BCom 3rd Year Auditing Cost Audit Study Material Notes in  Hindi

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BCom 3rd Year Auditing Cost Audit Study Material Notes in  Hindi: Meaning and Definition of cost audit Difference Between cost audit & Financial Audit Objects of Cost Audit  Advantages of cost Audit Aspects of Scope of Cost Audit Types and Classification of Cost Audit Technique and Procedure of Cost Audit  Cost Audit Under companies Act 2013 Cost Audit Report Specimen of Cost Audit Report  Questions Answers :

Cost Audit Study Material
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BCom 3rd Year Auditing Alteration Share Capital Study material notes in hindi

लागत अंकेक्षण

[COST AUDIT]

अंकेक्षण किसी व्यवसाय की पुस्तकों, प्रमाणकों एवं सौदों के लेखों की व्यवस्थित जांच है जिसके द्वारा अंकेक्षक व्यवसाय के आर्थिक व्यवहारों का सत्यापन कर उनके परिणामों के सम्बन्ध में रिपोर्ट देता है और यह प्रमाणित करता है कि क्या व्यावसायिक खाते ठीक तरह बनाए गए हैं और उसके द्वारा दर्शाया गया परिणाम ठीक व सही है। प्रारम्भ में अंकेक्षण का क्षेत्र केवल वित्तीय प्रकृति के व्यवहारों की जांच एवं प्रमाणन तक सीमित था। परन्तु आधुनिक व्यावसायिक काल में अंकेक्षण का स्वरूप और विस्तार अन्य कई क्षेत्रों में हुआ है जिसमें लागत अंकेक्षण भी शामिल है।

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लागत अंकेक्षण का आशय एवं परिभाषाएं

(MEANING AND DEFINITIONS OF COST AUDIT)

लागत अंकेक्षण से आशय लागत लेखों के अंकेक्षण से है, जिसका सम्बन्ध लागत तकनीक, पद्धति एवं लागत लेखों की गहन जांच एवं शुद्धता के प्रमाणन से होता है। लागत अंकेक्षण की कुछ मुख्य परिभाषायें निम्न प्रकार हैं:

(1) “लागत लेखों की शुद्धता का सत्यापन तथा लागत लेखांकन की योजना का अनुसरण लागत अंकेक्षण कहा जाता है।’

(2) “लागत अंकेक्षण’ शब्द का आशय लागत पद्धति. तकनीक व लेखों की गहन जांच है ताकि उसकी शुद्धता का प्रमाणन किया जा सके व लागत लेखों के उद्देश्यों की पूर्ति का अनुसरण किया जा सके।”2

 (3) “लागत अंकेक्षण को लागत लेखों की शुद्धता के सत्यापन तथा लागत लेखांकन के सिद्धान्तों एवं प्रक्रियाओं के अनुसरण के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।”

कुल मिलाकर लागत अंकेक्षण में जहां एक ओर यह जांच की जाती है कि लागत लेखे शुद्ध रखे गये हैं अर्थात लागत की गणना शुद्ध है, वहीं दूसरी ओर यह भी देखा जाता है कि इन लेखों के रखने में लागत लेखांकन के सिद्धान्तों, नियमों और प्रक्रियाओं का उचित पालन हआ है या नहीं। लागत अंकेक्षण के सन्दर्भ में ‘लागत लेखे’ एक व्यापक शब्द है, जिसमें लागत पुस्तकें, लागत लेखे, लागत विवरण, लागत पत्र तथा उनसे सम्बन्धित प्रमुख एवं सहायक प्रपत्र शामिल होते हैं।

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लागत अंकेक्षण तथा वित्तीय अंकेक्षण में अन्तर

(DIFFERENCE BETWEEN COST AUDIT & FINANCIAL AUDIT)

वित्तीय लेखांकन एवं लागत लेखांकन, लेखांकन व्यवस्था की दो मुख्य शाखाएं हैं। यद्यपि दोनों के अंकेक्षण में अंकेक्षण के सिद्धान्त समान रहते हैं लेकिन अंकेक्षण के कार्यक्षेत्र एवं पहलओं में अन्तर आ। जाता है, जो निम्न प्रकार है :

(1) रिपोर्ट की प्रस्तुति वित्तीय अंकेक्षण में अंकेक्षण रिपोर्ट अंशधारियों को प्रस्तुत की जाती है जबकि लागत अंकेक्षण की रिपोर्ट कम्पनी लॉ बोर्ड (केन्द्रीय सरकार) तथा कम्पनी दोनों को प्रस्तुत की जाती है।।

(2) वैधानिक अनिवार्यता—वित्तीय लेखों का अंकेक्षण कम्पनी अधिनियम के अन्तर्गत अनिवार्य है, परन्तु लागत अंकेक्षण कुछ उत्पाद से सम्बन्धित उद्योगों के लिए अनिवार्य है।

(3) परिशिष्टों में विवरण वित्तीय लेखों का अंकेक्षण परीक्षण उतना विस्तृत नहीं होता, जितना लागत लेखों का। वैधानिक लागत अंकेक्षण की दशा में लागत अंकेक्षक को लागत अंकेक्षण की रिपोर्ट के साथ परिशिष्टों में विवरण देने होते हैं।

(4) अंकेक्षण का केन्द्रबिन्दु वित्तीय अंकेक्षण में अंकेक्षक लाभ-हानि खाता एवं आर्थिक चिठे के सम्बन्ध में यह रिपोर्ट देता है कि वे कम्पनी की स्थिति का सत्य एवं उचित चित्र प्रस्तुत करते हैं या नहीं। लागत अंकेक्षण में अंकेक्षक को यह रिपोर्ट करनी होती है कि क्या कम्पनी के लागत लेखों का विवरण उचित प्रकार से रखा गया है, जिससे वे उत्पादन, प्रक्रियन, निर्माण या खनन गतिविधियों की लागत का सही एवं उचित चित्र प्रस्तुत कर सकें।

(5) परीक्षण का केन्द्र बिन्दुवित्तीय अंकेक्षक को यह परीक्षण करना होता है कि व्यावसायिक व्यवहारों का रिकार्ड उचित रूप से रखा गया है, लेकिन लागत अंकेक्षक को यह भी देखना होता है कि सामग्री प्रबन्ध एवं नियन्त्रण, सामग्री सीमाएं तथा आर्थिक आदेश मात्रा का उचित पालन किया गया है या नहीं।

(6) निर्णयन से सम्बन्ध वित्तीय अंकेक्षण का सम्बन्ध निर्णय लेने से नहीं है, जबकि लागत अंकेक्षण का सम्बन्ध लिए गए निर्णयों के औचित्य की जांच करना है।

(7) स्टॉक मूल्यांकन वित्तीय अंकेक्षक को अन्तिम स्टॉक के उचित मूल्यांकन को प्रमाणित करना होता है, लेकिन लागत अंकेक्षक को यह भी देखना होता है कि अन्तिम स्टॉक निर्माणी आवश्यकताओं की दृष्टि से पर्याप्त है या नहीं।

(8) सही लाभ बनाम सम्भाव्य लाभ वित्तीय अंकेक्षण यह दर्शाता है कि सही लाभ ज्ञात किया गया है या नहीं, लेकिन लागत अंकेक्षण में अधिक लाभ अर्जन की सम्भावनाओं को खोजा जाता है तथा पूर्व अभिलेखों एवं अनुभवों के आधार पर भविष्य में अच्छे परिणामों के लिये सलाह दी जाती है।

(9) अंकेक्षण का आयोजन वित्तीय अंकेक्षण साधारणतः संस्था के मालिकों के लिए व कम्पनी अधिनियम के प्रावधानों की पूर्ति के लिए आवश्यक रूप से कराया जाता है, जबकि लागत अंकेक्षण बाहरी संस्थाओं द्वारा करवाया जाता है। जैसे—सरकार, औद्योगिक ट्रिब्यूनल, व्यापारिक संघ, आदि।

(10) उद्देश्य वित्तीय अंकेक्षण का सम्बन्ध खातों के सही व शुद्धता की जांच करना है जबकि लागत अंकेक्षण का कार्य सलाह देना, लागतों में कमी, गुणवत्ता में सुधार, हानि में कमी, लाभों में वृद्धि करना है।

