BCom 1st Year Statistical Averages Study Material Notes in Hindi

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BCom 1st Year Statistical Averages Study Material Notes in Hindi

BCom 1st Year Statistical Averages Study Material Notes in Hindi: Objectives and Functions of Statistical Averages Mode Methods  to Calculate the Mode Use of Density Method Median Special Problem Graphic Presentation of Median Calculation of Arithmetic Mean Calculation of Weighted Mean Properties of Arithmetic mean ( Important Notes ) :

Averages Study Material Notes
Averages Study Material Notes

Bcom 2nd Year Cost Accounting Integrated System study Material Notes In Hindi

सांख्यिकीय माध्य

(Statistical Averages)

मानव-मस्तिष्क मिश्रित एवं जटिल आँकड़ों को भली-भाँति समझने तथा उनसे तुलनात्मक निष्कर्ष निकालने। में असमर्थ होता है। आँकड़ों के सम्पादन, वर्गीकरण तथा सारणीयन आदि के द्वारा उन्हें सरल, सुबोध तथा। व्यवस्थित बनाया जा सकता है परन्तु ये रीतियाँ सांख्यिकीय विश्लेषण की प्रारम्भिक अवस्थाएँ ही हैं जिनसे। समंकों की सभी महत्वपूर्ण विशेषताएँ स्पष्ट नहीं होती हैं । समंकों के लक्षणों को कम से कम अंकों में प्रकट करने। के लिए संख्याशास्त्री को केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप (Measures of central tendency) या सांख्यिकीय माध्यों (Statistical Averages) का आंकलन करना पड़

अर्थ एवं महत्व-सांख्यिकीय माध्य, समग्र के विभिन्न पदों की व्यक्तिगत विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए, एक ऐसी प्रवृत्ति की ओर संकेत करता है जो सम्पूर्ण का प्रतिनिधित्व करती है। सांख्यिकी में, सम्पूर्ण समंक श्रेणी की केन्द्रीय प्रवृत्ति को सरल एवं संक्षिप्त रूप में प्रदर्शित करने वाला प्रतिनिधि मूल्य,केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप या माध्य कहलाता है । सांख्यिकीय माध्य एक ऐसा सरल संक्षिप्त अंक है,जो समंक श्रेणी की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालता है।

क्रॉक्सटन एवं काउडेन के अनुसार, “माध्य समंकों के विस्तार के अन्तर्गत स्थित एक ऐसा मूल्य है जिसका प्रयोग श्रेणी के सभी मूल्यों का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया जाता है। चूंकि माध्य समंकों के विस्तार के अन्तर्गत ही कहीं होता है, इसलिए कभी-कभी यह केन्द्रीय मूल्य का माप भी कहा जाता है।

माध्य को केन्द्रीय प्रवृत्ति का माप इसलिए कहा जाता है कि व्यक्तिगत चर मूल्यों का अधिकतर उसके आस-पास फैलाव होता है । माध्य को उसी इकाई में व्यक्त किया जाता है जिसमें उसके मूल समंक संग्रहित होते हैं। सांख्यिकीय विश्लेषण में माध्यों का मूलभूत महत्व होता श्लेषण की अन्य बहुत-सी रीतियाँ भी माध्यों पर आधारित हैं। इनकी सहायता से विभिन्न श्रेणियों का दुात्मक अध्ययन सरल हो जाता है । समग्र की इकाइयों का व्यक्तिगत रूप में कोई महत्व नहीं होता है; जैसे संदीप की आयु या आय-व्यय का समाज के लिए कोई महत्व नहीं है परन्तु समाज में रहने वाले लोगों की आयु या आय-व्यय का ज्ञान समाज के लिए बहुत उपयोगी हो सकता है । यही कारण है कि डॉ. बाउले ने सांख्यिकी को माध्यों का विज्ञान कहा है।

