BCom 1st Year Remedies Breach Contract Sale Auction Sale Study Material Notes in Hindi

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BCom 1st Year Remedies Breach Contract Sale Auction Sale Study Material Notes in Hindi

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Remedies Breach Contract Sale
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BCom 1st Year Business Regulatory Framework Unpaid Seller Study Material Notes in Hindi

विक्रय अनुबन्ध भंग के उपचार तथा नीलामी विक्रय

(Remedies for Breach of Contract of Sale and Auction Sale)

जब विक्रय अनुबन्ध से सम्बन्धित पक्षकार अपने अधिकार एवं दायित्वों का निष्पादन करने में असफल रहते हैं तो ऐसी दशा में विक्रय अनुबन्ध भंग माना जाता है,जिसके परिणामस्वरूप दोषी पक्षकार के विरुद्ध पीड़ित पक्षकार को कुछ वैधानिक उपचार प्राप्त होते हैं। इस अध्याय के अन्तर्गत पीडित पक्षकार को प्राप्त उपचारों का वर्णन किया गया है।

क्रेता के विरुद्ध विक्रेता के अधिकार

(Rights of Seller against Buyer)

जब विक्रय अनुबन्ध के अन्तर्गत क्रेता अनुबन्ध भंग कर देता है तो ऐसी दशा में विक्रेता को क्रेता के विरुद्ध निम्नलिखित अधिकार अथवा उपचार प्राप्त हो जाते हैं

1 मूल्य के लिए वाद (Suit for Price)-जब विक्रय अनुबन्ध के अन्तर्गत माल का स्वामित्व क्रेता को हस्तान्तरित हो गया है और क्रेता दोषपूर्ण तरीके से अनुबन्ध की शर्तों के अन्तर्गत माल के.मल्य व उसका भुगतान करने में असावधानी करता है अथवा इन्कार करता है, तो ऐसी दशा में विक्रेता. क्रेता पर माल के मूल्य के लिए वाद प्रस्तुत कर सकता है।

जब विक्रय अनुबन्ध के अन्तर्गत सुपुर्दगी का विचार किए बिना माल का मूल्य किसी निश्चित तिथि को चुकाया जाना है और क्रेता दोषपूर्ण ढंग या तरीके से ऐसे मूल्य के भुगतान करने में असावधानी करता है अथवा इन्कार करता है तो ऐसी दशा में विक्रेता उस पर मूल्य के लिए वाद प्रस्तुत कर सकता है, चाहे माल के स्वामित्व का हस्तान्तरण क्रेता को अभी नहीं हुआ है।

2. अस्वीकृति पर क्षतिपूर्ति (Damages for Non-acceptance)-वस्तु विक्रय अनुबन्ध के अन्तर्गत जब माल का क्रेता दोषपूर्ण तरीके या ढंग से माल को स्वीकार करने अथवा उसका मूल्य चुकाने में असावधानी करता है अथवा इन्कार करता है तो ऐसी दशा में विक्रेता उस पर अस्वीकृति के परिणामस्वरूप होने वाली क्षति या हानि के लिए वाद प्रस्तुत कर सकता है।

3. तिथि से पूर्व अनुबन्ध को निरस्त या रद्द करने का अधिकार (Right to repudiate contract before due date)-जब क्रेता माल की सुपुर्दगी की तिथि से पूर्व ही अनुबन्ध को निरस्त या रद्द कर देता है तो ऐसी दशा में विक्रेता अनुबन्ध की सुपुर्दगी की तिथि तक उसे चालू रख सकता है। अथवा अनुबन्ध को निरस्त हुआ मानकर क्षतिपूर्ति के लिए वाद प्रस्तुत कर सकता है। यह नियम अनुबन्ध के प्रत्याशित भंग के नियम के समान है।

4. ब्याज के लिए वाद (Suit for Interest)-जब क्रेता द्वारा मूल्य का भुगतान उचित समय में नहीं किया जाता है तो विक्रेता, क्रेता पर ब्याज की राशि प्राप्त करने के लिए वाद प्रस्तुत कर सकता है। इसके लिए विक्रेता उचित दर से ब्याज प्राप्त करने के लिए वाद प्रस्तुत कर सकता है तथा इस ब्याज की गणना माल की सुपुर्दगी अथवा मूल्य के देय होने की तिथि से की जाती है।

विक्रेता के विरुद्ध क्रेता के अधिकार

(Rights of Buyer against Seller)

जिस तरह एक विक्रेता को अनेक अधिकार उपलब्ध हैं उसी तरह विक्रेता द्वारा अनुबन्ध की शर्तों का पालन न किए जाने की दशा में क्रेता को भी अनेक उपचार (remedies) उपलब्ध हैं। ये इस प्रकार