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लागत अंकेक्षण के उद्देश्य

(OBJECTS OF COST AUDIT)

लागत अंकेक्षण के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं :

(I) संरक्षणात्मक उद्देश्य (Protective Objects)

(1) लागत लेखांकन की शुद्धता लागत लेखांकन रिकार्ड की शुद्धता की जांच करना तथा प्रमाणित करना कि उन्हें लागत लेखांकन के सिद्धान्ता क अनुसार रखा गया है या नहीं।

(2) सिद्धान्तों एवं प्रक्रियाओं का पालन-प्रमाणित करना कि प्रबन्ध द्वारा लागत लेखांकन के स्वाकृत सिद्धान्तों एवं प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है।।

(3) त्रुटियों का पता लगाना-त्रुटि एवं कपटो का पता लगाना (यदि कोई हो)।

 (4) व्यवस्था की पर्याप्तता का परीक्षण यह देखना कि लागत लेखों के रखने की विद्यमान व्यवस्था, रिपोटों तथा विवरणों की प्रस्तुति कहां तक सहायक एवं पर्याप्त है। जहां भी आवश्यक हो, उनको अधिक अर्थपूर्ण एवं निर्णयन-उन्मुख बनाने के लिये सुझाव दिये जा सकते हैं।

(5) कमियां बतानासामग्री, श्रम एवं मशीनों के प्रयोग में कमियों या अकुशलताओं को बताना तथा इस प्रकार प्रबन्ध की सहायता करना।

(6) सही होने का प्रमाणन प्रमाणित करना कि लागत की गणना सही प्रकार की गई है और उचित रूप में प्रस्तुत की गयी है।

(7) लागत नियन्त्रण का लागू होना यह देखना कि लागत नियन्त्रण एवं लागत कमी के कार्यक्रमों को ठीक प्रकार से लागू किया जा रहा है।

(8) बजटों एवं मानकों से तलना यह परीक्षण करना कि क्या किये गये व्यय बजट-सीमाओं और निर्धारित मानकों के अन्तर्गत हैं।

(9) प्रबन्ध को सलाह लागत लेखांकन विभाग के कार्य में सुधार के लिये धनात्मक सुझाव देकर प्रबन्ध का मार्गदर्शन करना।

(10) अन्य (i) उपक्रम में लागत जागरूकता उत्पन्न करना, (ii) लागत नियन्त्रण एवं लागत कमी की दृष्टि से स्टाफ पर नैतिक प्रभाव की प्रक्रिया विकसित करना, (iii) लागत लेखांकन की रीतियों, तकनीकों एवं प्रक्रियाओं में कुशलता को प्रोत्साहित करना, (iv) आन्तरिक लागत अंकेक्षण की प्रभावी व्यवस्था विकसित करना।

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(II) रचनात्मक उद्देश्य (Constructive Objects)

(1) उत्पादन को विनियमित (regulate) करने के लिए प्रबन्ध को उपयोगी सूचनाएं एवं समंक उपलब्ध कराना।

(2) उत्पादन व्यवस्था की मितव्ययी पद्धतियों का चयन करने में सहायता देना।

(3) संचालनात्मक लागतों को कम करने के लिए सुझाव प्रस्तुत करना।

(4) लागत लेखों में त्रुटियों के समाधान के लिए सुझाव देना।

(5) लागत नियन्त्रण एवं लागत कमी के लिए प्रबन्ध को सुझाव एवं परामर्श देना।

लागत अंकेक्षण के लाभ

(ADVANTAGES OF COST AUDIT)

लागत अंकेक्षण के निम्नलिखित लाभ हैं :

1 प्रबन्धकों को लाभ

(1) विश्वसनीय समंक लागत अंकेक्षण से प्रबन्धकों को यह आश्वासन रहता है कि लागत से सम्बन्धित जो समंक प्राप्त हो रहे हैं, वे विश्वसनीय हैं और इनके आधार पर मूल्य निर्धारण, नियन्त्रण तथा निर्णयन में महत्वपूर्ण सहायता मिलती है।

(2) अपव्ययों पर नियन्त्रणइसके आधार पर सभी प्रकार के अपव्ययों की निरन्तर जानकारी, जांच एवं नियन्त्रण में सुविधा रहती है।

(3) अकुशलताओं की जानकारी—लागत अंकेक्षण से विभिन्न प्रकार की अकशलताएं प्रबन्ध के संज्ञान में आती हैं, जिससे आवश्यक सुधार के कदम उठाए जा सकते हैं।

(4) उन्नत तकनीकों में उपयोगी लागत अंकेक्षण से लागत की उन्नत तकनीकों जैसे बजटरी नियन्त्रण प्रमाप लागत इत्यादि को अपनाने में सुविधा मिलती है।

(5) कर्मचारियों में सतर्कता लागत अंकेक्षण अपनाने पर कर्मचारी भी अपने कार्य में सावधान रहते योकि कहीं भी अपव्यय या अकुशलता होने पर उसका पता आसानी से लग जाता है।

(6) स्टाँक का उचित मूल्यांकन लागत अंकेक्षण से अन्तिम स्टाक तथा चालू कार्य के मूल्यांकन का उचित व्यवस्था विकसित करने में सहायता मिलती है।

(7) त्रुटियों एवं कपटों की जानकारी सामान्य अंकेक्षण की तरह लागत अंकेक्षण से भी लागत लेखों में होने वाली त्रुटियों एवं कपटों की जानकारी मिल जाती है।

(8) अन्य () यह प्रबन्ध को लागत घटाने तथा लागत नियन्त्रण को अधिक प्रभावशाली तरीके से लागू करने में सहायता करता है।

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II.अंशधारियों को लाभ

 (1) प्रबन्ध में विश्वास लागत अंकेक्षण अंशधारियों के मस्तिष्क में कम्पनी के उत्पादन, प्रबन्ध एवं विपणन प्रबन्ध के सम्बन्ध में विश्वास की भावना उत्पन्न करता है।

(2) लाभ की राशि से सन्तुष्टि क्योंकि लागत अंकेक्षण अन्तिम स्टॉक एवं चालू कार्य के मूल्यांकन का परीक्षण करता है, इस आधार पर अंशधारी कम्पनी द्वारा दर्शाए गए लाभ से सन्तुष्ट अनुभव करते हैं।

(3) प्रबन्ध की कार्यकुशलता का ज्ञान–लागत अंकेक्षण अंशधारियों को प्रबन्ध की कुशलता, श्रम, सामग्री एवं संसाधनों के उचित प्रयोग तथा संगठन के कमजोर पहलओं की जानकारी प्रदान करता है

III. विनियोजकों (Investors) को लाभ

(1) कम्पनी की स्थिति पर विश्वास—अंकेक्षण होने पर अधिकारियों पर विश्वास हो जाता है कि जो स्थिति-विवरण उनके सामने रखा गया है, वह ठीक है। वे ज्ञात कर सकते हैं कि कम्पनी में अधिक विनियोग करना लाभप्रद रहेगा या नहीं।

(2) ऋण उधार देते समय सहायता—बैंक व निगम ऐसी कम्पनियों को धन उधार देना पसन्द करते हैं जो कि लागत अंकेक्षण कराते हैं।

1 समाज और उपभोक्ताओं को लाभ

(1) कम लागत पर अच्छी किस्म-अंकेक्षण द्वारा साधनों का सदुपयोग होने से उत्पादों की किस्म उन्नत प्रकार की हो जाती है तथा उत्पादन लागत कम होने से मूल्यों में गिरावट आती है।

(2) वस्तुओं का उचित मूल्य सरकार द्वारा वस्तुओं का ‘उचित मूल्य’ (fair price) निर्धारण करने से उपभोक्ताओं को लाभ रहता है तथा वे अपना जीवन-स्तर ऊंचा उठा सकते हैं।

