BCom 1st Statistics Diagrammatic Presentation Data Study Material notes in Hindi

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BCom 1st Statistics Diagrammatic Presentation Data Study Material Notes in Hindi

BCom 1st Statistics Diagrammatic Presentation Data Study Material Notes in Hindi:  Utility of Diagrams Limitations of Diagrams General rules of Constructing diagrams Kinds of Diagram One Dimensional Diagrams Two Dimensional Diagrams Sort answered Questions Long Answer Questions multiple Bar Sub Divided Bar Diagram :

Diagrammatic Presentation Data
Diagrammatic Presentation Data

BCom 3rd Year Origin Growth Auditing Study Material Notes in Hindi

समंकों का चित्रमय प्रदर्शन

(Diagrammatic Presentation of Data)

सांख्यिकी का प्रमुख कार्य जटिल व विस्तृत समंकों को सरलतम ढंग से प्रस्तुत करना है। इस उद्देश्य की पर्ति के लिए वर्गीकरण, सारणीयन व माध्य इत्यादि विधियों का प्रयोग किया जाता है। फिर भी साधारण व्यक्तियों के लिए ये विधियाँ पर्याप्त नहीं हो पातीं क्योंकि इन सभी रीतियों में तथ्यों को समंकों में ही व्यक्त किया जाता है। जबकि सांख्यिकी का ज्ञान न रखने वाला व्यक्ति समंकों में कोई रुचि नहीं रखता और न ही उसमें समंकों द्वारा निष्कर्ष निकालने की क्षमता होती है। अतः समंकों को अति सरल और बोधगम्य बनाने के लिए चित्रों एवं बिन्दु-रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

इस सम्बन्ध में प्रो० मोरोने ने लिखा है कि “बहुधा साधारण व्यक्तियों के लिए समंक नीरस होते हैं । चित्र किसी जटिल स्थिति के स्वरूप को दिखाने में सहायक होते हैं। जिस प्रकार एक मानचित्र हमें विशाल देश का विस्तृत दृश्य प्रदान करता है उसी प्रकार चित्र एक ही दृष्टि में समंकों से सम्बन्धित जटिल तथ्यों का सम्पूर्ण अर्थ समझने में सहायक सिद्ध होते हैं।”

समंकों को प्रदर्शित करने के लिए चित्रों व बिन्दु रेखाओं का सांख्यिकी में सर्वप्रथम प्रयोग विलियम प्लेफेयर ने 1786 में किया। चित्रमय प्रदर्शन तथ्यों को सर्वाधिक रोचक एवं सरल बनाने की एक प्रक्रिया है। इसमें es सांख्यिकीय तथ्यों को सरल व आकर्षक ज्यामितीय आकृतियों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

चित्रों की उपयोगिता

(Utility of Diagrams)

प्रो० William Playfair ने चित्रों की उपयोगिता बताते हुए लिखा है कि “रेखीय-चित्र पांच मिनट में इतनी जानकारी दे देते हैं जितनी कि समंकों की सारणी द्वारा मस्तिष्क पर छापने के लिए कई दिन लगते हैं।” सांख्यिकी में चित्र की निम्न उपयोगितायें हैं :

1 आकर्षक प्रभावशाली साधन (Attractive and effective means of presentation)- चित्र अत्यन्त आकर्षक और रोचक होते हैं तथा मानव-मस्तिष्क पर स्थायी प्रभाव डालते हैं। एक सामान्य व्यक्ति संख्याओं में दिलचस्पी नहीं रखता क्योंकि उन्हें समझने में उसे कठिनाई होती है, किन्तु विभिन्न रंगों में बने चित्र अनायास ही उसका ध्यान आकर्षित करते हैं।

2. सरल बुद्धिगम्य बनाना (To make data simple and intelligible)-चित्रों द्वारा जटिल तथ्य अधिक सरल और बुद्धिगम्य बन जाते हैं तथा उनकी सभी विशेषताएँ स्पष्ट हो जाती हैं। जैसे पंचवर्षीय योजनाओं की प्रगति, जनसंख्या वृद्धि अथवा मूल्य वृद्धि के समंक सरलता से समझ में नहीं आते; परन्तु यदि समंकों को सांख्यिकीय चित्रों के रूप में प्रस्तुत किया जाये तो सारी स्थिति एक ही दृष्टि में स्पष्ट हो जाती है। मोरोने के अनुसार अधिकांश व्यक्तियों के लिए कोरे समंक नीरस होते हैं,चित्र किसी जटिल स्थिति के स्वरूप को दिखाने में हमारी सहायता करते हैं।

