BCom 2nd Year Recovery Refund Tax Study Material Notes in Hindi

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BCom 2nd Year Recovery Refund Tax Study Material Notes in Hindi

BCom 2nd Year Recovery Refund Tax Study Material Notes in Hindi : Modes of Recovery  Refund of Tax  Examination Question ( Most Important Notes For BCom 2nd Year Students )

Recovery Refund Tax
Recovery Refund Tax

BCom 2nd Year Cost Accounting Fundamental Aspects Notes

कर की वसूली एवं वापसी

(RECOVERY AND REFUND OF TAX)

कर की वसूली का अर्थ (Meaning of Tax Recovery)-कर वसुली का अर्थ किसी करदाता पर बकाया आय-कर, ब्याज, अथदण्ड (जुमाना) या अन्य कोई देय राशि वसल करने के लिए आय-कर विभाग द्वारा अपनाये जाने वाली प्रक्रिया सहा

वसूली की विधियाँ

(Modes of Recovery)

यदि करदाता इस अधिनियम के अन्तर्गत देय कर, ब्याज, अर्थदण्ड एवं अन्य कोई राशि का स्वत: ही निर्धारित समय पर भुगतान नहीं करता है तो अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के अन्तर्गत यह राशि निम्नलिखित तरीकों से वसूल की जा सकती है

[I] कर वसूली अधिकारी द्वारा प्रमाणपत्र भेजकर (By Sending Certificate to Tax Recovery Officer) (धारा 222)-जब करदाता कर की राशि का भुगतान करने में त्रुटि करता है तो कर वसूली अधिकारी अपने हस्ताक्षरों से युक्त एक विवरण तैयार कर सकता है, जिसमें वह करदाता को बकाया राशि का स्पष्ट उल्लेख करेगा। इस विवरण को ही प्रमाण-पत्र (Certificate) कहा जाता है। प्रमाण-पत्र तैयार करने के बाद कर वसूली अधिकारी करदाता के विरुद्ध प्रमाण-पत्र में दी गई राशि की वसूली के लिए निम्न तरीकों में से कोई एक या अधिक तरीके अपनाएगा

(i) करदाता की चल सम्पत्ति को कुर्क करके अथवा बेचकर।

(ii) करदाता की अचल सम्पत्ति को कुर्क करके अथवा बेचकर।

(iii) करदाता को बन्दी बनाकर अथवा जेल में कैद करके।

(iv) करदाता की चल एवं अचल सम्पत्तियों के प्रबन्ध के लिए एक प्रापक (Receiver) नियुक्त करके।

वसूली की अन्य विधियाँ (Other Modes of Recovery)-

1 वेतन में से वसूली (Recovery from Salary) [धारा 226(2)]-यदि करदाता नौकरी करता है तो कर-निर्धारण अधिकारी या कर-वसूली अधिकारी उसके नियोक्ता को यह नोटिस दे सकता है कि वह नोटिस-प्राप्ति के बाद करदाता को वेतन के रूप में जो भी राशि दे उसमें से करदाता पर देय कर, दण्ड, जुर्माना आदि की राशि काट ले और उसे केन्द्रीय सरकार के कोष में जमा करा दे। परन्तु यह राशि वेतन के उस भाग में से नहीं काटी जा सकती जो दीवानी प्रक्रिया अधिनियम, 1908 (Code of Civil Procedure) के अन्तर्गत न्यायालय द्वारा किसी भी कुर्की आदि से मुक्त हो।

2. करदाता के देनदारों से वसूली (Recovery from Debtors of Assessee) [धारा 226(3)]-यदि करदाता की कोई राशि किसी व्यक्ति या व्यक्तियों या संस्थाओं के पास जमा है या करदाता उनमें से कोई राशि मांगता है, तो ऐसे देनदारों को यह नोटिस दिया जा सकता है कि यह राशि करदाता को भुगतान करने के बजाय आय-कर अधिकारी के पास जमा की जाए।

इस प्रकार का नोटिस पोस्ट-ऑफिस, बैंक, बीमा कम्पनी आदि को भी दिया जा सकता है। जिस व्यक्ति को भी ऐसा नोटिस दिया जाता है उसे उसका पालन करना पड़ता है।

ऐसे नोटिस के अनुसार जो भी राशि जमा की जाती है उसके लिए कर-निर्धारण अधिकारी रसीद देता है।

