BCom 2nd Year Deduction Collection Income Tax Source Study Material notes in Hindi

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BCom 2nd Year Deduction Collection Income Tax Source Study Material notes in Hindi

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BCom 2nd Year Deduction Collection Income Tax Source Study Material notes in Hindi : Meaning of Deduction of tax at source  Other Important Provisions Regarding TDS/ TCS Time of Deposit of TDS/ TCS Numericla Illustration Related to TDS Examination Question Long Answer Question Short Answer Questions

Deduction Collection Income Tax
Deduction Collection Income Tax

BCom 2nd year cost Accounting Unit output costing method study material notes in Hindi

उदगम स्थान (स्रोत) पर आयकर की कटौती एवं संग्रह

(DEDUCTION AND COLLECTION OF INCOME TAX AT SOURCE

उद्गम स्थान (स्रोत) पर कर की कटौती का अर्थ

(Meaning of Deduction of Tax at Source)

कोई आय सर्वप्रथम जहाँ से प्राप्त होती है, वही उस आय का उद्गम स्थान कहलाता है एवं आय का भुगतान करने वाले व्यक्ति द्वारा भुगतान करते समय आय पर निर्धारित दर से कर की कटौती करने को ‘उद्गम स्थान पर कर की कटौती’ कहते हैं। आय का भुगतान करने वाला व्यक्ति निर्धारित दर से कर की राशि काट कर शेष राशि आय प्राप्त करने वाले को भुगतान कर देता। है एवं काटी गई आय-कर की राशि को करदाता के नाम से सरकारी कोष में जमा कर देता है तथा करदाता को काटी हुई राशि का प्रमाण-पत्र दे देता है, जिसे ‘काटे गये कर का प्रमाण-पत्र’ (Certificate of Tax Deducted At Source) (संक्षेप में, TDS Certificate) कहते हैं। ‘उद्गम स्थान पर कर की कटौती के प्रावधान से आय-कर की प्रभावी वसूली हो जाती है।

उद्गम स्थान पर काटा गया कर” करदाता की आय मानी जाती है और उसे कुल आय में शामिल किया जाता है। उद्गम स्थान पर काटी गई राशि को नियमित कर निर्धारण पर देय राशि में समायोजित किया जाता है। यदि देय कर की राशि कम है, तो आधिक्य राशि विभाग द्वारा करदाता को वापिस लौटा दी जाती है।

विशेषउद्गम स्थान पर कर की कटौती के कारण ही सम्बन्धित आय की प्राप्त राशि को ‘सकल’ (Gross up) किया जाता है। ‘सकल’ करने का सीधा सा तरीका यह है कि सम्बन्धित आय की प्राप्त राशि में उतनी राशि और जोड़ दें जो कर की राशि उद्गम स्थान पर काट ली गई है। Gross up करने के सूत्र इसी अवधारणा पर आधारित हैं। संक्षेप में, शुद्ध प्राप्ति एवं सकल आय की व्याख्या निम्नलिखित प्रकार की जा सकती है

शुद्ध प्राप्ति एवं सकल आय (Net Receipt and Gross Income)-उद्गम स्थान पर कर काटने से प्राप्तकर्ता की शुद्ध प्राप्ति उसकी आय से कम हो जाती है, अत: शुद्ध प्राप्ति में काटा गया कर पुन: जोड़ कर सकल कुल आय ज्ञात की जाती है। ।

भुगतान प्राप्तकर्ता के PAN की व्यवस्था (PAN of Receipient)-आय-कर अधिनियम में 01.04.2010 के पश्चात् होने वाले भुगतानों के सम्बन्ध में यह प्रावधान किया गया है कि यदि प्राप्तकर्ता भुगतान करने वाले को भुगतान से पूर्व अपना PAN प्रदान न करे तो भुगतानकर्ता को 20% की दर से उद्गम स्थान पर कर की कटौती करनी होगी चाहे आय-कर अधिनियम में इससे कम दर पर कर काटने का उल्लेख हो। अत: प्राप्तकर्ता को सदैव अपना PAN उपलब्ध करवा देना चाहिये इससे उसके नाम से जमा कर का लाभ देना भी आसान हो जायेगा। उद्गम स्थान पर कर की कटौती से सम्बन्धित प्रावधान आय-कर अधिनियम की धारा 190 से 206 में दिये गये हैं।

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महत्त्वपूर्ण भुगतानों में से उद्गम स्थान पर कर की कटौती के प्रावधान

वेतन में से उद्गम स्थान पर कर की कटौती

(Deduction of Tax at Source from Salaries) 

वेतन का भुगतान करने वाले नियोक्ता का यह कर्तव्य है कि वह वित्तीय वर्ष में लागू दरों के अनुसार वेतन शीर्षक की अनुमानित आय पर उद्गम स्थान पर कर की कटौती करे। इस सम्बन्ध में कुछ प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं

1 उद्गम स्थान पर कर की कटोती तभी की जायेगी जब वेतन शीर्षक की अनुमानित आय न्यूनतम कर देय सीमा से अधिक हो। वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए यह सीमा 2,50,000 ₹ की है तथा 60 वर्ष या अधिक परन्त 80 वर्ष से कम आय वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 3,00,000₹ है। 80 वर्ष या अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 5 लाख ₹ है। 5,00,000 ₹ तक का आय पर 5%, इसके बाद 5,00,000 ₹ से 10,00,000 ₹ तक की आय पर 900 एवं 10.00.000₹ के बाद शेष आय पर 30% की दर से आय-कर चकाना है। 01.04.2018 से देय आय-कर पर 40% की दर से स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर (HEC) चुकाया जायेगा। गत वर्ष 2018-19 हेत वेतन से आय की गणना करने मे 40,000 ₹ की Standard Deduction दी जाएगी। वेतन से आय की गणना वतन से आय से सम्बन्धित प्रावधानों के अनुसार की जाती है। कर की गणना की विस्तृत विवेचना हेतु पेज 671-672 देखें।

उद्गम स्थान (स्रोत) पर आय-कर की कटौती एवं संग्रह

2. यदि कर्मचारी एक से अधिक नियोक्ताओं से वेतन प्राप्त कर रहा है. तो सभी नियोक्ताओं से प्राप्त राशियों के आधार पर कुल आय ज्ञात की जाएगी। कर कटौती के लिए कर्मचारी एक या अधिक नियोक्ता को अधिकृत कर सकता है। एस अधिकृत नियोक्ता कर की कटौती के लिए उत्तरदायी होंगे।

3. मकान किराया भत्ता के सम्बन्ध में छट

(i) यदि मकान किराये भत्ते की राशि 3,000 ₹ मासिक से अधिक नहीं है तो नियोक्ता बिना किराए की रसीद के कर्मचारी के कथन के आधार पर मकान किराया भत्ता की रकम को कर-मुक्त मान सकता है।

(ii) यदि मकान किराया भत्ता 3,000 ₹ मासिक से अधिक है तो नियोक्ता भुगतान किये गये किराये की रसीद दिये जाने पर ही धारा 10/13A) में वर्णित नियमों के अनुसार मकान किराये भत्ते की प्राप्त राशि के सम्बन्ध में कर-मुक्त राशि तय करेगा।

(iii) यदि वार्षिक किराया एक लाख र से अधिक है तो कर्मचारी नियोक्ता को मकान मालिक का PAN बताएगा।

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4. यदि कर्मचारी चाहे तो अपनी अन्य सभी आयें नियोक्ता को बताकर उद्गम स्थान पर कर कटवा सकता है किन्तु यदि अन्य किसी शीर्षक में हानि है तो ऐसी हानियों को वेतन से समायोजित नहीं किया जाएगा, किन्तु स्वयं के आवास हेतु लिये गये ऋण के ब्याज की राशि को घटाया जा सकेगा।

5. यदि कर्मचारी शासकीय, अर्द्धशासकीय, कम्पनी, सहकारी समिति, विश्वविद्यालय या व्यक्तियों के संघ के यहाँ कार्यरत है व पुराना बकाया (Arrear) वेतन प्राप्त किया है जिस पर पूर्व में कर न लगा हो तो कर्मचारी को धारा 89(1) की राहत भी प्रदान की जाएगी किन्तु इस हेतु कर्मचारी को निर्धारित प्रारूप में सत्यापित विवरण नियोक्ता को प्रस्तुत करना होगा।

6. उद्गम स्थान पर काटे जाने वाले कर की राशि को बराबर की मासिक किश्तों में काटा जाना चाहिए। यदि अनुमानित वेतन में किसी कारण से परिवर्तन हो जाता है, तो अनुमानित वेतन एवं कर की गणना पुनः करके शेष किश्तों में समायोजन कर लेना चाहिए।

7. यदि वेतन का भुगतान विदेशी मुद्रा में किया जाए, तो उसे ₹ में परिवर्तित करके कर की गणना की जायेगी।

8. कटौती के पश्चात् कर की राशि को केन्द्रीय सरकारी कोषालय या स्टेट बैंक में निम्नलिखित तिथि को जमा कराना होगा-(अ) भुगतानकर्ता सरकार है तो वेतन भुगतान के दिन (ब) अन्य भुगतानकर्ता की दशा में वेतन भुगतान के 7 दिनों में।

9. नियोक्ता कर्मचारी को उद्गम स्थान पर काटे गये कर का प्रमाण फार्म संख्या 16 में देगा। यह प्रमाण-पत्र जिस वित्तीय वर्ष में कर की कटौती की गई है उसकी समाप्ति के तुरन्त बाद वाले वित्तीय वर्ष की 31 मई तक देना होगा।

