BCom 3rd Year Financial Inventory Management Study Material notes in Hindi

Table of Contents

BCom 3rd Year Financial Inventory Management Study Material notes in Hindi: Meaning of Inventory  Motives for Holding Inventory Objective of Inventory Management  Importance of Inventory management  Techniques of Inventory Management  Quantity Discount or Price Breaks  Determination of Stock Levels  Selective Inventory Control Techniques Inventory Turnover Ratio  Examination Questions Financial Inventory Management Long Answer Theoretical Questions Short Answer Questions Objective Questions  Numerical Questions

Financial  Inventory Management
Financial Inventory Management

 BCom 3rd Year Financial Management of Receivables Study Material Notes in hindi

स्कन्ध प्रबन्ध

(INVENTORY MANAGEMENT)

किसी भी व्यावसायिक संस्था की चाल सम्पत्तियों में स्कन्ध का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। उदाहरणार्थ भारत में प्रायः सभी कम्पनियों में चालू सम्पत्तियों का औसतन 60% भाग स्कन्ध में विनियोजित होता है । वस्ततः स्कन्ध में किसी भी संस्था की पर्याप्त पँजी विनियोजित होती है। अत: पँजी के अनावश्यक विनियोग को रोकने के लिए स्कन्ध का कुशल प्रबन्ध एवं प्रभावी नियन्त्रण परमावश्यक है। प्रस्तुत अध्याय में स्कन्ध के प्रबन्ध एवं नियन्त्रण की विभिन्न विधियों एवं तकनीकों की विस्तृत विवेचना की गई है।

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स्कन्ध का आशय

(Meaning of Inventory) 

‘इन्वेण्टरी’ का आशय सब प्रकार के ऐसे माल से है जो किसी कम्पनी या फर्म द्वारा अपने व्यवसाय के सामान्य संचालन के लिए स्टोर में रखा जाता है। सरल शब्दों में, इन्वेण्टरी में ऐसे समस्त माल को सम्मिलित किया जाता है जो स्थायी प्रकृति का नहीं होता वरन् उसे स्टोर में केवल इसलिए रखा जाता है जिससे कि उसका उपभोग व्यावसायिक उत्पादन में किया जा सके अथवा व्यवसाय के सामान्य संचालन में उसका विक्रय किया जा सके।

जॉन बाइजेल के अनुसार, “ऐसी सामग्री को स्कन्ध कहा जाता है जिसे भावी प्रयोग या बिक्री हेतु भण्डार में रखा जाता है।”

स्कन्ध में कच्चा माल (Raw Material), अर्द्ध-निर्मित माल (Work-in-Progress), सहायक सामग्री (Supplies), निर्मित माल (Finished Goods), संघटक हिस्से एवं साज-सामग्री (Component Parts and Equipements), आदि को शामिल किया जाता है।

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स्कन्ध धारण करने का प्रयोजन

(Motives for Holding Inventory)

प्रत्येक फर्म (चाहे वह बड़ी हो या छोटी अथवा व्यापारिक हो या निर्माणी) कुछ न कुछ न्यूनतम स्कन्ध अपने यहाँ अवश्य रखती है। स्कन्ध धारण किये जाने के परिणामस्वरूप न केवल फर्म के कोष अवरुद्ध होते हैं, बल्कि संग्रहण व्यय भी करने पड़ते हैं । स्पष्ट है कि स्कन्ध को धारण करना व्ययशील है, परन्तु प्रश्न यह है कि व्यावसायिक फर्मे स्कन्ध क्यों रखती हैं? स्कन्ध को धारण करने के विभिन्न प्रयोजन हो सकते हैं। र में, स्कन्ध धारण करने के प्रमुख प्रयोजन निम्नलिखित हैं …..

1 लेन-देन सम्बन्धी प्रयोजन (Transactionary Motive)-प्रत्येक फर्म को दैनिक विक्रय, उत्पादन प्रक्रिया एवं ग्राहकों की माँग को पूरा करने के लिए कुछ स्कन्ध अनिवार्य रूप से रखना पड़ता है। इस प्रयोजन हेतु निर्माणी फर्म कच्ची सामग्री एवं निर्मित माल दोनों का स्कन्ध रखती हैं जबकि व्यापारिक फर्म केवल निर्मित माल का ही स्कन्ध रखती है। ___

2 सतर्कता सम्बन्धी प्रयोजन (Precautionary Motive)-एक फर्म को विभिन्न आकस्मिकताओं (Contingencies) की पूर्ति हेतु भी स्कन्ध रखना आवश्यकता होती है । उदाहरण के लिए-हड़ताल, परिवहन व्यवधान, कम आपूर्ति आदि घटकों के कारण कच्ची सामग्री की आपूर्ति में विलम्ब हो सकता है। अतः इस प्रकार की परिस्थितियों का सामना करने के लिए स्कन्ध रखना जरूरी हो जाता है।

3. सट्टा सम्बन्धी प्रयोजन (Speculative Motive)-सट्टा सम्बन्धी प्रयोजन का सम्बन्ध जब कभी अनुकूल स्थितियाँ हों उस समय उत्पादन एवं विक्रय की आवश्यकता से अधिक स्कन्ध क्रय करने से है। उदाहरण के लिए बड़ी मात्रा में कच्ची सामग्री खरीदने पर क्रय मूल्य में छूट का प्रस्ताव होने पर प्रायः फर्म द्वारा आवश्यकता से अधिक कच्ची सामग्री क्रय कर ली जाती है। ऐसे लेन-देनों का स्वभाव सट्टेबाजी का होता है।

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स्कन्ध प्रबन्ध

(Inventory Management)

स्कन्ध प्रबन्ध का अभिप्राय कच्चे माल एवं आपूर्तियों, अर्द्ध-निर्मित माल एवं निर्मित माल की मात्रा तथा इनमें विनियोजित पूँजी के कुशल प्रबन्ध से है। वस्तुतः स्कन्ध के प्रबन्ध में निम्नलिखित दो मूलभूत समस्या समाहित हैं

(i) कुशल एवं निर्विघ्न उत्पादन एवं विक्रय क्रियाओं के लिये पर्याप्त आकार में स्कन्ध बनाये रखना।

(ii) लाभदायकता में वृद्धि करने के लिए स्कन्ध रखने से सम्बन्धित प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लागतों को __ कम करके स्कन्ध में न्यूनतम विनियोग करना।

स्कन्ध का प्रबन्ध अन्य चाल सम्पत्तियों के प्रबन्ध से भिन्न है। इसके प्रबन्ध में वित्तीय प्रबन्धक है। साथ-साथ अन्य विभागों जैसे-उत्पादन, क्रय एवं विपणन आदि विभागों के प्रबन्धकों का भी हस्तक्षेप रहता है। उत्पादन विभाग चाहता है कि वाँछित किस्म का कच्चा माल पर्याप्त मात्रा में सदैव उपलब्ध रहे ताकि उत्पादन कार्य में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो. विक्रय विभाग चाहता है कि निर्मित माल का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध रहे ताकि ग्राहकों को नियमित रूप से माल की सुपुर्दगी समय पर की जा सके। इसके विपरीत वित्तीय प्रबन्धक यह चाहता है कि स्कन्ध में अधिक पूँजी विनियोजित न की जाये क्योंकि अधिक स्कन्ध रखने से संस्था की पँजी अनावश्यक रूप से फंस जाती है जिससे संग्रहण लागते (Storage Cost) बढ़ जाती है।। अतः वित्तीय प्रबन्धक का कार्य परस्पर विरोधी विचारों का समाधान करके स्कन्ध के समुचित स्तरों का निर्धारण इस प्रकार करना है ताकि उत्पादन व बिक्री के कार्य में कोई रुकावट भी न आये एवं दूसरी ओर स्कन्ध में न्यूनतम धन विनियोजित हो और पूँजी की उत्पादकता में वृद्धि हो सके।

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स्कन्ध प्रबन्ध के उद्देश्य

(Objectives of Inventory Management)

रिचार्ड जे. होपमैन ने ‘स्कन्ध नियन्त्रण’ के निम्नलिखित उद्देश्य बताये हैं :

1 सामग्री में प्रयुक्त धन को न्यूनतम करना, ताकि पूँजी की उत्पादकता में वृद्धि हो सके।

2. सामग्री संग्रहण एवं भण्डारण लागत को न्यूनतम करना ताकि वहन लागत (Holding Cost) निरर्थक रूप से सामग्री लागत में वृद्धि का कारण न बन सके।

3. कुशल एवं व्यवस्थित रूप से सामग्री संग्रहण करना जिससे क्षय, छीजन,छुट-पुट चोरी एवं अप्रचलन की हानियों को न्यूनतम किया जा सके।

4.सामग्री का पर्याप्त स्तर एवं प्रवाह बनाये रखना जिससे उत्पादन अवरुद्ध न हो सके।

5. सामग्री की न्यूनतम सेवा लागत पर परिवहन, नौवहन एवं प्राप्ति की कुशलतम व्यवस्था करना ताकि सामग्री की कुल लागत में कमी की जा सके।

6. कुशल सामग्री संवहन प्रणाली का विकास करना तथा उसे बनाये रखना ताकि परिवर्तनों एवं व्यवधानों के बारे में यथाशीघ्र सूचना दी जा सके।

7. सामग्री ‘अधिप्राप्ति’ कार्य में आवश्यक सहयोग करना जिससे वांछित किस्म की सामग्री उचित मूल्य पर मितव्ययी ढंग से क्रय की जा सके।

8. सामग्री लागत की लेखा विभाग को जानकारी देना ताकि उत्पादन लागत एवं निर्धारण में सुविधा रहे 9. सामग्री आवश्यकताओं का पूर्वानुमान लगाना तथा सामग्री नियोजन एवं कार्यक्रम में सहयोग करना

उपर्युक्त विवेचन के आधार पर स्कन्ध प्रबन्ध के उद्देश्यों को निम्नलिखित शीर्षकों में अभिव्यक्त किया। जा सकता है

1. सामग्री में विनियोजित पूँजी को न्यूनतम करना-स्कन्ध प्रबन्ध के माध्यम से यह प्रयास किया जाता। है कि आवश्यक सामग्रियों का इतना ही स्टॉक रखा जाये ताकि उत्पादन व बिक्री के कार्य में कोई रुकावट भी। न आये तथा स्टॉक में न्यूनतम धन भी विनियोजित हो जिससे पूँजी की उत्पादकता में वृद्धि हो सके । इस। प्रकार स्कन्ध प्रबन्ध के द्वारा सामग्री में विनियोजित की जाने वाली पूँजी को न्यूनतम किया जाता है। । …

2. सामग्री लागत को न्यूनतम करना-स्कन्ध प्रबन्ध के द्वारा उचित मात्रा में ही सामग्री मदों का स्टॉक। रखा जाता है जिससे सामग्री वहन लागते (Materials Holding Cost) न्यूनतम आती हैं। इसके साथ-साथ प्रभावी स्कन्ध नियन्त्रण, न्यूनतम सेवा लागत पर सामग्री की परिवहन, नौवहन एवं प्राप्ति की भी कुशलतम। व्यवस्था करता है। परिणामस्वरूप सामग्री की कुल लागत में कमी आती है।

3 सामग्री संग्रहण की कुशल व्यवस्था करना स्कन्ध प्रबन्ध का उद्देश्य सामग्री संग्रहण की कुशल व्यवस्था करना भी है ताकि सामग्री क्षय, छीजन, छुट-पुट चोरी एवं अप्रचलन की हानियों को न्यूनतम किया। जा सके।

4. उत्पादन में अवरुद्धता होने से रोकना-स्कन्ध प्रबन्ध के अन्तर्गत मितव्ययी आदेश मात्रा (Economic Order Oquantity), सुरक्षा स्टॉक (Safety Stock), अधिकतम सीमा (Maximum Limit). पुनः आदेश (Reorder Point) का निर्धारण पर्याप्त विश्लेषण के उपरान्त किया जाता है। परिणामस्वरूप सामग्री के अभाव अथवा आधिक्य की स्थिति उत्पन्न न होने के कारण उत्पादन में अवरुद्धता का प्रश्न ही नहीं उठता।

5. सामग्री अधिप्राप्ति कार्य में सहयोग प्रदान करना स्कन्ध प्रबन्ध, सामग्री अधिप्राप्ति कार्य में भी सहयोग प्रदान करता है जिससे वांछित किस्म की सामग्री उचित मूल्य पर मितव्ययी ढंग से क्रय की जा सके।

6. सामग्री आवश्यकताओं का पूर्वानुमान लगाना-स्कन्ध प्रबन्ध का उद्देश्य उत्पादन नियोजन को ध्यान में रखते हुए सामग्री आवश्यकताओं का पूर्वानुमान लगाना भी है।

