BCom 2nd year Corporate Laws Prospectus Study Material notes in Hindi

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BCom 2nd year Corporate Laws Prospectus Study Material notes in Hindi

Table of Contents

BCom 2nd year Corporate Laws Prospectus Study Material notes in Hindi: Meaning and Definition of Prospectus Is the issue of Prospectus Compulsory Who can Issue a Prospectus Legal Provisions  as to issue of Prospectus Deemed Prospectus by Implication Contents of Prospectus  Variation in Terms of Contract or Objects in prospectus Red Herring Prospectus ( This Post is Most Important For BCom 2nd Year Students )

Prospectus Study Material notes
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BCom 2nd Year Memorandum Articles Association Study Material notes in Hindi

प्रविवरणपत्र

(Prospectus)

प्रविवरण का अर्थ एवं परिभाषा

(Meaning And Definition of Prospectus)

समामेलन का प्रमाण-पत्र प्राप्त हो जाने के उपरान्त कम्पनी के समक्ष प्रमुख समस्या पूंजी प्राप्त करने की होती है। एक निजी कम्पनी की दशा में कम्पनी के प्रथम संचालक व उसके सदस्यगण अपने निजी स्रोतों से पूँजी एकत्रित करके कम्पनी का व्यापार प्रारम्भ कर सकते हैं, परन्तु एक सार्वजनिक कम्पनी की दशा में पूँजी एकत्रित करने के लिए जनता को अंश बेचने पड़ते हैं। जनता को अंश क्रय करने के लिए प्रेरित करने हेतु कम्पनी द्वारा एक निमन्त्रण-पत्र निर्गमित किया जाता है, जिसे तकनीकी भाषा में ‘विवरण-पत्रिका’ (Prospectus) कहा जाता है।

Corporate Laws Prospectus Study

प्रविवरण की मुख्य परिभाषाएँ निम्न प्रकार हैं

कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(70) के अनुसार, “प्रविवरण से आशय किसी ऐसे दस्तावेज से है, जिसे प्रविवरण के रूप में वर्णित या निर्गमित किया जाता है एवं जिसमें धारा 32 में सन्दर्भित रेड हैरिंग (Red Herring) प्रविवरण अथवा धारा 31 में सन्दर्भित निधाय/शैल्फ प्रविवरण (Shelf Prospectus) या अन्य ऐसी कोई सूचना, गश्ती पत्र, विज्ञापन या अन्य प्रपत्र शामिल है जिसके द्वारा कोई निगमित निकाय (कम्पनी) अपनी प्रतिभूतियों के अभिदान (Subscription) या क्रय के लिए जनता को आमान्त्रित करती है।”

टापहम एवं टापहम के अनुसार, “प्रविवरण से आशय ऐसे परिपत्र (Circular) से है, जो प्रवर्तकों के द्वारा कम्पनी के समामेलन के पश्चात् उसके अंशों को खरीदने के लिए जनता को प्रेरित करने हेतु प्रकाशित किया जाता है।”

निष्कर्षउपर्युक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने के पश्चात् निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि, “कोई भी प्रपत्र जिसके द्वारा कम्पनी के लिए निक्षेप अथवा अंशों या ऋण-पत्रों को क्रय करने के लिए जनता से प्रस्ताव आमन्त्रित किया जाता है, प्रविवरण कहलाता है।”

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क्या प्रविवरण का निर्गमन आवश्यक है ?

(Is The Issue of Prospectus Compulsory)

प्रत्येक कम्पनी के लिए प्रविवरण का निर्गमन आवश्यक नहीं है। एक निजी कम्पनी तो कानूनी रूप से जनता को प्रविवरण निर्गमित ही नहीं कर सकती। एक पब्लिक कम्पनी को जनता से पूँजी एकत्रित करने के लिए सामान्यतः प्रविवरण निर्गमित करना आवश्यक है। कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 33 के अनुसार, एक कम्पनी द्वारा प्रतिभूतियों को खरीदने के लिए प्रार्थना-पत्र का कोई भी फार्म जारी नहीं किया जाएगा जब तक कि इसके साथ संक्षिप्त प्रविवरण (Abridged Prospectus) संलग्न न किया गया हो।

अपवादइस धारा में निर्दिष्ट कुछ भी लागू नहीं होगा यदि यह सिद्ध कर दिया जाए कि प्रार्थना-पत्र का फार्म जारी किया गया था

() एक व्यक्ति को सद्विश्वास से अभिगोपन अनुबन्ध करने के सम्बन्ध में आमन्त्रण देने के । लिए; या

() उन प्रतिभूतियों के सम्बन्ध में जो जनता को प्रस्तावित नहीं की गई थी। [धारा 33(1)] |

माँगने पर प्रविवरण का प्रति देना (Supply of copy of prospectus on request)-वाद किसी व्यक्ति ने अभिदान सूची एवं प्रस्ताव बन्द होने से पहले प्रविवरण की प्रति के लिए प्रार्थना का है। तो कम्पनी को उसे प्रविवरण की प्रति देनी होगी।

दण्ड (Penalty) यदि कोई कम्पनी इस धारा के प्रावधानों का उल्लंघन करती है तो यह प्रत्येक चूक के लिए पचास हजार रूपये के दण्ड के लिए दायी होगी।

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प्रविवरण का निर्गमन कौन कर सकता है ?

(Who Can Issue A Prospectus ?)

एक विवरण-पत्रिका का निर्गमन निम्नलिखित व्यक्तियों या संस्थाओं द्वारा किया जा सकता है

1 कम्पनी के द्वारा या उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा।

2. किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा जो कम्पनी के निर्माण में संलग्न है अथवा कम्पनी के निर्माण में रुचि रखता है या ऐसे व्यक्ति की ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा।

3. किसी भी ऐसे व्यक्ति अथवा ऐसी संस्था द्वारा जिसे जनता को पुन: विक्रय हेतु अंशों का आबंटन किया गया हो।

प्रविवरण के निर्गमन के सम्बन्ध में वैधानिक नियम

(Legal Provisions As To Issue of Prospectus)

प्रविवरण का निर्गमन करने से पर्व निम्नलिखित वैधानिक प्रावधानों का पालन करना आवश्यक होता है

(1) प्रविवरण पर तारीख अनिवार्य रूप से अंकित होनी चाहिए-कम्पनी द्वारा या कम्पनी की ओर से निर्गमित प्रविवरण पर तिथि अवश्य पड़ी होनी चाहिए। यही तारीख प्रविवरण के निर्गमन की तारीख मानी जाती है। जब तक इसके विपरीत सिद्ध न कर दिया जाये, यह माना जायेगा कि प्रविवरण पर उल्लिखित तिथि ही इसके जारी या निर्गमित किये जाने की तिथि है।।

(2) समामेलन के पूर्व निर्गमन नहीं-प्रविवरण का निर्गमन सदैव कम्पनी का समामेलन होने के बाद किया जाता है, पहले नहीं।

(3) सेबी (SEBI) से जांच करवाना-प्रविवरण का पंजीयन कराने से पूर्व “सेबी’ अर्थात ‘भारतीय प्रतिभूतियाँ एवं विनिमय बोर्ड’ से प्रविवरण की जाँच या अनुमोदन करवाना अनिवार्य है। ‘सेबी’ प्रविवरण का अनुमोदन तभी करता है जबकि कम्पनी ने उसके द्वारा निर्धारित बातों या तथ्यों को प्रविवरण में प्रकट कर दिया हो।

(4) प्रविवरण को रजिस्ट्रेशन हेतु रजिस्ट्रार के पास भेजना-प्रविवरण पर अंकित निर्गमित किये जाने की तिथि को या उस तिथि से पूर्व प्रविवरण की एक प्रतिलिपि रजिस्ट्रेशन हेतु निम्नलिखित प्रलेखों के साथ रजिस्ट्रार के यहाँ प्रस्तुत करनी होती है

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(i) विशेषज्ञों की लिखित सहमति-जारी किए गए प्रविवरण में विशेषज्ञ द्वारा दिए गए विवरण को तब तक सम्मिलित नहीं किया जाएगा जब तक कि विशेषज्ञ एक ऐसा व्यक्ति नहीं है जो कम्पनी के निर्माण, प्रवर्तन और प्रबन्ध में से सम्बन्धित नहीं है या उसका कोई हित नहीं है और उसने अपनी लिखित स्वीकृति प्रविवरण को जारी करने के लिए दे दी है एवं प्रविवरण की प्रति रजिस्ट्रार को सुपुर्द करने से पहले वापिस नहीं ली है तो इस सम्बन्ध में एक वक्तव्य प्रविवरण में सम्मिलित किया जाएगा।

(ii) पदाधिकारियों की लिखित सहमति-उन सभी व्यक्तियों की लिखित सहमति जिनका नाम उसमें कम्पनी के अंकेक्षक, वैधानिक सलाहकार, एटार्नी, सालीसिटर (Solicitor), बैंकर अथवा दलाल के पद के लिए दिया गया हो।

(iii) महत्त्वपूर्ण अनुबन्धों की प्रतिलिपियाँ

(iv) प्रबन्धकीय कर्मचारियों से किये गये अनुबन्धों की प्रतिलिपि-प्रबन्धकीय कर्मचारियों से किये गये अनुवन्धों की प्रतिलिपि जिसमें उनकी नियुक्ति, पारिश्रमिक तथा सहमति का उल्लेख होना आवश्यक है, संलग्न की जानी चाहिए।

(5) प्रविवरण के मुख पृष्ठ पर आवश्यक सूचनाओं का लिखा जाना-विवरण-पत्रिका के मुख पृष्ठ पर निम्नलिखित सूचनाओं का उल्लेख किया जाना चाहिये

(i) प्रविवरण की एक प्रतिलिपि रजिस्ट्रेशन के लिए रजिस्ट्रार के पास भेजी जा चकी है।

(ii) उन समस्त प्रपत्रों की सूची जो प्रविवरण की प्रतिलिपि के साथ रजिस्ट्रार के यहाँ भेजने आवश्यक होते हैं, भेज दिये गये हैं।

