BCom 3rd Year general Instruction Profit Loss Study Material Notes in Hindi

BCom 3rd Year general Instruction Profit Loss Stud Material Notes in Hindi: Some points of Final Accounts Company Corporate Dividend Tax Statement Profit Loss Manufacturing Company  Balance Sheet :

general Instruction Profit Loss
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BCom 1st Year Financial Accounting Study Material Notes In Hindi

लाभ-हानि विवरण-पत्र की तैयारी के लिये सामान्य निर्देश

(General Instructions for Preparation of Statement of Profit and Loss)

1. इस भाग के प्रावधान अधिनियम की धारा 2(40)(ii) में बतलाये गये ‘आय और व्यय खाता’ (Income and Expenditure Account) पर भी समान रूप से लागू होंगे।

परिचालनों से आगम (Revenue from Operations) : यह उपक्रम द्वारा अपने व्यावसायिक परिचालनों अर्थात् इसकी क्रियाओं से अर्जित आगम है। इस मद के सम्बन्ध में निम्नलिखित प्रकटीकरण अपेक्षित हैं – (अ) एक वित्त कम्पनी के अलावा एक अन्य कम्पनी के सम्बन्ध में टिप्पणियों (Notes) में परिचालनों से आगम में निम्नलिखित को पृथक-पृथक प्रकट करना होगा :

(a) उत्पादों के विक्रय से आगम;

(b) सेवाओं के विक्रय से आगम;

(c) अन्य परिचालन आगम घटाया :

(d) आबकारी शुल्क

(ब) एक वित्त कम्पनी की दशा में, परिचालनों से आगम में निम्नलिखित आगम सम्मिलित होंगे।

(a) व्याज;

(b) अन्य वित्तीय सेवायें।

उपर्युक्त शीर्षों (heads) में प्रत्येक के अन्तर्गत आगम को खातों पर टिप्पणियों के रूप में, जितना सम्भव हो, पृथक-पृथक प्रकट करना होगा।

3. अन्य आय (Other Income) : अन्य आय का आशय व्यावसायिक परिचालनों से आगम के अतिरिक्त अन्य आगम से है। अन्य आय को निम्न प्रकार वर्गीकत किया जायेगा :

(a) वित्त कमपनी के अतिरिक्त किसी अन्य कम्पनी की दशा में ब्याज आय:

(b) लाभांश आय;

(c) विनियोगों के विक्रय पर शुद्ध लाभ/हानि;

(d) अन्य गैर-परिचालन आय : ऐसी आय से प्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित व्ययों को घटाकर शुद्ध राशि दिखाना चाहिये।

4. व्यय (Expenses) : ये वे व्यय हैं जो विभिन्न शीर्षों के अन्तर्गत आय के अर्जन में हुए होते हैं जो कि निम्नलिखित हैं :

(a) उपभुक्त सामग्री की लागत (Cost of Materials Consumed) : यह निर्माणी कम्पनियों पर लागू होता है। इसमें माल के निर्माण के लिये उपभुक्त कच्ची सामग्री और आपूर्तियाँ आती हैं।

(b) व्यापारिक स्कन्ध का क्रय (Purchases of Stock-in-trade) : इसका आशय व्यापार के लिये (trading) क्रय किये गये माल से है।

(c) तैयार माल, चालू कार्य और व्यापारिक स्कन्ध के रहतिये में परिवर्तन (Changes in inventories of finished goods, work-in-progress and stock-in-trade) : यह तैयार माल, चालू कार्य और व्यापारिक स्कन्ध के प्रारम्भिक स्कन्ध और अन्तिम स्कन्ध का अन्तर है।

(d) कर्मचारी लाभ व्यय (Employee Benefit Expenses) : इसके अन्तर्गत कम्पनी द्वारा वेतन, मजदूरी, अवकाश नकदीकरण, बोनस, कर्मचारी कल्याण व्यय आदि व्यय आते हैं।

(e) वित्त लागतें (Finance Costs) : ये वर्ष के दौरान ली गई उधारों (borrowings) पर ब्याज के खर्चे हैं। अन्य वित्तीय व्यय जैसे बैंक चार्जेज को ‘अन्य व्ययों’ के अन्तर्गत दर्शाया जाता है। वित्त लागतों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जाता है :

(i) ब्याज व्यय;

(ii) अन्य उधार लागते;

(iii) विदेशी मुद्रा सौदों और अनुवाद पर हुए शुद्ध लाभ/हानि।

वर्ष में अपलिखित किये जाने वाले निम्नलिखित व्यय अन्य उधार लागतों में सम्मिलित होते हैं :