1 सपुर्दगी दिए जाने पर क्षतिपूर्ति के लिए वाद (Damages for non-delivery)-यदि विक्रेता, अनुचित रूप से, माल की सुपुर्दगी देने में लापरवाही या इन्कार करता है तो क्रेता उस पर हर्जाने का दावा कर सकता है। हर्जाने की राशि निश्चित करने के लिए अनुबन्ध अधिनियम के सम्बद्ध नियमों को ही अपनाया जाएगा।

2. निर्दिष्ट निष्पादन का आदेश (Order for specific performance)-जब किसी विशिष्ट अथवा निश्चित माल की सपुर्दगी के अनुबन्ध को भंग किया जाता है तो, यदि न्यायालय उचित समझे, वह निर्दिष्ट निष्पादन का आदेश दे सकता है। ऐसा आदेश तभी जारी किया जाता है जबकि उसके लिए

व्यावसायिक नियामक ढाँचा विशेष रूप से प्रार्थना की गई हो और परिस्थितियों को देखते हुए न्यायालय उस माँग को उचित समझे। इस प्रकार का आदेश उसी दशा में दिया जाता है जब हर्जाना, समुचित उपचार प्रतीत नहीं होता। यह आदेश शर्त रहित हो सकता है अथवा उसमें हर्जाने या मूल्य के भुगतान सम्बन्धी कोई शर्त लगाई जा सकती है।

3. आश्वासनभंग के लिए उपचार (Remedy for breach of warranty)-यदि विक्रय अनबन्ध के किसी आश्वासन को भंग किया जाता है अथवा किसी शर्त भंग को आश्वासन-भंग के रूप में लिया जाता है,तो क्रेता माल को स्वीकार करने से इन्कार तो नहीं कर सकता, परन्तु हर्जाने की माँग अवश्य कर सकता है।

4. प्रत्याशित अनुबन्धभंग की दशा में उपचार (Remedy in case of anticipatory breach)-यदि सुपुर्दगी की निश्चित तिथि से पहले ही विक्रेता सूचना देता है कि वह माल की सुपुर्दगी नहीं दे पाएगा तो क्रेता, चाहे तो निश्चित तिथि तक प्रतीक्षा कर सकता है अथवा अनुबन्ध को समाप्त हुआ मानकर तुरन्त हर्जाने का दावा कर सकता है।

नीलाम द्वारा विक्रय

(Sale by Auction)

वस्तुओं के सार्वजनिक विक्रय को नीलाम कहते हैं। नीलाम विक्रय में सबसे ऊँची बोली (Highest bid) बोलने वाले को माल का विक्रय किया जाता है। ‘बोली लगाने’ का अर्थ है कि बोली लगाने वाला उसके द्वारा बोले गए मूल्य पर माल खरीदने के लिए तैयार है जिसे नीलाम करने वाला स्वीकार भी कर सकता है और नहीं भी। प्रायः नीलाम करने से पूर्व माल के नीलाम की सार्वजनिक सूचना दी जाती है ताकि निर्धारित दिन, समय एवं स्थान पर अधिक से अधिक प्रत्याशित क्रेता नीलाम के लिए बोली लगाने हेतु पहुँच सकें। नीलामकर्ता नीलाम में बेची जाने वाली वस्तुएँ उनके सामने रखता है

और इसके बाद एकत्रित व्यक्तियों से बोली लगाने के लिए कहा जाता है। जब लोग बोली लगाकर एक निश्चित मूल्य पर माल खरीदने के लिए अपने-अपने प्रस्ताव करते हैं तो विक्रेता उन प्रस्तावों में से केवल उसी प्रस्ताव को स्वीकार करता है जिसकी बोली सर्वाधिक मूल्य के लिए होती है। यदि नीलामकर्ता ने नीलाम द्वारा विक्रय हेतु कोई न्यूनतम मूल्य घोषित किया है तो ऐसी परिस्थिति में न्यूनतम निश्चित मूल्य के स्तर तक बोली के न पहुंचने पर नीलामकर्ता माल को बेचने से मना कर सकता है अर्थात् ऐसी दशा में उच्चतम बोली देने वाला व्यक्ति नीलामकर्ता को वस्तुओं को बेच देने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है। यहाँ पर यह भी उल्लेखनीय है कि जो व्यक्ति बोली लगाता है वह नीलाम पूरा होने से पहले किसी भी समय अपनी बोली वापस ले सकता है। नीलाम करने वाला जब बोली को स्वीकार करता है तो उससे पहले ‘एक’-‘दो’-‘तीन’ कहता है अथवा हथौड़ी से किसी वस्तु पर चोट मारता है और बोली की समाप्ति का संकेत देता है।

नीलाम द्वारा विक्रय सम्बन्धी नियम-वस्तु-विक्रय अधिनियम की धारा 64 में नीलाम द्वारा विक्रय के सम्बन्ध में निम्नलिखित नियम दिए गए हैं

