BCom 2nd year Corporate Laws Safety Study Material Notes In Hindi

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BCom 2nd year Corporate Laws Safety Study Material Notes In Hindi

Table of Contents

BCom 2nd year Corporate Laws Safety Study Material Notes In Hindi: Provisions Related to Safety at a Glance Fencing of machinery Work on or Near Machinery in Motion Employment of Young persons on Dangerous Machines  Self Acting Machines  Casing of New Machinery Prohibition of Employment of Women and Children Near Cotton Openers Hoists and Lifts Revolving Machinery Pressure Plant  Sumps Puts Tanks Etc Excessive Weight Productions of Eyes Explosive or Inflammable Dust Gas Etc.

Safety Study Material Notes
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BCom 2nd year Corporate Laws Health Study Material Notes in Hindi

सुरक्षा (SAFETY)

सामान्यतया श्रमिकों द्वारा मशीनों की सहायता से ही कारखानों में कार्य किया जाता है। कुछ मशीनें बड़ी-बड़ी एवं अत्यधिक जोखिमपूर्ण होती हैं। इन मशीनों पर कार्य करने के दौरान प्रायः श्रमिक दुर्घटनाग्रस्त होकर कार्य करने के अयोग्य हो जाते हैं एवं कभी-कभी मृत्यु के शिकार भी हो जाते हैं। इसलिये कारखाने में कार्यरत श्रमिकों के कार्य के दौरान पूर्ण सुरक्षा प्रदान करना परमावश्यक है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुये श्रमिकों को कार्य के दौरान सुरक्षा प्रदान करने के लिये कारखाना अधिनियम, 1948 की धारा 21 से धारा 41 के अन्तर्गत सुरक्षा सम्बन्धी विभिन्न प्रावधानों का समावेश किया गया है। इन प्रावधानों का अनुपालन करना नियोक्ता का प्रथम दायित्व है।

Corporate Laws Safety Study

सुरक्षा सम्बन्धी प्रावधानएक दृष्टि में

(Provisions Related to Safety At a Glance)

1 यन्त्रों की घेराबन्दी (धारा 21)

2. चलते हुये यन्त्रों पर या उनके पास काम करना (धारा 22)

3. खतरनाक यन्त्रों पर नवयुवकों की नियुक्ति (धारा 23)

4. शक्ति का सम्बन्ध विच्छेद करने वाले यन्त्र (धारा 24)

5. स्वचालित यन्त्र (धारा 25)

6. नये यन्त्रों को ढक कर रखना (धारा 28)

7. कपास डालने के यन्त्रों के पास स्त्रियों तथा बालकों की नियुक्ति पर प्रतिबन्ध (धारा 27)

8. माल एवं मनुष्यों को ऊपर-नीचे ले जाने वाले यन्त्र (धारा 28)

9. वजन उठाने वाले यन्त्र (धारा 29)

10. घूमने वाले यन्त्र (धारा 30)

11. दबाव डालने वाले यन्त्र (धारा 31)

12. फर्श, सीढ़ियों और पहुँच के साधन (धारा 32)

13. हौज, गड्डे, तालाब आदि (धारा 33)

14. अत्यधिक बोझ व भार (धारा 34)

15. आँखों की रक्षा (धारा 35)

16. खतरनाक धुएँ एवं गैस के निवारण के उपाय। (धारा 36)

17, विस्फोटक या आग पकड़ने वाली धूल, गैस आदि।   (धारा 37)

18. आग की दशा में सावधानियाँ । (धारा 38)

19. दोषपूर्ण भागों की जाँच का अधिकार। (धारा 39)

20. भवन एवं यंत्रों की सुरक्षा। (धारा 40)

21. सुरक्षा अधिकारी [धारा 40(B)]

22. नियम बनाने का अधिकार (धारा 41)

यन्त्रों की घेराबन्दी [धारा 21]

(Fencing of Machinery)

Corporate Laws Safety Study

यत्रों की घेराबन्दी से आशय कारखाने में प्रयोग किये जाने वाले यन्त्रों को इस प्रकार से सुरक्षित रखना

हा जिससे कारखाने में कार्य करने वाले श्रमिकों को किसी प्रकार की कोई हानि न पहुँचे। यन्त्रों की घेराबन्दा सम्बान्धत यन्त्री को ढक कर, उनके आस-पास रक्षक (Safeguards) लगाकर या अन्य किसी भी प्रकार स का जा सकता है। यन्त्रों की घेराबन्दी के सम्बन्ध में कारखाना अधिनियम के अन्तर्गत निम्नलिखित प्रावधान किय गये हैं

(i) सुरक्षा साधनों द्वारा घेराबन्दी की अनिवार्यता-प्रत्येक कारखाने में निम्नलिखित यन्त्रों की ठोस एवं मजबूत बनावट के सुरक्षा साधनों द्वारा अच्छी तरह घेराबन्दी की जायेगी एवं घेराबन्दी की गई मशीनों के भाग जब गतिशील हों अथवा उपयोग में लाये जा रहे हों तो इन सुरक्षा साधनों को अपने ही स्थान पर लगे रहने दिया जायेगा

() मुख्य चालक (Prime Mover) का प्रत्येक गतिशील भाग तथा उससे जुड़ा हुआ प्रत्येक गतिपालकपहिया (Fly wheel) चाहे मुख्य चालक अथवा गति चालक पहिया इन्जन गृह में हो या नहीं:

() प्रत्येक जल चक्र (Water wheel) तथा जल चक्की (Water Turbine) का सिरा तथा अन्त काभाग;

() खराद (Lathe) के स्टॉक बार (यन्त्र का कुन्दा) का वह भाग जो उसके हैड स्टॉक (यन्त्र के सिरे को थामने वाले भाग से बाहर निकला हुआ भाग) से बाहर निकला हुआ हो। [धारा 21]

(ii) कुछ दशाओं में यन्त्रों की घेराबन्दी से छूट-यदि निम्नलिखित यन्त्रों की स्थिति ऐसी हो अथवा उनकी बनावट इस प्रकार की हो जिससे कारखाने में कार्यरत प्रत्येक श्रमिक को उनकी घेराबन्दी किये बिना भी उतनी सुरक्षा प्राप्त हो सकती हो जितनी उनकी घेराबन्दी करने से हो सकती है, तो घेराबन्दी करना अनिवार्य नहीं है

(a) विद्युत उत्पन्न करने वाला यन्त्र, मोटर अथवा रोटरी कनवर्टर का प्रत्येक भाग; (b) सम्प्रेषण यन्त्र (Transmission Machinery) का प्रत्येक भाग; तथा (c) किसी अन्य यन्त्र का कोई भी जोखिमपूर्ण भाग।।

(iii) राज्य सरकार को अधिकार राज्य सरकार यदि आवश्यक समझे तो किसी विशिष्ट यन्त्र या उसके। भाग की घेराबन्दी से सम्बन्धित अतिरिक्त उपाय निर्धारित कर सकती है अथवा श्रमिकों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुये कुछ शर्तों के साथ किसी यन्त्र की घेराबन्दी से मुक्ति दे सकती है।

Corporate Laws Safety Study

यन्त्रों की घेराबन्दी से सम्बन्धित न्यायालय के कुछ प्रमुख निर्णय

1 शैफिल्ड बनाम् शेनिक (Shefield Vs. Schenik) के मामले में न्यायालय द्वारा यह निर्णय दिया गया कि यन्त्रों की घेराबन्दी समुचित एवं प्रभावी तरीके से होनी चाहिये।

