BCom 2nd year Corporate Laws Labour Welfare Study Material notes in Hindi

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BCom 2nd year Corporate Laws Labour Welfare Study Material notes in Hindi

Table of Contents

BCom 2nd year Corporate Laws Labour Welfare Study Material notes in Hindi: Labour Welfare provisions in the Factory Act Washing Facilities for Storing and Drying Clothes Facilities for Sitting First Aid Appliances Canteen Creches Shelters rest Room and Lunch Rooms Labour Welfare Officer Power to make Rules Important Examinations Questions Long Answer Questions Short Answer Question

Labour Welfare Study Material
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BCom 2nd year Corporate Laws Safety Study Material Notes In Hindi

श्रमकल्याण

(LABOUR WELFARE)

श्रम-कल्याण के अन्तर्गत श्रमिकों को कारखाने के भीतर, बाहर एवं कार्य के दौरान व पश्चात प्रदान की जाने वाली वे समस्त सुविधायें आती हैं जिनसे श्रमिकों का शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक विकास हो सके। ये सुविधायें कारखानों के स्वामियों, सरकार या अन्य संस्थाओं द्वारा प्रदान की जा सकती हैं।

वस्तुतः श्रम-कल्याण शब्द में कोई एक विशेष प्रकार का कार्य ही सम्मिलित नहीं है बल्कि अनेक कार्य सम्मिलित हैं। इन कार्यों में हम अच्छी कार्य-दशाओं के निर्माण, अच्छी आवासीय व्यवस्था, चिकित्सा तथा शिक्षा व्यवस्था, अच्छे आहार (अच्छी केन्टीन) की व्यवस्था, मनोरंजन तथा आराम की व्यवस्था, शिशुगृह,

खेल-कूद आदि की व्यवस्था को सम्मिलित कर सकते हैं। श्रम-कल्याण कार्यों से श्रमिकों की कार्यकुशलता एवं उत्पादकता में वृद्धि होती है, श्रम सम्बन्धों में सुधार होता है, अधिक उत्पादन होता है तथा राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता मिलती है। चूँकि विभिन्न राष्ट्रों का सामाजिक एवं आर्थिक विकास का स्तर भिन्न होता है, अतः श्रम-कल्याण क्रियाओं का स्तर एवं स्वरूप भी भिन्न-भिन्न हो जाता है।

श्रम-कल्याण शब्द की परिभाषा अनेक संस्थाओं सम्मेलनों समितियों तथा विद्वानों द्वारा समय-समय पर की जाती रही है। कुछ महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं

एडवर्ड के अनुसार, “श्रम कल्याण का अर्थ श्रमिकों के सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिये उपलब्ध की जाने वाली दशाओं से है।”1

अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organisation) के अनुसार “श्रमिक कल्याण का अर्थ ऐसी सुविधाओं एवं सेवाओं के उपलब्ध कराने से लगाया जाता है जो किसी संस्था में अथवा उसके आस-पास (vicinity) में स्थापित की गई हों, ताकि उस संस्था में नियोजित व्यक्ति शान्तिपूर्ण एवं स्वस्थ वातावरण में अपना कार्य कर सकें तथा अपने स्वास्थ्य एवं मनोबल को ऊँचा उठाने वाली सुविधाओं का लाभ उठा सकें।”

भारत सरकार द्वारा नियुक्त श्रम अन्वेषण समिति (Labour Investigation Committee) के अनुसार, “श्रम कल्याण में उन क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है जो नियोक्ताओं, सरकार तथा किसी अन्य संस्था द्वारा श्रमिकों के बौद्धिक, शारीरिक, नैतिक एवं आर्थिक कल्याण हेतु की जाती हैं, जो कानून द्वारा निर्धारित एवं आपसी सौदेबाजी के अनुबन्ध के अन्तर्गत की जाने वाली क्रियाओं के अतिरिक्त हैं।”

निष्कर्षउपर्युक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने के उपरान्त हम यह कह सकते हैं कि श्रम कल्याण से आशय नियोक्ताओं, सरकार तथा समाजसेवी संस्थाओं द्वारा कारखाने के बाहर एवं भीतर किये जाने वाले उन कार्यों से है, जिनसे श्रमिकों को अच्छी कार्य-दशायें उपलब्ध की जाती हैं तथा उनके सामाजिक एवं वैयक्तिक जीवन स्तर को ऊँचा उठाया जाता है। इन क्रियाओं के परिणामस्वरूप श्रमिकों का सर्वांगीण विकास होता है तथा उनके मनोबल में वृद्धि होती है।