(अ) ऋणपत्रों के शोधन पर प्रीमियम (ब) ऋणपत्रों के निर्गमन पर कटौती (स) ऋणपत्रों के निर्गमन के व्यय (द) ऋणपत्रों के निर्गमन पर हानि। किन्तु उपर्युक्त मदों की अपलिखित न की गई राशि में से, जो अगली लेखा-अवधि में अपलिखित की जायेगी, उसे चिढ़े में ‘अन्य चालू सम्पत्ति’ के अन्तर्गत दिखलाया जायेगा तथा शेष राशि को चिट्टे में ‘अन्य गैर-चालू सम्पत्तियों’ के अन्तर्गत दिखलाया जायेगा तथा शेष राशि को चिट्ठे में ‘अन्य गैर-चालू सम्पत्तियों’ के अन्तर्गत दिखलाया जायेगा

(f) हास और समापन-व्यवस्था (Depreciation and Amortisation) : स्थायी मूर्त सम्पत्तियों के मूल्य में कमी हास कहलाता है जबकि अमूर्त सम्पत्तियों के अपलेखन को समापन-व्यवस्था कहते हैं।

(g) अन्य व्यय (Other Expenses) : उपर्युक्त (a) से (1) के अतिरिक्त अन्य सभी व्यय ‘अन्य व्ययों’ के अन्तर्गत दिखलाये जाते हैं।

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अतिरिक्त सूचनायें (Additional Information)

एक कम्पनी टिप्पणियों द्वारा निम्नलिखित मदों पर कुल व्यय और आय के सम्बन्ध में अतिरिक्त सूचना प्रकट करेगी ।

(i) (a) कर्मचारी लाभ व्यय – इसमें निम्न पर हुए व्यय को पृथक-पृथक दिखलाना होगा :

(i) वेतन और मजदूरी,

(ii) प्रोवीडेन्ट फण्ड या अन्य फण्ड्स में अंशदान, (iii) कर्मचारी स्कन्ध विकल्प योजना। AESOP) और कर्मचारी स्कन्ध क्रय योजना (ESPP) पर व्यय, (iv) स्टाफ कल्याण व्यय।

(b) हास और समापन-व्यवस्था के व्यय;

(c) आय या व्यय का कोई मद जो परिचालनों से आगम के 1% से अधिक है अथवा ₹ 1,00,000 है, इनमें जो भी। अधिक हो;

(d) ब्याज आय;

(e) ब्याज व्यय ;

(F) लाभांश आय;

(g) विनियोगों के विक्रय पर शुद्ध लाभ-हानि;

(h) विनियोगों के आगे ले जाने वाली राशि (carrying amount) में समायोजन। (i) विदेशी मुद्रा सौदों और अनुवाद पर शुद्ध लाभ/हानि (मानी गई वित्त लागत के अतिरिक्त) (j) अंकेक्षक को (अ) अंकेक्षक के रूप में, (ब) कर मामलों पर विशेषज्ञ के रूप में, (स) कम्पनी कानून मामलों पर, (द) प्रबन्धकीय सेवाओं के लिये, (इ) अन्य सेवाओं के लिये, (फ) व्ययों की प्रतिपूर्ति के लिये दी गई राशियाँ।

(k) कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 135 के अन्तर्गत आने वाली कम्पनियों की दशा में निगमीय सामाजिक दायित्व क्रियाओं पर किये गये व्यय की राशि। धारा 135 उन कम्पनियों पर लागू होती है जिनका शुद्ध मूल्य (Net Worth) 500 करोड़ रु० या अधिक, बिक्री 1,000 करोड़ रु० या अधिक अथवा किसी भी वित्तीय वर्ष के दौरान शुद्ध लाभ 5 करोड़ रु० या अधिक है।

(1) अपवादात्मक और असाधारण मदों के विवरण;

(m) पूर्व अवधि की मदें।

(ii) (a) निर्माणी कम्पनियों की दशा में :

(अ) कच्ची सामग्री, मोटे शीर्षों (broad heads) के अन्तर्गत।

(ब) क्रीत माल, मोटे शीर्षों के अन्तर्गत।

(b) व्यापारिक कम्पनियों के दशा में, कम्पनी द्वारा व्यापार किये गये माल के सम्बन्ध में क्रये, मोटे शीर्षों के अन्तर्गत।

(c) सेवा प्रदान करने या आपूर्ति करने वाली कम्पनियों की दशा में, प्रदान या आपूर्ति की गई सेवाओं से प्राप्त सकल आय, मोटे शीर्षों के अन्तर्गत।

(d) उपर्युक्त (a), (b) और (c) में उल्लिखित एक से अधिक श्रेणियों में आने वाली कम्पनियों की दशा में, यहाँ पर अपेक्षाओं का पर्याप्त अनुपालन होगा, यदि क्रयें, बिक्री और कच्ची सामग्री का उपभोग और प्रदान की गयी सेवाओं से सकल आय मोटे शीर्षों के अन्तर्गत दर्शायी गई हो।

(e) अन्य कम्पनियों की दशा में, मोटे शीर्षों के अन्तर्गत प्राप्त सकल आय। (iii) चालू कार्य वाली सभी फर्मों में, मोटे शीर्षों के अन्तर्गत चालू कार्य।

