टि से ऋणपत्र ‘प्रथम ऋणपत्र’, ‘द्वितीय ऋणपत्र’ आदि हो सकते हैं। प्रथम ऋणपत्र वे होते हैं जो कि अन्य ऋणपत्रों से पूर्व देय होते हैं जबकि द्वितीय ऋणपत्र वे होते हैं जिनका भुगतान प्रशग ऋणपत्रों के शोधन के पश्चात् ही किया जाता है।

(5) परिवर्तनशीलता की दृष्टि से (From convertibility point of view) : इस दृष्टि से ऋणपत्र दो प्रकार के होते हैं। परिवर्तनीय और अपरिवर्तनीय।

(अ) परिवर्तनीय ऋणपत्र (Convertible Debentures) : ये वे ऋणपत्र होते हैं जिनके धारकों को एक निधारित अवधि के पारित शता पर अपने ऋणपत्रों की सम्पूर्ण राशि अथवा उसके एक भाग के बदले में अंश प्राप्त करने का विकल्प होता है। इस प्रकार के ऋणपत्र पूर्णतया परिवर्तनीय (FCD) हो सकते हैं अथवा अंशतः परिवर्तनीय (PCD)। प्रथम प्रकार के ऋणपत्रों की सम्पूर्ण राशि एक निर्दिष्ट अवधि के बीत जाने पर प्रविवरण में उल्लिखित पूर्व निर्धारित दर पर कम्पनी के समता अंशों में परिवर्तित कर दी जाती है। अंशतः परिवर्तनीय ऋणपत्र दो भागों में विभक्त होते हैं – परिवर्तनीय और अपरिवर्तनीय। परिवर्तनीय भाग एक निर्दिष्ट अवधि (या अवधियों के बीत जाने पर समता अंशों में परिवर्तनीय होता है जबकि अपरिवर्तनीय भाग को एक निर्दिष्ट अवधि (या अवधियों) के बीत जाने पर रोकड़ में भगतान कर दिया जाता है। सेबी दिशानिर्देशों के अनुसार पूर्णतया परिवर्तनीय अथवा अशतः परिवर्तनीय ऋणपत्रों की परिवर्तन अवधि यदि आवंटन तिथि के 18 माह या उससे अधिक किन्तु 36 माह तक है तो परिवर्तन ऋणपत्रधारी के विवेक पर ऐच्छिक बनाना होगा। 36 माह से अधिक परिवर्तनीय अवधि वाले पूर्णतया परिवर्तनीय ऋणपत्रों का निर्गम तब तक अनुमति योग्य नहीं समझा जायेगा जब तक कि यह ‘पुट एण्ड काल विकल्प’ (Put and call option) द्वारा ऐच्छिक न बना। दिया गया हो।

(ब) अपरिवर्तनीय ऋणपत्र (Non-convertible Debentures) : इनके धारकों को अपने ऋणपत्रों को अंशों में परिवर्तन कराने का विकल्प नहीं प्राप्त होता है।

प्रभार (Charge)

प्रभार’ शब्द का आशय ऋण के पुनर्भुगतान को सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से कम्पनी की सम्पत्तियों में ऋणदाता को हित के हस्तान्तरण से होता है जिसे वह ऋण के भुगतान न किये जाने की दशा में न्यायालय के माध्यम से लागू करा सकता है। ऐसा प्रभार दो प्रकार का होता है – स्थिर प्रभार और चल प्रभार।

स्थिर प्रभार (Fixed Charge) : स्थिर प्रभार किसी निश्चित स्थायी सम्पत्ति या सम्पत्तियों पर सृजित किया जाता है। इस प्रभार के होने पर कम्पनी ऋणदाता की अनुमति के बिना प्रभारित सम्पत्ति को बेच नहीं सकती। यह प्रभार ऐसी सम्पत्तियों पर सृजित किया जाता है जोकि कम्पनी को चलाने के लिये होती हैं, न कि बिक्री के लिये।

चल प्रभार (Floating Charge) : यह प्रभार सुरक्षित लेनदारों के पास स्थिर प्रभारित सम्पत्तियों के अतिरिक्त अन्य सम्पत्तियों. सामान्यतया चलायमान सम्पत्तियों जैसे व्यापारिक स्कन्ध, कच्चा माल आदि पर सृजित किया जाता है। कम्पनी इन सम्पत्तियों का प्रयोग कर सकती है और ऋणदाता की अनुमति के बिना बेच भी सकती है।

ऋणपत्र तथा अंश में अन्तर

(Difference between a Debentures and a Share)

Corporate Accounting Issue Debentures

ऋणपत्रों का निर्गमन (Issue of Debentures )

एक कम्पनी भारतीय कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 71 द्वारा लगाये गये प्रतिबन्धों के अधीन ऋणपत्र निर्गमित करके उधार ले सकती है।

कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 71 के अनुसार ऋणपत्रों के निर्गमन की शर्ते

(Conditions for Issue of Debentures as per Section 71 of Companies Act 2013) 

1 परिवर्तनीय ऋणपत्रों का निर्गमन (Issue of Convertible Debentures) : एक कम्पनी अपनी व्यापक सभा में विशेष प्रस्ताव पारित करके अंशतः अथवा पूर्णतः परिवर्तनशील ऋणपत्र निर्गमित कर सकती है। [धारा 71(1)]

2 कोई मताधिकार नहीं (No Voting Right) : कोई भी कम्पनी मताधिकार रखने वाले ऋणपत्र नहीं निर्गमित कर सकती है। [धारा 71(2)]

3. रक्षित ऋणपत्रों का निर्गम (Issue of Secured Debentures) : निर्धारित शतों और दशाओं के अन्तर्गत एक कम्पनी द्वारा रक्षित ऋणपत्र निर्गमित किये जा सकते हैं। [धारा 71 (3)]

