Bcom 2nd Year Cost Accounting Service and Operating Cost Study Material Notes In Hindi

//

दैनिक लॉग बुक से प्राप्त उपरोक्त सूचनाओं के अतिरिक्त अन्य व्ययों का संग्रहण संस्था की रोकड़ बही तथा खाता-बही से कर लिया जाता है।

(ii) व्ययों का वर्गीकरण-व्ययों का संग्रह करने के पश्चात् विभिन्न व्ययों को निम्नलिखित तीन भागों में वर्गीकृत किया। जाता है

  • स्थायी व्यय (Fixed or Standing Charges)-ऐसे व्यय जिनका वाहन के परिचालन से कोई सम्बन्ध नहीं होता, वाहन चले या न चले ये व्यय करने ही पड़ते हैं, स्थायी व्यय कहलाते हैं। वस्तुतः इस प्रकार के व्यय समय पर आधारित होते हैं। उदाहरणार्थ-लाइसेन्स शुल्क, बीमा शुल्क, सड़क कर, गैरेज का किराया, पूँजी पर ब्याज, सुपरवाइजर का वेतन, प्रबन्धकों का पारिश्रमिक, ड्राइवर, कण्डक्टर खलासी का वेतन (यदि समयावधि पर आधारित है), कार्यालय व्यय, समयावधि पर आधारित मूल्य-हास।

2) अनुरक्षण व्यय (Maintenance Charges)-ऐसे व्यय जो वाहन को ठीक दशा में अर्थात् वाहन द्वारा सुचारू रूप। से निरन्तर सेवा प्रदान करने के लिये वाहन को स्वस्थ रखने हेतु किये जाते हैं। जैसे-मरम्मत व अनुरक्षण, ओवरहालिंग। व्यय, टायर व ट्यूब, आदि।

(3) धावन व्यय (Running Charges)-ऐसे व्यय जिनका वाहन के परिचालन से सीधा सम्बन्ध होता है, उन्हें धावन व्यय कहा जाता है; जैसे-पैट्रोल, डीजल, परिचालन क्रिया पर आधारित मूल्य-हास एवं ड्राइवर, कण्डक्टर, खलासी, आदि का वेतन।

उपरोक्त वर्गीकरण के स्थान पर परिवहन सेवा से सम्बन्धित सभी व्ययों को केवल दो भागों में भी वर्गीकृत किया जा । सकता है

(1) स्थायी व्यय (StandingCharges),

(2) परिवर्तनशील व्यय (VariableCharges)

उपरोक्त वर्णित अनुरक्षण तथा धावन व्ययों के योग को ही परिवर्तनशील व्यय कहा जाता है।

समस्या-परिवहन सेवा से सम्बन्धित व्ययों के वर्गीकरण के सम्बन्ध में यह समस्या आती है कि उन्हें तीन भागों में बॉटा जाये अथवा दो भागों में। वस्तुतः दोनों ही आधार सही हैं. किसी को भी अपना लें। वैसे इन व्ययों को दो भागों में वर्गीकृत करना सुविधाजनक है।

परिवहन व्ययों के सम्बन्ध में स्मरणीय बातें-परिवहन व्ययों के उपरोक्त वर्णित वर्गीकरण के सम्बन्ध में व्यय की प्रत्येक मद का भली प्रकार अध्ययन किया जाना चाहिये ताकि उनको सही शीर्षक में वर्गीकृत किया जा सके। वस्तुत: इन्हें निश्चित नियम के रूप में नहीं लेना चाहिये। फिर भी निम्नलिखित बातों का विशेष रूप से ध्यान रखें

(1) गैरेज किराया को अनुरक्षण व्यय के वर्ग में भी रखा जा सकता है। (2) टायर एवं ट्यूब व्यय को धावन व्यय के वर्ग में भी रख सकते हैं।

(3) यदि ह्रास अवधि के आधार पर चार्ज किया जाता है तो इसे स्थायी व्यय के अन्तर्गत सम्मिलित करेंगे जबकि यदि हास चले हये किलोमीटर के आधार पर निकाला जाता है तो इसे धावन व्यय के रूप में परिवर्तनशील व्यय माना जाता है।

(4) यदि ड्राइवर, कण्डक्टर, खलासी, आदि को मासिक वेतन पर नियुक्त किया हुआ है तो इनका वेतन स्थायी व्यय माना जाता है परन्तु यदि इन्हें कार्य भाग दर (Piece Rate) के अनुसार पारिश्रमिक दिया जाता है तो दिया गया वेतन धावन व्ययों में सम्मिलित किया जाता है। ..

