BCom 3rd Year Financial Management Analysis and Interpretation Statement Study Material Notes in hindi

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BCom 3rd Year Financial Management Analysis and Interpretation Statement Study Material Notes in Hindi

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BCom 3rd Year Financial Management Analysis and Interpretation Statement Study Material notes in Hindi: Objective of Financial Analysis Procedure of Financial Analysis Importance of Financial Analysis Comparative Financial Analysis  Common Size Financial Statement  trend Analysis Technique Average Analysis Cash Flow Analysis Technique Long Answer Questions Short Answer Questions Objective Questions  Numerical Questions:

Analysis and Interpretation Statement
Analysis and Interpretation Statement

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वित्तीय विवरणों का

विश्लेषण एवं निर्वचन

(Analysis and Interpretation of

Financial Statements)

वित्तीय विवरण किसी संस्था के कार्यकलापों के परिणाम एवं उसकी वित्तीय स्थिति के सम्बन्ध में सामान्य सूचना प्रदान करने के साधन मात्र होते हैं । इनसे निष्कर्ष निकालने के लिये इनका विश्लेषण करना आवश्यक है। वित्तीय विवरणों के उपयोगकर्ताओं (प्रबन्धक, ऋणदाता, विनियोजक आदि) के विभिन्न उद्देश्यों के अनुसार अलग-अलग दृष्टिकोण से विश्लेषकों द्वारा इनका विश्लेषण एवं व्याख्या करना आवश्यक हो जाता है। प्रारम्भ में यह कार्य साख देने वाली संस्थाओं द्वारा तथा विनियोग विश्लेषकों द्वारा ही किया जाता था। परन्तु वर्तमान में लेखापाल को प्रबन्ध के प्रति संवहन के उत्तरदायित्व को पूरा करने की दृष्टि से वित्तीय विवरणों को तैयार करने के साथ ही इनका विश्लेषण एवं व्याख्या भी करनी पड़ती है।

वित्तीय विवरणों के विश्लेषण का आशय किसी व्यवसाय की आर्थिक स्थिति एवं लाभार्जन शक्ति का पता लगाने के लिये विवरण-पत्रों में प्रस्तुत किये गये तथ्यों को किसी वैज्ञानिक रीति द्वारा सुविधाजनक अवयवों में वर्गीकृत एवं विन्यासित का जिससे इनसे अर्थपूर्ण निष्कर्ष निकाले जा सकें।

वित्तीय विवरणों के निर्वचन से अभिप्राय एक निश्चित अवधि के अन्तर्गत विश्लेषित वित्तीय व्यवहारों के आलोचनात्मक परीक्षण और निष्कर्ष निकालने से होता है।

विश्लेषण एवं निर्वचन में अन्तरविश्लेषण एवं निर्वचन दो पृथक् क्रियायें हैं। विश्लेषण तथ्य ज्ञात करने और जटिल अंकों को सरल भागों में विभाजित करने की प्रक्रिया है जबकि निर्वचन सरलीकृत भागों के वास्तविक महत्व की व्याख्या करने की एक कला है। व्यवहार में सामान्यतया इन दोनों को एक ही अर्थ में प्रयोग किया जाता है।

परिभाषा (Definition)-केनेडी एवं मूलर के अनुसार, “वित्तीय विवरणों का विश्लेषण एवं निर्वचन एक ऐसा प्रयत्न है जिसके द्वारा वित्तीय विवरणों के समंकों की महत्ता और आशय निर्धारित किया जाता है ताकि भावी अर्जनों, देय तिथियों पर ऋण और ब्याज के भुगतान की क्षमता और सुदृढ़ लाभांश नीति की संभावनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सके।”1

स्पाइस एवं पेगलर के अनुसार, “खातों की व्याख्या वह कला एवं विज्ञान है जिसके द्वारा उनमें दिये गये अंकों के अर्थ इस प्रकार स्पष्ट किये जाते हैं कि उनसे किसी व्यवसाय की आर्थिक शक्ति अथवा कमजोरी कारणों सहित प्रकट हो सके।”

वित्तीय विश्लेषण के उद्देश्य

(OBJECTS OF FINANCIAL ANALYSIS)

हिंगोरानी के अनुसार, “वित्तीय विश्लेषण का उद्देश्य वित्तीय स्थिति एवं लाभदायकता के विस्तृत कारण व प्रभाव का अध्ययन करना होता है ।”3 सरल शब्दों में, वित्तीय विश्लेषण का मुख्य उद्देश्य भूतकालीन सूचना के विश्लेषण व वर्तमान प्रवृत्ति के आधार पर भविष्य के बारे में अनुमान लगाना है। जैसा कि पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है, कि वित्तीय विश्लेषण में विभिन्न पक्षकार रुचि रखते हैं तथा ये सभी अपने उद्देश्यों को ध्यान में रखते हये ही वित्तीय विवरणों का विश्लेषण व निर्वचन करते हैं। इस सम्बन्ध में तलसीदास का कथन चरितार्थ किया जा सकता है, “जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी” अर्थात् जिसकी जैसी भावना होती है प्रभ की मर्ति उसको उसी प्रकार की दिखायी देती है। ठीक इसी प्रकार यह भी कहा जा सकता है कि। जाकी रही भावना जैसी वित्तीय विवरण देखी तिन तैसी। जो व्यक्ति एक चिट्टे का अध्ययन जिस दृष्टिकोण से करता है वह उसी दृष्टिकोण के आधार पर चिट्टे का विश्लेषण करवाता है। इसी कारण एक दीर्घकालीन ऋण देने वाले के लिये चिट्टे की वित्तीय स्थिति अच्छी हो सकती है, परन्तु हो सकता है कि वह चिट्ठा एक अल्पकालीन ऋण देने वाले के लिये अच्छी स्थिति प्रकट न करे। चूंकि यहाँ भावनायें अलग-अलग हैं अतः। एक ही चिट्ठा दो प्रकार की स्थिति प्रकट कर रहा है अर्थात् दीर्घकालीन ऋण देने वाले के लिये अच्छी तथा अल्पकालीन ऋण देने वाले के लिये बुरी। इससे स्पष्ट है कि ये विवरण-पत्र विभिन्न व्यक्तियों एवं संस्थाओं को उनके दृष्टिकोणों के अनुसार सूचनायें देते हैं, यद्यपि वित्तीय विवरण-पत्र एक ही होते हैं।

फिर भी वित्तीय विश्लेषण के निम्नलिखित सामान्य उद्देश्य हो सकते हैं

1 वर्तमान स्थिति का ज्ञान प्राप्त करना-इसमें सम्बन्धित उपक्रम की वित्तीय स्थिति के ज्ञान प्राप्त करने को शामिल किया जाता है। सामान्यत. इसे चिट्ठ के विश्लेषण द्वारा ज्ञात किया जाता है।

2. प्रगति का ज्ञान प्राप्त करना-इसमें सम्बन्धित उपक्रम की उपार्जन शक्ति (Earning Capacity) ज्ञात की जाती है। इसे लाभ-हानि खाते के आधार पर ज्ञात किया जाता है। प्रगति में उपार्जन शक्ति के अतिरिक्त वि.ाय स्थिति की प्रगति भी शामिल की जाती है। इसका ज्ञान विभिन्न वर्षों के लाभ-हानि खातों एवं चिट्ठों के आधार पर किया जा सकता है। कम्पनी के चिट्ठे एवं लाभ-हानि विवरण (Statement of Profit and Loss) में वर्तमान वर्ष एवं गत वर्ष के आंकड़े दिया जाना कम्पनीज अधिनियम की अनुसूची VI के अनुसार अनिवार्य है, अतः दो वर्षों की प्रगति का ज्ञान तो केवल एक चिट्टे एवं एक लाभ-हानि विवरण से हो सकता है, परन्तु कम-से-कम तीन से पाँच वर्ष के वित्तीय विवरण-पत्रों के विश्लेषण से प्रगति का अच्छा ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

3. भविष्य में प्रगति की सम्भावनाओं का ज्ञान प्राप्त करना-कम्पनी एवं सम्बन्धित उपक्रम की भविष्य में क्या स्थिति होगी अर्थात् इसकी कितनी प्रगति की सम्भावना है इसका ज्ञान प्राप्त करने के लिये चिट्ठे एवं लाभ-हानि खाते के अतिरिक्त संचालकों की रिपोर्ट,अंकेक्षक की रिपोर्ट तथा अध्यक्ष का भाषण (Chairman’s Speech) आदि का विश्लेषण किया जाता है और इस विश्लेषण के आधार पर भविष्य के बारे में ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

4. भविष्य की योजनाएँ बनाना वित्तीय विवरण-पत्रों एवं संचालकों तथा अंकेक्षकों की रिपोर्ट एवं अध्यक्ष के भाषण के विश्लेषण से जो निष्कर्ष निकलते हैं. उनके आधार पर भविष्य की योजनाएँ बनाने में बहुत सहायता मिलती है।

वित्तीय विश्लेषण के प्रकार

(TYPES OF FINANCIAL ANALYSIS)

वित्तीय विश्लेषण को मुख्यत: निम्नलिखित भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है

(अ) सूचना स्रोत के आधार पर (Based on Source of Information) -सूचना स्रोत के आधार पर वित्तीय विवरण पत्रों का विश्लेषण मुख्यतः निम्नलिखित दो प्रकार का हो सकता है

1 आन्तरिक विश्लेषण (Internal Analysis)-प्रबन्ध द्वारा किये जाने वाले विश्लेषण को आन्तरिक विश्लेषण कहते हैं। ऐसा विश्लेषण फर्म के कर्मचारियों द्वारा ही किया जाता है जिन्हें सभी आवश्यक सूचनायें प्राप्त होती हैं। यह विश्लेषण अधिक विश्वसनीय माना जाता है.परन्तु इसमें व्यक्तिगत पक्षपात का भय बना रहता है। कभी-कभी आन्तरिक विश्लेषण अपने अधिकार-क्षेत्र में किसी व्यवसाय पर नियन्त्रण रखने हेतु सरकार अथवा न्यायालय द्वारा भी कराया जा सकता है।