(iv) (a) संचिति के लिये रखी गई, या रखे जाने के लिये प्रस्तावित कुल राशियाँ, यदि सारवान हैं, किन्त चिटठे की तिथि पर ज्ञात विशिष्ट दायित्व, आकस्मिकता या वायदा को पूरा करने के लिये बनाये गये आयोजन इसमें शामिल नहीं हैं।

(b) ऐसी संचितियों से आहरित कुल राशियाँ, यदि सारवान हैं।

(v) (a) विशिष्ट दायित्वों, आकस्मिकताओं या वायदों को पूरा करने के लिये बनाये गये आयोजनों के लिये रखी गई कुल राशियाँ, यदि सारवान हैं।

(b) ऐसे आयोजनों से आहरित कुल राशियाँ, यदि सारवान हैं।

(vi) निम्नलिखित मदों में से प्रत्येक पर किया गया व्यय –

(a) स्टोर्स और स्पेयर पार्ट्स का उपभोग।

(b) शक्ति और इधन।

(c) किराया।

(d) भवन की मरम्मत।

(e) मशीनरी की मरम्मत।

(f) बीमा।

(g) दर और कर, आयकर को छोड़कर।

(h) विविध व्यय।

(vii)(a) सहायक कम्पनियों से लाभांश।

(b) सहायक कम्पनियों की हानियों के लिये आयोजन।

(viii) लाभ-हानि विवरण-पत्र की टिप्पणी के रूप में निम्नलिखित सूचनायें और दी जायेंगी :

(a) वित्तीय वर्ष के दौरान कम्पनी के (i) कच्चे माल (ii) संघटक और फालतू पुों और (iii) पूँजीगत माल के आयातों का मूल्य, लागत, बीमा और भाड़ा (C.I.F.) आधार पर मूल्य।

(b) वित्तीय वर्ष के दौरान अधिकार-शुल्क, तकनीकी ज्ञान (know how), पेशेवर और परामर्श फीस, ब्याज और अन्य ____ मामलों पर विदेशी मुद्रा में व्यय।

(c) वित्तीय वर्ष के दौरान उपभुक्त सभी आयातित कच्चे माल, फालतू पुों और संघटकों का कुल मूल्य और इसी प्रकार उपभुक्त सभी देशी कच्चे माल, फालतू पुजों और संघटकों का कुल मूल्य और कुल उपभोग में प्रत्येक का प्रतिशत।

(d) वर्ष के दौरान लाभांश के कारण विदेशी मुद्राओं में भेजी गई राशि तथा अनिवासी अंशधारियों की कुल संख्या का विशिष्ट उल्लेख और उनके द्वारा धारित अंशों की कुल संख्या जिन पर लाभांश देय हुए थे और वर्ष जिससे लाभांश सम्बन्धित है।

(e) निम्नलिखित शीर्षों में विभाजित करते हुए विदेशी विनिमय में अर्जनें :

(i) जहाज लदाई मुफ्त (Free on Board) आधार पर आगणित माल का निर्यात;

(ii) अधिकार-शुल्क, तकनीकी ज्ञान, पेशेवर और परामर्श फीस:

(iii) ब्याज और लाभांश;

(iv) अन्य आय, प्रकृति निर्दिष्ट करते हुए।

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कम्पनी के अन्तिम खाते बनाते समय ध्यान रखने योग्य कुछ बातें

(Some points to be noted while preparing Final Accounts of a company)

वैसे तो कम्पनी के अन्तिम खाते बनाने के लिए उन्हीं सिद्धान्तों का पालन किया जाता है जो किसी साझेदारी फर्म अथवा एकाकी व्यापार के अन्तिम खातों के लिए प्रयोग होते हैं। परन्तु कुछ मर्ने कम्पनी से ही सम्बन्धित होती हैं जो निम्नलिखित हैं :

(1) ऋणपत्रों का ब्याज (Debenture Interest) : ऋणपत्रों का ब्याज लाभ-हानि खाते में डेबिट किया जाता है चाहे कम्पनी को लाभ हो अथवा हानि। यहाँ यह ध्यान रखना होगा कि ऋणपत्रों का ब्याज पूरे वर्ष का है। दूसरे शब्दों में, ब्याज जो चुका दिया गया है तथा जो अदत्त है या उपार्जित है, परन्तु देय नहीं है (Interest Outstanding and Interest Accrued but not due) सभी को लाभ-हानि खाते में लिखा जाना चाहिए। उदाहरण के लिए 31 दिसम्बर 2014 को एक कम्पनी के तलपट में निम्न मदें दी हैं :

10% Debentures                                                   ₹ 60,000

Interest on Debentures paid                               3,000

ब्याज छठे महीने 31 मार्च और 30 सितम्बर को दिया जाता है। कम्पनी अपने खाते 31 दिसम्बर को बन्द करती है। पूरे वर्ष का ब्याज ₹ 6,000 होता है जिसमें से ₹ 3,000 का भुगतान कर दिया गया है और ₹3,000 का भगतान शेष है। इसमें से जलाई, अगस्त और सितम्बर का ब्याज ₹ 1,500 अदत्त है और अक्टूबर, नवम्बर तथा दिसम्बर का उपार्जित परन्त देय नहीं Accrued but not due) है क्योंकि यह आगामी 31 मार्च को देय होगा। इसके लिये निम्नलिखित समायोजन लेखा किया जाएगा :