सांख्यिकीय माध्य के उद्देश्य एवं कार्य

(Objectives and Functions of Statistical Averages)

सांख्यिकीय माध्यों के निम्नलिखित उद्देश्य एवं कार्य हैं जिनसे उनकी अत्यधिक उपयोगिता स्पष्ट है

1 आँकड़ों का सरल एवं सूक्ष्म चित्र प्रस्तुत करना -माध्यों द्वारा जटिल एवं अव्यवस्थित आँकड़ों की प्रमुख विशेषताओं का एक सरल,स्पष्ट तथा सूक्ष्म चित्र प्रस्तुत किया जाता है जिससे उन्हें समझने तथा स्मरण करने में आसानी हो । जैसे किसी व्यक्ति के दिन-प्रतिदिन के खर्चों को याद रखना सम्भव नहीं है परन्तु उसके मासिक औसत खर्च को आसानी से समझा एवं याद किया जा सकता है।

2. आँकड़ों के बीच तुलनात्मक अध्ययन करना-माध्यों की सहायता से विभिन्न समूहों के लक्षणों की परस्पर तुलना की जा सकती है। जैसे किसी टेस्ट श्रृंखला में दो या अधिक बल्लेबाजों के औसत रन स्कोर की तुलना करके उचित निष्कर्ष निकाला जा सकता है।

3. सम्पूर्ण समूह का प्रतिनिधित्व करना-माध्यों की सहायता से ही न्यादर्श (sample) के अध्ययन के आधार पर सम्पूर्ण समूह के बारे में निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। केवल एक संख्या (माध्य) से ही उस समूह की। रचना के बारे में पर्याप्त जानकारी हो सकती है तथा अनेक तथ्यों का पर्याप्त मात्रा में शुद्ध अनुमान लगाया जा सकता है।

4. भावी योजनाओं एवं क्रियाओं का आधार प्रस्तुत करना-माध्यों की सहायता से ऐसे मूल्य ज्ञात होते हैं जो भावी योजनाओं,क्रियाओं तथा नीतियों के निर्धारण में उचित मार्गदर्शन करते हैं।

5. सांख्यिकाय विश्लेषण का आधार प्रस्तत करना – सांख्यिकीय विश्लेषण की अनेक क्रियाए; जस। विचलन,विषमता,प्रतीपगमन आदि माध्यों पर ही आधारित हैं।

6. निर्णयन का आधार प्रस्तुत करना-शोध एवं अनसन्धान कार्य में चरों के माध्य मूल्य का सहारा निर्णय करने में सरलता होती है; जैसे किसी बस या रेल मार्ग पर औसत रूप से यात्रा करने वालों की संख्या का आधार पर ही बसों या ट्रेनों की संख्या को बढ़ाया या घटाया जा सकता है।

आदर्श माध्य के आवश्यक गुण (Essential elements of an Ideal Average)

एक आदर्श माध्य के निम्नांकित आवश्यक गण होने चाहिएं

1.माध्य स्पष्ट परिभाषित होना चाहिए।

2. माध्य समंक श्रेणी के सभी पद-मूल्यों पर आधारित होना चाहिए।

3. माध्य सम्पूर्ण श्रेणी या समग्र का प्रतिनिधित्व करता हो।

4. माध्य सरलता एवं शीघ्रता से निकाला एवं समझा जा सके ।

5. एक अच्छे माध्य की यह विशेषता है कि यदि न्यादर्श में परिवर्तन कर दिया जाये तो माध्य पर उसका प्रभाव न्यूनतम हो।

6. माध्य ऐसा हो जिस पर अंकगणितीय तथा बीजगणितीय विधियाँ लागू जा सके ।

7. माध्य के रूप में प्राप्त संख्या एक निरपेक्ष माप हो।

सांख्यिकीय माध्यों के प्रकार (Kinds of Statistical Averages)