2. बर्न बनाम जोसेफ फेरी एण्ड सन्स (Burn Vs. Joseph Ferry & Sons) का मामला विशेष उल्लेखनीय है। इसके निर्णय में कहा गया है कि यन्त्रों की घेराबन्दी तभी मानी जायेगी, जबकि उससे विभिन्न खतरों से बचाव हो सके।

3. नन्दलाल भण्डारी मिल्स लिमिटेड बनाम कर्मचारी राज्य बीमा निगम इन्दौर (Nand Lal Bhandari Mills Ltd. Vs. E.S.I. Corporation Indore) के मामले में यह निर्णय दिया गया, कि यदि किसी दुर्घटना का कारण मशीन का कोई बिना घेराबन्दी युक्त भाग है तो नियोक्ता इस धारा के प्रावधानों के अन्तर्गत अपने दायित्वों से मुक्त नहीं हो सकेगा।

1 चलते हुये यन्त्रों पर या उनके पास काम करना (धारा 22)

(Work On or Near Machinery in Motion)

भारतीय कारखाना अधिनियम की धारा 22 के अन्तर्गत चलते हये यन्त्रों पर या उनके पास कार्य करने के सम्बन्ध में निम्नलिखित प्रावधान दिये गये हैं

1 विशेष रूप से प्रशिक्षित केवल वयस्क श्रमिक द्वारा कार्य किया जाना-जब किसी कारखाने में चलत। हये यन्त्र के किसी भाग की जाँच करना आवश्यक है अथवा उसके फलस्वरूप पट्टा चढ़ाना या उतारना, तल देना अथवा अन्य कोई कार्य करना आवश्यक हो तो ऐसा कार्य केवल विशेष रूप से प्रशिक्षित वयस्क श्रामक । द्वारा ही किया जायेगा,जो कि निर्धारित चुस्त वस्त्र पहने हुये होगा तथा उस श्रमिक का नाम सम्बन्धित राजस्टर। में लिखा हआ हो । यहाँ पर यह भी उल्लेखनीय है कि ऐसी जाँच या चलते यन्त्र पर कार्य करते समय सम्बन्धित । श्रमिक किसी चलती हुई चरखी (Pulley) या पहिये के किसी पट्टे को तब तक हाथ नहीं लगायेगा जब तक कि उस पट्टे की चौड़ाई 15 सेमी. से कम न हो और पट्टे का जोड़ फीते से बाँध दिया गया हो अथवा समतल कर दिया गया हो।

अन्य यन्त्रों की घेराबन्दीयन्त्रों की घेराबन्दी सम्बन्धी इस अधिनियम के अन्य किसी भी प्रावधान पर ‘बिना प्रतिकूल प्रभाव डाले–(i) सेट स्क्रू (Set Screw), (ii) किसी भी घूमते हुये धुरे में लगी हई कील और चाबी, (iii) तकली (Spindle), (iv) पहिया या दॉतेदार पहिया (Pinion), (v) पेचदार नली, (vi) दाँतेदार। अथवा रगड़ने वाले पहिये की,जब तक कि वे चालू रहें और जिनसे उस श्रमिक के सम्पर्क में आने की आशंका हो, सुरक्षित रूप से घेराबन्दी कर दी जायेगी, ताकि ऐसे सम्पर्क को रोका जा सके। [धारा 22(1)]

(ii) स्त्रियों एवं नवयुवकों की नियुक्ति पर प्रतिबन्ध-मुख्य चालक (Prime Mover) अथवा सम्प्रेषण यन्त्र (Transmission Machinery) जब चल रहे हों तब उन्हें साफ करने, तेल,ग्रीस देने अथवा ठीक करने के लिये किसी भी स्त्री अथवा नवयुवक को अनुमति नहीं दी जानी चाहिये यदि ऐसा कार्य करने में उस यन्त्र अथवा पास वाले किसी यन्त्र से चोट लगने का खतरा हो ।

(iii) राज्य सरकार को अधिकार राज्य सरकार राजपत्र में अधिसूचना जारी करके किसी भी व्यक्ति को मशीनों-यन्त्रों को चालू अवस्था में साफ करने, तेल देने या उसके किसी भाग पर कार्य करने पर रोक लगा सकती है।

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3. खतरनाक यन्त्रों पर नवयुवकों की नियुक्ति (धारा 23)

(Employment of Young Persons on Dangerous Machines)

कारखाना अधिनियम की धारा 23 के अन्तर्गत खतरनाक यन्त्रों पर नवयुवकों की नियुक्ति के सम्बन्ध में निम्नलिखित प्रावधान किये गये हैं

(i) केवल प्रशिक्षित नवयुवक श्रमिक की नियुक्ति कोई भी नवयुवक किसी खतरनाक मशीन पर तब तक कर्य नहीं कर सकेगा, जब तक कि उसे मशीन से पैदा होने वाले खतरों से पूर्णतः अवगत न करा दिया गया हो तथा खतरों से बचने के लिये अपनायी जाने वाली सावधानियों के बारे में प्रशिक्षित न कर दिया गया हो । उसने मशीन पर कार्य करने के सम्बन्ध में पर्याप्त प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया हो अथवा वह ऐसे व्यक्ति की पर्याप्त देखरेख (Supervision) के अधीन कार्य करता हो, जिसे मशीन का पूर्ण ज्ञान व अनुभव हो। यह धारा केवल नवयुवकों पर लागू होती है, स्त्रियों पर नहीं।

 (ii) राज्य सरकार के अधिकार राज्य सरकार ऐसी मशीनों को निर्दिष्ट करेगी जो खतरनाक प्रकृति की हैं तथा जिनको किशोरों द्वारा हैन्डल नहीं किया जाना चाहिये जब तक उपरोक्त अनिवार्यताओं का पालन नहीं किया जाता।

4. शक्ति का सम्बन्ध विच्छेद करने या रोकने वाले पुर्जे तथा साधन (धारा 24)

(Striking Gear and Devices for Cutting of Power)

(i) उपकरणों की कुशल व्यवस्था-शक्ति से सम्बन्ध जोड़ने वाली तथा बन्द करने वाली चर्खियों पर चलने वाले पट्टों को एक ची से दूसरी ची पर सरकाने के लिये उपयुक्त स्ट्राइकिंग गियर (Striking gear) या अन्य कुशल उपकरण की व्यवस्था रखी जायेगी तथा उसका उपयोग किया जायेगा। यह उपकरण इस प्रकार बनाये जायेंगे तथा प्रयुक्त किये जायेंगे कि पट्टे शक्ति से सम्बन्ध जोड़ने वाली ची तक वापिस न सरक सकें।

(ii) निष्क्रिय पट्टों को अलग रखना-ऐसे चालक पट्टे जो निष्क्रिय पड़े हों अथवा उपयोग में न रहे हों तो उन्हें गतिमान धुरों से अलग रखना चाहिये।

(iii) संकटकाल में व्यवस्था कारखाने में आकस्मिक घटना की स्थिति में/संकट के समय कारखाने के प्रत्येक कार्यक्षेत्र में चलते हुये यन्त्र से शक्ति का सम्बन्ध काटने के लिये उपयुक्त साधनों की व्यवस्था होनी चाहिये।

