Bcom 2nd year Cost Account Crushing Process Account Study Material Notes in Hindi (Part 2)

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Bcom 2nd year Cost Account Crushing Process Account Study Material Notes in Hindi (Part 2)

Table of Contents

Bcom 2nd year Cost Account Crushing Process Account Study Material Notes in Hindi, Refining Process, Products and joint Apportionment of Joint ( This |Article is Most Important For BCom 2nd Year Students )

Crushing Process Account
Crushing Process Account

BCom 2nd Year Cost Accounting Study Material Notes in Hindi

उपयुक्त विवरण से आप प्रत्यक प्रक्रिया की अलग-अलग लागत दर्शाते हये प्रक्रिया खाते बनाइये और निर्मित माल की। तेल नं0 1 एवं तेल नं02 का मिश्रण है) कुल लागत निकालिये।

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Rent rates and taxes amounted to 3,600. These are apportioned equally to each process and in the production of crude and refining Oil No. 1 and Oil No. 2 are to be charged in the proportion of 7:5 respectively.

From the above particulars, you are required to prepare accounts showing separately the cost of each process and the total cost of the finished product which is a blend of Oil No. 1 and Oil No.

उपोत्पाद एवं सह-उत्पाद

(By-Products and Joint Products)

कुछ उद्योगों में मुख्य वस्तु के उत्पादन के साथ-साथ कुछ अन्य वस्तुयें भी स्वत: ही उत्पादित हो जाती हैं जिनको उपोत्पाद (By-products) या सह-उत्पाद (Joint-product) कहते हैं।

उपोत्पाद (By-products)-जब निर्माण प्रक्रिया में किसी मुख्य (Main) वस्तु का उत्पादन करते समय आनषांगिक (Incidental) रूप से कछ अन्य वस्तएँ उत्पादित हो जाती हैं जो विक्रय योग्य (Saleable) अथवा प्रयोग योग्य (Useable) उपोत्पाद कहलाती हैं। उदाहरण के लिये, रुई के उत्पादन में बिनोला, चानों के उत्पादन में शीरा तेल केयर खली, आदि उपोत्पाद माने जाते हैं।

उपोत्पाद का लेखांकन (Accounting for By-product)-प्रक्रिया लागत निर्धारण हेतु उपोत्पाद का लेखांकन किस प्रकार किया जाये, यह वस्तुत: उपोत्पाद की प्रकृति पर निर्भर करता है। उपोत्पाद दो प्रकार के हो सकते हैं

(1) जब उपोत्पाद का मल्य कम हो (By-products of Small Value)-कुछ उपोत्पादों का विक्रय मूल्य मख्य उत्पाद का तुलना में बहत ही कम होता है तथा जिस रूप में ये प्राप्त होते हैं उसी रूप में आगे किसी विधायन (Processing ) के बिना उन्हें बेच दिया जाता है। ऐसे उपोत्पादों का अलग से लेखा नहीं रखा जाता परन्तु इनके विक्रय से प्राप्त राशि का लेखा निम्नलिखित दो विधियों द्वारा किया जा सकता है

(i) इनके विक्रय से प्राप्त राशि को लाभ मानकर लागत लाभ-हानि खाते में क्रेडिट कर दिया जाय और मुख्य उत्पाद की प्रक्रिया को इस राशि से प्रभावित न होने दिया जाये। अथवा

(ii) इनके विक्रय से प्राप्त राशि को उस प्रक्रिया खाते की क्रेडिट में दर्शाया जाये जिस प्रक्रिया से वह उपोत्पाद प्राप्त हुआ हो।

व्यवहार मे दूसरी रिति ही अधिक लोकप्रिय है क्योंकि इसके द्वारा मख्य उत्पाद की सही लागत ज्ञात हो जाती है। की कारण अधिकतर इसी रीति का प्रयोग किया जाता है।

स्पष्टीकरण हेतु उदाहरण 2 व 16 देखें।

(2) जब उपोत्पाद का मूल्य अधिक हो (By-products of Considerable Value)-जहाँ उपोत्पाद का मूल्य अधिक होता है तो उपोत्पाद की लागत ज्ञात करने की समस्या उत्पन्न होती है। इसके लिये विभाजन बिन्दु तक की संयुक्त लागतों को अलग करना पड़ता है। संयुक्त लागत को सह-उत्पाद के समान ही ज्ञात करते हैं। किसी स्पष्ट सूचना के अभाव में मुख्य । उत्पाद तथा उपोत्पाद की लागत प्रति इकाई समानही मानी जाती है। ___

इस प्रकार उपोत्पाद की लागत ज्ञात करके उपोत्पाद की लागत रकम से मुख्य उत्पाद खाते को क्रेडिट कर दिया जाता है। और उपोत्पाद खाते को डेबिट कर दिया जाता है। ऐसी दशा में उपोत्पाद खाता पृथक् रूप से तैयार किया जाता है।

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Illustration 17.