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2. सरकार को लाभ

(1) उत्पादन और लागत के सही आंकड़े—राष्ट्र की अर्थव्यवस्था व योजनाओं के निर्माण में लागत के सही आंकडे व उत्पादन की मात्रा के सही आंकड़े सहायक होते हैं जो कि अंकेक्षण द्वारा विश्वसनीय बन जाते हैं।

(2) ठेका मल्यों के निर्धारण में सुविधा लागत-अतिरिक्त लाभ (cost-plus) ठेकों में, जिन्हें सामान्य तौर पर सरकार दिया करती है, सरकार को विश्वास प्राप्त हो जाता है कि उसने उन ठेकों का उचित मूल्य ही दिया है।

(3) संरक्षण निर्णय में सहायता-उद्योगों को संरक्षण प्रदान करने व सहायता देने की दिशा में अंकेक्षित लेखे योगदान प्रदान करते हैं।

(4) न्यूनतम वेतन निधारण म सहायता-श्रामका के लिए न्यूनतम वेतन निर्धारण में उन मामलों तथा। व्यापार के अन्य झगड़ों के निपटारे में सरकार को अंकेशित लेखों में सहायता मिलती है।

(5) राष्ट्रीय आय की गणना में सहायता देश का उत्पादन बढा का उत्पादन बढ़ाकर राष्ट्रीय आय बढ़ाने के सम्बन्ध म अंकेक्षित लेखे सहायता प्रदान करते हैं।

(6) मुनाफाखोरी पर नियन्त्रण लागत अंकेक्षण से आवश्यक वस्तुओं के विक्रय मूल्य के निधा सहायता मिलती है, जिससे मुनाफाखोरी को नियन्त्रित काखारा का नियन्त्रित किया जा सकता है।

 (7) अकुशल इकाइयों की जानकारी लागत अंकेक्षण के आधार पर सरकार को अकुशल औद्योगिक इकाइयों की जानकारी होती है और उन्हें कुशल बनाने की ओर ध्यान दिया जा सकता है।

(8) स्वस्थ प्रतियोगिता का सृजन लागत अंकेक्षण व्यवसाय के कुशल संचालन तथा लागत समंकों के सही एवं शुद्ध प्रयोग पर जोर देता है। इससे विभिन्न इकाइयों के मध्य स्वस्थ प्रतियोगिता विकसित होती है जो अप्रत्यक्ष रूप से मुद्रा प्रसार को नियन्त्रित करने में सहायक होती है।

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लागत अंकेक्षण के पहलू अथवा क्षेत्र

(ASPECTS OR SCOPE OF COST AUDIT)

लागत अंकेक्षण के दो मुख्य पहल हैं. (1) औचित्य अंकेक्षण, एवं (2) कुशलता अंकेक्षण।

(1) औचित्य अंकेक्षण (Propriety Audit) औचित्य अंकेक्षण से आशय कम्पनी के वित्त एवं व्यय को प्रभावित करने वाली प्रशासनिक क्रियाओं एवं योजनाओं से है। दूसरे शब्दों में, यह अंकेक्षण किए गए। व्ययों के उचित एवं सही होने से सम्बन्ध रखता है। इस अंकेक्षण में यह देखा जाता है कि क्या विद्यमान परिस्थितियों में व्यय उचित था और इससे अच्छा विकल्प नहीं था। औचित्य अंकेक्षण में परिव्यय अंकेक्षक यह सुनिश्चित करता है कि

() व्यय नियोजित रूप से किया गया है, जिससे अनकलतम परिणाम ज्ञात हो सके, (ब) नियोजित व्यय की मात्रा एवं माध्यम ने अनुकूलतम परिणाम उत्पन्न किए हैं, तथा (स) किए गए व्ययों एवं प्राप्त परिणामों से अलग कोई अच्छा विकल्प नहीं था।

(2) कुशलता अंकेक्षण (Efficiency Audit) इसे ‘कार्य निष्पादन अंकेक्षण’ (Performance Audit) भी कहते हैं और यह अंकेक्षण लागत योजना की कार्यशील कुशलता से सम्बन्धित होता है। परिभाषा के रूप में ‘कुशलता अंकेक्षण एक ऐसा अंकेक्षण है जो इस आधारभूत आर्थिक सिद्धान्त के प्रयोग को सुनिश्चित करता है कि ‘संसाधन अधिकाधिक लाभदायक माध्यमों में प्रवाहित होंगे।’ इस अंकेक्षण में स्टॉक नियन्त्रण, उत्पादकता, स्थापित क्षमता के प्रयोग, लागत नियन्त्रण, लाभदायकता इत्यादि पहलूओं का परीक्षण किया जाता है।

कुल मिलाकर कुशलता अंकेक्षण में निम्न बिन्दुओं पर विशिष्ट जोर दिया जाता है :

() विनियोजित राशि की प्रत्येक इकाई अनुकूलतम या श्रेष्ठतम परिणाम प्रदान करे,

() प्रत्येक क्षेत्र में किया गया विनियोग सन्तुलित और अनुकूलतम हो।

लागत अंकेक्षण के प्रकार एवं वर्गीकरण

(TYPES AND CLASSIFICATION OF COST AUDIT)

लागत अंकेक्षण के प्रकार (Types of Cost Audit)

अंकेक्षण के प्रमुख प्रकार निम्न हैं :

(1) प्रबन्ध की ओर से लागत अंकेक्षण इस व्यवस्था में लागत अंकेक्षक की नियुक्ति प्रबन्ध द्वारा की जाती है। इस अंकेक्षण का उद्देश्य (अ) प्रबन्धकीय निर्णय के लिए सही एवं विश्वसनीय लागत सूचनाएं उपलब्ध कराना, तथा (ब) लागत विभाग के कार्य का संचालन योजनानुसार सुनिश्चित करना है।

(2) वैधानिक लागत अंकेक्षण (Statutory Cost Audit) कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 148 के द्वारा केन्द्रीय सरकार को यह अधिकार है कि वह जहां आवश्यक समझे ऐसी कम्पनियों को, जिन्हें लागत लेखे रखना आवश्यक है, योग्य अंकेक्षक से लागत लेखों के अंकेक्षण कराने का आदेश दे सकती है। योग्य अंकेक्षक से आशय ऐसे व्यक्ति से है जो कॉस्ट एण्ड वर्क्स एकाउण्टेण्ट अधिनियम के अन्तर्गत लागत। लेखापाल हो।

(3) सरकार की ओर से लागत अंकेक्षण वैधानिक अंकेक्षण के अतिरिक्त किसी सरकार केन्द्रीयअथवा प्रान्तीय-द्वारा निम्न उद्देश्यों के लिए लागत अंकेक्षण कराया जा सकता है:

(अ) उन उद्योगों में उत्पादन एवं विपणन की लागत का निर्धारण करना, जिसमें उपादान, अनुदान या कम दर से कर निर्धारण द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाती हो,

(ब) उत्पाद के अधिकतम मूल्य निर्धारण के लिए लागत का निर्धारण,

(स) लागत-धन पद्धति (Cost-plus method) के आधार पर ठेका कार्य दिए जाने पर ठेके की लागत का निर्धारण करना,

(द) उत्पादन लागत के आधार पर ऋण प्रदान करने की सीमा का निर्धारण करना।।

(4) ठेकादाता द्वारा लागत अंकेक्षणजहां कोई ठेका इस आधार पर दिया जाता है कि लागत में कुछ प्रतिशत जोड़कर भुगतान किया जाएगा, वहां लागत की उचित गणना की दृष्टि से ठेकादाता द्वारा लागत। अंकेक्षण कराए जाने की व्यवस्था हो सकती है।

(5) ट्रिब्यूनल द्वारा लागत अंकेक्षणमजदूरी, बोनस, लाभ-भागिता इत्यादि के सम्बन्ध में श्रम विवादों को निर्धारित करने की दृष्टि से ट्रिब्यूनल द्वारा लागत अंकेक्षण कराया जा सकता है। आयकर ट्रिब्यूनल भी निर्माणी इकाई के लाभ की सही गणना के लिए लागत अंकेक्षण का निर्देश दे सकता है।