2. बाह्य विश्लेषण (External Analysis)-लेनदारों, ऋणपत्रधारियों, विनियोजक तथा सरकारी संस्थाओं, आदि बाह्य पक्षकारों के द्वारा किया जाने वाला विश्लेषण बाह्य विश्लेषण कहलाता है । कम्पनी के आन्तरिक अभिलेखों तक इनकी कोई पहँच नहीं होती। इन बाह्य पक्षकारों को केवल प्रकाशित वार्षिक खातों एवं अन्य प्राप्त सूचनाओं के आधार पर ही विश्लेषण करना पड़ता है। अत: यह विश्लेषण अपेक्षाकृत अधिक। पूर्ण नहीं माना जा सकता लेकिन यह आन्तरिक विश्लेषण की अपेक्षा पक्षपात-रहित होता है क्योंकि विश्लेषणकर्ता कम्पनी का कर्मचारी न होने के कारण अधिक स्वतन्त्रता का अनुभव करता है।

(ब) विश्लेषण की कार्यप्रणाली के आधार पर (Based on Process of Analysis)- कायप्रणाला। के आधार पर भी वित्तीय विवरण-पत्रों का विश्लेषण मुख्यत: दो प्रकार से हो सकता है

1.क्षेतिज या समतल या गतिशील विश्लेषण (Horizontal or Dynamic Analysis)- जब किसी व्यावसायिक संस्था के कई वर्ष के वित्तीय विवरणों का समीक्षात्मक विश्लेषण किया जाता है तो ऐसे विश्लेषण को क्षैतिज विश्लेषण कहते हैं। चूंकि इस विश्लेषण से संस्था के विकास की प्रगति का अनुमान लगाया जा सकता है, अत: इसे गतिशील विश्लेषण भी कहा जाता है। संक्षेप में,इस प्रकार के विश्लेषणों में विभिन्न वर्षों के चिट्ठे एवं लाभ-हानि खाते की विभिन्न मदों में होने वाले उच्चावचनों का अध्ययन किया जाता है। इन उच्चावचनों को निम्नलिखित विधियों से प्रकट किया जा सकता है

(i) राशियों की वास्तविक वृद्धि अथवा कमी प्रदर्शित करके,

(i) राशियों में प्रतिशत वृद्धि या कमी प्रदर्शित करके,

(iii) परिवर्तनों को सूचकांकों द्वारा प्रदर्शित करके,

(iv) परिवर्तनों का अनुपात द्वारा स्पष्टीकरण ।

2. शीर्ष या लम्बवत् या स्थिर विश्लेषण (Vertical or Static Analysis)-एक निश्चित अथवा किसी विशिष्ट अवधि से सम्बन्धित वित्तीय विवरणों के विभिन्न मदों के पारस्परिक सम्बन्ध का अध्ययन अथवा उनके योग के बीच सम्बन्ध का अध्ययन लम्बवत् विश्लेषण कहलाता है। उदाहरणार्थ, एक निश्चित तिथि को चिट्टे में दी हुई कुल सम्पत्तियों को 100 मानकर प्रत्येक सम्पत्ति का कुल सम्पत्तियों में भाग (हिस्सा) ज्ञात करना लम्बवत् विश्लेषण ही कहलाता है। चूंकि इस प्रकार का विश्लेषण एक निश्चित तिथि पर वर्तमान सम्बन्धों को ही बतलाता है, उसके उच्चावचनों को नहीं बतलाता, इसलिये इसे स्थिर विश्लेषण भी कहते हैं। इस प्रकार के विश्लेषण को अधिक उपयोगी नहीं माना जाता क्योंकि इस प्रकार के विश्लेषण से किसी संस्था की वित्तीय स्थिति में हुये परिवर्तनों का अनुमान नहीं लगाया जा सकता। लम्बवत् विश्लेषण के अन्तर्गत निम्नलिखित तकनीकों को शामिल किया जा सकता है

(i) समानाकार चिट्ठा एवं लाभ-हानि खाता या आय विवरण।

(ii) संरचनात्मक अनुपात जो चिट्टे एवं लाभ-हानि खाते की विभिन्न मदों में आपसी सम्बन्ध स्पष्ट करते हैं

कार्य-प्रणाली के आधार पर उपर्युक्त वर्णित क्षैतिज तथा लम्बवत् विश्लेषण एक-दूसरे के पूरक हैं। इनमें कोई विरोध नहीं है । सम्पूर्ण विश्लेषण के लिये दोनों ही आवश्यक हैं।

वित्तीय विश्लेषण की क्रियाविधि

(PROCEDURE OF FINANCIAL ANALYSIS)

वित्तीय विवरण-पत्रों के विश्लेषण हेतु निम्नलिखित विधि अपनानी होती है

1 वित्तीय विश्लेषण की सीमा निर्धारित करना (To fix the Limit of Financial Analysis)सर्वप्रथम विश्लेषक को विश्लेषण के उद्देश्य को ध्यान में रखते हये वित्तीय विवरणों के विश्लेषण की सीमा निर्धारित करनी पड़ती है। विश्लेषण के उद्देश्य संस्था की प्रगति, स्थिति तथा भावी सम्भावनाओं की जानकारी से सम्बन्धित हो सकते हैं। इन उद्देश्यों को प्रायः तीन ‘P’ (Progres, Position and Prospectus) के नाम से जाना जाता है। यदि विश्लेषण का उद्देश्य प्रगति का ही माप करना हो तो केवल लाभ-हानि खाते की जाँच ही पर्याप्त होगी। लेकिन वित्तीय स्थिति के विश्लेषण हेतु चिट्ठे का विश्लेषण तथा भावी सम्भावनाओं की जानकारी के लिये संचालकों की रिपोर्ट एवं वार्षिक सभा में दिये गये अध्यक्षीय भाषणों का अध्ययन भी करना पड़ेगा। इतना ही नहीं विश्लेषण की विधि का चयन भी विश्लेषण के उद्देश्य व सीमा पर ही निर्भर करता है।

2.वित्तीय विवरणों का अध्ययन करना (Study of the Financial Statements)-वित्तीय विश्लेषण की सीमा निर्धारित करने के पश्चात् वित्तीय विवरणों में दी हुई सूचनाओं तथा उनके महत्व का मूल्यांकन करने के लिये पहले एक बार इनका पूर्ण रूप से अध्ययन करना भी आवश्यक है।

3. अन्य आवश्यक सचनायें एकत्रित करना (Collection of other Necessary Information)विश्लेषण के लिये अन्य उपयोगी ऐसी सचनायें जो वित्तीय विवरणों से प्रकट नहीं हो रही है. उन्हें विश्लेषण के पूर्व ही संस्था के प्रबन्धक अथवा अन्य स्रोतों से एकत्रित कर लेना चाहिये।

4. अंकों को संक्षिप्त करना (Abrideement of Figures)– विभिन्न मदा क मध्य तुलनात्मक सास स्थापित करने हेतु वित्तीय विवरणों के अंकों की जटिलता को दूर करके उन्हें संक्षिप्त बनाना आवश्यक है। इसके लिये प्रदर्शित आंकड़ों को निकटतम हजार, लाख अथवा करोड़ में व्यक्त किया जाता है। निकटतम रूप में दर्शाने के लिये जिस सीमा तक निकटतम बनाया जाता है उसके आधे से कम दिया जाता है और आधे से अधिक भाग को एक मानकर जोड़ दिया जाता है।

(5) अंकों का पनः वर्गीकरण (Re-classification of Items)-वित्तीय विवरणो के अंगों न्यायोचित रूप में संक्षिप्त करने के बाद जिन मदों को उचित एवं स्पष्ट रूप से वर्गीकृत नहीं किया गया उन्हें उचित प्रकार से पुनः वर्गीकत कर देना चाहिये।

(6) सम्बन्ध स्थापना (Establishment of Correlation)-वित्तीय विवरण-पत्रों के विश्लेषण की समपर वित्तीय विवरणों की किन्हीं दो मदों के मध्य सम्बन्ध स्थापित किया जाता है क्योंकि निरपेक्ष समंक अपने आप में महत्वहीन होते हैं। वित्तीय विवरणों की किन्हीं दो मदों के मध्य हेतु मुख्यतः तुलना अथवा प्रवृत्ति अध्ययन का सहारा लिया जाता है। तुलना एक दी हई तिथि नि सम्बन्धित मटों के बीच अथवा पिछले कई वर्षों से की जा सकती है। इसके अतिरिक्त क की तलना उसी प्रकार की अन्य कम्पनियों अथवा सम्पूर्ण उद्योग के लिये तैयार किये गये अंकों से भी की जा सकती है। प्रवत्ति अध्ययन के द्वारा वित्तीय विवरण की किसी मद में विभिन्न वर्षों में हये परिवर्तन का चलता है। इसलिये तुलना के साथ-साथ गत वर्षों के वित्तीय विवरणों के आधार पर कुछ महत्वपूर्ण मदों की। प्रवृत्ति का माप करना एवं उनका विश्लेषण करना भी आवश्यक होता है।

(7) विश्लेषण का निर्वचन करना (Interpretation of Analysis)- वित्तीय विवरणों की मदों में सापेक्षिक सम्बन्ध स्थापित करने के बाद उपलब्ध तथ्यों से निष्कर्ष निकाला जाता है अर्थात् संस्था की प्रगति. वित्तीय स्थिति एवं भावी सम्भावनाओं के बारे में विचार प्रकट करना है।

