BCom 2nd Year Entrepreneur Critical Evaluation Development Programme Notes In Hindi

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BCom 2nd Year Entrepreneur Critical Evaluation Development Programme Notes In Hindi

Table of Contents

BCom 2nd Year Entrepreneur Critical Evaluation Development Programme Notes In Hindi: Evaluation of EDP s) Limitations or Weakness of EDP s) Causes of Slow Development of Entrepreneurship In India Suggestions for Improving EDP s) in India Useful Questions Long Answer Questions Short Answer Questions Correct Option Following  Statement True False :

Critical Evaluation Development Programme
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BCom 3rd Year Corporate Accounting Underwriting Study Material Notes in Hindi

उद्यमिता विकास कार्यक्रमों का आलोचनात्मक मूल्याँकन

(Critical Evaluation of Entrepreneur Development Programmes)

“उद्यमिता विकास कार्यक्रम औद्योगीकरण का एक अस्त्र है तथा उद्यमिता के विकास में आने वाली बाधाओं का समाधान करता है।”

शीर्षक

  • उद्यमिता विकास कार्यक्रमों का मूल्याँकन (Evaluation of EDP’s)
  • उद्यमिता विकास कार्यक्रम की कमियाँ (Limitations or weaknesses of EDP’s)
  • भारत में उद्यमिता के धीमे विकास के कारण (Causes of Slow Development of Entrepreneurship in India)
  • भारत में उद्यमिता विकास कार्यक्रमों में सुधार के सुझाव (Suggestions for improving EDP’s in India)

Critical Evaluation Development Programme

उद्यमिता विकास कार्यक्रमों का मूल्याँकन

(Evaluation of EDP’s)

किसी भी कार्यक्रम की सफलता का मूल्याँकन उसके अन्तिम नतीजों से किया जाता है। इसी प्रकार उद्यमिता विकास कार्यक्रमों की सफलता का आंकलन करने के लिए यह देखना होगा कि इनमें प्रशिक्षण के बाद कितने लोगों ने अपने खुद के संगठन स्थापित किए हैं।

भारत में इन कार्यक्रमों के फलस्वरूप उद्योगों में विकास तो हुआ है, परन्तु बहुत-सी खामियों के चलते यह इतना उत्साहवर्धक नहीं है। भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान, अहमदाबाद द्वारा कराए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि चार प्रशिक्षण पाने वालों में से मात्र एक ने अपना संगठन शुरू किया। लगभग 10% अपने संगठन शुरू करने की अवस्था में ही किसी-न-किसी समस्या में फंसे हुए पाये गए और संगठन स्थापित करने के विचार को त्यागने की सोच रहे हैं। 29% तो ऐसे हैं जिन्होंने यह विचार छोड़ ही दिया है व अन्य 17% ने अपना काम शुरू करने के बजाय किसी दूसरे काम में लग गए।

यह ठीक है कि पिछले कुछ वर्षों से उद्यमिता कार्यक्रमों पर बल दिया जा रहा है तथा केन्द्र व राज्य सरकारों व निजी क्षेत्र द्वारा बहुत-से उद्यमिता विकास संस्थान अस्तित्व में आये हैं। खासकर बड़े व मध्यम श्रेणी नगरों में। परन्तु अधिकतर संस्थान अपने उद्देश्य की पूर्ति के बजाय प्रवेश के नाम पर बेरोजगारों से शुल्क व दान के नाम पर भारी राशि वसूल कर रहे हैं। लेकिन उद्यम स्थापित करना तो दूर वो छोटी-मोटी नौकरी पाने के लिए भी असमर्थ हो जाते हैं। जो लोग बैंकों व अन्य स्रोतों से ऋण लेकर छोटे-छोटे उपक्रमों की स्थापना कर भी लेते हैं तो व्यावहारिक अनुभव के अभाव में प्रतिस्पर्धा के चलते विद्यमान उद्यमियो के साथ स्पर्धा नहीं कर पाते व अपनी पूँजी गंवा बैठते हैं। अतः कहा जा सकता है कि केवल बड़े-बड़े संस्थान स्थापित करके ही उद्यम विकास को सफल नहीं बनाया जा सकता, इन संस्थानों की नीतियों में सुधार व व्यावहारिकता लाने की आवश्यकता है ताकि यह संस्थान प्रमाण-पत्र देने वाले न होकर व्यावहारिक उद्यमियों का निर्माण व विकास कर सकें >