कर्मचारी द्वारा धारा 192 के अन्तर्गत कर गणना के लिए वेतन आय में से कटौती के लिए साक्ष्य देना 101.06.2016 से प्रभावी] (नियम 26C) यदि कर्मचारी निम्नलिखित के सम्बन्ध में वेतन आय में से कटौती की मांग करता है तो उसे अपने नियोक्ता को फॉर्म नं० 12BB में विवरण या साक्ष्य देना होगा

1 गत वर्ष में एक लाख से अधिक मकान किराया देना।

2. अवकाश यात्रा रियायत।

3. ‘मकान-सम्पत्ति से आय’ शीर्षक में ब्याज की कटौती।

4. धारा 80C से 800 में कटौतियां।

वेतन शीर्षक के अन्तर्गत उद्गम स्थान पर कर न काटने के परिणाम-ऐसी दशा में नियोक्ता को ‘चूक में करदाता’ (Assessee in Default) माना जायेगा अर्थात् यह उसकी जिम्मेदारी बन जाएगी कि इस प्रकार न काटी गई कर की रकम को स्वयं अपने पास से सरकारी कोष में जमा कराये।

(II) प्रतिभूतियों के ब्याज में से उद्गम स्थान पर कर की कटौती (Deduction of Tax at Source from Interest on Securities) [धारा 193] – प्रतिभूतियों पर ब्याज चुकाने वाले व्यक्ति का यह दायित्व है कि वह घरेलू कम्पनी या भारत में निवासी व्यक्ति को ब्याज का भुगतान करते समय भुगतान की जाने वाली ब्याज की राशि में से चालू वित्तीय वर्ष हेतु निर्धारित दर से आय-कर काट ले और उसे राजकीय कोष में जमा करा दे। ब्याज.खाते में जमा करते समय या नकद/चैक/डाफ्ट द्वारा भुगतान करते समय (दोनों में से जो भी तारीख पहले पड़ रही हो) यह कर काटा जायेगा। इस सम्बन्ध में की गई कर की कटौती का प्रमाण-पत्र फार्म नम्बर 16A में दिया जाता है।

कर को जमा करानायदि ब्याज पर कर की कटौती सरकार की ओर से की गई हो, तो कटौती वाले दिन ही कोषालय में राशि जमा की जानी चाहिए। अन्य दशा में जिस माह में कटौती की गई हो, उस माह की अन्तिम तिथि से एक सप्ताह के अन्दर। कर की राशि कोषालय में भुगतानकर्ता द्वारा जमा करा देना चाहिए। ।

कुछ प्रतिभूतियों पर कर की कटौती नहीं-कछ विशेष प्रतिभतियों, बॉण्डों एवं प्रमाण-पत्रों के ब्याज पर उदगम स्थान पर। कर का कटोती नहीं की जाती है। इनकी विस्तृत विवेचना अध्याय 14 ‘अन्य साधनों से आय’ में की गई है।

एक कम्पनी जिसमें जनता का सारवान हित है द्वारा निर्गमित ऋणपत्रों (चाहे उक्त ऋण पत्र सूचीबद्ध हों अथवा नहीं ) पर एक व्यक्ति अथवा हिन्दू अविभाजित परिवार को आदाता के खाते में देय चैक (Account Pavee Cheque) के द्वारा। भुगतान किये जाने वाले ब्याज की राशि 5,000 से अधिक नहीं है तो उद्गम स्थान पर कर की कोई कटौती नहीं की जायेगी (वित्त अधिनियम, 2012 के द्वारा दिनांक 01.07.2012 से प्रभावी)

नोट-वित्तीय वर्ष 2017-18 में प्रतिभूतियों के व्याज में से उद्गम स्थान पर कर की कटौती 10% की दर से की जानी है। यदि व्याज का भुगतान प्राप्त करने वाला व्यक्ति कर-निर्धारण अधिकारी को फॉर्म संख्या 13 में आवेदन करके कर-निर्धारण अधिकारी से फॉर्म संख्या 15AA में एक प्रमाण-पत्र प्राप्त कर लेता है जो कि ब्याज का भुगतान करने वाले व्यक्ति को निर्धारित दर से कर न काटने के बजाए कम दर से काटने के लिए अधिकृत करता है, तो ऐसी दशा में ब्याज का भुगतान करने वाला व्यक्ति इस प्रमाण-पत्र में उल्लिखित दर से कर की कटौती करेगा।

(III) लाभांश से आय (Income from Dividend) [धारा 194]-सामान्यतया भारतीय कम्पनी से प्राप्त लाभांश पर कोई भी कर की कटौती नहीं होती है परन्तु यदि एक घरेलू कम्पनी ने धारा 2(22)(e) के अन्तर्गत लाभांश घोषित किया है, तो लाभांश भुगतान करने से पूर्व 10% (यदि PAN उपलब्ध नहीं कराया है तो 20%) की दर से उद्गम स्थान पर कर की कटौती की जाएगी।।

अपवाद-निम्नलिखित परिस्थितियों में उक्त लाभांश पर उद्गम स्थान पर कर की कटौती नहीं की जाएगी

(i) यदि लाभांश का भुगतान एक व्यक्ति करदाता को खातों में जमा होने वाले चैक के माध्यम से किया जाए व गत वर्ष में लाभांश की राशि 2,500 ₹ से अधिक न हो तो उद्गम स्थान पर कर की कटौती नहीं की जाएगी।

(ii) यदि लाभांश का भुगतान एक भारतीय निवासी व्यष्टि को किया जा रहा है व करदाता फॉर्म 15G में घोषणा कर दे कि उसकी आय कर-योग्य सीमा से अधिक नहीं होगी तथा गत वर्ष में समस्त कर-योग्य लाभांश व ब्याज की राशि का योग 50,000 ₹ से अधिक नहीं होगा।

(iii) यदि दिया गया लाभांश धारा 2(22)(e) में संदर्भित लाभांश नहीं है।

(IV) प्रतिभूतियों पर ब्याज के अतिरिक्त अन्य ब्याज (Interest other than Interest on Securities) [धारा 194A]-प्रतिभूतियों पर ब्याज के अतिरिक्त अन्य किसी ब्याज का भुगतान करने वाले व्यक्ति (जो व्यष्टि अथवा हिन्दू अविभाजित परिवार न हो) का यह कर्त्तव्य है कि वह ऐसे ब्याज की राशि का भुगतान करते समय 10% की दर से (यदि ब्याज प्राप्तकर्ता भगतानकर्ता को अपना PAN उपलब्ध नहीं कराता है तो उद्गम स्थान पर कर की कटौती दर 20%) होगी। आय कर की कटौती करे बशर्ते कि चालू वित्तीय वर्ष में उस व्यक्ति को देय ब्याज की कुल राशि निम्नलिखित सीमा से अधिक हो

() बैंक की स्थायी जमाओं पर ब्याज का भुगतान-यदि किसी बैंक द्वारा स्थायी जमा (Fixed Deposit) अथवा अवधि जमा (Term Deposit) पर 10,000 से अधिक ब्याज का भुगतान किया जाना है तो उस पर 10% कर की कटौती की जायेगी। ब्याज का भुगतान पाने वाले द्वारा फार्म 15G/15H देने पर कर की कोई कटौती नहीं की जायेगी। बचत बैंक खाते (Saving Bank Account) में जमा राशि पर देय ब्याज के सम्बन्ध में कर की कोई कटौती नहीं की जाती है।

() यदि ब्याज का भुगतान बैंक (सहकारी बैंक सहित)/पोस्ट ऑफिस द्वारा वरिष्ठ नागरिकों की जमाओं पर किया जाए तो ऐसे ब्याज पर उद्गम स्थान पर कर की कटौती तभी होगी जब देय/भुगतान किये जाने वाले ब्याज की कुल धनराशि 50,000₹ (01.04.2018 से प्रभावी) से अधिक हो। वरिष्ठ नागरिक उसे माना जायेगा जिसकी आयु गत वर्ष में किसी भी समय 60 वर्ष या अधिक हो।

() अन्य सभी दशाओं में यदि ब्याज की राशि 5,000 ₹ से अधिक हो।

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वित्त विधेयक, 2015 द्वारा किये गये संशोधन दिनांक 01.06.2015 से प्रभावी-(i) आवर्तक जमाओं (Recuring Deposits) को भी स्थायी जमाओं की परिभाषा में शामिल कर लिया गया है, (ii) स्थायी जमाओं पर भुगतान किये जाने वाले ब्याज के सम्बन्ध में किसी भी बैंक की प्रत्येक शाखा द्वारा भुगतान किये जाने वाले ब्याज के स्थान पर उस बैंक की समस्त शाखाओं द्वारा दिये जाने वाले ब्याज की राशि 10,000 ₹ (01.04.2018 से वरिष्ठ नागरिक की दशा में 50,000 ₹) से अधिक होने पर ही कर की कटौती की जायेगी।

एक व्यक्ति अथवा एच० यू०एफ० की दशा में उसके द्वारा कर की कटौती तभी की जाएगी जब सम्बन्धित व्यक्ति या एच० यू० एफ० की कुल बिक्री अथवा सकल प्राप्तियाँ ब्याज भुगतान करने वाले वित्तीय वर्ष से तुरन्त पूर्व के वित्तीय वर्ष में एक करोड़ ₹ से अधिक हैं अथवा पेशे से सकल प्राप्तियाँ 25 लाख ₹ से अधिक हों।