(8) प्रबन्ध को सूचित करना (Reporting of Management)-वित्तीय विवरणों के विश्लेषण की क्रियाविधि के अन्तिम स्तर पर वित्तीय विवरणों की व्याख्या एवं विश्लेषण से प्राप्त निष्कर्षों को प्रतिवेदनों. चित्रों एवं रेखाचित्रों द्वारा प्रबन्ध को निर्णयन हेत प्रस्तुत करना है।

Management Analysis Interpretation Statement

वित्तीय विश्लेषण का महत्त्व

(IMPORTANCE OF FINANCIAL ANALYSIS)

जिस प्रकार मानव शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिये डॉक्टर शरीर के सामयिक परीक्षण (Periodical Test) की सलाह देते हैं, ठीक उसी प्रकार व्यवसाय को वित्तीय दृष्टि से सुदृढ़ एवं लाभप्रद बनाये रखने के लिये वित्तीय विश्लेषण की आवश्यकता होती है। वित्तीय विवरणों का विश्लेषण प्रबन्ध के लिये एक ‘स्वयं-मूल्यांकन’ का आधार प्रदान करता है, क्योंकि यह एक प्रकार से प्रबन्धकीय कुशलता और योग्यता की रिपोर्ट है। एक बैंकर इससे संस्था की तरलता की स्थिति देख सकता है, एक लेनदार उधार की राशि निश्चित कर सकता है और विनियोजक अपने मूलधन की सुरक्षा और लाभांश की दर के आधार पर अंशों को खरीदने व बेचने की योजना बना सकता है। इस प्रकार वित्तीय विवरणों का विश्लेषण विभिन्न पक्षों के लिये भिन्न-भिन्न प्रकार से उपयोगी होता है। विभिन्न पक्षों के लिये वित्तीय विश्लेषण के महत्व की संक्षिप्त चर्चा निम्न प्रकार है__

1 ऋणदाताओं के लिये महत्त्व (Importance for Creditors)-ऋणदाता अल्पकालिक अथवा दीर्घकालिक हो सकते हैं। अल्पकालिक ऋणदाताओं का स्वार्थ व्यवसाय की तुलना में निहित होता है, अतः। ये संस्था के कोष प्रवाह के माध्यम से यह जानना चाहते हैं कि उनका कर्ज चुकाने के लिये कम्पनी के पास समय पर नकद कोष होंगे या नहीं, जबकि दीर्घकालिक ऋणदाता संस्था की दीर्घकालीन लाभ-अर्जन क्षमता के विश्लेषण से यह देखना चाहते हैं कि दीर्घकाल में संस्था की अर्जन क्षमता उनके ऋणों के भुगतान के लिये पर्याप्त धन संचित रखेगी या नहीं।

2. विनियोजकों के लिये महत्त्व (Importance for Investors)-विनियोजकों का मुख्य स्वार्थ विनियोजन की सुरक्षा तथा कम्पनी की लाभार्जन क्षमता में निहित होता है। जहाँ तक विनियोजन की सुरक्षा का प्रश्न है इस सम्बन्ध में वे स्वयं अपनी धारणा बनाते हैं। अतः विनियोजकों का ध्यान मुख्यत: कम्पनी की लाभार्जन शक्ति पर केन्द्रित रहता है । इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु विनियोजक D.P.S., E.P.S. तथा मूल्य-अर्जन अनुपात (Price-Earning Ratio) के साथ-साथ कम्पनी की पिछले वर्षों में रही बिक्री की प्रवृत्ति, कम्पनी का उद्योग में स्थान, आदि बातों का अध्ययन कर सकते हैं।

3. श्रमिक व कर्मचारियों के लिये महत्त्व (Importance for Workers and Employees)श्रमिक वर्ग संस्था की लाभ-अर्जन क्षमता व वित्तीय सुदृढ़ता में विशेष रुचि रखते हैं। कम्पनी की आय कम-से-कम इतनी अवश्य होनी चाहिये ताकि श्रमिकों को उनकी मजदूरी, आदि का भुगतान करने में कोई कठिनाई न आये। इनके द्वारा मजदूरी में वृद्धि की मांग भी वित्तीय विश्लेषण के परिणामों को ध्यान में रखकर ही की जाती है।

(4) प्रबन्ध के लिये महत्त्व (Importance for Management)-वित्तीय विश्लेषण का प्रबन्ध के लिये क्या महत्व है? यह गेस्टनबर्ग के निम्नलिखित कथन से भली प्रकार स्पष्ट हो जाता है

__“वित्तीय विश्लेषण के माध्यम से प्रबन्धक अपनी नीतियों व निर्णयों की प्रभावशीलता माप सकते हैं, नई नीतियों व पद्धतियों के धारण के औचित्य का निर्धारण कर सकते हैं तथा स्वामियों को अपने प्रबन्धकीय प्रयत्नों का प्रमाण दे सकते हैं।”

Management Analysis Interpretation Statement

विश्लेषण व निर्वचन की विधियाँ

(METHODS OF ANALYSIS AND INTERPRETATION)

किसी व्यावसायिक उपक्रम की वित्तीय स्थिति अथवा/और लाभार्जन शक्ति का ज्ञान प्राप्त करने के लिये उसके वित्तीय विवरणों की मदों में क्षैतिज अथवा लम्बवत् विश्लेषण का अध्ययन करने के लिये जिन उपायों का प्रयोग किया जाता है. उन्हें वित्तीय विश्लेषण की तकनीकें कहा जाता है। वित्तीय विश्लेषण की प्रमुख तकनीकें निम्नलिखित हैं

(i) तुलनात्मक वित्तीय विवरण (Comparative Financial Statements);

(ii) समानाकार वित्तीय विवरण (Common Size Financial Statements);

(iii) प्रवृत्ति विश्लेषण तकनीक (Trend Analysis Technique);

(iv) औसत विश्लेषण (Average Analysis);

(v) अनुपात विश्लेषण तकनीक (Ratio Analysis Technique);

(vi) कोष प्रवाह विश्लेषण तकनीक (Fund Flow Analysis Technique);

(vii) रोकड़ प्रवाह विवरण तकनीक (Cash Flow Analysis Technique)।

यह आवश्यक नहीं है कि एक वित्तीय विश्लेषण में उपर्युक्त सभी तकनीकों का प्रयोग किया जाये। वस्तुतः वित्तीय विश्लेषण की तकनीक का चुनाव विश्लेषण के उद्देश्य पर निर्भर करता है। उपर्युक्त सभी तकनीकों का संक्षिप्त विवेचन निम्न प्रकार है

(i) तुलनात्मक वित्तीय विवरण

(COMPARATIVE FINANCIAL STATEMENTS)

किसी भी संस्था की वर्तमान स्थिति इतना महत्व नहीं रखती जितना उस संस्था का पिछला इतिहास। अतः ऐसे अध्ययन के लिये पिछले वर्षों की तुलना में वर्तमान के तथ्यों को सम्मिलित करते हुये तैयार किये गये तुलनात्मक वित्तीय विवरण का महत्व बहुत बढ़ जाता है।

तुलनात्मक वित्तीय विवरण किसी व्यवसाय की वित्तीय स्थिति के इस प्रकार बनाये गये विवरण होते हैं, जिनकी सहायता से विभिन्न वित्तीय विवरणों में सन्निहित वित्तीय स्थिति के विभिन्न तत्वों पर विचार के लिये एकरूपता प्रदान की जा सके। इस विधि के अन्तर्गत निम्नांकित प्रक्रिया अपनाई जाती है

(a) दो वर्षों के वित्तीय विवरण-पत्रों की वास्तविक राशियों को लिखना। ।

(b) अगले खाने (Column) में इनके अन्तर को लिखना।

(c) आधार वर्ष के आधार पर अन्तर का प्रतिशत निकालना।

विश्लेषण हेतु तुलनात्मक विवरणों को तैयार करते समय इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि किसी संस्था के जितने समय के वित्तीय विवरणों का अध्ययन किया जाये उस समय के दौरान लेखांकन सिद्धान्तों के परिपालन में एकरूपता बरती जाये तथा आंकडों एवं सूचनाओं के एकत्रीकरण और प्रस्ततीकरण की विधियों में भिन्नता न हो। संक्षेप में निम्नलिखित तुलनात्मक विवरण तैयार किये जा सकते हैं

  1. लाभ-हानि का तुलनात्मक विवरण,
  2. आर्थिक चिट्टे का तुलनात्मक विवरण,
  3. उत्पादन लागत का तुलनात्मक विवरण,
  4. कार्यशील पूँजी का तुलनात्मक विवरण,

सामान्यतः प्रत्येक व्यवसाय का चिद्रा एवं उसका लाभ-हानि खाता ही तुलनात्मक प्रारूप में तैयार किये जाते हैं क्योंकि ये ही वित्तीय स्थिति को प्रकट करने वाले विवरण हैं.परन्तु विश्लेषण एवं निर्वचन के लिये तैयार किये जाने वाले तलनात्मक विवरणों में उत्पादन लागत का तुलनात्मक विवरण तथा कार्यशील पूजा के तुलनात्मक विवरण को भी सम्मिलित किया जाता है।

विभिन्न तुलनात्मक वित्तीय विवरणों की विवेचना निम्न प्रकार है

1 तुलनात्मक आय विवरण या लाभ-हानि का तुलनात्मक विवरण (Comparative Income Statement Or Comparative Statement of Profit and Loss)-लाभ-हानि के तुलनात्मक विवरण से व्यवसाय की लाभदायकता की जानकारी प्राप्त की जाती है। इसमें कई लेखा अवधियों के संचालन परिणाम प्रदर्शित किये जाते हैं। विभिन्न मदों के परिवर्तनों को राशि (निरपेक्ष मूल्य) और प्रतिशत दोनों ही रूपों में प्रदर्शित किया जाता है। तुलनात्मक आय विवरण तैयार करने के लिये निम्नलिखित कदम उठाने पड़ते हैं