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उद्यमिता विकास कार्यक्रम की कमियाँ

(Limitations or Weaknesses of EDP’s)

हमारे देश में प्रचलित उद्यमिता विकास कार्यक्रमों में प्रमुख कमियाँ निम्नलिखित हैं

(1) सरकारी सुविधाओं एवं प्रेरणाओं की कमी उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए भारत में सरकारी सुविधाओं व प्रेरणाओं का अभाव है। उद्योग के लिए आवश्यक आधारभूत सुविधाएँ–बिजली, कच्चा माल, तकनीक, मण्डीकरण, वित्त आदि के सम्बन्ध में ठोस सरकारी कार्यक्रमों का अभाव है। घाटे की अर्थव्यवस्था व मूल्यों में वृद्धि भी भावी उद्यमियों पर अनुकूल प्रभाव नहीं डालती।

(2) अफसरशाही लालफीताशाही हमारे देश में अफसरशाही लालफीताशाही उद्यम विकास कार्यक्रमों की राह में बहुत बड़ी अड़चन है। सरकारी संस्थानों की सुस्त चाल, प्रशासनिक भ्रष्टाचार, नौकरशाही व लालफीताशाही, पक्षपात, नियमों की जड़ता के चलते उद्यमियों को कई सुविधाएँ प्राप्त करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इससे उद्यमियों के उत्साह पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

(3) अव्यावहारिक शिक्षण एवं प्रशिक्षण भारत में उद्यम विकास में जो शिक्षण व प्रशिक्षण दिया जाता है वो मात्र सैद्धान्तिक होता है व जिसका व्यवहार में ज्यादा महत्त्व नहीं होता। इस कार्य में शिक्षण से जुड़े लोगों का ज्ञान भी सीमित होता है। इसका एक कारण कम पारिश्रमिक है जिसके चलते योग्य एवं अनुभवी व्यक्ति इसमें आना पसन्द नहीं करते। तकनीकी संस्थानों में न तो अपने वर्कशाप होते हैं और न ही किसी अच्छे संस्थान से उनका गठबन्धन होता है।

(4) दोषपूर्ण चयन प्रक्रियाविकास कार्यक्रमों के लिए भावी उद्यमियों का उचित चुनाव होना चाहिए अन्यथा इन कार्यक्रमों की कोई प्रासंगिकता नहीं है। भारत के ज्यादातर संस्थानों में साधारण साक्षात्कार से ही अभ्यार्थियों का चुनाव कर लिया जाता है, इसके लिए कोई वैज्ञानिक तकनीक जैसे मनोवैज्ञानिक जाँच, बुद्धि परीक्षण, व्यक्तित्व व रुचि की जाँच, व्यावसायिक अभिरुचि की जाँच, सामान्य ज्ञान व शारीरिक जाँच, समूह विचार-विमर्श, आयु जोखिम उठाने की क्षमता आदि पर ध्यान नहीं दिया जाता है। इसके फलस्वरूप जो प्रशिक्षु यहाँ से प्रशिक्षण प्राप्त करके निकलते हैं उन्हें असफलताओं का सामना करना पड़ता है।