(V) लॉटरी या वर्ग पहेली,टी० वी० गेम शो आदि के इनाम से आय [धारा 194B]-लॉटरी अथवा पहेली की ईनाम की राशि का भुगतान करने वाले व्यक्ति का यह दायित्व है कि यदि वह 10,000₹ से अधिक के इनाम की राशि (1 जुलाई, 2010 से प्रभावी) का भुगतान घरेलू कम्पनी या किसी निवासी व्यक्ति को कर रहा है तो सम्पूर्ण इनाम की राशि पर 30% की दर से उद्गम स्थान पर कर की कटौती करे। यदि इनाम आंशिक नकद तथा आंशिक वस्तु के रूप में दिया जा रहा है तो दोनों इनामों के कल मूल्य पर नकद राशि में से उद्गम स्थान पर कर की कटौती की जाएगी। यदि इनाम की नकद राशि कर की कटौती के लिए पर्याप्त नहीं है तो जो व्यक्ति इनाम का भुगतान कर रहा है उसे अपने आप को सन्तुष्ट करना होगा कि इनाम के प्राप्तकर्ता द्वारा कर चूका दिया गया है या वह प्राप्तकर्ता से इस राशि पर कर वसूल करके ही इनाम देगा।

(VI) घुड़दौड़ से जीती गई राशि (Winnings from Horse Race) [धारा 194BB]-घड़दौड़ के इनाम की राशि का भगतान करने वाले व्यक्ति का यह दायित्व है कि यदि वह घरेलू कम्पना या किसी निवासी व्यक्ति को 5.000₹ जन.2016 से 10.000₹) से अधिक के इनाम का भुगतान कर रहा है तो भुगतान की जाने वाली इनाम की पूर्ण राशि पर 30% की दर से। मधाम स्थान पर कर की कटौती करे। यदि इनाम वस्तु के रूप में ह तो इनाम देने वाला इनाम नहीं देगा जब तक कि वह इनाम प्राप्तकर्ता से TDS की राशि वसूल कर ले या प्राप्तकर्ता सरकारी खजाने में TDS की धनराशि जमा न करो

(VI) ठेकेदार उपठेकेदारों को भुगतान (Payments to contractors and sub-contractors) धारा। 194C]-यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसे निवासी ठेकेदार को कोई भुगतान करता है जिसने निम्नलिखित ‘विशिष्ट व्यक्तियों’ के साथ हुए अनुबन्ध के अन्तर्गत कोई कार्य (work) किया है (किसी कार्य के लिए श्रम पूर्ति करने के कार्य सहित) तो वह । व्यक्ति एसा भुगतान करते समय अथवा ऐसी राशि को ठेकेदार के खाते में जमा करते समय धारा 194C के अन्तर्गत कर की। कटौती करने के लिए उत्तरदायी ठहराया गया है। इस सम्बन्ध में TDS के अन्य प्रावधानों की विवेचना करने से पूर्व विशिष्ट व्यक्ति, ठेकेदार एवं ठेका कार्य का अर्थ समझना आवश्यक है।

() विशिष्ट व्यक्ति (Specified Person)-धारा 194C के उद्देश्य हेतु विशिष्ट व्यक्तियों में-(i) केन्द्रीय अथवा राज्य सरकार, (ii) स्थानीय सत्ता, (iii) वैधानिक निगम, (iv) कोई कम्पनी, (v) कोई सहकारी समिति, (vi) कोई प्राधिकरण, जिसका मुख्य कार्य गाँवों एवं शहरों का नियोजन, विकास एवं सुधार करना हो. (vii) कोई पंजीकृत समिति, (viii) कोई ट्रस्ट, (ix) कोई मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय, (x) किसी फर्म, (xi) किसी विदेशी राज्य की सरकार या विदेशी उद्यम या भारत के बाहर स्थापित कोई उद्यम (xii) व्यक्तियों का संघ (AOP) या व्यक्तियों का समूह (BOD, चाहे निगमित हो या नहीं, (जो उपरोक्त वाक्यांशों में नहीं आते) जिनके खातों का धारा 44AB के अन्तर्गत अंकेक्षण अनिवार्य है। अथवा (xiii) एक व्यक्ति (individual) या हिन्दू अविभाजित परिवार जिनक खाता का धारा 44AB के अन्तर्गत अंकेक्षण अनिवार्य है, को शामिल किया गया हो ।

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()ठेकेदारमें ऐसे ठेकेदार भी शामिल होंगे जो ठेकेदार तथा किसी विदेशी सरकार अथवा विदेशी प्रतिष्ठान अथवा कोई एसोसिएशन अथवा भारत के बाहर स्थापित कोई निकाय के बीच में हुए किसी अनुबन्ध के अन्तर्गत किसी भी कार्य को करने हेतु श्रमिकों की पूर्ति करने का कार्य करते हों।

() ठेका कार्य में विज्ञापन, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के प्रोग्राम बनाना व प्रसारण करना, भोजन व्यवस्था (Catering) के ठेके एवं रेलवे के अतिरिक्त अन्य किसी साधन से माल व यात्रियों को ले जाना शामिल है। ठेके में उप-ठेका भी शामिल है।

नोट-धारा 194C के अन्तर्गत कर की कटौती तभी की जायेगी जब किसी ठेकेदार या उप-ठेकेदार को किसी ठेके के सम्बन्ध में भुगतान की जाने वाली एकल राशि 30,000 ₹ (एक जुलाई, 2010 से प्रभावी ) से अधिक हो अथवा वित्तीय वर्ष में भुगतान की जाने वाली कुल राशि 1,00,000 ₹ (1 जून, 2016 से प्रभावी) से अधिक हो। दूसरे शब्दों में, धारा 194C के अन्तर्गत निम्नलिखित दशाओं में कर की कटौती नहीं की जायेगी-(i) जब भुगतान की गई अथवा जमा की गई एक मुश्त राशि 30,000 से अधिक नहीं है; (ii) जब वित्तीय वर्ष में

भुगतान की गई अथवा जमा की गई कुल राशियों का योग 1,00,000 (1 जून, 2016 से प्रभावी)र से अधिक नहीं है। यदि निम्नलिखित शर्ते पूरी होती हैं तो भी स्रोत पर आय-कर की कटौती नहीं की जायेगी(अ)जब किसी ठेका कार्य का भुगतान निवासी ठेकेदार द्वारा किसी निवासी एक व्यक्ति उप-ठेकेदार को किया जाता है या किया जाना है।

() ऐसा भुगतान उप-ठेकेदार को माल वाहन (Goods carriage) को चलाने, किराये अथवा पट्टे पर देने के व्यापार के दौरान किया गया है अथवा किया जाना है।

() यदि परिवहन ठेकेदार (Transport Contractor) भुगतान करने वाले को अपना PAN उपलब्ध कराता है।

() यदि व्यक्ति या हिन्दू अविभाजित परिवार ठेकेदार को अपने निजी कार्य या परिवार के सदस्य के निजी कार्य के लिए कोई भुगतान करता है।

() यदि कोई ठेकेदार करदाता, गत वर्ष में किसी भी समय 10 या 10 से कम माल वाहनों को चलाने, किराये पर देने या पट्टे पर देने के व्यापार में संलग्न है, भुगतान देने वाले व्यक्ति को अथवा भुगतान की जाने वाली राशि ठेकेदार के खाते में क्रेडिट करने वाले व्यक्ति को स्थायी खाता संख्या (PAN) के साथ कर की कटौती न करने की घोषणा प्रस्तुत करता है तो धारा 194C के अन्तर्गत कर की कोई कटौती नहीं की जायेगी। वित्त विधेयक, 2015 द्वारा 01.06.2015 से

प्रभावी घारा 194C के अन्तर्गत कर की कटौती किये जाने की दर-धारा 194C के अन्तर्गत कर की कटौती निम्नलिखित दरों से की जायेगी

1 एक व्यक्ति (Individual या हिन्द अविभाजित परिवार को भगतान की गई राशि या खाते में जमा की गई राशि पर एक प्रतिशत (1%);

2. किसी अन्य व्यक्ति को भुगतान की गई राशि या खाते में जमा की गई राशि पर दो प्रतिशत (2%)1

(VIII) बीमा कमीशन (Insurance Commission) [धारा 194D-ए कमीशन अथवा अन्य कोई पारिश्रमिक बीमा व्यापार लाने अथवा नवीनीकरण कराने के प्रतिफल में देने वाले का दायित्व है कि वह ऐसी आय को भुगतान प्राप्तकर्ता के खाते में जमा करते समय अथवा भुगतान करते समय दाना मस पड़ रहा हो) ऐसी आय पर 10% की दर से कर की कटौती कर ले। यदि किसी वित्तीय वर्ष म एसा आय IOUS 2016 से प्रभावी) से अधिक नहीं है तो उद्गम स्थान पर कर का कट कमीशन प्राप्त करने वाला घरेलू कम्पनी के अतिरिक्त एक निवासी व्यक्ति होता नही हैं तो उद्गम स्थान पर कर की कटौती नहीं की जायेगी। इसके अतिरिक्त यदि बीमा। की कटौती की जायेगी।