  1. पहला कॉलम जिसमें प्रथम वर्ष की विभिन्न मदों को लिखा जाता है।
  2. दूसरे कॉलम में दूसरे वर्ष की विभिन्न मदों को लिखा जाता है।
  3. तीसरे कॉलम में पहले एवं दूसरे कॉलम के अन्तर को दिखाते हैं।
  4. चौथे कॉलम में तीसरे कॉलम का पहले कॉलम/प्रथम वर्ष के साथ प्रतिशत दिखाया जाता है अर्थात

तीसरे कॉलम का मान*100

प्रथम कॉलम का मान

Management Analysis Interpretation Statement

तुलनात्मक आय-विवरण के उद्देश्य (Objectives of Comparative Income Statement)

  1. दो या दो से अधिक वर्षों की आय व व्यय का विश्लेषण करना।
  2. आय व व्यय में परिवर्तन की राशि व प्रतिशत के आधार पर विश्लेषण करना।
  3. गत वर्ष के व्यवसाय संचालन का विश्लेषण करना तथा आगामी वर्ष में इसके प्रभाव का अनुमान लगाना।

लाभ-हानि का विश्लेषण करते समय ध्यान देने योग्य बातें (Considerable Matters while Analysing Profit and Loss)-लाभ-हानि का तुलनात्मक विश्लेषण करते समय निम्नलिखित बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए

  1. सकल विक्रय में कमी हो रही है या वृद्धि।
  2. शुद्ध विक्रय में कमी हो रही है या वृद्धि।
  3. विक्रय की लागत की जाँच की जानी चाहिए; यदि इसमें अधिक वृद्धि हो रही है तो इसके कारणों को ढूंढ़ना चाहिए क्योंकि इसमें अधिक वृद्धि उचित नहीं है।
  4. सकल लाभ में वृद्धि हो रही है या कमी। उसकी तुलना विक्रय से की जानी चाहिए।
  5. संचालन व्यय में कमी हो रही है या वृद्धि।
  6. संचालन लाभ में कमी हो रही है या वृद्धि । इसमें कमी या वृद्धि के कारणों को ढूँढ़ना चाहिए। इसका विश्लेषण संचालन व्ययों के सन्दर्भ में भी करना चाहिए।

7 विभिन्न आय की मदों का विश्लेषण करते समय यह देखना चाहिए कि इनका विक्रय के साथ क्या प्रतिशत है।

  1. आय प्राप्ति के सम्बन्ध में किये जाने वाले व्ययों में कमी हो रही है या वृद्धि । इनका प्रतिशत विक्रय के साथ निकालना चाहिए।
  2. कर के आयोजन की राशि की पर्याप्तता की भी जाँच की जानी चाहिए। इसके लिए आय की राशि एवं कर की राशि का तुलनात्मक अध्ययन करना चाहिए।
  3. शुद्ध लाभ की राशि का विश्लेषण किया जाना चाहिए। इसका प्रतिशत लाभ के साथ ज्ञात किया ।

जाना चाहिए।

Illustration 1. 31 दिसम्बर 2014 एवं  2015 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिये किसी संस्था के आय विवरण निम्नलिखित हैं । आंकडों को तुलनात्मक रुप में पुनर्व्यवस्थित एवं संस्था की। लाभदायकता की स्थिति का अध्ययन करें

The income statement of a concern are given for the years ending on 31st Dec., 2014 and 2015. Rearrange the figures in comparative form and study the profitability position of the concern:

व्याख्या (Explanation) – उपर्युक्त तुलनात्मक आय विवरण से स्पष्ट है कि शुद्ध बिक्री में 2940 की वृद्धि हुई है, जबकि बिक्री की लागत में 20% की वृद्धि हुई है जिसके परिणामस्वरूप सकल लाभ में 42.88% की वृद्धि हुई है। यद्यपि संचालन व्यय (Operating Expenses) में 10.53% की वृद्धि हुई है, फिर भी संचालन लाभ में 81.25% की वृद्धि हुई है। ब्याज एवं आय कर में 33.33% एवं 12.5% की वृद्धि होने के बावजूद भी शुद्ध लाभ में 220% की वृद्धि हुई है। निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि कम्पनी का विकास उम्मीद से अधिक हआ है एवं कम्पनी की लाभदायकता सन्तोषजनक है।

Illustration 2. विभव लिमिटेड के निम्नलिखित लाभ-हानि विवरण से तुलनात्मक आय विवरण तैयार कीजिए

From the following statement of Profit and Loss of Vibhav Limited, prepare Comparative Income Statement :

Management Analysis Interpretation Statement

Illustration 3. 31 मार्च, 2014 एवं मार्च, 2015 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिये किसी कम्पनी के आय विवरण निम्नलिखित हैं। आँकडों को तलनात्मक रूप में पुनर्व्यवस्थित करके कम्पनी की लाभदायकता की स्थिति का अध्ययन करें

The income statement of a company are given for the years ending on 31st March, 2014 and 2015. Rearrange the figures in comparative form : and study the profitability position of the company :

Particulars                                                        31st March, 2014               31st March, 2015

Revenue from Operations (Net Sales)               8,00,000                                9,60,000

Purchases of Stock-in-Trade                                4,50,000                                5,50,000

Changes in Inventories of Stock-in-Trade         50,000                                    30,000

Other Expenses : Office and Administration     1,40,000                              1,90,000

Selling and Distribution                                             90,000                                  70,000

General Expenses                                                          10,000                                  5,000

COMPARATIVE INCOME STATEMENT

FOR THE YEARS ENDED 31ST MARCH, 2014&2015

Management Analysis Interpretation Statement

समीक्षा (Comments)

  1. संचालन क्रियाओं से आगम में (Revenue from Operations) 20% की वृद्धि हुई है।
  2. व्यापार के लिए स्टॉक के क्रय (Purchases of Stock-in-Trade) में 22.22% की वृद्धि हुई है तथा व्यापार के लिए स्टॉक में परिवर्तन (Changes in Inventory of Stock-in-Trade) में 40% की कमी हुई है।
  3. व्यय (Expenses) में 14.19% वृद्धि हुई है।
  4. कुल प्रभाव यह है कि कर से पूर्व लाभ (Profit before tax) में 91.67% की वृद्धि हुई है ।।
  5. तलनात्मक आर्थिक चिट्ठा (Comparative Balance Sheet) तुलनात्मक चिट्टे में दो तिथियों पर तैयार किये गये चिट्ठों की मदों को इस प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है कि प्रत्येक सम्बन्धित मद में दो तिथियों के बीच हुये परिवर्तन को सरलतापूर्वक ज्ञात किया जा सके।

फाउल्के के अनुसार, “तुलनात्मक चिट्ठा विश्लेषण एक ही व्यावसायिक उपक्रम के भिन्न तिथि के दो या दो से अधिक चिट्ठों के समान मदों, मदों के समूह और आगणित मदों की प्रवृत्ति का अध्ययन है।”

तुलनात्मक चिट्ठे की तैयारी (Preparation of Comparative Balance Sheet)- तुलनात्मक आय विवरण की भाँति दो अवधि के चिट्ठों की विभिन्न मदों की तुलनात्मक स्थिति प्रदर्शित करने के लिये सर्वप्रथम सभा मदों के परिवर्तनों का सारांश (Summary of Balance Sheet Changes) तैयार किया जाता है ।। पहले दो खानों (columns) में मौलिक (original) चिट्ठों के समंक प्रदर्शित किये जाते हैं तथा तीसरे खाने में विभिन्न मदों में वृद्धि और कमियाँ निरपेक्ष रूप में दिखलाते हैं। विश्लेषण की सुविधा के लिये चौथा खाना। (column) प्रतिशत वृद्धि या कमी प्रदर्शित करने के लिये बनाया जाता है।

तुलनात्मक चिट्ठ का महत्त्व (Importance of Comparative Balance Sheet)- तुलनात्मक चिट्ठा वित्तीय विश्लेषण एवं निर्वचन की एक महत्वपूर्ण तकनीक है। इसके प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं

  1. एक आर्थिक चिट्ठे से एक निश्चित तिथि पर खातों के शेषों की जानकारी होती है जबकि तुलनात्मक चिट्टे से विभिन्न तिथियों के खातों के शेषों (balances) का ही ज्ञान नहीं होता वरन् उन तिथियों हुये परिवर्तनों की सीमा का ज्ञान भी हो जाता है।
  2. एक आर्थिक चिट्ठा किसी एक तिथि पर व्यवसाय की आर्थिक स्थिति प्रदर्शित करता है जबकि तुलनात्मक चिट्ठा विशेषतः परिवर्तन पर ही जोर देता है। इस प्रकार तुलनात्मक चिट्टे की प्रवृत्ति प्रावैगिक है।
  3. तुलनात्मक चिट्ठे से विभिन्न मदों के पुस्तक मूल्य का ही पता नहीं लगता वरन् यह उनकी प्रवृत्ति 20 को भी प्रकट करता है।

तुलनात्मक चिट्ठे की कमियाँ (Limitations of Comparative Balance Sheets)-चिट्टे में परिवर्तनों के सारांश में प्रदर्शित परिवर्तनों की एक महत्वपूर्ण कमजोरी यह है कि इसमें विभिन्न मदों का कुल सम्पत्तियों, दायित्वों व पूँजी से सम्बन्धों और फिर इन सम्बन्धों में वर्ष-प्रति-वर्ष परिवर्तनों को प्रदर्शित नहीं किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप एक संस्था के समंकों की दूसरी संस्था अथवा सम्पूर्ण उद्योग के समंकों से कोई महत्वपूर्ण तुलना नहीं की जा सकती। इस कमी को दूर करने के लिये तुलनात्मक सामान्य आकार का चिट्ठा तैयार किया जा सकता है। स्पष्टीकरण हेतु निम्नलिखित उदाहरण देखिये

