Bcom 2nd Year Cost Accounting Service and Operating Cost Study Material Notes In Hindi
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Bcom 2nd Year Cost Accounting Service and Operating Cost Study Material Notes In Hindi: Characteristics of Operating Costing, Transport Service Costing, Daily Log Sheet
Bcom 2nd Year Cost Accounting Service and Operating Cost Study Material Notes In Hindi
सेवा लागत विधि/परिचालन लागत निर्धारण विधि
(Service Costing/Operating Costing)
कुछ संस्थाएँ ऐसी होती हैं जिनमें किसी वस्तु का उत्पादन नहीं किया जाता है, वरन् सेवाएँ प्रदान की जाती हैं. जैसे यात्रा या माल परिवहन कम्पनियाँ, विद्यत एवं जल प्रदाय संस्थायें, अस्पताल, होटल, कैण्टीन, आदि। अन्य उत्पादकों । भाति सवा प्रदान करने वाली ये संस्थायें भी उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवा की प्रति इकाई लागत
जानना चाहती हैं। प्रदत्त सेवा के प्रति इकाई विक्रय मल्य निर्धारित किया जा सके। सेवा प्रदान करने वाली संस्थाओं में प्रदान की जाने सेवा का प्रति इकाई लागत ज्ञात करने के लिये प्रयोग की जाने वाली विधि को ही ‘परिचालन लागत निर्धारण-विधि’ या सवा लागत निधारण-विधि’ कहते हैं। सजित सेवाओं का आन्तरिक रूप स भा उपयागाव परामाटर, बायलर गृह आदि या बाह्य प्रयोग अर्थात सामान्य जनता के उपयोग हेतु भी सेवाओं का सृजन किया जा सकता है , जैसे-राज्य परिवहन निगम, अस्पताल. विद्यत एवं गैस कम्पनियाँ, आदि। दोनों ही दशाओं में सेवा की परिचालन लागत की जानकारी होना आवश्यक है।
सी० आई० एम० ए० लन्दन के अनसार “परिचालन लागत का आशय सेवा प्रदान करने की लागत से है।”
लागत लेखांकन प्रमाप-1 (CAS-1) के अनुसार, “परिचालन लागत ने प्रमाप-1 CAS.1 के अनसार “परिचालन लागत ऐसे उपक्रमों से सम्बन्धित होती है. जो कोई उत्पाद निर्मित नहीं करती, वरन् सेवाएँ प्रदान करती हैं।”2
सी० आई० एम० ए० लन्दन के अनुसार, “परिचालन लागत-निर्धारण विधि का प्रयोग वहाँ किया जाता है जहाँ किसी संस्था अथवा संस्था के लागत केन्द्र द्वारा प्रमापित सेवाएँ प्रदान की जाती हैं।
संक्षेप में, किसी सेवा के सृजन एवं अर्पण पर आने वाली लागत को ‘संचालन लागत‘ (Operating Cost) तथा सेवा की प्रति इकाई लागत ज्ञात करने के लिये प्रयोग की जाने वाली विधि को परिचालन लागत निर्धारण-विधि या सेवा लागत निर्धारण-विधि कहते हैं, जिसका प्रयोग ऐसी संस्थाओं में किया जाता है जहाँ किसी संस्थान द्वारा अथवा किसी संस्थान के अन्तर्गत सेवा लागत केन्द्र द्वारा प्रमापित सेवायें प्रदान की जाती हैं।
इस विधि के मूल सिद्धान्त इकाई लागत निर्धारण-विधि (Single or Unit Output Costing) के ही हैं परन्तु इकाई लागत-विधि निर्मित वस्तुओं की प्रति इकाई लागत ज्ञात करने के लिये प्रयोग की जाती है जबकि परिचालन लागत निर्धारण-विधि का प्रयोग प्रदान की गई सेवा की प्रति इकाई लागत ज्ञात करने के लिये किया जाता है, दूसरे परिचालन लागत निर्धारण-विधि में इकाई लागत विधि की तरह लागत का उप-विभाजन ‘मूल लागत’, ‘कारखाना लागत’, ‘कार्यालय लागत’, आदि में नहीं किया जाता बल्कि स्थायी व्यय, अनुरक्षण व्यय एवं परिवर्तनशील व्ययों में वर्गीकृत कर उन्हें जोड़ते हुये प्रति इकाई सेवा की उत्पादन लागत ज्ञात की जाती है।
परिचालन लागत निर्धारण-विधि की विशेषताएँ
(Characteristics of Operating Costing)
परिचालन लागत निर्धारण-विधि की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(1) सम्बन्धित व्यावसायिक संस्था/उपक्रम ग्राहकों को विशिष्ट प्रकृति की सेवाएँ प्रदान करने का कार्य करता है।
(2) सम्बन्धित उपक्रम में किये गये पूँजी निवेश का अधिकांश भाग स्थाई सम्पत्तियों में विनियोजित होता है।
(3) कुल परिचालन लागतों को स्थायी एवं परिवर्तनशील लागतों में विभाजित किया जाता है।
(4) कार्यशील पूँजी के लिए कम राशि की आवश्यकता होती है।