BCom 3rd Year Information Technology Revolution Study Material Notes in Hindi

BCom 3rd Year Information Technology Revolution Study Material Notes in Hindi:  Importance of Information Technology  Various Components of Information Technology  Introduction of Information Technology Role and Printing Development Voice over  Internet Protocol  Long Answer Type Questions  Short Answers Questions  Multiple Choice Questions.

Revolution Study Material Notes
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सूचना क्रांति एवं सूचना प्रौद्योगिकी

[INFORMATION REVOLUTION AND INFORMATION

TECHNOLOGY (IT)]

सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology)

सूचना प्रौद्योगिकी, आँकड़ों की प्राप्ति, सूचना (Information) संग्रह, सुरक्षा, परिवर्तन, आदान-प्रदान, अध्ययन, डिजाइन आदि कार्यों तथा इन कार्यों के निष्पादन के लिये आवश्यक कम्प्यूटर हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर अनुप्रयोगों से सम्बन्धित है। सूचना प्रौद्योगिकी कम्प्यूटर पर आधारित सूचना-प्रणाली का आधार है। सूचना प्रौद्योगिकी, वर्तमान समय में वाणिज्य और व्यापार का अभिन्न अंग है। संचार क्रान्ति के फलस्वरूप अब | इलेक्ट्रॉनिक संचार भी सूचना प्रौद्योगिकी का एक प्रमुख घटक माना जाने लगा है, इसे सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (Information and Communication Technology. ICT) भी कहा जाता है।

 

Information Technology Revolution

सूचना प्रौद्योगिकी का महत्व (Importance of Information Technology)

1 सचना प्रौद्योगिकी. सेवा अर्थतन्त्र (Service Economy) का आधार है।

2 पिछड़े देशों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए सूचना प्रौद्योगिकी एक सम्यक तकनीक (Appropriate technology) है।

3 गरीब जनता को सूचना-सम्पन्न बनाकर ही निर्धनता का उन्मूलन किया जा सकता है।

4 सूचना-सम्पन्नता सशक्तिकरण (Empowerment) में सहायक है।

5 सूचना तकनीकी, प्रशासन और सरकार में पारदर्शिता लाती है, इससे भ्रष्टाचार को कम करने में

सहायता मिलती है।

6 सूचना तकनीक का प्रयोग योजना बनाने, नीति निर्धारण तथा निर्णय लेने में किया जाता है।

7 यह नये रोजगारों का सृजन करती है।

सूचना प्रौद्योगिकी के विभिन्न घटक (Various Components of Information Technology)

   कम्प्यूटर हार्डवेयर प्रौद्योगिकी (Computer Hardware Technology)- इसके अन्तर्गत माइक्रो-कम्प्यूटर, सर्वर, बड़े मेनफ्रेम कम्प्यूटर के साथ-साथ इनपुट, आउटपुट एवं संग्रह (Storage) करने वाली युक्तियाँ (Devices) आती हैं।

कम्प्युटर सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी-इसके अन्तर्गत ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System), वेब ब्राउजर, डेटाबेस प्रबन्धन प्रणाली (DBMS), सर्वर तथा व्यापारिक एवं वाणिज्यिक सॉफ्टवेयर आते हैं।

दूरसंचार व नेटवर्क प्रौद्योगिकी-इसके अन्तर्गत दूरसंचार के माध्यम, प्रोसेसर (Processor) तथा इंटरनेट । से जुड़ने के लिये तार या बेतार पर आधारित सॉफ्टवेयर, नेटवर्क-सुरक्षा, सूचना का कूटन (क्रिप्टोग्राफी) आदि हैं।

मानव संसाधन-तन्त्र प्रशासक (System Administrator) एवं नेटवर्क प्रशासक (Network Administrator) आदि।

Information Technology Revolution

सूचना प्रौद्योगिकी में अनुसन्धान एवं विकास (Research and Development in Information Technology)

सूचना सम्बन्धी उत्पाद एवं सेवाएँ दिन-प्रतिदिन हमारे जीवन का प्रमुख अंग बनते जा रहे हैं, अतः सूचना प्रौद्योगिकी के प्रत्येक क्षेत्र में क्षमताओं को और अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है। वर्तमान विश्व में सूचना प्रौद्योगिकी, संचार और संसाधनों तक व्यापक पहँच. शिक्षा सम्बन्धी अपार बाधाओं को दूर करने, प्रजातान्त्रिक व्यवस्था को बनाए रखने और सकल आर्थिक विकास की समस्याओं को हल करने का एकमात्र साधन है। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की सहायता से चलाए जा रहे अनसन्धान एवं विकास सम्बन्धी कार्यक्रमों का उद्देश्य सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उभरती हई प्रौद्योगिकियों के प्रचार-प्रसार एवं समाज द्वारा उसे अपनाए जाने में सुविधा उपलब्ध। कराना है। इसके साथ ही इसका उद्देश्य क्षमता निर्माण की सुविधा उपलब्ध कराना, सही बुनियादी ढाँचे का सुजन व वर्तमान प्रौद्योगिकियों की खोज और देश के नागरिकों को यह सभी कुछ उनकी क्षमता के अनुरूप सुलभ कराना है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में देश को आगे लाने का यही एकमात्र हल है। यह विभाग सम्बन्धित वैज्ञानिक सोसायटियों के तकनीकी प्रकृति कार्यकलापों के अनुसन्धान एवं विकास कार्यों को सहायता करता है और उनका समन्वयन भी करता है।

सूचना प्रौद्योगिकी डिप्लायमेंट का परिचय (Introduction of Information Technology Deployment)

किसी संगठन के सभी क्षेत्रों में कोई गतिविधि, प्रक्रिया, कार्यक्रम या प्रणाली शुरू करने की व्यवस्थित कार्यविधि ही डिप्लायमेंट कहलाती है। मात्रात्मक और परिणात्मक गतिविधियाँ जो कि विशिष्ट ऑपरेटिंग पर्यावरण के भीतर सूचना प्रौद्योगिकी संसाधन और सिस्टम के द्वारा प्रदर्शित होती है और संस्करणीकृत सूचना प्रौद्योगिकी सम्पत्ति (जैसे-उत्पाद, सॉफ्टवेयर, सिस्टम, अनुप्रयोग) को लक्षित अन्तिम उपयोगकर्ताओं द्वारा उपयोग करने के लिए तैयार करती है।

उद्यम डिप्लायमेंट फ्रेमवर्क (Enterprise Deployment Framework)

उद्यम के सूचना प्रौद्योगिकी डिप्लायमेंट फ्रेमवर्क का वर्णन करने के कई लाभ हैं। इन लाभों में से कुछ निम्न प्रकार के हैं।

स्पष्टता (Clarity)-उन संसाधनों से कार्य निष्पादन करना जिससे कार्य स्पष्ट हो सके। यह अस्पष्टता का। खत्म करने में मदद करता है और सभी भूमिकाओं के लिए चीजों को स्पष्ट करता है।

पुनरावृत्ति (Repeatability)-कार्य के विस्तार की स्पष्ट परिभाषा के अनुसार पुनरावृत्ति का प्राप्त किया जा सकता है। सूचना प्रौद्योगिकी की रूपरेखा के साथ जड़े कार्यों को स्पष्ट रूप से इस तरह अलग किया जाता है जिससे उनकी पुन: आसानी से हो सके।

तेजी से सुपुर्द (Rapid Delivery)-यह तभी होता है जब डिप्लायमेंट कार्यों की स्पष्ट रूप से पहचान की जा चुकी हो, विशिष्ट भूमिकाओं को सौंप दिया गया हो. और पनरावत्ति हो गयी हो जिससे उद्यम अपने सुपुदगा। के समय को कम करने के क्रम में प्रयास कर सकते हैं। अपरिपक्व उद्यम संघर्ष करते हैं, जबकि परिपक्व उधन स्वचालन का लाभ लेते हैं।

गणवत्ता (Quality)-जब एक बार डिप्लायमेंट कार्य की स्पष्ट रूप से पहचान, विशिष्ट भूमिकामा सौंपना और पुनरावृत्ति हो जाती है, स्वचालन के कार्यों के बाद उद्यम गणवत्ता के द्वारा ऊपर जाना शुरू

कम लागत (Low Cost)-एक बार डिप्लायमेंट कार्य की स्पष्ट रूप से पहचान, विशिष्ट भूमिकाआम सौंपना और पनरावृत्ति हो जाती है, तो उद्यम स्पष्ट रूप स्वचालन प्रक्रिया के द्वारा डिप्लायमेंट कार्यों की लागत का कम कर सकते हैं।

कम सुपुर्दगी जोखिम (Low Delivery Risk)-एक बार डिप्लायमेंट कार्य की स्पष्ट रूप से पहचान, विशिष्ट भूमिकाओं में सौंपना, और पुनरावृत्ति हो जाती है, तो सुपुर्दगी के समाधान के साथ जुड़े जोखिम कम होने लगते हैं।

Information Technology Revolution

सूचना प्रौद्योगिकी की बेहतर समझ (Better perception of IT)-केवल स्पष्ट परिभाषा, निष्पादन की पनरावत्ति, और सूचना प्रौद्योगिकी सम्पत्तियों के सफल सुपुर्दगी के माध्यम से आईटी व्यापार की सफलता के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका होते हैं। बैंडर्ड सुचना प्रौद्योगिकी डिप्लायमेंट कार्य (Standard IT Deployment Function)

बनाना (Build)                   Build

पैकेज (Package)               Package

बाँटना (Distribute)             Distribute

स्थापित करना (Install)           Install

प्रारम्भ करना (Initialize)         Initialize

निष्पादित करना (Execute)      Execute

                  IT Deployment Functions

संचार की प्रौद्योगिकी जिसे आम तौर पर आईसीटी (ICT) कहा जाता है, का प्रयोग अक्सर सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के पर्यायवाची के रूप में किया जाता है। आमतौर पर यह अधिक सामान्य शब्दावली है, जो आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी में दूरसंचार (टेलीफोन लाईन एवं वायरलेस संकेतों) की भूमिका पर जोर देती है। आईसीटी में वे सभी साधन सम्मिलित हैं जिनका प्रयोग कम्प्यूटर एवं नेटवर्क हार्डवेयर दोनों में तथा साथ ही साथ आवश्यक सॉफ्टवेयर सहित सूचना के संचार का संचालन करने के लिए किया जाता है। दूसरे शब्दों में, आईसीटी (ICT) में सूचना प्रौद्योगिकी (IT) के साथ-साथ दूरभाष संचार, प्रसारण मीडिया और सभी प्रकार के ऑडियो और वीडियो प्रक्रमण एवं प्रेषण शामिल हैं, इस अभिव्यक्ति का सबसे पहला प्रयोग 1997, में डेनिस स्टीवेंसन द्वारा ब्रिटेन की सरकार को भेजी गई एक रिपोर्ट में किया गया था एवं सन् 2000 में ब्रिटेन के नये राष्ट्रीय पाठ्यक्रम सम्बन्धी दस्तावेजों द्वारा प्रचारित इसका प्रचार किया गया।

