BCom 3rd Year Corporate Accounting Underwriting Study Material Notes in Hindi

Table of Contents

BCom 3rd Year Corporate Accounting Underwriting Study Material Notes in Hindi: Payment of Underwriting Commission  brokerage  Rates of Underwriting Commission Remuneration Managers Issue  Fees of the Managers to the Issue  Marked and Unmarked Applications  Statement of Liability of Underwriters Statement Showing Underwriting liability Entries in the Books the Company ( Important Notes )

 Underwriting Study Material Notes
Underwriting Study Material Notes

BCom 3rd Year Corporate Accounting Valuation Shares Study material Notes in hindi

अभिगोपन (Underwriting)

एक लोक कम्पनी जब अपने अंशों या ऋणपत्रों का निर्गमन करती है तो वह यह चाहती है कि उसका निर्गम जनता द्वारा पूर्ण आभदत्त (fully subscribed) हो। यदि कम्पनी अपने निर्गम पर न्यूनतम अभिदान (Minimum Subscription) भी नहीं प्राप्त कर पाती है तो उसे इन अंशों या ऋणपत्रों के आवंटन का अधिकार नहीं होगा तथा ऐसी परिस्थिति में उसे आवेदकों को उनका आवेदन राशि भी लीटानी पड़ेगी जिसके फलस्वरूप उसकी सारी योजना धराशाही हो जायेगी। यदि कम्पनी ने प्रथम बार अंशों का निगमन किया है तो न्यूनतम आवेदन राशि न प्राप्त होने पर उसे व्यापार प्रारम्भ करने का प्रमाण पत्र (Certificate of Commencement of Business) भी नहीं मिलेगा।

अतः न्यूनतम अभिदान सुनिश्चित करने तथा निर्गमन के झंझटों से बचने के लिये प्रायः कम्पनियाँ अपने अंशों व ऋणपत्रों के बिकवाने का दायित्व किसी दूसरे व्यक्ति, व्यक्तियों या संस्था को सौंप देती है जिन्हें अभिगोपक (Underwriters) कहते हैं। इस । प्रकार एक कम्पनी द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति या संस्था के माध्यम से अपने निर्गम का बिकवाना ही अभिगोपन (Underwriting) कहलाता है। कम्पनी तथा अभिगोपकों के बीच हुए समझौते को अभिगोपन प्रसंविदा (Underwriting Contract) कहते हैं। इस। समझौते के अन्तर्गत अभिगोपक निर्गमकर्ता कम्पनी को उसके अंशों या ऋणपत्रों के पूर्ण अभिदान की गारंटी देते हैं तथा न्यून अभिदान की दशा में जनता द्वारा न लिये गये अंशों या ऋणपत्रों को स्वयं लेते हैं। इस उत्तरदायित्व को वहन करने के प्रतिफल में जो पुरस्कार अभिगोपकों को दिया जाता है, उसे अभिगोपन कमीशन (Underwriting Commission) कहते है।

अभिगोपन कमीशन का भुगतान (Payment of Underwriting Commission)

अभिगोपन कमीशन अभिगोपकों और कम्पनी के बीच हुए प्रसंविदे के आधार पर निर्धारित किया जाता है। प्रसंविदे की शर्तों के अनुसार यह कमीशन अंशों या ऋणपत्रों के निर्गमन मूल्य (या अंकित मूल्य, यदि ऐसा समझौता है) के एक निर्दिष्ट प्रतिशत से नकदी में, अंशों या ऋणपत्रों में अथवा दोनों में ही दिया जा सकता है। कम्पनी की लेखा-पुस्तकों में इस प्रकार के व्यय को उसके अविभाजित लाभों से, भविष्य में लाभों से अथवा अंश प्रीमियम से अपलिखित किया जा सकता है तथा जब तक अपलेखन सम्भव न हो तब तक इसे चिट्ठे के सम्पत्ति पक्ष में “Miscellaneous Expenditures’ शीर्षक के अन्तर्गत दिखाया जाता रहेगा।