Debenture Interest Account                                             Dr.                                3,000

To Outstanding Debenture Interest Account                                                    1,500

To Accrued Debenture Interest Account                                                            1,500

इस प्रकार लाभ-हानि खाते में ऋणपत्रों का ब्याज कुल ₹ 6,000 दिखाया जाएगा। अदत्त ब्याज के ₹1,500 (Outstanding Debenture Interest) तथा ₹1,500 का उपार्जित परन्तु देय नहीं ब्याज (Interest Accrued but not due) दोनों को खातों पर टिप्पणियों में ‘अन्य चालू दायित्वों’ पर टिप्पणी में दर्शाया जायेगा।

खाते

(2) किसी सम्पत्ति के निर्माणकाल में चकाया गया ब्याज (Interest paid during the construction of an asset) : पार ऋणपत्र अथवा ऋण (loan) किसी सम्पत्ति के निर्माण के वित्तीयन के लिये निर्गमित किये गये हैं तो उनका ब्याज पूँजीगत व्यय माना। जायेगा और इसे उस विशिष्ट सम्पत्ति खाते के नाम लिखा जायेगा। परन्तु सम्पत्ति के निर्माण कार्य के पूर्ण हो जाने के बाद का ब्याज लाभ-हानि खाते से ही चार्ज किया जायेगा।

(3) ऋणपत्रों के ब्याज पर आय-कर (Income-tax on Debenture Interest) : ऋणपत्रों के ब्याज का भुगतान आय-कर काटकर किया जाता है। आय-कर की दर प्रत्येक वर्ष वित्त अधिनियम से निर्धारित होती है। इसके लिये लेखे निम्न प्रकार किये जाते हैं : ब्याज के भुगतान के लिये :

Debenture Interest Account                          Dr             (with the gross amount due)

To Debentureholders Account                                          (with the net amount payable)

To Income-tax Payable Account                                       (with the amount of tax deducted)

आयकर का सरकार को भुगतान करने पर :

Income-tax Payable Account                       Dr.                 To Bank Account

यदि वर्ष के अन्त तक स्रोत पर काटा गया आय-कर का भुगतान नहीं किया गया है तो आय-कर देय खाते (Income-tax | Payable Account) को खातों पर टिप्पणियों में एक दायित्व की तरह ‘अन्य चालू दायित्वों’ (Other Current Liabilities) में दिखाना होगा।

प्रायः तलपट में ब्याज जो चुकाया गया है वही दिया होता है। अतः उसे लाभ-हानि खाता के नाम लिखने से पूर्व निम्न सूत्र द्वारा सकल कर लेना चाहिये:

(4) अयाचित लाभांश (Unclaimed Dividend) : यह लाभांश की वह राशि है जो अभी अंशधारियों ने नहीं ली है। यह तलपट के जमा पक्ष में दी होती है और इसे ‘अन्य चालू दायित्वों’ पर टिप्पणियों में ‘चालू दायित्वों’ शीर्षक के अन्तर्गत दिखाया जाता है। किन्तु यदि यह राशि इसकी देय तिथि से 7 वर्ष तक अशोधित रहती है तो इसे विनियोक्ता शिक्षा और संर कर दिया जायेगा।

(5) प्राप्त लाभांश या ब्याज (Dividend or Interest Received ) : यह मद कम्पनी की आय होती है जो उसे अन्य कम्पनियों के अंशों, ऋणपत्रों या बोण्डों में किये गये विनियोगों पर प्राप्त होता है। इसे खातों पर टिप्पणियों में ‘अन्य आय’ पर टिप्पणियों में दिखाया जाता है। यहाँ यह महत्वपूर्ण है कि कम्पनी द्वारा प्राप्त ब्याज स्रोत पर कर काटने के बाद होती है। अतः आय की सही राशि दिखलाने के लिये प्राप्त ब्याज राशि को सकल बनाया जाता है और सकल राशि को अन्य आय की टिप्पणी में सम्मिलित करके दिखलाया जाता है। स्रोत पर काटा गया आयकर को चालू सम्पत्तियाँ शीर्षक के अन्तर्गत ‘अल्पकालीन ऋण और अग्रिम’ उप-शीर्षक के अन्तर्गत शामिल जाता है।

(6) सिंकिंग फण्ड निवेशों से आय (Income from Sinking Fund Investments) : लेखांकन नियमों के अनुसार सिंकिंग फण्ड निवेशों से आय सिंकिंग फण्ड खाते में क्रेडिट किया जाता है किन्तु वैधानिक रूप से सभी आय ‘अन्य आय’ में सम्मिलित की जानी चाहिये।

