BCom 3rd Year Financial Management of Cash Study Material Notes in Hindi
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BCom 3rd Year Financial Management of Cash Study Material Notes in Hindi Objectives of Cash Management Steps of Functions of Cash Management Method of Improving Cash Collection Cash Budget (Examination Objective Long Answer Theoretical Questions Short Answer Questions Objective Questions Financial Management of Cash Fill in the Blanks Numerical Questions Short Answer Numerical Questions
BCom 3rd Year Management Of Working Capital Study Material Notes in Hindi
रोकड़ प्रबन्ध
MANAGEMENT OF CASH)
पिछले अध्याय में कार्यशील पूँजी के प्रबन्ध की विस्तृत विवेचना की गई है। कार्यशील पूँजी के प्रबन्ध का मुख्य उद्देश्य संस्था की चालू सम्पत्तियों का कुशलतापूर्वक प्रबन्ध करना है ताकि कोई भी चालू सम्पत्ति न तो आवश्यकता से बहुत अधिक हो और न आवश्यकता से बहुत कम। चालू सम्पत्तियों मेंप्रमुख रूप से रोकड़, देनदार, प्राप्य बिल व स्टॉक को सम्मिलित किया जाता है। प्रस्तुत अध्याय में रोकड़ प्रबन्ध को विस्तार से समझाया जा रहा है जबकि शेष चालू सम्पत्तियों के प्रबन्ध का वर्णन अगले अध्यायों में किया गया है। __रोकड़, चालू सम्पत्तियों का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण घटक है । रोकड़ का व्यापार में वही स्थान है जो मानव शरीर में रक्त का होता है। जिस प्रकार मानव शरीर में रक्त की अल्पता मनुष्य के शरीर को कमजोर एवं बीमार बना देती है, ठीक उसी प्रकार किसी व्यवसाय में यदि रोकड़ रूपी रक्त की कमी हो जाती है, तो उस व्यवसाय की समस्त आर्थिक क्रियाएं रुक जाती हैं एवं तरलता की स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। रोकड़ एक गैर-अर्जन (Non-earning) वाली चालू सम्पत्ति होती है, अत: आवश्यकता से अधिक रोकड़ जो कि व्यापार में निष्क्रिय पड़ी है तथा जो व्यवसाय की आर्थिक क्रियाओं को सम्पादित नहीं कर रही है, वह रोकड़ व्यवसाय की लाभदायकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। रोकड़ किसी भी व्यवसाय में न तो आवश्यकता से कम होनी चाहिए और न ही आवश्यकता से अधिक, दोनों ही स्थितियाँ व्यवसाय हेतु हानिप्रद हैं, अत: व्यवसाय में | रोकड़ की मात्रा पर्याप्त होनी चाहिए अर्थात् व्यवसाय को कुशलतापूर्वक चलाने के लिए यह आवश्यक है कि | रोकड़ का प्रबन्ध कुशलतापूर्वक किया जाये। रोकड़ या नकद कोषों में हस्तस्थ रोकड़ (Cash in hand), बैंक शेष (Balance at Bank), विपणन योग्य प्रतिभूतियों (Marketable Securities) तथा बैंक में सावधि जमा (Time Deposit) को सम्मिलित किया जाता है। रोकड़ प्रबन्ध के सम्बन्ध में वित्तीय प्रबन्धक का दायित्व न केवल रोकड़ का उचित उपयोग करना है, बल्कि उसे रोकड़ की न्यूनतम राशि इस प्रकार निश्चित करनी होती है जिससे संस्था में आवश्यक तरलता रखते हुए अधिकतम लाभ अर्जित किया जा सके।
Financial Management of Cash
रोकड़ या नकद कोष रखने की आवश्यकता
(Need for Holding Cash OR Cash Fund)
नकद कोष या रोकड़ रखने के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं
1 व्यापार सम्बन्धी आवश्यकताएँ (Transaction Motives)-प्रायः प्रत्येक संस्था को माल का क्रय करने, मजदूरी, कर तथा दिन-प्रतिदिन के अन्य व्ययों का भुगतान करने के लिए नियमित रूप से रोकड़ की आवश्यकता होती है। अत : प्रतिदिन के व्ययों का भुगतान करने के लिए नकदी रखना आवश्यक है। संक्षेप में दैनिक लेन-देनों की आवश्यकताओं को परा करने के लिए नकद कोष रखना रोकड की व्यापार सम्बन्धी आवश्यकता कहलाती है।
2. पूर्व-विचार सम्बन्धी आवश्यकताएँ (Precautionary Motives)-पूर्व-विचार सम्बन्धी आवश्यकताओं का अर्थ ऐसी अज्ञात एवं आकस्मिक आवश्यकताओं से होता है जिनका पूर्वानुमान करना कठिन होता है, लेकिन व्यवसाय में ये घटित होती रहती हैं। ऐसी आवश्यकताओं में मजदूरों द्वारा हड़ताल, प्राप्यों की वसूली में देर होना, माल की कम बिक्री, कुछ आदेशों का रद्द हो जाना, आदि। ऐसी अज्ञात एवं आकस्मिक घटनाओं से व्यवसाय की रक्षा करने के लिए रखी जाने वाली नकद राशि, रोकड़ की पूर्व-विचार सम्बन्धी आवश्यकता कहलाती है।
3. सट्टा सम्बन्धी आवश्यकताएँ (Speculative Motives)-कुछ व्यावसायिक संस्थाएं सट्टे से लाभ कमाने के उद्देश्य से भी नकद कोष रखती हैं। इसका मुख्य उद्देश्य भविष्य में मूल्य-स्तर में होने वाले परिवर्तनों से लाभ कमाना होता है। उदाहरणार्थ, यदि फर्म को किसी समय कच्चा माल सस्ता मिल रहा हो, तो वह अधिक क्रय करने का विचार कर सकती है।
Financial Management of Cash
रोकड़ या नकदी के स्तर को निर्धारित करने वाले घटक
(Factors Determining Cash Balance)
किसी संस्था में कितना नकद कोष रखा जाये, इसका उत्तर देना अत्यन्त कठिन है। इस सम्बन्ध में निम्नलिखित तत्वों का निर्णायक प्रभाव पड़ता है
1 संस्था की साख स्थिति अच्छी व सुदृढ़ साख वाली संस्थाओं को कम रोकड़ रखने की आवश्यकता होती है क्योंकि आवश्यकता पड़ने पर इन्हें विभिन्न स्रोतों से रोकड़ आसानी से उपलब्ध हो जाती है। इसके अतिरिक्त ऐसी संस्थाओं को उधार माल आसानी से मिल जाता है जिसके कारण भी अधिक नकदी रखने की आवश्यकता नहीं होती है। इसके विपरीत. जिन फर्मों की साख स्थिति अच्छी नहीं होती उन्हें अधिक कोष रखने होते हैं।
2. स्टॉक रखने की स्थिति-यदि व्यवसाय इस प्रकार का है कि जिसमें कच्चे माल एवं तैयार माल का स्टॉक अधिक मात्रा में रखा जाता है तो नकद कोषों की अधिक आवश्यकता होगी। इसके विपरीत स्टॉक कम मात्रा में रखने पर कम नकद कोषों की आवश्यकता होती है। ___
3. संग्रहण नीति-यदि संस्था की संग्रहण नीति कुशल एवं दक्षतापूर्ण है तो संस्था को समय पर रोकड उपलब्ध हो सकेगी तथा डूबत ऋण भी कम होंगे, अतः संस्था को कम रोकड़ रखने की आवश्यकता होगी। विपरीत परिस्थिति में संस्था को अधिक रोकड़ रखने की आवश्यकता होगी।
4. क्रय-विक्रय की शर्ते क्रय-विक्रय की शर्ते व्यवसाय की रोकड़ आवश्यकताओं को प्रभावित करती हैं। यदि संस्था को आसान शर्तों पर कच्चा माल प्राप्त करने की सुविधा प्राप्त होती है, किन्तु वह बिक्री नकद शर्तों पर करती है, तो ऐसी स्थिति में व्यवसाय संचालन हेतु अधिक रोकड़ की आवश्यकता नहीं होगी। इसके विपरीत परिस्थिति में अर्थात् कच्चे माल की नकद खरीद एवं उधार बिक्री की दशा में अधिक रोकड़ रखने की आवश्यकता होगी। __
Financial Management of Cash
5. वस्तु की माँग की प्रकृति-फर्म द्वारा उत्पादित वस्तु की माँग यदि बाजार में वर्ष भर बनी रहती है तथा वस्तु की प्रकृति नकद विक्रय अथवा कम समय हेतु उधार विक्रय की है, तो कम रोकड़ की आवश्यकता होगी। इसके विपरीत पूँजीगत तथा विलासिता की वस्तुएँ उत्पादित करने वाली संस्थाओं को अधिक रोकड़ रखनी पड़ती है। __
6. बैंकों से सम्बन्ध–यदि संस्था के बैंकों से अच्छे सम्बन्ध हैं तथा अधिविकर्ष (overdraft), आदि की सुविधा उपलब्ध है तो कम रोकड़ रखने की आवश्यकता होगी।
7. प्रबन्धकीय नीति-यदि संस्था के स्वामी एवं प्रबन्धक संस्था के संसाधनों की लाभदायकता की तुलना में तरलता को अधिक महत्त्व देते हैं, तो रोकड़ शेषों की मात्रा अधिक होगी। इसके विपरीत,यदि स्वामी एवं प्रबन्धक संसाधनों की लाभप्रदता को अधिक महत्त्व देते हैं, तो रोकड़ शेष को न्यूनतम रखने का प्रयास करेंगे।
8. आपातकाल में उधार लेने की क्षमता यदि संस्था आकस्मिक परिस्थितियों में उधार लेने की क्षमता रखती है, तो उसे कम रोकड़ रखने की आवश्यकता होगी। इसके विपरीत स्थिति में फर्म को अपने पास ही अधिक नकद कोषों की व्यवस्था करनी पड़ती है।
Financial Management of Cash
रोकड़ प्रबन्ध के उद्देश्य (Objectives of Cash Management)
रोकड़ प्रबन्ध के अन्तर्गत नकद एवं नकद-तुल्य सम्पत्तियों का प्रबन्ध किया जाता है। नकद-तुल्य सम्पत्तियों में शीघ्र विपणन योग्य प्रतिभूतियां तथा बैंक में जमा धनराशि को सम्मिलित करते हैं। रोकड़ प्रबन्ध का प्रमुख उद्देश्य संस्था के लाभों को अधिकतम करने के लिए तरलता एवं लाभदायकता में सन्तुलन बनाये रखना है। संस्था के पास जितनी अधिक रोकड़ होगी तरलता उतनी ही अधिक होगी लेकिन लाभदायकता उतनी ही कम होगी। इसके विपरीत.संस्था के पास जितने रोकड शेष कम होंगे तरलता उतनी ही कम होगी तथा लाभ-अर्जन शक्ति उतनी ही अधिक होगी। अत :संस्था को तरलता एवं लाभदायकता में सन्तुलन बनाये रखना होता है। संक्षेप में, रोकड़ प्रबन्ध के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं
(अ) भुगतान सम्बन्धी व्यवस्था बनाये रखना-व्यापार के सामान्य संचालन में प्रत्येक संस्था को माल के पूर्तिकर्ताओं, कर्मचारियों, आदि को निरन्तर व नियमित रूप से नकद भुगतान करने पड़ते हैं। यदि भुगतान सही समय पर नहीं किए जाएं तो व्यावसायिक क्रियाओं में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है, अत : रोकड़ प्रबन्ध का प्रमुख उद्देश्य व्यवसाय से सम्बन्धित विभिन्न भुगतानों को करने के लिए आवश्यक नकद राशि उपलब्ध कराना है। पर्याप्त रोकड़ शेष रखने से संस्था को अग्रलिखित लाभ प्राप्त हो सकते
1 व्यापारिक छूट का लाभ-पर्याप्त रोकड़ शेष रखने वाली संस्थाओं को समय पर भगतान करने के फलस्वरूप व्यापारिक छूट का लाभ मिलता है जिससे संस्था के लाभों में वद्धि होती है।
2. व्यावसायिक सुअवसरों का लाभ-पर्याप्त रोकड़ शेष रखने वाली संस्थाएं अनुकूल व्यावसायिक सअवसरों का लाभ उठा सकती हैं। जैसे बाजार में अचानक कच्चे माल के मूल्यों में कमी होने पर माल का स्टॉक करना, समृद्धिकाल में व्यवसाय का विस्तार करना, आदि ।
3. अप्रत्याशित घटनाओं का सामना-हड़ताल, आग लग जाना, आदि अप्रत्याशित घटनाओं के समय पर्याप्त रोकड शेष रखने वाली संस्थाएं इन घटनाओं का आसानी से सामना कर सकती हैं।
4. बैंकों व ऋणदाताओं से मधुर सम्बन्ध-पर्याप्त रोकड़ शेष रखने वाली संस्थाओं से सम्बन्ध बनाने तथा सम्बन्ध बनाए रखने को बैंक भी उत्सुक रहते हैं। अत : ऐसी संस्थाएं आवश्यकतानुसार उचित ब्याज दर पर ऋण प्राप्त कर सकती हैं।
5. साख का बने रहना-जिन संस्थाओं के पास पर्याप्त रोकड़ शेष होते हैं उनकी बाजार में अच्छी साख रहती है जिससे उन्हें अनुकूल शर्तों पर माल मिल जाता है।
(ब) नकद शेषों को न्यूनतम रखना-रोकड़ प्रबन्ध का दूसरा प्रमुख उद्देश्य नकद शेषों को न्यूनतम रखना है। रोकड़ शेषों को न्यूनतम करने के लिए वित्तीय प्रबन्ध को दो परस्पर विरोधी पहलुओं में सामंजस्य स्थापित करना होगा। अधिक रोकड़ शेष अन्य लाभों के अतिरिक्त तुरन्त भुगतान को सुनिश्चितता प्रदान करता है, परन्तु इससे रोकड़ शेष का एक महत्त्वपूर्ण भाग बेकार पड़ा रहता है। दूसरी ओर रोकड़ शेष को निम्न स्तर पर रखने से भुगतानों में कठिनाई आने की सम्भावना रहती है। इसलिए वित्तीय प्रबन्धक को सभी लाभ-हानियों को ध्यान में रखते हुए रोकड़ को अनुकूलतम स्तर पर रखना चाहिए।
Financial Management of Cash
रोकड़ प्रबन्ध के चरण अथवा कार्य
(Steps or Functions of Cash Management)
या रोकड़ प्रबन्ध में निहित समस्याएँ
(Problems Involved in Cash Management)
या
रोकड़ प्रबन्ध के प्रमुख आयाम
