BCom 3rd Year Final Accounts Company Study Material Notes in Hindi

BCom 3rd Year Final Accounts Company Study Material Notes in Hindi: Schedule Companies  Balance Sheet  General Instruction Details of Contact Assets Contingent Liabilities  Commitments Revenue from Operations ( Most Important Notes For BCom  Students )

Final Accounts Company
Final Accounts Company

BCom 1st Year Financial Accounting Study Material Notes In Hindi

कम्पनी के अन्तिम खाते

(Final Accounts of Company)

एकाकी व्यापारी एवं साझेदारी संस्था को अपने व्यवहारों का व्यवस्थित रूप से लेखा रखना वांछनीय होता है, अनिवार्य नहीं है। लेकिन एक सीमित दायित्व वाली कम्पनी को अपने व्यवहारों का उचित एवं व्यवस्थित लेखा रखना और उचित समय पर निर्धारित प्रारूप में अन्तिम खाते (वित्तीय विवरण) तैयार करना अनिवार्य होता है।

खाता-पुस्तकें रखने और अन्तिम खाते प्रकाशित करने के सम्बन्ध में प्रावधान कम्पनी अधिनियम 2013 की 128 से 138 तक की धाराओं में वर्णित किये गये हैं। धारा 128 एक कम्पनी को कुछ निश्चित खाता पुस्तकें रखना अनिवार्य बनाती है। धारा 129(2) के अनुसार धारा 96 के पालन करने के लिये बुलाई गई कम्पनी की प्रत्येक व्यापक सभा में संचालक मण्डल वित्तीय वर्ष के कम्पनी के वित्तीय विवरण प्रस्तुत करेगा तथा इनकी एक प्रति अनिवार्य रूप से सभा से 21 दिन पूर्व कम्पनी के प्रत्येक सदस्य, प्रत्येक पंजीकृत ऋणपत्रधारी तथा अन्य अधिकारियों के पास भेजेगा। एक कम्पनी को अपने वित्तीय विवरण अनिवार्य रूप से प्रकाशित भी कराने होते हैं।

धारा 2(40) के अनुसार एक कम्पनी के वित्तीय विवरणों में निम्नलिखित सम्मिलित होते हैं :

(i) वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर एक चिट्ठा;

(ii) लाभ-हानि खाता अथवा लाभ कमाने के लिये व्यापार नहीं करने वाली एक कम्पनी की दशा में वित्तीय वर्ष के लिये आगम और व्यय खाता;

(iii) वित्तीय वर्ष के लिये रोक-प्रवाह विवरण;

(iv) समता में परिवर्तनों का एक विवरण-पत्र, यदि लागू योग्य है; और

(v) उपर्युक्त उप-वाक्य (i) से (iv) प्रलेखों पर कोई व्याख्यात्मक टिप्पणी।।

किन्तु एक व्यक्ति कम्पनी, लघु कम्पनी और प्रसुप्त कम्पनी के वित्तीय विवरणों में रोक-प्रवाह विवरण सम्मिलित करना आवश्यक नहीं

कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 129(1) के अनुसार वित्तीय विवरण कम्पनी के बारे में सही एवं सच्ची जानकारी प्रदान करेंगे, धारा 133 के अन्तर्गत अधिसूचित लेखांकन प्रमापों का पालन करेंगे और अधिनियम की अनुसूची III में दिये प्रारूप में होंगे। अतः चिट्ठा इस प्रकार तैयार किया जाना चाहिये कि यह वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर कम्पनी के मामलों की स्थिति का एक ‘सत्य और उचित दृश्य’ प्रस्तुत करे और यह अनुसूची III के भाग I में दिये फार्म में होना चाहिये। इसी तरह कम्पनी का लाभ-हानि विवरण-पत्र वित्तीय वर्ष के लिये कम्पनी के लाभ या हानि का ‘सत्य एवं सही दृश्य’ प्रस्तुत करे और यह अनुसूची III के भाग II में दिये फार्म में होना चाहिये। ये नियम किसी बीमा, बैंकिंग और बिजली कम्पनियों और अन्य कम्पनियों जो किसी विशेष अधिनियम से शासित हैं, पर लागू नहीं होते।

Final Accounts Company Notes

 कम्पनी अधिनियम 203 की अनुसूची III (Schedule III of Companies Act 2013)

इस अधिनियम के अन्तर्गत पंजीकृत प्रत्येक कम्पनी अनुसूची III में निर्धारित तरीके से अपना आर्थिक चिट्ठा, लाभ-हानि विवरण-पत्र और उनके नोट तैयार करेगी। इस अनुसूची में निम्नलिखित दिये गये हैं :

(1) एक कम्पनी के आर्थिक चिठे और लाभ-हानि विवरण-पत्र की तैयारी के लिये सामान्य निर्देश ।

(2) भाग [ – आर्थिक चिट्टे का प्रारूप

(3) आर्थिक चिट्ठे की तैयारी के लिये सामान्य निर्देश

(4) भाग II – लाभ-हानि विवरण-पत्र का प्रारूप

(5) लाभ-हानि विवरण-पत्र की तैयारी के लिये सामान्य निर्देश

(6) समूहित वित्तीय विवरणों की तैयारी के लिये सामान्य निर्देश

सामान्य निर्देश (General Instructions)

1 जहाँ तक विभिन्न मदों की मान्यता, माप, वर्गीकरण प्रस्तुतीकरण का सम्बन्ध है, लेखांकन प्रमाप अनुसूची III के ऊपर (Overriding) होते हैं। किन्तु अनुसूची III और कम्पनी अधिनियम 2013 में निर्दिष्ट प्रकटीकरण अपेक्षायें लेखांकन प्रमापों की अपेक्षाओं के अतिरिक्त हैं।

2. केवल मोटी और महत्वपूर्ण मदें ही चिट्ठे के मुख पर दिखलाई जानी हैं। लेखांकन प्रमापों में निर्दिष्ट या कम्पनी अधिनियम 2013 द्वारा अपेक्षित अतिरिक्त प्रकटीकरण खातों की टिप्पणियाँ (Notes to Accounts) के रूप में अथवा अतिरिक्त विवरण-पत्र के रूप में किये जायेंगे, जब तक कि वित्तीय विवरणों के मुख पर ही इनका प्रकटीकरण आवश्यक न कर दिया गया

3. खातों के नोटों में उन विवरण-पत्रों में दिये मदों के विवरणात्मक वर्णन और उन विवरण-पत्रों की मदों के बारे में सूचनायें जिन्हें विवरण-पत्र में नहीं दिया जा सकता। चिट्ठे और लाभ-हानि विवरण-पत्र में दी गई प्रत्येक मद खातों के नोटों में दी गई सम्बन्धित सूचना से प्रति-संदर्भित (cross referenced) होगी।

4. वित्तीय विवरणों में दिये गये अंक (figures) कम्पनी की बिक्री-राशि के आधार पर निकटतम सैकड़ों, हजारों, लाखों या उनके दशमलवों में पूरा करके (round off) निम्न प्रकार दी जा सकती है : (i) सौ करोड़ रुपये से कम बिक्री-राशि की दशा में निकटतम सैकड़ों, हजारों, लाखों अथवा दस लाखों या उनके दशमलवांशों में पूरा करके दिया जा सकता है। (ii) सौ करोड़ रुपये या उससे अधिक बिक्री राशि की दशा में निकटतम लाखों, दस लाखों अथवा करोड़ों या उनके दशमलवांशों में पूरा करके दिया जा सकता है।

5. कम्पनी के समामेलन के पश्चात् इसके प्रथम वित्तीय विवरणों के अतिरिक्त इसके आगे के सभी वित्तीय विवरणों (नोटों सहित) में | दर्शाये गये सभी मदों के तुरन्त पिछली सूचन अवधि (reporting period) की तत्सम्बन्धी राशियाँ (तुलनात्मक अंक) भी दी जायेंगी।

कम्पनी के आर्थिक चिठे का प्रारूप (Form of Company Balance Sheet)