Underwriting Study Material Notes

कम्पनी अधिनियम 1956 की धारा 76 के अन्तर्गत अभिगोपन कमीशन के सम्बन्ध में निम्न प्रावधान हैं:

1. अभिगोपन कमीशन का भुगतान तभी सम्भव है जबकि यह कम्पनी के अन्तर्नियमों द्वारा अधिकत हो।

2. अभिगोपन कमीशन अंशों के निर्गमन मूल्य के 5% अथवा अन्तनियमों द्वारा अधिकृत दर, दोनों में जो भी कम हो, से अधिक नहीं दिया जा सकता है। ऋणपत्रों की दशा में यह कमीशन ऋणपत्रों के निर्गमन मूल्य के 27% अथवा अन्तर्नियमों द्वारा अधिकृत दर, दोनों में जो भी कम हो, से अधिक नहीं दिया जा सकता।

3. निजी तौरपर (Private placement) बेचे जाने वाले अंश या ऋणपत्रों पर (अर्थात् जिनके लिये जनता से अभिदान नहीं माँगा जाता है) कोई अभिगोपन कमीशन नहीं दिया जा सकता है।

4.देय कमीशन की दर या राशि कम्पनी के प्रविवरण या स्थानापन्न प्रविवरण, जैसी भी स्थिति हो, में प्रकट करनी होगी। निर्गमन मल्य’ का अभिप्राय अंशी या ऋणपत्रों के उस मूल्य से लगाया जाता है जो जनता से भुगतान स्वरूप मांगा जा रहा है। यदि इनका निर्गमन सम-मूल्य पर किया गया है तो सम-मूल्य, यदि प्रामियम पर किया गया है तो अंकित मल्य (Face Vane में। पीमियम जोडकर और यदि निर्गमन कटौती (Discount) पर किया गया है तो अंकित मूल्य में से कटौती घटाने के बाद निगमन मूल्य प्राप्त होता है।

दलाली (Brokerage) : कम्पनी द्वारा निर्गमित अंशों या ऋणपत्रों के बिकवाने के प्रतिफल में दलालों को देय पुरस्कार दलाली एक दलाल को उसके द्वारा बिकवाये गये अंशों या ऋणपत्रों पर एक निश्चित दर से दलाली मिलती है किन्तु न्युनअभिदान पर वह किसी प्रकार का दायित्व नहीं वहन करता हा दलाली किसी प्रकार का दायित्व नहीं बहन करता है। दलालों को दी जाने वाली दलाली थारा 76 के अन्तर्गत देय  अभिगोपन कमीशन के अतिरिक्त जोती है।

दलाली और अभिगोपन कमीशन का मध्य अन्तर यह है कि टलाली अंशी या ऋणपत्रों का जनता समन जना मया के लय दी जाती है जबकि अभिगोपन कमीशन पूर्ण अभिदान की गारंटी के लिये दिया जता है। अतः एक दलाल न्यून मिदान की जाखम से मुक्त होता है जांक एक अभिगोपक को अभिदान की कमी वाले अंश या ऋणपत्र स्वयं लेन होती है

अभिगोपन कमीशन, दलाली और निर्गम-प्रबन्धकों के पारिश्रमिक की दरें ।

Rates of Underwriting Commission, Brokerage and Remuneration of Managers to the issue)

वित्त मन्त्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के कन्ध विपणि सम्भाग द्वारा मई 7. 1985 को निगमित दिशानिर्देशों का पालन करते हुए अभिगोपन कमीशन, दलाली और निर्गम-मावस्यकों के पारिश्रमिक भुगतान की निम्न दर लागू है।

1 अभिगोपन कमीशन की अधिकतम सीमा (Maximum Limit of Underwriting Commission) :

                           अभिगोपकों को मिलने वाली     जनता द्वारा अभिदत्त राशियों।

                                      राशियों पर (प्रतिशत)              पर (प्रतिशत)

