BCom 2nd year Corporate Law Winding Company Study material Notes in Hindi

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BCom 2nd year Corporate Law Winding Company Study material Notes in Hindi

Table of Contents

BCom 2nd year Corporate Law Winding Company Study Material Notes in Hindi: Meaning and Definition of winding company meaning of dissolution of a Company Modes of winding up Company  Who may present the Petition Powers of Tribunal on Hearing petition Directions For Filling Statement of Affairs Appointment of Official Liquidator Removal and Replacement of Liquidator Effect of winding up ( order ) Stay of Suits in Winding up Submission of Report by Company Liquidator Custody of Company properties Settlement of List of Contributories and Application of Assets )

Winding Company Study material
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BCom 2nd year Corporate Laws Prospectus Study Material notes in Hindi

कम्पनी का समापन

(Winding up of Company)

कम्पनी के समापन का अर्थ एवं परिभाषाएँ

(Meaning And Definition of Winding-Up of A Company)

कम्पनी के समापन का आशय एक ऐसी कार्यवाही से हैं जिसमें कम्पनी का व्यापार बन्द कर दिया जाता है और उसकी सम्पत्तियों को बेचकर लेनदारों का भुगतान करने के बाद यदि कुछ शेष बचता है तो उसे कम्पनी के अन्तर्नियमों की व्यवस्था के अनुसार अंशधारियों में बाँट दिया जाता है। यदि कम्पनी के पास समापन के समय इतना धन एकत्र नहीं हो पाता है कि वह सभी लेनदारों का पूरा-पूरा भुगतान कर सके तो ऐसी स्थिति में कम्पनी अपने अंशधारियों से उनके दायित्वों के अनुसार रकम माँगती है। जैसा कि हम जानते ही हैं कि कम्पनी विधान द्वारा निर्मित एक कृत्रिम व्यक्ति है, अत: इसका समापन भी विधान द्वारा ही किया जा सकता है। संक्षेप में, कम्पनी के समापन से अभिप्राय उस प्रक्रिया से है जिसके द्वारा कम्पनी का वैधानिक रूप से अन्त अथवा समापन हो जाता है।

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प्रोफेसर गोवर (Gower) के अनुसार, “कम्पनी का समापन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा उसका जीवन समाप्त किया जाता है और उसकी सम्पत्ति उसके ऋणदाताओं तथा सदस्यों के लाभ के लिये प्रयुक्त की जाती है। एक प्रशासक जिसे निस्तारक कहते हैं, नियुक्त किया जाता है जो (i) कम्पनी का नियन्त्रण अपने हाथ में ले लेता है; (ii) सम्पत्ति को एकत्र करता है; (iii) ऋणदाताओं को भुगतान करता है; (iv) यदि कोई शेष बचता है उसे सदस्यों में उनके अधिकारों के अनुसार बाँट देता है।” ।

पैनीगटन (Pennigton) के अनुसार, “समापन एक प्रक्रिया है जिसके अनुसार कम्पनी का प्रबन्ध उसके संचालकों के हाथों से छीन लिया जाता है, निस्तारक द्वारा कम्पनी की सम्पत्तियों से धन वसूल किया जाता है तथा इस धन में से उसके ऋणों का भुगतान करके शेष बची राशि सदस्यों अथवा अंशधारियों को वापस लौटा दी जाती है।”

एम० सी० कुच्छल के अनुसार, “कम्पनी के समापन अथवा समाप्ति से आशय उस प्रक्रिया से है जो एक कम्पनी के जीवन का अन्त करती है।”

निष्कर्ष-उपर्युक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने के पश्चात् निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि “कम्पनी के समापन से आशय ऐसी प्रक्रिया से है जिसके द्वारा कम्पनी के जीवन का अन्त हो जाता है। तथा उसकी सम्पत्तियों से धन वसूल करके उसमें से ऋणदाताओं का भुगतान किया जाता है एवं जो कुछ शेष बचता है उसे उसके सदस्यों को उनके अधिकारों के अनुपात में लौटा दिया जाता है।”

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कम्पनी के विघटन/समाप्ति से आशय

(Meaning of Dissolution of A Company) ‘

समाप्ति’ अथवा ‘विघटन’ से आशय कम्पनी के अस्तित्व का पूर्णरूपेण अन्त हो जाने से है। इस प्रकार कम्पनी का विघटन, समापन की तुलना में एक व्यापक शब्द है जिसमें कम्पनी का समापन भी सम्मिलित है। विघटन के पश्चात् कम्पनी से सम्बन्धित कोई कार्य नहीं किया जाता है। कम्पनी का विघटन उसी तिथि से हआ माना जाता है जिस तिथि को विघटन का आदेश निर्गमित किया जाता है।

कम्पनी के समापन तथा विघटन में अन्तर

(Difference Between Winding-Up And Dissolution of A Company)

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 (D) अधिकरण द्वारा समापन या अनिवार्य समापन धारा 2711

(Winding-Up By Court or Compulsory Winding Up)

जब कम्पनी का समापन अधिकरण द्वारा होता है तो वह अधिकरण द्वारा समापन या अनिवार्य समापन कहलाता है। धारा 271 के अनुसार अधिकरण निम्नांकित दशाओं में कम्पनी के अनिवार्य समापन के लिये आदेश दे सकता है

(1) ऋण चुकाने में असमर्थता (Inability to pay debts) [धारा 271(a)]–यदि कम्पनी अपने ऋण चुकाने में असमर्थ हो जाये तो अधिकरण (Tribunal) समापन का आदेश दे सकता है। धारा 271 के अनुसार निम्नलिखित दशाओं में यह माना जाएगा कि कम्पनी अपने ऋण चुकाने में असमर्थ है

( वैधानिक सूचना (Statutory Notice)—एक लाख ₹ या इससे अधिक का ऋण देने वाले व्यक्ति द्वारा लिखित सूचना देने के पश्चात् यदि कम्पनी 21 दिन के भीतर ऋण का भुगतान नहीं करती

स्वाति प्रकाशन 122 या उसको अन्य प्रकार से सन्तुष्ट नहीं करती तो यह माना जाएगा कि कम्पनी ऋण चुकाने के अयोग्य हैं। परन्तु यदि कम्पनी सत्यनिष्ठा से ऋण को विवादास्पद मानती है एवं अधिकरण इससे सन्तुष्ट है तो वह समापन का आदेश नहीं देगा।

(ii) डिक्री ऋण (Decreed Debt) यदि किसी ऋणदाता ने कम्पनी के विरुद्ध अधिकरण (Tribunal) से डिक्री आदेश (decree) प्राप्त किया है और कम्पनी उसका भुगतान करने में असमर्थ है तो यह माना जाएगा कि कम्पनी अपना ऋण चुकाने में असमर्थ है।

(iii) व्यापारिक दिवालियापन (Commercial Insolvency) यदि अधिकरण (Tribunal) को यह प्रमाणित कर दिया जाता है कि कम्पनी ऋण चुकाने के अयोग्य है तो यह निर्धारित करने के लिए कि क्या कम्पनी ऋण चुकाने के अयोग्य है, अधिकरण (Tribunal) कम्पनी के संदिग्ध एवं भावी दायित्वों (Contingent and future liabilities) को ध्यान में रखेगा। इस धारा में यह प्रमाणित नहीं करना होता कि क्या कम्पनी की सम्पत्तियाँ, दायित्वों से अधिक हैं बल्कि यह प्रमाणित करना होता है कि क्या वह अपने वर्तमान दायित्वों को पूरा करने में समर्थ है। यदि कम्पनी अपने वर्तमान दायित्वों को पूरा करने में असमर्थ हो तो वह व्यापारिक रूप से दिवालिया (Commercially Insolvent) होगी तथा उसका समापन किया जा सकेगा।

(2) कम्पनी के विशेष प्रस्ताव द्वारा [धारा 271(b)] (Special Resolution of the Company)—यदि कम्पनी इस आशय का एक विशेष प्रस्ताव पारित कर देती है कि अधिकरण द्वारा कम्पनी का समापन कर दिया जाये तो ऐसी दशा में अधिकरण यदि उचित समझे तो कम्पनी का समापन कर सकता है। यद्यपि ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर अधिकरण कम्पनी का समापन करने हेतु बाध्य नहीं है तथा यह उसका स्वैच्छिक अधिकार है एवं वह अपने इस अधिकार का प्रयोग समापन हेतु भी करता है जब कम्पनी का समापन जनहित तथा कम्पनी के हित में हो। समापन सम्बन्धी निर्णय लेते समय “जनहित” पर गम्भीर विचार आवश्यक है। भले ही सदस्यों द्वारा विशेष प्रस्ताव पारित कर दिया जाए फिर भी यह मात्र एक ऐसा तत्व है जो अधिकरण की स्वेच्छा पर कभी भी भारी नहीं पड़ सकता।

