BCom Insolvency And Bankruptcy Code-2016 Notes In Hindi

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BCom Insolvency And Bankruptcy Code-2016 Notes In Hindi
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BCom 1st Year Insolvency Trial Balance Study Material Notes In Hindi

दिवाला एवं शोधन अक्षमता कोड-2016

(THE INSOLVENCY AND BANKRUPTCY CODE-2016)

दिवाला एवं शोधक अक्षमता कोड-2015 दिसम्बर 2015 में लोक सभा में पेश किया गया। यह 5 मई 2016 को लोक सभा में पारित हुआ। 28 मई 2016 को इस कोड की स्वीकृति भारत के राष्ट्रपति द्वारा दी गई। इस अधिनियम के कुछ प्रावधान 5 अगस्त एवं 19 अगस्त 2016 से प्रभावी हुए।

कोड का उद्देश्य

इस कोड का मुख्य उद्देश्य नियमों, सीमित दायित्व साझेदारी फर्म (LLP), साझेदारी फर्मों तथा व्यक्तियों के दिवाला से सम्बन्धित समस्त मौजूदा कानूनों को समेकित करने की व्यवस्था को एक स्थान पर कर दिया है। कोड का उद्देश्य पूर्ववर्ती कानूनों से भिन्न है जो ‘ऋणी कब्जे में’ पर केन्द्रित की जबकि कोड ‘ऋणदाता कब्जे में’ संकल्पना पर केन्द्रित है।

भारत में वित्तीय दोषियों को सजा देने हेत विभिन्न अधिनियम जैसे—भारतीय संविदा अधिनियम. बैंक एवं वित्तीय संस्थानों को ऋण वसूली अधिनियम 1993, वित्तीय संपत्तियों की सुरक्षा और पुननिर्माण और सुरक्षा ब्याज अधिनियम 2002 के प्रवर्तन, बीमार औद्योगिक कम्पनीज (विशेष प्रस्ताव) अधिनियम 1935 (SICA) सरकार ने नए कड़े कानूनों के साथ मौजूदा दिवालिया कानूनों को प्रतिस्थापित करने का फैसला किया जो समय-समय पर मौजूदा डिफाल्टर्स कम्पनियों, फर्मों एवं व्यक्तियों का ख्याल रखेगा।

प्रस्तावित अक्षमता निवारण कानून दिवालिया एवं समापन के मुद्दों को सुलझाना चाहता है। इस कानून के प्रावधान कम्पनी, एल०एल०पी, फर्म एवं व्यक्तिगत (वित्तीय सेवा प्रदाताओं को छोड़कर) सभी पर लागू होगा। ___

गैर वित्तीय फर्मों में दिवालियापन के मामलों के समयबद्ध निपटारे के लिए संसद में दिवालियापन कोड पारित करने के बाद वित्त मंत्रालय में वित्तीय फर्मों के बीच समान मुद्दों को हल करने के लिए पूरक प्रस्ताव “निगम स्थापित करने के लिए एक मसौदा बिल जारी किया है।”

वित्त मंत्री अरुण जेटली जी का कथन—“वित्तीय फर्मों में दीवालियापन की स्थितियों के सम्बन्ध में एक प्रणालीगत रिक्तता मौजट है। यह कोड बैंकों बीमा कम्पनियों और वित्तीय क्षेत्रों की इकाइयों में दीवालियान की स्थितियों से निपटने के लिये एक विशेष संकल्प तंत्र प्रदान करेगा। यह कोड़ दीवालिया, शोधन अक्षमता कोड 2016 के साथ जब लागू किया जायेगा तब यह हमारी अर्थव्यवस्था के लिए एक व्यापक संकल्प तंत्र प्रदान करेगा। प्रस्तावित कानून न केवल भारत में व्यापार करने को आसान बनायेगा बल्कि वसूली तंत्र को बेहतर और तेज बनायेगा।”

यह व्यापक रूप से माना जाता है कि इस कानून से भारत देश के साथ जो वसूली और मुकदमेबाजी की नकारात्मक धारणा प्रचलित है वह भी निर्मूल साबित होगी।

