BCom 3rd Year Financial Management Theories of Capital Structure Study Material Notes In Hindi

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BCom 3rd Year Financial Management Theories of Capital Structure Study Material Notes In Hindi

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Financial Management Theories
Financial Management Theories

BCom 1st Year Finnaical accounting notes in Hindi

पूँजी संरचना के सिद्धान्त

(THEORIES OF CAPITAL STRUCTURE)

पिछले अध्याय में हम अध्ययन कर चुके हैं कि पूँजी संरचना में ऋण पूँजी को सम्मिलित करने से समता अंशधारियों की प्रति अंश आय बढ़ती है परन्तु समता अंशधारियों को उपलब्ध आय की परिवर्तनशीलता एवं रोकड की उपलब्धता न होने के कारण दिवालिया होने की जोखिम भी बढ़ती हैं। इतना ही नहीं यदि एक निश्चित सीमा से अधिक ऋण पूँजी हो जाती है तो प्रति अंश आय में भी वृद्धि नहीं होगी। यदि ऋण एक निश्चित सीमा को पार करता है तो जोखिम तत्व सम्मिलित होने के कारण उधार देने वालों की अपेक्षाएं भी। बढ जाती हैं। इसी प्रकार पूँजी संरचना में ऋण पूँजी की अतिरिक्त धनराशि के कारण उत्पन्न जोखिम हेतु अंशधारी भी अपने विनियोग पर ऊँची प्रत्याय दर की माँग करेंगे। पूँजी संरचना में ऋण पूँजी की रकम का अधिक प्रवेश केवल फर्म के मूल्यांकन को ही कम नहीं करेगा बल्कि पूँजी की लागत में भी वृद्धि करेगा। परन्तु यह विचार सर्वमान्य रूप से स्वीकृत नहीं है।

इस सम्बन्ध में विभिन्न विचार व्यक्त किये गये हैं। वस्तुतः पूँजी संरचना सम्बन्धी निर्णय लेने से पूर्व पूँजी संरचना का संस्था की पूँजी की लागत एवं संस्था के मूल्य पर पड़ने वाले प्रभाव का ज्ञान होना आवश्यक है क्योंकि कोई भी संस्था पूँजी संरचना के उसी प्रारूप को चुनती है जिसमें संस्था की समस्त पूँजी लागत न्यूनतम हो तथा संस्था का कुल मूल्य अधिकतम हो।

पूँजी संरचना के सिद्धान्त पूँजी संरचना का संस्था की पूँजी की लागत एवं संस्था के मूल्य पर पड़ने वाले प्रभावों को स्पष्ट करते हैं। पूँजी संरचना के निम्नलिखित चार प्रमुख सिद्धान्त हैं

  1. शुद्ध आय विचारधारा (Net Income Approach)
  2. शुद्ध परिचालन आय विचारधारा (Net Operating Income Approach)
  3. परम्परागत विचारधारा (Traditional Approach)
  4. मोदीग्लियानी मिलर विचारधारा (Modigliani-Miller Approach)|

Theories of Capital Structure

(1) शुद्ध आय विचारधारा अथवा शुद्ध आय सिद्धान्त

(Net Income Approach or Net Income Theory)

पूँजी संरचना के इस सिद्धान्त का प्रतिपादन डेविड़ डूरान्ड द्वारा किया गया था। इस विचारधारा के अनुसार पूँजी संरचना में परिवर्तन से संस्था की पूँजी की लागत एवं संस्था का कुल मूल्य दोनों ही प्रभावित होते हैं। इस विचारधारा का आधार यह है कि कोई भी फर्म पूँजी संरचना में ऋण पूँजी की वृद्धि द्वारा फर्म के मूल्यांकन में वृद्धि कर सकती है एवं पूँजी की लागत को घटा सकती है। इसके विपरीत पूँजी संरचना में ऋण पूँजी की कमी द्वारा फर्म के मूल्यांकन में कमी कर सकती है एवं पूँजी की लागत में वृद्धि कर सकती है । इस सिद्धान्त के अनुसार किसी संस्था की अनुकूलतम पूँजी संरचना (ऋण पूँजी एवं समता अंश पूँजी का मिश्रण) वह होगी जहाँ पर संस्था की पूँजी लागत न्यूनतम हो एवं संस्था का कुल मूल्य अधिकतम हो । इसे स्थिर समता पूँजी लागत सिद्धान्त भी कहा जाता है।

मान्यताएँ-पूँजी संरचना की यह विचारधारा निम्नलिखित मान्यताओं पर आधारित है

(i) ऋण का प्रयोग विनियोक्ताओं की जोखिम मान्यता को परिवर्तित नहीं करता। परिणामस्वरूप

समता-पूँजीकरण दर एवं ऋण पूँजीकरण दर लीवरेज में परिवर्तन के साथ भी स्थिर रहती है। ।

(ii) समता पंजीकरण दर (समता पूँजी की लागत) से ऋण-पंजीकरण दर (ऋण पँजी की लागत) कम

होती है।

(iii) आयकर पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता अर्थात निगम आयकर नहीं होता। ।

इस विचारधारा के अनुसार फर्म का मूल्य एवं पूँजी की समग्र लागत अग्रलिखित सूत्र के द्वारा शात का जा सकती है

Value of Firm (V) = Market Value of Equity (S) + Market Value of Debt (B)

Market Value of Equity (S) = Net Income Available to Equity Shareholders (EBIT –

Equity Capitalisation Rate (K)

Weighted Average Cost of Capital or Overall Cost of Capital (Ko) EBIT x 100

यदि ऋण की लागत (Cost of debt) एवं समता पूँजी की लागत (Cost of equity capital)  पृथक-पृथक ज्ञात हो तो पूँजी की कुल लागत ज्ञात करने के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग करेंगे _