(6) व्यापार संघों द्वारा लागत अंकेक्षण विभिन्न फर्मों की लागत की तुलना की दृष्टि से उनसे सम्बन्धित व्यापार संघ (Trade Association) द्वारा भी लागत अंकेक्षण कराया जा सकता है। लागत अंकेक्षण का वर्गीकरण (Classification of Cost Audit)

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लागत अंकेक्षण दो प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है—

(1) आन्तरिक (Internal) तथा (2) बाह्य (External)।

आन्तरिक अंकेक्षण, व्यवसाय के उन व्यक्तियों द्वारा किया जाता है जो कि उसकी नियमित सेवा में लगे होते हैं, जबकि बाह्य अंकेक्षण बाहर के व्यक्तियों द्वारा किया जाता है।

1 आन्तरिक अंकेक्षण (Internal Audit) आन्तरिक अंकेक्षण छोटे या बड़े सभी व्यवसायों में प्रायः आवश्यक रूप में अपनाया जाता है। यह काम आन्तरिक अंकेक्षण द्वारा किया जाता है। आन्तरिक अंकेक्षण के उद्देश्य निम्न प्रकार हैं:

2. यह सुनिश्चित करना कि व्यवसाय कार्य योजना के अनुसार चल रहा है,

3. प्रमाणकों के द्वारा लेखों के सही होने को प्रमाणित करना,

4. यह जांच करना कि बजट सही प्रकार बनाये गये हैं.

5. भूल की अशुद्धियां एवं सिद्धान्त की अशुद्धियों का पता लगाना तथा कपटों को रोकना.

6. यह जांच करना कि सभी फार्स एवं प्रपत्र नियमित रूप से तैयार किये जायें तथा समयबद्धता के साथ जमा किये जायें,

7. यह सुनिश्चित करना कि लेखाकार्य प्रति दिन किया जाये,

8. यह जांच करना कि लागत योजना के अनुसार प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है.

9. व्यवस्था की कमियों का पता लगाना और उन्हें दूर करना,

10.यह देखना कि शीर्ष प्रबन्ध और प्रशासकों के मध्य संदेशवाहन में अन्तराल न हो, व्यावसायिक नीतियों एवं निर्देशों का श्रमिकों को समय सूची के अनुसार संदेशवाहन हो तथा प्रबन्धकीय रिपोर्ट प्रबन्धको समय पर जमा की जायें।

11.स्टॉक नियन्त्रण का प्रमाण करना तथा स्टॉक की भौतिक जांच करना.

12.अवधि-दर-अवधि उत्पादों की लागतों की तुलना करना, परिवर्तन के कारणों का विश्लेषण करना तथा लागत को कम एवं नियन्त्रित करने के उपायों एवं साधनों का सझाव देना ।

13. नैतिक जांच का प्रभाव बनाना तथा कार्य कुशलता में सुधार करना

आन्तरिक अंकेक्षण का अर्थ आन्तरिक निरीक्षण (Internal chanty क्षण (Internal check) से नहीं है। आन्तरिक अंकेक्षण अंकेक्षण-विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है तथा इसका क्षेत्र विस्तत रहता है। पिक निरीक्षण के अन्दर अशुद्धियों या त्रुटियों को ज्ञात करना ध्येय रहता है और उस नाते से बाहर के अन्दर समाहित रहता है। जहां लेन-देन के सौदों की संख्या अधिक रहती है तथा आधिक नाते से आन्तरिक निरीक्षण आन्तरिक अंकेक्षण रहती है, वहां आन्तरिक अंकेक्षण आवश्यक है।

2. बाह्य अथवा वैधानिक अंकेक्षण (External or Statutory Audit) बाह्य अंकेक्षण एक विशिष्ट उद्देश्य से बाह्य अंकेक्षकों द्वारा किया जाता है, अतः इसका क्षेत्र सीमित होता है। यह अंकेक्षण ट्रिब्यूनल, सरकार, ठेकादाता या व्यापार संघ द्वारा कराया जा सकता है, लेकिन प्रत्येक दशा में उद्देश्य विशिष्ट एवं सीमित होता है। बाह्य अंकेक्षक कम्पनी का कर्मचारी नहीं होता वरन एक बाहरी पक्षकार होता है। वह कम्पनी के प्रति नहीं वरन् नियुक्ति करने वाले उस पक्ष के प्रति उत्तरदायी होता है, जिसको उसे रिपोर्ट जमा करनी है।

यह उल्लेखनीय है कि वैधानिक लागत अंकेक्षण को (अ) प्रबन्ध को लागत जागरूक बनाने तथा (ब) औद्योगिक कार्य कुशलता में सुधार करने एवं उत्पादन को अधिकतम करने की दृष्टि से प्रारम्भ किया गया था। कुल मिलाकर बाह्य अंकेक्षण निम्न अवस्थायों में आवश्यक होता है :

(1) लोकहित में जबकि सरकार परिव्यय-अतिरिक्त लाभ (Cost-plus) ठेका के अन्तर्गत कार्य करती है।

(2) सरकार द्वारा उद्योग को संरक्षण प्रदान करने की स्थिति में;

(3) सरकार द्वारा वस्तुओं को उचित मूल्य या न्यूनतम मूल्य निर्धारित करने की स्थिति में;

(4) श्रमिकों के पारिश्रमिक या प्रब्याजि सम्बन्धी झगड़ों का निपटारा करने हेतु

(5) एक ही उद्योग की विभिन्न इकाइयों में उत्पादन लागतों में महत्वपूर्ण अन्तर होने पर उसके कारणों का पता लगाने हेतु,

(6) प्रबन्धकीय अकुशलता की शिकायत मिलने पर उसकी सत्यता की जांच करने हेतु;

(7) उत्पादन लागत के आधार पर कर लगने की दशा में करों के सही निर्धारण हेतु; तथा

(8) जहां पर नियमों (statutes) के अनुसार लोकहित में सरकार किसी व्यवसाय का बाह्य अंकेक्षण कराना चाहती हो। लागत अंकेक्षण जो विधान या कानून के अन्तर्गत किया जाता है, वैधानिक लागत अंकेक्षण कहलाता है।

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लागत अंकेक्षण की प्रविधि एवं विधि

(TECHNIQUE AND PROCEDURE OF COST AUDIT)

लागत अंकेक्षण आरम्भ करने से पूर्व व्यवसाय में अपनायी गयी लागत प्रणाली का अध्ययन करना चाहिए। परिव्ययांकन के अन्तर्गत प्रयोग किये गये पत्र, प्रपत्र, प्रतिवेदन, वितरण-पत्र, सूचियों के अतिरिक्त लेखांकन हेतु रखी गयी सभी पुस्तकों की सूची प्राप्त कर लेनी चाहिए। यह देखना चाहिए कि आन्तरिक निरीक्षण का कार्य सुचारु रूप से चलता है या नहीं। यह भी देखना चाहिए कि अंकेक्षण कराने का प्रबन्धकों के मन में उद्देश्य क्या है, अंकेक्षक का क्षेत्र क्या है तथा व्यवसाय का आकार किस प्रकार का है? व्यवसाय का आकार बड़ा होने पर लेन-देन अधिक संख्या में होते हैं और उस दशा में पुस्तक लेखाकर्म का कार्य व आन्तरिक निरीक्षण का कार्य सुसंगठित होना चाहिए।

उपर्युक्त बातों का अध्ययन करने के पश्चात् अंकेक्षक अपना कार्यक्रम निर्धारित करता है। लागत अंकेक्षण का कार्यक्रम बिल्कुल वैसा ही है जैसा कि वित्तीय लेखों के अंकेक्षण के लिए बनाया जाता है। लागत अंकेक्षण के अन्तर्गत प्रमाणन (vouching), निरीक्षण (checking), सही अंकन (ticking), आदि। व अंकेक्षण सम्बन्धी टिप्पणी रखने का कार्य वित्तीय अंकेक्षण के समान ही होता है।

लागत अंकेक्षण की प्रविधि व विधि निम्न प्रकार की होनी चाहिए :