(7) ऋणपत्रों पर छुट अथवा ऋणपत्रों की निर्गमन लागत (Discount on Debentures or Cost of Issue of Debentures) : इसमें ऋणपत्रों के निर्गमन पर बटूटा, अभिगोपन कमीशन, दलाली तथा ऋणपत्रों के निर्गमन के अन्य व्यय सम्मिलित होते हैं। इस मद को किसी पूँजीगत लाभ, प्रतिभूति अधिमूल्य संचिति या लाभ-हानि खाते से यथाशीघ्र अपलिखित कर देना चाहिये किन्तु इन व्ययों के अपलेखन की अवधि ऋणपत्रों के जीवन काल से अधिक नहीं होनी चाहिये। अपलिखित न की जा सकी अवशेष राशि को | चिट्ठे के सम्पत्ति भाग में ‘अन्य चालू / गैर-चालू सम्पत्तियों’ शीर्षक के अन्तर्गत दिखाया जायेगा।

(8) हास और समापन-व्यवस्था व्यय (Depreciation and Amortisation Expenses): यह लाभों पर एक प्रभार होता है, अतः यह लाभ-हानि विवरण-पत्र में ‘व्ययों’ में पृथक से दिखलाया जाता है। यदि किसी वर्ष हास का आयोजन नहीं किया गया है तो इस तथ्य को चिट्ठे में प्रकट कर देना चाहिये और आगणित हास की बकाया राशि खातों पर नोट के रूप में स्पष्ट कर देना चाहिये। हास की व्यवस्था के सम्बन्ध में नियम निम्न हैं :

(i) वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर हास की राशि कम्पनी अधिनियम की अनुसूची xiv में निर्दिष्ट दरों से सम्पत्ति के अपलिखित मूल्य पर ज्ञात की जाये, अथवा

(ii) उतनी हो जो प्रत्येक सम्पत्ति की मल लागत के 95% को उस सम्पत्ति के जीवन काल से भाग देकर आये, अथवा

(iii) केन्द्रीय सरकार द्वारा स्वीकत किसी अन्य विधि से निश्चित की हुई राशि जो इतनी हो कि प्रत्येक सम्पत्ति के जीवन के। अन्त तक उसकी मूल लागत के 95% तक अपलिखित हो जाये।

(iv) किसी अन्य सम्पत्ति जिसके लिये कम्पनी अधिनियम या इसके अन्तर्गत बनाये गये किसी नियम में दर निश्चित नहीं की। गई है, उस विधि के अनुसार जिसे केन्द्रीय सरकार अनुमोदित करे।

इस प्रकार स्पष्ट है कि अब हास की गणना करते समय आयकर अधिनियम में दी गई दरों का प्रयोग नहीं किया जाता है। यदि प्रश्न में अनुसूची xiv में निर्दिष्ट हास की दरें दी हैं और आयकर अधिनियम के अनुसार स्वीकृत हास की राशि भी दी है तो लाभ-हानि विवरण-पत्र तथा चिट्ठा बनाते समय हास की अनुसूची xiv में निर्दिष्ट दरों का प्रयोग करना होगा, आयकर अधिनियम द्वारा स्वीकृत राशि का नहीं।

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हास सम्बन्धी कुछ अन्य बातें:

(अ) यदि किसी वर्ष कोई सम्पत्ति बेच दी जाती है अथवा बेकार हो जाती है तो उसके अवशेष का मूल्य अथवा विक्रय राशि सम्पत्ति के अपलिखित मूल्य से जितनी कम रहती है, उतनी राशि उसी वर्ष लाभ-हानि विवरण-पत्र से अपलिखित की जाती है।

यदि उपर्युक्त में विक्रय राशि या अवशेष मूल्य सम्पत्ति के अपलिखित मूल्य से अधिक है तो यह उस सम्पत्ति पर लाभ है जिसमें से वह राशि जो अब तक घटाए गए हास के बराबर तक है, इस वर्ष का आयगत लाभ माना जाएगा और इसे लाभ-हानि विवरण-पत्र में ‘अन्य आय’ में सम्मिलित किया जायेगा और शेष लाभ (विक्रय मूल्य का सम्पत्ति की मूल लागत पर आधिक्य) पूँजीगत लाभ होगा और उसे पूँजीगत संचिति (Capital Reserve) में हस्तान्तरित किया जाएगा।

(ब) यदि हास खाता तलपट के डेबिट पक्ष में दिया है तो इसका अर्थ यह है कि सम्बन्धित सम्पत्ति खाते में हास का लेखा कर लिया गया है। इस स्थिति में ह्रास खाता लाभ-हानि विवरण-पत्र में ‘व्ययों’ में शामिल करके दिखाया जाएगा।

(स) यदि कोई सम्पत्ति वर्ष के दौरान ही क्रय की गई है तो किसी स्पष्ट अन्य निर्देश के अभाव में हास की गणना सम्पत्ति के क्रय की तिथि से लेखा-वर्ष समाप्ति की तिथि की अवधि के लिये ही की जायेगी।

