BCom 1st year Insolvency Accounts Study Material notes In Hindi

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BCom 1st year Insolvency Accounts Study Material notes In Hindi

BCom 1st year Insolvency Accounts Study Material notes In Hindi: Act of Insolvency  Preferential Creditors  Practical Illustrations Statement of Affairs  Preferential Creditors  Practical Illustrations Statement Of Affairs of Ali Statement for Private Position Loans of Special types( Most Important Notes For BCom 1st Year Students )

Insolvency Accounts
Insolvency Accounts

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दिवालिया सम्बन्धी खाते

(Insolvency Accounts)

दिवालिये का अर्थ

(Meaning of Insolvency)

जब किसी व्यक्ति की समस्त सम्पत्तियों का मूल्य उसके दायित्वों की अपेक्षा कम रह जाता है, तो उसकी स्थिति दिवालिये जैसी हो जाती है। ऐसी स्थिति लेनदार एवं देनदार दोनों के लिये कष्टदायक होती है। लेनदारों को अपना रुपया वसूल होने की सम्भावना नहीं रहती और देनदार को अपना कारोबार चलाना कठिन हो जाता है, क्योंकि एक तो लेनदार उसे उधार देना बन्द कर देते हैं और दूसरे वे भुगतान करने के लिये उसे विवश एवं अपमानित करते रहते हैं।

दिवालिया अधिनियम (Insolvency Act) ऐसी स्थिति में उसे सहायता प्रदान करता है। जब किसी ऋणी (Debtor) को दिवालिया अधिनियम के अन्तर्गत आश्रय प्राप्त हो जाता है, तब उसे दिवालिया (Insolvent) कहा जाता है। दिवालिया घोषित हो जाने पर लेनदारों के तगादे बन्द हो जाते हैं और दिवालिये व्यक्ति को सम्पत्ति को लेनदारों में अनुपातिक रूप में वितरित करके उसे समस्त दायित्वों से मुक्त कर दिया जाता है।

भारत में Insolvent तथा Bankrupt शब्दों में कोई अन्तर नहीं किया जाता है और दोनों शब्द समान अर्थ में ही प्रयोग होते हैं। परन्तु इंग्लैंड में Insolvent उस व्यक्ति को कहते हैं जिसकी स्थिति दिवालिये जैसी हो जाती है और जब उसे न्यायालय द्वारा संरक्षण प्राप्त हो जाता है तब उसे Bankrupt कहा जाता है, अतः Bankrupt उस व्यक्ति को कहते हैं जिसे दायित्वों के विषय में न्यायालय का संरक्षण प्राप्त हो जाता है।

दिवालिये के अधिनियम

(Acts of Insolvency)

भारतवर्ष में दिवालिये से सम्बन्धित दो अधिनियम लागू हैं :

  1. प्रेसीडेन्सी टाउन्स दिवालिया अधिनियम, 1909 (Presidency Towns Insolvency Act, 1909),
  2. प्रान्तीय दिवालिया अधिनियम, 1920 (Provincial Insolvency Act, 1920)

प्रथम अधिनियम केवल बम्बई (मुम्बई), कलकत्ता (कोलकाता) एवं मद्रास (चेन्नई) शहरों में ही लागू होता है तथा दूसरा अधिनियम शेष भारत वर्ष में लागू होता है। यदि प्रश्न में यह नहीं दिया है कि दिवालिया कहाँ रहता है, तो प्रान्तीय दिवालिया अधिनियम लागू माना जाता है।

दिवालिया घोषित होने की विधि

(Procedure for Declaration of Insolvent)

दिवालिया अधिनियम के अन्तर्गत आश्रय केवल व्यक्ति अथवा साझेदारी फर्म को ही प्राप्त होता है, कम्पनी को नहीं। दिवालिया। घोषित होने की विधि निम्न प्रकार है :

[I] न्यायालय में प्रार्थना-पत्र (Petitioin in Court): यह प्रार्थना पत्र ऋणी अथवा ऋणदाता कोई भी दे सकता है। ऋणी द्वारा प्रार्थना-पत्र निम्न स्थिति में ही दिया जा सकता है :

  1. जब वह 500 रु० या अधिक धनराशि के लिये ऋणी है।
  2. वह ऋण का भुगतान करने में असमर्थ है।
  3. उसकी सम्पत्ति के सम्बन्ध में कुर्की का आदेश (Attachment Order) पारित हो गया है अथवा वह हिरासत में है।

ऋणदाता निम्न दशाओं में ऐसा प्रार्थना-पत्र दे सकता है :

  1. जब उसे ऋणी से 500 रु0 या अधिक धनराशि लेनी है।
  2. जब प्रार्थना-पत्र देने से पूर्व तीन माह के अन्तर्गत ऋणी ने दिवालिये का आचरण किया है। ऐसा आचरण निम्न परिस्थितियों में माना जायेगा :

(अ) यदि ऋणी ने 500 रु0 या इससे अधिक धनराशि का भुगतान करने से मना कर दिया है।

(ब) यदि लेनदारों को धोखा देने अथवा भुगतान में देर करने के इरादे से अपनी सम्पत्ति किसी तृतीय पक्ष को हस्तान्तरित करता है।

(स) यदि ऋणी अपनी सम्पत्ति का कपटपूर्ण हस्तान्तरण करता है।

(द) यदि ऋणी ने अपने लेनदारों का भुगतान के लिये मना कर दिया है।

(य) यदि ऋणी लेनदारों से बचने के लिये अपने निवास पर नहीं रहता है अथवा बाहर चला गया है।

(र) यदि ऋणी न्यायालय में दिवालिया घोषित होने के लिये प्रार्थना-पत्र देता है।

(ल) यदि ऋणी लेनदार द्वारा दिये गये नोटिस का पालन नहीं करता है।

(ब) यदि ऋणी के विपरीत न्यायालय का डिक्री आदेश निष्फल रहता है जिसके कारण वह जेल जाता है।

[I] सुनवाई (Hearing): आवेदन-प्राप्त होने के उपरान्त उस पर विचार करने के लिये न्यायालय एक तिथि तय करता है जिसकी सूचना ऋणी और लेनदारों को दी जाती है। इस तिथि को सुनवाई की तिथि (Date of Hearing) कहते हैं।

[III] दिवाला आदेश (Adjudication Order): सभी सम्बन्धित पक्षों को सुनकर यदि न्यायालय यह निर्णय करता है कि ऋणी को दिवालिया घोषित कर देना उचित है, तो दिवाला आदेश (Adjudication Order) पारित कर दिया जाता है जिसका परिणाम यह होगा कि ऋणी में अनुबन्ध करने की क्षमता नहीं रहेगी और वह अब कोई वैद्य लेन-देन नहीं कर सकता और न ही अब उसके लेनदार उस पर अपने धन के लिये तकाजा करेंगे।

[IV] निपटारा अधिकारी की नियुक्ति (Appointment of Settlement Officer): दिवाला आदेश के उपरान्त न्यायालय एक अधिकारी की नियुक्ति कर देता है जो ऋणी की समस्त सम्पत्तियों पर अपना कब्ज़ा कर लेता है। यह अधिकारी प्रान्तीय दिवालिया अधिनियम में आफिशिअल रिसीवर (Official Receiver) और प्रेसीडेन्सी टाऊन्स दिवालिया अधिनियम में आफिशिअल एसाइनी (Official Assignee) कहलाता है।

[V] सम्पत्तियों की वसूली तथा लेनदारों का भुगतान (Realisation of Assets and Payment to Creditors) : इस अधिकारी को वे सब अधिकार मिल जाते हैं जो ऋणी के होते हैं। यह दिवालिये व्यक्ति के व्यापार को कुछ समय, यदि लेनदारों के हित में समझता है, चला सकता है। ऋणी की सम्पत्तियों को विक्रय करके लेनदारों का क्रम से भुगतान कर सकता है। सुरक्षित लेनदारों का भुगतान करने के उपरान्त पूर्वाधिकारी लेनदारों का भुगतान किया जाता है और शेष धनराशि अरक्षित लेनदारों में उनके अनुपात में वितरित कर दी जाती है।

[VI] न्यायालय को रिपोर्ट (Report to Court) : अधिकारी अपना कार्य पूर्ण करने के उपरान्त अपनी रिपोर्ट न्यायालय को भेज देता है।

[VII] मुक्ति प्रमाण-पत्र (Discharge Certificate) : अधिकारी की रिपोर्ट आ जाने पर न्यायालय ऋणी को एक प्रमाण-पत्र, जिसे मुक्ती प्रमाण-पत्र (Discharge Certificate) कहते है, देता है। अब ऋणी समस्त ऋणों से मुक्त हो जाता है और उसमें अनुबन्ध करने क्षमता भी आ जाती है। वह अपना व्यापार फिर से आरम्भ कर सकता है।

ब्याज (Interest) : दिवाला आदेश हो जाने के बाद दिवालिये के लेनदार ब्याज की माँग नहीं कर सकते। परन्तु यदि सभी लेनदारों का पूर्ण भुगतान हो जाता है, तो उन्हें 6% ब्याज दिया जा सकता है।

आदाता (Receiver) द्वारा दिवालिये की सम्पत्ति को निम्न प्रकार से प्रयुक्त किया जाता है : ।

(1) जो सम्पत्ति पूर्ण रक्षित ऋणदाताओं (Fully Secured Creditors) के पास रहन होती है अथवा जिस सम्पत्ति पर अणटाताओं का ग्रहणाधिकार (Right of Lien) अथवा प्रभार (Charge) होता है, उसका इन देनदारियों का भुगतान करने के लिये।

योग किया जाता है। यदि इनकी सन्तुष्टि के उपरान्त कोई धनराशि शेष बचती है तो वह अन्य लेनदारों के भगतान के लिए प्रयक्त। की जाती है।

(2) जो सम्पत्ति आंशिक रक्षित ऋणदाताओं (Partly Secured Creditors) के पास रहन होती है अथवा उनके ग्रहणाधिकार में होती है या उस सम्पत्ति पर उनका प्रभार होती है तो उससे उनके ऋणों का भुगतान किया जाता है तथा शेष ऋण के लिये वह अरक्षित ऋणदाताओं के समान माने जाते हैं।

इसके उपरान्त सम्पत्ति के विक्रय से प्राप्त धनराशि तथा दिवालिये के देनदारों से प्राप्त धनराशि में से सर्वप्रथम पूर्वाधिकारी ऋणदाताओं (Preferential Creditors) का भुगतान किया जाता है।

