BCom 2nd Year Cost Accounting Process Costing Study Materials Notes in Hindi (Part 1)

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BCom 2nd Year Cost Accounting Process Costing Study Materials Notes in  Hindi (Part 1)

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BCom 2nd Year Cost Accounting Process Costing Study Materials Notes in Hindi (Part 1) Cost Accounting  Study Material Notes  Sample Paper Questions Answers This Website Provided Study Material (Most Important Notes For BCom 2nd year Students )

Process Costing Study Materials
Process Costing Study Materials

Financial Accounting Study Material Notes In Hindi

प्रक्रिया लागत निर्धारण विधि

(Process Costing)

कुछ वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिनकी निर्माणी प्रक्रिया इस प्रकार की होती है कि कच्चे माल को निर्मित उत्पाद में पान्तरित करने के लिए कई उत्पादन प्रक्रियाओं में से गुजरना होता है तथा प्रत्येक प्रक्रिया उत्पादन का एक चरण होती है। मी दशा में एक प्रक्रिया का निर्मित माल दूसरी प्रक्रिया के लिये कच्चा माल होता है तथा दूसरी प्रक्रिया में निर्मित माल अगली प्रक्रिया के लिये कच्चा माल होता है। ऐसे उद्योगों में कभी-कभी तो वस्तु, निर्माण की अन्तिम स्थिति को भी प्राप्त नहीं कर पाती एवं उसका कुछ अथवा सम्पूर्ण भाग प्रथम, द्वितीय या तृतीय प्रक्रिया के उपरान्त ही बेच दिया जाता है। ऐसी दशा में प्रत्येक प्रक्रिया अथवा उत्पादन स्तर पर लागत की जानकारी आवश्यक होती है। कुछ वस्तुओं के उत्पादन में तो उपोत्पाद (By Process) का भी निर्माण हो जाता है जैसे, तेल उद्योग में तेल के उत्पादन के साथ खली (Oil cake) का भी उत्पादन प्राप्त होता है। अत: ऐसे उद्योग में उपोत्पाद की लागत सम्बन्धी जानकारी आवश्यक हो जाती है। ऐसे उद्योगों में लागत लेखांकन की जो पद्धति अपनाई जाती है, उसे ही प्रक्रिया (विधि) लागत निर्धारण विधि कहते हैं।

शार्ल्स के अनुसार, “विधि लागत लेखे ऐसे उद्योगों में प्रयोग किये जाते हैं, जिनकी वस्तुओं का निर्माण विभिन्न प्रक्रियाओं में होता है तथा प्रत्येक प्रक्रिया की लागत ज्ञात किया जाना आवश्यक होता है।”

प्रक्रिया लागत लेखांकन का अभिप्राय ऐसी विधि से है जिसके अन्तर्गत निर्माण के प्रत्येक स्तर अथवा प्रत्येक प्रक्रिया पर उत्पाद (वस्तु) की उत्पादन लागत ज्ञात की जाती है।

प्रक्रिया लागत-विधि की मुख्य परिभाषायें निम्नलिखित हैं

हेल्डन के अनुसार, “प्रक्रिया परिव्यांकन लागत ज्ञात करने की वह विधि है जिसका उपयोग प्रत्येक प्रक्रिया, प्रत्येक परिचालन अथवा उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर उत्पादन की लागत ज्ञात करने के लिये किया जाता है।”

बी० के० भार के अनुसार, “प्रक्रिया परिव्यांकन एक या अधिक प्रक्रियाओं की लागत ज्ञात करने की एक विधि है जो कि कच्ची सामग्री को निर्मित उत्पाद में रूपान्तरित किये जाने से सम्बद्ध है।”2

प्रक्रिया लागत लेखांकन की उपयुक्तता

(Suitability of Process Costing)

सामान्यतः प्रक्रिया लागत-विधि का प्रयोग वहाँ पर किया जाता है, जहाँ

(1) उत्पादन कार्य अनेक प्रक्रियाओं द्वारा सम्पन्न किया जाता है तथा प्रत्येक प्रक्रिया एक स्वतन्त्र विभाग को सुपुर्द कर दी जाती है।

(2) उत्पादन प्रमापित स्तर एवं समान प्रकार का होता है।

(3) उत्पादन पूर्ण होने के लिये प्रक्रियाओं का क्रम निश्चित होता है।

(4) ‘मुख्य उत्पाद’ (Main Product) का उत्पादन करते समय प्रक्रिया में गौण उत्पाद एवं सह-उत्पादों का भी उत्पादन हो जाता है।

निम्नलिखित उद्योगों में यह विधि विशेष रूप से अपनाई जाती है.

(i) रासायनिक उद्योग, (ii) तेल निर्माण उद्योग, (iii) चीनी उद्योग, (iv) साबुन उद्योग, (v) वनस्पति घी उद्योग, (vi) वानिश एवं पेण्ट उद्योग, (vii) कपड़ा उद्योग, (viii) चमड़ा उद्योग, (ix) पेट्रोलियम उद्योग, (x) शराब उद्योग, (xi) सीमेण्ट उद्योग, (xii) दवाई उद्योग, आदि।

प्रक्रिया लागत निर्धारण विधि की विशेषताएँ

(Characteristics of Process Costing)

प्रक्रिया लागत निर्धारण विधि की प्रमुख विशेषताएँ अग्रलिखित हैं

  1. जिन उद्योगों में प्रक्रिया लागत निर्धारण विधि अपनाई जाती है उनमें उत्पादन कार्य अनेक प्रक्रियाआ द्वारा सम्पन्न किया जाता है।
  2. उत्पादन कार्य सम्पन्न करने हेतु विभिन्न प्रक्रियाओं का क्रम विशिष्ट एवं पूर्व निश्चित होता है।
  3. सभी प्रक्रियाएँ प्रमापीकृत (Standardised) होती हैं एवं उत्पादित की जाने वाली वस्तुएँ एकरूप होती है।
  4. प्रत्येक प्रक्रिया की उत्पादित वस्तु अगली प्रक्रिया के लिए कच्ची सामग्री के रूप में प्रयोग की जाती है तथा अन्तिम प्रक्रिया की उत्पादित वस्तुएँ विक्रय हेतु निर्मित स्टॉक खाते (Finished Stock Account) में हस्तान्तरित की जाती है।
  5. प्रत्येक प्रक्रिया की लागत अलग से ज्ञात की जाती है।
  6. उत्पादित वस्तु की प्रति इकाई लागत औसत लागत होती है जिसकी गणना सम्बन्धित प्रक्रिया की कुल लागत में उस प्रक्रिया में निर्मित इकाइयों से भाग देकर की जाती है।
  7. प्रत्येक प्रक्रिया में रासायनिक एवं वाष्पीकरण आदि अन्य कारणों से सामग्री का क्षय होना स्वाभाविक है जिसे सामान्य हानि (Normal Loss) कहते हैं। प्रत्येक प्रक्रिया की सही लागत ज्ञात करने हेतु सामग्री क्षय की जानकारी आवश्यक है।
  8. ‘मुख्य उत्पाद’ (Main Product) का उत्पादन करते समय प्रक्रिया में गौण उत्पाद (By-Product) एवं सह-उत्पादों (Joint Product) का भी उत्पादन हो जाता है।