(अ) समता अंशों पर                        2.5                       2.5

(ब) पूर्वाधिकार अंशों, परिवर्तनीय और अपरिवर्तनीय ऋणपत्रों पर

(i) 5 लाख तक की राशियों के लिये           2.5                      2.5

(ii) 5 लाख से अधिक की राशियों के लिये   2                                  1

Underwriting Study Material Notes

नोट : प्रवर्तकों, कर्मचारियों, संचालकों, उनके मित्रों और व्यवसाय-साथियों द्वारा ली गयी राशियों पर कोई अभिगोपन कमीशन नहीं दिया जा सकता है।

2. दलाली की अधिकतम सीमा (Maximum Limit of Brokerage):

(i) औद्योगिक प्रतिभूतियों के सभी प्रकार के सार्वजनिक निर्गमों के लिये दलाली की दर 1.5% निश्चित की गई है, चाहे निर्गमा । अभिगोपित हो अथवा नहीं।

(ii) कम्पनी किसी दलाल को कोई डाक व्यय अथवा प्रचार व्यय का भुगतान नहीं करेगी।

(iii) निम्टेड कम्पनियाँ पूँजी के निजी तौर पर बेचने पर अधिकतम 0.5% की दर से दलाली दे सकती हैं।

(iv) प्रवर्तकों के कोटा, संचालकों, उनके मित्रों और कर्मचारियों तथा अधिकार निर्गम (Right Issue) के सम्बन्ध में कोई दन्नाली नहीं दी जा सकती है।

(v) विनीय संस्थाओं/बैंकों द्वारा अपने अभिगोपन वचनों को पूरा करने के लिये दिये गये आवेदनों अथवा कम अभिदान के कारण अभिगोषकों के रूप में उनके द्वारा ली गई राशियों पर दलाली नहीं दी जा सकती है।

3. निर्गमों के लिये प्रबन्धकों की फीस (Fees of the Managers to the Issues): ___ कम्पनियों एक या अधिक एजेन्सियों (Agencies) को निर्गमों के लिये प्रबन्धक नियुक्त करने के लिये स्वतंत्र होंगी किन्तु इन व्यक्तियों को दी जानेवाली फीस की कल राशि निम्नलिखित से अधिक नहीं हो सकती है।

(i) 5 करोड़ तक के निर्गमों के लिये : 0.5 प्रतिशत

(ii)5 करोड़ से अधिक राशियों के लिये : 0.2 प्रतिशत

निम्न के लिये इन्हें कोई फीस नहीं दी जा सकती है

(अ) वित्तीय संस्थाओं द्वारा ली जाने वाली राशियाँ और वित्तीय संस्थाओं को विनियोजक या अभिगोपक के रूप में मिलने वाली । राशियाँ।

(ब) पूँजी के प्रवर्तकों के कोटा, कर्मचारियों, संचालकों, उनके मित्रों और व्यवसाय-साथियों द्वारा ली गई राशियाँ

(स) राइट आधार पर अभिदत्त राशियाँ

Underwriting Study Material Notes

पूर्ण अभिगोपन और आंशिक अभिगोपन (Full or Complete Underwriting and Partial Underwriting) 

अभिगोपन पूर्ण हो सकता है अथवा आंशिक। यदि कम्पनी अपने कल निर्गम (issue) के अभिगोपन का प्रसंविदा करती है ता इसे ‘पूर्ण अधिकार’ (Full or Complete Underwriting) कहते हैं और यदि कम्पनी अपने कुल निर्गम के केवल एक भाग का

90.000 अशों के लिये आवेदन आये जिनमें चिन्हित फार्मों पर निम्न आवेदन थे।

Applications were received for 90.000 shares out of which following were marked:

Rama                     30.000

Krishna                   25.000

Shiva                     16.000

Brahma                   9.000

प्रत्येक अभिगोपक के दायित्व की गणना कीजिये।

Calculate the liability of each underwriter.