अक्सर आईसीटी (ICT) का प्रयोग आईसीटी (ICT) रोडमैप में उस मार्ग को सूचित करने के लिए किया जाता है जिसे कोई संगठन अपनी आईसीटी (ICT) जरूरतों के साथ अपनाएगा।

अब आईसीटी (ICT) शब्द का प्रयोग टेलीफोन नेटवर्कों का कम्प्यूटर नेटवर्कों के साथ एक एकल केबल या लिंक प्रणाली के माध्यम से संयुग्मन (अभिसरण) करने के लिए भी किया जाता है। टेलीफोन नेटवर्कों का कम्प्यूटर नेटवर्क प्रणाली के साथ संयुग्मन करने के व्यापक आर्थिक लाभ (टेलीफोन नेटवर्क की  समाप्ति के कारण भारी लागत बचत) हैं।

भारत में सचना तथा संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुई तरक्की से जीवन का हर क्षेत्र प्रभावित हआ है। देश में इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों का दायरा तथा प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है तथा इंटरनेट सेवाओं का तेजी से विस्तार हो रहा है। जाहिर है शिक्षा का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है।

सूचना प्रौद्योगिकी के बुनियादी अनुप्रयोग (Basic Applications of Information Technology)

आर्थिक विकास की प्रक्रिया-हाल के वर्षों में, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) आर्थिक विकास की प्रक्रिया के लिए निर्णायक बन गया है। सूचना प्रौद्योगिकी से सूचना के आदान प्रदान और व्यापार लेन-देन को सबसे कुशल और लागत प्रभावी बनाया है। यह वित्तीय और अन्य सेवा क्षेत्रों के रूप में देश के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण साधन का प्रतीक बना है।

भमण्डलीकत-भूमण्डलीकृत दुनिया में, सूचना प्रौद्योगिकी सामाजिक और आर्थिक विकास की सबसे महत्वपूर्ण निर्धारकों में से एक है। तुलनात्मक लाभ केवल ज्ञान के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। मानव निर्मित श्रम बाजार, तकनीकी शिक्षा और पूंजी निर्माण के सम्बन्ध में प्रभाव जबरदस्त और दूरगामी हैं जिससे देश में सूचना प्रौद्योगिकी से सामाजिक और आर्थिक विकास होगा।

आर्थिक संरचना के निर्माण में (In the Formations of Economic Structure)-सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा आर्थिक संरचना के निर्माण में कुशल दूरसंचार बुनियादी ढाँचे और प्रभावी दूरसंचार सेवा। अस्तित्व में हैं।

वित्तीय जानकारी प्रदान करने (To Provide Financial Information)-सूचना प्रौद्योगिकी वर्तमान में मौलिक ढंग से, रोजगार, सरकारी व निजी क्षेत्र में वित्तीय जानकारी प्रदान करने के लिए बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है।

बनियादी सुविधाओं की अनुपलब्धता को कम करना (To Provide basic Facilities)-स्थानीय व्यापारों, सरकारी व गैर सरकारी संगठनों के लिए बुनियादी सुविधाओं की अनुपलब्धता को दूर करता है।

शिक्षा अनुसन्धान और विकास में (In Educations Research & Development)-शिक्षा अनुसन्धान और विकास में सूचना प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रम तैयार किये जा रहे हैं। सूचना प्रौद्योगिकी शिक्षकों को बहुत सहायता प्रदान करता है जो प्रशासनिक कार्यों के साथ पाठ्यक्रम विकास के लिए नई-नई प्रणाली उपलब्ध कराता है।

पायलट प्रणाली की परियोजनाओं को चलाना (To Execute Plot Systems of Projects)-सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा सरकार की पायलट प्रणाली की परियोजनाएँ बनाई जाती हैं तथा उनका क्रियान्वयन सुचारू रूप से किया जाता है।

व्यावहारिक प्रशिक्षण की अपर्याप्तता को कम करना (To Reduce the Need of Practical Training)-सूचना प्रौद्योगिकी व्यावहारिक प्रशिक्षण की अपर्याप्तता को कम करता है।

Information Technology Revolution

आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले उच्च प्रौद्योगिकी उपकरण

  • कम्प्यूटर (Computer)
  • फोटोकॉपियर (Photocopier)
  • टेलीफोन (Telephone)
  • कम्प्यूटर प्रिंटर (Computer Printer)
  • इंटरनेट (Internet)
  • मल्टीमीडिया प्रोजेक्टर (Multimedia Projector)
  • टच स्क्रीन मॉनीटर (Touch Screen Monitor)
  • कम्प्यूटर माउस (Computer Mouse)
  • लैपटॉप कम्प्यूटर (Laptop Computer)

व्यापार और समाज पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव (Impacts of Technology onghy Trade and Society)

सूचना प्रौद्योगिकी अनिवार्य रूप से एक व्यापक और विविध क्षेत्र है। वास्त चना प्रौद्योगिकी व्यावहारिक रूप में सभी के जीवन के हर पहलू में शामिल है। प्रौद्योगिकी कम्पनियाँ महत्वपूर्ण डाटा स्टोर करने के लिए केवल डिजिटल डेटाबेस पर निर्भर करती है, जो कागज रहित जाने के लिए अनुमति देता है। सूचना प्रौद्योगिकी भी व्यापार के संचालन की सटीकता को प्रभावित करती है। एक कम्पनी एकाउंटेंट पर भरोसा करने के बजाय एक कम्प्यूटरीकृत लेखा प्रणाली का उपयोग करती है, इससे मानव त्रुटि की सम्भावना समाप्त हो जाती है। इस तरह का सिस्टम तेजी से संचालन के लिए अनुमति देते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति से पहले, कम्पनियाँ और अन्य संस्थायें | किसी भी क्षेत्र की जानकारी आसानी से प्राप्त नहीं कर पाती थीं। आज, दूसरी पार्टी के साथ संवाद स्थापित करने के लिए ई-मेल और इंटरनेट है। सूचना प्रौद्योगिकी के प्रभाव से व्यापार लागत में कमी और व्यापार उत्पादकता में वृद्धि हुई है। लेकिन व्यापार पर सचना प्रौद्योगिकी का सबसे महत्वपर्ण प्रभाव वैश्विक भौगोलिक बाजार है। आई.। टी. ऑनलाइन स्टोर स्थापित करने के लिए अनुमति देता है। सचना तकनीक दनिया भर में कारोबार में क्रान्ति ला दी है। स्थानीय व्यवसायों की एक साधारण वेबसाइट सूचना प्रौद्योगिकी की सहायता से अन्तर्राष्ट्रीय बन गई है। आई.टी. विज्ञापन से कारोबार को मदद मिली है। आई.टी. ग्राहक सेवा में मदद मिली है. माइक्रोसॉफ्ट जैसा बड़ा कम्पनियों के ई-मेल और चैट सेवाओं के माध्यम से ग्राहकों की जरूरतों को शामिल किया है। सूचना प्रौद्योगिकी

सूचना क्रांति एवं सूचना प्रौद्योगिकी लागत को प्रभावी बनाने के लिए और बढ़ती माँग और ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अमूर्त और ठोस लाभ दोनों देती है। प्रौद्योगिकीय नवाचारों कॉर्पोरेट दक्षता, कर्मचारियों, ग्राहकों, आपूर्तिकर्ताओं और ग्राहकों के भावित करते हैं। प्रौद्योगिकी को गुणवत्ता के प्रयोग से गोपनीय व्यावसायिक जानकारी की सुरक्षा | के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इंटरनेट और ऑनलाइन सामाजिक नेटवर्किंग साइटों के जन्म से व्यापार के संचालन की लागत में कमी आई है। यह कम्पनियों को सिक्स सिग्मा प्रबन्धन के तरीके का उपयोग करने के लिए आसान बनाता है।

ग्राहक सम्बन्ध (Customer Relation)-प्रौद्योगिकी कम्पनियों को संवाद और अपने ग्राहकों के साथ सम्बन्ध स्थापित करने के तरीके को प्रभावित किया है। इंटरनेट और ऑनलाइन सामाजिक नेटवर्क के उपयोग के साथ, कम्पनियों ने उपभोक्ताओं के साथ बातचीत और उत्पाद के बारे में अपने सभी प्रश्नों का जवाब हासिल करने में सफलता अर्जित की है अपितु ग्राहकों के साथ प्रभावी संचार की स्थापना से न केवल उनके साथ सम्बन्ध बनाया है, अपितु मजबूत सार्वजनिक छवि भी बनायी है।

व्यावसायिक संचालन (Business Operation)-प्रौद्योगिकी नवाचारों के उपयोग के साथ, व्यापार मालिक और उद्यमी नकदी प्रवाह व भण्डारण की लागत से प्रबन्धन को बेहतर बनाते हैं। समय और पैसा को बचाते हैं।

कॉरपोरेट संस्कृति (Corporate Culture)-प्रौद्योगिकी कर्मचारियों के लिए संवाद और अन्य देशों में अन्य कर्मचारियों के साथ बातचीत की सुविधा देता है। इस तरह सम्बन्ध स्थापित होने से सामाजिक तनाव कम होता है।

सुरक्षा (Security)-आधुनिक सुरक्षा उपकरण वित्तीय डेटा, गोपनीय व्यावसायिक जानकारी और फैसले की रक्षा करने के लिए सक्षम बनाता है।

अनुसन्धान अवसर (Research Opportunity)-यह प्रतिस्पर्धियों से खुद को आगे रखने के लिए अवसर प्रदान करता है। यह कम्पनियों को बाजार अनुसन्धान के माध्यम से भी अवसर प्रदान करता है।

कॉरपोरेट रिपोर्ट (Corporate Reports)-तकनीक के माध्यम से, व्यापार उद्यमी गुणवत्ता पूर्ण वित्तीय और परिचालन रिपोर्ट देने के लिए अपने शाखा कार्यालयों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करता है।

औद्योगिक उत्पादकता (Industrial Productivity)-व्यापार सॉफ्टवेयर प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर पैकेज के प्रयोग के माध्यम से, यह स्वचालित पारम्परिक निर्माण की प्रक्रिया, श्रम लागत को कम और विनिर्माण उत्पादकता को बढ़ाता है। यह कम्पनियों की क्षमता और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए सक्षम बनाता है।

व्यापार गतिशीलता (Business Mobility)-प्रौद्योगिकीय नवाचारों से माल और सेवाओं को प्राप्त करने और देने पर कम्पनियों की बिक्री, सेवाओं में सुधार हुआ है। यह कम से कम लागत में कई बाजारों में प्रवेश करने के लिए सक्षम बनाता है।

अनुसन्धान क्षमता (Research Capacity)-बाजार और नई प्रवृत्तियों पर ज्ञान हासिल करने के लिए विभिन्न कम्पनियों पर अध्ययन का संचालन करने के लिए सक्षम बनाता है।