 (IN) जीवन बीमा पॉलिसी के गैर करमुक्त भुगतानों के सम्बन्ध में उद्गम स्थान पर कर की कटौती (TDS from non-exempt payments made under life insurance policy) Section 194DA] [w.e.f. 1.10.2014]-धारा 10(10D) में कर-मुक्त जीवन बीमा पॉलिसी के अतिरिक्त अन्य जीवन बीमा पॉलिसी का भुगतान करते समय बोनस सहित देय परिपक्वता मुल्य पर 1 जून, 2016 से 1% की दर से उद्गम स्थान पर कर की कटौती की जायेगी। यदि किसी करदाता को एक वित्तीय वर्ष में कुल मिलाकर 1 लाख से कम का भुगतान किया जाता है तो उद्गम स्थान पर कर की कोई कटौती नहीं की जायेगी।

(x) अनिवासी खिलाड़ी एवं संघों को भुगतान में से उद्गम स्थान पर कर की कटौती (Deduction of tax at source from payment to non-resident sportsmen and Sports Association) [धारा 194E]-किसी अनिवासी खिलाडी को. जो भारत का नागरिक नहीं है, किसी आय का भुगतान करने वाले व्यक्ति का यह दायित्व है कि भुगतान की जाने वाली राशि को भुगतान प्राप्तकर्ता के खाते में जमा करते समय अथवा भुगतान करते समय (दोनों में जो भी पहले हो) पर 20% की दर से आय-कर + सरचार्ज (यदि लागू हो) एवं 3% की दर से E.C. and S.H.E.C. की उदगम स्थान पर कर की कटौती करे बशर्ते खिलाड़ी को आय भारत में खेल में भाग लेने अथवा विज्ञापन से अथवा खेल के सम्बन्ध में भारत में किसी समाचार-पत्र अथवा पत्रिका में लेख लिखने से हुई हो।

इसी प्रकार यदि किसी अनिवासी खेल सध अथवा संस्था को भारत में खेले गए किसी खेल के सम्बन्ध में जो गारण्टी राशि देय है, उसमें से भी भुगतान करने वाले को उद्गम स्थान पर 10.3% की दर से कर की कटौती करनी होगी।

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(XI) राष्ट्रीय बचत योजना में जमा राशि के भुगतान के समय कटौती (Deduction of tax from payment in respect of National Saving Scheme) [धारा 194 EE] -यदि करदाता ने धारा 80 CCA के अन्तर्गत पोस्ट ऑफिस राष्ट्रीय बचत योजना में कोई राशि जमा की हो, तो इस राशि को वापस निकालने पर भुगतान करने वाले व्यक्ति का यह दायित्व है कि वह ऐसा भुगतान करते समय 10% (1 जून, 2016 से प्रभावी) की दर से आय-कर काट ले। यदि एक वित्तीय वर्ष में कल भुगतान की राशि 2.500 ₹ से अधिक नहीं हो अथवा भुगतान करदाता के उत्तराधिकारियों को किया जा रहा है तो कर की कटौती नहीं की जायेगी।

(XII) लॉटरी के टिकटों को बेचने के सम्बन्ध में कमीशन आदि पर कर की कटौती [धारा 194G]-लॉटरी के टिकटों का स्टॉक रखने वाले या बेचने वाले व्यक्ति को 15,000 ₹ (1 जून, 2016 से प्रभावी) से अधिक कोई कमीशन, पारिश्रमिक अथवा इनाम का भुगतान करने वाले का कर्तव्य है कि वह ऐसे भुगतान करते समय या खाते में जमा करते समय (दोनों में जो भी तारीख पहले पड़ रही हो), इसमें से 5% (1 जून, 2016 से प्रभावी) की दर से कर काट ले।

(XIII) कमीशन या दलाली [धारा 194H-यदि एक व्यक्ति (individual) या हिन्दू अविभाजित परिवार जिसे धारा 44AB के अन्तर्गत अपने खातों का अंकेक्षण कराना अनिवार्य है तथा अन्य करदाता जो बीमा कमीशन को छोड़कर अन्य कोई कमीशन या दलाली का किसी निवासी को भुगतान करता है या खाते में जमा करता है (दोनों में जो भी तारीख पहले पड़ रही हो), का यह दायित्व है कि वह इस राशि पर 5% (1 जून, 2016 से प्रभावी) की दर से कर काट ले बशर्ते कि वित्तीय वर्ष में कमीशन या दलाली की कुल राशि 15,000 ₹ (1 जून, 2016 से प्रभावी) से अधिक हो।

नोटBSNL या MTNL द्वारा PCO धारकों को जो कमीशन दिया जाता है उस पर उद्गम स्थान पर कर की कटौती नहीं होगी।

(XIV) किराये के भुगतान पर कर की कटौती धारा 194-1]-एक व्यक्ति अथवा हिन्दू अविभाजित परिवार जिसे धारा 44AB के अन्तर्गत अपने खातों का अंकेक्षण कराना अनिवार्य है तथा अन्य करदाता यदि भारत में निवासी को एक वित्तीय वर्ष में 1.80.000₹ (1 जुलाई, 2010 से प्रभावी) से अधिक किराये की राशि का भुगतान करता है तो उद्गम स्थान पर कर की कटौती दर निम्नलिखित प्रकार होगी

(i) मशीन, प्लाण्ट एवं उपकरण हेतु 2%, (ii) भूमि, भवन, फर्नीचर एवं फिटिंग्स 10% नोट- भुगतान प्राप्तकर्ता द्वारा PAN नहीं दिये जाने पर उपरोक्त दोनों दशाओं में 20%.

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(XV) अचल सम्पत्ति के क्रय पर कर की कटौती (TDS on Purchase of Immovable Property) [धारा 194IA] 101.06.2013 से प्रभावी-यदि कोई हस्तान्तरिती (क्रेता) गत वर्ष में भारत में ग्रामीण क्षेत्र में स्थित कृषि भूमि के अतिरिक्त अन्य कोई अचल सम्पत्ति जिसकी प्रतिफल राशि 50 लाख से अधिक है, क्रय करने के बदले निवासी हस्तान्तरणकर्ता (विक्रेता) को भगतान करता है तो हस्तान्तरिती (क्रेता) का यह दायित्व होगा कि वह नकदी में अथवा चैक या ड्राफ्ट या अन्य किसी तरीके से भगतान करते समय या ऐसी राशि को हस्तान्तरणकर्ता के खाते में जमा करते समय (जो भी तारीख पहले पड़ रही। हो) भुगतान की जाने वाली राशि पर 1% की कटौती कर ले। हस्तान्तरणकर्ता द्वारा पेन नम्बर न दिये जाने पर 20% की दर से कर की कटौती की जायेगी।

XVI) पेशेवर या तकनीकी सेवाओं के लिए फीस धारा 194(J)]-एक व्यक्ति अथवा हिन्द अविभाजित परिवार जिसे धारा 44AB के अन्तर्गत अपने खातों का अंकेक्षण कराना अनिवार्य है के अलावा यदि कोई अन्य व्यक्ति किसी निवासी को पेशेवर अथवा तकनीकी सेवाओं के लिए किसी फीस की राशि का भुगतान करता है तो भुगतान की जाने वाली राशि में से 10% (यदि प्राप्तकर्ता PAN उपलब्ध न कराए तो 20%) की दर से उद्गम स्थान पर कर की कटौती की जाएगी। यदि एक वित्तीय वर्ष में भुगतान की जाने वाली उपर्युक्त राशि 30,000 ₹ (1 जुलाई, 2010 से प्रभावी) से अधिक नहीं है तो उद्गम स्थान पर कर की कटौती नहीं की जाएगी।

किसी कम्पनी के संचालक को धारा 192 के अन्तर्गत जिस राशि पर (वेतन के रूप में देय राशि पर) कर की कटौती की जानी है, उसके अतिरिक्त भुगतान की जाने राशि (जिसे पारिश्रमिक, फीस अथवा कमीशन किसी भी नाम से पुकारा जाये) पर 10% की दर से कटौती की जायेगी।(वित्त अधिनियम, 2012 के द्वारा दिनांक 01.07.2012 से प्रभावी)।

(XVII) अचल सम्पत्ति के अनिवार्य अधिग्रहण पर क्षतिपूर्ति का भुगतान [धारा 194(LAL-यदि किसी अचल मापत्ति का किसी अधिनियम के अन्तर्गत अनिवार्य अधिग्रहण किया गया है व इस पर कोई क्षतिपूर्ति अथवा बढ़ायी हुई क्षतिपूर्ति भुगतान भारत में निवासी व्यक्ति को किया जाता है एवं भुगतान की गयी राशि 2.50.000₹ (1 जन, 2016 से प्रभावी) से। अधिक है तो भुगतानकर्ता ऐसी सम्पूर्ण राशि पर 10% (PAN न देने पर 20%) की दर से उदगम स्थान पर कर की कटौती करेगा।

अचल सम्पत्ति, कृषि भूमि है (चाहे वह शहरी क्षेत्र में हो या ग्रामीण क्षेत्र में) तो कर की कटौती नहीं की जाएगी। यहाँ पर अचल सम्पत्ति से आशय कृषि भूमि को छोड़कर अन्य भूमि या भवन अथवा भवन के भाग से है।

(XVIID अवसंरचना ऋण कोष से ब्याज की आय (Income by way of Interest from infrastructure debt Fund) [धारा 194LB] [वित्त अधिनियम 2011 के द्वारा 1-6-2011 से प्रभावी-यदि धारा 10(47) में संदर्भित अवसंरचना गण कोष से ब्याज के रूप में हुई आय जो एक अनिवासी (जो कम्पनी नहीं है) अथवा विदेशी कम्पनी को देय है तो ऐसी दशा में व्याज को भगतान करने वाले का यह दायित्व होगा कि वह नकदी (cash) में अथवा चैक या डाफ्ट या अन्य किसी तरीके से भगतान करते समय (जो भी तारीख पहले पड़ रही हो) भुगतान की जाने वाली राशि पर 5% + सरचार्ज (यदि लाग हो) एवं EC and SHEC की 3% दर से आय-कर की कटौती करके सरकारी कोष में जमा करेगा।

