BCom 1st Year Business Regulatory Framework Contingent Contract Study Material Notes In Hindi

//

BCom 1st Year Business Regulatory Framework Contingent Contract Study Material Notes In Hindi

BCom 1st Year Business Regulatory Framework Contingent Contract Study Material Notes In Hindi: Meaning and Definition of Contingent Contract Rules as to the Enforcement of Contingent Contracts Difference between Contingent and Wagering Contract Examination Questions Long Answer Questions Short Answer Questions :

Contingent Contract Study Material
Contingent Contract Study Material

BCom 1st Year Agreements Expressly Declared Void Study Material Notes in Hindi

संयोगिक अनुबन्ध

(Contingent Contract)

संयोगिक (सम्भाव्य या समाश्रित) अनुबन्ध का अर्थ एवं परिभाषा

(Meaning and Definition of Contingent Contract)

संयोगिक अनुबन्ध का शाब्दिक अर्थ है-“वह अनुबन्ध जो किसी संयोग अर्थात किसी घटना के घटित होने अथवा न होने पर निर्भर करता है। भारतीय अनुबन्ध अधिनियम की धारा 31 के अनुसार, “संयोगिक अनुबन्ध किसी ऐसी घटना के घटित होने अथवा होने पर, जो कि अनबन्ध के समपाश्विक हो किसी कार्य को करने अथवा न करने का अनुबन्ध है।”

ऐसे अनुबन्धों में उनका कोई भी पक्षकार किसी कार्य को करने अथवा न करने के लिये पर्णरुप से (Absolutely) बाध्य नहीं होता, वरन् उसका उत्तरदायित्व अनुबन्ध की समपाश्विक किसी घटना के घटित होने अथवा न होने पर निर्भर करता है। बीमा, क्षतिपूर्ति तथा गारण्टी के अनुबन्ध इसके प्रमुख उदाहरण हैं। उदाहरणार्थ 1 जनवरी को अतुल, विपुल से यह अनुबन्ध करता है कि वह 15 जनवरी को अपनी कार उसे 40,000 ₹ में बेच देगा यदि 12 जनवरी तक उसे नई कार मिल जाती है। इस अनुबन्ध का निष्पादन (Execution) अतुल को नई कार मिलने पर निर्भर है। यदि उसे नई कार मिल जाती है तो वह अनुबन्ध के निष्पादन के लिये बाध्य है अन्यथा नहीं। यह अनुबन्ध संयोगिक अनुबन्ध कहलायेगा।

संयोगिक अनुबन्ध के आवश्यक तत्व या लक्षण

1 किसी कार्य को करने या करने का अनुबन्ध-संयोगिक अनुबन्ध किसी कार्य को करने अथवा न करने का अनुबन्ध होता है। उदाहरण के लिए ‘अ’, ‘ब’ को वचन देता है कि यदि वह सरक्षित बम्बई पहुँच गया तो वह 100 विदेशी गाय 5.000₹ प्रति गाय दे देगा।

Framework Contingent Contract Study

2. अनिश्चित घटना पर निर्भर होनासंयोगिक अनुबन्ध का निष्पादन पूर्ण नहीं होता, वरन् किसी अनिश्चित घटना के घटित होने अथवा न होने पर निर्भर करता है। इस प्रकार से एक संयोगिक अनुबन्ध पूर्ण अनुबन्ध (Absolute contract) से बिल्कुल भिन्न होता है। उदाहरण के लिए, क, ख को अपनी घड़ी 500 ₹ में बेचने का अनुबन्ध करता है। यह पूर्ण तथा शर्त रहित अनुबन्ध है और यहाँ दोनों पक्षकारों का उत्तरदायित्व अनुबन्ध करते ही उत्पन्न हो जाता है तथा जिसे पूरा करने के लिए दोनों बाध्य है। इसके विपरीत संयोगिक अनुबन्ध में किसी पक्षकार का दायित्व तब तक उत्पन्न नहीं होता, जब तक कि अनुबन्ध की समपाश्विक कोई घटना घटित हो अथवा न हो। उदाहरण के लिए, अग्नि व सामुद्रिक बीमे के अन्दर क्षति होने पर ही क्षतिपूर्ति का प्रश्न उत्पन्न होता है, पहले नहीं।