प्रक्रिया लागत-विधि की आवश्यकता अथवा उद्देश्य

(Need of Process Costing)

प्रक्रिया लागत लेखांकन के मुख्य उद्देश्य अथवा इसकी आवश्यकता के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं

(1) विभिन्न प्रक्रियाओं की लागत ज्ञात करना-ऐसी वस्तुयें, जिनका उत्पादन विभिन्न चरणों में पूरा होता है, के निर्माण के प्रत्येक स्तर पर अथवा प्रत्येक प्रक्रिया की अलग-अलग लागत ज्ञात करना आवश्यक होता है। इससे लागतों पर नियन्त्रण स्थापित करने में काफी सुविधा रहती है। प्रक्रिया लागत लेखांकन की सहायता से विभिन्न प्रक्रियाओं की लागत ज्ञात हो जाती है।

(2) विभागीय कशलता एवं मितव्ययिता की जानकारी होना-प्रत्येक विभाग की कुशलता तथा उत्पादन प्रक्रिया को मितव्ययी बनाने के लिये प्रत्येक प्रक्रिया की अलग-अलग लागत ज्ञात करना आवश्यक होता है, जो प्रक्रिया लागत लेखांकन की सहायता से ही प्राप्त हो सकता है।

(3) विभिन्न प्रक्रियाओं में होने वाले क्षय का ज्ञान-जब कच्ची सामग्री विभिन्न प्रक्रियाओं से होकर गुजरती है तो रासायनिक प्रतिक्रियाओं तथा वाष्पीकरण, आदि अन्य कारणों से सामग्री का क्षय होना स्वाभाविक है। परन्तु प्रत्येक प्रक्रिया में सामग्री का क्षय (Wastage) भिन्न-भिन्न मात्रा में होता है। अतः प्रत्येक प्रक्रिया की सही लागत ज्ञात करने के लिये इस क्षय की मात्रा का ज्ञान होना भी आवश्यक है, जो प्रक्रिया लागत लेखांकन की सहायता से ही प्राप्त हो सकता है।

(4) उपोत्पाद का मूल्य ज्ञात करना-कुछ उद्योगों में ‘मुख्य उत्पाद’ (Main product) का उत्पादन करते समय सह-उत्पाद तथा उपोत्पाद भी प्राप्त होते हैं, जैसे-तेल निर्माण में खली, रुई के उत्पादन में बिनौला, आदि। ऐसे उद्योगों में दोनों प्रकार के उत्पादों की सही लागत ज्ञात करने के लिये प्रक्रिया लेखों की आवश्यकता होती है।

प्रक्रिया लागत लेखांकन के सामान्य सिद्धान्त

(General Principles of Process Costing Method)

अथवा

प्रक्रिया लागत लेखांकन विधि

(Accounting Procedure of Process Costing)

(1) प्रक्रिया केन्द्रों की स्थापना व खाता खोलना-सम्पूर्ण कारखाने को विभिन्न प्रक्रिया केन्द्रों या विभागों में बाँट दिया जाता है। तत्पश्चात् प्रत्येक प्रक्रिया के लिये पृथक् खाता खोला जाता है अर्थात् जितनी प्रक्रियाओं द्वारा उत्पादन पूरा होता है, उतने ही प्रक्रिया खाते खोले जाते हैं।

(2) प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लागतों का लेखा-प्रत्येक प्रक्रिया में सामग्री, श्रम, प्रत्यक्ष व्यय, अप्रत्यक्ष व्यय आदि के रुप में जो भी व्यय होता है, उन सबको उस प्रक्रिया खाते की डेबिट साइड में लिखा जाता है। अप्रत्यक्ष व्ययों को किसी उचित आधार पर बाँटकर प्रक्रिया खाते की डेबिट में लिखा जाता है। अप्रत्यक्ष व्ययों के बँटवारे के सम्बन्ध में कोई आधार न दिये होने पर उनका बँटवारा प्रत्यक्ष श्रम ( मजदूरी )के आधार पर किया जाता है।

(3) भौतिक मात्रा का लेखा करना-किसी भी प्रक्रिया में लगाई गई सामग्री की मात्रा उस प्रक्रिया खाते की डेबिट में लिखी जाती है, जबकि जितना उत्पादन होता है उसकी मात्रा तथा जितना क्षय होता है उसकी मात्रा प्रक्रिया खाते की क्रेडिट में लिखी जाती है।

(4) प्रति इकाई लागत ज्ञात करना-प्रत्येक प्रक्रिया का उत्पादन पूर्ण होने पर उस प्रक्रिया की कुल लागत में उत्पादित। बाहयों की संख्या का भाग दकर प्रति इकाई औसत लागत जात हो जाती है।

Cost per unit – Total Process Cost

Total Output

औसत लागत की गणना करते समय उत्पादन में सामान्य हानि तथा अवधि के प्रारम्भ व अन्त में अपर्ण इकाइयों को भा। ध्यान में रखा जाता है।

(5) अगली प्रक्रिया में हस्तान्तरण-जब एक उत्पादन-प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है तो उसमें निर्मित माल तथा उसकी कुल पत अगली प्रक्रिया को हस्तान्तरित कर दी जाती है और अन्तिम प्रक्रिया तक यह क्रम निरन्तर चलता रहता है। परन्तु भी-कभी ऐसा भी होता है कि किसी प्रक्रिया में निर्मित सम्पूर्ण माल अगली प्रक्रिया में हस्तान्तरित न करके उसका कुछ भाग भली प्रक्रिया में हस्तान्तरित कर दिया जाता है एवं कुछ भाग विक्रय हेतु गोदाम में हस्तान्तरित कर दिया जाता है या सीधा विक्रय कर दिया जाता है। परन्तु दोनों का लेखा उस प्रक्रिया खाते की क्रेडिट में ही होता है।

6) निर्मित माल खाते में हस्तान्तरण-अन्तिम प्रक्रिया के कुल उत्पादन तथा उसकी उत्पादन लागत को निर्मित माल खाते (Finished Stock Account) में हस्तान्तरित कर दिया जाता है।

उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि प्रक्रिया लागत लेखा-विधि के अन्तर्गत प्रत्येक प्रक्रिया के लिये पृथक खाता खोला जाता है जिसके डेबिट पक्ष में उस प्रक्रिया पर होने वाले सम्पूर्ण व्यय लिखे जाते हैं। प्रक्रिया में होने वाला क्षय, अवशेष की बिक्री, उपोत्पादों की बिक्री, आदि को क्रेडिट पक्ष में लिखा जाता है। डेबिट तथा क्रेडिट साइड का अन्तर उस प्रक्रिया के उत्पादन तथा उसकी उत्पादन लागत को प्रकट करता है जिसे अगली प्रक्रिया में हस्तान्तरित कर दिया जाता है। अन्तिम प्रक्रिया का उत्पादन, निर्मित माल खाते में हस्तान्तरित कर दिया जाता है।

इस अवधि में अप्रत्यक्ष व्यय 14,000 ₹ हैं जो प्रक्रियाओं की मजदरी के अनुपात में बाँटे जाते हैं। प्रक्रिया में कोई प्रारम्भिक अथवा अन्तिम रहतिया या कार्य प्रगति नहीं है। केवल प्रक्रिया ‘अ’, ‘ब’ तथा ‘स’ खाते दिखाइये।

The indirect expenses during the period amounted to 14,000 which have to be apportioned according to the wages in the processes. There is no opening or closing stock or Work-in-progress in process. Show only the process ‘A’, ‘B’and ‘C’Accounts.