Illustration 1. अनमोल लि0 2 लाख रुपये की वार्षिक EBIT की प्रत्याश्रा कर रही है । कम्पनी के पास 8 लाख रुपये के 10% ऋण पत्र हैं । समता पूँजी की लागत या पूँजीकरण की दर 12.5% है । शुद्ध

आय सिद्धान्त के अनुसार आपको फर्म के कुल मूल्य की गणना करनी है । पूँजी की समग्र (कुल) लागत भी बताइये।

Anmol Ltd. is expecting an annual EBIT of Rs. 2 lakh. The Company has Rs. 8.0 Lakh in 10% debentures. The cost of equity capital or capitalisation rate is 12.5%. You are required to calculate the total value of the firm according to Net Income Theory. Also state the overall cost of capital.Illustration 2. आयुष लि० 2 लाख रुपये की वार्षिक EBIT की प्रत्याशा कर रही है। कम्पनी के पास 8 लाख रुपये के 10% ऋण पत्र है। समता पूँजीकरण दर 12.5% है। कम्पनी ने 10% ऋणपत्रों के निर्गमन द्वारा 2 लाख रुपये प्राप्त करने का निर्णय किया है एवं इस राशि का प्रयोग समता अंशों का शोधन करने में किया।

आपको शुद्ध आय सिद्धान्त के अनुसार फर्म के कुल मूल्य की एवं कुल पूँजी लागत की गणना करनी

Ayush Ltd. is expecting an annual EBIT of Rs. 2.00 lakh. The Company has Rs. 8.00 lakh in 10% debentures. The equity capitalisation rate is 12.5%. The company decides to raise Rs. 2.00 lakh by issue of 10% debentures and use the proceeds there of to redeem equity shares.

You are required to calculate the total value of the firm and also the overall cost of capital according to ‘Net Income Theory’.

Theories of Capital Structure

Illustration 3. एक कम्पनी अनुकूलतम पूँजी निर्धारित करना चाहती है। आप प्रदत्त निम्नलिखित चयनित सूचनाओं से शुद्ध आय सिद्धान्त के अनुसार पूँजी की अनुकूलतम संरचना निर्धारित कीजिये

A company wishes to determine the optimal capital structure. From the following selected information supplied to you, determine the optimal structure of the capital according to Net Income Theory’ :

Hence, overall cost of capital is lowest in situation 2. Therefore, situation 2 is optimal capital structure.

Note : Computation of Total Value of the firm is not possible in this question.

(2) शुद्ध परिचालन आय विचारधारा अथवा शुद्ध परिचालन आय सिद्धान्त

(Net Operating Income Approach or Net Operating Income Theory)

यद्यपि यह विचारधारा भी डूरान्ड द्वारा ही प्रतिपादित की गई है परन्तु यह सिद्धान्त शुद्ध आय सिद्धान्त के पूर्णत: विपरीत है। इस सिद्धान्त के अनुसार किसी फर्म की पूँजी संरचना में परिवर्तन का संस्था के कुल मूल्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है अर्थात् फर्म का मूल्य, फर्म की पूँजी संरचना से पूर्णतः स्वतन्त्र होता है। फर्म का मूल्य,शुद्ध परिचालन आय को समग्र या भारित औसत पूँजी की लागत के द्वारा पूँजीकरण करके ज्ञात किया जाता है । इस प्रकार शुद्ध परिचालन आय सिद्धान्त के अनुसार कोई भी पूँजी संरचना अनुकूलतम नहीं होती है।

मान्यताएँ-शुद्ध परिचालन आय सिद्धान्त निम्नलिखित मान्यताओं पर आधारित है

1.फर्म की कुल पूँजी को ऋण एवं समता पूँजी में विभाजित करना महत्वहीन है क्योंकि विनियोजकों द्वारा फर्म का मूल्यांकन समग्र रूप से किया जाता है।

2. पूँजी की कुल लागत (K.), ऋण एवं समता मिश्रण के सभी स्तर पर एक समान रहती है।

3. विनियोक्ता फर्म की कुल आय का पूँजीकरण करके फर्म का मूल्य ज्ञात करता है।

4 .ऋण पूंजी की लागत (ऋण पंजीकरण दर) स्थिर रहती है।

5. निगम कर अस्तित्व में नहीं होते हैं।

इस विचारधारा के अनुसार फर्म का मूल्य एवं समता का मूल्य ज्ञात करने के लिए निम्नलिखित सूत्रों का प्रयोग किया जाता है

इस विचारधारा को निम्नलिखित उदाहरण की सहायता से भली प्रकार समझा जा सकता है

Illustration 4. (अ) एक कम्पनी 2,00,000 रुपये की शुद्ध परिचालन आय की आशा करती है। इसके पास 10,00,000 रुपये के 6% ऋण पत्र है। समग्र पूंजीकरण दर 10% है। शुद्ध परिचालन आय विचारधारा के अनुसार फर्म के मूल्य का एव समता पूजीकरण दर की गणना कीजिए।

(a) A company expects a net operating income of Rs. 2,00,000. It has Rs. 10.00,000 6% Debentures. The overall capitalization rate is 10%. Calculate the value of the firm and the equity capitalization rate (cost of equity) according to the Net Operating Income Approach.

(ब) यदि ऋणपत्र 15,00,000 रुपये तक बढं जाता है तो फर्म के मूल्य एवं समता पूँजीकरण दर पर क्या प्रभाव होगा?