3. संयोगिक घटना अनुबन्ध के समपाश्विक होनी चाहिए न कि स्वयं अनुबन्ध का कोई भाग-इसमें घटना का घटित होना अनिश्चित एवं अनुबन्ध के समपाश्विक होना चाहिए। ऐसी घटना पक्षकारों द्वारा दिये गये पारस्परिक वचनों का भाग नहीं होता है। इस सम्बन्ध में विद्वान लेखक पोलाक तथा मुल्ला ने कहा है कि “समपाश्विक घटना न तो वह निष्पादन है जिसके लिए अनुबन्ध के एक भाग के रुप में वचन दिया गया है और न किसी प्रतिज्ञा के लिए पूर्व प्रतिफल हो।” उदाहरण के लिए, सामुद्रिक बीमे के अनुबन्ध में यद्यपि बीमा कम्पनी जहाज के डूब जाने (अथवा क्षति 1) पर एक निश्चित धन देने का वचन देती है तथापि जहाज का डूबना (अथवा क्षतिग्रस्त होना) एक अनिश्चित घटना है और वह अनुबन्ध के बिल्कुल समपाश्विक है

4. अनुबन्ध से सम्बन्धित संयोगिकता किसी तीसरे व्यक्ति पर भी निर्भर हो सकती है। उदाहरण के लिए, अ, ब को स के कहने पर रुपया उधार देगा, पहले नहीं। इसी प्रकार खजान्ची द्वारा ठेकेदार का भुगतान तभी होगा, जबकि किसी विशेष अधिकारी के द्वारा वह पास कर दिया जाये।

5. घटना का घटित होना इच्छा पर निर्भर नहीं-संयोगिक अनुबन्ध में घटना का घटित होना अनुवन्ध के किसी भी पक्षकार की इच्छा पर निर्भर नहीं होना चाहिए। उदाहरण के लिये सीता, गीता से

कहती है कि यदि मेरी इच्छा हुई तो मैं 15 दिन बाद अपनी मारुति कार तुम्हें बेच दूंगी। यह संयोगिक । अनुबन्ध नहीं है।

संयोगिक अनुबन्धों की प्रवर्तनीयता से सम्बन्धित नियम

(Rules as to the Enforcement of Contingent Contracts)

जहाँ तक संयोगिक अनबन्धों के प्रवर्तनीय होने का प्रश्न है, इससे सम्बन्धित आवश्यक नियमों का। उल्लेख भारतीय अनुबन्ध अधिनियम की धारा 32 से 36 के अन्तर्गत किया गया है जिनकी संक्षिप्त विवेचना निम्न प्रकार है

1 किसी भावी अनिश्चित घटना के घटने पर प्रवर्तनीय अनुबन्ध-भारतीय अनुबन्ध अधिनियम की धारा 32 के अनुसार, “किसी भावी अनिश्चित घटना के घटित होने पर किसी कार्य को करने अथवा न करने का संयोगिक अनुबन्ध, राजनियम द्वारा उस समय तक प्रवर्तित नहीं कराया जा सकता, जब तक कि घटना घटित नहीं हो जाती। यदि घटना का घटित होना असम्भव हो जाये तो अनुबन्ध व्यर्थ होगा।

उदाहरणार्थ, अजय, विजय के साथ उसका घोड़ा खरीदने का अनुबन्ध इस शर्त पर करता है, यदि वह संजय के बाद तक जीवित रहे। यह अनुबन्ध राजनियम द्वारा उस समय तक लागू नहीं कराया जा सकता जब तक संजय की मृत्यु अजय के जीवन काल में ही न हो जाये।