4 ऋणपत्र शोधन संचय का सृजन (Creation of Debenture Redemption Reserve) : कम्पनी लाभांश के भुगतान के लिये उपलब्ध अपने लाभों से ऋणपत्र शोधन संचय खाता सृजित करेगी और इस खाते में क्रेडिट की गई राशि का ऋणपत्र शोधन के अतिरिक्त किसी अन्य उद्देश्य के लिये प्रयोग नहीं किया जायेगा। [धारा 71(4)]

5 ऋणपत्र प्रन्यासी (Debenture Trustee (s)) : एक कम्पनी अपने ऋणपत्रों के अभिदान के लिये जनता को अथवा 500 से अधिक अपने सदस्यों के लिये न तो प्रस्ताव या आमंत्रण दे सकती है और न ही प्रविवरण जारी कर सकती है, जब तक कि कम्पनी ने प्रस्ताव से पूर्व एक या अधिक ऋणपत्र प्रन्यासी नियुक्त न कर दिये हों। [धारा 71(5)] ऋणपत्र प्रन्यासी ऋणपत्रधारियों के हितों के संरक्षण के लिये कदम उठायेगा और निर्धारित नियमों के अनुसार उनकी शिकायतें दूर करेगा। [धारा 71(6)] –

6 ब्याज का भुगतान और ऋणपत्रों का शोधन (Payment of Interest and Redemption of Debentures) : कम्पनी निर्गम की शतों के अनुसार ब्याज का भुगतान और ऋणपत्रों का शोधन करेगी। [धारा 71 (8)]

7 ऋणपत्रधारियों के हित की रक्षा (Protection of Interest of Debenture-holders) : जब ऋणपत्र प्रन्यासी इस निष्कर्ष पर आये कि कम्पनी की सम्पत्तियाँ देय तिथि पर ऋणपत्रों की मूल राशि के भुगतान के लिये अपर्याप्त हैं अथवा अपर्याप्त होने की सम्भावना है, तब प्रन्यासी इस सम्बन्ध में ट्रिबुनल के समक्ष अर्जी (Petition) दायर कर सकता है। कम्पनी और अन्य रुचि रखने वाले पक्षों की सुनवाई करने के पश्चात् ट्रिबुनल कम्पनी को और दायित्व बढ़ाने पर रोक लगाने के लिये आदेश दे सकता है। [धारा 71(9)]

8 ऋणपत्रों के शोधन में चूक (Default on Redemption of Debentures): जब एक कम्पनी ऋणपत्रों की परिपक्वता की तिथि पर उनका शोधन नहीं कर पाती है अथवा देय तिथि पर ऋणपत्रों पर ब्याज का भुगतान करने में असफल रहती है तो ट्रिबुनल किसी भी या सभी ऋणपत्रधारियों अथवा ऋणपत्र प्रन्यासी के आवेदन पर सम्बन्धित पक्षों की सुनवाई के पश्चात कम्पनी को ऋणपत्रों के ब्याज सहित तुरन्त भुगतान के लिये आदेश दे सकता है। [धारा 71(10)] इस धारा के अधीन ट्रिबूनल के आदेश के पालन करने में चूक की स्थिति में चूक के लिये उत्तरदायी कम्पनी के प्रत्येक अफसर को 3 वर्ष तक के कारावास की सजा अथवा न्यूनतम 2 लाख से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना अथवा दोनों लगाये जा सकते हैं।

ऋणपत्रों के निर्गमन की प्रक्रिया (Procedure for Issue of Debentures)

ऋणपत्रों के निर्गमन की प्रक्रिया अंशों के निर्गमन के समान ही है। अतः इनके निर्गमन के लिये एक प्रविवरण प्रकाशित किया जाता हैं । निर्गमन की शर्ते दी जाती हैं। इच्छुक ऋणदाता निर्धारित फार्म पर कम्पनी से ऋणपत्रों के लिये आवेदन करता है। फार्म आवेदन राशि सहित कम्पनी के बैंकर्स के पास जमा करा दिये जाते हैं जिनके आधार पर कम्पनी आवेदकों को ऋणपत्र निर्गमित करती है। अंशों की तरह ऋणपत्र की पूरी राशि आवेदन पर ही माँगी जा सकती है अथवा इसे किश्तों में माँगा जा सकता है।

अंशों की तरह ऋणपत्रों का निर्गमन (1) सममूल्य पर (2) प्रीमियम पर अथवा (3) कटौती पर हो सकता है, किन्त कम्पन आधिनियम 2013 की धारा 52 और 53 के प्रतिबन्ध ऋणपत्रों के लिये नहीं लागू होते हैं।

लेखा प्रविष्टियाँ (Accounting Entries) : एक कम्पनी द्वारा ऋणपत्रों का निर्गमन (1) नकदी के लिये किया जा सकता। (2) नकदी के अतिरिक्त अन्य किसी प्रतिफल में किया जा सकता है और (3) एक सहायक प्रतिभूति के रूप में किया जा सकता है।

(1) नकदी के लिये ऋणपत्रों का निर्गमन

(Debentures Issued for Cash)

(अ) सममूल्य पर ऋणपत्रों पर निर्गमन (Issue of Debentures at Par)

जब ऋणपत्र पर माँगी गई कुल राशि इसके अंकित मूल्य के बराबर हो तो इसे ऋणपत्रों का सममूल्य पर निर्गमन कहा जाता इस दशा में निम्न लेखा-प्रक्रिया अपनायी जाती है :
(1) यदि कुल राशि आवेदन पर देय हो :

Bank account                                     Dr              With the money received on debentures

To Debentures account   allotted

उपर्युक्त के लिए निम्न दो प्रविष्टियाँ भी पारित की जा सकती हैं :

(1) आवदेन राशि प्राप्त होने पर :

Bank account                                                    Dr. With the money received on application

To Debenture Application account

(2) ऋणपत्रों के आवंटन पर :