अन्य परिस्थितियों को छोड़कर, यह इस तथ्य पर आधारित है, कि अंशधारी इस बात के श्रेष्ठ निर्णायक हैं कि समापन किया जाये अथवा नहीं।

(3) भारत की सम्प्रभुता, अखण्डता एवं सुरक्षा आदि के विरुद्ध कार्य करने पर [धारा 271 (c)] यदि कम्पनी ने भारत की प्रभुसत्ता (Sovereignty) और अखण्डता (Integrity) के विरुद्ध, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध, सार्वजनिक शालीनता (Decency) या नैतिकता के विरुद्ध कार्य किया है।

(4) अधिकरण द्वारा अध्याय XIX के अन्तर्गत बीमार कम्पनी के समापन का आदेश देने पर।

(5) यदि रजिस्ट्रार द्वारा या अधिनियम के अन्तर्गत अधिसूचना के द्वारा केन्द्र सरकार द्वारा अधिकृत व्यक्ति के द्वारा अधिकरण को आवेदन किया जाता है, अधिकरण राय में कम्पनी का कार्य कपटपूर्ण तरीके से किया जा रहा है या कम्पनी का निर्माण कपटपूर्ण एवं अवैधानिक उद्देश्यों के लिए किया गया था या कम्पनी के निर्माण तथा इसके प्रबन्ध से सम्बन्धित व्यक्ति कपट, गलत कार्यों या दुराचार का दोषी है और यह उचित है कि कम्पनी का समापन कर दिया जाए।

(6) रजिस्ट्रार के पास वित्तीय विवरणों अथवा वार्षिक विवरणों को जमा न करना [धारा 271(1)]-यदि कम्पनी ने तुरन्त पूर्व के पाँच वित्तीय वर्षों के अपने वित्तीय विवरण या वार्षिक विवरणियाँ रजिस्ट्रार के यहाँ फाइल नहीं की हैं।

(7) समापन उचित एवं न्यायसंगत होने पर (Just and Equitable) [धारा 271(g)]-यदि अधिकरण की दृष्टि में कम्पनी का समापन करना उचित एवं न्याय संगत है तो अधिकरण द्वारा कम्पनी के समापन का आदेश दिया जा सकता है। सामान्यत: निम्नलिखित परिस्थितियों में अधिकरण कम्पनी का समापन करना उचित एवं न्यायसंगत समझता है

(i) यदि कम्पनी का कारोबार निरन्तर हानि पर चल रहा हो तथा भविष्य में भी लाभ पर चलने की कोई सम्भावना न हो; (ii) यदि कम्पनी के प्रबन्ध के सम्बन्ध में पूर्ण गतिरोध उत्पन्न हो गया हो जिसके कारण कम्पनी को चालू रखना सम्भव न हो; (iii) यदि कम्पनी में अल्पमत वाले अंशधारियों के साथ अन्याय हो रहा हो; (iv) यदि कम्पनी की सम्पूर्ण पूँजी नष्ट हो गई हो और उसे पुन: प्राप्त करने की कोई भी सम्भावना न हो; (v) यदि कम्पनी का मूल आधार ही समाप्त हो गया हो।

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याचिका कौन प्रस्तुत कर सकता है? (धारा 272)

(Who May Present The Petition?)

निम्नलिखित व्यक्ति कम्पनी के समापन के लिए याचिका प्रस्तुत कर सकते हैं

(1) कम्पनी (The Company)-एक कम्पनी विशेष प्रस्ताव पास करके कि इसका समापन अधिकरण द्वारा किया जाए, याचिका प्रस्तुत कर सकती है।

(2) एक ऋणदाता (A Creditor) यदि कम्पनी निर्धारित राशि के ऋणदाता द्वारा माँग के 21 दिन में उसके ऋण का भुगतान नहीं करती है। यहाँ तक कि एक सुरक्षित ऋणदाता भी कम्पनी के समापन के लिए याचिका प्रस्तुत कर सकता है।

 (3) एक अंशदाता (Contributory) एक अंशदाता भी कम्पनी के समापन के लिए याचिका प्रस्तुत कर सकता है। एक अंशदाता का आशय ऐसे व्यक्ति से है जो कम्पनी के समापन की दशा में कम्पनी की सम्पत्तियों में अंशदान करेगा। ‘अंशदाता’ शब्द में पूर्ण चूकता अंशधारी भी सम्मिलित हैं। एक अशदाता उन दशाओं में भी याचिका प्रस्तुत कर सकता है जहाँ कम्पनी के दायित्वों का भुगतान करने के बाद अंशधारियों में वितरित करने के लिए कोई सम्पत्ति न बची हो या कम्पनी के पास कोई सम्पत्ति हो न हो। परन्तु एक अंशदाता याचिका प्रस्तुत नहीं कर सकता जब तक कि अंश जिनके सम्बन्ध में वह अंशदाता है या उनमें से कुछ अंश

(i) मूल रूप से उसे आबण्टित किए गए थे,

(ii) समापन आरम्भ होने से पहले पिछले 18 महीनों में से कम-से-कम 6 महीनों के लिए उसके द्वारा उसके नाम में धारित है, एवं

(iii) यह अंश उसको पिछले धारक की मृत्यु के कारण मिले थे।

(4) उपरोक्त सभी या उनमें से कोई पक्ष (All or any of the above parties)-कम्पनी, इसके ऋणदाता या अंशदाता संयुक्त याचिका फाइल कर सकते हैं।

(5) रजिस्ट्रार द्वारा (The Registrar)

(6) केन्द्र सरकार द्वारा अधिकृत कोई व्यक्ति

अधिकरण के सम्मुख कम्पनी द्वारा समापन के लिए प्रस्तुत याचिका उस दशा में ही स्वीकार की जाएगी यदि यह निर्दिष्ट प्रारूप एवं ढंग से कम्पनी की स्थिति के विवरण के साथ प्रस्तुत की गई है।

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याचिका सुनने पर अधिकरण की शक्तियाँ (धारा 273)

(Powers of Tribunal on Hearing Petition)

1 अधिकरण धारा 272 के अन्तर्गत कम्पनी के समापन के लिए याचिका प्राप्त होने पर निम्नलिखित में से कोई आदेश दे सकता है, अर्थात्

(i) व्यय रहित या व्यय सहित याचिका अस्वीकार कर सकता है. (ii) जेसा वह उचित समझे अन्तरिम आदेश दे सकता है, (iii) समापन आदेश देने तक एक अस्थायी (Provisional) समापक नियुक्त कर दे; (iv) व्यय रहित या व्यय सहित कम्पनी के समापन का आदेश दे दे; या (v) अन्य कोई आदेश जो यह उचित समझे

परन्तु शर्त यह है कि इस उप-धारा के अन्तर्गत याचिका प्रस्तुत होने की तिथि से 90 दिन के अन्दर आदेश पारित किया जाएगा।

इसके अतिरिक्त अधिकरण वाक्यांश (iii) के अन्तर्गत अस्थायी समापक नियुक्त करने से पहले कम्पनी को सचित करेगा और इसे अभिवेदन (representation) करने का अवसर देगा जब तक कि किसी विशेष कारण से (जिन्हें लिखित में रिकॉर्ड किया जाएगा) ऐसा न करना उचित समझे।

अधिकरण इस आधार पर कि कम्पनी की सम्पत्तियाँ, उन सम्पत्तियों के मूल्य के बराबर या उससे अधिक मल्य पर बन्धक रखी गई है या कम्पनी के पास कोई सम्पत्ति नहीं है, कम्पनी के समापन के आदेश को करने से मना नहीं करेगा।

2. यदि अधिकरण की राय में याचिकाकर्ता को कम्पनी के समापन के अतिरिक्त कोई अन्य उपाय उपलब्ध हो, परन्तु वह अन्य उपचार का उपयोग करने के स्थान पर अनुचित रूप से कम्पनी का समापन कराना चाहता है तो अधिकरण समापन का आदेश देने से मना कर सकता है।

