BCom 2nd Year Income Tax Account Appeals Revision Study Material Notes in Hindi

//

BCom 2nd Year Income Tax Account Appeals Revision Study Material Notes in Hindi

Table of Contents

BCom 2nd Year Income Tax Account Appeals Revision Study Material Notes in Hindi :  Appeal to Commissioner Appeals “Section Procedure in Hearing Appeal Section  to the Appellate Tribunal Procedure of Appellate Tribunal Order of Appellate Tribunal  Remedy Against the Order of Appellate Tribunal Revision by Commissioner Provisions Relate dot Appeal At a Glance Examination Question :

Appeals Revision Study Material
Appeals Revision Study Material

BCom 2nd year cost Accounting Unit output costing method study material notes in Hindi

अपील तथा पुनर्विचार

(APPEALS AND REVISION)

भारत के संविधान में देश के नागरिकों को कुछ आधारभूत अधिकार दिये गये हैं। सामान्यतया प्रत्येक कानून के अन्तर्गत प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी अधिकारी के आदेश के विरुद्ध अपील करने का वैधानिक अधिकार दिया गया है। यदि सम्बन्धित कानून अपील करने की अनुमति प्रदान नहीं करता है. तो अपील नहीं की जा सकती है। करदाता को न्याय मिल सके, इसके लिए। आय-कर अधिनियम में भी अपील एवं पुनर्विचार की व्यवस्था की गयी है।।

आय-कर से सम्बन्धित सभी प्रारम्भिक आदेश कर-निर्धारण अधिकारी द्वारा दिये जाते हैं। यदि कोई करदाता कर-निधारण। अधिकारी द्वारा दिये गए आदेश या निर्णय से सन्तुष्ट न हो तो वह ऐसे आदेश अथवा निर्णय के विरुद्ध अपील कर सकता है। करदाता का यह भी अधिकार है कि यदि वह अपील न करना चाहे या अपील करने का समय निकल जाए तो वह आयुक्त। (Commissioner) के समक्ष पुनर्विचार (Revision) के लिए प्रार्थना-पत्र दे सकता है। अपील निम्नांकित क्रम में की जा सकती है, इन्हें अपीलीय अधिकारी भी कहते हैं

  1. आयुक्त (अपील) (Commissioner appeal),
  2. अपीलेट ट्रिब्यूनल (Appellate Tribunal),
  3. उच्च न्यायालय (High Court),
  4. सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court)|

संक्षेप में, कर-निर्धारण अधिकारी के आदेश के विरुद्ध प्रथम अपील आयुक्त (अपील) के यहाँ की जाती है। यदि करदाता अथवा निर्धारण अधिकारी, उप-आयुक्त (अपील) अथवा आयुक्त अपील के निर्णय से सन्तुष्ट न हो तो इनमें से कोई भी ऐसे निर्णय के विरुद्ध अपीलेट टिब्यनल में अपील कर सकता है। अपीलेट ट्रिब्यूनल के निर्णय के विरुद्ध उच्च न्यायालय में तथा उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है। सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय अन्तिम होता है अर्थात् सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध कोई अपील नहीं की जा सकती।

Income Tax Account Appeals

1 कमिश्नर अपील के यहाँ अपील (धारा 249)

[Appeal to Commissioner (Appeals) : Section 249)

आय-कर अधिनियम की धारा 246 में आय-कर अधिकारी के द्वारा पारित किए गए उन आदेशों का स्पष्ट रूप से वर्णन किया गया है जिनके विरुद्ध      कमिश्नर के समक्ष अपील पेश की जा सकती है। इस धारा के अन्तर्गत अपील पेश करने का अधिकार केवल करदाता को ही दिया गया है। धारा 246 के अनुसार यदि करदाता कर-निर्धारण अधिकारी के आदेशों से असन्तुष्ट हो तो वह कमिश्नर (अपील) के समक्ष निम्नलिखित आदेशों के विरुद्ध अपील कर सकता है

अपील के योग्य आदेश (Appealable Orders) :

1 धारा 143(1) के अन्तर्गत कर निर्धारण अधिकारी द्वारा जारी किये गये निर्धारण की सचना का आदेश

2. धारा 143(1B) के अन्तर्गत आय विवरण में समायोजन का आदेशः

3. धारा 143(3) अथवा 144 के अन्तर्गत कर-निधारण अधिकारी द्वारा करदाता की निर्धारित की गई आय या निर्धारित कर की रकम अथवा निर्धारित हानि अथवा उसको निवासीय स्थिति के सम्बन्ध में करदाता को कोई आपत्ति होः

4 धारा 147 या 150 के अन्तर्गत कर-निर्धारण या पुन: कर निर्धारण या पुनः गणना का आदेशः

5. धारा 154 या 155 के अन्तर्गत भूल संशोधन का आदेश जिसके फलस्वरूप कर-दायित्व बढ़ गया हो या कर वापसी कम हो गई हो;

6 धारा 163 के अन्तर्गत किसी करदाता को एक अनिवासी का एजेण्ट मानने का आर

7 धारा 170(2) अथवा  170(3) के अन्तर्गत व्यापार का स्वामित्व (मृत्यु के अलावा) बदलने पर कर निर्धारण का आदेशः

8. धारा 171 के अन्तर्गत एक हिन्दू अविभाजित परिवार के विभाजन के पश्चात् कर निर्धारण का आदेश:

9. धारा 201 के अन्तर्गत दिया गया ऐसा आदेश जिसमें करदाता को उद्गम स्थान पर कर न काटने अथवा जमा न कराने का दोषी माना गया हो;

10. धारा 237 के अन्तर्गत कर की वापसी का आदेश:

11. इस अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के अन्तर्गत लगाये गये अर्थदण्ड का आदेश.