Unmarked Applications – Total Applications – Marked Applications

=90,000 – 80,000 = 10,000 shares

Alternative II – Giving credit for unmarked applications in the ratio of gross liability as reduced by marked applications:

उदाहरण 2. मेरठ लि 1,00,000 रु का पूँजी से निर्मित हुई जो 10 रु वाले 10,000 अंशों में विभाजित थी । ये सभी प्रविवरण द्वारा जनता को अभिदान के लिये प्रस्तावित किये गये। ये अंश अभिगोपकों द्वारा  निम्न प्रकार अभिगोपित थे ।
A             B           C

    40%       30%      30%

चिन्हित आवेदन A के पक्ष में 1,600 अश के B पश्र में 2,800 अशं और C के पक्ष में 1,600 पक्ष अंशों के लिये प्राप्त हुए ।

1,000 अंशों के आवेदन पक्ष अचिन्हित थे ।

प्रत्येक अभिगोपक का दायित्व निर्धारित करते हुए एक विवरण-पत्र बनाइये।

Meerut Ltd. was formed with a capital of Rs. 1,00,000 divided into 10,000 shares of Rs. 10 each. All these shares were offered for subscription by prospectus to public. The shares were underwritten as follows:

A             B           C

    40%       30%      30%

Marked applications were received in favour of A for 1.600 shares, B for 2,800 shares and C for 1.600 shares. Applications for 1,000 shares were unmarked.

Prepare a statement showing net liability of each underwriter.

Underwriting Study Material Notes

आंशिक अभिगोपन की दशा में अभिगोपकों के दायित्व का निर्धारण

(Determining Underwriters’ Liability in case of Partial Underwriting)

जब कुल निर्गम का एक भाग ही अभिगोपित होता है तो इसे आंशिक अभिगोपन कहते हैं। कुल निर्गम के जिस भाग का अभिगोपन नहीं हुआ है, उसके लिये स्वयं कम्पनी अभिगोपक होती है और इन अंशों या ऋणपत्रों को अपने प्रयासों से बेचती है । इस प्रकार के अभिगोपन में केवल चिन्हित आवेदन अभिगोपकों के प्रयास से प्राप्त हुए माने जाते हैं तथा अचिन्हित आवेदनों का क्रेडिट कम्पनी को मिलता है।

यदि केवल एक अभिगोपक है तो उसके दायित्व के निर्धारण के लिये उसके सकल दायित्व में से चिन्हित आवेदनों को घटाया जायेगा किन्तु उसका शुद्ध दायित्व जनता से अभिदान में कुल कमी तक ही सीमित रहेगा। उदाहरण के लिये, यदि अ ने सन लि० के 10.000 अंशों के निर्गम के 60% भाग का अभिगोपन किया है। कम्पनी ने 4.000 चिन्हित और 5,000 अचिन्हित आवेदन प्राप्त किये। इस दशा में अभिगोपक का दायित्व 2.000 अंश (60% of 10,000-4.000) का है किन्तु उसका शुद्ध दायित्व अभिदान में कल कमी अर्थात 10.000-9.000 = 1.000 अंशों से अधिक नहीं होगा। उसके दायित्व में यह कमी कम्पनी के अचिन्हित आवेदनों। के आधिक्य (40°of 10.000-5.000 = 1.000 shares) के कारण है।

यहाँ यह ध्यान रहे कि यदि प्रश्न में चिन्हित और अचिन्हित आवेदनों के सम्बन्ध में कोई पृथक-पृथक सूचना नहीं दी गई है तो कल आवेदनों को अभिगोपक और कम्पनी के बीच उनके सकल दायित्व के अनुपात में विभाजित किया जायेगा।।

यदि अभिगोपक दो या अधिक हैं तो उपर्युक्त की भांति ही प्रत्येक अभिगोपक का दायित्व उसके सकल दायित्व से उसके चिन्हित आवेदन घटाकर किया जायेगा। चिन्हित आवेदनों का आधिक्य, यदि कोई है, की राहत (relien सभी अभियो सकल दायित्व (अथवा चिन्हित अंश घटाकर बचा सकल दायित्व) के अनुपात में मिलेगी।