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विवरण फाइल करने के लिए निर्देश (धारा 274)

(Directions For Filing Statement of Affairs)

1 अधिकरण द्वारा कम्पनी को कम्पनी की स्थिति का विवरण फाइल करने का आदेश (Tribunal’s Order for Filing Statements of Affairs by the Company)-जहाँ अधिकरण के समक्ष कम्पनी के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति द्वारा समापन के लिए याचिका फाइल की गई है, एवं अधिकरण सन्तुष्ट हो जाता है कि कम्पनी के समापन के लिए प्रथमदृष्ट्या मामला है तो एक आदेश द्वारा निर्दिष्ट रीति से कम्पनी की स्थिति के विवरण के साथ आदेश की तिथि के 30 दिन के अन्दर आपत्ति फाइल करने का आदेश दे सकता है।

प्रावधान यह है कि अधिकरण विवरण फाइल करने की तिथि को विशेष परिस्थितियों में अतिरिक्त 30 दिनों के लिए बढ़ा सकता है।

इसके अतिरिक्त प्रावधान यह भी है कि अधिकरण प्रार्थी को खर्चों के लिए प्रतिभूति जमा करने के लिए कह सकता है।

2. कम्पनी द्वारा स्थिति का विवरण फाइल न करने का परिणाम (Consequences of not filing statement of affairs)—यदि कम्पनी उप-धारा (1) के अन्तर्गत कम्पनी की स्थिति का विवरण फाइल करने में असफल रहती है तो यह याचिका का विरोध करने का अपना अधिकार खो देगी और इस असफलता के लिए दोषी निदेशक और अधिकारी सजा पाने के लिए दायी होंगे।

3. अधिकरण द्वारा कम्पनी के निदेशकों और अन्य अधिकारियों द्वारा कम्पनी की नवीनतम रुप से पूर्ण एवं अंकेक्षित लेखा पुस्तकें समापक को देने का आदेश (Tribunal’s Order to the Directors and Officers of the Company to Submit Books of Accounts to Liquidator)—कम्पनी के निदेशक और अन्य अधिकारी, जिसके सम्बन्ध में अधिकरण द्वारा धारा 273 की उप-धारा (1)(d) के अन्तर्गत समापन आदेश पारित किया गया था ऐसे आदेश के 30 दिनों के अन्दर कम्पनी की लागत पर नवीनतम रुप से पूर्ण और अंकेक्षित लेखा पुस्तकें समापक को निर्दिष्ट तरीके से प्रस्तुत की जाएंगी।

4.दण्ड (Penalty) यदि कम्पनी का कोई निदेशक या अधिकारी इस धारा का उल्लंघन करता है तो उनमें से दोषी व्यक्ति सजा पाने का भागी होगा जिसकी अवधि 6 माह तक हो सकती है या जर्माने के साथ जो पच्चीस हजार ₹ से कम नहीं होगा परन्तु जो पाँच लाख ₹ तक हो सकता है, या दोनों के साथ।

5. शिकायत विशेष न्यायालय में की जाएगी (Complaint to be filled with Special Court) इस सम्बन्ध में शिकायत रजिस्ट्रार, अस्थायी समापक, कम्पनी के समापक या अधिकरण द्वारा अधिकत किसी व्यक्ति द्वारा विशेष न्यायालय के समक्ष की जा सकती है।

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सरकारी समापक की नियुक्ति (धारा 275)

(Appointment of Official Liquidator)

1 सरकारी समापक की नियुक्ति (Appointment of Official Liquidator) कम्पनी समापन के उद्देश्यों के लिए अधिकरण द्वारा कम्पनी के समापन का आदेश पारित करते समय एक सरकारी समापक की नियुक्ति की जाएगी।

2. समापक की नियुक्ति चार्टर्ड एकाउण्टेंट, वकील, कम्पनी सचिव, लागत लेखाकार की पेशेवर फर्मों या इन संयुक्त पेशेवरों की फर्म की सूची (Panel) में से जो केन्द्र सरकार द्वारा अधिकरण के लिए गठित की जाएगी या ये ऐसे पेशेवरों की निगमित निकाय होगी जो निर्दिष्ट की जाए जिसे कम-से-कम कम्पनी मामलों का 10 वर्ष का अनुभव है और जो समय-समय पर केन्द्र सरकार द्वारा अनुमोदित है।।

3. अधिकरण द्वारा अस्थायी निस्तारक की शक्तियों पर प्रतिबन्ध (Tribunal may restrict nower of the provisional liquidator)–जहाँ अधिकरण द्वारा अस्थायी निस्तारक की नियुक्ति का जाती है, अधिकरण इसको नियुक्त करने वाले आदेश के द्वारा या बाद के आदेश द्वारा इसकी शक्तिया सीमित या प्रतिबन्धित कर सकता है अन्यथा उसकी शक्तियाँ निस्तारक की शक्तियों के समान होगा।

4. केन्द्र सरकार द्वारा पेशेवरों की सूची से नाम हटाने की शक्ति (Power of the cenuraa Government to remove name of professionals from the Panel) केन्द्र सरकार किसा व्यापा, फर्म या निगमित निकाय का नाम उप-धारा(2) म रखी गई सची (Panel) में से दराचार, कपट, गला कार्य कर्तव्य-भंग या पेशेवर अक्षमता क आधार पर हटा सकती है। परन्त शर्त यह है कि केन्द्र सरकार नाम हटाने से पहले सम्बन्धित व्यक्ति को सुनवाई का उचित अवसर देगी।

5. अधिकरण द्वारा अस्थायी निस्तारक या कम्पनी निस्तारक को दी जाने वाली फीस निर्धारित HIT (Tribunal to Specify fees payable to Provisional Liquidator or Company Liquidator) अस्थायी निस्तारक या कम्पनी निस्तारक की नियुक्ति की शर्ते और उसको देय फीस अधिकरण द्वारा निष्पादित किए जाने वाले काम, अनभव, निस्तारक की योग्यता और कम्पनी के आकार के आधार पर निर्धारित की जाएगी।

6. निस्तारक द्वारा घोषणा फाइल करना (Liquidator to file Declaration)-अस्थाया। निस्तारक या कम्पनी निस्तारक द्वारा उसकी नियुक्ति की तिथि के 7 दिन के अन्दर अपनी नियुक्ति के सम्बन्ध में हित विरोधाभास (Conflict of Interest) और स्वतन्त्रता की कमी के बारे में यदि कोई हो, निर्धारित प्रारुप में एक घोषणा फाइल करनी होगी और यह दायित्व उसकी नियुक्ति की पूर्ण अवधि में जारी रहेगा।

7. समापन आदेश पारित करते समय अधिकरण धारा-273(1) (c) के अन्तर्गत नियुक्त अस्थायी निस्तारक को कम्पनी का निस्तारक नियुक्त कर सकता है।

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निस्तारक को हटाना एवं उसकी बदली (धारा 276)

(Removal And Replacement of Liquidator)

1 निस्तारक को हटाया जाना (Removal of Liqudiator)—अधिकरण उचित कारण दिखाए जाने पर एवं अन्य कारणों से (जिन्हें लिखित में रिकॉर्ड किया जाएगा) अस्थायी निस्तारक या कम्पनी निस्तारक को निम्नलिखित किस भी आधार पर हटा सकता है

(a) दुराचार;

(b) कपट या गलत कार्य;

(c) अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए और कार्य करते हुए पेशेवर अक्षमता या उचित सावधानी बरतने में असफल होना।

(d) अस्थायी निस्तारक के, निस्तारक के रुप में कार्य करने में अयोग्य होने पर या, जैसी भी स्थिति हो;

(e) उसकी नियुक्ति की अवधि के दौरान हितों के विरोधाभास या स्वतन्त्रता की कमी के कारण जो उसके हटाए जाने को उचित ठहराती हो।

2. निस्तारक की बदली (Replacement of Liquidator)-अस्थायी निस्तारक या कम्पनी निस्तारक, जैसी भी स्थिति हो, की मृत्यु, त्याग-पत्र या हटाए जाने की स्थिति में अधिकरण ऐसे व्यक्ति के कार्य को किसी दूसरे निस्तारक को (कारणों को लिखित में रिकॉर्ड करते हुए) हस्तान्तरित कर सकता है।