Illustration 4. निम्नलिखित आर्थिक चिट्ठों से, एक्स लिमिटेड़ हेतु तुलनात्मक आर्थिक चिट्ठे तैयार कीजिए एवं निकाले गये परिणामों की संक्षिप्त रिपोर्ट दीजिए

From the following Balance Sheets, prepare a Comparative Balance Sheet for X Ltd., and give a brief report of inferences you draw :

निकाले गए निष्कर्षों की संक्षिप्त रिपोर्ट (Brief Report of Inferences Drawn)

(i) कम्पनी का तुलनात्मक आर्थिक चिट्ठा (Comparative Balance Sheet) अंश पूँजी (Share Capital) में Rs. 5,00,000 (50%) तथा दीर्घकालीन ऋण (Long-term Borrowings) में Rs.6,00,000 (300%) वृद्धि को दर्शाता है।

(ii) स्थायी सम्पत्तियों (Fixed Assets) में वर्ष 2014-15 के अन्तर्गत 10,00,000 रुपए अर्थात् 55.55% की वृद्धि हई। यह तथ्य इस बात को प्रदर्शित करता है कि दीर्घकालीन ऋण (Long-term Borrowings) के रूप में एकत्रित राशि का अधिकांश भाग स्थायी सम्पत्तियों को क्रय करने में प्रयोग किया गया है।

(iii) अंश पूँजी एवं दीर्घकालीन ऋण के रूप में एकत्रित धनराशि का प्रयोग आय अर्जित करने वाली सम्पत्तियों में करना एक सुदृढ़ तथा अच्छी नीति (Sound and Good Policy) का परिचायक है। कम्पनी की वित्तीय स्थिति समग्र रूप से अच्छी है। ।

3. उत्पादन लागत का तुलनात्मक विवरण (Comparative Statement of Cost of Goods Manufactured) -यह विवरण तुलनात्मक आय विवरण के पूरक के रूप में तैयार किया जाता है। यह विवरण दो या अधिक वर्षों में उत्पादन लागत के विभिन्न लागत तत्वों में उत्पन्न हये परिवर्तनों को प्रदर्शित करता है । इस विवरण से दो बातों की जानकारी होती है

Management Analysis Interpretation Statement

(i) उत्पादन लागत के विभिन्न मदों पर होने वाले व्यय में वृद्धि हो रही है अथवा कमी।

(ii) कुल उत्पादन लागत में प्रत्येक लागत मद का क्या अनुपात है तथा पिछले वर्षों की तुलना में इसमें क्या परिवर्तन हुआ है।

उत्पादन लागतों पर नियन्त्रण हेतु यह विवरण सर्वोत्तम आधार प्रदान करता है । इस विश्लेषण के आधार पर एक प्रबन्धक अपनी संस्था में उत्पादन लागतों में कमी के उपाय कर सकता है।

इस विवरण को तैयार करने के लिये उत्पादन लागत के प्रत्येक मद के निरपेक्ष मूल्यों के साथ-साथ एक। कॉलम में उसका कुल उत्पादन लागत से प्रतिशत दिखलाया जाता है ।

इस विवरण में एक अन्य कॉलम बनाया जाता है जिसमें प्रत्येक मद की पिछले वर्ष से तुलना अर्थात् वर्तमान वर्ष में हुई वृद्धि अथवा कमी दिखलायी जाती है। इस अन्तिम कॉलम के दो उप-कॉलम किये जाते हैं। पहले उप-कॉलम में कमी या वृद्धि की निरपेक्ष राशि प्रदर्शित की जाती है तथा दूसरे उप कॉलम में प्रतिशत कमी या वृद्धि प्रदर्शित की जाती है। स्पष्टीकरण हेतु निम्नलिखित उदाहरण देखिये–

Illustration 5. निम्नलिखित विवरण राजीव प्राइवेट लि. के निर्मित माल की लागत का है। समंक को विश्लेषण के लिये उपयोगी रूप में प्रस्तुत करो।

Following is the statement of cost of goods manufactured by Rajeev Private Ltd. Present the data in a suitable form of analysis :

2014 (₹)                   2015 (₹)

प्रयुक्त सामग्री (Material Consumed)                     2,13,000                  2,34,000

प्रयुक्त श्रम (Direct Labour)                                  2,53,000                   3,16,000

निर्माण व्यय (Manufacturing Expenses)               1,21,000                    1,42,000

                                                      (a) 5,87,000          6,92,000

रहतिया विधि के क्रम में माल का विचरण (Variation of Goods in Processes of Stock)

वर्ष के प्रारम्भ में (Opening of Year)                       13,000                         14,000

वर्ष के अन्त में (Closing of Year)                           14,000                         16,000

1,000                              2,000

निर्मित माल की लागत (Cost of Goods Manufactured) (a – b) 5,86,00     6,90,000

व्याख्या (Explanation) उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि वर्ष 2014 की तलना में वर्ष 2015 में कल उत्पादन लागत 17.77 प्रतिशत से बढ़ी है । इस अवधि में यद्यपि सामग्री, श्रम और उत्पादन व्यय. तीनों में हीवृद्धि हुई है किन्तु कुल लागत पर इन व्ययों के प्रतिशत पर ध्यान देने से पता चलता है कि सामग्री और उत्पादन व्यय के प्रतिशतों में कमी आयी है, जबकि श्रम लागत का प्रतिशत बढ़ा है। निष्कर्ष के रूप में यह कहा जा सकता है कि वर्ष 2015 में श्रम व्ययों में अनुपात से अधिक वृद्धि हुई है।

(4) कार्यशील पूंजी का तुलनात्मक विवरण (Comparative Statement of Working Capital)- यह विवरण दो आर्थिक चिट्ठों की तिथियों के बीच संस्था की कार्यशील पूँजी में उत्पन्न परिवर्तनों और परिवर्तन के कारणों को प्रकट करता है । इस विवरण के विस्तृत विवेचन हेतु वित्तीय स्थिति में परिवर्तनों का विवरण कोष-प्रवाह विवरणनामक अध्याय का अध्ययन करें।

(ii) समानाकार वित्तीय विवरण DS-32

(COMMON SIZE FINANCIAL STATEMENTS)

वित्तीय विवरणों के विश्लेषण की इस विधि में वित्तीय विवरण में दिए गए मूल्यों/सं ख्याओं/राशियों को सामान्य आधार (Common Base) के प्रतिशत के रूप में परिवर्तित कर लिया जाता है । समानाकार वित्तीय विवरण दो प्रकार के होते हैं

1 समानाकार लाभ-हानि विवरण (Common-size Statement of Profit and Loss)

2. समानाकार आर्थिक चिट्ठा (Common-size Balance Sheet).

3. समानाकार लाभ-हानि खाता/लाभ-हानि विवरण/आय विवरण (Common Size Profit and Loss Account/Statement of Profit and Loss/Income Statement)-समानाकार लाभ-हानि खाता अथवा आय विवरण में संचालन क्रियाओं से आगम प्राप्ति (Revenue from Operations) अर्थात् (बिक्री) की राशि को 100 के बराबर मानकर विभिन्न मदों को बिक्री के प्रतिशत के रूप में परिवर्तित करके दिखलाया जाता है अर्थात् यह विवरण शुद्ध विक्रय से विभिन्न मदों के प्रतिशत को प्रदर्शित करता है। आय विवरण की विभिन्न मदों को विक्रय के प्रतिशत के रूप में दिखाने से उनका वास्तविक महत्त्व स्पष्ट हो जाता

समानाकार लाभ-हानि विवरण के उद्देश्य (Objectives of Common-Size Statement of Profit and Loss)

1 लाभ-हानि विवरण की प्रत्येक मद में परिवर्तन का विश्लेषण करना।

2 आय और व्यय की विभिन्न मदों की प्रवृत्ति का अध्ययन करना।

स्पष्टीकरण हेतु निम्नलिखित उदाहरण देखें]

Illustration 6. निम्नलिखित लाभ-हानि विवरण से समानाकार आय विवरण तैयार कीजिए एवं टिप्पणी कीजिए

From the following Statement of Profit and Loss, prepare Common-size Income Statement and give comments :

समीक्षा (Comments)

1. व्यापार के लिए स्टॉक का क्रय (Purchases of Stock-in-Trade) तथा व्यापार स्टॉक में परिवर्तन (Changes in Inventories of Stock-in-Trade) संयुक्त रूप से 75% से गिरकर 68% हो गए, इस परिवर्तन के निम्नलिखित दो सम्भावित कारण हैं

(i) क्रय एवं उत्पादन विभाग का कुशल प्रबन्ध (Efficient arrangement),

(ii) उत्पादन की लागत (Cost of Production) में वृद्धि बिना उत्पाद के विक्रय-मूल्य में वृद्धि ।

2. शुद्ध लाभ (Net profit) में वृद्धि का मुख्य कारण बेचे गए माल की लागत (Cost of Ghode Sold) में 6% कमी (अर्थात् 80% से 74.4%)।

2. समानाकार आर्थिक चिट्ठा (Common-size Balance Sheet)-समानाकार चिट्ठे में मूल चिढे की प्रत्येक सम्पत्ति का कुल सम्पत्तियों के योग से और प्रत्येक दायित्व (पूँजी सहित) का कुल दायित्वों के योग से प्रतिशत मालूम किया जाता है। इसी प्रकार चिट्ठे की प्रत्येक मद को उससे सम्बन्धित कुल राशि के प्रतिशत के रूप में दिखलाकर तुलना के लिए समान आधार प्रदान किया जाता है। इसमें भिन-भिन्न चिट्ठों के योगों को 100 मानकर उन्हें समान आकार का बना दिया जाता है।

समानाकार चिट्ठे के उद्देश्य (Objectives of Common-Size Balance Sheet)_

  1. चिट्ठे की प्रत्येक मद में होने वाले परिवर्तन का विश्लेषण करना।
  2. सम्पत्तियों और दायित्वों की विभिन्न मदों की प्रवृत्ति का अध्ययन करना।

स्पष्टीकरण हेतु निम्नलिखित उदाहरण देखें_

Illustration 7. एक्स लि. के 2014 व 2015 के लिये सूक्ष्म में निम्नांकित चिट्ठे हैं

Following are the Balance Sheets of X Ltd. in brief for the years 2014 and 2015.