Debenture Application account                Dr.  With the application money due on

To Debentures account debentures allotted

(2) यदि राशि किश्तों में देय हो :

(1) आवेदन राशि प्राप्त होने पर :

Bank account                                                      Dr. With the money received on

To Debenture Application account    application

(2) ऋणपत्रों के आवंटन पर :

Debenture Application account             Dr. (With the application money due on  debentures allotted)

Debenture Allotment account             (With the allotment money due on   debentures allotted)

To Debentures account                           (With the total of the two)

(3) आवंटन राशि प्राप्त होने पर :

Bank account                                                Dr. With the amount received on allotment

To Debenture Allotment account

(4) याचना राशि माँगने पर :

Debenture Call account                     Dr. With the call money due To Debentures account

(5) याचना राशि प्राप्त होने पर :

Bank account                                               Dr. With the amount received on call

To Debenture Call account

Corporate Accounting Issue Debentures

नोट : यदि एक से अधिक याचनायें हो तो प्रत्येक याचना के लिये (4) और (5) की भाँति पृथक-पृथक प्रविष्टियाँ पारित की जायेंगी प्रकटीकरण आवश्यकताएँ (Disclosure Requirements): कम्पनी अधिनियम 2013 की अनुसूची III के अन्तर्गत ऋणपत्रों क चिट्ठे के मुख पर ‘गैर-चालू दायित्वों’ (Non-Current Liabilities) शीर्षक के अन्तर्गत ‘दीर्घकालीन उधारियाँ’ (Long-term Borrowings) की भाँति दिखलाया जायेगा किन्तु 12 माह के अन्तर्गत देय ऋणपत्रों, भुगतान न किये गये परिपक्व ऋणपत्रों औ उन पर उपार्जित व्याज को चालू दायित्वों (Current Liabilities) शीर्षक के अन्तर्गत ‘अन्य चालू दायित्वों’ (Other Curren Liabilities) की भाँति दिखलाया जायेगा। लाभ-हानि विवरण-पत्र में ऋणपत्रों पर ब्याज को ‘वित्त लागत’ (Finance Cost) अन्तर्गत दिखलाया जायेगा।

उदाहरण 1. मेरठ इन्जीनियरिंग वर्क्स लि० ने 500 ₹ वाले 20,000 11% ऋणपत्र निर्गमित किये जिन पर 100 ₹ आवेदन पर 700 ₹ आवंटन पर और शेष दो समान याचनाओं में देय है। समस्त ऋणपत्रों के आवेदन प्राप्त हुए और आवंटन किया गया तो राशि उचित प्रकार से प्राप्त हो गई। कम्पनी की पुस्तकों में इन लेन-देनों की जर्नल में प्रविष्टियाँ कीजिये।

Meerut Engineering Works Ltd. issued 20,000 11% Debentures of ₹ 500 each, payable ₹ 1000 on * 200 on allotment and the balance in two equal calls. All the debentures were applied for and on allotment and the balance in two equal calls. All the debentures were applied for and allotted all the money was duly received . journalise the Transactions in the books of the Company

Journal Entries

Corporate Accounting Issue Debentures

(स) ऋणपत्रों का कटौती पर निर्गमन (Issue of Debentures at Discount)

जब आवेदकों से मांगी गई कुल राशि ऋणपत्र के अंकित मूल्य से कम हो तो ऋणपत्र कटौती पर निर्गमित किया गया माना जायेगा तथा अंकित मूल्य का निर्गमन मूल्य पर आधिक्य कटौती होगा। जब ऋणपत्र कटौती पर निर्गमित किये गये हों तो ऋणपत्रों के निर्गमन पर प्राप्त राशि से रोकड़ (बैंक खाता डेबिट, स्वीकृत कटौती की राशि से ऋणपत्र कटौती खाता डेबिट और ऋणपत्रों के पूर्ण अंकित मूल्य से ऋणपत्र खाता क्रेडिट किया जाता है। किन्तु यदि ऋणपत्रों की राशि किश्तों पर देय है तो कटौती का लेखा निम्न प्रकार आवंटन के साथ किया जाता है :

Debenture Allotment account                                Dr  (with the money due on allotment)

Discount on Issue of Debentures account        Dr   (with the amount of discount)

To Debentures account                                                       (with the total)

ऋणपत्रों के कटौती पर निर्गमन पर कम्पनी अधिनियम में कोई कानूनी बाधा नहीं है। इन पर कटौती की कोई अधिकतम सीमा भी नहीं दी गई है, किन्तु अधिनियम के अनुसार कटौती की अपलिखित न की जा सकी राशि कम्पनी के चिठे के सम्पत्ति भाग में वर्ष समाप्ति के पश्चात् 12 माह के अन्तर्गत अथवा पश्चात अपलेखन के अनुसार “Other Current Assets” अथवा “Other Non-Current Assets” शीर्षक के अन्तर्गत दिखलायी जानी चाहिये।

किन्तु यदि संचय और आधिक्य शीर्षक के अन्तर्गत कोई आगम या पूँजी संचय अथवा प्रतिभूति प्रीमियम खाते में कोई शेष है तो कटौती की राशि को इनसे अपलिखित कर देना उचित होगा।

उदाहरण 3. एक्स लि० ने 100 ₹ वाले 10,000 13% ऋणपत्र 95 ₹ पर निर्गमित किये जिन पर 20 ₹ आवेदन पर, 25 ₹। शासन पर तथा शेष याचना पर देय है। सभी ऋणपत्रों के लिये आवेदन प्राप्त हए तथा आवंटित किये गये तथा सभी धन सहा । प्रकार से प्राप्त हो गया।

जर्नल प्रविष्टियाँ दीजिये और चिट्ठा बनाइये।

X Ltd ,  issued 10,000 13% Debentures of 100 each at 95 payable 20 on application 25 on allotment and the balance on call all the Debentures were applied for and allotted and the moneys were