(1) समस्त प्राप्तियों व अदायगियों का प्रमाणन होना चाहिए, अर्थात प्रत्येक लेन-देन का प्रमाण (voucher) होना चाहिए जिससे उस सौदे की सत्यता प्रमाणित हो सके।

(2) सभी गणनाओं (Calculations), प्रपंजीयन (Postings), आदि का सत्यापन होना चाहिए। इसके लिए जो सही अंकन के चिह्न अपनाये जाते हैं, लगाने चाहिए। यदि काम अधिक हो और समय कम हो तो परीक्षात्मक ढंग से लेखे की जांच कर लेनी चाहिए।

(3) उचन्ती खाते (Suspense Ac) की मदों की जांच सतर्कता से करनी चाहिए। इसी प्रकार समायोजन की सभी प्रविष्टियों का अध्ययन करना चाहिए।

(4) बजट किये गये व्ययों से वास्तविक व्ययों का मिलान करना आवश्यक है। इसके अन्तरों के कारणों का विश्लेषण बहुत कुछ कहानी कह देता है।

(5) प्रविधि के अन्तर्गत निम्न बातें प्रमुख हैं :

(i) भौतिक परीक्षण, (ii) भौतिक गणना, (iii) पष्टिकरण (Confirmation), (iv) मूल प्रपत्रों का। जांच, (v) क्रमानुसार जांच करना (Scanning), तथा (vi) पूछताछ (Enquiry)|

(6) अंकेक्षक को अपनी नोट बुक में सभी ऐसी बातों की टिप्पणी रखनी चाहिए जिनको वह आवश्यक समझे।

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लागत अंकेक्षण कार्यक्रम

(COST AUDIT PROGRAMME)

लागत अंकेक्षण का कार्यक्रम बनाते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए:

(1) अंकेक्षण कार्यक्रम बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिए तथा अंकेक्षण स्टाफ को व्यवसाय के सम्बन्ध में सभी सूचनाएं प्रदान कर देनी चाहिए। ऐसे स्थल जहां गड़बड़ की आशंका हो, ज्ञात करा देना चाहिए ताकि स्टाफ उन स्थलों पर सतर्कता बरत सके।

(2) सारे कार्य को विभागों में बांट देना चाहिए तथा प्रत्येक कार्य-भाग के लिए अंकेक्षण स्टाफ को उत्तरदायी बनाना चाहिए। जो कार्य स्टाफ के जिन व्यक्तियों के द्वारा किया गया है, वह उनके द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए।

लागत का विस्तृत कार्यक्रम बनाने के लिए सामग्री, श्रम, उपरिव्यय, आदि के सम्बन्ध में प्रत्येक के लिए प्रश्नावली तैयार कर लेनी चाहिए जिसके उत्तर अंकेक्षक को प्राप्त होने चाहिए। उदाहरण के लिए प्रश्नावली निम्न प्रकार की हो सकती है :

() सामग्री की प्रश्नावली

(i) क्या सामग्री का क्रय क्रय-विभाग द्वारा क्रय अधिग्रहण पत्रों के आधार पर ठीक मूल्य पर किया जाता है?

(ii) क्या प्राप्त सामग्री के लिए सामग्री प्राप्ति प्रतिवेदन (Material Received Reports) तैयार किये जाते हैं तथा क्या प्राप्त सामग्री का निरीक्षण कर प्रमाणित किया जाता है कि जैसी सामग्री काआदेश दिया गया था, वैसी ही सामग्री प्राप्त की गयी है?

(iii) क्या बिन-पत्रक में प्रविष्टियां नियमित रूप से की जाती हैं तथा शेष निकाला जाता है?

(iv) क्या स्टोर से सामग्री का निर्गमन स्टोर अधिग्रहण पत्रों के आधार पर किया जाता है तथा क्या स्टोर अधिग्रहण पत्र अधिकृत व्यक्तियों द्वारा ही हस्ताक्षरित किये जाते हैं? ।

(v) क्या अधिकतम सीमा, न्यूनतम सीमा व आदेश सीमा का उल्लंघन तो नहीं किया जाता है?

(vi) सामग्री निर्गमन का मूल्यांकन का तरीका क्या है व क्या स्टोर्स समायोजन खाता ठीक रखा जा रहा है?

(vii) स्टोर्स की भौतिक गणना कब व किस प्रकार की जाती है? बिन-पत्रक व स्टोर्स खाताबही के शेषों के अन्तर का स्पष्टीकरण क्या रहा है?

(viii) क्या स्टोर में तौलने की मशीन की समय-समय पर जांच की जाती है? (ix) क्या सामग्री व क्षय हानि की रिपोर्ट तुरन्त की जाती है?

(x) क्या कोई ऐसे सुझाव हैं जिनसे सामग्री-क्षेत्र उन्नत हो सकता है? (आ) श्रम की प्रश्नावली न श्रमिकों की उपस्थिति रिकार्ड करने का तरीका क्या है? क्या उपस्थिति लेखों की नित्य जाँच काजाती है?

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() श्रम का प्रश्नावली

(i) श्रमिकों की उपस्थितिं रिकार्ड करने का तरीक क्या है क्या उपस्थिति लेखों  की नित्य जांच का जाती है ?

(ii) क्या श्रमिकों को बाहर जाने के लिए अधिकृत गेट-पास दिये जाते हैं?

(iii) क्या कार्य आरम्भ करने व कार्य समाप्त करने का समय रिकार्ड किया जाता है? क्या उपकार्य-पत्रक प्रयोग में हैं और क्या समय-पत्रक से उपकार्य-पत्रकों का मिलान कर तुरन्त समय का लेखा-जोखा ठीक किया जाता है?

(iv) श्रमिकों से अधिसमय कार्य लेने के लिए क्या प्रबन्धकों द्वारा लिखित आदेश दिये जाते हैं तथा अधिसमय का लेखा ठीक ढंग से रखा जाता है ?

(v) असामान्य सुस्त समय को कम करने का क्या उपाय प्रयोग में लाया जा रहा है ?

(vi) श्रम पारिश्रमिक की अदायगी का क्या तरीका है? पारिश्रमिक सूची किस प्रकार तैयार की जाती है तथा क्या पारिश्रमिक की अदायगी उत्तरदायी अधिकारियों की उपस्थिति में की जाती है ?

() उपरिव्यय की प्रश्नावली

(i) क्या उपरिव्ययों को ठीक प्रकार से वर्गीकृत किया गया है ? क्या उनका अविभाजन वितरण ठीक प्रकार से किया गया है?

(ii) क्या उपरिव्यय का स्थायी व परिवर्तनशील व्ययों में विभाजन ठीक आधार पर किया गया है ?

(iii) क्या उपरिव्ययों का अविभाजन वितरण उत्पादन व सेवा विभागों में किया जाकर पुनः उत्पादन पर डाला गया है?

(iv) क्या उपरिव्यय के अवशोषण की अपनायी गयी विधि उपयुक्त है?

(v) क्या व्यय की विभिन्न मदों को परिव्यय लेखों में उपयुक्त शीर्षकों में रखा गया है?

उपर्युक्त प्रश्नावलियों के अतिरिक्त निम्नलिखित बातों पर भी ध्यान देना आवश्यक है :

(i) परिव्यय ज्ञात करने, परिव्यय पर नियन्त्रण करने व लाभकारिता ज्ञात करने के लिए व्यवसाय

में किये गये प्रयोगों के सम्बन्ध में क्या सुझाव है?

(ii) बजटरी नियन्त्रण व मानक परिव्ययांकन द्वारा अन्तरों का विश्लेषण कहां तक परिव्यय-दर नियन्त्रण की दिशा में सफलता प्राप्त कर रहा है?

(iii) सामग्री, श्रम व मशीनों की उत्पादन क्षमता क्या है? क्या उनका समुचित उपयोग किया जा रहा है

(iv) सामग्री के क्षय व टूट-फूट व श्रमिकों के सुस्त समय व अधिसमय आदि का लेखा ठीक रखा गया है, अथवा नहीं?

