BCom 2nd Year Special Provisions Regarding Health Safety Study Material Notes in Hindi

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BCom 2nd Year Special Provisions Regarding Health Safety Study Material Notes in Hindi

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Special Provisions Regarding Health
Special Provisions Regarding Health

BCom 2nd year Corporate Laws Safety Study Material Notes In Hindi

स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के सम्बन्ध में विशेष प्रावधान

(SPECIAL PROVISIONS REGARDING  HEALTH AND SAFETY)

कारखाना अधिनियम के अन्तर्गत श्रमिकों की सुरक्षा व स्वास्थ्य के सम्बन्ध में धारा 85 से 91 तक कुछ विशेष प्रावधान बनाये गये हैं जो समस्त कारखानों पर लागू होते हैं चाहे कारखाने में नियुक्त श्रमिकों की संख्या कितनी ही क्यों न हो। ये प्रावधान केवल उस निर्माणी क्रिया में लागू नहीं होते हैं जिसमें निर्माण कार्य परिवार के सदस्यों की सहायता द्वारा सम्पन्न किया जाता है। ये प्रावधान निम्नलिखित हैं

Special Provisions Regarding Health

1 कुछ विशेष स्थानों पर अधिनियम को लागू करने का अधिकार (Power to Apply the Act to Certain Premises)-राज्य सरकार राजपत्र में घोषणा करके इस अधिनियम के समस्त अथवा किसी भी प्रावधान को किसी भी ऐसे स्थान पर लाग कर सकती है जहाँ

(i) शक्ति की सहायता से काम होता है और 10 से कम व्यक्ति काम करते हों, अथवा वहाँ शक्ति की, सहायता से काम न होता हो और 20 से कम व्यक्ति काम करते हों अथवा

(ii) कार्य करने वाले व्यक्तियों को स्वामी द्वारा नियुक्त न किया गया हो, किन्तु स्वामी की सहमति से या किसी ठहराव के अन्तर्गत कार्य करते हों।

अपवादलेकिन उक्त निर्माण प्रक्रिया यदि केवल स्वामी के द्वारा या उसके परिवार की सहायता द्वारा चलाई जाती है तो इस धारा के प्रावधान उस स्थान पर लागू नहीं होंगे।

 उपर्युक्त स्थान, जहाँ उस अधिनियम के प्रावधान लागू करने की घोषणा की गयी है, इस अधिनियम के उद्देश्यों के लिए एक कारखाना समझा जाएगा। उसका स्वामी परिभोगी तथा वहाँ काम करने वाले व्यक्ति श्रमिक समझे जाएंगे।

स्पष्टीकरणयहाँस्वामी (owner) में पट्टेदार (lessee) अथवा बन्धकी (mortgagee) भी सम्मिलित

2. सार्वजनिक संस्थानों को छूट देने का अधिकार (Power to Exempt Public Institutions) [धारा 86]-राज्य सरकार किसी भी कार्यशाला (workshop) या कार्यस्थल (work-place) को इस अधिनियम के समस्त या किसी भी प्रावधान से छूट दे सकती है जब

(i) कोई कारखाना सार्वजनिक संस्थान से सम्बद्ध हो, और

(ii) ऐसे कारखानों में शिक्षण, प्रशिक्षण, शोध अथवा सुधार के उद्देश्यों के लिए निर्माण प्रक्रिया या तत्सम्बन्धी कोई कार्य किया जाता हो।

परन्तु, कार्य के घण्टों, छुट्टियों से सम्बन्धित प्रावधानों में तब तक कोई छूट नहीं दी जा सकती है जब तक कि ऐसी संस्था पर नियन्त्रण रखने वाले व्यक्ति कार्य के घण्टों तथा छुट्टियों के नियमन के सम्बन्ध में राज्य सरकार को कोई योजना प्रस्तुत नहीं कर देते हैं तथा राज्य सरकार की दृष्टि में उस योजना के प्रावध अधिनियम के प्रावधानों की तुलना में कम लाभकारी नहीं होते हैं।

3. खतरनाक क्रियायें (Dangerous Operations) [धारा 87]-यदि कारखाने में कोई इस प्रकार की निर्माणी क्रिया है जिससे श्रमिकों के शरीर को अधिक चोट पहुँचने, बीमारी होने या जहरीला प्रभाव पड़ने की आशंका हो तो राज्य सरकार किसी भी कारखाने में अथवा किसी भी वर्ग या श्रेणी के कारखानों में जहाँ ऐसी क्रियायें होती हैं, निम्नलिखित नियम लागू कर सकती है