प्रस्तुत अध्याय में हम कारखाना अधिनियम के प्रावधानों के अन्तर्गत नियोक्ताओं द्वारा अनिवार्य रूप से किये जाने वाले श्रम कल्याण कार्यों का ही उल्लेख कर रहे हैं।

Corporate Laws Labour Welfare

कारखाना अधिनियम में श्रम कल्याण सम्बन्धी प्रावधान

(Labour Welfare Provisions in the Factory Act)

कारखाना अधिनियम, 1948 की धारा 42 से धारा 50 में निम्नलिखित श्रम कल्याण प्रावधानों को शामिल किया गया है

1 नहाने-धोने की सुविधायें [धारा 42]

2. वस्त्रों को रखने व सुखाने की सुविधायें [धारा 43]

3. बैठने की सुविधायें [धारा 44]

4. प्राथमिक उपचार के उपकरण [धारा 45]

5. जलपान गृह [धारा 46]

6. आश्रय-स्थल, आराम कक्ष एवं भोजन कक्ष धारा 47]

7. शिशु गृह [धरा 48]

8. श्रम कल्याण अधिकारी [धारा 49]

9. नियम बनाने का अधिकार धारा 50]

उपरोक्त प्रावधानों की विस्तृत विवेचना निम्नानुसार है

1 नहानेधोने की सुविधायें (धारा 42)

(Washing Facilities)

कारखाना अधिनियम की धारा 42 के अन्तर्गत कारखाने में कपड़े धोने एवं नहाने के सम्बन्ध में निम्नलिखित प्रावधान किये गये हैं

(i) नहानेधोने की पर्याप्त एवं उपयुक्त व्यवस्था उपलब्ध कराना-प्रत्येक कारखाने में नहाने-धोने की उपयुक्त सुविधा उपलब्ध करायी जानी चाहिये एवं ये सुविधायें निरन्तर व स्थायी रूप से बनायी रखी जानी चाहिए।

(ii) स्त्रीपुरुषों के लिये पृथक्पृथक् व्यवस्था करनास्त्रीपुरुषों के नहाने के लिये पृथक्-पृथक् उपयुक्त पर्देदार व्यवस्था होनी चाहिये।

(iii) सरल पहुँचनहानेधोने का स्थान ऐसा होना चाहिये जहाँ प्रत्येक श्रमिक आसानी से पहुँच सके एवं उस स्थान को स्वच्छ रखा जाना चाहिये।

 (iv) राज्य सरकार को प्रमाप निर्धारित करने का अधिकार-राज्य सरकार किसी कारखाने या किसी वर्ग या प्रकार के कारखानों के लिये या किसी भी निर्माण प्रक्रिया के लिये नहाने-धोने की सुविधाओं के समुचित एवं उपयुक्त स्तरों का निर्धारण कर सकती है।

2. वस्त्रों को रखने और सुखाने की सुविधायें (धारा 43)

(Facilities for Storing and Drying Clothes)

राज्य सरकार किसी कारखाने अथवा किसी प्रकार या वर्ग के कारखानों के सम्बन्ध में ऐसे नियम बना सकती है जिनके द्वारा यह आवश्यक कर सकती है कि उन कारखानों को ऐसे वस्त्रों या कपड़ों को रखने के लिये, जो काम के घण्टों में न पहने गये हों तथा गीले कपड़ों को सुखाने के लिये उपयुक्त स्थानों की प्रभावी एवं कुशल व्यवस्था की जायेगी।

कपड़े रखने के लिये विशेष रूप से ऐसा स्थान होना चाहिये जहाँ श्रमिकों के कपड़े चोरी न हों या चोरी होने का भय न हो। इस सम्बन्ध में मेकार्थी बनाम डोली मिरर न्यूजपेपर्स लि० का मामला विशेष उल्लेखनीय है जिसमें न्यायालय द्वारा यह कहा गया है कि