एक कार्य दो विभिन्न प्रविधियों से होकर गुजरता है; प्रथम प्रविधि का उत्पाद क्षय और उपोत्पाद को घटाकर दूसरी प्रविधि के लिये कच्ची सामग्री हो जाता है। सभी उपोत्पाद सीधे कारखाने से बेचे जाते हैं। कारखाने के लेखों से। निम्नांकित सूचनायें प्रकट होती हैं

A work order passes through two distinct processes. The product of first process less wastage and by-products becomes the raw materials for the second process. All by-products are sold off direct from factory. The following informations are obtained from factory records :

प्रथम एवं द्वितीय प्रविधि खाता बनाकर प्रत्येक प्रविधि पर उत्पाद की लागत और उपोत्पाद की बिक्री पर लाभ ज्ञात कीजिये।

Give the account for the first and second process showing at each stage the cost of the product and the profit on the sale of by-product.

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टिप्पणी-(i) उपोत्पाद महत्त्वपूर्ण है, अत: प्रत्येक प्रक्रिया के उपोत्पाद के लिये पृथक् खाता खोलना आवश्यक है।

___(ii) अन्य किसी सूचना के अभाव में मुख्य उत्पाद तथा उपोत्पाद की प्रति टन लागत समान मानी गई है।

वैकल्पिक विधि-जब उपोत्पाद खाते न खोले जायें।

सह-उत्पाद या संयुक्त उत्पाद (Joint Product)-कभी-कभी एक ही प्रक्रिया द्वारा दो या दो से अधिक उत्पाद (वस्तुयें) समान महत्त्व की उत्पादित होती हैं और प्रत्येक उत्पाद की पूर्णता हेतु सामान्यत: आगामी प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है, ऐसे उत्पादों को ही सह-उत्पाद या संयुक्त उत्पाद (Joint products) कहते हैं। संक्षेप में, सह-उत्पाद की मुख्य विशेषतायें अग्रलिखित प्रकार हैं

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(1) ऐसे उत्पाद एक ही प्रकार की कच्ची सामग्री से उत्पादित होते हैं।

(2) एक ही प्रक्रिया से जन्म लेते हैं। ।

(3) सामान्यत: सभी उत्पाद समान महत्त्व के होते हैं।

(4) प्रथम प्रक्रिया से अलग होने के पश्चात् पूर्णता हेतु आगामी प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है।

उदाहरणार्थ-तेल उद्योग में गैसोलिन, केरोसिन, पैराफिन तथा अशोधित तेल (Crude oil), आदि सभी उत्पाद अशोधित पेट्रोलियम से ही प्राप्त होते हैं। कोयले की खान से विभिन्न किस्मों के कोयले का उत्पादन आदि सह-उत्पाद के ही। उदाहरण हैं।

मुख्य उत्पाद, सह-उत्पाद तथा उपोत्पाद में अन्तरयद्यपि इन मदों में स्पष्ट अन्तर करना एक कठिन कार्य है। फिर भी मुख्यत: निम्न तथ्यों के आधार पर अन्तर किया जा सकता है

(1) यदि एक उत्पाद का मूल्य उत्पादित अन्य उत्पादों की तुलना में बहुत अधिक है तो अधिक मूल्य वाले उत्पाद को मुख्य उत्पाद तथा शेष को उपोत्पाद माना जाता है।

(2) उद्योग के उद्देश्य के विश्लेषण के आधार पर भी इनमें अन्तर किया जा सकता है। उद्योग का उद्देश्य जिस उत्पाद को उत्पादित करने का होता है उसे तो मुख्य उत्पाद एवं अन्य को उपोत्पाद या सह-उत्पाद कहा जायेगा। उदाहरण के लिये, तेल उद्योग का उद्देश्य तेल का उत्पादन करना होता है न कि खली का। इसीलिये तेल को मुख्य उत्पाद तथा खली को उपोत्पाद कहा जाता है।

(3) आगामी प्रक्रियाओं की आवश्यकता के आधार पर भी अन्तर कर सकते हैं। जिन वस्तुओं को विक्रय योग्य बनाने के लिये अलग से कोई व्यय नहीं करना पड़ता अर्थात् आगे किसी प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होती, उन्हें उपोत्पाद (By-products) कहा जाता है जबकि जिन वस्तुओं को पूर्णता की स्थिति में लाने के लिये अतिरिक्त व्यय करने पड़ते हैं। अर्थात् पृथक् होने के पश्चात् आगे और प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है, उन्हें ‘सह-उत्पाद’ या संयुक्त उत्पाद (Joint Product) कहा जाता है।

स्पष्ट है कि किसी उत्पाद का मुख्य उत्पाद, सह-उत्पाद या उपोत्पाद होना उद्योग के उद्देश्य, उत्पाद के मूल्य, प्रबन्ध की नीति तथा उद्योग की दशाओं पर निर्भर करता है।

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संयुक्त उत्पाद का लेखांकन

(Accounting for Joint Product)