12. धारा 158BC(c) के अन्तर्गत निर्धारण अधिकारी द्वारा कर के निर्धारण का आदेश जो निम्न के सम्बन्ध में हो सकता।

(i) धारा 132 के अन्तर्गत तलाशी के सम्बन्ध में; अथवा

(ii) धारा 132A के अन्तर्गत मांगी गयी लेखा पुस्तकों, अन्य प्रपत्रों अथवा अन्य कोई सम्पत्ति के सम्बन्ध में।

Income Tax Account Appeals

कर कटौती के दायित्व को मानने वाले व्यक्ति द्वारा अपील (Appeal by Person Denying Liability to Deduct Tax) (धारा 248) यदि किसी व्यक्ति ने 01.06.2007 को या इसके पश्चात् किसी समझौते या अन्य व्यवस्था के अन्तर्गत ब्याज को छोड़कर अन्य किसी आय में से धारा 195 एवं धारा 200 के अन्तर्गत कर की कटौती करके उक्त राशि सरकारी कोष में जमा करा दी है, परन्तु जिस व्यक्ति की ओर से यह कटौती की गयी है वह यह दावा करता है कि उसकी आय पर कोई कर काटने की आवश्यकता नहीं थी अर्थात वह ऐसी कटौती करने के दायित्व से मना करता है, तो वह आयुक्त (अपील) के यहाँ अपील कर सकता है कि उसे ऐसी कटौती करने के दायित्व से मुक्त घोषित कर दिया जाए अर्थात् उक्त आय पर कोई कर न काटा जाये।।

अपील दाखिल करने की प्रक्रिया (Procedure for Filing Appeal) (धारा 249 एवं नियम 45 व 46)

अपील की पूर्व शर्ते (Pre-requisites for Appeal) [धारा 249(4)]-कोई भी अपील तब तक नहीं ली जा सकती जब तक कि अपील पेश करने के पूर्व

(a) यदि करदाता ने आय का विवरण पेश किया है तो उसमें दर्शाई गई आय पर देय कर का भुगतान कर दिया है। (b) यदि करदाता ने आय का विवरण पेश नहीं किया है परन्तु उसे जितना अग्रिम कर का भुगतान करना चाहिए था उसके बराबर राशि का भुगतान कर दिया है। यदि करदाता के प्रार्थना-पत्र देने पर डिप्टी कमिश्नर (अपील) ‘इस बात से सन्तुष्ट हो जाता है कि कर भुगतान न करने के पर्याप्त कारण थे तो वह उन कारणों का लिखित उल्लेख करके बिना कर जमा किए हुए ही अपील ले सकता है। ।

अपील का फार्म (Form of Appeal)-अपील फॉर्म नं0 35 में सत्यापित करके निर्धारित ढंग से दाखिल की जाती है।

अपील पर हस्ताक्षर (Signing of Appeal)-फॉर्म नं0 35, अपील की भूमिका व सत्यापन का फार्म उस व्यक्ति द्वारा सत्यापित व हस्ताक्षरित होना चाहिए जो धारा 140 के अन्तर्गत आय की विवरणी पर हस्ताक्षर करने को अधिकृत हो।

अपील दाखिल करने की समय सीमा (Time Limit for Filing Appeal)-यह अपील 30 दिन के अन्दर की जानी चाहिए(अ) कर-निर्धारण या अर्थ-दण्ड से सम्बन्धित माँग की सूचना की तिथि से, यदि इसका सम्बन्ध कर-निर्धारण या अर्थ-दण्ड से हो; या (ब) कर का भुगतान करने की तिथि से, यदि इसका सम्बन्ध धारा 195(1) में कर की कटौती से हो जो कि अनिवासी को किये गये भुगतान से सम्बन्धित हो, या (स) अन्य मामलों के सम्बन्ध में अपील के आदेश की सूचना की तिथि से।

अपील फाइल करने में समय अवधि की गणना का समय छोड़ना (Exclusion of time for Calculating time limit for filing appeal) (धारा 268)-इस उद्देश्य के लिए उस तिथि को छोड़ दिया जाता है जिस दिन आदेश दिया गया हो। यदि माँग की सूचना के साथ आदेश न दिया गया हो, तो आदेश की प्रतिलिपि प्राप्त करने के समय को छोड़ दिया जाता है जोकि धारा 268 में वर्णित है।

अपील करने में देरी को माफ कर देना (Condonation of Delay in Filing Appeal)-निर्धारित अवधि की समाप्ति के बाद भी अपीलेट अधिकारी अपील स्वीकार कर सकता है, यदि वह इस बात से सन्तुष्ट हो कि अपील करने वाला समय पर अपील किन्हीं उचित कारणों से नहीं कर पाया था।

फार्म संख्या 35 के साथ संलग्न किये जाने वाले प्रलेख (Documents to Accompany with Form No. 35)अपील दो प्रतियों में प्रस्तुत की जायेगी। प्रथम प्रति पर वांछित कोर्ट फीस की स्टाम्प चिपकाई जायेगी। अपील में अपील के नियम, तथ्यों के विवरण तथा अपील के कारणों का उल्लेख किया जायेगा तथा अपील के साथ वह आदेश जिसके विरुद्ध अपील प्रस्तुत की जा रही है एवं मूल मांग नोटिस की भी एक प्रति लगानी होगी।

Income Tax Account Appeals

अपील दाखिल करने के लिए फीस (Fee for Filing Appeal)

(i) जब कर-निर्धारित आय 1 लाख ₹ या उससे कम है                                                              ₹250

(ii) जब कर-निर्धारित आय 1 लाख से अधिक परन्तु 2 लाख से अधिक नहीं है।                   ₹500

(iii) जब कर-निर्धारित आय 2 लाख ₹ से अधिक है                                                                 ₹1,000

(iv) अन्य किसी स्थिति में जब अपील का सम्बन्ध निर्धारित आय से नहीं है।                      ₹250

यह फीस चालान के द्वारा किसी अधिकृत बैंक में या स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया या रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया की शाखा में जमा की जानी चाहिए तथा चालान की एक प्रति आय-कर आयुक्त (अपील) को दी जानी चाहिए।

Income Tax Account Appeals

अपील सुनवाई की प्रक्रिया (धारा 250)

(Procedure in Hearing Appeal : Section 250)

1 आयुक्त (अपील) जिसे अपील की गयी हो, अपील की सुनवाई के लिए तिथि तथा स्थान निर्धारित करके इसकी सूचना अपालकत्ता एव सम्बन्धित कर-निर्धारण अधिकारी को (जिसके आदेश के विरुद्ध अपील दायर की गयी है) भेजगा।।