“किसी कारखाने में कपड़े सुखाने का स्थान पर्याप्त है या नहीं, इस तथ्य को ध्यान में रखकर यह निर्धारण किया जाना चाहिये कि श्रमिकों/कर्मचारियों के वस्त्रों या कपड़ों को चोरी किये जाने से बचाया जा सके।”

3. बैठने की सुविधायें (धारा 44)

Facilities for Sitting)

श्रमिक कार्य के दौरान बैठकर आराम से कार्य कर सकें इस हेतु धारा 44 में अग्रलिखित प्रमुख प्रावधान किये गये हैं

(i) खड़े होकर कार्य करने की दशा में बैठने की व्यवस्था प्रत्येक कारखाने में ऐसे सभी श्रमिकों के। लिये जिन्हें खड़े होकर कार्य करना होता है, उनके लिये बैठने की उपयुक्त प्रभावी व्यवस्था की जायेगी और। वह निरन्तर रूप से बनाये रखी जायेगी जिससे वे अपने कार्य के दौरान उपलब्ध विश्राम अवसरों का लाभा उठा सकें।

 (ii) मुख्य निरीक्षक द्वारा बैठने की उचित व्यवस्था करने का आदेश-यदि मुख्य निरीक्षक की दृष्टि में किसी विशेष कक्ष में या विशेष निर्माण प्रक्रिया में लगे हुये श्रमिक बैठकर अपना कार्य अधिक कुशलता से कर सकते हैं तो मुख्य निरीक्षक कारखाने के अधिष्ठाता को एक लिखित आदेश देकर श्रमिकों को बैठने की उचित व्यवस्था करने का निर्देश दे सकता है।

(iii) राज्य सरकार द्वारा मुक्ति प्रदान करने का अधिकार राज्य सरकार को अधिकार है कि वह सरकारी गजट में सूचना प्रकाशित करके किसी विशेष कारखाने अथवा किसी वर्ग व विवरण के कारखाने में बैठने की सुविधा प्रदान करने से मुक्त कर सकती है।

4. प्राथमिक उपचार के उपकरण (धारा 45)

(First Aid Appliances)

कार्य के दौरान श्रमिकों के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने पर पर्याप्त श्रमिक चिकित्सा उपलब्ध होनी चाहिये। धारा 45 में इससे सम्बन्धित प्रावधान इस प्रकार हैं

(i) प्राथमिक उपचार के उपकरणों की व्यवस्था प्रत्येक कारखाने में जहाँ 150 से अधिक श्रमिक कार्य करते हैं.वहाँ कम-से-कम एक प्राथमिक उपचार उपकरण बॉक्स (First Aid Box) या अलमारी,सभी निर्धारित उपकरणों, दवाइयों एवं अन्य आवश्यक सामग्री से आवश्यक रूप से सुसज्जित होना आवश्यक है तथा इन्हें ऐसे स्थान पर रखा जाना आवश्यक है जहाँ दुर्घटनाग्रस्त श्रमिक सरलता तथा कम-से-कम समय में प्रभावी रूप से पहुँच सकें।

(ii) प्राथमिक उपचार के बॉक्स एवं अलमारी में निर्धारित सामग्री के अतिरिक्त अन्य कोई वस्तु न रखना-प्राथमिक उपचार के बॉक्स एवं अलमारी में प्राथमिक उपचारों से सम्बन्धित उपकरणों, दवाइयों या सामग्री के अतिरिक्त अन्य कोई भी समान या सामग्री नहीं रखी जायेगी।

 (iii) राज्य सरकार द्वारा मान्य प्रमाणपत्र धारक को प्राथमिक उपचार बॉक्स का दायित्व प्राथमिक उपचार का सन्दूक या अलमारी किसी एक ऐसे पृथक उत्तरदायी व्यक्ति के संरक्षण में रहनी चाहिये जो कि प्राथमिक उपचार की चिकित्सा में राज्य सरकार द्वारा मान्य प्रमाण-पत्र रखता हो एवं कारखाने के कार्य के घण्टों में सरलता एवं शीघ्रता से उपलब्ध हो सकता हो।

(iv) पृथक उपचार कक्ष की व्यवस्था प्रत्येक ऐसे कारखाने में जहाँ 500 से अधिक श्रमिक कार्यरत हों, वहाँ एक पृथक् उपचार कक्ष होगा जो निर्धारित आकार, उपकरण, दवाइयों एवं अन्य आवश्यक सामग्री से सुसज्जित होगा तथा यह कक्ष चिकित्सा अधिकारी एवं नरों के अधिकार में रहेगा। ये सभी सुविधायें कारखाने में कार्य के घण्टों के दौरान आवश्यक रूप से एवं सुगमतापूर्वक उपलब्ध होनी आवश्यक हैं । [धारा 45(4)]

