BCom 2nd Year Cost Accounting Inter Service Department Overheads Study Material notes in Hindi

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BCom 2nd Year Cost Accounting Inter Service Department Overheads Study Material notes in Hindi

Table of Contents

BCom 2nd Year Cost Accounting Inter Service Department Overheads Study Material notes in Hindi Primary Overhead Distribution Summary , Second Overhead  Distribution Summary , Overheads Distribution Summary Received by  Department  This Post is very Important For Bcom 2nd Students .

Bcom 2nd Year Cost Accounting Inter Service Department Overheads Study Material notes in Hindi
BCom 2nd Year Cost Accounting Inter Service Department Overheads Study Material notes in Hindi

Classification And Departmentalisation Study Material Notes In Hindi

अन्त: सेवा विभागीय लागों का उपचार

(Treatment of Inter-Service Department Costs)

अथवा

अद्यया अन्तर्सेवा विभाग उपरिव्यय

(Inter-Service Department overheads)(This Post  in Very Important for B com Students) 

यह आवश्यक नहीं है कि सेवा विभागों की सेवाओं का उपयोग केवल उत्पादन विभाग ही करें, कुछ सेवा विभाग ऐसे भी होते है जिसको सेवाओं का उपयोग उत्पादन विभागों के अतिरिक्त दूसरे सेवा विभाग भी करते की विद्युत विभाग की सेवाओं का उपयोग उत्पादन एवं अन्य सेवा विभागों में किया जाता है।

इस प्रकार का अन्तः विभाग सेवा अभिभाजन दो प्रकार का हो सकता है- (1)पारस्परिक आधार पर अभिभाजन, (2) अपारस्परिक आधार पर अभिभाजन।

पारस्परिक आधार पर अभिभाजन (Apportionment on Reciprocal  Basis)- इस विधि का प्रयोग तय किया। जाता है जब सेवा विभाग आपस में एक-दूसरे पर आश्रित हों अर्थात् एक सेवा विभाग दूसरे सेवा विभागों को न केवल अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं बल्कि दूसरे सेवा विभागों की सेवाएं प्राप्त भी करते हैं। उदाहरणार्थ, मरम्मत विभाग और कैन्टीन विभाग दोनों सेवा विभाग एक-दूसरे को अपनी सेवाएं देते है। मरम्मत विभाग कैन्टीन में संयन्त्रों की मरम्मत व रख-रखाव करता है जबकि कन्टी विभाग मरम्मत विभाग के कर्मचारियों को खाना-पीना प्रदान करता है। अतः ये दोनों विभाग पारस्परिक आश्रित है। ऐसी स्थिति में सेवा विभाग की लागतों का अभिभाजन निम्नलिखित दो पद्धतियों के द्वारा किया जाता है

(अ)घुगपद समीकरण पद्धति (Simultaneous Equation Method)

(ब) पुनरावृत विभाजन पद्धति (Repeated Distribution Method).

(अ) युगपद समीकरण पद्धति-इस पद्धति का उपयोग विशेषत: उनहीं संस्थाओं में उपयुक्त रहता है जहाँ पर प्रायः दो हो सेवा विभाग होते हैं अथवा अधिकतम तीन सेवा विभाग हों। इस विधि के अन्तर्गत युगपत् समीकरणों की सहायता से प्रत्येक सेवा विभाग के कुल उपरिव्यय की राशि जिसमें अन्य विभाग के द्वारा उसको दी गई सेवा का मूल्य भी सम्मिलित होता। है,जात की जाती है। तत्पश्चात् कुल उपरिव्यय की राशि को विभिन्न उत्पादन विभागों एवं सेवा विभाग में प्रदस प्रतिशतों के आधार पर अभिभाजित कर दिया जाता है तथा इस प्रकार सेवा विभागों की राशि शून्य हो जाती है और यह राशि विभिन्न उत्पादन विभागों के उपरिव्ययों में सम्मिलित हो जाती है।

दो से अधिक सेवा विभागों की दशा में इस विधि के अनर्गत गणना क्रिया अपेक्षाकृत जटिल हो जाती है।

निम्नलिखित उदाहरण की सहायता से इस विधि को स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है

Illustration 5.

एक कम्पनी के तीन उत्पादन विभाग तथा दो सेवा विभाग है। कारखाना उपरिव्यय के वितरण का सारांश निम्न प्रकार है

A Company has three production departments and two service departments. The distribution summary of factory overheads is as follows:

युगपत् समीकरण विधि द्वारा सेवा विभागों के व्ययों को उत्पादन विभागों पर अनुभाजित कीजिए।

Aportion  the expenses service departments o to production departments by simultaneous Equating Method .