3. तुलना में सहायक होना (To facilitate comparison)-चित्रों द्वारा विभिन्न समंकों की पारस्परिक तुलना में मदद मिलती है। जैसे पंचवर्षीय योजनाओं में विभिन्न क्षेत्रों में किये जाने वाले विनियोग की तुलना उपयुक्त सांख्यिकीय चित्रों द्वारा सरलता से की जा सकती है।

4. समय श्रम की बचत (Saving of time and labour)-चित्रों को समझने तथा उनसे परिणाम निकालने में विशेष अध्ययन व परिश्रम की आवश्यकता नहीं पड़ती। उन्हें समझने के लिए किसी विशेष ज्ञान की भी आवश्यकता नहीं होती। अतः चित्रों द्वारा श्रमय की बचत होती है।

5. सार्वभौम उपयोगिता (Universal Utility) –व्यापार, वाणिज्य तथा विज्ञापन के क्षेत्र में चित्र बहुत उपयोगी और महत्वपूर्ण होते हैं।

इस प्रकार सांख्यिकीय चित्रों की उपयोगिता सार्वभौमिक है। वे सभी क्षेत्रों में समंकों को नवजीवन प्रदान करते हैं।

चित्रों की परिसीमाएँ

(Limitations of Diagrams)

सांख्यिकीय चित्रों की प्रमख सीमाएँ इस प्रकार हैं

1 चित्रों द्वारा प्रदर्शित सामग्री को गम्भीर व महत्वपूर्ण नहीं माना जाता है । यह केवल सामान्य व्यक्ति के लिए है,विशेषज्ञ के लिए इसकी कोई विशेष उपयोगिता नहीं है।

2. चित्रों द्वारा प्रदर्शित करने के लिए बड़ी सारणियों को निकटतम संख्याओं में प्रस्तुत करना पड़ता है।

3. चित्र सारणियों के अनुपूरक हैं, स्थानापन्न नहीं क्योंकि चित्रों के द्वारा बहुगुणी सूचनाएँ प्रदर्शित नहीं की।

4. चित्रों द्वारा विभिन्न मूल्यों के सूक्ष्म अथवा अत्यधिक अन्तर को स्पष्ट नहीं किया जा सकता।

5. यदि गलत मापदंड लिया जाता है तो चित्र भ्रमात्मक होंगे, अत: चित्रों का सरलता से दुरुपयोग किया जा सकता है।

6. केवल सजातीय समंकों का ही चित्रों द्वारा तुलनात्मक प्रदर्शन सम्भव हो सकता है।

चित्ररचना के सामान्य नियम

(General Rules for Constructing Diagrams)

सांख्यिकीय चित्रों को आकर्षक एवं प्रभावशाली बनाने के लिए निम्नलिखित सामान्य नियमों का पालन करना आवश्यक है

1 चित्र इतने रोचक व आकर्षक हों कि वे अनायास ही दर्शकों का ध्यान आकर्षित कर लें।

2. आकर्षण के साथ ही चित्रों में शुद्धता भी होनी चाहिए।

3. चित्रों का आकार उपयुक्त होना चाहिए,चित्र न तो बहुत बड़ा होना चाहिए और न बहुत छोटा।

4. प्रत्येक चित्र के ऊपर स्पष्ट,पूर्ण एवं संक्षिप्त शीर्षक होना चाहिए जिससे यह ज्ञात हो जाये कि चित्र में क्या प्रकट किया गया है।

5. चित्र रचना से पहले उचित मापदंड या पैमाने का निर्धारण कर लेना चाहिए।

6. चित्र सदैव पेंसिल, पैमाना तथा अन्य ज्यामितीय उपकरणों की सहायता से बनाना चाहिए। चित्र के विभिन्न भागों-उपभागों को बिन्दुओं,रेखाओं और चारखानों आदि द्वारा स्पष्ट कर देना चाहिए।

7. चित्र में प्रयोग किये गये बिन्दुओं,रेखाओं व चारखानों के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए चित्र के ऊपर एक कोने में संकेत देना चाहिए जिससे विभिन्न भागों को समझने व तुलना करने में आसानी हो।