रजिस्ट्रार द्वारा कम्पनी का पंजीकरण न किया जाना-रजिस्ट्रार, धारा 26 के अधीन प्रविवरण का पंजीकरण करने से तब मना (इन्कार) कर सकता है, जब

(i) उस पर तिथि अंकित न हो,

(ii) उसकी विषय-वस्तु धारा 26 में वर्णित आवश्यकताओं की सन्तष्टि न करती हो।

(iii) उसमें उन विशेषज्ञों के वक्तव्य शामिल है, जिनका कम्पनी के निर्माण या प्रवर्तन में हित। मौजूद है।

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(iv) उसमें उन विशेषज्ञों के वक्तव्यों को शामिल किया गया है, जिनसे इस सम्बन्ध में लिखित । सहमति प्राप्त नहीं की गई है या फिर जिन्होंने वक्तव्य को प्रकाशित करने की अनुमति लिखित रूप में। प्रदान नहीं की है।

(v) उसमें संचालकों की लिखित सहमति शामिल नहीं की गई है तथा धारा 31 से सम्बन्धित दस्तावेजों की प्रतियां या तो रजिस्ट्रार के पास जमा नहीं कराई गई हैं या फिर वे धारा 32 के प्रावधानों का पालन नहीं करती अर्थात् धारा 31 से सम्बन्धित दस्तावेजों में से किसी दस्तावेज को रजिस्ट्रार के पास जमा नहीं कराया गया है।

(vi) उसमें कानूनी सलाहकार, अटार्नी, अंकेक्षक, बैंकर्स तथा दलाल इत्यादि की कार्य करने की लिखित सहमति संलग्न नहीं है।

(6) प्रविवरणपत्रिका का 90 दिन में जनता को निर्गमन-रजिस्ट्रार को विवरण-पत्रिका की प्रतिलिपि भेजने की तिथि से 90 दिन के अन्दर जनता में विवरण-पत्रिका को निर्गमित कर देना चाहिए। कोई भी प्रविवरण वैध नहीं होगा, यदि यह रजिस्ट्रार को इसकी प्रति सुपुर्द करने की तिथि से 90 दिन बाद जारी किया गया हो।

दण्ड (Penalty) यदि प्रविवरण इस धारा का उल्लंघन करते हुए जारी किया गया है तो कम्पनी जुर्माने द्वारा दण्डित की जाएगी जो पचास हजार से कम नहीं होगा परन्तु तीन लाख तक हो सकता है एवं प्रत्येक व्यक्ति जो इसके जारी करने में जानबूझकर इसका पक्षकार है तो कारावास से दण्डित होगा जिसकी अवधि 3 वर्ष तक की हो सकती है या जुमान के साथ जो पचास हजार र से कम नहीं होगा परन्तु जो तीन लीख ₹ तक हो सकता है अथवा दोनों के साथ।

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माना जाने वाला प्रविवरण (Deemed Prospectus) [धारा 11]

अथवा (Or)

गर्भित प्रविवरण (Prospectus by Implication) |धारा 11]

बहुत-सी कम्पनियाँ अपने अंश तथा ऋण-पत्र प्रत्यक्ष रूप से स्वयं जनता को निर्गमित नहीं करती। बल्कि किसी अन्य व्यक्ति अथवा संस्था (Issue House) को इस आशय से अपने अंशों तथा ऋण-पत्रों को बेच देती है कि वे व्यक्ति या संस्थाएँ उनको जनता के लिये प्रस्तुत करें। ऐसी स्थिति में, उन व्यक्तियों या संस्थाओं द्वारा जिस प्रपत्र के द्वारा जनता को अंशों या ऋण-पत्रों की बिक्री का प्रस्ताव किया जाता है, उसे कम्पनी द्वारा निर्गमित प्रविवरण (Deemed Prospectus or Prospectus by Implication) माना जाता है। ऐसी संस्थाओं द्वारा अंश या ऋणपत्र बेचने से कम्पनी के अभिगोपन के खर्चो (Under Writing Expenses) की बचत हो जाती है एवं इन संस्थाओं की निपुण सेवा भी मिलती है। इस दशा में न तो कम्पनी को प्रविवरण जारी करना पड़ता है और न ही आबंटन कार्य करना पड़ता। है। ऐसी दशा में कम्पनी ऐसे आबंटन पत्र निर्गमित करती है जो बाद में वास्तविक क्रेताओं को हस्तांतरित किये जा सकें। इस स्थिति में निर्गमन गृह प्रतिभूतियों का विक्रय करने के लिये इन्हें जनता के सामने प्रस्तुत करता है। इस आशय की पूर्ति के लिए वह जनता में प्रविवरण या अन्य किसी विधि से बिक्री का प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकता है। यही प्रविवरण या प्रपत्र जिसके द्वारा जनता के सामने बिक्री का प्रस्ताव परखा जाता है. गर्भित प्रविवरण है। दूसरे शब्दों में, यह माना जायेगा कि प्रविवरण कम्पनी ने निर्गमित  किया है। इस सम्बन्ध में वैधानिक व्यवस्थाएँ निम्नलिखित हैं:

(i) इस प्रपत्र पर दिया गया विवरण कम्पनी द्वारा दिया गया माना जाएगा और संचालक व प्रवर्तक । मिया वर्णन के लिए उसी प्रकार दायी होगें जैसे मूल प्रविवरण के निर्गमन पर वह दायी होते हैं।

(ii) इन प्रपत्रों पर दिये गये विवरणों के लिए निर्गमन गृह के अधिकारी भी उत्तरदायी होते हैं।।

(iii) जनता को बिक्रा का प्रस्ताव रखने वाला व्यक्ति संचालक या प्रस्तावित संचालकों के रूप में। उत्तरदायी होगा।

(iv) निर्गमन संस्था (Issuing House) द्वारा यह अंश या ऋण-पत्र कम्पनी के साथ अनुबन्ध की तिथि के 6 माह के अन्दर जनता को जारी कर दिये जायें:

(v) निर्गमन संस्था द्वारा यह प्रस्ताव करने के समय, सम्पूर्ण प्रतिफल (Consideration) कम्पनी के द्वारा प्राप्त न किया गया हो।

ऐसे प्रलेख में निम्नलिखित सूचनाएँ भी होनी चाहियें :

() जिन अंशों या ऋण-पत्रों से ऐसा प्रस्ताव सम्बन्धित हो उसके सम्बन्ध में कम्पनी द्वारा प्राप्त होने वाली प्रतिफल की शुद्ध राशि, और

() जिस अनुबन्ध के आधार पर ऐसे अंश और ऋण-पत्र आबंटित किए गए हैं अथवा यंटित किए जाने हैं, उसका निरीक्षण करने का स्थान और समय। ।

विक्रय प्रस्ताव में भी वह सब विवरण (Details) होने चाहिये जो कि एक प्रविवरण में होते हैं। क्योकि प्रविवरण पर लागू होने वाले सभी प्रावधान इस माने जाने वाले प्रविवरण पर भी लागू होते हैं, अतः सभी बातों का सत्यता से वर्णन किया जाना चाहिए।

प्रविवरण की विषय सामग्री धारा 261

(Contents of Prospectus)

प्रविवरण जनता को कम्पनी के अंश खरीदने के लिये दिया गया निमन्त्रण माना जाता है। अत: विवरण में उन सभी बातों को सम्मिलित करना चाहिये जिन्हें देख पढ़ एवं समझकर निवेशक कम्पनी में अपने धन के निवेश करने के सम्बन्ध में आवश्यक निर्णय ले सके। अतः इसमें कम्पनी के आर्थिक पहलओं के साथ-साथ प्रबन्धकीय एवं भविष्य की प्रगति की सम्भावनाओं के सम्बन्ध में भी जानकारी दी जानी चाहिए।

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भावी निवेशक प्रविवरण में वर्णित तथ्यों तथा आंकड़ों के आधार पर ही अन्तिम निर्णय लेता है। अतः यह एक ऐसी खिड़की है, जिसमें से भावी निवेशक झांक कर देख सकता है कि कम्पनी का उपक्रम कितना शक्तिशाली है। प्रवतंकों द्वारा किये जाने वाले छल-कपट से निवेशक-जनता की रक्षा करने के लिये कम्पनी अधिनियम, 2013 के अधीन प्रत्येक कम्पनी के सम्बन्ध में यह अनिवार्य है कि प्रविवरण जारी करते समय वह अधिनियम में वर्णित आवश्यकताओं की पूर्ति करे। इसका पालन न करने पर जुर्माना या कैद या फिर दोनों ही सजाओं से दण्डित किया जा सकता है। इसलिए प्रविवरण तैयार करते समय अधिनियम में उल्लिखित समस्त नियमों का पालन किया जाना चाहिए। कम्पनी अधिनियम 1956 में दिये गये प्रविवरण के स्वरूप को वर्तमान अधिनियम, 2013 में संशोधित किया गया है ताकि कम्पनी इसके प्रबन्ध, भविष्य की परियोजनाओं, प्रबन्ध की राय में जोखिम के तत्वों आदि के प्रकटीकरण से सम्बन्धित सूचनाएं प्रदान करे क्योंकि इन तथ्यों पर विचार करने के बाद ही निवेशक कम्पनी के अंशों या ऋणपत्रों में धन निवेश करने सम्बन्धी निर्णय लेता है। इसके साथ ही एक घोषणा करनी होगी कि कम्पनी अधिनियम, 2013 के सभी प्रावधानों तथा सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किये गये दिशा-निर्देशों (guidelines) का समुचित ढंग से पालन किया गया है तथा प्रविवरण में ऐसा कोई भी वक्तव्य शामिल नहीं किया गया है, जो कम्पनी अधिनियम के प्रावधानों तथा इसके अधीन बनाये गये नियमों के विपरीत (विरुद्ध) हो।

धारा 26 में प्रविवरण की विषयवस्तु के सम्बन्ध में दिये गये निर्देशों के अनुसार एक कम्पनी के प्रविवरण में निम्नलिखित बातें अवश्य होनी चाहियें :

() (i) कम्पनी का नाम एवं पंजीकृत कार्यालय का पता इसके अतिरिक्त कम्पनी सचिव, मुख्य वित्त अधिकारी, अंकेक्षक, कानूनी सलाहकार, बैंकर, ट्रस्टी, यदि कोई है, अभिगोपक तथा निर्दिष्ट व्यक्तियों के नाम व पते;