कम्पनी के आर्थिक चिठे का प्रारूप कम्पनी अधिनियम 2013 की अनुसूची III के भाग I में दिया गया है। अनुसूची III के अनसार चिट्ठा का प्रारूप केवल लम्बवत (vertical) ही निर्धारित किया गया है और यह निम्नवत है –

चिठे की विषय-सूची विवरण (Details of Contents of Balance Sheet)

कम्पनी अधिनियम 2013 की अनुसूची III के अनुसार चिटठा और लाभ-हानि विवरण-पत्र में दिये गये प्रत्येक मद के समक्ष केवल एक राशि ही दर्शायी जायेगी और उस मद के विवरण उस मद से सम्बन्धित टिप्पणी (note) में दिये जायेंगे तथा टिप्पणी चिटठे या लाभ-हानि विवरण-पत्र में सम्बन्धित मद से संदर्भित होगी। उदाहरण के लिये अंशधारी कोषों (Shareholders’ Funds) में। संचितियाँ और आधिक्य (Reserves and Surplus) की चिट्ठे में केवल एक राशि दर्शायी जायेगी और संचितियाँ और आधिक्य की प्रत्येक मद के विवरण खातों पर टिप्पणियों (Notes to Accounts) में ‘संचितियाँ और आधिक्य की टिप्पणियों’ में दिये जायेंगे। नीचे अब हम चिठे की प्रत्येक मद का पृथक-पृथक वर्णन करेंगे।

Final Accounts Company Notes

समता और दायित्व (Equity and Liabilities)

चिठे के समता और दायित्व भाग के निम्नलिखित चार शीर्षक हैं :

(1) अंशधारियों के कोष

(2) लम्बित आवंटन पर अंश आवेदन राशि

(3) गैर-चालू दायित्व

(4) चालू दायित्व

1 अंशधारियों के कोष (Shareholders’ Funds): यह निम्नलिखित तीन उप-शीर्षकों में विभाजित है –

(अ) अंश पँजी. (ब) संचितियाँ और आधिक्य, (स) अंश अधिपत्रों के विरुद्ध प्राप्त राशि

       (अ) अंश पूँजी (Share Capital) : अंश पूँजी कम्पनी के वित्तीयन का एक भाग है। यह अंशधारियों द्वारा प्रार्थित समता और पूर्वाधिकारी दोनों अंशों पर भुगतान की गई राशि है। अंश पूँजी के विवरण (details) खातों पर टिप्पणियों में अंश पूँजी पर टिप्पणियों में दिये जाते हैं।

  • (A) (i) अंश पूँजी शीर्षक के अन्तर्गत पूँजियाँ : अधिकृत पूँजी, निर्गमित पूँजी और प्रार्थित पूँजी दर्शायी जाती हैं। अधिकृत पूँजी के अन्तर्गत पूँजी को राशि तथा अंशों की संख्या और अंकित मूल्य जिनमें यह राशि विभाजित है, दर्शाना होता है। अधिकृत पूँजी के पश्चात् निर्गमित पूँजी दर्शायी जाती है। इसमें चिट्ठे की तिथि तक अभिदान के लिये रखे गये विभिन्न प्रकार के अंशों (अर्थात् समता अंश तथा पूर्वाधिकार अंश) की संख्या तथा उनके अंकित मूल्य का उल्लेख किया जाता है। निर्गमित पूँजी के पश्चात् प्रार्थित पूँजी दिखलायी जाती है। इसमें प्रार्थित पूँजी की राशि, उसका विभिन्न प्रकार के अंशों में विभाजन तथा अंशों का अंकित मूल्य एवं प्रत्येक अंश पर माँगी और प्राप्त की गयी राशि दिखलानी होती है। प्राथि भागों में वर्गीकृत करके दिखलाया जायेगा – (अ) प्रार्थित और पूर्णदत्त (ब) प्रार्थित और पूर्णदत्त नहीं। यदि कम्पनी के सभी अंश आवंटित किये जा चुके हैं तो अधिकृत पूँजी और निर्गमित पूँजी को मिलाकर दिखलाया जा सकता है। इसी तरह यदि आवंटित अंशों पर पूर्ण मूल्य माँग लिया गया है तो निर्गमित पूँजी और प्रार्थित पूँजी को मिलाकर दिखलाया जा सकता है।
  • (ii) विभिन्न प्रकार के पूर्वाधिकार अंशों को पृथक-पृथक दिखलाया जाता है। शोध्य पूर्वाधिकार अंशों की दशा में उनके शोधन या अन्य प्रकार के अंशों में परिवर्तन की शर्तों तथा शोधन या परिवर्तन की शीघ्रतम तिथि का उल्लेख दूरस्थ तिथि से प्रारम्भ करते हए अवरोही क्रम (descending order) में दिखाया जाना आवश्यक है।
  • (iii) अदत्त याचनाओं की राशि को “प्रार्थित पूँजी’ शीर्षक के अन्तर्गत माँगी गई राशि में से घटाकर दिखाया जाता है। संचालकों और अधिकारियों पर देय अदत्त राशियों को स्पष्ट रूप से दिखलाना आवश्यक है।
  • (iv) अपहरित अंशों पर प्राप्त राशि को (अपहरित अंश प्रीमियम की राशि को छोड़कर) प्रार्थित पूँजी में जोड़कर या उसके पश्चात दिखलाया जाता है किन्तु ऐसे अंशों के पुनर्निर्गमन से हुए लाभ को ‘पूँजी संचय’ में हस्तान्तरित कर दिया जायेगा।
  • (V) अग्रिम याचनाओं पर प्राप्त राशि को खातों पर टिप्पणियों में ‘चालू दायित्व’ शीर्षक के अन्तर्गत ‘अन्य चाल दायित्वों’ में। सम्मिलित किया जायेगा।
  • (VI) चिट्ठि की तिथि पर आवंटन के लिये लम्बित अंशों पर प्राप्त अंश आवेदन धन की वापस की जाने वाली राशि को ‘अन्य चाल दायित्व’ की तरह दिखलाया जायेगा और अन्य शेष राशि को समता से पृथक दिखलाया जायेगा।

(B) सूचन अवधि (Reporting Period) के प्रारम्भ और अन्त पर अदत्त अंशों की संख्या का मिलान। दो कम्पनी के अन्तिम खाते

(C) प्रत्येक प्रकार के अंशों के अधिकार. वरीयतायें और प्रतिबन्ध, लाभांश के वितरण और पँजी के भगतान पर प्रतिबन्धा साहता

(D) एक सहायक कम्पनी की दशा में इसकी सत्रधारी कम्पनी अथवा आखिरी सूत्रधारी कम्पनी द्वारा धारित तथा सूत्रधारा कम्पना या आखिरी सूत्रधारी कम्पनी की सहायक कम्पनियों अथवा सम्पर्क कम्पनियों द्वारा धारित अंशों सहित इसके प्रत्येक प्रकार के अंशो की कुल संख्या।

(E) 5% से अधिक अंश धारण करने वाले प्रत्येक अंशधारी द्वारा धारित कम्पनी में अंश, अंशों की संख्या निर्दिष्ट करते हुए अंशों की बिक्री या विनिवेश (disinvestment) के लिये विकल्पों और प्रसंविदा वायदों के अन्तर्गत (under options and contracts commitments) निर्गमन के लिये आरक्षित अंश, शर्तों और राशियों सहित।

(G) अंश अधिपत्रों के विरुद्ध प्राप्त धन को चिट्ठे में अंशधारियों के कोषों के भाग के रू में पृथक से प्रकट करना होगा।

(H) चिट्ठा, लाभ-हानि विवरण-पत्र और रोक प्रवाह की मदें खातों पर टिप्पणियों में सूचनाओं से प्रतिसंदर्भित होंगी।

(I) एक कम्पनी चिट्ठा तैयार करने की तिथि के तुरन्त बाद के पाँच वर्षों तक खातों पर टिप्पणियों के अन्तर्गत निम्न के सम्बन्ध में पृथक विवरण देगी :