(Main Dimensions of Cash Management)
रोकड़ प्रबन्ध की समस्याओं का निम्नलिखित चार चरणों में अध्ययन किया जा सकता है—
1 रोकड़ का नियोजन एवं नियन्त्रण (Cash Planning and Control)
2.रोकड-प्रवाहों का प्रबन्ध (Managing the Cash-Flows)
3. रोकड का अनकूलतम स्तर निर्धारण (Determining Optimum Cash Level)
4. अतिरिक्त रोकड का विनियोग (Investing the Surplus or Idle Cash)
Financial Management of Cash
1. रोकड़ का नियोजन एवं नियन्त्रण (Cash Planning and Control)
रोकड़ प्रबन्ध का प्रमुख उद्देश्य रोकड़ शेष को न्यूनतम रखते हुए लाभ को अधिकतम करना है। इस उद्देश्य को रोकड़ के कुशल नियोजन एवं नियन्त्रण द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। रोकड़ नियोजन से आशय किसी भावी निश्चित अवधि के अन्तर्गत सम्भावित विभिन्न व्यवहारों से होने वाली रोकड़ प्राप्ति की मात्रा एवं किए जाने वाले भुगतानों हेतु आवश्यक रोकड़ मात्रा का अनुमान लगाने से है, जबकि रोकड़ नियन्त्रण का अभिप्राय यह देखने से है कि रोकड़ की प्राप्ति एवं भुगतान रोकड़ नियोजन के अनुसार हो रहे हैं या नहीं। नकदी के नियोजन एवं नियन्त्रण की विभिन्न विधियों या उपकरणों को दो भागों में बांटा जा सकता है
(1 रोकड (नकदी) नियोजन के उपकरण-नकदी नियोजन उपकरणों से हमारा अभिप्राय उन पद्धतियों एवं विधियों से है जिनके द्वारा भविष्य के लिए उचित नकदी-स्तर निर्धारित किया जाता है। रोकड़ नियोजन के लिए मुख्यतः निम्नलिखित विधियों का प्रयोग किया जाता है
(अ) रोकड़-प्रवाह विवरण (Cash-Flow Statement)-इस विवरण से वित्तीय प्रबन्धकों को एक निश्चित समयावधि में रोकड़ के विभिन्न स्रोतों (आगमों) एवं रोकड़ के विभिन्न प्रयोगों (निर्गमों) का विश्लेषण प्राप्त हो जाता है जिसके आधार पर वित्तीय प्रबन्धक रोकड़ का नियोजन कर सकते हैं।
(ब) रोकड़ बजट (Cash Budget)-रोकड़ बजट,रोकड़ नियोजन का एक महत्त्वपूर्ण यन्त्र है। इसके अन्तर्गत प्रबन्धकों को भावी माहवार प्राप्तियों (Future monthly receipts) एव भावा माहवार भुगतानों (Future monthly payments) का विश्लेषण प्राप्त हो जाता है। रोकड़ बजट बनाते समय भावी प्राप्तियों एवं भावी भुगतानों को आधार मानकर रोकड़ की आवश्यकता एवं कमी का पूर्वानुमान लगाया जाता है तथा। इस आधार पर रोकड़ का नियोजन किया जाता है। इसका विस्तृत वर्णन इसी अध्याय में आगे किया गया है।
(स) रोकड़ प्रबन्ध प्रतिमान (Cash Management Models)-इनकी सहायता से अनुकूलतम रोकड़ शेष का निर्धारण करके रोकड को नियोजित एवं नियन्त्रित किया जा सकता है । इनका वर्णन इसी अध्याय में रोकड़ प्रबन्ध के तीसरे चरण के अन्तर्गत किया गया है।
(II) रोकड (नकदी) नियन्त्रण के उपकरण-नकदी नियन्त्रण के प्रमुख उपकरण इस प्रकार हैं
(अ) रोकड़ बजट (Cash Budget)-जब रोकड़ बजट व्यापार के लिए नकदी की आवश्यकताओं का पूर्वानुमान लगा देता है तो इसका दूसरा कार्य रोकड़ नियन्त्रण के रूप में शुरू होता है। इस कार्य के लिए नकदी बजट रिपोर्ट (Cash Budget Report) बनाई जाती है । इस रिपोर्ट का आशय वास्तविक आय-व्यय की तुलना पूर्वानुमानित आय-व्यय के साथ करने से है। प्रत्येक बजट अवधि की समाप्ति पर वास्तविक व्ययों एवं बजट राशियों में तुलना की जाती है। तुलनात्मक अध्ययन से यदि दोनों में अन्तर पाया जाता है तो अन्तर के कारणों का पता लगाया जाता है ताकि भविष्य में उन्हें ध्यान में रखा जा सके। नकदी बजट रिपोर्ट, नियन्त्रण करने की एक अच्छी विधि है।
(ब) अनुपात विश्लेषण (Ratio Analysis) विभिन्न अनुपातों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में नकदी के उचित प्रबन्ध पर ध्यान दिया जा सकता है। इन अनुपातों में मुख्य रूप से रोकड़ आवर्त अनुपात (Cash Turnover Ratio). दैनिक नकद भुगतान अनुपात (Daily Cash Payment Ratio), रोकड़-प्रवाह व्याप्ति अनुपात (Cash-Flow Coverage Ratio), आधारभूत रक्षक अन्तर (Basic Defensive Interval) तथा नकद स्थिति अनुपात (Cash Position Ratio) को सम्मिलित किया जाता है।
Financial Management of Cash
रोकड़-प्रवाहों का प्रबन्ध (Managing the Cash-Flows)
कुशल रोकड़ प्रबन्ध तरलता एवं लाभदायकता दोनों उद्देश्यों को ध्यान में रखकर किया जाता है जिसके लिए रोकड़-प्रवाहों का समुचित नियन्त्रण आवश्यक है । रोकड़-प्रवाहों में रोकड़ अन्तर्वाह (Cash inflows) तथा रोकड़ बहिर्वाह (Cash outflows) दोनों को सम्मिलित किया जाता है, जिनकी संक्षिप्त विवेचना इस प्रकार है
(अ) रोकड़ अन्तर्वाहों का प्रबन्ध (Managing the Cash Inflows)-रोकड़ प्रबन्ध के इस चरण के अन्तर्गत प्रबन्धक रोकड़ वसूली की गति को तीव्रतम बनाने के साथ-साथ उसे और अधिक प्रभावी बनाने का प्रयास करते हैं। इसके अन्तर्गत प्रबन्धक विक्रय नीति में आमूल-चूल परिवर्तन करते हैं। नकद विक्रयों (Cash sales) पर अधिक बल दिया जाता है तथा उधार नीति में परिवर्तन करके कठोर वसूली नीति (Strict realisation policy) अपना कर ग्राहकों से शीघ्र-अति-शीघ्र रोकड एकत्र करने का प्रयास किया जाता है। दूसरी ओर प्राप्त चेकों, प्राप्य बिलों, ड्राफ्टों, हुण्डियों, आदि के माध्यम से प्राप्त वसूली को शीघ्र-अति-शीघ्र तरल रूप में बदलने के सभी आवश्यक उपाय किए जाते हैं। संक्षेप में.रोकड वसूली की गति को तीव्रतर करने के लिए कोई भी संस्था दो तरीके अपना सकती है-इसके लिये एक तरीका तो ग्राहकों को जल्दी भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित करने का है तथा दूसरा तरीका ग्राहकों से प्राप्त भुगतान को जल्दी-से-जल्दी नकदी में परिवर्तित करने का है। इनकी विस्तृत विवेचना इस प्रकार है
Financial Management of Cash
रोकड़ वसूली की गति को तीव्र करने के तरीके
(Methods of Improving Cash Collection)
(i) ग्राहकों द्वारा शीघ्र भुगतान (Prompt Payment by Customers)-उधार विक्रय के पश्चात् ग्राहकों से यथाशीघ्र भुगतान प्राप्त करने के प्रयास किए जाने चाहिए। इसके लिए कठोर वसूली नीति के साथ-साथ नकद छूट का लालच देकर जल्दी भुगतान करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। ।
(ii) संग्रहण केन्द्रों की स्थापना (Establishment of Collection Centres) -सामान्यतया वाभन्न स्त्रोतों से रोकड़ संग्रहण (वसूली) हेतु संस्था के प्रधान कार्यालय में ही वसली केन्द्र होता है, परन्तु रोकड़ अन्तवाह। की गति को तीव्र करने के लिए बड़ी संस्थाएं उन सभी स्थानों पर वसूली केन्द्र स्थापित कर सकती हैं जहा ‘सस्था बड़ी मात्रा में व्यापार करती हैं। इन केन्द्रों की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य ग्राहकों द्वारा प्रेषित भुगतान और संस्था द्वारा उसकी प्राप्ति के बीच लगने वाले समय को न्यूनतम करना है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत संस्था के सभी ग्राहक अपने क्षेत्र में स्थित वसूली केन्द्र को ही भुगतान करते हैं जो स्थानीय चेक या नकदी में हो सकता है। प्रत्येक क्षेत्र से सम्बन्धित वसूली केन्द्र ग्राहकों से भगतान प्राप्त करके तरन्त स्थानीय बैंक में प्रधान कार्यालय के खाते में जमा करा देता है। स्थानीय बैंक से यह धनराशि उस बैंक में स्थानान्तरित कर दी जाती है जिसमें सम्बन्धित संस्था लेन-देन करती है। इस प्रकार बहत कम समय में ही वसली की गई राशि प्रधान कार्यालय में पहुंच जाती है। इस प्रकार की व्यवस्था को ‘संकेन्द्रित बैंक व्यवस्था’ (Concentration Banking) के नाम से जाना जाता है। ग्राहकों से शीघ्र वसूली हो जाने के फलस्वरूप न केवल सम्बन्धित संस्था में अशोध्य ऋण की हानि कुछ सीमा तक कम हो जाती है वरन् एकत्रित धनराशि पर ब्याज के रूप में कछ आय भी अर्जित कर सकती है। परन्तु वसूली केन्द्रों की स्थापना से संस्था को अतिरिक्त लागत भी वहन करनी पड़ती है। अत: केन्द्रित व्यवस्था की जगह विकेन्द्रित व्यवस्था को लागू करते समय अशोध्य ऋण में कमी व ब्याज की आय, दोनों की तुलना वसूली केन्द्रों की लागत से करनी चाहिए। यदि अशोध्य ऋण में कमी व ब्याज की आय की तुलना में वसूली केन्द्रों की स्थापना लागत अधिक आ रही हो तो संग्रहण केन्द्रों की स्थापना नहीं करनी चाहिए अन्यथा संग्रहण केन्द्रों की स्थापना के प्रस्ताव को लागू करना चाहिए । स्पष्टीकरण हेतु निम्नलिखित उदाहरण देखिए
Illustration 1. मोनिका लि. की प्रतिदिन की प्राप्ति 2,00,000 रु. है। यह आशा की जाती है कि कन्सेन्ट्रेशन बैंकिंग पद्धति से प्राप्यों में तीन दिन की कमी आ जाएगी, परन्तु पद्धति पर 25,000 रुपये का वार्षिक लागत का भार होगा। यदि कम्पनी अपने विनियोग पर 8% अर्जित कर सकती है, तो क्या प्रस्ताव स्वीकार करने योग्य है ?
Monika Ltd. has average daily receipt of Rs. 2,00,000. It is expected that the system of concentration banking would reduce the receivables by three days but the system would cost Rs. 25,000 annually. Is it acceptable if the company can earn 8% on its investment
Solutions?
Reduction in Investment of Receivables = 2,00,000*3 =RS 6,00,000
Earning on reduced Investment = 6,00,000 * 8 =Rs 48,000
100
Cost of the System = Rs 25,000
Benefit Form Execution of the System = 48,000 – 25,000 = Rs 23,000
System must be installed because there if addition to Profit by RS 2300
(iii) लॉक बॉक्स व्यवस्था (Lock Box System)-इस पद्धति के अन्तर्गत बड़ी-बड़ी व्यापारिक संस्थाएं अपने प्रमुख वसूली केन्द्रों पर पोस्ट ऑफिस से एक बॉक्स किराए पर ले लेती हैं तथा उस क्षेत्र के ग्राहकों को यह निर्देश दे देती हैं कि वे किये जाने वाले भुगतानों को उस बॉक्स नम्बर के पते पर प्रेषित करें। संस्था द्वारा अधिकृत बैंक उन बॉक्सों से चेकों को निकालकर खाते में जमा कर देते हैं। इस प्रकार संस्था द्वारा चेक प्राप्त करने और उसे बैंक में जमा करने में जितना समय लगता है वह बच जाता है तथा चेक प्राप्त करने और जमा करने के झंझट से भी छुटकारा मिल जाता है। यह पद्धति नकदी वाले भुगतानों में नहीं अपनायी जा सकती। स्पष्ट है कि इस व्यवस्था से संस्था को ब्याज एवं अशोध्य ऋण से हानि की कमी के रूप में लाभ प्राप्त होता है, परन्तु डाकघर व बैंक का अतिरिक्त व्यय वहन करना पड़ता है। अत: यह आवश्यक हो जाता है कि संस्था को प्राप्त अतिरिक्त लाभ व वहन की जाने वाली अतिरिक्त लागत का तुलनात्मक अध्ययन किया जाए। स्पष्टीकरण हेतु निम्नलिखित उदाहरण देखिए
Financial Management of Cash
Illustration 2. एक्स लि. औसतन प्रतिदिन 1,00,000 रुपये नकद धन प्राप्त करती है। यह आशा है कि लॉक बॉक्स पद्धति से प्राप्यों में 4 दिन की कमी आ जाएगी। लॉक बॉक्स पद्धति पर प्रतिवर्ष 50,000 रुपये लागत पड़ेगी। यह आशा की जाती है कि फर्म अपने विनियोगों पर 10% का प्रत्याय अर्जित कर सकती है। राय दीजिए कि क्या पद्धति को लागू किया जाए ?
X Ltd. has average daily receipt of cash Rs. 1,00,000. It is expected that Lock Box system would reduce receivables by 4 days. Lock Box system would cost Rs. 50,000 annually. It is expected that the firm can earn 10% on its investments. Advise whether the system be installed
Solution ?
