BCom 2nd Year Role Socio economic Environment Study Material Notes in Hindi

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BCom 2nd Year Role Socio economic Environment Study Material Notes in Hindi

BCom 2nd Year Role Socio-economic Environment Study Material Notes in Hindi: Opportunity and Necessity of Extension Importance of Entrepreneurship Emergence of Entrepreneurship Theories of Entrepreneurship role Useful Questions Long Answer Questions Short Answer Questions Correct the Following Questions Indicate True and False :

Role Socio economic Environment
Role Socio economic Environment

BCom 3rd Year Corporate Accounting Underwriting Study Material Notes in Hindi

सामाजिक-आर्थिक पर्यावरण का योगदान

(Role of Socio-economic Environment)

उद्यमिता किसी भी देश में सामाजिक-आर्थिक पर्यावरण की प्रक्रिया का आधारभूत तत्त्व है। उद्यमिता का उद्गम एवं विकास सामाजिक-आर्थिक पर्यावरण में होता है। जहाँ एक ओर सामाजिक पर्यावरण उद्यमी को कार्य करने एवं विकसित होने का क्षेत्र एवं सुअवसर प्रदान करता है, वहीं दूसरी ओर, उपयुक्त आर्थिक पर्यावरण उद्यमी को आवश्यक संसाधन प्रदान करता है, जिनके परिणामस्वरूप वह दिनों-दिन प्रगति के पथ पर अग्रसर होता चला जाता है।

उद्यमिता को विकसित करके ही अनेक सामाजिक-आर्थिक समस्याओं, जैसे—पिछड़ापन, अज्ञानता, अशिक्षा, गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, धन एवं शक्ति की विषमता, निम्न जीवन स्तर जैसे दानवों से छुटकारा पाया जा सकता है। जहाँ विकासशील देशों में उद्यमिता समृद्धि का एक महत्त्वपूर्ण आधार है, वहीं दूसरी ओर, विकसित देशों में यह सृजनात्मक चिन्तन, सामाजिक नवप्रवर्तन एवं साहसिक समाज की एक महत्त्वपूर्ण पद्धति है। हम यहाँ पर उद्यमिता के विकास में सामाजिक तथा आर्थिक पर्यावरण के योगदान का उल्लेख करेंगे।

(1) सामाजिक पर्यावरण का योगदान (Role of Social Environment) उद्यमी समाज में ही जन्म लेता है। समाज में रहकर ही विभिन्न क्रियाएँ सम्पन्न करता है। यदि उद्यमी को समाज से पृथक् कर दिया जाये तो उसका समूचा अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा। उद्यमिता के विकास में अनेक सामाजिक घटकों, जैसे—जाति, धर्म, पारिवारिक पृष्ठभूमि, सामाजिक मूल्य, आदर्श, रीति-रिवाज, वंश-परम्पराएँ, धर्म, घर, विद्यालय, विचार पद्धतियाँ, शिक्षण एवं प्रशिक्षण, पहलपन, पेशेवर पृष्ठभूमि, तकनीकी विकास, प्रबन्धकीय योग्यता, अभिप्रेरण, स्थानान्तरण, आत्मविश्वास आदि की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। व्यक्ति जिन मूल्यों, प्रवृत्तियों एवं अच्छे-बुरे की पहचान एवं व्यवहार का प्रदर्शन करता है, वह उसके सामाजिक पर्यावरण का ही परिणाम माजीकरण की प्रक्रिया व्यक्ति की आदतों, दृष्टिकोण, चिन्तन शैली, जीवनयापन करने का ढंग, आकाँक्षाएँ आदि को प्रभावी ढंग से प्रभावित करती हैं। उसका पालन-पोषण तथा प्रशिक्षण समाज में रहकर ही होता है। यह सामाजिक प्रशिक्षण व्यक्ति के साहसिक गणों जैसे आत्मनिर्भरता, पहलपन, स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा पाने की इच्छा, अवसरों का उपयोग, उपलब्धि की इच्छा तथा चुनातियो व जोखिमों का सामना करने की क्षमता आदि के विकास में सहायक होता है। जब कोई होनहार नवयुवक हमारे सामने उसी समय हमारे मस्तिष्क में यह प्रश्न उत्पन्न होता है कि यह नवयुवक किस परिवार एवं समाज से सम्बन्ध रखता है। मैक्स वेबर के अनुसार, प्रोटेस्टैण्ट व अन्य दसरे धार्मिक समुदायों ने उद्यमिता के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। उदाहरण के लिए, मारवाड़ी, वैश्य, महाजन आदि व्यापार एवं व्यवसाय में संलग्न हैं तथा ये समूचे विश्व में फैले हुए हैं।।