(iv) शक्ति को सुरक्षित रूप से बन्द करने की व्यवस्था-जब किसी कारखाने में शक्ति को चालू करने या बन्द करने की व्यवस्था हो और भूल से ‘बन्द’ की बजाय ‘चालू हो जाने की सम्भावना हो तो दुर्घटना को राकने की दृष्टि से ताला लगाकर उसे सरक्षित रखा जायेगा ताकि असावधानी से कोई यन्त्र अथवा उसका भाग चालू न हो सके।

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5. स्वचालित यंत्र (धारा 25)

(Self-acting Machines)

कारखाना अधिनियम की धारा 25 के अन्तर्गत कारखाने में स्वयं संचालित यन्त्रों के सम्बन्ध में निम्नलिखित । प्रावधान दिये गये हैं

(i) स्वचालित मशीनों या यन्त्रों के आसपास आने-जाने पर प्रतिबन्ध-किसी भी कारखाने में जिस स्थान पर स्वयं कार्य करने वाली मशीनें चलती हैं और जहाँ किसी व्यक्ति को अपने कार्य के दौरान या अन्यथा आना-जाना पड़ता हो, वहाँ उन मशीनों के आगे-पीछे तथा बायें-दायें चलने वाले भाग और उन पर ले जाई जाने वाली सामग्री को मशीनों के भीतरी या बाहरी रास्ते में किसी भी नियत आकार (जो मशीन का भाग नहीं है) के 18 इंच के अन्दर नहीं चलने या जाने दिया जायेगा।

अधिनियम के लागू होने से पूर्व की दशा में जो स्वचालित यंत्र इस अधिनियम के लागू होने से पूर्व स्थापित किये गये हों और जहाँ इस प्रावधान का पालन नहीं किया जाता हो तो ऐसी दशा में मुख्य निरीक्षक ऐसे मशीनी यन्त्र के उपयोग की स्वीकृति दे सकता है। इसके अतिरिक्त वह ऐसे उपाय लागू कर सकता है, जो सुरक्षा के लिये आवश्यक हैं।

6. नये यन्त्रों को ढक कर रखना (धारा 26)

(Casing of New Machinery)

धारा 26 के अनुसार सभी शक्ति-चालित यन्त्र जो इस अधिनियम के लागू होने के बाद स्थापित किये गये हैं उनको ढककर रखने के सम्बन्ध में निम्नलिखित प्रावधान हैं

(i) सुरक्षित ढंग से ढकनासेट स्क्रू, घूमते हुये धुरे, दाँतेदार पहिये, बोल्ट, चाबी, कीलें आदि को प्रभावकारी व सुरक्षित ढंग से ढक कर रखा जाना चाहिये जिससे कि खतरे को रोका जा सके।

 (ii) दण्ड की व्यवस्थाजो भी व्यक्ति कारखाने में उपयोग हेतु शक्ति से चलने वाली कोई ऐसी मशीन बेचता है या किराये पर देता है या प्राप्त करता है, या एजेण्ट के रूप में कार्य करता है जिसके सम्बन्ध में इन प्रावधानों का पालन न किया गया हो तो उसे 3 माह की कैद अथवा 500 रुपये जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

 (iii) राज्य सरकार को अधिकार राज्य सरकार किसी मशीन विशेष या मशीनों के किसी वर्ग के किन्हीं अन्य खतरनाक भाग के सम्बन्ध में किये जाने वाले अतिरिक्त बचावों को निर्दिष्ट करते हुये तथा उन पर किये जाने वाले बचावों के प्रकारों को निर्दिष्ट करते हुये नियमावली बना सकती है। [धारा 26(3)]

7. कपास डालने के यन्त्रों अर्थात् रुई धुनकी यन्त्रों के पास स्त्रियों तथा बालकों की नियुक्ति पर प्रतिबन्ध (धारा 27)

(Prohibition of Employment of Women and Children near Cotton Openers)

धारा 27 के अनुसार कपास निकासक यन्त्र (Cotton Openers) का एक सिरा जहाँ से रुई निकलती है इतना खतरनाक तथा खुला हुआ रहता है कि जरा सी असावधानी पर कोई भी खतरा उत्पन्न हो सकता है, अतः ऐसे स्थानों पर किसी भी महिला या बालक को श्रमिक पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है।

यदि कपास निकासक का भराई वाला हिस्सा निकासी वाले हिस्से से अलग कर दिया जाता है तथा यह विभाजन छत तक बढ़ा दिया जाता है अथवा किसी विशेष परिस्थिति में इतना ऊँचा कर दिया जाता है जो कारखाना निरीक्षक द्वारा लिखित रूप में निश्चित किया गया है तो महिलाओं एवं बच्चों की श्रमिक पद पर नियुक्ति उक्त विभाजन के उस भाग में की जा सकती है जहाँ पर रई का भराई वाला हिस्सा स्थित हो।

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8. माल एवं मनुष्यों को ऊपरनीचे ले जाने वाले यन्त्र (धारा 28)

(Hoists and Lifts)

प्रत्येक कारखाने में श्रमिकों एवं माल को ऊपर व नीचे लाने के लिये विशेष प्रकार के यन्त्रों की व्यवस्था होती है जिन्हें ‘होईस्ट या झोलन एवं लिफ्ट’ कहा जाता है। कारखाना अधिनियम की धारा 28 में इनसे सम्बन्धित निम्नलिखित व्यवस्थायें की गई हैं

(i) यन्त्रों की बनावट एवं निरीक्षण-धारा 28 के अनुसार माल एवं मनुष्यों को ऊपर-नीचे ले जाने वाले यन्त्र Hoists and Lifts अच्छी यान्त्रिक संरचना, ठोस पदार्थ एवं पर्याप्त शक्ति के होने चाहिये । प्रति 6 महीने को समयावधि में कम-से-कम एक बार किसी निर्धारित योग्य व्यक्ति द्वारा उनकी पूर्ण रूप से जाँच की जायेगी। ऐसी जॉच का विवरण निर्धारित रजिस्टर में रखा जायेगा।

(ii) हॉइस्ट एवं लिफ्ट का रास्ताप्रत्येक हॉइस्ट एवं लिफ्ट का रास्ता ऐसे घेरे के द्वारा सुरक्षित रखा। जायेगा जिसमें दरवाजे लगे होंगे। हॉइस्ट लिफ्ट और घेरे की बनावट ऐसी होगी कि कोई भी व्यक्ति या वस्तु हॉइस्ट या लिफ्ट के किसी भाग में फंस न जाये।

 (iii) भार क्षमता की सीमा अंकित करना-प्रत्येक हॉइस्ट या लिफ्ट पर उनके द्वारा उठाये जाने वाले अधिकतम सुरक्षित वजन की सीमा साफ-साफ अंकित कर दी जायेगी और इस सीमा से अधिक वजन नहीं ले जाया जायेगा।

(iv) दरवाजे का प्रबन्धभार एवं मनुष्यों को लाने-ले-जाने वाली लिफ्ट के पिंजरे में प्रत्येक प्रवेश और निकास पर ठीक से दरवाजे लगे हों।