(i) उक्त खतरनाक क्रिया का उल्लेख करना तथा उसे खतरनाक घोषित करना ।

(ii) उक्त खतरनाक क्रिया में स्त्री, किशोर अथवा बालकों की नियुक्ति पर निषेध लगाना अथवा प्रतिबन्ध लगाना।

(iii) ऐसी क्रियाओं में नियक्त अथवा नियक्त किये जाने वाले व्यक्तियों की सामयिक डॉक्टरी जांच की व्यवस्था करना और जो व्यक्ति ऐसे कार्य के लिए योग्य प्रमाणित नहीं किये गये हैं उन्हें उस क्रिया में नियुक्त करने पर प्रतिबन्ध लगाना।

(iv) उक्त खतरनाक क्रियाओं में अथवा उनके आस-पास के स्थानों में कार्य करने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा की व्यवस्था करना।

(v) उक्त खतरनाक क्रियाओं से सम्बन्धित किसी विशिष्ट पदार्थ अथवा प्रक्रिया के उपयोग पर निषेध, प्रतिबन्ध अथवा नियन्त्रण लगाना।

(vi) निर्माणी प्रक्रिया की जोखिम को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त कल्याण सुविधाओं तथा सफाई साधनों  की व्यवस्था करने तथा सुरक्षा उपकरण व कपड़े उपलब्ध कराना एवं उनके प्रमाप निर्धारित करना।

4.गम्भीर खतरे के कारण नियुक्ति पर निषेध लगाने का अधिकार (Power to Prohibit Employment on Account of Serious Hazard)-जब निरीक्षक को यह प्रतीत हो कि किसी कारखाने या उसके भाग की दशाएँ ऐसी हैं जिनके कारण वहाँ नियुक्त श्रमिकों या आस-पास की सामान्य जनता को गम्भीर खतरा (चोट या मृत्यु के रूप में) हो सकता है तो वह उस कारखाने के परिभोगी को लिखित आदेश दे सकता है कि ऐसे कारखाने या उसके भाग में किसी श्रमिक की नियुक्ति न की जाए। जब तक खतरा टल नहीं जाता तब तक वहाँ खतरे को टालने के लिए कम-से-कम उतने ही श्रमिक रखे जायें जितने आवश्यक हों। इसके अतिरिक्त अन्य कोई भी श्रमिक नियुक्त नहीं किया जाएगा।

उसे उस आदेश में कारखाने या उसके उस भाग का विवरण भी देना चाहिए जिसके कारण किसी गम्भीर जोखिम के उत्पन्न होने का खतरा हो ।

आदेश का प्रभाव निरीक्षक द्वारा जारी किये गये उपर्युक्त प्रकार के आदेश का प्रभाव तीन दिनों की अवधि तक रहेगा। मुख्य निरीक्षक चाहे तो आदेश देकर इसके प्रभाव को आगे बढ़ा सकता है।

5. विशेष दुर्घटनाओं की सूचना (Notice of Certain Accidents) –जब किसी कारखाने में कोई ऐसी दुर्घटना हो जाये जिससे किसी श्रमिक को शारीरिक चोट लग जाय या मृत्यु हो जाय, जिससे कि वह दुर्घटना के तुरन्त बाद 48 घण्टे या अधिक की अवधि के लिए कार्य न कर सके तो कारखाने के प्रबन्धक को इस बात की सूचना निर्धारित अधिकारियों के पास, निर्धारित प्रारूप एवं निर्धारित समय में भेजनी होगी।

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दर्घटना की जाँच निर्धारित अधिकारी दुर्घटना की सूचना प्राप्त करने के एक माह के अन्दर दुर्घटना की जाँच करेगा। यदि निर्धारित अधिकारी निरीक्षक नहीं है तो दुर्घटना की जाँच निरीक्षक से करायेगा।

राज्य सरकार का अधिकार-इस धारा के अन्तर्गत की जाने वाली जाँच करने की प्रक्रिया को निर्धारित करने के लिए राज्य सरकार नियम बना सकती है।

6. कुछ खतरनाक घटनाओं की सूचना देना (Notice of Certain Dangerous Accidents)-जब किसी कारखाने में कुछ निर्धारित प्रकार की खतरनाक घटनाएँ घटित हो जाएँ चाहे उनसे शारीरिक चोट या