(द) गत वर्षों का हास को लाभों पर प्रभार न मानकर ‘पूर्व अवधि की मद’ मानकर लाभ-हानि विवरण-पत्र में पृथक से प्रकट करना चाहिये।

(ड) हास आयोजन की पद्धति में किये गये किसी परिवर्तन को कम्पनी के लाभ-हानि पर प्रभाव की मात्रा सहित प्रकट कर देना चाहिये।

(10) देय अधिलाभांश के लिये आयोजन (Provision for Bonus Payable) : सामान्यतया खातों में अधिलाभांश के लिये आयोजन उस वर्ष किया जाता है जिस वर्ष यह देय होता है, यद्यपि इसका भुगतान अगले वर्ष किया जाता है। आयोजित राशि के अगले वर्ष किये वास्तविक भुगतान पर आधिक्य या कमी को पूर्व अवधि व्यय मानते हुए अगले वर्ष के लाभ-हानि विवरण-पत्र में दिखलाया जायेगा।

(11) ऐच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के अन्तर्गत किये भुगतान (Payments made under Voluntary Retirement Scheme): ऐसे भुगतानों को आस्थगित आगम व्यय मानना चाहिये क्योंकि इन व्ययों से कम्पनी को अपने आगे के वर्षों में वेतन और मजदूरी के। रूप में बचत के रूप में लाभ की आशा रहती है। ऐसे व्यय को आयकर अधिनियम के अन्तर्गत स्वीकत 5 वर्ष की अवधि में अपलिखित कर देना चाहिये।

(12) राजनैतिक दान (Political Donations) : इस प्रकार के दानों की कुल राशि लाभ-हानि विवरण-पत्र में दान दिये गये राजनैतिक दलों के नाम सहित ‘अन्य व्ययों’ में पृथक मद के रूप में दिखलाना होगा।

(13) चिट्ठे की तिथि के बाद किन्तु सक्षम प्राधिकारी द्वारा वित्तीय विवरणों के अनुमोदन से पूर्व घटित घटनाएँ (Events Occurring after Balance Sheet Date but before Approval of Financial Statement by Competent Authority): लेखांकन मानदण्ड 4 के अनुसार यदि ऐसी घटनायें चिट्ठा तिथि पर विद्यमान परिस्थितियों से सम्बन्धित हैं (जैसे कि एक दिवालिया हो जाने से हानि) तो लेखों में उसका लेखा कर देना चाहिये और तदनुसार सम्पत्तियों और दायित्वों को समायोजित कर देना चाहिये। किन्तु यदि कोई हानि चिट्ठा तिथि के पश्चात् घटित बिल्कुल नई घटनाओं के कारण उत्पन्न होती है, (जैसे विनियोगों

कम्पनी के अन्तिम खाते के बाजार मूल्य में गिरावट) तो सम्पत्तियों और दायित्वों में समायोजन उचित नहीं होगा। तथापि, यदि हानि बहुत महत्वपूर्ण है, (जैसे चिट्ठे की तिथि के पश्चात् प्रमुख संयंत्र का विध्वंस) अथवा समायोजन वैधानिक रूप से आवश्यक हैं (जैसे चिट्ठा तिथि के पश्चात् प्रस्तावित लाभांश) तो अनुमोदक प्राधिकारी (जैसे संचालक मण्डल) के प्रतिवेदन में केवल प्रकटीकरण ही आवश्यक होगा।

(14) आयकर के समायोजन (Tax Adjustments) : कम्पनी आयकर के सम्बन्ध में प्रश्नों में प्रायः निम्न मदें दी होती हैं :

(अ) उद्गम स्थान पर कटा कर (Tax Deducted at Source)

(ब) पेशगी कर का भुगतान (Advance Payment of Tax)

(स) निगमित कर (Corporate Tax)

(द) आयकर का आयोजन (Provision for Tax)

(ई) निगमित लाभांश कर (Corporate Dividend Tax)

(अ) उद्गम स्थान पर कटा कर (Tax Deducted at Source) : आयकर अधिनियम की धारा 193 व 194 के अनुसार कर्मचारियों के वेतन और प्रतिभूतियों के ब्याज पर उद्गम स्थान पर ही कर कट जाता है। भुगतानकर्ता कम्पनी की पुस्तकों में वेतन या ब्याज खाता डेबिट किया जाता है तथा उदगम स्थान पर कटौती खाता (Tax Deducted at Source Account) क्रेडिट किया जाता है। जब यह कर केन्द्रीय सरकार को भुगतान किया जाता है तो उद्गम स्थान पर कटौती खाता डेबिट तथा बैंक खाता क्रेडिट किया जाता है। चिट्टे की तिथि पर यदि यह भुगतान नहीं किया जा सका है तो इसे खातों पर टिप्पणियों में ‘चालू दायित्व’ शीर्षक के अन्तर्गत ‘अन्य चालू दायित्वों’ में समिमलित करके दिखलाया जाता है।