7. ग्राहकों को उत्तम सेवा प्रदान करना स्कन्ध प्रबन्ध के द्वारा उचित किस्म की सामग्री का उचित मात्रा में भण्डारण किया जाता है जिससे उत्पादन में कोई अवरोध उत्पन्न नहीं होता। उत्पादन निर्विघ्न रूप में चलते रहने के कारण ग्राहकों को सही समय पर सही किस्म की वस्तु सही कीमत पर उपलब्ध कराना सम्भव होता है। इस प्रकार स्कन्ध प्रबन्ध के द्वारा ग्राहकों को श्रेष्ठतम सेवाएं प्रदान की जाती हैं।

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स्कन्ध प्रबन्ध का महत्त्व

(Importance of Inventory Management)

स्कन्ध प्रबन्ध के महत्त्व को निम्नांकित शीर्षकों के अन्तर्गत अभिव्यक्त किया जा सकता है

1 पूँजी के दुरुपयोग को रोकना-स्कन्ध प्रबन्ध के माध्यम से किसी भी सामग्री मद का भौतिक स्कन्ध इतनी मात्रा में ही रखा जाता है जिससे उत्पादन व बिक्री के कार्य में रुकावट भी न आये एवं दूसरी ओर सामग्री के स्टॉक में न्यूनतम धन भी विनियोजित हो। इस प्रकार स्कन्ध नियन्त्रण पूँजी के दुरुपयोग को रोककर पूँजी की उत्पादकता में वृद्धि करता है।

2. फर्म के कुल लाभों में वृद्धि स्कन्ध प्रबन्ध के माध्यम से सामग्री संग्रहण एवं भण्डारण लागत को न्यूनतम करने के साथ-साथ सामग्री की न्यूनतम सेवा लागत पर परिवहन, नौवहन एवं प्राप्ति की भी कुशलतम व्यवस्था की जाती है जिससे कि कुल लागत में कमी आती है। परिणामस्वरूप संस्था के कुल लाभों में वृद्धि हो जाती है।

3. उत्पादन में हो सकने वाली अवरूद्धता को रोकना-स्कन्ध प्रबन्ध, सामग्री की अधिकतम सीमा, न्यूनतम सीमा एवं पुनः आदेश बिन्दु के द्वारा ऐसी व्यवस्था करता है जिससे वॉछित किस्म की सामग्री आवश्यक मात्रा में प्रत्येक स्टॉक में बनी रहे ताकि संस्था के उत्पादन कार्य में कोई रुकावट न आये।

4. सामग्री संग्रहण की कुशल व्यवस्था करना-स्कन्ध प्रबन्ध सामग्री संग्रहण की भी कुशल व्यवस्था करता है जिससे क्षय, छीजन, छुट-पुट चोरी एवं अप्रचलन की हानियाँ न्यूनतम हो जाती हैं।

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स्कन्ध प्रबन्ध की तकनीकें

(Techniques of Inventory Management)

स्कन्ध प्रबन्ध हेतु अपनायी जाने वाली मुख्य तकनीकें इस प्रकार हैं

1. मितव्ययी आदेश मात्रा का निर्धारण (Determination of E.O.Q.),

2. स्कन्ध स्तरों का निर्धारण (Determination of Stock Levels),

3. चयनात्मक स्कन्ध नियन्त्रण तकनीकें (Selective Inventory Control Techniques)।

4. स्कन्ध आवर्त अनुपात (Inventory Turnover Ratio)

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मितव्ययी आदेश मात्रा

(Economic Order Qty-E.0.Q.)

मितव्ययी आदेश मात्रा का आशय क्रय की जाने वाली सामग्री की उस मात्रा से है जिस पर न्यूनतम व्यय हो । इसे निर्धारित करते समय अग्रलिखित लागतों को ध्यान में रखते हैं

(अ) आदेशन लागत या अधिप्राप्ति लागत (Ordering Cost or Procurement Cost)-मामा के क्रय का आदेश देने और सामग्री को प्राप्त करने से सम्बन्धित लागत को ही आदेशन लागत या अभियान लागत कहते हैं। अधिकतर यह व्यय स्थिर प्रकृति के होते हैं अर्थात् प्रति आदेश व्यय पर आदेश कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसलिए जितने कम आदेश दिए जायेंगे, कुल आदेश लागत उतनी ही कम आमेर इसके विपरीत, छोटी-छोटी मात्रा में जितने अधिक आदेश दिए जायेंगे, कुल आदेश लागत भी उतनी ही अति आयेगी।

(ब) स्कन्ध रखने की संग्रहण लागत (वहन लागत) (Holding Cost or Carrying Cost)-इस प्रकार की लागतों में सामग्री की प्राप्ति के उपरान्त इसके प्रयोग अथवा बिक्री हो जाने तक सामग्री के संग्रह सम्बन्धी व्ययों को शामिल करते हैं। इस प्रकार की लागतों में मुख्य रूप से संग्रहण के लिए प्रयोग किए जाने वाले स्थान का किराया, स्कन्ध में विनियोजित की गई पूँजी पर ब्याज, भण्डार-गृह का बीमा, सामी सिकड़ना एवं चोरी, हास. अप्रचलन लागत, आदि को सम्मिलित किया जाता है। यह लागतें कम-से-कममें सामग्री के आदेश हेत प्रोत्साहित करती हैं क्योंकि जितनी अधिक मात्रा में माल क्रय किया जायेगा परिणाम उतनी ही वहन लागतें बढ़ जायेंगी। सामग्री की प्रति इकाई पर होने वाले धारण व्यय का अनुमान अधिकांश पिछले अनुभव के आधार पर कर लिया जाता है। प्रायः इन्हें वार्षिक औसत स्कन्ध-मूल्य के प्रतिशत के में व्यक्त किया जाता है । वार्षिक वहन लागतें ज्ञात करने के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग करते हैं

Annual Holding Cost = qo/2X CH Where, qo = Quantity to be ordered (आदेश मात्रा)

___CH = Holding cost per unit per year (प्रति इकाई प्रति वर्ष वहन लागत)

नोट-चूंकि धारण व्यय हमेशा औसत स्कन्ध पर ही परिगणित किया जाता है, इसी कारण १० (आदेश मात्रा) में 2 का भाग दिया।

स्कन्ध रखने की लागत एवं आदेश देने की लागतों में विपरीत सम्बन्ध होता है। बड़ी मात्रा में आदेश देने से आदेश देने की लागत कम आती है, परन्तु स्कन्ध रखने की लागतों में वृद्धि हो जाती है। इसके विपरीत, यदि थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सामग्री क्रय की जाती है तो आदेशों की संख्या अधिक होने से आदेशन लागतों में वद्धि हो जाती है. परन्तु स्कन्ध रखने की लागत कम हो जायेगी। इसके अतिरिक्त बड़ी मात्रा में सामग्री किए जाने पर प्राप्त होने वाली छूट के लाभों से भी संस्था वंचित रह जाती है। अतः सामग्री का क्रय आदेश उस मात्रा के लिए दिया जाना चाहिए जहाँ बड़ी मात्रा के आदेश से प्राप्त होने वाले लाभ तथा स्कन्ध को संग्रहित करने की लागतों में सन्तुलन स्थापित हो। इस प्रकार स्कन्ध संग्रहण की लागत तथा आदेश देने की लागत दोनों परस्पर विरोधी घटकों में सामंजस्य स्थापित करना आवश्यक होता है । मितव्ययी आदेश मात्रा के बिन्दु पर दोनों लागतों का योग न्यूनतम होता है।

संक्षेप में, मितव्ययी आदेश मात्रा स्कन्ध के क्रयादेश की वह मात्रा है जहाँ स्कन्ध वहन लागत तथा कुल आदेशन लागत एक-दूसरे के बराबर होती हैं, और दोनों लागतों का योग न्यूनतम होता है । 

मितव्ययी आदेश मात्रा निर्धारण की मान्यताएँ (Assumptions of E. 0. Q.)

(1) संस्था के प्रबन्ध तन्त्र को संस्था में उपभोग की जाने वाली सामग्री-सूची के प्रत्येक मद की वार्षिक । आवश्यकता की निश्चित जानकारी है।

(2) प्रत्येक सामग्री मद की उपभोग दर स्थिर है।

(3) सामग्री का प्रति इकाई क्रय मूल्य स्थिर है। यह माना जाता है कि अतिरिक्त छूट का कोई प्रावधान नहीं है।

(4) प्रति इकाई वहन लागत स्थिर है।

(5) आदेशन लागत प्रति आदेश स्थिर है।

(6) अधिप्राप्ति समय स्थिर है।

(7) पिछला स्कन्ध समाप्त होते ही आदेशित सामग्री तुरन्त प्राप्त हो जाती है। व्यावहारिक जीवन में उपर्युक्त सभी मान्यताओं का पूरा होना असम्भव है।

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मितव्ययी आदेश मात्रा ज्ञात करने की रीतियाँ (Methods of Determining E.0.0.)

मितव्ययी आदेश मात्रा ज्ञात करने की प्रमख रीतियाँ निम्नलिखित हैं

  1. सारणी रीति (Tabular Method),
  2. गणितीय रीति (Mathematical Method)

ध्यान रखें परीक्षा में किसी स्पष्ट निर्देश के अभाव में गणितीय रीति का ही प्रयोग करेंगे।

1. सारणी रीति (Tabular Method) इस रीति के अन्तर्गत मितव्ययी आदेश मात्रा का निर्धारण करने के लिए संस्था की वार्षिक माँग को पूरा करने के लिए कुछ वैकल्पिक आदेश मात्राएँ चुनी जाती हैं। तदपरान्त एक सारणी बनाते हैं जिसमें प्रत्येक वैकल्पिक मात्रा के लिए कुल आदेश लागत एवं कुल स्कन्ध वहन लागत की गणना तथा दोनों के योग को दर्शाते हैं। जिस वैकल्पिक मात्रा की दशा में दोनों लागतों का योग न्यनतम होता है.उसे ही मितव्ययी आदेश मात्रा कहते हैं । विभिन्न वैकल्पिक क्रयादेश मात्राओं से सम्बन्धित लागतों को सारणी के रूप में प्रस्तुत करने के कारण ही इसे सारणी रीति कहा जाता है। ।

गुण व दोष यह एक सरल एवं विश्लेषणात्मक रीति है.परन्तु इस रीति के कुछ दोष भी हैं वैकल्पिक मात्राओं का चयन अपने आप में एक समस्या है। कभी-कभी चुनी गयी वैकल्पिक मात्राओं में से कोई भी मितव्ययी आदेश मात्रा नहीं होती। सारणी बनाने में काफी समय लग जाता है। यही कारण है कि इस रीति का प्रयोग बहुत कम किया जाता है।

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Illustration 1. एक कारखाना प्रति वर्ष किसी कच्चे माल की 24,000 इकाइयों का प्रयोग करता है, जिसका मूल्य 10 रु. प्रति इकाई है। आदेश व्यय 30 रु. प्रति आदेश है, और धारण व्यय औसत संचिति का 10% प्रति वर्ष है । कम्पनी के समक्ष क्रयादेशों के सम्बन्ध में अनेक विकल्प हैं-2, 4, 8, 16, 20, 24, या 30 आदेशों से वर्ष भर की माँग को पूरा किया जा सकता है। सारणी रीति द्वारा ‘मितव्ययी आदेश मात्रा’ निर्धारित कीजिए। इस मात्रा पर आदेशन लागत और स्कन्ध वहन लागत क्या होगी?

A factory uses annually 24,000 units of a raw material which costs Rs. 10 per unit. Placing each order costs Rs. 30, and the carrying cost is 10% per year of the average inventory. The company has several alternatives regarding the number of orders to fulfill the annual requirement-2, 4, 8, 16, 20, 24 or 30 orders. Determine the economic order quantity by tabular method. What would be ordering and carrying cost at this optimum order quantity?

उपर्युक्त सारणी से स्पष्ट है कि मितव्ययी आदेश मात्रा 1,200 इकाइयाँ है क्योंकि इस मात्रा पर कल लागत न्यूनतम है और वहन लागत एवं आदेशन लागत एक-दूसरे के बराबर है।

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2. गणितीय रीति (Mathematical Method) मितव्ययी आदेश मात्रा ज्ञात करने की यह एक सरल रीति है। इस विधि के अनुसार E.O.O. ज्ञात करने के लिए निम्नांकित गणितीय सूत्र का प्रयोग किया। जाता है

E.O.Q = 2 R. Cp

Ch

उक्त सूत्र को निम्नांकित प्रकार विकसित किया गया है

जैसा कि पीछे स्पष्ट किया जा चुका है कि मितव्ययी आदेश मात्रा की दशा में वार्षिक स्कन्ध वहन लागत तथा वार्षिक आदेशन लागत एक-दूसरे के बराबर हैं और दोनों लागतों का योग न्यूनतम होता है। संक्षेप में,

यहीं  E. O Q  का सत्र है ।

मितव्ययी आदेश मात्रा के निर्धारण में प्रयोग किए जाने वाले शब्दों की व्याख्या

R = Annual Requirement in units (वार्षिक आवश्यकता)

Cp = Ordering cost per order or Set-up cost per set-up or Cost placing in __each order (आदेश व्यय प्रति आदेश)

CH=Holding cost per unit per year or Carrying cost per unit per year.