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MIX भारतीय विनिर्दिष्ट कम्पनी द्वारा अनिवासी/विदेशी कम्पनी को ब्याज का भुगतान (Interest to a non-resident/foreign company by an Indian Specified Company) [धारा 194LC दिनांक 01-07-2012 से प्रभावी-वित्त अधिनियम, 2012 के द्वारा धारा 194LC को शामिल किया गया है। धारा 194LC हेतु भारतीय विनिर्दिष्ट कम्पनी द्वारा किसी अनिवासी (जो कम्पनी नहीं है) अथवा विदेशी कम्पनी को उधार ली गई राशि पर देय ब्याज के सम्बन्ध में केन्द्रीय सरकार द्वारा अनुमोदित ब्याज की राशि को आदाता के खाते में जमा किये जाने की तिथि पर अथवा रोकड़ या चैक या ड्राफ्ट या अन्य किसी तरीके से भुगतान किये जाने के समय (इनमें जो भी तारीख पहले पड़ रही हो) भुगतान की जाने वाली ब्याज की राशि में से 5% की दर से कटौती की जायेगी।

धारा 194LC के उद्देश्य हेतु भारतीय विनिर्दिष्ट कम्पनी से आशय ऐसी भारतीय कम्पनी से है जिसने 01.07.2012 को या इसके पश्चात् परन्तु 01.07.2017 से पूर्व भारत के बाहर से विदेशी मुद्रा में इस सम्बन्ध में केन्द्रीय सरकार द्वारा अनुमोदित किसी ऋण अनुबन्ध के अन्तर्गत अथवा दीर्घकालीन अवसंरचना बॉण्डस को निर्गमित करके रकम उधारली हो।

(XX) कुछ निश्चित बॉण्ड्स एवं सरकारी प्रतिभूतियों पर दिये जाने वाले ब्याज के सम्बन्ध में कर की कटौती (T.D.S. on Interest on Certain Bonds and Government Securities) [धारा 194LD दिनांक 01-06-2013 से। प्रभावी]-कोई व्यक्ति जो विदेशी संस्थागत विनियोक्ता (Foreign Institutional Investor) अथवा योग्य विदेशी विनियोक्ता (Qualified Foreign Investor) को एक भारतीय कम्पनी के₹ में अभिधायी बॉण्ड अथवा सरकारी प्रतिभूति पर 31 मई 2013 क पश्चात् परन्तु 1 जून, 2015 से पूर्व देय ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हे (ब्याज की दर ब्याज की अधिसूचित दर से अधिक न हो) ब्याज का भुगतान करते समय अथवा ब्याज की राशि को प्राप्तकर्ता के खाते में जमा करते समय (दोनों में से जो भी तारीख पहले पड़ रही हो) भुगतान की जाने वाली राशि पर 5% + अधिभार + शिक्षा उपकर की दर से कर की कटौती करेगा। यदि Deductee के पास पैन नम्बर नहीं है तो 20% की दर से कर की कटौती की जायेगी।

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उद्गम स्थान पर कर की कटौती/कर के संग्रह के सम्बन्ध में अन्य महत्त्वपूर्ण प्रावधान

(Other Important Provisions Regarding TDS/TCS)

1 अनिवासियों को किए गए अन्य भगतान (Other sums paid to non-residents) [धारा 195] -धारा 195 का अन्तर्गत, अनिवासियों को (कम्पनियों तथा विदेशी कम्पनियों को छोडकर) प्रतिभतियों पर ब्याज के अतिरिक्त अन्य काइ ब्याज। अथवा वेतन या लाभांश जो धारा 1150 में वर्णित है, के अतिरिक्त किए गए अन्य किसी भुगतान पर लागू दरों से भुगतान करने वाल को आय-कर काटना पड़ेगा सिवाय उस परिस्थिति के जिसमें वह स्वयं उस अनिवासी के एजेन्ट के रूप में एसे भुगतान पर। आय-कर देने के लिए उत्तरदायी हो।

2. सरकार/रिजर्व बैंक आदि को भुगतान [धारा 196]-यदि कोई धनराशि सरकार को या रिजर्व बैंक को या एक निगम का राजसका स्थापना केन्द्रीय अधिनियम के अन्तर्गत हुई है एवं जो आय-कर से मुक्त है) या पारस्परिक निधि [जिसका उल्लख। धारा 10(23D)] के अन्तर्गत किया गया है। को किया जाना है तो कोई कर की रकम नहीं काटी जायगा।

3. कम दर कर की कटौती करने का प्रमाण-पत्र धारा 1971-किसी व्यक्ति की आय पर यदि धाराए 192.193, 194, 194A, 194C, 194D, 194G, 194H, 1941, 194J तथा 194LA, 194LBB एव D, 194G, 1941, 1941, 194J तथा 194LA, 194LBB एवं 194LBC (01.06.2016 से प्रभावा) अथवा धारा 195 के अन्तर्गत कर की कटौती आय कर के प्रावधानों के अनुसार करना हूँ और करनान के प्रावधानों के अनुसार करनी है और कर-निर्धारण अधिकारी इस बात से सन्तुष्ट हो जाता है कि उस व्यक्ति की आय इतनी कम है कि उस पर कम दर से आयकर लगना आयकर नहीं लगना चाहिए तो करदाता द्वारा इस सम्बन्ध में प्रार्थना-पत्र पेश करने पर आय इतनी कम है कि उस पर कम दर से आयकर लगना चाहिए अथवा बिल्कुल ही प्रमाण-पत्र दे सकता है। ऐसी दशा में भुगतान करने वाला व्यक्ति उस प्रमाण-पत्र करदाता द्वारा इस सम्बन्ध में प्रार्थना-पत्र पेश करने पर कर-निर्धारण अधिकारी उसे उचित दाम भुगतान करने वाला व्यक्ति उस प्रमाण-पत्र में उल्लेखित दर से कर का कटाता करगा या कोई कर की कटौती नहीं करेगा।

4.वरिष्ठ नागरिकों के सम्बन्ध में आयकर की उदगम (स्रोत ) पर कटौती (Deduction of tax for senior citizens) धारा 197ATC)]-गत वर्ष में भारत में निवासी व्यक्ति जिसकी गत वर्ष में किसी भी समय आयु 65 वर्ष अथवा उससे अधिक । हवह आय का भुगतान करने वाले व्यक्ति को धारा 193 अथवा 194 अथवा 194A अथवा 194EE अथवा 194K के अन्तर्गत । निधारित फार्म में दो प्रतियों में निर्धारित विधि से सत्यापन करके लिखित घोषणा कर देता है कि गत वर्ष में उसकी अनुमानित कल। आय के सम्बन्ध में आय-कर का दायित्व शून्य होगा तो उसकी आय पर आय-कर की उद्गम (स्रोत) पर कटौती नहीं होगी।

5. कर की कटौती की राशि को आय माना जाना (Tax deduction deemed as income received) [धारा। 198]-यांद करदाता की किसी आय में से उद्गम स्थान पर कर की कोई कटौती की जाती है तो वह काटी गई राशि करदाता की। आय मानी जाती है और उसकी सम्बन्धित आय में शामिल की जाती है।

6. कटौती किये गये कर की राशि का सम्बन्धित करदाता को क्रेडिट प्रदान करना [धारा 199]-स्रोत पर की गई कर का कटौती और केन्द्रीय सरकार के पास जमा कराई गई राशि उस व्यक्ति की ओर से भुगतान कराई गई मानी जायेगी जिसकी। आय से स्रोत पर कर की कटौती की गई है तथा उसके अन्तिम कर-निर्धारण में इस रकम का क्रेडिट प्रदान किया जाता है।

7. कर की कटौती करने वाले का दायित्व (Duty of person deducting tax) [धारा 200]-कर की कटौती करने वाले का यह दायित्व है कि वह काटे गये कर की राशि को निर्धारित समय के अन्दर सरकार के खाते में स्टेट बैंक में अथवा खजाने में जमा करा दे एवं काटे गये कर को निर्धारित समय में केन्द्रीय सरकार के खाते में जमा करने के बाद प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 30 जून, 30 सितम्बर, 31 दिसम्बर एवं 31 मार्च तक समाप्त हुई अवधि में काटे गये कर का त्रैमासिक विवरण तैयार करके इस विवरण को प्राधिकृत आय-कर प्राधिकारी के पास निर्धारित सूचनाओं सहित निर्धारित समय में दाखिल कराए।

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स्रोत पर काटे गए कर/संग्रह किये गये कर को सरकारी खाते में जमा कराने की निर्धारित अवधि

(Time of Deposit of TDS/TCS)

() सरकारी कार्यालयों द्वारा काटा गया/संग्रह किया गया कर एवं कर का भुगतान बिना आय-कर चालान भरे किया जाता है—जिस दिन कर की कटौती की गयी है अथवा कर का संग्रह किया गया है उसी दिन जमा कराना होगा।