उदाहरण 3. पी लि० ने 10 रुपये वाले 1.20.000 अंशों का निर्गमन किया जिसका 80% अ, ब और स ने निम्न कर अभिगोपन किया :

और ब-50%                स-20%                     अ -30%

कम्पनी ने कुल 1.00.000 अंशों के आवेदन प्राप्त किये जिनमें से निम्न चिन्हित थे:

अ -20.000 अंश.           ब-30.000 अंश तथा              स-10,000 अंश

प्रत्येक अभिगोपक का दायित्व ज्ञात करो।

P Ltd, issued 1.20.000 shares of Rs. 10 each of which 80% was underwritten by A following manner

A-300                     B-50% and             C-20%

The company received applications for 1,00,000 shares in all, out of which marked applications were:

A-20.000 shares,             B–30,000 shares and              C-10,000

shares. Find out the liability of each underwriter.

Solution :

Total shares underwritten -80% of 1,20,000 = 96,000

Shares to be sold by P Ltd. itself= 1,20,000-96,000%D24,000

Unmarked Applications = 1,00,000-(20,000+ 30,000+ 10,000)= 40,000 shares

P Ltd’s excess=40.000-24,000 %D 16,000

Underwriting Study Material Notes

Statement Showing Underwriters’ Liability

Note : Relief for Co.’s excess applications may, alternatively, be given to A, B and C in proportion of balance left, i.e., 8,800 : 18.000: 9,200 or 22:45:23.

सुदृढ़ अभिगोपन (Firm Underwriting)

यदि अभिगोपकों ने अपने अभिगोपित अंशों में से कुछ अंश स्वयं क्रय करने का कम्पनी के साथ पूर्व अनुबन्ध किया है तो इसे सुदृढ़ अभिगोपन कहा जाता है। इस अनुबन्ध के अन्तर्गत अभिगोपकों को सुदृढ़ अभिगोपित अंश या ऋणपत्र अवश्य लेने होते हैं, जनता चाहे कितने ही अधिक आवेदन क्यों न करे। जनता से अभिदान में कमी की स्थिति में अभिगोपकों का कुल दायित्व कम अभिदान के कारण शुद्ध दायित्व और सुदृढ़ आवेदन का योग होगा। यहाँ यह ध्यान रहे कि सुदृढ़ आवेदन स्वयं अभिगोपकों द्वारा किये जाते हैं, अतः स्वाभाविक है कि उनके ये आवेदन चिन्हित ही होंगे। अतः जब तक प्रश्न में स्पष्ट न बतलाया गया हो, चिन्हित आवेदनों में सुदृढ़ आवेदन भी सम्मिलित माने जायेंगे।

कम अभिदान के लिये अभिगोपकों के दायित्व के निर्धारण में सुदृढ़ आवेदनों को अचिन्हित आवेदनों के साथ सम्मिलित करके इसका लाभ सभी आवेदकों को दिया जा सकता है, अथवा इन्हें प्रत्येक अभिगोपक के अपने-अपने चिन्हित आवेदनों के साथ सम्मिलित करके इसका लाभ व्यक्तिगत अभिगोपक को दिया जा सकता है। वस्तुतः यह अभिगोपन समझौते की शर्त पर निर्भर करता। है। यदि समझौते में प्रत्येक अभिगोषक को उसके “चिन्हित आवेदनों” के साथ-साथ “सुदृढ़ आवेदनों” की राहत का प्रावधान है तब तो सुदृढ़ आवेदनों को चिन्हित आवेदनों में सम्मिलित करना चाहिये अन्यथा इन्हें अचिन्हित आवेदनों में ही सम्मिलित किया जाय।

उदाहरण 4. रामा लि० की अधिकृत पूँजी 5,00,000 रु० है जो कि 50 रु० वाले अंशों में विभक्त है। कम्पनी ने 5,000 अंश 10 रु० प्रति अंश प्रीमियम पर अभिदान के लिये निर्गमित किये। सम्पूर्ण निर्गम इस प्रकार अभिगोपित था :