अध्ययन की सुविधा के अनुसार सांख्यिकीय माध्यों को निम्नांकित वर्गों में बाँटा जा सकता है

(A) FANART HTET (Positional Averages)

1 भूयिष्ठक या बहुलक (Mode)

2. माध्यिका (Median)

(B) गणितीय माध्य (Mathematical Averages)

1 समान्तर माध्य या मध्यक (Arithmetic Mean or Average)

2. ज्यामितीय या गुणोत्तर माध्य (Geometric Mean)

3. हरात्मक माध्य (Harmonic Mean)

4. द्विघातीय माध्य (Quadratic Mean)

(C) अन्य माध्य (Other Averages)

1 चल माध्य (Moving Average)

2. प्रगामी माध्य (Progressive Average)

3. संग्रथित माध्य (Composite Average)

भूयिष्ठक या बहुलक (Z)

(Mode) . ‘Mode’

शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच भाषा के ‘Lamode’ शब्द से हुई जिसका आशय फैशन, चलन या रिवाज से है। अतः हम कह सकते हैं ,”Mode means most fashionable item” | बहुलक किसी पद श्रेणी में होता है जिसकी पुनरावृत्ति श्रेणी में सबसे अधिक बार हुई हो। क्रॉक्सटन एवं काउडेन के अनुसार-“एक समंक श्रेणी का बहुलक वह मूल्य है जिसके निकट श्रेणी की इकाइयाँ अधिक से अधिक केन्द्रित होती हैं । उसे मूल्यों की श्रेणी का सबसे अधिक प्रतिरूपी मूल्य माना जा सकता है ।” जैसे यदि यह कहा जाये कि एक कालेज के छात्रावासी विद्यार्थियों का बहुलक व्यय (Model Expenditure) 500 रुपये प्रतिमाह है तो यह माना जायेगा कि उस छात्रावास के अधिकांश विद्यार्थी 500 रुपये प्रतिमाह व्यय करते हैं। इसी प्रकार, किसी शोरूम पर शर्ट सबसे अधिक 40 नं. की बिकती है या जूतों के शोरूम में 7 नं. के जूतों का सबसे अधिक बिकना,इन्हें बहुलक साईज कहेंगे बहुलक का संकेताक्षर Z होता है। ।

बहुलक निर्धारण की विधियाँ

(Methods to Calculate the Mode)

व्यक्तिगत श्रेणी (Individual Series)-व्यक्तिगत श्रेणी में बहुलक ज्ञात करने की निम्नलिखित तीन विधियाँ हैं

1 निरीक्षण द्वारा (By Inspection):-निरीक्षण द्वारा यह पता लगाया जा सकता है कि श्रेणी का कौन-सा मूल्य सबसे अधिक बार श्रेणी में आया है। जो सबसे अधिक बार श्रेणी में आता है वही पद मूल्य बहुलक (Mode) होता है।

Illustration 1

निम्नांकित श्रेणी में निरीक्षण के द्वारा बहुलक ज्ञात कीजिए

Find out Mode from the following series :

5, 7, 9, 15, 20, 17, 15, 17, 16, 14, 3, 12, 15, 7, 9, 15, 21

Solution:-निरीक्षण द्वारा स्पष्ट है कि श्रेणी में पद मूल्य 15 सबसे अधिक चार बार दोहराया गया है। अतः भूयिष्ठक (Mode) Z = 15

2. व्यक्तिगत श्रेणी को खण्डित श्रेणी में बदल कर (By converting the individual series into discrete series)-जब किसी व्यक्तिगत श्रेणी के पद मूल्यों की संख्या अधिक होती है तो बहुलक निरीक्षण द्वारा ज्ञात करना कठिन होता है। ऐसी दशा में यदि सम्भव हो तो व्यक्तिगत श्रेणी को खण्डित श्रेणी में बदल दिया. जाता है तथा जिस मूल्य की आवृत्ति अधिक होती है वही पद मूल्य बहुलक (Mode) होता है।