टिप्पणी – अप्तयक्ष व्ययों का अनुभाजन श्रम अनुपाल 25:20:25 अर्थात् 5:4:5 में किया गया है ।

उपोत्पाद तथा अवशिष्ट की बिक्री ( Sales of by products and Residue) किसी प्रकिया में प्राप्त उपोत्पाद तथा अवशिष्ट की ब्रिकी को सम्बोधित प्रक्रिया खाते की क्रेडिट साइड में लिखा जाता है ।

Illustration 2.

एक उत्पाद , निर्माण पूर्ण होने से पहले , तीन प्रक्रियाओं में से गुजरता है । जून , 2018  माह में 500  इकाइयों का उत्पादन किया गया था। लागत लेखा पुस्तकें निम्नलिखित सूचना प्रकट करती हैं

A product passes through three distinct processes for its completion. During the month of June, 2018, 500 units were produced. The cost books show the following informations:

भार में कमी तथा प्रारम्भिक व अन्तिम स्टॉक का मूल्यांकन

(Loss in Weight and Valuation of Opening and Closing Stock)

सामान्यत: वस्तु के निर्माण हेत जितनी मात्रा या भार में कच्ची सामग्री का प्रयोग किया जाता ह, रासा ण, आदि का वजह से उत्पादन उतनी मात्रा या भार में नहीं हो पाता। इस प्रकार से छीजन के कारण मात्रा या भार में है, उस भार में कमी (Loss in Weight) या क्षय (Wastage) कहा जाता है। भार में कमी का लेखा रखना भी १ ह ताकि सहा उत्पादन लागत ज्ञात हो सके। भार में इस प्रकार की कमी से कोई रकम प्राप्त नहीं होती अर्थात भार कमा का कोई मूल्य नहीं होता। अत: इसे प्रक्रिया खाते की क्रेडिट में Unit या Quantity वाले कॉलम में लिख देते हैं। रकम के कॉलम को खाली छोड़ दिया जाता है।

भार में कमी को निम्नलिखित सूत्र के द्वारा ज्ञात किया जा सकता है

भार में कमी या क्षय = (प्रारम्भिक स्टॉक + पूर्व प्रक्रिया से प्राप्त इकाइयाँ)- (सम्बन्धित प्रक्रिया का उत्पादन + अन्तिम स्टॉक)

कभी-कभी ऐसा होता है कि किसी प्रक्रिया में पिछली प्रक्रिया से जो सामग्री आती है वह सब उस प्रक्रिया में निर्मित नहीं हो पाती और कुछ सामग्री स्टॉक के रूप में बच जाती है। ऐसी दशा में यह मान लिया जाता है कि उस प्रक्रिया में आयी हुई इकाइयों में से जिन पर उस प्रक्रिया का उत्पादन कार्य पूर्ण हो गया है, वे तो अगली प्रक्रिया में स्थानान्तरित कर दी गयी हैं और जो शेष हैं। वे वैसी ही हैं, जैसी कि पिछली प्रक्रिया से आयी थीं। ऐसी दशा में किसी भी प्रक्रिया के प्रारम्भिक व अन्तिम स्टॉक की इकाइयों का मूल्यांकन उस प्रक्रिया के ठीक पूर्व वाली प्रक्रिया की प्रति इकाई उत्पादन लागत के आधार पर किया जायेगा।

Illustration 3.

निम्नलिखित आँकड़ों से उत्पादन की तीन प्रक्रियाओं का परिव्यय दिखाइये। एक प्रक्रिया का उत्पादन पूरा होने पर तुरन्त अगली प्रक्रिया को भेज दिया जाता है।

From the following figures, show the cost of the three process of manufacture. The production of each process is passed on to the next process immediately on completion:

उत्पादन में क्षय तथा पूर्वगत प्रक्रिया से सम्बन्धित स्टॉक ज्ञात होने पर

(When Wastage in Production and Stocks relating Previous Processes are known)

कभी-कभी प्रश्नों में प्रत्येक प्रक्रिया में होने वाली क्षय की मात्रा तथा पूर्वगत प्रक्रिया से सम्बन्धित प्रारम्भिक एवं अन्तिम स्टॉक की मात्रा दी हुई होती है। ऐसे प्रश्नों में प्रक्रिया का उत्पादन ज्ञात करने के लिये निम्नलिखित सूत्र की सहायता ली जाती है

उत्पादित इकाइयाँ = (प्रारम्भिक स्टॉक + पिछली प्रक्रिया से प्राप्त इकाइयाँ) – (क्षय की इकाइयाँ+अन्तिम स्टॉक)

जहाँ तक स्टॉक के मूल्यांकन का प्रश्न है, वह सम्बन्धित प्रक्रिया (जिसमें स्टॉक दिया हुआ है) के ठीक पूर्व वाली प्रक्रिया की प्रति इकाई उत्पादन लागत के आधार पर किया जायेगा।

Illustration 4.

अपलिखित सचनायें एक फैक्टरी के लागत लेखों से प्राप्त की गई हैं जो कि एक वस्तु का उत्पादन करती है जिसके निर्माण में तीन विधियाँ सम्बद्ध हैं। निर्माण के प्रत्येक स्तर पर उत्पादन लागत तथा प्रति इकाई लागत प्रदर्शित करते हुये विधि लागत खाते बनाइये

(अ) प्रत्येक पृथक् विधि में कार्य प्रतिदिन पूरा किया जाता है।

(ब) वह मल्य जिस पर इकाइयों को प्रक्रिया ‘ब’ व ‘स’ में लगाया जाता है, क्रमशः प्रक्रिया ‘अ’ तथा प्रक्रिया ‘अ’ व ‘ब’ की संयुक्त प्रति इकाई लागत है।

The information given below is extracted from the cost accounts of a factory producing a commodity in the manufacture of which three process are involved. Prepare Process Cost Accounts showing the cost of the output and the per unit of each stage of manufacturing:

(a) The operations in each separate process are completed daily.

(b) The value of which units are to be charged to Process ‘B’ and Process ‘C’ is the cost per unit of Pincess ‘A’ and ‘A’plus ‘B’respectively.

भार में कमी तथा अवशिष्ट की बिक्री

(Loss in Weight and Sale of Scrap)

Illustration 5.