(ii) निर्गमन के खुलने एवं बन्द होने की तिथि और आवण्टन पत्र तथा निर्दिष्ट समय में वापसी के जारी करने के सम्बन्ध में घोषणा;

(iii) संचालक मण्डल द्वारा एक कथन-कम्पनी के संचालक मण्डल द्वारा एक कथन शामिल किया जायेगा जिसमें वे इस बात की पुष्टि करेंगे कि वर्तमान निर्गमन से प्राप्त सम्पूर्ण राशि एक अलग बैंक खाते में हस्तान्तरित की जाएगी/रखी जाएगी एवं इससे पूर्व जो निर्गमन हुआ था उसके सम्बन्ध में प्राप्त धन में से प्रयुक्त तथा अप्रयुक्त राशि सहित सम्पूर्ण धन का प्रकटीकरण करना होगा ।

(iv) निर्गमन के अभिगोपन (Underwriting) से सम्बन्धित विवरण;

(v) निदेशकों, अंकेक्षकों निर्गमन के बैंकर्स, विशेषज्ञ की राय, यदि कोई है, और अन्य ऐसे व्यक्तियों की राय जो निर्दिष्ट हो;

(vi) निर्गमन के लिए अधिकार और उसके लिए पारित प्रस्ताव का विवरणः ।

(vii) प्रतिभूतियों को जारी करने एवं आबंटित करने की प्रक्रिया एवं उस प्रक्रिया को पूरा करने में लगाने वाले समय की सारणी।

(viii) निर्धारित प्रारूप में, कम्पनी का पूँजी ढाँचा;

(ix) सार्वजनिक प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य,वर्तमान निर्गमन की शर्ते एवं ऐसा विवरण जो निर्दिय।

(x) कम्पनी का मुख्य उद्देश्य तथा वर्तमान व्यवसाय और इसकी स्थापना, परियोजना के कार्यान्वयन की समय सारणी;

(xi) निम्नलिखित से सम्बन्धित विवरण(a) विशिष्ट रुप से परियोजना के सम्बन्ध में प्रबन्ध का विकसित दृष्टिकोणः । (b) परियोजना विकसित होने का गर्भधारण काल (Gestation Period): । (c) परियोजना की प्रगति की मात्रा एवं सीमा; (d) परियोजना के पूर्ण होने की तिथि; एवं

(e) कम्पनी के प्रवर्तकों के विरुद्ध एक सरकारी विभाग अथवा वैधानिक निकाय द्वारा प्रविवरण जारी करने वाले वर्ष के तुरन्त पहले के 5 वर्षों के दौरान कोई मुकदमेबाजी या लम्बित कानूनी कार्यवाही;

(xii) न्यूनतम अभिदान, प्रीमियम द्वारा दी जाने वाली राशि, नकदी के अतिरिक्त निर्गमित अंशः

(xiii) निदेशकों का विवरण, उनकी नियुक्ति, पारिश्रमिक और उनके हितों की प्रकृति तथा सीमा का विवरण जो निर्दिष्ट हो; और

(xiv) प्रवर्तकों के अंशदान के स्त्रोतों का निर्धारित प्रारुप में प्रकटीकरण।

() वित्तीय सूचना के लिए निम्नलिखित रिपोर्ट

() कम्पनी के अंकेक्षक द्वारा लाभ-हानि और सम्पत्ति व दायित्व और अन्य ऐसे विषयों के बारे में रिपोर्ट जो निर्दिष्ट किए जाएँ;

(ii) प्रविवरण के जारी होने के वित्तीय वर्ष के तुरन्त पहले के प्रत्येक 5 वर्षों के लाभ-हानि के सम्बन्ध में रिपोर्ट, परन्तु जिस कम्पनी की दशा में निर्गमन की तिथि से 5 वर्षों की अवधि पूर्ण नहीं हुई है। उस दशा में सम्बन्धित अवधि तक की वित्तीय रिपोर्ट दी जाएगी।

(iii) निर्धारित ढंग से अंकेक्षक द्वारा बनाई गई रिपोर्ट निर्गमन से तरन्त पहले के 5 वर्षों के तथा व्यापार के लेखे बनाने की अन्तिम तिथि को इसकी सम्पत्ति और दायित्व के सम्बन्ध में रिपोर्ट। यह तिथि प्रविवरण जारी करने के 180 दिन से अधिक पहले की नहीं होगी। परन्तु ऐसी कम्पनियों की दशा में जिन्हें समामेलन की तिथि से 5 वर्ष पूरे नहीं हुए हैं, सम्बन्धित तिथि तक वित्तीय रिपोर्ट बनाई जाएगी; और

(iv) व्यवसाय या लेन-देन के सम्बन्ध में रिपोर्ट जिसके लिए प्रतिभूतियों से प्राप्त धन प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रुप से प्रयुक्त किया जाएगा;

() घोषणा जारी करना (Declaration)-इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुपालन के सम्बन्ध में एक घोषणा और एक कथन की इस प्रविवरण में इस अधिनियम के, प्रतिभूति अनुबन्ध (नियमन) अधिनियम, 1956 और भारतीय प्रतिभूति और विनियम मण्डल अधिनियम, 1992 और उसके अन्तर्गत बनाए गए नियमों और विनियमों के विरुद्ध प्रविवरण में कोई प्रावधान नहीं है; और ।

() ऐसे विषय एवं ऐसी रिपोर्ट को शामिल करना जो निर्दिष्ट होः

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छुट (Exemption)-इस धारा के उपरोक्त प्रावधान कम्पनी द्वारा वर्तमान सदस्यों या ऋण-पत्र धारकों को जारी प्रविवरण अंशों और ऋणपत्रों से सम्बन्धित प्रार्थना के प्रारुप पर लागू नहीं होगा, चाहे एक प्रार्थी को अंशों के सम्बन्ध में अपने अधिकार का धारा 62 की उपधारा (1) वाक्य (a) उपवाक्य (ii) के अनुसार किसी अन्य व्यक्ति के पक्ष में त्याग करने का अधिकार है या नहीं।

रजिस्ट्रार को प्रविवरण की प्रति की सुपुर्दगी (Delivery of Copy of the Prospectus to the Registrar) कम्पनी के द्वारा या कम्पनी की ओर से कोई प्रविवरण तब तक निर्गमित नहीं किया जाएगा जब तक कि इसके प्रकाशन की तिथि को या उससे पहले उसकी एक प्रति प्रत्येक निदेशक, प्रस्तावित निदेशक या उसके यथावाध अधिकृत वकील द्वारा हस्ताक्षरित करके रजिस्ट्रार के पास पंजीकृत न करा दी गई हो।

विशेषज्ञ द्वारा कथन (Statement by the Expert)-निर्गमित किए गए प्रविवरण में विशेषज्ञ दिये गये कथन को तब तक सम्मिलित नहीं किया जाएगा जब तक कि विशेषज्ञ एक ऐसा व्यक्ति।

जी के निर्माण, प्रवर्तन और प्रबन्ध में से सम्बन्धित नहीं है या उसका कोई हित नहीं है की लिखित स्वीकृति प्रविवरण को जारी करने के लिए दे दी है और प्रविवरण को प्रति।

रजिस्ट्रार को सुपुर्द करने से पहले सहमति वापिस नहीं ली है, तो इस सम्बन्ध में एक वक्तव्य प्रविवरण में सम्मिलित किया जाएगा।

रजिस्ट्रार को प्रविवरण की प्रति की सपर्दगी का वर्णन प्रविवरण में करना-कम्पनी, प्रविवरण। की निर्गमित प्रत्येक प्रति के मुख्य पृष्ठ पर यह वर्णन करेगी कि इसकी एक प्रति पंजीकरण के लिए। रजिस्ट्रार को सुपुर्द कर दी गई है।

प्रपत्रों को संलग्न करना-कम्पनी निर्दिष्ट करेगी कि इस धारा द्वारा आवश्यक प्रपत्रों को जो प्रति के साथ संलग्न किए जाएगे या प्रविवरण में सम्मलित कथन का सन्दर्भ देगी जो इन प्रपत्रों को निर्दिष्ट करता है।

रजिस्ट्रार द्वारा कम्पनी का पंजीकरण न किया जाना-रजिस्ट्रार, प्रविवरण को तब तक पंजीकृत नहीं करेगा जब तक कि पंजीकरण के सम्बन्ध में इस धारा की आवश्यकताओं का अनुपालन न कर दिया गया हो और प्रविवरण के साथ इसमें नामित व्यक्तियों की लिखित सहमति इसके साथ संलग्न न की गई हो।

प्रविवरण का अवैध होना-कोई भी प्रविवरण वैध नहीं होगा यदि यह रजिस्ट्रार को इसकी प्रति सुपुर्द करने की तिथि से 90 दिन बाद निर्गमित किया गया हो।

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दण्ड (Penalty) यदि प्रविवरण इस धारा का उल्लंघन करते हुए निर्गमित किया गया है तो कम्पनी जमनि द्वारा दण्डित की जाएगी जो पचास हजार से कम नहीं होगा परन्तु तीन लाख र तक हो सकता है और प्रत्येक व्यक्ति जो इसके जारी करने में जानबूझकर इसका पक्षकार है तो कारावास से दण्डित होगा जिसकी अवधि 3 वर्ष तक की हो सकती है या जुर्माने के साथ जो पचास हजार १ से कम नहीं होगा परन्तु जो तीन लाख र तक हो सकता है अथवा दोनों के साथ।

प्रविवरण में अनुबन्ध की शर्तों या उद्देश्यों में परिवर्तन (धारा 27)

(Variation in terms of contract or objects in Prospectus)

1 परिवर्तन केवल विशेष प्रस्ताव द्वारा (Variation by special resolution Only)-साधारण सभा में कम्पनी द्वारा पारित विशेष प्रस्ताव की अनुमति या प्रदत्त विशेष अधिकार के अतिरिक्त एक कम्पनी किसी भी समय प्रविवरण में सन्दर्भित अनुबन्ध की शर्तों में या उद्देश्य में परिवर्तन नहीं करेगी जिसके लिए प्रविवरण जारी किया गया था।