मोहन, सोहन से अनुबन्ध करता है जब सोहन, आरती से शादी करेगा तो मोहन उसे एक निश्चित धनराशि देगा, यदि सोहन द्वारा विवाह का निर्णय करने से पूर्व ही आरती की मृत्यु हो जाती है तो मोहन एवं सोहन के बीच अनुबन्ध व्यर्थ हो जायेगा क्योंकि अब सोहन एवं आरती की शादी असम्भव है।

2. किसी अनिश्चित घटना के घटित होने पर प्रवर्तनीय अनुबन्ध-भारतीय अनुबन्ध अधिनियम की धारा 33 के अनुसार, “किसी भावी अनिश्चित घटना के घटित न होने पर किसी कार्य को करने या न करने का संयोगिक अनुबन्ध उस समय प्रवर्तित कराया जा सकता है, जबकि घटना का घटित होना असम्भव हो जाये, उससे पहले नहीं।” उदाहरणार्थ, नरेन्द्र, रविन्द्र के साथ ठहराव करता है कि यदि अमुक जहाज वापिस नहीं लौटेगा तो वह उसे 10,000 ₹ देगा। उस जहाज के डूब जाने पर अनुबन्ध प्रवर्तित कराया जा सकता है। इसके विपरीत यदि जहाज सुरक्षित वापस आ जाता है तो अनुबन्ध व्यर्थ होगा

3. भावी व्यक्तिगत कार्य की असम्भवताभारतीय अनुबन्ध अधिनियम की धारा 34 के अनुसार, “यदि वह भावी घटना जिस पर कोई अनुबन्ध संयोगिक हो किसी व्यक्ति के किसी अनिश्चित समय पर कार्य करने की रीति है तो घटना का घटित होना तब असम्भव माना जायेगा, जब वह व्यक्ति कोई ऐसा कार्य करे जिससे यह असम्भव हो जाये कि वह उक्त तरीके से वह कार्य किसी निश्चित अवधि में करेगा या अन्य किसी संयोग के होने पर कार्य करेगा।” उदाहरणार्थ, ‘अ’ ‘ब’ को एक निश्चित धनराशि देने को सहमत होता है यदि ‘ब’ ‘स’ से विवाह कर ले। लेकिन ‘स’ ‘द’ से शादी कर लेता है। यहाँ पर ‘ब’ का ‘स’ से विवाह कर लेना असम्भव हो जाता है, यद्यपि यह सम्भव है कि ‘द’ मर जाये और उसके बाद ‘स’ ‘ब’ से शादी कर ले। वर्तमान में ‘ब’ तथा ‘स’ के विवाह की असम्भवता के कारण ‘अ’ तथा ‘ब’ के बीच किया गया अनुबन्ध व्यर्थ होगा। ।

4. अनिश्चित घटना के निश्चित समय में घटित होने पर प्रवर्तनीय अनुबन्ध- ऐसा संयोगिक अनुबन्ध जो किसी अनिश्चित निर्दिष्ट घटना के एक निश्चित अवधि के भीतर घटित होने पर निर्भर है, उस समय व्यर्थ हो जाता है जब निश्चित अवधि के समाप्त होने तक वह घटना नहीं घटती अथवा निश्चित अवधि समाप्त होने से पूर्व ही घटना का घटित होना असम्भव हो जाता है। उदाहरणार्थ, आशीष किसी निर्दिष्ट जहाज के एक वर्ष के भीतर लौट आने पर पंकज को 20,000 ₹ देने का वचन देता है। यह अनुबन्ध उस समय प्रवर्तित कराया जा सकता है जब एक वर्ष पूरा होने से पहले जहाज वापस पहुँच । जाये। यदि एक वर्ष पूरा होने से पहले ही जहाज डूब जाता है तो अनुबन्ध व्यर्थ माना जायेगा।