Information Technology Revolution

सूचना प्रौद्योगिकी ने पूरी धरती को एक गाँव बना दिया है। इसने विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं को जोड़कर एक वैश्विक अर्थव्यवस्था को जन्म दिया है। यह नवीन अर्थव्यवस्था अधिकाधिक रूप से सचना के रचनात्मक व्यवस्था व वितरण पर निर्भर है। इसके कारण व्यापार और वाणिज्य में सचना का महत्व अत्यशित गया है। इसलिए इस अर्थव्यवस्था को सूचना अर्थव्यवस्था (Information Economy) या ज्ञान अर्थव्यवस्था (Knowledge Economy) भी कहने लगे हैं। वस्तुओं के उत्पादन (Manufacturing) पर आधारित परम्परागत अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ती जा रही है और सूचना पर आधारित सेवा अर्थव्यवस्था (Service economy) निरन्तर आगे बढ़ती जा रही है।

सूचना क्रान्ति से समाज के सम्पूर्ण कार्यकलाप प्रभावित हुए हैं – शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार प्रशासन, सरकार, उद्योग, अनुसन्धान व विकास, सगठन, प्रचार आदि सभी क्षेत्रों में कायापलट हो गया है। आज का समाज सचना समाज कहलाने लगा है। कम्प्यूटर कम्पनियों को डेटाबेस, व्यक्तिगत कार्यक्रम और आवश्यक जानकारी के विभिन्न रूपों को व्यवस्थित करने के लिए तरीका प्रदान करते हैं।

व्यापार में क्रान्तिकारी बदलाव शुरू हो रहा है। यह प्रौद्योगिकी वास्तव में बहुत नई नहीं है। इन दिनों की बहुत सस्ती है। रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान (आरएफआईडी) तकनीक कुछ अर्थों में व्यापार को बदल रही है।।

कुछ व्यवसायों में सरक्षा मजबूत करने के लिए मानव ने (आरएफआईडी) चिप प्रत्यारोपण का उप शरू कर दिया है। रीडर चिप के संकेत का पता लगाता है और दरवाजे पर खड़े कर्मचारी को अन्दर आने की परमिट देता है। इसे लेकर बहुत से लोग गोपनीयता के मुद्दों के बारे में चिंतित हैं।

हाथ वाले उपकरणों (Black berries) बेतहाशा लोकप्रिय हो गए हैं। ये उपयोगकर्ताओं को ई-मेल जाँच करने और कहीं से भी ई-मेल भेज देने, और इंटरनेट ब्राउज करने में मदद करते हैं।

प्रौद्योगिकी हमारी दनिया में एक अचक आर्थिक और सामाजिक ताकत है। वैश्विक संचार व्यापार एक्सचेंजों, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के माध्यम से, हमारे दैनिक जीवन को इसने सरल बना दिया है।।

प्रौद्योगिकी तरीकों ने समाज और उसके आस-पास के क्षेत्रों को प्रभावित किया है। समाज में, प्रौद्योगिकी ने उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के विकास में मदद की है। समाज पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव को पूछना, समाज में पेडों का। प्रभाव की तरह है। इंटरनेट, टेलीविजन और रेडियो समाज के लिए बहुत जरूरी है।

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लेखन का आविष्कार (Invention of Writing)

प्राचीन समय में, कोई भी नहीं जानता था कि लेखन का आविष्कार होने की जरूरत है। लेखन का आविष्कार दुनिया के विभिन्न भागों में एक स्वतन्त्र तरीके से हुआ। शुरुआत में, कुछ दिखाने के लिए लोग अपनी तस्वीर या एक पारम्परिक चिन्ह का इस्तेमाल किया करते थे। तब वे रिबास के तन्त्र पर आधारित एक फोनेटिक लेखन प्रणाली पर चले गए, तब वे एक सैलेबिक लेखन का प्रयोग किया करते थे केवल अन्त में वे वर्णमाला लेखन पर पहुँच गये।

लेखन शुरू करने से पहले (Before Starting the Writing)

पुरापाषाण काल के दौरान, 30 से 40,000 साल पहले, लोग गुफाओं की चट्टानों और दीवारों पर भित्तिचित्र और ड्राइंग चित्रों के रूप में अपने विचारों को प्रकट करते थे। दुर्भाग्य से, निश्चितता के साथ यह कहा ही जा सकता है कि गुफाओं में चित्रित पशुओं के खूबसूरत चित्रों के उद्देश्य, और संकेत के दोहराये जाने का उद्देश्य क्या है। पशुओं के चित्र शायद, शिकार को बढ़ावा, जादुई संस्कार से जुड़े थे।

हड्डियों और पत्थर पर उभरे हुए हिस्से गिनती के लिए प्रयोग किये जाते थे। उदाहरण के लिए, बीते हुए दिन, महीने, या पकड़े गए शिकार आदि।

दक्षिणी मेंसोपोटामिया में रहने वाले लोगों ने दुनिया में सबसे पहले लेखन प्रणाली का विकास किया।

इस लेखन प्रणाली में चित्रों या संकेत के द्वारा मिट्टी की गोलियों पर लिखना शुरू किया गया।

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लेखन का विकास (Development of Writing)

3100 ईसा पूर्व के आस-पास लोगों ने विभिन्न फसलों की मात्रा को रिकॉर्ड करने के लिए लेखन को शुरू किया। जो दक्षिणी मेंसोपोटामिया में सबसे महत्वपूर्ण फसलों में से एक था और इसे पहले तैयार किया गया। सैकड़ों वर्ष तक,संकेतों को मिट्टी की गोलियों पर खींचा गया।

लेखन के साधन (Writing’s Instrument)

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प्रयोग हो रहा था किन्तु ये गुटेनबर्ग के छपाई मशीन से भिन्न थीं। गुटेनबर्ग की तकनीक से बनी छपाई मशीन शीच ही पूरे यूरोप में एवं बाद में पूरे संसार में प्रयोग की जाने ली। यूरोप के पुनर्जागरण में मुद्रण मशीन का योगदान महत्वपूर्ण है।

मुद्रण मशीन का सभ्यता के विकास में भूमिका (Role of Printing Press in the Development of Civilization)

प्रारम्भिक युग में मुद्रण एक कला थी। लेकिन आधुनिक युग में पूर्णतया तकनीकी आधारित हो गया है। मुद्रण कला पत्रकारिता के क्षेत्र में पुष्पित, पल्लवित, विकसित तथा तकनीकी के रूप में परिवर्तित हुई है। सामान्यतः मुद्रण का अर्थ छपाई से है, जो कागज, कपड़ा, प्लास्टिक, टाट इत्यादि पर हो सकता है। डाकघरों में | लिफाफों, पोस्टकार्डों व रजिस्टर्ड चिट्ठियों पर लगने वाली मुहर को भी मुद्रण कहते हैं। प्रसिद्ध अंग्रेजी विद्वान चार्ल्स डिक्नस ने मुद्रण की महत्ता को बताते हुए कहा है कि-“स्वतन्त्र व्यक्ति के व्यक्तित्व को बनाए रखने में मुद्रण महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।” वैदिक सिद्धान्त के अनुसार-“परमेश्वर की इच्छा से ब्रह्माण्ड की रचना और जीवों की उत्पत्ति हुई।” इसके बाद ध्वनि प्रकट हुआ। ध्वनि से अक्षर तथा अक्षरों से शब्द बनें। शब्दों के योग को वाक्य कहा गया। इसके बाद पिता से पुत्र और गुरू से शिष्य तक विचारों, भावनाओं, मतों व जानकारियों का आदान-प्रदान होने लगा। भारतीय ऋषि-मुनियों ने सुनने की क्रिया को श्रुति और समझने को प्रक्रिया को स्मृति का नाम दिया। ज्ञान के प्रसार का यह तरीका असीमित तथा असंतोषजनक था, जिसके कारण मानव ने अपने पूर्वजों और गुरूजनों के श्रेष्ठ विचारों, मतों व जानकारियों को लिपिबद्ध करने की आवश्यकता महसूस की। इसके लिए लिपि का आविष्कार किया तथा पत्थरों व वृक्षों की छालों पर खोदकर लिखने लगे। इस तकनीकी से भी विचारों को अधिक दिनों तक सुरक्षित रखना सम्भव नहीं था। इसके बाद लकड़ी को नुकीला छीलकर ताड़पत्रों और भोजपत्रों पर लिखने की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई। प्राचीन काल के अनेक ग्रन्थ भोजपत्रों पर लिखे मिले हैं। “सन् 105 ई. में चीनी नागरिक टर-त्साई लून ने कपास एवं सलमल की सहयता से कागज का आविष्कार किया।” सन् 712 ई. में चीन में एक सीमाबद्ध एवं स्पष्ट ब्लाक प्रिंटिंग की शुरुआत हुई। इसके लिए लकड़ी का ब्लाक बनाया गया। चीन में ही सन् 650 ई. में च्हीरक सूत्रज् नामक संसार की पहली मुद्रित पुस्तक प्रकाशित की गयी। सन् 1014 ई. में चीन के पाई शेंग नामक व्यक्ति ने चीनी मिट्टी की मदद से अक्षरों को तैयार किया। इन अक्षरों को आधुनिक टाइपों का आदि रूप माना जा सकता है। चीन में ही दुनिया का पहला मुद्रण स्थापित हुआ, जिसमें लकड़ी के टाइपों का प्रयोग किया गया था। टाइपों के ऊपर स्याही जैसे पदार्थ को पोतकर कागज के ऊपर दबाकर छपाई का काम किया जाता था। इस प्रकार, मुद्रण के आविष्कार और विकास का श्रेय चीन को जाता है। यह कला यूरोप में चीन से गई अथवा वहाँ स्वतन्त्र रूप से विकसित हुई। इसके सन्दर्भ में कोई अधिकारिक विवरण उपलब्ध नहीं है। एक अनुमान के मुताबिक कागज बनाने की कला चीन से अरब देशों में तथा वहाँ से यूरोप में पहँची होगी। एक अन्य अनुमान के मुताबिक 14वीं-15वीं सदी के दौरान यूरोप में मुद्रण-कला का स्वतन्त्र रूप से विकास हुआ। उस समय यूरोप में बड़े-बड़े चित्रकार होते थे। उनके चित्रों की स्वतन्त्र प्रतिक्रिया को तैयार करना कठिन कार्य था। इसे शीघ्रतापूर्वक तैयार नहीं किया जा सकता था। अत: लकड़ी अथवा धातु की चादरों पर चित्रों को उकेर कर ठप्पा बनाया जाने लगा, जिस पर स्याही लगाकर पूर्वोक्त रीति से ठप्पे को दो तख्तों के बीच दबाकर उनके चित्रों की प्रतियाँ तैयार की जाती थीं। इस तरह के अक्षरों की छपाई का काम आसान नहीं था। अक्षरों को उकेर कर उनके ठप्पे तैयार करना बड़ा ही मुश्किल काम था। उसमें खर्च भी बहुत ज्यादा पड़ता था। फिर भी उसकी छपाई अच्छी नहीं होती थी। इन असुविधाओं ने जर्मनी के लरेंस जेंसजोन को टाइप बनाने की प्रेरणा दी। इन टाइपों का प्रयोग सर्वप्रथम सन् 1400 ई. में यूरोप में हुआ। जर्मनी के जॉन गुटेनबर्ग ने सन् 1440 ई. में ऐसे टाइपों का आविष्कार किया, जो बदल-बदलकर विभिन्न सामग्री को बहुसंख्या में मुद्रित कर सकता था। इस प्रकार के टाइपों को पुनरावर्त्तक छापे (रिपीटेबिल प्रिण्ट) के वर्ण कहते हैं। इसके फलस्वरूप बहुसंख्यक जनता। को बिना रुकावट के समाचार और मतों को पहँचाने की सविधा मिली। इस सुविधा को कायम रखने के लिए। बराबर तत्पर रहने का उत्तरदायित्व लेखकों और पत्रकारों पर पड़ा। जॉन गुटेनबर्ग ने ही सन् 1454-55 ई. में। दुनिया का पहला छापाखाना (प्रिंटिंग-प्रेस) लगाया तथा सन 1456 ई. में बाइबिल की 300 प्रतियों को प्रकाशित कर पेरिस और फ्रांस भेजा। इस पुस्तक की मद्रण तिथि 14 अगस्त, 1456 निर्धारित की गई है। जॉन गुटेनबग क छापाखाने से एक बार में 600 प्रतियाँ तैयार की जा सकती थीं। परिणामत: 50-60 सालों के अन्दर यूरोप में करीब दो करोड़ पुस्तकें हो गयी थीं। इस प्रकार, मद्रण कला जर्मनी से आरम्भ होकर यूरोपीय देशों में फैल गया।