2. अपील के सम्बन्ध में निम्नलिखित व्यक्तियों को उपस्थित होकर बोलने का अधिकार है

(अ)अपीलकर्ता स्वयं अथवा उसका अधिकृत प्रतिनिधि।

(ब)कर-निर्धारण अधिकारी स्वयं अथवा उसका प्रतिनिधि।

3. कमिश्नर (अपील) को यह अधिकार है कि वह अपील की सुनवाई समय-समय पर आगे बढ़ा सकता है।

4. कामिश्नर (अपील) अपील पर अन्तिम निर्णय देने के पूर्व जैसा उचित समझे वैसी जांच कर सकता है अथवा कर-निधारण अधिकारी को जाँच करके अपनी रिपोर्ट देने का आदेश दे सकता है।।

5. कमिश्नर (अपील) सुनवाई के समय अपीलकर्ता को अपील के उन आधारों पर भी बोलने की स्वीकृति दे सकता है जो अपील के आधार में न लिखे गए हों बशर्ते कि वह इस बात से सन्तुष्ट हों कि वे आधार जान-बूझकर अथवा अनुचित रूप से नहीं छोड़े गए हैं।

6. कमिश्नर (अपील) के अपील के निर्णय का आदेश लिखित होना चाहिए तथा उसमें उन सभी कारणों का उल्लेख होगा जिनके आधार पर उसने अपना निर्णय किया है।

7. कमिश्नर (अपील) के द्वारा अपील का निर्णय लेने की समय सीमा (Limitation of Period to Decide the Appeal by Commissioner (Appeals) [धारा 250(6)]-01.06.1999 से कमिश्नर (अपील) जहाँ तक सम्भव हो उस वित्तीय वर्ष की समाप्ति से, जिसमें अपील पेश की गई हो, एक वर्ष की अवधि में अपना निर्णय देंगे।

8. अपील के निर्णय के आदेश की प्रतिलिपि करदाता को तथा प्रमख कमिश्नर अथवा कमिश्नर को भेजेगा।

Income Tax Account Appeals

आयुक्त (अपील) के अधिकार/शक्तियाँ (धारा 251)

[Powers of Commissioner (Appeal)]

अपील का निपटारा करने के सम्बन्ध में आयुक्त (अपील) को निम्नलिखित अधिकार प्राप्त हैं

(i) कर-निर्धारण के विरुद्ध हुई अपील के सम्बन्ध में कर-निर्धारण की पुष्टि (Confirm), कम अथवा रद्द कर सकता है।

(ii) वह कर-निर्धारण अधिकारी को आवश्यक जाँच करके फिर से कर-निर्धारण करने का आदेश दे सकता है।

(iii) अर्थदण्ड के आदेश की पुष्टि अथवा रद्द कर सकता है अथवा अर्थदण्ड को कम या अधिक कर सकता है।

(iv) अन्य किसी प्रकार की अपील के सम्बन्ध में वह जैसा उचित समझे वैसा आदेश दे सकता है।।

अपील में करदाता पर दायित्व बढ़ाने का आदेश तभी दिया जा सकता है जबकि करदाता को इसके विरुद्ध कारण बताने का उचित अवसर दे दिया गया हो।

Income Tax Account Appeals

2. अपीलेट ट्रिब्यूनल में अपील (धारा 252)

(Appeal to the Appellate Tribunal)

अपीलेट ट्रिब्यूनल का गठन केन्द्रीय सरकार के द्वारा किया जाता है। यह विधि मन्त्रालय (Department of Legal Affairs) के अधीन कार्य करता है। इसके सदस्यों की संख्या केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाती है। इसमें दो प्रकार के सदस्य होते हैं-न्यायिक सदस्य (Judicial Member) एवं लेखाकार सदस्य (Accountant Member)।

(A) न्यायिक सदस्य (Judicial Member)-ऐसा कोई भी व्यक्ति जो भारत में कम से कम 10 वर्ष तक न्यायिक पद पर कार्य कर चका हो या भारतीय विधिक सेवा में द्वितीय श्रेणी अथवा उसके समकक्ष पद पर कम से कम 3 वर्ष तक कार्य कर चका हो या कम से कम 10 वर्ष तक अधिवक्ता के रूप में कार्य कर चुका हो।

लेखा सदस्य (Accountant Member)-एसा कोई भा व्याक्त जा कम से कम 10 वर्षों से चार एकापसे रूप में प्रैक्टिस) कार्य कर रहा है या भारताय आय-कर सवा कपाका सदस्यहा एव सयुक्त आयुक्त या उसके समकक्ष या उच्च पद पर कम से कम 3 वर्षों से कार्य कर रहा हो। ।

सामान्य केन्द्र सरकार न्यायिक सदस्यों में से ही किसी एक को ट्रिब्यूनल का अध्यक्ष नियुक्त करती है और एक या। अधिक सदस्यों को उपाध्यक्ष के पद पर नियुक्त करती है। अध्यक्ष द्वारा सदस्यों को बैंचों में विभक्त विभिन्न प्रकार की अपीलों की सुनवाई करती हैं। ये बैंच देश के प्रमुख शहरों में बिखरी हई हैं। दिव्य यायपीठ में एक जडिशियल सदस्य और एक एकाउण्टेण्ट सदस्य होता है, परन्तु अग्रलिखित परिस्थितियों में तथा उप-कार्यालय मुम्बई, कोलकात्ता, दिल्ली व चेन्नई में है।

सामान्यतया एक न्यायपीठ में एक जुडिशियल सदस्य और एक एकाउण्टैण्ट सटम्य होता में न्यायपीठों के संगठन में परिवर्तन हो सकता है

(i) यदि कर-निर्धारण अधिकारी द्वारा निर्धारित कल आय 50 लाखर (1.6.2016 से) से अधिक न हो तो केवल एक सदस्य की न्यायपीठ होगी।

(ii) किसी विशेष अपील के सम्बन्ध में अध्यक्ष तीन अथवा तीन से अधिक सदस्यों की न्यायपीठ नियुक्त कर सकता है, जिसमें कम-से-कम एक जडिशियल और एक एकाउण्टेण्ट सदस्य होना आवश्यक है।