(v) दरवाजों की सुरक्षा व्यवस्था लिफ्ट के पिंजरे के सम्बन्ध में इस प्रकार की व्यवस्था होनी चाहिये कि जब तक पिंजरे का द्वार बन्द न हो जाये तब तक पिंजरा आगे न बढ़ सके, तथा जब तक पिंजरा अपने आप उतरने के स्थान पर न पहुंचे, उसका द्वार खुल न सके।

अतिरिक्त प्रावधानअधिनियम प्रवर्तन के बाद लगाये या बनाये जाने वाले झोलन (Hoist) एवं लिफ्ट में निम्नलिखित अतिरिक्त व्यवस्थायें होनी अनिवार्य हैं

(i) जहाँ पिंजरे को रस्सी या जंजीर का सहारा दिया जाता हो, वहाँ पिंजरे और सन्तुलन भार दोनों के लिये भिन्न-भिन्न दो रस्सियाँ या जंजीरें होनी चाहिये और इनमें इतनी शक्ति होनी चाहिये कि अधिकतम भार सहित पिंजरे को खींच सकें।

(ii) रस्सी,जंजीर या अटैचमैण्ट के टूटने की दशा में पिंजरे एवं भार को सँभालने के लिये अन्य उपयुक्त साधन की उचित व्यवस्था होनी चाहिये।

(iii) ऐसे उपयुक्त स्वचालित साधन की व्यवस्था होनी चाहिये कि पिंजरा निश्चित स्थान से आगे न बढ़े।

मुख्य निरीक्षक के अधिकारजो झोलन और लिफ्ट इस अधिनियम के पारित होने के पूर्व से कार्य कर रहे हैं एवं उनके सम्बन्ध में उपर्युक्त प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है तो मुख्य निरीक्षक को अधिकार है कि वह सुरक्षा सम्बन्धी कुछ शर्तों के साथ उनके उपयोग की अनुमति प्रदान कर सकता है [धारा 28(3)]

राज्य सरकार के अधिकार-यदि राज्य सरकार चाहे तो किसी भी कारखानों या वर्ग या वर्णन के कारखानों को उपर्युक्त प्रावधानों का पालन करना आवश्यक न समझने पर मुक्त कर सकती है। [धारा 28(4)]

दण्ड का प्रावधानउपर्युक्त नियमों का पालन न करने पर कारखाने के परिभोगी अथवा अधिष्ठाता तथ प्रबन्धक दोनों ही 2 वर्ष तक की कैद अथवा 5,000 रु० (पाँच हजार रु०) तक का आर्थिक दण्ड अथवा दोनों ही से दण्डित किये जा सकते हैं।

स्पष्टीकरणइस धारा के उद्देश्यार्थ कोई भी lifting machine या appliance को एक hoist या lift नहीं माना जायेगा जब तक उसका एक प्लेटफार्म या cage न हो, जिनकी दिशा हेरफेर एक गाईड या गाईडों द्वारा सीमित किया जाता है ।

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9. बोझा उठाने वाली मशीनें, जंजीरें, रस्सियाँ एवं भारी बोझा उठाने वाले यन्त्र (धारा 29)

(Lifting Machines, Chains, Ropes and Lifting Tackles)

जिन कारखानों में माल अथवा अन्य सामग्री को ऊपर उठाने या नीचे उतारने के लिये बोझ उठाने वाले यन्त्र, रस्सी एवं जंजीर आदि का प्रयोग होता है, वहाँ इनके टूटने या खराब होने पर भयंकर दुर्घटना होने की सम्भावना रहती है, अतः इस सम्बन्ध में कारखाना अधिनियम की धारा 29 में निम्नलिखित प्रावधानों का समावेश किया गया है। यहाँ पर यह उल्लेखनीय है कि ये नियम झोलन एवं लिफ्ट पर लाग नहीं होते हैं.क्योंकि उनके लिये धारा 28 में अलग नियम दिये गये हैं

(i) यन्त्रों की बनावट निरीक्षण भारक्षमता एवं क्रेन से श्रमिकों की दरी प्रत्येक बोझ उठाने वाली मशीन, जंजीर, रस्सी या भारी बोझ उठाने वाले यन्त्र के समस्त भाग, जिनमें वर्किग गियर भी शामिल हैं, अच्छी। बनावट के, ठोस पदार्थ के पर्याप्त शक्ति के साथ दोषमुक्त होंगे। इन्हें ठीक प्रकार से रखा जायेगा तथा प्रत्येक 12 माह की अवधि में कम-से-कम एक बार या ऐसे मध्यांतर पर जो मुख्य निरीक्षक लिखित रूप में निर्दिष्ट करे, उनकी किसी योग्य व्यक्ति द्वारा पूरी-पूरी जाँच की जायेगी।

किसी भी दशा में बोझ उठाने वाली मशीन तथा जंजीर रस्सी या भारी बोझ उठाने वाले यन्त्र पर ले। जाये जाने वाले सुरक्षित कार्यशील बोझ (Safe working load) से अधिक बोझ नहीं लादा जायेगा। जब का व्यक्ति क्रन (crane) के रास्ते में या उसके समीप ऐसे स्थान पर काम कर रहा हो, जहां उसके टकराने की आशंका हो तो इस बात के प्रभावकारी उपाय किये जायेंगे कि क्रेन उस स्थान के 20 फीट के अन्दर न पहुँचने पाये।

यदि कोई श्रमिक बोझ उठाने वाले गलत यन्त्र का प्रयोग किसी ऐसे उद्देश्य के लिये करता है जिसका वर्णन इस धारा में नहीं किया गया है तो नियोक्ता उसके लिये उत्तरदायी नहीं होगा। [धारा 29(1)]

राज्य सरकार को अधिकार राज्य सरकार कारखाने में उपयोग में आने वाले किसी भी वजन उठाने। वाले यन्त्र अथवा जंजीर, रस्सी अथवा भारी वजन उठाने वाले यन्त्र के सम्बन्ध में निम्नलिखित नियम बना सकती है

(i) इस धारा की शर्तों के अतिरिक्त अन्य शर्ते भी लागू करने के सम्बन्ध में नियम बना सकती है।

(ii) उपर्युक्त प्रावधान की समस्त अथवा किसी भी व्यवस्था के पालन करने से मुक्ति देने के लिये,

बशर्ते उसकी (राज्य सरकार की) सम्मति में ऐसा करना आवश्यक एवं अव्यावहारिक हो।

यन्त्रों का परीक्षण-वजन उठाने वाली जंजीरों रस्सियों,यन्त्रों आदि का पूर्ण रूप से परीक्षण तब हआ माना जायेगा जबकि उसको स्वयं देखकर परीक्षण किया गया हो। यदि आवश्यकता पड़े तो गियर के भागों को खोलकर परीक्षण किया गया हो।

नोटवजन उठाने वाली मशीनों तथा भारी बोझ उठाने वाले यन्त्रों में निम्नलिखित सम्मिलित हैं

(i) वजन उठाने वाली मशीनें क्रेन (Crane), चरखी (Crab), पुली ब्लॉक (Pulley Block), जिन व्हील (Gin wheel), तथा परिवहनकर्ता (Transporter) आदि वजन उठाने वाली मशीनों के नाम हैं।