Illustration 2

निम्नांकित कॉलर के आकारों से बहुलक आकार ज्ञात कीजिए

Find out Mode from the following data of sizes of the collar in inches :

13, 14, 12, 11, 17, 16, 16, 17, 15, 16, 18, 19, 15

Solution :

Size of Collars (in inches): 11 12 13 14 15 16 17 18 19
Frequency (1): 1 1 1 1 2 3 2 1 1

 

स्पष्ट है कि अधिकतम आवृत्ति 3 है जिसका पद मूल्य 16 है अर्थात् 16 श्रेणी में तीन बार लिया गया है अतः बहुलक आकार 16 है।

3. माध्यिका एवं माध्य के आधार पर (On the basis of Median and Mean) :—दि किसी श्रेणी में निरीक्षण के द्वारा बहुलक का पता लगाना सम्भव नहीं है या किसी श्रेणी में दो या अधिक बहुलक दृष्टिगत होते हैं तो माध्यिका तथा माध्य के आधार पर निम्नांकित सूत्र के द्वारा बहुलक ज्ञात किया जा सकता है।

खण्डित श्रेणी (Discrete Series) :-खण्डित श्रेणी में बहुलक (Mode) ज्ञात करने की दो विधियाँ हैं

1.निरीक्षण विधि (Inspection Method):-इस विधि के अन्तर्गत बहुलक ज्ञात करना बहुत आसान होता है जिस मूल्य की आवृत्ति सबसे अधिक होती है वही मूल्य बहुलक होता है।

2.समहन विधि (Grouping Method) ह विधि निम्नांकित परिस्थितियों में प्रयुक्त की जाती है

(i) जब श्रेणी में दो या अधिक पद मूल्यों की आवृत्ति सबसे अधिक एवं बराबर होती है।

(ii) जब आवृत्तियों का केन्द्रीयकरण (concentration) उस मूल्य के पास न हो जिसकी आवृत्ति सबसे अधिक है बल्कि उस मूल्य के पास हो जिसकी आवृत्ति अपेक्षाकृत कम है। ।

(iii) जब श्रेणी में आवृत्तियों में उतार-चढ़ाव अधिक है। इस विधि से बहुलक निकालने के लिए दो क्रियाएँ करनी होती हैं :

(iv) जब सबसे बड़ी आवृत्ति या तो समंकमाला के प्रारम्भ में या अन्त में आयी हो।

(A) समूहन तालिका (Grouping Table)-इसमें पद मूल्य के अतिरिक्त आवृत्तियों के लिए 6 खाने होते हैं जो निम्नलिखित प्रकार से तैयार होते हैं

1st column में प्रश्न में दी गयी आवृत्ति लिखी जाती है।

2nd column में प्रारम्भ से दो-दो आवृत्तियों के जोड़ होते हैं।

3rd column में प्रथम आवृत्ति को छोड़कर दो-दो आवृत्तियों के जोड़ होते हैं।

4th column में प्रारम्भ से तीन-तीन आवृत्तियों के जोड़ होते हैं।

5th column में प्रथम आवृत्ति को छोड़कर तीन-तीन आवृत्तियों के जोड़ होते हैं।

6th column में प्रथम एवं द्वितीय आवृत्ति को छोड़कर शेष में तीन-तीन आवृत्तियों के जोड़ होते हैं।

इन सब खानों (columns) को बनाने के बाद प्रत्येक खाने की अधिकतम आवृत्ति (Highest frequency) को रेखांकित (underline) कर लिया जाता है।

(B) विश्लेषण तालिका (Analysis Table)-रेखांकित आवृत्तियों के सामने जो मूल्य आते हैं उन्हें विश्लेषण तालिका में खानेवार (columnwise) लिख लिया जाता है, जो मूल्य सबसे अधिक बार आया है वही बहुलक मूल्य होता है ।