3. अधिकरण द्वारा दोषी निस्तारक से क्षतिपूर्ति वसूल करना (Tribunal’s power to recover any loss caused to the Company) जहाँ अधिकरण की राय में कोई निस्तारक कम्पनी को कपट या असावधानी के कारण कोई हानि पहुंचाता है तो अधिकरण आदेश द्वारा निस्तारक से यह हानि वसूल कर सकता है।

4. हानि वसूल करने का आदेश पारित करने से पहले अधिकरण, निस्तारक को सुनवाई का उचित अवसर प्रदान करेगा।

कम्पनी निस्तारक, अस्थायी निस्तारक एवं रजिस्ट्रार को सूचना (धारा 277)

(Intimation to Company Liquidator, Provisional Liquidator and Registrar)

1 कम्पनी द्वारा निस्तारक एवं रजिस्ट्रार को सूचित करना (Company to intimate the Liquidator and Registrar) जहाँ अधिकरण, कम्पनी के समापन के लिए या निस्तारक की नियक्ति के लिए आदेश पारित करता है तो आदेश पारित करने के 7 दिन के अन्दर एक सूचना कम्पनी के निस्तारक एवं रजिस्ट्रार को भेजेगा।

2.रजिस्ट्रार द्वारा अधिसूचना जारी करना एवं स्टॉक एक्सचेंज को सूचना देना (Registrar to fare notify in the Official Gazette and concerned stock exchange)-Ficare chi a समापन आदेश प्राप्त होने पर रजिस्ट्रार कम्पनी से सम्बन्धित रिकॉर्ड में इसे रिकॉर्ड करेगा एवं इसे सरकारी गजट में अधिसचित करेगा तथा सूचीबद्ध कम्पनी की दशा में स्टॉक एक्सचेंज को सूचित करेगा।।

3. समापन आदेश कम्पनी के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को नौकरी से हटाने की सूचना HTET HTET (Winding up Order shall be deemed to be notice of discharge to the officers and employees etc.) कम्पनी का व्यापार चालू रहने की दशा के अतिरिक्त अन्य सभी दशाओं में। समापन आदेश कम्पनी के अधिकारियों, कर्मचारियों एवं मजदूरों को नौकरी से हटाने की सूचना माना। जाएगा।

4. समापन समिति का गठन (Constitution of Liquidation Committee)-कम्पनी के समापन आदेश की तिथि के 3 सप्ताह के अन्दर कम्पनी समापक अधिकरण को समापन समिति के गठन के लिए आवेदन करेगा जो समापन की कार्यवाही में उसकी सहायता एवं कार्य की प्रगति की निगरानी करेगी। इस समिति में निम्नलिखित व्यक्ति होंगे, अर्थात्

(i) अधिकरण से सम्बन्धित सरकारी निस्तारक;

(ii) सुरक्षित ऋणदाताओं का नामंकिती (Nominee); और

(iii) अधिकरण द्वारा नामांकित किया गया पेशेवर।

5. निस्तारक, समापन समिति का संयोजक होगा (Company Liquidator shall be the convener of the meetings of Winding up Committee)—जो समापन के निम्नलिखित क्षेत्रों में समापन कार्यवाही एवं उसकी निगरानी में सहायता करेगा, अर्थात्

(i) सम्पत्तियों को अधिकार में लेना;

(ii) स्थिति विवरण का परीक्षण;

(iii) सम्पत्ति, नकदी या कम्पनी की कोई अन्य सम्पत्ति उनसे प्राप्त लाभों सहित की वसूली;

(iv) कम्पनी की अंकेक्षण रिपोर्ट एवं लेखों की समीक्षा:

(v) सम्पत्तियों की बिक्री

(vi) ऋणदाताओं एवं अंशदाताओं की सूची को अन्तिम रुप देना;

(vii) दावों को समझौता, परित्याग एवं निपटान करना;

(viii) लाभांश का भुगतान यदि कोई है;

(ix) अन्य कोई कार्य जो अधिकरण समय-समय पर निदिष्ट करे।

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6. कम्पनी के निस्तारक द्वारा अधिकरण के सम्मुख रिपोर्ट प्रस्तुत करना (Company Liquidator shall place report before the Tribunal) कम्पनी निस्तारक, अधिकरण के सम्मुख एक रिपोर्ट समिति की सभाओं के सूक्ष्म के साथ मासिक आधार पर सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित भेजेगा जब तक कि कम्पनी के विघटन की अन्तिम रिपोर्ट अधिकरण को न दे दी जाए।

7. कम्पनी के निस्तारक द्वारा समापन समिति के अनुमोदन के लिए अन्तिम रिपोर्ट तैयार करना।

8. विघटन आदेश पारित करने के लिए निस्तारक द्वारा समापन समिति को अन्तिम रिपोर्ट दी जाएगी।

समापन आदेश का प्रभाव (धारा 278)

(Effect of Winding Up Order)

समापन आदेश ऋणदाताओं और अंशदाताओं के पक्ष में परिचालित करेगा. जैसे कि यह कम्पनी के ऋणदाताओं और अंशदाताओं द्वारा संयुक्त रुप से याचिका (Petition) प्रस्तुत किए जाने पर किया गया है।

समापन आदेश पर मुकदमों का स्थगन (धारा 279)

(Stay of Suits on Winding up Order)

जब समापन आदेश पारित कर दिया गया है या अस्थायी निस्तारक की नियुक्ति कर दी गई है तो । कम्पनी के विरुद्ध कोई भी मुकदमा फाइल नहीं किया जाएगा और चल रही कोई भी कानूनी कार्यवाही । रोक दी जाएगी सिवाय अधिकरण की आज्ञा के और ऐसी शर्तों के अनुसार जो अधिकरण लगाना उचित समझे।

परन्तु शर्त यह है कि अधिकरण की आज्ञा प्राप्त करने के लिए प्राप्त आवेदन का निपटान 60 दिनों के अन्दर किया जाएगा।

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कम्पनी निस्तारक द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करना (धारा 281)

(Submission of Report By Company Liquidator)

1 जहाँ अधिकरण ने समापन आदेश पारित किया है या कम्पनी निस्तारक नियुक्त किया है, ऐसा निस्तारक, आदेश की तिथि के 60 दिनों के अन्दर अधिकरण को निम्नलिखित विवरण के साथ रिपाट प्रस्तुत करेगा, अर्थात्

(a) कम्पनी की सम्पत्तियों की प्रकृति एवं विवरण, उनकी स्थिति तथा मूल्य अलग-अलग वर्णन करते हुए हस्तगत नकदी, बैंक शेष सहित. यदि कोई है. और कम्पनी द्वारा धारित विनिमय याग्य प्रतिभूतियाँ यदि कोई है। परन्तु इस उद्देश्य के लिए कम्पनी की सम्पत्तियों का मूल्यांकन पाकृत मूल्यांकक द्वारा कराया जाएगा।

(b) निर्गमित, अभिदत्त एवं चुकता पूँजी की राशि;

(c) कम्पनी के वर्तमान एवं संदिग्ध दायित्व, ऋणदाताओं के नाम, पते और पेशे सहित, सुरक्षित और असुरक्षित ऋणों की राशि अलग से वर्णन करते हए. एवं सरक्षित ऋणों की दशा में कम्पनी या कम्पनी के अधिकारियों द्वारा दी गई प्रतिभूतियों का विवरण उनके मूल्य एवं तिथियों सहित जिन पर वे प्रतिभूतियाँ दी गई थीं;

(d) कम्पनी को देय ऋण उन व्यक्तियों के नाम. पते और पेशे जिनके द्वारा देय हैं और इस सम्बन्ध में उनसे प्राप्त सम्भावित राशि

(e) कम्पनी द्वारा दी गई गारण्टी, यदि कोई है:

(f) अंशदाताओं की सूची और पेय राशि, यदि कोई है जो उनके द्वारा दी जानी है और किसी अन्य अदत्त याचना का विवरण;

(g) कम्पनी के स्वामित्व में व्यापार चिन्ह एवं बौद्धिक सम्पत्ति (Intellectual Property) यदि कोई है का विवरण

(h) वर्तमान अनुबन्धों, संयुक्त उपक्रम और सहयोगी (Collaboration) यदि कोई है का विवरण (i) सूत्रधारी और सहयोगी कम्पनी का विवरण, यदि कोई है.. (i) कम्पनी के द्वारा या कम्पनी के विरुद्ध फाइल किए गए कानूनी मुकदमों का विवरण;

(k) अन्य कोई सूचना जो अधिकरण निर्दिष्ट करे या कम्पनी निस्तारक सम्मिलित करना आवश्यक समझे।

