BCom 3rd Year Corporate Accounting Internal Reconstruction Reorganisation Study Material notes in hindi

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BCom 3rd Year Corporate Accounting  Internal Reconstruction Reorganisation Study Material notes in Hindi

BCom 3rd Year Corporate Accounting  Internal Reconstruction Reorganisation Study Material notes in Hindi:  Forms of Capital Reduction  Accounting Entries  Compromises and Arrangements  Journal Entries Balance Sheet  Notes For Balance Sheet ( Most Important Note For BCom )

Internal Reconstruction Re organisation
Internal Reconstruction Re organisation

BCom 3rd Year Amalgamation Reconstruction Study Material Notes in hindi (part 2)

आन्तरिक पुनर्निर्माण अथवा पुनर्गठन

(Internal Reconstruction or Reorgansation)

इसके अन्तर्गत न तो किसी विद्यमान कम्पनी का समापन होता है और न ही किसी नई कम्पनी की रचना की जाती है। वस्तुतः इसके अन्तर्गत कम्पनी के आन्तरिक स्वरूप में परिवर्तन होता है। यह परिवर्तन निम्न प्रकार का हो सकता है:

1 अंश पूंजी में परिवर्तन (Alteration of Share Capital) : एक अंशों द्वारा सीमित कम्पनी अन्तर्नियमों द्वारा अधिकृत होने पर कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 61 के अन्तर्गत पार्षद सीमानियम में वर्णित पँजी सम्बन्धी विभिन्न व्यवस्थाओं में परिवर्तन कर सकती है। इसके लिये न्यायालय के पुष्टिकरण (Confirmation) की आवश्यकता नहीं होती। अंश पूंजी के परिवर्तन निम्न प्रकार के हो सकते हैं:

(अ) अंश पूँजी में वृद्धि (Increase in Share Capital) : कम्पनी सामान्य सभा में साधारण प्रस्ताव पारित करके अपनी अधिकृत पूँजी की सीमा के अन्तर्गत नये अंशों का निर्गमन करके अंश पूँजी में वृद्धि कर सकती है। किन्तु कम्पनी की अधिकृत पूँजी में वृद्धि के लिये विशेष प्रस्ताव पारित करके उसके पार्षद सीमानियम में परिवर्तन करना और प्रस्ताव के पारित किये जाने के 30 दिन के अन्तर्गत रजिस्ट्रार को इसकी सूचना देना आवश्यक है। (धारा 61(1)(a)) अधिकृत पूंजी में वृद्धि किये जाने पर कोई लेखा-प्रविष्टि आवश्यक नहीं होती किन्तु नये अंशों के निर्गमन पर कम्पनी की पुस्तकों में लेखा-प्रक्रिया वही होगी जो कि प्रारम्भ में निर्गमन के सम्बन्ध में की जाती है।

(ब) अनिर्गमित अंशों को रद्द करके अंश पूँजी में कमी करना (Decrease in Share Capital by cancelling the unissued shares) : एक कम्पनी अपनी अंश पूँजी के उन अंशों को रद्द कर सकती है जिन्हें इसके लिये प्रस्ताव पारित किये जाने की तिथि पर किसी भी व्यक्ति द्वारा न तो लिया गया है और न इनके लेने के लिये सहमति दी है। इस प्रकार रद्द किये गये अंशों की राशि से अपनी अंश पूँजी की राशि कम कर सकती है। (धारा 61(1)(e)) अंशों का इस प्रकार रद्द करना पूँजी की कमी (Reduction of Capital) नहीं माना जायेगा। (धारा 61(21)) चूंकि इसमें कम्पनी की चुकता पूँजी अप्रभावित रहती है, अतः इसके लिये कोई लेखा-प्रविष्टि नहीं की जाती है। हाँ, कम्पनी के चिट्टे में केवल अधिकृत पूँजी के विवरणों में परिवर्तन करना पड़ता है।

किन्तु कोई भी कम्पनी पहले से निर्गत अथवा अभिदान के लिये सहमत अंशों पर चुकता न की गई राशि को न्यायाधिकरण (Tribunal) की अनुमति के बिना रद्द नहीं कर सकती है क्योंकि यह पूँजी की कमी होगा।