(प्रति इकाई वार्षिक वहन लागत)

E.O.Q.= Economic Order Quantity or Optimum Order Quantity or Standard Order

Quantity or Economic Lot Size (मितव्ययी आदेश मात्रा अथवा प्रमाप आदेश मात्रा)

कभी नहीं भूलें

(i) यदि प्रश्न में संस्था की सामग्री आवश्यकता वार्षिक न देकर मासिक, साप्ताहिक, अर्द्ध-वार्षिक दी हुई हो तो उसे सर्वप्रथम क्रमशः 12,52, व 2 से गुणा करके वार्षिक आवश्यकता में परिवर्तित करेंगे।

(ii) यदि वहन लागत प्रति इकाई प्रति वर्ष नहीं दी हुई है तो आवश्यक गुणा करके वहन लागत प्रति वर्ष ज्ञात कर लेंगे।

(iii) यदि प्रश्न में वहन लागत प्रति वर्ष प्रति इकाई स्वयं निकाल कर दे रखी है तब तो ठीक है। परन्तु

यदि वहन लागत प्रति वर्ष औसत स्कन्ध मूल्य के प्रतिशत में दी हुई होती है, तो वहन लागत प्रति। इकाई प्रति वर्ष (CH) ज्ञात करने के लिए वहन लागत प्रतिशत में प्रति इकाई सामग्री क्रय मूल्य का गुणा कर लेंगे । अतः विभिन्न छूट प्रस्तावों की दशा में जैसे-जैसे क्रय मूल्य परिवर्तित होंगे वैसे-वैसे। उन्हीं परिवर्तित क्रय मूल्यों में दी हुई प्रतिशत की गणा करके CM की गणना कर ली जाती है ।।

(iv) यदि सामग्री का क्रय मूल्य नहीं दिया गया है तो सामग्री का क्रय मूल्य 1 रु. प्रति इकाई मान लेना चाहिए।

(v) यदि प्रश्न में वर्ष के कार्यशील दिनों की संख्या न दी हो तो सुविधानुसार स्वयं मान लेने चाहिए।

(vi) यदि मितव्ययी आदेश मात्रा पूर्णांक में न आ रही हो तो उपसादन द्वारा उसे पूर्णांक में कर देना चाहिए।

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Illustration 2. निम्नलिखित सूचना से मितव्ययी आदेश मात्रा तथा वर्ष में दिये जाने वाले आदेशों की संख्या ज्ञात कीजिए

Find out the E.O.Q. and no. of orders to be placed during the year from the following information

वार्षिक उपभोग (Annual consumption)                                          -120 Units

क्रय करने की प्रति आदेश लागत (Buying cost per order)            -Rs. 20

प्रति इकाई मूल्य (Per unit price)                                                       -Rs. 100

गोदाम व वहन लागत औसत सामग्री की प्रतिशत के आधार पर (Storage and carying cost as a % of average inventory)-12%

कुल स्कन्ध लागत की गणना (Calculation of Total Inventory Cost)

किसी फर्म में स्कन्ध की वार्षिक कुल लागत ज्ञात करने के लिए निम्नांकित का योग किया जाता है

(i) सामग्री की वार्षिक आवश्यकता का क्रय-मूल्य,

(ii) आदेशन लागत,

(iii) कुल वहन लागत।

(i) सामग्री क्रय लागत इसकी गणना करने के लिए फर्म की वार्षिक सामग्री आवश्यकता में क्रय मूल्य प्रति इकाई का गुणा कर देंगे।

सामग्री क्रय लागत = सामग्री की वार्षिक आवश्यकता प्रति इकाई क्रय मूल्य

Material Purchase Cost=RXP

where,  R = Annual Requirement of Material

P = Purchase Price per unit

(ii) आदेश लागत कुल आदेशन लागत की गणना निम्नलिखित सूत्र के आधार पर की जायेगी

वार्षिक आवश्यकता कल आदेशन लागत =

-X प्रति आदेश लागत

आदेश मात्रा Total Ordering Cost = x Cp

मितव्ययी आदेश मात्रा नीति का अनुसरण किये जाने पर सामग्री को वहन करने एवं आदेश देने की वार्षिक कल लागत

(Total cost of Carrying inventory and Ordering per annum, if the company follows the policy of Economic Order Quantity) : Total Cost of Carrying inventory and ordering per annum

= V2. R. CP . CH

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Illustration 3. एक कारखाना 30,000 रु. के एक प्रकार के कच्चे माल को प्रति वर्ष काम में लाता है जिसका मूल्य 1.25 रु. प्रति इकाई है। आदेश व्यय 25 रु. प्रति आदेश है और धारण व्यय औसत संचिति का 6 प्रतिशत प्रति वर्ष है। मितव्ययी आदेश मात्रा ज्ञात कीजिए और सामग्री लागत भी ज्ञात कीजिए।

A factory uses Rs. 30,000 worth of raw material per year which costs Rs. 1.25 per unit. Placing each order cost Rs. 25 and the carrying cost is 6 per cent per year of the average inventory. Find the E.O.Q. and the total inventory cost.

Illustration 4. एक निर्माता को किसी कच्ची सामग्री की 1,000 इकाई प्रति मास की आवश्यकता है। आदेश लागत 15 रु.प्रति आदेश है। धारण व्यय 2 रु.प्रति इकाई के अतिरिक्त औसत संचिति का 15% प्रति इकाई प्रति वर्ष अनुमानित है । सामग्री का क्रय मूल्य 10 रु. प्रति इकाई है। मितव्ययी आदेश मात्रा ज्ञात कीजिए तथा कुल लागत निकालिए।

A manufacturer requires 1,000 units of raw material per month. Ordering cost is Rs. 15 per order. The carrying cost in addition to Rs. 2 per unit is estimated to be 15% of the average inventory per unit per year. The purchase price of the raw material is Rs. 10 per unit. Find the economic lot size and the total cost.

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Illustration 5. निम्नाकितं के लिए मितव्ययी आदेश मात्रा तथा कुल स्कन्ध मात्रा लागत की गणना कीजिए

A Computer E.O.Q. and Total Inventory Cost for the following:

वार्षिक मॉग (Annual Demand)                                     = 5,000 units

इकाई मूल्य (Unit Price)                                                    =Rs. 20

आदेश लागत (Order Cost)                                              = Rs. 16 per order

भण्डारण दर (Storage Rate)                                             = 2% per annum

ब्याज दर  (Interest Rate)                                                 = 12% per annum

अप्रचलन (Obsolescence Rate)                                    =6% per annum

Illustration 6. एक कम्पनी प्रति वर्ष  किसी विशिष्ट उपाश की 600 इकाइयाँ खरीदती है और उपभोग करती है । प्रति उंपाश की कीमत 20 रु है तथा स्कन्ध लागतें (Relevant Costs ) अग्रलिखित करती प्रकार हैं ।

A company purchase and consumes per year 600 units of a particular part. The price per part is Rs. 20 and the relevant inventory costs are as follows :

Rs.

Expenses of correspondence and issuing order for procurement of material        6.00

Follow-up of order                                                                                                                              4.00

Storage cost per unit per year                                                                                                       0.80

Interest on capital blocked for Inventory per unit per year                                             1.20

Insurance premium per unit per year                                                                                         0.50

Loss due to Deterioration, obsolescence per unit per year                                               1.50

Expenses relating to payment of bills for materials purchased                                     2.00

ज्ञात कीजिए-(i) आदेशन लागत प्रति आदेश, (ii) वहन लागत प्रति इकाई प्रति वर्ष.(ii) मितव्ययी आदेश मात्रा, (iv) वर्ष में आदेशों की संख्या, (v) कुल स्कन्ध लागत

Find out -(i) Ordering cost per order, (ii) Holding cost per unit per year, (iii) Economic Order Qty. (iv) No. of orders in a year, (v) Total Inventory Cost.

Solution :

(i)  Ordering Cost per order :                                                            Rs.

Expenses of correspondence and order issue                          6.00

Cost of follow-up of order                                                               4.00

Expenses of payment of bill                                                              2.00

Ordering Cost per Order (Cp)                                                         12.0

(ii) Holding Cost per unit per year :

Rs. Storage cost                                                               0.80

Interest on Capital                                                          1.20

Insurance Premium                                                        0.50

Deterioration and Obsolescence                             1.50

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मात्रा छूट या मूल्य-विच्छेद

(Quantity Discount or Price Breaks)

प्रायः सामग्री पूर्तिकर्ता बड़ी मात्रा में आदेश देने हेत विभिन्न छट प्रस्ताव रखता है एवं प्रश्न में सर्वोत्तम चुनाव करने के लिए कहा जाता है । ऐसी दशा में सर्वप्रथम तो हम किसी भी छूट प्रस्ताव को ध्यान में न रखते हुए E.O.O. एवं TI.C. की गणना कर लेंगे। इसके बाद प्रत्येक छट विकल्प हेतु TI.C. की गणना करेंगे। एवं जिस भी छूट में T.I.C. सबसे कम आयेगी उसे ही स्वीकार करने की संस्तुति करेंगे। परन्तु ध्यान रहे प्रत्येक छूट विकल्प में सामग्री क्रय मूल्य प्रति इकाई (P), आदेश मात्रा (4.), वहन लागत प्रति इकाई प्रति वर्ष (C) परिवर्तित होते रहेंगे जबकि R एवं C, परिवर्तित नहीं होंगे। विभिन्न छूट प्रस्तावों की दशा में सबसे कम TI.C. वाले विकल्प से सम्बन्धित आदेश मात्रा ही अनकलतम आदेश मात्रा कही जायेगी।

Illustration 7. एक निर्माता को किसी कच्ची सामग्री की 4,000 किलोग्राम वार्षिक की आवश्यकता है। आदेश लागत 5 रु. प्रति आदेश है। धारण व्यय औसत स्कन्ध का 8% प्रति इकाई प्रति वर्ष अनुमानित है। सामग्री का क्रय मूल्य 2 रु. प्रति किलोग्राम है। मितव्ययी आदेश मात्रा तथा कुल लागत ज्ञात कीजिए। निर्माता को 800 किलोग्राम या अधिक परन्तु 2,000 किलोग्राम से कम के आदेश पर क्रय मूल्य में 5% की छूट का प्रस्ताव है। साथ ही यदि आदेश 2.000 किलोग्राम या अधिक का दिया जाय तो 2% की अतिरिक्त छूट और मिल सकती है। यह बताइए कि उसे क्रय की इन तीन विधियों में से किसे अपनाना चाहिए।

A manufacturer requires 4,000 kg. of a raw material annually. The ordering cost is Rs. 5 per order. The carrying cost is estimated to be 8% of a average inventory per year. The purchase price of the raw material is Rs. 2 per kg. Find the Economic lot size and the total cost. The manufacturer is offered a 5% discount in purchase price for order of 800 kg. or more but less than 2,000 kg. A further 2% discount is available for order of 2,000 kg. or more. Which of the three ways of purchase he should adopt.

स्पष्ट है कि कम्पनी को प्रति आदेश 2,000 किलोग्राम का देना चाहिए क्योंकि इसी दशा सामग्री लागत न्यूनतम आ रही है।

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स्कन्ध स्तरों का निर्धारण

(Determination of Stock Levels)

प्रभावी स्कन्ध प्रबन्ध हेतु मितव्ययी आदेश मात्रा (E.0.0.) का निर्धारण करने के साथ-साथ की के विभिन्न स्तरों जैसे-न्यूनतम अधिकतम, पुनः आदेश स्तर एवं औसत स्कन्ध,आदि का निर्धारण भी आवक है। प्रमुख स्कन्ध स्तरों की विवेचना निम्नलिखित प्रकार है

1 पुनअदिश स्तर (Re-order Level) या पुन: आदेश बिन्दु (Re-order Point)-स्कन्ध प्रबन्ध के अन्तर्गत क्रय आदेश की सर्वोत्तम मात्रा निर्धारित करने के पश्चात् दूसरी प्रमुख समस्या यह आती है कि सामग्री खरीदने के सम्बन्ध में नया क्रय आदेश कब दिया जाये अर्थात् भण्डार-गृह में स्कन्ध की मात्रा किस स्तर (बिन्द) पर पहुँचते ही सामग्री क्रय करने का आदेश दे दिया जाये। इस समस्या का समाधान पुनअदिश स्तर या पुन:-आदेश बिन्दु के निर्धारण द्वारा ही किया जाता है।

पुनआदेश स्तर या पुनः आदेश बिन्दु से अभिप्राय भण्डार-गृह में स्कन्ध की मात्रा के उस स्तर से है जिस पर सामग्री के पहँचते ही सामग्री को क्रय करने का आदेश दे दिया जाना चाहिए ताकि सामग्री की मात्रा के न्यूनतम स्तर तक पहुंचने से पूर्व ही आदेशित सामग्री प्राप्त हो जाये।