2. कम्पनी निस्तारक द्वारा कम्पनी के प्रवर्तन और निर्माण के सम्बन्ध में कपट के बारे में रिपोर्ट करना (Company Liquidator Shall Report Fraud in Connection with Promotion and Formation of Company) कम्पनी निस्तारक अपनी रिपोर्ट में कम्पनी के प्रवर्तन एवं निर्माण की रीति के सम्बन्ध में रिपोर्ट करेगा और क्या उसकी राय में कम्पनी के अधिकारियों द्वारा कम्पनी के प्रवर्तन निर्माण के दौरान कोई कपट किया गया था जो उसकी राय में अधिकरण की जानकारी में लाना आवश्यक है। ___3. कम्पनी निस्तारक व्यवसाय की व्यवहार्यता (Viability) के बारे में रिपोर्ट देगा या उसकी राय में कम्पनी की सम्पत्तियों के मूल्य को अधिकतम बनाने के लिए क्या कदम उठाने आवश्यक हैं।

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अधिकरण द्वारा कम्पनी निस्तारक की रिपोर्ट पर निर्देश देना (धारा 282)

(Directions of Tribunal on Report of Company Liquidator)

1 अधिकरण कम्पनी निस्तारक की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद एक समय सीमा निश्चित करेगा जिसके अन्दर कम्पनी की सभी कार्यवाही समाप्त की जाएगी और उसका विघटन किया जाएगा। परन्तु यदि किसी समय अधिकरण की राय में कार्यवाही जारी रखना लाभदायक हैं तो वह इसका समय बढ़ा सकता है।

2. कम्पनी की समापक रिपोर्ट का परीक्षण करने के बाद कम्पनी को चालू व्यापार के रूप में अथवा इसकी सम्पत्तियों को या उनके किसी भाग को बेचने का आदेश दे सकता है।

3. यदि अधिकरण को कम्पनी के निस्तारक या केन्द्र सरकार या किसी अन्य व्यक्ति से कपट के सम्बन्ध में सचना मिलती है तो यह धारा 210 के अन्तर्गत कम्पनी के अनुसन्धान/जाँच (Investigation) के आदेश दे सकता है।

4. अधिकरण अन्य कोई आदेश दे सकता है जो यह उपयुक्त समझे।

कम्पनी की सम्पत्तियों पर अधिकार (धारा 283)

(Custody of Company’s Properties)

1 जहा समापन आदेश पारित कर दिया गया है या अस्थायी निस्तारक की नियुक्ति कर दी गई है।

के समापन के आदेश के तुरन्त बाद, कम्पनी निस्तारक अथवा अस्थायी निस्तारक (जैसी भी। स्थिति हो) अधिकरण के आदेश पर कम्पनी की सभी सम्पत्तियों और कार्यवाही योग्य दावों (Actionable Claims) पर अधिकार कर लेगा और उन्हें बचाने एवं सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

2. उप-धारा (1) में कुछ भी होने के बावजूद कम्पनी की सम्पत्तियों एवं सामान (effects) पर समापन के आदेश की तिथि से अधिकरण का अधिकार माना जाएगा।

3. कम्पनी निस्तारक द्वारा आवेदन देने पर या अन्यथा समापन आदेश के बाद कभी भी किसी। अंशदाता, न्यासी, प्रापक, बैंकर, एजेण्ट. अधिकारी या अन्य कर्मचारी को कम्पनी की सम्पत्ति कम्पनी के निस्तारक को सुपुर्द करने, समर्पण करने, तरन्त या निर्दिष्ट समय में हस्तान्तरण करने के आदेश दे सकता

अंशदाताओं की सूची का निर्धारण एवं सम्पत्तियों का उपयोग (धारा 285)

(Settlement of List of Contributories and Application of Assets)

1 अधिकरण द्वारा समापन आदेश के पारित करने के बाद यथाशीघ्र अंशदाताओं की सूची निर्धारित करेगा जहाँ आवश्यक हो सदस्यों के रजिस्टार में संशोधन कराएगा एवं कम्पनी की सम्पत्तियों को इसके दायित्वों का निपटान करने के लिए प्रयोग करेगा।

यदि अधिकरण को यह लगे कि याचना करना या अंशदाताओं के अधिकारों में समायोजन करना आवश्यक नहीं है तो अधिकरण अंशदाताओं की सूची का निर्धारण कराने से छूट दे सकता है।

2. अंशदाताओं की सूची . निर्धारण करते समय अधिकरण द्वारा उन अंशदाताओं में, जो अपने अधिकार के अन्तर्गत एवं उन अंशदाताओं में जो दूसरों के प्रतिनिधि के रुप में दायी हैं, अन्तर करना आवश्यक है।

3. अंशदाताओं की सूची निर्धारित करते समय अधिकरण उन सभी व्यक्तियों को सम्मिलित करेगा जो कम्पनी के सदस्य हैं या रहे हैं, जो एक राशि जो ऋणों और दायित्वों, लागत और व्यय, समापन के खचें, अंशदाताओं के आपस में अधिकारों का समायोजन आदि करने के लिए आवश्यक हैं, निम्नलिखित शर्तों के साथ कम्पनी की सम्पत्तियों में अंशदान देने के लिए दायी हैं अर्थात

(अ) एक सदस्य जो समापन के आरम्भ होने से पिछले एक वर्ष या इससे अधिक पूर्व सदस्यता छोड़ चुका है अंशदान करने के लिए दायी नहीं होगा।

(ब) एक व्यक्ति किसी ऋण या दायित्व के सम्बन्ध में अंशदान करने के लिए दायी नहीं होगा जो उसके द्वारा सदस्यता छोड़ने के बाद उत्पन्न हुई थी।

(स) एक व्यक्ति अंशदान करने के लिए दायी नहीं होगा जब तक कि अधिकरण की राय में कम्पनी के वर्तमान सदस्य भुगतान करने के योग्य न हो;

(द) एक अंशों द्वारा सीमित कम्पनी की दशा में उस सदस्य से कोई अंशदान नहीं लिया जाएगा यदि उसकी सदस्यता राशि उस राशि से अधिक है जो उसके अंशों के सम्बन्ध में अदत्त है जिनके लिए वह सदस्य के रुप में दायी है;

(य) गारण्टी द्वारा सीमित कम्पनी की दशा में किसी व्यक्ति से अंशदान नहीं लिया जाएगा जो इसके द्वारा कम्पनी के समापन की दशा में अंशदान दी जाने वाली राशि से अधिक की राशि का सदस्य

परन्त यदि कम्पनी के पास अंश पूंजी है तो ऐसा सदस्य अपने अंशों पर अदत्त राशि की सीमा तक राशि चकाने के लिए दायी होगा जैसे कि कम्पनी अंशों द्वारा सीमित है।

कम्पनी निस्तारक की शक्तियाँ एवं कर्तव्य (धारा 290)

(Powers And Duties of Company Liquidator)

अधिकरण द्वारा इस सम्बन्ध में दिए गए निर्देशों के अनसार (यदि कोई हों) अधिकरण द्वारा। के समापन में कम्पनी निस्तारक की निम्नलिखित शक्तियाँ होंगी

(a) जितना आवश्यक हे कम्पनी का लाभदायक रुप से समापन करने हेत कम्पनी का व्यापार चालू। रखना; भी कार्य करने और कम्पनी के नाम से एवं कम्पनी की ओर से सभी प्रपत्र, रसीद तथा

(b) सभी कार्य करने और कम्पनी अन्य प्रपत्र का निष्पादन करने और इस उद्देश्य के लि जब आवश्यक हो कम्पनी की सावमुद्रा का करना;

(c) सार्वजनिक नीलामी या निजी अनुबन्दों के द्वारा कम्पनी की चल और अचल सम्पत्ति, कार्यवाहा। योग्य दावे (Actionable Claims, ऐसी सम्पत्ति किसी व्यक्ति को या निगमित निकाय को हस्तान्तरण करने या उसे टुकड़ों में बेचने की शक्तिः

(d) कम्पनी की सारी सम्पत्ति चाल व्यापार के रुप में बेचना: (e) कम्पनी की सम्पत्तियों की प्रतिभूतियों पर वांछित राशि जुटाना;

D कम्पनी के नाम में एवं उसकी ओर से कोई मकदमा या अन्य दीवानी या फौजदारी कानूना। कार्यवाही को करने या प्रतिवाद के लिए;