(i) किसी प्रसंविदे के अन्तर्गत बिना नकद भुगतान प्राप्त किये आवंटित अंशों की कुल संख्या और अंशों के प्रकार।

(ii) अधिलाभांश अंशों के रूप में पूर्णदत्त आवंटित अंशों की कुल संख्या और अंशों के प्रकार।

(iii) वापसी क्रय (bought back) किये गये अंशों की कुल संख्या और अंशों के प्रकार।

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(ब) संचितियाँ और आधिक्य (Reserves and Surplus) : संचितियों और आधिक्य के सम्बन्ध में वैधानिक अपेक्षायें निम्नलिखित

(a) अनुसूची III के अन्तर्गत संचितियों और आधिक्य का निम्नलिखित शीर्षकों में वर्गीकरण निर्धारित किया है।

(i) पूँजीगत संचितियाँ (Capital Reserves)

(ii) पूँजी शोधन संचिति (Capital Redemption Reserve)

(iii) प्रतिभूति प्रीमियम संचिति (Securities Premium Reserve)

(iv) ऋणपत्र शोधन संचिति (Debentures Redemptiion Reserve)

(v) पुनर्मूल्यांकन संचिति (Revaluation Reserve)

(vi) अंश विकल्प अदत्त खाता (Share Options Outstanding Account)

(vii) अन्य संचितियाँ (प्रत्येक संचिति की प्रकृति और उद्देश्य और उनकी राशि निर्दिष्ट करते हुए)

(viii) आधिक्य अर्थात लाभ-हानि विवरण-पत्र में शेष – इसमें लाभांश, बोनस अंश आदि के लिये नियोजन, संचितियों को से  हस्तान्तरण दिखलाते हुए।

प्रत्येक संचिति के सम्बन्ध में गत चिठे की तिथि से उसमें की गई वृद्धियाँ (additions) और उससे किये गये घटावों (deductions) का प्रकटीकरण आवश्यक है।

(b) लाभ-हानि विवरण-पत्र में नाम शेष (Debit Balance) को ‘आधिक्य’ शीर्षक के अन्तर्गत ऋणात्मक अंक की तरह दिखाना होगा। इस ऋणात्मक अंक को ‘संचितियाँ और आधिक्य’ की अन्य मदों से समायोजित किया जायेगा तथा परिणामी अंक को। चाहे ऋणात्मक हो, उसी रूप में दिखाया जायेगा।

(c) किसी संचिति के सम्बन्ध में “कोष” (Fund) शब्द का प्रयोग तभी किया जायेगा जबकि उसकी राशि व्यवसाय के बाहर विनियोग कर दी गई है।

(स) अंश अधिपत्रों के विरुद्ध प्राप्त धन (Money received against share warrants)- अंश अधिपत्र कम्पनी द्वारा निर्गमित वित्तीय प्रपत्र हैं जिन्हें बाद में किसी तिथि पर निर्गम की शर्तों के अनुसार पूर्व-निर्धारित मूल्य पर अंशों में परिवर्तित किया जाता है। अंश अधिपत्रों के विरुद्ध प्राप्त धन ‘अंशधारियों के कोष’ शीर्षक के अन्तर्गत पृथक से दिखलाया जाता है।

2. चिटठे की तिथि पर लम्वित आवंटन पर अंश आवेदन धन (Share application money pending allotment on the date of Balance Sheet) : अंश आवेदन पर प्राप्त धन की वापस की जाने वाली राशि चाल दायित्व शीर्षक के अन्तर्गत ‘अन्य चाल दायित्वों’ की तरह दिखलायी जायेगी और वापस न की लाने वाली राशि को ‘समता एवं दायित्व’ के अन्तर्गत प र दिखलाया जायेगा।

3 गैर-चालू दायित्व (Non-Current Liabilities) : चिठे में सभी दायित्वों को गैर-चालू और चालू दायित्वों में वर्गीकृत करके दिखाया जाता है। अनुसूची III के अनुसार गैर-चालू दायित्व वे हैं जो कि चालू दायित्व नहीं हैं। इसमें निम्नलिखित सम्मिलित हैं :

(अ) दीर्घ अवधि के उधार (Long-term Borrrowings) : ये ऐसी उधारियाँ हैं जो ऋण की तिथि से 12 माह बाद देय हैं। (a) इसे निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत वर्गीकृत किया गया है :

(i) ऋणपत्र/बन्ध-पत्र (Debentures/Bonds)

(ii) अवधि ऋण (Term Loans) : बैंकों से अन्य पक्षों से। सामान्यतया 36 माह से अधिक की पुनर्भुगतान अवधि के ऋण अवधि ऋण माने जाते हैं।

(iii) आस्थगित भुगतान दायित्व (Deferred Payment Liabilities)

(iv) सार्वजनिक जमायें (Public Deposits)

(v) सम्बन्धित पक्षों से ऋण और अग्रिम (Loans and Advances from Related Parties)

(vi) वित्त पट्टा बाध्यताओं की दीर्घ-अवधि की परिपक्वतायें (Long-term maturities of finance lease obligations)

(vii)अन्य ऋण और अग्रिम-प्रकृति निर्दिष्ट करते हुए (Other Loans and Advances – specifying the nature)

(b) उधारियों को पुनः रक्षित (secured) और अरक्षित (unsecured) में वर्गीकृत किया जायेगा। प्रत्येक मामले में सुरक्षा की प्रकृति (अर्थात् प्रधान अथवा समपाश्विक) पृथक से निर्दिष्ट करनी होगी।

(c) जहाँ ऋणों की गारंटी संचालकों अथवा अन्यों ने दी है, प्रत्येक शीर्षक के अन्तर्गत ऐसे ऋणों को (ब्याज की दर और शोधन या परिवर्तन के विवरणों सहित) परिपक्वता या परिवर्तन के दूरस्थ शोधन या परिवर्तन तिथि से प्रारम्भ करते हुए अवरोही क्रम (descending order) में देना होगा।

(e) कम्पनी द्वारा शोधित ऐसे बन्धपत्रों या ऋणपत्रों के विवरण प्रकट करने होंगे, जिनके पुनर्निर्गमन का कम्पनी को अधिकार होगा।

(F) अवधि ऋणों (term loans) और अन्य ऋणों के पुनर्भुगतान की शर्ते बतलाई जायेंगी

(g) चिट्टे की तिथि पर ऋणों और ब्याज के भुगतान में लगातार चूक की अवधि और राशि प्रत्येक मामले में पृथक-पृथक निर्दिष्ट करनी होगी।

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(ब) आस्थगित कर दायित्व (शुद्ध) (Deferred Tax Liabilities – Net) : प्रत्येक वर्ष लेखांकन आय (Accounting Income) की करयोग्य आय (Taxable Income) से तुलना की जाती है और दोनों के बीच अन्तर को आस्थगित कर (Deferred Tax) कहा जाता है। यह एक दायित्व हो सकता है अथवा एक सम्पत्ति। यदि लेखांकन आय करयोग्य आय से अधिक है तो इसका परिणाम आस्थगित कर दायित्व होता है और इसे ‘गैर-चालू दायित्वों’ के अन्तर्गत दर्शाया जाता है। यदि लेखांकन आय करयोग्य आय से कम है तो इसका परिणाम आस्थगित कर सम्पत्ति होता है और इसे चिठे के सम्पत्ति भाग में ‘गैर-चालू सम्पत्तियों के अन्तर्गत दर्शाया जाता है। आस्थगित कर दायित्व और आस्थगित कर सम्पत्ति की राशि को वर्तमान शेष से समायोजित करके दिखलाया जाता है।

ध्यान रहे कि आस्थगित कर दायित्व (शुद्ध) और आस्थगित कर सम्पत्तियाँ (शुद्ध) केवल किताबी लेखा हैं, अर्थात् ये न तो वास्तविक दायित्व हैं और न वास्तविक सम्पत्ति। लेखांकन आय और करयोग्य में अन्तर होने पर ही ये अस्तित्व में आते हैं और दोनों आयों के बीच अन्तर अस्थायी प्रकृति का है। (स) अन्य गैर-चालू दायित्व (Other Non-current Liabilities) : इसमें निम्नलिखित दायित्व सम्मिलित होते हैं