(v) विधि परिव्यय लेखे के अन्तर्गत क्या प्रत्येक विधि का परिव्यय ठीक ज्ञात किया गया है? यदि विधि परिव्यय में लाभ का अंश सम्मिलित किया गया है तो उसका संचय (Reserve) ठीक प्रकार तैयार किया गया है अथवा नहीं?

(vi) ठेका कार्य की दशा में चालू कार्य का मूल्यांकन ठीक है या नहीं?

(vii) क्या सम्पत्तियों (Assets) का मूल्यांकन ठीक तरह किया गया है या नहीं? सम्पत्तियों पर हास (depreciation) लगाने की विधि उपयुक्त है या नहीं?

(viii) क्या परिव्यय लेखों का मिलान वित्तीय लेखों से किया गया है?

उपर्युक्त बातों के आधार पर अंकेक्षण पुरोगम तैयार किया जाता है। अंकेक्षण समाप्त होने पर अंकेक्षक द्वारा रिपोर्ट तैयार की जाती है और वह लेखों की सत्यता के सम्बन्ध में अपना प्रमाण-पत्र प्रदान करता है।। रिपोर्ट देते समय अंकेक्षक को ऐसे सुझाव देने चाहिए जिनसे व्यवसाय को लाभ मिल सके।

Cost Audit Study Notes

कम्पनी अधिनियम, 2013 के अन्तर्गत लागत अंकेक्षण

(COST AUDIT UNDER COMPANIES ACT, 2013)

कम्पनी अधिनियम, 2013 के अन्तर्गत लागत अंकेक्षण से सम्बन्धित मुख्य व्यवस्थाएं निम्न प्रकार है:

(1) कम्पनी अधिनियम के अनुसार वैधानिक अंकेक्षण की व्यवस्थाएं भारत में वैधानिक लागत अंकेक्षण सर्वप्रथम सन् 1965 में कम्पनी अधिनियम में संशोधन करके लागू किया गया।

कम्पनीज (लागत अभिलेख एवं नियम), 2014 के अनुसार लागत अंकेक्षण की व्यवस्था की दृष्टि से उद्योगों को चार क्षेत्रों में विभाजित किया गया है :

(a) सामारक क्षत्र (Strategic Sectors) इस क्षेत्र में सुरक्षा. अण शक्ति इत्यादि में प्रयुक्त मशाना एवं मशीनीकृत उपकरणों से सम्बन्धित 6 उद्योग समूहों को शामिल किया गया है, इस क्षेत्र की कम्पनियो में लागत अंकेक्षण तभी आवश्यक होगा जबकि कम्पनी का शुद्ध मूल्य या विक्रय 500 करोड़ त्या अधिक हो ।

(b) क्षेत्रीय नियामक द्वारा नियमित उद्योग (Industry regulated by Sectoral Regulator)-इस क्षेत्र में बन्दरगाह, वायु-परिवहन सेवाएं, दूर-संचार सेवाएं विद्यत, सड़क, स्टील एवं अवसंरचना इत्यादि से। सम्बन्धित 11 उद्योग समूहों को शामिल किया गया है।

(c) लोक हित में कार्यरत कम्पनियां (Companies Operating in areas involving Public interest) इस क्षेत्र में रेलवे, खनिज उत्पाद, रसायन, जूट उत्पाद, स्वास्थ्य एवं शिक्षा सेवाओं में लगी। कम्पनियां इत्यादि 11 उद्योग समूहों को शामिल किया गया है।

(d) मेडीकल साधनों (Devices) में संलग्न कम्पनियां इस क्षेत्र में 20 महत्वपूर्ण मेडीकल साधनों सामानों की सूची शामिल की गई है।

यह उल्लेखनीय है कि उपर्युक्त प्रत्येक क्षेत्र में उत्पादन या विक्रय की राशि की न्यूनतम सीमा निर्धारित की गयी है, जिससे अधिक होने पर लागत अंकेक्षण होना आवश्यक है।

(2) लागत लेखांकन अभिलेख नियम ये नियम कम्पनियों को अपने लागत अभिलेखों को रखने के लिये मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। यद्यपि ये नियम उद्योगों की प्रकृति के अनुसार विभिन्न उद्योगों में अलग हो सकते हैं। कुछ मुख्य शीर्षक, जिनके अन्तर्गत लागत समंकों को सम्पादित करना चाहिये, निम्न प्रकार हैं :

1 सामग्री सामग्री की प्राप्ति, निर्गमन, उपभोग, रास्ते में नष्ट या स्टोर में क्षय, उनके मूल्य निर्धारण के अभिलेख।

2. मजदूरी एवं वेतनश्रमिकों एवं स्टाफ की उपस्थिति, प्रत्येक के कार्य का विभाग, पारिश्रमिक और बोनस की व्यवस्था, मजदूरी का आबंटन, निष्क्रिय समय की लागते, अधि-समय की लागते इत्यादि दिखायी जानी चाहिये।

3. उपयोगिता (Utilities) शक्ति, पानी, स्टीम इत्यादि प्रत्येक मुख्य उपयोगिता की लागत।

4. सेवा विभाग की लागते इन लागतों को ज्ञात करना चाहिये तथा उत्पादन विभागों में इनके अभिभाजन को दिखाया जाना चाहिये।

5. मरम्मत एवं रखरखाव-विभिन्न लागत केन्द्रों या विभागों पर कार्यशाला, टूल रूम तथा मरम्मत एवं रख-रखाव के व्यय।

6. स्थायी सम्पत्तियों, हास एवं लीज व्ययइसमें उत्पादन या सेवाओं में लगी सभी सम्पत्तियों, उन पर हास एवं लीज व्ययों का विवरण रखा जाता है।

7. उपरिव्यय उनके वर्गीकरण, अभिभाजन के आधार तथा अवशोषण की विधि को उत्पाद के प्रत्येक प्रकार की उपरिव्यय लागत के साथ दिखाना चाहिये।

8. रॉयल्टी एवं तकनीकी सहायता का भुगतान रॉयल्टी तथा अन्य भुगतानों की गणना के आधार को दिखाना चाहिये।

9. शोध एवं विकास व्यय

10. गुणवत्ता नियन्त्रणगुणवत्ता नियन्त्रण विभाग के व्यय ।

11. चालू कार्य एवं तैयार मालचालू कार्य का प्रारम्भिक और अन्तिम स्टाक, उनके मूल्यांकन का। विधि, भौतिक जांच अभिलेख इत्यादि।

12. उपोत्पादयदि कोई उपोत्पाद हो तो उसकी प्राप्ति, निर्गमन और शेष का संख्यात्मक एवं मूल्यात्मक विवरण।

13. पैकिंग व्यय–विभिन्न पैकिंग सामग्री की लागत को दिखाते हुए घरेल एवं निर्यात पैकिंग की लागतों का विवरण।

14. निर्यात विक्रय पर लागत या व्यय।

15. उत्पादन रिकॉर्ड विभिन्न प्रकार की वस्तुओं/सेवाओं के उत्पादन, निर्गमन, विक्रय और शेषों को दिखाते हुए सभी तैयार उत्पादों/सेवाओं के संख्यात्मक रिकॉर्ड्स।

16. लागत विवरण प्रत्येक वस्त/सेवा के सम्बन्ध में संख्यात्मक सूचनाएं दिखाते हुए तिमाही या वार्षिक विवरण।

17. लागत एवं वित्तीय पुस्तकों का समाधान इसे आवधिक रूप से करना चाहिये तथा रिकॉर्ड में रखना चाहिये।

18. अभिलेखों का भौतिक सत्यापन-स्टॉक का बिन कार्डो. स्टोर्स लेजर खातों, भौतिक जांच रिपोर्टों, सतत् स्टॉक व्यवस्था, स्टॉक मूल्यांकन, क्षय या हानि या चोरी इत्यादि सत्यापन।

(3) वैधानिक अंकेक्षण सम्बन्धी प्रावधान कम्पनी अधिनियम की धारा 148(2) के अन्तर्गत केन्द्रीय सरकार को यह अधिकार है कि वह किसी भी ऐसी कम्पनी को अंकेक्षण कराने का आदेश दे सकती है, जिसके लिये लागत लेखे अनिवार्य रूप में रखने का निर्देश दिया गया है।