(b) If the debenture debt is increased to Rs. 15,00,000, what will be the effect on the value of the firm and the equity capitalisation rate?Theories of Capital Structure

Illustration 5.आयुष लि शुद्द परिकलन आय विचारधारा का अनुसरण करती है । कम्पनी का मानना है कि इसकी ऋण पूँजी की लागत एवं समग्र पूँजी लागत क्रमश :10% एवं 14% रहेगी । यदि समता अंशधारियों द्वारा 22% प्रत्याय की माँग की जाती है तो फर्म की पूँजी संरचना में ऋण एवं समता का क्या अनुपात होना चाहिए ? यह मानिये कि कोई कर नहीं हैं।

Ayush Ltd. follows the net operating income approach. The company believes that its cost of debt and overall cost of capital will remain at 10% and 14% respectively. If the equity sharcholders demanded a return of 22%. what should be the proportion of debt and equity in the firms capital structure ? Assume that there are no taxes.

ke =Ko+(Ko -Kd)B/s

The ratio of debt and equity in the capital structure of the firm should be 2:1.

(3) परम्परागत विचारधारा

(Traditional Approach)

पीछे हम स्पष्ट कर चुके हैं कि शुद्ध आय विचारधारा एवं शुद्ध परिचालन आय विचारधारा दो उच्चतम स्थितियों को प्रस्तुत करती हैं। शुद्ध आय विचारधारा के अनुसार पूँजी संरचना में ऋण पूँजी, पूँजी की समग्र लागत एवं फर्म के कुल मूल्यांकन दोनों को प्रभावित करती है जबकि शुद्ध परिचालन आय विचारधारा के अनुसार पूँजी संरचना में परिवर्तन के द्वारा फर्म का बाजार मूल्य प्रभावित नहीं होता है । वस्तुतः परम्परागत विचारधारा इन दोनों के बीच की विचारधारा है। यह आंशिक रुप से दोनों विचारधाराओं की विशेषताओं को निम्नलिखित प्रकार से सम्मिलित करती है

(अ) परम्परागत विचारधारा एवं शुद्ध आय विचारधारा यहाँ तक तो एक समान है कि फर्म की पूँजी संजना, पूँजी की लागत एवं फर्म के मूल्यांकन को प्रभावित करती है। परन्तु शुद्ध आय विचारधारा की यह बात स्वीकार नहीं करती कि लीवरेज की प्रत्येक मात्रा के साथ फर्म के मूल्य में अनिवार्य रूप से वृद्धि होगी।

(ब) यह शुद्ध परिचालन आय विचारधारा की यह बात मानती है कि लीवरेज की एक निश्चित मात्रा के पश्चात् पूँजी की समग्र लागत (Overall Cost of Capital) में वृद्धि के परिणामस्वरूप फर्म के कुल मूल्य में कमी आती है। परन्तु यह NOI विचारधारा से इस अर्थ में भिन्न है कि लीवरेज की सभी मात्राओं के लिए पूँजी की समग्र लागत एक समान नहीं रहेगी।

परम्परागत विचारधारा का मुख्य आधार यह है कि कोई फर्म ऋण एवं समता के न्यायपूर्ण मिश्रण द्वारा अपने कुल मूल्य में वृद्धि कर सकती है एवं पूँजी की समग्र लागत घटा सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कर लाभ के कारण अंशों के द्वारा कोष प्राप्त करने की तुलना में ऋण तुलनात्मक रूप से कोषों की प्राप्ति का सस्ता साधन है। लेकिन एक बिन्दु के पश्चात् ऋण के द्वारा कोषों की प्राप्ति से वित्तीय जोखिम होती है एवं जिसका परिणाम ऊँची समता पूँजीकरण दर के रूप में होता है। इस प्रकार पूँजी संरचना में ऋण का भाग एक बिन्दु तक फर्म के मूल्य को लाभकारी रूप में प्रभावित करेगा, परन्तु उस बिन्दु के पश्चात् ऋण का प्रयोग फर्म के मूल्य को प्रतिकूल रुप में प्रभावित करेगा। अतः ऋण-समता मिश्रण के इस स्तर पर अनुकूलतम पूँजी संरचना होगी। अन्य शब्दों में, अनुकूलतम पूँजी संरचना के स्तर पर ऋण एवं समता पूँजी की मिश्रित या औसत लागत न्यूनतम होगी।

इस विचारधारा को निम्नलिखित उदाहरण की सहायता से भली प्रकार समझा जा सकता है

Illustration 6.

दिया हुआ है (It is given that) :                                                                           Rs.

शुद्ध परिचालन आय (Net Operating Income)                                              1,00,000

कुल विनियोग (Total Investment)                                                               5,00,000

समता पूँजीकरण दर (Equity Capitalisation Rate) :

(a) यदि फर्म कोई ऋण उपयोग नहीं करती (If the firm uses no debt)           10%

(b) यदि फर्म 2 लाख रुपये के ऋणपत्र उपयोग करती है

(If the firm uses Rs. 2,00,000 debentures)                                          11%

(c) यदि फर्म 3 लाख रुपये के ऋण पत्र उपयोग करती है

(If the firm uses Rs. 3,00,000 debentures)                                        13%

यह मानिए कि 2,00,000 रुपये के ऋण पत्र 5% ब्याज पर एवं 3,00,000 रुपये के ऋण पत्र 6% ब्याज पर जारी किये जा सकते हैं।

Assume that Rs. 2,00,000 debentures can be raised at 5% rate of interest whereas Rs 3,00.000 debentures can be raised at 6% rate of interest.

परम्परागत विचारधारा के अनुसार फर्म के मूल्य, अंशों के मूल्य एवं पूँजी की औसत लागत की गणना कीजिए ।

Calculate the market value of the firm, value of shares and the average cost of capital according to the ‘Traditional Approach

Theories of Capital Structure

Comments :

It is clear from the above that if debt of Rs. 2,00,000 is used, the value of the firm increases and the overall cost of capital decreases. But, if more debt is used to finance in place of equity, i.e., Rs. 3,00,000 debentures, the value of the firm decreases and the overall cost of capital increases.