निवेशक कम्पनी की पुस्तकों में उद्गम स्थान पर काटे गये कर को चिट्ठे के सम्पत्ति भाग में ‘चालू सम्पत्तियाँ’ शीर्षक के अन्तर्गत ‘अल्पकालीन ऋण और अग्रिम’ उप-शीर्षक के अन्तर्गत दिखाया जायेगा। अगले वर्ष जब कम्पनी का कर निर्धारण पूर्ण हो जाता है तो उद्गम स्थान पर कटौती खाते को ‘देय कर खाते’ (Tax Payable Account) में हस्तान्तरित कर दिया जाता है।

(ब) कर का अग्रिम भुगतान (Advance Payment of Tax) : प्रत्येक करदाता जिस पर ₹ 10,000 या इससे अधिक आयकर दायित्व का अनुमान है उसे अपनी आय पर अग्रिम कर जमा करना होता है जिसका कर निर्धारण होने पर अगले वर्ष वास्तविक देय कर से समायोजन कर दिया जाता है। कर का अग्रिम भुगतान करते समय निम्न लेखा किया जाता है :

Advance Payment of Tax Account            Dr.

To Bank Account

यदि वर्ष के अन्त तक इसका समायोजन नहीं हुआ है तो इस खाते को चिट्ठे के सम्पत्ति भाग में ‘अल्पकालीन ऋण और अग्रिम’ (Short-term Loans and Advances) शीर्षक के अन्तर्गत दिखाते हैं। किन्तु यदि कर का अन्तिम निपटारा 12 माह के अन्तर्गत होने की सम्भावना नहीं है तो इसे गैर-चालू सम्पत्तियों में ‘दीर्घकालीन ऋण और अग्रिम’ के अन्तर्गत दिखलाना चाहिये। इसे चिट्ठे के समता और दायित्व भाग में ‘करारोपण के लिये आयोजन खाते’ से घटाकर भी दिखाया जा सकता है।

(स) निगमित कर (Corporate Tax) : कम्पनी द्वारा देय आयकर, निगमित कर (Corporate Tax) कहलाता है। अगले वर्ष कर निर्धारण पूर्ण होने पर इसकी वास्तविक राशि का निर्धारण होता है और निम्न लेखा किया जाता है :

Income Tax Account                 Dr.                          (with the amount of tax assessed)

To Advance Tax Account                                          (with the amount of advance tax paid)

To Tax Deducted At Source Account                 (with the amount of T.D.S., if any)

To Bank Account                                                          (with the balance, if any)

or

To Liability for Taxation Account

नोट : कर निर्धारण के पश्चात् यदि अग्रिम भुगतान की गई कर की राशि और स्रोत पर कटे कर की राशि का योग निर्धारित कर की राशि से कम रहता है तो या तो इसे भुगतान कर दिया जाता है अथवा वर्ष की समाप्ति पर इसे ‘Liability for Taxation Account’ में क्रेडिट किया जाता है जिसे चिट्ठे में ‘अन्य चालू दायित्वों’ के अन्तर्गत दिखलाया जाता है। किन्त पनि पेशगी कर और स्रोत पर कटे कर का योग निर्धारित कर की राशि से अधिक है तो जब तक आधिक्य राशि आयकर विभाग से वापस नहीं मिल जाती, तब तक इसे चिट्ठे में ‘अन्य चालू सम्पत्तियों’ शीर्षक के अन्तर्गत दिखाया जाता रहेगा। इस राशि की वसली पर निम्न प्रविष्टि पारित की जायेगी :

Bank Account                                Dr.

To Advance Tax Account

(द) कर का आयोजन (Provision for Tax) : कर निर्धारण में समय लग सकता है। इसलिये प्रायः कम्पनियाँ चालू वर्ष के लाभों पर चालू कर दरों से कर दायित्व का अनुमान लगाकर कर का आयोजन कर लेती हैं। यह आयोजन लाभ-हानि विवरण-पत्र से। किया जाता है तथा इसे चिट्ठे के समता और दायित्व भाग में ‘अल्पकालीन प्रावधानों’ के अन्तर्गत दिखलाया जाता है। कर आयोजन के लिये निम्नलिखित लेखा प्रविष्टि की जायेगी:

Profit & Loss Account                           Dr.         With the estimated amount of

To Provision for Taxation Account                             tax liability

आगामी वर्ष कर निर्धारण पूर्ण होने पर देय आय-कर खाता कर आयोजन खाते में हस्तान्तरित किया जायगा, लाभ-हानि खाते में नहीं। इसके लिये निम्न प्रविष्टि की जायेगी :

Provision for Taxation Account                               Dr

To Income Tax Account

यदि कर दायित्व की राशि आयोजन से अधिक या कम है तो अन्तर की राशि को AS-5 के अनुसार पूर्व अवधि की मद मानकर लाभ-हानि विवरण-पत्र में ‘कर आयोजन खाता’ डेबिट या क्रेडिट करके समायोजित किया जायेगा। इसके लिये निम्नलिखित प्रविष्टि पारित की जाती है :

(a) If the actual liability is more than the provision made last year –

Profit and Loss Account                                           Dr

To Provision for Taxation Account

(b) If the actual tax liability is less than the provision made last year –

Provision for Taxation Account                                    Dr.