(i) व्यापारिक देयें (Trade Payables) : व्यवसाय की सामान्य प्रक्रिया में क्रीत माल और ली गई सेवाओं के लिये देय राशियाँ व्यापारिक देयें कहलाती हैं। विविध लेनदार और देय बिलों को सम्मिलित रूप से व्यापारिक देयें कहा जाता है। इन्हें अन्य गैर-चाल दायित्व तभी माना जायेगा जबकि इनका निबटारा चिट्ठे की तिथि से 12 माह बाद किया जाना है।

(ii) अन्य (Others) : यदि कोई अन्य दायित्व जिसका भुगतान 12 माह बाद किये जाने पर सहमति है तो उसे यहाँ दिखलाया जायेगा, जैसे ऋणपत्र या पूर्वाधिकारी अंशों के शोधन पर देय प्रीमियम।

(द) दीर्घकालीन आयोजन (Long-term Provisions) : ये ऐसे आयोजन हैं जिनके विरुद्ध दायित्व चिट्ठे की तिथि के 12 माह बाद उत्पन्न होंगे । उदाहरण के लिये सेवा निवृत्ति लाभों के लिये आयोजन (Provision for Warranty Claims) आदि। दीर्घकालीन आयोजनों को (अ) सेवा-निवृत्ति लामा लिये आयोजन और (ब) अन्य (प्रकृति निर्दिष्ट करते हुए) में विभाजित करके दिखाया जायेगा। दीर्घकालीन आयोजनों की प्रत्येक मद को दीर्घकालीन आयोजनों पर नोट में प्रथक-पृथक प्रकट किया जाता है जिनका योग करके चिठे में दीर्घकालीन आयोजना के समक्ष एक राशि में दर्शाया जाता है।

4 चालू दायित्व (Current Liabilities) : अनुसूची III के अनुसार चालू दायित्वों में ऐसे दायित्व सम्मिलित होते हैं –

(i) जिनके कम्पनी के सामान्य परिचालन चक्र में निपटारे की प्रत्याशा

(ii) जो कि प्रधानतया व्यापार के लिये धारित किये जाते हैं,

(iii) जिनका सूचन तिथि के बाद 12 माह के अन्तर्गत निपटारा देय है,

(iv) कम्पनी के पास जिनके निपटारे को सूचन तिथि से 12 माह से अधिक के लिये स्थगित करने का शर्त रहित (unconditional) अधिकार नहीं है।

उपर्युक्त के अतिरिक्त सभी दायित्व गैर-चालू दायित्व होंगे। किसी व्यवसाय के परिचाललन चक्र का आशय किसी सम्पत्ति की प्राप्ति और ग्राहकों से उसके रोकड़ या रोकड़ तुल्यों में वसूली के बीच समय से है।

चालू दायित्वों का वर्गीकरण (Classification of Current Liabilities) : अनुसूची III के अनुसार चालू दायित्वों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया गया है :

(अ) अल्पकालीन उधारें (Short-term Borrowings) : ये कम्पनी की ऐसी उधारें हैं जो कि ऋण की तिथि से 12 माह के अन्तर्गत देय हैं। इन्हें निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया जायेगा :

(i) माँग पर भुगतान किये जाने वाले ऋण : बैंकों से

अन्य पक्षों से

(ii) सम्बन्धित पक्षों से ऋण और अग्रिम

(iii) जमायें।

(iv) अन्य ऋण और अग्रिमें (प्रत्येक की प्रकृति निर्दिष्ट करते हुए) उधारियों को पुनः रक्षित और अरक्षित में उप-विभाजित किया जायेगा। प्रत्येक मामले में प्रतिभूति की प्रकृति पृथक-पृथक निर्दिष्ट करनी होगी।

जहाँ ऋणों की गारंटी कम्पनी के संचालकों या अन्यों ने दी है, वहाँ प्रत्येक शीर्ष (head) के अन्तर्गत ऐसे ऋणों की कुल राशि पृथक-पृथक प्रकट करनी होगी।

चिटठे की तिथि पर ऋणों और ब्याज के भुगतान में चूक की अवधि और राशि प्रत्येक मामले में पृथक-पृथक निर्दिष्ट करनी होगी।

(ब) व्यापारिक देयें (Trade Payables) : किसी देय को व्यापारिक देय माना जायेगा यदि यह व्यवसाय की सामान्य प्रकिया में क्रीत माल या ली गयी सेवाओं के कारण देय हुआ है। इन्हें चालू दायित्व के अन्तर्गत तभी सम्मिलित किया जायेगा जबकि ये 12 माह  के अन्तर्गत देय हैं। (

(स) अन्य चालू दायित्व (Other Current Liabilities): इनमें निम्नलिखित दायित्व सम्मिलित हैं :

(i) दीर्घकालीन ऋणों की चालू परिपक्वतायें : इसका आशय दीर्घकालीन उधारों में से चिट्ठे की तिथि से 12 माह के अन्तर्गत देय राशि से है।

(ii) वित्त पट्टा बाध्यताओं की चालू परिपक्वतायें।

(iii) उधारों पर उपार्जित किन्तु देय नहीं ब्याज।

(iv) उधारों पर उपार्जित और देय ब्याज।

(v) अग्रिम में प्राप्त आय।

(vi) भुगतान न किये गये लाभांश।

(vii) आवेदन पर प्राप्त वापस किये जाने वाली धन-राशि और उस पर देय ब्याज, इनके आबंटन की तिथि के बाद लम्बित होने की अवधि बतलाते हुए।

(viii) भुगतान न की गई परिपक्व जमायें और उन पर उपार्जित ब्याज।

(ix) भुगतान न किये गये परिपक्व ऋणपत्र और उन पर उपार्जित ब्याज।

(x) अग्रिम याचनायें।

(xi) अन्य देयें (प्रत्येक की प्रकृति निर्दिष्ट करनी होगी) : उदाहरण के लिये, अदत्त व्यय, देय प्राविडेन्ट फन्ड, देय ई०एस० आई०, देय स्रोत पर काटा गया कर (TDS), देय सेवा कर, देय केन्द्रीय बिक्री कर, देय वैट आदि।

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(द) अल्पकालीन आयोजन (Short-term Provisions) : ये वे आयोजन हैं जिनके विरुद्ध दायित्व सम्भवतः चिठे की तिथि के 12 माह के अन्तर्गत उत्पन्न होने हैं। उदाहरण के लिये, टेलीफून व्ययों के लिये आयोजन, बिजली व्यय के लिये आयोजन, चिट्ठे की तिथि के 12 माह के अन्तर्गत सेवा-निवृत्त होने वाले कर्मचारियों का कर्मचारी लाभों के लिये आयोजन, कर के लिये आयोजन, प्रस्तावित लाभांश, संदिग्ध ऋणों के लिये आयोजन (इसे चिट्ठे के सम्पत्ति भाग में विविध देनदारों से भी घटाया जा सकता है), निगम लाभांश कर के लिये आयोजन, अन्य आयोजन। अल्पकालीन आयोजन को (अ) कर्मचारी लाभों के लिये आयोलन और (ब) अन्य आयोजन में विभाजन किया जायेगा।

सम्पत्तियाँ (Assets)

अनुसूची III में सम्पत्तियों को मोटे तौर पर दो वर्गों में विभाजित किया गया है :

  1. गैर-चालू सम्पत्तियाँ (Non-Current Assets)
  2. चालू सम्पत्तियाँ (Current Assets)

 

1 गैर-चालू सम्पत्तियाँ (Non-Current Assets) : चालू सम्पत्तियों के अतिरिक्त अन्य सभी सम्पत्तियाँ गैर-चालू सम्पत्तियाँ होंगी। इन सम्पत्तियों को निम्न क्रम में दर्शाया जायेगा :