2. निर्दिष्ट विवरण समाचार पत्रों में प्रकाशित करना (Publication in News Paper) सूचना का ऐसा विवरण जो निर्दिष्ट हो परिवर्तन के औचित्य को सूचित करते हुए समाचार पत्रों में (एक अंग्रेजी में दूसरा स्थानीय भाषा में) उस शहर में जहाँ कम्पनी का पंजीकृत कार्यालय है, प्रकाशित किया जाएगा।

3. प्रविवरण के द्वारा एकत्रित धन का प्रयोग करना (Not to Use Money Collected Through Prospectus)-कम्पनी प्रविवरण के द्वारा एकत्रित धन को किसी अन्य सूचीबद्ध कम्पनी के अंश खरीदने, बेचने अथवा अन्य किसी प्रकार से व्यवहार करने के लिए प्रयोग नहीं करेगी।

4. असन्तुष्ट अंशधारियों को कम्पनी को छोड़ने का अवसर प्रदान करना (Exit offer to dissenting shareholders) असन्तुष्ट अंशधारियों को, जो प्रविवरण में सम्मिलित अनुबन्धों या उद्देश्यों में परिवर्तन करने से सहमत नहीं है उन्हें प्रवर्तकों या नियन्त्रण करने वाले अंशधारियों द्वारा ऐसे मूल्य पर और ऐसे ढंग एवं शतों के अनुसार जो भारतीय प्रतिभूति और विनिमय मण्डल (SEBI) द्वारा। निर्दिष्ट हो, कम्पनी को छोड़ने का अवसर प्रदान किया जायेगा।

कम्पनी के कुछ सदस्यों द्वारा अंशों की बिक्री का प्रस्ताव (Offer of sale of shares by certain Members of Company) (धारा 28)-जहाँ कम्पनी के कुछ अंशधारी मण्डल से। विचार-विमर्श करके किसी कानून के प्रावधानों के अन्तर्गत अपने सम्पूर्ण या आंशिक अंशों को बेचने का प्रस्ताव करना चाहते हैं तो वे ऐसी विधि के अनसार अंशों को बेचने का प्रस्ताव कर सकते हैं जैसे निर्दिष्ट की जाए।

अंशों के उपरोक्त प्रस्ताव को गर्भित माना जाना कोई भी प्रपत्र जिसके द्वारा जनता को विक्रय का प्रस्ताव किया जाए सभी उद्देश्यों के लिए गर्भित प्रविवरण माना जाएगा और इस सम्बन्ध में प्रविवरण से सम्बन्धित सभी नियम लागू होंगे।

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सार्वजनिक प्रस्ताव अभौतिक (Dematerialised) प्रारुप में होना (Public offer IS To be in dematerialised form) (धारा 29) इस अधिनियम के अन्य प्रावधान का बावजूद

(i) प्रत्येक सार्वजनिक कम्पनी जो सार्वजनिक प्रस्ताव कर रहीं है;

(ii) ऐसे वर्ग या वर्गों की सार्वजनिक कम्पनियाँ जैसी निर्दिष्ट हो प्रतिभूतियों को निक्षेपागार। अधिनियम, 1996 (Depositeries Act, 1996) और उसके अन्तर्गत बनाए नियमों का अनुपालन कर हुए अभौतिक प्रारुप में निर्गमित करेंगी।

अन्य कम्पनी, प्रतिभूति अभौतिक या भौतिक रुप में निर्गमित कर सकती है-उपरोक्त कम्पनियों के अतिरिक्त अन्य कम्पनी अपनी प्रतिभूतियों को अभौतिक रुप में परिवर्तित कर सकती है या इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार तथा निक्षेपगार अधिनियम, 1996 के अनुसार अभौतिक रुप में निर्गमित कर सकती है।

प्रविवरण का विज्ञापन (Advertisement of Prospectus) (धारा 30)-जहाँ कम्पनी के प्रविवरण का विज्ञापन छापा गया है तो यह आवश्यक होगा कि कम्पनी के उद्देश्यों, सदस्यों का दायित्व एवं अंश पूंजी की धनराशि, पार्षद सीमा नियम के हस्ताक्षरकर्ताओं के नाम और उनके द्वारा अभिदत्त (Subscribed) किए गए अंशों की संख्या और इसकी पूँजी के ढाँचे के सम्बन्ध में इनका वर्णन करना आवश्यक होगा।

निधाय/शैल्फ प्रविवरण (Shelf Prospectus) (धारा 31)

कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 31 के अनुसार, शैल्फ प्रविवरण का आशय किसी वित्तीय संस्था या बैंक द्वारा अपनी प्रतिभूतियों या प्रतिभूतियों के ऋणों के एक या अधिक निर्गमों (Issues) के लिए निर्गमित प्रविवरण से है।

एक बैंक या वित्तीय संस्था को प्रतिभूतियों के माध्यम से जनता से धन एकत्रित करने में काफी समय लगता है। यही नहीं उन्हें एक ही प्रकार के अंशों का निर्गमन करने के लिए बार-बार प्रविवरण निर्गमित करने में भी काफी समय एवं धन का अपव्यय होता है। शैल्फ प्रविवरण का प्रावधान सर्वप्रथम कम्पनी (संशोधन) अधिनियम, 2000 के अन्तर्गत किया गया था।

शैल्फ प्रविवरण वित्तीय संस्थाओं को बार-बार प्रविवरण जारी करने के झंझट एवं अनावश्यक व्यय से बचाता है क्योकि एक बार जारी शैल्फ प्रविवरण 1 वर्ष की अवधि तक वैध रहता है। इसलिए इसे (शैल्फ में) एक वर्ष के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है। अत: इस प्रविवरण का नाम शैल्फ प्रविवरण रख दिया गया। __शैल्फ प्रविवरण की वैधता की अवधि में कम्पनी को दूसरे तथा बाद के निर्गमों के लिए बार-बार प्रविवरण जारी करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। परन्तु संस्था की प्रथम प्रस्ताव और बाद के प्रस्तावों के बीच की अवधि में हुए वित्तीय स्थिति में परिवर्तन, सम्पत्तियों पर उत्पन्न भार और अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी हेतु रजिस्ट्रार को एक सूचना स्मरण-पत्र (Information memorandum) निर्गमित करना अनिवार्य होगा।

शैल्फ प्रविवरण के साथ सूचना स्मरणपत्र का फाइल किया जाना (Information Memorandum to be filed with Shelf Prospectus) शैल्फ प्रविवरण फाइल करने वाली कम्पनी के लिए एक सूचना स्मरण-पत्र, जिसमें उत्पन्न किए गए नए भार (Charge) के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण तथ्य, प्रतिभूतियों के प्रथम प्रस्ताव या प्रतिभूतियों के पिछले प्रस्ताव और प्रतिभूतियों के अगले प्रस्ताव के बीच कम्पनी की वित्तीय स्थिति में हुए परिवर्तन और अन्य निर्दिष्ट परिवर्तन, शैल्फ प्रविवरण के अन्तर्गत दूसरे और बाद के प्रस्ताव के जारी होने से पहले निर्दिष्ट समय में रजिस्ट्रार के पास फाइल करना आवश्यक होगा।

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शौल्फ प्रविवरण में परिवर्तन की कुछ दशाओं में धन वापिस करना (Refund of Money in case of changes in shelf prospectus) यदि किसी कम्पनी ने प्रतिभूतियों के आवण्टन के लिए प्रार्थना पत्रों के साथ अग्रिम भुगतान प्राप्त कर लिया है. तो ऐसी दशा में शैल्फ प्रविवरण में परिवर्तन करने से पहले कम्पनी उस प्रार्थी को जो अपना प्रार्थना-पत्र वापस लेना चाहते हैं परिवर्तनों की सचना देगी और यदि वे चाहें तो अपनी राशि वापस ले सकते हैं। ऐसी दशा में उसके 15 दिनों के अन्दर अभिदान के रुप में प्राप्त सारी राशि वापिस करनी होगी।

संक्षेप में, शेल्फ प्रविवरण सम्बन्धी प्रावधान निम्नानुसार हैं:

1.वित्त व्यवस्था हेतु शेल्फ प्रविवरण रजिस्ट्रार के समक्ष प्रस्तुत करना-शेल्फ प्रविवरण किसी भी ऐसी सार्वजनिक वित्तीय संस्था, सार्वजनिक क्षेत्र के बक अथवा अनुसूचित बैंक द्वारा रजिस्टार को प्रस्तत किया जा सकता है जिसका प्रमुख उद्देश्य वित्त व्यवस्था (Financing) करना है।

यहाँ वित्तव्यवस्था से तात्पर्य किसी आधारभूत संरचना की वित्त-व्यवस्था में सलग्न । आद्यागिक उपक्रम अथवा केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिसचित ऐसी ही किसी कम्पनी का ऋण दना उसकी पूँजी में अभिदान करने से है।

2. वैधता अवधि में पुनः निर्गमन आवश्यक नहीं-जो कम्पनी/संस्था रजिस्ट्रार को शेल्फ प्राववरण प्रस्तुत कर देगी उसे उसकी वैधता की अवधि (एक वर्ष) में प्रतिभूतियों के प्रत्येक निर्गमन के लिये दुबारा प्रविवरण प्रस्तुत करना नहीं पड़ेगा।

3. वैधता की अवधिशेल्फ प्रविवरण की वैधता की अवधि उस प्रविवरण के अधीन प्रतिभूतियों के प्रथम निर्गम की तिथि से एक वर्ष तक रहेगी।

4. सूचना स्मरणपत्र प्रस्तुत करना-जो कम्पनी/संस्था शेल्फ प्रविवरण प्रस्तुत करेगी उसे एक सूचना स्मरणपत्र (Information memorandum) भी रजिस्ट्रार के पास प्रस्तुत करना पड़ेगा। इस स्मरणपत्र में निम्नांकित बातों का विवरण होगा :

(i) नये सृजित किये गये प्रभारों (Charges) के सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण तथ्य तथा