(2) आर्थिक पर्यावरण का योगदान (Role of Economic Environment)-उद्यमिता के विकास म आर्थिक पर्यावरण का महत्त्वपूर्ण योगदान है। यह उपयुक्त आर्थिक पर्यावरण ही है जो उद्यमी को आवश्यक संसाधन उपलब्ध करवाता है, जैसे—सामग्री, पूँजी, मानवशक्ति, यन्त्र, भवन, भूमि, तकनीकी ज्ञान, बाजार, विनियोजन के सुअवसर आदि। उदाहरण के। लिए, उद्यमी का तकनीकी ज्ञान जितना अधिक विकसित होगा, उत्पादन उतना ही अधिक श्रेष्ठ एवं मितव्ययी होगा। आपका उत्पादन जितना अधिक श्रेष्ठ एवं मितव्ययी होगा, उसके विक्रय बाजार का क्षेत्र उतना ही अधिक व्यापक होगा, उत्पादन लागत। में भी पर्याप्त कमी आयेगी। परिणामस्वरूप लाभों में भी वृद्धि होगी। यही नहीं, देश में विद्यमान आर्थिक स्थिरता, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा, श्रेष्ठ कार्य दशाएँ, कुशल श्रम की उपलब्धता, व्यापारिक चक्रों की स्थिति, स्वस्थ विनियोजन व बचत का पर्यावरण, कीमत व आय का स्तर आदि से भी उद्यमिता का विकास प्रभावित होता है। बैंक एवं वित्तीय संस्थाएँ भी रियायती दरों पर पर्याप्त मात्रा में धन उपलब्ध कराकर एवं सुलभ ऋण देकर उद्यमिता को प्रोत्साहित करती हैं।

Role Socio economic Environment

उद्यमीयता विकास में आर्थिक पर्यावरण की भूमिका

(Role of Economic Environment in Entrepreneurial Development)

उद्यमीयता विकास में सामाजिक एवं आर्थिक पर्यावरण का अनूठा महत्त्व माना जाता है। आधुनिक उद्यमों को सामाजिक व आर्थिक संस्थान माना जाता है यही कारण है कि उनकी वृद्धि व विकास सामाजिक व आर्थिक घटकों से अत्यधिक प्रभावित होता है। सामाजिक एवं आर्थिक पर्यावरण के अन्तर्गत औद्योगिक नीति, लाइसेन्स नीति, विदेशी विनिमय नीति, बैंकिंग नीति, तकनीकी विकास,सामाजिक परिवर्तन एक ऐसा ढाँचा तैयार करते हैं जिनके अन्तर्गत उद्यम अपना कार्य करते हैं,जिसके फलस्वरूप होने वाली उद्यमीय वृद्धि सामाजिक-आर्थिक पर्यावरण के योगदान की भूमिका को स्पष्ट करती है।

आर्थिक पर्यावरण का योगदान (Cotribution of Economic Environment)

आर्थिक पर्यावरण के अन्तर्गत (1) आर्थिक प्रणाली समाजवादी, पूँजीवादी या मिश्रित; (2) आर्थिक नीतियाँ सम्मिलित की जाती हैं। किसी भी व्यवसाय की सफलता मुख्य रूप से आर्थिक पर्यावरण पर निर्भर करती है। हम इन पर्यावरण के घटकों को एवं उसके उद्यमिता विकास पर प्रभाव को निम्न प्रकार स्पष्ट कर सकते हैं जिसमें उद्यमिता विकास में आर्थिक पर्यावरण का योगदान और अधिक स्पष्ट होता है।

(1) औद्योगिक नीतिहमारे देश में 1948, 1956, 1973, 1977, 1980, 1985 व 1990 में औद्योगिक नीतियों की घोषणा सरकार द्वारा की जाती रही है, जोकि उद्योगों के विकास के लिए घोषित सरकार की नीतियों की व्याख्या करती है। नवीन औद्योगिक नीति 1990-1991 में लघु क्षेत्र में उद्यमों के विकास तथा ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार, आदि पर विशेष बल दिया गया है। फलतः छोटे-छोटे उद्यमों के विकास व स्थापना को काफी बल मिला है।

(2) औद्योगिक लाइसेन्स प्रणाली सरकार द्वारा औद्योगिक विकास के लिए औद्योगिक नीतियों के अन्तर्गत लाइसेन्स प्रणाली को अपनाया जाता रहा है, जिसके द्वारा सरकार नवीन उद्योगों के स्थापना एवं विद्यमान उपक्रमों की क्षमता में वृद्धि को नियन्त्रित करती रही है। केन्द्रीय सरकार द्वारा 24 जुलाई, 1991 को घोषित औद्योगिक नीति उद्यमिता विकास की दृष्टि से अति सहायक सिद्ध हुई। इस नीति के द्वारा किये गये सुधारों में लाइसेन्स प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया एवं लाइसेन्स प्रणाली को काफी उदार बनाया गया। इस युग परिवर्तन की नीति में कई उत्पादों पर लाइसेन्स को समाप्त भी किया गया, जिससे उद्यमियों .. के विकास को काफी बढ़ावा मिला।