(अ) स्थायी सम्पत्तियाँ (Fixed Assets)

(ब) गैर-चालू विनियोग (Non-Current Investments)

(स) आस्थगित कर सम्पत्तियाँ (शुद्ध) (Deferred Tax Assets – Net)

(द) दीर्घकालीन ऋण और अग्रिम (Long-term Loans and Advances)

(इ) अन्य गैर-चालू सम्पत्तियाँ (Other Non-Current Assets)

(अ) स्थायी सम्पत्तियाँ (Fixed Assets) : ये वे सम्पत्तियाँ हैं जिन्हें दीर्घकाल तक उपयोग के उद्देश्य से क्रय किया जाता है, न कि सामान्य व्यवसाय क्रिया में विक्रय के लिये। ये निम्न प्रकार वर्गीकत की जाती हैं :

(1) मूर्त सम्पत्तियाँ (Tangible Assets) : ये वे सम्पत्तियाँ हैं जिनका भौतिक अस्तित्व होता है और इसलिये इन्हें देखा औरस्पर्श किया जा सकता है, उदाहरणार्थ भूमि, भवन, फर्नीचर, गाड़ियाँ आदि। (a) मूर्त सम्पत्तियाँ निम्न प्रकार वर्गीकृत की जायेंगी :

(i) भूमि

(ii) भवन

(iii) संयंत्र और साजसज्जा

(iv) फर्नीचर और फिक्चर्स

(v) गाड़ियाँ

(vi) कार्यालय साजसज्जा

(vii) अन्य (प्रकृति स्पष्ट करते हुए)

(b) सम्पत्ति के प्रत्येक वर्ग के अन्तर्गत पट्टे पर ली गई सम्पत्तियों को पृथक से निर्दिष्ट करना होगा।

 (c) सूचन अवधि के प्रारम्भ और गों व्यवसाय संगमों के माध्यम से प्राप्तियों और अन्य समायोजनों और सम्बन्धित हास और अति से जिसमें वृद्धियों, विक्रयों, व्यवसाय संगमों के माध्यम से प्राप्तियों हानियों को पृथक से प्रकट करना होगा।

(d) जब पूजी की घटौती या सम्पत्तियों के पनल्यांकन पर यदि किसी सम्पत्ति की राशि अपलिखित की गई ह अथवा सम्पत्तियों के पुनर्मूल्यांकन पर कोई राशि जोडी गई है तो ऐसे अपलेखन या वृद्धि की तिथि के बाद प्रत्येक चिट्ठे में घट हुए या बढ़ हुए अंक (जैसा भी लागू हो) दर्शाये जायेंगे तथा नोट के रूप में ऐसे घटौती या बढ़ोत्तरी की तिथि के बाद के प्रथम पाँच वर्षों में घटौती या वृद्धि की राशि उसकी तिथि सहित दर्शाना होगा।

अमूर्त सम्पत्तियाँ (Intangible Assets) : अमूर्त सम्पत्तियाँ वे सम्पत्तियाँ हैं जिनका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं होता है। और इसलिये इन्हें न तो देखा जा सकता है और न ही स्पर्श किया जा सकता है। (a) अमूर्त सम्पत्तियाँ निम्न प्रकार वर्गीकृत की जायेंगी :

(i) ख्याति

(ii) ब्राण्ड/व्यापार चिन्ह

(iii) कम्प्यूटर सौफ्टवेयर

(iv) मास्टहैड्स और प्रकाशन शीर्षक (Mastheads and Publishing Titles)

(v) खनन अधिकार

(vi) कापीराइट्स और पेटेन्ट्स और अन्य बौद्धिक सम्पदा अधिकार, सेवायें और परिचालन अधिकार

(vii) नुस्खे, फारमूले, माडल्स, डिजाइन्स और प्रोटोटाइप्स

(viii) लाइसेंस और फ्रेन्चाइज

(ix) अन्य (प्रकृति निर्दिष्ट करते हुए)।

(b) सूचन अवधि के प्रारम्भ और अन्त में प्रत्येक वर्ग की सम्पत्तियों की सकल और शुद्ध ले जाई गई राशियों का मिलान जिसमें वृद्धियों, विक्रयों, व्यवसाय संगमों के माध्यम से प्राप्तियों और अन्य समायोजनों और सम्बन्धित हास और क्षति से हानियों को पृथक से प्रकट करना होगा।

(c) जब पूँजी की घटौती या सम्पत्तियों के पुनर्मूल्यांकन पर यदि किसी सम्पत्ति की राशि अपलिखित की गई है अथवा जब सम्पत्तियों के पुनर्मूल्यांकन पर कोई राशि जोड़ी गई है तो ऐसे अपलेखन या वृद्धि की तिथि के बाद प्रत्येक चिठे में घटे हए या बढे हए अंक (जैसा भी लागू हो) दर्शाये जायेंगे तथा नोट के रूप में ऐसी घटौती या बढोत्तरी की तिथि के बाद के प्रथम पाँच वर्षों में घटौती या वृद्धि की राशि उसकी तिथि सहित दर्शाना होगा।

Final Accounts Company Notes

III. पूँजीगत चालू कार्य (Capital Work-in-Progress) : इसका आशय निर्माणाधीन स्थायी मूर्त सम्पत्तियों से है।

iv विकासाधीन अमूर्त सम्पत्तियाँ (Intangible Assets Under Development) : इसका आशय कम्पनी द्वा किये जा रहे पेटेन्ट्स, बौद्धिक सम्पदा अधिकार आदि अमूर्त सम्पत्तियों से है।

(ब) गैर-चालू विनियोग (Non-Current Investments) : इस शीर्षक के अन्तर्गत केवल वे ही विनियोग दर्शाये जाते हैं जो कि भाय आय अर्जन के लिये (न कि पुनः विक्रय के लिये) प्राप्त तथा धारित किये जाते हैं अथवा जो व्यापारिक उददेश्य से भारित किये जाते हैं, जैसे सहायक कम्पनी में अंश। दूसरी ओर वे विनियोग जो पुनः विक्रय से लाभार्जन के इरादे से प्राप्त किये बाल अथवा व्यापारिक रहतिया की तरह धारित किये जाते हैं, उन्हें ‘चालू सम्पत्तियाँ’ शीर्षक के अन्तर्गत दर्शाया जाता है।

गैर-चाल विनियोगों को फिर ‘व्यापारिक विनियोग’ (Trade Investments) और ‘अन्य विनियोगों’ (Other वर्गीक्रत किया जाता है ।व्यापारिक विनियोग वे विनियोग हैं जो एक कम्पनी द्वारा अपने व्यापार और पाने के लिये दसरी कम्पनी (जो कि इसकी सहायक कम्पनी नहीं है) के अंशों या ऋणपत्रों में किये जाते हैं। अन्य। विनियोग वे विनियोग हैं जो व्यापारिक विनियोग नहीं हैं।

(i) गैर-चाल विनियोगों को निम्नलिखित शीर्षकों में वर्गीकृत किया जाता है।

(a) स्थायी सम्पत्तियों (जायदादों) में विनियोग

(b) समता विलेखों में विनियोग

(c) पूर्वाधिकारी अंशों में विनियोग

(d) सरकारी या प्रन्यास प्रतिभूतियों में विनियोग

(e) ऋणपत्रों या बन्धपत्रों में विनियोग

(f ) म्यूचल फण्ड्स में विनियोग

(g) साझेदारी फर्मों में विनियोग

(h) अन्य गैर-चालू विनियोग (प्रकृति निर्दिष्ट करते हुए)।

(ii) प्रत्येक वर्गीकरण के अर्न्तगत उन निगमीय निकायों के नामों के ब्यौरे देने होंगे (पृथक से यह बतलाते हुए कि क्या ये निकायें (a) सहायक कम्पनियाँ, (b) सहयोगी कम्पनियाँ (c) संयुक्त साहस संस्थायें या (d) नियंत्रित विशेष उद्देश्यीय इकाइयाँ हैं, जिनमें विनियोग किये गये हैं और ऐसी प्रत्येक निगमीय निकाय में किये गये विनियोग की मात्रा का उल्लेख करना होगा तथा अंशतः दत्त विनियोगों को पृथक से दिखाना होगा। साझेदारी फर्मों की पूंजी में विनियोगों के सम्बन्ध में फर्मों के नाम (उनके साझेदारों ने नाम, कुल पूँजी और प्रत्येक साझेदार का हिस्सा सहित) देने होंगे।