5. जलपान गृह (धारा 46)

(Canteen)

कारखाना अधिनियम की धारा 46 के अन्तर्गत कारखाने में श्रमिकों एवं कर्मचारियों के लिये नियमानुसार जलपान गृह की प्रभावी व उपयुक्त व्यवस्था होगी, इस सम्बन्ध में निम्नलिखित प्रावधान किये गये हैं

(i) जलपान गृहों की व्यवस्था राज्य सरकार उन कारखानों में जहाँ सामान्यतया 250 या अधिक श्रमिक कार्य करते हैं,श्रमिकों के जलपानगृह की व्यवस्था एवं देखरेख के लिये परिभोगी को आदेश दे सकती है।

 (ii) राज्य सरकार को नियम बनाने का अधिकार-राज्य सरकार जलपानगृहों के सम्बन्ध में निम्नलिखित नियमों को बना सकती है

() वह तिथि जब तक जलपानगृह की व्यवस्था की जायेगी,

() जलपानगृह की बनावट, स्थान, फर्नीचर तथा अन्य सामग्री के स्तर,

() जलपानगृह में दी (Serve) जाने वाली खाद्य सामग्री एवं उसकी दरें (Rates),

() जलपानगृह की प्रबन्ध समिति का गठन व जलपानगृह के प्रबन्ध में श्रमिकों का प्रतिनिधित्व;

() कैन्टीन को चलाने में व्यय की वे मदें जिनको खाद्य पदार्थों की लागत तय करने में ध्यान में नहीं रखा जाता है तथा जिनको सेवायोजक द्वारा ही वहन किया जाता है। (२) वाक्य

() के अन्तर्गत नियम बनाने के लिये अधिकार, निर्धारित शर्तों के अधीन मुख्य निरीक्षक को सौंपना।

यह सही है कि जहाँ तक सेवायोजक का प्रश्न है वहाँ इस धारा के अनुसार स्टाफ कैन्टीन की व्यवस्था की जानी होती है इसको ‘NO PROFIT” आधार पर चलाया जाना चाहिये जैसा कि Rule 85(2) में बताया गया है। लेकिन एक ठेकेदार जो किन्हीं पुण्यार्थ उद्देश्यों को लेकर कैन्टीन नहीं चलाता वरन् कैटरिंग विचारों के आधार पर लाभ के लिये कैन्टीन चलाता है उसको एक लाइसेंस प्राप्त करना चाहिये यदि सम्बद्ध विधान में ऐसी व्यवस्था हो । Kanpur Suraksha Karamchari Union Vs. Union of India 1988 (CSLW 141) मामले में निर्णय दिया गया है कि प्रबन्ध समिति द्वारा चलाये जा रहे औद्योगिक संस्थानों में कैन्टीनों में काम कर रहे कर्मचारी प्रबन्ध समिति के कर्मचारी नहीं हैं वरन् कब्जाधारी के ही कर्मचारी होते हैं।

“एक बार जब अधिनियम की धारा 46 के अन्तर्गत कैन्टीन स्थापित कर दी जाती है तो कैन्टीन के कर्मचारी कब्जाधारी के ही कर्मचारी हो जायेंगे तथा वे मात्र इस आधार पर इस अधिकार से वंचित नहीं हो जायेंगे कि नियमावली के अन्तर्गत कैन्टीन के प्रबन्ध के लिये एक प्रबन्ध समिति का गठन किया गया है जिसके कार्य परामर्शदात्री होते हैं।”

6. आश्रय स्थल, आराम गृह तथा भोजन गृह (धारा 47)

(Shelters, Rest Room and Lunch Rooms)


कारखाना अधिनियम की धारा 47 के अन्तर्गत कारखाने में आश्रय स्थल, आराम गृह एवं भोजन गृह के सम्बन्ध में निम्नलिखित प्रावधान दिये गये हैं