एक निर्माणी कम्पनी का उत्पादन दो प्रक्रियाओं ‘अ’ तथा ‘ब’ से होकर जाता है, उसके पश्चात् तैयार स्टॉक को जाता है । यह ज्ञात है कि प्रत्येक प्रक्रिया में कुल डाले गए भार का %  अवशिष्ट (रद्दी ) हो जाता है जो क्रमश: 80 प्रति टन तथा 200 प्रति टन बिक जाता है । प्रक्रिया से सम्बन्धित संख्यायें निम्नळिखित है

The product of a manufacturing company passes through two process ‘A acturing company passes through two process ‘A’ and ‘B’ and then to finished stock. It is ascertained that in each process 5% of the total weight put in is lost and 10% IS STAP which realised 80 per ton and 200 per ton respectively. The process figures are as follows:

Process ‘A’            Process ‘B’

Materials consumed in tons                                                              2,000                          140

Cost (Per ton in )                                                                               125                            200

Wages in Rupees                                                                              36,000                     24,000

Manufacturing Expenses in Rupees                                                   12,000                    10,000

प्रत्येक प्रक्रिया के उत्पादन की लागत तथा प्रति टन लागत दिखाते हये प्रक्रिया खाते तैयार कीजिये। Prepare process accounts showing the cost of the output of each process and the cost per ton.

भार में कमी, अवशेष की बिक्री तथा अगली प्रक्रिया में आंशिक हस्तान्तरण

(Loss in Weight, Sale of Scrap and Partial Transfer to Next Process)

कभी-कभी उत्पादक किसी प्रक्रिया का समस्त उत्पादन अगली प्रक्रिया में हस्तान्तरित नहीं करता वरन् कुछ भाग गोदाम में विक्रय हेतु हस्तान्तरित कर दिया जाता है अथवा सीधा बाजार में बेच दिया जाता है। ऐसी दशा में यह पूर्व निर्धारित होता है। काकस प्राक्रया का कितना भाग (प्रायः प्रतिशत के रूप में विक्रय हेत स्टॉक या गोदाम में रखा जायगा तथा कितना भाग। अगली प्रक्रिया में हस्तान्तारित होगा। प्रक्रिया खाता बनाते समय उस प्रक्रिया की उत्पादित इकाइयों को दिये गय अनुपात में और उन इकाइयों की उत्पादन लागत का भी उसी अनुपात में बँटवारा कर दिया जाता है।

जब उत्पादन का कुछ भाग बाजार में सीधा ही बेच दिया जाये तो इसके विक्रय मल्य को सम्बन्धित प्रक्रिया खाते की काडट में दर्शाते हैं तथा विक्रय पर होने वाले लाभ को प्रक्रिया खाते की डेबिट में To p&l A/c लिख देते हैं ।

Illustration 6.

एक लिमिटेड कम्पनी ने तीन क्रमानगत प्रक्रियाओं A. B तथा C द्वारा तीन रसायनों का उत्पादन तथा विक्रय किया। प्रत्येक में डाले गये कुल भार का 2% नष्ट हो जाता है, तथा 10% अवशेष रहता है जिसका मूल्य प्रक्रिया A तथा B में। 100 ₹ प्रति टन तथा प्रक्रिया C में 20 ₹ प्रति टन होता है। तीनों प्रक्रियाओं से सम्बन्धित उत्पाद का विवरण निम्नलिखित है

A Limited company manufactures and sells three chemicals produced by consecutive process known as ‘A’, ‘B’ and ‘C’. In each process 2% of the total weight put in is lost and 10% is residue which is from process ‘A’ and ‘B’ realised ₹ 100 per ton and from process ‘C’ ₹ 20 per ton. The product of the three processes are dealt with as follows:

Illustration 7.

30 जून 2018 को समाप्त माह में एक कारखाने की प्रक्रिया एक्स में 1,700 इकाइयों का उत्पादन हुआ जिसमें प्रकिया के अन्त में श्रतिग्स्त (Demant ) 100 इकाइयाँ शामिल नहीं है । इन श्रतिग्रस्त इकाइयों को 5 प्रति इकाइ पर रद्दी के रूप में बेच दिया गया। इस प्रक्रिया में सामान्य क्षय 10% होता है जिससे 3 ₹ प्रति इकाई प्राप्त होता है। कच्ची सामग्री की लागत 8₹ प्रति इकाई है। अन्य व्यय इस प्रकार हैं

At the end of process ‘X’ carried on in a factory during the month ending 30th June 2018, the number of units produced was 1,700 units excluding 100 units damaged at the end of the process. These damaged units were sold 5 per unit. A normal wastage of 10% occurred during the process and the wastage realized * 3 per unit. A unit of raw material costs 18 per unit. The other expenses were:

मजदूरी (Wages)                                                          6,000

शक्ति बिजली (Power)                                                 2,000

सामान्य उपरिव्यय (General Overheads)                     1,600

उत्पादन के 40% भाग को  विक्रय मूल्य पर 20%  लाभ लेकर बेचा जाता है । एव शेष उत्पादन को वाई प्रक्रिया में हस्तान्तरित कर दिया जाता है। प्रक्रिया ‘एक्स’ का खाता बनाइये।

40% of the production is sold at 20% profit on selling price and the rest of the output is transien

process ‘Y’. Prepare Process ‘X’account.

Solution:

Suppose units introduced = 100 Normal wastage = 10% of 100 = 10 units: Output = 100 – 10 = 90 units total units produced after 10% normal wastage:

= 1,700 + 100 = 1,800 units which is equal to 90% hence, units of materials purchased = 1.800 x 100/90 = 2,000 units

 Illustration 8.

शिवम् लिमिटेड भवन निर्माण में प्रयुक्त एक पेटेण्ट सामग्री का प्रक्रियांकन करते हैं। सामग्री तीन क्रमानुगत श्रेणियों में सोफ्ट मीडियम व कार्ड में उत्पादित की जाती है । वर्ष 2018  मे प्रथम छ माह के उत्पादन के निम्नलिखित आँकड़े हैं

Shivam Limited processes a patent materials used in building construction. The material is produced in three consecutive grades namely soft, medium and hard. Figures related to production for the first 6 months of 2018 are as follows:

प्रथम प्रक्रिया का दो-तिहाई व द्वितीय प्रक्रिया का आधा भाग अगली प्रक्रिया को हस्तान्तरित किया जाता है व शेष को बेच दिया जाता है। प्रक्रिया खाते तैयार कीजिये।

Two-thirds part of the process first and one-half of the process second are passed on to the next process and the balance is sold. Prepare Process Accounts.