(ii) प्रतिभूतियों के प्रथम प्रस्ताव, पूर्ववर्ती प्रस्ताव तथा उत्तरवर्ती प्रस्ताव के बीच संस्था की वित्तीय स्थिति में हुए परिवर्तनों सम्बन्धी तत्व।

5. प्रस्तुत करने का समय-यह सूचना स्मरणपत्र केन्द्रीय सरकार द्वारा निर्धारित समय में शेल्फ प्रविवरण के अधीन प्रतिभूतियों के दूसरे या पश्चातवर्ती निर्गम से पूर्व प्रस्तुत करना पड़ेगा। ।

6. जनता को जारी करना-प्रथम बार प्रस्तुत किये गये शेल्फ विवरण के साथ सूचना स्मरणपत्र भी जनता को जारी किया जायेगा। प्रतिभूतियों के प्रत्येक निर्गम के समय जब कभी नवीनतम (Updated) सूचना स्मरणपत्र रजिस्ट्रार के पास प्रस्तुत किया जायेगा तो वह नवीनतम सूचना स्मरणपत्र भी प्रविवरण के साथ जारी किया जायेगा।

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रैड हैरिंग प्रविवरण (Red Herring Prospectus) (धारा 32)

कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 32 के अनुसार “रैड़ हैरिंग प्रविवरण” शब्द से आशय एक ऐसे प्रविवरण से है जिसमें उसमें सम्मिलित प्रतिभूतियों की मात्रा या मूल्य के बारे में पूरा विवरण सम्मिलित नहीं होता।”

एक कम्पनी जो प्रतिभूतियों का प्रस्ताव कर रही है वह प्रविवरण जारी करने से पहले रैड हैरिंग प्रविवरण जारी कर सकती है।

रैड हैरिंग प्रविवरण का पंजीकरण (Registration of Red Herring Prospectus) रेड हरिंग। प्रविवरण को जारी करने के प्रस्ताव वाली कम्पनी अभिदान सूची और प्रस्ताव के खुलने की तिथि से कम-से-कम 3 दिन पहले इस रजिस्ट्रार के पास फाइल करेगी।

रैड हैरिंग प्रविवरण के दायित्व (Liability for Red Herring Prospectus)-रैड हेरिंग प्रविवरण के वही दायित्व होंगे जो एक प्रविवरण पर लागू होते हैं और रैड हैरिंग प्रविवरण एवं प्रविवरण के बीच हुआ कोई भी परिवर्तन प्रविवरण में हुए परिवर्तन के रूप में उजागर (Highlight) किया जाएगा।

प्रतिभूतियों के प्रस्ताव के समाप्त होने पर प्रविवरण रजिस्ट्रार के पास फाइल किया जाना (Upon closure of the offer prospectus to be filed) [धारा 32(4)]-इस धारा के अन्तर्गत प्रतिभूतियों के प्रस्ताव के बन्द होने पर ऋण अथवा अंश पूँजी के रुप में एकत्रित की गई कुल पूँजी और प्रतिभूतियों का बन्द होने वाला मुल्य एवं अन्य विवरण जो रैड हैरिंग प्रविवरण में सम्मिलित नहीं किया गया था। रजिस्ट्रार एवं सेबी के पास फाइल किया जाएगा। ।

अंशों के लिए प्रार्थनापत्र का संक्षिप्त प्रविवरण के साथ निर्गमित करना (Issue of | Application forms for securities with abridged prospectus) (धारा 33)-एक कम्पनी द्वारा प्रतिभूतियों को क्रय करने के लिए प्रार्थना-पत्र का कोई भी फार्म तब तक जारी नहीं किया जाएगा जब तक कि इसके साथ संक्षिप्त प्रविवरण संलग्न न किया गया हो। ।

अपवादइस धारा में निर्दिष्ट कुछ भी लागू नहीं होगा यदि यह सिद्ध कर दिया जाए कि प्रार्थना पत्र का फार्म जारी किया गया था

() एक व्यक्ति को सद्विश्वास से अभिगोपन अनुबन्ध करने के सम्बन्ध में आमन्त्रण देने के लिए; या

() उन प्रतिभूतियों के सम्बन्ध में जो जनता को प्रस्तावित नहीं की गई थी।

मांगने पर प्रविवरण की प्रति देना (Supply of copy of prospectus on request) यदि किसी व्यक्ति ने अभिदान सची और प्रस्ताव बन्द होने से पहले प्रविवरण की प्रति के लिए प्रार्थना की है। तो कम्पनी को उसे प्रविवरण की प्रति देनी होगी।

दण्ड (Penalty) यदि कोई कम्पनी इस धारा के प्रावधानों का उल्लंघन करती है तो यह प्रत्येका चूक के लिए पचास हजार ₹ के दण्ड के लिए दायी होगी।

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प्रविवरण का स्वर्णिम नियम

(The Golden Rule of Prospectus)

प्रविवरण कम्पनी तथा उस व्यक्ति के बीच जो अंश अथवा ऋण पत्र क्रय करता है, अनुबन्ध का आधार होता है। कम्पनी के अधिकारियों के पास कम्पनी की वर्तमान स्थिति एवं भावी सम्भावनाओं की जानकारी होती है अथवा ऐसी जानकारी प्राप्त करने के साधन होते है जबकि विनियोगकर्ताओं (Investors) के पास ऐसी कोई जानकारी नहीं होती। अत: प्रविवरण जारी करने वालों का यह कर्त्तव्य बन जाता है कि वह न केवल सभी सम्बद्ध तथ्यों को सही ढंग से प्रकट करे बल्कि यह भी निश्चित करें। कि कोई भी सम्बद्ध तथ्य प्रकट होने से न रह जाए। इस प्रकार प्रविवरण बनाते समय उसमें सभी महत्त्वपूर्ण तथ्यों को पूरी ईमानदारी तथा निष्पक्ष भाव से प्रस्तुत किया जाए तथा किसी भी ऐसी महत्त्वपूर्ण सूचना को छिपाया न जाए जिसका प्रकटीकरण आवश्यक हो। इसे प्रविवरण बनाने का स्वर्णिम नियम (Golden Rule for framing Prospectus) कहते हैं। इस नियम का प्रतिपादन न्यायधीश वी० सी० किन्डर्सले (Justice V.C. Kindersley) ने “न्यू बन्सविक एण्ड कनेडा रेलवे एण्ड लैण्ड कं० बनाम मगरिज” (New Brunswick & Canada Railway & Land Co. Muggeridge) के मामले में किया।

जो व्याक्ति प्रविवरण द्वारा जनता को प्रस्तावित कम्पनी के अंश लेने से होने वाले लाभ के सब्ज बाग दिखाते है तथा प्रविवरण में दिए गए तथ्यों के विश्वास पर अंश क्रय करने के लिए आमंत्रित करते हैं उनका यह कर्त्तव्य है कि सभी बातें दृढ़ता एवं ईमानदारी से प्रकट करें। उन्हें कोई भी मिथ्या कथन या गुमराह करने वाली बात नहीं कहनी चाहिए और यह भी देखना चाहिए कि ऐसा कोई भी तथ्य प्रकट करने से छूट न जाए जो प्रविवरण में वर्णित अंश क्रय करने के लाभों की प्रकृति, सीमा या गुणों को प्रभावित करता हो। अतः प्रविवरण को तैयार करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान में रखना आवश्यक

1 प्रविवरण में किसी भी तथ्य के सम्बन्ध में मिथ्या वर्णन, घोखे में डालने वाला, असत्य या अस्पष्ट विवरण नहीं होना चाहिए।

2. प्रत्येक महत्वपूर्ण तथ्य एवं अनुबन्ध का पूर्ण स्पष्टीकरण होना चाहिए।

3. प्रविवरण की विषय-सामग्री धारा 26 के अनुसार हो।

4. मिथ्या वर्णन के सम्बन्ध में नागरिक दायित्व (Civil liability) से सम्बन्धित धारा 35 की। व्यवस्थाओं को ध्यान में रखकर प्रविवरण तैयार किया जाना चाहिए।

स्वर्णिम नियम को संक्षेप में निम्नलिखित प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है:

1 प्रत्येक विषय का सतर्कता व यथार्थता से उल्लेख होना चाहिए।

2. असत्य कथन को सत्य के रूप में प्रकट नहीं करना चाहिए।

3. किन्हीं भी तथ्यों अथवा परिस्थितियों को छिपाना नहीं चाहिए।

4 अंश क्रय करने वाले व्यक्तियों को सभी तथ्यों पर निर्णय लेने के लिए पर्याप्त अवसर दिया। जाना चाहिए।

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प्रविवरण में भूल, असत्य कथन एवं कपट के परिणाम

(Consequences of Omission, Misrepresentation And Fraud In Prospectus)

प्रविवरण एक ऐसा प्रपत्र है जो कि जनता के सामने कम्पनी का नक्शा प्रस्तत करता है। कम्पनी क्या है? वह क्या करना चाहती है? एवं उसका भविष्य क्या है? आदि बातों की झलक प्रविवरण में दी जाती है। इस प्रकार प्रविवरण भावी विनियोजकों को अंश एवं ऋणपत्र खरीदने के लिए आधार प्रस्तुत करता है। अतः प्रविवरण निर्गमन में वैधानिक आवश्यकताओं की पूर्ति के अतिरिक्त प्रविवरण निमन करने वालों पर यह दायित्व डाला गया है कि प्रविवरण म किसी भी महत्वपूर्ण बात को न छिपाया जाये। कोई असत्य कथन या मिथ्या-वर्णन प्रकाशित न किया जाये जिससे विनियोक्ताओं को धोखा

‘यदि अनजाने में कोई आवश्यक बात प्रविवरण में प्रकाशित होने से रह गई है तो उसे माल (Omission) कहा जाता है। यदि बिना किसी पूर्व जानकारी के जनता को अंश अथवा

हेत आकर्षित करने के लिए प्रकाशित प्रविवरण में किसी प्रकार का मिथ्या कथन हो तो यह ‘असत्य कथन’ कहलाता है, जबकि यदि जानबूझकर कोई महत्वपूर्ण बात छिपाई जाये अथवा जनता को घाखा देने के उद्देश्य से जानबूझकर कोई गलत कथन प्रकाशित किया जाये तो यह ‘कपट’ कहलायेगा।