(5) उद्यमिता विकास कार्यक्रमों के उद्देश्यों की जानकारी का अभाव-उद्यमिता विकास कार्यक्रम चलाने वाली संस्थाओं को अपने उद्देश्यों व लक्ष्यों का पूर्ण ज्ञान होना आवश्यक है। भारत में पिछले कुछ वर्षों में कुकरमुत्तों की तरह यह संस्थान उभरे हैं जिन्हें इस तरह के कार्यक्रमों के उद्देश्यों का ज्ञान नहीं है। खासतौर पर गैर-सरकारी क्षेत्रों में बहुत से ऐसे संस्थान हैं जिनके पास न कोई उद्देश्य है, न ही कोई लक्ष्य, जिनका एकमात्र ध्येय अधिक-से-अधिक पैसा कमाना है। उदाहरण के तौर पर, एम. बी.ए. (M.B.A.) ही लीजिए। पहले इस पाठ्यक्रम को चलाने वाले गिने-चुने संस्थान थे, जो गुणवत्ता पर आधारित थे। परिणामस्वरूप जो एम.बी.ए. की डिग्री प्राप्त कर लेते थे वो या तो अपना उद्यम स्थापित कर लेते थे या दूसरे उद्यमों में अच्छे वेतन पर नियुक्त हो जाते थे। परन्तु आज एम.बी.ए. शिक्षण देने वाली अनेक संस्थाएँ खुल गई हैं जिनमें गुणवत्ता जैसी कोई बात नहीं है और इन संस्थानों से डिग्री लेकर नवयुवकों को छोटी-छोटी नौकरियों के लिए भी भटकना पड़ रहा है।

(6) संख्या पर बलउद्यमिता विकास कार्यक्रम चलाने वाले संस्थान गुणवत्ता के स्थान पर उद्यमियों की संख्या बढ़ाने पर बल देते हैं जिससे काबिल उद्यमी तैयार नहीं होते व उद्यम के क्षेत्र में आते ही असफलताओं का सामना करते हैं।

(7) विभिन्न संस्थाओं में समन्वय का अभाव-भारत में अखिल भारतीय स्तर, राज्य स्तर तथा निजी स्तर पर अनेक सस्थाएँ हैं जिनमें समन्वय की कमी है जिसके फलस्वरूप बहुत-सी क्रियाएँ फाइलों तक ही सीमित रहती हैं।

(8) कोई राष्ट्रीय नीति नहींभारत में राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी कोई नीति नहीं है जिससे कि उद्योगों को बढ़ावा देकर समान क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा दिया जा सके।

(9) उद्यमिता विकास कार्यक्रमों की अल्प अवधि–उद्यमिता विकास कार्यक्रमों का लक्ष्य है कि भावी उद्यमियों को सगठन स्थापित करने व उनका प्रबन्ध करने के सक्षम बनाया जा सके। अधिकतर कार्यक्रम 4 से 6 हफ्ते के लिए आयोजित किए जाते हैं, जो एक व्यक्ति को आधारभूत योग्यताएँ प्रदान करने के लिए भी काफी कम समय है।

(10) मूलभूत सुविधाओं की कमी उद्यमिता विकास कार्यक्रम चलाने के लिए पूर्व नियोजन व आधारभूत सुविधाएँ होनी आवश्यक है। ग्रामीण तथा पिछडे क्षेत्रों में इन सविधाओं की कमी होती है; जैसे उपयुक्त स्थान, वातावरण, परिवहन सुविधाएँ आदि जिसके चलते इन कार्यक्रमों का मूल उद्देश्य ही पीछे छूट जाता है।

(11) चुनाव के साधनभावी उद्यमियों की पहचान के लिए विभिन्न एजेसियाँ कोई एक तरीका नहीं अपनार्ती। यह संगठन केवल उन्हीं व्यक्तियों में रुचि दिखाते हैं जिनके पास अपने खुद के परियोजना विचार हों। इस तरह सभी रुचिकर उम्मीदवारों को उचित अवसर नहीं मिलते।

(12) वित्तीय संस्थाओं की प्रतिक्रिया सैद्धान्तिक तौर पर भले ही वित्तीय व बैंकिंग संस्थाएँ भावी उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की बात करते हों परन्तु व्यवहार में ऐसा नहीं होता। नए उद्यमी कर्ज लेने के लिए आवश्यक सिक्योरिटी नहीं दे पाते और उनका अपना संगठन स्थापित करने का सपना टूट जाता है।

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भारत में उद्यमिता के धीमे विकास के कारण

(Causes of Slow Development of Entrepreneurship in India)

भारत में उद्यमिता विकास की गति अत्यन्त धीमी रही है। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