(g) ऋणदाताओं, कर्मचारियों या अन्य किन्हीं दावेदारों को उनके दावे के लिए आमन्त्रित करना एवं उनका निपटारा करना और प्राप्त विक्रय राशि को इस अधिनियम के अन्तर्गत स्थापित पूर्वाधिकारों के अनुसार वितरित करना;

(h) कम्पनी के अभिलेखों (records) एवं विवरणी (returns) का रजिस्ट्रार या अन्य अधिकारी को फाइलों में निरीक्षण करना;

(i) किसी अंशदाता के दिवालिया होने पर दावों की माँग करना एवं सिद्ध करना और दिवालियेपन में शेष राशि के सम्बन्ध में लाभांश प्राप्त करना;

(6) चेक, विनिमय-विपत्र, हुण्डी या प्रतिज्ञा पत्र सहित किसी विनिमय साध्य विलेख को कम्पनी के नाम में एवं कम्पनी की ओर से लिखना, स्वीकार करना. बनाना एवं बेचान करना, उसी कम्पनी के दायित्व के सन्दर्भ में जैसे कि उक्त विलेख कम्पनी के व्यापार के दौरान कम्पनी द्वारा लिखा गया हो, स्वीकार किया गया हो, बनाया गया हो या उसका बेचान किया गया हो।

(k) किसी मृत अंशदाता (deceased contributory) के सम्बन्ध में उसके सरकारी नाम (official name) में निष्पादन पत्र (letters of administration) प्राप्त करना;

(1) किसी व्यक्ति से कोई पेशेवर सहायता प्राप्त करना अथवा किसी पेशेवर को अपने कर्तव्यों या उत्तरदायित्वों को पूरा करने के लिए नियुक्त करना एवं कम्पनी की सम्पत्तियों के संरक्षण हेतु कोई भी कार्य करने के लिए (जो कम्पनी निस्तारक स्वयं करने में असमर्थ है) किसी एजेन्ट को नियुक्त करना।

(m) किसी प्रपत्र, दस्तावेज, प्रलेख, आवेदन, याचिका, शपथ-पत्र, बॉण्ड या विलेख पर सभी कार्यवाही करना, कदम उठाना, हस्ताक्षर करना, निष्पादित एवं सत्यापित करना जैसा आवश्यक हो

(i) कम्पनी के समापन हेतु; (ii) सम्पत्तियों के वितरण हेतु; (iii) कम्पनी निस्तारक के रुप में उसके कर्त्तव्यों एवं दायित्वों का निर्वाह करने के लिए; एवं

(n) ऐसे आदेशों अथवा निर्देशों हेतु जो कम्पनी समापन के लिए आवश्यक हों, अधिकरण (Tribunal) को आवेदन करना;

2. कम्पनी निस्तारक द्वारा उप-धारा (1) के अन्तर्गत प्रयोग की जाने वाली शक्तियों का प्रयोग अधिकरण के समग्र नियन्त्रण (Overall Control of Tribunal) के अन्तर्गत किया जाएगा।

(3) धारा 290 की उप-धारा (1) के प्रावधानों के बावजूद कम्पनी निस्तारक अधिकरण द्वारा निर्दिष्ट ऐसे अन्य कर्तव्यों को पूरा करेगा।

अधिकरण द्वारा कम्पनी का विघटन [धारा 302]

(Dissolution of Company By Tribunal)

(1) जब कम्पनी का व्यवसाय पूर्णतया समाप्त हो गया हो तो कम्पनी निस्तारक ऐसी कम्पनी के विघटन हेतु अधिकरण को आवेदन करेगा।

(2) कम्पनी निस्तारक द्वारा उपरोक्त उप-धारा(1) के अन्तर्गत आवेदन दाखिल करने पर अथवा जब अधिकरण की राय में सम्बन्धित मामले की परिस्थितियों में यह न्यायपूर्ण एवं युक्तिसंगत है कि कम्पनी के विघटन हेत आदेश दिया जाना चाहिए तो वह आदेश देगा कि आदेश की तिथि से कम्पनी का पघटन (Dissolution) कर दिया जाए एवं तद्नुसार कम्पनी का विघटन हो जाएगा।

(3) विघटन के आदेश की तिथि से 30 दिन के अन्दर उक्त आदेश की एक प्रति कम्पनी निस्तारक द्वारा रजिस्टार को अग्रसारित की जाएगी जो कम्पनी के सम्बन्धित रजिस्टर में कम्पनी के विघटन के सूक्ष्म रिकार्ड अभिलेखित करेगा।

 (4) याद कम्पनी निस्तारक उपरोक्त उप-धारा (3) में निर्धारित अवधि के अन्तर्गत विसर काजात राजस्टार को अग्रसारित करने में चक करता है तो चूक जारी रहने का अवधि के अब 5,000 प्रतिदिन तक के लिए कम्पनी निस्तारक को दण्डित किया जा सकता है।

_2. कम्पनियों का ऐच्छिक समापन

(Voluntary Winding-Up)

जब कम्पनी के सदस्य एवं ऋणदाता, अधिकरण के हस्तक्षेप के बिना आपस में मिलकर स्वयं ही कम्पनी को समाप्त करने एवं अपने मामलों को पारस्परिक समझोतों द्वारा निपटाने के लिये सहारा जाते हैं तो ऐसे समापन को कम्पनी का ऐच्छिक समापन कहते हैं।

ऐच्छिक समापन की दशायें (धारा 304)

(Conditions of Voluntary Winding-Up)

कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 304 के अनुसार निम्नलिखित दशाओं में कम्पनी का ऐच्छिक समापन हो सकता है

(अ) जहाँ अन्तर्नियमों के अन्तर्गत कम्पनी के कार्य करने की अवधि समाप्त हो गई हो अथवा अन्तर्नियमों के अनुसार जिस घटना के घटित होने पर कम्पनी का समापन होना था, वह घटना घटित हो गई हो एवं जिसके परिणामस्वरुप यदि कम्पनी ने साधारण सभा में काम्पनी का ऐच्छिक समापन करने हेतु साधारण प्रस्ताव पारित कर लिया हो;

(ब) यदि कम्पनी एक विशेष प्रस्ताव पारित करती है कि कम्पनी का स्वैच्छिक समापन कर दिया जाए। कम्पनी के लिए यह आवश्यक नहीं है कि जब इस प्रकार का विशेष प्रस्ताव पारित करे तो उन कारणों को बताये जिनके लिये यह प्रस्ताव पारित किया गया है।

ऐच्छिक समापन के प्रस्ताव की दशा में शोधन क्षमता की घोषणा (धारा 305)

( Declaration of Solvency in case of proposal to windup Voluntary)

1 शोधन क्षमता की घोषणा करना (Declaration Solvency)-जहाँ कम्पनी का ऐच्छिक रुप से समापन किया जाना प्रस्तावित किया जाता है, इसका कोई निदेशक या निदेशकगण या यदि कम्पनी में दो से अधिक निदेशक हैं तो निदेशकों का बहुमत, मण्डल की सभा में शपथ-पत्र द्वारा सत्यापित घोषणा करेगा कि उन्होंने कम्पनी की स्थिति के बारे में पूर्ण पूछताछ कर ली है और उनकी राय में कोई ऐसा ऋण नहीं है या यह अपने ऋणों का ऐच्छिक समापन के दौरान, बेची गई सम्पत्तियों के प्राप्त धन से उनका पूर्ण भुगतान कर देगी।

2. घोषणा के आवश्यक तत्व (Essential elements of Delcaration) उप-धारा (1) के अन्तर्गत इस अधिनियम के उद्देश्यों के लिए की गई घोषणा प्रभावी नहीं होगी जब तक कि

(अ) यह घोषणा कम्पनी के समापन के लिए पारित प्रस्ताव की तिथि के तुरन्त पूर्व के 5 सप्ताह के अन्दर न की गई हो और उस तिथि से पहले रजिस्ट्रार को पंजीकरण के लिए उसकी सुपुर्दगी न दे दी गई हो;

(ब) इसमें यह घोषणा न हो कि कम्पनी का समापन किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को धोखा देने के लिए नहीं किया जा रहा है।