Internal Reconstruction Reorganisation Study

(स) अंश पूँजी का समाहरण (Consolidation of Share Capital) : जब कम मूल्य के अंशों को अधिक मूल्य के अंशों में परिवर्तित किया जाता है तो इसे अंश पूँजी का समाहरण कहते हैं। एक कम्पनी अपने किसी भी कम मूल्य के अंशों को ऊँचे मूल्य के अंशों में समाहरित कर सकती है किन्तु जब इसके परिणामस्वरूप अंशधारियों के मताधिकार प्रतिशत में परिवर्तन आ जाता है तो जब तक एक निर्धारित तराके से किये गये आवेदन पर ट्रिबुनल का अनुमोदन न ले लिया जाय तब तक अंशों का यह समाहरण और विभाजन प्रभावी नहीं होगा। (धारा 61(1)(b))। इसका आशय यह है कि समाहरण के पश्चात चुकता की गयी (paid up) और चुकता न की गयी (unpaid) राशियों का अनुपात पूर्व समान ही बना रहना चाहिये। इस परिवर्तन को प्रभावी बनाने के लिये कम्पनी की पुराने मूल्य वाली अंश पूंजी को समाप्त करके नये मूल्य वाली अंश पूजी सृजित की जाती है। इसके लिये निम्नलिखित प्रविष्टि की। जाती है:

Share Capital (old denomination) Account                                         Dr

To Share Capital (new denomination) Account

(द) अंश पूँजी का उप-विभाजन (Sub-Division of Share Capital) : जब अधिक मूल्य के अंशों को कम मूल्य के अंशों में परिवर्तित किया जाता है तो इसे अंशों का उप-विभाजन कहते हैं। कम्पनी अधिनियम की धारा 61010 (d) के अन्तर्गत कम्पनी को ऐसा करने का अधिकार प्राप्त है। किन्तु उप-विभाजन के पश्चात यहाँ पर भी चुकता की गयी और चुकता न की गई राशियों का अनुपात पूर्व समान बना रहना चाहिये। इसके लिये निम्न प्रविष्टि की जाती है:

Share Capital (old denomination) Account                      Dr.

To Share Capital (new denomination) Account

(इ) अंशों का स्टाक में परिवर्तन और स्टाक का पुनः अंशों में परिवर्तन (Conversion of Shares into Stock and Reconversion of Stock into Shares) : एक कम्पनी अपने अन्तर्नियमों द्वारा अधिकृत होने पर अपने सारे या कुछ पूर्णदत्त अंशों को स्टाक में परिवर्तित कर सकती है और स्टॉक को पनः किसी भी मुल्य के पूर्णदत्त अंशों में परिवर्तित कर सकती है। (धारा 61 Del जब अंशों को स्टाक में बदला जाता है तो अंश पँजी खाता डेबिट और स्टॉक खाता क्रेडिट किया जाता है तथा जब स्टॉक को पुनः अंशों। में बदला जाता है तब स्टॉक खाता डेबिट और अंश पूँजी खाता क्रेडिट किया जाता है।

(फ) संचित पूँजी (Reserve Capital) : कम्पनी अधिनियम 1956 की धारा 99 के अनुसार एक कम्पनी विशेष प्रस्ताव द्वारा यह निश्चित कर सकती है कि निर्गमित अंशों पर अयाचित धन राशि को केवल कम्पनी के समापन पर ही माँगा जा सकता है। अंश पूंजी के ऐसे भाग को संचित पूँजी कहते हैं। इसके लिये कोई लेखा प्रविष्टि नहीं की जाती है। किन्तु कम्पनी अधिनियम 2013 के अन्तर्गत इस शब्द को निकाल दिया गया है।

2 अंशधारियों के अधिकारों में परिवर्तन (Change in Shareholders’ Rights) : जहाँ कम्पनी ने विभिन्न वर्गों के अंश निर्गत किये हुये हैं जिनके साथ विभिन्न प्रकार के अधिकार जुड़े हुये हों (जैसे लाभांश, लाभांश दर, मताधिकार, पूँजी का पुनर्भुगतान आदि) तो ऐसे अधिकारों में किसी भी प्रकार का परिवर्तन लाया जा सकता है। उदाहरण के लिये 12% पूर्वाधिकार अंशों के बदले में 10% पूर्वाधिकार अंश दिये जा सकते हैं, संचयी पूर्वाधिकार अंशों को अंश पूँजी की राशि में परिवर्तन लाये बिना असंचयी अंशों में परिवर्तित किया जा सकता है। इस स्थिति में पुराने अंश पूँजी खाते को पूँजी की राशि से डेबिट करके बंद किया जायेगा तथा नया अंश पूँजी खाता उसी राशि से क्रेडिट करके सृजित किया जायेगा। इस दशा में अंश पूँजी की राशि में कोई परिवर्तन नहीं होगा।