() सरकारी कार्यालयों द्वारा काटा गया/संग्रह किया गया कर एवं कर की राशि को आय-कर चालान के साथ जमा किया जाता है—जिस माह में कर की कटौती अथवा कर का संग्रह किया गया है उस माह की समाप्ति से 7 दिन बाद या उससे पूर्व कर की राशि को सरकारी खाते में जमा कराना होगा।

() एक व्यक्ति (जो सरकारी कार्यालय के अन्तर्गत नहीं आता है) द्वारा काटा गया कर

(1) यदि राशि मार्च माह में दी गई है या खाते में जमा की गई है-30 अप्रैल तक।

(2) किसी अन्य दशा में-जिस माह में कटौती की गई है उसकी समाप्ति से सात दिन में।

अपवादकर-निर्धारण अधिकारी, संयुक्त आयकर कमिश्नर की अनुमति से निम्नलिखित के सम्बन्ध में स्रोत पर काटे गए कर के भुगतान के सम्बन्ध में तिमाही भुगतान की स्वीकृति दे सकता है

वेतन, प्रतिभूतियों पर ब्याज को छोड़कर अन्य ब्याज, बीमा कमीशन, कमीशन या दलाली-भुगतान 7 जुलाई, 7 अक्टूबर, 7 जनवरी एवं 30 अप्रैल तक।

कर कटौतीकर्ता को कर कटौती का तिमाही विवरण निम्नलिखित फॉर्म पर electronically दाखिल करना होगा

1 वेतन आय पर कर कटौती-फॉर्म 24Q

2. अन्य आय पर कर कटौती-फॉर्म 26Q

3. अचल सम्पत्ति (कृषि भूमि को छोड़कर) के क्रेता द्वारा कर कटौती-जिस माह में अचल सम्पत्ति क्रय की गई है उस माह की समाप्ति से सात दिन (01.06.2016 से तीस दिन) में Challan-cum Statement in Form No. 26QB के द्वारा राशि केन्द्र सरकार के खाते में जमा करनी होगी।

त्रैमासिक विवरणियों को दाखिल करने की देय तिथि (Due Date of Submission of Quarterly Returns)-01.06.2016 से तिमाही विवरण दाखिल करने की नियत तिथि निम्नलिखित हैं

क्रम सं० तिमाही की समाप्ति नियत तिथि
1. 30 जून 31 जुलाई
2. 30 सितम्बर 31 अक्टूबर
3. 31 दिसम्बर 31 जनवरी
4. 31 मार्च 31 मई

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8. स्रोत पर कर की कटौती के दाखिल किये गये विवरणों की जाँच की प्रक्रिया (Processing of statements of tax deducted at source) [धारा 200A] (वित्त अधिनियम, 2009 के द्वारा 1.4.2009 से प्रभावी)-जब स्रोत पर कर की कटौती एवं संग्रह । कटौती करने वाला धारा 200 के अन्तर्गत कर की कटौती से सम्बन्धित विवरणी (Return of TDS) दाखिल कर देता है तो उक्त विवरणी के सम्बन्ध में आय-कर विभाग द्वारा निम्नलिखित जाँच प्रक्रिया अपनाई जाती है(अ)कर की कटौती करने की राशि की गणना करने से पहले निम्नलिखित समायोजन किये जायेंगे

(i) विवरणी में कोई अंकगणितीय भूल होने पर उसका समायोजन करेंगे; अथवा

(ii) कोई भी गलत दावा जो विवरणी में दी गई जानकारी से ज्ञात हो।

() विवरणी के अनुसार स्रोत पर कर की कटौती की राशि की गणना करते समय यदि कोई ब्याज की राशि देय है तो उसकी भी गणना की जायेगी।

() उपरोक्त (अ) एवं (ब) में निर्धारित कटौती योग्य कर की राशि में से कर की कटौती करने वाले के द्वारा धारा 200,201 के अन्तर्गत एवं अन्य कोई राशि जो सरकार के खाते में जमा की गयी है, को घटाने के पश्चात् जो भी राशि कटौतीकर्ता पर देय बकाया निकलती हो अथवा कटौतीकर्ता को वापसी करनी हो उसकी गणना की जायेगी।

() कटौतीकर्ता को देय राशि या वापसी की राशि की सूचना दी जाएगी।

() कटौतीकर्ता को वापिस की जाने वाली राशि का चैक भेजा जायेगा। नोट-कटौतीकर्ता को उपर्युक्त (द) में प्रेषित की जाने वाली सूचना उस वित्तीय वर्ष, जिसमें विवरणी दाखिल की गयी है, के अन्त से एक वर्ष की समाप्ति के पश्चात् नहीं भेजी जाएगी

9. कर की कटौती अथवा कटौती की गई कर की राशि को सरकारी खाते में जमा करने में चूक के परिणाम (Consequences of failure to deposit the amount of deducted tax at Govt. Account) (ETT 201]-af fcheit धनराशि का भुगतान करने वाला व्यक्ति नियमानुसार स्रोत पर सम्पूर्ण अथवा आंशिक आय-कर की कटौती नहीं करता अथवा कटौती की गई कर की राशि को सरकार के खाते में जमा नहीं करता है तो उसके निम्नलिखित परिणाम होंगे(i) वह चूक में करदाता (assessee in default) माना जायेगा। लेकिन निम्नलिखित शर्तों के पूरा करने पर उसे ‘चक में करदाता’ नहीं माना जाएगा-(1) धनराशि प्राप्त करने वाला भारत में निवासी है एवं उसने (अ) धारा 139 के अन्तर्गत आय-कर रिटर्न दाखिल कर दिया है, (ब) प्राप्त राशि को अपनी कुल आय में शामिल कर लिया हे, (स) आय-कर रिटर्न में उल्लेखित आय पर कर चुका दिया है। (II) भुगतान करने वाले व्यक्ति ने C.A. से फार्म 26A में उपर्युक्त के सम्बन्ध में प्रमाण-पत्र लेकर दाखिल कर दिया है। (ii) उसे धारा 221 के अन्तर्गत अर्थदण्ड चकाना होगा। अर्थदण्ड की अधिकतम राशि उस पर बकाया कर के बराबर हो सकती है। अर्थदण्ड तभी लगेगा जबकि कर-निर्धारण अधिकारी की सम्मति में भुगतानकर्ता ने बिना ‘पर्याप्त तथा उचित कारणों’ के कर नहीं काटा है अथवा राजकीय कोष (सरकारी खजाने) में जमा नहीं किया है। (iii) निम्नलिखित दर से साधारण ब्याज चुकाने की जिम्मेदारी होगी

() कर की कटौती किये जाने की दशा में-वह कटौती योग्य कर की राशि पर प्रत्येक माह अथवा माह के भाग के लिए 1% की दर से साधारण ब्याज देने के लिए दायी होगा। ब्याज की गणना उस तिथि से की जायेगी जिस तिथि को कर की कटौती की जानी चाहिए थी एवं उस तिथि तक की जायेगी जिस तिथि को वास्तव में कर की कटौती की गयी है।

() कटौती किये गये कर की राशि को सरकारी खाते में न जमा किये जाने की दशा में (वित्त अधिनियम 2010 के द्वारा 01.07.2010 से प्रभावी)-वह व्यक्ति काटे गये कर की राशि पर प्रत्येक माह अथवा माह के भाग के लिए 1.5% की दर से साधारण ब्याज चुकाने के लिए उत्तरदायी होगा। ब्याज की गणना उस तिथि से की जायेगी जिस तिथि को कर काटा गया है एवं उस तिथि तक की जायेगी जिस तिथि में काटे गये कर की राशि को सरकारी खाते में जमा किया गया है।

जब कर की कटौती करने वाला ‘चक में करदाता’ नहीं माना जाता, तो उसे उस तिथि से जिस तिथि को कर का कटाता। करनी चाहिए थी, आय-कर रिटर्न दाखिल करने की तिथि तक का ब्याज देना होगा।

(iv) कर की जमा की गई राशि एवं उस पर देय ब्याज को कर कटौती करने वाले की सभी सम्पत्तियों पर भार माना जाएगा। विशेष-यह आवश्यक है कि उसे ब्याज का भुगतान विवरणी दाखिल करने से पूर्व करना होगा

(v) यदि कोई व्यक्ति, कर की कटौती करके निर्धारित समय के अन्दर सरकारी कोष में जमा नहीं करता तो धारा 276B के अन्तर्गत उसे कम-से-कम 3 माह तथा अधिक-से-अधिक 7 वर्ष की कड़ी सजा दी जायेगी एवं जुमाना (fine) लगाया जाएगा।

(vi) यदि कोई व्यक्ति किसी निवासी व्यक्ति की आय में से सम्पूर्ण या आंशिक कर नहीं काटता तो जिस वषमभुगतान किया मासाश क्राडट की गई है, उस वर्ष की समाप्ति से 7 वर्ष के पश्चात ‘चक में करदाता’ नहा माना जाएगा

10. कर की कटैती कर संग्रह का प्रमाणपत्र (Certificate for TDS/TCS) धारा 203] -स्रोत पर कर काटने वाले प्याक्त का यह दायित्व है कि वह उस व्यक्ति को जिसकी आय से कर काटा गया है, कर का कटाता का राशि एवं अन्य आवश्यक विवरण का उल्लेख किया जाता है। यह प्रमाण-पत्र वेतन की दशा में फार्म नम्बर 16 एवं अन्य दशाओं में फार्म नम्बर 16A पर दिया जायेगा। स्रोत पर कर संग्रह का प्रमाण-पत्र फार्म नम्बर। 27D में दिया जायेगा। 1 अप्रैल, 2010 को या इसके बाद की गई कर की कटौती एवं कर संग्रह हेतु प्रमाण-पत्र जारी करने की। समय-सीमा निम्नलिखित प्रकार हैं