 

ऋणपत्रों के निर्गमन पर कटौती का अपलेखन (Write off of Discount on Issue of Debentures)

ऋणपत्रों के निर्गमन पर कटौती एक पूँजीगत हानि है। यद्यपि इस हानि के अपलेखन के लिये कम्पनी पर कोई काननी दायित्व नहीं होता है किन्तु सदृढ वित्तीय नीति अपनाने के लिये कम्पनी को इस प्रकार की हानि को शीघ्रतम अपलिखित कर देना चाहिये।।

(1)  पंजीगत प्रकति की हानि होने के कारण इसे कम्पनी के पूँजीगत लाभों और/अथवा प्रतिभूति प्रीमियम खाते से अपलिखित किया जा सकता है।

(2) इसे आस्थगित आगम व्यय (Deferred Revenue Expenditure) मानते हुए ऋणपत्रों के निर्गमन से प्राप्त राशि के उपयोग की अवधि के आगमों से किसी उचित आधार पर अपलिखित किया जा सकता है। ऋणपत्रों के भुगतान की विधि के आधार पर इसके लिये निम्न दो पद्धतियाँ लागू की जा सकती हैं :

(अ) समान किश्त पद्धति (Equal Instalment Method): इस पद्धति के अन्तर्गत कटौती की कल राशि को ऋणपत्रों के जीवनकाल में बराबर-बराबर अपलिखित किया जाता है। अतः कुल कटौती की राशि को ऋणपत्र भुगतान के वर्षों की संख्या से भाग देकर प्रत्येक वर्ष अपलिखित की जाने वाली कटौती की राशि ज्ञात की जाती है। यह पद्धति तब उपयुक्त रहती है जबकि ऋणपत्रों का भुगतान एक निश्चित अवधि के बाद एक मुश्त किया जाता है।

(ब) परिवर्ती किश्त या अनुपात पद्धति (Fluctuating Instalment or Proportion Method) : जब ऋणपत्र वार्षिक आहरणों द्वारा शोध्य हों तो यह पद्धति अपनाया जाना चाहिये। इस पद्धति के अन्तर्गत कल कटौती को ऋणपत्रों के जीवन काल में |

प्रत्यक वर्ष के प्रारम्भ में अदत्त ऋणपत्र राशि के अनपात में अपलिखित किया जाता है। अतः इसके अन्तर्गत अपलिखित का जान वाली कटौती की राशि प्रतिवर्ष घटती है।

उदाहरण 4. 1 जनवरी 2010 को वोल्टाज लिने 100 ₹ वाले 5000 10% शोध्य ऋणपत्र 6% कटौती पर निर्गमित किये। ऋणपत्र 5 वर्ष की अवधि में 1.00.000 ₹ वार्षिक आहरणों द्वारा शोध्य हैं। प्रत्येक वर्ष अपलिखित की जाने वाली कटौती की राशि ज्ञात करो और कम्पनी की पुस्तकों में 5 वर्षों के लिये ऋणपत्रों के निर्गमन पर कटौती खाता तैयार करो।

on 1st January 2010, Voltas Ltd. issued 5,000, 10% Redeemable Debentures of ? 100 each at a Iscount of 6%. The debentures were repavable by annual drawings of ₹ 1.00.000 over the period of five years. Determine the amount of discount to be written off each year and prepare Discount on Issue of Debentures Account for five years in the books of the company.

Corporate Accounting Issue Debentures

उदाहरण 5. 1 अप्रैल 2010 को भारत कम्पनी लि० ने 10,00,000 ₹ के ऋणपत्र 94% पर निर्गमित किये जो कि प्रत्येक 2,00,000 ₹ की 5 समान वार्षिक आहरणों द्वारा शोध्य थे। कम्पनी के खाते कलैन्डर वर्ष के आधार पर बंद किये जाते हैं। प्रत्येक लेखा वर्ष में अपलिखित की जाने वाली कटौती की राशि बतलाइये।

On 1st April 2010, Bharat Company Ltd. issued debentures at 94% for ₹ 10,00,000, repayable by fiv equal annual drawings of 2,00,000 each. The company closes its accounts on calendar year basis. Indicat the amount of discount to be written off every accounting year.

ऋणपकत्रों पर आग्रिम प्राप्त हाेना तथा याचना बकाया रहना 

(Calls-in-Advance and Calls-in-Arrear on Debentures )

अंशो की तरह ऋणपत्रों पर भी अग्रिम याचना (Call-in-Advance) प्राप्त हो सकती है। अग्रिम प्राप्त राशि को अंशों की तरह ‘अग्रिम याचना खाते’ में क्रेडिट किया जाता है। यदि कम्पनी के अन्तर्नियमों में व्यवस्था है तो अग्रिम राशि पर ब्याज उचित कानूनी प्रक्रिया पूरी करके दिया जा सकता है। इस ब्याज को लाभ-हानि खाते में डेबिट किया जाता है। यदि कोई ऋणपत्रधारी किसी याचना अथवा याचनाओं के भुगतान करने में त्रुटि करता है तो कम्पनी अंशों की तरह उसके ऋणपत्रों का अपहरण कर सकती है किन्त बकाया धन वसल करने के लिए उस पर दावा नहीं किया जा सकता है। बकाया याचना के लिए लेखे उसी प्रकार के होते हैं जैसे अंशों के लिये।

उदाहरण 7. एक कम्पनी ने 100 ₹ प्रति के 1,000 15% ऋणपत्र 105 ₹ की दर से निर्गमित किए जिनकी राशि 20 ₹ प्रार्थना पत्र के साथ, 35 ₹ (प्रीमियम सहित) आवंटन पर तथा शेष दो समान किश्तों में देय थी। सभी ऋणपत्रों के लिए प्रार्थना पत्र आये तथा आवंटित किए। एक ऋणपत्रधारी ने जिसके पास 200 ऋणपत्र थे, आवंटन के साथ समस्त राशि चुका दी। कम्पनी ने अग्रिम राशि पर अन्तर्नियमों में व्यवस्था के अनुसार 150 ₹ ब्याज के चुकाये। कम्पनी के जर्नल में लेखे करो।

A company issued for subscription 1,000 15% Debentures of ₹ 100 each at the rate of ₹ 105 each payable ₹ 20 on application, ₹35 (including the premium) on allotment and the balance in two equal calls. Applications for the debentures were received and the allotment was made. One debentureholder holding 200 debentures paid all the money with allotment. As per provisions in the Articles, the company paid ₹ 150 as interest on this advance money.