Illustration 7. एक कम्पनी हेतु सर्वाधिक वांधित पूँजी के विचार के लिए ऋण समता मिश्रण के विभिन्न स्तरों पर कर के पश्चात् ऋण एवं समता पूँजी की लागत के निम्नलिखित अनुमान किये गये हैं

In Considering the most desirable capital for a company, the following estimates of the cost of debt and equity capital (after tax) have been made at various levels of the debt-equity mix :

Debts as % of Total         Cost of debt                       Cost of equity

Capital employed                   %                                         %

0                                  7.0                                    15.0

10                                 7.0                                    15.0

20                                7.0                                     15.5

30                                 7.5                                     16.0

40                                 8.0                                      17.0

50                                 8.5                                      19.0

60                                 9.5                                      20.0

 

आपको पूंजी की मिश्रित लागत की गणना द्वारा कम्पनी हेतु अनुकूलतम ऋण समता मिश्रण का निधारण करना है।

You are required to determine the optimal debt-equity mix for the Company by calculating the Composite Cost of Capital.

It can be seen from the above that the Composite Cost of Capital is minimum i.e. 13.40% when capital structure is as below :

40%               Debt

60%              Equity

100%

Hence this is the optimal debt-equity mix.

Theories of Capital Structure

(4) मोदीगिलियानी-मिलर विचारधारा

(Modigliani-Miller Approach)

यह विचारधारा शुद्ध परिचालन आय विचारधारा के समान है। इस सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना निम्नलिखित दो स्थितियों में की जा सकती है

(अ) निगम करों की अनुपस्थिति में मोदी गिलयानी मिलर सिद्धान्त (Modigliani Miller Theory in the Absence of Corporate Taxes)-निगम करों की अनुपस्थिति में मोदी गिलयानी मिलर सिद्धान्त शुद्ध परिचालन आय सिद्धान्त के समान है । NOI विचारधारा इस बात का कोई क्रियात्मक औचित्य प्रदान नहीं करती कि पूँजी संरचना का फर्म के मूल्य से कोई सम्बन्ध नहीं है जब कि मोदीगिलियानी-मिलर विचारधारा फर्म के कुल मूल्यांकन एवं पूँजी की लागत का पूँजी संरचना से स्वतन्त्रता का आधार प्रदान करती है। मोदीगिलियानी मिलर ने अपने तर्क को सही सिद्ध करने के लिए आर्बिट्रेज प्रक्रिया का प्रयोग किया है। आर्बिटेज का आशय लाभ कमाने की दृष्टि से समान वस्तु का एक ही समय में दो अलग-अलग बाजारों में खरीदना व बेचना है। यह प्रक्रिया उस समय तक चलती रहती है जब तक कि सन्तुलन प्राप्त न हो जाये। उदाहरण के लिए, एक वस्तु ‘अ’ ‘एक्स’ बाजार में 50 रुपये पर उपलब्ध है और वही वस्तु ‘वाई’ बाजार में नरुपये पर उपलब्ध है। इन दोनों बाजारों में कीमत अन्तर आर्बिटेज प्रक्रिया को जन्म देगा। ऐसी स्थिति में सवस्त को ‘एक्स बाजार से 50 रुपये में खरीदकर ‘वाई’ बाजार में 75 रुपये में बेचना चाहेंगे ताकि 25 पये का लाभ कमा सकें। धीरे-धीरे ऐसा करने वालों की संख्या बढ़ती ही जाएगी। वस्तुतः ऐसी स्थिति में वस्त्र की माँग बढ़ती जायेगी एवं वाई बाजार में वस्तु की पूर्ति बढ़ती जायेगी। इसका प्रभाव एक्स बाजार में कीमत में कमी एव एक्स बाजार में कीमत में वृद्धि होगा। एक साथ ही क्रय एवं विक्रय की र प्रकिया उस समय तक चलती रहगा जब तक कि दोनों बाजारों में कीमत एक समान न हो जाये। यह तो अब्रिट्रेज की प्रकिय वस्तु बाजार से सम्बन्धित है । एम० एम० अपने तर्क को इसी ढंग से उचित ठहराते हैं। इस सिद्दान्त के अनुसार पूँजी संरचना के अतिरिक्त अन्य दृष्टि से समान दो फर्मों की समग्र पूँजी लागत एवं फर्म का मूल्य आर्बिट्रेज प्रक्रिया के कारण अलग-अलग नहीं हो सकते हैं। आर्बिट्रेज से आशय किसी प्रतिभूति को कम मल्य वाले बाजार में खरीदने एवं अधिक मल्य वाले बाजार में बेचने की क्रिया से है। ऋण पंजी। समता पूँजी से सस्ती होती है तथा पूँजी संरचना में ऋण पूँजी के अधिक उपयोग से समता अंशधारियों की प्रत्याशा में वृद्धि के कारण समता पूँजी को लागत में वृद्धि होती है तथा इससे ऋण की कम लागत का लाभ समता पूँजी की अधिक लागत में वृद्धि से प्रति संतुलित (Offset) हो जाता है। इस प्रकार पूँजी संरचना में ऋण पूँजी का अधिक उपयोग समता पूँजी की लागत को प्रभावित करता है परन्तु फर्म की समग्र पूँजी लागत स्थिर रहती है। किसी फर्म की पूँजी संरचना में ऋण पूँजी का एक निश्चित सीमा से अधिक उपयोग करने पर संस्था की वित्तीय जोखिम बढ़ जाती है जिसके परिणामस्वरूप ऋण पूँजी की लागत बढ़ती है एवं समता पूँजी की लागत घटती है और इस प्रकार ऋण एवं समता पूँजी की लागतों का पुनः सन्तुलन हो जाता है। वस्तुतः यह सिद्धान्त इस मान्यता पर आधारित है कि फर्म के कुल मूल्य निर्धारण में फर्म की परिचालन आय मुख्य तत्व है।