(iii) लागत के अलावा किसी अन्य आधार पर आगे ले जाये जा रहे विनियोगों का पृथक से उल्लेख करना होगा, उसके मूल्यांकन का आधार निर्दिष्ट करते हुए।

(iv) निम्नलिखित प्रकटीकरण आवश्यक होगा :

(a) उद्धृत विनियोगों (quoted investments) की कुल राशि और उनका बाजार मूल्य।

(b) अ-उद्धृत (unquoted) विनियोगों की कुल राशि।

(c) विनियोगों के मूल्य में कमी के लिये कुल आयोजन

Final Accounts Company Notes

(स) आस्थगित कर सम्पत्तियाँ-शुद्ध (Deferred Tax Assets – Net) : जब वर्ष में कम्पनी की लेखांकन आय वर्ष की करयोग्य आय से कम है तो इसका परिणाम आस्थगित कर सम्पत्ति होगा जिसे यहाँ दिखलाया जायेगा।

(द) दीर्घकालीन ऋण और अग्रिम (Long-term Loans and Advances) : दीर्घकालीन ऋण और अग्रिम वे ऋण और अग्रिम हैं। जिनके चिट्ठे की तिथि के 12 माह बाद नकदी या वस्तु (cash or kind) में वापस प्राप्त होने की प्रत्याशा है।

(i) दीर्घकालीन ऋण और अग्रिमों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जायेगा :

(a) पूँजीगत अग्रिम – ये स्थायी सम्पत्तियों को प्राप्त करने के लिये दिये गये अग्रिम होते हैं।

(b) चिठे की तिथि से 12 माह से अधिक की अवधि के लिये प्रतिभूति जमायें (security deposits) को दीर्घकालीन प्रतिभूति जमाओं के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। उदाहरण के लिये, बिजली, टेलीफून आदि के लिये प्रतिभूति जमायें।

(c) सम्बन्धित पक्षों को दिये गये ऋण और अग्रिम (उनका ब्यौरा देते हुए)।

(d) अन्य ऋण और जमायें (प्रकृति निर्दिष्ट करते हुए) : उदाहरण के लिये, कर्मचारियों को दीर्घ-अवधि के ऋण,

आपूर्तिकर्ताओं को दीर्घ-अवधि के अग्रिम आदि।

उयुक्त को निम्न प्रकार उप-विभाजित किया जायेगा :

(a) रक्षित, और अच्छा माना गया,

(b) अरक्षित और अच्छा माना गया;

(c) संदिग्ध।

(iii) डूबत और संदिग्ध ऋण और अग्रिमों के लिये अधिदेयों (Allowances) को सम्बद्ध शीर्षों (heads) के अन्तर्गत पृथक से प्रकट किया जायेगा।

(iv) कम्पनी के संचालकों या अन्य अधिकारियों या उनमें से किसी पर पृथक से या किन्हीं अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से देय ऋण और अग्रिम अथवा ऐसी फर्मों या निजी कम्पनियों पर देय राशियाँ जिनमें कम्पनी का कोई संचालक क्रमशः एक साझेदार या एक संचालक या एक सदस्य है, का पृथक से उल्लेख करना होगा।

(ड) अन्य गैर-चालू सम्पत्तियाँ (Other Non-Current Assets) : इन्हें निम्न प्रकार वर्गीकत किया जायेगा :

(A) दीर्घ अवधि के व्यापारिक प्राप्य (आस्थगित उधार की शर्तों पर व्यापारिक प्राप्यों को सम्मिलित करते हए)

(i) दीर्घ अवधि के व्यापारिक प्राप्यों को निम्न प्रकार उप-विभाजित किया जायेगा : ।

(a) रक्षित, अच्छे माने गये;

(b) अरक्षित, अच्छे माने गये;

(c) संदिग्ध।

(ii) डूबत आर सदिग्ध ऋणों के लिये अधिदेयों (Allowances) को सम्बद्ध शीर्षकों के अन्तर्गत पथकस प्रकट

(iii) कम्पनी के संचालकों या अन्य अधिकारियों या उनमें से किसी पर पृथक से या किन्हीं अन्य व्यक्तियाँ के साथ सयुपरा कम य ऋण आर अग्रिम अथवा ऐसी फर्मों या निजी कम्पनियों पर देय राशियाँ जिनमें कम्पनी का कोई संचालक क्रमशः एक साझेदार या एक संचालक या एक सदस्य है. का पृर्थक से उल्लेख करना होगा।

(B) अन्य ( पथृक निद्रिष्ट करते हुए ) : उदाहरण के लिये, अ-अपलिखित (unamortized) व्यय या हानियाँ, प्राप्य बीमा दावे, बेची गई सम्पत्तियों पर देय राशि आदि।

2 चालू सम्पत्तियाँ (Current Assets) : चालू सम्पत्तियों में ऐसी सम्पत्तियाँ सम्मिलित होती हैं –

(a) जिनके कम्पनी की सामान्य परिचालन प्रक्रिया में वसूली, बेचे जाने या उपभुक्त की प्रत्याशा है।

(b) जो कि प्रधानतया व्यापार के लिये धारित हैं।

(c) जिनकी सूचन तिथि के बाद 12 माह के अन्तर्गत वसूली की प्रत्याशा है।

(d) रोकड़ और रोकड़ तुल्य, जब तक कि इन्हें चिटठे की तिथि के कम से कम 12 माह बाद के लिये एक दायित्व के निपटारे के लिये विनिमय या प्रयोग के लिये सीमित नहीं कर दिया गया हो।

चालू सम्पत्तियों का वर्गीकरण (Classification of Current Assets) : कम्पनी के चिट्ठे में चालू सम्पत्तियों को निम्नलिखित क्रम में दिखलाया जाता है :

(अ) चालू विनियोग (Current Investments) :

(i) चालू विनियोगों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जायेगा

(a) समता विलेखों में विनियोग;

(b) पूर्वाधिकारी अंशों में विनियोग;

(c) सरकारी या प्रन्यास प्रतिभूतियों में विनियोगः

(d) ऋणपत्रों या बन्धपत्रों में विनियोग;

(e) म्यूचल फण्ड्स में विनियोग;

(1) साझेदारी फर्मों में विनियोग;

(g) अन्य विनियोग (प्रकृति निर्दिष्ट करते हुये)।

(ii) प्रत्येक वर्गीकरण के अन्तर्गत उन निगमीय निकायों के नामों के ब्यौरे देने होंगे (पृथक से यह बतलाते हए कि क्या ये। निकायें (a) सहायक कम्पनियाँ, (b) सहयोगी कम्पनियाँ (c) संयुक्त साहस संस्थायें या (d) नियंत्रित विशेष उददेश्यीय इकाइयाँ हैं जिनमें विनियोग किये गये हैं और ऐसी प्रत्येक

निगमीय निकाय में किये गये विनियोग की सीमा। साझेदारी फों की पंजी में विनियोगों के सम्बन्ध में फर्मों के नाम (उनके साझेदारों ने नाम, कुल पूँजी और प्रत्येक साझेदार का हिस्सा सहित) देने होंगे।

(iii) निम्नलिखित प्रकटीकरण भी आवश्यक होगा :

(a) प्रत्येक विनियोग के मूल्यांकन का आधार;

(b) उद्धृत विनियोगों की कुल राशि और उनका बाजार मूल्य;

(c) अ-उद्धृत विनियोगों की कुल राशि;

(d) विनियोगों के मूल्यों में कमी के लिये किया गया आयोजन।

(ब) वस्तु-सूची (Inventories):