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सूचना क्रांति एवं सूचना प्रौद्योगिकी कोलने, आगजवर्ग बेसह,टोम, एन्टवर्ण, पेरिस आदि में मद्रण के प्रमुख केन्द्र बने। सन् 1475 ई. में सर विलियम केकस्टन के प्रयासों के चलते ब्रिटेन का पहला प्रेस स्थापित हआ। ब्रिटेन में राजनैतिक और धार्मिक अशांति के कारण छापाखाने की सुविधा सरकार के नियन्त्रण में थी। इसे स्वतन्त्र रूप से स्थापित करने के लिए सरकार से विधिवत आज्ञा लेना बड़ा ही कठिन कार्य था। पुर्तगाल में इसकी शुरुआत सन् 1544 ई. में हुई। मुद्रण के इतिहास की पड़ताल से स्पष्ट है कि छापाखाना का विकास धार्मिक-क्रान्ति के दौर में हुआ। यह सुविधा मिलने के बाद धार्मिक ग्रन्थ बड़े ही आसानी से जन-सामान्य तक पहुँचने लगे। इन धार्मिक ग्रन्थों को विभिन्न देशों की भाषाओं में अनुवाद करके प्रकाशित किया जाने लगा। पुर्तगाली धर्म प्रचार के लिए मुद्रण तकनीकी को सन् 1556 ई. में गोवा लाये और धर्म ग्रन्थों को प्रकाशित करने लगे। सन् 1561 ई. में गोवा में प्रकाशित बाइबिल पुस्तक की एक प्रति आज भी न्यूयार्क लाइब्रेरी में सुरक्षित है। इससे उत्साहित होकर भारतीयों ने भी अपने धर्म ग्रन्थों को प्रकाशित करने का साहस दिखलाया। भीम जी पारेख प्रथम भारतीय थे, जिन्होंने दीव में सन् 1670 ई. में एक उद्योग के रूप में प्रेस शुरू किया। सन् 1638 ई. में पादरी जेसे ग्लोभरले ने एक छापाखाना जहाज में लादकर संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए प्रस्थान किया, लेकिन रास्ते में ही उसकी मत्य हो गयी। उसके बाद उनके सहयोगी म्याश्यु और रिटेफेन डे ने उक्त छापाखाना (प्रिंटिंग-प्रेस) को स्थापित किया। सन् 1798 ई. में लोहे के प्रेस का आविष्कार हुआ, जिसमें एक लिवर के द्वारा अधिक संख्या में प्रतियाँ प्रकाशित करने की सुविधा थी। सन् 1811 ई. के आस-पास गोल घूमने वाले सिलेण्डर चलाने के लिए भाप की शक्ति का इस्तेमाल होने लगा, जिसे आजकल रोटरी प्रेस कहा जाता है। हालांकि इसका परी तरह से विकास सन् 1848 ई. के आस-पास हुआ। 19वीं सदी के अन्त तक बिजली संचालित प्रेस का उपयोग होने लगा, जिसके चलते न्यूयार्क टाइम्स के 12 पेजों की 96 हजार प्रतियों का प्रकाशन एक घण्टे में सम्भव हो सका। सन 1890 ई. में लिनोटाइप का आविष्कार हुआ, जिसमें टाइपराइटर मशीन की तरह से अक्षरों को सेट करने की सविधा थी। सन 1890 ई. तक अमेरिका समेत कई देशों में रंग-बिरंगे ब्लॉक अखबार छपने लगे। सन 1900 ई. तक बिजली संचालित रोटरी प्रेस, लिनोटाइप की सुविधा और रंग-बिरंगे चित्रों को छापने की सुविधा, फोटोग्राफी को छापने की व्यवस्था होने से सचित्र समाचार-पत्र पाठकों तक पहुँचने लगे।

गुटेनबर्ग (Gutenberg)

गुटेनबर्ग (जर्मन Johannes Gutenberg, 1398-1468)-टाइप के माध्यम से मुद्रण विद्या का आविष्कारक वे जर्मनी के मेंज के रहने वाले थे।। इन्होनें सन 1439 में प्रिंटिंग प्रेस की रचना की जिसे एक महान आविष्कार माना जाता है। इन्होंने मूवेबल टाइप की भी रचना की। इनके द्वारा छापी गयी बाइबल, गटेनबर्ग बाइबल के नाम से प्रसिद्ध है

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परिचय (Introduction)

गुटेनबर्ग के टाइप-मुद्रण के आविष्कार से पूर्व मुद्रण का सारा कार्य ब्लाकों में अक्षर खोदकर किया जाता था। गूटेनबर्ग का जन्म जर्मनी के मेंज नामक स्थान में हुआ था। 1420 ई. में उनके परिवार को राजनीतिक अशांति के कारण नगर छोड़ना पड़ा। उन्होंने 1439 ई. के आस-पास स्ट्रासबोर्ग में अपने मुद्रण आविष्कार का परीक्षण किया। काठ के टुकड़ों पर उन्होंने उल्टे अक्षर खोदे। फिर उन्हें शब्द और वाक्य का रूप देने के लिए छेद के माध्यम से परस्पर जोड़ा और इस प्रकार तैयार हुए बड़े ब्लाक को काले द्रव में डुबाकर पार्चमेंट पर अधिकाधिक दाब दिया। इस प्रकार मुद्रण में सफलता प्राप्त की। बाद में उन्होंने इस विधि में कुछ सुधार किया

इस प्रकार प्रथम मद्रित पस्तक ‘कांस्टेंन मिसल’ है जो 1450 के आस-पास छापी गई थी। उसकी केवल तीन प्रतियाँ उपलब्ध हैं। एक म्युनिख (जर्मनी) में, दूसरी ज्यरिख (स्विटजरलैंड) में और तीसरी न्यूयार्क में। इसके अतिरिक्त एक बाइबिल भी गुटेनबर्ग ने मुद्रित की थी।

मुद्रणालय प्रिंटिंग प्रेस, छापाखाना या छपाई की प्रेस एक यान्त्रिक युक्ति है जो दाब डालकर कागज, कपड़े आदि पर प्रिन्ट करने के काम आती है। कपड़ा या कागज आदि पर एक स्याही-युक्त सतह रखकर उस पर दाब डाला जाता है जिससे स्याहीयुक्त सतह पर बनी छवि उल्टे रूप में कागज या कपड़े पर छप जाती है।

छपाई की प्रेस की रचना सबसे पहले जर्मनी के जोहान गुटेनबर्ग (Johannes Gutenberg) ने सन 1439 में की थी। लकड़ी के ठप्पों (woodblock printing) एवं मूवेबल टाइप (movable type) से छपाई । की तकनीक कुछ सौ वर्ष पहले से ही चीन में विद्यमान थी। लेकिन वे गुटेनबर्ग की तरह एक दाबक (प्रेस) का प्रयोग नहीं करते थे। गटेनबर्ग के प्रेस पर आधारित छपाई की विधि यूरोप में बड़ी तेजी से फैली। इसके बाद वह सारे संसार में फैल गयी। अत: प्रिंटिंग प्रेस ने छपाई की परम्परागत विधियों (ठप्पे एवं मूवेबल टाइप आदि) को। उखाड़ फेंका। इसी प्रकार बाद में ऑफसेट छपाई के आ जाने के बाद प्रिंटिंग प्रेस भी जाता रहा। ___प्रिंटिंग प्रेस के आविष्कार से सूचना एवं ज्ञान के प्रसार में एक क्रान्ति आ गयी। इसलिये प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार एक महान आविष्कार माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पहले भाषा का प्रयोग, उसके बाद लिपि एवं लेखन का प्रयोग एवं उसके बाद प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार, गुणात्मक रूप से दुनिया के तीन सबसे बड़े आविष्कार हैं जिन्होंने ज्ञान एवं विद्या के प्रसार एवं विकास में भारी योगदान किया। इसी कड़ी में चौथा आविष्कार अन्तरजाल को माना जाता है।

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रेडियो संचार (Radio Communication)

24 दिसम्बर 1906 की शाम कनाडाई वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडेन ने जब अपना वॉयलिन बजाया और अटलांटिक महासागर में तैर रहे तमाम जहाजों के रेडियो ऑपरेटरों ने उस संगीत को अपने रेडियो सेट पर सना, वह दनिया में रेडियो प्रसारण की Channel selector Display शुरुआत थी।

इससे पहले जगदीश चन्द्र बसु ने भारत में तथा गुल्येल्मो मार्कोनी ने सन् 1900 में इंग्लैंड से अमरीका बेतार सन्देश भेजकर व्यक्तिगत रेडियो सन्देश भेजने की शुरुआत कर दी थी, पर एक से अधिक व्यक्तियों को एक साथ सन्देश भेजने या ब्रॉडकास्टिंग की शुरुआत 1906 में फेसेंडेन के साथ हुई। ली द फोरेस्ट और चाल हेरॉल्ड जैसे लोगों ने इसके बाद रेडियो प्रसारण का प्रयोग करना शुरू किया। तब तक रेडियो का प्रयोग सिर्फ नौसेना तक ही सीमित था। 1917 में प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत के बाद किसी भी गैर फौजी के लिये रेडियो का प्रयोग निषिद्ध कर दिया गया।

रेडियो संकेतों का बेतार संचरण है जो विद्युत चुम्बकीय विकिरण से संकेतों की आवृत्ति को दृश्य प्रकाश के 30 kHz से 300 GHz रेडियो आवृत्ति रेंज में होता है। इन तरंगों को रेडियो तरंग भी कहा जाता है। विद्युत चुम्बकीय विकिरण हवा और अन्तरिक्ष के निर्वात के माध्यम से पास होता है तथा विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र (oscillating) के माध्यम से यात्रा करता है।