1 यदि माल को अलग-अलग ढेरियों या भागों (Separate Lots) में विभाजित करके नीलाम किया जाता है तो माल के प्रत्येक भाग को नीलामी विक्रय अनुबन्ध की अलग-अलग विषय-वस्तु के रूप में माना जाता है। अतः प्रत्येक भाग के लिए अलग-अलग बोली लगाई जाती है।

2. नीलाम का विक्रय उस समय पूर्ण माना जाता है जब नीलामकर्ता हथौडी मारकर अथवा अन्य किसी रीति से उसका पूर्ण होना घोषित कर देता है। माल का स्वामित्व भी उसी समय हस्तान्तरित हो जाता है।

3. जब तक स्पष्ट रूप से कोई ऐसा अधिकार आरक्षित या घोषित न किया गया हो, विक्रता या उसका एजेण्ट अपने माल के नीलाम पर बोली नहीं लगा सकता। नीलामकर्ता भी जान-बूझकर विक्रेता या उसके एजेण्ट द्वारा लगाई गई बोली को स्वीकार नहीं कर सकता। यदि नीलाम के दौरान इस प्रकार कोई भी काम किया जाता है, तो नीलाम द्वारा विक्रय को कपटपर्ण माना जाएगा।

4. नीलामकर्ता विक्रय के लिए कोई न्यूनतम मल्य भी घोषित कर सकते हैं। न्यूनतम मूल्य घोषित किए जाने का दशा मनालामकता का उससे कम मल्य पा मालवा बाध्य नहीं किया जाता

5. यदि कोई विक्रेता मूल्य को बढ़ाने के उद्देश्य से बनावटी (झूठी) बोलियां (Pretended Bidding) लगवाता है तो ऐसी दशा में सर्वाधिक बोली लगाकर माल खरीदने वाला व्यक्ति भी उस विक्रय अनुबन्ध को रद्द कर सकता है।

नीलाम द्वारा विक्रय में गर्भित आश्वासन (Implied Warranties in an Auction)-जब नीलाम द्वारा माल बेचा जाता है तो नीलामकर्ता निम्नलिखित गर्भित आश्वासनों के लिए क्रेता के प्रति उत्तरदायी होता है-(i) उसे माल बेचने का अधिकार है। (ii) जहाँ तक उसकी जानकारी है, उसके प्रधान के अधिकार में कोई दोष विद्यमान नहीं है। (iii) मूल्य चुकाए जाने पर वह माल की सुपुर्दगी दे देगा। (iv) माल पर क्रेता का निर्विघ्न कब्जा होगा, प्रधान या नीलामकर्ता द्वारा उसमें कोई विघ्न नहीं डाला जाएगा।

परीक्षा हेतु सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

(Expected Important Questions for Examination)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(Long Answer Questions)

1 वस्तु विक्रय अनुबन्ध के भंग होने पर पीड़ित क्रेता या विक्रेता को क्या उपचार उपलब्ध हैं?

What remedies are available to the aggrieved buyer or seller in case of breach of contract under Sale of Goods Act?

2. वस्तु विक्रय अनुबन्ध के भंग होने पर विक्रेता के विरुद्ध क्रेता को क्या उपचार उपलब्ध हैं?

What remedies are available to the buyer for breach of contract against the seller under Sale of Goods Act.

3. विक्रय अनुबन्ध के खण्डन की दशा में विक्रेता को कौन से उपचार प्राप्त हैं?

What are the remedies available to seller at the Breach of Contract of Sale?

4. वस्तु विक्रय अधिनियम में दिए गए नीलामी द्वारा विक्रय से सम्बन्धित प्रावधानों का वर्णन कीजिए।

State the provisions given under sale of goods act relating to ‘Auction of Sale.’

5. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए-

(Write Short note on the following):

(i) क्रेता को विक्रेता के विरुद्ध उपलब्ध उपचार।

Remedies available to buyer against the seller.

(ii) नीलाम द्वारा विक्रय।

Sale by Auction

लघु उत्तरीय प्रश्न

(Short Answer Questions)

1 नीलाम द्वारा विक्रय क्या है?

What is Sale by Auction?

2. विक्रय अनुबन्ध भंग, स्पष्ट कीजिए।

Breach of Contract of Sale. Explain..

3. “विक्रेता के विरुद्ध क्रेता के अधिकार।” स्पष्ट कीजिए।

“Right of Buyer against seller.” Explain..

4. नीलाम द्वारा विक्रय से आप क्या समझते हैं?

What do you mean by Sale by Auction?

5. नीलाम द्वारा विक्रय में गर्भित आश्वासन क्या है?

What is Implied Warranty in Sale by Auction?

6. नीलामी द्वारा विक्रय से सम्बन्धित नियम बताइए।

Explain the rules regarding Sale by Auction.

 

chetansati

Admin

https://gurujionlinestudy.com

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