1 परम्परागत सामाजिक विचारधारा-किसी भी समाज की विचारधारा व्यक्तियों के जीवन व व्यवसाय को प्रभावित करती है। भारत में परम्परागत (Traditional) विचारधारा का बोलबाला रहा है जिसके कारण प्रगतिशीलता और विकासात्मक विकास नहीं हो पाया। इस तरह का दृष्टिकोण उद्यमिता भावना को कुचल देता है।

2. भौतिकवादी संस्कृति का अभाव-भारत की संस्कृति शुरू से ही अभौतिकवादी (Non-Materialistic) रही है. हालांकि इसमें कछ बदलाव आ रहे हैं। अभौतिकवादी संस्कृति धन संग्रह, सम्पत्ति निर्माण, निजी लाभों, आर्थिक व उत्पादन क्रियाओं के रास्ते में एक बड़ी रुकावट है। अभौतिकवादी संस्कृति आवश्यकताओं को सीमित रखने व सादा जीवन व्यतीत करने पर बल देती है जिसके फलस्वरूप उद्योगों का विकास नहीं हो पाता है।

3. सामाजिक व्यवस्थाभारतीय समाज में कई कुप्रथाओं का बोलबाला है—जातिप्रथा, रुढ़िवादिता, अन्धविश्वास आदि, जिनके कारण उद्यमी प्रवृत्ति का विकास नहीं हो पाता । वंशानुगत (Hereditary) कार्य परम्पराओं के फलस्वरूप व्यक्तियों को अपनी रुचि एवं योग्यता के अनुरूप कार्य चुनने की स्वतन्त्रता नहीं होती जिसके कारण समाज में योग्य उद्यमियों का जन्म नहीं हो पाता।

4. प्रशिक्षण सुविधाओं की कमीभारत में उद्यमियों के सीमित विकास का एक कारण प्रशिक्षण सुविधाओं की कमी है। जो भी प्रशिक्षण केन्द्र हैं वे बड़े शहरों में हैं। छोटे शहरों व कस्बों में इनकी उपलब्धता न के बराबर है।

5. पूँजी की कमी-भारत में पूँजी निर्माण की दर बहुत धीमी है। लोग उद्यमों में जोखिम नहीं उठाना चाहते व केवल मकान, जमीन, सोने-चाँदी आदि में ही विनियोग करना चाहते हैं। इसके अतिरिक्त लोगों की बचत क्षमता भी बहुत कम है। इन कारणों से भी उद्यमिता का विकास नहीं हो पाता।

6. तकनीकी शिक्षा की कमी-भारत में तकनीकी शिक्षण संस्थानों की कमी है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में कई तकनीकी संस्थाओं का विकास हुआ है फिर भी यह पर्याप्त नहीं है। इस कारण से छोटे-छोटे उद्योग खोलने के लिए भी उद्यमिता का विकास नहीं हो पाता है।

7.नौकरशाहीवलालफीताशाही का बोलबालाएक उद्यमी को उद्यम की स्थापना के लिए विभिन्न सरकारी कार्यालयों व संस्थानों पर निर्भर रहना पड़ता है जिनमें व्याप्त नौकरशाही, भ्रष्टाचार, अनावश्यक नियमों व औपचारिकताओं, नकारात्मक व अव्यावहारिक दृष्टिकोण के चलते उद्यमी का उत्साह टूट जाता है। छोटे-छोटे कार्यों को करवाने के लिए एक लम्बा इन्तजार करना पड़ता है। ऐसी स्थितियों में एक आम व्यक्ति इन कार्यालयों में जाने तक की हिम्मत नहीं जुटा पाता।

8. नवीकरण परिवर्तनों का प्रतिरोध-भारत में नवीन कार्यक्रमों व परिवर्तनों के प्रति उपेक्षा का भाव रहा है। शोध व अनुसन्धान व समस्याओं के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अभाव में भी उद्यमिता प्रवृत्तियाँ विकसित नहीं हो पाती हैं।

9. एकाधिकार व प्रतिस्पर्धा का भय हमारे देश में कुछेक ही व्यावसायिक घरानों का बोलबाला रहा है और उनका व्यवसाय पर एकाधिकार सा रहा है। इस कारण से भी नए उद्यमियों के मन में हीन भावना पैदा होती है और वो प्रतिस्पर्धा करने की स्थिति में नहीं होता। ऐसे में नवीन उद्यमियों का विकास नहीं हो पाता है।