शेष धनराशि को अन्य ऋणदाताओं (जो अरक्षित है) के ऋणों की सन्तुष्टि के लिये प्रयोग में लाया जाता है। सभी ऋणदाताओं . को भुगतान करने के पश्चात् (चाहे आंशिक भुगतान ही हो) ऋणी को ऋणों के सम्बन्ध में मुक्त कर दिया जाता है और वह फिर से | अपना कारोबार चलाने की स्थिति में हो जाता है, उसे मुक्त दिवालिया (Discharged Insolvent) कहते हैं। उसे इस आशय का । न्यायालय से एक प्रमाण पत्र भी मिलता है जिसे मुक्ति पत्र (Discharge Certificate) कहते हैं।

ऋणी द्वारा बनाये जानी वाली सूचियाँ

(Lists to be Prepared by the Debtor)

दिवालिया अधिनियम के अनुसार ऋणी को दिवालिया घोषित किये जाने पर. 30 दिन के अन्दर, अपनी समस्त सम्पत्तियों एवं देनदारियों का विवरण प्रस्तुत करना होता है। उसे अपनी देनदारियों की सचियाँ (Lists of Liabilities), अपनी सम्पत्तियों की सूचियाँ (Lists of Assets), एक स्थिति विवरण (Statement of Affairs) तथा एक न्यूनता खाता (Deficiency Account) बनाना होता है।

देनदारियों की सूचियाँ (Lists of Liabilities) : ___

ऋणी के लिये यह उचित होता है कि वह विभिन्न श्रेणी के ऋणदाताओं की अलग-अलग सूचियाँ बनाये, जो निम्न प्रकार होती

सूची अ (List A) : यह ऋणी के समस्त अरक्षित ऋणदाताओं (Unsecured Creditors) की सूची होती है। इसमें व्यापारिक लेनदार (Trade Creditors), देय बिल (Bills Payable), असुरक्षित ऋण (Unsecured Loans), असुरक्षित बैंक अधिविकर्ष (Unsecured Bank Overdraft), अरक्षित निजी दायित्व (Unsecured Private Liabilities), घरेलू ऋण (Household Debts), भुनाये गये बिलों पर अनुमानित दायित्व (Estimated Liability on Bills Discounted) पत्नि के निजी साधनों से ऋण (Loan from Wife from her Private Sources), ऐसे लेनदार जो पूर्वाधिकारी लेनदारों की सूची में सम्मिलित नहीं किये जाते (Creditors which are not included in the List of Preferential Creditors) आदि को सम्मिलित किया जाता है।

List : A

Unsecured Creditors

Serial Number           Name of Creditors               Address and Occupations        Amount Rs      When  Contracted             Consideration Remarks

Year           Month

सूची ब (List B) : यह ऋणी के समस्त पूर्ण रक्षित ऋणदाताओं (Fully Secured Creditors) की सूची होती है। इस सूची में ऐसे ऋणों का विवरण होता है जिनके ऋणी को दिये गये ऋणों की अपेक्षा प्रत्याभूति का मूल्य (Value of Security) अधिक होता है या समान होता है। यदि किसी ऋणदाता का ऋण 50,000 रुपये का है और उसके पास बदले में दी गयी प्रत्याभूति का मूल्य 80,000 रुपये है तो ऐसा ऋण पूर्ण रक्षित ऋण होता है।

List : b

Fully Secured Creditors

Serial Number          Name of Creditors               Address and Occupations        Amount Rs

When      Consideration Remarks        Estimated Value of Security   Estimated Surplus Remarks

Year  Month

सूची स (List C): यह ऋणी के अंशतः रक्षित ऋणदाताओं (Partly Secrued Creditors) की सूची होती है। इस सूची में ऐसे ऋणदाताओं के ऋणों का विवरण होता है जिनके द्वारा ऋणी को दिये गये ऋणों की अपेक्षा प्रत्याभूति का मूल्य (Value of Security) कम होता है। यदि किसी ऋणदाता का ऋण 10,000 रुपये का है और उसके पास बदले में दी गयी प्रत्याभूति का मूल्य केवल 8,000 रुपये ही है, तो ऐसा ऋण अंशतः रक्षित होता है।

List : C

Partly  Secured Creditors

Serial Number          Name of Creditors               Address and Occupations        Amount Rs

When

Year Month

Consideration        Particular Art of  Security    Estimated Value of Security   Estimated Balance of Debit to Rank    Remarks

सूची द (List D) : यह पर्वाधिकारी ऋणदाताओं से सम्बन्धित सची होती है। इनमें ऐसे ऋण सम्मिलित किये जाते हैं जो अन्य ऋणदाताआ की अपेक्षा भगतान के लिये विशेष पर्वाधिकार रखते हैं। इसमें ऐसे ऋण सम्मिलित होते हैं जो (1) कन्द्राय, प्रदशाय अथवा स्थानीय सरकार को देय है तथा (2) दिवालिया घोषित किया जाने से 4 माह पूर्व तक की अवधि में दिवालिये के यहा लिपिक अथवा मजदूर के रूप में अर्पित की गई सेवाओं का प्रतिफल है। (3) प्रेसीडेन्सी दिवालिया अधिनियम में भूस्वामी को देय एक माह का किराया।

List : D

Partly  Secured Creditors

Serial Number          Name of Creditors                       Address and Occupations     Nature of claim

Period During          Which Claim Accured and Due          When Due Date           Amount  Payable in Full Rs                            Remarks

सम्पत्ति से सम्बन्धित सूचियाँ (Lists of Assets) :

सूची य (List E) : इस सूची में दिवालिये की सम्पत्ति, जैसे : रोकड़ शेष, बैंक शेष, यन्त्र एवं मशीन, भवन, स्टॉक, फर्नीचर आदि सम्पत्ति का विवरण होता है। जो सम्पत्तियों लेनदारों के पास प्रत्याभूति के रूप में रहन होती है, उन्हें इस सूची में सम्मिलित नहीं किया जाता है।

List : E

Property

Name of Property           Book Value           Estimates to Produce

Rs                                  Rs

सूची र (List F) : इस सूची में दिवालिये के देनदारों का विवरण होता है। देनदारों से प्राप्त होने वाली धनराशि को तीन भागों में विभाजित किया जाता है : (i) पूर्ण प्राप्य ऋण (Good Book Debts). (ii) संदिग्ध ऋण (Doubtful Debts), (iii) अप्राप्य ऋण (Bad Debts)

List : F

Books Debits

Serial           Name of Debtors         Address and Occupations                 Amount

Good                Doubtful              Bad

Rs                         Rs                     Rs

Estimates To Produce           Security Held if any

 

 

1/We…….. make Oath/solemmly affirm, and say, that the above statement and several lists here into annexed A, B, C, D, E, F, G and H are to the best of my/our knowledge and belief a full, true and complete statement of my/our affairs on the date of the above mentioned order of adjudication made against me/us. Affirmed at …….. ……….this…….. … ………… day of…. Sworn (Signature)…………… Commissioner

न्यूनता खाता अथवा कमी खाता (Deficiency Account) : अन्त में ऋणी एक न्यूनता खाता अथवा कमी खाता (Deficiency Account) बनाता है जिसका उद्देश्य यह समझाना होता है कि ऋणी की पूँजी किस प्रकार नष्ट हुई तथा स्थिति विवरण में दिखायी गयी कमी (Deficiency) किस प्रकार हुई। यह खाता लाभ-हानि खाते के विपरीत होता है। इसके डेबिट पक्ष की ओर सम्पत्तियों का दायित्वों पर आधिक्य, पूँजी पर ब्याज, व्यापारिक लाभ, अन्य लाभ तथा स्थिति विवरण में दिखायी गयी कमी आदि दिखाई जाती है तथा क्रेडिट पक्ष की ओर दायित्वों का सम्पत्तियों पर आधिक्य, व्यापारिक हानि, आहरण, भुनाए गए बिलों के अप्रतिष्ठित होने से हानि, देनदारों से प्राप्तियों पर हानि तथा सम्पत्ति के विक्रय एवं बिलों पर हानियाँ दिखायी जाती हैं। खाते के दोनों। पक्षों का योग बराबर होता है। यदि इस खाते के दोनों पक्षों में अन्तर रह जाए तो प्रारम्भिक चिट्ठा अथवा तलपट बनाना चाहिए। यदि चिट्ठे अथवा तलपट में भी इतना ही अन्तर आता है तो अन्तर को अन्य हानि या अन्य लाभ माना जा सकता है। न्यूनता खाते का कोई प्रारूप नहीं है किन्तु यह खाता निम्न प्रकार से बनाया जाता है :

पूर्वाधिकार ऋणदाता

(Preferential Creditors)

पूर्वाधिकार ऋणदाताओं (Preferential Creditors) के विषय में प्रेसीडेन्सी टाउन्स दिवालिया अधिनियम, 1909 एवं प्रान्तीय दिवालिया अधिनियमए 1920 की व्यवस्थाओं में अन्तर है जो निम्न प्रकार हैं :

 

नोट : कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम (Workmens’ Compensation Act) तथा फैक्ट्रीज अधिनिय (Factories Act) के। अन्तर्गत देय धनराशि दोनों अधिनियमों में ‘पूर्वाधिकारी मानी जाती है।

प्रेसीडेन्सी टाउन्स दिवालिया अधिनियम, 1909 तथा प्रान्तीय दिवालिया अधिनियम, 1920 में अन्तर

(Differnece between Presidency Towns Insolvency Act, 1909 and Provincial Insolvency Act, 1920)

 

स्थिति विवरण तथा आर्थिक चिठे में अन्तर

(Difference between Statement of Affairs and Balance Sheet)

स्थिति विवरण तथा आर्थिक चिट्टे में ही सम्पत्ति एवं दायित्वों का विवरण होता है, किन्तु दोनों में मुख्य अन्तर निम्नलिखित

(1) समय (Time) : आर्थिक चिट्ठा एक चालू व्यापार की स्थिति में प्रत्येक वर्ष की तिथि पर खातों के शेषों से बनाया जाता है। स्थिति विवरण किसी व्यक्ति अथवा फर्म के दिवालिया होने पर ही बनाया जाता है।

(2) बनाने का कारण (Reason of Preparation) : स्थिति विवरण व्यापारी की आर्थिक कठिनाइयों में बनाया जाता है। और इसमें कमी को दिखाया जाता है। आर्थिक चिट्ठा व्यापारी की आर्थिक स्थिति प्रत्येक वर्ष की एक निश्चित तिथि को दर्शाता है, इसमें बताया जाता है कि व्यापारी की क्या सम्पत्तियाँ एवं दायित्व हैं, इसमें प्रायः सम्पत्ति का दायित्व पर आधिक्य दिखाया जाता है जो चिट्टे की तिथि को व्यापारी की पूँजी होती है।