अथवा

संयुक्त उत्पाद की लागत का निर्धारण

(Determination of Cost of Joint Products)

संयुक्त उत्पादों का लेखांकन करने के लिये उत्पादन प्रक्रिया में संयुक्त उत्पादों के विभाजन बिन्दु अर्थात् अलग होने तक (Split off point) किये गये संयुक्त व्ययों को किसी उचित आधार पर बाँटना आवश्यक होता है ताकि इनकी सही लागतें ज्ञात की जा सकें। विभाजन बिन्दु पर अलग होने के बाद तो उन सभी संयुक्त उत्पादों पर अलग-अलग व्यय (Separate or Subsequent Expenses) किये जाते हैं, जिनकी लागत लेखांकन में कोई समस्या नहीं होती। संयुक्त लागतों को संयुक्त उत्पादों में विभाजित करने हेतु प्राय: निम्नलिखित विधियों का प्रयोग किया जाता है–

(1) भौतिक माप के आधार पर (On the Basis of Physical Measurement)-इस पद्धति के अन्तर्गत विभाजन बिन्दु से पूर्व की संयुक्त लागतों को प्रयुक्त कच्ची सामग्री के किसी भौतिक माप (पौंड, किलो, कुन्तल, टन, गाँठ, आदि) के आधार पर विभिन्न सह-उत्पादों में विभाजित किया जाता है। यह विधि तभी उपयुक्त मानी जाती है जब सभी सह-उत्पादों को एक ही भौतिक माप के आधार पर मापा जा सके।

(2) औसत इकाई लागत आधार पर (On the Basis of Average Unit Cost)-इस पद्धति के अन्तर्गत प्रक्रिया में उत्पादित सभी सह-उत्पादों की उत्पादित समस्त इकाइयों की कुल लागत में समस्त उत्पादित इकाइयों का भाग देकर प्रति इकाई औसत लागत ज्ञात कर ली जाती है। इस प्रकार ज्ञात प्रति इकाई औसत लागत में प्रत्येक सह-उत्पाद की उत्पादित इकाइयों का गुणा कर देने से प्रत्येक सह-उत्पाद की समस्त इकाइयों की संयुक्त लागत ज्ञात हो जाती है।

(3) सर्वेक्षण पद्धति (Survey Method)-इस पद्धति के अन्तर्गत लागत को प्रभावित करने वाले महत्त्वपूर्ण तथ्यों को सर्वेक्षण के आधार पर ज्ञात करके प्रत्येक सह-उत्पाद को उनके सापेक्षिक महत्त्व के अनुसार प्रतिशत या बिन्द (Points) प्रदान कर दिये जाते हैं और विभाजन बिन्दु से पूर्व की संयुक्त लागतों को उन प्रतिशतों अथवा बिन्दओं के अनपात में जो प्रत्येक सह-उत्पाद को प्रदान किये हैं, बाँट दिया जाता है।

(4) बाजार मूल्य पद्धति (Market Value Method)-इस विधि के अन्तर्गत संयुक्त लागतों को विभिन्न सह-उत्पादों के बाजार मूल्य अर्थात विक्रय मूल्य के अनुपात में बाँटा जाता है। जहां तक विक्रय मूल्य का प्रश्न है वह निम्नलिखित दो आधारों में से कोई भी हो सकता है

(A) विभाजन बिन्दु पर सह-उत्पादों का बाजार मूल्य-ऐसी स्थिति में विभाजन बिन्दु पर विभिन्न सह-उत्पादों का बाजार मल्य (विक्रय मूल्य) ज्ञात करके, इन बाजार मूल्यों के अनुपात में ही संयुक्त लागतों को बाँट दिया जाता है। यह पद्धति भी उपयोगी मानी जाती है जब विभिन्न उत्पादों की आगामी प्रक्रियाओं की लागत आनपातिक न हो।

1–यदि विभाजन बिन्द पर उत्पादों का बाजार मूल्य ज्ञात करना शव न हो तथा विभाजन बिन्दु के पश्चात की लागतें आनपातिक हों तो संयक्त लागतों को निर्मित सह-उत्पादों के विक्रया मल्यों के अनुपात में विभाजित कर देते हैं। निर्मित उत्पादों का बाजार मूल्य आसानी से ज्ञात हो जाता है।

(5) शुद्ध प्राप्त मूल्य अथवा विलोम लागत पद्धति (Net Realisable Value or Reverse Cost Method)-इस पद्धति के अन्तर्गत सर्वप्रथम संयुक्त लागतों के अनुभाजन का विवरण-पत्र बनाया जाता है जिसे तैयार करने की निम्नलिखित । प्रक्रिया है

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(1) सर्वप्रथम विभिन्न उत्पादों के विक्रय मूल्यों में से अनुमानित लाभ घटाकर अथवा अनुमानित हानि जोड़कर प्रत्येक उत्पाद की कुल लागत ज्ञात की जाती है।