Internal Reconstruction Reorganisation Study

3 अंश पूँजी में कमी करना (Reduction of Share Capital) : साधारणतया अंश पूँजी में कमी को ही आन्तरिक पुनर्निर्माण समझा जाता है। यह तब आवश्यक हो जाता है जबकि (1) कम्पनी का चिट्ठा इसकी वित्तीय स्थिति का सही एंव सच्चा दृश्य नहीं दिखलाता है, (2) सम्पत्तियाँ सही पुस्तक मूल्य नहीं प्रस्तुत करती हैं, (3) कम्पनी अपने ऋणों के भुगतान में अक्षम हो गई है और (4) पूँजी आवश्यकता से अधिक है। अतः अंश पूँजी में कमी मुख्यतया व्यापारिक हानियों के अपलेखन के लिये, बनावटी सम्पत्तियों के अपलेखन के लिये, सम्पत्तियों को उनके वास्तविक मूल्य पर दिखलाने के लिये, सदस्यों के अयाचित दायित्व को समाप्त या कम करने। के लिये, अथवा अधिक प्राप्त या फालतू पूँजी की वापसी के लिये की जाती है। अंश पूंजी में कमी कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 66 के अन्तर्गत वर्णित नियमों के अनुसार ही किया जा सकता है जो कि निम्नलिखित हैं:

(अ) अंश पूंजी में कमी कम्पनी के अन्तर्नियमों से अधिकृत होनी चाहिये।

(ब) इस आशय के लिये कम्पनी को एक विशेष प्रस्ताव पारित करना होगा।

(स) विशेष प्रस्ताव का ट्रिबुनल से पुष्टिकरण कराना अनिवार्य है।

(द) इस आशय के लिये कम्पनी के प्रस्ताव और ट्रिबुनल के पुष्टिकरण आदेश की प्रतिलिपियाँ रजिस्ट्रार के पास भेजनी होंगी।

अंशधारियों के अधिकारों में परिवर्तन (Variation of Shareholders’ Rights): यदि पूँजी में कमी से विभिन्न वर्गों के अंशों के अधिकारों में परिवर्तन आता है तो प्रभावित वर्ग के अंशधारियों की एक पृथक सभा में सम्बन्धित अंशों के कम से कम तीन-चौथाई अंशों के धारकों की सहमति प्रस्ताव द्वारा अथवा लिखित रूप से लेना आवश्यक है। इस सहमति के लिये जाने के 21 दिन के अन्तर्गत प्रभावित वर्ग के अंशधारियों के निर्गमित अंशों के कम से कम 10% अंशों के धारक ट्रिबुनल से ऐसे परिवर्तन को रद्द करने के लिये आवेदन दे सकते हैं तथा जब तक ट्रिबुनल परिवर्तन की पुष्टि नहीं कर देता तब तक परिवर्तन अप्रभावी रहेगा। पूजी में कमी के प्रकार (Forms of Capital Reduction)

पूँजी में कमी के निम्न चार प्रकार हैं:

1. अंशधारियों द्वारा पारित अंशों पर अयाचित राशि का दायित्व कम करना या समाप्त करना (Extinguishing or reducing the liability on shares held by shareholders in respect of uncalled amount) : इससे कम्पनी की चुकता। पूंजी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता; केवल अंशतः दत्त अंश पूर्ण दत्त बन जाते हैं और अंश का अंकित मूल्य घटकर अपने अंशतः दत्त मूल्य के बराबर हो जाता है। इसके लिये कोई लेखा-प्रविष्टि आवश्यक नहीं है। फिर भी कछ लेखापाल इस तथ्य के अभिलेखन के। लिये निम्न प्रविष्टि पारित करना पसंद करते हैं :

Share Capital (Old Face Value) Account                          Dr.