अ 3,000 अंश (सुदृढ़ अभिगोपन 500 अंश)

ब 1,500 अंश (सुदृढ़ अभिगोपन 200 अंश)

स 500 अंश (सुदृढ़ अभिगोपन 100 अंश)

कुल निर्गम में से सुदृढ़ अभिगोपन सहित 4,300 अंश अभिदत्त हुए। सुदृढ़ अभिगोपन के अतिरिक्त निम्नलिखित चिन्हित । आवेदन पत्र थे:

अ 1,600 अंश, ब 1,000 अंश और स400 अंश

प्रत्येक अभिगोपक के दायित्व की गणना करो।

Rama Ltd. has authorised capital of Rs. 5,00,000 divided into shares of Rs. 50 each. The company issued for subscription 5,000 shares at a premium of Rs. 10 each. The entire issue was underwritten as follows:

A 3.000 shares (firm underwriting 500 shares)

B 1.500 shares (firm underwriting 200 shares)

C 500 shares (firm underwriting 100 shares)

Out of the total issue. 4.300 shares including firm underwrite issue. 4.300 shares including firm underwriting were subscribed. The com the marked forms other than firm underwriting

A 1.600 shares. B 1.000 shares. and C 400 shares

Calculate the liability of each underwriter.

X Company Ltd. issued prospectus inviting applications for 15.000 shares. Whole of the above shares were underwritten by A. B and C in the following manner:

A-9,000 shares. B – 3,750 shares and C -2.250 shares. In addition to the above the underwriters signed a contract with the company for the following firm underwriting :A – 1,275 shares, B – 450 Shares and C- 1.425 shares. The company received applications for the purchase of 10,650 shares which included the following marked forms: A-1.500 shares, B-3.000 shares and C-750 shares.

Calculate each underwriter’s ultimate liability treating firm applications as unmarked.

Solution :

Total applications                                                                           10,650 shares

Less Marked applications (1.500 + 3,000 + 750)                 5,250 shares

Unmarked applications (including firm)                                        5,400

उदाहरण 6. जनता लि0 ने 10,000 अंश निर्गमित किये जो कि इस प्रकार अभिगोपित थे : अ 6,000 अशं , ब 2,500 अशं और स 1,500 अंश । अभिगोपकों के सृद्रढं अभिगोपन के लिये आवेदन इस प्रकार थे : अ 800 अश , ब 600 अंश और स 1,000 अंश

सुदृढ़ आवेदनों को छोड़कर किन्तु चिन्हित आवेदनों को सम्मिलित करते हुए कुल अभिदान 5,000 अंशों का था। चिन्हित आवेदन इस प्रकार थे : अ 1,000 अशं , ब 2,000 अंश और स 500 अंश ।

यह मानते हुए कि अभिगोपन समझौते में सुदृढ़ आवेदनों को “अचिन्हित” मानने तथा ‘अचिन्हित’ का क्रेडिट चिन्हित आवेदनों से कम करके मूल दायित्व के अनुपात में देने का प्रावधान है।

अभिगोपकों के दायित्व निर्धारित करो।

Janta Ltd. issued 10,000 shares which were underwritten as follows: A 6,000 shares, B 2,500 shares and C 1.500 shares. The underwriters made applications for firm underwriting as under:

A 800 shares, B 600 shares and C 1.000 shares.

The total subscriptions excluding firm underwriting but including marked applications were for 5,000 shares. The marked applications were as under:

A 1.000 shares, B 2,000 shares and C 500 shares.

Determine the liability of the underwriters assuming that underwriting agreement provides that firm applications will be treated as “unmarked” and that credit for “unmarked” will be given in proportion of original liability as reduced by the marked applications.