सामान्य एवं असामान्य क्षय

(Normal and Abnormal Wastage)

जब किसी वस्तु का उत्पादन किया जाता है तो प्रत्येक प्रक्रिया में कुछ-न-कुछ क्षय होना स्वाभाविक है। निर्माण प्रक्रिया में होने वाले क्षय (Wastage) को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है

(1) सामान्य क्षय (Normal Wastage)-ऐसा क्षय (Wastage) जो कछ उत्पादनों की विशिष्ट प्रकृति के कारण स्वाभाविक ढंग से तथा अनिवार्य रूप में होता है एवं जिसे उत्पादक प्रयल करने पर भी रोक नहीं सकता, सामान्य क्षय कहलाता है। इस प्रकार के क्षय का निर्धारण उत्पादक अपने स्वयं के अथवा अन्य उत्पादकों के अनुभव के आधार पर कर सकता है। प्रश्नों में इसे अधिकतर प्रतिशत के रूप में दिया हआ होता है। सामान्य क्षय उत्पादन प्रक्रिया की सामान्य हानि है। जिसे टाला नहीं जा सकता. इस कारण इसका भार सम्बन्धित प्रक्रिया के शेष उत्पादन पर ही डाला जाता है। दूसरे शब्दों में। सामान्य क्षय की मात्रा के कारण उत्पादित वस्तु की मात्रा या इकाइयाँ कम हो जाती हैं और उत्पादन के समस्त व्ययों का भार (सामान्य क्षय के विक्रय से प्राप्त राशि घटाने के बाद, यदि कोई हो तो) उत्पादित इकाइयों पर ही पड़ता है जिसके कारण प्रति इकाई लागत मूल्य बढ़ जाता है। सामान्य क्षय के साथ निम्नलिखित शब्दावली को समझना भी आवश्यक है

सामान्य उत्पादन (Normal Output)-किसी प्रक्रिया में लगाई गई इकाइयों में से सामान्य क्षय की इकाइयों को घटाने के बाद शेष बचने वाली इकाइयों को सामान्य उत्पादन (Normal output) माना जाता है। सरल शब्दों में, सामान्य उत्पादन से अभिप्राय उत्पादन की उस मात्रा से है जो अनुभव के आधार पर होना चाहिये।

सामान्य उत्पादन लागत Normal Cost of Production)-किसी भी प्रक्रिया की सकल लागत में से सामान्य क्षय की बिक्री से प्राप्त राशि, यदि कोई हो तो, घटाने के बाद जो लागत आती है, वह प्रक्रिया की सामान्य उत्पादन लागत (Normal Cost of Production) कहलाती है। उत्पादक प्राय: विक्रय मूल्य का निर्धारण इसी लागत के आधार पर करते हैं।

सामान्य क्षय का लेखा-सामान्य क्षय की इकाइयों अथवा भार को सम्बन्धित प्रक्रिया खाते की क्रेडिट साइड में इकाइयों अथवा भार वाले स्तम्भ (Column) में लिख देते हैं और यदि क्षति हुई सामग्री को बेचकर कुछ मूल्य प्राप्त हो सकता है तो उसे ‘राशि के स्तम्भ’ में लिख देते हैं अन्यथा राशि का स्तम्भ खाली छोड़ देते हैं।

सामान्य क्षय के सम्बन्ध में निम्नलिखित लेखे (Entry) किये जाते हैं

(2) असामान्य क्षय (Abnormal Wastage)-जब वास्तविक क्षय की मात्रा सामान्य क्षय की मात्रा से अधिक हो और इसका कारण कुछ असामान्य परिस्थितियाँ जैसे-श्रमिकों की लापरवाही. संयन्त्र एवं मशीन की खराबी. मशीनों का गलत ढंग से उपयोग, सामग्री की खराबी, आदि होती हैं तो जितना अन्तर होता है उसे असामान्य क्षय (Abnormal Wastage) कहते हैं। उदाहरण के लिये, किसी प्रक्रिया में 1,000 इकाइयाँ लगाई गईं और गत अनुभव के आधार पर उत्पादक को 5% के क्षय का अनुमान है। प्रक्रिया में 920 इकाइयाँ उत्पादित हुई हैं। यहाँ पर 1,000x- = 50 इकाइयाँ तो सामान्य क्षय कहलायेगा जबकि

100 वास्तविक क्षय 1,000-920 = 80 इकाइयाँ कहा जायेगा। इस प्रकार सामान्य क्षय तथा वास्तविक क्षय की तुलना करने से स्पष्ट होता है कि वास्तविक क्षय, सामान्य क्षय की तुलना में 80 – 50 = 30 इकाई अधिक है। वास्तविक क्षय का यह आधिक्य ही असामान्य क्षय कहलायेगा। इस प्रकार 30 इकाइयों की अतिरिक्त हानि असामान्य क्षय होगी।

असामान्य क्षय को वास्तविक उत्पादन (Actual Output) तथा सामान्य उत्पादन (Normal Output) की तुलना द्वारा भी ज्ञात किया जा सकता है। वास्तविक उत्पादन जब सामान्य उत्पादन से कम होता है तो इन दोनों उत्पादनों का अन्तर असामान्य। क्षय कहलाता है। जैसे-उपर्युक्त उदाहरण में सामान्य उत्पादन = 1,000-50 = 950 इकाई होगा जबकि वास्तविक उत्पादन 920 इकाई दिया हुआ है। इस प्रकार दोनों की तुलना से स्पष्ट है कि वास्तविक उत्पादन, सामान्य उत्पादन की तुलना में 950 -920-20 इकाई कम है जिसे असामान्य क्षय कहा जायेगा।

संक्षेप में , असामान्य क्षय को निम्नलिखित में से किसी भी प्रकार ज्ञात किया जा सकता है

Abnormal Wastage = Excess of Actual Wastage over Normal Wastage i.e.,

(Actual Wastage – Normal Wastage)

अथवा

Abnormal Wastage = Excess of Actual Wastage over Normal Wastage i.e.,

(Normal  Wastage – Normal Wastage)

विशेष पारास्थातया क कारण क्षति की मात्रा बढ़ जाने से अर्थात् असामान्य क्षय से उत्पादित सामग्री का मात्रा कम हा जमी है तथा उत्पाद (वस्तु) का प्रति इकाई मल्य बढ जाता है। असामान्य परिस्थितियों अथवा असावधानी के कारण, उत्पादित। व की लागत बढ़ जाने पर यदि विक्रय मूल्य भी बढ़ा दिया जाये तो विक्रय मूल्य अन्य प्रतिस्पर्धी उत्पादकों की अपेक्षा अधक होने के कारण वस्तु को बाजार में आसानी से नहीं बेचा जा सकेगा। इसलिये वस्त के प्रति इकाई लागत मूल्य में वृद्धि। न होने देने के लिये असामान्य क्षय का भार निर्मित माल की इकाइयों पर नहीं डाला जाता जबकि सामान्य क्षय की हानियों का निर्मित माल की इकाइयाँ ही वहन करती हैं।

असामान्य क्षय का लेखा-उत्पादित की जाने वाली वस्तु की प्रति इकाई लागत में असामान्य क्षय के कारण वृद्धि को रोकने के लिय असामान्य क्षय की इकाइयों का मल्यांकन उत्पादन की अच्छी इकाइयों की तरह ही किया जाता है तथा असामान्य क्षय की इकाइयों का मल्य ज्ञात करके उससे असामान्य क्षय खाते को डेबिट तथा सम्बन्धित प्रक्रिया खाते को क्रेडिट किया जाता है। संक्षेप में, असामान्य क्षय के मल्य से निम्नलिखित लेखा किया जाता