To Profit and Loss Account

(इ) निगमित लाभांश कर (Corporate Dividend Tax) : वित्त अधिनियम 1997 ने 1 जून 1997 से लाभांश की बाँटी गई राशि पर 10% से कराधान की एक नई योजना आरम्भ की है। निगमित लाभांश कर की दर प्रत्येक वर्ष वित्त विधेयक द्वारा निर्धारित की जाती है। इस योजना की मुख्य बातें इस प्रकार हैं :

1 इस कर को निगमित लाभांश कर (Corporate Dividend Tax) कहा जायेगा।

2. यह कर केवल एक घरेलू कम्पनी पर ही देय होता है।

3. यह कर कुल आय पर देय आय कर के अतिरिक्त भुगतान किया जाता है।

4. यह कर लाभांश (चाहे अन्तरिम हो या कोई अन्य) घोषित, बाँटने या भुगतान करने वाली कम्पनियों से ही चार्ज किया जाता है।

5. लाभांश चालू लाभों में से दिया जा सकता है अथवा संकलित लाभों से।

6. यह कर तब भी देय होगा जबकि कम्पनी की कुल आय पर कोई कर देय नहीं है।

7. यह कर लाभांश की (अ) घोषणा, (ब) बँटवारे या (स) भुगतान की तिथि. इनमें जो भी पहले हो. के 14 दिन के अन्तर्गत केन्द्रीय सरकार के खाते में जमा किया जायेगा।

8. कम्पनी द्वारा इस प्रकार भुगतान किया गया कर लाभांश पर कर का अन्तिम भुगतान माना जायेगा और उसके लिये कम्पनी या किसी अन्य द्वारा क्रेडिट का कोई दावा नहीं किया जा सकेगा।

उदाहरण 4. 31 मार्च 2015 को सुधीर लि० का तलपट निम्नलिखित मद दिखलाता है :

Dr. (२)                        Cr. (२)

आयकर आयोजन खाता (2013-14)                                                                                            1,20,000

अग्रिम कर भुगतान खाता (1-4-14)                                                              2,20,000

निम्नलिखित अतिरिक्त सुचना भी उपलब्ध है :

(i) कम्पनी की अधिकृत पूँजी ₹ 10 वाले 80,000 समता अंश है जिसका 50% निर्गमित किया गया है और पूर्ण प्रार्थित व प्रदत्त है।

(ii) कम्पनी शुद्ध लाभ का 5% सामान्य संचिति में हस्तान्तरित करती है।

(iii) संचालकों ने प्रदत्त पूँजी पर 15% लाभांश की सिफारिश की है।

(iv) तैयार माल का अन्तिम रहतिया लागत पर ₹ 5,60,000 है।

(v) विकास छूट संचिति की अब आवश्यकता नहीं रह गई है।

(vi) संयंत्र और मशीनरी पर ₹ 43,000, फर्नीचर पर ₹ 1,300 और भवन पर ₹ 3,800 का हास विविध व्ययों में डेबिट किया गया है।

(vii) एक पिछले वर्ष का आयकर निर्धारण पूर्ण हुआ है जिसमें आयकर दायित्व ₹ 1,55,000 निश्चित किया गया है (जिसके लिये पुस्तकों में ₹ 80,000 का आयोजन और ₹ 70,000 का आयकर अग्रिम विद्यमान है)।

(viii) आय पर 40% कर लगाइये।

(ix) निगमित लाभांश कर 15% + 10% अधिभार + 3% शिक्षा उपकर है।

आपको तैयार करना है :

(i) 31 मार्च 2015 को समाप्त वर्ष का लाभ-हानि खाता; और

(ii) उस तिथि पर निर्दिष्ट प्रारूप में चिट्ठा।

The following additional information is also available :

(i) The authorised capital of the company is 80,000 equity shares of ₹ 10 each, of which 50% has been issued and has been fully called and paid-up.

(ii) Company transfers 5% of net profit to general reserve.

(iii) A dividend of 15% on the paid-up capital has been recommended by the directors.

(iv) The closing stock of finished goods at cost is₹5,60,000.

(v) The development rebate reserve is no longer required.

(vi) Depreciation on plant and machinery amounting to * 43,000, on furniture amounting to * 1.300 and on building amounting to₹3,800 has been debited to miscellaneous expenses.

(vii) Income tax assessment for a prior year has been completed, fixing the income tax liability at 1.55.000 (against which a provision of 80,000 and an advance of income-tax of 70.000 exists in the books).

(viii) Tax on income at 40%.

(ix) Corporate Dividend Tax is 15% + 10% Surcharge + 3% Education Cess.

You are required to prepare :

(i) profit and loss account for the year ended 31st March 2015; and

(ii)  balance Sheet in the Prescribed form as on that date.

 

 

 

general Instruction Profit Loss

chetansati

Admin

https://gurujionlinestudy.com

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