अयोग्यता उत्पन्न हो या नहीं, तो भी कारखाने के प्रबन्धक को इसकी सूचना निर्धारित प्रारूप एवं समय में निर्धारित अधिकारियों को भेजनी चाहिए।

7. विशिष्ट रोगों की सूचना (Notice of Certain Diseases) [धारा 89]-यदि किसी कारखाने में किसी भी श्रमिक को अनुसूची (III) में निर्दिष्ट कोई भी रोग हो जाता है तो कारखाने का प्रबन्धक उसकी सूचना निर्धारित अधिकारियों को निर्धारित समय में और निर्धारित प्रारूप में भेजेगा। यदि कोई चिकित्सक कारखाने में नियक्त किसी व्यक्ति का इलाज करता है और वह व्यक्ति अनुसूची (II में निर्दिष्ट किसी रोग से पीडित हो अथवा पीडित हो जाने का चिकित्सक को विश्वास हो जाए तो वह चिकित्सक मुख्य निरीक्षक को अविलम्ब एक रिपोर्ट भेजेगा, जिसमें निम्नलिखित बातों का उल्लेख होगा

(i) रोगी का पूरा नाम व पता;

(ii) वह रोग जिससे रोगी के पीड़ित होने का उसे विश्वास है;

(iii) उस कारखाने का नाम तथा पता जिसमें रोगी पहले नियुक्त था या नियुक्त है।

यदि कोई चिकित्सक मुख्य निरीक्षक को रिपोर्ट नहीं भेजता है तो उस पर 1,000 रुपए तक अर्थदण्ड लगाया जा सकता है।

यदि कारखाने का मुख्य निरीक्षक इस बात से पूर्णरूपेण सन्तुष्ट हो जाता है कि चिकित्सक द्वारा दी गयी रिपोर्ट पूर्णरूपेण सही है और प्रमाणित करने वाले चिकित्सक द्वारा दिए गए प्रमाण-पत्र अथवा अन्य प्रकार से यह ज्ञात हो जाए कि वह व्यक्ति अनुसूची (III) में निर्दिष्ट किसी रोग से पीडित है तो मुख्य निरीक्षक चिकित्सक को निर्धारित शुल्क का भुगतान कर देगा। यह शुल्क उस कारखाने के परिभोगी से उसी प्रकार वसूल कर लिया जाएगा जिस प्रकार भू-आगम (Land Revenue) की बकाया राशि वसूल की जाती है। ।

8. दर्घटना या रोग सम्बन्धी मामलों की जाँच का अधिकार (Power to Direct Enquiry into Cases of Accident or Disease) [धारा 90]-राज्य सरकार यदि उचित समझे तो कारखाने में होने वाली किसी भी दुर्घटना के कारणों की जाँच करने अथवा अनुसूची (III) में निर्दिष्ट रोग के मामले की जाँच करने के लिए किसी सक्षम/योग्य व्यक्ति को नियुक्त कर सकती है। साथ ही वह कानून का अनुभव अथवा विशिष्ट अनुभव रखने वाले एक या अधिक व्यक्तियों की नियुक्ति भी ऐसी जाँच में सहायता देने के लिए कर सकती है। ऐसी जाँच के लिए नियुक्त व्यक्ति को दीवानी न्यायालय के सभी अधिकार प्राप्त होंगे। जाँच करने वाला व्यक्ति दुर्घटना या बीमारी के कारणों व परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए निष्कर्ष सहित अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत करता है। राज्य सरकार यदि उचित समझे तो सम्पूर्ण रिपोर्ट को अथवा उसके किसी भाग को प्रकाशित कर सकती है तथा जाँच की प्रक्रिया को नियमित एवं नियन्त्रित करने के लिए नियम बना सकती है।

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अनुसूची (धारा 89 एवं 90)

[The Schedule (89 and 90)]

अधिसूचनीय रोगों की सूची (List of Notifiabile Diseases Under the Schedule)

1. सीसे द्वारा विषकरण,जिसके अन्तर्गत सीसे से तैयार किये गये किसी निर्मित अथवा सम्मिश्रण द्वारा विषकरण भी शामिल है (Lead poisoning, including poisoning by any preparation or compound of lead or their sequelae)

2. सीसे के टेट्रा-ईथिल द्वारा विषकरण (Lead tetra-ethyl poisoning)