(4) लागत अंकेक्षक की नियुक्ति लागत अंकेक्षक की नियुक्ति कम्पनी के संचालक मण्डल द्वारा धारा 148(3) के प्रावधानों के अन्तर्गत की जाती है। उसका पारिश्रमिक भी संचालक मण्डल द्वारा निर्धारित किया जाता है। लागत अंकेक्षक के सम्बन्ध में वही अधिकार एवं कर्तव्य हैं जो वैधानिक अंकेक्षक को कम्पनी अधिनियम के अन्तर्गत प्रदान किए गए हैं।

लागत अंकेक्षक की नियुक्ति के नियम ‘लागत अंकेक्षण (रिपोर्ट) नियम, 2014 के अन्तर्गत दिये गये

लागत अंकेक्षक के रूप में लागत लेखाकारों की एक फर्म को भी नियक्त किया जा सकता है। यदि उस फर्म के समस्त लागत लेखाकार इस कार्य को पेशे के रूप में अपना रहे हैं और उस फर्म की संरचना कॉस्ट एण्ड वर्क्स एकाउण्टेण्ट्स अधिनियम, 1959 के नियम के अन्तर्गत केन्द्र सरकार की पूर्व अनुमति से की गई है। इस दशा में लागत अंकेक्षक की रिपोर्ट किसी भी साझेदार द्वारा फर्म के लिए की जा सकती है।

(5) लागत अंकेक्षण की योग्यताएंलागत अंकेक्षण का कार्य ऐसे व्यक्तियों द्वारा कराना चाहिये जो कॉस्ट एण्ड वर्क्स एकाउण्टेण्ट अधिनियम, 1959 के दायरे के अन्तर्गत इन्स्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एण्ड वर्क्स एकाउण्टेण्ट्स ऑफ इण्डिया (I.C.W.AI.) का सदस्य अर्थात् लागत लेखापाल हो। धारा 148(5)]

(6) लागत अंकेक्षक की अयोग्यताएंलागत अंकेक्षक की नियुक्ति के सम्बन्ध में कुछ प्रमुख अयोग्यताएं निम्न हैं :

(i) कोई भी व्यक्ति जो कम्पनी का कर्मचारी है लागत अंकेक्षण नियुक्त नहीं किया जा सकता है।

(ii) कोई भी व्यक्ति जो कम्पनी का वित्तीय अंकेक्षक नियुक्त किया गया है उसे लागत अंकेक्षक नहीं बनाया जा सकता।

(iii) एक कम्पनी लागत अंकेक्षक के रूप में नियुक्त नहीं की जा सकती।

(7) अंकेक्षक के अधिकार एवं कर्तव्य लागत अंकेक्षक के वही अधिकार एवं कर्तव्य हैं, जो कम्पनी के एक अंकेक्षक को धारा 143(1) में प्राप्त हैं। लागत अंकेक्षक को अपनी रिपोर्ट निर्धारित समय एवं निर्धारित प्रारूप में कम्पनी के संचालक मण्डल को देनी होती है।

(8) सुविधा तथा सहायता कम्पनी का यह कर्तव्य है कि वह लागत अंकेक्षक को वे सभी सुविधाएं। एवं सहयोग प्रदान करे, जो वह लागत अंकेक्षण के सम्बन्ध में चाहता है।

 (9) सूचना तथा स्पष्टीकरण कम्पनी के लिये यह आवश्यक है कि वह लागत अंकेक्षक से रिपोर्ट प्राप्त होने के तीस दिन के अन्दर सभी मर्यादाओं (Qualifications) के सम्बन्ध में केन्द्रीय सरकार को स्पष्टीकरण दे

(10) सरकार द्वारा कार्यवाही केन्द्रीय सरकार कम्पनी से प्राप्त स्पष्टीकरण के आधार पर कम्पनी से सम्बन्धित कोई भी निर्णय ले सकती है, जैसे वह यह आदेश दे सकती है कि लागत लेखों के अंकेक्षण की रिपोर्ट कम्पनी के सदस्यों की वार्षिक साधारण सभा की रिपोर्ट के साथ प्रेषित करे। धारा 148(7)

(11) दण्ड एवं सजा यदि कम्पनी धारा 148 के प्रावधानों के पालन में कोई त्रुटि करती है तो केन्द्रीय सरकार द्वारा कम्पनी पर आर्थिक दण्ड लगाया जा सकता है व कम्पनी के प्रत्येक दोषी अधिकारी को कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

Cost Audit Study Notes

लागत अंकेक्षक रिपोर्ट

(COST AUDIT REPORT)

लागत अंकेक्षण का कार्य पूरा होने के पश्चात लागत अंकेक्षक अपनी रिपोर्ट तैयार करता है। कम्पनी अधिनियम 2013 के अनुसार यह रिपोर्ट कम्पनी के संचालक मण्डल को प्रस्तुत की जाती है। यह रिपोर्ट एक निश्चित अवधि और एक निश्चित प्रारूप में देनी होती है।

लागत अंकेक्षण (रिपोट) नियम, 2014

केन्द्रीय सरकार ने लागत लेखों के अंकेक्षण के सम्बन्ध में कम्पनी लागत अभिलेख एवं अंकेक्षण नियम, 2014 बनाये हैं, जो 30 जून, 2014 से प्रभावी हुए हैं। इन नियमों की मुख्य विशेषताएं निम्न प्रकार हैं :

1 कम्पनी (लागत अभिलेख एवं अंकेक्षण) रिपोर्ट, 2014 जिन कम्पनियों पर लागू होती है, वे कम्पनियां प्रत्येक वित्तीय वर्ष प्रारम्भ होने के 180 दिनों के अन्दर लागत अंकेक्षक की नियुक्ति करेगी।

2. कम्पनी सम्बन्धित लागत अंकेक्षक को उसकी नियुक्ति की सूचना देगी और निर्धारित अवधि तथा निर्धारित प्रारूप में इस नियुक्ति की सूचना केन्द्रीय सरकार के पास जमा करेगी।

3. ऐसा नियुक्त किया गया लागत अंकेक्षक वित्तीय वर्ष की समीक्षा से 180 दिन तक या नियुक्ति के वित्तीय वर्ष की लागत अंकेक्षण रिपोर्ट जमा करने तक इस रूप में बना रहेगा।

4. प्रत्येक लागत अंकेक्षक अपनी लागत अंकेक्षण रिपोर्ट को अपनी रिजर्वेशनों या मर्यादाओं या अवलोकनों या सुझावों के साथ, यदि कोई हो, फार्म CRA-3 के प्रारूप में जमा करेगा।

5. प्रत्येक लागत अंकेक्षक वित्तीय वर्ष समाप्त होने के 180 दिनों के अन्दर अपनी रिपोर्ट कम्पनी के संचालक मण्डल को प्रस्तुत करेगा।

6. कम्पनी लागत अंकेक्षण रिपोर्ट प्राप्त होने के तीस दिनों के अन्दर इस रिपोर्ट की एक प्रति केन्द्रीय सरकार को प्रेषित करेगी जिसमें रिपोर्ट के प्रत्येक रिजर्वेशन एवं मर्यादा (Qualification) पर पूर्ण सूचना एवं स्पष्टीकरण हो।

7. लागत अंकेक्षण रिपोर्ट में लागत अंकेक्षक को यह उल्लेख करना होता है कि क्या उसने कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 148 में उल्लिखित खाता पुस्तकों तथा अन्य सम्बन्धित अभिलेखों का परीक्षण किया है। लागत अंकेक्षक को कुछ अन्य विषयों पर भी रिपोर्ट देनी होती है, जैसे :

(i) क्या उसने अंकेक्षण के उद्देश्य से आवश्यक सभी सूचनाएं एवं स्पष्टीकरण प्राप्त कर लिये हैं?

(ii) क्या धारा 148 के अन्तर्गत वांछनीय लागत लेखांकन अभिलेख कम्पनी द्वारा उचित रूप से रखे गये हैं?