इस विचारधारा की मुख्य मान्यताएँ निम्नलिखित हैं

1. पूंजी बाजार पूर्ण है। इसका अर्थ है

(अ) विनियोक्ता प्रतिभूतियों का क्रय एवं विक्रय करने के लिए स्वतन्त्र हैं।

(ब) जिन शर्तों पर फर्म प्रतिभूतियों को क्रय कर सकती है उन्हीं शर्तों पर बिना किसी प्रतिबन्ध

के विनियोक्ता क्रय कर सकते हैं।

(स) विनियोक्ताओं को पूर्ण जानकारी है ।

(द) विनियोक्ता विवेकपूर्ण व्यवहार करते हैं।

(य) व्यवहार लागत कोई नहीं है।

2. फर्मों को एक समान जोखिम वर्गों में विभाजित किया जा सकता है ।

3. सभी विनियोक्ता एक फर्म की शुद्ध परिचालन आय (NOI or EBIT) की मूल्यांकन की जाने वाली फर्म के मूल्य के साथ समान प्रत्याशा रखते हैं।

4. लाभांश भुगतान अनुपात 100% है। दूसरे शब्दों में कोई प्रतिधारित आय नहीं है।

5. कोई निगम कर नहीं है। यद्यपि यह मान्यता बाद में हटा दी गई है। किसी स्पष्ट सूचना के अभाव

में यही माना जायेगा कि कोई निगम कर नहीं है।

(ब) निगम करों की उपस्थिति में मोदीगिलियानी मिलर सिद्धान्त (Modigliani Miller Theory in the presence of Corporate Taxcs)- यदि निगम कर लगता है तो कर की गणना हेतु ऋण पर ब्याज की रकम को घटाने के पश्चात् ही कर लगता है । इसलिए ऋण की प्रभावी लागत, अनुबन्धित ब्याज की दर से कम हो जाती है। क्योंकि निगम कर एक वास्तविकता है, अत: मोदी गिलयानी मिलर ने 1963 में अपनी मूल विचारधारा को संशोधित किया तथा स्वीकार किया कि यदि निगम कर को ध्यान में रखा जाये तो फर्म का कुल मूल्य बढ़ जायेगा एवं पूँजी की लागत कम हो जायेगी अर्थात् पूँजी संरचना के अतिरिक्त अन्य दृष्टि से समान लीवर्ड फर्म का मूल्य अनलीवरड फर्म के मूल्य से सदैव अधिक ही रहेगा क्योंकि ब्याज, कर हेतु कटौती योग्य व्यय है जिसके परिणामस्वरूप ऋण पूंजी की प्रभावी लागत, अनुबन्धित ब्याज की दर से कम ही होगी। वस्तुतः लीवरड् फर्म का मूल्य अनलीवर्ड फर्म के मूल्य से उस राशि के बराबर अधिक होगा जो लीवरड फर्म में विद्यमान ऋण पूँजी की रकम को कर की दर से गुणा करने पर प्राप्त होगी। संक्षेप में, लीवर्ड एवं अनलीवर्ड फर्म के मूल्य के सम्बन्ध को निम्नलिखित प्रकार अभिव्यक्त किया जा सकता है

Illustration 8. राजा लि. के सम्बन्ध में निम्नलिखित सूचनाएँ उपलब्ध हैं

The following information is available about Raja Ltd. :

शुद्ध परिचालन आय (Net Operating Income)                  Rs. 6,00,000

कर दर (Tax Rate)                                                                    40%

ऋण पूँजी (Debt Capital)                                                     Rs. 8,00,000

ऋण पूँजी पर ब्याज दर (Interest rate on debt capital)           8%

सम्पूर्ण समता वाली कम्पनी के लिए पूँजीकरण दर 12.5% है । एम० एम० प्रतिमान के अनुसार फर्म के मूल्य की गणना कीजिए।

Capitalisation rate for an all equity company is 12.5%. Calculate the value of the firm according to M.M. Model.

Theories of Capital Structure

Illustration 9. ए. लि. तथा बी० लि. हर तरह से समान हैं सिवाय इसके कि ए. लि. अपनी पूँजी संरचना में ऋण का प्रयोग नहीं करती है जबकि बी० लि. की पूँजी संरचना में 5 लाख रुपये के 12 प्रतिशत ऋणपत्र हैं। यह मानिए कि मोदी गिलयानी मिलर की सभी मान्यताओं की पूर्ति होती है। निगम कर 50% है तथा सम्पूर्ण समता वाली कम्पनी के लिए पूँजीकरण दर 16% है। दोनों ही कम्पनियाँ अपनी 20 लाख रुपये की कुल सम्पत्तियों पर ब्याज एवं कर से पूर्व 18% अर्जित करती हैं। एम० एम० प्रतिमान के अनुसार दोनों कम्पनियों के मूल्यों की गणना कीजिये एवं दोनों कम्पनियों के लिए समग्र पूँजी लागत भी ज्ञात कीजिये।

A Ltd. and B Ltd. are identical in every respect except that A Ltd. does not use debt in its capital structure, while B Ltd. has Rs. 5 lakhs 12 percent debentures. Assume that all the M. M. assumptions are met. Both companies pay tax at 50%. Capitalization rate for an all-equity company is 16%. Both the firms earn 18% before interest and taxes on their total assets of Rs. 20 lakh. Calculate the value of both the companies according to M. M. model and also determine the overall cost of capital for both the firms.

Theories of Capital Structure

परीक्षोपयोगी प्रश्न

(Examination Questions)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(Long Answer Questions)

1 पूँजी संरचना से क्या आशय हैं पूँजी संरचना के सिद्धान्तों को संक्षेप में समझाइये ।

What is meant by Capital structure? Explain the theories of Capital Structure in brief.

2. पूँजी संरचना के शुद्ध आय सिद्धान्त एवं शुद्ध परिचालन आय सिद्धान्त को विस्तार से समझाइये।

Explain in detail the ‘Net Income Theory’ and Net Operating Income Theory of Capital Structure.

