BCom 2nd year cost accounting Determination tender price Study material notes in Hindi
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B com 2nd year cost accounting Statement of cost and profit Study material notes in Hindi
निर्ख मूल्य/निविदा मूल्य/टेण्डर मूल्य का निर्धारण
(Determination of Quotation Pricel Tender Price)
प्राय: उत्पादकों से पूछा जाता है कि वे किस मूल्य पर क्रेता को माल की आपूर्ति/विक्रय कर सकते हैं तो वे जो मूल्य बताते हैं, उसी मूल्य को निविदा मूल्य या टेण्डर मूल्य कहते हैं। इस प्रकार निविदा मूल्य या टेण्डर मूल्य, वह अनुमानित मूल्य है जिस पर एक उत्पादक, ग्राहकों को निर्मित माल की सप्लाई देने के लिए तैयार होते हैं। टेण्डर मूल्य का निर्धारण अत्यन्त सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए क्योकि टेण्डर मूल्य तुलनात्मक रूप से अधिक होने पर उत्पादक को आदेश नहीं प्राप्त होगा तथा लागत से कम होने पर उसे हानि उठानी पड़ेगी। चूँकि निविदा मूल्य का निर्धारण उत्पादन से पूर्व ही करना पड़ता है, अत: इसके लिए मुख्यतः पूर्व अनुभव एवं गत लागतों को आधार के रूप में प्रयोग किया जाता है। किन्तु साथ-ही-साथ भविष्य में लागतों में होने वाली सम्भावित कमी या वृद्धि को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। संक्षेप में, निविदा मूल्य की गणना पिछली अवधि के लागत-पत्रक को आधार मानकर तथा भविष्य में लागतों में होने वाली सम्भावित कमी या वृद्धि को ध्यान में रखकर की जाती है। इसके लिए जो लागत-पत्रक बनाया जाता है उसे अनुमानित लागत-पत्रक (Estimated Cost-Sheet) भी कहते हैं। इस प्रकार टेण्डर मूल्य या निविदा मूल्य के निर्धारण में इकाई अथवा उत्पादन लागत-विधि की महत्वपूर्ण भूमिका है।
संक्षेप में, टेण्डर मूल्य अथवा निविदा मूल्य ज्ञात करने हेतु निम्नलिखित प्रक्रिया अपनायी जाती है
(1) गत अवधि से सम्बन्धित उत्पादन की कुल लागत ज्ञात करने हेतु लागत-पत्रक या लागत विवरण (जैसी भी स्थिति हो) तैयार करना।
(2) गत अवधि की लागतों के आधार पर विभिन्न उपरिव्ययों (कारखाना, कार्यालय तथा विक्रय एवं वितरण) की अवशोषण दरों की गणना तथा विक्रय मूल्य या लागत पर लाभ की प्रतिशत की गणना करना।
(3) उपर्युक्त गत अवधि की प्रति इकाई लागतों तथा उपरिव्ययों के अवशोषण की दरों तथा प्रश्न में निर्देशित व्ययों में सम्भावित परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए निविदा मूल्य की गणना हेतु अनुमानित लागत-पत्रक तैयार करना।
विभिन्न परिस्थितियों में निविदा मूल्य या टेण्डर मूल्य की गणना के स्वरूप
निविदा मूल्य, निर्ख मूल्य एवं भावी विक्रय मूल्य की गणना हेतु सम्भावित लागत का निर्धारण करते समय वस्तु की किस्म व लागत सूचनाओं से सम्बन्धित परिस्थितियों के आधार पर मुख्यत: निविदा मूल्य के निम्नलिखित स्वरूप हो सकते
(अ) गत अवधि की प्रति इकाई लागतों के आधार पर निविदा मूल्य की गणना करना-
इस प्रकार के निविदा स्वरूप को तभी प्रयोग किया जाता है जब टेण्डर या निर्ख मूल्य के निर्धारण हेतु गत अवधि की लागत सम्बन्धी सूचनाओं के साथ-साथ गत अवधि में उत्पादित संख्या भी बताई गई हो एवं निविदा हेतु वस्तु की वांछित संख्या भी दे रखी हो। सामान्यतः ऐसी दशा में गत अवधि में उत्पादित तथा निविदा वाली वस्तु की किस्म, आकार, स्वरूप तथा गुण समान होते हैं। इस ढंग में गत अवधि की लागत सूचनाओं के आधार पर लागत-पत्रक तैयार करके लागत के विभिन्न अंगों की प्रति इकाई लागत ज्ञात कर ली जाती है। तत्पश्चात् निविदा से सम्बन्धित वस्तु की संख्या का लागत के प्रत्येक अंग की प्रति इकाई से गुणा करके सम्भावित कुल लागत प्राप्त हो जाती है। इस प्रकार से आकलित कुल लागत में अपेक्षित लाभ की रकम जोड़ दी जाती है और इस प्रकार निविदा मूल्य का निर्धारण हो जाता है। इस स्वरूप के अन्तर्गत निम्नलिखित दो परिस्थितियाँ हो सकती हैं
(1) जब लागत तत्वों व लाभ के प्रतिशत में कोई परिवर्तन न हो-यदि भविष्य में लागत के विभिन्न अंगों तथा लाभ के प्रतिशत में परिवर्तन की कोई सम्भावना न हो तो गत अवधि की प्रति इकाई लागत में निविदा संख्या की गणा करके सम्भावित कुल लागत ज्ञात कर लेते हैं। इस प्रकार से आकलित कुल लागत में लाभ का वही प्रतिशत जोड़ दिया जाता है, जो गत अवधि में अर्जित लाभ व कुल लागत अथवा विक्रय मूल्य के आधार पर निकल कर आया हो। वैकल्पिक रूप में गत अवधि की प्रति इकाई कल लागत में निविदा की संख्या का सीधे ही गुणा करके भी निविदा की कुल लागत ज्ञात की जा सकती है।
इस प्रकार इस स्थिति के अन्तर्गत गत अवधि का लागत-पत्रक तथा लाभ का प्रतिशत ज्ञात करने के बाद ही निविदा मूल्य का निर्धारण किया जाता है। स्पष्टीकरण के लिए अग्रलिखित उदाहरण देखिए
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