परिणाम या प्रभाव (Consequences) यदि किसी व्यक्ति ने ऐसे प्रविवरण के आधार पर जिसमें असत्य कथन या कपटपूर्ण विवरण थे उनको सत्य मानकर, अंश तथा ऋण-पत्र का क्रय किया हो तो ऐसी दशा में जहाँ उस व्यक्ति को कुछ अधिकार या उपचार प्राप्त हो जाते हैं, वहीं कम्पनी व। उसके अधिकारियों के कुछ दायित्व उत्पन्न होते हैं। संक्षेप मे, प्रविवरण में भूल, असत्य कथन एवं कपट के निम्नलिखित परिणाम होते है

()कम्पनी के दायित्व अथवा कम्पनी के विरुद्ध अधिकार (उपचार)-प्रविवरण में दिये गये। असत्य कथन, भूल या कपटपूर्ण विवरणों के लिए अंशधारी अथवा ऋण-पत्रधारी को कम्पनी के विरुद्ध निम्नलिखित अधिकार प्राप्त होते है

(1) अनुबन्ध के परित्याग (तोड़ने) का अधिकार-ऐसा अंशधारी जिसने प्रविवरण में दिये गये असत्य कथन, मिथ्या-वर्णन या कपटपूर्ण कथन पर विश्वास करके कम्पनी के अंश खरीदे है तो वह व्यक्ति अंश क्रय करने का अनुबन्ध समाप्त कर सकता है, और दिये गये धन को व्याज सहित वापस लेने का अधिकारी है। परन्तु अनुबन्ध को तोड़ने के अधिकार का प्रयोग निम्नलिखित शर्ते पूरी होने पर ही किया जा सकता है

(1) प्रविवरण में दिया गया कथन असत्य तथा कपटपूर्ण हो।।

(ii) असत्य कथन एक तथ्य (fact) होना चाहिए न कि किसी की राय या विचार।।

(iii) अंशधारी असत्य कथन के आधार पर ही अंश क्रय करने के लिए प्रेरित हुआ हो।

(iv) अनुबन्ध के परित्याग की कार्यवाही यथोचित समय के भीतर तथा कम्पनी के समापन से पूर्व आरम्भ हो जानी चाहिये।

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इस सम्बन्ध में यह भी उल्लेखनीय है कि ऐसा अधिकार मूल क्रेताओं को ही प्राप्त है। एक ऐसा क्रेता जिसने अंशों को किसी अन्य अंशधारी से खरीदा है, इस अधिकार का प्रयोग नहीं कर सकता।

निम्नलिखित दशाओं में अनबन्ध परित्याग करने का अधिकार समाप्त हो जायेगा

() यदि अंशधारी या ऋणपत्रधारी ने असत्य कथन का ज्ञान होने के बाद उचित समय में कार्यवाही नहीं की है।

() यदि असत्य कथन का ज्ञान होने के बाद वह अपने शब्दों या आचरण से अंश व ऋणपत्र खरीदने के अनुबन्ध की पुष्टि कर देता है, जैसे-हस्तांतरण करना या लाभांश व ब्याज की माँग करना आदि।

() यदि अनुबन्ध को तोड़ने के अधिकार का प्रयोग करने से पूर्व ही कम्पनी का समापन हो जाये।

() यदि आबंटिती एक ऐसा अनुभवी एवं विशेषज्ञ व्यक्ति है जो प्रविवरण के असत्य कथन से गुमराह नहीं हो सकता।

संक्षेप में, अनुबन्ध को तोड़ने के अधिकार का प्रयोग करने हेतु आवश्यक शर्तों के पूरा होने पर तर्कसंगत समय के भीतर तथा कम्पनी के समापन से पहले आवेदन करना होगा। इसके अतिरिक्त उसे आबंटित अंशों को भी कम्पनी को समर्पित करना होगा। तदुपरान्त कम्पनी ऐसे अंशों पर प्राप्त की गई राशि को सम्बन्धित अंशधारी को लौटाने के लिए उत्तरदायी होती है।

(2) कपट के लिए क्षतिपूर्ति कराने का अधिकार-यदि प्रविवरण में असत्य कथन जानबझकर कपट (धोखा देने के उद्देश्य से दिया गया है तो अंशधारी अथवा ऋणपत्रधारी को न केवल अनुबन्ध के परित्याग का अधिकार प्राप्त होता है वरन् वह कपट के आधार पर कम्पनी से हर्जाना भी माँग सकता है। हजनि की मांग के लिए अनुबन्ध का परित्याग करना आवश्यक है अर्थात् इस अधिकार का प्रयोग करत समय खरीदे गये अंश व ऋणपत्र कम्पनी को सौंप देने चाहिये। वह अंशों या ऋणपत्रों को अपने पास राककर क्षतिपूर्ति की मांग नहीं कर सकता। इसके अतिरिक्त इस उपचार का लाभ उठाने के लिए उसे यह सिद्ध करना आवश्यक है कि-(i) असत्य कथन जानबूझकर धोखा देने के उद्देश्य से प्रविवरण में प्रकाशित किया गया, तथा (ii) उसे उस असत्य कथन से वास्तव में धोखा हुआ है।

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() सचालको, प्रवर्तकों तथा अन्य दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध अधिकार या संचालकों एवं

अन्य दोषी व्यक्तियों के दायित्वप्रविवरण में प्रकाशित असत्य अथवा कपटपूर्ण विवरणों के लिए। कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 35 के अधीन ऐसे व्यक्तियों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है जो प्रविवरण के निर्गमन के लिए उत्तरदायी है। प्रविवरण निर्गमन के लिए मुख्यत: निम्नलिखित व्यक्ति उत्तरदायी ठहराये जा सकते हैं

(i) प्रत्येक वह व्यक्ति जो प्रविवरण के निर्गमन के समय कम्पनी का संचालक था।

(ii) प्रत्येक वह व्यक्ति जो प्रविवरण के निर्गमन के समय कम्पनी का प्रवर्तक था। ।

(iii) प्रत्येक वह व्यक्ति जिसने प्रविवरण का निर्गमन अधिकृत किया है, तथा ।

(iv) प्रत्येक वह व्यक्ति जिसने स्वयं को प्रविवरण में संचालक के रूप में नामांकित कराया है।

अधिनियम के अनुसार ऐसे दोषी व्यक्तियों के निम्नलिखित दो दायित्व हैं अर्थात पीडित अंशधारियों या ऋणपत्रधारियों को संचालकों एवं प्रवर्तकों तथा अन्य दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध निम्नलिखित उपचार (अधिकार) प्राप्त हैं

(1) प्रविवरण में मिथ्या कथन के लिए अपराधिक दायित्व (धारा 34) (Criminal Libaility For Mis-Statement in Prospectus)-जहाँ इस धारा के अन्तर्गत जारी, परिचारित या वितरित प्रविवरण में ऐसा कोई विवरण सम्मिलित है जो प्रारूप या सन्दर्भ में असत्य या भ्रामक है जिसके अन्तर्गत इसे सम्मिलित किया गया था या जहाँ किसी विषय को सम्मिलित करना या उसका लोप भ्रामक हो सकता है तो प्रत्येक व्यक्ति जिसको ऐसे प्रविवरण को जारी करने के लिए अधिकृत किया था, धारा 447 के अन्तर्गत उत्तरदायी होगा।

दायित्व से मुक्ति (Exemption)—यह धारा उस व्यक्ति पर लागू नहीं होगी यदि वह सिद्ध कर। दे कि ऐसा विवरण या भूल गैर-महत्त्वपूर्ण थी या उसके पास उस पर विश्वास करने के लिए उचित आधार था एवं प्रविवरण के जारी होने के समय तक उसे विवरण के सत्य होने का विश्वास था और उसका सम्मिलित करना या सम्मिलित न करना आवश्यक था।

(2) प्रविवरण में मिथ्या वर्णन के लिए दीवानी दायित्व (धारा 35) (Civil Liability For Mis-Statements in Prospectus) जहाँ एक व्यक्ति को एक प्रविवरण में किसी सम्मिलित विवरण या किसी विषय के सम्मिलित होने या लोप के कारण, जो भ्रामक है, और उसे इसके कारण कोई हानि हुई है तो कम्पनी और प्रत्येक व्यक्ति जो

(i) प्रविवरण के जारी करने के समय कम्पनी का निदेशक है याः

(ii) अपना नाम प्रविवरण सम्मिलित करने के लिए अधिकृत करता है और कम्पनी के प्रविवरण में उसका नाम सम्मिलित है, या ऐसा निदेशक बनने के लिए तुरन्त या कुछ समय बाद सहमत हो गया है ।

(iii) कम्पनी का प्रवर्तक है;

(iv) प्रविवरण जारी करने के लिए अधिकृत करता है।

(v) धारा 26 उप-धारा 5 में सन्दर्भित एक विशेषज्ञ है,

धारा 35 के प्रावधानों के अनुसार दण्ड के अतिरिक्त प्रत्येक व्यक्ति को जिसको हानि हुई है क्षतिपूर्ति करने के लिए दायी होगा।

दायित्व से मुक्ति (Exemption) कोई भी व्यक्ति इस धारा में दायी नहीं होगा यदि वह यह सिद्ध कर दे कि

(i)  कम्पनी में निदेशक बनने की सहमति देने के बाद परन्तु प्रविवरण जारी होने से पहले उसने अपनी सहमति वापस ले ली थी तथा यह (प्रविवरण) उसके अधिकार या उसकी सहमति के बिना जारी किया गया था; या

(ii) प्रविवरण उसकी जानकारी या सहमति के बिना जारी किया गया था एवं इसके जारी होने की। जानकारी के बाद उसने एक उचित सार्वजनिक सूचना दी थी कि यह उसकी जानकारी या सहमति के बिना जारी किया गया था।