3. पूंजी संरचना की मोदीगिलियानी-मिलर विचारधारा की विस्तृत विवेचना कीजिये ।।

Explain in detail the Modigiliani-Miller approach of Capital Structure.

क्रियात्मक प्रश्न (Numerical Questions)

शुद्ध आय सिद्धान्त (Net Income Theory)

1 सरिता लि. 1,50,000 रुपये की वार्षिक EBIT की प्रत्याशा कर रही है। कम्पनी के पास 6 लाख रुपये। के 10% ऋण पत्र हैं। समता पूँजी की लागत या पूँजीकरण दर 12.5% है।शुद्ध आय सिद्धान्त के अनुसार आपको फर्म के कुल मूल्य की गणना करनी है। पूँजी की समग्र (कुल) लागत भी बताइये।

X Ltd is expecting an annual EBIT of Rs. 1,50,000. The Company has Rs. 6.0 lakh in 10% debentures. The cost of equity capital or capitalisation rate is 12.5%. You are required to calculate the total value of the firm according to ‘Net Income Theory’. Also state the Overall Cost of Capital

Ans. Total value of the firm Rs. 13,20,000 ; Overall Cost of Capital 11.36%.

2. एक्स लि. 1,50,000 रुपये की वार्षिक EBIT की प्रत्याशा कर रही है। कम्पनी के पास 6 लाख रुपये के 10% ऋणपत्र हैं। समता पूँजीकरण दर 5% है। कम्पनी ने 10% ऋणपत्रों के निर्गमन द्वारा 1,00,000 रुपये प्राप्त करने का निर्णय किया है एवं इस राशि का प्रयोग समता अंशों का शोधन करने में किया। आपको शुद्ध आय सिद्धान्त के अनुसार फर्म के कुल मूल्य की एवं कुल पूँजी लागत की गणना करनी है।

X Ltd. is expecting an annual EBIT of Rs. 1,50,000. The Company has Rs. 6.00 lakh in 10% debentures. The equity capitalisation rate is 12.5%. The company decides to raise Rs. 1,00,000 by issue of 10% debentures and use the proceeds thereof to redeem equity shares. You are required to calculate the total value of the firm and also the Overall Cost of Capital according to ‘Net Income Theory’.

Ans. Total value of the firm Rs. 13,40,000; Overall Cost of Capital 11.2%.

3. जैड़ लि.2,00,000 रुपये की वार्षिक EBIT की प्रत्याशा कर रही है। कम्पनी के पास 8 लाख रुपये के 10% ऋणपत्र हैं। समता पूँजीकरण दर 12.5% है। कम्पनी 2 लाख रुपये के अतिरिक्त अंशों का निर्गमन करके 2 लाख रुपये के ऋणपत्रों का शोधन करना चाहती है। आपको शुद्ध आय सिद्धान्त के अनुसार फर्म के कुल मूल्य की एवं कुल पूँजी लागत की गणना करनी

Z Ltd. is expecting annual EBIT of Rs. 2,00,000. The Company has Rs. 8.00 lakh in 10% debentures. The equity capitalization rate is 12.5%. The company desires to redeem debentures of Rs. 2.00 Lakh by issuing additional equity shares of Rs. 2.00 Lakh. You are required to calculate the value of the firm and the Overall Cost of Capital according to ‘Net Income Theory’.

Ans. Total Value of the firm Rs. 17,20,000; Overall Cost of Capital 11.6%.

4 एक कम्पनी की ब्याज एवं कर से पूर्व की आय 40,000 रुपये है । कम्पनी के पूँजी ढाँचे में ऋण तथा स्विटी दोनों हैं जिसमें 1,00,000 रुपये ऋण की राशि 16% ब्याज की दर पर उधारी के रूप में है। समान में कम्पनी की समअंश पूजी की लागत 12.5% है। शुद्ध आय उपगम को प्रयोग करते हए। कापनी का मल्य और पूंजी की कुल लागत ज्ञात कीजिए। यदि ऋण को 50,000 रुपये से बढ़ा दिया जा या कम कर दिया जाए तो कम्पना के मूल्य पर एव पूजा का कुल लागत पर शुद्ध आय उपगम के अनुसार क्या प्रभाव पड़ेगा?

A company has EBIT of Rs. 40,000. The contains debt as well as equity in which del rate of 16%. Presently the cost of equity capital of the rate  of Rs. 40,000. The capital structure of the company as equity in which debt is of Rs. 1,00,000 borrowed at the 16% Presently the Cost   cost of equity capital of the company is 12.5%. Find

out the total value of the company and the overall cost of capital using Net Income approach. If debt is increased or reduced by Rs. 50,000 what will the effect on value of the company and on overall cost of Capital as per Net Income

Approach.

Ans.

When Debt is                  When Debt is

Existing

Increased                         Reduced

Total Value of the Company           Rs.2,92,000                Rs. 2,78,000                 Rs. 3,06,000

Overall Cost of Capital                            13.7%                          14.39%                         13.07%

Theories of Capital Structure

5. गरिमा लिमिटेड के पास 10% वाले 5,00,000 रुपये के ऋणपत्र हैं । कम्पनी की सम्भावित शुद्ध वार्षिक आय कर एवं ब्याज से पूर्व 3,00,000 रुपये है। समता अंशों की पूँजीकरण दर 5% है। शुद्ध । आय सिद्धान्त के अनुसार परिकलित कीजिए

(अ) कम्पनी का वर्तमान कुल बाजार मूल्य एवं पूँजी की समग्र लागत,

(ब) यदि समता (Equity) में कमी करके ऋणपत्रों में 5,00,000 रुपये की वृद्धि की जाये तो कम्पनी

के कुल बाजार मूल्य की लागत पर प्रभाव, तथा

(स) यदि अंशों के निर्गमन द्वारा ऋण-पत्रों में 1,00,000 रुपये की कमी की जाये तो कम्पनी के कुल

बाजार मूल्य तथा पूँजी की लागत पर प्रभाव।

Grima Ltd. has 10% Debentures of Rs.5,00,000. The expected annual net income before interest and tax of the company is Rs. 3,00,000. The equity capitalization rate of the company is 12.5%. Compute according to ‘Net Income Theory’ :

(a) The existing total market value and the overall cost of capital of the company.