(3) मूल्य (Value) : आर्थिक चिट्टे में सम्पत्तियों के पुस्तकीय मूल्य दिखाये जाते हैं परन्तु स्थिति विवरण में सम्पत्तियों के प्राप्य मूल्य ही दिखाये जाते हैं।

(4) ऋणदाताओं और ऋणों का प्रदर्शन (Presentation of Creditors and Loans) : आर्थिक चिट्टे में पूर्ण रक्षित, आंशिक रक्षित, अरक्षित तथा अधिमान्य लेनदार एवं ऋणों को अलग-अलग नहीं दिखाया जाता, जबकि स्थिति विवरण में इन्हें अलग-अलग दिखाया जाता है।

(5) अधिमान्य लेनदार (Preferential Creditors) : आर्थिक चिट्टे में अधिमान्य लेनदार दायित्वों के योग में ही सम्मिलित रहते हैं किन्तु स्थिति विवरण में इन्हें सम्पत्तियों में से घटाया जाता है।

(6) लाभ-हानि खाता तथा न्यूनता खाता अथवा कमी खाता (Profit & Loss Account and Deficiency Account) : आर्थिक चिट्ठे के साथ लाभ-हानि खाता बनाया जाता है, जबकि स्थिति विवरण के साथ न्यूनता खाता अथवा कमा खाता बनाया जाता है।

(7) पूँजी (Capital) : आर्थिक चिठे में व्यापारी की पूँजी, लाभ अथवा हानि एवं आहरण दिखाये जाते हैं परन्तु स्थिति विवरण में इन मदों को सम्मिलित नहीं किया जाता है।

(8) कृत्रिम सम्पत्तियाँ (Fictitious Assets): आर्थिक चिट्टे में कृत्रिम सम्पत्तियाँ, जैसे- ख्याति, प्रारम्भिक व्यय, व्यापारिक हानि आदि को दिखाया जाता है जबकि स्थिति विवरण में विक्रय योग्य सम्पत्तियों को तीन भागों में विभाजित किया जाता है और इनका मूल्य अनुमानित प्राप्य मूल्य पर दिखाया जाता है।

(9) उद्देश्य (Object): आर्थिक चिट्टे का उद्देश्य व्यापारी की आर्थिक स्थिति को दिखाना होता है जबकि स्थिति विवरण का उद्देश्य कमी (Deficiency) ज्ञात करना होता है।

लाभ-हानि खाते तथा न्यूनता खाते अथवा कमी खाते में अन्तर

(Difference between Profit & Loss Account and Deficiency Account)

लाभ-हानि खाते तथा न्यूनता खाते अथवा कमी खाते में मुख्य अन्तर निम्नलिखित हैं: ।

(1) समय (Time) : लाभ-हानि खाता प्रत्येक वर्ष के अन्त में बनाया जाता है जबकि न्यूनता खाता अथवा कमी खाता दिवालिया होने पर ही बनाया जाता है।

(2) पक्ष (Sides): लाभ-हानि खाते में आय जमा पक्ष (Credit side) में तथा व्यय नाम पक्ष (Debit side) में लिखे जाते हैं। न्यूनता खाते अथवा कमी खाते में इसके विपरीत होता है।

(3) उद्देश्य (Object) : लाभ-हानि खाते का उद्देश्य वर्ष भर के व्यापार का लाभ-हानि ज्ञात करना होता है जबकि न्यूनता खाता अथवा कमी खाता यह ज्ञात करने के लिये बनाया जाता है कि दिवालिये की कमी के क्या-क्या कारण थे।

(4) पूँजी (Capital) : लाभ-हानि खाते में सम्पत्तियों का दायित्वों पर आधिक्य (पूँजी) नहीं लिखा जाता है जबकि न्यूनता खाते अथवा कमी खाते में इसे लिखा जाता है।

(5) मदें (Items) : लाभ-हानि खाते में आय तथा व्यय की मदें होती हैं जबकि न्यूनता खाते अथवा कमी खाते में आहरण, व्यापारिक हानियाँ तथा सम्पत्तियों की वसूली पर हानियाँ आदि की मदें होती है।

(6) निजी सम्पत्तियों और दायित्वों का अन्तर (Difference of Private Assets and Liabilities) : निजी सम्पत्तियों तथा दायित्वों का अन्तर लाभ-हानि खाते में नहीं लिखा जाता है जबकि यह न्यूनता खाते अथवा कमी खाते में लिखा जाता है।

क्रियात्मक उदाहरण

(Practical Illustrations)

उदाहरण 1. राम ने अगस्त 1,2008 को दिवालिया होने के लिए प्रार्थना-पत्र दिया और उसकी देनदारियाँ निम्न प्रकार थी :

(1) आय कर (Income Tax) : Rs. 500

(2) मजदूरी (Wages):

राधे को देय 50 रु० प्रति माह की दर से जून तथा जुलाई 2008 को

घनश्याम को देय 60 रु० प्रति माह की दर से मार्च से जुलाई 2008 को

राघव को देय 100 रु० प्रति माह की दर से जनवरी तथा फरवरी 2008 को

(3) वेतन (Salaries):

राकेश को देय 300 रु० प्रति माह की दर से 4

माोहन का मोहन को देय 500 रु० प्रति माह की दर से 2 माह का

सोहन को देय 600 रु० प्रति माह की दर से 1 माह का

(4) बिक्री कर (Sales Tax) : Rs. 1,500

(5) एक कर्मचारी को श्रमिक क्षतिपूर्ति अधिनियम (Workmens’ Compensation Act) के अन्तर्गत देय धनराशि 350 रु०।

(6) तीन माह का किराया 450 रु०।

(7) प्रबन्धक का वेतन 1,500 रु0।

प्रान्तीय दिवालिया अधिनियम, 1920 तथा प्रेसीडेन्सी टाउन्स दिवालिया अधिनियम, 1909 के अन्तर्गत पूर्वाधिकारी लेनदार (Preferential Creditors) तथा अरक्षित लेनदार (Unsecured Creditors) ज्ञात करो।

Ram filed his Petition for Insolvency on 1st Auguest , 2008 His Liabilities were Follows :

(1) Income Tax Rs. 500. (2)

(2) Wages :

Payable to Radhey for June and July 2008 @ Rs. 50 per Month.

Payable to Ghanshyam from March to July 2008 @ Rs. 60 per Month.

Payable to Raghav for January and February 2008 @ Rs. 100 per Month.

(3) Salaries :

Payable to Rakesh for 4 Months @ Rs. 300 per Month.

Payable to Mothan for 2 Months @ Rs. 500 per Month.

Payable to Sohan for 1 Month @ Rs. 600 per Month.

(4) Sales Tax Rs. 1,500.

(5) Amount Payable to an Employee under the Workmens’ Compensation Act Rs. 350.

(6) Three Months Rent Rs. 450.

(7) Manager’s Salary Rs. 1,500.

Calculate Preferential Creditors and Unsecured Creditors under the Provincial Insolvency Act, 1920 and Presidency Towns Insolvency Act, 1909.

 

नोट : श्रमिक क्षतिपूर्ति अधिनियम के अन्तर्गत देय धनराशि दोनों अधिनियमों के अनुसार पूर्वाधिकार लेनदारों में सम्मिलित की जाती है। प्रबन्धक का वेतन अरक्षित होता है।

उदाहरण 2 . श्री प्रकाश ने 31 मई , 2008 को दिवालिया होने के लिये प्रार्थना पत्र दिया । इस तिथि पर उसकें निम्नलिखित लेनदार थे :

1 . 200 रु  प्रति माह प्रति लिपिक के हिसाब से 5 लिपिकों का तीन माह का वेतम ।

2 . जनवरी , 2008 के लिये एक श्रमिक की मजदूरी 160 ।

3 . श्रमिको की क्षतिपूर्ति की राशि 200 रु

4 . आयकर विभाग को देय राशि 400 रु बिक्रि कर विभाग की देय राशि 500 रु ।

5 . अप्रैल , 2008 माह का किराया 100 रु ।

  1. फरवरी, 2008 के लिये 4 श्रमिकों की मजदूरी 30 रु प्रति श्रमिक के हिसाब से देय है।

उपरोक्त से प्रान्तीय दिवालिया अधिनियम तथा प्रेसीडेन्सी टाउन्स दिवालिया अधिनियम के अनुसार पूर्वाधिकार लेनदार एवं। अरक्षित लेनदारों की राशियाँ कीजिए।

Mr. Shri Prakash submitted an Application for Insolvency on 31st May, 2008. Following were his Creditors :

  1. 1. Salaries of 5 Clerks @ Rs. 200 per Month for each Clerk for 3 Months.
  2. Wages of a Labourer for the Month of January 2008 Rs. 160.
  3. 3. Workmens’ Compensation Rs. 200.
  4. 4. Amount due to Income Tax Department Rs. 400; Sales Tax Department Rs. 500.
  5. 5. Rent due for the Month of April 2008 Rs. 100.
  6. Wages of 4 Labourers for the Month of February 2008 @ Rs. 30 per Labourer.

Find out the amount of Preferential and Unsecured Creditors under Provincial Insolvency Act and Presidency Towns Insolvency Act.

उदाहरण 3. श्री रमेश चन्द स्थिति विवरण बनाने के लिये आपकी राय लेता है। निम्न धनराशियाँ स्थिति विवरण में सचियों में किस प्रकार लिखी जायेंगी ?

  1. अरक्षित ऋण 1,00,000 रु०।
  2. निजी देनदारियाँ 5,000 रु०।
  3. बिल भनाए गए 4,000 रु० जिसमें से 2,500 रु0 के बिलों के अनादृत होने की सम्भावना है।

4 किशन से 30,000 रु० का ऋण भूमि व भवन को गिरवी रखकर लिया। भूमि व भवन का पस्तकीय मूल्य 29,000 रु0 है। और प्राप्य मूल्य 27,500 रु0 है।

  1. दिनेश से बीमा पॉलिसी पर प्रथम प्रभार का अधिकार देकर 20,000 रु० का ऋण लिया है। बीमा पॉलिसी का समर्पित मूल्य 25,000 रु0 है।
  2. दरें एवं करें 200 रु0।
  3. आयकर 200 रु०।

8 प्रतीक से. उपर्यक्त वर्णित बीमा पॉलिसी पर द्वितीय प्रभार का अधिकार देकर 17.500 रु0 ऋण के रूप में लिए।

  1. किराया 75 रु0 प्रति माह की दर से 4 माह का देय है।

10 15,000 रु का बैंक अधिवकर्ष जिसके लिये रमेश चन्द के मित्र सुरेश चन्द्र ने व्यक्तिगत गारन्टी दी है एवं सुरेश चन्द्र् ने 25,000 रु के अंश की प्रतिमूर्ति जमानत की तरह जमा की है ।

11 देये बिल 2,000 रु है ।

12 पत्नि से 7,500 रु का ऋण लिया है जिसमें  से पत्नि ने 7,000 रु का ऋण अपने पिताजी से लेकर दिया है ।

 

Notes: (1) In the case of Sole Trader’s Private Liabilities not secured are included in the List A.