(3) सरकार की आर्थिक एवं व्यावसायिक नीतियाँ उद्यमियों के विकास हेतु हमारे देश में समय-समय पर व्यावसायिक नीतियों की घोषणा की जाती रही है। केन्द्रीय सरकार ने उद्यमियों को बढ़ावा देने हेतु समय-समय पर विभिन्न नीतियों, जैसे कर नीति, मूल्य नीति, आयात-निर्यात, लाइसेन्स नीति आदि की घोषणा की है। इन नीतियों के द्वारा उद्यमियों के लिये वातावरण निर्मित करने तथा उन्हें अभिप्रेरित करने का प्रयास किया गया है।

(4) पूँजी बाजार नियन्त्रण-उद्योगों के विकास हेतु पूँजी बाजार को मजबूत बनाने के लिये केन्द्रीय सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष घोषित अपने बजट के अन्तर्गत समय-समय पर अनेक राजकोषीय प्रोत्साहनों की घोषणा की गई है। जिससे उद्यमियों को। पूँजी जुटाने में भी सहायता मिलती है

(5) विदशी निवेश नीतिसरकार ने विदेशी नीति के अन्तर्गत एक छोटी नकारात्मक सूची को छोड़कर सभी उद्योगों के लिये विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति दे दी है तथा विदेशी निवेश को सरल बनाने के लिए निवेश प्रस्तावों पर विचार करने के लिये समय सीमा को 6 सप्ताह से घटाकर 30 दिन कर दिया गया है। इससे उद्योग विकास की ओर अग्रसर हुए हैं।

(6) बैंकिंगनीतिसरकार एवं रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर बैंकिंग नीतियों के अन्तर्गत उद्योगों के विकास हेतु प्रावधानों को सदैव स्थान देने का प्रयास किया गया है। वर्तमान में बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों द्वारा निक्षेपों पर अदा किए जाने वाले ब्याज को न्यूनतम कर दिया गया हैजिससे जनता का रूझान बैंकों में निक्षेप रखने के स्थान पर व्यवसाय में धन लगाने का होने लगा है इससे उद्यमों को पूँजी की उपलब्धता आसानी से होगी जिससे उनका विकास भी प्रभावित होगा 

(7) विभिन्न समितियों का गठन केन्द्रीय सरकार ने निजी उद्यमियों की समस्याओं का अध्ययन करके आवश्यक सुझाव देने, सम्भावित उद्यमियों की खोज करने तथा विभिन्न क्षेत्रों की औद्योगिक एवं उद्यमीय सम्भावनाओं का अध्ययन करने की दृष्टि से समय-समय पर विभिन्न समितियों का गठन किया है। इन समितियों व दलों के सुझाव से औद्योगिक उद्यमिता के विकास को महत्त्वपूर्ण बल मिला है।

(8) पंचवर्षीय योजनाएँसरकार ने पंचवर्षीय योजनाओं में समय-समय पर उद्यमियों के लिये विभिन्न सहायताएँ, सुविधाएँ एवं प्रेरणाएं उपलब्ध करायी हैं एवं इन योजनाओं के अन्तर्गत औद्योगिक विकास पर होने वाले व्ययों पर निरन्तर वृद्धि होती रही है। इससे उद्यमिता के समन्वित एवं सन्तुलित विकास को सदैव गति मिली है।

(9) अन्य योगदान-उद्यमिता के विकास के लिए सामाजिक व आर्थिक पर्यावरण के अन्तर्गत भारत में कुछ अन्य प्रेरणाएं भी प्रदान की गई हैं, जिसमें कुछ निम्नलिखित हैं

(अ) प्रेरणात्मक कर नीतिसरकार उद्योगों के विकास के लिये अनेक कर रियायतों की घोषणा कर रही है। सरकार प्रेरणात्मक कर नीति के द्वारा ऐसे उद्योगों को कर सम्बन्धी विभिन्न छूटे प्रदान करती है जिनका वह विकास करना चाहती है, किन्तु सरकार जिन उद्योगों का उत्पादन सीमित रखना चाहती है उन पर अधिक कर लगाती है।