__पुनः आदेश बिन्दु ज्ञात करने के लिए निम्नलिखित तीन बातों की जानकारी परमावश्यक है

(a) न्यनतम स्कन्ध सीमा या सुरक्षित भण्डार (Minimum Stock Level or Safety Stock)न्यूनतम स्कन्ध सीमा से आशय स्कन्ध की उस न्यूनतम मात्रा से है जो प्रत्येक समय स्टॉक में उपलब्ध रहनी चाहिए।

(b) अधिप्राप्ति समय या अग्रता समय (Procurement Time or Lead Time)-सामग्री क्रय का आदेश देने के उपरान्त सामग्री प्राप्त करने में जितना समय लग जाता है. उसे ही अधिप्राप्ति समय या अग्रता समय कहते हैं।

(c) सामग्री की दैनिक उपयोग दर (Daily Usage Rate of Materials)-इसे ज्ञात करने के लिए संस्था की सामग्री की वार्षिक आवश्यकता में वर्ष भर के कार्यशील दिनों की संख्या से भाग दे दिया जाता है। यदि वर्ष के कार्यशील दिनों की संख्या ज्ञात न हो तो उद्योग की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए कार्यशील दिनों की संख्या स्वयं ही मान लेनी चाहिए।

पुन देश स्तर ज्ञात करने का सूत्र

(1) जब सुरक्षित भण्डार, सामग्री की दैनिक उपयोग दर एवं अग्रता समय ज्ञात हो तोपुन:आदेश स्तर = सुरक्षित भण्डार + [सामग्री की दैनिक उपयोग दर x अग्रता समय दिनों में Reorder Level = Safety Stock + [Daily Usage Rate x Lead Time in days]

___=SS + [rxtp]

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नोट-अधिप्राप्ति समय जिस रूप में दिया होगा, सामग्री की उपयोग दर भी उसी रूप में लेंगे। यदि अधिप्राप्ति समय सप्ताह में दिया गया है तो उपरोक्त सूत्र में सामग्री की साप्ताहिक उपयोग दर ही प्रयोग करेंगे एवं अधिप्राप्ति समय माह में होने पर सामग्री की मासिक उपयोग दर का ही प्रयोग करेंगे। (2) जब सामग्री की अधिकतम उपयोग दर और अधिकतम अधिप्राप्ति समय ज्ञात हों तो

पुनःआदेश स्तर = अधिकतम उपयोग दर x अधिकतम अधिप्राप्ति समय Reorder Level = Maximum Usage Rate x Maximum Procurement Time

पुनःआदेश बिन्दु को निम्नलिखित उदाहरण की सहायता से सरलतापूर्वक समझा जा सकता है मान लीजिए किसी संस्था में प्रयोग की जाने वाली कच्ची सामग्री को एक बार में 400 टन की आदश मात्रा द्वारा क्रय किया जाता है। 100 टन सामग्री सदैव सरक्षित भण्डार के रूप में रखी जाती है, जिसका प्रयोग। असामान्य परिस्थितियों में ही किया जा सकता है। प्रति दिन सामग्री उपयोग दर 10 टन है एवं अधिप्राप्ति। समय 10 दिन है। अतः पुनःआदेश बिन्दु 100 + (10 x 10) = 200 टन होगा अर्थात् जैसे ही भण्डार-गृह में सामग्री का शेष 200 टन हो जाये तुरन्त क्रयादेश दे देना चाहिए। इस स्तर पर क्रयादेश देने का प्रभाव यह होगा कि आगामी 10 दिनों में 10 टन प्रति दिन की दर से 100 टन सामग्री उत्पादन कार्य में प्रयोग हो जायेगी। इस प्रकार क्रयादेश देने के 10 दिन उपरान्त भण्डार-गृह में पूर्व निर्धारित सुरक्षित भण्डार के रूप में केवल 100 टन सामग्री ही शेष रह जायेगी एवं उसी दिन हमें 400 टन आदेशित सामग्री की आपूर्ति प्राप्त हो जायेगी तथा अधिकतम स्कन्ध सीमा 400 +100 = 500 टन सामग्री भण्डार-गृह में उपलब्ध होगी। अब इस 500 टन में से प्रति दिन 10 टन सामग्री का उपभोग करते रहेंगे एवं जब 200 टन सामग्री रह जायेगी पुनः क्रयादेश प्रेषित कर देंगे। क्रयादेश देने के उपरान्त सामग्री की अधिप्राप्ति तक फिर (10×10) = 100 टन सामग्री प्रयोग हो जायेगी एवं अधिप्राप्ति वाले दिन 400 टन की आपूर्ति प्राप्त हो जायेगी। इस प्रकार सामग्री की अधिप्राप्ति वाले दिन पुनः 100 + 400 = 500 टन सामग्री हो जायेगी। यही चक्र निरन्तर चलता रहेगा। यदि क्रयादेश इस स्तर पर नहीं देंगे तो सामग्री का अभाव या आधिक्य की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी। इस स्तर पर क्रयादेश से यह भी लाभ होगा कि यदि किसी कारणवश सामग्री की अधिप्राप्ति में 10 दिन से अधिक का समय लग जाये तो सामग्री की आपूर्ति प्राप्त होने तक सुरक्षित भण्डार को प्रयोग कर सकते हैं।

(II) न्यूनतम स्टॉक स्तर (Minimum Stock Level)-स्कन्ध की वह न्यूनतम मात्रा जो प्रत्येक समय भण्डार-गृह में रखी जाती है, न्यूनतम स्टॉक स्तर कहलाता है । न्यूनतम स्टॉक स्तर के निर्धारण से सामग्री की कमी के कारण उत्पादन कार्य बन्द हो जाने या आदेशों की पूर्ति न होने की सम्भावना समाप्त हो जाती है। वास्तव में यह स्टॉक की ऐसी सुरक्षित मात्रा है जिसको रखे जाने के कारण भावी संकट को दूर रखा जा सकता है। इसीलिए इसे सुरक्षित भण्डार (Safety Stock) भी कहा जाता है । इस स्तर का निर्धारण मुख्यतया सामग्री की औसत उपयोग दर, नये माल की सुपुर्दगी प्राप्त करने में लगने वाले समय तथा पुनआदेश स्तर को ध्यान में रखकर किया जाता है। इसकी गणना हेतु निम्नांकित सूत्र का प्रयोग किया जाता है : न्यूनतम स्तर= पुनअदिश – (औसत या सामान्य उपयोग दर x सामान्य अधिप्राप्ति समय)

(Average or Normal Usage Rate x Average) Minimum Level = Reorder Level – |

or Normal Lead time औसत या सामान्य उपयोग दर (Normal or Average Usage Rate)-अधिकतम एवं न्यूनतम सामग्री उपयोग दर को जोड़कर दो का भाग कर देने से प्राप्त उपयोग दर को औसत या सामान्य उपयोग दर कहते हैं।

Maximum Usage Rate + Minimum Usage Rate Normal or Average Usage Rate =

औसत या सामान्य अग्रता समय (Average or Normal Lead Time)-अधिकतम एवं न्यूनतम अग्रता समय को जोड़कर दो का भाग कर देने से प्राप्त अग्रता समय को औसत या सामान्य अग्रता समय। कहते हैं।

Maximum Lead Time + Minimum Lead Time Average or Normal Lead Time =

(IID अधिकतम स्कन्ध स्तर |Maximum Stock Level]-अधकतम स्कन्ध स्तर, भण्डार-गह में। रखी जाने वाली सामग्री के प्रत्येक मद की वह सीमा है जिससे अधिक मात्रा सामान्यतया नहीं रखी जाती अधिकतम स्तर के निर्धारण का प्रमुख उद्देश्य पूँजी की अनावश्यक अवरुद्धता को रोकना है। इसे जात के लिये प्रश्न में दी हई सूचनाओं को ध्यान में रखते हुए निम्नांकित में से कोई एक सत्र प्रयोग किया सकता है

स्कन्ध की उपरोक्त दोनों सीमाओं की सफलता के लिए आवश्यक है कि व्यापार की बदलती हुई परिस्थितियों के अनुसार अधिकतम एवं न्यूनतम स्तर का समय-समय पर पुनरीक्षण किया जाता रहे और आवश्यकतानुसार सीमाओं को परिवर्तित करते रहें।

(IV) औसत स्टॉक स्तर (Average Stock Level)-एक संस्था को अपने भण्डार-गृह में औसतन कितनी सामग्री स्टॉक में रखनी चाहिए, उसे औसत स्टॉक स्तर कहते हैं। यह स्तर न्यूनतम सीमा से अधिक लेकिन अधिकतम सीमा से कम होता है । इसे ज्ञात करने के लिए निम्नांकित सूत्र का प्रयोग किया जा सकता है

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Illustration 8. निम्नलिखित सूचना से पुनःआदेश बिन्दु,न्यूनतम स्कन्ध सीमा, अधिकतम स्कन्ध स्तर ज्ञात कीजिए

From the following information, determine the reorder point, minimum stock level and maximum stock level :

(i) न्यूनतम उपभोग (Minimum Consumption)                        = 100 Units per day

(ii) अधिकतम उपभोग (Maximum Consumption)                   = 175 Units per day

(iii) सामान्य उपभोग (Normal Consumption)                           = 125 Units per day

(iv) पुनःआदेश मात्रा (Reorder Qty.)                                               = 1,500 Units

(v) माल प्राप्ति हेतु न्यूनतम अवधि (Minimum period for receiving goods)             = 7 days

(vi) सामग्री प्राप्ति की अधिकतम अवधि (Maximum period for receiving goods)    = 15 days

(vii) सामग्री प्राप्ति हेतु सामान्य अवधि (Normal period of receiving goods)            = 10 days

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Illustration 9. ए एवं बी दो उपांश निम्नलिखित प्रकार प्रयोग होत हैं

Two components A and B are used as follows:

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Illustration 11. एक औषधि निर्माणशाला प्रतिवर्ष एक रसायन की 6,000 किलोग्राम की मात्रा का उपभोग करती है जिसकी लागत 5 रु. प्रति किलोग्राम है। आदेश लागत 25 रु. प्रति आदेश है और धारण लागत औसत संचिति का 6 प्रतिशत प्रति किलोग्राम प्रतिवर्ष है। मितव्ययी आदेश मात्रा और कुल स्कन्ध लागत (रसायन की क्रय-लागत सहित) ज्ञात कीजिए।

निर्माणशाला वर्ष में 300 दिन कार्य करती है। यदि अधिप्राप्ति समय 15 दिन और सुरक्षा संचिति 200 किलोग्राम हो तो पुन: आदेश स्तर तथा अधिकतम स्कन्ध और औसत स्कन्ध भी ज्ञात कीजिए।

यदि विक्रेता वार्षिक उपभोग के एकल आदेश पर क्रय मूल्य में 5% छूट का प्रस्ताव करे तो क्या निर्माणशाला को उसे स्वीकार कर लेना चाहिए?

A pharmaceutical factory consumes annually 6,000 kilograms of chemical costing Rs. 5 per kg. Placing cach order costs Rs. 25 and the carrying cost is 6% per year per kg. of average inventory. Find the Economic Order Quantity and the Total Inventory Cost (including the cost of chemical).

The factory works for 300 days a year. If the procurement time is 15 days and safety stock 200 kg., find the rcorder point and the maximum and average inventories.

If the supplier offers a discount of 5% on the cost price for a single order of annual requirement, should the factory accept it?

Since  the total cost is less when ordering Quantity is 6,000 KG , Therefore the Factory Should Accept the Offer of 5% Discount .