Reduction in Investment of Receivables = 1,00,000 * 4 = Rs 4,00,000
Earning on reduced Investment = 4,00,000 * 10 = Rs 40,000
100
Cost of the System = Rs . 50,000
Benefit Form Execution of the System = 50,000 – 40,000 = Rs 10,000
System must be installed because there if addition to Profit by RS 10,000
(iv) बड़ी राशि के चेकों के लिए विशेष व्यवस्था (Special Arrangements for Cheques of Big Amount)-ऐसे चेकों की विशेष व्यवस्था के अन्तर्गत व्यक्तिगत वसूली, हवाई डाक व विशिष्ट डाक व्यवस्था अपनाई जा सकती है।
(v) बैंक खातों की संख्या में कमी (Reducing the number of Bank Account)-रोकड अन्तर्वाह की गति को तेज करने के लिए संस्था को विभिन्न बैंकों में अनावश्यक खातों को बन्द करके एक ही बैंक खाता रखना चाहिए क्योंकि छोटे-छोटे खातों में अनावश्यक रूप से संस्था की रोकड़ फंसी रहती है।
(vi) आन्तरिक रोकड हस्तान्तरण पर नियन्त्रण (Check on Interim Cash Transfer)-रोकड अन्तर्वाह की गति तेज करने के लिए वित्तीय प्रबन्धक को अन्तः कम्पनी हस्तान्तरण अथवा संस्था की विभिन्न इकाइयों में होने वाले नकद हस्तान्तरण पर विशेष नियन्त्रण रखना चाहिए। आन्तरिक रोकड़ हस्तान्तरण की उदार नीति के परिणामस्वरूप संस्था के विभिन्न विभागों में अनावश्यक रोकड़ फंसी रहती है।
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(ब) रोकड़ बहिर्वाहों का प्रबन्ध (Managing the Cash Outflows)-रोकड़ प्रबन्ध के इस चरण के अन्तर्गत प्रबन्धक रोकड़ भुगतानों की गति को न्यूनतम करने के उपाय करते हैं। रोकड़ भुगतान में भुगतान की गति को न्यूनतम करने के प्रयास में प्रबन्धकों को हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इससे फर्म की ख्याति पर कोई विपरीत प्रभाव परिलक्षित नहीं हों । इसके अन्तर्गत प्रबन्धक अधिकाधिक सामग्री का उधार प्रत्यक्ष व्ययों, मजदूरी एवं अन्य उपरिव्ययों के विलम्बित भुगतान पर तो जोर देते ही हैं, साथ-ही-साथ भुगतान करने के ऐसे सभी उपायों को भी अपनाते हैं, जिससे भुगतान प्राप्त करने वाले पक्षकार को शीघ्रता से रोकड़ में भुगतान प्राप्त नहीं हो सकें । इन उपायों के अन्तर्गत चेक के माध्यम से भुगतान, हुण्डियों अथवा देय बिलों के माध्यम से भुगतान, दूरस्थ बैंक के माध्यम से भुगतान, आगामी तिथि का चेक निर्गत करके एवं चेक का रेखांकन करके आदि माध्यमों से रोकड के भुगतानों को फर्म की ख्याति को यथास्थिर रखते हा किया जाता है। स्पष्ट है कि रोकड़ भुगतानों मे विलम्ब करके संस्था रोकड़ का समुचित उपयोग कर सकती है, परन्तु इसके लिए सुनिश्चित योजना होनी चाहिए। भुगतानों में विलम्ब करने के लिए मुख्यतः अग्रांकित तरीके अपनाये जा सकते हैं
(i) केवल चेकों के द्वारा ही भुगतान दिये जायें।
(ii) जटिल भुगतान प्रक्रिया को अपनाना।
(iii) भुगतान दिवस व समय निश्चित करना।
(iv) विशिष्ट दिवसों व समयों पर भुगतान न करना।
3. रोकड़ शेष के अनुकूलतम स्तर का निर्धारण (Determining Optimum Cash Level) रोकड़ की वसूली एवं नियमित भुगतानों के पश्चात् फर्मों के समक्ष उचित रोकड़ शेष रखने का समस्या उत्पन्न होती है। यदि यह रोकड़ शेष कम रखा जाता है, तो आकस्मिकता के समय रोकड़ की आपूर्ति बाह्य । साधनों से ऋण, आदि लेकर पूर्ण की जायेगी जिसके लिए लेन-देन लागत’ जिसे व्यवहार लागत (Transaction cost) भी कहते हैं, को सहन करना पड़ेगा।
इसके विपरीत, यदि रोकड़ शेष आवश्यकता से अधिक रखा जाता है, तो आकस्मिकताओं को पूर्ण करने के पश्चात् भी रोकड़ का शेष निष्क्रिय रहेगा, जबकि यह पूर्व में भी बताया जा चुका है कि रोकड़ एक गैर-अर्जन (Non-carning) वाली चालू सम्पत्ति है। निष्क्रिय रोकड शेष के आधिक्य से फर्मों को उस रोकड को कहीं। दूसरी ओर विनियोग करने के अवसर से वंचित रहना पड़ता है जिससे संस्था विनियोग आय अथवा ब्याज। की आय से वंचित रह जाती है। इसे अवसर लागत (Opportunity cost) कहा जाता है इस प्रकार फम । को एक ओर तो कम रोकड़ शेष रखने पर लेन-देन लागत (Transaction cost) को सहन करना पड़ता है, वहीं दूसरी ओर अधिक रोकड़ शेष रखने पर उसे ‘अवसर लागत’ से भी वंचित रहना पड़ता है । इसलिए वित्तित प्रबन्धक अनूकूलतम रोकडं शेष को रहना ही अधिक उचित समझतें है । इसें निम्नाकितं चित्र द्धारा भी समझा जा सकता है ।
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उपर्युक्त रेखाचित्र से स्पष्ट है कि यदि संस्था कम रोकड़ शेष अर्थात् Cी रोकड़ शेष रखती है अथवा इसके विपरीत अधिक रोकड़ अर्थात् C, रोकड़ शेष रखती है, दोनों ही परिस्थितियों में कुल लागत अधिक है। इन दोनों परिस्थितियों के विपरीत अनुकूलतम रोकड़ शेष C बिन्दु पर रखने पर फर्म की कुल लागत न्यूनतम है । यही अनुकूलतम रोकड़ शेष की मात्रा है । रोकड़ शेष के अनुकूलतम स्तर के निर्धारण हेतु प्रबन्धक बाऊमोल मॉडल (Baumol model), मिलर-ओर मॉडल (Miller-orr model), रोकड़ चक्र मॉडल (Cash cycle model) एवं स्टोन मॉडल (Stone model) का अनुसरण करते हैं।
रोकड़ के अनुकूलतम शेष को निर्धारित करने हेतु प्रयोग किये जाने वाले प्रमुख रोकड़ प्रबन्ध प्रतिमानों (Cash Management Models) की विस्तृत विवेचना अग्रांकित प्रकार है
(अ) बाऊमोल मॉडल (Baumol model)-इस मॉडल के प्रणेता विलियन.जे.बाऊमोल (Willian J. Baumol) थे। यह मॉडल स्कन्ध नियन्त्रण में प्रस्तुत मितव्ययी आदेश मात्रा (E.0.0.) पर आधारित है। उनका मानना है कि इस मॉडल का प्रयोग केवल उस स्थिति में ही किया जा सकता है जब रोकड प्राप्तियां एवं भुगतान की राशियां पूर्व निश्चित हों। इन्होंने अनुकूलतम रोकड़ शेष के निर्धारण हेतु निम्नलिखित सूत्र बताया है :
Optimum Cash Balance = 2pt
i
Where, b Stand for Transaction fixed cost per transaction
T Stand for Requirement or demand of cash
I Stand for Rate of interest on marketable securities in a certain period.
उपर्युक्त सत्र में | को सदैव प्रश्न में नकद भुगतान की प्रदत्त अवधि के अनुरूप ही लेते हैं अर्थात् प्रश्न में प्रदत्त । की अवधि के लिए ही । को प्रयोग करते हैं।
उपर्युक्त मॉडल की यह मान्यताएं कि प्राप्तियों एवं भुगतानों का क्रय एवं राशियां यथा स्थिर रहेंगी तथा नकद लेन-देन पूर्ववत् बने रहेंगे,व्यवहार में सही नहीं उतरते हैं । अत : इस आधार पर यह सिद्धान्त अवास्तविक मान्यताओं पर आधारित है। इस मॉडल के अनुसार अनुकूलतम रोकड़-स्तर, रोकड़ का वह स्तर है जहाँ संग्रहण लागतें एवं लेन-देन लागतें न्यूनतम होती है। (According to this model, optimum cash level is that level of cash where the carrying costs and transaction costs are the minimum.)
बाऊमोल के मॉडल को निम्नलिखित उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है
Illustration 3. मोनिका लिमिटेड एक महीने की अवधि हेतु 36,000 रुपये का नकद भुगतान का। अनुमान करती है। यह भुगतान सम्बन्धित अवधि में समान रूप से वितरित होने की उम्मीद है। प्रति लेन-देन स्थायी लागत 10 रुपये है और विपण्य प्रतिभूतियों पर ब्याज की दर 6% प्रति वर्ष है । रोकड़ लेन-देन के लिए। अनुकूलतम आकार की गणना कीजिए। __
Monika Ltd. estimated cash payment of Rs. 36,000 for a one month period. These payments are expected to be steady over the period. The fixed cost per transaction is Rs. 10 and the interest rate on marketable securities is 6 percent per annum. Calculate optimal cash transaction size.
Financial Management of Cash
स्पष्ट है कि रोकड़ का अनुकूलतम शेष 12,000 रुपये होना चाहिए।
नोट-चूँकि भुगतानों की अनुमानित राशि एक माह के लिए दी हुई है, अतः प्रतिभूतियों की ब्याज दर (i) भी प्रति माह ही लेंगे। प्रश्न में ब्याज दर प्रति वर्ष दी हुई है जिसमें 12 का भाग देकर प्रति माह की रकम ज्ञात की गई है।
Illustration 4. आशीष लिमिटेड का अनुमान है कि आगामी वर्ष के दौरान समान रूप से 45,00,000 रुपये का रोकड़ भुगतान होगा। आशीष लि. अपने प्रतिभूति-समूह से समय-समय पर विपण्य प्रतिभूतियों को बेचकर अपनी रोकड़ आवश्यकताओं को पूरा करने की योजना बनाती है। फर्म की विपण्य प्रतिभूतियों में विनियोजन पर 9% अर्जन है एवं प्रतिभूतियों को रोकड़ में परिवर्तित करने की प्रति लेन-देन लागत 100 रुपये है ।
(अ) बाऊमोल मॉडल के प्रयोग द्वारा विपण्य प्रतिभूतियों से रोकड़ परिवर्तन के अनुकूलतम लेन-देन आकार का निर्धारण कीजिये।
(ब) कम्पनी में औसत रोकड़ शेष कितना होगा ?
(स) प्रतिवर्ष कितने परिवर्तन आवश्यक होंगे?
(द) वांछित रोकड़ शेष रखने के लिये कल वार्षिक लागत क्या होगी?
Ashish Ltd. estimates that cash outlays of Rs. 45,00,000 will occur uniformly throughout the coming year. Ashish Ltd. plans to meet its cash requirements by periodically selling marketable securities from its port folio. The firm marketable securities are invested to earn 9% and the cost per transaction of converting securities to cash is Rs. 100.
(a) Use the Baumol Model to determine the optimal transaction size of transfers from marketable securities to cash.
(b) What will be the company’s average cash balance ?
(c) How many transfers per year will be required ?
(d) What will be the total annual cost of maintaining cash balances ?
Financial Management of Cash
Financial Management of Cash
Illustration 5. मुस्कान लि. को आगामी छ: माह की रोकड़ आवश्यकता को पूरा करने के लिए 90 लाख रुपये की आवश्यकता है। तरलता स्थिति को विपण्य प्रतिभूतियों के क्रय एवं विक्रय द्वारा समायोजित किया जाता है । कम्पनी अपनी विपण्य प्रतिभूतियों पर 15% वार्षिक आय अर्जित करती है विपण्य प्रतिभूतियों का रोकड में रूपान्तरण 10 लाख, 15 लाख, 30 लाख एवं 45 लाख रुपये के आकार में हो सकता है। रूपान्तरण पर प्रति लेन-देन लागत आती है जो कि रूपान्तरण के आकार पर आश्रित है जैसा कि नीचे दर्शाया गया है
Muskan Ltd. requires Rs. 90 lakh for meeting its transaction needs over the next six months. The liquidity position is adjusted by purchase and sale of marketable securities. The company earns a 15% annual yield on its marketable securities. Conversion can be done in one of the following lot sizes Rs. 10 lakh, Rs. 15 lakh, Rs. 30 lakh and Rs. 45 lakh. Conversion involves a cost per transaction which is dependent on the lot size of conversion as indicated below
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From the above calculation it is observed that when the conversion size is Rs. 15,00,000, the total costs are minimum at Rs. 1,28,250 and hence it is an optimal cash conversion size.
Rs. Rs. Rs. Rs.