(ब) महिला उद्यमियों को बढ़ावा महिलाओं में साहसिक प्रवृत्ति जाग्रत करने के उद्देश्य से सरकार ने कई प्रयास किये हैं। इस सम्बन्ध में महिलाओं को तकनीकी एवं प्रबन्धकीय शिक्षा के लिये आकर्षित किया गया है एवं महिलाओं को आगे लाने के लिये जिला उद्योग केन्द्रों के माध्यम से विशेष सहायता प्रदान की जा रही है। 

(स) ब्याज उपसहायता परियोजनाएँइस योजना का उद्देश्य स्वरोजगार देना, गुणवत्ता नियन्त्रण उपायों को ग्रहण करना, उपलब्ध देशी प्रौद्योगिकी को काम में लाना आदि है। 17 जुलाई, 1988 से इन योजनाओं में यह प्रावधान किया गया है कि यदि बेरोजगार युवा एवं महिला उद्यमी अपने उद्यम के लिये बैंक से वित्तीय सहायता प्राप्त करते हैं तो वे अपनी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए बैंक ऋणों पर भारतीय औद्योगिक वित्त निगम द्वारा प्रदत्त ब्याज उपसहायता प्राप्त कर सकते हैं।

(द) औद्योगिक मानचित्रों का निर्माणजिला उद्योगों केन्द्र एवं उद्योग निदेशालय सर्वेक्षण द्वारा प्रत्येक जिले का औद्योगिक नक्शा तैयार करते हैं। विभिन्न आँकड़ों को एकत्रित करते हैं तथा उस जिले में उद्योगों की सम्भावनाओं का पता लगाकर उद्यमियों को विकसित कर रहे हैं। इस प्रक्रिया से उद्यमियों को कच्चे माल, सामग्री, श्रम आदि से अवगत कराया जाता है, जिससे वह अपनी रुचि एवं क्षमताओं के अनुसार उपक्रम का चुनाव कर सकते हैं।

(य) साहस सहायता इकाई की स्थापना-इस इकाई की स्थापना सरकार द्वारा औद्योगिक विकास विभाग के अन्तर्गत की गई है। यह इकाई उद्यमियों के प्रार्थना-पत्रों पर की गई कार्यवाही से अवगत कराती है। यह इकाई उद्यमियों की विदेशी सहयोग व पूँजीगत माल के आयात के सम्बन्ध में सहायता करती है तथा उद्यमियों की समस्याओं को दूर कराने का प्रयास भी करती

(र) सरकारी अनुदानसरकार पिछड़े पर्वतीय क्षेत्रों एवं रेगिस्तानी इलाकों में उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहन देने, कुछ उद्योगों में पूँजी लागत को कम करने तथा निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए उद्योगों को अनुदानों के रूप में अधिक सहायता प्रदान करती है।

(ल) तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा का विकास उद्यमियों को तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से सरकार ने तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा संस्थानों की स्थापना की है। उन उद्यमियों को जो तकनीकी संस्थानो से शिक्षा ग्रहण किए होते हैं, ऋण सुविधाएँ प्रदान करने में प्राथमिकता दी जाती है। इसके अतिरिक्त आज सम्पूर्ण शिक्षा को | भी साहस अभिमुखी बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

(व) निम्रित तथा अद्धनिर्मित माल के क्रय की नीति सरकार पिछड़े क्षेत्रों में स्थापित होने वाले उद्यमों को यह आश्वासन उनके द्वारा निर्मित तथा अर्द्धनिर्मित माल को एक निश्चित अवधि तक निर्धारित मूल्यों पर क्रय करती रहेगी। इस प्रकार निर्मित व अर्द्धनिर्मित माल के क्रय की नीति बनाकर भी सरकार उद्योगों के विकास में सहायता देती है।

(ह) विचारगोष्ठियों एवं कार्यशालाओं का आयोजन उद्यमिता के विकास एवं उसकी समस्याओं पर विचार-विमर्श करने हेतु समय-समय पर विचार-गोष्ठियों एवं कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता रहा है। औद्योगिक वित्त निगम ही उद्यमियों के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों एवं विचारगोष्ठियों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

Role Socio economic Environment

उद्यमीयता विकास में सामाजिक पर्यावरण की भूमिका

(Role of Social Environment in Entrepreneurial Development)