(iii) क्या उन शाखाओं से लागत अंकेक्षण के उद्देश्य से पर्याप्त सूचनाएं मिल गयी हैं, जहां वह नहीं पहुंच पाये हैं?

(iv) .क्या पुस्तकें एवं अभिलेख कम्पनी अधिनियम, 2013 में वांछनीय सूचनाएं उपलब्ध कराते हैं?

(v) क्या कम्पनी के लागत लेखांकन आभलख उचित प्रकार से रखे गये हैं, जिससे वह उत्पाट की उत्पादन, प्रक्रियन, निर्माणी या खनन क्रियाआ और विपणन की लागत का सच्चा एवं उचित चित्र प्रस्तुत कर सके।

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FORM CRA-3

लागत अंकेक्षण रिपोर्ट का नमूना

(SPECIMEN OF COST AUDIT REPORT)

[कम्पनी (लागत रिकॉर्ड्स एवं अंकेक्षण) नियम, 2014 की धारा 6(4) के अनुपालन में। मैं/हम………. ……………कम्पनी अधिनियम, 2013 की धरा 148(3) के अन्तर्गत ………… (कम्पनी का नाम) जिसका पंजीकृत कार्यालय ………… ………… पर स्थित है के लागत अंकेक्षक नियक्त किया गया हं/किये गये हैं। हमने . का नाम) के सम्बन्ध में लागत अंकेक्षण प्रमापों के अनुपालन में इस अधिनियम की धारा 148 के अन्तर्गत कम्पनी द्वारा रखे वर्ष…..के लिए लागत रिकॉर्ड्स का अंकेक्षण कर लिया है और रिपोर्ट करते हैं कि

(i) हमें वे सभी सूचनाएं और स्पष्टीकरण प्राप्त हो गये हैं जो मेरी/हमारी सर्वोत्तम जानकारी एवं विश्वास में इस अंकेक्षण के लिये आवश्यक हैं।

(ii) मेरे हमारे विचार में सन्दर्भित वस्तु(ओं) और सेवा(ओं) के सम्बन्ध में कम्पनी द्वारा कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 148 के अनुसार उचित लागत लेखे रखे नहीं रखे गये हैं।

(iii) मेरे हमारे विचार में मेरे हमारे द्वारा भ्रमण न की गयी शाखाओं से लागत अंकेक्षण के उद्देश्य से आवश्यक उचित जानकारियां प्राप्त प्राप्त नहीं हुई हैं।

(iv) मेरे हमारे विचार में और मेरी/हमारी सर्वोत्तम सूचना के अनुसार उक्त पुस्तकें एवं रिकॉर्ड्स कम्पनी अधिनियम, 2013 में निर्धारित विधि के अनुसार आवश्यक सूचनाएं प्रदान प्रदान नहीं करती हैं।

(v) मेरे हमारे विचार में कम्पनी लागत रिकॉर्ड्स के आन्तरिक अंकेक्षण के लिए पर्याप्त व्यवस्था रखती नहीं रखती है जो मेरे हमारे विचार से व्यवसाय की प्रकृति एवं आकार के अनुरूप आवश्यक है ।

(vi) मेरे हमारे विचार में लागत अंकेक्षण रिपोर्ट के साथ संलग्नक सूचनाएं एवं विवरण सन्दर्भित

वस्तु(ओं)/सेवा(ओं) से सम्बन्धित उत्पादन लागत, विक्रय लागत, मार्जिन एवं अन्य सूचनाओं का सत्य एवं उचित चित्र प्रस्तुत/प्रस्तुत नहीं करते हैं।

2. लागत अंकेक्षण के सम्बन्ध में लागत अंकेक्षक के विचार एवं सुझाव

लागत अंकेक्षक के

हस्ताक्षर एवं मोहर

दिनांक : ……………. दिन ………….., स्थान …………..।

लागत अंकेक्षण रिपोर्ट के साथ संलग्नक संलग्नक (annexture) का प्रारूप भी लागत अंकेक्षण रिपोर्ट नियम में प्रदत्त है। यह संलग्नक अंकेक्षण रिपोर्ट का ही भाग है। संलग्नक में 24 बिन्द हैं जो संस्था का। विभिन्न स्थितियों एवं कार्य प्रणालियों के बारे में हैं। ये 24 बिन्दु निम्न हैं—(1) सामान्य, (2) लागत लेखांकन नीति, (3) उत्पादन प्रक्रिया, (4) उत्पादन, (5) प्रत्येक वस्तु या सेवा का संख्यात्मक विवरण, (6) कच्चा। सामग्री का विवरण, (7) उपयोगिता, (8) मजदूरी एवं वेतन, (9) मरम्मत एवं रखरखाव, (10) शुद्ध स्थाया। सम्पत्तियां एवं ह्रास, (11) शुद्ध ब्लाक, ह्रास एवं लीज किराया. (12) उपरिव्यय, (13) शोध एवं विकास। व्यय, (14) रॉयल्टी/तकनीकी सहायता भूगतान, (15) असाधारण लागतें. (16) गैर-चल स्टॉक, (17) अपलिखित स्टॉक, (18) स्टॉक मूल्यांकन, (19) वस्तुओं का विक्रय, (20) उत्पादन की प्रति इकाई माजिन । (21) सम्बन्धित पार्टी व्यवहार, (22) केन्द्रीय उत्पाद/सेवा कर, (23) लाभ समाधान, (24) प्रत्येक वस्तु या सेवा का लागत विवरण।

Cost Audit Study Notes

प्रश्न

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1 लागत अंकेक्षण के उद्देश्यों व लाभों को लिखिए। क्या आपके विचार में परिव्यय अंकेक्षण निर्माणी संस्थानों के लिए आवश्यक है?

State the objects and advantages of cost audit. Do you think that cost audit is essential for manufacturing concerns?

2. लागत अंकेक्षण की परिभाषा लिखिए। लागत अंकेक्षण के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। लागत अंकेक्षण के प्रकार लिखिए।

Define Cost Audit. Discuss the objects of Cost Audit. Also discuss the various types of Cost Audit.

3. लागत अंकेक्षण का क्या तात्पर्य है ? लागत अंकेक्षण से कौन-कौन से उद्देश्यों की पूर्ति होती है तथा लागत अंकेक्षण के क्या लाभ हैं?

What is meant by cost audit? What are the objectives sought to be served by cost audit and what are the advantages of cost audit?

4. लागत अंकेक्षण को परिभाषित कीजिए लागत अंकेक्षण के लाभों का वर्णन कीजिए।

Define cost audit. Describe the advantages of cost audit.

5. एक बड़े व्यवसाय के लागत अंकेक्षक के नाते, आप श्रम व सामग्री लागतों के सम्बन्ध में जो विधि अपनाएंगे, उसका वर्णन कीजिए।

As a cost auditor of a large organisation describe the procedure you would adopt with regard to labour and materials costs.

6. उपरिव्ययों का परिव्यय अंकेक्षण सामग्री व श्रम के अंकेक्षण से अधिक काक-दृष्टि मांगता है। क्या आप सहमत हैं? आप उपरिव्ययों का अंकेक्षण कैसे आरम्भ करेंगे?

The cost audit of overhead expenses calls for a more special insight in comparison to the audit of material and labour. Do you agree? How would you proceed to audit the overheads?

Cost Audit Study Notes

लघु उत्तरीय प्रश्न

1 वित्तीय अंकेक्षण एवं लागत अंकेक्षण में क्या अन्तर है?

What is the difference between Financial Audit and Cost Audit?

2. लागत अंकेक्षण के महत्व का वर्णन कीजिए।

Explain the importance of Cost Audit.

3. लागत अंकेक्षण के लाभों का वर्णन कीजिए।

Describe the advantages of Cost Audit.

4. लागत अंकेक्षक की योग्यताओं का वर्णन कीजिए।

Discuss the qualifications of Cost Auditor.

5. लागत अंकेक्षण प्रतिवेदन का एक नमूना प्रस्तुत कीजिए।

Give the specimen of the Report of Cost Audit.

6. लागत अंकेक्षण की अवधारणा को समझाइए।

Explain the concept of Cost Audit.

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chetansati

Admin

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