उपर्युक्त तालिका यह स्पष्ट करती है कि कोषो के कुल साधनों में से 2015 में पूँजी का योगदान 71%, संचय का 20% तथा दायित्वों का 9% है, जबकि 2014 में पूँजी का योगदान 69%, संचय का 17% एवं चालू दायित्वों का 14% ही था।

2015 में कुल सम्पत्तियों में स्थायी सम्पत्तियों का भाग 85%, विनियोग का 9% तथा देनदारों का 6% है, जबकि 2014 में स्थायी सम्पत्तियों का भाग 86%, विनियोग का 9% तथा देनदारों का 5% था।

Illustration 8. एक्स लिमिटेड़ के 31 मार्च, 2014 एवं 2015 को निम्नलिखित चिट्ठों से समानाकार आर्थिक चिट्ठा तैयार कीजिए

From the following Balance Sheets of X Ltd., as at 31st March, 2014 and 2015, prepare Commmon-size Balance Sheet.

(iii) प्रवृत्ति विश्लेषण तकनीक

(TREND ANALYSIS TECHNIQUE)

प्रवृत्ति सामान्य रूप में एक साधारण रुख (Tendency को कहते हैं। यह रुख जानने के लिये अनेक वर्षों के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाना आवश्यक है जिसके लिये प्रवत्ति विश्लेषण विधि का प्रयोग किया जाता है । इस विधि के अन्तर्गत लाभ-हानि खाते या चिट्टे के किसी भी मद के सम्बन्ध में उसकी प्रवृत्ति ज्ञात की जा सकती है अर्थात् चार-पाँच वर्षों के अन्तर्गत उस मद में क्या परिवर्तन हये हैं। इस प्रकार यह देखते हैं कि उसमें प्रति वर्ष कमी हुई है अथवा वद्धि हई है अर्थात प्रवृत्ति घटने की है या बढ़ने की। उदाहरण के लिये पिछले 5 वर्षों की विक्रय राशि का विश्लेषण करके यह ज्ञात कर सकते हैं कि प्रति वर्ष उसमें कितनी कमी या वृद्धि हो रही है और उसके आधार पर अगले वर्ष के लिये विक्रय का पूर्वानुमान लगाया जा सकता। है। स्पष्ट है कि एक निचित अवधि की तुलना में क्रमिक वर्षों में विवरणों की मदों में परिवर्तन के रुख के आधार पर व्यवसाय की वित्तीय स्थिति का अध्ययन करने की विधि प्रवृत्ति विश्लेषण कहलाती है। इस प्रकार के विश्लेषण हेतु मुख्यतः निम्नलिखित तीन विधियाँ प्रयोग की जाती हैं

1. प्रवृत्ति प्रतिशत (Trend Percentage)

2. प्रवृत्ति अनुपात (Trend Ratio)

3. बिन्दुरेखीय या चित्रमय प्रदर्शन विधि (Graphic or Diagrammatic Presentation)

1.प्रवृत्ति प्रतिशत (Trend Percentage)-इस विधि में सर्वप्रथम कई वर्षों के वित्तीय विवरणों की सचनाओं का सारणीयन कर लेते हैं। इसके बाद किसी एक अवधि या वर्ष (प्रायः प्रथम वर्ष) को आधार मानकर अन्य वर्षों की प्रतिशत वृद्धि या कमी ज्ञात कर ली जाती है। ये प्रतिशत ही प्रवृत्ति प्रतिशत कहलाते हैं जिनसे आधार वर्ष की तुलना में अन्य वर्षों में होने वाले परिवर्तनों की दरों की जानकारी प्राप्त होती  है ।

निम्नलिखित उदाहरण की सहायता से इसे भली प्रकार समझा जा सकता है

Illustration 9. गत पाँच वर्षों की अवधि में कुछ प्रमुख मदों के परिवर्तन निम्नलिखित प्रकार हैं

The following data relate to some important items of the Company disclosing the development during the last five years :

              The year 2010                                Year 2015

Working Capital                          46,70,602                                 76,50,191

Plant and Equipment                 19,95,684                                 48,35,367

Long-term Debt.                         14,56,000                                  28,00,000

Net Tangible Assets                    56,16,046                                99,75,218

प्रवृत्ति प्रतिशतों का प्रयोग करते हुये संस्था की वित्तीय स्थिति में परिवर्तनों (सुदृढ़ता/दुर्बलता) पर प्रकाश डालिये।

Using the trend percentage, evaluate the changes in the financial position (soundness/weakness) of the Company.

परिवर्तनों का निर्वचन-प्रवृत्ति-प्रतिशतों के विश्लेषण से स्पष्ट है कि कार्यशील पूंजी की अपेक्षा प्लान्ट व मशीन में अधिक वृद्धि हुई है। प्लान्ट एवं मशीन की वृद्धि 142% है जबकि कार्यशील पूँजी की वृद्धि 64% है। इन प्रवृत्ति प्रतिशतों से ऐसा प्रतीत होता है कि संस्था की स्थायी सम्पत्तियों में तीव्र गति से वृद्धि हई है तथा संस्था की तरलता-स्थिति पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ा है । वास्तविक अंकों में हुये परिवर्तन पर दृष्टिपात करने से विपरीत परिणाम स्पष्ट होते हैं। कार्यशील पूँजी में 30 लाख रुपये की वृद्धि हुई है जबकि प्लान्ट एवं मशीन में 28 लाख रुपये की वृद्धि हुई है । इस प्रवृत्ति को अनुचित नहीं कहा जा सकता।।

दीर्घकालीन ऋण तथा शद्ध मर्त सम्पत्तियो में क्रमश: 92% और 78% की वृद्धि हुई है जो अवांछनीय । प्रतीत होती है क्योंकि शद्ध मर्त सम्पत्तियों की तलना में दीर्घकालीन ऋणों में अधिक वृद्धि, बढ़ते हये ऋण। भार की सूचक होती है। परन्तु वास्तविक अंकों के परिवर्तनों से स्पष्ट है कि दीर्घकालीन ऋणों में 12 लारुपये की वृद्धि हई है जबकि शद्ध मूर्त सम्पत्तियों में 44 लाख रुपये की। ऋणों की यह वृद्धि मर्त सम्पत्तियों। की वृद्धि के एक तिहाई से कम है। इस परिवर्तन को अवांछनीय नहीं कहा जा सकता। __ इस प्रकार प्रवत्ति-प्रतिशतों के आधार पर ही विश्लेषण किया जाये तो यह निष्कर्ष निकलता है कि संस्था की स्थिति दर्बलतर होती गई है, परन्तु वास्तविक अंकों के सन्दर्भ में विश्लेषण करने से ज्ञात होता है कि संस्था की वित्तीय स्थिति निरन्तर सुदृढ़ होती गई है।

2. प्रवृत्ति अनुपात (Trend Ratio)-इस विधि के अन्तर्गत चालू वर्ष की राशि में आधार वर्ष की राशि का भाग देकर 100 से गुणा कर दिया जाता है। इस प्रकार विभिन्न वर्षों की विभिन्न मदों में किसी एक वर्ष की मद को आधार मानकर अन्य वर्षों की उसी मद की रकम का अनुपात प्रवृत्ति अनुपात कहलाता है।। ये अनुपात मूल्य सूचकांकों की भाँति ही होते हैं।

निम्नलिखित उदाहरण की सहायता से इसे भली प्रकार समझा जा सकता है

Illustration 10. एक्स लिमिटेड के निम्नलिखित अंकों से 2010 को आधार मानते हुये प्रवृत्ति अनुपातों की गणना कीजिये तथा उनकी समीक्षा कीजिये।

Calculate the trend ratios from the following figures of X Ltd. taking 2010 as the base and Comment there on:

(in lakhs of ₹)

Year    2010            2011                2012              2013                    2014

Sales 1881             2,340              2,655              3,021                 3,768

Stock   709              781                 816                944                     1,154

Profit before Tax     321         435       458            527         0672

Solution.