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चयनात्मक सामग्री-सूची नियन्त्रण तकनीकें

(Selective Inventory Control Techniques)

प्राय: बडी संस्थाओं के भण्डार-गह में अनेक प्रकार की सामग्रियों का पर्याप्त स्टॉक रखा जाता है, परन्तु सभी सामग्रियाँ मल्य अथवा उत्पादन प्रयोग के दृष्टिकोण से एकसमान महत्त्व वाली नहीं होती। अत: प्रश्न उत्पन्न होता है कि क्या स्टॉक में रखी जाने वाली सभी वस्तुओं पर समान रूप से ध्यान दिया जाए या उनमें से कुछ चनी हई वस्तुओं पर अधिक ध्यान दिया जाए? गहनता से विचार करने पर पता चलता है कि सभी सामग्रियों के लिए स्कन्ध नियन्त्रण की एकसमान रणनीति का अनुसरण नहीं किया जा सकता है वरन् स्कन्ध की विभिन्न मदों के सापेक्ष महत्त्व को ध्यान में रखते हुए स्कन्ध नियन्त्रण की उचित नीति तय की जानी चाहिए। इस प्रकार स्कन्ध की विभिन्न मदों के लिए किन्हीं निश्चित आधारों पर स्कन्ध नियन्त्रण करने की तकनीकों को ही चयनात्मक सामग्री-सची नियन्त्रण तकनीकें कहते हैं।

चयात्मक सामग्री-सूची नियन्त्रण तकनीकों के रूप में प्रयोग की जाने वाली महत्त्वपर्ण तकनीकें। निम्नलिखित हैं :

(i) ‘ए,बी,सी’ विश्लेषण तकनीक,

(ii) ‘वी, ई, डी’ विश्लेषण तकनीक ।

A, B, C विश्लेषण तकनीक (A, B, C Analysis Technique)

अ.ब. स विश्लेषण को ‘अपवाद एवं महत्त्व द्वारा नियन्त्रण’ (Control by importance and exception) भी कहते हैं।

ए, बी, सी विश्लेषण तकनीक का पूरा नाम Always Better Control है। हम व्यवहार में देखते हैं। कि किसी भी उपक्रम में विभिन्न प्रकार की सामग्रियाँ प्रयोग में आती हैं, परन्तु सभी सामग्रियाँ मूल्य के दृष्टिकोण । से नियन्त्रण हेतु एकसमान महत्त्व वाली नहीं होतीं। इसलिए अधिक मूल्यवान वस्तुओं पर अधिक एवं कम मूल्यवान वस्तुओं के लिए अपेक्षाकृत कम नियन्त्रण की आवश्यकता होती है। इससे हमारा आशय यह कदापि। नहीं है कि कम मूल्यवान वस्तुओं के नियन्त्रण में लापरवाही की जाय। नियन्त्रण की इसी विचारधारा पर बी.सी विश्लेषण तकनीक आधारित है।

ए.बी.सी विश्लेषण तकनीक के अन्तर्गत सामग्री की विभिन्न मदों को ए, बी तथा सी तीनों श्रेणियों में। वर्गीकृत कर दिया जाता है एवं इस वर्गीकरण का आधार विभिन्न सामग्री मदों के मूल्य एवं उनकी मात्रा को बनाया जाता है।

‘ए’ वर्ग के अन्तर्गत ऐसी वस्तुएँ जो कि कुल वस्तुओं की केवल 5 से 10 प्रतिशत तक संख्या में होंगी परन्तु जिनका मूल्य कुल वस्तुओं के मूल्य का 70 से 75 प्रतिशत तक हो, सम्मिलित की जायेंगी। इसी प्रकार से ‘सी’ वर्ग में ऐसी वस्तुएँ जो कि कुल संख्या की 70 से 75 प्रतिशत तक हों, परन्तु जिनका मूल्य कुल वस्तुओं के मूल्य का केवल 5 से 10 प्रतिशत हो, सम्मिलित की जायेंगी। ‘बी’ वर्ग इन दोनों के बीच का वर्ग है। इसमें संख्या की दृष्टि से 15 से 25 प्रतिशत तक तथा मूल्य की दृष्टि से भी 15 से 25 प्रतिशत तक की वस्तुएँ आती हैं।

‘ए’, ‘बी’, ‘सी’ विश्लेषण के लिए उपर्युक्त प्रतिशतों की अभिव्यक्ति कठोर आधार पर न होकर अनुमान मात्र है। वास्तविकता यह है कि ए, बी, सी विश्लेषण के अन्तर्गत किसी संस्था की सामग्री-सूची की विभिन्न सामग्री मदों की लागत महत्ता को मापा जाता है। सर्वाधिक मूल्य की सामग्री-मदों को ‘ए’ श्रेणी में रखा जाता है। न्यूनतम मूल्य की सामग्री-मदों को ‘सी’ श्रेणी में रखते हैं जबकि इन दोनों श्रेणियों के बीच की सामग्री-मदों को ‘बी’ श्रेणी के अन्तर्गत रखते हैं। ए.बी.सी विश्लेषण हेतु उक्त मूल्य एवं मात्रा के प्रतिशतों का निर्धारण भिन्न-भिन्न संस्थाओं में भिन्न-भिन्न हो सकता है। अत: ए, बी, सी तकनीक के आधार पर नियन्त्रण स्थापित करने वाली संस्थाएँ उक्त प्रतिशतों को पहले से ही तय कर लेती हैं।

इस प्रकार विभिन्न मदों को श्रेणीबद्ध करने के बाद ए श्रेणी की मदों के लिए विशेष नियन्त्रण उपाय.बी श्रेणी के मध्य व सी श्रेणी में अपेक्षाकृत शिथिल नियन्त्रण रखा जाता है।

इस प्रकार ए,बी,सी तकनीक एक चयनात्मक नियन्त्रण पद्धति है। यह स्कन्ध प्रबन्ध का एक महत्त्वपूर्ण प्रबन्धकीय उपकरण है जिसका उपयोग सामग्री तालिका का अनुमान लगाने, आदेशों के निर्गमन, प्राप्ति एवं निरीक्षण, सुरक्षा स्टॉक का निर्धारण करने, आदि क्षेत्रों में किया जाता है।

ए,बी,सी तकनीक को निम्नलिखित उदाहरणों की सहायता से सरलतापूर्वक समझा जा सकता है:

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Illustration 12. नीचे दी हुई सूचनाओं के आधार पर निम्नलिखित मदों को ए, बी, सी श्रेणी में वीकृत कीजिए :

Analyse the following items into A, B and C categories on the basis of information given below:

Category A-Rs. 5,000 and above (total value), Category B-Rs. 1,500 to Rs. 4,999 (total value), Category C-Below Rs. 1,500

Item No.                       Units                Units Rate (Rs.) 150

1                                       150                            3.00

2                                      2,300                         0.90

3                                     2,200                         0.70

4                                     9,000                          0.10

5                                     1,300                          0.15

6                                       4                                1.50

7                                      20                             528.25

8                                   3,800                           2.10

9                                  1,500                            1.35

10                                 130                                 0.80

11                                200                                 0.20

12                                  96                                 0.25

13                                5,200                            0.08

14                               4,000                              0.10

15                                100                               2.85

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वी०ई० डी० विश्लेषण तकनीक (V E D Analysis Technique)

स्कन्ध नियन्त्रण की इस तकनीक का प्रयोग मुख्य रूप से Spare parts या components के नियन्त्रण ने किया जाता है। इस तकनीक का पूरा नाम Vital. Essential and Desirable Analysis हइस तकनीक के अन्तर्गत स्कन्ध नियन्त्रण हेतु किसी संस्था में प्रयोग किए जाने वाले स्पेयर पार्ट्स को निम्नांकित तीन श्रेणियों में बाँट दिया जाता है

(a) वे पार्ट्स जिनके अभाव में उत्पादन रुक जायेगा,उनको Vital Parts के रूप में जाना जाता है। उत्पादन की अवरुद्धता को रोकने के लिए ऐसे पार्ट्स का पर्याप्त स्कन्ध रखना आवश्यक है।

(b) वे पार्टस जिनके अभाव में उत्पादन में रुकावट तो नहीं आती. परन्त उत्पादन की गति कछ कम हो जाती है. उन्हें Essential Parts कहते हैं। इनका भी उचित मात्रा में स्कन्ध रखना आवश्यक है।

(c) वे पार्टस जो उत्पादन के लिए अनिवार्य या आवश्यक नहीं होते अथवा जिनके अभाव में उत्पादन पर तत्काल कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता, उन्हें Desirable Parts की श्रेणी में रखते हैं। इनका कम मात्रा में स्कन्ध रखने से भी काम चल जायेगा।

इस प्रकार ‘वी,ई,डी’ विश्लेषण तकनीक के अन्तर्गत उत्पादन अपरिहार्यता (Production Urgency) के सन्दर्भ में स्पेयर पार्ट्स की स्कन्ध आवश्यकता पर विचार किया जाता है ताकि उत्पादन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

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स्कन्ध आवर्त अनुपात

(Inventory Turnover Ratio)

एक निश्चित अवधि में स्कन्ध की उपभोग हुई मात्रा तथा स्टोर में उपलब्ध स्कन्ध की औसत मात्रा के अनुपात को स्कन्ध आवर्त कहते हैं । इस अनुपात के द्वारा यह ज्ञात होता है कि उपभोग दर की तुलना में स्टोर में स्कन्ध की कितनी मात्रा उपलब्ध है । व्यवहार में स्कन्ध आवर्त मात्रा की अपेक्षा उसके मूल्य से अधिक जाना जाता है जो निम्नलिखित सूत्र द्वारा ज्ञात किया जा सकता है

Value of material consumed during the period Inventory Turnover Ratio=

Average inventory held during the period where : Value of material consumed :

= opening stock + purchases + carriage inward and other direct expenses-closing stock. Average Inventory – Opening Stock + Closing Stock

स्कन्ध आवर्त अनुपात को दिनों में भी अभिव्यक्त किया जा सकता है जिससे यह पता चलता है कि रखे गये औसत स्टॉक को कितने दिनों में उपभोग किया जा सकता है। स्कन्ध आवर्त अनुपात का दिनों में परिकलन करने के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है

No. of days in the period Inventory Conversion Period =

Inventory turnover ratio

इस प्रकार स्कन्ध आवर्त को अनुपात’ तथा ‘दिनों में मापा जा सकता है। यदि अनुपात अधिक होगा अथवा दिन कम होंगे तो इसका अर्थ है कि सम्बन्धित सामग्री के उपभोग की गति तीव है अर्थात् स्कन्ध में कम विनियोग हो रहा है। विभिन्न प्रकार की सामग्रियों की स्थिति में स्कन्ध आवर्त की जानकारी के आधार ने केवल अवांछनीय स्कन्ध में अवरूद्ध होने वाली पूंजी को कम किया जा सकता है. वरन फर्म प्रसार स्कन्ध नियन्त्रण स्थापित कर सकती है। अतः स्कन्ध आवते की गणना प्रत्येक सामग्री मद के लिए अलगकरनी चाहिए ताकि कम आवर्त वाली सामग्री मदों का क्रय अधिक मात्रा में न किया जाये।

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Illustration 14. 2004 2005 वर्ष के निम्नलिखित आँकडें स्वाति लिमिटेड बुलन्दशहर के अभिलेखों से प्राप्त किये गये हैं। स्कन्ध का मूल्यांकन एक रुपया प्रति किलोग्राम/प्रतिलीटर है

The following figures are taken from the records of Swati Ltd., Bulandshar fou the year 2004–05. The value of Inventory is Rupee one per kg/per litre :

Opening Stock              Purchases             Closing Stock

Inventory A              700 kg.                 11,500 kg.                        200 Kg

Inventory B              200 litres            11,000 litres                 1,200 litres

Inventory C              1,000 kg.             1,800 kg.                          1,200 kg.

उपर्युक्त स्कन्ध का स्कन्ध-फेर अनुपात ज्ञात कीजिए तथा दिनों की संख्या में व्यक्त कीजिए, जिनमें स्कन्ध को रखा गया है।

Calculate the inventory turnover ratio of the above inventories and express in number of days the average inventory is held.

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परीक्षोपयोगी प्रश्न (Examination Questions)

दीर्घ उत्तरीय सैद्धान्तिक प्रश्न (Long Answer Theoretical Questions)

1 .स्कन्ध प्रबन्ध का अर्थ स्पष्टतः समझाइए। इसके उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।

Explain clearly the meaning of Inventory Management. Discuss its objectives.

2. किसी व्यवसाय के लिए स्कन्ध प्रबन्ध का क्या महत्त्व है? ।

What is the importance of Inventory Management for a business?

3. स्कन्ध प्रबन्ध की किन्हीं दो महत्त्वपूर्ण तकनीकों का वर्णन कीजिए।

Describe any two important techniques of Inventory Management.

4.मितव्ययी आदेश मात्रा से आप क्या समझते हैं? इसका निर्धारण किस प्रकार किया जाता है?

What do you mean by ‘Economic Order Oty? How it is determined? |

5. स्कन्ध नियन्त्रण का अर्थ स्पष्ट कीजिए। स्कन्ध नियन्त्रण में ए.बी.सी वर्गीकरण विधि को समझाइए।

Clearly explain the Inventory Control. Explain A, B, C classification technique of Inventory Control.

6. न्यूनतम, अधिकतम तथा पुनआदेश स्तर से आप क्या समझते हैं? इन सीमाओं का निर्धारण किस प्रकार किया जाता है?

What do you understand by minimum, maximum and reorder levels? How are these limits determined?

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लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions)

1. स्कन्ध प्रबन्ध से आप क्या समझते हैं?

What do you mean by Inventory Management?

2. किसी व्यवसाय के लिए स्कन्ध प्रबन्ध का क्या महत्त्व है?

What is the importance of Inventory Management for a business?

3. ‘ए.,बी., सी.’ विश्लेषण से आप क्या समझते हैं?

What is A, B, C analysis?

4. वी. ई. डी. विश्लेषण तकनीक से आप क्या समझते हैं ?

What do you mean by V.E.D. analysis technique?

5. ‘पुनरादेश बिन्दु’ क्या होता है?

What is Recorder Point? –

6. स्कन्ध प्रबन्ध के उद्देश्यों को बताइये।

Explain the objects of Inventory Management.

7. ए, बी, सी विश्लेषण तथा वेड विश्लेषण में अन्तर बताइये।

Distinguish between ABC Analysis and VED Analysis.

8. आदेशन लागत और रखाव लागत में अन्तर बताइये।

Distinguish between ordering cost and carrying cost.