(2) उपर्युक्त प्राप्त कुल लागत में से विभाजन बिन्दु के आगे की प्रक्रिया लागते अर्थात प्रत्येक सह-उत्पाद के पृथक्-पृथक् व्ययों को घटाते हैं जो शेष बचता है वह सभी सह-उत्पादों की विभाजन बिन्दु पर संयुक्त लागतों का अंश होता है। प्रायः इनका योग ही प्रश्न में प्रदत्त संयुक्त लागतों के योग के बराबर होता है।

(3) कभी-कभी उपर्युक्त प्रकार से कल लागत में से पृथक व्ययों को घटाने के पश्चात बचे हये शेष का योग प्रश्न में प्रदत्त संयुक्त लागतों के योग से अधिक होता है तो ऐसी दशा में बचे हुये शेष के योग तथा प्रश्न में दिये हये संयुक्त व्ययों के योग के अन्तर को विक्रय एवं वितरण उपरिव्यय (Selling and distribution overhead) माना जाता है जिन्हें विभिन्न सह-उत्पादों पर उनके बिक्री-मूल्य के अनुपात में अनुभाजित (वितरित) करके घटा दिया जाता है और इस प्रकार प्रत्येक उत्पाद में बचा शेष ही संयुक्त लागतों का हिस्सा होता है।

संयुक्त व्ययों का विभाजन

(Apportionment of Joint Expenses)

संयुक्त लागतों को उपर्युक्त किसी भी आधार पर अभिभाजित करने के पश्चात् इनके लेखांकन के बारे में विचार करना है। संयुक्त लागतों के लिये एक संयुक्त व्यय खाता खोलकर सभी संयुक्त व्ययों को इस खाते की डेबिट में दिखा देंगे। तत्पश्चात् प्रत्येक संयुक्त उत्पाद के हिस्से में जितने संयुक्त व्यय आये हों उस राशि से सम्बन्धित उत्पाद खाते को डेबिट करते हुये संयुक्त व्यय खाते को क्रेडिट कर देंगे। ऐसी दशा में संयुक्त व्यय खाते का निम्नलिखित प्रारूप होगा

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इसके बाद प्रत्येक उत्पाद का पृथक-पृथक खाता तैयार किया जाता है जिसमें डेबिट पक्ष में संयुक्त व्ययों की रकम जो भी हिस्से में आयी हो तथा विभाजन बिन्दु के पश्चात् किये गये पृथक् व्यय एवं विक्रय एवं वितरण व्यय (यदि कोई है तो)। ‘ को दर्शाया जाता है। क्रेडिट में विक्रय मूल्य को दर्शाया जाता है। अन्तर की राशि को लाभ माना जाता है। ऐसी दशा में प्रत्येक उत्पाद खाते का अग्रलिखित प्रारूप होगा

वैकल्पिक विधि (Alternative Method)-संयुक्त लागतों के लेखांकन का एक तरीका यह भी हो सकता है कि सम्पूर्ण संयुक्त व्ययों तथा मुख्य उत्पाद (Main Product) के पृथक् व्ययों की रकम को मुख्य उत्पाद खाते की डेबिट में ही प्रदर्शित कर दें। तदुपरान्त मुख्य उत्पाद की उत्पादन लागत ज्ञात करने के लिये संयुक्त व्ययों की कुल रकम में प्रत्येक उपोत्पाद (By-product) के हिस्से की रकम से सम्बन्धित उपोत्पाद खाते को डेबिट तथा मुख्य उत्पाद खाते को क्रेडिट कर देगे अर्थात् संयुक्त व्ययों में प्रत्येक उपोत्पाद के हिस्से की रकम को मख्य उत्पाद खाते के क्रेडिट पक्ष में दिखा देंगे। ।

इस विधि के अन्तर्गत उपोत्पादों (By-products) के खाते तैयार करने के लिये सर्वप्रथम प्रत्येक उपोत्पाद के हिस्से में आयी संयुक्त व्यय की रकम को उस उपोत्पाद खाते की डेबिट में To Main Product A/c (Share of Joint Expenses) लिख देते हैं एवं तदुपरान्त उस उपोत्पाद के पृथक् व्ययों की रकम को उसी उपोत्पाद खाते की डेबिट में लिख देते हैं। इस प्रकार सम्बन्धित उपोत्पाद की उत्पादन लागत ज्ञात हो जाती है।

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Illustration 18.

निम्नलिखित विवरणों से औसत इकाई लागत पद्धति के अन्तर्गत ‘ए’, ‘बी’ तथा ‘सी’ के संयुक्त उत्पादों की लागत ज्ञात कीजिये

From the following particulars, find out the cost of joint products ‘A’, ‘B’ and ‘C’ under Average Unit Cost Method:

Illustration 19.

एक आरा मिल में ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’ तथा ‘डी’ के नाम से पहचाने जाने वाले उत्पाद उत्पादित किये जाते हैं। 30 सितम्बर, 2018 को समाप्त होने वाले सप्ताह में उनके उत्पादन की कुल लागत 600 ₹ थी जबकि अवधि के लिये उत्पादन इस प्रकार है

In a saw mill , certain grades of articles knows as A  b C and D are Produced . the total cost of their Productions During a Week ending 30th September , 2018 amounted to 600 while the output for the period are :

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Illustration 20.