5.असम्भव घटना के घटित होने पर आधारित ठहराव-भारतीय अनुबन्ध अधिनियम की धारा 36 के अनुसार किसी असम्भव घटना के घटित होने पर आधारित संयोगिक ठहराव व्यर्थ होता है चाहे राव करते समय पक्षकारों को घटना को असम्भवता की जानकारी थी अथवा नहीं थी।

उदाहरणार्थ, वचन देता है कि वह ‘ब’ को 5,000 ₹ देगा यदि वह (ब) उसकी पुत्री आरती से शादी कर ले। अनबन्ध के समय आरती की मृत्यु हो चुकी थी, परन्तु इस बात की जानकारी दोनों में से किसी को नहीं थी। यह ठहराव व्यर्थ है क्योकि ‘ब’ और आरती की शादी असम्भव है।

Framework Contingent Contract Study

परीक्षा हेतु सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

(Expected Important Questions for Examination)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(Long Answer Questions)

1 संयोगिक संविदे (अनुबन्ध) से आप क्या समझते हैं ? संयोगिक संविदों के निष्पादन सम्बन्धी नियमों की व्याख्या कीजिये।

What do you mean by contingent contract? Explain the rules regarding the performance of a contingent contract.

2. किसी संविदे (अनुबन्ध) को संयोगिक घोषित करने के लिये किन तत्वों का होना आवश्यक है? उदाहरण सहित व्याख्या कीजिये।

What are the essential elements in order to declare a contract contingent? Explain with illustrations.

3. एक संयोगिक अनुबन्ध क्या है ? संयोगिक अनुबन्ध तथा बाजी के ठहराव में क्या अन्तर है ? संयोगिक अनुबन्धों के प्रवर्तनीय किये जाने के नियमों की व्याख्या कीजिए।

What is a contingent contract ? Distinguish between a contingent contract and a wagering agreement. Discuss the rules regarding enforcement of contingent contracts.

लघु उत्तरीय प्रश्न

(Short Answer Questions)

1 संयोगिक अनुबन्ध को परिभाषित कीजिए।

Define contingent contract.

2. सयागिक अनबन्ध एवं बाजी के ठहराव में अन्तर कीजिए।

Differentiate between contingent contract and wagering agreement.

3. संयोगिक अनुबन्ध के लक्षण बताइए।

Explain features of contingent contract.

सही उत्तर चनिए

(Select the Correct Answer)

1 संविदा जब भविष्य में किसी घटना के घटित होने अथवा न होने पर निर्भर करता है तो उसे क्या कहेंगे-

(When the contract depends upon the happening or not happening of an event in future is known as):

(अ) अनिश्चित संविदा (Uncertain contract)

(ब) व्यर्थनीय संविदा (Voidable contract)

(स) अवैध संविदा (Illegal contract)

(द) संयोगिक संविदा (Contingent contract)(/)

2. एक संयोगिक संविदा-(A contingent contract is) :

(अ) शून्य होता है (Void)

(ब) व्यर्थनीय होता है (Voidable)

(स) अवैध होता है (Illegal)

(द) वैध होता है (Valid)(”

3. संयोगिक अनुबन्ध होता है-(A contingent contract is) :

(अ) साधारण (Ordinary)

(ब) असाधारण (Extra-Ordinary)

(स) विशिष्ट (Specific) (/)

(द) इनमें से कोई नहीं (None of them)

4. अनिश्चित घटनाओं पर आधारित संयोगिक अनुबन्ध होता है-

(Contingent contract based on uncertain events is) :

(अ) वैध (Legal) (1)

(ब) अवैध (Illegal)

(स) व्यर्थ (Void)

(द) व्यर्थनीय (Voidable)

5. असम्भव घटनाओं पर आधारित संयोगिक अनुबन्ध होता है-

(Contingent contract based on impossible events is):

(अ) वैध (Legal)

(ब) व्यर्थ (Void) (1)

(स) व्यर्थनीय (Voidable)