बहुलक के दोष

(Demerits of mode)

1 यह माध्य श्रेणी के अति सीमान्त पदों को कोई महत्व नहीं देता है।

2. जब श्रेणी का वितरण अनियमित होता है तो इसे शुद्धता के साथ ज्ञात नहीं किया जा सकता है।।

3. यह माध्य श्रेणी के सभी पदों पर आधारित नहीं होता है।

4. यह माध्य बीजगणितीय निर्वचन के लिए उपयुक्त नहीं है।

5. यह प्राय: अनिश्चित एवं अस्पष्ट होता है ।

बहुलक की उपयोगिता (Utility of mode)

उपरोक्त सभी दोष होते हुए भी बहुलक का प्रयोग दैनिक जीवन तथा व्यापारिक क्षेत्र में अत्यधिक है। जब हम कहते हैं कि किसी परिवार के सदस्यों का औसत मासिक व्यय 200 रुपये है, कालर का औसत आकार 301 सेन्टीमीटर है, सैनिकों की औसत ऊँचाई 6 फुट है तो औसत से हमारा आशय सबसे अधिक आवृत्ति वाले मूल्य से है। व्यापारिक पूर्वानुमानों में बहुलक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । उद्योग एवं प्रशासन के क्षेत्र में बहुलक की सहायता से औसत उत्पादन ज्ञात किया जाता है जिसके आधार पर विभिन्न कारखानों एवं विभागों की कार्यकुशलता की तुलना की जाती है। इसी प्रकार किसी वस्तु के निर्माण के लिए बहुलक समय (modal time) के निर्धारण द्वारा उस वस्तु की लागत का पूर्वानुमान लगाया जाता है।

माध्यिका (M)

(Median)

मध्यिका किसी श्रेणी में वह पद मूल्य होता है जो उस समंक श्रेणी को दो बराबर भागों में इस प्रकार विभाजित करता है कि उसके प्रथम भाग के सभी पदों का आकार या मूल्य माध्यिका (median) से कम या बराबर तथा दूसरे भाग के सभी पदों का आकार या मूल्य माध्यिका से अधिक या बराबर होते हैं। संक्षेप में,माध्यिका वह केन्द्रीय मूल्य है जो समंक श्रेणी को दो बराबर भागों में बाँटता है, बशर्ते कि श्रेणी के पद मूल्य आरोही (Ascending) या अवरोही (Descending) क्रम में रखे गये हों।।

जैसे यदि 5 व्यक्तियों की मासिक आय क्रमश: 1500, 1600, 1750, 2000 तथा 2100 रु. है तो माध्यिका मुल्य 1750 रुपये होगा क्योंकि वह तीसरे व्यक्ति की मासिक आय है जो बिल्कुल मध्य में स्थित है जिसने तरफ दो व्यक्ति हैं जिनकी आय उससे कम है तथा दूसरी तरफ दो व्यक्ति हैं जिनकी आय उससे अधिक है।

माध्यिका का सगणना (Computation of Median) : सर्वप्रथम श्रेणी के पद मूल्यों को आरोही (Ascending) या अवरोही (Descending) क्रम में व्यवस्थित करते हैं । इसके बाद निम्नांकित सत्र का प्रयोग करते हैं

M = value of  the item

M = Value of Median number or size

n = Number of items.

इस सूत्र से माध्यिका संख्या या आकार ज्ञात होता है । इस आकार पर स्थित मूल्य ही माध्यिका होती है।

व्यक्तिगत श्रेणी (Individual series) :-व्यक्तिगत श्रेणी में माध्यिका ज्ञात करने के लिए निम्नांकित प्रक्रिया अपनानी पड़ती है

(i) श्रेणी के समस्त पदों को आरोही या अवरोही क्रम में रखा जाता है।

(ii) माध्यिका आकार ज्ञात किया जाता है।

(iii) माध्यिका आकार में आने वाले मूल्य माध्यिका ज्ञात किया जाता है।

Illustration 19

निम्नांकित समंकों से माध्यिका ज्ञात कीजिए

Find out the median from the following data :