(iii) उपयुक्त लागत इकाई का चयन-जैसा कि पीछे स्पष्ट कर चुके हैं कि परिचालन सेवा लागत-निर्धारण में ‘सरल’ अथवा ‘मिश्रित’ लागत इकाई का प्रयोग किया जा सकता है। परिवहन सेवा के अन्तर्गत प्रति सवारी (Per Passenger), प्रति क्विण्टल/टन (Per Quintal/Ton), प्रति मील/किलोमीटर (Per Miles/Km), आदि सरल इकाई के प्रमुख उदाहरण हैं। लेकिन सरल इकाई को तभी अपनाया जाता है जब प्रत्येक ट्रिप में समान दूरी की यात्रा की जाती है अर्थात जब वाहन केवल दो ही स्टेशन के बीच चलता हो। दूसरी ओर मिश्रित या संयुक्त इकाई की दशा में सवारियों की संख्या या माल के भार तथा तय की गई दरी को ध्यान में रखा जाता है। माल यातायात की दशा में तय की गई दूरी में माल के भार (टन या क्विण्टल) की गणा करके कल टन/क्विंटल मील या किलोमीटर ज्ञात कर लेते हैं और सवारी यातायात की दशा में दूरी को सवारियों की संख्या से गणा करके कल यात्री-मील या कुल यात्री-किलोमीटर ज्ञात कर लेते हैं। परन्तु व्यवहार में प्राय: यह देखा जाता है कि एक ही टिप में भिन्न-भिन्न दूरियों पर अनेक स्टेशन होते हैं जहाँ पर यात्रियों/माल को उतारना-चढ़ाना पड़ता है एवं विभिन्न हरियों के बीच ले जाये जाने वाले माल या यात्रियों की संख्या भी भिन्न-भिन्न होती है। ऐसी दशा में बस अथवा टक या टैक्सी नारा तय की गई कल दरी को सम्पूर्ण यात्रियों की संख्या अथवा माल के कुल भार से गुणा नहीं किया जा सकता। अतः ऐसी दशा में मिश्रित इकाई की गणना हेतु निम्नलिखित दो रीतियों का प्रयोग किया जाता है

(अ) निरपेक्ष पद्धति (Absolute Method)-इस विधि के अन्तर्गत यात्रा के प्रत्येक भाग की दूरी में ढोये गये भार अथवा ले जाये गये यात्रियों की गुणा करके अलग-अलग टन किलोमीटर या यात्री किलोमीटर की गणना की जाती है। हो परिशद रीति भी कहा जाता है। माल यातायात की दशा में परिशुद्ध टन/क्विण्टल किलोमीटर ज्ञात करने के लिये यात्रा के प्रत्येक भाग की दरी और उस दरी में ढोये गये माल के भार की आपस में अलग-अलग गुणा की जाती है तथा इस प्रकार प्राप्त सभी गुणनफलों का योग कर लिया जाता है जिसे कर लिया जाता है जिसे ‘परिशुद्ध यात्री किलोमीटर’ कहते हैं।

उदाहरण द्वारा स्पष्टीकरण-एक ट्रान्सपोर्ट जर से मेरठ 70 किलोमीटर, मेरठ से गाजियाबाद 50 किलामाटर तथा गाजियाबाद से बुलन्दशहर 60 माल ढोती है। बुलन्दशहर से मेरठ 70 किलोमीटर, मेरठ से गाजियाबाद 50 किलोमीटर से बुलन्दशहर 60

किलोमीटर की दरी पर है। टक बुलन्दशहर से मेरठ 4 टन भार लेकर जाता है, मेरठ से गाजियाबाद 2.5 टन भार लेकर जाता है और गाजियाबाद से बुलन्दशहर बिना किसी भार के खाली आता है तो इस ट्रिप की परिशुद्ध टन-किलोमीटर की गणना निम्नलिखित प्रकार की जायेगी

बुलन्दशहर  – मेरठ                             =       70 किलोमीटर  * 4 टन                      = 280 टन किलोमीटर

मेरठ – गाजियाबाद                            =       50 किलोमीटर    * 2.5 टन                 = 125 टन किलोमीटक

गाजियाबाद – बुलन्दशहर                =         60  किलोमीटर   *0 टन                     =     Nill

कुल टन किलोमीटर        =  405 टन किलमीटर

(ब) वाणिज्यिक रीति (Commercial Method)-इस रीति के अन्तर्गत कुल तय की गई दूरी में ट्रिप में ढोये गये भार या ले जाये गये यात्रियों का औसत निकालकर गणा कर दी जाती है। यह गुणनफल ही ‘वाणिज्यिक टन किलोमीटर’ या ‘वाणिज्यिक यात्री किलोमीटर’ कहलाता है। उपर्यक्त उदाहरण में वाणिज्यिक टन किलोमीटर की गणना निम्नलिखित प्रकार की जायेगी

व्यवहार में परिशुद्ध (निरपेक्ष) रीति (Absolute Method) का ही प्रयोग किया जाता है।

परिशद्ध एवं वाणिज्यिक टन किलोमीटर में अन्तर (Difference between Absolute and Commercial Tonne Kilometer),