सरकार ने इस कोड के द्वारा पूर्ववर्ती दिवालिया कानूनों को नवीनीकृत करने के साथ उन्हे इस प्रकार बदलने की योजना बनायी है जो तनावमुक्त और दिवालिया होने जा रहे व्यवसायों को शान्तिपूर्वक बन्द करेगा।

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कोड की मुख्य बातें

(1) दीवालिया पेशेवर (Insolving professionals) दिवालिया पेशेवरों और दिवालिया पेशेवर एजेंसियों को विनियमित करने का प्रस्ताव है। बोर्ड की निगराना क तहत, य एजासया व्यावसायिक मानकों, नैतिकता के कोड विकसित करेगी और अनुशासनात्मक भूमिका का प्रयोग करेगी।

प्रस्तावित पेशेवरों को तीन भागों में नियुक्त किया जायेगा-अन्तरिम प्रस्तावित पेशेवर, अन्तिम प्रस्तावित पेशेवर और परिसमापक (liquidator)।

(2) दीवालिया सूचना उपयोगिताएँ (Insolvency information utilities)-कोड़ सूचना उपयोगिता का प्रस्ताव करता है जो सूचीबद्ध कम्पनियों के साथ-साथ वित्तीय और परिचालन लेनदारों से वित्तीय सूचनाओं को एकत्रित, प्रमाणित और प्रसारित करेगा। कम्पनियों का व्यक्तिगत दीवालियापन डेटाबेस व्यक्तियों की दीवालिया स्थिति पर जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित किया जायेगा।

(3) दिवालियापन न्यायिक प्राधिकरण (Insolvency adjudicating authority) न्यायिक प्राधिकारी देनदार द्वारा या उसके खिलाफ मामलों पर क्षेत्राअधिकार का प्रयोग करेगा।

(a) ऋण वसूली न्यायाधिकरण (DRT)—सीमित दायित्व भागीदारी (LLP) के अलावा व्यक्तियों और साझेदारी फर्मों का

अधिकारी (अभियोजन) होगा। ऋण वसुली न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ अपील ऋण वसूली अपील प्राधिकरण (DRAT) को की जा सकेगी।

(b) राष्टीय कम्पनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) यह सीमित दायित्व भागीदारी (LLP) के अतिरिक्त अभियोज प्राधिकारी होगा। राष्ट्रीय कम्पनी विधि न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय कम्पनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) में अपील की जा सकेगी और NCLAT दिवालिया पेशेवरों अथवा सूचना उपयोगिता के सम्बन्ध में NCLT द्वारा पारित आदेशों से उत्पन्न अपीलों को सुनने के लिए एक अपीलीय प्राधिकारी होगा।

(4) स्थगन अवधि (Moratorium)—दिवाला एवं शोधन अक्षमता कोड 2016 की सबसे महत्त्वपूर्ण बातों में से एक स्थगन अवधि है। इस अवधि का आशय यह है कि इस अवधि में लेनदार की कार्यवाही रुक जायेगी। यह प्रस्तावित पेशेवर की सिफारिश पर अभियोजन प्राधिकरण द्वारा प्रदान की जायेगी।

(5) निगम परिसमापन (Corporate liquidation) समापन प्रक्रिया निम्न प्रकार शुरु होती है(a) प्रस्तावित योजना की सिफारिश । (b) निर्धारित अवधि के दौरान प्रस्तावित योजना को जमा करने में असफल रहने पर अथवा प्रस्तावित योजना (c) लेनदारों के बहुमत के आधार पर

(6) समापन परिसम्पत्ति (Liquidation estate)—देनदार के द्वारा उसके कब्जे में जो सम्पत्ति होगी वह परिसमापन सम्पत्ति बन जायेगी। दिवालिया कानून में दी गयी प्राथमिकताओं के आधार पर परिसमापक द्वारा उसका वितरण किया जायेगा। व्यक्तिगत दावेदार या प्रक्रिया देनदार की सम्पत्ति पर कोई विशेष अधिकार रखने का दावा करने वाले लोग परिसमापन का हिस्सा बनेंगे।

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