(a) Requirement of Cash 90,00,000 90,00,000 90,00,000 90,00,000
(b) Cash convention Size 10,00,000 15,00 000 30,00 000 45,00 000
(ब) मिलर-ओर मॉडल (Miller-orr model) इस मॉडल में नकदी नियन्त्रण हेतु दो सीमाएं निर्धारित की जाती हैं। (i) उच्च रोकड़ सीमा. (ii) निम्न रोकड़ सीमा। यदि किसी फर्म का वास्तविक नकदी शेष अधिकतम स्तर को स्पर्श करने लगता है, तो अतिरिक्त नकद राशि का प्रतिभूतियों में विनियोजन कर दिया जाता है । इसके विपरीत यदि नकद राशि का स्तर न्यूनतम रोकड़ सीमा को स्पर्श करने लगता है,तो प्रतिभूतियों. आदि का विक्रय करके रोकड़ पुनः सामान्य स्तर पर लाया जाता है । यह मॉडल सांख्यिकीय विधि की सांख्यिकीय गुण नियन्त्रण (Statistical quality control) विधि पर आधारित है। इसको चित्र द्वारा निम्नांकित प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है
Financial Management of Cash
Z = रोकड़ का सामान्य स्तर (Normal level of cash)
T = प्रतिभूतियों के लेन-देन में लगी स्थिर लागत (Fixed cost related to transaction of securities)
V= शुद्ध रोकड़ प्रवाहों का प्रसरण प्रतिदिन आधार पर (Variance of net cash flows on daily basis)
i= प्रतिभूतियों पर प्रतिदिन की ब्याज दर (Daily interest rate on securities)
UCl = (3*CL) सामान्य रोकड़ स्तर के तीन गुने के आधा पर उच्च नियन्त्रण रेखा निर्धारित की जाती है, जबकि निम्न रेखा (LCL) का निर्धारण फर्मे अपनी आवश्यकतानुसार स्वयं निर्धारित करती हैं।
यह मॉडल निम्नलिखित मान्यताओं पर आधारित है
(क) फर्म के पास न्यूनतम रोकड़ शेष होता है, जिसके आधार पर वह निम्न रेखा का निर्धारण करती
(ख) यह मान लिया जाता है कि रोकड़ आगम एवं निर्गम सामान्य रूप से वितरित हैं।
(ग) रोकड़ आगम एवं निर्गम में आपसी कोई सहसम्बन्ध (Correlation) नहीं पाया जाता है।
(घ) यह मान लिया जाता है कि रोकड़ आगमों एवं निर्गमों का विचलन (Deviation of cash inflows and outflows)
समय-समय पर परिवर्तित नहीं होता है।
(स) रोकड़ चक्र मॉडल (Cash cycle model)-रोकड़ आगमों एवं निर्गमों की सम्पूर्ण क्रिया को रोकड चक्र (Cash cycle) कहा जाता है । इस मॉडल के तहत रोकड़ का एक चक्र (Cycle) लगातार घूमता रहता है। जैसे,कच्चा माल खरीदा, फिर उस पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष खर्चे लगाकर माल तैयार किया,माल का विक्रय किया, देनदारों से उधार वसूली की, लेनदारों को उधार चुकता किया तथा फिर उधार कच्चा माल खरीदा। या प्रकार उपरोक्त क्रियाएं एक निश्चित चक्र में दोहरायी (repeat) जाती रहती हैं। इस रोकड चक्र की एक निश्चित अवधि होती है, जो निम्नानुसार निर्धारित होती है
(i) tp = कच्चे माल के आदेश देने व उसे प्राप्त करने के बीच की अवधि
(ii) tf = कच्चे माल को तैयार माल के रूप में परिवर्तित करने की अवधि
(iii) td = उधार बिक्री की तिथि से लेकर देनदारों से रोकड़ वसूली की अवधि
उपरोक्त रोकड़ चक्र की मदद से रोकड़ आवर्त (cash turnover) ज्ञात किया जाता है जो निम्नानुसार होता है
Cash Working Capital = Total Cash Expenses in a year
Ash Turnover
Cash Turnover = Total Cash Expenses P. a
Cash Working Capital Required
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इस प्रकार प्राप्त नकद कार्यशील पूँजी पर नकद रोकड़ अनुपात की सहायता से रोकड़ शेष का निर्धारण किया जाता है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि रोकड़ चक्र कम रहने पर रोकड़ की आवश्यकता भी कम प्रतीत होगी, इसके विपरीत यदि रोकड़ चक्र अधिक रहता है, तो अधिक रोकड़ की आवश्यकता होती है।
(द) स्टोन मॉडल (Stone model)-यह मॉडल भी मिलर-ओर के मॉडल की भाँति ही विनियोगों के क्रयों एवं विक्रयों पर आधारित होता है। इसमें भी उच्च एवं निम्न सीमाएं (UCL & LCL) ज्ञात की
जाती हैं। परन्तु ये दोनों सीमाएं एक-एक न होकर दो-दो होती हैं जिन्हे UCL, & LCL, तथा UCL, & LCL, के नाम से जानते हैं। यहां भी UCL, एवं CL का निर्धारण मिलर-ओर के मॉडल के अनुसार ही किया जाता है, जबकि आन्तरिक सीमाएं कम्पनी की अपनी इच्छा एवं विवेक पर निर्भर करती है। फर्म में उस समय तक विनियोग क्रय करने अथवा विक्रय करने का निर्णय नहीं लिया जाता है, जब तक कि रोकड़ शेष बाहरी सीमाओं का अतिक्रमण (Encroachment) नहीं कर देता है । इसे चित्र द्वारा समझा जा सकता है।
.. चित्र में रोकड़ शेष ने S बिन्दु एवं P बिन्दु पर UCL2 तथा LCL2 का अतिक्रमण किया है। अतः। प्रबन्धक इन परिस्थितियों में विनियोग के क्रय एवं विक्रय का निर्णय कर सकते हैं।
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4 अतिरिक्त रोकड़ का विनियोजन (Investment of Additional Cash)
रोकड़ प्रबन्ध का यह अन्तिम चरण है । अधिक या अतिरिक्त कार्यशील रोकड़ शेष (More or Surplue Working Cash Balance) भी एक समस्या है। अतिरिक्त रोकड़ शेष को सुरक्षा स्टॉक में रखने के स्थान पर उसे विपणन योग्य तरल प्रतिभूतियों (Marketable Liquid Securities) में विनियोजित कर देना चाहिए जिससे कि फालतू रोकड़ से ब्याज अर्जित किया जा सके। अतिरिक्त रोकड़ शेष को विपणन योग्य तरल प्रतिभूतियों के अतिरिक्त ऐसी मदों में भी विनियोजित किया जा सकता है जो अल्पकालीन हों । इस प्रकार के विनियोजन करते समय प्रबन्धकों को प्रतिभूतियों की तरलता, जोखिम एवं विपणनशीलता को ध्यान में रखना चाहिए ताकि भविष्य में रोकड़ की आवश्यकता होने पर प्रतिभूतियों को बिना विलम्ब, बिना नुकसान के बाजार में आसानी से विक्रय किया जा सके।
रोकड़ बजट
(Cash Budget)
सरल शब्दों में, रोकड़ बजट आने वाली एक निश्चित अवधि में नकद प्राप्तियों (cash receipts) एवं नकद भुगतानों (cash payments) के पूर्वानुमानों का एक लिखित विवरण होता है। यह बजट संस्था की वित्तीय आवश्यकताओं को नियोजित एवं नियन्त्रित करने में काफी सहायता पहुँचाता है। इसके माध्यम से रोकड़ की कमी या आधिक्य, जैसी भी स्थिति हो, का पता चल जाता है जिससे फर्म को रोकड़ की व्यवस्था करने में काफी सुविधा हो जाती है। रोकड़ बजट के सम्बन्ध में मुख्य परिभाषाएं इस प्रकार हैं
जेम्स वैन होर्न के अनुसार, “एक रोकड़ बजट किसी निश्चित भावी अवधि के लिए रोकड़-प्रवाह का पूर्वानुमान होती है।
गुथमैन एवं डूगल के अनुसार एक निश्चित भावी समय अवधि के लिए रोकड़ प्राप्तियों एवं रोकड़ भुगतानों का अनुमान रोकड़ बजट कहलाता है।”
मैल्कमैन एवं स्लाविन के अनुसार, “रोकड़ बजट कम्पनी की बजटीय क्रियाओं के अर्थ-प्रबन्धन की । योजनाएं होती हैं।”
एस. सी. कुच्छल के अनुसार, “रोकड़ बजट किसी अवधि के लिए रोकड़ के आधिक्य एवं कमी के समय एवं मात्रा के निर्धारण के उद्देश्य से बनाई गई रोकड़ आगमों (cash inflows) तथा रोकड़ निर्गमा। (cash outflows) को अंकित करने की तालिका है।”
Financial Management of Cash
रोकड़ बजट का महत्व (Importance of Cash Budget)
किसी भी व्यवसाय के लिए यह अत्यन्त महत्त्वपूर्ण बजट है। इस बजट से मुख्यतः अग्रलिखित लाभ प्राप्त होते हैं
(1) इस बजट से रोकड़ की सम्भावित कमी का जान हो जाता है. जिससे समय पर बैंक अधिविकर्ष या अन्य ऋण की उचित व्यवस्था की जा सकती है।
(2) आवश्यकता से अधिक रोकड उपलब्ध होने पर अस्थायी विनियोगों में लगाकर लाभपणे उपयोग किया जा सकता है।
(3) रोकड़ बजट सुदृढ़ लाभांश नीति अपनाने में भी संस्था के लिए मार्गदर्शक का कार्य करता है।
(4) राकड़ बजट से संस्था उपयक्त वित्त स्त्रोतों का चनाव कर सकती है क्योंकि रोकड़ बजट की मदद से वित्तीय प्रबन्धक का यह भली-भांति मालम हो जाता है कि व्यापार में वित्त की आवश्यकता दोघकाल क लिए होगी या अल्पकाल के लिए। इससे प्रबन्धक को वित्त के उपयुक्त स्त्रोत का चुनाव करने में सुविधा हो जाती है।
(5) रोकड़ स्थिति का यथोचित नियोजन करने से फर्म को वित्तीय संस्थाओं से आसान शर्तों पर ऋण प्राप्त करने में सुविधा हो जाती है।
(6) रोकड़ बजट की सहायता से उपक्रम के विभिन्न विभागों द्वारा किये जाने वाले रोकड व्ययों पर नियन्त्रण किया जा सकता है तथा अपव्यय को रोका जा सकता है।
रोकड बजट बनाने की विधियाँ (Methods of Cash Budgeting)
रोकड़ बजट बनाने की प्रमुख विधियाँ निम्नलिखित हैं
(1) प्राप्ति एवं भुगतान विधि (Receipt and Payment Method); –
(2) समायोजित लाभ-हानि विधि (Adjusted Profit and Loss Method);
(3) प्रक्षेपित चिट्ठा विधि (Projected Balance Sheet Method)।
इन तीनों विधियों में प्रथम विधि सर्वाधिक उपयुक्त है। किन्तु दीर्घकालीन पूर्वानुमानों के लिए कभी-कभी दूसरी व तीसरी विधि अपनाई जाती है।
(i) प्राप्ति एवं भुगतान विधि (Receipt and Payment method) इस विधि के अनुसार बनाये गए रोकड़ बजट में बजट अवधि की सभी प्राप्तियों एवं भुगतानों को दिखाया जाता है। इस विधि में रोकड़ के प्रारम्भिक शेष को भी ध्यान में रखा जाता है। रोकड़ के प्रारम्भिक शेष में सभी प्राप्तियों को जोड़ दिया जाता है तथा भुगतानों को घटा दिया जाता है । इसके बाद यदि कोई शेष बचता है तो उसे रोकड़ का अन्तिम शेष कहते हैं। प्राप्ति एवं भुगतान के आधार पर इस बजट के निम्नलिखित दो भाग किये जा सकते हैं
(A) रोकड़ प्राप्तियां (Cash receipts)-इस भाग में बजट अवधि के दौरान सम्भावित प्राप्तियों का उल्लेख किया जाता है। रोकड़ प्राप्ति के मुख्य साधन इस प्रकार हैं
(i) नकद बिक्री (Cash sales);
(ii) देनदारों एवं प्राप्य बिलों की वसूली (Collection of Debtors and B/R); )
(iii) अंशों अथवा ऋणपत्रों के निर्गमन से प्राप्तिया (Receipts from issue of shares or debentures);
(iv) ब्याज, लाभांश, किराया, आदि से प्राप्तिया (Receipts by way of interest, dividends rent, etc.);
(v) किसी स्थायी सम्पति की बिक्रि से प्राप्त राशि (Sale proceeds of some fixed assets);
(vi) सरकार व अन्य वित्तीय संस्थाओं से ऋण, आदि;
(vi) अन्य विविध प्राप्तियाँ (Other miscellaneous receipts)।
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(B) नकट भगतान (Cash Payments) – इस भाग में बजट अवधि की सम्भावित रोकड भगतान की मदों का उल्लेख होता है। रोकड़ भुगतान की प्रमुख मदें निम्नलिखित हैं
(i) नकद खरीद (Cash purchases);
(ii) लेनदारों का भुगतान (Payments to Creditors);
(iii) देय-विपत्रों का भुगतान (Payments for bills payables);
(iv) वेतन मजदूरी एंव अन्य की उत्पादन व्ययो का भुगतान (Payments for salaries, wages and other production expenses);
(v) विक्रय एवं वितरण व्ययों का भुगतान (Payments for administrative, selling & distribution expenses);
(vi) पूँजीगत व्यय जैसे, स्थायी सम्पतियों की खरीद (Capital expenditure like purchase of fixed assets);
(vii) ब्याज, किराया, लाभांश, कर, आदि के लिए भुगतान (Payments for interest, rent. dividend, tax etc.);
(viii) ऋणों की वापसी (Repayment of loans);
(ix) अन्य विविध भुगतान (Other miscellaneous expenses)।
संक्षेप में इस विधि के अन्तर्गत रोकड बजट का प्रारूप निम्नांकित प्रकार होता है
प्राप्ति एवं भुगतान विधि से रोकड़ बजट बनाते समय ध्यान रखने योग्य बातें
(1) जिन-जिन महीनों के लिए बजट बनाने को कहा गया हो, केवल उन्हीं महीनों से सम्बन्धित प्राप्तियों एवं भुगतानों पर ही ध्यान केन्द्रित करते हैं। सम्बन्धित अवधि से पूर्व या पश्चात् की प्राप्तियों एवं भुगतानों पर कोई ध्यान नहीं देते हैं।
(2) रोकड बजट में एक निर्धारित समय से केवल उन्हीं लेन-देनों पर विचार किया जाता है जो फर्म के रोकड़-प्रवाह को प्रभावित करते हैं। ऐसे व्ययों को रोकड़ बजट में नहीं लिया जाता जिनका नकदी में भुगतान नहीं किया जाता, जैसे, ह्रास, डूबत ऋण संचय, अदत्त व्यय, आदि ।
(3) यदि किसी मद के सम्बन्ध में कोई स्पष्ट निर्देश न हो तो उसकी प्राप्ति एवं भुगतान उसी महीने में माना जाता है।
(4) यदि किसी माह के अन्त में प्राप्तियों का योग भुगतानों के योग से कम हो तो माह का अन्तिम शेष ऋणात्मक आता है जिसके लिए दो विकल्प होते हैं
(A) यदि वांछित कमी के लिए अल्पकालीन स्त्रोत के रूप में बैंक अधिविकर्ष का प्रयोग किया गया हो तो अगले माह के प्रारम्भ में इसे ऋणात्मक चिह्न (-) के साथ दिखा देते हैं जिससे उस माह की प्राप्तियों में प्रारम्भिक शेष जोड़ने के स्थान पर घटा देते हैं।
(B) यदि फर्म ने बाजार से अल्पकालीन ऋण लिया है तो प्रारम्भिक शेष शून्य माना जायेगा क्योंकि पिछले माह जितनी राशि की आवश्यकता थी,उसका प्रबन्ध किया जा चुका होगा। निम्नलिखित उदाहरणों से रोकड़ बजट तैयार करने की विधि भली प्रकार स्पष्ट हो जायेगी
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Illustration 6. कावेरी कम्पनी लिमिटेड वर्ष 2006 के अप्रैल से जून तक के तीन महीनों के लिए बैंक से अधिविकर्ष की सीमाओं के बारे में बातचीत करना चाहती है। विभिन्न पूर्वानुमान नीचे दिए गए हैं
Kavery Company Limited wishes to arrange overdraft limits with its bankers for the three months period (April, May and June 2006). The various forecasts are given below:
(Amount in Rupees)
Months Sales Purchases Wages
Rs. Rs. Rs.