किसी प्रक्रिया की उत्पत्ति का 80% मुख्य उत्पाद, 15% उपोत्पाद तथा 5% प्रक्रिया हानि के रूप में है। प्रक्रिया में लगायी गयी सामग्री (5,000 इकाई) की लागत 23.75 ₹ प्रति इकाई एवं सभी अन्य व्यय 14,250 ₹ है जिसमें से शक्ति की लागत 331/% है। यह तय किया गया कि शक्ति की लागत को मुख्य उत्पाद एवं उपोत्पाद में 10:9 के अनुपात में चार्ज किया जाये। उपोत्पाद की लागत दर्शाते हये एक विवरण तैयार कीजिये।

The yield of a certain process is 80% as to the main product, 15% as to the by-product and 5% as to the process loss. The material put in process (5,000 units) cost * 23.75 per unit and all other charges are 14,250 of which power cost accounted for 33 %. It is ascertained that power is chargeable as to the main product and by-product in the ratio of 10: 9. Draw up a statement showing the cost of the by-product.

एक विशेष रसायन प्रक्रिया में कुल प्रयुक्त सामग्री का 75% प्रमुख उत्पाद तथा 20% सहायक उत्पाद प्राप्त होता है। 5% हानि हो जाती है। प्रक्रिया में सहायक उत्पाद की एक इकाई के लिए जितनी सामग्री चाहिये उससे दुगनी सामग्री प्रमुख उत्पाद के लिए चाहिए। सहायक उत्पाद की एक इकाई के लिए जितना समय चाहिए मुख्य उत्पाद की एक इकाई के लिए उससे 1% गुना समय चाहिए। उपरिव्ययों का बंटवारा 3:1 में होता है।

एक विशेष सप्ताह में कच्चे  माल की 1,000 इकाइयाँ 17,000  की लागत से प्रयुक्त की गई । कुल श्रम लागत 5,300 आयी उपरिव्यय 2,700  हुये तथा श्रय का बिक्रि से 300 प्राप्त हुये ।  दोने उत्पादों की लागत ज्ञात कीजिए ।

A certain chemical process yields 75% of materials introduced as main product and 20% as by-product, 5% being lost. In the process one unit of main product requires double the material

times the time needed required for a unit of by-product. Further one unit of main product needs 1 for one unit of by-product. Overheads are absorbed in the ratio of 3:1. During a week 1,000 units of raw materials at a cost of * 17,000 were introduced. Labour totalled! 5,300, overhead came * 2,700, wastages realised 300. Ascertain the cost of two products.

Illustration 22.

वस्तु ‘अ’ के उत्पादन में उपोत्पाद ‘ब’ तथा ‘स’ का उत्पादन होता है। उत्पादन के संयुक्त व्यय निम्नलिखित प्रकार  है सामग्री 5,000 श्रम 4,000 उपरिव्यय 4,500 पृथक् पृथक् व्यय निम्नलिखित हैं

A product ‘A’yield By-products ‘B’and ‘C’. The Joint Expenses of manufacturing are:

Materials 5,000; Labour 4,000; On cost 4,500. Subsequent expenses are as follows:

आप संयक्त व्ययों का बंटवारा किस प्रकार करेंगे? इन तीनों उत्पादों के खाते भी बनाइये।

How would you apportion the joint expenses of manufacture? Also, prepare the accounts of three products.

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Illustration 23.

एक निर्माणी संस्था में उत्पाद ‘अ’ का उत्पादन करने पर उपोत्पाद ‘ब’ व ‘स’ प्राप्त होते हैं। उत्पादन के संयुक्त व्यय निम्नलिखित हैं

सामग्री 8,500 श्रम 9,000 उपरिव्यय 7,500

पृथक् व्यय निम्नलिखित हैं

In a manufacturing concern a certain product ‘A’ yield by-products ‘B’ and ‘C’. The joint expenses of

Materials 8,500; Labour 9,000 and Oncost * 7,500.

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आप उत्पादन के संयुक्त व्ययों का विभाजन किस प्रकार करेंगे. प्रदर्शित कीजिये तथा खाते बनाइये। Show how would you apportion the joint expenses of manufacture and prepare the accounts.

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Illustration 24.

उत्पाद एल्फा’ के निर्माण के दौरान एक उपोत्पाद ‘बीटा’ प्राप्त होता है। उपोत्पाद को पुन: विक्रयार्थ तैयार किया जाता है। परिव्यय लेखों से उपलब्ध निम्नलिखित आँकड़ों से प्रति किलो ‘एल्फा’ उत्पाद की लागत तथा ‘बीटा’ उपोत्पाद की लागत प्रदर्शित करते हुये खाते बनाइये।

A by-product ‘Beta’ is derived in the course of manufacturing a product ‘Alpha’. The by-product is further processed for sale. From the following data available from cost records, prepare accounts showing the cost per kg. of the product Alpha’and ‘Beta’.