(ii) भारी बोझ उठाने वाले उपकरण-चैन स्लिग (Chain sling), रोप स्लिग (Rope sling), रोप रिंग (Rope ring), हुक,शेकल, कुन्दे (Swivell), कपलिंग, सोकेट,क्लेम्प ट्रे,या इसी प्रकार के चल या अचल उपकरण जो लोगों या भार को ऊँचा उठाने या नीचा करने के लिये ऊपर उठाने वाली मशीनों (Lifting Machines) द्वारा प्रयोग में लाये जाते हैं।

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10. घूमने वाले यन्त्र (धारा 30)

(Revolving Machinery)

कारखाना अधिनियम की धारा 30 के अन्तर्गत कारखाने में घूमते हुये यन्त्रों के सम्बन्ध में निम्नलिखित सुरक्षा प्रावधानों का समावेश किया गया है

(i) स्थायी सूचना चिपकाना-ऐसे किसी कारखाने के प्रत्येक कमरे में, जिसमें यन्त्र/मशीन द्वारा पीसने का कार्य किया जाता है तो ऐसी प्रत्येक प्रयोग होने वाली मशीन पर या उसके पास स्थायी रूप से एक सूचना लगानी चाहिये जिसमें निम्नलिखित बातें होंगी

(a) घूमने वाली पहिये की घूमने की अधिकतम सुरक्षित गति ।

(b) धुरे या तकली की गति जिस पर पहिया चढ़ा हुआ है।

(c) तकली पर लगे पहिये या व्यास जो सुरक्षित रूप से कार्यशील अवस्था में घूमने की गति प्राप्त ।

करने के लिये आवश्यक है।

(ii) निर्धारित अधिकतम गति से आगे बढ़ना-सूचना में वर्णित गति से अधिक गति पर कार्य नहीं किया जायेगा और प्रत्येक कारखाने में इन यन्त्रों की गति को सुरक्षित सीमा से अधिक ने बढ़ने देने के उपयुक्त साधन होंगे।

(3) के अनुसार प्रत्येक कारखाने में प्रभावी कदम उठाये जायेंगे यह सुनिश्चित करने के लिये कि प्रत्येक revolving vessel, cage, basket, fly-wheel, pulleys, disc या similar appliance driven ‘ by power को safe working perepheral speed अधिक नहीं हैं।

11. दबाव डालने वाले यन्त्र (धारा 31)

(Pressure Plant)

कारखाना अधिनियम की धारा 31 के अन्तर्गत कारखाने में दाब डालने वाले यन्त्रों के सम्बन्ध में निम्नलिखित प्रावधान दिये गये हैं

(i) यन्त्र को वायुमण्डल के दबाव से अधिक दबाव पर न चलने देना-यदि किसी कारखाने में निर्माण प्रक्रिया में उपयोग में लाये जाने वाले यन्त्र/मशीन का कोई भाग वायुमण्डल के दबाव से अधिक दबाव पर चलता है तो ऐसी दशा में वहाँ इस बात के सुरक्षात्मक एवं प्रभावकारी उपाय किये जायेंगे कि सुरक्षित कार्यशील दबाव से अधिक दबाव न बढ़ने पाये।

(ii) राज्य सरकार के अधिकार राज्य सरकार किसी दबाव संयन्त्र तथा मशीन के परीक्षण तथा जाँच के लिये तथा उसके सम्बन्ध में ऐसे अन्य सुरक्षा उपायों को नियत करने के लिये नियमावली बना सकती है तथा नियमों द्वारा इस धारा के प्रावधानों से किसी संयन्त्र या मशीन को मुक्त कर सकती है।

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12. फर्श, सीढ़ियाँ और पहुँच के साधन (धारा 32)

(Floor, Stairs and Means of Access)

कारखाना अधिनियम की धारा 32 के अन्तर्गत कारखाने की फर्श, सीढ़ियाँ व अन्य पहुँच के साधनों सम्बन्ध में निम्नलिखित प्रावधान दिये गये है

(i) फर्श, सीढ़ियों एवं पहँच के साधनों की बनावट-धारा 32 के अनुसार, प्रत्येक कारखाने में समस्त फर्श,सीढ़िया,रास्ते तथा गलियारे (Gangways) मजबूत बनावट के होंगे और वह ठीक प्रकार से रखे जायेंगे। सुरक्षा की दृष्टि से जहाँ भी आवश्यक हो सीढ़ियों,रास्तों तथा गलियारों में सहारे के लिये ठोस सरियों/खण्डों (Handrails) का प्रबन्ध किया जायेगा।

(ii) नियोक्ता का दायित्वकारखाने, श्रमिकों, व्यक्तियों के चलने, चढ़ने व उतरने में सुरक्षा व सुविधाजनक व्यवस्था की जानी आवश्यक है। इसका सम्पूर्ण दायित्व नियोक्ता पर होगा।

(iii) ऊँचे स्थान पर कार्य करना-जब किसी व्यक्ति को इतनी ऊँचाई पर कार्य करना है जहाँ से उसके गिर जाने की संभावना है तो ऐसी दशा में जहाँ तक उचित रूप में सम्भावना हो, इस प्रकार काम कर रहे व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये बाड़ लगाकर या अन्य प्रकार की व्यवस्था की जायेगी जिससे वह पूर्ण रूप से सुरक्षा के घेरे में कार्य कर सके।

13. हौज, गड़े, तालाब आदि (धारा 33)

(Sumps, Pits, Tanks etc.)

कारखाना अधिनियम की धारा 33 के अन्तर्गत हौज, गड्डे, तालाब आदि के सम्बन्ध में सुरक्षित रहने के लिये निम्नलिखित प्रावधान किये गये हैं

(i) सुरक्षित रूप से ढकना अथवा घेराबन्दी करना-प्रत्येक पात्र (vessel), हौज (Sump), टंकी (Tank), गड्ढा अथवा भूमि तथा फर्श पर सुराख अपनी गहराई, स्थिति, बनावट अथवा उसमें रखी वस्तुओं के कारण इस प्रकार के हैं कि उनसे कोई खतरा उत्पन्न हो सकता है तो ऐसी दशा में या तो उन्हें सुरक्षित रूप से ढक दिया जायेगा या उनकी घेराबन्दी करा दी जायेगी। उबाल आने वाली वस्तु रखने वाले कुण्डों की सुरक्षित रूप से घेराबन्दी न करना धारा 33 का उल्लंघन करना माना जायेगा जो धारा 92 के अन्तर्गत अपराध है। ऐसे अपराध के लिये मालिक उत्तरदायी होगा।

 (ii) राज्य सरकार के अधिकार राज्य सरकार लिखित में आदेश द्वारा, ऐसी शर्तों के साथ जैसा निर्धारित किया जाये, किसी कारखाने या कारखानों के किसी वर्ग या विवरण को इस धारा के प्रावधानों को पूरा करने स किसी vessel, sump, tank, pit या opening के सम्बन्ध में मुक्ति प्रदान कर सकती है।

केस लॉश्री चारनजीत बनाम क्षेत्रीय निदेशक के वाद में न्यायालय द्वारा निर्णय दिया गया कि धारा 33 के प्रावधन उस टैंक के सम्बन्ध में लाग नहीं होंगे जहाँ टैंक जमीन की सतह से काफी ऊपर बनाया गया है और जिसके चारों ओर ऊँची दीवार बनी हुई है।

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14. अत्यधिक बोझ भार (धारा 34)

(Excessive Weight)