February 1,80,000 1,24,800 12,000
March 1,92,000 1,44,000 14,000
April 1,08,000 2,43,000 11,000
May 1,74,000 2,46,000 10,000
June 1,26,000 2,68,000 15,000
अतिरिक्त सूचनाएं निम्नांकित प्रकार उपलब्ध थीं
(i) प्रथम अप्रैल, 2006 को रोकड़ शेष 25,000 रुपयों का था।
(ii) उधार बिक्री की 50 प्रतिशत की वसूली एक माह बाद तथा शेष 50 प्रतिशत की वसूली दो माह बाद होगी।
(iii) लेनदारों को माल की खरीद का भुगतान नकद किया जायेगा।
(iv) समस्त बिक्री उधार के आधार पर की जाती है।
Additional information available was as follows:
(i) Cash Balance on 1st April, 2006 was Rs. 25,000.
(ii) 50% of the sales are realised in the month following the sale and the remaining sales in the second month following.
(iii) Creditors will be paid in cash in the month of purchases.
(iv) All the sales are made on credit basis…
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उपर्युक्त सूचनाओं के आधार पर 30 जून, 2006 को समाप्त होने वाले तीन महीनों के लिए रोकड़ बजट बनाइए और बतलाइए कि कम्पनी को अपने बैंक से किन महीनों में कितने अधिविकर्ष की आवश्यकता होगी?
On the basis of the above information. Prepare a cash budget for the quarter ending 30th June, 2006 and indicate the Bank overdraft limits which the company will require at the end of each month.
नोट-मजदरी के सम्बन्ध में स्पष्ट निर्देश न होने के कारण यह माना गया है कि उसका सम्बन्धित माह में ही भुगतान कर दिया गया है।
Financial Management of Csh
Illustration 7. निम्नलिखित आय-व्ययक अंकों से 30 जून, 2006 को समाप्त तीन माह का रोकड आय-व्ययक बनाइए
From the following budgeted figures, prepare a Cash Budget in respect of three months to June 30, 2006.
Months Sales Materials Wages Overheads
Rs. Rs. Rs. Rs.
January 60,000 40,000 11,000 6,200
February 56,000 48,000 11,600 6,600
March 64,000 50,000 12,000 6,800
April 80,000 56,000 12,400 7,200
May 84,000 62,000 13,000 8,600
June 76,000 50,000 14,000 8,000
1 अप्रैल, 2006 को अपेक्षित रोकड 10.000 रु. है। अन्य सूचनाएं इस प्रकार हैं
(अ) सामग्री और उपरिव्यय जिस माह में हुए हैं उसके अगले माह में भुगतान किया जाता है।
(ब) मजदूरी जिस माह में हुई है उसी माह में दी जाती है।
(स) विक्रय की शर्ते-जिस माह में विक्रय हुए हैं उसके अगले माह के अन्त तक भुगतान किया जाये ऐसी उधार-विक्रय की शर्त है। 1/2 विक्रय का भुगतान दातव्य तिथि को हो जाता है, बाकी आधे का आगामी माह में भुगतान होता है । जिस माह में वास्तविक विक्रय होता है, उसके आगामी माह में 5% विक्रय कमीशन दिया जाता है।
(द) समता अंशों पर याचना राशि 20,000 रु.1 मई तथा 1 अगस्त को प्राप्य है।
(इ) 10,000 रु.का यन्त्र जनवरी माह में प्रतिस्थापित करना है और उसका भुगतान मई माह में करना है
Expected Cash Balance on 1st April, 2006 was Rs. 10,000. Other informations were as follows:
(a) Materials and overheads are to be paid during the month following the month of supply.
(b) Wages are to be paid during the month in which they are incurred.
(c) Terms of Sales – the terms of credit sales are payment by the end of the month following the month of sales ; 1/2 of the sales are paid when due, the other half to be paid during the next month. 5% sales commission is to be paid within ihe month following actual sales.
(d) Equity share call money for Rs. 20,000 is due on 1st May and 1st August.
(e) Plant and Machinery worth Rs. 10,000 is to be installed in the month of
January and the payment is to be made in the month of May.
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Illustration 8. निम्नलिखित सूचनाओं के आधार पर 30 जून, 2006 को समाप्त होने वाले तिमाही का रोकड़ बजट बनाइए
From the following information prepare a Cash Budget for the quarter ending to 30 June, 2006..
इसके अतिरिक्त आपको सूचना दी जाती है कि(अ) क्रय का 10% तथा बिक्री का 20% नकद होता है। (ब) कम्पनी की औसत वसूली अवधि 1/2 माह है तथा उधार क्रय का भुगतान नियमित रूप से एक माह बाद होता है।
(स) मजदूरी का भुगतान अर्द्ध-मासिक होता है और व्ययों में सम्मिलित 500 रु. का किराया मासिक चुकाया जाता है।
(द) 1 अप्रैल को रोकड़ एवं बैंक शेष 12,000 रु. था और कम्पनी इसे प्रत्येक माह के अन्त में 12.000
रु.से कम (किन्तु 11,000 रु. से कम नहीं) रखना चाहती है और रोकड़ के आधिक्य को 1.000 रु. के गुणितों में स्थायी जमाओं में रखती है।
You are further informed that :
(a) 10% of the purchases and 20% of the sales are for cash.
(b) The average collection period of company is 1/2 month and the credit purchases are paid off regularly after one month.
(c) Wages are paid half-monthly and the rent of Rs. 500 included in expenses is paid monthly.
(d) Cash and Bank Balance as on April 1, was Rs. 12,000 and the company wants to keep it on the end of every month below this figure but not less than Rs. 11,000, the excess cash being out in fixed deposits in multiple of one thousand.
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Ilustration 9. नीचे दिये गये आंकड़ों के आधार पर 30 जून,2006 को समाप्त होने वाले छ: महीनों के लिए रोकड़ बजट तैयार कीजिए
From the following data prepare a cash budget for six months ending 30th June, 2006.
उपलब्ध अतिरिक्त सूचनाएँ निम्नलिखित थीं
(i) उपर्युक्त विक्रय व्ययों के अतिरिक्त बिक्री पर 5% कमीशन दिया जाता है जिसका भगतान बिक्री के दो महीने बाद किया जाता है ।
(ii) जनवरी में 10,000 रुपये मूल्य की एक मशीन खरीदी जायेगी जिसका भुगतान तत्काल – होगा।
(iii) जनवरी में एक भवन 80.000 रुपये में खरीदा जायेगा जिसका भुगतान दो समान अर्ध वार्षिक किस्तों में किया जायेगा। प्रथम किस्त फरवरी माह में दी जायेगी।
(iv) अप्रैल में 5,000 रुपयों का भुगतान लाभांश के रूप में किया जायेगा।
(v) विक्रेताओं द्वारा फर्म को दो महीने की उधारी सुविधा दी जाती है। फर्म अपने ग्राहकों को महीने की उधारी पर माल बेचती है।
(vi) मजदूरी के भुगतान में अन्तराल-1/8 माह ।
(vii) अन्य व्ययों के भुगतान में अन्तराल-1 माह ।
(viii) 1 जनवरी, 2006 को अनुमानित रोकड़ शेष 37,500 रुपये था।
Additional information available is as follows :
(i) A sales commission of 5% on sales and due two months after sales is pavabla in addition to the above selling expenses.
(ii) A machine costing Rs. 10,000 will be purchased in the month of January on cash payment basis.
(iii) A building costing Rs. 80,000 will be purchased in January-payable in two equal half-yearly installments. The first installment is to be paid in February.
(iv) A dividend of Rs. 5,000 is payable in April.
(v) Period of credit allowed by creditors is 2 months. The firm also sells goods to its customers on 2 months credit basis.
(vi) Lag in payment of wages : 1/8 month.
(vii) Lag in payment of other expenses : one month.
(viii) Cash Balance on January 1, 2006 was expected to be Rs. 37,500.
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Illustration 10. निम्नलिखित समंकों के आधार पर अप्रैल से जून 2006 के लिए यू. पी. फ्रूट्स का रोकड़ बजट बनाइए
(i) बिक्री र्0
फरवरी 2006 25,000
मार्च 2006 20,000
अप्रैल से जून 2006 30,000 प्रति माह
आधी बिक्री नकद होती है। उधार बिक्री का 90% बिक्री के अगले माह प्राप्त हो जाता है और शेष अगले माह में।
(ii) फल नकद खरीदे जाते हैं उस पर 5% नकद बट्टा मिलता है। क्रय बजट द्वितीय तिमाही (अप्रैल से जून) के लिए प्रति माह 15,000 टोकरियों का था, दर एक रु. प्रति टोकरी ।
(iii) मजदूरी तथा वेतन द्वितीय तिमाही के लिए 5,000 प्रति माह बजटेड है।
(iv) निर्माण व अन्य व्ययों का तिमाही के लिए निम्नांकित बजट है
रु.
रोकड़ व्यय 4,500
हास 7,500
बिक्री व्यय 3,000
प्रशासनिक व्यय 2,000
(केवल अप्रैल एवं मई में)
Estimate the cash requirements of U.P. Fruits for April to June 2006, on thu basis of data given below:
(i) Sales Rs.
February 2006 25,000
March 2006 20,000
April to June 2006 30,000 each month
Financial Management of Cash
Roughly half the sales are for cash. 90% of credit sales are collected in the month following the month of sales and balance one month later.
(ii) Fruits are always bought for cash to avail the cash discount of 5%. The purchase budget for the second quarter (April-June) was 15,000 baskets per month @ Rs. 1 per basket.
(iii) Wages and Salaries for the second quarter were budgeted at Rs. 5,000 per month.
(iv) Manufacturing and other expenses budgeted for the quarter:
Rs.
Cash Expenses 4,500
Depreciation 7,500
Selling Expenses 3,000
Administrative Expenses 2000 (in April & May only)
नोट-1. अप्रैल माह में रोकड़ का प्रारम्भिक शेष नहीं दिया हुआ है, अतः इसे शून्य माना गया है।
- ह्रास को रोकड़ व्यय न होने के कारण छोड़ दिया गया है।
Illustration 11. निम्नलिखित सूचना से माह जनरी से अप्रैल, 2006 तक का एक रोकड़ बजट तैयार कीजिए
अनुमानित बिक्री अनुमानित क्रय
रुपये रुपये
जनवरी 80,000 जनवरी 60,000
फरवरी 55,000 फरवरी 1,05,000
मार्च 62,000 मार्च 95,000
अप्रैल 53,000 अप्रैल 1,15,000
मजदूरों को 6,000 रुपये मजदूरी प्रति माह चुकाई। 1 जनवरी, 2006 को बैंक शेष 16,000 रु. था। प्रबन्ध ने यह निश्चय किया कि –
(अ) यदि धन की कमी 10,000 रुपये तक हो तो बैंक से प्रबन्ध किया जाय। रुपये
(ब) यदि धन की कमी 10,000 रुपये से अधिक हो परन्तु 50,000 रुपये से अधिक न हो तो ऋणपत्रों का निर्गमन पसन्द किया जोयगा।
(स) यदि धन की कमी 50.000 रुपये से अधिक हो तो अंशों का निर्गमन पसन्द किया जायेगा।
Financial Management of Cash
From the following information prepare a cash budget for the month of January to April 2006.
Expected Sales Expected Purchases
Rs. Rs.
January 80,000 January 60,000
February 55,000 February 1,05,000
March 62,000 March 95,000
April 53,000 April 1,15,000
Wages to be paid to workers Rs. 6,000 each month. Balance at bank on 1st January, 2006 was Rs. 16,000.
It has been decided by the management that:
(a) In the case of deficit of fund within the limit of Rs. 10,000 arrangements can be made with Bank.
(b) In the case of deficit of funds exceeding Rs. 10,000 but within the limit of Rs. 50,000 issue of debenture is to be preferred.
(c) In the case of deficit of funds exceeding Rs. 50,000 shares is preferred.
नोट-चारों माह के लिए कोष की कमी एक साथ ज्ञात करने के पीछे यह तर्क लिया गया है कि प्रो माह अंशों अथवा ऋणपत्रों का निर्गमन सम्भव नहीं है क्योंकि इनके निर्गमन हेतु सेबी (SEBD की, अनुमति तथा अन्य अनेक वैधानिक औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती हैं। इसीलिए प्रत्येक माह हेत को कमी की गणना अलग-अलग करने के स्थान पर चारों माह के लिए एक साथ कोष की कमी ज्ञात की गई है।
Illustration 12. अप्रैल, 2006 को समाप्त होने वाले 4 महीनों के लिए निम्नलिखित सूचनाओं से रोकड़ बजट तैयार कीजिए। 1 जनवरी को नकद शेष 2,000 रु. है अनुमानित लागते
(a) प्रत्यक्ष सामग्री 3 रु. प्रति इकाई ।
(b) प्रत्यक्ष श्रम 3 रु. प्रति इकाई।
(c) कारखाना तथा प्रशासन उपरिव्यय प्रति माह 3,600 रु.।
(d) विज्ञापन उपरिव्यय फरवरी, 2006 में 3,000 रु. एवं आगामी महीनों में 600 रु. प्रति माह है।
(e) फरवरी माह से बिक्री तथा वितरण व्यय 4.500 रु.प्रति माह होंगे।
अनुमानित बिक्री जनवरी फरवरी मार्च अप्रैल इकाइयाँ 600 900 1,200 1,200
बिक्री मूल्य 15 रुपये प्रति इकाई है।
क्रय तथा बिक्री शर्ते
(a) सामग्री एक माह के उधार पर क्रय की जायेगी।
(b) बिक्री का 20% नकद तथा शेष की वसूली 1 माह बाद होगी।
(c) सभी उपरिव्यय उसी माह में चुकाए जायेंगे जिसमें वे देय होंगे।
Financial Management of Cash
From the given information you are required to prepare the cash budget for four months ending April, 2006. Cash Balance on 1st January is Rs. 2,000.
Estimated costs :
(a) Direct materials Rs. 3 per unit.
(b) Direct Labour Rs. 3 per unit.
(c) Factory and Administration on cost for each month Rs. 3,600.
(d) Advertisement on cost Rs. 3,000 will be paid in February 2006 and Rs. 600 in cach subsequent months.
(e) Selling and Distribution Expenses Rs. 4,500 will be paid in each month from February
Estimated Sales : January February March April
Units 600 900 1,200 1,200
Selling price is Rs. 15 per unit. Purchases and sales terms:
(a) Materials will be purchased on one month credit.
(b) 20% of sales will be treated as cash and balance will be collected after one month.
(c) All on costs to be paid within the month in which these are incurred.