समीक्षा-उपर्युक्त प्रवृत्ति अनुपातों से निम्नलिखित निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं

1 विक्रय की राशि में निरन्तर वद्धि हुई है अर्थात इन पाँच वर्षों में बिक्री की राशि दुगुनी हो गई है। इस अवधि में यदि मूल्य स्तर में दुगुनी वृद्धि नहीं हुई है तो यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि कम्पनी के व्यवसाय में पर्याप्त वृद्धि हुई है। इसे अनुकूल प्रवृत्ति माना जायेगा।

2. स्टॉक के अनुपातों में वृद्धि की दर बिक्री की राशि में हुई वृद्धि के अनुपात से कम रही है अर्थात् स्टॉक में विनियोजित पँजी को उचित सीमाओं के अन्तर्गत ही रखा गया है। यह अनुकूल प्रवृत्ति है तथा कुशल स्कन्ध प्रबन्ध का परिचायक है।

3. कर से पूर्व लाभों की राशि इन पाँच वर्षों की अवधि में दुगुनी से भी अधिक हो गई है। इसमें वृद्धि की दर सामान्यतः बिक्री में हुई वृद्धि की दर से भी अधिक रही है। यह प्रवृत्ति प्रभावशाली । लागत नियन्त्रण एवं लाभदायकता की परिचायक है।

3. बिन्दरेखीय या चित्रमय प्रदर्शन विधि (Graphic or Diagrammatic Presentation)-प्रवृत्ति दर्शाने के लिये व्यावसायिक संस्थायें वार्षिक वित्तीय विवरणों में प्रायः रेखाचित्रों एवं दण्ड-चित्रों का भी प्रयोग करती हैं। कुछ संस्थायें केवल निरपेक्ष मूल्यों को ही रेखाचित्रों पर प्रदर्शित करती हैं जबकि कुछ प्रवत्ति अनपातों। को । संस्था में हित रखने वाले व्यक्ति तथा प्रबन्धक वर्ग इन ग्राफों तथा दण्ड चित्रों से एक दृष्टि में ही जान जाते हैं कि संस्था उन्नति की ओर अग्रसर हो रही है या अवनति की ओर।।

(iv) औसत विश्लेषण

(AVERAGE ANALYSIS)

इस विधि के अन्तर्गत विभिन्न वर्षों की राशियों को जोड़कर वर्षों की संख्या से भाग देने पर औसत राशि ज्ञात हो जाती है। दूसरे शब्दों में, इसे औसत भी कहा जाता है। कभी-कभी भारयुक्त (Weighted) औसत भी ज्ञात किया जाता है।

लाभ (Merits)

1.बड़े-बड़े आँकड़ों को समझने में सुविधा।

2. यह एक सरल प्रणाली हैं। इस प्रणाली को एक सामान्य व्यक्ति भी सरलतापूर्वक समझ सकता है ।

3. इससे विभिन्न वर्षों की स्थिति को सूक्ष्म में दिखाया जा सकता है।

4. विभिन्न अवधि की राशियों की तुलना करने की सर्वाधिक प्रचलित विधि है।”

हानि  (Demerits) –

  1. औसत के आधार पर निकाले गये निष्कर्ष कभी-कभी भ्रमपूर्ण भी होते हैं।
  2. यह प्रणाली कभी-कभी मूल आँकड़ों को गलत सिद्ध कर देती है।

(v) अनुपात विश्लेषण तकनीक

(RATIO ANALYSIS TECHNIQUE)

अनुपात विश्लेषण तकनीक के अन्तर्गत विशिष्ट उद्देश्यों के अनुसार वित्तीय विवरणों की दो या अधिक मदों के बीच अनुपात ज्ञात करके एक निश्चित निष्कर्ष पर पहुँचा जाता है। अनुपात विश्लेषण को वित्तीय विश्लेषण का हृदय कहा जाता है । जिस प्रकार शरीर में हृदय की धड़कन से शरीर की स्वस्थता का पता लगाया जा सकता है, ठीक उसी प्रकार व्यवसाय में अनुपात विश्लेषण के माध्यम से व्यवसाय की आर्थिक स्थिति का पता लगाया जा सकता है। इस विधि के अन्तर्गत उद्देश्य के अनुसार विभिन्न प्रकार के अनुपात ज्ञात किये जाते हैं, जैसे,तरलता अनुपात (Liquidity Ratios), लाभदायकता अनुपात (Profitability Ratios),बिक्री अनुपात (Turnover Ratios), क्रियाशीलता अनुपात (Activity Ratios), लीवरेज या पूँजी अनुपात (Leverage or Capital Ratios), आदि । इनकी विस्तृत विवचेना अलग अध्याय में की गई है।

(vi) कोष प्रवाह विश्लेषण तकनीक

(FUNDS FLOW ANALYSIS TECHNIQUE)

इस तकनीक के अन्तर्गत इस बात का विश्लेषण किया जाता है कि व्यवसाय में कोषों की प्राप्ति कहाँ-कहाँ से हुई है तथा इन कोषो का संस्था में किस प्रकार उपयोग किया गया है। कोष प्रवाह विश्लेषण में ‘कोष’ शब्द का अर्थ ‘शुद्ध कार्यशील पूँजी’ से लगाया जाता है। ‘शुद्ध कार्यशील पूँजी’ का आशय कुल चालू सम्पत्तियों तथा कुल चालू दायित्वों के अन्तर से है । इस प्रकार कोष प्रवाह विश्लेषण का मुख्य उद्देश्य एक निश्चित अवधि में कार्यशील पूंजी में हुये परिवर्तन के कारणों पर प्रकाश डालना होता है। इसकी विस्तृत विवचेना अलग अध्याय में की गई है।

(vii) रोकड़ प्रवाह विश्लेषण तकनीक

(CASH FLOW ANALYSIS TECHNIQUE)

रोकड प्रवाह विवरण एक ऐसा विवरण है जो किन्हीं दो अवधियों के बीच व्यवसाय में रोकड शेष में । हुये परिवर्तनों के कारणों की व्याख्या करता है। इसमें स्पष्ट किया जाता है कि संस्था को रोकड़ किन-किन स्रोतों से प्राप्त हुई है तथा इसका उपयोग किन-किन मदों पर किया गया है। जिन लेन-देनों से संस्था के रोकड़ शेष में वृद्धि होती है, उन्हें रोकड़ स्रोत (Sources of Cash) अथवा रोकड़ अन्तर्वाह (Cash Inflows) तथा जिन लेन-देनों से संस्था के रोकड़ शेष में कमी होती है, उन्हें रोकड़ के प्रयोग (Application of Cash) अथवा बहिर्वाह (Cash out Flows) में दिखलाया जाता है। इसकी विस्तृत विवेचना अलग अध्याय में की गई है।

परीक्षोपयोगी सैद्धान्तिक प्रश्न

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(LONG ANSWER QUESTIONS)

1 वित्तीय विवरणों के विश्लेषण से आप क्या समझते हैं ? इसकी विभिन्न विधियों/तकनीकों की व्याख्या कीजिए।

What do you mean by analysis of Financial Statements ? Explain its various methods.

2. वित्तीय विश्लेषण की विभिन्न तकनीकें कौन-कौन सी हैं ? उनमें से किन्हीं दो को समझाइये।

What are the different techniques of financial analysis? Explain any two of them.

3. आन्तरिक व बाह्य वित्तीय विश्लेषण में अन्तर स्पष्ट कीजिये तथा वित्तीय विश्लेषण के महत्व को विस्तार से समझाइये।

Clearly explain the difference between internal and external financial analysis and explain its significance.

4. क्षैतिज विश्लेषण एवं लम्बवत् विश्लेषण में अन्तर बतलाइये। इन दोनों प्रकार के विश्लेषणों में कौन-सा विश्लेषण अधिक उपयोगी है?

Differentiate between horizontal analysis and vertical analysis. Which of the two is more useful?

5. वित्तीय विवरणों के निर्वचन से आप क्या समझते हैं? वित्तीय विश्लेषण एवं निर्वचन की विभिन्न तकनीकों या पद्धतियों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिये।

What do you understand by interpretation of the financial statements? Explain briefly various] techniques or methods used for financial analysis and interpretation.

6. वित्तीय विवरण के विश्लेषण से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य और सीमाओं का वर्णन कीजिये।

What do you mean by analysis of Financial Statement ? Discuss its objectives and limitations.

7. वित्तीय विवरण विश्लेषण से आप क्या समझते हैं ? इस उद्देश्य के लिए विभिन्न मानकों की विवेचना कीजिए और विश्लेषणों की विधियाँ बताइए।

What do you understand by Financial Statement Analysis? Discuss various standards for this purpose and explain the methods of analysis of financial statements.

8. वित्तीय विश्लेषण से आप क्या समझते हैं ? इसके क्या उद्देश्य हैं ? इसकी क्रियाविधि का वर्णन कीजिए।

What do you understand by Financial Analysis ? What are its objectives ? Explain its procedure.

लघु उत्तरीय प्रश्न (SHORT ANSWER QUESTIONS)

1 वित्तीय विश्लेषण और निर्वचन का क्या तात्पर्य है ?

What is meant by Financial Analysis and Interpretation?

2. क्षैतिज विश्लेषण तथा लम्बवत् विश्लेषण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

Differentiate between Horizontal Analysis and Vertical Analysis.

3. विश्लेषण व निर्वचन के क्या उद्देश्य हैं ?

What are the Objectives of Analysis and Interpretation?

4. प्रवृत्ति (रूझान) विश्लेषण क्या है व इसका उपयोग समझाइए।

What is Trend Analysis ? and explain its use.

5. प्रबन्ध के लिए तुलनात्मक विवरण विश्लेषण का क्या महत्त्व है ?

Explain the importance of Comparative Statement Analysis to Management.

6. वित्तीय विवरणों के विश्लेषण एवं निर्वचन का महत्त्व समझाइए।

Explain the importance of Analysis and Interpretation of Financial Statements,

7. प्रवृत्ति (रूझान) विश्लेषण क्या है ? इसके महत्त्व एवं सीमाओं को बताइए।

What is Trend Analysis ? Describe its importance and limitations.

8.सामान्य आकार विवरण से आप क्या समझते हैं ?

What do you understand about the Common Size Statement?

9. क्षैतिज व लम्बवत् विश्लेषण से आप क्या समझते हैं ? इनका प्रयोग करते समय किन-किन सावधानियों को ध्यान में रखना चाहिए?

What do you mean by ‘Horizontal’ and ‘Vertical Analysis? What precautions should be taken while using them?

10. प्रबन्ध के लिए वित्तीय विवरणों के विश्लेषण की क्या उपयोगिता है ?

What is the utility of Financial Statement Analysis for the Management?