8. समंकों के प्रदर्शन के लिए उपयुक्त प्रकार के चित्रों का चुनाव करना चाहिए।

चित्रों के प्रकार

(Kinds of Diagrams)

मुख्य रूप से सांख्यिकीय चित्र निम्न प्रकार के होते हैं

1 एकविमा चित्र (One-Dimensional Diagrams)

2.द्विविमा चित्र (Two-Dimensional Diagrams)

3. त्रिविमा चित्र (Three-Dimensional Diagrams)

4.चित्रलेख (Pictograms or Pictures)

5. मानचित्र (Cartograms of Map Diagrams) इनमें व्यावहारिक दृष्टि से केवल एक-विमा तथा द्वि-विमा चित्र ही अधिक महत्वपूर्ण होते हैं।

एकविमा चित्र

(One-Dimensional Diagrams)

एक-विमा चित्रों में केवल ऊंचाई का ही प्रयोग किया जाता है, चौड़ाई अथवा मोटाई का इसमें कोई महत्व

समंकों का चित्रमय प्रदर्शन / 115 नहीं होता। इन चित्रों में यद्यपि चौडाई रखी जा सकती है तथापि इसका मादंड से कोई सम्बन्ध नहीं होता। एक-विमा चित्रों का प्रयोग वहाँ किया जाता है जहाँ न्यूनतम व अधिकतम मूल्यों में अन्तर अधिक न हो।

एक विमा चित्र निम्न प्रकार के होते हैं

(i) रेखा चित्र (Line Diagram)

(ii) सरल दण्ड चित्र (Simple Bar Diagram)

(iii) बहुदण्ड चित्र (Multiple Bar Diagrams)

(iv) अन्तर्विभक्त दण्ड चित्र (Sub-divided Bar Diagrams)

(v) अन्तर प्रदर्शित करने वाले अन्तर्विभक्त चित्र (Sub-divided Bar Showing Differences)

(vi) प्रतिशत अन्तर्विभक्त दण्ड चित्र (Percentage Sub-divided Bar Diagram)

(vii) द्वि-दिशा दण्ड चित्र (Duo-Directional Bar Diagram)

(i) रेखाचित्र (Line Diagrams)-इस विधि में आँकड़ों को प्रदर्शित करने के लिए समान मोटाई वाली सीधी खड़ी रेखाओं का प्रयोग किया जाता है। यह विधि उस समय प्रयोग में लायी जाती है जबकि पदों या मूल्यों की संख्या अधिक हो तथा मूल्यों में अधिक अन्तर न हो । किसी एक मूल्य को पड़ी रेखा पर तथा दूसरे मूल्य को खड़ी रेखा पर दिखाया जाता है।

Illustration 1

Monthly income of 10 persons in a locality are given below. Represent them by a line diagram.

(ii) सरल दण्ड चित्र (Simple Bar Diagram)—इसमें मूल्यों को समान चौड़ाई वाले दंड चित्रों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। सरल दण्ड चित्र बनाने के लिए सबसे अधिक मूल्य के आधार पर मापदंड निश्चित कर लिया जाता है और सभी दंड इस पैमाने के अनुसार बनाये जाते हैं । इसमें मूल्यों को आरोही या अवरोही क्रम में दिखाने से आकृति में शुद्धता व आकर्षण आ जाता है । इन चित्रों में बराबर अन्तर का होना आवश्यक है।

Illustration 2 –

Represent diagrammatically the following infant mortality in different towns.

Kanpur Mumbai Delhi Calcutta Madras
295 280 250 240 100

 

Solution : Bar Diagram showing Infant Mortality in different towns.

(iii) बहुदंड चित्र (Multiple Bar Diagram)-जब दो या दो से अधिक तथ्यों या गुणों का समय या स्थान के आधार पर तुलनात्मक अध्ययन करना हो तो बहुदंड चित्र बनाये जाते हैं । ये सभी दंड चित्र एक दूसरे से सटाकर बनाये जाते हैं। यदि दो तथ्यों या गुणों का तुलनात्मक अध्ययन करना है तो युगल दंड चित्र तथा यदि तीन का अध्ययन करना है तो त्रि-दंड चित्र आदि बनाये जाते हैं।  