20, 25, 18, 12, 15, 25, 28, 30, 10

Solution:- पदों को आरोही (Ascending) क्रम में रखने पर इस प्रकार स्पष्ट है कि 23.5 वें पद का मूल्य माध्यिका होगा। प्रस्तुत प्रश्न में 23 वें पद का मूल्य 13 है परन्तु 23.5 वें पद का मूल्य ज्ञात करना है । 23वें पद के बाद संचयी आवृत्ति द्वारा स्पष्ट है कि 33वें पद तक का मूल्य 14 हैं,अत:23.5 वें पद का मूल्य भी 14 होगा।

M= Rs. 14

सतत श्रेणी (Continuous series) :- सतत श्रेणी के अन्तर्गत माध्यिका ज्ञात करने के पहले संचयी आवृत्ति (cumulative frequency) मालूम करते हैं। यहाँ एक बात यह होती है कि माध्यिका संख्या या आकार (median size) ज्ञात करते समय कुल पद संख्या (n) में 1 नहीं जोड़ा जाना चाहिए अन्यथा आन्तरगणन द्वारा माध्यका का सही मूल्य ज्ञात नहीं होगा। अविच्छिन्न श्रेणी में माध्यिका संख्या ज्ञात करने के लिए (n/2) का ही प्रयोग करना चाहिए। इसका स्पष्ट कारण यह है कि सामान्य वितरणों (Normal Distributions) में, जो . अविच्छिन्न मूल्यों पर आधारित होते हैं, माध्यिका उस बिन्दु पर पायी जाती है जहाँ सामान्य वक्र (Normal curve) के अन्तर्गत स्थित क्षेत्रफल दो समान भागों में विभक्त होता है। यह बिन्दु कुल क्षेत्रफल में 2 से भाग देने पर ही 50% माध्यिका के एक तरफ तथा शेष 50% माध्यिका के दूसरी तरफ प्रदर्शित करेगा। अत:माध्यिका संख्या या आकार (n/2) वाँ पद होगी । अर्थात् median size (m) = Value of (n/2)th item. गणना की विधि

(i) सर्वप्रथम वर्गअन्तराल की आवृत्तियों से संचयी आवृत्ति (c.f.) ज्ञात करते हैं।

(ii) माध्यिका आकार (m) = value of (n/2)th item ज्ञात करते हैं।

(iii) माध्यिका आकार (m) तथा संचयी आवृत्ति का निरीक्षण करके माध्यिका वर्ग (Median Group) ज्ञात करते हैं। माध्यिका आकार (m) जिस संचयी आवृत्ति (c.f.) में शामिल होगा वहीं वर्ग अन्तराल माध्यिका वर्ग होगा।

(iv) माध्यिका वर्ग से निम्नांकित सूत्र का प्रयोग करके माध्यिका (Median) मालूम करते हैं :

माध्यिका का बिन्दुरेखीय प्रदर्शन

(Graphic Presentation of Median)

बिन्दुरेखीय रीति द्वारा माध्यिका को निम्नांकित दो तरीके से प्रदर्शित किया जा सकता है

1 संचयी आवृत्ति वक्र या ओ जाइववक्र (Cumulative Frequency Curve or Ogive Curve)इस रीति से माध्यिका ज्ञात करने के लिए पहले आवृत्तियों को संचयी आवृत्तियों में बदल लिया जाता है। फिर ग्राफ पेपर पर पद मूल्यों को अक्ष पर तथा संचयी आवृत्तियों को Y अक्ष पर लेकर वक्र की रचना की जाती है। यही वक्र संचयी आवृत्ति वक्र या ओजाइव वक्र कहलाता है। ओजाइव वक्र निम्न दो प्रकार के हो सकते हैं