अपीलेट ट्रिब्यूनल के अधिकार-अपीलीय टिब्यनल की समस्त कार्यवाही न्यायिक कार्यवाही मानी जाती है और इसे आय-कर पदाधिकारियों को धारा 131 में वर्णित सभी अधिकार प्राप्त हैं, आय-कर के न्याय सम्बन्धी पदाधिकारियों में यह सर्वोच्च है। अपीलीय ट्रिब्यूनल का तथ्य सम्बन्धी फैसला अन्तिम होता है, किन्तु यदि इसके फैसले से कानून का प्रश्न (Question of Law) उत्पन्न होता है, तो उसे उच्च न्यायालय में ले जाया जा सकता है।

अपील के योग्य आदेश (Appealable Orders) (धारा 253)-अपीलीय ट्रिब्यूनल में करदाता और निर्धारण अधिकारी, दोनों में से कोई भी अपील कर सकता है

(अ) करदाता द्वारा अपील-करदाता निम्नलिखित आदेशों के विरुद्ध अपीलीय ट्रिब्यूनल में अपील कर सकता है1. आयुक्त (अपील) द्वारा दिए गए निम्नलिखित आदेश

(i) धारा 154 में दिया गया भूल सुधार का आदेश, (ii) धारा 250 के अन्तर्गत अपील के सम्बन्ध में दिया गया निर्णय आदेश, तथा (iii) धारा 271, 271A, 272A में अर्थदण्ड लगाने के सम्बन्ध में आदेश।

(iv) धारा 270A में (आय कम बताने/गलत बताने पर) अर्थदण्ड लगाने का आदेश [w.e.f.A.Y. 2017-18] 2. आय-कर आयुक्त (Commissioner) द्वारा दिये गये निम्नलिखित आदेश

(i) पुण्यार्थ अथवा धार्मिक ट्रस्ट का पंजीकरण अस्वीकार करना (धारा 12AA); (ii) पुनर्विचार सम्बन्धी आदेश (धारा 263); (iii) मुख्य आयुक्त, महानिदेशक या निदेशक द्वारा अर्थ-दण्ड सम्बन्धी आदेश (धारा 272A); (iv) उपरोक्त (ii) में दिये गये आदेश को संशोधित करने सम्बन्धी आदेश (धारा 154); (v) नोटिस की पूर्ति करने में चूक या आय को छिपाने पर अर्थदण्ड सम्बन्धी आदेश (धारा 271); (vi) किसी संस्था या कोष को दान के सम्बन्ध में कटौती न देने पर [धारा 80G(5)(vi)] (vii) धारा 270A में (आय कम बताने/गलत बताने पर) अर्थदण्ड लगाने का आदेश [w.e.f.A.Y. 2017-18] 3. कर-निर्धारण अधिकारी का आदेश-किसी टनभार कर कम्पनी को टनभार कर स्कीम से अपवर्जित करने का आदेश।

() निर्धारण अधिकारी/विभाग द्वारा अपील-आयुक्त (अपील) द्वारा धारा 154 अथवा धारा 250 के अन्तर्गत दिए गए आदेशों पर यदि आय-कर आयुक्त को आपत्ति हो, तो वह निर्धारण अधिकारी को ऐसे आदेशों के विरुद्ध अपीलीय ट्रिब्यूनल में अपील करने का आदेश दे सकता है।

नोटधारा 264 के अन्तर्गत आय-कर आयुक्त द्वारा पारित आदेश एक अन्तिम आदेश होता है, अत: इस आदेश के विरुद्ध अपीलीय ट्रिब्यूनल में अपील नहीं की जा सकती है।

अपीलेट ट्रिब्यूनल को अपील करने की प्रक्रिया (Procedure for Appeal to Appellate Tribunal) [धारा 253(3), (4), (5) एवं (6)]

अपील करने की समय सीमा (Time Limit for Filing Appeal) [धारा 253(3)]-करदाता या आय-कर आयुक्त द्वारा दिये गये आदेश के विरुद्ध ट्रिब्यूनल को अपील 60 दिन के अन्दर की जानी चाहिए, परन्तु धारा 158BC(c) के अन्तर्गत तलाशी के आदेश के विरुद्ध अपील 60 दिनों के स्थान पर 30 दिनों में की जानी चाहिए।

आक्षेप प्रस्तुत करना समय सीमा (Filing of Cross Objections and Time Limit) [धारा 253(4)]-करदाता/ कर-निर्धारण अधिकारी, इस नोटिस की प्राप्ति पर कि आयुक्त (अपील) के निर्णय के विरुद्ध दूसरे पक्ष द्वारा अपील कर दी गयी। है तो वह अपील का नोटिस प्राप्त होने के 30 दिन के अन्दर अपील के विरुद्ध प्रतिदावा (Cross objections) प्रस्तुत कर सकता हैं ।

समय सीमा में देरी में छूट (Condonation of Delay of Time Limit) [धारा 253(5)]-टिब्यूनल चाहे तो यह अपील या मरण पत्र 60/30 दिनों के बाद भी स्वीकार कर सकता है, यदि वह अपील को समय पर दाखिल न करने के कारणों से सन्तुष्ट हो।

निर्धारित फॉर्म दस्तावेज)Prescribed Forms and Documents to Accompany) [धारा 253(6)]-ट्रिब्यूनल को गयी अपील फॉर्म 36 में व स्मरण-पत्र फार्म 36A में करनी चाहिए। अपील तीन प्रतियों में प्रस्तुत की जाती है तथा जिस विरुद्ध अपील की जा रही है, उस आदेश की दो प्रतियाँ, कर निर्धारण अधिकारी के आदेश की दो प्रतियाँ तथा प्रथम समय प्रस्तुत किये गए कारणों एवं तथ्यों के विवरण की भी दो प्रतियाँ अपील के साथ दाखिल की जाती हैं।