Financial Management of Cash
(ii) समायोजित लाभ-हानि विधि (Adjusted Profit and Loss Method) इस विधि का प्रयोग अधिकांशतः दीर्घकालीन बजट बनाने के लिए किया जाता है। लाभ-हानि खाते में अनेक ऐसी मदें दिखायी जाती हैं जिनका रोकड़ प्रवाह से कोई सम्बन्ध नहीं होता है; जैसे, ह्रास, डूबत ऋण आयोजन, अदत्त खर्चे, आदि। इसी प्रकार आय पक्ष में भी कुछ इसी प्रकार की मदें हो सकती हैं जिनका रोकड़ प्रवाह से कोई सम्बन्ध नहीं होता; जैसे, सम्पत्तियों के पुनर्मूल्यांकन से लाभ, आदि। यह विधि इस विचारधारा पर आधारित है कि लाभ रोकड़ के तुल्य होंगे अर्थात् व्यवसाय में लाभ होने पर लाभ की राशि से रोकड़ की राशि बढ़ जायेगी तथा हानि होगी तो हानि की राशि से रोकड घट जायेगी। इसलिए इस विचारधारा के अनुसार गैर-रोकड़ी लेन-देनों के लिए एवं उन लेन-देनों के लिए जो लाभ-हानि से सम्बन्धित नहीं होते. समायोजन करना आवश्यक होता है। इसीलिए इस विधि को समायोजित लाभ-हानि विधि कहते हैं। संक्षेप में,इस विधि से रोकड़ बजट बनाने में निम्नांकित सूचनाओं की आवश्यकता होती है
(1) बजट अवधि के प्रारम्भ में सम्भावित रोकड शेष.
(2) बजट अवधि का अनुमानित शुद्ध लाभ अथवा हानि,
(3) चालू सम्पत्तियों व दायित्वों में परिवर्तन,
(4) पूँजीगत प्राप्तियाँ एवं भुगतान,
(5) लाभांश तथा ऋणपत्रों पर ब्याज, आदि का भुगतान ।
सुविधा के लिए इस रीति पर आधरित रोकड़ बजट का निम्नांकित नमूना ध्यान में रखा जा सकता है
(iii) Investments costing Rs. 4,000 were sold for Rs. 4,800.
On 31st December, 2006; Debtors Rs. 33,280; Stock Rs. 37,000; Creditors Rs. 40.000: Debentures Rs. 20,000%; Equity Share Capital Rs. 70.000.
(iii) चिट्ठा विधि (Balance Sheet Method)-सैद्धान्तिक रूप से यह विधि भी समायोजित लाभ-हानि विधि का ही परिवर्तित रूप है। इस विधि के अन्तर्गत रोकड़ शेष को छोड़ते हुए अन्य सभी मदों की सहायता से बजट अवधि के अन्तिम दिन के लिए एक प्रक्षेपित (Projected) चिट्ठा तैयार किया जाता है। इस विधि के अन्तर्गत बनाये गये प्रक्षेपित चिट्ठे में प्रत्येक मद का बजट अवधि के अन्तिम दिन का पूर्वानुमानित शेष लिखा जाता है। रोकड़ को छोड़कर शेष मदों का दोनों पक्षों (Sides) का अन्तर रोकड़ के अन्तिम शेष का प्रतीक है। यदि दायित्व पक्ष का जोड़ अधिक हो तो अन्तर रोकड़ शेष होगा परन्तु यदि सम्पत्ति पक्ष का जोड अधिक है तो अन्तर बैंक अधिविकर्ष का प्रतीक होगा। इस विधि में रोकड़ शेष बजट अवधि के अन्तिम दिन ही ज्ञात किया जा सकता है ।
Financial Management of Cash
Illustration 14. उदाहरण 13 के समंकों का प्रयोग करते हुए चिट्ठा विधि के अन्तर्गत 31 दिसम्बर. 2006 को बैंक रोकड़ की राशि दिखाते हुए रोकड़ का पूर्वानुमान तैयार कीजिए।
Using the data of Illustration 13, prepare a cash forecast showing cash at bank on 31 st December, 2006 under the balance sheet method.
परीक्षोपयोगी प्रश्न (Examination Questions)
दीर्घ उत्तरीय सैद्धान्तिक प्रश्न
(Long Answer Theoretical Questions)
1 व्यवसाय में रोकड की आवश्यकता क्यों होती है? विवेचन कीजिए तथा रोकड़ प्रबन्ध के विभिन्न आयामों की व्याख्या कीजिए।
What is the need of cash in business? Discuss and explain the various facts of Cash Management
2. कार्यशील रोकड़ शेष के अनुकूलतम स्तर से आपका क्या अभिप्राय है? यह कैसे निर्धारित किया जा सकता है?
What do you understand by optimum level of working cash balance? How is it determined?
3. रोकड़ प्रबन्ध के विभिन्न चरणों की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
Explain in detail the various steps of Cash Management.
4. रोकड़ प्रबन्ध का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसके उद्देश्यों को समझाइए।
Explain clealy the mcaning of Cash Management and its objectives.
5. रोकड़ के नियोजन एवं नियन्त्रण में निहित समस्याओं पर प्रकाश डालिए और रोकड़ नियोजन एवं नियन्त्रण के मुख्य उपकरणों को समझाइए।
Discuss the management problems involved in the planning and control of cash. Explain the main tools of cash planning and control.
6. रोकड़ बजट के महत्व की विवेचना कीजिए तथा समझाइए कि रोकड़ बजट, रोकड़ नियोजन में किस प्रकार सहायक होता है?
Discuss the importance of cash budget and explain as to how does cash budget help in cash planning?
7. रोकड़ बजट से आप क्या समझते हैं? यह कैसे तैयार किया जाता है ? इसका महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
Explain the meaning of Cash Budget. How it is prepared? Discuss its importance.
8. रोकड़ बजट बनाने की विभिन्न विधियों को काल्पनिक आंकड़ों से स्पष्ट कीजिए।
Explain the different methods of preparing cash budget with imaginary figures.
9. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए (Write short notes on) :
(6) बाऊमोल मॉडल (Baumol Model)
(ii) मिलर-ओर मॉडल (Miller-Orr Model)
(iii) रोकड़ बजट (Cash Budget)
Financial Management of Cash
लघु उत्तरीय प्रश्न
(Short Answer Questions)
1. रोकड़ प्रबन्ध से आप क्या समझते हैं?
What do you mean by Cash Management?
2. रोकड़ बजट से आप क्या समझते हैं?
What do you mean by Cash Budget?
3. रोकड़ प्रबन्ध के बाऊमोल मॉडल को समझाइये।
Explain the Baumol Model of Cash Management.
4. रोकड़ प्रबन्ध के मिलर-ओर मॉडल को समझाइये।
Explain the Miller-Orr Model of Cash Management
5. रोकड़ प्रबन्ध के प्रमुख उद्देश्य बताइये।
Explain the objectives of Cash Management.
6. नकद कोष रखने के प्रमुख उद्देश्यों को समझाइये।
Discuss the main motives for cash funds.
Financial Management of Cash
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
(Objective Questions)
बताइये कि निम्नलिखित कथन सत्य अथवा असत्य हैं
State whether the following statements are ‘True’ or ‘False’:
1. रोकड़ प्रबन्ध के अन्तर्गत नकद एवं नकद-तल्य सम्पत्तियों का प्रबन्ध किया जाता है। (सत्य)
Cash and Cash-cquivalent assets is managed under cash management. (True)
2. बाऊमोल मॉडल, विलियन जे. बाऊमोल द्वारा सुझाया गया था। (सत्य)
‘Baumol Model’ was suggested by Willian J. Baumol. (True)
3. बाऊमोल मॉडल के अनुसार अनुकूलतम रोकड-स्तर,रोकड़ का वह स्तर है जहाँ संग्रहण लागतें एवं लेन-देन लागतें न्यूनतम होती हैं। (सत्य)
According to Baumol Model, optimum cash level is that level of cash where the carrying costs and transaction costs are the minimum. (True)
4. मिलर-ओर मॉडल स्कन्ध नियन्त्रण में प्रयुक्त मितव्ययी आदेश मात्रा तकनीक पर आधरित है । (असत्य)
Miller-orr model is based on E.0.0 technique used in inventory control. (False)
Financial Management of Cash
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (Fill in the Blanks) :
1. रोकड़ प्रबन्ध के अन्तर्गत का प्रबन्ध किया जाता है !
……………… is managed under cash management.
2. बाऊमोल मॉडल पर आधारित है।
Baumol model is based on …….
3. बाऊमोल मॉडल द्वारा सुझाया गया था।
Baumol model was suggested by ………..
4. मिलर-ओर मॉडल -तकनीक पर आधारित है।
Miller-Orr model is based on …………………. technique.
Ans. 1. नकद एवं नकद तुल्य सम्पत्तियों (Cash and Cash-equivalent assets), 2. स्कन्ध नियन्त्रण में प्रयुक्त मितव्ययी आदेश मात्रा तकनीक (E.O.Q. technique used in inventory control.), 3. विलियन जे. बाऊमोल (Willian J. Baumol), 4. सांख्यिकीय गुण नियन्त्रण (Statistical Quality Control)
Financial Management of Cash
निम्नलिखित में से सही विकल्प चुनिए
(Select the correct option from the following) :
1. रोकड़ प्रबन्ध के अन्तर्गत निम्नलिखित में से किसका प्रबन्ध किया जाता है?
Which is managed out of the following, under Cash Management?
(a) नकदी का (Cash)
(b) रोकड़ एवं बैंक शेष का (Cash and Bank Balances)
(c) नकद एवं नकद-तुल्य सम्पत्तियों का (Cash and Cash-equivalent assets)
(d) इनमें से किसी का नहीं (None of these)
2. रोकड प्रबन्ध का बाऊमोल मॉडल निम्नलिखित में से किस के द्वारा सुझाया गया था?
Who suggested the Baumol Model of Cash Management?
(a) हावर्ड एवं उपटन (Howard and upton),
(b) जे. एल. मैसी (J.L. Massic)
(c) विलियन जे. बाऊमोल (Willian J. Baumol)
(d) इनमें से कोई नहीं (None of these)
3. बाऊमोल मॉडल निम्नलिखित में से किस पर आधारित है?
Out of the following on which technique, Baumol Model is based?
(a) मितव्ययी आदेश मात्रा तकनीक (E.O.Q. Technique)
(b) सांख्यिकीय गुण नियन्त्रण (Statistical Quality Control)
(c) रोकड़ प्रवाह विश्लेषण (Cash Flow Analysis)
(d) इनमें से कोई नहीं (None of these)
Financial Management of Cash
4. मिलर-ओर मॉडल उन परिस्थितियों में उपयुक्त रहता है जबकि
Miller-Orr model is suitable in those circumstances when the
(a) नकदी की माँग स्थिर है । (Demand for cash is steady)
(b) नकदी की माँग स्थिर नहीं है। (Demand for cash is not steady)
(c) संग्रहण लागत एवं लेन-देन लागत को न्यूनतम रखना हो
(Carrying cost and transactions cost are to be kept minimum.)
5. निम्नलिखित में से कौन सी रोकड़ प्रबन्धन की युक्ति या तकनीक नहीं है
Which is not the device or technique of cash management :
(a) रोकड़ बजट (Cash Budget),
(b) रोकड-प्रवाह विवरण (Cash-flow Statement),
(c) कोष प्रवाह विवरण (Funds Flow statement)
(d) उपरोक्त सभी (All the above)
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क्रियात्मक प्रश्न (Numerical Questions)
बाऊमोल मॉडल (Baumol Model)
1 अनुपम लिमिटेड का अनुमान है कि आगामी वर्ष के दौरान समान रूप से 7,20,000 रुपये का रोकड़ भुगतान होगा। प्रति लेन-देन स्थायी लागत 10 रुपये है और विपण्य प्रतिभूतियों पर ब्याज की दर 10% प्रतिवर्ष है । रोकड़ लेन-देन के लिए अनुकूलतम आकार की गणना कीजिए।
Anupam Ltd. estimates that cash outlays of Rs. 7,20,000 will occur uniformly throughout the coming year. The fixed cost per transaction is Rs. 10 and the interest rate on marketable securities is 10 percent per annum. Calculate Optimal Cash transaction size.
Ans. Rs. 12,000.
2. आशीष लिमिटेड एक महीने की अवधि हेतु 1,50.000 रुपये का नकद भुगतान का अनुमान करती है। यह भुगतान सम्बन्धित अवधि में समान रूप से वितरित होने की उम्मीद है। प्रति लेन-देन स्थायी लागत 120 रुपये है और विपण्य प्रतिभूतियों पर ब्याज की दर 12% प्रति वर्ष है। रोकड़ लेन-देन के लिए अनुकूलतम आकार की गणना कीजिए।
Ashish Ltd. estimated cash payment of Rs. 1,50,000 for one month period. These payments are expected to be steady over the period. The fixed cost per transaction is Rs. 120 and the interest rate on marketable securities is 12 per cent per annum. Calculate optimal cash transaction size.
Ans. Optimal Cash Balance Rs. 60,000
3. माधुरी लिमिटेड हेतु निम्नलिखित समंक उपलब्ध हैं
The following data is available for Madhuri Ltd :
Estimated Cash Requirement Over a 6 month planning period Rs. 27,50,000 Fixed Conversion Costs-Rs. 900 per batch. Annual interest rate on marketable securities-11%
अनुकूलतम रोकड़ रूपान्तरण आकार का निर्धारण कीजिए।
Determine the optimal cash conversion size.
Ans. Rs. 3,00,000.
Financial Management of Cash
4. गर्ग लिमिटेड का अनुमान है कि आगामी वर्ष के दौरान समान रूप से 12.5 लाख रुपये का रोकड़ भुगतान होगा। गर्ग लि. अपने प्रतिभूति-समूह से समय-समय पर विपण्य प्रतिभूतियों को बेचकर अपनी रोकड़ आवश्यकताओं को पूरा करने की योजना बनाती है। फर्म की विपण्य प्रतिभूतियों में विनियोजन पर 8% अर्जन है एवं प्रतिभूतियों को रोकड़ में परिवर्तित करने की प्रति लेन-देन लागत 80 रुपये है।
(अ) बाऊमोल मॉडल के प्रयोग द्वारा विपण्य प्रतिभूतियों से रोकड़ परिवर्तन के अनुकूलतम लेन-देन आकार का निर्धारण कीजिये।
(ब) कम्पनी में औसत रोकड़ शेष कितना होगा ?
(स) प्रतिवर्ष कितने परिवर्तन (transfers) आवश्यक होंगे ?
(द) वांछित रोकड़ शेष रखने के लिये कुल वार्षिक लागत क्या होगी ?
Garg Ltd. estimates that cash outlays of Rs. 12.5 lakh will occur uniformly throughout the coming year. Garg Ltd. plans to meet its cash requirements by periodically selling marketable securities from its portfolio. The firm marketable securities are invested to earn 8% and the cost per transaction of converting securities to cash is Rs. 80.