एफएम आमतौर पर संगीत और भाषण की उच्च प्रसारण (एफएम प्रसारण देखने के लिए) के लिए वीएचएफ रेडियो आवृत्तियों का प्रयोग किया जाता है। सामान्य (एनालॉग) टीवी ध्वनि भी एफएम का उपयोग कर प्रसारण करती है।

कोण मॉडुलन एक संकेत संचारित करने के लिए वाहक तरंग की तात्कालिक चरण बदलता है।

रेडियो का उपयोग प्रायः जहाजों और भूमि के बीच मोर्स कोड के द्वारा तार सन्देश भेजने के लिए किया जाता था। समुद्री टेलीग्राफी का सबसे यादगार उपयोग 1912 में आरएमएस टाइटैनिक के डूबने के दौरान किया गया। इसका प्रयोग किनारे पर डूब रहे जहाज और आस-पास के जहाजों के ऑपरेटरों के बीच संचार स्थापित करने के लिए किया जाता है। रेडियो प्रथम विश्व युद्ध में दोनों पक्षों पर सेनाओं और नौसेनाओं के बीच संचार को पारित करने के लिए इस्तेमाल किया गया था। ।

आज, रेडियो वायरलेस नेटवर्क सभी प्रकार के मोबाइल संचार, के साथ रेडियो प्रसारण सहित कई रूपों में है। टेलीविजन के आगमन से पहले, वाणिज्यिक रेडियो प्रसारण न केवल समाचार और संगीत, अपितु नाटक, हास्य का होता है।

भारत और रेडियो (India and Radio)

1927 तक भारत में भी ढेरों रेडियो क्लबों की स्थापना हो चुकी थी। 1936 में भारत में सरकारी ‘इम्पेरियल रेडियो ऑफ इंडिया’ की शुरुआत हुई जो आजादी के बाद ऑल इंडिया रेडियो या आकाशवाणी बन गया।

1939 में द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत होने पर भारत में भी रेडियो के सारे लाइसेंस रद्द कर दिए गए और ट्रांसमीटरों को सरकार के पास जमा करने के आदेश दे दिए गए।

रेडियो तरंग वे विद्युत चुम्बकीय तरंग होती हैं, जो विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम के रेडियो आवृत्ति भाग में आती हैं। इनका प्रयोग मुख्यत: बिना तार के, वातावरण या बाहरी व्योम के द्वारा सूचना का आदान प्रदान या परिवहन में होता है। इन्हें अन्य विद्युत चुम्बकीय तरंगों से इनकी तरंगदैर्घ्य के अधार पर पृथक किया जाता है, जो अपेक्षाकृत अधिक लम्बी होती है।

ये बनती कैसे हैं (How is it made ?)

रेडियो तरंगें विद्यत धारा को रेडियो आवृत्ति पर प्रत्यावर्तन करने पर बनती हैं। यह धारा एक विशिष्ट चालक जिसे एण्टीना कहते हैं, से पास कराई जाती है। इसकी लम्बाई तरंगदैर्घ्य के बराबर ही होनी चाहिये, जिससे कि दक्षता से कार्य हो पाए। अत्यधिक लम्बी तरंगें प्रायोगिक नहीं हैं, क्योंकि उनके हेतु अत्यधिक लम्बा एण्टीना चाहिए, जो सम्भव नहीं है। हालांकि वे भी कभी-कभी तड़ित (बिजली) गिरते समय बनती हैं। रेडियो तरंगें अन्य प्रक्रिया से भी बनी हैं, परन्तु वे सुदूर गहन अन्तरिक्ष में ही बनती हैं।

दूरभाष संचार (Telephone Communication)

दूरभाष, दूरसंचार का एक उपकरण है। यह दो या कभी-कभी अधिक व्यक्तियों के बीच बातचीत करने के काम आता है। विश्व भर में आजकल यह सर्वाधिक प्रचलित घरेलू उपकरण है।

बेल के अनुयायियों एवं उत्तराधिकारियों ने अमरीका में दूरभाष संचार व्यवस्था का प्रसार किया। पहले बड़े-बड़े नगरों में, उसके बाद एक नगर से दूसरे नगर के लिए (जिसे कालान्तर में ट्रक व्यवस्था कहा गया) दूरभाष प्रणालियों की प्रतिष्ठा हुई। कुछ वर्षों के उपरान्त अमरीकन दूरभाष और तारप्रेषण कम्पनी ने बेल कम्पनी से दूरभाष प्रणाली का स्वामित्व क्रय कर लिया। इस कम्पनी ने द्रुत गति से अमरीका में दूरभाष लाइनों का जाल बिछाने का कार्य प्रारम्भ कर दिया।

दूरभाष प्रणाली (Telephone System)

दूरभाष प्रणाली की सफलता ने यूरोप में भी हलचल मचा दी। पहले तो अनेक देशों की सरकारों ने अपने देश में इस प्रणाली को लागू करने में लापरवाही प्रदर्शित की, क्योंकि उन सरकारों ने तारप्रेषण प्रणाली पर अपना आधिपत्य बना रखा था और उन्हें भय था कि दूरभाष प्रणाली की प्रतिष्ठा से तारप्रेषण प्रणाली द्वारा होने वाली आय पर आघात पहुँचेगा। किन्तु जर्मनी और स्विट्जरलैंड की सरकारों ने दूरभाष की महान उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा नियोजित दूरभाष व्यवस्था अपने-अपने देशों में प्रतिष्ठित की। इससे प्रभावित होकर फ्रांस, बेल्जियम, नॉर्वे, स्वीडेन और डेनमार्क ने भी ग्रामसमाजों तथा अन्य तत्सदश गैर-सरकारी संस्थाओं के माध्यम से देश के ग्राम्यांचलों में भी दूरभाष संचार प्रणाली का प्रारम्भ कर दिया।

ग्रेट ब्रिटेन ने पहले तो अपने देश में, उपर्युक्त भय के कारण, दूरभाष संचार प्रणाली आरम्भ करने के प्रति कोई उत्साह प्रदर्शित नहीं किया, किन्तु सन् 1880 में ब्रिटिश न्यायालयों के निर्णय के आधार पर इसे डाक विभाग का एक अंग मान लिया गया। पहले तो प्राइवेट कम्पनियों को दस प्रतिशत रायल्टी पर दूरभाष प्रणाली की स्थापना एवं प्रसार का अधिकार दिया गया, किन्तु जब नेशनल दूरभाष कम्पनी का इस व्यवसाय में एकाधिकार होने लगा तो ब्रिटेन की सरकार ने डाक विभाग और नगरपालिकाओं को इस व्यवसाय में उक्त कम्पनी की प्रबल स्पर्धा करने का निर्देश दिया। फलस्वरूप, नेशनल दूरभाष कम्पनी को बड़ी हानि उठानी पड़ी और अन्त में बाध्य होकर उय। कम्पनी ने एक समझौते द्वारा अपनी सम्पूर्ण दूरभाष प्रणाली तथा उसका स्वामित्व 1 जनवरी, 1912 ई. को डाक विभाग को हस्तान्तरित कर दिया। प्रथम विश्वयुद्ध के पूर्व तक तो दूरभाष संचार प्रणाली की दशा अत्यन्त दयनीय थी, किन्तु इसके उपरान्त जब ग्रेट ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति कुछ सुदृढ़ हुई, तो इसमें आश्र्चयजनक प्रगति हुई। 1911 ई. में जहाँ ग्रेट ब्रिटेन में केवल सात लाख पोस्ट ऑफिस दूरभाष थे वहाँ 1912 ई. में उनकी संख्या बढ़कर चालीस लाख हो गई थी।

स्वचालित प्रणाली (The Automatic System)

द्वितीय विश्वयुद्ध में दूरभाष निर्माण में प्रयुक्त होने वाली सामग्री का अभाव होने लगा था। इस कारण। स्वचालित दरभाष प्रणाली की प्रगति और विस्तार का कार्य अवरुद्ध हो गया था, किन्तु सरलता और सुविधा की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण होने के कारण विश्वयुद्ध की समाप्ति के साथ ही इस प्रणाली के विस्तार का कार्य अत्यन्त द्रुत गति से होने लगा। यदि 15 मील के अन्दर ही वार्ता करनी हो, तो ऑपरेटर की आवश्यकता नहीं पड़ती। ट्रंक काल के लिए भी स्वयंचालित प्रणाली का व्यवहार करने का प्रयत्न किया जा रहा है।

टेलीफोन यन्त्र की रचना (Structure of Telephone Machine)

टेलीफोन यन्त्र में एक प्रेषित (transmitter) और एक ग्राही (receiver) एक विशेष प्रकार के डिब्बे या केस के अन्दर रखे होते हैं। एक लम्बी डोर, जो वस्तुतः पृथग्न्यस्त (insulated) तारों का एक पुंज होती है, उस डिब्बे या केस के अन्दर की विद्युतप्रणाली से टेलीफोन सेट को जोड़ती है।

प्रेषित (Transmitter)-टेलीफोन का यह भाग ध्वनि ऊर्जा (acoustical energy) को विद्युत ऊर्जा | (electrical energy) में परिणत करता है। इसमें उच्चारित ध्वनि तरंगें एक तनुपट (diaphragm) में, जिसके पीछे रखे हुए कार्बन के कण परस्पर निकट आते और फैलते हैं, तीव्र कम्पन उत्पन्न करती हैं। इससे कार्बन के कणों में प्रतिरोध (resistance) क्रमश: घटता और बढ़ता रहता है। फलस्वरूप टेलीफोन चक्र में | प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा की प्रबलता भी कम या अधिक हुआ करती है। एक सेकंड में धारा के मान में जितनी बार परिवर्तन होत है उसे उसकी आवृत्ति (frequency) कहते हैं। साधारणतया प्रेषित 250 से 5,000 चक्र प्रति सेकंड तक की आवृत्तियों को सुगमता से प्रेषित कर लेता है और लगभग 2,500 चक्र प्रति सेकंड की आवृत्ति अत्यन्त उत्कृष्टतापूर्वक प्रेषित करता है। प्रेषित एवं ग्राही (receiver) की इस विशेषता के कारण ही। श्रोता को वक्ता की वार्ता ठीक ऐसी प्रतीत होती है मानों वह पास ही कहीं बोल रहा है।

साधारण प्रेषित में एक तनुपट होता है, जो सिरों पर अत्यन्त दृढ़ता से कसा रहता है। वक्ता के मुख से ध्वनि वायु के माध्यम से इस पर पड़ती है। उच्चरित ध्वनि की तीव्रता और मंदता के अनुसार पर्दे पर पड़ने वाली वायु दाब भी घटती बढ़ती है। कार्बन कणों पर दाब में परिवर्तन होने से उनका प्रतिरोध भी उसी क्रम से न्यूनाधिक हुआ करता है जिसके फलस्वरूप विद्युत धारा भी ध्वनि की तीव्रता के अनुपात में ही घटती बढ़ती है। कार्बन प्रकोष्ठ की रचना इस प्रकार की जाती है कि कार्बन की यान्त्रिक अवबाधा (impedance) न्यूनतम हो, ताकि प्रेषित को किसी भी। स्थिति के लिए उच्च अधिमिश्रण दक्षता (modulating efficiency) प्राप्त हो। अभीष्ट आवृत्ति अनुक्रिया (frequency response) प्राप्त करने के हेतु पर्दे को दोहरी अनुनादी प्रणाली (resonant system) से संयुग्मित (coupled) कर दिया जाता है, तो पर्दे के पीछे एक प्रकोष्ठ, प्रेषित करती है तथा एक प्लास्टिक के प्याले द्वारा निर्मित होती है। ये दोनों प्रकोष्ठ बुने हुए सूत्रों से ढके हुए छिद्रों द्वारा संयोजित होते हैं। सम्पूर्ण प्रेषित तन्त्र विशेष रूप से निर्मित प्रकोष्ठ में रखा जाता है।