फार्म 36 को सत्यापित करके अपने हस्ताक्षर करने चाहिए।

अपील पर हस्ताक्षर (Signing of Appeal)-धारा 140 के अन्तर्गत आय की विवरणी जमा करने वाले व्यक्ति द्वारा ही अपीलेट ट्रिब्यूनल में फार्म 36 को स्तयपित करके अपने हस्तक्षार चाहिये ।

अपील प्रस्तुत (दायर) करने का शुल्क (Fee for Filing Appeal)-पील के आवदन क साथ अग्रलिखित फीस जमा करनी होगी

(1) याद निधारण अधिकारी द्वारा गणना की गयी कल आय 1.00,000 ₹ तक हो, तो 500

(ii) याद निधारण अधिकारी द्वारा गणना की गयी कल आय 1.00.000₹ से अधिक हो तो परन्तु 2,00,000 ₹ से आधिक नहीं हो, तो 1,500

(iii) यदि निर्धारण अधिकारी द्वारा गणना की गयी कुल आय 2,00,000 से अधिक हो, तो गणना की गयी कुल आय का 1% (जो अधिकतम 10,000 ₹ तक हो सकती है)। परन्तु यह फोस उस स्थिति में देय नहीं होगी जबकि अपील आयुक्त द्वारा प्रस्तुत की जाये अथवा प्रतिदावा(Cross-objections) प्रस्तुत किया जाये।

(iv) अन्य किसी स्थिति में 500 ₹

अपीलेट ट्रिब्यूनल का आदेश (धारा 254)

(Orders of Appellate Tribunal)

1 अपीलेट ट्रिब्यूनल दोनों पक्षों को सुनवाई का अवसर देने के बाद ऐसा आदेश पारित कर सकता है जिसे वह ठीक समझे तथा इस आदेश की एक-एक प्रति करदाता तथा आयुक्त को भेज दी जाती है।

2. जहाँ तक सम्भव होगा ट्रिब्यूनल, अपील की सुनवाई करके अपना निर्णय अपील दाखिल करने वाले वित्तीय वर्ष की समाप्ति से चार वर्ष में दे देगा। यदि करदाता के प्रार्थना-पत्र देने पर किसी कार्यवाही में रोक आदेश (Stay Order) दिया जाता है तो ट्रिब्यूनल को आदेश की तिथि से 365 दिन में अपील पर निर्णय देना होगा। यदि उपरोक्त वर्णितअवधि में अपील पर निर्णय नहीं दिया जाता तो रोक आदेश (Stay Order) रद्द माना जाएगा।

3. अपील की लागत ट्रिब्यूनल अपने विवेक से निर्धारित करेगा। ।

4. अपीलेट ट्रिब्यूनल अपना आदेश देने के पश्चात् 4 वर्ष के अन्दर (01.06.2016 से जिस माह में आदेश दिया है उसकी समाप्ति से 6 माह में) कोई भूल सुधारने के लिए अपने मूल आदेश में संशोधन भी कर सकता है। ऐसी भूल की ओर करदाता अथवा आय-कर अधिकारी अपीलेट ट्रिब्यूनल का ध्यान आकर्षित कर सकता है। यदि ऐसे संशोधनों से करदाता का दायित्व बढ़ता हो तो उसे बिना सुनवाई का अवसर दिए ऐसा संशोधन नहीं किया जा सकता। यदि भूल सुधार के लिए करदाता प्रार्थना-पत्र देता है तो उसे 50 ₹ फीस के देने होंगे।

5. अपीलेट टिब्यनल का आदेश अन्तिम (Final) होता है शर्ते कि उसमें कोई कानूनी प्रश्न उत्पन्न न हो। काननी प्रश्न उत्पन्न होने की दशा में उच्च न्यायालय में अपील की जाती है।

अपीलेट टिब्यनल में पेश की गई अपील पर निर्णय देने की समय सीमा (Limitation of Period to Decide the Appeal by Appellate Tribunal) [धारा 254(2A)]-01.06.1999 से अपीलेट ट्रिब्यूनल जहाँ तक सम्भव हो उस वित्तीय वर्ष की समाप्ति से, जिसमें अपील पेश की गई हो, चार वर्ष की अवधि में अपना निर्णय दे देगा। यदि करदाता के प्रार्थना-पत्र देने पर किसी कार्यवाही में रोक आदेश (Stay) दिया जाता है तो ट्रिब्यूनल को आदेश की तिथि से 365 दिन में अपील पर निर्णय देना होगा। यदि उपरोक्त वर्णित अवधि में अपील पर निर्णय नहीं दिया जाता तो रोक आदेश रद्द माना जाएगा।

Income Tax Account Appeals

अपीलेट ट्रिब्यूनल की कार्यविधि (धारा 255)

(Procedure of Appellate Tribunal)

1 अपीलेट ट्रिब्यूनल के अधिकारों और कार्यों के संचालन के लिए उसका सभापति उसके सदस्यों में विभिन्न पीठों (Benches) का गठन कर सकता है।

2. प्रत्येक बैंच (Bench) में एक जुडीशियल मेम्बर और एक एकाउण्टैण्ट मेम्बर रहता है।

3. केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिकृत होने पर अपीलेट ट्रिब्यूनल के सभापति या अन्य किसी सदस्य को अकेले ही किसी अपील को सनने और उस पर निर्णय लेने का अधिकार होता है जिसकी सम्बन्धित वर्ष की कर-निर्धारण अधिकारी द्वारा निर्धारित कुल आय 50 लाख र (वित्त विधयक, 2016 द्वारा किया गया संशोधन 01.06.2016 से प्रभावी) से अधिक न हो।

4. यदि सम्पत्ति चाहे तो किसी विशेष मामले का निपटारा करने के लिए विशेष बैंच का गठन कर सकता है जिसमें तीन या चार से अधिक सदस्य हो सकते हैं। इन सदस्यों में से एक जुडीशियल मेम्बर और एक एकाउण्टैण्ट मेम्बर होना। आवश्यक है।

5. किसी भी मुद्दे के निर्णय पर जब सदस्यों में मतभेद हो जाता है तो भिन्नता वाले मद्दों को सभापति द्वारा उसके एक से अधिक सदस्यों को सौंप दिया जाता है और तत्पश्चात् सदस्यों के बहमत के आधार पर उसका निर्णय दिया जाता है।। इन सदस्यों में वे सदस्य भी शामिल रहते हैं जिन्होंने इस मामले को इसके पहले भी सुना था।