सामाजिक पर्यावरण के अन्तर्गत देश में प्रचलित सामाजिक-सांस्कृतिक मान्यतायें सम्मिलित की जाती हैं। व्यक्ति के प्रति आदर सामाजिक वातावरण का मुख्य भाग है। प्रत्येक उद्यम समाज का एक अंग है, वह सामाजिक पर्यावरण एवं समाज की मान्यताओं, मूल्यों, धारणाओं, परम्पराओं से प्रभावित होता है। उद्यम की कार्यप्रणाली अनेक सामाजिक घटकों से संचालित होती है। प्रत्येक उद्यम का समाजशास्त्रीय वातावरण दो भागों से मिलकर बना होता है—आंतरिक और बाह्य । उपक्रम का आन्तरिक समाजशास्त्रीय वातावरण इसके कर्मचारियों के दृष्टिकोण, विश्वासों, अन्त:व्यवहारों, चिन्तनशील पारस्परिक सम्बन्धों की अन्तक्रियाओं से निर्मित होता है, जबकि उपक्रम का बाह्य समाजशास्त्रीय वातावरण सम्पूर्ण समाज की मूल्य प्रणाली, सम्बन्धों, प्रारूपों, धारणाओं, सामाजिक मान्यताओं आदि का जोड़ है। किसी भी उद्यम का अस्तित्व एवं संचालन समाजशास्त्रीय पृष्ठभूमि पर आधारित होता है। अतः सामाजिक पर्यावरण का उद्यमिता विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान होता है; जोकि निम्न घटकों पर चिन्तन से और अधिक स्पष्ट होगा

(1) सामाजिक परिवर्तन (Social Changes)—व्यावसायिक उद्यमों के निर्माण में सामाजिक परिवर्तन का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। एक उद्यमी समाज में नये नैतिक एवं सामाजिक मूल्यों के माध्यम से अपनी नीतियों, लक्ष्यों व आदर्शों की स्थापना करता है। यह परिवर्तन व्यक्तियों के विचारों, कार्य-कलापों, दृष्टिकोण, रहन-सहन के स्तर आदि में बदलाव लाते हैं।

अत: उद्यमी को सामाजिक परिवर्तनों के अनुसार अपनी व्यावसायिक योजनाओं के द्वारा साम्प्रदायिक सहयोग मानव मूल्यों व मानवीय सम्बन्धों का विकास करके समाज के पुनर्निर्माण में सहभागी बनना पड़ता है। इस प्रकार सामाजिक परिवर्तन उद्यमियों को दिशा प्रदान करते हैं।

(2) सामाजिक संचेतना (Social Conciousness)—व्यवसाय का सामाजिक वातावरण समाज की मानवीय प्रवृत्तियों, इच्छाओं, आकांक्षाओं, शिक्षा एवं बौद्धिक स्तर, मूल्यों, विश्वासों, रीति-रिवाजों, परम्पराओं आदि घटकों से निर्मित होता है। इन तत्त्वों की उपेक्षा किये जाने पर उद्यमी को समाज की आलोचना का शिकार होना पड़ता है। समाज के लक्ष्यों व मूल्यों की अवहेलना करके कोई भी उद्यम प्रतिष्ठित नहीं हो सकता। सामाजिक परिवेश के प्रति संचेतना ही व्यावसायिक संस्थाओं की गरिमा को बढ़ाती है। पिछले कुछ दशकों से सामाजिक मान्यताओं में भी कुछ परिवर्तन हुए हैं। किसी भी उद्यमी को इन्हें अपने व्यावसायिक दर्शन का आधार बनाना पड़ता है।

(3) उच्च प्रबन्ध दल का निर्माण (Formation of a Top Management) कोई भी उद्यम जिसने सही बाजारों में अपने को स्थापित किया है, जिसने सही वित्तीय ढाँचा एवं सही वित्तीय प्रणाली अपना रखी है, भी एक कुशल प्रबन्ध दल के बिना प्रगति नहीं कर सकता है। उच्च प्रबन्ध दल के बिना व्यवसाय की लाभदायकता एवं गुणवत्ता संदिग्ध बनी रहती है। कर्मचारियों की प्रेरणा का आधार उच्च प्रबन्ध ही होता है। किसी भी संगठन में दलीय भावना का विकास आपसी विश्वास एवं समझ के आधार पर ही सम्भव है। उच्च प्रबन्ध दल उद्यम के लिए एक सुदृढ़ योजना तैयार कर सकता है। इसी के साथ निम्न स्तरों पर कार्य करने वाले कर्मचारियों में भी एकदलीय भावना का स्वस्फूर्त विकास होने से भी उद्यमिता विकास को बल मिलता है।

(4) सांस्कृतिक पर्यावरण (Cultural Environment) संस्कृति सामाजिक परिवेश का एक महत्त्वपूर्ण अंग होती। है। यह व्यक्तियों के दृष्टिकोण एवं मानसिक विकास की व्याख्या करती है। उद्यमी किसी भी देश में बचत, विनियोग एवं आय। के अधिकाधिक अवसरों को उत्पन्न करके विकास को नया मोड़ दे सकते हैं। व्यावसायिक एवं उद्यमी निर्णयों से देश की सांस्कृतिक रचना पर गहरा प्रभाव पड़ता है। आज के समाज में चल रहे विभिन्न सांस्कृतिक आन्दोलन, युवा केन्द्रित समाज, उपभोक्ता संरक्षण आदि उद्यमिता के विकास की दशा में उपयोगी भूमिका निभा सकते हैं।