9. पुनआदेश स्तर एवं संकट स्तर में भेद स्पष्ट कीजिए।

Distinguish between re-order level and danger level.

10. मितव्ययी आदेश मात्रा से आप क्या समझते हैं?

What do you mean by E.O.Q.?

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वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Questions)

बताइए कि निम्नलिखित कथन सत्य हैं अथवा असत्य

State whether the following statements are Truc or False :

1 कच्ची सामग्री’ शब्द की तुलना में ‘स्कन्ध’ शब्द अधिक व्यापक है।

The term inventroy is wider than the term raw material.

2. स्कन्ध की आदेशन लागत एवं वहन लागत एक दूसरे के पर्यायवाची शब्द हैं।

Ordering cost and cost of holding inventory are synonymous terms.

3. सुरक्षित भण्डार की तुलना में पुनआदेश स्तर ऊँचा होता है ।

Recorder level is higher than safety stock level.

4. सैट-अप लागत एक प्रकार की स्थिर लागत है।

Set-up cost is a type of fixed cost.

5. स्कन्ध में उच्च विनियोग होने के कारण स्कन्ध नियन्त्रण आवश्यक है।

Inventory management is essential because investment in stocks are high.   (True)

6. किसी आदेश को तैयार करने तथा उसके क्रियान्वयन में लगने वाले समय को ‘प्रतीक्षा अवधि’ कहते (सत्य)

The time required to process and execute an order is called lead time.  (True)

7. पनआदेश स्तर सामग्री की वह मात्रा है जिसे रहतिये में अवश्य रखना चाहिए। (असत्य)

Re-order level is the quantity of materials which must be kept in stock.   (False)

8. ए-बी-सी विश्लेषण अतिरिक्त पुर्जे, आदि के प्रबन्ध के लिए प्रयोग किया जाता है। (असत्य)

A.B.C. analysis is used to manage spare parts, etc.  (False)

9. सामग्री क्रय करने की लागत को ‘आदेशन लागत’ कहते हैं। (असत्य)

Ordering costs are the costs of purchasing materials.   (False)

10. सुरक्षित स्कन्ध एवं संचिति स्कन्ध समानार्थक हैं। (सत्य)

Safety stock and reserve stock are synonyms.  (True)

11. कोई मात्रा छूट न होने पर मितव्ययी आदेश मात्रा के आधार पर आदेश देने पर कुल स्कन्ध लागत न्यूनतम होगी। (सत्य)

Assuming no quantity discount, if orders are placed on the basis of economic order quantity, the total inventory cost will be minimum. (True)

12. ‘वेड’ विश्लेषण अतिरिक्त पुर्जे आदि के प्रबन्ध के लिए प्रयोग किया जाता है। (सत्य)

V E D’ analysis is used to manage spare parts etc.  (True)

Financial Inventory Management

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (Fill in the Blanks):

1. स्कन्ध वहन लागत को स्कन्ध …. भी कह सकते हैं।

Inventory carrying cost can also be termed as …………

2. अ,ब,स विश्लेषण को एवं महत्त्व द्वारा नियन्त्रण के रूप में भी जाना जाता है। ABC analysis is also known as control by importance and ..

3.अतिरिक्त पुों के लिए प्रयोग किया जाता है। …………… is used for spare parts.

4. सुरक्षा स्कन्ध प्रयोग में अप्रत्याशित वृद्धि को पूरा करने के लिए ..__ होता है ।

Safety stock is a …………… to meet unanticipated increase in usage.

5. स्कन्ध प्रबन्ध की लागत में आदेशन लागत तथा .. लागत सम्मिलित होती है।

The cost of managing inventory is made up of ordering costs and …………. costs.

6. मितव्ययी आदेश मात्रा वह मात्रा है जिस पर वहन लागत एवं लागत एक समान होती है।

E.O.O. is the quantity where carrying cost and …………….. cost are equal.

Ans. 1. संग्रहण की लागत (Cost of holding). 2. अपवाद (Exception), 3. ‘वेड’ विश्लेषण । (VED Analysis), 4. प्रतिरोधक (Buffer), 5. वहन (Carrying) 6. आदेशन (Ordering)

Financial Inventory Management

निम्नलिखित में से सही विकल्प को चुनिए (Select the correct option from the following) :

1 ‘वेड’ विश्लेषण विधि प्रयुक्त होती है, जब (‘VED’ analysis method is used when) :

(a) मशीनों का प्रयोग होता हो (Machines are used)

(b) सामग्री का प्रयोग होता हो (Materials are used)

(c) श्रमिकों का प्रयोग होता हो (Workers are used)

2. स्कन्ध नियन्त्रण की किस विधि के अनुसार स्कन्ध की मदें कीमत एवं महत्त्व के आधार पर वर्गीकृत की जाती हैं।

In which of the following inventory control method, items of inventory are classified according to their value and importance :

(a) निरन्तर सामग्री आगमन विधि (Perpetual Inventory System)

(b) ए.बी.सी.प्रविधि (A. B.C. Technique)

  1. c) मितव्ययी आदेश मात्रा (Economic Order Quantity/EOQ)

(d) उपरोक्त सभी (All of these)

3. -का निर्धारण करते समय सामग्री उपयोग की दर सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारक होता है।

Rate of consumption of material is the most important factor while fixing …… :

(a) अधिकतम सीमा (Maximum Level)

(b) निम्नतम सीमा (Minimum Level)

(c) पुनः आदेश स्तर (Re-order Level)

(d) ये सभी (All of these) (1)

4. अधिकतम स्कन्ध स्तर के परिकलन हेतु प्रयुक्त सूत्र में कौन सी स्कन्ध उपभोग दर सम्मिलित की जाती है ।

For the calculation of maximum stock level which material usage rate is included:

(a) न्यूनतम उपभोग (Minimum Usage) (V)

(b) अधिकतम उपभोग (Maximum Usage)

(c) सामान्य उपभोग (Normal Usage)

(d) इनमें से कोई नहीं (None of these)

5. न्यूनतम स्कन्ध स्तर के परिकलन हेतु प्रयुक्त सूत्र में कौन सी स्कन्ध उपभोग दर सम्मिलित की जाती है

For the calculation of minimum stock level which material usage rate is included:

(a) न्यूनतम उपभोग (Minimum Usage)

(b) अधिकतम उपभोग (Maximum Usage)

(c) सामान्य उपभोग (Normal Usage) (V)

(d) इनमें से कोई नहीं (None of these)

6. पुन:आदेश स्तर के परिकलन हेतु प्रयुक्त सूत्र में कौन सी स्कन्ध उपभोग दर सम्मिलित की जाती है

For the calculation of Re-order Level which material usage rate is included :

(a) न्यूनतम उपभोग (Minimum Usage)

(b) अधिकतम उपभोग (Maximum Usage)

(c) सामान्य उपभोग (Normal Usage)

(d) इनमें से कोई नहीं (None of these)

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क्रियात्मक प्रश्न (Numerical Questions)

1 एक कम्पनी अपनी कुल वार्षिक माँग को पूरा करने हेतु कच्चे माल की 15,625 इकाइयाँ 12 रुपये प्रति इकाई की दर से क्रय करती है। आदेश लागत प्रति आदेश 60 रु.है तथा सामग्री रखने की लागत 1.20 रु. प्रति इकाई है। ज्ञात कीजिए

(i) मितव्ययी आदेश मात्रा

(ii) आदेश लागत

(iii) सामग्री संग्रहण लागत

(iv) कुल सामग्री लागत ।

A company purchases 15,625 units of raw material @ Rs. 12 per unit to meet its entire annual requirement. The order cost comes to Rs. 60 per order and inventory carrying cost is Rs. 1.20 per unit. Find out :

(i) Economic Order Quantity

(ii) Order Cost (iii) Carrying Cost (iv) Total Inventory cost

Ans. (i) 1,250 units, (ii) Rs 750, (ii) Rs. 750, (iv) Rs. 1,89,000.

2. मितव्ययी आदेश मात्रा क्या है ? क्या आदेश मात्रा हमेशा मितव्ययी मात्रा के बराबर होनी चाहिए?

निम्नलिखित से मितव्ययी आदेश मात्रा एवं कल सामग्री लागत ज्ञात कीजिए

What is Economic Order Quantity (E.0.0.)? Should the quantity ordered be always Equal to E.O.O.? Calculate E.O.O. and Total Inventory Cost from the following:

वार्षिक आवश्यकता (Annual Requirement) 600 units

आदेश लागत 12 रु. प्रति आदेश (Ordering Cost Rs. 12 per order)

संग्रहण लागत (Carrying Cost) 20%

मूल्य प्रति इकाई (Price per unit) Rs. 20..

Ans. E.O.Q.=60 units, T.I.C.=Rs. 12,240.

3. वाई उत्पाद 12 इकाइयों के पैकेजों में 20 रुपये प्रति पैकेज की दर से बेची जाती है। अनेक वर्षों में उपरान्त यह निर्धारित किया गया है कि ‘वाई’ उत्पाद की माँग स्थिर दर पर 2,000 पैकेज प्रतिमाह है। बेचने वाली कम्पनी के लिये प्रति पैकेज लागत मूल्य 10 रुपये है। आदेश की तिथि से सुपुर्दगी तिथि। तक अग्रता समय 3 दिन है। आदेशन लागत 1.20 रुपये प्रति आदेश है एवं वहन लागत 100 प्रतिवर्ष है। आपको निम्नलिखित की गणना करनी है

Product ‘Y’ is sold in packages of 12 units for Rs. 20 per package. Aftera number of years, it has been determined that the demand for the product ‘Y is at a constant rate of 2,000 packages per month. The cost price per package of the selling company is Rs. 10. The company requires a 3 day lead time from date of order to date of delivery. The ordering cost is Rs. 1.20 per order and the carrying cost is 10% per annum. You are required to calculate the following:

(i) मितव्ययी आदेश मात्रा (Economic Order Qty.)

(ii) प्रतिवर्ष आवश्यक आदेशों की संख्या (Number of orders needed per year)

Ans. (i) 240 Packages, (ii) 100.

4. एक कम्पनी का वित्त विभाग निम्नलिखित सूचनायें प्रदान करता है

The finance department of a company provides the following information :

(i) प्रतिमाह उपभोग (Per Month Consumption) : 75 Units

(ii) प्रति इकाई सूची मूल्य (List price per unit) : Rs. 4

(iii) व्यापारिक छूट : सूची मूल्य की 25% (Trade discount : 25% of the list price)

(iv) प्रति आदेश लागत 10 रुपये (Per Order Cost : Rs. 10)

(v) वहन लागत : 0:20 रुपये प्रति इकाई (Re. 0.20 per unit)

(vi) परे वर्ष समान उपभोग माना जाता है

(The usage is assumed to be uniform throughout the year)

आपको निम्नलिखित की गणना करनी है (You are required to calculate the following) :

(a) मितव्ययी आदेश मात्रा (E.O.O.)।

(b) प्रति आदेश मूल्य (रुपयों में) The value (in rupees) per order.

Ans. (a) EOQ = 300 units; (b) (300×4)- (25% of Rs. 1,200) = Rs. 900

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5. निम्नलिखित दिये हुए समंकों से कच्ची सामग्री एवं पैकिंग सामग्री के लिए मितव्ययी आदेश मात्रा एवं आदेश अनुसूची ज्ञात कीजिए

Find out the Economic Order Quantity and Order Schedule for raw materials and packing materials with the following data given to you :

  1. Cost of Ordering : Raw Materials : Rs. 1,000 per order

: Packing Materials: Rs. 5,000 per order

  1. Cost of Holding : Raw Materials : 1 paise peru Inventory

: Packing Materials: 5 paise per unit p.m.

  1. Production Rate : 2,00,000 units per month

Ans. E.0.0.: Raw Materials = 2.00.000 units, Packing Matcrials =2,00,000 units; Order Schedule : One order per month for both.

6. एक कम्पनी वर्ष में 360 दिन कार्य करती है एवं उत्पादन हेतु कच्ची सामग्री की 50 इकाइयों का दैनिक उपयोग करती है। एक आदेश को प्रेषित करने में 73 रुपये प्रति आदेश की स्थिर लागत व्यय होती है। प्रति इकाई वहन करने की लागत020 रुपये प्रतिदिन है। मितव्ययी आदेश मात्रा ज्ञात कीजिए।

A company operates 360 days in a year and consumes daily 50 units of a raw material. A fixed cost of Rs. 73 per order is incurred for placing an order. The inventory carrying cost per item amounts to Re. 0.020 per day. Compute the Economic Order Quantity.

Ans. 600 Units; CH = 0.020×365 = Rs.7:30: R = 50 x 360 = 18,000 Units.