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Illustration 25.मुख्य उत्पाद ‘ए’ के निर्माण में एक कम्पनी बेकार सामग्री को उपोत्पाद एम-1 व एम-2 बनाने में प्रयुक्त करती है। निम्नांकित सूचनाओं से विभाजन बिन्दु तक के कुल व्ययों को ए, एम-1 व एम-2 में आपको विभाजित करना है। faut farg arta 1,36,000 थी ।

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In manufacturing the main product ‘A’, a company processes the resulting waste material into two by-products M and M2. You are required to apportion total cost upto separation point among : A, M and M2 from the following data. Total cost upto separation point was 1,36,000.

अन्तप्रक्रिया लाभ एवं स्कन्ध पर अनोपार्जित लाभ की गणना

(Inter-process Profits and Calculation of Reserve of Unrealised Profit on Stock)

सामान्यत: एक प्रक्रिया से अगली प्रक्रिया को निर्मित वस्तु का हस्तान्तरण लागत पर किया जाता है व इसी प्रकार अन्तिम प्रक्रिया का निर्मित माल भी तैयार माल खाते (Finished Stock A/c) में लागत मूल्य पर ही हस्तान्तरित किया जाता है। परन्तु कभी-कभी ऐसा हस्तान्तरण लागत मूल्य पर न होकर बाजार मूल्य अथवा मूल्य में एक निश्चित प्रतिशत से लाभ जोड़कर जिसे हस्तान्तरण मूल्य (Transfer Price) कह सकते हैं, पर किया जाता है। ऐसी स्थिति में प्रत्येक प्रक्रिया खाते में कुछ-न-कुछ लाभ की राशि अवश्य ही सम्मिलित होती है जिसे ‘अन्तर्प्रक्रिया लाभ’ (Inter Process Profit) कहते हैं। निर्मित माल को बाजार मूल्य या हस्तान्तरण मूल्य पर हस्तान्तरित करने के पीछे निम्नलिखित तर्क दिये जाते हैं

(1) प्रत्येक प्रक्रिया की कुशलता या अकुशलता की जानकारी हो जाती है क्योंकि प्रत्येक प्रक्रिया द्वारा निर्मित माल की लागत की तुलना बाजार मूल्य से करके यह देखा जा सकता है कि लागत बाजार मूल्य से कम आ रही है या अधिक।

(2) उत्पादक माल को बाजार से क्रय करने या उसे बनाने का निर्णय ले सकता है।

(3) विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा प्रदर्शित लाभ का आपस में तुलनात्मक अध्ययन किया जा सकता है।

अन्तक्रिया लाभ हस्तान्तरण के कारण उत्पन्न समस्या-एक प्रक्रिया द्वारा उत्पादित माल को अगली प्रक्रिया में बाजार मूल्य पर हस्तान्तरण करने से प्रथम प्रक्रिया के बाद वाली प्रक्रियाओं का अन्तिम स्टॉक व तैयार माल के प्रारम्भिक व अन्तिम स्टॉक का मूल्यांकन बाजार मूल्य पर किये जाने के कारण वर्ष का वास्तविक लाभ काल्पनिक रूप से बढ़ जाता है। इससे आर्थिक चिट्ठा व्यवसाय की सही आर्थिक स्थिति नहीं प्रकट कर पाता व प्रकट लाभ भी वास्तविक नहीं होता। इसलिये प्रत्येक प्रक्रिया के अन्तिम स्टॉक में न वसूल हुये लाभ की राशि ज्ञात करना आवश्यक होता है।

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प्रक्रियाओं के अन्तिम स्टॉक में सम्मिलित अनोपार्जित लाभ की गणना एवं लेखांकन-इस विधि में प्रथम प्रक्रिया का उत्पादन कुछ लाभ लेकर दूसरी प्रक्रिया में हस्तान्तरित किया जाता है और दूसरी प्रक्रिया का उत्पादन तीसरी प्रक्रिया में कुछ लाभ लेकर हस्तान्तरित किया जाता है परन्तु प्रत्येक प्रक्रिया में कुछ स्टॉक शेष रह जाता है जिसमें पिछली प्रक्रिया के लाभ का भाग भी सम्मिलित रहता है, अत: प्रत्येक प्रक्रिया के स्टॉक में पिछली प्रक्रिया के सम्मिलित लाभ को ‘न वसूल हुआ लाभ या अनोपार्जित लाभ’ (Unrealised Profit) कहते हैं। इसलिये वर्ष के अन्त में प्रत्येक प्रक्रिया के अन्तिम स्टॉक में सम्मिलित न वसूल हुये लाभ की गणना करनी चाहिये और इस न वसूल हुये लाभ की कुल राशि से न वसूल हुए लाभ के लिये आयोजन (Provision for Unrealised Profit) बनाना चाहिये।