(स) इसके साथ तैयार की गई अंकेक्षण रिपोर्ट इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कम्पनी के अंकेक्षक द्वारा बनाई गई रिपोर्ट की एक प्रति लगाई गई है जिसकी अवधि उस तिथि से आरम्भ होगी जिस पर ऐसा पिछला लाभ-हानि खाता बनाया गया था और घोषणा के तरन्त पहले की किसी व्यावहारिक तिथि के साथ समाप्त होगी और उस तिथि को बनाए गए कम्पनी के स्थिति विवरण के साथ और उसमें उस तिथि को सम्पत्तियों और दायित्वों का विवरण भी होगा।

(द) जहाँ कम्पनी की सम्पत्तियाँ हैं, यह घोषणा पंजीकृत मूल्यांकक द्वारा बनाई मुल्यांकन रिपोर्ट के साथ न दी गई हो।

3. जहाँ एक कम्पनी का समापन, घोषणा करने के बाद 5 सप्ताह में किया जा रहा है परन्तु इसके का भगतान नहीं किया गया है तो जब तक कि इसके विपरीत सिद्ध न कर दिया जाए यह माना II कि उप-धारा (1) के अन्तर्गत की गई घोषणा के लिए निदेशक या निदेशकों के पास उनकी राय के लिए उचित आधार नहीं था।

दण्ड (Penalty) यदि कोई भी निदेशक इस धारा के अन्तर्गत अपनी राय के लिए उचित आधार न होने पर भी यह घोषणा करता है कि ऐच्छिक समापन की दशा में कम्पनी, सम्पत्तियों की बिक्री से प्राप्त राशि में से ऋणों का पूर्ण भुगतान कर देगी तो वह सजा पाने का दायी होगा जिसकी अवधि तीन वर्ष से कम नहीं होगी और जो पाँच वर्ष तक हो सकती है या जुर्माने के साथ जो पचास हजार ₹से कम नहीं होगा परन्तु जो तीन लाख ₹ तक हो सकता है, या दोनों के साथ।

ऋणदाताओं की सभा (धारा 306)

(Meeting of Creditors)

1 कम्पनी द्वारा, उस सभा को बुलाने के साथ जिसमें कम्पनी के ऐच्छिक समापन के लिए प्रस्ताव प्रस्तावित हैं ऋणदाताओं की एक सभा उसी दिन या अगले दिन की जाएगी और ऐसी सभा की सूचना ऋणदाताओं को कम्पनी की सभा के नोटिस के साथ पंजीकृत डाक से भेजेगी।

2. कम्पनी का निदेशक मण्डल (Board of Directors of the Company) ऋणदाताओं की सभा में कम्पनी की स्थिति का पूर्ण विवरण, कम्पनी के ऋणदाताओं की सूची एवं उनके दावों की अनुमानित राशि का विवरण प्रस्तुत करेगा। संचालकों में से किसी एक निदेशक को सभा की अध्यक्षता करने हेतु सभा का सभापति नियुक्त किया जाता है।

जहाँ 2/3 मूल्य के ऋणदाताओं की यह राय है

(अ) कि यह सभी पक्षों के हित में होगा कि कम्पनी का ऐच्छिक समापन कर दिया जाए तो कम्पनी का ऐच्छिक समापन किया जाएगा; या

(ब) यदि कम्पनी ऐच्छिक कम्पनी में अपने सम्पत्तियों की बिक्री से प्राप्त राशि में से ऋणदाताओं का भुगतान नहीं कर पाएगी और कम्पनी यह प्रस्ताव पारित करती है कि यह सभी पक्षों के हित में होगा यदि कम्पनी का समापन अधिकरण द्वारा किया जाए, तो कम्पनी अगले 14 दिनों के अन्दर अधिकरण के सम्मुख आवेदन करेगी।

4. इस धारा के अन्तर्गत कम्पनी के ऋणदाताओं की सभा में पारित प्रस्ताव की सूचना प्रस्ताव पारित करने के 10 दिनों के अन्दर कम्पनी द्वारा रजिस्ट्रार को दी जाएगी।

दण्ड (Penalty) यदि एक कम्पनी इस धारा के उपरोक्त वर्णित प्रावधानों का उल्लंघन करती है तो कम्पनी पर जुर्माना किया जाएगा जो पचास हजार से कम नहीं होगा परन्तु जो दो लाख ₹ तक हो सकता है एवं कम्पनी का दोषी निदेशक सजा का भागी होगा जिसकी अवधि 6 माह तक हो सकती है या जुर्माने के साथ जो पचास हजार ₹से कम नहीं होगा परन्तु जो दो लाख ₹ तक हो सकता है, या दोनों के साथ।

ऐच्छिक समापन के प्रस्ताव का प्रकाशन (धारा 307) (Publication of Resolution to Wind Up Voluntarily)-(1) जहाँ कम्पनी ने ऐच्छिक समापन के लिए प्रस्ताव पास कर दिया है एवं धारा 306 (3) के अन्तर्गत प्रस्ताव पारित कर लिया है तो प्रस्ताव पास करने के 14 दिनों के अन्दर प्रस्ताव की सूचना विज्ञापन द्वारा सरकारी गजट में और एक समाचार-पत्र में प्रकाशित की जायेगी जो उस जिले में परिचालित है, जिस जिले में कम्पनी का पंजीकृत या मुख्य कार्यालय स्थित है।

(2) दण्ड (Penalty) यदि एक कम्पनी उपरोक्त वर्णित उप-धारा (1) का उल्लंघन करती है तो कम्पनी और इसका प्रत्येक दोषी अधिकारी जुर्माने से दण्डित होगा जो चूक जारी रहने की अवधि के दौरान प्रतिदिन के लिए पाँच हजार तक हो सकता है।

ऐच्छिक समापन का आरम्भ (धारा 308) (Commencement of Voluntary Winding Up)—ऐच्छिक समापन धारा 304 के अन्तर्गत ऐच्छिक समापन के लिए पारित प्रस्ताव की तिथि से माना जाएगा।

ऐच्छिक समापन का प्रभाव (धारा 309) (Effect of Voluntary Winding Up)-ऐच्छिक समापन की दशा में ऐच्छिक समापन के आरम्भ होने पर कम्पनी व्यापार करना बन्द कर देगी परन्तु यदि कम्पनी के लाभकारी समापन के लिए व्यापार जारी रखना आवश्यक हो तो उसे जारी रखा जा सकता है। कम्पनी की निगमति स्थिति (Corporate State) एवं निगमित शक्तियाँ (Corporate Powers) इसके विघटन (Dissolution) होने तक जारी रहेंगी।

कम्पनी निस्तारक की नियुक्ति (धारा 310)

(Appointment of Company Liquidator)

1 कम्पनी अपनी साधारण सभा में जहाँ ऐच्छिक समापन का प्रस्ताव पारित किया गया था, केन्द्र सरकार द्वारा बनाई गई नामसूची (Panel) में से कम्पनी के व्यापार को समाप्त करने एवं कम्पनी की सम्पत्तियों को वितरित करने के उद्देश्य से कम्पनी निस्तारक की नियुक्ति की जाएगी और कम्पनी उसे दी जाने वाली फीस की भी संस्तुति करेगी। यहाँ पर भी यह उल्लेखनीय है कि एक बार तय (निर्धारित) किया गया पारिश्रमिक बढ़ाया नहीं जा सकता।

2. धारा 306 (3) के अन्तर्गत जहाँ ऋणदाताओं ने कम्पनी के समापन के लिए प्रस्ताव पारित । किया है तो इस धारा के अन्तर्गत कम्पनी समापक की नियुक्ति तभी प्रभावी होगी जब इसका अनुमोदन बहुमत मूल्य के ऋणदाताओं द्वारा कर दिया जाएगा। परन्तु यदि ऋणदाता ऐसे कम्पनी निस्तारक की नियुक्ति का अनुमोदन नहीं करते हैं तो ऋणदाता किसी दूसरे कम्पनी निस्तारक की नियुक्ति करेंगे।

3. कम्पनी के ऋणदाता कम्पनी द्वारा नियक्त त पनी निस्तारक की नियुक्ति का अनुमोदन करते। समय या अपनी पसन्द के कम्पनी निस्तारक की नियुक्ति करते समय, जैसी भी स्थिति हो, कम्पनी निस्तारक की फीस निर्धारित करते हुए उपयुक्त प्रस्ताव पारित करेंगे।