(द) अवैध (Illegal)

6. संयोगिक अनुबन्ध में वचन देता है-

(In contingent contract promise is given by):

(अ) एक पक्षकार (One Party) (1)

(ब) दोनों पक्षकार (Both Parties)

(स) तीनों पक्षकार (Three Parties)

(द) चारों पक्षकार (Four Parties)

व्यावहारिक समस्याएँ  

(Practical Problems)

PP1. ‘अ’, ‘ब’ को कुछ रुपया देने का वचन देता है यदि निर्दिष्ट जहाज छ: माह के अन्दर वापिस आ जाए। जहाज छ: महीने के अन्दर ही डूब जाता है। ‘ब’ को परामर्श दीजिए।

A promises to pay B a sum of money if a certain ship returns within six months. The ship sunk within six months. Advise B.

उत्तरप्रस्तुत समस्या एक संयोगिक अनुबन्ध पर आधारित है, जिसका कि कार्यान्वित किया जाना उक्त अनिश्चित घटना के निश्चित समय के अन्दर घटित होने पर निर्भर करता है, अर्थात् यदि वह अनिश्चित घटना नियत समय के अन्दर घटित हो जाती है तो उक्त अनुबन्ध को कार्यान्वित कराया जा सकता है, अन्यथा वह अनुबन्ध व्यर्थ हो जाता है। यहाँ पर अ, ब को नियत धनराशि इस शर्त पर देने का वचन देता है कि निश्चित जहाज छ: महीने के अन्दर सुरक्षित वापस आ जाये। जहाज छ: महीने के अन्दर डूब जाता है। अतएव उसके सुरक्षित वापस आने का तो प्रश्न ही नहीं उठता। परिणामस्वरुप वह धनराशि पाने का अधिकारी नहीं है।

PP2. A, B को एक निश्चित धनराशि देने हेतु सहमत हो जाता है यदि B, C के साथ विवाह कर ले। C.D के साथ विवाह कर लेती है। क्या B, A से धन वसूल सकता है।

A agrees to pay B a certain sum of money when B marries C. C married D. Is the contact enforceable ?

उत्तरभारतीय अनुबन्ध अधिनियम की धारा 34 के अनुसार यदि भविष्य में घटने वाली घटना, | जिस पर अनुबन्ध संयोगिक है, वह रीति है, जिसमें कोई व्यक्ति अनिश्चित समय के भीतर कोई कार्य

करेगा, तो ऐसी दशा में घटना का घटित होना तब असम्भव मान लिया जाएगा, जब वह व्यक्ति कोई ऐसा कार्य करे, जिससे यह असम्भव हो जाय कि वह किसी निश्चित समय में ऐसा कार्य करेगा। अत: यहाँ पर B और C के विवाह की घटना को असम्भव माना जाएगा। अत: A, B के प्रति अपने उत्तरदायित्व से मुक्त हो जाएगा।

PP3. A, B को एक निश्चित धनराशि देने का वचन देता है, यदि B, A की पुत्री C के साथ विवाह कर ले। ठहराव के समय C की मृत्यु हो चुकी थी। क्या अनुबन्ध वैध है ?

A agrees to pay B a certain sum of money if B marries A’s daughter C. C was dead at the time of the agreement. Is the contract valid?

उत्तरअनुबन्ध व्यर्थ है क्योंकि असम्भव घटना पर आधारित संयोगिक अनुबन्ध व्यर्थ होता है।भले ही इस बात की जानकारी अनुबन्ध के पक्षकारों को अनुबन्ध का निर्माण करते समय हो या नहीं।

Framework Contingent Contract Study

chetansati

Admin

https://gurujionlinestudy.com

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Previous Story

BCom 1st Year Agreements Expressly Declared Void Study Material Notes in Hindi

Next Story

BCom 1st Year Regulatory Framework Discharge Contract Study Material notes in Hindi

Latest from BCom 1st Year Business Regulatory Framework Notes