(i) अत्यधिक बोझ उठाने पर प्रतिबन्ध-किसी कारखाने में किसी भी श्रमिक को इतना अधिक बोझ उठाने के लिये नियुक्त नहीं किया जा सकता कि उससे उस श्रमिक को क्षति पहुंचने की सम्भावना हो ।

(ii) राज्य सरकार को अधिकार राज्य सरकार इस सम्बन्ध में वयस्क पुरुषों, स्त्रियों, किशोरों तथा बालका के लिये अधिकतम वजन उठाने, ले-जाने या हटाने के लिये नियम निर्धारित कर सकती है ।

15. आँखों की रक्षा (धारा 35)

(Protection of Eyes)

कारखाने में की जाने वाली किसी भी ऐसी निर्माण प्रक्रिया में जिसके दौरान उत्पन्न होने वाले कण या छोटे-बड़े टुकड़ों से अथवा अत्यधिक प्रकाश के कारण आँखों को हानि पहुँचने का सन्देह है, तो ऐसी दशा में | काम करने वाले श्रमिकों की सरक्षा हेतु राज्य सरकार नियम बनाकर यह आदेश दे सकती है कि इस प्रक्रिया में अथवा उसके निकटतम कार्य करने वाले व्यक्तियों की रक्षा के लिये प्रभावकारी पर्दो या उपयुक्त चश्मों का प्रबन्ध किया जायेगा। चश्मों के बारे में श्रमिकों को सूचित करना एवं उपलब्ध कराना भी आवश्यक है। Finch Vs. Telegraph Construction & Maintenance Company Ltd. में निर्णय दिया गया कि कार्यालय कक्षों में चश्मे लटकाना पर्याप्त नहीं है वरन् श्रमिकों को उनके मिलने के बारे में सूचित भी किया जाना चाहिये।

वैल्डिंग, पत्थर खोदना एवं तराशना, आदि कुछ प्रक्रियाओं में आँखों को हानि पहुँच सकती है, इसलिये इनमें कार्यरत श्रमिकों की सुरक्षा के लिये यह प्रावधान किया गया है ।

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16. खतरनाक धुएँ एवं गैस के निवारण के उपाय (धारा 36)

(Precautions against Dangerous Fumes and Gases)

कारखाना अधिनियम की धारा 36 के अन्तर्गत कारखाने में खतरनाक धुएँ एवं गैस के निवारण हेतु निम्नलिखित प्रावधानों का वर्णन किया गया है

(i) श्रमिक के प्रवेश पर प्रतिबन्ध-किसी भी कारखाने में निर्माण प्रक्रिया के अन्तर्गत किसी भी कक्ष, टंकी, पीपे, गड्ढे, नल, चिमनी और किसी ऐसे स्थान में जिससे किसी गैस, धुआँ या धूल के इतने अधिक मात्रा में विद्यमान होने की संभावना है जिससे कि वहाँ पहुँचने वाले व्यक्ति का दम घुटने की आशंका हो, तो उस स्थान (कमरा, तालाब, गड्डा, पाइप आदि) पर किसी भी व्यक्ति को प्रवेश करने को नहीं कहा जायेगा और न ही किसी व्यक्ति को प्रवेश करने की अनुमति दी जायेगी। परन्तु यदि धुआँ निकलने के उपयुक्त साधन या उचित आकार के छेद (Mainhole) उसमें हों तो प्रवेश करने की अनुमति दी जा सकती है।

(ii) प्रवेश हेतु अनुमति की शर्ते-उपर्युक्त धारा 36(1) में वर्णित स्थानों पर निम्नलिखित दशाओं में ही किसी भी व्यक्ति को प्रवेश की अनुमति दी जा सकती है(अ) यदि उस स्थान से गैस, धुएँ, भाप या धूल जो भी वहाँ हो, को निकालने तथा इनके अन्दर प्रवेश को रोकने के लिये उपयुक्त उपाय कर लिये गये हैं।

() उस व्यक्ति द्वारा जिसके द्वारा जाँच की गई है, एक लिखित रूप में प्रमाण-पत्र दे देने पर कि उस स्थान का धुआँ खतरनाक नहीं है, न हानिप्रद है और वह स्थान प्रवेश करने योग्य है।

() उस व्यक्ति ने श्वाँस लेने के उपकरण लगा रखे हों तथा उस रस्से से बेल्ट बँधी हो जिसके एक ___ सिरे को बाहर किसी व्यक्ति ने पकड़ रखा हो।

(iii) चलित बिजली के प्रकाश के उपयोग के सम्बन्ध में रखी जाने वाली सावधानियाँ (Precautions regarding the use of Portable Electric Light)-धारा 36 A के अनुसार

() कोई भी चलित बिजली प्रकाश या अन्य 24 वोल्ट्स से अधिक के विद्युत उपकरण को किसी भी। कक्ष के टंकी, पीपे, गड्डे, नल, चिमनी या चारों ओर से घिरे हुये स्थान पर ले जाकर उपयोग की।

अनुमति नहीं दी जायेगी जब तक सुरक्षा का प्रबन्ध न हो, और 1. Substituted Vide Act No. 20 of 1987. कारखाना अधिनियम,1948

() यदि किसी कक्ष, टंकी, पीपे, गड्डे, नल, चिमनी अथवा चारों ओर से घिरे हुये स्थान पर कोई प्रज्ज्वलनशील गैस, धुआँ या धूल उठती है तो वहाँ अग्निशामक (Flame Proof) गोला या प्रकाश। के अतिरिक्त अन्य किसी भी प्रकार के प्रकाश का प्रयोग नहीं किया जा सकेगा।

(iv) साँस लेने के उपयुक्त यन्त्र आदि की व्यवस्था तथा योग्य एवं प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा जाँच-किसी भी कारखाने के उस भाग में जहाँ खतरनाक धुआँ होता हो.साँस लेने एवं होश में लाने के लिये पट्टा, रस्सिया, बेल्ट आदि हमेशा तैयार रखे जाने चाहिये । इसके अतिरिक्त उक्त उपकरणों की किसी भी योग्य एवं अनुभवी व्यक्ति द्वारा समय-समय पर जाँच की जानी चाहिये एवं यह प्रमाण-पत्र देना होगा कि ये यन्त्र उपयोग करने

रखान म कार्यरत प्रत्येक श्रमिक को सांस लेने के यन्त्र का उपयोग करने एवं सांस वापिस लेने की विधियों को बताया जाना चाहिये तथा इस सम्बन्ध में श्रमिकों को प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिये।

(v) ताप वाले यन्त्रों के ठण्डा होने पर प्रवेश-कोई भी श्रमिक कारखाने की बॉयलर, भट्टी,टैंक, नल या अन्य घिरे हुये स्थान पर तब तक प्रवेश नहीं कर सकता जब तक कि उक्त स्थानों को वायु संचालन द्वारा अथवा अन्य उपार्यों द्वारा ठण्डा न कर दिया गया हो।।

(vi) राज्य सरकार को अधिकार राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह किसी भी कारखाने में उपर्युक्त वर्णित यन्त्रों के प्रवेश छेदों (Mainholes) की न्यूनतम गोलाई या आकार निश्चित कर सकती है एवं निर्धारित शर्तों के अन्तर्गत किसी भी कारखाने को इस धारा के प्रावधानों से मुक्त कर सकती है।

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17. विस्फोटक या आग पकड़ने वाली धूल, गैस आदि (धारा 37)

(Explosive or Inflammable Dust, Gas etc.)