Solution

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 (ब) पुनरावृत्त विभाजन पन्द्रति-इस पद्धति के अन्तर्गत सेवा विभागों के व्ययों को विभिन्न उत्पादन एवं सेवा विभागों में निर्धारित प्रतिशत के आधार पर विभाजित किया जाता है। इस प्रथम विभाजन के फलस्वरूप जिन सेवा विभागों में बँटकर जो व्यय आते हैं उनको फिर विभिन्न विभागों में वितरित किया जाता है तथा इस प्रक्रिया को तब तक निरन्तर जारी रखते हैं जब तक सेवा विभागों के उपरिव्यय समाप्त नहीं हो जाते अथवा उनकी राशि नगण्य नहीं हो जाती।

इस पद्धति के सम्बन्ध में निम्न बिन्दु विशेष रूप से ध्यान रखने योग्य हैं

(1) प्रत्येक विभाजन के उपरान्त सेवा विभागों के उपरिव्यय क्रमशः कम तथा उत्पादन विभागों के उपरिव्यय क्रमश: बढ़ते जायेंगे।

2) शद्धता की स्वयं जाँच हेतु प्रत्येक विभाजन के उपरान्त उत्पादन तथा सेवा विभागों के उपरिव्ययों का योग लगाकर यह देख लें कि सभी कॉलम का कुल योग उपरिव्ययों की कुल राशि के बराबर आना चाहिए।

(3) अन्तिम विभाजन के उपरान्त सेवा विभागों के उपरिव्यय शून्य हो जायेंगे तथा उत्पादन विभागों में अभिभाजित उपरिव्ययों का योग कुल उपरिव्ययों के बराबर हो जाएगा।

इस पद्धति को निम्नलिखित उदाहरण द्वारा भली प्रकार समझा जा सकता है

Illustration 6.

‘डी’ व ‘ई’ दो सेवा विभाग हैं जिनके उपरिव्ययों का योग क्रमश: 1,000 ₹ एवं 2,000 ₹ है जो कि निम्नलिखित चार्ट में दी गयी प्रतिशतों के आधार पर अनुभाजित किये जाते हैं। ‘ए’, ‘बी’ तथा ‘सी’ उत्पादन विभागों के कुल उपरिव्यय यह मानकर ज्ञात कीजिए कि ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’ के योग अनुभाजन से पूर्व क्रमश: 4,000₹, 3,000 ₹ व 2,000 ₹ हैं।

‘D’ and ‘E’ are two service departments with respective totals of ₹ 1,000 and ₹ 2,000 of overheads to be apportioned on inter-service departmental basis on the basis of percentage given in the chart below, Find out the total overheads of production departments of A, B and C, assuming the total of A, B and Cbeing ₹4,000, ₹3,000 and ₹2,000 respectively before distribution

Solution :

प्रश्न में समस्या सेवा विभाग ‘डी’ तथा ‘ई’ के उपरिव्यय क्रमश: 1,000 ₹ तथा 2,000 ₹ के अभिभाजन करने की है। पुनरावृत्त विभाजन पद्धति (Repeated Distribution method) के अनुसार यह अभिभाजन निम्न प्रकार होगा

प्रथम विभाजन-सर्वप्रथम ‘डी’ विभाग के 1,000 ₹ के उपरिव्यय ‘ए.’ ‘बी’, ‘सी’ तथा ‘ई’ विभाग में क्रमश: 20%, 30%, 40%, तथा

10% में बाँटेंगे। इसी प्रकार ‘ई’ विभाग के 2.000+ 100 = 2.100₹ के उपरिव्यय ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’ तथा ‘डी’ विभागों में क्रमश: 30%,30%,20%, तथा 20% के अनुपात में बाँटेंगे।

द्वितीय विभाजन-प्रथम विभाजन से उत्पन्न ‘डी’ विभाग के 420 ₹ के उपरिव्ययों को ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’ तथा ‘ई’ विभाग में क्रमश: 20%, 30%,40%, तथा 10% के अनपात में बाँटा जायेगा तथा इसके बाद ‘ई’ विभाग में आये 42 ₹ के उपरिव्ययों को ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’ तथा ‘डी’ विभागों में क्रमश: 30%.30%20% एवं 20% के अनुपात में बाँटेंगे।

तृतीय विभाजन-‘डी’ विभाग में शेष 8 ₹ के उपरिव्ययों को क्रमशः ‘ए’, ‘बी’, तथा ‘सी’ में 2 : 3 : 4 में अभिभाजित कर देंगे।

chetansati

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