कपट के लिये व्यक्तिगत दायित्व (Personal Liability for Fraud)-इस धारा के बावजूद यदि यह सिद्ध कर दिया जाए कि प्रविवरण कम्पनी की प्रतिभूतियों के प्रार्थियों या किसी व्यक्ति को धोखा देने के उद्देश्य से या कपटपूर्ण उद्देश्यों के लिए जारी किया गया था तो उपरोक्त में सन्दर्भित प्रत्येक व्यक्ति किसी व्यक्ति द्वारा उठाया गया हानि के लिए जिसने ऐसे प्रविवरण के आधार पर प्रतिभतियों का। अभिदान किया था, बिना दायित्व को किसी सामा क व्यक्तिगत रूप में उत्तरदायी होगा।।

3. व्यक्तियों को कपटपूर्ण तरीके से धन निवेश प्रेरित करने के लिए दण्ड (धारा 36) (Punishment For Fraudulently Inducing Persons to Invest Money) कोई व्यक्ति जानबूझकर या लापरवाही से कोई कथन करता है या वचन देता है या भविष्यवाणी करता है जो गलत, धोखापूर्ण या भ्रामक है या जानबूझकर किसी महत्त्वपूर्ण तथ्य को छुपाता है लोगों को अनबन्ध करने के लिए प्रेरित करने के इरादे से

(i) कोई अनुबन्ध प्रतिभूतियों को प्राप्त करने, बेचने, अभिदान करने या अभिगोपन करने हेतु; या।

(ii) कोई अनुबन्ध जिसका उद्देश्य या कल्पित (Pretended) उद्देश्य किसी पक्ष से प्रतिभूतियों की आय से या प्रतिभूतियों के मूल्य में उतार-चढ़ाव से लाभ कमानाः या ।

(ii) कोई अनुबन्ध किसी बैंक या वित्तीय संस्था से साख सम्बन्धी सुविधाएँ प्राप्त करने के लिए। तो वह व्यक्ति धारा 447 के अन्तर्गत उत्तरदायी होगा।

4. प्रभावित व्यक्तियों द्वारा कार्यवाही (धारा 37) (Action By Affected Persons)-कोई। व्यक्ति, व्यक्तियों का समूह या व्यक्तियों की संस्था प्रविवरण में किसी भ्रामक कथन या किसी विषय में सम्मिलित होने या उससे लोप होने (Omission) से प्रभावित हो तो वह धारा 34.35 या 36 के अन्तर्गत दावा कर सकती है या कोई अन्य कार्यवाही जो उचित समझे कर सकती है।

5. प्रतिभूतियों को नकली नामों से प्राप्त करने पर दण्ड (धारा 38) (Punishment For Personation For Acquisition Etc. Of Securities)

() यदि कोई व्यक्ति, किसी कम्पनी के अंश क्रय करने के लिए नकली (Ficticious) नाम से आवेदन करता है अथवा नकली नाम में उसको या किसी अन्य व्यक्तियों को अंशों का आवण्टन करने या हस्तान्तरण करने के लिए बाध्य करता है। या ।

(i) एक कम्पनी को विभिन्न नामों या अपने नाम या उप-नामों के विभिन्न मिश्रणों में प्रतिभूतियों को प्राप्त करने या अभिदान करने के लिए बहुसंख्यक प्रार्थना-पत्र देता है या देने में सहायता करता है; या

(iii) अन्यथा एक कम्पनी को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से नकली नाम में उसको या किसी अन्य व्यक्तिय को प्रतिभूति का आवण्टन, पंजीकरण या हस्तान्तरण करने के लिए प्रेरित करता है, तो वह धारा 447के अन्तर्गतकार्यवाही के लिए उत्तरदायी होगा।

इस धारा के प्रावधान कम्पनी द्वारा निर्गमित प्रत्येक प्रविवरण एवं प्रतिभूतियों के लिए प्रत्येक प्रार्थना-पत्र में बड़े अक्षरों में पुनः प्रकाशित किए जाएगे। ।

कुछ दशाओं में लाभ की वसूली एवं प्रतिभूतियों का जब्त करना और निपटान करना-जब एक व्यक्ति को इस धारा के अन्तर्गत सजा दी गई है तो न्यायालय ऐसे व्यक्ति से ऐसे लाभ की वसूली, और उसके अधिकार में प्रतिभूतियों की जब्ती और निपटान के आदेश दे सकता है। उपरोक्त दशा में प्रतिभूतियों के बेचने या निपटान से प्राप्त राशि निवेशकर्ता शिक्षा एवं सुरक्षा निधि (Investors Education and Protection Fund) के खाते में जमा की जाएगी।

अंशों का आबण्टन (धारा 39)

(Allotment of Shares)

एक कम्पनी अपने अंशों को क्रय करने के लिए प्रविवरण के माध्यम से जनता को आमन्त्रित करती है। प्रविवरण, कम्पनी द्वारा जनता को अपने अंश खरीदने के लिए एक निमन्त्रण है।

सम्भावित निवेशकर्ता एक निर्धारित फार्म पर अंश खरीदने के लिए आवेदन करते हैं। इस प्रकार काआवदन लक्षित अंशधारियों द्वारा अंश खरीदने के लिए एक प्रस्ताव है। कम्पनी अंशधारियों के प्रस्ताव की स्वीकृति अंशों के आवण्टन के द्वारा करती है।

आवण्टन निर्दिष्ट व्यक्तियों को, उनके द्वारा दिए गए आवेदन के बदले में निदेशक मण्डल द्वारा एक निश्चित अंशों का नियोजन (appropriation) या वितरण है। आवण्टन निदेशक मण्डल के द्वारा पारित प्रस्ताव के द्वारा किया जाता है।

यह ध्यान रखना चाहिए कि कम्पनी द्वारा अपहरित (forfeited) किए गए अंशों को जारी करना आवण्टन नहीं है।

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वैध आबण्टन की आवश्यकताएँ

(Essentials Of A Valid Allotment)

वैध अंशों के आवण्टन के लिए यह आवश्यक है कि कम्पनी, कानून के प्रावधानों का अनुपालन करा एक और कम्पनी को अनुबन्ध अधिनियम के सामान्य सिद्धान्तों का अनुपालन करना होगा, एवं। दूसरा आर कम्पनी अधिनियम, 2013 के प्रावधानों का अनुपालन करना होगा।

() अनुबन्ध अधिनियम के अन्तर्गत सामान्य प्रतिबन्ध-जैसा कि ऊपर बताया गया है कम्पनी ।

सा का आवण्टन एक प्रार्थी द्वारा किए गए प्रस्ताव को स्वीकृति है। अत: प्रस्ताव एवं स्वीकातिर सम्बन्धित भारतीय अनुबन्ध अधिनियम, 1872 के प्रावधानों का अनुपालन कम्पनी के द्वारा करना अनिवार्य । है, जो निम्न प्रकार है

(i) उचित अधिकार के द्वारा आबण्टन (Allotment by Proper Authority)-आवण्टन उचित अधिकार के द्वारा किया जाना चाहिए। निदेशक मण्डल को अंश आवण्टन करने का अधिकार है।। अतः आवण्टन कम्पनी के निदेशक मण्डल द्वारा पारित प्रस्ताव के द्वारा किया जाना चाहिए। परन्त अन्तर्नियमों के अन्तर्गत आवंटन के अधिकार का भारार्पण (delegation) एक निदेशक की समिति या उप-समिति को किया जा सकता है।

(ii) आबण्टन उचित समय के अन्दर किया जाना चाहिए (Allotment must be made within a Reasonable Time) एक प्रस्ताव उचित समय में स्वीकृत किया जाना चाहिए। इसी प्रकार से अंशों का आवण्टन भी एक उचित समय में किया जाना चाहिए, अन्यथा प्रार्थी अंश लेने से इन्कार। (मना) कर सकते है।

(iii) आबण्टन का सम्प्रेषण किया जाना चाहिए (Allotment must be Communicated) आवण्टन को बाध्य बनाने के लिए आवण्टन का सम्प्रेषण किया जाना चाहिए। यदि आवण्टन पत्र डाक से भेजा जाए तो आवण्टन पूर्ण माना जाएगा जैसे ही आवण्टन पत्र, जिस पर सही पता लिखा हो और पर्याप्त मुद्रांक (Stamp) लगा हो, डाक में डाला जाए। ऐसे मामले में चाहे आवण्टन-पत्र डाक में खो जाए अथवा देरी से पहुँचे, आवण्टिती (Allottee) उत्तरदायी होगा।

(iv) आबण्टन पूर्ण एवं शर्त रहित होना चाहिए (Allotment must be Absolute and Unconditional)-आवण्टन पूर्ण एवं शर्त रहित होना चाहिए। यदि प्रार्थी ने प्रस्ताव के साथ कोई पूर्व शर्त (Condition Precedent) लगा दी है तो कम्पनी को अंशों का आवण्टन उस शर्त के साथ करना चाहिए। शर्त पूर्ण नहीं की गई हो तो आवण्टन अवैध माना जाएगा।

() वैधानिक प्रतिबन्ध (Statutory Restrictions)-कम्पनी अधिनियम के अन्तर्गत निवेश करने वाली जनता के हितों की रक्षा करने के लिए अनेक प्रतिबन्ध लगाए गए हैं। एक कम्पनी जो जनता को अंश या ऋणपत्र अभिदान करने का प्रस्ताव कर रही है उसके लिए प्रविवरण जारी करना आवश्यक है और कम्पनी अधिनियम के प्रावधानों का अनुपालन करना भी आवश्यक है। यह ध्यान रखना चाहिए कि ये प्रावधान निजी कम्पनी पर लागू नहीं होते।

एक सार्वजनिक कम्पनी के द्वारा अंशों का आवण्टन करने पर निम्नलिखित प्रतिबन्ध लगाए गए।

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1 प्रविवरण का पंजीकरण (Registration of Prospectus)-एक कम्पनी तब तक जनता को प्रविवरण जारी नहीं कर सकती जब तक कि इसकी एक प्रति प्रविवरण जारी करने से पहले रजिस्ट्रार के पास फाइल न कर दी जाए।

2. न्यूनतम अभिदान (Minimum Subscription)-जनता को अभिदान के लिए आमन्त्रित करने के लिए तब तक अंशों का आवण्टन नहीं किया जाएगा जब तक न्यूनतम अभिदान राशि के बराबर अश अभिदत्त (Subscribed) नहीं किए गए हैं एवं आवेदन के साथ दी जाने वाली राशि कम्पनी द्वारा चैक अथवा अन्य किसी विनिमय साध्य विलेख के द्वारा प्राप्त न कर ली गई हो।