विस्फोटक अथवा आग पकड़ने वाली धूल तथा गैस, आदि से मानव की मृत्यु हो सकती है तथा साथ ही कारखानों को भी क्षति पहुँच सकती है, अतः इनके प्रति सुरक्षा प्रदान करने की दृष्टि से प्रस्तुत कारखाना अधिनियम की धारा 37 के अन्तर्गत निम्नलिखित प्रावधानों की व्यवस्था की गयी है

(i) विस्फोट रोकने के व्यावहारिक उपाय करनायदि किसी कारखाने में किसी निर्माण प्रक्रिया से उत्पन्न होने वाली धूल, गैस, धुआँ या भाप इस प्रकार की है और इतनी मात्रा में होती है कि उसमे आग लगने से विस्फोट होने की सम्भावना हो तो वहाँ विस्फोट रोकने के समस्त प्रभावकारी उपाय किये जायेंगे जैसे मशीन या यन्त्र की चारों ओर से घेराबन्दी या प्रक्रिया से उत्पन्न होने वाली धूल,गैस, धुएँ या भाप को एकत्र होने से रोकना अथवा दूर करना; तथा आग उत्पन्न करने वाले समस्त साधनों को अलग करना या उन्हें चारों ओर से प्रभावकारी ढंग से घेर देना।

 (ii) विस्फोट के फैलाव को रोकने की व्यवस्था यदि किसी कारखाने में उपर्युक्त वर्णित धारा 37(1) में वर्णित प्रक्रिया के प्रयोग में आने वाले प्लांट या मशीनरी इस प्रकार से निर्मित नहीं है कि ऐसे संभाव्य दबाव को सहन कर सकें जो कि ऊपर कथित विस्फोट से उत्पन्न होगा,तो विस्फोटक गैस को फैलने नहीं देना चाहिये तथा विस्फोट के प्रभाव को रोकने के लिये एवं गैस की गति को रोकने के लिये बाधक यन्त्रों या अन्य प्रभावकारी साधनों की व्यवस्था की जानी चाहिये।

(iii) वायुमण्डल में अधिक दबाव वाले संयन्त्रों को खोलना-जहाँ किसी कारखाने में किसी यन्त्र या मशीनरी के भाग में किसी विस्फोट या प्रज्ज्वलनशील गैस या भाप वातावरण के दबाव से अधिक भरी हुई है तो उस भाग को निम्नलिखित उपायों को किये बिना नहीं खोला जायेगा

(a) उस भाग के किसी छेद के ढक्कन या पेंच को ढीला करने से पूर्व या किसी पाइप के पेंच को खोलने या ढीला करने से पूर्व स्टॉप वाल्व या अन्य प्रभावी साधनों से बन्द कर देना चाहिये, ताकि गैस के तेज बहाव को रोका जा सके।

(b) उक्त मशीन के ढक्कन को खोलने से पूर्व सम्बन्धित गैस के दबाव को कम करने के लिये सभी सम्भव व्यावहारिक उपाय करने चाहिये।

(c) यदि मशीन के उस भाग का ढक्कन ढीला हो गया हो या ढीला किया गया हो एवं उस केट में

से गैस निकल रही हो तो उस गैस को रोकने के लिये भी प्रभावी उपाय तब तक किये जाने चाहिये। जब तक ढक्कन न कस दिया जाये। –

उपरोक्त प्रावधान उन मशीनों पर लागू नहीं होते हैं जो बाहर खुली हवा में स्थापित की हुई हैं।

(iv) विस्फोट या प्रज्ज्वलनशील पदार्थयक्त यन्त्र या टैंक की मरम्मत कारखाने में किसी भी यन्त्र,टंकी। या पात्र पर, जिसमें विस्फोटक या प्रज्ज्वलनशील पदार्थ भरा हआ हो, झालने (welding), पीतल के पक्के जोड़ लगाने, टाँका लगाने अथवा काटने की क्रियायें जिनमें ताप का प्रयोग होता है तब तक नहीं की जायेंगी जब तक ऐसे पदार्थ या उसमें से निकलने वाले धुएँ को न हटा दिया जाये अथवा ऐसे पदार्थ या धएँ को अविस्फोटक, अथवा अप्रज्ज्वलनशील न कर दिया जाये। यन्त्र टैंक (Tank) या पात्र में इस प्रक्रिया के बाद विस्फोटक या प्रज्ज्वलनशील पदार्थों को उस समय तक नहीं जाने दिया जायेगा जब तक धातु पर्याप्त रूप से ठण्डी न हो जाये ताकि पदार्थ के सलगने का खतरा न हो।

 (v) राज्य सरकार का अधिकारराज्य सरकार यदि उचित समझे तो एक लिखित आदेश द्वारा निश्चित शर्तों के अन्तर्गत किसी भी कारखाने को इस धारा के प्रावधानों से मुक्त कर सकती है। [धारा 37(5)]

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18. आग की दशा में सावधानियाँ (धारा 38)

(Precautions in Case of Fire)

कारखाना (संशोधन) अधिनियम, 1987 में धारा 38 के अन्तर्गत किसी कारखाने में आग लगने की दशा में निम्नलिखित व्यवस्थायें की गई हैं

(i) आग लगने या फैलने को रोकना-प्रत्येक कारखाने में आग लगने या उसके फैलने को रोकने के लिये आन्तरिक एवं बाह्य सभी व्यावहारिक उपाय किये जायेंगे।

 (ii) बचाव के उपायप्रत्येक कारखाने में आग लगने की दशा में सभी व्यक्तियों को बचाव के सुरक्षित साधन उपलब्ध किये जायेंगे तथा उन्हें सुरक्षित रखा जायेगा।

 (iii) आग बुझाने के यन्त्रप्रत्येक कारखाने में आग बुझाने के लिये आवश्यक उपकरण एवं सुविधायें उपलब्ध की जायेंगी तथा उन्हें बनाये रखा जायेगा।

 (iv) साधनों की जानकारी-प्रोत कारखाने के सभी श्रमिकों को आग से बचाव के सभी साधनों की जानकारी दी जानी चाहिये। उन्हें आग से बचाव की प्रक्रिया का प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिये।

 (v) राज्य सरकार का अधिकार-राज्य सरकार किसी भी कारखाने या किसी वर्ग या विवरण के कारखानों के लिये नियम बनाकर इस धारा के प्रावधानों को क्रियान्वित करने के लिये उपाय करने का आदेश दे सकती

 (vi) निरीक्षक को अधिकारयदि इस अधिनियम की व्यवस्थाओं या राज्य सरकार द्वारा बनाये गये नियमों के अनुरूप किये गये प्रयास मुख्य निरीक्षक को अपर्याप्त प्रतीत होते हैं तो वह एक लिखित आदेश द्वारा जो अतिरिक्त उपाय उपयुक्त समझे, उन अतिरिक्त उपायों को एक निश्चित तिथि तक लागू करने का आदेश दे सकता है।

19. दोषपूर्ण भागों की जाँच का अधिकार (धारा 39)

(Power of Testing of Defective Parts)