(2) Bank Overdraft is Unsecured Creditor as Ramesh Chandra (Sole Trader) has not given any Security and

Guarantee and Security given by his Friend have no importance.

(3) Wife’s Loan to the extent of money received from her Father is liability, hence included in List

उदाहरण 4. आगरे के अली ने दिवालिया घोषित किए जाने के लिये 31 दिसम्बर, 2008 को प्रार्थना पत्र दिया। पुस्तकों से निम्न सूचना प्राप्त हुई।

उसे व्यापारिक लेनदारों को 30,000 रु० देने थे, और 50,000 रु0 के लेनदारों का स्टॉक पर बन्धक था, जिससे 8,000 रु० प्राप्त होने की आशा थी। 10,000 रु0 भूमि व भवन के बन्धक पर ऋण थे और 1,000 रु0 वेतन, मजदूरी एवं करों के देने थे। 10.000 रु० के विनिमय बिलों को बैंक से भुनाया गया था जिन पर 3.000 रु० संभावित दायित्व थे।

उसकी सम्पत्ति निम्न थी : प्रेषण पर माल 20,000 रु०, अनुमानित मूल्य 2,000 रु0, प्राप्त देनदार 18.000 रु०. संदिग्ध देनदार 6.000 रु०. अनुमानित प्राप्ति 3,000 रु०, अप्राप्य देनदार 15,650 रु०, भूमि व भवन जिसकी लागत 1.00,000 रु० थी तथा पस्तकीय मल्य 75.000 रु० था और अनुमानित प्राप्य मूल्य 50,000 रु0 था, फर्नीचर 2,000 रु0 अनमानित प्राप्य मल्य 1.000 रु0, स्टॉक 25,000 रु० अनुमानित प्राप्य मूल्य 8,000 रु०, रोकड़ 1,350 रु।

उसने 1 जनवरी, 2004 को 90,000 रु० की पूंजी से व्यापार आरम्भ किया। भूमि एवं भवन पर 5,000 वार्षिक हास लगाने तथा 5500 50 पँजी पर वार्षिक ब्याज लगाने के उपरान्त 2004 में 6,500 रु० तथा 2005 में 5.000 का लाभ हआ तथा 2006 2007 तथा 2008 में क्रमशः 6,000 रु0, 7,000 रु0 और 9,500 रु0 की हानि हुई। 14,500 रु0 की सट्टे में हानि हुई तथा उसके आहरण 4,000 रु० वार्षिक के थे।

स्थिति विवरण तथा न्यूनता खाता बनाइए।

Ali of Agra filed a petition to be declared insolvent on 31st December 2008 when his books showed as follows:

He owed Rs. 30.000 to Trade Creditors, 50,000 to Creditors having a Lien on Stock which was estimated to prodcue Rs. 8,000. Rs. 10,000 to Creditors having a Mortgage on Land & Buildings and Rs.

Salaries Wages & Taxes. Bills of Exchange for 10,000 had been discounted with the Bank and there was an Estimated Liability of Rs. 3,000 on them.

His Assets were : Consignment Rs. 20.000 Estimated to Realise Rs. 2,000, Book Debts : Good Rs. otful Rs. 6.000 estimated to realise Rs. 3,000, Bad Rs. 15,650, Land 15650. Land and Buildings Cost Rs.

1,00,000 valued Rs. 75,000 and Estimated to Produce Rs. 50,000, Furniture Rs. 2,000 Estimated to Produce Rs. 1,000 Stock in-Trade Rs. 25,000 Estimated to Produce Rs. 8,000, Cash 1,350.

He had commenced Business on Ist January, 2004 with a capital of Rs. 90,000. After charging Depreciation of Land and Buildings @ Rs. 5,000 and Interest on Capital @ Rs. 5,500 annually, the business resulted in Profit of Rs. 6,500 in 2004 and Rs. 5,000 in 2005 and Losses in 2006, 2007 and 2008 Rs. 6,000 Rs. 7.000 and 9,500 respectively. He also sustained a Loss of Rs. 14,500 is Speculation. His Drawings out of the Business were @ Rs. 4,000 annually.

Prepare Statement of Affairs and Deficiency Account

 

 

उदाहरण 5 31 दिसम्बर , 2008 फकीरचन्द ने दिवालिया घोषित किये जाने के लिये प्रार्थना पत्र दिया । इसकें खातों  से निम्न सूचना प्राप्त हुई :

सूचना प्राप्त हुई :

On 31st December, 2008 Fakir Chand filed his petition for being declared insolvent. Following information was obtained from his Books :

Rs.

Creditors for Purchases                                                                                60,000

Creditors Secured by Lien on Investments                                         45,000

Bills Payable                                                                                                       5,000

Creditors Secured by Stock                                                                       10,000

Liability on Bills Discounted (Expected to Rank 3,000)              8,000

Mortgage on Buildings                                                                               25,000

Preferential Creditors                                                                                  4,000

Creditors for Loan (including 600, being Two Months Rent)   20,000

Book Debts : Good                                                                                     12.000

Doubtful and Bad (Estimated to Produce 6,000)                         14,000

Consignment                                                                                                6,000

Investmets (Estimated to Produce 20,000)                                18,000

Stock (Estimated to Produce 25,000)                                          45,000

Cash in Hand                                                                                                10

Cash at Bank Bills Receivable                                                          2,000

Buildings (Estimated to Produce 26,000)                                   35,000

Machinery, (Estimated to Produce 15,000)                                 20,000

Furniture (Estimated to Produce Rs. 1,500)                                 3,000

श्री फकीरचन्द ने 1 जनवरी 2004 को 50,000 रु की पूँजी से कोलकाता में व्यापार प्रारम्भ किया व्यापार के प्रथम दो वर्षो में 25,000 रु का लाभ तथा बाद के तीन वर्षों में 43,000 की हानि हुई । व्यापार की अवधि में उसनें 30,900 रु के आहरण किये । उसे 15,000 रु की सट्टे में हानि भी हुई ।

स्थिति विवरण एवं न्यूनता खाता बनाइए।

Shri Fakir Chand commenced Business at Kolkata on Ist January, 2004, with a Capital of Rs. 50,000. During the first two years of trading, he earned a Profit of Rs. 25,000 and last three years he sustained a Losses of Rs. 43.000. His Drawings for the period amounted to Rs. 30,900. He also sustained a Loss of Rs. 15,000 in Speculation.

Prepare Statement of Affairs and Deficiency Account

 

 

जब दिवालिये की निजी सम्पत्तियाँ तथा दायित्व दिये गये हों (When Private Assets and Liabilities of Insolvent are Given) :

यदि प्रश्न में दिवालिया व्यक्ति की निजी सम्पत्तियाँ तथा दायित्व भी दिए गये हों, तो स्थिति विवरण में इनको भी सम्मिलित कर लिया जाता है। न्यूनता खाते में निजी सम्पत्ति तथा दायित्व का अन्तर दिखाया जाता है। इसको ज्ञात करने के लिये निजी स्थिति का विवरण (Statement for Private Position) बना लेना चाहिये। न्यूनता खाते में, सम्पत्तियों का दायित्वों पर आधिक्य बायीं ओर इसके विपरीत दायीं ओर दिखाया जाता है।

उदाहरण 6. 31 दिसम्बर, 2007 को R के व्यापार में 700 रु० की पूँजी थी। 31 दिसम्बर, 2008 को समाप्त होने वाले वर्ष में उसने 780 रु० की हानि उठाई और उसके आहरण 700 रु0 थे। असन्तोषजनक आर्थिक स्थिति के कारण उसने दिवालिया होने के लिये प्रार्थना-पत्र दिया और 31 दिसम्बर, 2008 को रिसीविंग आर्डर पास कर दिया गया। उसकी सम्पत्तियाँ निम्न प्रकार थीं:

(अ) पुस्तकीय ऋण 1,000 रु0 जिसमें से 800 रु0 के प्राप्य देनदार थे और शेष में से अनुमानित प्राप्य धनराशि 100 रु0 थीं।

(ब) स्टॉक की लागत 1,500 रु० थी परन्तु उसकी अनुमानित प्राप्य धनराशि 900 रु० थी।

(स) प्लाट और मशीन की कीमत 1,600 रु0 थी जिसकी अनुमानित प्राप्य धनराशि 1,100 रु० थी।

(द) उसके निवास वाले मकान का मूल्यांकन 1,200 रु0 पर किया गया था और उसके स्वामित्व संलेख व्यापार के लिए 800 रु० के बैंक अधिविकर्ष के लिए बैंक के पास रखे थे। ‘

(य) जीवन बीमा पॉलिसी (समर्पण मूल्य 600 रु०) 1,000 रु0 के निजी ऋण की आंशिक प्रतिभूति में दी हुई है।

उसके अरक्षित लेनदार 4,030 रु० के थे और उसे अपने लिपिक को 30 नवम्बर, 2008 को समाप्त होन वाले दो माह के लिए 50 रु0 वेतन देना है। उसका स्थिति विवरण तथा कमी का खाता बनाओ।

The Capital in the Business of R on 31 December, 2007 was Rs. 700. During the year ended 31st December, 2008, he sustained a Trading Loss of Rs. 780 and his Drawings out of the Business were Rs. 700. Owing to Depreciation of Stock and his Unsatisfactory Financial Position he was compelled to file his petition for Insolvency and a Receiving Order was made against him on 31st December, 2008. His Assets consisted of :

(a) Book Debts Rs. 1,000 of which Rs. 800 were considered to be Good and the remainder wete Estimated to Produce Rs. 100.

(b) Stock-in-Trade (Cost Rs. 1,500) Estimated to Produce Rs. 900.

(c) Plant and Machinery (Cost Rs. 1,600) Estimated to Produce Rs. 1,100.