इस सम्बन्ध में निम्नलिखित प्रविष्टि की जाती है ।

इस आयोजन को करने से व्यवसाय का शुद्ध वास्तविक लाभ ज्ञात हो जाता है, स्टॉक भी लागत-मूल्य पर दर्शाया जाता है तथा स्थिति विवरण सही आर्थिक स्थिति को दर्शाता है।

अन्तर्प्रक्रिया लाभ की दशा में अनोपार्जित लाभ की गणना हेतु प्रक्रिया खातों को निम्न प्रकार से तैयार किया जाता है

(1) प्रत्येक प्रक्रिया खाते के डेबिट एवं क्रेडिट पक्षों में तीन-तीन कॉलम अर्थात् योग (Total), लागत (Cost) तथा लाभ । (Profit) के लिये बनाये जाते हैं।

(2) यद्यपि अन्तिम स्टॉक को क्रेडिट पक्ष में लिखा जाता है परन्तु ऐसे प्रश्नों में सुविधा की दृष्टि से निर्मित माल खाने (Finished Stock A/c) को छोड़कर इसे प्रत्येक प्रक्रिया खाते की क्रेडिट साइड में दिखाने के स्थान पर डेबिट पक्ष में। घटाकर दिखाया जाता है।

(3) प्रक्रिया खाते की डेबिट साइड में अन्तिम स्टॉक को घटाकर दिखाने हेतु उक्त स्टॉक की लागत व लाभ अलग-अलग ज्ञात करने होंगे तभी उसे तीनों खानों में दर्शाया जा सकेगा। स्टॉक की लागत की गणना करने हेतु यह देख लेना चाहिये कि स्टॉक का मूल्यांकन किस स्तर पर किया गया है (मूल लागत पर या कुल लागत पर)। स्टॉक का मूल्यांकन जिस लागत स्तर पर किया गया हो उसी स्तर तक की लागतों के योग में से अन्तिम स्टॉक को डेबिट पक्ष में से घटाकर लागत की गणना की जानी चाहिये। अन्तिम स्टॉक की लागत की गणना निम्नलिखित सूत्र के द्वारा की जा सकती

Cost of Closing Stock = Cost * Value of Closing Stock

                                               Total

Cost = Total of  the Cost column before Closing Stock

 (स्टाँक का मुल्यांकन किरने से पूर्व लागत स्तम्भ स्तम्भ का य़ोग)

Total = Total of  the Total Column before Closing Stock

(स्टाँक का मूल्यांकन करने से पूर्व योग (Total ) वाले स्तम्भ का योग )

(4) अन्तिम स्टॉक के कुल मूल्य में से उपर्युक्त सूत्र द्वारा निकाली गई लागत को घटाने पर स्टॉक में सम्मिलित लाभ की राशि ज्ञात हो जायेगी जिसे लाभ (Profit) वाले स्तम्भ (Column) में लिख देते हैं। Profit = Value of Closing Stock – Cost of Closing Stock

लागत मूल्य अथवा हस्तान्तरित मूल्य पर लाभ प्रतिशत (Percentage of Profit at Cost or at Transfer Price)-अन्तर्प्रक्रिया लाभ हस्तान्तरण के प्रश्नों में यह ध्यानपूर्वक देख लेना चाहिये कि लाभ का प्रतिशत लागत मूल्य पर दिया है या हस्तान्तरण मूल्य पर। दोनों परिस्थितियों में हस्तान्तरित किये जाने वाले माल पर लाभ की राशि निम्नलिखित सूत्रों द्वारा ज्ञात की जा सकती है

(1) यदि लाभ का प्रतिशत  लागत पर दिया  हुआ हो Profit = % Of Profit * Cost

100

(2) यदि लाभ का प्रतिशत हस्तान्तरण मूल्य पर दिया हुआ हो –profit= % of Profit * Cost

100- % of Profit

Bcom 2nd year Cost Account Crushing Process Account Study Material Notes in Hindi (Part 2) (Most Important  Notes For Bom Students )

Illustration 26.

जे० के० लिमिटेड की उत्पादन प्रक्रिया में एक ही इकाई के सम्बन्ध में तीन विभिन्न प्रक्रियाओं का परिचालन किया जाता है। ‘p’ प्रक्रिया का उत्पादन ‘Q’ प्रक्रिया में लागत पर 25% लाभ जोड़कर वसूल किया जाता है तथा प्रक्रिया का उत्पादन ‘R’ प्रक्रिया को उसी आधार पर वसूल किया जाता है। निर्मित उत्पादन ऐसे मूल्य पर जिससे का प्रक्रिया को 25% लागत पर लाभ प्रदान हो, अन्तिम स्टॉक में हस्तान्तरित किया जाता है। निम्नलिखित विवरणों से किया साने तथा निर्मित माल खाता बनाइये। प्रत्येक प्रक्रिया में स्टॉक मूल लागत पर ही मूल्यांकित किया जाता है