Give Journal entries in the books of the company

Journal Entries 

उदहारण 8. S. ALtd. ने 100 ₹ वाले 1,000 12% ऋणपत्र 95 ₹ प्रति ऋणपत्र की दर से निर्गमित किये। देय राशि का भुगतान मिण प्रकार होना था :

प्रार्थना पत्र के साथ 20 ₹ तथा आवंटन पर 25 ₹, शेष दो समान याचनाओं में।

समस्त ऋणपत्र प्रार्थित तथा आवंटित हुए। एक ऋणपत्रधारी अपने 50 ऋणपत्रों पर दोनों याचनाओं का भुगतान न कर सका।। रएक अतिरिक्त समस्त राशि प्राप्त हो गई। आवश्यक लेखे करो।

ALtd. issued 1,000 12% Debentures of₹100 each at ₹ 95 per debenture payable as follows :

20 on application, 25 on allotment and the balance in two equal calls. All the debentures were applied for and allotted. All money due was received except in the case of one debentureholder who could motipay both the calls on his 50 debentures.

Give Journal entries to record the above transactions.

ऋणपत्र निर्गमन पर अति-अभिदान (Over-Subscription on Debenture Issue)

यदि ऋणपत्र निर्गमन पर अति-अभिदान रहता है तो अंशों की तरह अधिक आवेदन राशि लौटाई जा सकती है अथवा आवंटन और याचनाओं के भुगतान में प्रयोग की जा सकती है। उदाहरण 9. उषा लि० ने 500 ₹ वाले 5,000 12% ऋणपत्र 10% प्रीमियम पर निर्गमित किये जो कि 2004 भारत हो समिलित करते हए) आवंटन पर और शेष याचना पर देय था। 12.000 ऋणपत्रों के लिये

आवेदनों को अस्वीकार कर दिया और बचे आवेदकों के बीच आनुपातिक आवंटन किया गया। संचालकों ने 4,000 ऋणपत्रों के आवेदनों को अस्वीकार कर दिया और बचे आवेदकों के आबटन पर देय समस्त धन प्राप्त हो गया किन्तु जब याचना का राशि मागी गई तो मि० रमेश जिसस राशि का भुगतान न कर सका। ऋणपत्रों के निर्गम पर 12,000 ₹ व्यय हए।

ऋणपत्रों के निर्गमन के अभिलेखन के लिये जर्नल की प्रविष्टियाँ कीजिये।

Usha Ltd. issued 5,000 12% ed 5000 12% Debentures of Debentures of ₹ 500 each . 500 each at a premium of 10% payable 20% on soulication. 40% (including premium) on allotment and the balance on call Applications were received for 12,000 debentures  The directors rejected applications for 4,000 debentures and allotment was made pro12.000 debentures. The directors rejected applications for 4,000 debenture and allotment was made Pro rate among the Remaining  applicants. All sums due on allotment were received but when the call was made, Fata among the remaining applicants. All sums due on Mr. Stanley who holds 200 debentures failed to pay the call money. Expenses for the issue of debentures were₹12,000.

Pass journal entries to record the issue of debentures.

Corporate Accounting Issue Debentures

 (2) नकदी के अतिरिक्त किसी अन्य प्रतिफल के लिये ऋणपत्रों का निर्गमन

(Issue of Debentures for Consideration Other than Cash) 

एक कम्पनी अपने ऋणपत्रों का निर्गमन नकदी के अतिरिक्त (अ) सम्पत्तियों के विक्रेताओं (Vendors of assets) प्रवर्तन सम्बन्धी सेवाओं के भुगतान में प्रवर्तकों को, (स) अभिगोपन कमीशन के भुगतान के लिये अभिगोपकों को तथा (द) बोनस निर्गमन के लिये कर सकती है। इसके लिये निम्न लेखा-प्रविष्टियाँ की जायेंगी : (अ) सम्पत्तियों के विक्रेताओं को ऋणपत्रों का निर्गमन : (1) सम्पत्ति क्रय करने पर :

Sundry Assets (individually) Account . .                                         Dr

To Vendor’s Account

(2) भुगतान में ऋणपत्र निर्गमित किये जाने पर :

Vendor’s Account                                                                                   Dr. ….

To Debentures Account

नोट : विक्रेता को ऋणपत्रों का निर्गमन सम-मूल्य, प्रीमियम अथवा कटौती पर किया जा सकता है। (ब) प्रवर्तन सम्बन्धी व्ययों के भुगतान में ऋणपत्रों का निर्गमन :

Goodwill Account                                            Dr.