10. मूलभूत सुविधाओं की कमी एक उद्यम स्थापित करने के लिए जिन मूलभूत सुविधाओं की आवश्यकता होती है (जैसे बिजली, यातायात, संचार आदि) इनकी हमारे देश में पर्याप्त रूप से उपलब्धता नहीं है। इसी कारण से यहाँ उद्योगों का विकास सीमित रहा है।

11. उद्यमिता मनोवृत्ति का अभाव हमारे देश में युवा पीढ़ी का झुकाव सदैव नौकरियों व ललित कलाओं की तरफ रहा है। इस कारण से वे धन व पूँजी का सृजन नहीं कर पाते। व्यावसायिक रुचि, जोखिम लेने की क्षमता, रचनात्मक चिन्तन, उद्यमिता दृष्टिकोण के अभाव के चलते उद्यमिता का विकास नहीं हो पाता है।

भारत में उद्यमिता विकास कार्यक्रमों में सुधार के सुझाव

(Suggestions for Improving EDP’s in India)

भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में बेरोजगारी एक भयंकर समस्या बनती जा रही है। अत: इसके समाधान के उपायों पर गम्भीरतापूर्वक विचार करना होगा। इस समस्या के समाधान के कई विकल्प हो सकते हैं जिनमें उद्यमिता विकास कार्यक्रमों को सुचारु रूप से चलाना भी है ताकि नये उद्यम पनप सकें, स्वरोजगार की भावना जाग्रत हो, फलस्वरूप दूसरों को भी रोजगार मिल सके। भारत में अनेक ऐसे कार्यक्रम हैं जो अनेक कमियों से परिपूर्ण हैं। हमें अन्य विकसित देशों में संचालित उद्यमिता विकास कार्यक्रमों को सामने रखकर अपने यहाँ के उद्यमिता विकास कार्यक्रमों में आवश्यक सुधार करने होंगे। भारत में उद्यमिता कार्यक्रमों को सुधारने व अधिक प्रभावी बनाने के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण सुझाव निम्नलिखित हैं

1 उद्यमिता विकास कार्यक्रमों को चलाने वाली संस्थाओं की समय-समय पर जाँच-पड़ताल होनी चाहिए। इन संस्थाओं को मान्यता लेना अनिवार्य होना चाहिए व मान्यता प्राप्त करने के नियम व शर्ते कड़ी होनी चाहिए।

2. इन संस्थाओं में शिक्षण प्रशिक्षण के साथ कृत्य शिक्षण प्रशिक्षण (On Job Training) का भी प्रावधान होना चाहिए।

3. सरकार को कड़े नियम बनाकर उन संस्थानों पर रोक लगानी चाहिए जो मात्र धन कमाने हेतु कागजों पर ही सीमित है।

4. शिक्षा पद्धति में बदलाव करते हुए उसे उद्यमिता अधिमुखी (Entrepreneurship Oriented) बनाया जाना चाहिए। इसके लिए तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों की संख्या बढ़ाने पर बल दिया जाना चाहिए।

5. वर्तमान उद्यमियों और कामगारों के लिए उचित प्रशिक्षण व अभिप्रेरण की व्यवस्था की जानी चाहिए।

6. नए उद्यमियों को सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं व प्रेरणाओं की जानकारी दी जानी चाहिए।

7 उद्यमिता विकास कार्यक्रमों की संस्थाओं को सुचारु रूप से चलाने के लिए केन्द्रीय समन्वय संस्था की कार्यप्रणाली में सुधार करना चाहिए।

8. उद्यमिता विकास कार्यक्रम संचालित करने वाली संस्थाओं को सार्थक परियोजनाएँ बनाने पर बल देना चाहिए। सार्थक परियोजना वो हैं जो संसाधनों की उपलब्धता तथा भावी बाजार पर आधारित हों।