(5) भूमिकाएँ एवं सम्बन्ध (Roles and Relation) प्रत्येक उपक्रम कर्मचारियों की विभिन्न भूमिकाओं, सम्बन्धी एवं पारस्परिक अन्त:व्यवहारों का एक जाल है। उद्यम के विकास के साथ-साथ उद्यमी की भूमिकाओं एवं सम्बन्धों में भी परिवर्तन। आता है। उद्यमी को उन्हें सहर्ष स्वीकार करना पड़ता है। इसके प्रति अस्वीकति व्यवसाय के विनाश एवं अवरोध का एक कारण हो सकता है। किसी भी उद्यम की प्रगति अपने कर्मचारियों के उत्साह.योगदान, प्रेरणा एवं पहलपन पर भी निर्भर करती है। उद्यमी को अपनी भूमिकाओं के निष्पादन में इन पहलुओं पर जोर देना पड़ता है। अतः उसे अपने आन्तरिक समाज शास्त्रीय वातावरण को सजनात्मक, उत्पादक एवं सहयोगी बनाने का प्रयास करना पड़ता है।

(6) पर्यावरण सन्तुलन (Ecological Balance)—वर्तमान में सभी उद्यमों के सामने पहली सामाजिक चुनौती औद्योगिक उत्पादन एवं प्राकृतिक दशाओं के बीच एक श्रेष्ठ संतुलन बनाये रखने की है। उपक्रमों को कच्चे माल के लिये प्रकृतिदत्त सम्पदाओं पर निर्भर रहना पड़ता है। औद्योगीकरण के फलस्वरूप हो रहे विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों एवं प्राकृतिक सम्पदाओं एवं सौन्दर्य की बर्बादी से सामाजिक लागतों की समस्या पैदा हो गयी है। अतः सामाजिक पर्यावरण तत्त्व उद्यमिता को प्रभावित करता है।

(7) सामाजिक साझेदारी (Social Partnership) मिश्रित अर्थव्यवस्था के युग में यह अनुभव किया जाने लगा है कि विभिन्न समस्याओं के हल के लिये व्यावसायिक उद्यमों की सरकार एवं अन्य सामाजिक संस्थाओं के साथ साझेदारी निर्मित की जानी चाहिए। सामाजिक सक्रियवादी समूहों जैसे-अल्पसंख्यक समूहों, उपभोक्ता समितियों, सामाजिक संस्थाओं, पर्यावरण विचारकों आदि का सहयोग प्राप्त करके उद्यम अपनी प्रभावशीलता में वृद्धि कर रहे हैं। उपक्रम अपनी प्रबन्ध योग्यताओं, तकनीकी तथा अन्य संसाधनों का सरकार के साथ संयोजन करके अधिक कुशलता से लक्ष्यों व आदर्शों को पूरा कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त समस्याओं के उचित निराकरण के लिए उद्यमों को संचार माध्यमों व विभिन्न समर्थन समूहों जैसे—वाणिज्यिक चेम्बर्स, व्यापारिक परिषदों, चिन्तन मंच आदि की भी सहभागिता करनी पड़ती है।

Role Socio economic Environment

उपयोगी प्रश्न (Useful Questions)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

1. उद्यमिता का अर्थ एवं इसकी विशेषताओं को बताओ।

Give meaning and characteristics of Entrepreneurship.

2. उद्यमिता की परिभाषा दें। उद्यमिता की क्या अवधारणायें हैं ?

Define Entrepreneurship. What is the concept of Entrepreneurship?

3. उद्यमीयता वर्ग के उद्भव का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

Describe in brief the emergence of Entrepreneurial class.

4. उद्यमिता की आर्थिक एवं समाजशास्त्रीय विचारधाराओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

Describe in brief the economic and sociological theories of Entrepreneurship.

5. उद्यमी के विकास में सामाजिक-आर्थिक पर्यावरण के योगदान का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

Describe in brief the role of socio-economic environment in the development of Entrepreneur.

6. उद्यमी की परिभाषा दीजिए। उद्यमिता की मनोवैज्ञानिक विचारधाराओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

Define Entrepreneur. Describe in brief the psychological theories of Entrepreneurship.

7. उद्यमिता के विस्तार की आवश्यकता तथा अवसर पर एक लेख लिखें।

Write a note an opportunity and necessity of extension of Entrepreneurship.