(i) 150 या अधिक श्रमिक कार्यरत होने पर आश्रय-स्थल, विश्राम कक्ष एवं भोजन कक्ष की समुचित व्यवस्था प्रत्येक कारखाने में, जहाँ सामान्यतया 150 या अधिक श्रमिक नियुक्त हों, पर्याप्त एवं उपयुक्त आश्रय-स्थलों, विश्राम कक्ष व एक भोजन कक्ष की व्यवस्था की जायेगी तथा उनकी देख-रेख की जायेगी। इन स्थानों पर पीने के पानी का भी प्रबन्ध रहेगा।

कार्यकक्ष में भोजन करने पर प्रतिबन्ध-कारखाने में भोजन कक्ष होने पर कोई भी श्रमिक अपने कार्यकक्ष में भोजन नहीं करेगा।

(ii) पर्याप्त प्रकाश एवं वायु का होना–उपधारा (1) के अन्तर्गत उपलब्ध किये जाने वाले आराम गृह, आश्रय स्थान एवं भोजन कक्षों में पर्याप्त प्रकाश/रोशनी और पर्याप्त वायु संचालन, ठण्डे एवं सदैव साफ-सुथरे रखे जायेंगे।

 (iii) राज्य सरकार को अधिकार राज्य सरकार आश्रय स्थलों, आराम कक्षों एवं भोजन कक्षों के निर्माण, सुविधाओं, फर्नीचर तथा अन्य उपकरणों के सम्बन्ध में मानदण्ड निर्धारित कर सकती है तथा सरकारी गजट में अधिसूचना द्वारा उपरोक्त अनिवार्यताओं से किन्हीं कारखानों को विमुक्ति (exemption) भी प्रदान कर सकती

7. शिशुगृह (धारा 48)

(Creches)

कारखाना अधिनियम की धारा 48 के अन्तर्गत शिशुगृहों से सम्बन्धित निम्नलिखित प्रावधानों का समावेश किया गया है

(i) कारखाने में 30 या अधिक महिला श्रमिक कार्यरत होने पर शिशुगृह की समुचित व्यवस्था करना-ऐसे प्रत्येक कारखाने में जहाँ 30 या अधिक महिला श्रमिक कार्यरत हैं,ऐसी महिला श्रमिक के छ: वर्ष से कम आयु के बच्चों के उपयोग के लिये एक उपयक्त कक्ष का प्रबन्ध किया जायेगा जिसे शिशुगृह कहते है।।

(ii) शिशुगृह में पर्याप्त स्थान, हवा एवं प्रकाश की व्यवस्था-शिशुगृह प्रकाशयुक्त तथा वायु-संचालित होंगे। इन्हें स्वच्छ और स्वास्थ्यप्रद दशा में रखा जायेगा। बच्चों और शिशुओं के पालन-पोषण में प्रशिक्षित महिलायें शिशु-सदन की देख-रेख करेंगी।

(iii) राज्य सरकार के अधिकार राज्य सरकार शिशुगृह के सम्बन्ध में निम्नांकित नियम बना सकती

() इन कमरों की स्थिति निर्धारित करने एवं उनकी बनावट, स्थान, फर्नीचर तथा अन्य सामग्री का स्तर निर्धारित करने के सम्बन्ध में।

() स्त्री श्रमिकों के बच्चों की देखभाल के लिये अतिरिक्त सुविधायें उपलब्ध करने के सम्बन्ध में।

() उनके नहाने, वस्त्र धोने एवं बदलने की सुविधाओं के सम्बन्ध में।

() ऐसे बच्चों के लिये निःशुल्क दूध अथवा जलपान या दोनों की व्यवस्था के विषय में।

() इन बच्चों की माताओं को निश्चित समय के पश्चात् अपने बच्चों के दूध पिलाने की सुविधा प्रदान करने के सम्बन्ध में।

8. श्रमकल्याण अधिकारी (धारा 49)

(Labour Welfare Officer)

कारखाना अधिनियम की धारा 49 के अन्तर्गत कारखाने में नियुक्त होने वाले श्रम कल्याण अधिकारी के सम्बन्ध में निम्नलिखित प्रावधान किये गये हैं