To Debentures Account

(स) अभिगोपन कमीशन के भुगतान में ऋणपत्रों का निर्गमन :

(1) On underwriting commission becoming due – Underwriting Commission Account

To Underwriters Account (2) On allotment of debentures to underwriters – Underwriters Account

To Debentures Account गतान के लिये ऋणपत्रों का निर्गमन : (1) Reserves Account

To Bonus to Shareholders Account (2) Bonus to Shareholders Account

To Debentures Account

उदाहरण 10. राइसिंग सन लिने सैटिंग मन लि० से 9,90,000 ₹ की सम्पत्तियाँ क्रय की। भगतान 100 ₹ वाले ऋणपत्रों के निर्गमन द्वारा किया जाना है। राइसिंग सन लि० की पुस्तकों में आवश्यक जर्नल प्रविष्टियाँ कीजिये। यदि ऋणपत्र (1) सममूल्य पर (2) 10% प्रीमियम पर और (3) 10% कटौती पर निर्गमित किये जाते हैं।

Rising Sun Ltd. purchased assets of 9,90,000 from Setting Moon Ltd. The payment is to be made by issuing debentures of ₹ 100 each. Pass necessary journal entries in the books of Rising Sun Ltd., if the debentures are issued (1) at par, (2) at a premium of 10% and (3) at a discount of 10%.

(3) ऋणपत्रों का समपार्श्विक प्रतिभूति की तरह निर्गमन (Issue of Debentures as Collateral Security)

जब कोई ऋणपत्र किसी बैंक या अन्य उधारदाता को किसी ऋण की सहायता या अतिरिक्त प्रतिभूति के रूप में निमित जाते हैं तो इसे समपार्श्विक या सहायक प्रतिभूति की तरह ऋणपत्रों का निर्गमन कहते हैं। इस प्रकार के निर्गमित ऋणपत्र पर कम्पनी कोई ब्याज नहीं देती , लिये गये ऋण सामान्य रूप से दिया जाता है। ऋण के भुगतान कर दिये जाने पर उधारदाता को ये ऋणपत्र कम्पनी को वापस लौटाने होते हैं। लेकिन यदि कम्पनी समय पर ऋण का भुगतान नहीं करती है तो उधारदाता ऐसे ऋणपत्रों का कणावधारी बन जायेगा और वह एक ऋणपत्रधारी की तरह इन्हें बाजार में बेचने सहित सभी अधिकार प्राप्त कर लेता है।

इस स्थिति में निर्गमित ऋणपत्रों के लेखाकरण की निम्न दो वैकल्पिक पद्धतियाँ हैं:

(अ) प्रथम पद्धति : ऐसे ऋणपत्रों के निर्गमन के लिये कोई लेखा नहीं किया जाये। लिये गये ऋण की प्रविष्टि करते समय लख विवरण (narration) में प्रतिभूति का विवरण दिया जाये तथा चिठे के नोट में ऋण की मद के नीचे इस प्रकार का प्रतिभूति का। नोट दे दिया जाये।

(ब) द्वितीय पद्धति : यदि कम्पनी इस घटना का अभिलेखन खाता पस्तकों में करना चाहती है तो निम्न प्रविष्टियाँ पास की जायेंगी : (i) ऋणपत्रों के सहायक प्रतिभूति के रूप में निर्गमित किये जाने पर :

Debenture Suspense Account                          Dr. with the face value of debentures

To Debentures Account                                                   issued

Debenture Suspense Account को चिठे के सम्पत्ति भाग में “Other Current Assets” शीर्षक के अन्तर्गत दिखलाया जायगा तथा Debentures Account को दायित्व भाग में “Long-term Borrowings” शीर्षक के अन्तर्गत दिखलाया जायेगा।

(ii) ऋणपत्र के भुगतान किये जाने पर :

Debenture Account                                             Dr. with the face value of debentures

To Debentures Suspense Account                              issued

चूंकि उपर्युक्त (i) तथा (ii) प्रविष्टियों का शुद्ध प्रभाव शून्य रहता है, अतः व्यवहार में यह पद्धति बहुत कम प्रयोग में लायी जाती है।

उदाहरण 11. भारत लि० ने 8,00,000 ₹ के 12% ऋणपत्रों का निर्गमन किया जिसमें से 2,50,000 ₹ के सम-मूल्य पर नकदी में, अतिरिक्त 2,50,000 ₹ के 5% प्रीमियम पर और अवशेष 3,00,000 ₹ के बैंक को 2,00,000 के ऋण की प्रतिभूति में दिये। इन लेनदेनों की कम्पनी की पुस्तकों में जर्नल प्रविष्टियाँ कीजिये तथा इन लेनदेनों को कम्पनी के चिट्ठे में कैसे दिखाया जायेगा?

Bharat Ltd. issued ₹ 8,00,000 12% Debentures, of which ₹ 2,50,000 were issued for cash at par, another ₹2,50,000 at a premium of 5% and the remaining₹3,00,000 were given to the bank as security of a loan of ₹ 2,00,000. Journalise these transactions in the books of the company and show how these transactions will appear in the Company’s Balance Sheet.

प्रीमियम पर शोध्य ऋणपत्रों का निर्गमन (Issue of Debentures Redeemable at Premium)

ऋणपत्रों का शोधन बिना किसी कानूनी प्रतिबन्द के सममूल्य पर (At par)  कटौती पर (At discount )  अथवा प्रीमियम पर (At premium ) किया जा सकता है। ऋणपत्रों के शोधन की शर्ते इनके निर्गमन के समय ही तय कर दी जाती हैं। यदि ऋणपत्र कटौती या अवमुल्य की शर्त पर निर्गमित किये जाते हैं तो लेखाविधि में रूढिवादिता की प्रथा (Convention of Conservatism) के पालन किये जाने के कारण इस ज्ञात लाभ को इनके निर्गमन के समय लेखा पुस्तकों में नहीं दिखलाते। किन्तु यदि ऋणपत्र प्रीमियम या अधिमूल्य पर शोधन की शर्त पर निर्गमित किये जाते हैं तो यह कम्पनी की पूँजीगत हानि होगी। अतः इस ज्ञात हानि को इनके निर्गमन के समय ही पुस्तकों में दिखला देना चाहिये जिससे कि इसे ऋणपत्रों के जीवन काल में किसी उचित आधार पर फैलाकर अपलिखित किया जा सके। इसके लिये ऋणपत्रों के निर्गमन के समय शोधन पर देय प्रीमियम के दायित्व को निम्नलिखित लेखा प्रविष्टि करके पुस्तकों में दिखलाया जायेगा :