  1. परिशुद्ध टन किलोमीटर ज्ञात करने हेतु सम्पूर्ण यात्रा को एक नहीं माना जाता है अर्थात् एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक की यात्रा को एक स्वतन्त्र यात्रा माना जाता है जबकि वाणिज्यिक टन किलोमीटर की गणना में सम्पूर्ण यात्रा को एक मानकर टन किलोमीटर की गणना की जाती है।
  2. परिशुद्ध टन किलोमीटर रीति में सम्पूर्ण यात्रा के प्रत्येक दो स्टेशनों की दूरी को उसमें ढोये गये भार से गुणा करके टन किलोमीटर ज्ञात करते हैं जबकि वाणिज्यिक टन किलोमीटर रीति में सम्पूर्ण यात्रा की दूरी को ढोये गये औसत भार से गुणा करके टन किलोमीटर ज्ञात करते हैं।
  3. परिशुद्ध टन किलोमीटर रीति में टन किलोमीटर का परिकलन सरल है जबकि वाणिज्यिक टन किलोमीटर रीति में टन-किलोमीटर की गणना अपेक्षाकृत कठिन है।
  4. सरलता की दृष्टि से स्पष्ट सूचना न होने पर परिशुद्ध टन किलोमीटर रीति का प्रयोग किया जाता है जबकि वाणिज्यिक रीति द्वारा टन किलोमीटर की गणना करना अधिक उपयुक्त हो सकता है।

(iv) परिचालन लागत-पत्रक तैयार करना-परिचालन सेवा लागत-निर्धारण हेतु इकाई लागत निर्धारण-विधि (Single or Unit Output Costing) की भाँति एक विवरण तैयार किया जाता है। यह लागत-पत्रक एक निश्चित अवधि (जो 1 माह से 1 वर्ष तक की हो सकती है) के लिये बनाया जाता है। इसके अन्तर्गत अवधि विशेष से सम्बन्धित समस्त परिवहन व्ययों को दो या तीन जैसा भी चाहें वर्गीकृत शीर्षकों के अन्तर्गत दिखाया जाता है और उसके बाद कल व्ययों को सेवा की इकाइयों से भाग कर देते हैं जिससे प्रति इकाई परिचालन लागत ज्ञात हो जाती है। इस प्रकार इस पत्रक की सहायता से एक निश्चित अवधि में निष्पादित परिचालन क्रिया की कुल लागत एवं प्रति इकाई लागत ज्ञात हो जाती है। व्ययों पर नियन्त्रण स्थापित करने के दृष्टिकोण से प्रायः परिवर्तनशील व्यय की प्रति इकाई लागत ज्ञात की जाती है जब सम्बन्ध में सभी स्थायी व्ययों की प्रति इकाई लागत एक साथ ही ज्ञात करते हैं।

Bcom 2nd Year Cost Accounting Service and Operating Cost Study Material Notes In Hindi

परिचालन लागत-पत्रक का कोई निर्धारित प्रारूप नहीं है। इसे निम्नलिखित में से किसी भी प्रकार तैयार किया जा सकता है ।

 

Illustration 2.

चिराग बस कम्पनी एक शहर की सीमा में बसें चलाती है।

Chirag Bus Service running the following fleet of buses within the limits of this city.

बसों का संख्या   (No of Buses)                                                          क्षमता यात्री (Carring Capacity )

20                                                                                                                           60

15                                                                                                                                50

10                                                                                                                                  40

औसतन प्रत्येक बस रोज 5 फेरे (Trip) लगाती है प्रत्येक फेरे की दूरी 20 किलोमीटर है तथा 80% क्षमता का ही प्रयोग हो पाता है। सामान्यत: 9 बसें प्रतिदिन मरम्मत के कारण सड़क पर नहीं चल पाती हैं जनवरी, 2019 के लिए यात्री किलोमीटर निकालिए।

On an average each bus makes 5 trips a day covering a distance of 20 km. in each trip and 80% of the seats are occupied. Generally 9 buses are to be kept away from road each day for repair. Calculate the passenger km. for the month of January, 2019.

Illustration 3.

एक लॉरी 20 टन भार के साथ स्टेशन A से यात्रा प्रारम्भ करती है। यह स्टेशन B पर 8 टन माल खाली करती है तथा शेष स्टेशन C पर खाली करती है। यह पुनः स्टेशन C पर 16 टन माल के साथ यात्रा प्रारम्भ कर सीधे स्टेशन A वापस होती है। A से B, B से C तथा C से A स्टेशन के बीच की दूरियाँ क्रमश: 80 किमी०, 120 किमी तथा 160 किमी० है। आप निरपेक्ष टन-किलोमीटर तथा वाणिज्यिक टन-किलोमीटर की गणना करें।

A lorry starts with a load of 20 tonnes of goods from station A. It unloads 8 tonnes at station B and rest of goods at station C. It reaches back directly to station A after getting loading with 16 tonnes of goods at station C. The distance between A to B, B to C and C to A are 80 kms., 120 kms. and 160 kms. respectively. You are required to compute absolute tonnes-kms.

chetansati

Admin

https://gurujionlinestudy.com

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Previous Story

BCom 2nd Year Cost Accounting Equivalent Production Study Material Notes In Hindi

Next Story

Bcom 2nd Year Cost Accounting Vechile Utilisation Ratio Study Material Notes In Hindi

Latest from B.Com