(iv) अन्तर्विभक्त दण्ड चित्र (Sub-divided bar diagram)-जब संकलित समंक गुण एवं विशेषताओं के आधार पर विभिन्न भागों व उपविभागों में बँटा हुआ है तथा एक दंड चित्र में इन समस्त गुणों, तथ्यों व उप-विभागों को दर्शाना हो तो अन्तर्विभक्त दंड चित्र का प्रयोग किया जाता है। इसमें सर्वप्रथम दिए हुए पद मूल्या के अनुसार विभिन्न दंड बनाये जाते हैं और प्रत्येक दंड को उसके विभागों के अनुपात में विभक्त कर दिया जाता।

(v) अन्तर प्रदर्शित करने वाले अन्तर्विभक्त चित्र (Sub-divided Bar showing Differences)अन्तर्विभक्त चित्रों द्वारा दो प्रकार के समंकों तथा पारस्परिक अन्तर को प्रदर्शित किया जा सकता है। उदाहरणार्थ आयात-निर्यात व व्यापार शेष,जीवन दर,मृत्यु-दर आदि । इसके अन्तर्गत सर्वप्रथम दोनों मूल्यों में से बड़े मूल्य को लेकर सरल दंड चित्र की रचना करके उसमें से छोटे मूल्य के बराबर भाग को काट देने पर उनमें पाया जाने वाला अन्तर स्वतःही स्पष्ट हो जाता है

(vi) प्रतिशत अन्तविभक्त दंड चित्र (Percentage Sub-divided Bar Diagram)-इन चित्रों का निर्माण करने के लिए सबसे पहले मूल्यों के कुल योग को 100 मानकर सभी विभागों के प्रतिशत निकाल लिये जाते हैं, इसके पश्चात उनका संचयी प्रतिशत निकाला जाता है । सरल दंड चित्र बनाकर उसमें संचयी प्रतिशतों के बराबर भाग काट लिए जाते हैं। ये चित्र उस दशा में बनाये जाते हैं जब एक तथ्य के विभिन्न भागों से सम्बन्धित समंकों में होने वाले सापेक्ष परिवर्तनों की आपस में तुलना करनी हो।

(viii) विचलन दण्ड चित्र (Deviation Bar Diagram)-इस प्रकार के दण्ड चित्रों का प्रयोग समय या के कारण समंकों में होने वाले परिवर्तन या विचलन को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। इन चित्रों में मुख्य राशियों को न दिखाकर केवल उनके अन्तरों को दिखाया जाता है जैसे आय और व्यय के अन्तर के रूप में शुद्ध लाभ या हानि, आयात और निर्यात के अन्तर के रूप में शुद्ध व्यापार शेष इत्यादि । ऐसे दण्डों के मान धनात्मक और ऋणात्मक दोनों प्रकार के हो सकते हैं । अतः आधार रेखा के ऊपर धनात्मक शेषों को तथा आधार रेखा से नीचे ऋणात्मक शेषों को प्रदर्शित किया जाता है। इसीलिए इनको द्वि-पक्षीय दण्ड चित्र (Bi-lateral Bar Diagram) भी कहते हैं।

(ix) स्तूप चित्र (Pyramid Diagram)-इस चित्र की आकृति स्तूप जैसी होती है । इस चित्र में आधार रेखा को बीच में खड़ी हुई (Vertical) मानते हैं और उनके दोनों ओर क्षैतिज दण्ड की रचना एक दूसरे से सटाकर की जाती है। जनसंख्या का आयु, शिक्षा, लिंग इत्यादि के आधार पर वितरण इस चित्र के द्वारा काफी प्रभावशाली ढंग से दिखाया जा सकता है।

Illustration 9 निम्न तालिका भारत के कुछ राज्यों में जनसंख्या को लिंग के अनुसार प्रदर्शित करती हैं। इस सूचना को स्तूप चित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।

The table given below shows that sex-v * pulation of a few states of India. Represent the same by Pyramid Diagram.

द्विविमा चित्र

(Two-Dimensional Diagrams)

एक विमा चित्रों में केवल दंडों की लम्बाई को ही ध्यान में रखा जाता है और समस्त दंडों की चौड़ाई बराबर। मान ली जाती है,यदि दण्डों की लम्बाई और चौडाई दोनों को ध्यान में रखकर आँकडे प्रदर्शित किये जाये तो ये द्वि-विमा चित्र कहलायेंगे अर्थात् इन चित्रों में दंडों की लम्बाई व चौडाई का बराबर महत्व होता है । ये तीन प्रकार के होते हैं

(1) आयत चित्र (Rectangular Diagrams)