() फॉर्म नम्बर 16 की दशा में यह फॉर्म वार्षिक आधार पर जारी किया जाता है। जिस वित्तीय वर्ष में कर की कटौती । की गई है उसकी समाप्ति के तुरन्त बाद वाले वित्तीय वर्ष की 31 मई या इससे पहले निर्गत करना आवश्यक है।

() फॉर्म नम्बर 16A एवं 27D की दशा में यह फॉर्म प्रत्येक तिमाही के बाद निर्गत किया जाता है। कर की कटौती (TDS)/कर संग्रह (TCS) की त्रैमासिक विवरणी दाखिल करने की देय तिथि के 15 दिन के अन्दर इन दोनों फार्मों को जारी किया जाना आवश्यक है। अन्य शब्दों में

तिमाही की समाप्ति फॉम 16A देने की नियत तिथि(1 जून, 2016 से प्रभावी) फॉर्म 27(1 जून, 2016 से प्रभावी) स D दने की नियत तिथि

30 जून

15 अगस्त तक।

 

30 जुलाई तक

30 सितम्बर

15 नवम्बर तक।

 

30 अक्टूबर तक।

31 दिसम्बर

15 फरवरी तक।

 

30 जनवरी तक।
31 मार्च

 

15 जून तक।

 

आगामी वित्तीय वर्ष की 30 मई तक।

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11. कर की कटौती एवं कर संग्रह खाता संख्या (Tax deduction and Tax Collection Account Number) [धारा 2034]-उद्गम स्थान पर कर की कटौती करने वाले अथवा कर संग्रह करने वाले किसी व्यक्ति को यदि कर कटौती खाता संख्या (Tax deduction account number) अथवा कर संग्रह खाता संख्या (Tax Collection Account Number) आबण्टित नहीं किया गया है तो उसे उस माह की समाप्ति से एक माह में जिसमें कर की कटौती की गई है या कर का संग्रह किया गया है From No. 49B (दो प्रतियों) में कर-निर्धारण अधिकारी को ‘कर कटौती एवं संग्रह खाता संख्या’ आबण्टित कराने हेतु आवेदन देना होगा। जब उसे यह संख्या आबण्टित हो जायेगी तो वह व्यक्ति इस संख्या को निम्नलिखित प्रपत्रों पर अनिवार्य रूप से उल्लेखित करेगा(अ) धारा 200 अथवा 206C(3) के प्रावधानों के अनुसार कर की राशि सरकारी खाते में जमा कराने के लिए सभी चालानों पर;

() कर की कटौती किये जाने के या कर संग्रह के सम्बन्ध में जारी किए जाने वाले सभी प्रमाण-पत्रों में;

() कर की कटौती एवं एकत्रित किये गये कर के सम्बन्ध में किसी आय-कर अधिकारी के समक्ष दाखिल की जाने वाली सभी विवरणियों पर;

() लेनदेनों से सम्बन्धित ऐसे सभी प्रपत्रों में जो राजस्व हित में निर्देशित किये जायें।

12. करदाता से कर की प्रत्यक्ष माँग पर प्रतिबन्ध (Restriction Against Direct Demand from Assessee) [धारा 205]-यदि स्रोत पर आय-कर की कटौती कर ली गयी है तो कर की कटौती करने वाले व्यक्ति का यह दायित्व है कि वह काटी गयी राशि को सरकार के खाते में जमा करा दे। परन्तु यदि काटी गयी राशि को वह सरकार के खाते में जमा नहीं कराता है तो उतनी राशि की मांग किसी भी प्रकार से करदाता से नहीं की जायेगी।

13. निवासी व्यक्तियों को स्रोत पर कर की कटौती किए बिना ब्याज का भुगतान करने पर तिमाही विवरणी दाखिल AT (Furnishing of quarterly return in respect of payment of interest to residents without deduction of tax) [धारा 206A]-यह प्रावधान वित्त अधिनियम 2005 के द्वारा 1 जून, 2005 से प्रभावी हुआ है। इस धारा से सम्बन्धित प्रावधान को निम्नलिखित दो भागों में बाँटा जा सकता हैम धारा 194AI36) के Provision के अनुसार कोई भी बैंकिंग कम्पनी अथवा सहकारी समिति अथवा पब्लिक कम्पनी.

जो किसी भी निवासी व्यक्ति को ब्याज के रूप में (प्रतिभूतियों के ब्याज के अतिरिक्त) 10,000 ₹ का तथा अन्य मामलों में 5,000 ₹ का भुगतान करती है तो उसे प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 30 जून, 30 सितम्बर, 31 दिसम्बर और 31 मार्च को तिमाही विवरणी तैयार करके निर्धारित आय-कर पदाधिकारी अथवा उसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति के पास उपरोक्त तिमाही विवरणी निर्धारित फॉर्म पर, निर्धारित अवधि में सत्यापित करके Floppy, diskette, magnetic cartridge tape, CD-ROM अथवा अन्य किसी कम्प्यूटर मीडिया के द्वारा दाखिल करनी होगी। केन्द्रीय सरकार सरकारी गजट में अधिसूचना के द्वारा उपधारा (1) में दर्शाये गये व्यक्ति के अतिरिक्त ऐसे किसी व्यक्ति पर जो किसी निवासी को किसी ऐसी आय का भुगतान करने का दायित्व है, जिसके स्रोत पर कटौती करना। आवश्यक है तो उसे तिमाही विवरणी तैयार करके निर्धारित आय-कर पदाधिकारी अथवा उसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति के पास उपरोक्त विवरणी निधारित फॉर्म पर, निर्धारित अवधि में सत्यापित करके Floppy. diskette, magnetics cartridge tape. CD-ROM अथवा अन्य किसी कम्प्यूटर मीडिया के द्वारा दाखिल करनी होगी।

14. स्थायी लेखा संख्या देने की अपेक्षा/आवश्यकता (Requirement to Furnish Permanent Account | Number : PAN) [धारा 206AA (वित्त अधिनियम 2009 के द्वारा 1.4.2010 से प्रभावशील)-धारा 206AA के अनुसार निम्नलिखित स्थितियों में PAN का उल्लेख करना अनिवार्य कर दिया गया है

(1) जिस व्यक्ति को कोई ऐसी राशि या आय प्राप्त होती है जो कर की कटौती के योग्य है, तो उसे कर की कटौती करने वाले उत्तरदायी व्यक्ति को अपनी स्थाई लेखा संख्या देना अनिवार्य है। यदि वह अपना PAN नहीं बताता है तो निम्नलिखित में जो दर अधिक होगी उस दर पर कर की कटौती की जाएगी । (a) आय-कर अधिनियम की सुसंगत धाराओं के अन्तर्गत वर्णित कर की दरों के अनुसार; अथवा (ii) कर की चालू दरों के अनुसार; अथवा (iii) 20% की दर से। धारा 206AA में संशोधन (01.06.2013 से प्रभावी)-

धारा 206AA का उपरोक्त प्रावधान 01.06.2013 से संशोधित कर दिया गया है। संशोधित प्रावधान के अन्तर्गत धारा 194LC में संदर्भित अनिवासी को दीर्घकालीन अवसरचना बॉण्ड्स पर देय ब्याज के भुगतान के सम्बन्ध में 5% + अधिभार + शिक्षा उपकर की दर से ही कर को कटौती की जायेगी भले ही प्राप्तकर्ता के पास ‘स्थायी लेखा संख्या’ (PAN) न हो। धारा 197A(1) अथवा धारा 197ATIA) अथवा धारा 197A(1C) के अन्तर्गत फॉर्म 15G या 151 में की गई घोषणा तब तक वैध नहीं मानी जाएगी जब तक उसके द्वारा अपना स्थाई लेखा नम्बर (PAN) न दिया जाये। यदि वह अपने PAN का उल्लेख नहीं करता है तो ऐसी दशा में फॉर्म 15G या 15H अमान्य होगा एवं उपर्युक्त (1) में वर्णित प्रावधान के अनुसार कर की कटौती की जाएगी।

(3) यदि कोई व्यक्ति धारा 197 के अन्तर्गत कम दर से कर काटने का प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए आवेदन करता है। तो उसे उक्त प्रमाण-पत्र तब तक नहीं दिया जायेगा जब तक कि वह अपने आवेदन में PAN का उल्लेख न कर दें।

(4) जिस व्यक्ति की कर की कटौती हो रही है उसे तथा कर की कटौती करने वाले दोनों व्यक्तियों को अपने सभी पत्र-व्यवहार, बिलों तथा अन्य प्रपत्रों में स्थाई लेखा नम्बर (PAN) लिखना होगा।

(5) यदि कर की कटौती करने वाले व्यक्ति को दिया गया स्थाई लेखा नम्बर (PAN) अवैध हो जाये तो यह माना जायेगा कि जिस व्यक्ति की कर की कटौती हो रही है उसने कर-की कटौती करने वाले व्यक्ति को स्थाई लेखा नम्बर (PAN) नहीं दिया है। ऐसी दशा में उपर्युक्त बिन्दु (1) में वर्णित प्रावधान के अनुसार कर की कटौती की जाएगी।

उद्गम स्थान पर कर की कटौती से सम्बन्धित क्रियात्मक उदाहरण

(Numerical Illustration Related to TDS)

Illustration 1

R की वेतन शीर्षक में आय 6,60,000 ₹ है। प्रमाणित प्राविडेण्ट फण्ड (R.P.F.) एवं सार्वजनिक प्राविडेण्ट फण्ड (P.P.E.) में अंशदान 50,000 ₹ है। उसने 60.000₹ की जीवन बीमा पॉलिसी पर 15,000 ₹ प्रीमियम दिया तथा 5,000₹ के मान्य पूँजी के अंश (Shares of eligible issue of capital) खरीदे। वित्तीय वर्ष 2018-19 में उद्गम स्थान पर कर कटौती की गणना कीजिए। उसने नियोक्ता को सूचित किया है कि ‘मकान सम्पत्ति से आय’ शीर्षक में (स्वयं के रहने के मकान के सम्बन्ध में) ब्याज भुगतान के कारण 30,000 ₹ की हानि हुई है।

R’s income under the head ‘salary’ is computed at 6,60,000. The contribution in Recognised Provident Fund and Public Provident Fund is 50,000. He has paid Life Insurance Premium of ₹ 15,000 on a policy of ₹ 60,000 and purchased shares of eligible issue of capital ₹ 5,000. Compute the amount of tax to be deducted at source during the financial year 2018-19. He has informed to the employer that there is loss under the head ‘Income from House Property on account of interest payment in relation to self-occupied house 30,000.