7. एक कम्पनी का वित्त विभाग निम्नलिखित सूचनायें प्रदान करता है

The finance department of a company provides the following information:

(i) सामग्री की प्रति इकाई वहन लागतें 10 रुपये प्रति इकाई हैं (The carrying costs per unit of inventory are Rs. 10)

(ii) प्रति आदेश स्थिर लागतें 20 रुपये (The fixed costs per order Rs. 20)

(iii) प्रतिवर्ष 30,000 इकाइयों की आवश्यकता है (The number of units required is 30,000  per year)

मितव्ययी आदेश मात्रा, एक वर्ष में दिये जाने वाले आदेशों की कुल संख्या एवं दो आदेशों के मध्य

का समय अन्तराल ज्ञात कीजिये।

Determine the cconomic order quantity (EOQ), total number of orders in a year and the time gap between two orders.

Ans. E.O.Q. = 346 units; No. of Orders in a year = 30,000/346 = 86.7 or 87. The time gap between two orders = 365/87 = 4.2 or 4 days.

8. एक कारखाना एक संघटक की प्रतिवर्ष 40,000 इकाइयों का उपभोग करता है। आदेशन,प्राप्ति एवं हस्थन लागतें 5 रुपये प्रति आदेश हैं जबकि ठेला लागतें 10 रुपये प्रति आदेश हैं। अतिरिक्त सूचनाएँ इस प्रकार हैं-विकृति एवं अप्रचलन हानि 0• 004 रुपये प्रति इकाई प्रतिवर्ष, ब्याज लागत 0• 06 रुपये प्रति इकाई प्रतिवर्ष एवं संग्रहण लागतें 40,000 इकाइयों हेतु 440 रुपये प्रतिवर्ष । मितव्ययी आदेश मात्रा की गणना कीजिए।

A factory consumes 40,000 units of a component per year. The ordering, receiving and handling costs are Rs.5per order while the trucking costs are Rs. 10 per order. Further details are as follows : deterioration and obsolescence cost Rs. 0.004 per unit per year, Interest Cost Rs. 0.06 per unit per year and storage costs Rs. 440 per year for 40,000 units. Calculate the economic order quantity.

Ans. 4,000 units.

9. एक कम्पनी प्रतिवर्ष किसी विशिष्ट उपांश की 10,000 इकाइयाँ खरीदती है और उपभोग करती है। प्रति उपांश की कीमत 1.25 रुपये है तथा स्कन्ध सम्बद्ध लागते (Relevant Costs) निम्नलिखित प्रकार हैं

A company purchase and consumes per year 10,000 units of a particular part. The price per part is Rs. 1.25 and the relevant inventory costs are as follows :

Interest on the locked up capital                                                               10%

Order processing cost for each order                                                     Rs.5

Inspection cost per lot                                                                                   Rs. 2

Follow up Cost for each order                                                                  Rs.3

Pilferage while holding inventory                                                            3%

Other holding cost Other procurement cost for each order      Rs. 8

ज्ञात कीजिए (i) आदेशन लागत प्रति आदेश. ) वहन लागत प्रति इकाई प्रतिवर्ष, (iii) मितव्ययी आदेश मात्रा, (iv) वर्ष में आदेशों की संख्या, (५) कुल स्कन्ध लागत ।

find out : (i) Ordering Cost per order, (ii) Holding Cost per unit per year, (iii) Economic Order Oty., (iv) No. of orders in a year, (v) Total Inventory Cost.

Ans. (i) Rs. 18, (ii) Rs. 0.25, (iii) 1,200 Units. (iv) 8.33 or 8, (v) Rs. 12,800.

10. निम्नलिखित सूचनाओं से सामग्री की वार्षिक आवश्यकता का परिगणन करें

From the following information, calculate annual requirement of material :

मितव्ययी आदेश मात्रा (Economic Order Quantity)                               1,250 Units

प्रति आदेश को प्रेषित करने की लागत (Cost of placing an order)              Rs. 60

प्रति इकाई प्रति वर्ष वहन लागत (Carrying Cost per unit per annum)    10%

प्रति इकाई क्रय मूल्य (Purchase Price per unit)                                       Rs. 12

Ans. Annual Requirement (R) = 15,625 Units.

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11. यह मानते हुए कि कम्पनी मितव्ययी आदेश मात्रा नीति का अनुसरण करती है, निम्नलिखित सूचनाओं से सामग्री के वार्षिक उपभोग की मात्रा ज्ञात कीजिए

Calculate Annual Usage (R) from the following information if the company follows the policy of economic order quantity :

आगत का प्रति इकाई क्रय मूल्य (Purchase price per unit of input)                  Rs. 10

एक आदेश प्रेषित करने की लागत (Cost of placing an order)                               Rs. 30

प्रति इकाई प्रति वर्ष वहन लागत (Carrying cost per unit per annum)               7.5%

सामग्री को वहन करने एवं आदेश देने की वार्षिक कुल लागत                                    Rs. 600

(Total Cost of carrying inventory and ordering p.a.)

Ans. Annual Usage (R) 8,000 Units.

Hint : Total Cost of carrying inventory and ordering per annum : = V2.R.Cp.Ch. 12. 12. निम्नलिखित सूचनाओं से प्रति आदेश को प्रेषित करने की लागत ज्ञात कीजिए

From the following information, calculate ordering cost per order (Cp) :

मितव्ययी आदेश मात्रा (Economic Order Oquantity)                                  5,000 Units

प्रति इकाई प्रति माह वहन लागत (Carrying cost per unit per month)       1.25%

प्रति इकाई क्रय मूल्य (Purchase Price per unit)                                             Rs. 1-20

वार्षिक आवश्यकता (Annual Requirement)                                                50,000 Units

Ans. Ordering Cost per Order Rs. 45.

13. यह मानते हुए कि कम्पनी मितव्ययी आदेश मात्रा नीति का अनुसरण करती है, निम्नलिखित सूचनाओं से प्रति आदेश को प्रेषित करने की लागत ज्ञात कीजिए

From the following information, calculate Ordering Cost per order (Cp) if the company follows the policy of economic order quantity :

वार्षिक उपभोग (Annual usage)                                                              18,000 Lbs.

प्रति पौंड क्रय मूल्य (Purchase Price Per Pound)                          Rs. 1 प्रति इकाई

प्रति माह वहन लागत (Carrying cost per unit per month)              0.50%

सामग्री को वहन करने एवं आदेश देने की वार्षिक कुल लागत                     Rs. 360

(Total cost of carrying inventory and ordering per annum)

Ans. Ordering Cost per Order (Cp) = Rs. 60.

14. यह मानते हुए कि कम्पनी मितव्ययं आदेश मात्रा नीति का अनुसरण करती है. निम्नलिखित सूचनाओं  से प्रति इकाई प्रति माह वहन लागत (प्रतिशत में) ज्ञात कीजिए

From the following information, calculate Carrying Cost per unit (Ch) per month (in %) is the company follows the policy of Economic order quantity :

वार्षिक उपभोग (Annual usage)                                                                         6,750 Units

प्रति इकाई क्रय मूल्य (Purchase Price per unit)                                           Rs.50

प्रत्येक आदेश को प्रेषित करने की लागत (Cost of Placing on Order)        Rs. 100

सामग्री को वहन करने एवं आदेश देने की वार्षिक कुल लागत                            Rs. 4,500

(Total cost of carrying inventory and ordering per annum)

Ans. Carrying Cost per unit per month 2.5%.

15. निम्नलिखित सूचनाओं से प्रति इकाई प्रति वर्ष वहन लागत ज्ञात कीजिए

From the following information, calculate Carrying Cost per unit per annum :

मितव्ययी आदेश मात्रा (Economic Order Quantity)                                  4,000 Units

वार्षिक उपभोग (Annual usage)                                                                      1.60,000 Units

प्रत्येक आदेश को प्रेषित करने की लागत (Cost of Placing an order)         Rs. 50

Ans. Carrying Cost per unit per annum =                                       Rs. 1.00.

16. एक निर्माता को किसी कच्ची सामग्री की 1,000 इकाई प्रति मास की आवश्यकता है। आदेश लागत 15 रु. प्रति आदेश है। धारण व्यय 2 रु. प्रति इकाई के अतिरिक्त औसत संचिति का 15% प्रति इकाई। प्रति वर्ष अनुमानित है। सामग्री का क्रय मूल्य 10 रु. प्रति इकाई है। मितव्ययी आदेश समूह ज्ञात कीजिए तथा कुल लागत निकालिए। निर्माता को 2,000 इकाइयों से अधिक परन्तु 5,000 इकाइयों से कम के आदेश पर 5% की कटौती दी जाती है, जबकि 5,000 इकाइयों या अधिक इकाइयों के आदेश पर 2% अतिरिक्त कटौती दी जाती है। तीनों विकल्पों में से वह किसे चुनेगा?

A manufacturer requires 1,000 units of raw material per month. The ordering cost is Rs. 15 per order. The carrying cost in addition to Rs. 2 per unit is estimated to be 15% of the average inventory per unit per year. The purchase price of the raw material is Rs. 10 per unit. Find the economic lot size and the total cost. The manufacturer is offered a 5% discount in purchase price for orders of 2,000 units or more but less than 5,000 units. A further 2% discount is available for orders of 5,000 units or more units. Which of the three ways of purchase he should adopt?

Ans. E.0.0. = 321 Units approximate, T.I.C. Rs. 1,21,122, when qo=2,000 units then T.I.C. Rs, 1,17,515 when qo=D5,000 units then TI.C. Rs. 1,20,123.50. He should accept the offer of 5% discount.

Hint : R=1,000×12 = 12,000 units; CH= Rs. 2+ 15% of Purchase Price.

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17. XYZ कम्पनी 500 डिब्बों के समूह में खरीदारी करती है जो 3 महीने की आपूर्ति है। प्रति डिब्बा लागत 125 रु. है और आदेश देने की लागत 150 रु. है। स्कन्ध वहन लागत इकाई मूल्य का 20 प्रतिशत अनुमानित है।

(i) वर्तमान स्कन्ध नीति के तहत कुल वार्षिक लागत क्या है?

(ii) ‘मितव्ययी आदेश मात्रा’ का प्रयोग करने से कितनी बचत होगी?

XYZ Company buys in lots of 500 boxes which is a 3 month supply. The cost per box is Rs. 125 and the ordering cost is Rs. 150. The inventory carrying cost is estimated at 20% of unit value :

(i) What is the total annual cost of the existing inventory policy?

(ii) How much money could be saved by employing the economic order

quantity?

Ans. (i) TIC at present policy = Rs. 2,56,850

(ii) TIC at E.O.O. =Rs. 2,53,873

Saving of Rs. 2,977 at E.O,Q. over existing policy.

18. उत्पादन में किसी सामग्री की नियमित माँग की आपूर्ति हेतु गरिमा लिमिटेड ‘एक्स’ सामग्री की प्रति माह 1.00.000 इकाइयाँ क्रय करती है। आदेश लागत 200 रुपये प्रति आदेश है एवं वहन लागते पसे प्रति इकाई प्रति माह हैं। मितव्ययी आदेश मात्रा ज्ञात कीजिए। क्या गरिमा लिमिटेड को प्रति इकाई की मात्रा छूट स्वीकार कर लेनी चाहिये यदि यह 50,000 इकाइयों के समूह में खरीदार करती है ?

Garima Ltd. buys 1,00,000 units of material X every month to supply steady demand for the material in production. Order Costs are Rs. 200 per order and the carrying costs are 10 paise per unit per month. Find out the E.O.O. Should Garima Limited accept a quantity discount of 2 paise per unit for material X if it buys in lots of 50,000 Units ?

Ans. E.O.O. 20,000 Units: Total annual ordering and carrying cost at present (200X60) + (1-20X 10,000) = Rs. 24,000; In case of acceptance of quantity discount, annual ordering and carrying cost = (200X24) + (1-20X25,000) = 34,800-Discount (12,00,000×0.02) = Rs. 10,800. Hence, Garima Limited should accept the quantity discount. Savings = 24,000 – 10,800 = Rs. 13,200.

19. एक निर्माणी कम्पनी की सामग्री के एक विशेष मद से सम्बन्धित निम्नलिखित विवरण से सर्वोत्तम आदेश मात्रा की गणना कीजिए

आदेशित मात्राएँ                  मूल्य प्रति टन             प्रति टन छोड़ी गयी कटौती

(टनों में)                                         रु                                         रु

250 टन से कम                         6.00                                    0.40

250 व 800 से कम                    5.90                                   0.30

800 व 2,000 से कम                5.80                                   0.20

2,000 व 4,000 से कम             5.70                                    0.10

4,000 व अधिक                       5.60                                        _

सामग्री की वार्षिक माँग 4,000 टन है व संचिति धारण लागत प्रति इकाई औसत लागत का 20% प्रति वर्ष है। आदेश लागत 6 रु. प्रति आदेश है।

From the following particulars with respect to a particular item of materials of manufacturing company, calculate the best quantity to order :

Ordering Quantities               Price per ton            Foregone discount per ton

(Tonnes)                                                    Rs.                                 Rs.

Less than 250                                      6.00                               0.40

250 and less than 800                    5.90                                 0.30

800 and less than 2,000                5.80                                0.20

2,000 and less than 4,000            5.7                                  0.10

4,000 and above                           5.60                                    _

The annual demand for material is 4,000 tonnes. Stock holding costs are 20% of material cost per annum. The ordering cost per order is Rs. 6.00.