6. अपने अधिकारों के प्रयोग और कर्त्तव्यों के पालन से सम्बन्धित मामलों के लिए अपीलेट ट्रिब्यूनल अपनी तथा अपना। बैंचों की कार्यविधि का नियमन (Regulate) कर सकता है।

7. अपीलेट ट्रिब्यूनल के अपने कर्तव्य पालन करते समय धारा 131 में दर्शाए गए वे सभी अधिकार होंगे, जो विभिन्न आय-कर पदाधिकारियों को रहते हैं। भारतीय दण्ड विधान संहिता की धारा 166 के अनुसार अपीलेट ट्रिब्यूनल की प्रत्येक कार्यवाही न्यायिक कार्यवाही समझी जाएगी। क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की धारा 196 तथा अध्याय 36 के अनुसार ट्रिब्यूनल को सिविल कोर्ट माना जाएगा।

अपीलेट टिब्यनल के आदेश के विरुद्ध उपाय

(Remedy Against the Order of Appellate Tribunal)

1 उच्च न्यायालय को सीधी अपील (Direct Appeal to High Court) [धारा 260A]-ट्रिब्यूनल द्वारा पारित आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय को अपील की जा सकती है, यदि उच्च न्यायालय सन्तुष्ट हो जाता है कि इस मामले में कानून सम्बन्धी प्रश्न निहित है।

अपील दाखिल करने की प्रक्रिया (Procedure for Filing Appeal)

2. मुख्य आयुक्त आयुक्त या असन्तुष्ट करदाता अपीलेट ट्रिब्यूनल के आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय को अपील कर सकता है।

3. अपील 120 दिन के अन्दर की जानी आवश्यक है जिस तिथि को उस आदेश की सूचना प्राप्त हुई है जिसके विरुद्ध अपील करनी है। उच्च न्यायालय 120 दिन के बाद भी अपील ले सकता है, बशर्ते कि वह इस बात से सन्तुष्ट हो जाय कि उसे समय के अन्दर प्रस्तुत न करने के पर्याप्त कारण थे।

4. यदि अपील करदाता द्वारा की जानी है तो इसके साथ निर्धारित फीस देनी होगी। कमिश्नर द्वारा अपील करने पर उसके द्वारा कोई फीस देय नहीं है।

5. यह अपील स्मरणपत्र (Memorandum of appeal) के रूप में होनी चाहिए जिसमें निहित कानून के प्रश्न का उल्लेख होना चाहिए।

6. इस धारा के अन्तर्गत अपील करने पर नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908 (The Code of Civil Procedure, 1908) के प्रावधान लागू हैं।

Income Tax Account Appeals

उच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई एवं निर्णय (Hearing and Judgement by High Court) (धारा 260B)

1 यदि उच्च न्यायालय इस बात से सन्तुष्ट है कि इसमें कानून सम्बन्धी सारभूत प्रश्न सन्निहित है, तो वह उस प्रश्न के आधार पर तनकी बनायेगा (Formulate that question)

2. अपील केवल तैयार किये ऐसे कानून सम्बन्धी प्रश्न के सम्बन्ध में ही सुनी जायेगी। सुनवाई के दौरान प्रतिपक्षी को यह बहस करने की छूट होगी कि अपील में कानून सम्बन्धी प्रश्न सन्निहित नहीं है। परन्तु न्यायालय किसी ऐसे सारभूत कानून सम्बन्धी प्रश्न पर भी सुनवाई कर सकता है जिसको तैयार नहीं किया गया है (Not formulated) इसके लिए यह आवश्यक है कि न्यायालय इस बात से सन्तुष्ट हो कि अपील में ऐसा कानून सम्बन्धी सारभूत प्रश्न सन्निहित है। न्यायालय अपनी सन्तुष्टि के कारणों को अभिलिखित भी करेगा।

3. न्यायालय कानून सम्बन्धी ऐसे प्रश्न को निर्धारित करके अपना निर्णय देगा। निर्णय में वे आधार प्रस्तुत किये जायेंगे जिन पर निर्णय आधारित हैं। न्यायालय जो उचित समझे अपील के व्यय का निर्णय दे सकता है।

4. अपील की सुनवाई उच्च न्यायालय के कम से कम दो न्यायाधीशों की बैंच द्वारा की जायेगी तथा सर्वसम्मति से या ऐसे न्यायाधीशों के बहुमत की सम्मति से अपील का निर्णय किया जायेगा।

5. यदि न्यायाधीशों में मत-भिन्नता है तथा किसी बहुमत का निर्माण नहीं हो पाया है, तो न्यायाधीश उस बिन्दु का उल्लेख करेंगे जिस पर उनमें मत-भिन्नता है तथा उस मामले को केवल उस बिन्दु पर जिस पर मत-भिन्नता है उच्च न्यायालय के एक या अधिक न्यायाधीशों द्वारा पुनः सुना जायेगा तथा उस बिन्दु का निर्णय बहुमत के आधार पर किया जायेगा।। बहुमत निर्धारण करते समय पूर्व में सुन चुके न्यायाधीशों को भी सम्मिलित किया जायेगा।

6. सर्वोच्च न्यायालय में अपील (Appeal in Supreme Court) (धारा 261) उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध । सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में अपील की जा सकती है लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि उच्च न्यायालय यह । प्रमाणित कर दे कि मामला सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने योग्य है एवं इसका प्रमाण-पत्र करदाता/आयुक्त को दे दे। यदि उच्च न्यायालय ऐसा प्रमाण-पत्र नहीं देता है तो करदाता/आयुक्त उच्च न्यायालय के उक्त निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील विशेष अनुमति के लिए संविधान के अनुच्छेद 136 के अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय को आवेदन-पत्र प्रस्तुत।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई एवं निर्णय (Hearing and Judgement by Supreme Court) (धारा सर्वोच्च न्यायालय में अपील की सुनवाई की प्रक्रिया वही रहेगी जो दण्ड विधान प्रक्रिया, 1908 के अन्तर्गत उच्च किसा डिक्रा क विरुद्ध सुनवाई करते समय होती है। सर्वोच्च न्यायालय मामले की सुनवाई के बाद अपील में उठाये। गयकानूना मुद्दपर अपना निर्णय देता है। वह निर्णय में उन कारणों का भी उल्लेख करता है जिसके आधार पर