11. तुलनात्मक वित्तीय विवरण क्या है ?

What is Comparative Financial Statement ?

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (OBJECTIVE QUESTIONS)

बताइये कि निम्नलिखित कथन सत्य हैं अथवा असत्य

Indicate whether the following statements are ‘True’ or ‘False’ :

1 विश्लेषण निर्वचन की ओर ले जाता है । (Analysis leads to interpretation.) (सत्य/True)

2. जब कई वर्षों के वित्तीय विवरणों का विश्लेषण किया जाता है, तो उस विश्लेषण को लम्बवत् विश्लेषण कहते (असत्य)

When financial statements for a number of years are analyzed, the analysis is called vertical analysis. (False)

3. स्थैतिक विश्लेषण दीर्घकालीन वित्तीय नियोजन के लिये बहुत लाभप्रद नहीं होता है। (सत्य)

Static analysis is not very useful for long-term financial planning. (True)

4. लम्बवत् विश्लेषण को प्रावैगिक विश्लेषण भी कहते हैं। (असत्य)

Vertical analysis is also known as dynamic analysis. (False)

5. बाह्य विश्लेषक पूर्णत: प्रकाशित वित्तीय विवरणों पर निर्भर रहता है।

External analyst depends almost entirely on published financial statements. (True)

6. विश्लेषण में निर्वचन शामिल है। (असत्य)

Analysis includes interpretation. (False)

7. विनियोग व साख प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया विश्लेषण बाह्य प्रकार का होता है, जबकि प्रबन्धकीय उद्देश्य के लिये किया गया विश्लेषण आन्तरिक प्रकार का होता है। (सत्य)

Analysis for the purpose of investment and granting credit is of external types, while analysis for managerial purpose is of internal type. (True)

8. निर्वचन में विश्लेषण व तुलना की आवश्यकता पड़ती है। (सत्य)

Interpretation requires analysis and comparison  (True)

9. तुलनात्मक समानाकार वाला आर्थिक चिट्ठा विभिन्न मदों में हये निरपेक्ष परिवर्तन को दर्शाता है। (असत्य)

Comparative Common-size balance sheets indicate absolute changes in various items.  (False)

10. तुलनात्मक लाभ-हानि खाते की दशा में लाभ-हानि खाते की प्रत्येक मद को कुल पूंजी को आधार मानते हुये प्रतिशत में परिवर्तित करते हैं। (असत्य)

In the case of common-size profit and loss account, each item of profit and loss account is converted into percentage based on total capital. (false)

निम्नलिखित में से सही विकल्प को चुनिये

Select the correct Option from the following:

1. नकद साख प्रदान करने हेत बैंक द्वारा किया गया विश्लेषण उदाहरण है

The analysis by a banker for the purpose of granting cash credit is an example of:

(a) आन्तरिक विश्लेषण का (Internal analysis)

(b) बाह्य विश्लेषण का (External analysis)

(C) आलोचनात्मक विश्लेषण का (Critical analysis) |

(d) क्षैतिज विश्लेषण का (Horizontal analysis)

2. लम्बवत् विश्लेषण प्रकट करता है (Vertical analysis reveals the concern’s) :

(a) संस्था की प्रगति (Progress)

(b) संस्था की स्थिति (Position)

(c) संस्था की भावी स्थिति (Prospect)

(d) संस्था की अर्जन-शक्ति (Earning potentiality)

3. वित्तीय विवरणों के निर्वचन में आवश्यकता होती है

Interpretation of financial statements requires :

(a) विश्लेषण व तुलना की (Analysis and comparison)

(b) सरलीकरण व प्रमापीकरण की (Simiplification and standarisation)

(c) उद्देश्यात्मक व विशिष्टता की (Objectivisation and specification)

(d) इनमें से कोई नहीं (None of these)

4. जब एक विशेष तिथि को मदों के बीच अनुपात निकाला जाता है, तो उसे कहते हैं

When the ratios are calculated among the items at a particular date, it is called

(a) आन्तरिक विश्लेषण (Internal analysis)

(b) क्षैतिज विश्लेषण (Horizontal analysis)

(c) लम्बवत् विश्लेषण (Vertical analysis)

(d) प्रावैगिक विश्लेषण (Dynamic analysis)

5. लम्बवत् विश्लेष- जाना जाता है

Vertical analysis is known as: 3

(a) स्थैतिक विश्लेषण के रूप में (Static analysis)

(b) संरचनात्मक विश्लेषण के रूप में (Structural analysis)

(c) (a) तथा (b) दोनों रूप में [Both (a) & (b)]

(d) प्रावैगिक विश्लेषण (Dynamic analysis)

6. जब कई वर्षों के वित्तीय विवरणों का पुनर्निरीक्षण व विश्लेषण किया जाता है, तो उसे कहते हैं

When financial statements for a number of years are reviewed and analysed, the analysis is called :

(a) आन्तरिक विश्लेषण (Internal analysis)

(b) क्षैतिज विश्लेषण (Horizontal analysis) (1)

(C) लम्बवत् विश्लेषण (Vertical analysis)

(d) प्रावैगिक विश्लेषण (Dynamic analysis)

7. वित्तीय विवरणों का विश्लेषण शुरू होता है

Analysis of Financial Statement starts :

(a) आंकड़ों के संग्रह से पूर्व (Before the Compilation of data)

(b) आंकड़ों के तुलना से पूर्व (Before the Comparison of data)

(c) आंकड़ों के परिवर्तन से पूर्व (Before the Conversion of data)

(d) इनमें से कोई नहीं (None of these)

8. वित्तीय विवरण का अल्पकालीन विश्लेषण मुख्य रूप से सम्बन्धित होता है

The short-term analysis of financial statement is mainly concerned with the :

(a) कार्यशील पूंजी विश्लेषण से (Working capital analysis) (1)

(b) संस्था की स्थिरता से (Stability of the concern)

(c) संस्था की अर्जन-शक्ति सम्भावना से (Earning potentiality of the concern)

(d) संस्था की भावी स्थिति से (Prospect of the concern)

9. अनलिखित में से कौन वित्तीय विश्लेषण का उदाहरण नहीं है

Which of the following is not a tool of financial analysis :

(a) तुलनात्मक विवरण (Comparative Statement)

(b) सम-विच्छेद विश्लेषण (Break-cven Analysis) (1)

(c) प्रवृत्ति विश्लेषण (Trend Analysis)

(d) अनुपात विश्लेषण (Ratio Analysis) |

10. क्षैतिज विश्लेषण जाना जाता है

Ilorizontal analysis is known as:

(a) प्रावैगिक विश्लेषण के रूप में (Dynamic analysis) (1)

(b) संरचनात्मक विश्लेषण के रूप में (Structural analysis)

(c) स्थिर (स्थैतिक) विश्लेषण के रूप में (Static analysis)

(d) आन्तरिक विश्लेषण के रूप में (Internal analysis)

11. प्रवृत्ति अनुपात, प्रवृत्ति औसत, रेखाचित्र आदि का प्रयोग होता है

Trend ratio, trend average. graphs etc. are used in :

(a) लम्बवत् विश्लेषण में (Vertical analysis)

(b) क्षैतिज विश्लेषण में (Horizontal analysis) (1)

(C) स्थैतिक विश्लेषण में (Static analysis)

(d) इनमें से किसी में नहीं (None of these)

12. तुलनात्मक आर्थिक चिट्ठा कड़ी का काम करता है

Comparative balance sheets serve as a link between :

(a) विभिन्न तिथियों के दो आर्थिक चिट्ठों के बीच (Two balance sheets of different dates)

(b) आर्थिक चिट्ठा व लाभ-हानि खाते के बीच (Balance sheets and Profit and Loss account) (V)

(C) विभिन्न तिथियों के दो आय विवरणों के बीच (Two income statements of different dates)

(d) इनमें से किसी में नहीं (None of these)

13. उत्पादन लागत का तुलनात्मक विवरण प्रकाश डालता है

Comparative statement of production cost attempts to highlight upon :

(a) विभिन्न मदों के खर्चों में प्रवृत्ति पर (The trend in expenditures on various items)

(b) कुल लागत में एक विशेष लागत के प्रतिशत पर

(The proportion of a particular cost in total cos:)

(C) दोनों (a) तथा (b) [Both (a) & (b)] (V)

(d) इनमें से किसी में नहीं (None of these)

क्रियात्मक प्रश्न

(NUMERICAL QUESTIONS)

1 निम्नलिखित से तुलनात्मक आय विवरण तैयार कीजिए तथा उसका निर्वचन कीजिए

Prepare a Comparative Income Statement from the following and interpret it : Particulars                                                                                       2014                   2015

बिक्रि (Sales)                                                                                   2,00,000             2,50,000

Less : बेचे गए माल की लागत (Cost of Goods Sold)         (1,00,000)       (1,25,000)

1,00,000          1,25,000

Less : संचालन व्यय (Operating Expenses)                        (10,000)           (10,000)

90,000           1,15,000

 Ans. Increase in Sales 25% (Rs. 50,000): Increase in Cost of Goods Sold 25% (Rs. 25,000);

Increase in Gross Profit 25% (Rs. 25,000); Operating Expenses are constant; Increase in Net Profit 27.8% (Rs. 25,000),

2. 31 मार्च, 2014 एवं 31 मार्च, 2015 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए एक्स लिमिटेड के लाभ-हानि विवरण से निम्नलिखित सूचनाएँ प्राप्त की गई है। तुलनात्मक लाभ-हानि विवरण तैयार कीजिए

Following information is extracted from the Statement of Profit and Loss of X Lid for the years ended 31st March, 2014 and 2015. Prepare comparative Statement of Prati and Loss :

Management Analysis Interpretation Statement

 

 

chetansati

Admin

https://gurujionlinestudy.com

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