Manufacturing operation of J. K. Ltd., involves three distinct processes in connection with the same unit The output of process ‘P’ is charged to process ‘Qat a profit of 25% on cost and the output of his charged to process ‘R’ on a similar basis. The completed product is transferred into which gives process ‘R’ a profit of 25% on cost. From the following particulars. stock at a price which gives process ‘R’ a profit of Accounts and Finished Goods Account. Stock in each process has been valued at prime cost:

Process P                Process Q                       Process B

प्रयुक्त सामग्री (Materials Consumed )                                    14,000                      21,000                           7,000

मजदूरी (Wages )                                                                             21,000                     14,000                            28,000

अन्तिम रहतिया (Closing Stock )                                                7,000                       14,000                            21,000

निर्मित माल का अन्तिम स्टाँक 14,000  का है तथा शेष माल को 1,26,000 में विक्य कर दिया ।लाभ हानि खाते के क्रेडिट में ले जाने के लिये वास्तविक उपार्जित लाभ को भी दिखलाइये।

Closing Stock of finished product amounts to 14,000. Remaining goods were sold for 1,26,000.

Show also the actual realised profit to be taken to the credit of Profit and Loss Account.

Finished Stock Account के डेबिट पक्ष में योग 1,40,000 लिखकर उसमें से 1,05,000 घटाकर लाभ की राशि ज्ञात की गई है। उसे लाभ के कॉलम में लिखकर डेबिट पक्ष के तीनों खानों का योग लगाकर क्रेडिट पक्ष में भी लिख दिया जाता है। अन्तिम स्टॉक की लागत एवं लाभ की गणना उपरोक्त प्रकार से करने के पश्चात् विक्रय की लागत एवं लाभ की रकम शेष (Balance )  के आधार पर ज्ञात की जाती है ।

कुल लाभ 77,000 ₹ हुआ परन्तु यह वास्तविक लाभ नहीं है क्योंकि प्रत्येक प्रक्रिया के अन्तिम स्टॉक में न वसूल हुआ लाभ भी सम्मिलित हैं, जब तक उस रकम को ज्ञात करके संचय नहीं बना लिया जाता एवं लाभ की राशि में से घटाया नहीं जाता उस समय तक सही लाभ ज्ञात नहीं हो सकता है।

अप्राप्त लाभ के लिये संचय राशि की गणना

प्रक्रिया P-इस प्रक्रिया के पहले कोई प्रक्रिया नहीं है इसलिये अन्तिम स्टॉक में संचय की कोई रकम सम्मिलित नहीं होगी।

प्रक्रिया Qइस प्रक्रिया के अन्तिम स्टॉक में P प्रक्रिया का माल सम्मिलित होगा जो कि लाभ पर हस्तान्तरित किया गया है। इसलिये संचय की राशि की गणना निम्नलिखित प्रकार से की जायेगी

Bcom 2nd year Cost Account Crushing Process Account Study Material Notes in Hindi (Part 2) Most Important For Bcom 2nd Year Students 

Illustration 27.

एक उत्पाद अ तथा ब दो प्रक्रियाओं से गुजरता है। अ प्रक्रिया का उत्पादन ब प्रक्रिया को हस्तान्तरण मूल्य में 20% लाभ लेकर हस्तान्तरित किया जाता है तथा ब प्रक्रिया का तैयार माल इसी प्रकार निर्मित स्टॉक खाते में लागत में 25% लाभ लेकर हस्तान्तरित किया जाता है। 31 दिसम्बर, 2018 को किसी भी प्रक्रिया में चालू कार्य का शेष नहीं था तथा इसी तिथि को निम्न सूचना उपलब्ध थी –

A product passes through two process A and B. Output of Process A is transferred to Process B at a transfer price including 20% profit and finished output of Process B is similarly transferred to finished stock account at cost plus 25% profit. There was no stock in process of work-in-progress in either processes on 31st December, 2018. On this very date, the following information was available:

प्रक्रिया अ                           प्रक्रिया ब

(Process A)                   (Process B)

प्रयुक्त सामग्री (Materials Consumed)                                            16,400                              48,800

मजदूरी (Wages)                                                                                    23,600                           31,200

अन्तिम स्टॉक (Closing Stock)                                                           8,000                               24,000

निर्मित माल में से 48,000 ₹ का भाग हाथ में रहा तथा शेष निर्मित माल 1,16,000 ₹ में बेच दिया गया। प्रारम्भिक रहतिया तथा उपरिव्ययों को ध्यान में न रखते हुए विधि खाते बनाइए और बताइए कितना लाभ लाभ-हानि खाता में ले जाना है।

Bcom 2nd year Cost Account Crushing Process Account Study Material Notes in Hindi (Part 2)

Out of the finished Stock a portion remained in hand valued at 1 48,000 and the balance was sold for ₹ 1.16.000. Question of opening stock and on cost has to be ignored. Prepare Process Account and show how much profit ought to be credited to Profit & Loss Account?

 

 

chetansati

Admin

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