3. फॉस्फोरस द्वारा विषकरण अथवा तत्सम्बन्धी रुग्णावस्था (Phosphorus poisoning or its sequelae)

4. पारे द्वारा विषकरण अथवा तत्सम्बन्धी रुग्णावस्था (Mercury poisoning or sequelae)

5. मैंगनीज द्वारा विषकरण अथवा तत्सम्बन्धी रुग्णावस्था (Mangnese poisoning or sequelae)

6. संखिया द्वारा विषकरण अथवा तत्सम्बन्धी रुग्णावस्था (Arsenic poisoning or sequelae)

7. शोरे के धुएँ द्वारा विषकरण (Poisoning by nitrous fumes)

8.  कार्बन बाई-सल्फाइड द्वारा विषकरण (Carbon bisulphide poisoning)

9. बैंजीन द्वारा विषकरण जिसके अन्तर्गत उसके तुल्य परिणाम का उनके तेजाब या अनीडो व्युत्पत्तियों द्वारा विषकरण भी शामिल है अथवा तत्सम्बन्धी रुग्णावस्था (Benzene poisoning including poisoning by any of its homologued their nitro or antro or anido derivatives or its sequelae)

10. क्रोम से नासूर या तत्सम्बन्धी रुग्णावस्था (Chrome ulceration or its sequelae)

11. गिल्टी रोग (Anthrax)

12. सिलिकोसिस (Silicosis)

13. ऐलिफैटिक वर्ग हाइड्रोजन-कार्बन्स के हेलोजनों या हेलोजन की व्युत्पत्तियों द्वारा विषकरण (Poisoning by halogens or halogens derivatives of the hydro-carbons of the aliphatic series)

14. रोग-विज्ञान सम्बन्धी अभिव्यक्ति जो-(अ) रेडियम या अन्य रेडियो-एक्टिव पदार्थों से.(ब) एक्स-रे से उत्पन्न हुए है Pathological manifestations due to : (a) radium or other radio-active substances, (b) X-rays]

15. त्वचा का प्रारम्भिक कैंसर (Primary epitheliomatous cancer of the skin)
16. विषैला पांडु रोग (Toxic anaemia)

17. विषेले पदार्थों से उत्पन्न पीलिया रोग (Toxic Jaundice due to poisoning substances),

18. तेल मुहाँसा (Oil acne)

19. Byssinosis

20. Asbestosis

21. व्यावसायिक अथवा अनुबन्धित त्वचा शोध (Occupational or contract dermatitis)

22. आवाज से प्रभावित श्रवण शक्ति की कमी (Noice induced hearing loss)।

9. नमूना लेने का अधिकार (Power to take Sample)-धारा 91 के अनुसार, यदि कारखाना निरीक्षक को यह विश्वास हो जाये कि किसी भी प्रावधान या नियमों का कारखाने में उल्लंघन होता है अथवा कारखाने में किसी ऐसे पदार्थ का उपयोग किया जाता है जिससे श्रमिक को शारीरिक चोट लगने व उनके स्वास्थ्य को हानि पहुँचने की आशंका है तो वह साधारण काम के घण्टों में कभी भी कारखाने के परिभोगी अथवा प्रबन्धक या अन्य व्यक्ति को सूचित करने के पश्चात् ऐसे पदार्थ का पर्याप्त मात्रा में नमूना प्राप्त कर सकता है।

प्रबन्धक या कब्जाधारी, यदि निरीक्षक ऐसी अपेक्षा करे,इस धारा के अन्तर्गत लिए गये नमूने के विभाजन, मोहर लगाने तथा मार्किंग के लिए उपकरणों की व्यवस्था करेगा।

निरीक्षक नमूना लेने के पश्चात् कारखाने के मालिक या प्रबन्धक या अन्य व्यक्ति की उपस्थिति में (यदि जानबूझ कर अनुपस्थित नहीं रहते हैं) नमूने को तीन अंशों में विभाजित करके प्रत्येक भाग में प्रभावपूर्ण ढंग से मुहरबन्द करेगा तथा उन पर कोई उपयुक्त चिन्ह लगायेगा। वह उस व्यक्ति को भी, जिसकी उपस्थिति में उसने यह कार्य किया है अपनी निज की मुहर और चिन्ह विभाजित भागों पर लगाने की अनुमति देगा।