(a) Use the Baumol Model to determine the optimal transaction size of transfers from marketable securities to cash.
(b) What will be the company’s average cash balance ?
(c) How many transfers per year will be required ?
(d) What will be the total annual cost of maintaining cash balances ?
Ans. (a) Rs. 50,000, (b) Rs. 25,000. (c) 25, (d) 4,000.
5. ‘अ’ लिमिटेड की वार्षिक रोकड़ आवश्यकता 10 लाख रुपये है। कम्पनी के पास 50,000 रुपये,= 1,00,000 रुपये, 2,00,000 रुपये,2,50,000 रुपये एवं 5,00,000 रुपये के समूह आकार में विपण्य प्रतिभूतियाँ हैं। विपण्य प्रतिभूतियों की प्रति समूह रूपान्तरण लागत 000 रुपये है। कम्पनी अपनी विपण्य प्रतिभूतियों पर 5% वार्षिक आय अर्जित कर सकती है। आपको एक ऐसी तालिका तैयार करनी है जो कम्पनी द्वारा विक्रय किये जाने वाले समूह आकार को प्रदर्शित कर सके। यह भी दर्शाइये कि मितव्ययी समूह आकार को बाऊमोल मॉडल द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
The annual cash requirement of A Ltd. is Rs. 10 lakhs. The company has marketable securities in lot sizes of Rs. 50,000, Rs. 1,00,000, Rs. 2,00,000, Rs. 2,50,000 and Rs. 5,00,000. Cost of Conversion of marketable securities per lot is Rs. 1,000. The company can earn 5% annual yield on its securities. You are required to prepare a table indicating which lot size will have to be sold by the company. Also show that the economic lot size can be obtained by the Boumol Model.
Ans. Optimal lot size Rs. 2,00,000 and Total Cost Rs. 10,000.
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6. मीनाक्षी लि. को आगामी छ: माह की रोकड़ आवश्यकता को पूरा करने के लिए एक करोड़ रुपये की आवश्यकता है। तरलता स्थिति को विपण्य प्रतिभूतियों के क्रय एवं विक्रय द्वारा समायोजित किया जाता है। कम्पनी अपनी विपण्य प्रतिभूतियों पर 16% वार्षिक आय अर्जित करती है। विपण्य प्रतिभूतियों का रोकड़ में रूपान्तरण 10 लाख, 12.5 लाख, 20 लाख एवं 50 लाख रुपये के आकार में हो सकता है। रूपान्तरण पर प्रति लेन-देन लागत आती है जो कि रूपान्तरण के आकार पर आश्रित है जैसा कि नीचे दर्शाया गया है
Meenaksni Ltd. required Rs. 1 crore for meeting its transaction needs over the next six months. The liquidity position is adjusted by purchase and sale of marketable securities. The company earns a 16” annual yield on its marketable securities. Conversion can be done in one of the following lot sizes Rs. 10 lakh, Rs. 12.5 lakh Rs. 20 lakh and Rs. 50 lakh. Conversion involves a cost per transaction which is dependent on the lot size of conversion as indicated below:
Size of Conversion Cost per transaction
Rs. Rs.
Upto and including Rs. 12 lakh 10,000
Above Rs. 12 lakh to Rs. 18 lakh 12,500
Above Rs. 18 lakh to Rs. 24 lakh 15,000
Above Rs. 24 lakh 20,000
अनुकूलतम रोकड़ रूपान्तरण आकार का निर्धारण कीजिए। Determine the Optimal Cash Conversion Size. Ans. Cash Conversion Size (Rs.) : 10 lakh 12.5 lakh 20 lakh 50 lakh Total Cost (Rs.): 1,40,000 1,50,000 1,55,000 2,40,000 Optimal Cash Conversion Size Rs. 10 lakh
Financial Management of Cas
रोकड़ बजट (Cash Budget)
प्राप्ति एवं भुगतान विधि (Receipt and Payment Method)
7. एक विशेष वर्ष के अप्रैल से जून की अवधि में ए.बी.सी.कम्पनी अपने बैंक से ओवरड्राफ्ट की सुविधाएँ प्राप्त करना चाहती है जबकि वह अधिकांशतः अपने स्टॉक हेतु उत्पादन करना चाहती है। यह भी बतलाइए कि प्रति माह के अन्त में कम्पनी को किस सीमा तक बैंक सुविधाओं की आवश्यकता होगी
ABC Co. wishes to arrange overdraft facilities with its bankers during the period April to June of a particular year, when it will be manufacturing mostly for stock. Prepare a Cash Budget for the above period from the following data, indicating the extent of the bank facilities the company will require at the end of each month :
(a) Months Sales Purchases Wages
Rs. Rs. Rs.
February 1,80,000 _1,24,800 12,000
March 1,92,000 1,44,000 14,000
April 1,08,000 2,43,000 11,000
May 1,74,000 2,46,000 10,000
June 1,26,000 2,68,000 15,000
(b) उधार बिक्री का 50% रुपया तो बिक्री के अगले माह में प्राप्त हो जाता है तथा शेष बिक्री के
अगले दूसरे माह में प्राप्त होता है। लेनदारों को क्रय के अगले माह में अदा किया जाता है ।
50% of the credit sales are realised in the month following the sales and the remaining sales in the second month following. Creditors are paid in the following month of purchase.
(c) 1 अप्रैल को बैंक में रोकड़ (अनुमानित) 25,000 रुपये थी।
Cash at bank on 1st April (estimated) Rs. 25,000.
Ans. Cash Balance at the end of :
Months : April May June
Amount (Rs.): +56,000 -47,000 -1,67,000
Financial Management of Cash
8. निम्नलिखित सूचना से तथा इस मान्यता से कि 1 जनवरी, 2006 को हाथ में रोकड़ शेष 72,500 रु. है,रोकड़ बजट बनाइए
From the following information and the assumption that the balance of cash in hand on 1st Jan., 2006 is Rs. 72,500, prepare a Cash Budget :
Selling and Production Administration
Month Sales Materials Wages Dist. Cost Cost tion Cost
Rs. Rs. Rs. Rs. Rs Rs .
Jan. 72,000 25,000 10,000 4,000 6,000 1,500
Feb. 97,000 31,000, 12,100 5,000 1,700
March 86,000 25,500 10,600 5,500 6,000 2,000
April 88,600 30,600 25,000 6 ,700 6 ,500 2200
May 1,02,500 37,000 22,000 8,500 8,000 2,500
June 1,08,700 38,800 23,000 9,000 8 ,200 2,500
मान लीजिए कि 50% नकद बिक्रियां हैं । सम्पत्तियाँ फरवरी व अप्रैल में क्रय की जाती हैं। अत: उनके लिए 8,000 रु. व 25,000 रु. अदायगी का प्रावधान करना है। 30,000 रु. के ऋण की स्वीकृति हेत बैंक को प्रार्थना-पत्र दिया गया है और यह आशा की जाती है कि वह मई माह में प्राप्त हो सकेगा। यह आशा की जाती है कि 35,000 रु. का लाभांश जून में दिया जायेगा। देनदारों को एक माह की उधार स्वीकृत है। बिक्री पर 3% बिक्री कमीशन दिया जाता है । लेनदार (माल व व्यय के) एक माह की उधार स्वीकृत करते हैं।
Assume that 50% are cash sales. Assets are to be acquired in the month of February and April. Therefore provision should be made for the payment of Rs. 8,000 and Rs. 25,000 for the same. An application has been made to the bank for the grant of a loan of Rs. 30,000 and it is hoped that it will be received in the month of May. It is anticipated that a dividend of Rs. 35,000 will be paid in June. Debtors are allowed one month credit. Sales commission @3% on the sales is to be paid. Creditors (for goods or overheads) grant one month’s credit.
Ans. Cash Balance at the end of :
Month : January February March April May June
Amount (Rs.) : 96,340 1,21,330 1,55,650 1,51,292 2,05,767 1,94,106
Hint : बिक्री पर कमीशन एवं मजदूरी का उसी माह में भुगतान किया गया है।
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9. निम्नलिखित विवरण से जुलाई, अगस्त एवं सितम्बर 2006 के लिए रोकड़ बजट तैयार कीजिए
From the following details prepare a Cash Budget for July, August and September 2006 :
अतिरिक्त सूचना
(i) क्रय को 20 प्रतिशत तथा विक्रय का 10 प्रतिशत रोकड़ी है।
(ii) व्यापार की औसत वसुली अवधि 1/2 माह है।
(iii) उधार क्रय का नियमित रूप से एक माह बाद भुगतान किया जाता है।
(iv) मजदूरी अर्द्ध माह पर चुकाई जाती है तथा किराए के 1,000 रुपये (जो व्यय में सम्मिलित है) . मासिक चुकाये जाते हैं।
(v) 1 जुलाई, 2006 को रोकड़ शेष 16,000 रुपये है।
Additional information :
(i) 20% of purchases and 10% of sales are for cash.
(ii) The average collection period of the business is 1/2 month.
(iii) Credit purchases are regularly paid after one month.
(iv) Wages are paid half monthly and the Rent of Rs. 1,000 (included in Expenses) is paid monthly.
(v) Cash balance on July 1, 2006 is Rs. 16,000.
Ans.
July Aug Sept
Rs . Rs. Rs.
Receipts 96,000 1,20,800 1,52,000
Payments 60,700 64,300 70,700
Balance C/F 35,300 56,500 81,300
10. निम्नलिखित आय-व्ययित अंकों से 31 मार्च,2006 को समाप्त होने वाले तीन माह का रोकड आय-पास बनाइए- .. .
From following budget figures, prepare a cash budget in respect of three months Sir to 31st March, 2006 :
1 जनवरी, 2006 को अपेक्षित रोकड़ 5,000 रु. थी। अन्य सूचनाएँ इस प्रकार हैं
(अ) सामग्री और उपरिव्यय जिस माह में हुए हैं उसके अगले माह में भुगतान किया जाता है।
(ब) मजदूरी जिस माह में हुई है उसी माह में दे दी जाती है।
(स) विक्रय की शर्ते-जिस माह में विक्रय हुए हैं उसके अगले माह के अन्त तक भुगतान किया जाए। ऐसी उधार-विक्रय की शर्त है । 1/2 विक्रय का भुगतान दातव्य तिथि को हो जाता है, बाकी आधे का आगामी माह में भुगतान होता है।
(द) जिस माह में वास्तविक विक्रय होता है, उसके आगामी माह में 5% विक्रय कमीशन दिया जाता है ।
(इ) समता अंशों पर याचना राशि 10,000 रु. 1 फरवरी तथा 1 मई को प्राप्य है। (र) 5,000 रु. का यन्त्र अक्टूबर माह में प्रतिस्थापित करना है और उसका भुगतान फरवरी माह में करना है।
Expected Cash Balance on January 1, 2006 was Rs. 5,000.
Other informations were as follows:
(a) Materials and overheads are to be paid during the month following the month of supply.
(b) Wages are to be paid during the month in which they are incurred.
(C) Terms of Sales : The terms of credit sales are payment by the end of the month following the month of sales ; 1/2 of the sales are paid when due, the other half to be paid during the next month.
(d) 5% sales commission is to be paid within the month following actual sales.
(e) Equity shares call money for Rs. 10,000 is due on 1st February and 1st May.
(f) Plant and machinery worth Rs. 5,000 is to be installed in the month of
October and the payment is to be made in the month of February.
Ans.
Jan. Feb. March
Rs Rs. Rs.
Receipts 35,000 44,800 40,700
Payments 36,200 45,100 44,400
Balance C/F -1200 -300 -3700
11. जुलाई से दिसम्बर 2006 की प्राप्तियों तथा भुगतानों का निम्नांकित पूर्वानुमान दिया हुआ है :
Summarised below are the receipts and payments forecasts for the months of July to December 2006 :
Month Sales Purchases Wages Selling Exp. Misc. Exp.
Rs Rs. Rs. Rs Rs.
July 30,000 16,000 4,000 4,000 8,000
Aug 32,000 18,000 2,000 5,000 7,000
Sept. 34,000 15,000 3,000 4,000 9,000
Oct. 30,000 17,000 3,000 3,000 6,000
Nov. 26,000 18,000 2,000 4,000 8,000
Dec. 30,000 16,000 4,000 3,000 9,000
आपको निम्नलिखित सूचनाएँ दी हैं
(1) 20,000 रु.की लागत की मशीनरी की दिसम्बर में सुपुर्दगी होनी है जिसका 10% भुगतान सुपुर्दगी पर तथा शेष 3 माह बाद होना है।
(2) अग्रिम आयकर नवम्बर माह में 3,000 रु.।
(3) उधार की स्वीकृत अवधि (i) पूर्तिकर्ताओं द्वारा दो माह एवं (ii) ग्राहकों को एक माह है।
(4) मजदूरी के भुगतान का अन्तराल आधा माह ।
(5) विक्रय व्ययों के भुगतान का अन्तराल एक माह । आपको 1 सितम्बर, 2006 से प्रारम्भ करके चार महीनों के लिए रोकड़ बजट तैयार करना है जबकि रोकड का शेष 10,000 रुपये था।
You are given the following further information :
(1) Machinery costing Rs. 20,000 is due for delivery in December. Payable 10% on delivery and balance after three months.
(2) Advance income tax in November Rs. 3,000. November Rs. 3.000.
(3) Period of credit allowed (i) by suppliers two months and (ii) to customers one month.
(4) Lag of payment of Selling expenses is one month.
(5) Lag of payments of wages is 1/2 month. You are required to prepare a cash budget for four months starting on 1st September, 2006 when there was cash balance of Rs. 10,000.
Ans. Cash Balance at the end of Sep. : Rs. 9,500; Oct. : Rs. 12,500; November : Rs. 11,000; December : Rs. 2,000.
Hint : स्पष्ट निर्देश के अभाव में Misc. Expenses का भुगतान उसी माह में किया गया है।
12. अग्रलिखित सूचना के आधार पर 30 सितम्बर,2006 को समाप्त तीन महीनों के लिए रोकड बजट तैयार कीजिए:
बैंक में रोकड़ 1 जुलाई, 2006 को 25,000
वेतन तथा मजदूरी, अनुमानित-मासिक 10,000
देय ब्याज-अगस्त, 2006 5,000
Prepare a Cash Budget for the three months ended 30th September, 2006 based on the
उधार बिक्री की 50% रकम उसी महीने में वसूल कर ली जाती है जिस महीने बिक्री होती है, और 50% अगले महीने में वसूल की जाती है । उधार बिक्री की रकम यदि उसी महीने में प्राप्त हो जाती है जिस महीने माल बेचा जाता है तो उस पर 5% अपहार दिया जाता है. यदि भुगतान अगले महीने में प्राप्त होता है तो 2.5% अपहार दिया जाता है। लेनदारों को भुगतान या तो तत्काल या 30 दिन के आधार पर किया जाता है। यह अनुमान है कि 10% लेनदार तत्काल वर्ग में आते हैं। Credit sales are collected 50% in the month sales are made and 50% in the following month. Collections from credit sales are subject to 5% discount if payment is received during the month of sales and 2.5% if payment is received in the month following. Creditors are paid cither on a ‘Prompt’ or 30 days basis. It is estimated that 10% of creditors are in ‘Prompt’ category. Ans. Cash Balance at the end of July Rs. 60,750, August Rs. 1,04,250 and September Rs. 85,500.
