संहिता की संरचना (Structure of Code)

Table of Contents

यह संहित पाँच भागों में संचरित है। इसकी 255 धारायें और 11 अनुसूचियाँ हैं। संहिता के पहले और दूसरे भाग में निगमीय व्यक्तियों के लिये दिवालिया प्रस्तावों और समापन से सम्बन्धित 1 से 77 तक की धाराये हैं। भाग तीन में 78 से 187 तक की धारायें हैं और ये व्यक्तियों और साझेदारी फर्मों के लिये दिवालिया प्रस्ताव और दिवाला से सम्बन्धित है। इस संहिता के भाग चार में दिवाला पेशेवरों, एजेन्सियों और सूचना उपयोगिताओं के बारे में विनियमों का वर्णन किया गया है तथा भाग पाँच में संहिता के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है।

व्यक्तियों और साझेदारी फर्मों के लिये दिवालिया प्रस्ताव और ऋण अक्षमता

(Insolvency Resolution and Bankruptcy for Individuals and Partnership Firms)

दिवालिया संहिता का “भाग तीन” व्यक्तियों और साझेदारी फर्मों के दिवाला के लिये लागू होता है, जहाँ भुगतान में चूक की राशि एक हजार रुपये से कम नहीं है। केन्द्र सरकार अधिसूचना जारी करके इस न्यूनतम राशि को बढ़ा सकती है किन्तु यह राशि एक लाख रुपये से अधिक नहीं की जा सकती। व्यक्तियों और फर्मों के लिये दो भिन्न प्रक्रियायें हैं-नूतन आरम्भ प्रक्रिया (fresh start process) और दिवालिया प्रस्तार प्रक्रिया (insolvency resolution process)। इसके पश्चात् दिवाला आदेश प्रक्रिया।

(bankruptcy order process) का अनुसरण किया जाता है। व्यक्तियों और साझेदारी फर्मों के लिये ‘Debt Recovery Tribunal’ न्यायिक प्राधिकारी (adjudicating authority) होगा तथा ‘Debt Recovery Appellate Tribunal  प्राधिकारी होगा। सम्पूर्ण प्रक्रिया में सिविल कोर्ट को किसी प्रकार की दखल का अधिकार नहीं है

संहिता में प्रयुक्त कुछ महत्त्वपूर्ण शब्दावलियाँ

(Some Important Terms used in the Code)

न्यायिक प्राधिकारी (Adjudicating Authority) [धारा 79(1)]

धारा 79(1) के अनसार न्यायिक प्राधिकारी का आशय -Recovery of Debts Due to Banks and Financial | Institution Act, 1993′ की धारा 3 (1) के अन्तर्गत गठित Debt Recoverry Tribunal से है। सहयोगी (Associate) [धारा 79(2)]

धारा 79(2) के अनुसार देनदार (अर्थात् दिवालिया) के सहयोगी में निम्न सम्मिलित होंगे

(अ) एक व्यक्ति जो देनदार के निकटतम परिवार का हो।

(ब) एक व्यक्ति जो देनदार का रिश्तेदार है अथवा देनदार की पत्नी या पति (spouse) का रिश्तेदार है। (स) एक व्यक्ति जो देनदार के साथ साझेदारी में है।

(द) एक व्यक्ति जो किसी ऐसे व्यक्ति की पत्नी या पति (spouse) या एक रिश्तेदार है जिसके साथ देनदार साझेदारी में हैं।

(य) एक व्यक्ति जो कि देनदार का नियोक्ता है अथवा कर्मचारी है।

(र) एक व्यक्ति जो एक प्रन्यास का प्रन्यासी है जिसके प्रन्यास के हितधारियों में देनदार सम्मिलित है, अथवा प्रन्यास की शर्तों में प्रन्यासी को शक्ति देती है जिसे देनदार के लाभ के लिये प्रयोग किया जा सकता है।

(ल) एक कम्पनी जिसमें देनदार अथवा अपने सहयोगियों के साथ देनदार कम्पनी की 50 प्रतिशत से अधिक की अंश पूँजी का स्वामी है अथवा कम्पनी के संचालक मण्डल की नियुक्ति को नियंत्रित करता है।

BCom Insolvency And Bankruptcy Code-2016 Notes In Hindi

दिवालिया (Bankrupt) [धारा 79(3)]

निम्नलिखित व्यक्ति दिवालिया कहलायेंगे

(अ) एक देनदार जिसे धारा 126 के अन्तर्गत एक दिवाला आदेश द्वारा एक दिवालिया विनिीत (adjudged) किया जा चुका हो,

(ब) जहाँ धारा 126 के अन्तर्गत दिवाला आदेश एक फर्म के विरुद्ध किया गया है, वहाँ एक फर्म का प्रत्येक साझेदार अथवा

(स) कोई भी व्यक्ति जिसे अमुक्त दिवालिया (undischarged insolvent) विनिर्णीत किया गया है। अपवर्जित सम्पत्तियाँ (Excluded Assets) [धारा 79(14)]

अपवर्जित सम्पत्तियों में निम्नलिखित शामिल हैं

(अ) भारमक्त (unecumbered) औजार, पुस्तके, गाड़िया और अन्य साजसामान जो देनदार या दिवालिया के व्यक्तिगत उपयोग के लिये अथवा उसके रोजगार, व्यवसाय अथवा पेशे के लिये आवश्यक हैं.

(ब) भारमक्त फर्नीचर, घरेलू साजसामान आर रसद का सामान (provisions) जो कि दिवालिया या उसके निकर परिवार की मल आवश्यकताओं को संतुष्ट करने के लिये आवश्यक हैं।

(स) देनदार अथवा उसके निकट परिवार के निधारित मूल्य तक के व्यक्तिगत भारमुक्त आभूषण जोकि धार्मिक उपयोग के अनुसार अलग नहीं किये जा सकते हैं,

(द) देनदार अथवा उसके निकट परिवार के नाम में ली गई भारमुक्त जीवन बीमा पालिसी या पेन्शन योजना

(य) निर्धारित मूल्य तक की देनदार की भारमुक्त एक रिहायशी इकाई।

chetansati

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