To Share Capital (New Face Value) Account

2. फालतू चुकता पूजी का भुगतान करना (Paying off the surplus paid-up capital) : कम्पनी की अवश्यकताआ से अधिक चुकता पूँजी अंशधारियों को लौटाकर अंश पूँजी में कमी की जा सकती है। यह दो प्रकार का हो सकता है:

(अ) अंशों के अंकित मूल्य में कमी लाये बिना फालतू-पूँजी को वापस कर देना : इस स्थिति में निम्नलिखित लेखा-प्रविष्टियो पारित की जायेंगी:

(i) Share Capital Account                      Dr. with the amount to be paid off

To Sundry Shareholders Account

(ii) Sundry Shareholders Account                Dr. with the amount paid off

To Bank Account

इस दशा में कम्पनी को भविष्य में लौटाई गई राशि को याचित करने का अधिकार रहता है।

(ब) अशों के अंकित मूल्य में कमी करके फालतू पूँजी को वापस करना, जैसे 107 अंकित मूल्य वाले पूर्ण दत्त अंश पर 50 प्रति अंश वापस कर देना तथा अंश का अंकित मूल्य 10 ₹ से घटाकर 5₹ प्रति अंश कर देना। इस स्थिति में निम्न प्रविष्टियों की जायेंगी:

(i) Share Capital (Old Face Value) Account              Dr. (with total amount of old capital)

To Share Capital (New Face Value) Account    (with the amount to be kept as new capital)

 

To Sundry Shareholders Account                      (with amount to be paid off)

(ii) Sundry Shareholders Account                      Dr. with the amount paid off

To Bank Account

इस दशा में कम्पनी को लौटाई गई राशि को भविष्य में याचित करने का अधिकार नहीं रहता।

3. चुकता पूँजी को रद्द करना (Cancelling the Paid-up Capital) : जब कम्पनी की विद्यमान अंश पूँजी डूब चुकी है और यह उपलब्ध सम्पत्तियों का सही प्रतिनिधित्व नहीं कर रही हो तो उस समय कम्पनी अपनी डूबी पूँजी की सीमा तक चुकता पूँजी को रद्द करने की योजना बनाती है। इसका उद्देश्य विद्यमान कम्पनी की सम्पत्तियों को उनके वास्तविक मूल्य पर लाकर कम्पनी की लाभप्रदता बढ़ाना तथा वित्तीय स्थिति का सही एवं सच्चा चित्र प्रदर्शित करना है। इसके लिये कम्पनी विभिन्न वर्गों के अंशधारियों की सभा बुलाती है और उन्हें कुछ सीमा तक अपने दावों को त्यागने के लिये सहमत करती है और उनके द्वारा किये गये त्यागों का उपयोग पूरानी एकत्रित हानियों और बनावटी सम्पत्तियों को अपलिखित करने और सम्पत्तियों के अधि-मूल्यांकन को समायोजित करने के लिये किया जा सके। इसके लिये एक नया खाता पूँजी में कमी खाता” (Capital Reduction Account) अथवा पुनर्निर्माण खाता (Reconstruction Account) अथवा पुनर्गठन खता (Reorganisation Account) खोला जा सकता है जिसमें सभी अंशधारियों की त्यागी हुई राशियाँ क्रेडिट की जाती हैं तथा फिर इस खाते से एकत्रित हानियों, बनावटी सम्पत्तियों व सम्पत्तियों के अधि-मूल्यांकनों को समाप्त किया जाता है।

लेखा प्रविष्टियाँ (Accounting Entries)

1. यदि अंशों का केवल चुकता मूल्य कम किया जाता है तथा अंश का नामीय मूल्य (Nominal Value) वही रहता है : जैसे अंशधारी 100 ₹ पूर्णदत्त अंश का चुकता मूल्य घटाकर 10 ₹ दत्त कर दें तो निम्न लेखा-प्रविष्टि की जायेगी :

Share Capital Account                            Dr. with the amount of reduction

To Capital Reduction Account              (i.e.₹90 per share) or To Reconstruction Account