9. प्रशिक्षार्थियों के चुनाव में इस बात का ख्याल रखा जाना चाहिए कि उन्हीं प्रशिक्षार्थियों को चुना जाए जो स्वरोजगार के इच्छुक हों तथा जिनमें एक भावी उद्यमी बनने के गुणों का अभाव हो उन पर प्रयत्न, पैसा व अन्य संसाधन बर्बाद नहीं करने चाहिए।

10. उद्यमिता विकास कार्यक्रमों की सफलता प्रशिक्षण देने वालों पर भी निर्भर करती है। अत: अच्छे संस्थानों से उचित व्यक्तियों का चुनाव करना चाहिए। इसके लिए व्यावसायिक संस्थानों, इंजीनियरी, विश्वविद्यालयों के अध्यापकों की सेवाएँ ली जानी चाहिए।

11. अधिकतर विकास कार्यक्रमों की अवधि 4 से 6 सप्ताह होती है, जो एक उद्यमी के प्रशिक्षण व विकास के लिए काफा कम समय है। अत: इन कार्यक्रमों की अवधि बढ़ानी चाहिए (कम-से-कम 6 महीने) ताकि प्रशिक्षार्थियों को उद्यम के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया जा सके।

12. कुछ व्यक्ति जो स्वरोजगार स्थापित करना चाहते हैं मगर किन्हीं कारणों से नियमित रूप से इन कार्यक्रमों में ले सकते हैं उनके लिए पार्टटाइम कार्यक्रमों को चलाया जाना चाहिए। ऐसे लोग जो पढ़ते हैं या कहीं काम करते हैं इन पार्टटाइम कार्यक्रमों का लाभ उठा सकते हैं।

13. उद्यमिता कार्यक्रमों से सम्बन्धित संस्थाओं को नौकरशाही से दर रखना चाहिए तथा सरकारी तन्त्र को चुस्त-दुरुस्त बनाना चाहिए।

14. पिछड़े व ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगिक बस्तियों का निर्माण करके आधारभूत सुविधाओं का विकास किया जाना चाहिए।

15. कर ढांचे को उद्यमियों के अनुकूल बनाया जाना चाहिए।

16. दीर्घकालीन वित्तीय व औद्योगिक नीति बनायी जानी चाहिए।

उपर्युक्त वर्णित कुछ सुझावों से हमारे देश में उद्यमिता विकास में क्रान्तिकारी परिवर्तन हो सकते हैं। यह ठीक है कि बाजारीकरण व खुले व्यापार की नीति से इसमे सुधार हो रहा है परन्तु इसका क्षेत्र सीमित है। आज भी उद्योग कुछ लोगों व क्षेत्रों तक ही सीमित हैं। उपर्युक्त सुझावों पर अमल करके व सरकारी तन्त्र में सुधार लाकर हमारा देश भी विकास कार्यक्रमों के माध्यम से औद्योगीकरण व फलतः आर्थिक उन्नति की ओर और भी ज्यादा अग्रसर हो सकता है।

उपयोगी प्रश्न (Useful Questions)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

1 एक उद्यम विकास परियोजना का मूल्यांकन किस प्रकार किया जा सकता है?

How will you evaluate Entrepreneur development programme ?

2. भारत में प्रचलित उद्यमिता विकास कार्यक्रमों का आलोचनात्मक विश्लेषण करो।

Critically evaluate entrepreneur development programme available in India.

3. भारत में उद्यमिता विकास कार्यक्रमों के धीमे विकास के मुख्य कारण क्या हैं ?

What are the causes of the slow development of Entrepreneurship in India?

4. भारत में उद्यमिता विकास कार्यक्रमों को सुधारने एवं अधिक प्रभावी बनाने के लिए अपने सुझाव दीजिए।

Give your suggestions for improving EDPs and making them more effective in India.

5. भारत में उद्यमिता विकास कार्यक्रमों की कमियों का वर्णन करते हुए उनमें सुधार के सुझाव दीजिए।

Pointing out weaknesses of EDP’s suggest suggestions for improving EDP’s.

6. भारत में उद्यमिता विकास का संक्षेप में वर्णन कीजिए तथा इसकी धीमी गति के प्रमुख कारणों को बताइए।

Describe in brief the entrepreneurial development in India and state main causes of its slow progress in India.