(i) इसे निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जायेगा :

(a) कच्ची सामग्री;

(b) चालू कार्य;

(c) तैयार माल;

(d) व्यापार के लिये क्रय किये माल का स्कन्धः

(e) स्टोर्स और स्पेयर्स;

(1) छोटे-छोटे औजार;

(g) अन्य (प्रकृति निर्दिष्ट करते हुये)।

(ii) रास्ते में माल (Goods-in-transit) को वस्तु-सूची के सम्बद्ध उप-शीर्ष (sub-head) के अन्तर्गत प्रकट किया जायेगा।

(iii) प्रत्येक मद के मूल्यांकन का उल्लेख करना होगा।

Final Accounts Company Notes

(स) व्यापारिक प्राप्य (Trade Receivables) : व्यापारिक सौदों के कारण आहरित प्राप्य बिल और व्यापारिक देनदारों को सम्मिलित रूप से व्यापारिक प्राप्य कहा जाता है। अन्य कारणों से हुए प्राप्य बिलों को ‘अल्पकालीन ऋण और अग्रिम’ या ‘अन्य चालू सम्पत्तियों’ के अन्तर्गत सम्मिलित किया जायेगा। खातों पर टिप्पणियों में व्यापारिक प्राप्यों के सम्बन्ध में

निम्नलिखित प्रकटीकरण अपेक्षित हैं :

(i) भुगतान के लिये देय होने की तिथि से 6 माह से अधिक अवधि के अदत्त व्यापारिक प्राप्यों की राशि का पृथक से उल्लेख करना होगा।

(ii) व्यापारिक प्राप्यों को निम्न प्रकार उप-वर्गीकृत किया जायेगा :

(a) रक्षित, अच्छे माने गये;

(b) अरक्षित, अच्छे माने गये;

(c) संदिग्ध।

(iii) डूबत और संदिग्ध ऋणों के लिये अधिदेयों को सम्बद्ध शीर्षों के अन्तर्गत पृथक से प्रकट करना होगा। (iv) कम्पनी के संचालकों या अन्य अधिकारियों या उनमें से किसी पर पृथक से या किन्हीं अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से देय ऋण और अग्रिम अथवा ऐसी फर्मों या निजी कम्पनियों पर देय राशियाँ जिनमें कम्पनी का कोई संचालक क्रमशः एक साझेदार या एक संचालक या एक सदस्य है, का पृथक से उल्लेख करना होगा।

रोकड़ और रोकड़ तुल्य (Cash and Cash Equivalents):

(i) रोकड़ और रोकड़ तुल्यों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जायेगा :

(a) बैंकों में शेष,

(b) हस्तस्थ चैक और ड्राफ्ट,

(c) अन्य (प्रकृति निर्दिष्ट करते हुये)।

(ii) बैंकों में विशेष उद्देश्यीय (earmarked) शेषों (उदाहरणार्थ, भुगतान न किये लाभांश के लिये जमा राशि) का पृथक से उल्लेख करना होगा।

(iii) उधारों, गारंटियों और अन्य वायदों के विरुद्ध जमानत या मार्जिन मनी के रूप में बैंकों के साथ शेष राशियाँ ।

(iv) रोकड़ और बैंक शेषों को स्वदेश लाने पर प्रतिबन्ध, यदि कोई है, का पृथक से उल्लेख करना होगा।

(v) 12 माह से अधिक परिपक्वता वाली बैंक जमाओं को पृथक से प्रकट करना होगा।

(इ) अल्पकालीन ऋण और अग्रिम (Short-term Loans and Advances) : अल्पकालीन ऋण और अग्रिम वे ऋण और अग्रिम हैं जिनकी वसूली चिठे की तिथि से 12 माह के अन्तर्गत अथवा परिचालन चक्र के अन्तर्गत (यदि परिचालन चक्र 12 माह से अधिक है) प्रत्याशित है।

(i) अल्पकालीन ऋण और अग्रिमों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जायेगा :

(a) सम्बन्धित पक्षों को ऋण और अग्रिम (उनके ब्यौरे देते हुए)

(b) अन्य (प्रकृति निर्दिष्ट करते हुये)। .

(ii) उपर्युक्त निम्न प्रकार से उप-वर्गीकत किये जायेंगे :

(a) रक्षित, अच्छे माने गये;

(b) अरक्षित, अच्छे माने गये;

(c) संदिग्ध।

(iii) डबत और संदिग्ध ऋण और अग्रिमों के लिये अधिदेयों (Allowances) को सम्बद्ध शीर्षकों के अन्तर्गत पृथक से प्रकट किया जायेगा।

(iv) कम्पनी के संचालकों या अन्य अधिकारियों या उनमें से किसी पर पथक से या किन्हीं अन्य व्यक्तियों के साथ सयुक्त रूप से देय ऋण और अग्रिम अथवा ऐसी फर्मों या निजी कम्पनियों पर देय राशियाँ जिनमें कम्पनी का कोई संचालक क्रमशः

एक साझेदार या एक संचालक या एक सदस्य है, का पृथक से उल्लेख करना होगा।

(फ) अन्य चालू सम्पत्तियाँ (Other Current Assets) : उपर्युक्त के अतिरिक्त सभी चालू सम्पत्तियाँ इस शीर्ष में सम्मिलित की जायेंगी। उदाहरण के लिये, चिठे की तिथि से 12 माह के अन्तर्गत अपलिखित किये जाने वाले अपलिखित नहीं किये गये

व्यय और हानियाँ, पूर्वदत्त व्यय, प्राप्य लाभांश, अग्रिम कर आदि।

अपलिखित न किये गये व्यय और हानियाँ (Unamortised Expenditure and Losses)

कम्पनी अधिनियम 1956 के अन्तर्गत इन्हें सम्पत्ति पक्ष में ‘विविध व्यय’ (Miscellaneous Expenditure) शीर्षक के अन्तर्गत दिखलाया जाता था। किन्तु कम्पनी अधिनियम 2013 के अन्तर्गत अनुसूची III में चिट्ठे के प्रारूप में इसका कोई पृथक उल्लेख नहीं है। चूंकि लेखांकन प्रमाप में कुछ प्रकार के व्ययों का स्थगन (deferral) आवश्यक माना गया है, अतः अपलिखित न किये गये व्यय और हानियों को इनके अपलेखन की अवधि के आधार पर ‘अन्य चाल सम्पत्तियों’ अथवा ‘अन्य गैर-चालू सम्पत्तियों’ के अन्तर्गत दिखलाया जायेगा। यदि इनका अपलेखन चिट्ठे की तिथि के 12 माह के अन्तर्गत किया जाता है तो इन्हें अन्य चालू सम्पत्तियों के अन्तर्गत दिखाया जायेगा किन्तु यदि इनके अपलेखन की अवधि अगले 12 माह या उसके बाद की है तो इन्हें गैर-चालू सम्पत्तियों में दिखलाया जाना चाहिये। जिन व्ययों का लेखांकन प्रमाप के अन्तर्गत स्थगन स्वीकृत नहीं है, उन्हें संचितियों और आधिक्य से समायोजित कर देना चाहिये

खातों पर टिप्पणियों में अन्य प्रकटीकरण (Other Disclosures in Notes to Accounts)

1 समता और पूर्वाधिकार अंशधारियों को अवधि के लिये वितरित की जाने वाली प्रस्तावित लाभांश की राशि और सम्बन्धित प्रति अंश राशि पृथक से प्रकट की जायेगी। पूर्वाधिकार अंशों पर स्थिर संचयी लाभांश की अवशिष्ट राशियाँ पृथक से प्रकट की जायेंगी।

2 किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिये प्रतिभूतियों के निर्गम के सम्बन्ध में जहाँ चिट्ठे की तिथि तक सम्पूर्ण राशि या उसका कोई भाग विशिष्ट उद्देश्य के लिये प्रयोग में नहीं लाया जा सका है तो टिप्पणी द्वारा बतलाना होगा कि ऐसी अप्रयुक्त राशियों का कैसे उपयोग या विनियोग किया गया।

