BCom 3rd Year Financial Management Planning Study Material Notes In Hindi

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BCom 3rd Year Financial Management An Introduction Study Material Notes In Hindi

वित्तीय नियोजन

(Financial Planning)

कोई भी व्यवसाय शुरू करने का विचार मन में आने की स्थिति से लेकर उसके प्रवर्तन,संचालन, विस्तार और समापन तक सभी परिस्थितियों में वित्त का विशेष महत्त्व है और समुचित वित्त प्रबन्ध के लिए ठोस वित्तीय नियोजन आवश्यक है।

वित्तीय नियोजन या वित्तीय आयोजन का अर्थ एवं परिभाषा

(Meaning and Definition of Financial Planning)

भावी कार्यक्रम की रूपरेखा को पहले से निर्धारित करने का ही दूरारा नाम ‘आयोजन’ या ‘नियोजन’ है। नियोजन के इस अर्थ के संदर्भ में वित्तीय नियोजन का अभिप्राय किसी व्यवसाय के लिए आवश्यक पूँजी की मात्रा के निर्धारण तथा उसके स्वरूप के सम्बन्ध में निर्णय लेने की प्रक्रिया से है।

संकुचित अर्थ में वित्तीय नियोज़न का अर्थ संस्था के लिए आवश्यक पूँजी के पूर्वानुमान से लगाया जाता है।

आर. एम. श्रीवास्तव के अनुसार, “वित्तीय योजना, पूँजीगत आवश्यकताओं एवं उसके स्वरूपों को अग्रिम में निश्चित करने का कार्य है।”

यह विचारधारा बहुत ही संकीर्ण है क्योंकि यह वित्तीय नियोजन के केवल एक पक्ष पर ही विचार करती है।

विस्तृत अर्थ में वित्तीय नियोजन के अन्तर्गत व्यवसाय के लिए आवश्यक पूँजी के पूर्वानुमान, पूँजी-ढाँचे का निर्धारण तथा पूँजी के उचित प्रबन्ध एवं प्रशासन सम्बन्धी नीतियों के निर्धारण एवं लागू करने को शामिल किया जाता है।

आर्थर एस. डेविंग के अनुसार वित्तीय नियोजन में निम्नलिखित क्रियाएँ शामिल होती हैं

1. पूँजी की आवश्यक मात्रा का निर्धारण करना;

2. पूँजी प्राप्ति के विभिन्न स्रोत निश्चित करना और विभिन्न प्रतिभूतियों का पारस्परिक अनुपात निर्धारित करना;

3. पूँजी के प्रशासन व प्रबन्ध की उचित नीतियां निर्धारित करना।

वित्तीय योजना के व्यापक दृष्टिकोण पर आधारित मुख्य परिभाषाएँ निम्नांकित प्रकार हैं

वाकर एवं बाघन के अनुसार, “वित्तीय नियोजन का सम्बन्ध केवल वित्त कार्य से होता है, जिसके अन्तर्गत फर्म के लिए वित्तीय उद्देश्यों, वित्तीय नीतियों तथा वित्तीय प्रक्रियाओं का निर्धारण किया जाता है।”

बोनविले के अनुसार, “एक निगम की वित्तीय योजना के दो पहलू होते हैं, यह न केवल निगम के पूँजी-ढाँचे की ओर संकेत करती है बल्कि यह निगम द्वारा अपनाई गई अथवा अपनाई जाने वाली वित्तीय नीतियों को भी स्पष्ट करती है।”3

निष्कर्ष-उपर्युक्त परिभाषाओं के अध्ययन के उपरान्त हम यह कह सकते हैं कि फर्म के लिए पूँजी की आवश्यक मात्रा का अनुमान लगाने, उसको प्राप्त करने के लिए विभिन्न स्रोतों के चयन तथा वित्तीय नीतियों के निर्धारण से सम्बन्धित भावी रूपरेखा को वर्तमान में तय करना ही वित्तीय नियोजन कहलाता है।

वित्तीय नियोजन एवं वित्तीय योजना में अन्तर सामान्य व्यक्ति वित्तीय नियोजन एवं वित्तीय योजना को एक-दूसरे का पर्यायवाची ही मानता है. लेकिन ऐसा मानना सही नहीं है। वस्तुतः वित्तीय नियोजन एक प्रक्रिया है और इस प्रक्रिया का अन्तिम परिणाम वित्तीय योजना कहलाता है। वित्तीय योजना विभिन्न प्रकार की वित्तीय नीतियों एवं अनुमानों का एक लिखित प्रारूप होता है।

chetansati

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