(d) Freehold Dwelling House valued at Rs. 1.200 the Deeds of which were lodged with the Bank ac Security for an Overdraft on Business Account of Rs. 800.

(e) Life Policy (Surrender Value Rs. 600) given as part Security for a Private Loan of Rs. 1.000.

His Unsecurted Creditors amounted to Rs. 4,030 and he owed Rs. 50 to his Clerk being Salary for 2! Months ended on 30th November, 2008.

Pepare his Statement of Affairs and Deficiency Account.

(c) Plant and Machinery (Cost Rs. 1,600) Estimated to Produce Rs. 1,100.

(d) Freehold Dwelling House valued at Rs. 1.200 the Deeds of which were lodged with the Bank ac Security for an Overdraft on Business Account of Rs. 800.

(e) Life Policy (Surrender Value Rs. 600) given as part Security for a Private Loan of Rs. 1.000.

His Unsecurted Creditors amounted to Rs. 4,030 and he owed Rs. 50 to his Clerk being Salary for 2! Months ended on 30th November, 2008.

Pepare his Statement of Affairs and Deficiency Account.

भुनाये गये बिलों पर दायित्व 500 रु  जिसमें से 100 रु माँगे जाने की आशा है

उसका  घरेलू फर्नीचर 250 रु का आँका गया । उसका एक मकान 750 रु मूल्य का है जो 4% ब्याज पर 600 रु मैं गिरवी रखा गया । इस पर पिघले 31 दिसम्बर , 2007 तक व्याज दिया जा चुका है ।

अधिमान्य लेनदार 35 रु के है ( जो विविध लेनदार में सम्मिलित हैं ) तथा  15 रुं मकान पर कर के शेष है । स्थति विवरण  तथा कमी खाता बनाइये।

Liabilities on Bills Discounted Rs. 500, Expected to Rank Rs. 100.

His Household Furniture etc., was valued at Rs. 250. He owned a House valued at Rs. 750, having a Mortgage on it of Rs. 600 at 4% Interest on which is paid upto the preceding 31st December, 2007.

Preferential Creditors amounted to Rs. 35, (included in Sundry Creditors) and Rs. 15 for Rates on the House. Prepare a Statement of Affairs and Deficiency Account.

 

 

 

 

 

विशेष प्रकार के ऋण

(Loans of Special Types)

विशेष प्रकार के ऋणों के सम्बन्ध में संक्षिप्त विवेचन निम्न प्रकार है।

  1. सम्भाव्य दायित्व (Contingent Liabilities) : कुछ ऋण स्थिति विवरण बनाये जाने वाली तिथि को देय नहीं होते वरन् किसी घटना के घटित होने पर हो सकते हैं। इन्हें सम्भाव्य दायित्व (Contingent Liabilities) कहते हैं। उदाहरण के लिये दिवालिये ने किसी अन्य व्यक्ति की जमानत दी हुई है अथवा उसके ऊपर कोई वाद/दावा न्यायालय में लम्बित है, जिसका निर्णय होने पर दिवालिये का दायित्व तय होगा। अब जब वह दिवालिया घोषित हो गया है, तो ऐसे सम्भावित दायित्व की अनुमानित राशि (Expected to Rank Amount) को अरक्षित लेनदारों (List A) में सम्मिलित किया जायेगा और न्यूनता खाते के दायें पक्ष में लिखा जायेगा।

2 पत्नि/पति से प्राप्त ऋण (Loan from Wife Or Husband) : व्यापार को सुचारू रूप से संचालित करने में ऋण लेने की आवश्यकता पड़ सकती है। ऋण बाहरी साधनों से अथवा घरेलू साधनों से प्राप्त किया जा सकता है। यदि पति व्यापार कर रहा है तो वह पत्नि से अथवा पत्नि व्यापार कर रही है तो वह अपने व्यापार के लिये पति से ऋण ले सकती है। ऐसे ऋण सकल दायित्व (Gross Liabilities) में तो सम्मिलित होते हैं परन्तु देय दायित्वों (Expected to Rank) में सम्मिलित नहीं किये जाते। इस सम्बन्ध में निम्न तथ्य महत्वपूर्ण हैं : __ यदि पति ने पनि के स्त्री धन (Stridhan) में से ऋण लिया है तो उसे देय दायित्वों में सम्मिलित किया जायेगा।।

पत्नि के ऋण के सम्बन्ध में निम्न बातें ध्यान देने योग्य हैं ।

(अ) जब पत्नि के ऋण को तलपट में नहीं दिखाया गया है और उसे लेनदारों में भी सम्मिलित नहीं किया गया है, तो उसके लिये कुछ नहीं करना है। परन्तु जब पत्नि का ऋण लेनदारों में सम्मिलित किया गया है, तो इसे न्यूनता खाते के दायें पक्ष में भी दिखाना होगा।

(ब) जब पत्नि का ऋण तलपट में दिखाया है और उसे दायित्व नहीं माना गया है, तो न्यूनता खाते के बायें पक्ष में पत्नि का ऋण दिखायेंगे परन्तु जब इसे दायित्वों में सम्मिलित किया गया है, तो न्यूनता खाते में इसे नहीं दिखायेंगे।

प्राय प्रश्न में तलपट नहीं दिया होता है तब तलपट बनाकर यह देख लेना चाहिये कि पत्नि का ऋण तलपट में सम्मिलित है अथवा नहीं। पत्नि से लिया गया ऋण सरक्षित तथा असरक्षित दोनों तरह का हो सकता है। किसी सूचना के अभाव में इसे असुरक्षित. ही मानना चाहिये।

3 ऋण जो पस्तकों में नहीं दिया है तथा अदत्त व्यय (Liability not shown in the Books and outstanding Expenses): कुछ ऋण अथवा दायित्व ऐसे भी हो सकते हैं जिनका पहले से लेखा नहीं हुआ है। अदत्त व्यय इसी प्रकार के होते हैं। इन्हें असुरक्षित लेनदारों (List A) अथवा अधिमान्य लेनदारों (Preferential Creditors) में जैसी स्थिति हो, जोड़ा जाता है। और न्यूनता खाते के दायें पक्ष में भी दिखाते हैं।

उदाहरण 9. श्री राजकुमार की सम्पत्ति 30 जन, 2008 को, उसकी पस्तकों द्वारा दर्शायी गयी, 70,000 रु0 और दायित्व 60.000 रु० के थे। उसने दिवालिया घोषित होने के लिये प्रार्थना पत्र दिया और अपनी न्यूनता का 40,000 रुपये का अनुमान लगाया। न्यूनता का उपरोक्त अनुमान लगाने के पश्चात उसे ज्ञात हुआ कि निम्न मदों की प्रविष्टियाँ उसके खाते में नहीं हुई थीं।

(क) 1 जनवरी, 2008 से उसकी पूँजी पर 6% दर से ब्याज।

(ख) संदिग्ध ऋण 3,000 रु0 जो कि 12,000 रु0 के बिल भुनाने के कारण थे।

(ग) देय धनराशि : मजदूरी 300 रु०, वेतन 700 रु0, किराया 300 रु0, कर 200 रु0, एक मजदूर को कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम के अन्तर्गत हर्जाना की बकाया धनराशि 100 रु०।

उसका स्थिति विवरण तथा न्यूनता खाता बनाइए।

The Assets of Shri Raj Kumar as on 30th June, 2008 as shown by his Books were Rs. 70,000 and his Liabilities Rs. 60,000. He filed his Petition for Insolvency and estimated his Deficiency to be Rs. 40,000. After making the above estimates, he found that the following items were not passed through his Account Books:

(1) Interest at 6% per annum on his Capital from 1st January, 2008.

(2) A Contingent Liability for Rs. 3,000 on Bills Discounted by him for Rs. 12,000.

(3) Amount due as Wages Rs. 300, Salaries Rs. 700, Rent Rs. 300. Taxes Rs. 200, Arrears of Compensation to a Workman under Workmens’ Compensation Act Rs. 100.

Prepare his Statemnet of Affairs and Deficiency Account.

 

 

संकेत : दिवालिये की पूँजी पर व्याज सम्मिलित नहीं किया जायेगा। प्रश्न के हल में प्रान्तीय दिवालिया अधिनियम, 1920 लागू। होता है। इसलिये किराये की धनराशि को असुरक्षित लेनदारों में सम्मिलित किया गया है। अन्य स्पष्ट सूचना के अभाव में मजदूरी और वेतन की सम्पूर्ण धनराशि को पूर्वाधिकार लेनदारों में सम्मिलित किया गया है।

उदाहरण 10 मोहन की सम्पत्तियां 1 अप्रैल 2008 को 44,000 रु थी। इनमें 4,000 रु की क मशीन भी सम्मिलित थी जिसका अनुमानित प्राप्य मूल्य 47% था । इसके दायित्व 40,800 रु के थे जिसमें से 1,600 रु के दायित्व मशीन द्धारा पूर्ण सुरक्षित थे । उसने दिवालिया होने के लिये प्रार्थना-पत्र दिया और बिना निम्न को दृष्टि में रखे 28,800 रुपए की अनुमानित कमी प्रकट की

रु

मजदूरी                                             6,00

वेतन                                              13,00

किराया                                               500

स्थिति विवरण एवं कमी खाता बनाओ।

Mohan’s Assets as on 1st April, 2008 were worth Rs. 44.000. These include a Machinery worth Rs. 4,000 which is estimate to realise 45%. His Liabilities were Rs. 40,800 out of which Rs. 1,600 were secured by Machinery. He filed his petition for Insolvency and estimated his Deficiency to be Rs. 28,800 without considering the following:

Rs.

Wages                                                          600

Salaries                                                     1300

Rent                                                          500

Prepare Statement of Affairs and Deficiency Account.

 

 

उदाहरण 11 30 जून , 2008 को एक व्यापारी की सम्पत्तियां 56,000 रु थीं  इनमें 12,000 रु की एक मशीन जिसका अनुमानित मूल्य 50% और फर्नीचर 4,000 रु का जिसका अनुमानित मूल्य 40% सम्मिलित थे । उसके दायित्व में निम्न थे

(i) मशीन द्धारा रक्षित ऋण 5,000 रु ।

(ii) फर्नीचर द्धारा रक्षित ऋण 3,000 रु ।

(iii) अरक्षित ऋण 36,000 रु ।

उसने दिवालिया घोषित होने के लिये प्रार्थना-पत्र दिया और अपनी कमी 24,000 रु० प्रकट की। यह अनु | करने के बाद पता चला कि निम्न का लेखा उसकी पुस्तकों में नहीं हुआ है :

वेतन 700 रु मजदूरी 300 रु तथा किराया 600 रु

उसका स्थिति विवरण तथा कमी का खाता बनाओ।

The Assets of a Merchant as on 30th June, 2008 were of Rs. 56,000. Included in these there were a Machinery worth Rs. 12.000 (Estimated to Produce 50%) and Furniture Rs. 4.000 (Estimated to Produce 40%). His Liabilities were :

(i) Loan Secured by Machinery Rs. 5,000.