3. यदि संचालक मण्डल की राय में स्थायी सम्पत्तियों और गैर-चालू विनियोगों के अतिरिक्त सम्पत्तियों में से किसी सम्पत्ति का सामान्य व्यवसाय काल में इसकी दिखायी गयी राशि के कम से कम बराबर वसूली मूल्य नहीं है तो इस तथ्य को बतलाना होगा।

Final Accounts Company Notes

संयोगिक दायित्व और वायदे जिसके लिये कोई आयोजन नहीं किया गया है  

(Contingent Liabilities and Commitments to the extent not provided for)

(अ) संयोगिक दायित्व (Contingent Liabilities) : I.C.A.I. द्वारा निर्गत लेखांकन मानदण्ड 29 के अनुसार, “संयोगिक दायित्व एक सम्भावित बाध्यता है जो कि गत घटनाओं से उत्पन्न होती है तथा जिसके अस्तित्व की पुष्टि केवल एक या अधिक अनिश्चित भावी घटनाओं, जो कि उपक्रम के पूर्णतया नियन्त्रण में नहीं हैं, के घटने या न घटने द्वारा होगी।” इस प्रकार ये वे दायित्व होते हैं जिनका होना या न होना भविष्य की किसी घटना पर निर्भर करता है। अंशधारियों के सामान्य ज्ञान के लिये इन्हें चिटठे के बाद खातों पर टिप्पणियों के रूप में दिखलाना चाहिये। संयोगिक दायित्वों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जायेगा :

(i) कम्पनी के विरुद्ध दावे जिन्हें ऋण नहीं स्वीकार किया गया है।

(ii) गारंटियाँ;

(iii) अन्य धन जिनके लिये कम्पनी संयोगिक रूप से उत्तरदायी है।

(वायदे Commitments): वायदों का आशय कम्पनी द्वारा भविष्य में लिये जाने के लिये सहमत क्रियाओं के कारण वित्तीय वायदों से है। इन्हें निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जायेगा :

(i) पूजीगत खाते पर कार्यान्वित होने से बचे प्रसंविदों की अनुमानित राशि और जिसके लिये आयोजन नहीं किया गया है।

(ii) अंशतः दत्त अंशों और अन्य विनियोगों पर अयाचित दायित्व।

(iii) अन्य वायदे (प्रकृति निर्दिष्ट करते हुये)

विनियोक्ता शिक्षा और सुरक्षा कोष (Investor Education and Protection Fund)

कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 125 (1) के अनुसार केन्द्रीय सरकार एक कोष स्थापित करेगी जो कि विनियोक्ता शिक्षा और सुरक्षा कोष कहलायेगा। यह कोष 31-10-1998 को स्थापित किया गया था।

कोष में जमा की जाने वाली राशियाँ (Amounts to be credited to the Fund) : कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 125 (2) के अनुसार इस कोष में निम्नलिखित राशियाँ क्रेडिट की जायेंगी :

(i) लोकसभा द्वारा उचित नियोजन के पश्चात् केन्द्र सरकार द्वारा अनुदान के रूप में दी गई राशि;

(ii) केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों, कम्पनियों अथवा किसी अन्य संस्थान द्वारा कोष के लिये दिया गया दान;

(iii) धारा 124 (5) के अन्तर्गत कोष को हस्तान्तरित की गई कम्पनियों के अशोधित लाभांश खाता (Unpaid Dividend Account) की राशियाँ जिनका इस खाते में हस्तान्तरण की तिथि से 7 वर्ष तक भुगतान नहीं किया जा सका है;

(iv) केन्द्र सरकार के सामान्य आगम खाते (General Revenue Account) की राशि जो कम्पनी अधिनियम 1956 की धारा 205 (A) (5) के अन्तर्गत इस खाते में हस्तान्तरित की गई थी और इस अधिनियम के प्रारम्भ में अशोधित या बिना दावा किये (unpaid or unclaimed) रह गई है;

(v) कम्पनी अधिनियम 1956 की धारा 205 (C) के अन्तर्गत विनियोक्ता शिक्षा और सुरक्षा कोष में पड़ी राशि;

(vi) कोष से किये गये विनियोगों से प्राप्त ब्याज और अन्य आय ; (vii) धारा 38 (4) के अन्तर्गत दोषी ठहराये गये व्यक्तियों की प्रतिभूतियों के विक्रय से प्राप्त राशि;

(viii) कम्पनी द्वारा किसी प्रतिभूति के आबंटन के लिये प्राप्त आवेदन राशियाँ जो उनके देय होने की तिथि के बाद 7 वर्ष तक वापस न की जा सकी हैं;

(ix) बैंकिंग कम्पनियों के अतिरिक्त अन्य कम्पनियों पर परिपक्व जमायें जो देय हो जाने की तिथि से 7 वर्ष तक वापस नहीं की सकी हैं;

(x) कम्पनियों के पास परिपक्व ऋणपत्र जिनका परिपक्व होने की तिथि से 7 वर्ष तक भुगतान नहीं किया जा सका है।

(xi) उपर्युक्त (viii) से (x) में बतलायी गई राशियों पर उपार्जित ब्याज;

(xii) बोनस अंशों के निर्गम, विलय और एकीकरण के कारण उदित खण्डित अंशों (fractional shares) की बिक्री से प्राप्त राशि जो 7 या अधिक वर्षों से चुकता नहीं की गई है;

(xiii) पूर्वाधिकार अंशों पर शोधन राशि जो 7 या अधिक वर्षों से अशोधित या दावा नहीं हुई है; (xiv) ऐसी अन्य कोई राशि जो उसके लिये निर्धारित की जाती है।

कोष का उपयोग (Utilisation of Fund) : कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 125 (3) के अनुसार इस कोष में जमा धन का उपयोग निम्न के लिये किया जायेगा :

(i) दावा न किये गये लाभांशों, परिपक्व जमाओं, परिपक्व ऋणपत्रों, वापसी (refund) के लिये देय आवेदन राशि और उस पर ब्याज के सम्बन्ध में वापसी,

(ii) विनियोक्ताओं की शिक्षा, जागरूकता और सुरक्षा बढ़ाना,

(iii) न्यायालय जिसने छीनने (disgorgement) के लिये आदेश दिया था, उसके आदेशों के अनुरूप अंशधारियों, ऋणपत्रधारियों या जमाकतोओं, जिन्हें किसी व्यक्ति की गलत कार्यवाहियों के कारण हानि हुई, को अंशों या ऋणपत्रों के लिये पात्र और सही पहिचाने आवेदकों के बीच किसी छीनी गई राशि (disgorged amount) का वितरण,

(iv) धारा 37 और 245 के अन्तर्गत सदस्यों, ऋणपत्रधारियों या जमाकर्ताओं को वर्ग कार्यवाही के मुकद्दमों की पैरवी में किये गये। कानूनी व्ययों की प्रतिपूर्ति, जिसे ट्रिबुनल स्वीकृत (sanction) करे।

(v) निर्धारित नियमों के अनुरूप किसी अन्य उद्देश्य के लिये धारा 125 (4) के अनुसार धारा 125 (2) के अन्तर्गत हकदार व्यक्ति को दावा की गई राशि के भुगतान के लिये धारा 125

(5) के अन्तर्गत गठित प्राधिकारी के समक्ष आवेदन करना होगा।

उदाहरण 1. निम्नलिखित सम्पत्तियों और दायित्वों की सूची से कम्पनी अधिनियम 2013 की अनुसूची III के भाग I के अनुसार। निशान्त कम्पनी लि० का चिट्ठा तैयार करो :

From the list of following assets and liabilities, prepare the Balance Sheet of Nishant Company Ltd. as per Part I of Schedule III, of the Companies Act, 2013 :

 

The Directors have Proposed final equity dividend at 20% and appropriation of 7,00,000 ti general reserve , lgnore  Corporate Dividend Tax .

 

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chetansati

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