3. न्यायालय से वसूली (Recovery from Court) [धारा 226(4)]-यदि किसी न्यायालय में करदाता की कोई राशि जमा हो तो धारा 226(4) के अन्तर्गत कर-निर्धारण अधिकारी उक्त न्यायालय को यह आवेदन कर सकता है कि करदाता पर बकाया राशि का उस जमा राशि से कर-निर्धारण अधिकारी को भुगतान कर दिया जाए।

4. चल सम्पत्ति से वसूली (Recovery from Movable Property) [धारा 226(5)]-मख्य कमिश्नर या कमिश्नर के सामान्य या विशेष आदेश द्वारा अधिकृत हो जाने पर कर-निर्धारण अधिकारी या कर वसूली अधिकारी करदाता की चल सम्पत्ति को अपने अधिकार में लेने के बाद उसे बेचकर करदाता पर देय बकाया राशि की वसूली कर सकता है।

5.राज्य सरकार के माध्यम से वसूली (Recovery through State Government) [धारा 227]-यदि किसी क्षेत्र में कर आदि की वसूली का कार्य राज्य सरकार को सौंप दिया गया है तो राज्य सरकार इस राशि को उसी प्रकार तथा उन्हीं व्यक्तियों के माध्यम से वसूल करेगी जैसे, वह महापालिका-कर अथवा स्थानीय करों को वसूल करती है।

6. विदेशों से समझौतों के अन्तर्गत वसूली (Recovery of Tax in Pursuance of Agreements with Foreign Countries) [धारा 228A]-यदि भारत सरकार ने किसी विदेशी सरकार के साथ आय-कर वसूली के लिये कोई द्विपक्षीय समझौता किया हो, तो ऐसे समझौते के प्रभाव से किसी ऐसे करदाता से जिसकी समझौते वाले देश में कोई सम्पत्ति हो, बकाया कर। की राशि राजस्व बोर्ड के माध्यम से वसूल की जा सकती है।

7. दण्ड, जुर्माना, ब्याज एवं अन्य राशियों की वसूली (Recovery of Penalties. Fines, Interest and other Sums)-धारा 229 के अनुसार, इस अधिनियम के अन्तर्गत देय दण्ड, जुर्माना, ब्याज एवं अन्य कोई राशि की बकाया उसी प्रकार तथा उन्हीं विधियों से वसूल की जायेगी जो कर वसूली के लिए अपनाई जाती है।

8. न्यायालय में वाद प्रस्तुत करके वसुली (Recovery by Suit in Court of Law)-धारा 232 के अनुसार, कर वसूला। की वर्णित इन विभिन्न विधियों के अतिरिक्त यदि किसी अधिनियम के अन्तर्गत न्यायालय में वाद प्रस्तुत करके वसूली की जा सकता। है तो कर-निर्धारण अधिकारी या सरकार न्यायालय में वाद प्रस्तत करके बकाया राशि को वसूल करने का मार्ग भी अपना सकते हैं।

Recovery Refund Tax Study

कर की वापसी

(Refund of Tax)

आय-कर अधिनियम की धारा 237 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति कर-निर्धारण अधिकारी को इस बात से सन्तुष्ट कर दे कि किसी कर-निधारण वर्ष के लिए उसके द्वारा चुकाया गया अथवा उसकी ओर से चकाया गया कर उस वर्ष में देय कर की राशि से।

अधिक है तो इस प्रकार अधिक चुकायी गयी राशि उसे वापिस लौटा दी जायेगी। इस प्रकार वापिस लौटायी गयी राशि ही कर का। वापसी कहलाती है।

करदाता निम्नलिखित दशाओं में कर वापसी की माँग कर सकता है

1 उद्गम स्थान पर अधिक कर काट लिया गया हो। ।

2. अधिक अग्रिम कर जमा करा दिया गया हो।

3. अपील में दिए गए निर्णय के परिणामस्वरूप कर की राशि में कमी होने पर।

4. भूल सुधार की कार्यवाही से देय कर की राशि में कमी आ गई हो।

5. दोहरे करारोपण की छूट मिलने की दशा में।

कर वापसी मांगने के लिए अधिकृत व्यक्ति (Person Entitled to Claim Tax Refund) [धारा 238]-निम्नांकित व्यक्ति चुकाये गये आधिक्य कर की वापसी की माँग कर सकते हैं