(b) The impact on total market value and overall cost of capital if the  management takes a decision to increase debentures of Rs. 5,00,000 by  reducing equity; and

(c) The impact on total market value and overall cost of capital in case, the management decides to reduce its debentures by Rs. 1,00,000 through issue of equity shares. 

Ans. (a) V = Rs. 25,00,000, Ko = 12%; (b) V = Rs. 26,00,000, Ko = 11-54%; (c) V= Rs.24,80,000,Ko = 12.1% approx.

6. एक कम्पनी अनुकूलतम पूँजी संरचना निर्धारित करना चाहती है। प्रदत्त निम्नलिखित चयनित सूचनाओं से शुद्ध आय सिद्धान्त के अनुसार पूँजी की अनुकूलतम संरचना निर्धारित कीजिये

A company wishes to determine the optimal capital structure. From the following selected information supplied to you, determine the optimal structure of the capital according to ‘Net Income Theory:

Situations                    Debt amount                     Equity amount                    After tax cot                      ke

Of Debt %                         %

Rs                                        Rs

1                                  4,00,000                              1,00,000                                    9                                 10

2                                  2,50,000                              250,000                                      6                                 11

3                                 1,00,000                               4,00,000                                     5                                14

Ans Overall cost of Capital – 9.2% , 12.2%

Hence , Situation 2 is optimal Capital Structure .

शुद्ध परिचालन आय सिद्धान्त (Net Operating Income Theory)

7. एक कम्पनी 4.00.000 रुपये की शद्ध परिचालन आय की आशा करती है। इसके पास 10.00,000 रुपये के 8% ऋण पत्र हैं। समग्र पूँजीकरण दर 10% है। शुद्ध परिचालन आय विचारधारा के अनुसार फर्म के मूल्य की एवं समता पूँजीकरण दर की गणना कीजिए।

(a) A company expects a net operating income of Rs. 4,00,000. It has Rs. 10,00,000 8% Debentures. The overall capitalization rate is 10%. Calculate the value of the firm and the equity capitalization rate (cost of equity)  according to the Net Operating Income Approach.

(ब) यदि ऋणपत्र ऋण 15.00.000 रुपये तक बढ़ जाता है तो फर्म के मूल्य एवं समता पूंजीकरण दर

पर क्या प्रभाव होगा?

(b) If the debenture debt is increased to Rs. 15,00,000 what will be the effect on the value of the firm and the equity capitalization rate ?

Ans. (a) V = Rs. 40,00,000 and Ke = 10.67% approx

(b) V = Rs. 40,00,000 and Ke = 11.2%.

8. सुरभि लि. की सम्भावित वार्षिक शुद्ध परिचालन आय ब्याज एवं कर पूर्व 2,50,000 रुपये है। ऋण की लागत 10% है तथा बकाया ऋण की राशि 5,00,000 रुपये है। कम्पनी की सम 16% है । शुद्ध परिचालन आय सिद्धान्त के अनुसार कम्पनी के कुल बाजार मूल्य तथा समता पूँजीकरण दर की गणना कीजिए

(अ) वर्तमान पूँजी-संरचना के लिए;

(ब) यदि कम्पनी निर्णय करती है कि 10% लागत वाले ऋण से 5,00,000 रुपये प्राप्त किये जायें तथा प्राप्त राशि से समता अंशधारियों को भुगतान कर दिया जाये; तथा

(स) यदि कम्पनी समता अंशों के निर्गमन द्वारा 2,50,000 रुपये के ऋण के शोधन का निर्णय करती

Surbhi Ltd. has an expected annual net operating income before interest and tax of Rs. 2,50,000. The cost of debt is 10% and the outstanding debt amounts to Rs. 5,00,000. The overall capitalization rate of the company is 16%. You are required to calculate total market value and the equity capitalization rate of the company according to ‘Net Operating Income Theory’.

(a) for present capital structure;

(b) if the company decides to raise a sum of Rs. 5,00,000 through debt at a cost of 10% and uses the proceeds to payoff the equity shareholders; and

(c) if the company decides to redeem debt worth Rs. 2,50,000 by issue of equity shares.

Ans. (a) V= Rs. 15,62,500, Ke = 18.82% approx; (b) V= Rs. 15,62,500 and Ke = 26.67% approx; (c) V= Rs. 15,62,500, Ke = 17.14%. परम्परागत सिद्धान्त (Traditional Theory)

Theories of Capital Structure

परम्परागत सिद्धान्त (Traditional Theory )

9. दिया हुआ है (It is given that) :

                                                                                                                   Rs

शुद्ध परिचालन आय (Net Operating Income)                                                              1,20,00

कुल विनियोग (Total Investment)                                                                               4,00,00

समता पूँजीकरण दर (Equity Capitalisation Rate) :

(a) यदि फर्म कोई ऋण उपयाग नहा करता (If the firm uses no debt                       10%

(b) यदि फर्म 2 लाख रुपये के ऋणपत्र उपयोग करती है

(If the firm uses Rs. 2,00,000 debentures)                                                        12.5%

(C ) यदि फर्म 3 लाख रुपये के ऋण पत्र उपयोग करती है।

(If the firm uses Rs. 3,00,000 debentures)                                                      16%

यह मानिए कि 2,00,000 रुपये के ऋण पत्र 6% ब्याज पर एवं 3.00,000 रुपये के ऋण पत्र 8% ब्याज दर पर जारी किये जा सकते हैं।

Assume that Rs. 2,00,000 debentures can be raised at 6% rate of interest whereas Rs.3.00,000 debentures can be raised at 8% rate of interest.