Ans. E.O.Q.=800 tons and TI.C.=Rs. 23,694.

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20. एक कारखाना प्रति वर्ष किसी कच्चे माल की 24,000 इकाइयों का प्रयोग करता है, जिसका मूल्य 1.25 रु. प्रति इकाई है। आदेश व्यय 25 रु. प्रति आदेश है, और धारण व्यय औसत संचिति का 6 प्रतिशत प्रतिवर्ष है। मितव्ययी आदेश मात्रा ज्ञात कीजिए, और सम्पूर्ण संचिति व्यय (जिसमें कच्चे माल का मूल्य। भी सम्मिलित हो) ज्ञात कीजिए । कारखाना वर्ष भर में 320 दिन कार्य करता है। यादे अधिप्राप्ति समय । 10 दिन हो, और सुरक्षा संचिति 450 इकाइयाँ हों, तो पुनरादेश स्तर और न्यूनतम, अधिकतम तथा औसत । संचिति ज्ञात कीजिए।

यदि सामग्री विक्रेता 24,000 इकाइयों के केवल एक आदेश पर क्रय मूल्य में 5 प्रतिशत की छूट का प्रस्ताव करे तो क्या कारखाने को उसे स्वीकार कर लेना चाहिए?

A factory uses annually 24,000 units of a raw material which costs Rs. 1.25 per unit. Placing each order costs Rs. 25, and the carrying cost is 6 percent per year cf the average inventory. Find the economic order quantity, and the total inventory cost (including the cost of material). The factory works for 320 days a year. If the procurement time is 10 days and safety stock 450 units, find the reorder point and the minimum, maximum and average inventories.

If the supplier offers a discount of 5% on the cost price for a single order of 24,000 units, should the factory accept it? |

Ans. E.O.Q. = 4,000 units. TI.C. = Rs. 30,300 Reorder Point = 1,200 units, Maximum Inventory = 4,450 units Average Inventory = 2,450 units, Minimum Inventory = 450 units T.I.C. in case of single order of 24,000 units Rs. 29,380 Factory should accept the offer of discount of 5%.

21. निम्नलिखित स्कन्ध समस्या के लिए ज्ञात कीजिए-(i) मितव्ययी आदेश मात्रा, (ii) आदेशों की संख्या, (iii) पुनरादेश बिन्दु एवं (iv) सुरक्षा संचिति

For the following Inventory problem, find : (i) Economic Order Quantity, (ii) Number of Orders, (iii) Reorder Point and (iv) Safety Stock :

वार्षिक माँग (Annual demand)                                  = 36,000 units

लागत प्रति इकाई (Cost per Unit)                                = Re. 1

आदेशन लागत (Ordering Cost)                                 = Rs. 25 per order

पूँजी की लागत (Cost of Capital)                                   15%

भण्डारण चार्ज (Storage Charge)                                    = 5%

अग्रता समय (Lead Time)                                        = 1/2 month

सुरक्षा संचिति (Safety stock)                          = one month’s consumption

Ans. (i) EOQ=3,000 units, (ii) Number of orders = 12, (iii) ROP=4,500 units,

(iv) SS=3,000 units.

22. A तथा ‘B’ सामग्री के विवरण इस प्रकार हैं

औसत उपयोग दर             200 इकाई प्रति सप्ताह प्रत्येक

न्यूनतम उपयोग दर          100 इकाई प्रति सप्ताह प्रत्येक कर

अधिकतम उपयोग दर         300 इकाई प्रति सप्ताह प्रत्येक

पुनः आदेश मात्रा             ‘A -1,200 इकाइयाँ

‘B’ -2,000 इकाइयाँ

पुनः आदेश अवधि            A -3 से 5 सप्ताह

‘B’ -2 से 4 सप्ताह

प्रत्येक सामग्री के लिए गणना कीजिए

(i) पुनःआदेश स्तर;        – (ii) न्यूनतम स्तर;

(ii) अधिकतम स्तर तथा     (iv) औसत स्तर।

The paticulars of ‘A’ and ‘B’ materials are as follows:

Normal usage           : 200 units per week each

Minimum usage          : 100 units per week each

Maximum usage         : 300 units per week each

Reorder Quantity          A -1,200 units

‘B’ – 2,000 units

Reorder Period          : A -3 to 5 weeks

‘B’ -2 to 4 weeks

Calculate for each material :

(i) Reorder level;             (ii) Minimum level,

(iii) Maximum level and        (iv) Average level

Ans. (i) Reorder level : A=1,500 units; B= 1,200 units

(ii) Minimum level : A= 700 units, B=600 units

(iii) Maximum level : A= 2,400 units, B = 3,000 units

(iv) Average level : A= 1,300 units, B= 1,600 units…

Financial Inventory Management

23. एक कम्पनी अपनी सामग्री को 12,500 इकाइयों के समूह में क्रय करती है । औसत उपयोग दर 2,500 इकाइयाँ प्रति सप्ताह, अधिकतम उपयोग दर 3,000 इकाइयाँ प्रति सप्ताह, प्राप्ति समय 2 सप्ताह और सुरक्षित स्कन्ध 1,000 इकाइयाँ है । पुन:आदेश स्तर, अधिकतम तथा औसत स्कन्ध स्तर ज्ञात कीजिए।

A company purchases its raw materials in lots of 12,500 units, Average rate of usage is 2,500 units per week, Maximum rate of usage is 3,000 units per week, procurement time is 2 weeks and the safety stock is 1,000 units. Find out rcordering level, minimum, maximum and average inventories.

Ans. (1) Reordering Level= 1,000 units + (2,500×2)=6,000 units

(2) Minimum Level=Safety stock=1,000 units

(3) Maximum Inventory= 1.000+ 12,500 = 13,500 units.

(4) Average Inventory=7,250 units.

24. यदि ‘अ’ कच्ची सामग्री का न्यूनतम टॉक स्तर एवं औसत स्टॉक स्तर क्रमशः 12,000 इकाई एवं 27,000 इकाई हो तो पुनआदेश मात्रा ज्ञात कीजिए।

If the minimum stock level and average stock level of raw material A’ are 12,000 and 27,000 units respectively, find out its Re-order quantity.

Ans. 30,000 Units.

25. किसी कम्पनी में ‘अ’ सामग्री का न्यूनतम एवं अधिकतम उपभोग क्रमशः 100 एवं 300 इकाइयाँ प्रति सप्ताह है। कम्पनी द्वारा निश्चित की गई पुनआदेश मात्रा 1,200 इकाइयाँ हैं। आपूर्ति आदेश निर्गत करने के 4 से 6 सप्ताह के अन्तर्गत सामग्री प्राप्त हो जाती है। ‘अ’ सामग्री का न्यूनतम एवं अधिकतम स्तर परिकलित कीजिए।

In a company, minimum and maximum consumption of material ‘A’ are 100 and 300 units per week respectively. The re-order quantity as fixed by the company is 1,200 units. The material is received within 4 to 6 weeks from issue of supply order. Calculate minimum level and maximum level of material A.

Ans. Minimum Level = 800 Units; Maximum Level = 2,600 Units.

Financial Inventory Management

26. गर्ग फार्मेसी दो बूटी ‘अ’ एवं ‘ब’ का प्रयोग करके संजीवनी टॉनिक उत्पादित करती है। टॉनिक के प्रत्येक लीटर हेतु ‘अ’ की 20 सेंटीलीटर एवं ‘ब’ की 80 सेंटीलीटर की जरूरत है। साप्ताहिक उत्पादन 400 लीटर से 500 लीटर तक परिवर्तित होता है एवं औसतन उत्पादन 450 लीटर है। दोनों बूटियो । हेतु सुपुर्दगी अवधि 2 से 4 सप्ताह तक है । मितव्ययी आदेश मात्रा ‘अ’ हेत 700 लीटर है एवं ‘ब’ हेतु 1,000 लीटर है । गणना कीजिये–(i) ‘ब’ का पुनर्बादेश स्तर, (ii) ‘ब’ का अधिकतम स्तर एवं (iii) ‘अ’ का न्यूनतम स्तर।

Gary Pharmacy produces Sanjivini tonic using two herbs ‘A’ and ‘B’. Each litre of tonic requires 20 centilitres of ‘A’ and 80 centilitres of ‘B’. Weekly production varies from 400 litres to 300 litres averaging 450 litres. Delivery period for both the herbs is 2 to 4 weeks. The economic order quantity for ‘A’ is 700 litres and for ‘B’ is 1,000 litres.

Calculate : (i) Re-order Level of ‘B’, (ii) Maximum Level of ‘B’ and (iii) Minimum Level of ‘A’.

Ans. (i) 1,600 litres, (H) 1,960 litres, (iii) 130 litres.

27. निम्नलिखित ऑकड़े स्कन्ध की एक विशेष मद से सम्बन्धित हैं

The following data relates to a particular item in stock:

सामान्य उपयोग (Normal usage)                                        110 units per day

न्यूनतम उपयोग (Minimum usage)                                     50 units per day

अधिकतम उपयोग (Maximum usage)                               140 units per day

सुपुर्दगी समय (Lead time)                                                      25 to 30 days

आर्थिक आदेश आकार (पहले से ज्ञात किया गया) (EOQ calculated earlier) 5,000 units उपरोक्त आंकड़ों के आधार पर पुन:आदेश, न्यूनतम एवं अधिकतम स्तर ज्ञात कीजिए।

Using the above data, calculate the reorder, minimum and maximum levels.
Ans. Reorder level = 4,200 units; Minimum level=1,175 units; Maximum level=7,950 units.

28. एक फर्म वर्ष के प्रत्येक दिन कार्य करती है। एक पुर्जे की समस्त इकाइयाँ जो यह उत्पादित करती है, एक साथ स्कन्ध गृह को भेजी जाती हैं। पुर्जा एक असेम्बली विभाग द्वारा समान दर से उपयोग होता है। 400 इकाई न्यूनतम स्कन्ध रखा जाता है। पुनः आदेश स्तर 500 इकाई है तथा आदेशित माल को प्राप्त करने में 8 दिन का समय लग जाता है। आदेश की मात्रा इतनी है कि औसत स्कन्ध 1,200 इकाई होता है।

ज्ञात कीजिए

(i) प्रति सप्ताह उपभोग दर                       (ii) आदेश की मात्रा।

A firm operates every day of the year. The entire lot of a machine part, it produces is delivered to the stock room at one time. The part is used by the assembly department at a uniform rate. A minimum inventory of 400 units is carried. The reorder point is 500 units, and the procurement time for a replenishment order is 8 days. The lot size is such that the average inventory of the machine part is 1,200 units.

Find out :

(i) The rate of usage per week (ii) The lot size.

Ans. (i) 87.5 units per week.

(ii) Lot Size=1,600 units.

29. दो उत्पादों A एवं ‘B’ के सम्बन्ध में वार्षिक माँग, आदेशन लागत प्रति आदेश तथा स्कन्ध के मूल्य के प्रतिशत के रूप में वहन लागते एकसमान हैं। लेकिन A का मूल्य ‘B’ के मूल्य की तुलना में 5 गुना है। अगर A के लिए मितव्ययी आदेश मात्रा 100 इकाई है तो ‘B’ के लिए मितव्ययी आदेश मात्रा क्या होगी?

The annual demand, buying cost per order, and carrying cost per year as a percentage of the value of inventory in the case of two products ‘A’ and ‘B’ are the same. However, the price of A’ is 5 times as much as that of B. If the E.O.Q. for ‘A’ is 100 units, what will be the E.O.Q. for B?

Ans. E.O.O. = 223.6 units

30. 31 मार्च 2005 को समाप्त होने वाले वर्ष के निम्नलिखित समंकों से दो सामग्री मदों के स्कन्ध आवर्त अनुपात की गणना कीजिए एवं दिनों की संख्या में व्यक्त कीजिए. जिनमें स्कन्ध को रखा गया है:

From the following data for the year ended 31st March, 2005, calculate the inventory turnover ratio of the two items and express in number of days the average inventory is held :

Material A?              Material ‘B’

Rs.                          Rs.

Opening stock 1.4.2004                          9,000                       10,000

Purchases during the year                       52,000                      27,000

Closing Stock 31.3.2005                          6,000                     11,000

Ans. Inventory Turnover Ratio – Material A’_7. Material B-2.5. Inventory Turnover Period: Material A-52 days approximate, Material B — 146 days.

31. नीचे दी हुई सूचनाओं के आधार पर निम्न मदों का ए बी सी श्रेणियों में विश्लेषण कीजिए

Analyse the following items into A, B and C categories on the basis of information given below:

Category A : Rs. 50,000 and above (Total Value)

Category B : Rs. 30,000 to Rs. 50,000 (Total Value)

Category C: Below Rs. 30,000 (Total Value)

Item No             Units            Units Rate

1                 5,000              30.40

2                 8,000               5.52

3                 15,000              1.70

4                 7,000                5.12

5                  2,500               51.20

6                 7,500               1.50

7                5,000                  0.65

chetansati

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