ग्राही (Receiver)-ग्राही के परान्तरित्र (transducer) का कार्य विद्युत ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में | परिणत करना होता है। इसकी अवबाधा प्रायः 1,000 चक्र प्रति सेकंड के लिये 150 ओम होती है।

ग्राही तन्त्र प्रायः दो प्रकार के होते हैं।

  1. द्विध्रवी (bipolar) ग्राही और
  2. वलय आर्मेचर (ring armature) ग्राही।

‘टेलीफोन लाइना का कार्य प्रेषित से ग्राही तक संवादों का वहन करना है। प्रारम्भ में इसे लाह के तारा का उपयोग किया जाता था, किन्तु अब ताँबे के तारों का व्यवहार होता है, क्योंकि ताँबा लोहे की अपेक्षा उत्तम विद्यतचालक होता है और क्षीण विद्युतधारा को भी अपने में से प्रवाहित होने देता है। टेलीफोन लाइने प्रत्येक रेलीफोन को एक केन्द्रीय कार्यालय से संयोजित करती हैं, जिसे टेलीफोन केन्द्र (exchange) कहते हैं। इसा । प्रकार वे नगर के एक केन्द्र को दूसरे केन्द्रों से तथा एक नगर के मुख्य केन्द्र को दूसरे नगर के मुख्य केन्द्र से जोड़ती हैं। साधारणतया टेलीफोन लाइनें धरती से ऊपर, खम्भों (poles) के सहारे, एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाती हैं, किन्तु अब व्यस्त नगरों में जहाँ टेलीफोन व्यवस्था का जाल सा फैल गया है, भूमि पृष्ठ केबलों (cables) के रूप में इन्हें जोड़ा जा रहा है। एक भूमिपृष्ठ केबल में 4,000 टेलीफोन के तार रखे जाते हैं। ।

बहुत लम्बी दूरियों को पार करने वाली टेलीफोन तारों की प्रणालियों में निर्वात नलिकाएँ अथवा इलेक्ट्रॉनिक नलिकाएँ, जिन्हें तापायनिक (thermionic) नलिकाएँ कहते हैं, लगा दी जाती हैं। इनका कार्य लम्बी दूरी पार करने पर, क्षीण हो जाने वाली विद्युत्धारा की प्रबलता को प्रवर्धित करना होता है। इसके कारण टेलीफोन केबलो में बहुत पतले तारों को (जिनका प्रतिरोध मोटे तारों की अपेक्षा अधिक होता है) प्रत्युक्त कर सकना सम्भव हो गया है और परिणामस्वरूप एक केवल में अधिक संख्या में तार रखे जा सकते हैं। टेलीफोन तारों में विद्युत्धारा की प्रबलता स्थिर रखने के लिए भारण कुण्डली (loading coils) का भी प्रायः उपयोग किया जाता है।

उच्च आवृत्ति वाली प्रत्यावर्ती धारा के उपयोग से टेलीफोन प्रणाली में एक अन्य महत्वपूर्ण विकास हुआ है। टेलीफोन वार्ता द्वारा उत्पन्न होने वाली विभिन्न प्रकार की तरंगों को संयक्त करके प्रत्यावर्ती धारा एक वाहक धारा (carrier current) को जन्म देती है। केन्द्रीय संग्राही स्टेशन पर उन विभिन्न प्रकार के संकेत तरंगों की इस धारा में से छंटाई होती है और तब उन्हें उनके उचित स्थान को प्रेषित किया जाता है।

बेतार (Wireless)

उच्च आवृत्ति की रेडियो तरंगों को माइक्रोवेव कहते हैं। टेक्स्ट ग्राफिक्स, ध्वनि और चलचित्र को माइक्रोवेव में परिणित किया जा सकता है। माइक्रोवेव डाटा को दूरस्थ स्थानों तक प्रेषित करने का तारविहीन माध्यम है। माइक्रोवेव को निम्न दो प्रकार से संचालित किया जा सकता है

रिपीटर माध्यम व संचार उपग्रह के माध्यम से।

(i) रिपीटर माध्यम (Repeater Medium)-इस माध्यम में डाटा को पारबोलिक आकृति के एंटीना द्वारा प्रेषित किया जाता है। ये एंटीना ऊँची इमारतो, टावरों और पहाड़ों पर स्थित होते हैं जिससे संचरण क्षेत्र में कोई भौगोलिक बाधा संकेतों के प्रवाह में व्यवधान उत्पन्न नहीं करेगी।

(ii) संचार उपग्रह माध्यम (Communication Satellite Medium)-वृहद दूरी के संचार की लागत को कम करने के उद्देश्य से संचार उपग्रह का प्रयोग किया जाता है।

संचार उपग्रह दरसंचार के प्रयोजनों के लिए (कभी-कभी संक्षेप में SATCOM प्रयुक्त) अन्तरिक्ष में तैनात एक कत्रिम उपग्रह है। आधनिक संचार उपग्रह भू-स्थिर कक्ष, मोलनीय कक्ष, अन्य दीर्घवत्ताकार कक्ष और पृथ्वी के निचले (ध्रुवीय और गैर-ध्रुवीय) कक्ष सहित विभिन्न प्रकार के परिक्रमा-पथों का उपयोग करते हैं।

निश्चित (बिन्दु-दर-बिन्दु) सेवाओं के लिए, संचार उपग्रह पनडुब्बी संचार केबल के पूरक माइक्रोवेव रेडियो प्रसारण तकनीक उपलब्ध कराते हैं। उनका इस्तेमाल मोबाइल अनुप्रयोगों, जैसे-जहाज, वाहनों, विमानों और हस्तचालित टर्मिनलों तथा टी.वी. और रेडियो प्रसारण के लिए होता है, जहाँ केबल जैसे अन्य प्रौद्योगिकियों का अनुप्रयोग अव्यावहारिक या असम्भव है।

आपात स्थितियों के बहुमत में, स्थलीय वायरलेस बुनियादी सुविधाओं या तो आपदा से नष्ट हो जाता है या स्थलीय बुनियादी ढाँचे पर निर्भर नहीं रहती है वायरलेस संचार नेटवर्क का उपयोग करने के लिए आपात श्रमिकों के लिए यह महत्वपूर्ण बनाता है जो आपदा से नष्ट हो जाता है। उपग्रह वायरलेस संचार पर आपदाओं के आने पर। भी नुकसान होने की सम्भावना नहीं होती है। उपग्रहों का एक समूह लगभग पृथ्वी की पूरी सतह को कवर कर सकते हैं।

उपग्रह समाधान जल्दी से स्थापित किया जा सकता है। सैटेलाइट प्रौद्योगिकी; जैसे-इंटरनेट, डाटा, वीडियो. या वीडिओ आईपी के रूप में संचार सेवा । वीडियो, या वी प्रदान कर सकते हैं।

अनुप्रयोग (Application)

सैटेलाइट प्रौद्योगिकी नैरोबैंड और ब्रॉडबैंड आईपी संचार जैसे-इंटरनेट सेवाएँ, डाटा, वीडियो, या आवाज पर आईपी प्रदान कर सकते हैं।

हाथ वाले टर्मिनलों 64 Kbps डाटा दर प्रदान करता है। पोर्टेबल वीसेट एंटेना 4 एमबीपीएस डाटा दर प्रदान करते हैं और निश्चित स्थापित एंटेना 40 एमबीपीएस तक बैंडविड्थ ला सकता है।

प्रौद्योगिकी (Technology)

उपकरण (Devices)

1 हाथ में मोबाइल उपग्रह संचार-ये प्रणाली मोबाइल उपग्रह सेवा प्रदाताओं द्वारा प्रदान की जाती हैं। वे बहुत छोटे, सेल फोन के आकार के उपकरण साथ ही पेजर और वाहन में इकाइयों के माध्यम से पहुँच प्रदान करते हैं।

उपग्रह फोन के लिए कीमतों में $40 एक सप्ताह किराये के रूप में होते है जिनकी कीमत 400 से 2400 डॉलर के आस-पास तक होती है। इसकी सेवा किसी भी मोबाइल टेलीफोन प्रणाली के साथ एक प्रति मिनट के आधार पर दी जाती है। जो एक डॉलर प्रति मिनट के तहत शुरू होते हैं।

2. पोर्टेबल और ट्रांसपोर्टेबल मोबाइल संचार-मोबाइल उपग्रह प्रणाली, या टर्मिनलृ संचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है इसे कार, ट्रक या समुद्री पोत के अन्दर से संचालित किया जा सकता है तथा साथ ही हेलीकॉप्टरों और। वाणिज्यिक हवाई जहाज सहित अन्य विमान, से संचालित किया जा सकता है।

उपग्रह प्रणाली और उपकरण के प्रकार के आधार पर बिना विशेषज्ञ तकनीकी स्टाफ के इसे आमतौर पर 5 से 30 मिनट तक कहीं भी परिचालन किया जा सकता है

ये, पोर्टेबल मोबाइल या फिक्स्ड होते हैं जो सामान्य संचार प्रणाली, में उच्च उपग्रह टर्मिनल कीमतों के साथ के रूप में और अधिक मजबूत सेवाओं, उच्च विश्वसनीयता, तेजी से वितरण में परिचालन किया जा सकता है,

3. अचल उपग्रह संचार-अचल उपग्रह संचार टर्मिनल को आमतौर पर उपकरण एक सप्ताह से अधिक समय में स्थापित किया जाता है। सूचना क्रांति एवं सूचना प्रौद्योगिकी इस तरह की प्रणाली में वीसैट (वेरी स्मॉल अपर्चर टर्मिनल) की वण्यकता होती है और इसे कम गति डेटा प्रसारण से बहत व्यापक बैंडविड्थ और स्थानीय और राष्ट्रीय दूरसंचार बुनियादी ढाँचे को बदलने के लिए गर्ण प्रसारण गुणवत्ता वाले वीडियो के लिए सब कुछ देने के लिए विन्यस्त किया जा सकता है।

इस तरह की प्रणाली एक योग्य तकनीकी टीम द्वारा स्थापित किया जाना चाहिए।

प्रसार (Dissemination)

प्रसार परम्परागत संचार दृष्टिकोण के सिद्धान्त पर आधारित होता है जिसमें एक प्रेषक और रिसीवर शामिल होते हैं। परम्परागत संचार दृष्टिकोण में प्रेषक के भेजने वाली सूचनाओं को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ता है और मीवर यह प्रसंस्करण जानकारी इकट्ठा करता है और एक टेलीफोन लाइन की तरह, वापस जानकारी भेज देता है।