1 स्वयं करदाता जिसने कर चुकाया है।

2. जब एक व्यक्ति की आय दूसरे व्यक्ति की कुल आय में शामिल की जाती है तो ऐसी आय के सम्बन्ध में वापसी माँगने का अधिकारी वह दूसरा व्यक्ति होगा जिसकी कुल आय में यह आय शामिल की गयी है।

3. जब करदाता की मृत्यु हो जाये, वह अयोग्य हो जाए अथवा उसका दिवाला निकल जाए या उसके व्यापार का समापन हो जाए, तो उसकी ओर से उसका कानूनी प्रतिनिधि, प्रन्यासी, संरक्षक अथवा प्रापक कर की वापसी माँगने के अधिकारी है।

कर वापसी माँगने की कार्यविधि (Procedure for Claiming Tax Refund)-आय-कर अधिनियम की धारा 239 एवं 240 के अन्तर्गत कर वापसी माँगने की कार्य-विधि निम्न प्रकार है

1 कर वापसी की माँग एक निर्धारित फार्म (फार्म नं0 30) पर निर्धारित विधि से प्रमाणित करके की जाती है। आय-कर नियम के नियम 41 के अन्तर्गत कर वापसी की मांग के साथ निम्नलिखित प्रपत्र संलग्न होने चाहियें(i) कुल आय का विवरण, तथा ।

(ii) उद्गम स्थान पर काटे गए कर का प्रमाण-पत्र।

2. वापसी की माँग सम्बन्धित कर-निर्धारण वर्ष के अन्त से एक वर्ष के अन्दर की जानी चाहिए।

3. यदि अपील या अन्य किसी कार्यवाही में हुए आदेश के फलस्वरूप करदाता को वापसी देय होती है तो कर-निर्धारण अधिकारी, करदाता द्वारा वापसी की माँग किये बिना ही उसको वापसी की रकम का ‘भुगतान वाउचर’ (Refund Voucher) जारी करेगा।

4. यदि अपील या अन्य किसी कार्यवाही में कर-निर्धारण आदेश रद्द कर दिया गया है तथा नया कर-निर्धारण (Fresh Assessment) किये जाने का निर्देश दे दिया गया है, तो वापसी, यदि कोई है नया कर-निर्धारण हो जाने के बाद ही देय होगी।

5. यदि करनिर्धारण रद्द कर दिया गया है तो केवल उस राशि की वापसी देय होगी जो करदाता ने उस कर से अधिक जमा करा दी है जो उसके द्वारा दाखिल आय विवरण के आधार पर उस पर देय होता है।

नोट– यदि कर वापसी भूल सुधार, अपील व पुनरीक्षण के कारण होना है तो करदाता को आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है। कर-निर्धारण

अधिकारी स्वयं से ही आधिक्य कर राशि की वापसी करेगा (धारा 240)

कर वापसी पर ब्याज (Interest on Refunds)-धारा 244A के अनुसार कर वापसी पर ब्याज देने के सम्बन्ध में अग्रलिखित प्रावधान लागू है

 () वापसी की स्वीकृति में विलम्ब होने पर % प्रतिमाह की दर से ब्याज देय होगा। ।

() अग्रिम कर अथवा उद्गम स्थान पर कटे हुए कर अथवा उदगम स्थान पर एकत्रित कर की वापसी की दशा में। कर-निरिण वर्ष के प्रथम दिन से वापसी स्वीकृत होने की तिथि तक की अवधि का ब्याज देय होगा। बशत Return of Income धारा 139(1) में वर्णित तिथि तक दाखिल कर दिया गया हो।

(ii) याद Return of Income देरी से दाखिल किया गया है तो ब्याज रिटर्न दाखिल करने की तिथि से वापसा

स्वीकृत होने की तिथि तक का देय होगा।

(iii) याद कर का भुगतान स्वयं कर-निर्धारण (धारा 140A) के अन्तर्गत किया गया है तो ब्याज रिटर्न दाखिल करने का तिथि या भुगतान की तिथि, जो बाद में होगी. से वापसी स्वीकृत होने की तिथि तक का देय होगा। (i), (ii) या (iii) में वर्णित दशा में यदि वास्तव में चकायी गयी कर की राशि का आधिक्य [धारा 143(1) के अन्तर्गत हुए कर-निर्धारण अथवा नियमित कर निर्धारण में गणना की गई। देय कर की राशि के 10% से कम है। तो कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा।