(2) वर्ग चित्र (Square Diagrams)

(3) वृत्त चित्र (Circular or Pie Diagrams)

(1) आयत चित्र (Rectangular Diagrams)-आयत के क्षेत्रफल द्वारा भी समंकों की तुलना की जाती है। इनका प्रयोग उन दशाओं में होता है जब समंकों के दो गुणों को एक साथ प्रदर्शित करना होता है। आयत चित्र भी निम्न प्रकार के होते हैं

() साधारण

() विभाजित

() प्रतिशत अन्तर्विभक्त

() साधारण आयत चित्र (Simple Rectangular Diagram)-इन चित्रों में समंकों के दो गणों को एक साथ प्रदर्शित किया जाता है। जैसे यदि किसी कारखाने में मजदूरों की उत्पादकता ज्ञात करनी हो तो आयत चित्र की रचना के लिए इसकी एक भुजा को प्रतिदिन की औसत उत्पादकता और दूसरी को मजदूरों की संख्या मानकर आयत का क्षेत्रफल ज्ञात कर लेते हैं जो एक दिन की सम्पूर्ण उत्पादकता प्रकट करता है।

() विभाजित आयत चित्र (Sub-divided Rectangular Diagram)-जब किसी वस्तु की प्रति इकाई व कुल बिक्री, प्रति इकाई व कुल लागत या प्रति इकाई व कुल लाभ इत्यादि को प्रदर्शित करना हो तो अलग-अलग लम्बाई व अलग-अलग चौड़ाई वाले आयत बनाये जाते हैं। जैसे किसी वस्तु का प्रति इकाई मूल्य उसकी बिक्री की मात्रा तथा विक्रय राशि के विभिन्न तत्वों को साथ-साथ विभाजित आयत के रूप में प्रदर्शित किया जा सकता है। ऐसे चित्र में प्रति इकाई मूल्यों के अनुपात में चौड़ाई तथा विक्रय की मात्राओं के अनुपात में ऊँचाई रखी जाती है। इस प्रकार कुल विक्रय-मूल्य आयत के क्षेत्रफल (ऊँचाई x चौड़ाई) के अनुपात से व्यक्त हो जाता है । इस क्षेत्रफल में से विक्रय मूल्य के अलग-अलग तत्वों के अनुसार क्षेत्रफल के खण्ड कर लिए जाते हैं।

Illustration 10 – Represent the following data by sub-divided rectangular diagram.

() प्रतिशत अन्तर्विभक्त आयत चित्र (Percentage Sub-divided Rectangular Diagram)इन आयत चित्रों का प्रयोग अधिकतर पारिवारिक बजट की तुलनात्मक समीक्षा करने के लिए किया जाता है। इसमें समस्त आयतों की ऊँचाई बराबर रखी जाती है किन्तु चौड़ाई आय के अनुपात में कम या अधिक कर दी जाती है। इसमें आयतों की चौड़ाई आय के अनुपात को प्रदर्शित करती है तथा लम्बाई व्ययों के प्रतिशत को प्रकट करती है। इसके लिए समस्त आय को 100 मानकर उसके व्ययों का प्रतिशत कर लेते हैं। इस प्रकार के चित्र से दो समंकों की तुलना सुगम व स्पष्ट हो जाती है।

Illustration 11 – Represent the following data by a two dimensional diagram.

(2) वर्ग चित्र (Square Diagram)-जब दिये हुए तथ्यों के अधिकतम व न्यूनतम मूल्यों में अधिक अन्तर होता है तो हम दण्ड चित्र की रचना नहीं कर सकते । जैसे यदि न्यूनतम व अधिकतम मूल्य क्रमश:50 और 2.500 हों तो सबसे बड़ा दण्ड सबसे छोटे दण्ड का 50 गुना होगा। अतः ऐसी स्थिति में वर्ग चित्रों किया जाता है। वर्ग चित्रों द्वारा समंकों को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न मूल्यों के वर्गमूल ज्ञात किये जाते हैं और समंकों को प्रदर्शित करने के लिये विभिन्न मूल्यों के वर्गमूल ज्ञात किये जाते हैं और प्राप्त वर्गमूल्यों के अनुपात में वर्ग चित्र बनाये जाते हैं। ऐसा करने में दो आँकड़ों के आकार का वृहद् अन्तर समाप्त हो जाता है और चित्र भी आकर्षक बन जाता है । इस विधि में चित्र की प्रत्येक भुजा प्राप्त वर्गमूल के अनुपात के आकार की होती

Illustration 12 –

From the following information, draw the suitable diagram.