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

1 उद्यमिता विकस कार्यक्रम के धीमे विकास के कारण बताइए।

State reasons for slow development of EDP’s.

2. उद्यमिता विकास कार्यक्रम की कमियां बताइए।

State weaknesses of EDPs.

3. उद्यमिता विकास कार्यक्रम में सुधार के सुझाव दीजिए।

Suggest suggestions for improving EDP’s.

4. भारत में उद्यमिता विकास का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

Describe in brief the entrepreneurial development in India.

III. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

1. उद्यमिता विकास कार्यक्रम की दो कमियाँ बताइए।

State two weaknesses of EDP’s.

2. उद्यमिता विकास कार्यक्रम के धीमे विकास के दो कारण बताइए।

State two causes of slow development of EDP’s.

3. भारत में उद्यमिता विकास कार्यक्रम के सधार हेत दो सझाव दें।

Give two suggestions for improving EDP’s in India.

Critical Evaluation Development Programme

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

सही उत्तर चुनिये (Select the Correct Answer)

(i) उद्यमिता विकास सम्भव है, के द्वारा

(अ) अभिप्रेरणा

(ब) प्रशिक्षण

(स) समुचित शिक्षा

(द) ये सभी।

Entrepreneurial development is possible with

(a) Motivation

(b) Training

(c) Proper education

(d) All of these.

(ii) उद्यमिता विकास कार्यक्रम कौन चाहता है ?

(अ) शिक्षित समूह

(ब) तकनीकी युक्ति

(स) पूर्व-सैनिक

(द) ये सभी।

Who requires EDP’s ?

(a) Qualified group

(b) Technical person

(c) Ex-serviceman

(d) All of these.

(iii) भारत में बल दिया जाता है

(अ) प्रशिक्षण केन्द्र प्रशिक्षण पर

(ब) कार्य-स्थल प्रशिक्षण पर

(स) कार्य के बाद प्रशिक्षण पर

(द) ये सभी।

In India stress is given on

(a) Training centre training

(b) On the job training

(c) Off the job training

(d) All of these.

(iv) उद्यमिता विकास कार्यक्रम का अभिप्राय किस को विकसित करता है

(अ) युक्तिगता

(ब) उद्यमितीय प्रेरणा

(स) व्यक्तिगत चार्तुय

(द) ये सभी।

EDP’s meant for developing

(a) Personal qualities

(b) Entrepreneurial motive

(c) Professional skill

(d) All of these.

(v) उद्यमिता विकास कार्यक्रम प्रायः संगठित किये जाते हैं

(अ) 6 सप्ताह अवधि

(ब) 4 सप्ताह अवधि

(स) 8 सप्ताह अवधि

(स) 10 सप्ताह अवधि

EDP’s should be organised normally by

(a) 6 weeks duration

(b) 4 weeks duration

(c) 8 weeks duration

(d) 10 weeks duration

[उत्तर-(i) द, (ii) द, (iii) अ, (iv) ब, (v) अ।]

2. इंगित करें कि निम्नलिखित वक्तव्य ‘सही’ हैं या ‘गलत’

(Indicate Whether the Following Statements are True’ or ‘False’)

(i) प्रायः उद्यमिता विकास कार्यक्रम तीन चरणों में व्याप्त है।

Generally EDP’s consists of three phases.

(ii) उद्यमिता विकास कार्यक्रम सम्भावी उद्यमियों द्वारा अपने स्वप्न का कार्य में परिणित करने हेतु करता है।

EDPs is necessary to motivate potential entrepreneurs to convert their dream into action.

(iii) उद्यमी बनाए जाते हैं पैदा नहीं होते।

Entrepreneurs are made not born.

(iv) प्रत्येक व्यक्ति में सम्भावी उद्यमी बनने की क्षमता नहीं है।

Everybody does not have the capacity to become a potential entrepreneur.

(v) उद्यमिता विकास कार्यक्रम एक प्रशिक्षण कार्यक्रम ही नहीं है।

EDP’s is not merely a training programme.

[उत्तर-(i) सही, (ii) सही, (iii) सही, (iv) सही, (v) सही।]

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