() किसी अन्य दशा में कर अथवा अर्थ-दण्ड चुकाने की तिथि से वापसी स्वीकृत होने की तिथि तक की अवधि का ब्याज देय होगा।

() यदि वापसी अपील या पुनर्विचार आदेश के कारण बनती है और नए सिरे से करनिर्धारण (Fresh assessment) या पुनः कर-निर्धारण का आदेश नहीं दिया गया है तो वापसी आदेश की तिथि से तीन माह में [धारा 153(5) की दशा में नौ माह में) हो जानी चाहिए। यदि इस अवधि में वापसी नहीं होती है तो 3% वार्षिक की दर से अतिरिक्त ब्याज

उपयुक्त वर्णित अवधि की समाप्ति से वापसी तक की तिथि का दिया जाएगा।

अन्य प्रावधान

1 विलम्ब की अवधि की गणना करने के लिए वह अवधि शामिल नहीं की जायेगी जो करदाता के कारण किसी कार्यवाही में विलम्ब करने की अवधि हो।

2. यदि वापसी की राशि में कोई वृद्धि अथवा कमी निम्नलिखित के फलस्वरूप हो जाये तो तदनुसार ब्याज की राशि भी बढ़ा अथवा घटा दी जाएगी(i) सबूत अथवा पूछताछ के आधार पर कर-निर्धारण होने से, अथवा (i) सर्वोत्तम निर्णय कर-निर्धारण होने से, अथवा (iii) पून: कर-निर्धारण होने से, अथवा (iv) अपील अथवा पूनर्विचार के आदेश से, अथवा (v) त्रुटि-सुधार से, अथवा

(vi) समझौता कमीशन के आदेश से।

नोट– यदि वापसी की कार्यवाही में करदाता के कारण देरी (Late) हो जाती है तो ब्याज की गणना करने की अवधि में से उतनी अवधि को निकाल दिया जायेगा जो करदाता द्वारा की गई देरी के कारण व्यतीत हुई है। कितनी अवधि करदाता की वजह से व्यतीत हुई है इसका निर्धारण मुख्य आय-कर आयुक्त अथवा आय-कर आयुक्त करेगा जिसका आदेश अन्तिम (Final) होगा।

कर की माँग अदत्त होने पर वापसी की राशि का समायोजन या पूर्ति करना (Set-off of Refund against Tax/demand Outstanding) (धारा 245) आय-कर अधिनियम के प्रावधानों के अन्तर्गत यदि करदाता पर पूर्व के वर्षों का कोई कर दायित्व बकाया है एवं उसे कोई कर-राशि वापस भी की जानी है तो कर-निर्धारण अधिकारी बकाया कर की राशि का समायोजन कर वापसी की राशि से कर सकता है, किन्तु करदाता को समायोजन करने के पूर्व इसकी लिखित सूचना दी जायेगी। (State Bank of Patiala Vs. C.I.T. 1999 ITR 421 (Punjab and Haryana)| यदि करदाता पर आय-कर अधिनियम के अन्तर्गत कोई राशि बकाया है तथा किसी अन्य अधिनियम के अन्तर्गत कोई राशि वापस की जानी है तो आय-कर बकाया का समायोजन इस वापसी की राशि से नहीं किया जा सकता है (Princess Usha Trust Vs. C.LT. 1989 I.T.R. 227)

Recovery Refund Tax Study

परीक्षा हेतु सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

(EXPECTED IMPORTANT QUESTIONS FOR EXAMINATION)

1 कर वसूली से आप क्या समझते हैं ? कर वसूली की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।

What do you understand by Recovery of Tax ? Describe the different mode of recovery of tax.

2. वापसी की मांग कब उदय होती है तथा वापसी के लिए प्रार्थना-पत्र देने की क्या कार्यविधि है ? वे कौन-सी परिस्थितियाँ तथा सीमाएँ हैं जिनके अन्तर्गत ऐसी माँग की जाती है?

When does a claim for refund arise ?  Explain briefly the procedure for obtaining a refund ? What are the circumstances and limitations under which such a claim is allowed ?

3. निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखें (Write short note on) :

(a) कर की वापसी (Refund of Tax),

(b) कर की वसूली (Recovery of Tax)

Recovery Refund Tax Study

chetansati

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