प्रसार के साथ, इस संचार मॉडल सिद्धान्त का केवल आधा भाग लागू किया जाता है सूचनाएँ बाहर भेजी और प्राप्त तो की जाती हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया जाता है। सन्देश किसी एक व्यक्ति को न देकर, सबको प्रसारण प्रणाली के अर्न्तगत भेजा जाता है। सूचना के इस प्रसारण का एक उदाहरण विज्ञापन, सार्वजनिक घोषणाओं और भाषणों के क्षेत्र में है।

प्रसार के उद्देश्य (Objectives of Dissemination)

1 व्यवहार बदलने के लिए (To change attitudes)

2 कार्यवाही शीघ्र करने के लिए (To prompt action)

3 प्रतिक्रिया को प्रोत्साहित करने के लिए (To stimulate feedback)

4 सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए (To promote services)

5 आवश्यकता को पूरा करने के लिए (To satisfy need)

दर्शकों का विभाजन (Audience Segmentation)

विभिन्न दर्शकों के क्षेत्रों की पहचान व परिभाषित करना।

प्रत्येक खण्ड के लिए प्रसार के विशिष्ट उद्देश्य को परिभाषित करना।

उनमें से वांछित कार्यवाही निर्दिष्ट करना।

दर्शकों के चैनलों, शैली, स्वर और प्रस्तुति जो सबसे अच्छी हो उसको समझना।

चैनल रणनीति (Channel Strategy) एक चैनल रणनीति सही माध्यम से सही लोगों को सही जानकारी प्राप्त करने के लिए रूपरेखा प्रदान करता है। शायद ही कभी एक चैनल सभी के लिए पर्याप्त होता है। बार-बार, कई चैनलों की जरूरत होती है।

1 इंटरनेट (Internet)

2 हॉटलाइन (Hotline)

3 प्रिंट (Print)

4 प्रसारण मीडिया (टीवी और रेडियो) [Broadcast media (TV & radio)]

5 घटनाएँ (Events)

6 विज्ञापन, आदि (Advertising etc.)

सूचना प्रबन्धन (Information Management) एक सूचना प्रबन्धन रणनीति निर्धारित करता है।

1 क्या जानकारी की जरूरत है (What information is needed)

2 यह कहाँ से अधिग्रहण किया जा रहा है (From where it is to be acquired)

3 इसे कैसे पैक किया जाना चाहिए (How it should be packaged)

4 इसे कैसे सुपर्द किया जाना चाहिए (How it should be delivered)

कार्यान्वयन (Implementation)

सचना प्रसार में एक या अधिक चैनल और मीडिया शामिल हो सकता है। यह सभी के साथ की होकर शामिल हो सकता है।

1 प्रभावी परियोजना प्रबन्धन (Effective project management)

2 रणनीतिक ढाँचे का स्थिर सन्दर्भ (Constant reference to the strategic framework

3 सभी सम्भावित मीडिया की महारत (Mastery of all potential media)

प्रसार के मूल तत्व (Basic Features of Dissemination)

1 प्रसार प्रक्रियायें और दृष्टिकोण उच्च गुणवत्ता के सन्दर्भित विशिष्ट सबूत द्वारा सूचित किया जाना चाहिए ।

2 सन्देश दर्शकों के लिए स्पष्ट, सरल, कार्यवाही उन्मुख और अनुरूप होना चाहिए।

3 प्रसार रणनीतियों में योजना सफलता को मापने के तरीके, दृष्टिकोण के प्रभाव का मूल्यांकन को | शामिल करना चाहिए।

4 विचार-सन्देश क्या है? दर्शक कौन है? दूत कौन है? सबसे अच्छी प्रसार विधि क्या है? अपेक्षित । परिणाम क्या है?

किसी दिए गए प्रसार की रणनीति की प्रभावशीलता नवाचार, लक्षित दर्शक, और सूचना चैनल के माध्यम पर निर्भर होते हैं। आम जनता के लिए जानकारी विशिष्ट संवाद स्थापित करने के लिए अनुपयुक्त हो सकती है। संगठनों के बीच प्रौद्योगिकीय नवाचार संगत नहीं हो सकते हैं। देश का विकास प्रसार रणनीतियों से जुड़ा हुआ है। सूचना चैनल, उद्देश्य, और लक्षित दर्शकों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

सूचना प्रसार के लिए प्रदर्शन के उपाय के उदाहरण हैं।

श्रेणी  (Category)                                                                    उदाहरण (Example)

सूचना सटीकता (Information Technology)                   प्रणाली में घटनाओं की संख्या और रिपोर्ट की गयी   घटनाओं का अन्तर। रिपोर्ट की गयी अनुमानित          सूचना और वास्तविक सूचनाओं का अन्तर। गलत सूचना के बारे में जनता से शिकायत प्राप्त करना।

 

सूचना समयबद्धता (Information timeliness)             औसत देरी समय के बीच जब एक घटना सत्यापित की जाती है और जब घटना के बारे में सूचना का    प्रसार व्यक्तियों को किया जाना हो।

सूचना प्रासंगिकता (information relevance)               लोगों की संख्या जो दिये गये सूचना घटक या इकाई का उपयोग करते हैं।

सूचना प्रसार संग्रह, विश्लेषण और सूचना के प्रसार के रूप में परिभाषित किया गया है। प्रसार की रणनीति की प्रभावशीलता नवाचार, लक्षित दर्शक और सूचना चैनल जैसे कारकों पर निर्भर करती है। रणनीति जो सामान्य प्रसारण के लिए अच्छी तरह से कार्य करती है।

प्रौद्योगिकी अभिसरण (Technological Convergence)

प्रौद्योगिकी अभिसरण समान कार्य को करने में विभिन्न तकनीकी प्रणालियों को विकसित करने की प्रवृत्ति है। कन्वर्जेस में पहले से अलग तकनीकों जैसे आवाज (टेलीफोनी सुविधाएँ), डेटा (उत्पादकता अनप्रयोगों), और वीडियो के रूप का उल्लेख कर सकते हैं। दूरसंचार अभिसरण, नेटवर्क अभिसरण या साधारण अभिसरण एक नेटवर्क में एकाधिक संचार सेवाओं को विस्थापित करने के लिए उभरते दरसंचार प्रौद्योगिकी और नेटवर्क वास्तुकला का वर्णन किया जाता है। कन्वर्जेंस कम्प्यूटिंग को आपस में जोड़ के रूप में परिभाषित किया गया है।

निम्न कन्वर्जेस सेवाएँ , पुरानी तकनीकों को बदलने और मौजूदा सेना प्रदाताओं के लिए बाजार में नई सेवा और नई मौंग का परिणाम होगा ।

वाँइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकाँल ( Voice Over Internet Protocol )

वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल कम्प्यूटर द्वारा संचार का एक तुल्यकालिक कॉन्फ्रेन्सिंग साधन है। इसका प्रयोग प्रसारण तकनीक के लिए किया जाता है। इस तकनीक में ध्वनि संचार अन्तर्जाल (वॉयस कम्युनिकेशन इंटरनेट) या पैकेट स्विच नेटवर्क के माध्यम से किया जाता है। प्रायः इंटरनेट टेलीफोनी, आईपीटेलीफोनी को वीओईपी के समानरूप में प्रयोग किया जाता है। यदि इंटरनेट ब्रॉडबैंड नेटवर्क के माध्यम से चल रहा है, तो इसे ब्रॉडबैंड टेलीफोनी व ब्रॉडबैंड फोन कहते हैं। यह सेवा अन्य समानान्तर सेवाओं से अपेक्षाकृत सस्ती होती है। यह दूरभाष सेवा आईपीटीवी सेवा के संग भी मिलती है। यह सेवा मोबाइल सेवा से भी सस्ती होती है, और इंटरनेट पर तो इसे मुफ्त भी प्रयोग किया जा सकता है।

मोबाइल टी.वी. (Mobile T.V.)

Information Technology Revolution

मोबाइल टीवी का मतलब आमतौर पर हाथ में लिए जा सकने वाले एक छोटे उपकरण से टेलीविजन देखना है। यह मोबाइल फोन नेटवर्कों पर प्रसारित होने वाले भुगतान टीवी प्रसारण या नियमित प्रसारण या एक विशेष मोबाइल टीवी ट्रांसमिशन प्रारूप के जरिये स्थलीय टेलीविजन स्टेशनों के माध्यम से मुफ्त प्राप्त की जाने वाली हो। सकती है।

कुछ मोबाइल टेलीविजन इंटरनेट से टीवी शो भी डाउनलोड कर सकते हैं, जिनमें रिकॉर्ड किये गये टीवी कार्यक्रम और पॉडकास्ट (रेडियो प्रसारण) भी शामिल हो सकते हैं, जिन्हें बाद में देखने के लिए मोबाइल डिवाइस पर डाउनलोड और संग्रहित किया जाता है। जेब के आकार का पहला मोबाइल टेलीविजन जनवरी 1977 में क्लाइव सिंक्लेयर दाग सार्वजनिक रूप से बेचा गया था। इसे माइक्रोविजन या एमटीवी-1 कहा जाता था। इसका 2 इंच का सीआरटी स्क्रीन था और यह पहला टेलीविजन था, जो विभिन्न देशों में संकेतों को पकड़ सकता था।

मोबाइल टीवी एक सेवा है. जो सेल फोन मालिकों को एक सेवा प्रदाता से उनके फोन पर टीवी देखने की अनुमति देता है। टेलीविजन डाटा या तो मौजदा सेललर नेटवर्क या प्रोपराइटी नेटवर्क के जरिये प्राप्त किया जा सकता है। दक्षिण कोरिया में। मोबाइल टीवी मोटे तौर पर उपग्रह डीएमबी (एस-डीएमबी) और स्थलीय डीएमबी (टी-डीएमबी) के रूप में। विभाजित है। हालांकि एस-डीएमबी में शुरू में अधिक सामग्री थी, लेकिन टी-डीएमबी को ज्यादा व्यापक लोकप्रियता हासिल हुई, क्योंकि यह मुफ्त है और इसमें आज देश में बेचे जाने वाले ज्यादातर मोबाइल हैंडसेटों की एक सुविधा शामिल है। मोबाइल टीवी भारत में भी उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध है। बीएसएनएल ने भारत के अपने पूर्वी और उत्तर पूर्वी क्षेत्रों के लिए इस सुविधा की शुरुआत की। 2007 में इसने भी (आईसी) नाम से एक मोबाइल टीवी सेवा का शुभारम्भ किया। आज, आईसी न केवल बीएसएनएल क्षेत्रों में, बल्कि पूरे भारत में (रिलायंस और टाटा इंडिकॉम सीडीएमए सेवाओं को छोड़कर) अन्य नेटवर्कों के लिए उपलब्ध है। कोई भी व्यक्ति स्ट्रीमिंग में सक्षम हैंडसेटों का उपयोग कर अपने मोबाइल पर साधारण एसएमएस (आईसी) 57575 नंबर पर भेजकर या http://www-isee-co-in पर और अधिक जानकारी के लिए लॉग ऑन कर इस एप्लीकेशन के डब्ल्यूएपी संस्करण को डाउनलोड कर सकता है या वहाँ तक पहँच हासिल कर सकता है।