13. निम्नलिखित दिए गए आँकड़ों के आधार पर मेरठ फ्रूट कम्पनी लिमिटेड के लिए सितम्बर से दिसम्बर
2006 के लिए आवश्यक रोकड़ का अनुमान कीजिए
Estimated the cash requirement to Meerut Fruit Co. Ltd. for September to December, 2006 on the basis of data given below :
(i) Sales :
June 2006 Rs. 40,000
July 2006 Rs. 60,000
August 2006 Rs. 50,000
Sep. to Dec. 2006 Rs. 45,000 per month
अनुमानतः एक-चौथाई बिक्री नकद होती है। उधार बिक्री का 40% बिक्री के महीने से अगले महीने में वसूल हो जाता है एवं 20% उसके एक माह बाद वसूल होता है एवं शेष रकम तीसर। महीने में वसूल होती है।
Roughly one-fourth the sales are for cash. 40% of credit sales are collected | in the month following the month of sales, 20% are collected in the next following month and the balance are collected in the third month.
(ii) फल 2% नकद छूट का लाभ उठाने के लिए हमेशा नकद खरीदे जाते हैं। सितम्बर से दिसम्बर 2006 तक क्रय बजट प्रति माह 12.000 टोकरी था जिसका मूल्य 1.50 रुपये प्रति टोकरी है ।
Fruits are always bought for cash to avail of the cash discount of 2%. The purchase budget for Sep. to Dec. 2006 was 12,000 baskets per month at Rs. 1.50 per basket.
(iii) मजदूरी एवं वेतन 7,000 रुपये प्रति माह अनुमानित है।
Wages and Salaries is estimated at Rs. 7,000 per month..
(iv) सितम्बर से दिसम्बर तक की अवधि के लिए अन्य व्यय निम्नांकित प्रकार है : ।
Other expenses for the period of September to December are as follows:
Cash Expenses Rs. 8,000
Depreciation Rs. 24,000
Administration Expenses Rs. 10,000
Selling Expenses Rs. 4,000 (in Sep. & Oct. Only)
Ans.
Sep. Oct. Nov Dec.
Rs. Rs. Rs. Rs.
Receipts 47,250 66,360 81,720 97,580
Payments 31,140 31,140 29,140 29,140
Balance C/F 16,110 35,220 52,580 68,440
14. निम्नलिखित सूचना से माह जनवरी से अप्रैल 2006 तक का रोकड़ बजट तैयार कीजिए
अनुमानित बिक्री अनुमानित क्रय
रु रु
जनवरी 60,000 जनवरी 48,000
फरवरी 40,000 फरवरी 80,000
मार्च 45,000 मार्च 81,000
अप्रैल 40,000 अप्रैल 90,000
मजदूरों को 5,000 रुपये मजदूरी प्रति माह चुकाई ।
1 जनवरी, 2006 को बैंक शेष 8,000 रुपये था।
प्रबन्ध ने यह निश्चय किया कि
(अ) यदि धन की कमी 10,000 रुपये तक हो तो बैंक से प्रबन्ध किया जाए।
(ब) यदि धन की कमी 10,000 रुपये से अधिक हो परन्तु 42,000 रुपये से अधिक न हो तो ऋणपत्रों का निर्गमन पसन्द किया जायेगा।
(स) यदि धन की कमी 42,000 रुपये से अधिक हो तो अंशों का निर्गमन पसन्द किया जायेगा।
From the following information prepare a cash budget for the month of January to April, 2006 :
Expected Sales Expected Purchases
Rs. Rs.
January 60,000 January 48,000
February 40,000 February 80,000
March 45,000 March 81,000
April 40,000 April 90,000
Wages to be paid to workers Rs. 5,000 each month..
Balance at Bank on 1st January, 2006 was Rs. 8,000.
It has been decided by the management that:
(a) In the case of deficit of funds within the limit of Rs. 10,000, arrangements can be made with the bank.
(b) In the case of deficit of funds exceeding Rs. 10,000 but within the limit of _Rs. 42,000, issue of debentures is to be preferred.
(c) In the case of deficit of funds exceeding Rs. 42,000, issue of shareste preferred.
Ans. Total Deficiency Rs. 1,26,000, Issue of shares in Jan. 2006 for Rs. 1,26.000
Hint : चारों माह के लिए कोष की कमी एक साथ ज्ञात की गई है।
15. मेसर्स सूरज वनस्पति के लिए निम्नलिखित सूचना के आधार पर जनवरी 2006 से मई 2006 का रोकर बजट तैयार कीजिए
Prepare a Cash Budget for M/s Suraj Vanaspati on the basis of following information for the period January 2006 to May 2006 :
Sale Rs..
November 2005 80,000
December 2005 70,000
January 2006 80,000
February 2006 1,00,000
March 2006 80,000
April 2006 1,00,000
May 2006 90,000
June 2006 1,20,000
July 2006 1,00,000
(क) नवम्बर-दिसम्बर 2005 की बिक्री के आँकड़े वास्तविक हैं शेष अवधि के अनुमानित हैं।
(ख) बिक्री का 20% नकद और 80% उधार है जो तीसरे माह प्राप्त होगा (जनवरी बिक्री का मार्च में)।
(ग) परिवर्तनशील व्यय टर्नओवर का 5%, समय अन्तराल आधा माह ।
(घ) कमीशन उधार बिक्री पर 5% जिसका भुगतान तीसरे माह में होना है।
(ङ) तीसरे माह की बिक्री का 60% कच्चा माल क्रय होता है। इसका भुगतान तीसरे माह में किया जाना है।
(च) 50,000 रुपये की स्थायी सम्पत्ति का क्रय मार्च में होना है।
(छ) अग्रिम कर का भुगतान 20,000 रुपये अप्रैल में ।
(ज) 1 जनवरी, 2006 को नकद रोकड़,25,000 रुपये।
(झ) किराया एवं अन्य व्यय प्रत्येक माह 3,000 रुपये चुकता किये जाते हैं।
(a) Sales figures for November 2005 and December 2005 are of actual sales where as figures for remaining period are of estimated sales.
(b) 20 percent of sales is for cash, 80 percent on credit receivable in third month (January sales in March).
(c) Variable expenses 5% on turnover, time lag half month.
(d) Commission 5% on credit sales payable in 3rd month.
(e) Purchase of raw material 60% of sales of third month. Payment to be made in third month.
(f) Fixed assets purchased in March for Rs. 50,000. (g) Payment of advance tax in April Rs. 20,000.
(h) Cash Balance on 1 January 2006 Rs. 25,000…
(i) Rent and Other Expenses Rs. 3,000 paid every month.
Ans. Closing Balance : Jan. Rs. 47,050, Feb. Rs. 52,750, March Rs. 24,050, April ___Rs. 32,550, May Rs. 49,600.
15. फॉर्चुन लिमिटेड, अलीगढ़ को 1 जनवरी,2005 को उत्पादन प्रारम्भ करना है। एक इकाई की मूल लागत 30 रुपये होने का अनुमान है, जिसमें से 18 रुपये सामग्री के लिए और 12 रुपये श्रम के हैं। इनके अतिरिक्त प्रति इकाई परिवर्तनशील व्यय 6 रुपये तथा स्थिर व्यय 20,000 रुपये प्रति माह अनुमानित हैं। 5% नकद छूट का लाभ उठाने के लिए सामग्री का क्रय नकद किया जाना है। बिक्री का एक-चौथाई। नकद होगा और बकाया उधार, जिसका निपटारा अगले माह में होगा। व्यय जिस माह में किए जाते हैं, उसी में देय होते हैं। विक्रय मूल्य 60 रुपये प्रति इकाई निश्चित किया गया है। निर्मित और बिक्रीत इकाइयों की संख्या निम्नलिखित होने का अनुमान हैजनवरी 1,000; फरवरी 1,400; मार्च 1,700; अप्रैल 2,000; मई 2,300; जून 2,400 । कार्यशील पूंजी की आवश्यकता को दर्शाते हए 6 माह का रोकड़ बजट तैयार कीजिए।
Fortune Ltd., Aligarh has to start production on 1st January, 2005. The prime cost of one unit is expected to be Rs. 30. out of which Rs. 18 is for materials and Rs. 12 for labour. In addition variable expenses per unit is expected to be Rs. 6 and fixed expenses per month will be Rs. 20,000. Materials are purchased for cash to avail the cash discount of 5%. One-fourth of sales will be for cash and rest on credit for settlement in the following month. Expenses are payable in the month in which they are incurred. Selling price is fixed at Rs. 60 per unit. The number of units manufactured and sold are expected to be as under : January 1,000; Feb. 1,400; March 1,700; April 2,000; May 2,300; June 2,400. Prepare cash budget for six months indicating the working capital requirements. Ans. Closing Balance of Cash : Jan. (-) Rs. 40,100, Feb. (-) Rs. 43,240, March (-) 34,410, April (-) 18,110, May Rs. 5,660, June Rs. 40,920.
Financial Management of Cash
लघु उत्तरीय क्रियात्मक प्रश्न
(Short Answer Numerical Questions)
1. अनमोल लि. की प्रतिदिन की प्राप्ति 5,00,000 रु. है। यह आशा की जाती है कि कन्सेन्ट्रेशन बैंकिंग पद्धति से प्राप्यों में दो दिन की कमी आ जाएगी, परन्तु पद्धति पर 60,000 रु० का वार्षिक लागत का भार होगा। यदि कम्पनी अपने विनियोग पर 9% अर्जित कर सकती है, तो क्या प्रस्ताव स्वीकार करने योग्य है ?
Anmol Ltd. has average daily receipt of Rs. 5,00,000. It is expected that the system of concentration banking would reduce the receivables by two days but the system would cost Rs. 60,000 annually. Is it acceptable if the company can earn 9% on its investment ? Ans. System must be installed because there is addition to profit by Rs. 30,000.
2. एक्स लि. औसतन प्रतिदिन 3,00,000 रु० नकद धन प्राप्त करती है। यह आशा है कि लॉक बॉक्स पद्धति से प्राप्यों में 4 दिन की कमी आ जाएगी। लॉक बॉक्स पद्धति पर प्रतिवर्ष 1.00.000 रु० लागत पडेगी। यह आशा की जाती है कि फर्म अपने विनियोगों पर 7% का प्रत्याय अर्जित कर सकती है। राय दीजिए कि क्या पद्धति को लागू किया जाए।
X Ltd. has average daily receipt of cash Rs. 3,00,000. It is expected that Lock Box system would reduce receivables by 4 days. Lock Box system would cost De 100.000 annually. It is expected that the firm can earn 7% on its investments. Advise whether the system be installed ? • System should not be installed as there will be loss of Rs. 16,000.
3. वर्ष 2006 की प्रथम तिमाही के लिए कुल बिक्री क्रमशः 50,000 रुपये, 75,000 रुपये एवं 62,500 रुपये है। अप्रैल से जुलाई के लिए मासिक बिक्री 56,225 रुपये प्रतिमाह है। अनुमानतः 20% बिक्री नकद होती है। उधार बिक्री का 50% बिक्री के महीने से अगले महीने में वसूल हो जाता है एवं 25% उसके एक माह बाद वसूल होता है एवं शेष रकम तीसरे महीने में वसूल होती है। अप्रैल से जुलाई 2006 के लिए देनदारों से वसूल होने वाली रकम ज्ञात कीजिए।
Total sales for the first quarter of 2006 are Rs.50.000. Rs. 75.000 and Rs. 62,500 respectively. Monthly sales from April to July is Rs. 56,225 per month. Roughly 20% sales are for Cash.50% of credit sales are collected in the month following the month of sales, 25% are collected in the next following month and the balance are collected in the third month. Find out the amount to be collected from debtors for April to July 2006. Ans. Amount to be collected from Debtors in; April Rs. 50,000; May Rs. 49,990; June Rs. 46,235 and July Rs. 44,980. ‘
4. एक्स’ लि. में जनवरी एवं फरवरी का प्रारम्भिक रोकड शेष 37,500 रुपये एवं 36,325 रुपये है जबकि दोनों माह की कुल प्राप्तियाँ क्रमश: 62,500 रुपये एवं 66,325 रुपये हैं। फरवरी माह में 3,675 रुपये के बैंक अधिविकर्ष की आवश्यकता है। प्रत्येक माह के लिए कुल भुगतान की गई रकम ज्ञात कीजिये। In ‘X’ Ltd. opening cash balance of January and February is Rs. 37,500 and Rs. 36,325, while total receipts for both the months are Rs. 62,500 and Rs. 66,325 respectively. In the month of February there is a requirement of Bank Overdraft! of Rs. 3,675. Find out the amount of total payment for each month.
Ans. Payment in January Rs. 63,675 and Payment in February Rs. 1,06,325.
5. किसी कम्पनी का रोकड़ बजट दर्शाता है कि अप्रैल माह के लिए 85,000 रुपये के बैंक अधिविकर्ष की आवश्यकता होगी जबकि माह के प्रारम्भ में 52,000 रुपये का रोकड़ शेष था एवं कुल भुगतान 3,47,000 रुपये के थे। देनदारों से वसूल हुई रकम नकद बिक्री से दुगुनी है । नकद बिक्री एवं देनदारों से वसूल हुई रकम ज्ञात कीजिये।
Cash Budget of a Company shows that there is a requirement of Bank overdraft of Rs. 85,000 for the month of April, while in the beginning of the month there was a cash balance of Rs. 52,000 and total payments were of Rs. 3,47,000. Amount collected from debtors is just double in compare to cash sales. Find out the amount of cash sales and collection from debtors.
Ans. Cash Sales Rs. 70,000; Collection from Debtors Rs. 1,40,000.
6. एक कम्पनी की मासिक बिक्री का अनुमान निम्नलिखित है
The estimated monthly sales for a company is as follows :
Month : Feb March April May June
Rs. 90,000 96,000 54,000 87,000 63,000
यदि बिक्री का 50% अगले माह में व शेष अगले से अगले माह में वसूल होता है, तो अप्रैल, मई, जून। में कितनी वसूली होगी ?
If 50% of sales are realised in the next month and balance in the next of next month, what would be the cash collection from sale in April, May, June?!
Ans. April Rs. 93,000; May Rs. 75,000; June Rs. 70,500.