Deduction Collection Income Tax

Illustration 2

मिस्टर P उदयपुर (जनसंख्या 25 लाख से अधिक) में एक कम्पनी में कर्मचारी है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में वह निम्नलिखित प्राप्त करेगा

Mr. P is an employee of a company at Udaipur (population exceeding 25 lakh). He would receive the following income during financial year 2018-19 :

वेतन (Salary)                                                                    ₹52,000 per month

महंगाई भत्ता (Dearness Allowance)                        ₹6,500 per month

बोनस (Bonus)                                                                    ₹37,400

बच्चों की शिक्षा के लिए भत्ता-150₹ प्रति माह एक बच्चे के लिए। किराया मुक्त रहने का मकान, उचित किराया मूल्य 80,000₹, प्रमाणित प्रॉविडेण्ट फण्ड में उसका अंशदान 92,000₹ प्रति वर्ष है। उसने 2,00,000₹ की जीवन बीमा पॉलिसी पर 11,000₹ प्रीमियम दिया तथा 5,000₹ के मान्य पॅजी के अंश खरीदे। उसने चैक द्वारा प्रधानमन्त्री राष्ट्रीय सहायता कोष को 10,400 ₹ का दान दिया। उसकी वेतन से आय की गणना कीजिए जिस पर उद्गम स्थान पर कर की कटौती होनी चाहिए तथा कटने वाली कर की राशि भी ज्ञात कीजिए। उसने नियोक्ता को सूचित किया है कि ‘मकान सम्पत्ति से आय’ शीर्षक में (स्वयं के रहने के मकान के सम्बन्ध में) ब्याज भुगतान के कारण 12.000₹ की हानि हुई है।

Children education allowance ₹ 150 P.M. for one child. Rent free house : FRV₹80,000. His contribution to Recognised Provident Fund is ₹ 92,000 p.a. He has paid Life Insurance Premium of ₹ 11,000 on a policy of ₹2,00,000 and purchased shares of eligible issue of Capital ₹5,000. He has donated ₹10,400 by cheque to Prime Minister’s National Relief Fund. Compute his income from salary liable to deduction of tax at source and the amount of the tax to be deducted. He has informed the employer that there is loss under the head ‘Income from house property’ on account of interest payment in relation to self-occupied house ₹ 12,000.

परीक्षा हेतु सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

(EXPECTED IMPORTANT QUESTIONS FOR EXAMINATION)

Deduction Collection Income Tax

दीर्घ उत्तरीय सैद्धान्तिक प्रश्न

(Long Answer Theoretical Questions)

1 स्रोत पर कर-कटौती से आप क्या समझते हैं ? कर काटने में तथा काटे हए कर को केन्द्रीय सरकार के खाते में जमा करने में त्रुटि किये जाने के क्या परिणाम होते हैं ?

What is meant by deduction of tax at source? What are the consequences for failure to deduct tax or to deposit the deducted tax to the credit of the Central Government.

2. उदगम स्थान पर कर कटौती’ तथा उद्गम स्थान पर कर का संग्रह’ से आपका क्या आशय है? वेतन शीर्षक के अन्तर्गत उद्गम स्थान पर कर काटने के लिए क्या प्रावधान है ?

What do you mean by “Tax deducted at source’ and ‘Tax collected at source’? What are the provisions regarding deduction of tax at source under the head ‘Salaries’?

3. कर के उद्गम स्थान पर कटौती के प्रावधानों की चर्चा कीजिये।

Discuss the provisions of Tax Deduction at Source.

4. निम्नांकित आयों पर उद्गम स्थान पर कर की कटौती के सम्बन्ध में कानून के क्या प्रावधान हैं

(क) लॉटरी का इनाम,

(ख) प्रतिभूतियों पर ब्याज,

(ग) किराये का भुगतान?

What are the provisions of law regarding deduction of tax at source from the following incomes :

(a) Winning from lottery,

(b) Interest on securities,

(c) Payment of rent ?

5. वेतन’ शीर्षक के अन्तर्गत उदगम स्थान पर कर काटने के लिए क्या प्रावधान हैं? यदि कर न काटा जाए तो इसके क्या परिणाम होते हैं?

What are the provisions regarding deduction of tax at source under the head ‘Salaries’? What would be the consequences if tax is not deducted at source ?!

6. वे कौन-कौन से भुगतान हैं जिन पर उद्गम स्थान पर आय-कर की कटौती की जाती है?

What are the payments on which tax is deducted at source ?

7. किन परिस्थितियों में उद्गम स्थान पर कर की कटौती नहीं की जा सकती? बताइए।

In which circumstances the tax cannot be deducted at source ? Explain.

Deduction Collection Income Tax

क्रियात्मक प्रश्न

(Numerical Questions)

1 अनलिखित दशाओं में वित्तीय वर्ष 2018-19 में उद्गम स्थान पर कर की कटौती की राशि बताइए यदि प्राप्तकर्ता भारत में निवासी एक व्यक्ति है

During the financial year 2018-19 find out the tax to be deducted at source in the following cases, the recipient is an individual and resident in India :

(क) प्रतिभूतियों (सूचीकृत) पर ब्याज से आय [Income from interest on securities (listed),   6,000

(ii) लॉटरी से जीत (Winnings from lotteries)                                                            8,000

(iii) लाभांश, घरेलू कम्पनी से (Dividends from domestic company)                40,000

(iv) घुड़दौड़ से जीत (Winnings from a horse race)                                                10,000

(v) दूसरी घुड़दौड़ से जीत (Winnings from another horse race)                         2,000

(vi) लॉटरी एजेण्ट को कमीशन (Commission to lottery agent)                           15,000

(vii) बीमा कमीशन (Insurance commission)                                                          24,000

Ans. TDS amount ₹ 1,800.

Deduction Collection Income Tax

2. निम्नलिखित विवरण से वित्तीय वर्ष 2018-19 में प्राप्तियों पर उदगम स्थान पर आय-कर की कटौती ज्ञात कीजिए

(i) B, जो भारत में निवासी है, को प्राप्त लॉटरी का इनाम 1,00,000₹ (सकल)।

(ii) A, जो भारत में अनिवासी है, ने घुड़दौड़ में जीते 50,000

(iii) D, जो भारत में निवासी है, को एक घरेलू कम्पनी द्वारा देय लाभांश 40,000।

(iv) C, जो भारत में निवासी हैं, को वाई लि. के असचीबद्ध ऋणपत्रों पर देय ब्याज 10.000।

Ascertain amount of tax deducted at source from the following incomes/receipts during the financial year 2018-19 :

(i) Lottery winnings of ₹ 1,00,000 (gross) payable to Mr. B, resident in India.

(ii) Winnings from horse-race ₹ 50,000 payable to Mr. A, non-resident in India.

(iii) Dividend payable by a domestic company to D, a resident in India, ₹40,000.

(iv) Interest on unlisted debentures of Y Ltd. payable to C, a resident in India ₹ 10,000.

Ans. (i) ₹ 30,000; (ii) ₹ 15,450; (iii) No TDS/Exempt and (iv) ₹ 1,000.

3. श्री राम एक कम्पनी से 25,000 ₹ प्रतिमाह वेतन पाते हैं। वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान उन्होंने सार्वजनिक प्रॉविडेण्ट फण्ड में 40,000 ₹ अंशदान किया। उसने जीवन बीमा प्रीमियम 18.000₹ वार्षिक भुगतान किया तथा राष्ट्रीय सरक्षा कोष में 10.000 ₹ चैक द्वारा दान दिया। कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 के लिए उनके वेतन से स्रोत पर काटे जाने वाले कर की। राशि बताइए।

Mr. Ram is getting a salary of ₹ 25,000 per month from a company. During the financial year 2017-18, he contributed ₹40,000 to Public Provident Fund. He also paid ₹18,000 as annual life insurance premium and donated ₹ 10,000 by cheque to National Defence Fund. Compute the amount of tax to be deducted at source for the assessment year 2018-19.

Ans. Income from Salary ₹ 3,00,000; Deduction u/s 80CR 58,000 and u/s 80G ₹ 10.000; Taxable Income ₹2,32,000; Tax to be deducted at source : Nil.

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chetansati

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