यदि न्यूनतम अभिदान अभिदत्त (Subscribed) नहीं हुआ है एवं प्रार्थना राशि प्रविवरण जारी करने के 30 दिन के अन्दर या सेबी द्वारा निर्दिष्ट अन्य अवधि के अन्तर्गत प्राप्त नहीं हुई है तो इस प्रकार से प्राप्त राशि ऐसे समय और ढंग से वापिस की जाएगी जैसा निर्दिष्ट किया जाए।

3. प्रार्थनापत्र पर देय राशि अंशों के अंकित मूल्य से 5 प्रतिशत से कम नहीं होगी (Amount Payable on Application shall not be less than 5 Percent of the Face Value)-प्रतिभूतियों के प्रत्येक प्रार्थना-पत्र के साथ प्रार्थना राशि उनके अंकित मूल्य के 5 प्रतिशत से या सेबी द्वारा निर्दिष्ट राशि से कम नहीं होगी।

4. रजिस्टार के यहाँ आबण्टन की विवरणी दाखिल करना (Filing Return of Allotment with the Registrar)-जव एक कम्पनी प्रतिभूतिया का आवण्टन करती है तो इसे निर्धारित ढंग से आवण्टन की विवरणी रजिस्ट्रार के यहाँ दाखिल (प्रस्तुत) करनी होगी।

दण्ड (Penalty)-यदि कम्पनी उपरोक्त उप-धारा (3) या (क)का उल्लंघन करती है तो कम्पनी और इसके प्रत्येक दोषी अधिकारी प्रत्येक चूक के लिए एक हजार र प्रतिदिन की दर से जुर्माना देने के। लिए उत्तरदायी होंगे जब तक भूल जारी रहती है या एक लाख र जो भी कम हो।

स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के सम्बन्ध में (धारा 40)

(Application to the Stock Exchange for Permission to deal with Shares)

5. प्रविवरण में स्टॉक एक्सचेंज के नाम देना (Name(s) of stock exchange(s) in rospectus)-जहा एक कम्पनी के प्रविवरण में यह वर्णित हो कि स्टॉक एक्सचेंज को आवेदन-पत्र दिया गया है वहाँ प्रविवरण में उन स्टॉक एक्सचेज के नाम दिए जाएंगे जहाँ पर प्रतिभूतियों में व्यवहार (क्रय-विक्रय) किया जाएगा।

6. प्रार्थना राशि अलग बैंक खाते में जमा करना (Depositing of Application Money in a Senarate Bank Account)-प्रार्थना पत्र के साथ अभिदान के लिए प्राप्त सम्पूर्ण धन राशि एक अनुसूचित बैंक में अलग खाते में रखी जाएगी, जिसका उपयोग

(i) प्रतिभूतियो के आवण्टन के विरुद्ध समायोजन के लिए, जहाँ स्टॉक एक्सचेंज पर प्रतिभूतियों के व्यवहार की ज्ञा मिल गई हो; या

(ii) सेबी द्वारा निर्दिष्ट समय के अन्दर जहाँ कम्पनी अंशों का आवण्टन करने में किसी कारण से असफल है, प्रार्थियों को धनराशि वापस करने में कोई भी शर्त जो इस धारा के अनुपालन का उल्लंघन करने को माफी दे, व्यर्थ (void) होगी।

दण्ड (Penalty)—इस धारा के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर कम्पनी जुर्माना देने के लिए उत्तरदायी होगी जो पाँच लाख ₹ से कम नहीं होगा परन्त पचास लाख ₹ तक होगा और कम्पनी का प्रत्येक दोषी अधिकारी सजा पाने का दोषी होगा जिसकी अवधि एक वर्ष तक हो सकती है या जमनि के साथ जो पचास हजार से कम नहीं होगा परन्तु तीन लाख ₹ तक हो सकता है या दोनों के साथ।

Corporate Laws Prospectus Study

परीक्षा हेतु सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

(Expected Important Questions for Examination)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions)

1 प्रविवरण क्या है ? क्या एक सार्वजनिक कम्पनी के लिये प्रविवरण का निर्गमन करना अनिवार्य है? प्रविवरण में असत्य कथन के परिणामों की विवेचना कीजिये।

What is Prospectus? Is the issue of a prospectus obligatory for a public company? Discuss the consequences of mis-statement in a prospectus.

2. प्रविवरण क्या है ? प्रविवरण में मिथ्यावर्णन के लिये दीवानी तथा आपराधिक दायित्व सम्बन्धी प्रावधानों का वर्णन कीजिये।

What is Prospectus? Explain the provisions relating to civil and criminal liability for mis-statement in prospectus.

3. एक सार्वजनिक कम्पनी में अपना प्रविवरण-निर्गमन करना अनिवार्य नहीं है जबकि निजी कम्पनी को ऐसा करने की अनुमति भी नहीं होती है। स्पष्ट कीजिये तथा प्रविवरण की विषय सामग्री की रूपरेखा बताइये।

It is not compulsory for a public company to issue a Prospectus while a private company is not even permitted to issue it. Explain it and outline the main contents of a Prospectus.

4. कम्पनी की विवरण-पत्रिका’ क्या है ? विवरण पत्रिका के निर्गमन तथा पंजीयन के सम्बन्ध में कानून की व्यवस्थाओं को समझाइये।

What is a ‘Company Prospectus’? Explain the provisions of law relating to the issue and registration of a prospectus.

5. प्रतिविवरण का क्या महत्त्व है ? यह कब निर्गमित किया जाता है ? प्रविवरण की विषय सामग्री के बारे में विस्तृत जानकारी दीजिये।

What is the importance of Prospectus 2 When a prospectus is issued ? Give a detailed description of the Contents of Prospectus.

6. कम्पनी प्रविवरण से आप क्या समझते हैं ? विवरण में मिथ्या वर्णन या कपटमय विवरण के क्या। परिणाम होते हैं?

What do you mean by a Company Prospectus ? What are the consequences of mis-statement or fraudulent statement in a prospectus ?

7. एक प्रविवरण क्या है ? उसकी विषय सामग्री लिखिये। क्या उसका निर्गमन अनिवार्य है?

What is a Prospectus ? Write its contents. Is its issue compulsory?

8. कम्पनी अधिनियम, 2013 के अधीन एक नयी कम्पनी द्वारा जारी प्रविवरण की विषय सामग्री को स्पष्ट कीजिये।

Discuss the contents of the prospectus issued by a new company under Companies Act. 2013.

9. एक कम्पनी के प्रविवरण में भल, मिथ्यावर्णन और कपट के परिणामों की विवेचना कीजिये। उन परिस्थितियों का वर्णन कीजिये जिनके अन्तर्गत संचालकों को उनके दायित्व से मुक्त किया जा सकता है।

Discuss the consequences of omission, mis-representation and fraud in connection with prospectus of a company. Also narrate the circumstances under which a director may be relieved from the liability.

10. प्रविवरण की परिभाषा दीजिए। एक व्यक्ति के अधिकारों का वर्णन कीजिए जो प्रविवरण में मिथ्या कथन के कारण अंश खरीदने के लिए प्रेरित हुआ था।

Define a prospectus ? Discuss the rights of a person induce by misrepresentation in a prospectus to purchase shares in a company.

11. एक अंशधारी को प्राप्त उपचारों की व्याख्या कीजिए, जिसने एक भ्रामक प्रविवरण के आधार पर अंशों का अभिदान किया।

Explain the remedy available to a shareholder who has subscribed shares on the faith of misleading prospectus.

12. अंशों के आवण्टन से आप क्या समझते हैं? अंशों के आवण्टन के सम्बन्ध में लगाए गए प्रतिबन्धों का वर्णन कीजिए।

What do you understand by allotment of shares? Discuss the restrictions imposed on allotment of shares.

Corporate Laws Prospectus Study

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions)

1. प्रविवरण से क्या आशय है ?

What is meant by Prospectus?

2.एक सार्वजनिक कम्पनी के लिये प्रविवरण जारी करना कब आवश्यक नहीं होता है ?

When is a public company not required to issue a prospectus?

3. एक कम्पनी की ओर से प्रविवरण कौन जारी कर सकता है?

Who can issue a prospectus on behalf of a company?

4. प्रविवरण में भूल तथा मिथ्यावर्णन से क्या आशय है?

What is meant by omission and misrepresentation in prospectus ?

5. ‘गर्भित प्रविवरण’ से आप क्या समझते हैं? इसके क्या परिणाम है?

What do you understand by ‘Deemed Prospectus? What are its consequences?

6. रेड हेरिंग प्रविवरण’ से आप क्या समझते हैं? इसके सम्बन्ध में कानूनी प्रावधान बताइए।

What do you understand by Red Herring Prospectus? Explain its legal provisions.

7. प्रविवरण में भूल तथा मिथ्यावर्णन का क्या प्रभाव पड़ता है ?

What is the effect of omission and misrepresentation in prospectus?

8. उन परिस्थितियों को बताइये जबकि प्रविवरण जारी करने की आवश्यकता नहीं होती

State the circumstances when Prospectus is not required to be issued ?

9. क्या प्रविवरण का निर्गमन आवश्यक है? Is issue of prospectus compulsory?

10. प्रविवरण निर्गमन सम्बन्धी वैधानिक नियमों की व्याख्या कीजिये।

Discuss the statutory rules regarding the issue of prospectus.

11. शेल्फ प्रविवरण से क्या आशय है ?

What is meant by Shelf Prospectus ?

12. उन परिस्थितियों का वर्णन कीजिये जिनमें संचालकों को असत्य कथन के लिये उनके दायित्व से मुक्त किया जा सकता है ?

Narrate the circumstances under which a director may be relieved from the liability of misstatement.

13. असत्य कथन की दशा में संचालकों/प्रवर्तकों के दण्डनीय दायित्व बताइये।

Narrate the criminal liability of directors/promoters in case of mis-statement.

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chetansati

Admin

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