(ii) Loan Secured by Furniture Rs. 3,000.

(iii) Unsecured Creditors Rs. 36,000.

He filed his petition for Insolvency and estimated his Deficiency to be Rs. 24,000. Afterwards, it was found that no entry for the following had been made in his books :

Salary Rs. 700; Wages Rs. 300 and Rent Rs. 600.

Prepare his Statement of Affairs and Deficiency Account.

Solution :

Working Notes: Total Assets = Rs. 56,000; Total Liabilities = Rs. 5,000 + 3,000 + 36,000 = Rs. 44,000; Estimated Deficiency = Rs. 24,000.

Capital = Total Assets – Total Liabilities = Rs. 56,000 – 44,000 = Rs. 12,000

Realisable Value of Total Assets = Total Liabilities – Estimated Deficiency = 44,000 – 24,000 = Rs. 20,000.

 

उदाहरण 12. नीचे दी गई सूचना के आधार पर 31-12-2008 के दिन ‘अवस्था-विवरण’ तथा ‘हीनता-लेखा’ निम्न परिकल्पनाओं की सहायता से तैयार कीजिये। स्कन्ध का एकीकरण 666 रु0 में, फिक्सचर्स एवं फिटिंग्स का 282 रु0 में, विनियोग का पुस्तक-मूल्य में तथा अशोध्य व संदिग्ध ऋणों का 600 रु0 में होता है। 1 जनवरी, 2006 को ऋणी ने 6,360 रु० की पूँजी से व्यापार प्रारम्भ किया। 2006 एवं 2007 में उसे 5,544 रु0 लाभ हुआ। 2008 में उसे 1,500 रु0 हानि हुई। 31-12-2008 तक उसके कुल आहरण की धनराशि 9,000 रु0 थी। समापन व्यय 88 रु० हुए। बताइये कि लेनदारों को क्या मिला।

रु०                                                                                                                                                                       रु०

रोकड़                                                    230                                                               अप्रतिभूति लेनदार

स्कन्ध                                              1,000                                                           (जिसमें से 1,000 रु0 उसकी पत्नि के हैं)                            13,000

देनदार : शुद्ध                                     7,000                                                         प्रतिभूति लेनदार                                                                     2,500

संदिग्ध                                              1,800                                                        लेनदारों के पास प्रतिभूतियों का मूल्य                                     3,500

अशोध्य                                            1,500                                                          अधिमान्य लेनदार                                                                    190

फिक्चर्स एण्ड फिटिंग                      564

अंशों में विनियोग                            500

From the following figures, prepare a Statement of Affairs and Deficiency Account as at 31-12-2008. Assume that Stock realises Rs. 666, Fixtures & Fittings realise Rs. 282. Investment in Shares realise at the Book Value and Doubtful Debts and Bad Debts realise Rs. 600. On 1st January, 2006, he commenced Business with a Capital of Rs. 6,360. His Profits for the years 2006 and 2007 amounted to Rs. 5,544. He suffered a Loss of Rs. 1,500 in the year 2008. His Total Drawings upto 31-12-2008 were Rs. 9,000. Estimating the Cost of Winding-up Rs. 88, calculate the payment received by the Creditors.

Rs.                                                                                                                           Rs.

Cash                                                           230                               Unsecured Creditors

Stock-in-i rade                                     1,000                           (including Rs. 1,000 of his Wife)                  13,000

Debtors : Good                                   7,000                            Secured Creditors                                                2,500

Doubtful                                                1,800                            Value of Securities held by Creditors         3,500

Bad                                                          1,500                             Preferential Creditors                                        190

Fixture and Fittings                            564

Investment in Shares                        500

 

 

नोट : समापन व्यय स्थिति विवरण और कमी के खाते में नहीं दिखाये जायेंगे। ये व्यय इनके बनने के बाद हुए हैं।

दिवालिया द्वारा किए गए हस्तान्तरण

(Transfers by The Insolvent)

दिवालिये द्वारा किए गए हस्तान्तरण के सम्बन्ध में निम्नलिखित बातें महत्वपूर्ण हैं :

(1) दिवालिये द्वारा सम्पत्ति का हस्तान्तरण (Transfer of Asset by Insolvent): यदि दिवालिया व्यक्ति ने दिवालिया घोषित होने से पहले दो वर्ष के अन्दर किसी सम्पत्ति का हस्तान्तरण उपहार, दान के रूप में किया है, तो ऐसा हस्तान्तरण व्यर्थ। (Void) माना जाता है और ऐसी सम्पत्तियाँ उसके ऋणों गतान में प्रयोग की जाती है। परन्तु निम्न हस्तांतरण वैध माने जाते हैं ।

(i) उचित प्रतिफल के बदले हस्तान्तरण।

(ii) पुत्री, बहन अथवा अन्य आश्रित महिला के विवाह पर हस्तान्तरण।

(2) सम्पत्तियाँ जो लेनदारों में नहीं बाँटी जाती (Assets not Divisible to Creditors) :

(अ) प्रेसीडेन्सी टाउन्स दिवालिया अधिनियम, 1909 की धारा 52 के अन्तर्गत निम्नलिखित सम्पत्तियाँ दिवालिया व्यक्ति के। लेनदारों में नहीं बाँटी जाती :

(i) 300 रुपये तक के घरेलू प्रयोग का फर्नीचर, बर्तन, वस्त्र तथा पेशे सम्बन्धी उपकरण आदि।

(ii) प्रन्यास (Trust) में रखी हुई सम्पत्ति।

परन्तु ख्याति प्राप्त स्वामित्व (Reputed Ownership) में रखी हुई सम्पति इस श्रेणी में नहीं आती है अर्थात् उसे लेनदारों में बांटा जाता है।

(ब) प्रान्तीय दिवाला अधिनियम, 1920 के अन्तर्गत निम्नलिखित सम्पत्तियाँ दिवालिया व्यक्ति के लेनदारों में नहीं बॉटी जाती:

(i) प्रन्यास में रखी सम्पत्ति

(ii) दीवानी प्रक्रिया संहिता (Civil Procedure Code) के अन्तर्गत कुर्क न की जा सकने वाली वस्तुएँ, जैसे- सुहाग का। जोड़ा, पहनने के कपड़े, रसोई के बर्तन, घरेलू फर्नीचर आदि।

(3) आहरण की धनराशि से पत्नी के लिये आभूषण क्रय करना (Purchase of Ornaments out of Drawings): यदि दिवालिया आहरण की धनराशि से पत्नि के लिये आभूषण बनवाता है, तो ये आभूषण भी उसके ऋणों का भुगतान के लिये प्रयोग किये जायेंगे। इन आभूषणों को निजी सम्पत्ति की तरह सूची ‘ई’ (List E) में दिखाया जायेगा और न्यूनता खाते में निजी सम्पत्ति का आधिक्य (Surplus of Private Assets) के नाम से बायें पक्ष में दिखाया जायेगा। यह व्यवस्स्था इस प्रवृति को रोकती है कि दिवालिया व्यक्ति प्रार्थना-पत्र देने से पहले अपने धन में से पत्नी के लिये आभूषण बनवा ले और इस प्रकार ऋणदाताओं को धोखा दे सके। परन्तु जो आभूषण पत्नि की अपने पिता, भाई आदि से मिले है उन्हें प्रयोग नहीं किया जायेगा।

(4) दिवालिये के ऋण की गारण्टी अथवा प्रतिभूति तृतीय पक्ष द्वारा देना (Guarantee Or Security of Insolvent’s Liability by Third Person) : कभी-कभी दिवालिये द्वारा लिये गये ऋण की गारण्टी अथवा प्रतिभूति उसके किसी सम्बन्धी, जैसे- पिता, भाई आदि या उसके किसी मित्र ने दी है, तो जब उसका स्थिति विवरण बनाया जायेगा उसमें इस प्रकार दी गई गारण्टी या प्रतिभूति पर ध्यान नहीं दिया जायेगा। यदि उसने कोई प्रतिभूति स्वयं नहीं दी है, तो वह ऋण असुरक्षित माना जायेगा और सूची ‘अ’ (List A) में सम्मिलित किया जायेगा।

(5) अवैध ऋण (Illegal Liability) : यदि ऋणी पर कोई दायित्व किसी अवैध व्यवहार के कारण उत्पन्न हुआ है, जैसे जुए में हारा धन, तो उस ऋण को किसी श्रेणी में सम्मिलित नहीं किया जायेगा क्योंकि अवैध व्यवहार व्यर्थ होता है।

(6) कपटपूर्ण पूर्वाधिकार (Fraudulent Preference) : कभी-कभी ऋणी अपनी किसी सम्पत्ति का हस्तान्तरण किसी एक लेनदार को, अन्य लेनदारों की उपेक्षा करते हुए, कर देता है। ऐसे हस्तान्तरण से सम्बन्धित लेनदार को उस धनराशि से अधिक धनराशि मिल जाती है जो उसे रिसीवर से लेनदारों में अनुपातिक वितरण द्वारा मिलती। ऐसा हस्तान्तरण कपटपूर्ण पूर्वाधिकार माना जाता है और जितने भी इस प्रकार के हस्तान्तरण, दिवालिया घोषित किये जाने के लिये प्रार्थना-पत्र देने के पूर्व के तीन माह के अन्दर, किये गये हैं, व्यर्थ हैं और रिसीवर को उस सम्पत्ति को वापस प्राप्त करने का अधिकार होता है।

(7) अज्ञात सम्पत्ति के लिये कमीशन (Commission on Undisclosed Property): यदि कोई व्यक्ति न्यायालय को ऋणी की किसी ऐसी सम्पत्ति का विवरण देता है जो ऋणी द्वारा घोषित की गयी सम्पत्तियों में नहीं है, तो प्रेसीडेन्सी टाउन्स दिवाला। अधिनियम के अन्तर्गत न्यायालय उस व्यक्ति को कमीशन दे सकता है। यह कमीशन उस सम्पत्ति के विक्रय मूलय में से घटाकर उस सम्पत्ति से प्राप्त मूल्य माना जायेगा।

उदाहरण 13. चेन्नई के श्री राम प्रकाश की निम्न सम्पत्तियाँ थीं :

भवन 5,000 रु0 (अनुमानित प्राप्य राशि 60%), फर्नीचर 2,500 रु0 (अनुमानित प्राप्य राशि 50%), प्लाण्ट एवं मशीन 10,000 रु० (अनुमानित प्राप्य राशि 11,000 रु०)।

उसके जीवन बीमा पॉलिसी (जिस पर 5,000 रु0 प्रीमियम चुकाया है) का समर्पण मूल्य 2,500 रु० था। उसका मकान 3,000 रु० मूल्य का है।

उसका स्थिति विवरण तथा कमी का खाता बनाओ।

Shri Ram Prakash of Chennai had the following Assets :

Buildings Rs. 5,000 (Estimated to Produce 60%); Furniture Rs. 2,500 (Estimated to Produce 50%); Plant and Machinery Rs. 10,000 (Estimated to Produce Rs. 11,000).