Commodities                   A                   B                        C

D Exports (In crore Rs.) 256                64                       16

16 Solution :

प्रस्तुत समंकों के आकार में बहुत अन्तर है, अतः इनको वर्ग चित्रों की सहायता से प्रदर्शित किया जायेगा। यहाँ सर्वप्रथम समंकों का वर्गमूल ज्ञात किया जायेगा तथा वर्गमूल के अनुपात के आकार में वर्ग चित्रों का निर्माण किया जायेगा।

Commodities A B C D
D Exports (In crore Rs.) 256 64 16 9
Square Root 16 8 4 3
Length of a Side 4 2 1 0.75

 

(3) वृत्त चित्र (Circular or Pie Dlagram)-वृत्त चित्र वर्ग चित्रों के विकल्प के रूप में प्रस्तुत किये। जाते हैं । वृत्तों व उसके खंडों द्वारा सम्पूर्ण आँकड़ों व उसके भागों को प्रदर्शित कर सकते हैं । वर्ग चित्रों की अपेक्षा । वृत्त चित्रों की रचना सरल होती है तथा इसमें समंकों के विभाजन को भी प्रदर्शित करना सम्भव रहता है । वृत्त चित्र । दो प्रकार के होते हैं

() साधारण वृत्त चित्र (Simple Circular Diagram) –साधारण वृत्त चित्र बनाते समय पद-मूल्यों का वर्गमूल निकाल कर उनके अनुपातों में वृत्तों के अर्धव्यास ज्ञात कर लिये जाते हैं। उदाहरण नं. 10 में वर्ग-मूल्यों का अनुपात 4 : 2 : : 1 : 75 है। इनमें 2 का भाग देकर इस प्रकार अर्धव्यास ज्ञात करेंगे :2 cm, 1 cm, .5 cm, .375 cm. अर्धव्यास के आधार पर क्रमशःचार वृत्त बनाये जा सकते हैं।

वृत्त चित्र का पैमाना ज्ञात करना:

यदि किसी वृत्त का अर्धव्यास 2 cm. है और उसमें 256 करोड़ दर्शाये गये हैं तो पैमाना इस प्रकार ज्ञात किया जायेगा

() कोणिक चित्र (Angular Diagram)-जब कुल समंक को उसके विभिन्न उपविभागों सहित प्रदर्शित करना होता है तो कोणिक चित्र अधिक उपयुक्त होते हैं । वृत्त के केन्द्र बिन्दु पर 360° का कोण होता है, अतः सम्पूर्ण समंक को 360° मान कर उसके उप-विभागों के कोणों की डिग्री मालूम करके वृत्त को उसी अनुपात में विभाजित कर देते हैं।

Illustration 13:

Represent the following data by a sub-divided circular diagram.

Countries

 

Chine India U.S.S.R U.S.A Ger. Japan Others
Population (in crores) 40 35 15 10 10 5 70

 

Solution : (Three-Dimensional Diagram)

समस्त देशों की जनसंख्या का कुल योग 185 Crores हुआ। 185 करोड़ को 360° मानकर विभिन्न देशों समंकों का चित्रमय प्रदर्शन / 125 की जनसंख्या को प्रदर्शित करने के लिए कोणों की डिग्री इस प्रकार ज्ञात की जायेगी

त्रिविमा चित्रजब आँकड़ों में बहुत अधिक विषमता होती है तो त्रि-विमा चित्रों का प्रयोग किया जाता है इनको तीन विस्तार वाले चित्र कहते हैं,क्योंकि इनमें चित्र के तीनों विस्तारों अर्थात् लम्बाई, चौड़ाई व ऊँचाई का महत्व होता है । इसमें आँकड़े घनों (Cubes) की मदद से प्रदर्शित किये जाते हैं और भुजाएँ दी हुई राशियों के घनमूल (Cube Roots) के अनुपात में रखी जाती हैं।

इनका प्रयोग बहुत सीमित है क्योंकि साधारण ज्ञान वाला व्यक्ति न तो घन तैयार कर सकता है और न घनफल की गणना ही कर सकता है।