परम्परागत विचारधारा के अनुसार फर्म के बाजार मूल्य, अंशों के मूल्य एवं पूँजी की औसत लागत की गणना कीजिए।

Calculate the market value of the firm, value of shares and the average cost of capital according to ‘Traditional Approach’

Ans. (a) V = Rs. 12,00,000, Ko = 10%; (b) V = Rs. 10,64,000, Ko = 11.28% approx. (c) V = Rs. 9,00,000, Ko = 13.33%.

10 .एक कम्पनी हेतु सर्वाधिक वांछित पूँजी के विचार के लिए ऋण-समता मिश्रण के विभिन्न स्तरों पर कर के पश्चात् ऋण एवं समता पूँजी की लागत के निम्नलिखित अनुमान किये गये हैं

In Considering the most desirable capital for a company, the following estimates of the cost of debt and equity capital (after tax) have been made at various levels of the debt-equity mix :

Theories of Capital Structure

Debts as % of total                          Cost of Equity                              Capital employed

Cost of debt                                          %                                                             %

0                                                    6.0                                                   12.0

10                                                    6.0                                                   12.0

20                                                    6.0                                                   12.5

30                                                    6.5                                                   13.0

40                                                    7.0                                                   14.0

50                                                    7.5                                                   16.0

60                                                   8.5                                                    18.0

आपको पूँजी की मिश्रित लागत की गणना द्वारा कम्पनी हेतु अनुकूलतम ऋण समता मिश्रण का निर्धारण करना है।

You are required to determine the optimal debt-equity mix for the company by calculating the Composite Cost of Capital.

Ans. Composite Cost of Capital : 12.0%, 11.4%, 11.2%, 11.05%, 11.2%, 11.75%,  12.3%. 30% Debt and 70% Equity is the optimal debt-equity mix because in this

case the composite cost of capital is minimum i.e., 11.05%

मोदी गिलयानी मिलर सिद्धान्त (Modigliani-Miller Theory

11. कमल लि. के सम्बन्ध में निम्नलिखित सूचनाएं उपलब्ध है

The following information is available about Kamal Ltd :

शुद्ध परिचालन आय (Net Operating Income)                                              Rs. 5,00,000

कर दर (Tax Rate)                                                                                               50%

ऋण पूँजी (Debt Capital)                                                                               Rs. 10,00,000

ऋण पूँजी पर ब्याज दर (Interest rate on debt Capital)                                10%

सम्पूर्ण समता वाली कम्पनी के लिए पूँजीकरण दर 16% है। एम० एम० प्रतिमान के अनुसार फर्म के मूल्य की गणना कीजिए।

Capitalization rate for an all-equity company is 16%. Calculate the value of the firm according to M. M. Model.

Ans. Rs. 20,62,500.

12. राजा लि. तथा रानी लि. हर तरह से समान हैं सिवाय इसके कि पहली फर्म बिना उत्तोलक वाली है। जबकि बाद वाली फर्म उत्तोलक वाली है। रानी लि. में 10 लाख रुपये के 8% ऋणपत्र हैं। यह मानिए कि मोदी गिलयानी-मिलर की सभी मान्यताओं की पूर्ति होती है। निगम कर 40% है तथा सम्पूर्ण समता वाली कम्पनी के लिए पूँजीकरण दर 12.5% है। दोनों फर्मों की ब्याज व कर से पूर्व अर्जनें 5,00,000 रुपये वार्षिक हैं। एम० एम० प्रतिमान के अनुसार दोनों कम्पनियों के मूल्यों की गणना कीजिये एवं दोनों कम्पनियों के लिए समग्र पूँजी लागत भी ज्ञात कीजिये।

Raja Ltd. and Rani Ltd. are identical in every respect except that the former firm is unlevered while the latter firm is levered. Rani Ltd. has Rs. 10 lakhs 8% debenture outstanding. Assume that all the M. M. assumptions are met. Both companies pay tax at 40%. Capitalization rate for an all equity company is 12.5%. Both the firms have earning before interest and tax of Rs. 5,00,000 per annum. Calculate the value of both the companies according to M. M. model and also determine the overall cost of capital for both the firms.

Ans. Raja Ltd : Vu = Rs. 24,00,000, Ko = 12.5%%;

Raja Ltd : VL = 28,00,000, Ko = 10.71%.

  1. 13. दो कम्पनियाँ हैं, जो सभी बातों में एकसमान हैं केवल पूँजी ढाँचा के अलावा जैसा कि निम्न विवरण से अवलोकित हैं

There are two Companies which are identical in all respects except in terms of capital structure as can be observed from the details given below:

A Ltd. (Levered)                                  B Ltd. (Unlevered)

Rs.                                                           Rs.

EBIT                        2,00,000                                              2,,00,000

12.5% Debt            8,00,000                                                 Zero

Ke                                 20%                                                      16%

एम० एम० उपगम का प्रयोग करते हुए दोनों कम्पनियों का मूल्य ज्ञात कीजिए और व्याख्या कीजिए कि किस प्रकार ‘ए’ लि. में 10% अंश धारित करने वाला विनियोक्ता अपने विनियोग को ‘ए’ लि. से ‘बी’ लि. में परिवर्तित करके लाभ प्राप्त करेगा।

Calculate the values of both the companies using MM approach and explain as how an investor holding 10% shares of A Ltd. will be benefitted by switching over his investments from A Ltd. to B Ltd.

Ans. Total Value of A Ltd. : Rs. 13,00,000, B Ltd. : Rs. 12,50,000; Investor’s gainin switching = Rs. 10,800 – Rs. 10,000 = Rs. 800.

Theories of Capital Structure

chetansati

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