Abnormal wastage a/c                           Dr

To Process A/c

(Being Cost of abnormal Wages

असामान्य क्षय की इकाइयों का मूल्य ज्ञात करने के लिये प्रक्रिया की सामान्य लागत में उस प्रक्रिया के सामान्य उत्पादन का भाग देकर अच्छी उत्पादित इकाइयों की प्रति इकाई लागत ज्ञात हो जाती है जिसमें असामान्य क्षय की इकाइयों का गुणा कर देने से असामान्य क्षय का मूल्य ज्ञात हो जाता है। सूत्र रूप

Cost of Abnormal Wages

= Normal  Cost  of the Process

Normal Output of The Process  * Units of Abnormal Wages

यदि क्षय का कुछ विक्रय मूल्य भी हो तो असामान्य क्षय की इकाइयों को बेचने से प्राप्त होने वाली रकम के लिये निम्नलिखित लेखा किया जाता है ।

Cash A/c                           Dr

To Abnormal  Wastage A/c

(Being Balance of Abnormal Wastage Transferred to P&LA/c

यह तो स्वाभाविक ही है कि असामान्य क्षय से सम्बन्धित इकाइयों की लागत उनके विक्रय मूल्य से अधिक होगी। अत: असामान्य क्षय की इकाइयों की लागत तथा उनके विक्रय मूल्य में जितना अन्तर होता है वह एक प्रकार की हानि ही होती है। इसलिये दोनों के अन्तर की राशि को हिसाबी वर्ष के अन्त में हानि के रूप में लाभ-हानि खाते में हस्तान्तरित कर दिया जाता है जिसके लिये निम्नलिखित प्रविष्टि की जाती है

Profit and Loss A/c                            Dr

To Abnormal Wastage A/c

(Being Balance OF Abnormal Wastage Transferred To P&l A/c

उपरोक्त लेखों के आधार पर असामान्य श्रय खाते का निम्नलिखित  प्रारुप होगा

उदाहरण द्वारा स्पष्टीकरण-प्रक्रिया ‘अ’ को सामग्री की 1000 इकाइयाँ 150 ₹ प्रति इकाई की दर से निगामत । गई। अन्य व्यय थे-मजदूरी 801 ₹; उपरिव्यय 200 ₹। सामान्य क्षय लगाई गई इकाइयों का 5% है तथा उसका मात इकाई है। वास्तविक उत्पादन 900 इकाई रहा। प्रक्रिया ‘अ’ का खाता तथा असामान्य क्षय खाता तैयार कीजिये

Solutions :

प्रक्रिया अ मे निर्गमित इकाइँया (Units Issued in Process ,A,) 1,000

असामान्य बचत या लाभ

(Abnormal Gains or Effectives)

कभी-कभी उत्पादक के सतर्कतापूर्ण प्रयासों या अन्य आकस्मिक घटनाओं की वजह से वास्तविक उत्पादन, सामान्य उत्पादन से अधिक हो जाता है अर्थात् अनुभव के आधार पर निश्चित एवं अनुमानित सामान्य क्षय की तुलना में वास्तविक क्षय कम होता है। इस अन्तर को असामान्य बचत या असामान्य लाभ कहा जाता है। यह बचत भी आकस्मिक तथा अस्थायी होती है इसलिये इसका भी असामान्य क्षय की तरह उत्पाद की लागत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने देना चाहिये। यदि ऐसा होने दिया। या तो लागत अस्थायी रूप से कम हो जायेगी और बाजार में उत्पादन को कम मूल्य पर बेचने से प्रतिस्पर्दा शक्ति को पोत्साहन मिलेगा। परन्तु इस प्रकार की बचत अल्पकालीन एवं आकस्मिक होने के कारण प्रतिस्पर्दा शीघ्र ही हतोत्साहित हो मारपीटा व्यापार पर बुरा प्रभाव पड़गा। अत: जिस प्रकार से प्रति इकाई उत्पादन लागत पर प्रभाव पड़ने देने के लिये असामान्य क्षय का लेखा किया जाता है उसी प्रकार से असामान्य बचत का लेखा करना भी आवश्यक है।

असामान्य बचत की दशा में सामान्य क्षय खाता बन्द करना-जैसा कि पीछे स्पष्ट किया जा चुका है कि सामान्य क्षय खाते को सामान्य क्षय की कुल इकाइयों व उनके मूल्य से डेबिट किया जाता है। परन्तु असामान्य बचत की दशा में वास्तविक क्षय, सामान्य क्षय से कम होता है, अत: सामान्य क्षय की इकाइयों को बेचने से उतनी राशि वसूल नहीं हो पाती जितनी कि सामान्य क्षय खाते की डेबिट में दिखाई हुई है। बिक्री की इस न्यूनता के लिये निम्नलिखित लेखा किया जाता है

Abnormal Effectives Alc                                   Dr

To Normal Wastage Alc

इस जर्नल प्रविष्टि की खतौनी करने से सामान्य क्षय खाता बन्द हो जायेगा। ऐसी दशा में सामान्य क्षय खाते का प्रारूप निम्नलिखित प्रकार होगा

सामान्य क्षयअसामान्य क्षय तथा असामान्य बचत से युक्त प्रक्रिया खाता तैयार करने हेत मार्गदर्शक बिन्दु

(1) सर्वप्रथम सम्बन्धित प्रक्रिया खाते के डेबिट साइड में उस प्रक्रिया से सम्बन्धित सभी व्यय एवं प्रयोग की गई इकाइयों व उनके मूल्य को दिखा देना चाहिये।

(2) सामान्य क्षय की इकाइयों व उनकी बिक्री से प्राप्त होने वाली राशि को उस प्रक्रिया खाते की क्रेडिट साइड में दिखा

देना चाहिये।

(3) प्रक्रिया खाते की डेबिट साइड में लिखे हुये सभी व्ययों के योग में से सामान्य क्षय के विक्रय से प्राप्त होने वाली राशि घटाकर सामान्य उत्पादन लागत (Normal Cost of Production) ज्ञात कर लेनी चाहिये। ।

(4) प्रक्रिया खाते के नीचे Working Notes के रूप में सामान्य उत्पादन ज्ञात करना चाहिये। प्रक्रिया में प्रयुक्त इकाइयों । में से सामान्य क्षय की इकाइयों को घटाकर प्राप्त होने वाला शेष सामान्य उत्पादन को दर्शाता है।

उपर्युक्त ज्ञात की गई सामान्य उत्पादन लागत में सामान्य उत्पादन की इकाइयों का भाग करने से सामान्य उत्पादन की प्रति इकाई लागत ज्ञात हो जाती है।

(5) इसके बाद Working Notes के अन्तर्गत Normal Output तथा Actual Output की तुलना करके असामान्य क्षय अथवा असामान्य बचत (जैसी भी स्थिति हो) की इकाइयाँ ज्ञात कर ली जाती हैं और उन इकाइयों में उपर्युक्त ज्ञात की गई सामान्य उत्पादन की प्रति इकाई लागत की गुणा करके असामान्य क्षय अथवा असामान्य बचत की इकाइयों का मूल्य ज्ञात हो जाता है।

(6) असामान्य क्षय की दशा में इसे सम्बन्धित प्रक्रिया खाते की क्रेडिट साइड में लिखा जाता है जबकि असामान्य बचत की दशा में इसे प्रक्रिया खाते की डेबिट में लिखा जाता है।

(7) अन्त में, वास्तविक उत्पादन की इकाइयों व उसकी लागत को अगले प्रक्रिया खाते अथवा निर्मित स्टॉक खाते में हस्तान्तरित कर दिया जाता है।

Illustration 9.