2. यदि अंश के नामीय मूल्य और चुकता मूल्य दोनों में कमी की जाती है : जैसे अंशधारी 100 ₹ पूर्णदत्त अंश के बदले 10₹ पूर्णदत्त अंश लेने के लिये सहमत होते हैं। इस मामले में निम्न लेखा किया जायेगा :

Share Capital Account (₹100 share)                     Dr. 100 * No. of shares)

To Share Capital Account (₹10 share)                     (₹10X No.of shares)

To Capital Reduction (or Reconstruction) Account          (90 x No. of shares)

पूँजी कमी खाता का उपयोग करना (Utilising the Capital Reduction Account):

पूँजी कमी खाते में क्रेडिट की गयी राशि का उपयोग संकलित हानियों, बनावटी सम्पत्तियों और अन्य सम्पत्तियों के। अधि-मूल्यांकनों को अपलिखित करने के लिये किया जायेगा तथा इस खाते में अवशेष राशि, यदि कोई है, को पूँजीगत संचिति खाता (Capital Reserve Account) में हस्तान्तरित कर दिया जायेगा। इसके लिये निम्न लेखा-प्रविष्टि की जायेगी :

Capital Reduction (or Reconstruction) Account               Dr.

To Profit & Loss Account

To Goodwill Account

To Patents Account

To Trade Marks Account

To Preliminary Expenses Account

To Discount on Shares and Debentures Account

To Unrecorded Liability Account (if any)

To Asset Account

To Capital Reserve Account (with the balance left, if any)

4. समझौते और व्यवस्थाएँ (Compromises and Arrangements) : कम्पनी अधिनियम 2013 की 230.231 और 232 धाराओं में समझौते और व्यवस्थाओं के लिये प्रावधान दिये गये हैं। समझौते और व्यवस्थाओं की योजना कम्पनी की वित्तीय समस्याओं के सुलझाने के लिये कम्पनी और उसके सदस्यों और बाह्य दायित्वों (लेनदार और ऋणपत्रधारियों) के बीच उनके दावों के त्यागने का समझौता है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत अंशधारी, लेनदार और ऋणपत्रधारी अपने दावों को त्यागते या कम करते हैं।

कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 230 के अनुसार जब एक कम्पनी और इसके लेनदारों अथवा कम्पनी और उसके सदस्यों के बीच किसी समझौते का प्रस्ताव किया जाता है तो कम्पनी या उसके किसी लेनदार अथवा सदस्य के आवेदन पर ट्रिबुनल लेनदारों और सदस्यों की एक सभा (Meeting) के लिये आदेश दे सकता है। धारा 231 के अनुसार यदि ट्रिबुनल एक समझौते अथवा व्यवस्था की अनुमति (sanction) देता है तो उसे इसके कार्यान्वयन के पर्यवेक्षण का अधिकार होगा और वह समझौते अथवा व्यवस्था के समुचित कार्यान्वयन के लिये ऐसे निर्देश दे सकता है अथवा समझौते या व्यवस्था में ऐसे संशोधन कर सकता है जिन्हें वह आवश्यक समझे।

Internal Reconstruction Reorganisation Study

लेखांकन व्यवहार (Accounting Treatment)

1 जब समता अंशधारी संचितियों और संकलित लाभों पर अपना दावा त्यागते हैं :

Reserve (Particular Reserve separately) Account    Dr. with the amount of reserves

To Reconstruction Account

2. पुनर्मूल्यांकन पर सम्पत्तियों के मूल्य में वृद्धि :

Fixed Assets Account                                                           Dr.   with increase in the value of

To Reconstruction Account                                                    fixed assets

3. स्थायी सम्पत्तियों का लाभ पर विक्रय :

Bank Account                                                                         Dr. (with sale price)

To Fixed Assets Account                                                         (with W.D.V. of asset sold)

To Reconstruction Account                                                   (with the amount of profit)

4. बाह्य दायित्वों (लेनदारों, ऋणपत्रधारियों आदि) का कम राशि पर निपटारा :

Outside Liabilities Account                                          Dr. with the amount sacrificed

Provision Account, if any                                              Dr.