The Surrender Value of his Life Policy was Rs. 2,500 (Premiums Paid Rs. 5,000). His House was valued at Rs. 3,000.

Bank Overdraft Rs. 55,000 was secured by Mortgage on House. Loan from Ram Lal Rs. 2,500 was secured by Buildings. The Estimated Liability on Bills Discounted for Rs. 2,500 was Rs. 500.

Shri Ram Prakash is a Trustee of a Property valued Rs. 2,500. His Wife’s Ornaments were worth Rs. 5,000 out of which Rs. 1.000 were purchased out of money received from her father and the remaining were purchased from Drawings of her husband. Household Effects were worth Rs. 3,000.

His Private Liabilites were Rs. 7.500. He has to pay Rs. 250 for 2 Months’ Rent and Rs. 300 Salary to an Employee.

Shri Ram Prakash started Business one year before with a Capital of Rs. 25,000. His Loss during the year was Rs. 45,550 and Drawings amounted to Rs. 20,000.

Prepare his Statement of Affairs and Deficiency Account.

 

नोट : (1) ट्रस्ट की सम्पत्ति प्रयोग नहीं होगी ।

(2) पत्नि के वे आभूषण जो पिता के धन से क्रय हुए हैं प्रयोग नहीं किये जायेंगे।

(3)  घरेलू प्रयोग की वस्तुयें 3,000 में से  प्रसीडेन्सी टाउन्स दिवालिया अधिनियम , 909  की धारा 52 के अन्तर्गत केवल 2,700 रु लिये जायेंगे और 300 रु छोडं दियें जायंगें

उदाहरण 14. चन्द्रशेखर अपनेको 1-1-2008 को अवशोधक्षम्य पाता है । उसके लिये उस दिन का स्थति विवरण एक कमी का खाता बनाइए जो तीन वर्षों के बाद उस दिन समाप्त होने से हुआ है। सूचनायें जो आप उसकी स्थिति की पा सके हैं, वह निम्नलिखित हैं :

विविध देनदा (अच्छे 10,000 रु सदिग्ध 40,500 रु अनुमानित प्राप्य धनराशि 20,000 रु)

कैश लिमिटेडं में अंश ( अनुमानित प्राप्य धनराशि 91,000 रु )

अरक्षित लेनदार                                                                                                                                                       95,000

लेनदार जिन्हें विनियोग पर प्रथम बन्धक का अधिकार है।                                                                                40,000

लेनदार जिन्हें विनियोग पर द्वितीय बन्धक का अधिकार है, परन्तु यह 30,000 रु० तक सीमित हैं         35,000

भुनाये हुए प्राप्य विपन्न (जिनमें से 3,500 रु० के अनादृत हो जाने की सम्भावना है)                                    6,000

लेनदार किराया, कर इत्यादि (1,500 रु० के पूर्वाधिकार सम्मिलित हैं)                                                          3,000

फर्नीचर (अनुमानित प्राप्त धनराशि 3,000 रु०)                                                                                             4,000

नकद रोकड़                                                                                                                                                             120

स्टॉक (अनुमानित प्राप्त धनराशि (30,000 रु०)                                                                                           35,880

प्राप्य विपत्रक (अनुमानित प्राप्य धनराशि 7,000 रु०)                                                                                 13,000

हानि स्टॉक एक्सचेंज                                                                                                                                         15,000

उसने 1-1-2005 को 50,000 रु० की पूँजी से व्यापार शुरु किया था। प्रथम दो वर्षों में 27,500 रु0 का लाभ हुआ और तीसरे वर्ष में 5,000 रु0 की हानि हुई। उसे प्रारम्भिक पूँजी पर 6% वार्षिक दर से तीन वर्षों का ब्याज दिया गया। सम्पूर्ण समय के आहरण 26,000 रु० थे।

आहरण की धनराशि में से उसने अपनी पत्नि के आभूषण क्रय किए थे जो कि 3,000 रु0 की कीमत के थे। उसकी पत्नि के अपने आभूषण अपने पति के दायित्वों का भगतान करने के लिए प्रस्तत किए जिनसे 4,000 रु0 की धनराशि के प्राप्त होने की सम्भावना है। उसे जुए में हार के सम्बन्ध में 4,000 रु0 देने हैं।

Chandia Shekhar finds himself Insolvent on 1-1-2008. You are instructed to prepare his Statement of Affairs as at that date and the Deficiency Account for the three years ended on that date. The information you are able to obtain as to his position is as follows:

Sundry Debtors (Good Rs. 10,000; Doubtful Rs. 40,500; Estimated to Produce Rs. 20,000)

Rs.

 

Shares in Cash Ltd. (Estimated to Produce Rs. 91,000)                                                         1,10,000

Creditors on Open Account                                                                                                                  95,000

Creditors holding a First Charge on Investments                                                                      40,000

Creditors holding a Second Charge on Investments to the extent of Rs. 30,000       35,000

B/R Discounted (of which Rs. 3,500 are likely to be dishonoured)                                  6,000

Creditors for Rent, Taxes, etc. (Rs. 1,500 are Preferential)                                                3,000

Furniture (Estimated to Realise Rs. 3,000)                                                                                 4,000

Cash in Hand                                                                                                                                              120

Stock-in-Trade (Estimated to Realise Rs. 30,000)                                                                35,880

Bills Receivable (Estimated to Realise Rs. 7,000)                                                                 13,000

Loss on Stock Exchange                                                                                                                    15,000

He started Business on 1-1-2005 with a capital of Rs. 50,000. In the first two years, there was a Profit of Rs. 27.500 and in the third year there was a loss of Rs. 5,000. He has been allowed interest at 6% p.a. on his original capital for each of the three years. Withdrawals for the whole period amounted to Rs. 26.000.

Out of his withdrawals, he had purchased Jewellery for his Wife at a price of Rs. 3,000. His Wife offered this Jewellery towards paying the debts of her Husband. The Jewellery is expected to realise Rs 4,000. He has to pay Rs. 4,000 for a gambling loss

 

 

उदाहरण 15 X  अपने व्यापार के लेनदारों  का भुगतान करने में असमर्थ है । उनकी पुस्तकों से निम्न सूचना 31 मार्च , 2008 तो  को ज्ञात हुई ।

X is unable to meet his Business Obligations. The following information is ascertained from his Books as on 31st March, 2008:

Rs.

Creditors of Goods                                                                                             75,000

Bills Payable                                                                                                         5,000

Creditors Secured by Lien on Shares                                                        40,000

Creditors Secured by Lien on Stock                                                          15,000

Liability on Bills Discounted (Expected to Rank Rs. 3,00              7,000

Mortgage on Mill                                                                                              10,000

Creditors Payable in Full                                                                               3,000

Book Debts :  Good                                                                                       20,000

Doubtful                                                                                                             10,000

Estimated to Produce                                                                                 2,000

Consignment considered Good                                                              10,000

Shares (Estimated to Realise Rs. 16,000)                                        15,000

Stock (Estimated to Realise Rs. 40,000)                                          60,000

Mill (Estimated to Realise Rs. 11,000)                                            20,000

Machinery (Estimated to Realise Rs. 15,000)                             16,000

Fixture (Estimated to Realise Rs. 500)                                             3,800

Cottage (Estimated to Realise Rs. 1,800)                                       5,000

Cash at Bank                                                                                                 100

Bills of Exchange                                                                                     1,400

6 वर्ष पूर्व 1 अप्रैल को उसकी पूजीं 50,000 रु थी प्रथम 4 वर्षों में कुल अर्ज्रित लाभ 45,500 रु तथा अन्तिम 2 वर्षों में कुल हानि 25,000 रु थीं जो कि 2,500 रु प्रतिव्रर्ष पूजीं पर ब्याज लगाने के पश्चात् है इस अवधि  के कुल आहरण 77,200 रु थें ।

X का उस तिथि पर स्थिति विवरण तथा न्यूनता खाता बनाइये।

On 1st April six years ago, he had a Capital of Rs. 50,000. Profits were made Rs. 45,500 in the first four years and Losses of Rs. 25,000 were incurred in the two years after allowing Rs. 2,500 per Year for the Interest on Capital. Withdrawals amounted to Rs. 77,200 in all.

Prepare Statement of Affairs and Deficiency Account of X as on that date.

 

 

एक ही सम्पत्ति के बन्धक पर एक से अधिक बार ऋण लेना (Loan on the Security of an Asset more than once): ऋण की आवश्यकता पड़ने पर कोई व्यक्ति एक ही सम्पत्ति को रहन रखकर एक से अधिक बार ऋण ले सकता है। किसी ऋण के लिए प्रथम प्रभार (First Charge) दिया जाता है तथा किसी ऋण के लिये द्वितीय प्रभार (Second Charge) दिया जाता है। प्रथम प्रभार वाले ऋणदाता को अपना ऋण वसूल करने का प्रथम अवसर दिया जाता है और सम्पत्ति की वसली से बचे आधिक्य से द्वितीय प्रभार वाले ऋणदाता को अपने ऋण की वसूली का अधिकार होता है। यदि सम्पत्ति का वसली मल्य दोनों ऋणों की अपेक्षा अधिक होता है तो दोनों ऋण पूर्ण रक्षित होंगे और यदि प्रथम प्रभार वाले ऋण का मूल्य सम्पत्ति की वसली मल्य से अधिक होता है, लेकिन सम्पत्ति का शेष मूल्य, दूसरे ऋणदाता के ऋण के मूल्य से कम होता है तो प्रथम ऋण पूर्ण रक्षित होगा और द्वितीय प्रभार वाला ऋण शेष वसूली से अधिक होने पर आंशिक रक्षित ऋण होगा और उसे सूची ‘स’ (List C) में सम्मिलित किया जायेगा।

उदाहरण 16. कोलकाता के श्री अमीरचन्द ने 31 दिसम्बर, 2008 को दिवालिया घोषित किए जाने के लिए प्रार्थना-पत्र दिया। उक्त तिथि पर उसकी अग्र स्थिति थी :

विविध देनदार-प्राप्य 5,000 रु०, संदिग्ध 15,250 रु0 (प्राप्ति की आशा 10,000 रु०) अप्राप्य 5,000 रु0

x लिमिटेड के 1,000 अंश (अनुमानित वसूली 7,500 रु०) 12,500 रु0

Y लिमिटेड के 425 अंश (अनुमानित वसूली 38,000 रु०) 42,500 रु0

श्री अमीरचन्द का स्थिति विवरण तथा न्यूनता खाता बनाइये।

Shri Amir Chand of Kolkata filed a Petition for Insolvency on 31st December, 2008 on which date his position was as under :

Rs.