यदि सर्वोच्च न्यायालय अपील में उच्च न्यायालय के निर्णय में परिवर्तन कर देता है, तो अपीलेट ट्रिब्यूनल अपने पूर्व आदेश में न्यायालय के निर्णय के अनुसार उचित संशोधन कर देता है।

लागत (Cost of Appeal) [धारा 262(2)]-सर्वोच्च न्यायालय में अपील की लागत न्यायालय अपने विवेक के आधार पर निर्धारित करेगा।

कर का भुगतान (धारा 265) उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जाती है तो भी कर का भुगतान उस मामले में हुए कर-निर्धारण के अनुसार करना होगा।

सर्वोच्च न्यायालय आय-कर प्रभाव निम्नलिखित राशि से अधिक नहीं है, तो मुकदमेबाजी कम करने के उद्देश्य से आय-कर विभाग अपील नहीं करेगा

(1) अपीलेट ट्रिब्यूनल में अपील (आय-कर प्रभाव 10 लाख ₹ से अधिक नहीं है)

(ii) उच्च न्यायालय में अपील (आय-कर प्रभाव 20 लाख ₹ से अधिक नहीं है)

(iii) उच्चतम न्यायालय में अपील (आय-कर प्रभाव 25 लाख से अधिक नहीं है) [Circular No. 21 Dated 10.12.2015)

Income Tax Account Appeals

आयुक्त द्वारा पुनर्विचार

(Revision by Commissioner)

यदि करदाता. कर-निर्धारण अधिकारी के आदेश से सन्तुष्ट नहीं है तो अपील के अतिरिक्त उसके समक्ष दसरा विकल्प आय-कर आयक्त को पुनर्विचार के लिए आवेदन करना है। आय-कर आयुक्त, आय-कर अधिकारी द्वारा दिये गये आदेश पर अनलिखित परिस्थितियों में पुनर्विचार कर सकता है

1 राजस्व के हितों के विरुद्ध आदेशों पर पुनर्विचार (Revision of Orders Prejudicial to the Interest of amanna (धारा 263)-इस धारा के अन्तर्गत आयुक्त द्वारा अपन पुनविचार करने के अधिकार का प्रयोग करने के लिए। निम्नलिखित दो शर्तों का पूरा होना आवश्यक है

() करनिर्धारण अधिकारी द्वारा दिया गया कोई आदेश गलत है तथा

() उक्त आदेश का सरकारी राजस्व पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है अर्थात् दिया गया आदेश सरकारी राजस्व अहितकर है।

धारा 263 के अन्तर्गत आयुक्त द्वारा पुनर्विचार से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण प्रावधान निम्नलिखित प्रकार हैं

(i) धारा 263 के अन्तर्गत आय-कर कमिश्नर किसी भी कार्यवाही का रिकॉर्ड मँगाकर जाँच कर सकता है।

(ii) यदि ऐसी जाँच में वह पाता है कि आय-कर अधिकारी के आदेश के कारण सरकारी आय पर विपरीत प्रभाव पड़ा है तो वह उचित पूछताछ एवं करदाता को सुनने का अवसर देने के बाद परिस्थिति अनुसार उचित आदेश दे सकता है।

(iii) आय-कर आयुक्त अपने आदेश में कर निर्धारण में वृद्धि, संशोधन या उसे रद्द करके नए कर-निर्धारण का निर्देश कर सकता है।

(iv) पुनर्विचार के आदेश के विरुद्ध ट्रिब्यूनल में अपील की जा सकती है।

(v) कमिश्नर द्वारा पुनरीक्षण अधिकार का प्रयोग उन निर्णयों हेतु नहीं किया जा सकता, जिनके लिए अपील कर दी गयी हो।

रिवीजन आदेश पारित करने की समय सीमा (Time Limit for Passing the Revision Order)-आयुक्त किसी भी ऐसे आदेश पर पुनर्विचार नहीं कर सकता है. जिसे उस वित्तीय वर्ष के अन्त से, जिसमें वह आदेश दिया गया था, 2 वर्ष से अधिक समय बीत चुका है।

2. अन्य आदेशों पर पुनर्विचार (Revision of other Orders) (धारा 264)-आयुक्त धारा 263 में वर्णित आदेशों के अलावा अन्य ऐसे आदेशों के सम्बन्ध में, जो उसके अधीनस्थ किसी अधिकारी ने दिए हों, या तो स्वयं अथवा करदाता से आवेदन-पत्र आने पर पुनर्विचार कर सकता है।

पुनर्विचार के लिए आवेदन यदि करदाता द्वारा किया जा रहा है तो उसे 500 ₹ फीस आवेदन के साथ जमा करनी होगी। पुनर्विचार के लिए आयुक्त इस अधिनियम के अन्तर्गत करदाता से सम्बन्धित ऐसी कार्यवाही का रिकार्ड माँग सकता है। इस सम्बन्ध में उचित पूछताछ के बाद उचित आदेश दे सकता है। इस धारा के अन्तर्गत ऐसा कोई आदेश नहीं दिया जा सकता, जो करदाता के हित में न हो।

समयसीमाइस धारा के अन्तर्गत कमिश्नर स्वयं ऐसे आदेश का पुनरी ग एक वर्ष के अन्दर कर सकता है। इसी प्रकार यदि करदाता पुनरीक्षण के लिए प्रार्थना-पत्र देता है, तो उसे भी यह प्रार्थना-पत्र उस आदेश के प्राप्त होने के एक वर्ष के अन्दर प्रस्तुत कर देना चाहिए। यदि कमिश्नर सन्तुष्ट हो जाता है तो वह उपरोक्त अवधि के पश्चात् भी प्रार्थना-पत्र स्वीकार कर सकता है।