Bank Account                                                   Dr      (With the amount received on issue of debentures)

Loss on Issue of Debentures Account      Dr. (With the amount of loss to be incurred )

To Debentures Account                                  (With the nominal value of debentures issued)

To Premium on Redemption of Debentures A/c (With the amount of premium payable on redemption)

यदि ऋणपत्र कटौती पर निर्गमित किये जाते हैं तथा इनका शोधन प्रीमियम पर किया जाना है तो ऋणपत्रों के निर्गमन पर हानि निर्गमन पर कटौती की राशि और शोधन पर देय प्रीमियम के योग के बराबर होगी। इस स्थिति में ‘ऋणपत्रों के निर्गमन पर कटौती खाता’ डेबिट करना आवश्यक नहीं है वरन यह राशि “ऋणपत्रों के निर्गमन पर हानि खाते” में ही सम्मिलित कर ली जाती है।

‘ऋणपत्रों के निर्गमन पर हानि खाता’ किसी पूँजीगत संचिति से अथवा अंश प्रीमियम खाता से अपलिखित किया जा सकता है अथवा – इसे आस्थगित आगम व्यय मानते हुए ऋणपत्रों के जीवन काल में प्रत्येक वर्ष के प्रारम्भ में अदत्त ऋणपत्र राशि के अनुपात में अपलिखित

कर दिया जाता है। इस खाते की अपलिखित न की जा सकी राशि चिट्ठे के सम्पत्ति पक्ष में वर्ष समाप्ति के पश्चात 12 माह के अन्तर्गत अथवा बाद में के आधार पर ‘Other Current Assets’ अथवा ‘Other Non-Current Assets’ शीर्षक के अन्तर्गत दिखलायी जाती है तथा ‘ऋणपत्रों के शोधन पर प्रीमियम खाता’ ऋणपत्रों के शोधन तक चिठे के दायित्व पक्ष में ‘Other Current Liabilities’ के अन्तर्गत दिखलाया जायेगा।

नोट : यदि ऋणपत्रों के शोधन के लिये ‘सिंकिंग फण्ड’ सृजित किया जाता है तो ‘ऋणपत्रों के निर्गमन पर कटौती खाता’ तथा ‘ऋणपत्रों के निर्गमन पर हानि खाता’ को क्रमशः कटौती व शोधन पर देय प्रीमियम की राशियों से पृथक-पृथक डेबिट करना चाहिये क्योंकि कटौती की हानि को ऋणपत्रों के जीवनकाल में लाभ-हानि खाता से अपलिखित किया जाता है जबकि प्रीमियम की हानि को सिंकिंग फण्ड खाता से। कुछ लेखक शोधन पर देय प्रीमियम की हानि को इनके निर्गमन के समय दिखलाना आवश्यक नहीं मानते क्योंकि इनके शोधन के समय इस हानि को सिंकिंग फण्ड खाते से अपलिखित किया जा सकता है।

उदाहरण 13. ऋणपत्रों के निर्गमन के समय निम्न दशाओं में जर्नल में प्रविष्टियाँ कीजिये :

(1) ए लि० ने 100 ₹ वाले 10,000 12% ऋणपत्र सममूल्य पर निर्गमित किये तथा इनका शोधन सममूल्य पर किया जाना है।

‘(2) ए लि० ने 100 ₹ वाले 10,000 12% ऋणपत्र सममूल्य पर निर्गमित किये तथा इनका शोधन 6% प्रीमियम पर किया  जाना है।

(3) ए लि० ने 100 ₹ वाले 10,000 12% ऋणपत्र सममूल्य पर निर्गमित किये तथा इनका शोधन 6% कटौती पर किया जाना है।

(4) ए लि० ने 100 ₹ वाले 10,000 12% ऋणपत्र 10% प्रीमियम पर निर्गमित किये तथा इनका शोधन सममूल्य पर किया जाना है।

(5) ए लि० ने 100 ₹ वाले 10,000 12% ऋणपत्र 10% प्रीमियम पर निर्गमित किये तथा इनका शोधन 6% प्रीमियम पर किया जाना है।

(6) ए लि० ने 100 ₹ वाले 10,000 12% ऋणपत्र 10% प्रीमियम पर निर्गमित किये तथा इनका शोधन 6% कटौती पर किया जाना है।

(7) ए लि० ने 100 ₹ वाले 10,000 12% ऋणपत्र 6% कटौती पर निर्गमित किये तथा इनका शोधन सममूल्य पर किया जाना है।

(8) ए लि० ने 100 ₹ वाले 10,000 12% ऋणपत्र 6% कटौती पर निर्गमित किये तथा इनका शोधन 6% प्रीमियम पर किया जाना है।

9) ए लि० ने 100 ₹ वाले 10,000 12% ऋणपत्र 6% कटौती पर निर्गमित किये तथा इनका शोधन 6% कटौती पर किया  जाना है।

Journalise the following transactions at the time of issue of debentures :

(1) A Ltd, issued 10,000 12% Debentures of 100 each at par which are redeemable at par.

(2) A Ltd. issued 10,000 12% Debentures of 100 each at par which are redeemable at 6% premium.

(3) A Ltd. issued 10,000 12% Debentures of 100 each at par which are redeemable at 6% discount

(4) A Ltd. issued 10,000 12% Debentures of 100 each at 10% premium which are redeemable at par.

(5) A Ltd. issued 10,000 12% Debentures of 100 each at 10% premium which are redeemable at 6% premium.

(6) A Ltd. issued 10,000 12% Debentures of 100 each at 10% premium which are redeemable at 6% discount.

(7) A Ltd. issued 10,000 12% Debentures of 100 each at 6% discount which are redeemable at par.