प्रथम प्रक्रिया में प्रारम्भ में निर्गमित की गई इकाइयों की संख्या ज्ञात कीजिये जब सामान्य क्षय प्रक्रिया 1, प्रक्रिया | एवं प्रक्रिया III में लगाई गई इकाइयों का क्रमश: 10%, 5% एवं 8% है। निर्मित स्कन्ध 3,933 इकाइयों का है। किसी प्रक्रिया में कोई असामान्य हानि या असामान्य बचत नहीं थी।

Find out the number of units initially introduced in process I when normal wastage is 10%, 5% and 8% of the input in process I, process II and process III respectively. There are 3,933 units of finished stock. There was no Abnormal loss or effective in any of the processes.

Solution:

Illustration 10.

एक कम्पनी का उत्पाद तीन विभिन्न प्रक्रियाओं से निकलकर पूर्णता को प्राप्त करता है। वे प्रक्रियायें हैं-‘अ’, ‘ब’ तथा । ‘स’। पिछले अनुभव से यह ज्ञात किया गया है कि प्रत्येक प्रक्रिया में निम्नलिखित क्षय होता हैप्रक्रिया ‘अ’2%, प्रक्रिया ‘ब’5% तथा प्रक्रिया ‘स’ 10% पोक दशा में क्षय की प्रतिशत प्रक्रिया में प्रवेश कर रही इकाइयों की संख्या पर ज्ञात की जाती है। और पकिया का क्षय कुछ अवशेष मूल्य रखता है। प्रक्रिया ‘अ’ तथा ‘ब’ का क्षय 5 प्रति 100 इकाइयों की दर से, तथा प्रक्रिया ‘स’ का 20 ₹ प्रति 100 इकाइयों की दर से बेचा जाता है।

प्रत्ययेक प्रक्रिया का उत्पाद अगली प्रक्रिया को तरन्त भेज दिया जाता है तथा निर्मित इकाइँयाँ ,स, प्रक्रिया से स्टाँक में भेजी जाती हैं। निम्नलिखित सूचनायें प्राप्त हैं

The product of a company passes through three distinct processes to completion. They are known as A, B and C. From past experience, it is ascertained that wastage is incurred in each process as under Process A’=2%; Process ‘B’=5%; Process C = 10%.

In each case the percentage of wastage is computed on the number of units entering the process concerned.

The wastage of each process possesses a scrap value. The wastage of process ‘A’ and ‘B’ is sold @ 35 per 100 units and that of process ‘C’@ 20 per 100 units.

The output of each process passes immediately to the next process and the finished units are passed from process ‘C’ into stock.

The following informations are obtained :

प्रक्रिया ‘अ’            प्रक्रिया ‘स’              प्रक्रिया ‘ब’

Process A             Process B              Process C

प्रयुक्त सामग्री (Materials consumed)                    6,000                      4,000                   2,000

प्रत्यक्ष श्रम    (Direct Labour)                                 8,000                     6,000                   3,000

निर्माण व्यय (Manufacturing expenses)                1,000                     1,000                   1,500

10,000 की लागत से 20,000 इकाइयाँ प्रक्रिया अ को निर्गमित का गई है । प्रत्येक प्रक्रिया का निम्नलिखित उत्पादन है

प्रक्रिया ‘अ’ 19,500 प्रक्रिया ‘ब’ 18,800 प्रक्रिया ‘स’ 16,000।

किसी भी प्रक्रिया में कोई चालू कार्य नहीं है।

प्रक्रिया खाते बनाओ तथा गणना निकटतम र में की जानी चाहिये।

20,000 units have been issued to Process A’ at a cost of 10,000. The output of each process has been as under:

Process ‘A’=19,500; Process ‘B’=18.800; Process ‘C’=16,000.

There is no Work-in-progress in any process.

Prepare Process Accounts and the calculations should be made to the nearest rupees.

Illustration 11.

एक उत्पाद पूर्ण होने से पूर्व तीन विभिन्न प्रक्रियाओँ से होकर गुजरता है । प्रक्रियो अ में से 10,000 इकाइयाँ (50,000 रुपये की )  निम्नलिखित व्यय किये गये ।

A product passes through three distinct processes to completion. 10,000 units were introduced (valued at Rs. 50,000) in process ‘A’. Following expenses were incurred:

उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर प्रति इकाई लागत तथा उत्पादन की कुल लागत बताते हुये प्रक्रिया खाते बनाइये व सामान्य क्षय खाता, असामान्य क्षय खाता तथा असामान्य बचत खाता भी बनाइये।

Prepare Process Accounts showing the cost of output and the cost per unit at each stage of manufacturing along with Normal Wastage Account, Abnormal Wastage Account and Abnormal Effectives Account

Illustration 13.

निम्नलिखित सूचनाएं एक ऐसे उत्पाद के सम्बन्ध में उपलब्ध है जो प्रक्रिया ‘ए’ एवं प्रक्रिया ‘बी’ से गुजर चका है। प्रक्रिया बी से प्रक्रिया सी को 9,120 इकाइयाँ 49.263  मूल्य पर हस्तानतरित की गई । प्रक्रिया सी पर किये गए  व्यय निम्नलिखित प्रकार थे

The following data are available pertaining to a product after passing through processes A and B. Output transferred to process from Process B 9,120 units for 49,263. Expenses incurred in Process C:

Sundry Materials                    31,480

Direct Labour                          36,500

Direct Expenses                      31,605

प्रक्रिया ‘सी’ की सामान्य हानि वाली इकाइयाँ । प्रति इकाई की दर से बेची जाती हैं। उपरिव्यय प्रत्यक्ष श्रम लागत के 168 प्रतिशत चार्ज किये जाते हैं। अन्तिम उत्पाद 10₹ प्रति इकाई की दर से बेचा जाता है जिससे विक्रय मूल्य पर। 20% लाभ अर्जित होता है ।

यदि प्रक्रिया ‘सी’ में कोई भी असामान्य हानि अथवा असामान्य लाभ न हुआ हो तो उस दशा में ‘सी’ प्रक्रिया में निवेश पर सामान्य हानि का प्रतिशत ज्ञात करें एवं प्रक्रिया ‘सी’ खाता बनाइये।

Normal wastage of process C is sold at 1.00 per unit. The overhead charges were 168% of direct labour. The final product was sold at 10.00 per unit fetching a profit of 20% on sales.

If there was no abnormal loss or abnormal gain in process C then find the percentage of wastage on input in process C and prepare Process C Account.