घन बनाने के लिए पहले घन की भुजा के आधार पर एक वर्ग बनाया जाता है, फिर उसी क्षेत्रफल का दूसरा वर्ग इस प्रकार बनाया जाता है कि उसका बायाँ निचला कोना पहले वर्ग के लगभग बीच में हो और भुजाएँ समानान्तर हों । दोनों वर्गों के कोनों को मिला देने से घन पूरा बन जाता है । घन का पैमाना वर्ग पैमाने की भाँति ही ज्ञात किया जाता है. अन्तर केवल इतना है कि घन की भुजा का घन निकाल कर घन-चित्र का आयतन निकाला जाता है और इसी आधार पर 1 cubic cm. द्वारा प्रदर्शित मूल्य ज्ञात किया जाता है।

Illustration 14 –

The following table shows the daily salaries of A and B. Show them by suitable diagrams.

A                   B

Daily Salary                                                         27                 64

Cube Roots                                                            3                   4

Solution : Diagram showing salaries of A and B. Scale 1 cubic cm. = Rs. 4.

(4) चित्रलेख (Pictogram)-चित्र-लेखों की मदद से भी समंकों की विशेषता को प्रदर्शित किया जा सकता है । चित्र-लेखों द्वारा समंकों को प्रदर्शित करने का मुख्य लाभ यह है कि इससे समंकों को शीघ्रता से समझा जा सकता है । एक अशिक्षित व्यक्ति भी चित्र-लेखों की मदद से आँकड़ों की तुलना कर सकता है । चित्र-लेख उसी अनुपात में बनाये जाते हैं जिस अनुपात में संख्याएँ होती हैं।

Illustration 15 –

Represent the following data by Pictogram.

Population – China 72 Crores and India 56 Crores.

Solution: Pictogram showing populations of India and China.

Scale 1 person = 8 Crores

China att India that

(5) मानचित्र (Cartograms)-सांख्यिकी व आँकड़ों को मानचित्रों द्वारा बहुत ही आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया जा सकता है। मानचित्रों में प्रायः जनसंख्या का घनत्व,वर्ण,उपज,तापमान,भाषा,खनिज पदार्थ इत्यादि का वितरण प्रदर्शित किया जाता है। इन्हें विभिन्न रंगों व चिन्हों द्वारा दर्शाया जाता है। सांख्यिकीय मानचित्र संख्यात्मक तथ्यों को भौगोलिक आधार पर प्रस्तुत करता है।

सैद्धान्तिक प्रश्न

1. चित्रों द्वारा अंकों के प्रदर्शन की उपयोगिता का वर्णन कीजिए और वृत्त चित्र बनाने की विधि की व्याख्या कीजिए।

Discuss the usefulness of diagrammatic presentation of facts and explain how you would construct circular diagrams.

2. चित्रों द्वारा सांख्यिकीय समंकों के प्रदर्शन की उपयोगिता की विवेचना कीजिए। उचित उदाहरण देकर सरल दंड चित्र,प्रतिशत अन्तर्विभक्त दंड चित्र तथा कोणीय चित्र के प्रयोग को दर्शाइए।

Discuss the usefulness of diagrammatic presentation of statistical data. By taking suitable example, illustrate the use of simple bar diagram, percentage sub-divided bars and angular diagrams.

3. सांख्यिकी में चित्रों की आवश्यकता एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए। एक उत्तम चित्र की रचना में किन-किन सावधानियों को रखना पड़ता है?

Show clearly the necessity and importance of diagrams in statistics. What precautions should be taken in drawing a good diagram?

4. चित्रों द्वारा समंकों के प्रदर्शन के लाभ बताइये। एक सरल दण्ड-चित्र, आयत चित्र एवं वृत्त चित्र का उदाहरण दीजिए।

State the advantages of a diagrammatic representation of statistical data. Give examples of a simple Bar Diagram, a rectangle diagram and a Pie-diagram.

5. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए

Write short notes on the following:

(i) दण्ड एवं वृत्त चित्र (Bars and Pie Diagrams)

(ii) द्विदिशा दण्ड चित्र (Duo-Directional Bar Diagrams)

(iii) चित्र लेख एवं मानचित्र (Pictograms and Cartograms)

(iv) अन्तर्विभक्त दण्ड एवं वृत्तचित्र (Sub-divided Bars and Circles)

(v) द्वि-विमीय चित्र (Two-dimensional diagram)

(vi) बहुदण्डीय चित्र (Multiple Bar Diagram)

 

chetansati

Admin

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