To Reconstruction Account

5. बाह्य दायित्वों का भुगतान :

Outside Liabilities Account                                     Dr. (with the amount of liability)

To Share Capital Account                                            (with the amount of cash paid)

To New Debentures Account                                   (with the amount of shares issued)

To Assets Account                                                        (with the amount of debentures issued)

To Bank Account                                                                (with the amount of assets given)

6. चिट्ठे में दर्शाये गये घोषित लाभांश का त्याग :

Proposed or Unclaimed Dividend Account   Dr. with the amount sacrificed

To Reconstruction Account

7. अवशिष्ट पूर्वाधिकार लाभांश, जिसे चिठे में नहीं दर्शाया गया और त्यागा गया :

कोई लेखा नहीं

8. अवशिष्ट पूर्वाधिकार लाभांश, जिसे चिट्ठे में नहीं दर्शाया गया और अब भुगतान करना पड़ा :

Reconstruction Account                   Dr. with the amount of dividend payable

To Preference Shareholders Account

Preference Shareholders Account           Dr. with the amount of payment To Bank

उदाहरण 1. निम्नांकित चिट्ठा सुभाष लि० का है :

Following is the Balance Sheet of Subhash Ltd. :

कम्पनी असफल हुई और पुनर्निर्माण की निम्नांकित योजना पास की गयी : (i) पूर्वाधिकार अंशों की संख्या वही रही पर प्रति अंश राशि घटाकर 6₹ कर दी गयी; (ii) समता अंशों की संख्या वही रही पर प्रति अंश राशि 6₹ से कम कर दी गयी; (iii) ऋणपत्रों पर ब्याज की दर बढ़ाकर 11% करनी है। ऋणपत्रधारी अपने 100 ₹ वाले वर्तमान ऋणपत्रों का समर्पण कर देते हैं और उसके बदले में 75 ₹ प्रति के नये ऋणपत्र लेते हैं। (iv) उस उपलब्ध राशि का प्रयोग अंशों के निर्गमन पर कटौती एवं लाभ-हानि खाते की राशियों को पूर्ण रूप से अपलिखित करने के लिए किया गया तथा 60,000 ₹ भवन के, 30,000 ₹ मशीन के, 6.000₹ फर्नीचर के और शेष देनदारों के अपलिखित करने में प्रयोग किया गया। इन व्यवहारों का जर्नल में लेखा कीजिए तथा पुनर्निर्माण के पश्चात कं० का चिट्ठा बनाइए।

Company proved unsuccessful and the following scheme of reconstruction is passed. (i) Preference 6 shares be reduced to an equal number of fully paid shares of 6 each; (ii) Equity shares be reduced by each though total number of equity shares will remain the same; (iii) The rate of interest on debentures is to be increased to 11%. The debenture-holders surrender their existing debentures of 100 each and exchange the same for fresh debentures of 75 each (iv) That the amount thus available for the reduction of the assets is apportioned as follows: Discount on issue of shares and Profit & Loss A/c to be written of entirely: 60.000 off the buildings, 30,000 off the machines, < 0,000 off the furniture and the balance available to be written off Debtors. Pass journal entries and prepare Balance Sheet after reconstruction

31 मार्च 2012 से अधिमान्य अंशों का लाभांश अवशिष्ट है। पूँजी में कटौती करने के लिये निम्न योजना की स्वीकृति प्राप्त हुई :

(अ) अधिमान्य अंशों को घटाकर 80 रुपये प्रति अंश तक कर दिया जाय।

(ब) समता अंशों को 5 रुपया प्रति अंश घटाया जाय।

(स) अधिमान्य अंश लाभांश की अवशिष्ट प्रत्येक 10 रुपये की राशि के लिये 5 रुपये वाला समता अंश निर्गमित किया जाये।

(द) अधिकत अंश पूजी अपने प्रारम्भिक मूल्य पर लाई जाय।

(य) ख्याति, प्रारम्भिक व्यय, लाभ-हानि खाता तथा अंश प्रीमियम खाता अपलिखित किया जाय।

(र) भवन को 2,10,000 रुपये से अपलिखित किया जाय। उपरोक्त व्यवहारों का लेखा करने के लिये जर्नल प्रविष्टियाँ कीजिये तथा कम्पनी का चिट्ठा तैयार कीजिये।

Dividend on preference shares is in arrear as from 31st March 2012. The following items were settled under a duly approved capital reduction scheme:

(a) Preference shares to be reduced to * 80 each.