4. कम्पनी निस्तारक की नियुक्ति होने पर ऐसा निस्तारक नियुक्ति के 7 दिन के अन्दर अपनी नियुक्ति के सम्बन्ध में हितों का विरोधाभास या स्वतन्त्रता की कमी को प्रकट करते हुए निर्धारित प्रारूप में एक घोषणा कम्पनी और ऋणदाता के साथ फाइल करेगा और यह दायित्व उसकी नियुक्ति की पूर्ण अवधि तक जारी रहेगा।

कम्पनी निस्तारक को हटाने की शक्ति (धारा 311)

(Power to Remove Company Liquidator)

1 धारा 310 के अन्तर्गत नियुक्त कम्पनी निस्तारक, कम्पनी के द्वारा हटाया जा सकता है जहाँ। उसकी नियुक्ति कम्पनी द्वारा की गई थी एवं ऋणदाताओं द्वारा हटाया जा सकता है जहाँ उसकी नियुक्ति ऋणदाताओं द्वारा की गई थी।

2. जहाँ इस धारा के अन्तर्गत कम्पनी निस्तारक को हटाया जाना है तो उसे लिखित में एक सूचना कम्पनी या ऋणदाताओं द्वारा हटाने के कारणों सहित दी जाएगी।

3. जहाँ कम्पनी के 3/4 मूल्य के सदस्य या ऋणदाता, जैसी भी स्थिति हो कम्पनी निस्तारक द्वारा दिए गए उत्तर पर विचार करके अपनी सभा में निस्तारक को हटा सकते हैं एवं वह पद से हट जायेगा।

रजिस्ट्रार को कम्पनी निस्तारक की नियुक्ति की सूचना (धारा 312) (Notice of Appointment of Company Liquidator to be given to Registrar)—(1) कम्पनी, कम्पनी निस्तारक की नियुक्ति की सूचना उसकी नियुक्ति या रिक्तता के 10 दिनों के अन्दर कम्पनी निस्तारक के नाम एवं विवरण के साथ रजिस्ट्रार को देगी। (2) यदि कम्पनी उपरोक्त उप-धारा (1) के प्रावधानों का उल्लंघन करती है तो उल्लंघन जारी रहने तक कम्पनी तथा प्रत्येक दोषी अधिकारी पर 100 ₹ प्रतिदिन की दर से जुर्माना किया जा सकता है।

कम्पनी निस्तारक की नियुक्ति पर संचालक मण्डल की शक्तियाँ समाप्त होना (धारा 313) (Cessation of Board’s Power on Appointment of Company Liquidator)

कम्पनी निस्तारक की नियुक्ति पर निदेशक मण्डल एवं प्रबन्धक या पूर्णकालिक निदेशक तथा प्रबन्धक, यदि कोई है, तो कम्पनी निस्तारक की नियुक्ति की सूचना रजिस्ट्रार को देने के अतिरिक्त उसकी सभी शक्तियाँ समाप्त हो जाएंगी।

ऐच्छिक समापन में कम्पनी निस्तारक की शक्तियाँ एवं कर्तव्य (धारा 314)

(Powers and Duties of Company Liquidator in Voluntary Winding UP)

1 कम्पनी निस्तारक ऐसे कार्य करेगा और ऐसे कर्तव्यों को पूरा करेगा जो समय-समय पर कम्पनी या ऋणदाताओं द्वारा निर्धारित किए जाएंगे।

2. कम्पनी निस्तारक अंशदाताओं की सूची निर्धारित करेगा जो उसमें उल्लिखित अंशदाताओं के दायित्व की प्रथम दृष्टया साक्ष्य होगी।

3. कम्पनी निस्तारक साधारण या विशेष प्रस्ताव द्वारा कम्पनी की स्वीकृति प्राप्त करने के उद्देश्य से कम्पनी की साधारण सभा बुलाएगा।

4. कम्पनी निस्तारक नियमित एवं उचित व निर्दिष्ट प्रारूप तथा ढंग से लेखा पस्तकों को रखेगा। सनी के सदस्य एवं ऋणदाता तथा केन्द्र सरकार द्वारा अधिकृत कोई अधिकारी इन लेखा पुस्तकों का निरीक्षण कर सकता है।

5; कम्पनी निस्तारक निर्दिष्ट प्रारूप एवं ढंग से तिमाही लेखा विवरण (auarterly statement of तैयार करेगा, तिमाही समाप्त होने के 30 दिन के अन्दर/यथावत् अंकेक्षित विवरण रजिस्ट्रार कम्पनी निस्तारक निर्दिछ । accounts) तैयार करेगा, तिमाही समाप्त के यहाँ फाइल करेगा। यदि कम्पनी निस्तारक ऐसा करने में असफल होता है तो चूक (असफल) जारी रहने की अवधि के दौरान उस पर प्रतिदिन के लिए ₹ 5,000 जुर्माना किया जा सकता है।

6. कम्पनी निस्तारक कम्पनी के ऋणों का भुगतान करेगा और अंशदाताओं के आपसी अधिकारों का समायोजन करेगा।

7. कम्पनी निस्तारक अपना कर्तव्य पूरी सावधानी के साथ करेगा।

8. दण्ड (Penalty) यदि कम्पनी निस्तारक उप-धारा (5) को छोड़कर इस धारा के अन्य प्रावधानों का उल्लंघन करता है तो वह दस लाख ₹ तक के जुर्माने का भागी होगा।

सदस्यों एवं ऋणदाताओं द्धारा ऐच्छिक समापन के अन्तर 

Difference Between Members and Creditors Volunatry Winding UP

परीक्षा हेतु सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

(Expected Important Questions for Examination)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions)

1 किन आधारों पर कम्पनी का अधिकरण द्वारा समापन किया जा सकता है ? व्याख्या कीजिये।

Under what circumstances a company may be wound-up by the Tribunal ? Explain.

2. समापन से क्या आशय है? समापन और विघटन में अन्तर बताइए। समापन के विभिन्न प्रकारा की संक्षेप में व्याख्या कीजिये।

What do you mean by Winding-up of a Company? Distinguish between Winding-up and Dissolution. Explain briefly the various methods of Winding-up.

3. एक कम्पनी के समापन की क्या विधियाँ हैं ? अनिवार्य समापन की परिस्थितियाँ समझाइये।

What are the modes of winding-up of a company ? Explain the conditions for compulsory winding-up.

4. एक कम्पनी के समापन से आप क्या समझते हैं ? समापन के विभिन्न प्रकार संक्षेप में बताइए।

What do you understand by winding up a company? Describe briefly the different modes of winding-up.

5. सदस्यों द्वारा ऐच्छिक समापन एवं ऋणदाताओं द्वारा ऐच्छिक समापन में अन्तर स्पष्ट कीजिये। ऋणदाताओं द्वारा ऐच्छिक समापन के सम्बन्ध में वैधानिक प्रावधानों का उल्लेख कीजिये।

Explain the difference between members’ and creditors’ voluntary winding-up. Give the provisions of the law regarding creditors’ voluntary winding-up.

6. विघटन एवं समापन में अन्तर स्पष्ट कीजिये। स्वैच्छिक समापन के सम्बन्ध में प्रक्रिया का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।

Explain the differences between dissolution and winding-up. Describe briefly the procedure of voluntary winding-up.

7. सदस्यों द्वारा ऐच्छिक समापन के सम्बन्ध में कम्पनी अधिनियम के प्रावधानों का वर्णन कीजिये।

Explain the provisions of the Companies Act in respect of members Voluntary Winding-up.

Corporate Law Winding Company

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions)

1 कम्पनी के समापन से क्या आशय है ?

What is meant by winding-up of a company?

2. एक कम्पनी के समापन एवं विघटन के बीच अन्तर स्पष्ट कीजिये।

Distinguish between winding-up and dissolution of a company.

3. सदस्यों द्वारा ऐच्छिक समापन तथा लेनदारों द्वारा ऐच्छिक समापन में अन्तर स्पष्ट कीजिये।

Distinguish between members and creditors voluntary winding-up.

4. सरकारी निस्तारक कौन है ?

Who is an official liquidator?

5. कम्पनी के लिये निस्तारक की नियक्ति कौन कर सकता है।

Who can appoint Liquidator for a company ?

6. किन दशाओं में कम्पनी का ऐच्छिक समापन किया जा सकता है ?

Under what circumstances a company can be voluntary winding up?

7. अधिकरण किन दशाओं में कम्पनी के अनिवार्य समापन का आदेश दे सकता है?

Under what circumstances Tribunal can make order for compulsorily winding-up of a company ?

Corporate Law Winding Company

chetansati

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