प्रक्रिया में निर्मित वस्तुओं की इकाइयों का स्टॉक-जब किसी प्रक्रिया का उत्पादित सम्पूर्ण माल अगला प्रक्रिया हस्तान्तरित नहीं किया जाता, तो जो माल शेष बच जाता है वह अन्तिम स्टॉक एवं अगले वर्ष के लिये प्रारम्भिक स्टाक होगा। ज अन्तिम स्टाक का मूल्यांकन सम्बन्धित प्रक्रिया में निर्मित वस्त की प्राप्त लागत के आधार पर ही किया जाता है। यहा मूल्य 6 अगले वर्ष के लिये प्रारम्भिक स्टॉक का मूल्य होगा जो कि सामान्यतः दिया रहता है। अगली प्रक्रिया में हस्तान्तारत का 3 इकाइयों का संख्या तथा मूल्य ज्ञात करने के लिये प्रक्रिया खाता बनाने के साथ-साथ प्रक्रिया स्टॉक खाता (Process Stock | Account) भी बनाया जाता है।

  स्पष्टीकरण हेतु निम्नलिखित उदाहरण देखें

Illustration 14.

एक निर्माणी कम्पनी की पुस्तकों से जून, 2018 माह के लिये एक वस्तु सम्बन्धी निम्नलिखित तथ्य उपलब्ध ह जा तथा ‘ब’ दो प्रक्रियाओं से निर्मित होती हैं

The following inforination for the month of June, 2018 has been ascertained from the costing books of a manufacturing company relating to a product which passes through two process A and B :

Process’A’                  Process ‘B’

Materials used (3)                                                                        8,000                               3,000

Direct Labour (3)                                                                        12,000                                 8,000

Works expenses (3)                                                                     1,672                                  1,390

Input @₹8per unit (Units)                                                           2,000                                  —

Output (Units)                                                                               1,950                                1,925

Stock: Opening (Units)                                                               200                                    150

Closing (Units)                                                                             150                                     400

Valuation of opening stock (₹) per                                            19                                         26

Unit Normal wastage on input                                                    2%                                        5%

Scrap value of wastage per unit ()                                                  1                                        4

अन्तिम स्टॉक का मूल्यांकन लागत के आधार पर करना है। इस माह के लिये प्रक्रिया खाते बनाइये।

Closing stock is to be valued at cost. Prepare process accounts for the month

तेल उद्योग के प्रक्रिया खाते (Process Accounts of Oil Industry)-सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, नारियल की गिरी (गोला), आदि का तेल निकालने तथा उन्हें शुद्ध (फिल्टर) करके बेचने वाले कारखानों में प्राय: तीन प्रक्रियाएँ होती हैं-(1) तेल पेरना (पीड़न) (Crushing), (2) तेल को साफ या शोधन करना (Refining), (3) बिक्री हेतु तैयार करना (Finishing) तथा उसे पीपों, डिब्बों या ड्रमों में बन्द करना। जिस भी पदार्थ (सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, गोला) का तेल निकाला जाता है उसे पीड़न (Crushing) प्रक्रिया खाते की डेबिट में लिखते हैं। Sale of Sacks तथा Sale of Oil Cake की रकम को भी पीड़न प्रक्रिया खाते की क्रेडिट में दर्शाते हैं। अवशिष्ट पदार्थ (Residue) की बिक्री जिस भी प्रक्रिया से सम्बन्धित होती है उसे उसी प्रक्रिया खाते की क्रेडिट में दर्शाया जाता है। यदि उत्पादन के भार में कमी होती है तो उसे भार में कमी (Loss in Weight) मानते हुये सम्बन्धित प्रक्रिया खाते की क्रेडिट में केवल भार (weight) वाले कॉलम (Column) में लिख दिया जाता है। यदि किसी प्रक्रिया के सम्पूर्ण उत्पादन को अगली प्रक्रिया में हस्तान्तरित न करके कुछ भाग बेच दिया जाता है तो उसे उसके विक्रय मूल्य की राशि से उस प्रक्रिया खाते की क्रेडिट में दिखा देते हैं एवं ऐसी बिक्री पर जितना लाभ लिया गया हो उसे उस प्रक्रिया खाते की डेबिट में TOP & LA/c (Profit) करके लिख देते हैं। प्रत्येक प्रक्रिया के अन्त में उत्पादित तेल की मात्रा, उत्पादन लागत तथा प्रति टन उत्पादन लागत को प्रकट करते हैं।

पीपे, टीन या ड्रम (Casks. Tin. Containers. Drums or Barrels) जिनमें तेल भरा जाता है, की लागत को अन्तिम प्रक्रिया खाते में डेबिट किया जाता है। कुछ विद्वानों का विचार है कि इसे अन्तिम प्रक्रिया के स्थान पर Finished Stock A/c में दर्शाया जाना चाहिये।

Illustration 15.

निम्नलिखित विवरण एक तेल मिल के लागत अभिलेखों से लिये गये हैं जो 31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष से। सम्बन्धित हैं

The following details are extracted from the costing records of an oil mill for the year ended 31st March,2018:

Crushing          Refining       Finishing

मजदूरी (Wages)                                             5,000                 2,000           3,000

शक्ति (Power)                                               1,200                   720                 480

स्टीम (Stern )                                                 1,200                   900                900

अन्य सामग्री (Other Materials)                      200                      4,000            –

संयन्त्र मरम्मत (Plant Repairs)                     560                     660                 275

विवध व्यय Sundry Expenses)                      2,640                  1,320              450

200 प्रति टन का दर से 2,000 टन नारियल कर गिरी उपयोग की गई , कच्चे तेल का उत्पादन 1,200 टन रिफाइण्ड तेल का उत्पादन 850 टन तथा सुपुर्दगी हेतु निर्मत तेल 840 टन था । 240 टन कच्चा तेल लागत में 20%  जोडंकर बेच दिया ।

कारखाने को नारियल की सुपुर्दगी भारी लबादों में दी जाती है । और लबादों की बिक्री 750 ₹ में हुई। 600 टन नारियल का अवशेष 17,400 में बेचा शोधन प्रक्रिया से प्राप्त 80 टन का श्रय , 4,750 में बेचा गया समापन प्रक्रिया में प्रयोग किये गये पीपों की लागत 12,000 थी । पीपों में भरा तेल 500 प्रति टन की दर से बेच दिया गया ।

आप (अ) निर्माण की प्रत्येक स्थिति की टन लागत, (ब) अवधि के लिये कुल लाभ दर्शाते हये लागत खाते बनाइये।

2.000 tons of copra were consumed at <200 a ton, the output being 1.200 tons of crude oil, 850 tons of refined oil and 840 tons of finished oil ready for delivery. The difference in tonnage in respect of crude oil (refined) is not all loss, 240 tons of crude oil being sold as crude oil at cost plus 20%. Copra is delivered to the factory baled in heavy sacks, and the sacks were sold for 750.600 tons of copra residue were sold for * 17,400. 80 tons of waste from the refining process were sold for 4,750. The cost of casks used in finishing process was 12,000. Casked oil was sold for 500 per ton. You are required to prepare cost accounts showing (a) the cost per ton at each stage of manufacture,(b) the total profit for the period

 

 

 

chetansati

Admin

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