(8) A Ltd. issued 10,000 12% Debentures of 100 each at 6% discount which are redeemable at 6% premium.

(9) A Ltd. issued 10,000 12% Debentures of 100 each at 6% discount which are redeemable at 6% discount.

Corporate Accounting Issue Debentures

उदाहरण 14. 1 जनवरी 2010 की वाइट लि० ने 100 ₹ वाले 5,000 12% ऋणपत्र 5% कटौती पर निर्गमित किये जो कि 5 वर्ष पश्चात् 4% प्रीमियम पर शोध्य हैं। आपको निम्न करना है : (i) ऋणपत्रों के निर्गमन और शोधन दोनों समय जर्नल में प्रविष्टियाँ।

(ii) पूरी अवधि का ‘ऋणपत्रों के निर्गमन पर हानि खाता’ दिखलाइये। On Jan.1, 2010, White Ltd. issued 5,000 12% Debentures of₹ 100 each at a discount of 5% repayable | after 5 years at a premium of 4%.

You are required to show :

(i) Journal entries both at the time of issue and redemption of Debentures.

(ii) Show the “Loss on Issue of Debentures Account” over the period

ऋणपत्रों पर ब्याज (Interest on Debentures)

जब कभी कोई कम्पनी ऋणपत्र निर्गमित करती है तो उसे उन पर आवधिक एक निश्चित प्रतिशत से ब्याज देना पड़ता है। ऋणपत्रों पर देय ब्याज कम्पनी के लाभों पर एक प्रभार (charge) होता है। दूसरे शब्दों में, कम्पनी को अपने ऋणपत्रों पर उनके धारकों को ब्याज का भुगतान करना आवश्यक है, चाहे कम्पनी में लाभ हो या न हो। यदि लाभ होने पर ही ब्याज देय होता हो। (हानि होने पर नहीं) तो इस प्रकार के ऋणपत्रों को आय बॉण्ड्स (Income Bonds) कहते हैं। ऋणपत्रों पर ब्याज प्रायः अर्द्धवार्षिक देय होता है और इसकी गणना निर्गमित ऋणपत्रों के अंकित मूल्य (न कि निर्गम मूल्य) पर एक निश्चित प्रतिशत से की जाती है।

आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार एक कम्पनी अपने ऋणपत्रधारियों को ब्याज का वास्तविक भुगतान करने से पूर्व उनको देय ब्याज की कल राशि से एक निर्धारित दर से आय-कर काटने और उसे ऋणपत्रधारी की ओर से सरकारी खजान में जमा कराने लो टायी होती है। इस प्रकार काटे गये आय-कर का लाभ ऋणपत्रधारी को अपने व्यक्तिगत कर निर्धारण के समय मिलता है। इसके सम्बन्ध में निम्न लेखा-प्रविष्टियाँ की जाती हैं :

(1) On interest becoming due :

Debenture Interest Account                      Dr. (with the gross amount of interest due)

To Income Tax Payable Account                (with the amount of income-tax deducted)

To Debentureholders Account                  (with the net amount payable)

(2) On payment of interest :

Debentureholders Account                          Dr.   with the amount

To Bank Account                                                   of interest paid

(3) On depositing the tax to the Government :

Income Tax Payable Account                           Dr.    with the amount

To Bank Account                                                     of tax deposited

(4) लेखा वर्ष के अन्त में ऋणपत्रों पर ब्याज खाते में डेबिट की गई कुल राशि लाभ-हानि खाते को हस्तान्तरित कर दी जाती है। इसके लिये निम्न लेखा प्रविष्टि की जायेगी :

Profit and Loss Account                         Dr.

To Debenture Interest Account

नोट : (1) यदि प्रश्न में आयकर कटौती के सम्बन्ध में कोई उल्लेख न किया गया हो तो विद्यार्थियों को ऋणपत्रों पर देय ब्याज से आय-कर की कटौती के लिये प्रविष्टि करने की आवश्यकता नहीं। हाँ, इसके लिये नोट देकर स्थिति स्पष्ट की जा सकती है।

(2) यदि कम्पनी ने कटौती किया गया आय-कर वर्ष की समाप्ति तक सरकारी खजाने पर जमा नहीं कराया है, तो इसे चिट्टे में दायित्व पक्ष की ओर ‘चालू दायित्व’ शीर्षक के अन्तर्गत दिखलाया जायेगा।

(3) यदि ऋणपत्र कर-मुक्त हैं तो ऋणपत्रों पर देय ब्याज को सकल बनाया जायेगा। चूँकि कोई कम्पनी ऐसे ऋणपत्र नहीं निर्गमित कर सकती है जिस पर कर देय न हो, अतः इस संदर्भ में कर-मुक्त का आशय केवल इतना ही है कि इन ऋणपत्रों पर देय ब्याज का भुगतान स्वयं कम्पनी करेगी तथा यह भुगतान ऋणपत्रधारियों द्वारा किया गया माना जायेगा।

उदाहरण 15. जैड लि० ने 20,00,000 ₹ के 14% ऋणपत्र निर्गमित किये थे जिन पर ब्याज छमाही 30 सितम्बर और 31 मार्च को देय था। 31 मार्च 2015 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिये ऋणपत्रों पर ब्याज के सम्बन्ध में आवश्यक जर्नल की प्रविष्टियाँ यह मानते हुए दीजिये कि कम्पनी ने सभी धन उचित प्रकार से भुगतान किया। स्रोत पर 10% से आय-कर काटा गया है।

Zed Ltd. had issued ₹ 20,00,000 14% debentures on which interest was payable half-yearly on 30th September and 31st March. Show the necessary journal entries relating to debenture interest for the year ended 31st March 2015 assuming that all money were duly paid by the company. Tax deducted at source is 10%.

 

Corporate Accounting Issue Debentures

chetansati

Admin

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