कारखाना अधिनियम की धारा 39 के अन्तर्गत कारखाने में दोषपूर्ण भागों की जाँच का अधिकार दिया गया है जिससे कारखाने में कोई श्रमिक दुर्घटनाग्रस्त न हो या उसे किसी भी प्रकार की हानि न हो सके । यदि निरीक्षक को ऐसा लगता है कि कारखाने में कोई भवन या उसका कोई भाग अथवा कारखाने का कोई यन्त्र/मशीन ऐसी दशा में है कि वह मानवीय जीवन अथवा सुरक्षा को जोखिम में डाल सकता है, तो वह (कारखाने के अधिष्ठाता या प्रबन्धक या दोनों को) एक लिखित आदेश के द्वारा निश्चित तिथि से पूर्व निम्नलिखित कार्य करने के लिये कह सकता है

(i) वे निर्दिष्ट विवरण व नक्शे प्रस्तुत करने के लिये, जिनसे इस बात का निर्धारण किया जा सके कि।

वे भवन, रास्ते, यन्त्र व संयन्त्र सुरक्षित हैं या नहीं।

(ii) निर्धारित रीति से यन्त्रों की जाँच करने और उस जाँच के परिणामों की सूचना निरीक्षक को देने के लिये।

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20. भवन एवं यन्त्रों की सुरक्षा (धारा 40)

(Safety of Buildings and Machinery)

कारखाना अधिनियम की धारा 40 में कारखाने के भवन एवं यन्त्रों की सुरक्षा के सम्बन्ध में विस्तृत प्रावधान किये गये हैं, जो निम्नलिखित प्रकार हैं

(i) भवन एवं यन्त्रों के उपयोग को रोकने का आदेश-यदि निरीक्षक को यह प्रतीत होता है कि कारखाने का भवन या उसका कोई भाग या यन्त्र/मशीन आदि से मानव जीवन को शीघ्र खतरा हो सकता है तो ऐसी दशा में वह कारखाने के प्रबन्धक या परिभोगी अथवा दोनों को लिखित आदेश देकर उनका उपयोग तब तक रोक सकता है, जब तक कि उनकी उचित मरम्मत न कर दी जाये या उन्हें बदल न दिया जाये

(ii) कारखाने के अधिष्ठाता या प्रबन्धक अथवा दोनों को भवनों के रख-रखाव कराने का आदेश (Maintenance of Buildings) (धारा 40A)-यदि निरीक्षक को ऐसा लगता है कि कारखाने के किसी भवन या उसके किसी भाग की स्थिति या दशा इतनी अधिक खराब है कि उसका श्रमिकों के स्वास्थ्य व कल्याण पर विपरीत या बुरा प्रभाव पड़ सकता है तो ऐसी दशा में वह प्रबन्धक या परिभोगी अथवा दोनों को एक लिखित आदेश देकर यह निर्देशित कर सकता है कि आदेश में उल्लिखित उपाय उल्लिखित तिथि से पूर्व पूरे कर लिये जायें।

21. सुरक्षा अधिकारी [धारा 40(B)]

(Safety Officer)

राज्य सरकार राजपत्र में अधिसूचना जारी करके निम्नलिखित कारखानों में सुरक्षा अधिकारी की नियुक्ति कर सकती है

(i) जहाँ सामान्यतः एक हजार से अधिक श्रमिक कार्यरत या नियुक्त हों, अथवा

(ii) जहाँ किसी निर्माण प्रक्रिया या कार्य संचालन से उसमें नियुक्त श्रमिकों को शारीरिक चोट लगने जहर फैलने, बीमार होने तथा स्वास्थ्य में अन्य खराबी होने का खतरा हो। इन सुरक्षा अधिकारियों के कर्त्तव्य, योग्यता तथा सेवा की शर्ते राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की जायेंगी।

22. नियम बनाने का अधिकार

(Power to make Rules)

राज्य सरकार किसी कारखाने या वर्ग के कारखानों में कार्यरत श्रमिकों की सुरक्षा के लिये उपयुक्त उपायों के सम्बन्ध में नियम बना सकती है।

परीक्षा हेतु सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

(EXPECTED IMPORTANT QUESTIONS FOR EXAMINATION)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(LONG ANSWER QUESTIONS)

1 कारखाना अधिनियम के अन्तर्गत उन प्रावधानों को बताइए जो खतरनाक यन्त्रों से श्रमिकों की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं ?

Explain the provisions made for the safety of the workers against the dangerous machines under the Factories Act.

2. श्रमिकों की सरक्षा के सम्बन्ध में कारखाना अधिनियम, 1948 के प्रावधानों की व्याख्या कीजिए।

Explain the provisions of the Indian Factories Act, 1948 with regard to safety of workers.

3. “भारतीय कारखाना अधिनियम, 1948 में प्रथम एवं अन्तिम महत्त्वपूर्ण बात श्रमिकों की सुरक्षा है।” इस कथन को समझाइए।

The first and the last important requirement of the Indian Factories Act, 1948 is the safety of the workers.” Explain this statement. (Meerut, 2004, 1998)

4. यन्त्रों की घेराबन्दी से आप क्या समझते हैं ? कारखाना अधिनियम में यन्त्रों की घेराबन्दी सम्बन्धीप्रावधानों का वर्णन कीजिए।

What do you understand by fencing of machinery ? Describe the provisions of the Factories Act regarding the fencing of machines.

लघु उत्तरीय प्रश्न

(SHORT ANSWER QUESTIONS)

1 कारखाना अधिनियम के अन्तर्गत यन्त्रों की घेराबन्दी सम्बन्धी प्रावधान क्या हैं ?

What are the provisions related to fencing of machinery under Factories Act ?

2. कारखाना अधिनियम के अधीन चलते हुए यन्त्रों पर या उनके पास काम करने के सम्बन्ध में क्या प्रावधान  हैं .

What are the provisions related to work on or near machinery in motion under Factories Act ?

3. कारखाना अधिनियम के अन्तर्गत खतरनाक यन्त्रों पर नवयुवकों की नियुक्ति सम्बन्धी क्या प्रावधान हैं ? समझाइए।

What are the provisions related to employment of young persons on dangerous machines under Factories Act ? Explain.

4. कारखाना अधिनियम के अन्तर्गत विस्फोटक या आग पकड़ने वाली धूल अथवा गैस के सम्बन्ध में सुरक्षा सम्बन्धी प्रावधानों को बताइये।

State the provisions related to safety from explosive or inflammable dust or gas under Factories Act.

5. आग की दशा में कौन-कौन-सी सावधानियाँ रखनी आवश्यक हैं ?

What precautions are necessary in case of fire ?

6. वजन उठाने वाले यन्त्रों के सम्बन्ध में क्या प्रावधान हैं ?

What are the provisions related to lifting machines ?

7. सुरक्षा सम्बन्धी प्रावधान क्यों अनिवार्य हैं ? समझाइए।

Why the provisions related to safety are necessary ? Explain.

8. खतरनाक धुएँ एवं गैस के निवारण सम्बन्धी प्रावधानों को संक्षेप में समझाइए।

State the provisions related to dangerous fumes and gases in brief.

9. यन्त्रों को ढककर रखने सम्बन्धी क्या प्रावधान हैं ? समझाइए।

What are the provisions related to caring of machinery ? Explain.

10. कपास डालने की मशीन के पास स्त्रियों तथा बालकों के काम करने पर रोक सम्बन्धी क्या प्रावधान हैं? समझाइए।

What are the provisions related to prohibition of employment of women and children near cotton openers ? Explain.

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chetansati

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