इसके पश्चात् निरीक्षक नमूने का एक भाग कारखाने के प्रबन्धक या स्वामी अथवा अन्य व्यक्ति (जिससे उस पदार्थ का नमूना लिया गया हो) को देगा और दूसरा अंश सरकारी विश्लेषक को विश्लेषण करने और रिपोर्ट देने के लिए प्रदान करेगा और तीसरा अंश न्यायालय के समक्ष जबकि पदार्थ के बारे में कोई कानूनी कार्यवाही करनी पड़े प्रस्तुत करने के लिए अपने पास सुरक्षित रखेगा।

सरकारी विश्लेषक की रिपोर्ट उक्त पदार्थ के सम्बन्ध में चल रही कार्यवाही में एक साक्षी के रूप में प्रस्तुत की जा सकती है।

10. सुरक्षा एवं व्यावसायिक स्वास्थ्य सम्बन्धी सर्वेक्षण (Safety and Occupational Health Surveys) [धारा 91A]-मुख्य निरीक्षक या कारखाना परामर्श सेवा तथा श्रम संस्थाओं का महासंचालक (Director General) या स्वास्थ्य सेवा महासंचालक भारत सरकार, अथवा इस सम्बन्ध में इनके द्वारा या राज्य सरकार द्वारा अधिकृत अन्य पदाधिकारी कभी भी कारखाने के सामान्य कार्य के घण्टों के दौरान अथवा अन्य समय पर जो वह आवश्यक समझे, कारखाने के परिभोगी अथवा प्रबन्धक अथवा प्रभारी व्यक्ति को लिखित आदेश देने के बाद सुरक्षा एवं व्यावसायिक स्वास्थ्य सम्बन्धी सर्वेक्षण कर सकता है। सर्वेक्षण के दौरान परिभोगी, प्रबन्धक या प्रभारी व्यक्ति सभी सुविधाएँ प्रदान करेगा जिनमें यन्त्र तथा मशीनरी के परीक्षण व जाँच की सुविधा, नमूने एकत्र करने तथा सर्वेक्षण सम्बन्धी आँकड़े एकत्र करने की सुविधा भी शामिल होगी।

सर्वेक्षणकर्ता चाहे तो प्रत्येक श्रमिक को आवश्यक डॉक्टरी जाँच के लिए के लिए प्रस्तुत करेगा तथा सर्वेक्षण से सम्बन्धित सभी जानकारी, जो वह जानता है, सम्बन्धित व्यक्ति को देगा।

उपर्युक्त डाक्टरी जाँच के लिए व जानकारी देने में, श्रमिक द्वारा जो भी समय दिया जाता है, उसकी मजदूरी या अधिक समय कार्य के लिए अतिरिक्त मजदूरी की गणना में यह माना जायेगा कि श्रमिक ने कारखाने में ही काम किया है।

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परीक्षा हेतु सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

(EXPECTED IMPORTANT QUESTIONS FOR EXAMINATION)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(LONG ANSWER QUESTIONS)

1 कारखाना अधिनियम, 1948 के अन्तर्गत धारा 85 व धारा 86 में बनाए गए प्रावधानों को समझाइए।

Explain the provisions made Under Sections 85 and 86 of Factories Act, 1948.

2. श्रमिकों की सुरक्षा के लिए बनाए गए धारा 87 से धारा 91 तक के विशेष प्रावधानों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

Decribe in brief the special provisions from Section 87 to 91 for the safety of workers.

3. ‘खतरनाक क्रिया’ से आप क्या समझते हैं, श्रमिकों को उनसे सुरक्षित रखने के लिए क्या-क्या नियम बनाये गए हैं ?

What do you understand by ‘dangerous operations? What are provisions with regard to the safety of workers from them?

लघु उत्तरीय प्रश्न

(SHORT ANSWER QUESTIONS)

1 कछ विशेष कार्य स्थलों में कारखाना अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने सम्बन्धी राज्य सरकारों के अधिकारों का उल्लेख कीजिए।

State the power of the State Government to apply the provisions of the factories Act to some extraordinary work-places.

2. क्या राज्य सरकार कुछ कायस्थला का कारखाना आधानयम के प्रावधानों से मक्त कामी हाँ, तो कब और किस सीमा तक ?

Can the State Government exempt any workshop from the provision of the Factories Act? If so, when and to what extent?

3. कुछ दर्घटनाओं और रोगों के सम्बन्ध में सूचनाए देने सम्बन्धी प्रावधान स्पष्ट कीजिए ।

Clarify the provision in connection with notices of certain accidents and certain diseases.

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chetansati

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