Sundry Debtors : Good                                                                                                                                       5,000

Doubtful (Estimated to Produce Rs. 10,000)                                                         15,250

Bad                                                                                                                                              5,000

1,000 Shares in X Ltd. (Estimated to Produce Rs. 7,500)                                                                 12,500

425 Shares in Y Ltd. (Estimated to Produce Rs. 38,000)                                                                  42,500

Creditors for Purchases                                                                                                                                    45,000

Creditors having a First Charge on the shares of Y Ltd     .                                                                20,000

Creditors having a Second Charge to the extent of Rs. 15,000 on the Shares of Y Ltd.      17,500

Speculation Loss                                                                                                                                                  5,500

Bills Payable                                                                                                                                                          2,5000

Liability of Rs. 1,750 on Bills Discounted by him for                                                                           3,500

Salaries, Wages and Taxes (All Preferential)                                                                                          1,250,

Furniture (Estimated to Produce Rs. 1,500)                                                                                          2,000

Cash in Hand                                                                                                                                                            10

Bank Balance                                                                                                                                                          50

Stock-in-Trade (Estimated to Produce 16,000)                                                                              20,440

Bills Receivable (Estimated to Realise Rs. 4,500)                                                                             6,000

One Month’s Rent                                                                                                                                              250

Shri Amir Chand had commenced Business on 1st January, 2006 with a Capital of Rs. 30,000 and he earned a Profit of Rs. 5,000 and Rs. 3,750 in the first two years of trading and sustained a Loss of Rs. 2,500 in the third year after charging Rs. 1,500 as Interest on Capital each year. During three years of trading, he had withdrawn Rs. 13,000 for his Personal Expenditure.

Prepare a Statement of Affairs and a Deficiency Account of Shri Amir Chand.

 

नोट : दिवालिया कोलकाता में व्यापार करता था। अतः इस प्रश्न में प्रेसीडेन्सी टाउन्स इन्सोलवेन्सी अधिनियम 1909 लागू होगा जिसके अनुसार एक माह का किराया अधिमान्य ऋण माना जाता है । अत: किराये के 250 रु सूची द (List D )में सम्मिलित किये गये हैं ।

उदाहरण 17. मुम्बई के श्री पी० अपने दायित्वों का भुगतान करने में असमर्थ होने के कारण अपना स्थिति विवरण बनाते हैं जिसके लिए निम्न विवरण उपलब्ध हैं :

पट्टटे पर सम्पत्ति 1,00,000 रु अनुमति वसूली 90,000 रु ।

मशीनरी              40,000 रु0, अनुमानित वसूली 30,000 रु०।

व्यापारिक रहतिया 20,000 रु०, अनुमानित वसूली 14,000 रु०।।

पुस्तकीय देनदार : प्राप्य 60,000 रु०, संदिग्ध 5,000 रु0, अनुमानित वसूली 50%, अप्राप्य 14,000 रु0, प्राप्य बिल 3,750 रु0, 25,000 रु0 की जीवन बीमा पॉलिसी जिसका समर्पण मूल्य 5,000 रु0 है और जो 2,000 रु0 के ऋण के लिए बीमा कम्पनी के पास बन्धक है। घरेलू फर्नीचर 3,600 रु0, घरेलू ऋण 2,900 रु०, भुनाए हुए बिल 6,000 रु० जिसमें से 2,000 रु० के बिलों के अप्रतिष्ठित होने की सम्भावना है। पटटे की सम्पत्ति पर बन्धक ऋण 50,000 रु०, रोकड़ हस्ते 100 रु०, श्री पी० के भाई की व्यक्तिगत प्रतिभूति एवं पटटे की सम्पत्ति पर द्वितीय प्रभार पर बैंक अधिविकर्ष 50,000 रु०, अरक्षित लेनदार 1,50,000 रु0, श्री एन से ऋण 2,500 रु० जो कि बीमा पॉलिसियों के द्वितीय प्रभार से रक्षित हैं। पट्टे की सम्पत्ति पर तीन माह का देय भूमि किराया 250 रु० । वह अपने कार्यालय के दो लिपिकों का 6 माह का 1,500 रु0 वेतन तथा 1,500 रु0 दर एवं कर के नहीं दे सका है।

स्थिति विवरण बनाइये।

Shri P. of Mumbai, finding himself unable to meet his Creditors wants you to prepare a Statement of Affairs for which the following figures are available :

Rs.                            Rs.

Leasehold Property                                          1,00,000

Estimated to Realise                                                                              90,000

Machinery                                                            40,000

Estimated to Realise                                                                            30,000

Stock-in-Trade                                                   20,000

Estimated to Realise                                                                            14,000

Book Debts: Good                                           60,000

Doubtful (Estimated to Realise 50%)                                           5,000

Bad                                                                         14,000

Bills Receivable in Hand                              3,750

Life Policy for Rs. 25,000, whose Surrender Value is Rs. 5,000 is held by the Insurance Company against a Loan of Rs. 2,000. Household Furniture Rs. 3,600, Household Debts Rs. 2,900, Bills Discounted Rs. 6,000, Rs. 2,000 likely to be Dishonoured.

Loan on Mortgage of Leasehold Property Rs. 50,000, Cash in Hand Rs. 100, Bank Overdraft secured by Personal Guarantee of P’s Brother and Second Mortgage on Leasehold Property Rs. 50,000.

Unsecured Creditors Rs. 1,50,000, Loan from N Rs. 2,500 secured by a Second Charge on Life Policy. Ground Rent on Leasehold for three months accrued Rs. 250.

He could not pay his Clerks’ (two in number) Salary for Six Months Rs. 1,500 and also Rates and | Taxes amounting to Rs. 1,500.

Prepare the Statement of Affairs

 

 

(ii) यदि दिवालिये के किसी ऋण की गारण्टी अथवा प्रतिभति उसके पिता, भाई या मित्र ने दी है तो स्थिति विवरण बनाते समय उस पर ध्यान नहीं दिया जाता है और अरक्षित ही माना जाता है, यदि दिवालिये ने कोई प्रतिभूति नहीं दी है।

उदाहरण 18. निम्न विवरण से दिवालिया रमेश का स्थिति विवरण व कमी का खाता, प्रान्तीय दिवालिया अधिनियम तथा प्रेसीडेंसी टाउन्स अधिनियम के अनुसार बनाइये।

भवन पर बन्धक द्वारा रक्षित बैंक ऋण 1.00.000 50 । भनाये हए बिलों की धनराशि 4,000 रु० जिसमें से 1,000 रु0 के अनादारत होने की सम्भावना है। रमेश के निजी दायित्व 5,000 रु0 है। एक लिपिक को देय वेतन 450 रु० तथा एक मजदूर को दय मजदूरा 200 रु0 है। उसे दो माह का किराया भवन के स्वामी को देना है 100 रु0। मैनेजर का वेतन 300 रु०। ।

वह 2,000 रु० सम्पत्ति का प्रन्यासी है। उसकी घरेल सम्पत्तियाँ 2.500 रु० हैं जिनमें से 100 रु० की सम्पत्तियाँ एक दीवानी प्रक्रिया के अन्तर्गत मुक्त कर दी गई हैं। वह 1,500 रु0 की सम्पत्तियों के लिये

ख्याति प्राप्त स्वामी है

उसकी पत्नि के गहने 4.000 रु0 के हैं जिनमें से 1500 रु० के उसने अपने पति के आहरणों से क्रय किये हैं और शेष उस धन से प्राप्त किये है जो अपने पिता से प्राप्त किया था।

रमेश की व्यावसायिक सम्पत्तियाँ निम्न प्रकार हैं : – फर्नीचर 2,000 रु0 (प्राप्य मूल्य 1,500 रु०), भवन 30,000 रु0 (प्राप्य मूल्य 25,000 रु0), मशीनरी 37,500 रु० (प्राप्य । मूल्य 36,000 रु०), रहतिया 4,000 रु० (प्राप्य मूल्य 3.000 रु०)।

पूँजी 5,000 रु0, हानियाँ 32,550 रु०।

From the following particulars of Ramesh, an Insolvent, prepare his Statement of Affairs and the Deficiency Account according to the Provincial Insolvency Act and The Presidency Towns Insolvency Act.

Bank Loan Rs. 1,00,000 secured by Mortgage on Buildings, Bills Discounted Rs. 4,000 out of which Rs. 1,000 are likely to be Dishonoured. Private Liabilities of Ramesh are Rs. 5,000. Salary due to a Clerk Rs. 450; Wages payable to a Labourer Rs. 200. He has to pay 2 Months’ Rent to Landlord Rs. 100. Manager’s Salary payable is Rs. 300.

Ramesh is a Trustee of a Property worth Rs. 2,000. His Private Assets are worth of Rs. 2,500 (out of these Assets valued at Rs. 100 have been declared Exempt under a Civil Suit in this Case). He is reputed owner of the Assets worth Rs. 1,500.

His wife has Ornaments worth Rs. 4,000 out of which Ornaments valued at Rs. 1,500 were purchased out of the Drawings of Ramesh and the remaining were purchased from the amount received from her Father.

Ramesh’s Business Assets are : Furniture Rs. 2,000 (Estimated to Produce Rs. 1,500). Building Rs. 30,000 (Estimated to Produce Rs. 25.000). Machinery Rs. 37,500 (Estimated to Produce Rs. 36,000). Stock Rs. 4,000 (Estimated to Produce Rs. 3,000).

Capital Rs. 5,000. Losses Rs. 32,550.

 

 

 

 

 

 

 

chetansati

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