A-Less than Ogive Curve – जब तालिका में आवृत्तियों का संचय ऊपर से नीचे की ओर होता है। B- More than Ogive Curve — जब तालिका में आवृत्तियों का संचय नीचे से ऊपर की ओर होता है।

यह ध्यान रहे कि ‘Less than Ogive Curve’ बनाते समय संचयी आवृत्तियाँ वर्गों की निचली सीमाओं पर प्रांकित की जाती है । इसी के विपरीत ‘More than Ogive Curve’ बनाते समय संचयी आवृत्तियाँ वर्गों की निचली सीमाओं पर प्रांकित होती हैं । वक्र की रचना करने के बाद आवृत्ति वितरण की कुल आवृत्तियों के योग N से माध्यिका आकार या संख्या ज्ञात कर ली जाती है | Y अक्ष पर चिन्हित करके वहाँ सेX अक्ष के समान्तर एक रेखा खींच लेनी चाहिए। यह रेखा जिस स्थान पर ओजाइव वक्र को स्पर्श करे वहाँ से एक लम्बवत् रेखा X अक्ष तक लानी चाहिए। मूल बिन्दु से यहाँ तक की दूरी माध्यिका होगी।

2. गाल्टन बिन्दुरेख (Galton Graph) :-गाल्टन नामक वैज्ञानिक ने माध्यिका को बिन्दुरेखीय रीति से ज्ञात करने की एक विधि बताई है । इस विधि के अनुसार चर मूल्यों कोX अक्ष पर तथा उनकी आवृत्तियों को Y अक्ष पर प्रांकित किया जाता है। प्रत्येक मूल्य की जितनी आवृत्ति होती है उतने ही बिन्दु उस मूल्य के माप के ऊपर Y अक्ष के माप के अनुसार ऊपर-नीचे बना लिए जाते हैं । अगले मूल्य के आवृत्ति बिन्दुओं के लिए पिछले मूल्य की। आवृत्ति का ऊपरी बिन्दु आधार माना जाता है । इस प्रकार बिन्दुओं को प्रांकित करने के बाद इन बिन्दुओं के बीच से होती हुई एक रेखा खींची जाती है । माध्यिका ज्ञात करने के लिए Y अक्ष से एक लम्ब वक्र तक खींचते हैं,जहाँ यह लम्ब वक्र को काटता है वहाँ से एक लम्बX अक्ष पर डाला जाता है। X अक्ष पर जहाँ यह लम्ब मिलता है वही माप माध्यिका होती है । व्यवहार में इस रीति का प्रयोग बहुत ही कम होता है । इसकी सहायता से चतुर्थक, दशमक,सतमक आदि भी ज्ञात किये जा सकते हैं।

माध्यिका की गणितीय विशेषता (Mathematical Property of Median)

माध्यिका की केवल एक ही गणितीय विशेषता है कि यदि माध्यिका से विभिन्न मूल्यों के (चिन्हो को ध्यान में रखे बिना) विचलनों का योग न्यूनतम होता है। उदाहरण के लिये 22, 18, 14, 10 और 6 का माध्यिका 14 है । चिन्हों को छोड़कर 14 से विचलन क्रमशः 8, 4, 0, 4, और 8 है अर्थात विचलनों का योग 24 है । यदि 13 से विचलन लिये जाये तो यह 9, 5, 1, 3,7 होंगे,जिनका योग अधिक अर्थात् 25 है।

माध्यिका के गुण (Merits of Median)

(i) माध्यिका की गणना क्रिया सरल जाती है।

(ii) माध्यिका के लिए श्रेणी के सभी पदों का होना आवश्यक नहीं है।

(iii) माध्यिका जन साधारण को आसानी से समझ में आ जाती है।

(iv) इसको बिन्दुरेखीय रीति द्वारा भी ज्ञात किया जा सकता है। ।

 

chetansati

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