(b) Equity shares to be reduced by₹5each.

(c) One₹5 equity share to be issued for each ₹ 10 of gross preference share dividend arrears. (d) The authorised share capital to be restored to its original value.

(e) Goodwill, preliminary expenses, profit and loss account and securities premium account to be written off.

(f) Building to be written down by₹2,10,000.

You are required to pass necessary journal entries recording the above transactions, and draw up the Balance Sheet of the company thereafter.

उदाहरण 3. एक कम्पनी के पुनर्निर्माण पर निम्नांकित शर्ते तय की गयीं :

अंशधारी अपने विद्यमान अंशों (जो कि 10₹ वाले 50,000 अंश हैं) के बदले में निम्न प्राप्त करेंगे :

(अ) अपने विद्यमान अंशों पर 2/5 भाग पूर्णदत्त समता अंश।

(ब) 5% पूर्णदत्त पूर्वाधिकार अंश, उपर्युक्त नये समता अंशों का 1/5 सीमा तक।

(स) ₹60,000, 6% द्वितीय ऋणपत्र । ₹50,000 के 5% प्रथम ऋणपत्रों का निर्गमन एवं आवंटन किया गया जिसके लिये भुगतान नकदी में प्राप्त हुआ।

ख्याति जो पुस्तकों में ₹ 3,00,000 की थी, ₹ 1,50,000 तक अपलिखित कर दी गयी। प्लाण्ट और मशीनरी जो ₹ 1,00,000 के थे, घटाकर 175,000 के कर दिये गये। फ्रीहोल्ड भवन जो ₹1,50,000 के थे, घटाकर ₹ 1,25,000 के कर दिये गये।।

उपरोक्त व्यवहारों के आधार पर जर्नल के आवश्यक लेखे कीजिये।

On the reconstruction of a company, the following terms were agreed upon :

The shareholders to receive in lieu of their present holding (viz. 50,000 shares of 10 each) the following:

(a) Fully paid Equity shares to 2/5th of their holding.

(b) 5% Preference shares, fully paid to the extent of 1/5th of the above new Equity shares.

(c) 360,000,6% Second Debentures. An issue of 50,000 5% First Debentures was made and payment for the same fully received in cash.

The goodwill, which stood at 3,00,000 was written down to 1,50,000. The plant and machinery which stood at 1,00,000, was written down to 75,000. The freehold premises which stood at 1,50,000, were written down to 1.25,000.

Make the Journal entries in the books of the company based on the above reconstruction.

नोट : सम्भाव्य दायित्व : (1) 50,000 रुपये के हर्जाने की मांग का न्यायालय में मुकद्दमा अनिर्णीत,

(2) पूर्वाधिकार अंशों के चार वर्ष के लाभांश का 14,000 रुपये का बकाया। पूँ

जी को घटाने की एक योजना निम्न आधारों पर तैयार एवं स्वीकार की गई:

(अ) पूर्वाधिकार अंशों को समान संख्या में रखते हुये घटाकर 10 रुपये का पूर्णदत्त रखा गया और समता अंशों को समान संख्या में रखते हुये 2.50 ₹ पूर्णदत्त प्रति अंश किया गया। अधिकृत पूंजी को 10 रुपये वाले पूर्वाधिकार एवं 2.50 ₹ वाले समता अंशों में पुनर्गठित किया गया।

(ब) स्कंध को 50.000₹ से घटाया गया तथा अशोध्य ऋण तथा अमूर्त सम्पत्तियों को समाप्त किया गया।

(स) पूर्वाधिकार अंशधारियों ने बकाया लाभांश का आधा त्याग दिया तथा शेष के लिये समता अंश स्वीकार किये।

(द) ऋणपत्रधारी कम्पनी की 1,80,000 ₹ की सम्पत्ति को आंशिक भुगतान में 2,50,000 ₹ में लेने को सहमत हुये तथा 1,50,000₹ के चल प्रभार वाले ऋणपत्रों के लिये ब्याज की राशि काटकर नकद राशि दी।।

(इ) हर्जाने के लिये सम्भाव्य दायित्व देय हो गया लेकिन एक संचालक से 20,000 रुपये की राशि उसके 40,000 ₹ के ऋण से काट ली गई जो उपरोक्त के लिये उत्तरदायी था और शेष राशि का भुगतान नकद कर दिया गया। अन्य संचालक अपने ऋणों के बदले में समता अंश लेने के लिये सहमत हो गये।

उपरोक्त का प्रभाव दिखाते हुये रोजनामचा प्रविष्टियाँ (रोकड़ व्यवहारों सहित) कीजिये तथा पूँजी कटौती के बाद चिठा बनाइये।

Note : Contingent Liabilities :

(1) Suit pending in court claiming damages₹ 50,000.