8. निम्न को समझाएं

Explain the following

(अ) उद्यमीयता वर्ग का उद्भव

Emergence of entrepreneurial class

(ब) उद्यमीयता उत्प्रेरणा

Entrepreneurial motivation

9. उद्यमिता की शुम्पीटर विचारधारा को संक्षेप में बताइए।

State in brief Schumpter’s theory of Entrepreneurship

10. उद्यमी के पारिवारिक पृष्ठभूमि वर्ग के उद्भव को समझाइए।।

Explain the family background class emergence of Entrepreneur.

11. उद्यमिता की मैक्स वेबर विचारधारा क्या है ?

What is Max Weber’s Theory of Entrepreneurship?

12. सामाजिक-आर्थिक पर्यावरण के योगदान पर एक लेख लिख।।

Write a note on Socio-economic Environment.

13. उद्यमीयता विकास में आर्थिक पर्यावरण की भूमिका पर एक लेख लिखा What do you unde

Do you understand the role of the economic environment in Entrepreneurial development? Discuss.

14. उद्यमीयता विकास में सामाजिक पर्यावरण की भूमिका पर एक लेख लिखें।

Write a note on the role of the social environment in Entrepreneurial development. Discuss.

15. उद्यमिता से आपका क्या अभिप्राय है? उद्यमिता के विभिन्न सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।

What do you mean by Entrepreneurship ? Discuss various theories of Entrepreneurship.

16. उद्यमिता के उद्भव तथा विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों की विवेचना कीजिए।

Discuss various factors that affect the emergence and growth of Entrepreneurship >

Role Socio economic Environment

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

1 उद्यमिता की अवधारणा पर एक लेख लिखें।

Write a note on entrepreneurship.

2. उद्यमिता के विस्तार की आवश्यकता पर एक लेख लिखें।

Write an essay on necessity of extension of entrepreneurship.

3. उद्यमिता की महत्ता पर एक लेख लिखें।

Write an essay on importance of entrepreneurship.

4. उद्यमिता का अर्थ व परिभाषा दें।

Give meaning and definition of entrepreneurship.

5. उद्यमिता की विशेषताओं को बतायें।

State essentials of entrepreneurship

III. अति लघु उत्तरीय प्रश्न

(Very Short Answer Type Questions)

1. उद्यमिता क्या है?

What is entrepreneurship?

2. उद्यमिता तथा उद्यमी के बीच दो अन्तर दीजिए।

Give two differences between entrepreneurship and entrepreneur.

3. उद्यमिता की दो विशेषाताओं की व्याख्या कीजिए।

Discuss two characteristics of entrepreneur and entrepreneurship.

4. उद्यमी, उद्यमिता तथा नव-सृजन में सहसम्बन्ध बताइए।

Correlate two characteristics of entrepreneurship.

5. उद्यमी तथा उद्यमिता में दो अन्तर दीजिये।

Give two differences between entrepreneur and entrepreneurship.

6. उद्यमिता की एक परिभाषा दें।

Give one definition of entrepreneurship.

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

1. सही उत्तर चुनिये (Select the Correct Answer)

(i) उद्यमिता नेतृत्व प्रदान नहीं करती

(अ) साझेदारी फर्म

(ब) नये निगम विभाजन

(स) नवीन अनुदान उद्यम

(द) इनमें से कोई नहीं

Entrepreneurship fails to lead

(a) Partnership firm

(b) New corporate division

(c) New subsidiary venture

(d) None of these

(ii) उद्यमिता के उपबन्ध/अवरोध पोषित करते हैं

(अ) नव-सृजन

(ब) लाभदायकता

(स) अनिश्चितता

(द) इनमें से कोई नहीं

Barriers to entrepreneurship stifle

(a) Innovative)

(b) Profitability

(c) Uncertainty)

(d) None of these

(iii) उद्यमिता आश्वस्त होती है, के द्वारा

(अ) सहायक

(ब) वृहदाकार फर्म

(स) मध्यम फर्म मा

(द) लघु फर्म

Entrepreneurship is ensured by

(a) Subsidiaries

(b) Larger Firm

(c) Medium Firm

(d) Small Firm

(iv) उद्यमितीय लक्षण निम्न से सम्बन्धित है

(अ) कार्य सृजक व्यवहार

(ब) लाभ सृजन व्यवहार

(स) जोखिम वहन व्यवहार

(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं

Entrepreneurial traits deals with

(a) Job-providing behaviour

(b) Profit-seeking behaviour

(c) Risk-taking behaviour

(d) None of these

(v) सामाजिक उपगम्यता के अनुसार, उद्यमिता है—

(अ) भावुकता की प्रक्रिया

(ब) भूमिका निष्पादन प्रक्रिया

(स) आर्थिक परिवर्तन की प्रक्रिया

(द) उपर्युक्त सभी

According to sociological approach, entrepreneurship is

(a) Process of sensitivity

(b) Process of role performance

(c) Process of economic change

(d) All of these [उत्तर-(i) (अ), (ii) (अ), (iii) (ब), (iv) (स), (v) (ब)]