परिस्थितियाँ जिनमें आय-कर आयुक्त किसी आदेश पर धारा 264 के अन्तर्गत पुनर्विचार नहीं कर सकता-निम्नलिखित आदेशों पर आयुक्त द्वारा पुनर्विचार नहीं किया जा सकता

(i) यदि किसी आदेश के विरुद्ध अपील आयुक्त (अपील) अथवा अपीलीय ट्रिब्यूनल को की जा सकती है, परन्तु न तो करदाता ने अपील की है और न अपील दायर करने का समय समाप्त हुआ है।

(ii) यदि अपील आयुक्त (अपील) अथवा अपीलीय ट्रिब्यूनल के पास विचाराधीन है, तो इस स्थिति में इस धारा के अन्तर्गत पुनर्विचार नहीं किया जा सकता है तथा साथ ही अपील का निपटारा होने के बाद भी आयुक्त इस धारा में पुनर्विचार नहीं कर सकता।

(iii) यदि अपील, उपायुक्त (अपील) के पास विचाराधीन है, तो इस धारा में तब तक पुनर्विचार नहीं किया जा सकता, जब तक कि अपील विचाराधीन हो। अपील का निपटारा होने के बाद इस धारा में पुनर्विचार किया जा सकता है। (iv) यदि आदेश को पारित हुए एक वर्ष से अधिक का समय बीत चुका हो, तो पुनर्विचार नहीं किया जा सकता है।

आयुक्त द्वारा पुनर्विचार आवेदन पर निर्णय (Revision Judgement by the Commissioner)-आयुक्त का अपना निर्णय उस वित्त वर्ष के अन्त से एक वर्ष के भीतर देना होगा जब आवेदन किया गया था। यदि आयुक्त उपरोक्त अवधि म काई। निर्णय नहीं देता तो यह मान लिया जायेगा कि करदाता का आवेदन स्वीकार कर लिया गया है एवं उसके अनुसार आयुक्त, कर। निर्धारण अधिकारी के निर्णय में संशोधन कर देगा।

Income Tax Account Appeals

परीक्षा हेतु सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

(EXPECTED IMPORTANT QUESTIONS FOR EXAMINATION)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(Long Answer Questions)

1 आयुक्त (अपील) के यहाँ अपील की कार्यविधि का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

Describe briefly the procedure of an appeal to the Commissioner (Appeals)].

2. आयुक्त (अपील) के आदेश के विरुद्ध अपीलेट ट्रिब्यूनल में अपील करने की कार्यविधि का वर्णन कीजिए।।

Explain the procedure for filing an appeal to the Appellate Tribunal against the orders of a Commissioner (Appeal).

3. जहाँ तक तथ्यों के प्रश्न का सम्बन्ध है. अपीलेट टिब्यनल का निर्णय अन्तिम होता है।” क्या आप इस कथन से सहमत हैं? ट्रिब्यूनल के आदेश के विरुद्ध किसी करदाता को क्या उपचार उपलब्ध हैं?

The verdict of the Appellate Tribunal is final so far as the question of fact is concerned.” Do you agree with the statement? What are the remedies available to an assesses against the order of the Tribunal.

4. किन आदेशों के विरुद्ध आयक्त (अपील) के यहाँ अपील की जा सकती है? अपील की कार्यविधि का वर्णन कीजिए तथा ऐसी अपील के सम्बन्ध में आयुक्त (अपील) के अधिकारों का वर्णन कीजिए।

Against what orders an appeal can be filed to Commissioner (Appeals) ? Describe the procedure of appeal and state the powers of Commissioner (appeals) in disposing such appeal.

5. कैसे और किन परिस्थितियों में आय-कर आयुक्त मामलों का पनर्विचार कर सकता है ? आयुक्त द्वारा पुनर्विचार से सम्बन्धित आय-कर अधिनियम के प्रावधानों का वर्णन कीजिए।

How and under what circumstances can a Commissioner of Income Tax revise cases ? Describe the provisions of the Income Tax Act regarding revision by the Commissioner.

6. आय-कर आयुक्त द्वारा पुनर्विचार के सम्बन्ध में आय-कर अधिनियम के प्रावधानों का वर्णन कीजिए।

Discuss the provisions of Income-tax Act regarding revision by the Commissioner of Income tax.

7. किन परिस्थितियों में आय-कर आयुक्त मामलों पर पुनर्विचार कर सकता है ?

Under what circumstances can a Commissioner of Income-tax revise cases?

8. निम्न पर टिप्पणियाँ लिखिए (Write short notes on the following) :

() आयुक्त अपील (Commissioner Appeal)

() अपीलेट ट्रिब्यूनल (Appellate Tribunal)

() आयुक्त द्वारा पुनर्विचार (Revision by Commissioner)

() उच्च न्यायालय को निर्देश के लिए भेजना (Referenced to High Court)

() सर्वोच्च न्यायालय में अपील (Appeal to the Supreme Court)

लघु उत्तरीय एवं अति लघु उत्तरीय प्रश्न

(Short and Very Short Answer Questions)

1 आयुक्त (अपील) को अपील करने की निर्धारित समय सीमा क्या है ?

What is the prescribed time limit for filing an appeal with the Commissioner (Appeals)?

2. करदाता द्वारा आयुक्त (अपील) को अपील दायर करने पर दी जाने वाली फीस को बताइए।

Mention the fees payable by the assessee on filing an appeal with the Commissioner (Appeals).

3. धारा 249 के अन्तर्गत अपील करने की समय सीमा क्या है ?

What is the time limit for filing an appeal under section 249 ?

4. किन दो परिस्थितियों में आयुक्त आदेश के पुनर्विचार करने के अधिकार का प्रयोग कर सकता है ?

Under which of the two situations can a commissioner use the power of revision of order?

Income Tax Account Appeals

 

 

chetansati

Admin

https://gurujionlinestudy.com

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Previous Story

BCom 2nd Year Recovery Refund Tax Study Material Notes in Hindi

Next Story

BCom 2nd Year Income Tax Penalties Offences prosecutions Study Material Notes in Hindi

Latest from BCom 2nd Year Income Tax Law Accounts Notes