(2) Dividend on Preference Shares for four years₹14,000. A scheme of reduction of capital was duly prepared and sanctioned whereby :

(a) The preference shares were to be reduced to an equal number of fully paid shares of 10 each and equity shares to an equal number of fully paid shares of₹2.50 each. Authorised share capital to be re organised into preference shares of₹ 10 each and equity shares of₹2.50 each.

(b) Stock were to be written off by₹ 50,000 and bad debts and all intangible assets to be eliminated.

(c) The preference shareholders agreed to waive half of the dividend arrears and receive equity shares in lieu of the balance.

(d) The debentureholders agreed to take over part of the Company’s property of the book value of 1,80,000 at an agreed price of₹2,50,000 in satisfaction of part of their claim and to provide cash on a further floating charge of₹1,50,000 after deducting arrears of interest due to them.

(e) The contingent liability in respect of damages materalised in the sum stated, but the company recovered 20,000 from a director responsible for the same out of ₹40.000 standing to his credit loan account paying off the balance in cash. The other directors agreed to take equity shares in satisfaction of their loans.

Show journal entries (including for cash transactions) to give effect to the above and set out the Balance Sheet after reduction.

कम्पनी के पुनर्गठन की एक योजना तैयार की गई तथा न्यायालय से भी स्वीकृति प्राप्त हो गई। इस योजना की प्रमुख बात निम्न का

(1) प्रत्येक अंश ₹5 के पूर्णदत्त अंशों में पुनः विभक्त किया जायेगा।

(2) पुनः विभाजन के उपरांत प्रत्येक अंशधारी अपने अंशों का 90% त्याग करेंगे ताकि आवश्यकतानुसार ये ऋणपत्रधार लेनदारों को पुनर्निर्गमित किये जा सकें अन्यथा उनको रद्द किया जा सके।

(3) त्याग किये गये अंशों में से ₹5 वाले 2,36,900 अंश प्रत्येक ₹5 के 9% पर्वाधिकार अंशों में परिवर्तित किये जायेंगे जिन्ह

ऋणपत्रधारियों को उनके कुल दावे के पूर्ण भुगतान में निर्गमित किया जायेगा।

(4) आयकर के समस्त दायित्व का भुगतान किया जायेगा।

(5) असुरक्षित लेनदारों का दावा 80% से घटा दिया जायेगा और शेष भुगतान त्याग किये समता अंशों में से 15 प्रति अंश का  दर से समता अंशों में किया जायेगा।

(6) त्याग किये गये समता अंश जो निर्गमित नहीं किये गये समाप्त कर दिये जायेंगे। यह मानते हुए कि देय आयकर का भुगतान नहीं किया गया, आवश्यक रोजनामचा प्रविष्टियाँ दीजिये।

A scheme of reorganisation of the company is prepared and confirmed by the court. The salient points of the scheme are the following:

(1) Each share shall be sub-divided into shares of₹5 fully paid.

(2) After sub-division, each shareholder shall surrender to the company 90% of his holding for the purpose of re-issue to debenture-holders and creditors so far as required, and otherwise for cancellation.

(3) Of those surrendered 2,36,900 shares of₹5each shall be converted into 9% preference shares of₹ 5 each fully paid which will be issued to debentureholders in satisfaction of their total claim.

(4) The liability for income-tax payable is to be satisfied in full.

(5) The claims of unsecured creditors shall be reduced by 80% and the balance shall be satisfied by allotting them equity shares of 5 each from the shares surrendered.

(6) Shares surrendered and not issued shall be cancelled.

Give necessary journal entries to carry the scheme assuming the tax payable is not yet paid.

 

Internal Reconstruction Reorganisation Studyy

chetansati

Admin

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