2. इंगित करें कि निम्नलिखित वक्तव्य ‘सही’ हैं या ‘गलत’

(Indicate Whether the Following Statements are “True’ or ‘False’)

(i) रिचमैन तथा कोपन के अनुसार, “उद्यमिता किसी सृजनात्मक बाह्य अथवा खुली प्रणाली की ओर= संकेत करती है। यह नव-प्रवर्तन, जोखिम वहन तथा गतिशील नेतृत्व का कार्य है।” ।

Entrepreneurship implies more creative, external or open system orientation. It involves

innovation, risk bearing and relatively dynamic leadership.”-Richman & Kopan

(ii) उद्यमिता केवल व्यक्तिगत लक्षण नहीं बल्कि सामूहिक आचरण है।

Entrepreneurship is not only personal trait but a group behaviour.

(iii) उद्यमिता वस्तुतः एक सुजनात्मक क्रिया है।

Basically, Entrepreneurship is a creative activity.

(iv) प्रबन्ध उद्यमिता का वाहन है।

Management is the vehicle of entrepreneurship.

(v) उद्यमिता एक नवप्रवर्तनकारी कार्य है।

Entrepreneurship is an innovative function.

[उत्तर-(i) सही, (ii) सही, (iii) सही, (iv) सही, (v) सही]

Role Socio economic Environment

3. रिक्त स्थान भरें (Fill in the Blanks)

(i) उद्यमिता केवल व्यक्तिगत लक्षण ही नहीं बल्कि …… है।

Entrepreneurship is not only personal trait but a …… . [सामूहिक आचरण (Group behaviour)/सामूहिक लक्षण (Group trait)/सामूहिक प्रयत्न (Group effort)]

(ii) उद्यमिता एक …… क्रिया है। Basically Entrepreneurship is a …… activity. – [सृजनात्मक (Creative)/रचनात्मक (Constructive)/कार्यात्मक (Functional)]

(iii) उद्यमिता एक …… कार्य है। Entrepreneurship is an …… function. रचनात्मक (Constructive)/नवप्रवर्तनकारी (Innovative)/कार्यात्मक (Functional)] |

(iv) उद्यमितीय लक्षण …… से सम्बन्धित है। Entrepreneurial traits deals with ……. [जोखिम वहन व्यवहार (Risk taking behaviour)/कार्य सृजक व्यवहार (Job provid _ing behaviour)/लाभ सृजन व्यवहार (Profit seeking behaviour)]

(v) उद्यमिता …… नेतृत्व प्रदान नहीं करती। Entrepreneurship fails to lead …….[साझेदारी फर्म (Partnership Firm)/नये निगम विभाजन (New Corporate division/

उत्तर-(1) सामूहिक आचरण (Group behaviour), (ii) सृजनात्मक (Creative), (iii) नवप्रवतनकारा(Innovauy नवीन अनुदान उद्यम (New Subsidiary Venture)] (iv) जाखिम वहन व्यवहार (Risk taking behaviour), (v) साझेदारी फर्म (Partnership firm)]

4. मिलान सम्बन्धी प्रश्न (Matching Questions)

भाग-अ का भाग-ब से मिलान करें Match Part-A with Part-B

भाग-अ (Part-A

 

भाग-ब (Part-B)
1. उद्यमिकता की विशेषता (Characteristics of Entrepreneurship)

(a) एकीकृत विचारधारा (Integrated Theory)

 

2. उद्यमिता की विचारधारा (Theory of Entrepre

(b) जोखिम उठाना (Risk bearing) ___neurship)

3. सामाजिक परिवर्तन (Social change)

(c) शिक्षा एवं तकनीकी ज्ञान (Education and technical knowledge)
4. उद्यमियता वर्ग का उद्भव (Emergence of Entre point thinking and technique)

(d) कौशल, दृष्टिकोण, चिन्तन एवं तकनीक है (Skill-view preneurial class)

 

5. उद्यमिता एक (Entrepreneurship a)

(e) उद्यमिता विकास में सामाजिक पर्यावरण की भूमिका

(Role of Social environment is entrepreneurial development.)

 [उत्तर-1. (b), 2. (a), 3. (e), 4. (c), 5. (d).]

Role Socioeconomic Environment

chetansati

Admin

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