आईपीटीवी (Internet Protocol Television)

इंटरनेट प्रोटोकॉल टेलीविजन (आईपीटीवी) में इंटरनेट, ब्रॉडबैंड की सहायता से टेलीविजन कार्यक्रम घरों तक पहँचता है। इस प्रणाली में टेलीविजन के कार्यक्रम डीटीएच या केबल नेटवर्क के बजाय, कम्प्यटर नेटवर्क में प्रयोग होने वाली टेक्नोलॉजी की सहायता से देखते हैं। वर्ष 1994 में ए.बी.सी का वर्ल्ड न्यूज नाउ पहला टेलीविजन कार्यक्रम था, जिसे इंटरनेट पर प्रसारित किया गया था। 1995 में इंटरनेट के लिए एक वीडियो उत्पाद तैयार किया गया, जिसका नाम आई.पी.टी.वी रखा गया था। लेकिन सबसे पहले संयुक्त राजशाही में टेलीविजन के कार्यक्रम इंटरनेट ब्रॉडबैंड की सहायता से प्रसारित किए गए और इस फॉर्मेट को भी आईपीटीवी नाम दिया गया। 20 अगस्त, 2008 को भारत सरकार ने भी इसे मंजूरी दे दी है, व भारत के कई शहरों में ये सेवा चालू हो चुकी है।

संचार नेटवर्क को स्वतन्त्र रूप से जानकारी के विभिन्न प्रकार के ले जाने के लिए डिजाइन किए गए थे। रेडियो ऑडियो के लिए डिजाइन किया गया था, और टीवी वीडियो के लिए डिजाइन किए गए थे। पुराने मीडिया टीवी और रेडियो के रूप में, निष्क्रिय दर्शकों के साथ नेटवर्क का प्रसारण कर रहे हैं।     दूरसंचार प्रौद्योगिकी के अभिसरण सभी जानकारी के रूपों, आवाज, डाटा और वीडियो के हेरफेर की अनुमति देता है।

प्रौद्योगिकी अभिसरण में तकनीकी और कार्यात्मक दोनों पक्ष होते हैं। तकनीकी पक्ष बुनियादी ढाँचे की क्षमता को प्रस्तुत करता है जो किसी भी प्रकार के डाटा को टान्सपोर्ट कर सकता है। जबकि कार्यात्मक पक्ष में उपभोक्ता कई कार्यों जैसे गणना का कार्य, मनोरंजन, आवाज को एक सहज तरीके से एक आद्वितीय डिवाइस के द्वारा निष्पादित करने में सक्षम होता है।

प्रौद्योगिकी अभिसरण नई मूल्यवर्धित सेवाओं. सविधा, क्षमता और बाजार और उपभोक्ता की पसन्द के विस्तार के विकास के लिए भारी अवसर प्रदान करता है। यह दूरसंचार ऑपरेटरों, सेवा प्रदाताओं, नीति निर्माताओं, से नए माहौल में समायोजन के कई मुद्दों को उठाता है।

अभिसरण के अवसर (Opportunity of Convergence)

यदि उचित प्रबन्धन द्वारा प्रौद्योगिकी अभिसरणक उपयोग किया जाता है तो देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ना (Increase Market Competition)

अभिसरण ने नए ऑपरेटरों और सेवा प्रदाताओं के लिए बाजार में प्रवेश की बाधाओं को कम कर दिया है। नए बाजार के खिलाड़ियों के उद्भव से उपभोक्ताओं को कम संचार लागत में वस्तुओं और सेवाओं को चुनने का अवसर प्रदान किया है।

नई सेवाओं और अनुप्रयोगों के उभार (Emergence of New Services and Application)

स्थापित कम्पनियों के अभिसरण में अधिक कुशलता से काम करने का अवसर मिलेगा। कन्वर्जेंस कम्पनियों के लिए नई बिक्री बाजार को खोलता है। नई अनुप्रयोग मनोरंजन (यानी ऑनलाइन गेमिंग) और समाजीकरण (अर्थात चैट रूम्स) के नए तरीकों को जन्म दिया है। आवाज के अभिसरण, वीडियो और डेटा उपभोक्ताओं के नए तरीके देता है। एक ही नेटवर्क पर टेक्स्ट और वीडियो भेजने के लिए तथा बात करने के लिए पहले की तुलना में काफी कम कीमत लगती है।

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सुविधा और सादगी (Convenience and Simplicity)

डिवाइस स्तर पर, उपभोक्ताओं को अभिसरण से होने वाली सुविधा के आनन्द का अवसर मिलता है। एक ही उपकरण में कई प्रकार की सेवाओं का उपयोग करने में सरलता और सुविधा प्राप्त की जा सकती है।

अभिसरण विश्व में चुनौंतियाँ (Challenges in Convergent World)

प्रौद्योगिकी अभिसरण से नए माहौल में समायोजन के लिए दूरसंचार ऑपरेटरों, सेवा प्रदाताओं. नीति निर्माताओं, नियामकों, और उपयोगकर्ताओं जैसे कई मुद्दों को उठाया गया है।

नई नियामक रूपरेखा (New Regulatory Framework)

एक ही मंच पर सेवाओं के संयोजन के बारे में प्रदाताओं को लाइसेंस और विनियमित करने के लिए चनौती पैदा हो रही है

बैंडविड्थ की कमी और इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड (Bandwidth Shortage & Infrastucture Upgrade)

अभिसरण नई सेवाओं और अनुप्रयोगों को जन्म देता है। वे जो ब्रॉडबैंड के उपयोग के साथ इस्तेमाल किये जाते हैं, प्रौद्योगिकी अभिसरण के विस्तार में इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने जैसी बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता होती है।

उपयोग ऑपरेटरों और सेवा प्रदाताओं द्वारा सामरिक संरेखण (Stretegic Alignment By Operators | and Service Provider)

बाजार बाधाओं को काफी कम कर रहे हैं। नए खिलाड़ियों की संख्या में वृद्धि से अनुमानित बाजार में प्रवेश और विभिन्न सेवा संकल की एक विस्तृत विविधता होती है। स्थापित ऑपरेटरों के लिए सेवा प्रदाताओं को उनके व्यापार मॉडल की रणनीतियों के पुनर्मल्यांकन के लिए आवश्यक हैं।

गोपनीयता, सुरक्षा और विश्वसनीयता (Privacy, Security & Reliability)

समाज तेजी से परस्पर और आईसीटी नेटवर्क, पर आश्रित हो जाता है उनके लिए मानव और कम्प्यूटर कमजोरियों का फायदा उठाने के लिए तेजी से नये तरीके पैदा हो रहे हैं। इस तरह की जोखिम को कम करने के। उपाय के लिए ऑपरेटरों, सेवा प्रदाताओं और उपयोगकर्ताओं को चुनौती दी जाती है। प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों के रूप में, नेटवर्क घुसपैठ, और वायरस हमला एक समान तरीके हैं जिससे अस्थिरता का खतरा बढ़ गया है।

Information Technology Revolution

अभ्यासार्थ प्रश्न (Exercise Questions)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

1 सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी क्या है? तथा इसके महत्व क्या हैं?

What is information and communication technology? And what are its uses?

2. प्रौद्योगिकी अभिसरण क्या है? प्रौद्योगिकी अभिसरण के अवसर बताइए।

What is Technological convergence ? Write opportunities of technological convergence.

3. प्रसार से आप क्या समझते हैं? सूचना प्रसार व ज्ञान प्रसार में अन्तर क्या हैं?

What do you understand by dissemination? What are the differences between information dissemination and knowledge dissemination?

4. आईटी डिप्लायमेंट क्या है? तथा उद्यम डिप्लायमेंट फ्रेमवर्क बताइए।

What is IT Deployment ? Write about the Enterprise Deployment framework.

5. सूचना प्रौद्योगिकी के समाज तथा व्यापार पर प्रभाव क्या हैं?

What are the impacts of information technology on Society and Trade ?

Information Technology Revolution

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

1. सूचना प्रौद्योगिकी की बुनियादी सुविधाएँ क्या हैं?

What are the basic applications of information technology?

2. सूचना प्रौद्योगिकी के विभिन्न घटक क्या हैं?

What are the main components of information technology ?

3. लेखन का आविष्कार कब हुआ तथा लेखन के साधन क्या थे?

When was writing invented and what were the sources of writing ?

4. मुद्रण मशीन से आप क्या समझते हैं?

What do you understand by printing machine ?

5. संचार उपग्रह क्या है?

What is a communication satellite?

Information Technology Revolution

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

1 सूचना प्रौद्योगिकी की बुनियादी सुविधाएँ हैं

(a) आर्थिक विकास की प्रक्रिया

(b) भूमण्डलीकृत

(c) आर्थिक संरचना के निर्माण में

(d) उपर्युक्त सभी

2. सूचना प्रसार के लिए प्रदर्शन के उपाय के उदाहरण हैं

(a) सूचना सटीकता

(b) सूचना समयबद्धता

(c) सूचना प्रासंगिकता

(d) उपर्युक्त सभी

3. सूचना प्रौद्योगिकी के घटक हैं

(a) कम्प्यूटर हार्डवेयर प्रौद्योगिकी

(b) कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी

(e) दूरसंचार व नेटवर्क प्रौद्योगिकी

(d) उपर्युक्त सभी

4. आईसीटी है-

(a) सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी

(b) सूचना एवं संगणक प्रौद्योगिकी

(c) सूचना एवं नियन्त्रण प्रौद्योगिकी

(d) इनमें से कोई नहीं

5. स्टैंडर्ड आईटी डिप्लायमेंट कार्य नहीं है

(a) बनाना (Build)

(b) पैकेज (Package)

(c) बाँटना (Distribute)

(d) उपर्युक्त सभी

6. गुटेनबर्ग टाइप के माध्यम से मुद्रण आविष्कार किया

(a) 1439

(b) 1450

(c) 1438

(d) 1455

7. भारत में सरकारी ‘इम्पेरियल रेडियो ऑफ इंडिया’ की शुरुआत हुई

(a) 1936

(b) 1945

(c) 1925

(d) 1932

8. प्रसार में शामिल होते हैं

(a) प्रेषक

(b) रिसीवर

(c) प्रेषक और रिसीवर

(d) इनमें से कोई नहीं

9. प्रौद्योगिकी अभिसरण में होता है

(a) तकनीकी प्रणालियों का विकास

(b) सूचना प्रौद्योगिकी का विकास

(c) सूचना प्रसार प्रौद्योगिकी

(d) इनमें से कोई नहीं

10. सूचना के स्तर हैं

(a) प्रथम स्तर की सूचना

(b) द्वितीय स्तर की सूचना

(c) तृतीय स्तर की सूचना

(d) उपर्युक्त सभी

[उत्तर-1. (d), 2. (d), 3. (d), 4. (a), 5. (d), 6. (a), 7. (a), 8. (c), 9. (c), 10. (d)]

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chetansati

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