(i) 500 या अधिक श्रमिक कार्यरत होने पर राज्य सरकार द्वारा निर्धारित संख्या में श्रम-कल्याण अधिकारियों की नियुक्ति-प्रत्येक ऐसे कारखाने में जहाँ साधारणतया 500 या अधिक श्रमिक नियुक्ति हों, कारखाने का परिभोगी कारखाने में उतनी संख्या में श्रम-कल्याण अधिकारी नियुक्त करेगा, जो निर्धारित की जाये। यह धारा ऐसे कारखानों में लागू नहीं होती, जहाँ वर्ष के कुछ माह कार्य होता है, जैसे चीनी कारखाने (Sugar Factories) जहाँ 500 से अधिक श्रमिक कार्य करते हैं।

(ii) राज्य सरकार के अधिकार-राज्य सरकार ऐसे अधिकारियों के कर्त्तव्य, योग्यतायें तथा सेवा की शर्ते निर्धारित कर सकती है।

9. नियम बनाने का अधिकार (धारा 50)

(Power to Make Rules)

कारखाना अधिनियम की धारा 50 के अन्तर्गत राज्य सरकार को उपरोक्त के सम्बन्ध में आवश्यक नियम बनाने का अधिकार दिया गया है। इसके सम्बन्ध में निम्नलिखित प्रावधान दिये गये हैं

(i) राज्य सरकार किसी भी कारखाने अथवा वर्ग या श्रेणी के कारखानों को कल्याण सम्बन्धी प्रावधानों  का पालन करने से छूट देने के सम्बन्ध में नियम बना सकती है, तथा

(ii) किसी भी कारखाने अथवा वर्ग या श्रेणी के कारखानों में श्रमिक कल्याण सम्बन्धी सुविधाओं के प्रबन्ध में कारखाने के श्रमिकों के प्रतिनिधियों को सम्मिलित करने के लिये भी सरकार नियम बना सकती है।

Corporate Laws Labour Welfare

परीक्षा हेतु सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

(EXPECTED IMPORTANT QUESTIONS FOR QUESTIONS)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(LONG ANSWER QUESTIONS)

1 श्रम-कल्याण से क्या आशय है ? कारखाना अधिनियम में श्रम-कल्याण सम्बन्धी प्रावधानों का वर्णन कीजिए।

What is meant by Labour Welfare ? Describe the provisions of the Factory Act regarding the Labour Welfare.

2. कारखाना अधिनियम, 1948 में श्रमिकों के कल्याण सम्बन्धी क्या प्रावधान किये गये हैं ? संक्षेप में बताइए।

Briefly state the provisions made in the Factories Act, 1948 regarding Welfare of Workers.

3. श्रमिकों के कल्याण के लिए कारखाना अधिनियम के अन्तर्गत कौन-कौन सी सुविधाएँ प्रदान करने के लिए नियोक्ता बाध्य है ?

For what welfare activities the employer is bound to provide for the workers under the Factories Act?

Corporate Laws Labour Welfare

लघु उत्तरीय प्रश्न

(SHORT ANSWER QUESTIONS)

श्रम कल्याण के अन्तर्गत जलपानगृह के सम्बन्ध में क्या प्रावधान हैं ?

What are the provisions related to canteen under Labour Welfare?

2. श्रम कल्याण के अन्तर्गत भोजन गृह के सम्बन्ध में क्या प्रावधान हैं ?

What are the provisions related to lunch room under Labour Welfare?

3. श्रम कल्याण प्रावधानों के अन्तर्गत कपड़े धोने की सुविधाओं के सम्बन्ध में क्या प्रावधान हैं ? समझाइए।

What are the provisions related to washing facilities under Labour Welfare Provisions ? State.

4. श्रम कल्याण सम्बन्धी प्रावधानों के अन्तर्गत प्राथमिक उपचार के उपकरण क्या हैं ? समझाइए।

What are the first aid appliances under the provisions of Labour Welfare ? State.

5. श्रम कल्याण सम्बन्धी प्रावधानों के अन्तर्गत शिशुगृह के सम्बन्ध में क्या प्रावधान हैं ? समझाइए।

What are the provisions related to creches under the provisions of Labour Welfare ? State.

6. आरामगृह एवं आश्रय स्थल सम्बन्धी प्रावधानों को बताइए।

State the provisions related to shelters and rest rooms.

7. श्रम कल्याण अधिकारी से सम्बन्धित प्रावधानों की विवेचना कीजिए।

Describe the provisions related to Labour Welfare Officer.

Corporate Laws Labour Welfare

chetansati

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