कम्पनी की पुस्तकों में लेखे (Entries in the Books of the Company)

आभगोपकों को कमीशन उनके द्वारा अभिगोपित अंशों पर कम्प

नी देती है – चाहे वे अंश या ऋणपत्र जनता ने क्रय किया अथवा न क्रय किये हों। अभिगोपन कमीशन कम्पनी का व्यय होता है जो पुँजी निर्गमन के सम्बन्ध में होता है। अतः इसे अशा अथवा ऋणपत्रों पर प्रीमियम से अपलिखित (Write ofm किया जाता है। यदि प्रीमियम नहीं है तो इसे लाभ-हानि खात स धारयार कई वर्षों में अपलिखित किया जाता है। जितनी राशि अभिगोपन कमीशन की अपलिखित करने से रह जाती है उसे प्रतिवष चिटक सम्पत्ति पक्ष में “Miscellaneous Expenditure” शीर्षक के अन्तर्गत दर्शाते हैं। उपरोक्त से सम्बन्धित लेखे निम्न प्रकार स किया जाते हैं

 (1) अभिगोपन कमीशन के देय होने पर :

Underwriting Commission Account                      Dr.         To Underwriters Account

(2) अभिगोपन कमीशन का भुगतान करने पर :

Underwriters Account

To Cash/Bank Account

To Share Capital Account (if shares issued)

To Debentures Account (if debentures issued)

To Share Premium Account (if shares issued at premium)

To Premium on Debentures Account (if debentures issued at premium)

(3) अगर जनता द्वारा अल्प-अभिदान (under-subscription) हुआ है तथा अंश या ऋणपत्र अभिगोपकों को आवंटित हुए हैं :

Underwriters Account                                            Dr.

To Share Capital Account

To Securities Premium Account (premium on shares) (if any)

To Debentures Account

To Securities Premium Account (premium on debentures) (if any)

(4) अभिगोपकों से उपर्युक्त (3) की राशि प्राप्त होने पर :

Bank Account                                                              Dr.

To Underwriters Account

नोट : यदि (2) प्रविष्टि न की जाय तो (1) और (3) के अन्तर से प्रविष्टि की जा सकती है। (5) अभिगोपन कमीशन की राशि अपलिखित करने पर :

Share Premium Account                                               Dr.

Or Profit and Loss Account                                           Dr.

To Underwriting Commission Account

उदाहरण 7. कृष्णा ने रामा कम्पनी लिमिटेड के 100 रुपये वाले 5,000 अंशों के नये निर्गमन काम5% तय हुआ जो नकदी में दिया जाता है। जनता ने केवल 3,000 अंशों के क्रय करने के लिये आहेत अभिगोपकों को लेने पड़े।

कम्पनी की पुस्तकों में रोजनामचा प्रविष्टियाँ दीजिये।

Krishna Underwrote the new issue of 5,000 shares of Rs. 100 each of Rama Company Ltd. The agreed commission was 5%, payable in cash. The public subscribed for 3,000 shares only and rest of the shared to be taken by the underwriters.

Give Journal Entries in the Books of the Company

उदाहरण 8. रहीम ने करीम कम्पनी लिमिटेड के 100 रु० वाले 8,000 अंशों के नये निर्गमन का अभिगोपन किया। अभिगोपन कमीशन 5% तय हुआ जिसका भुगतान 60% नकदी में तथा शेष पूर्णदत्त अंशों के द्वारा देय था। जनता ने केवल 5.200 अंशों के लिये आवेदन किया तथा शेष अंश रहीम को लेने पड़े, जो कि अभिगोपक था।

करीम लिमिटेड की पुस्तकों में रोजनामचा प्रविष्टियाँ दीजिये।

Rahim underwrote the new issue of 8,000 shares of Rs. 100 each of Karim Company Ltd. of Bareilly. The agreed commission was 5% payable as to 60% in cash and the remaining in fully paid shares. The public subscribed for 5.200 shares and rest of the shares had to be taken over by Rahim, the underwriter.

Give journal entries in the books of Karim Ltd. Solution :

उदाहरण 9. आशा तथा ऊषा लि० ने निम्न निर्गमन किया :

Asha and Usha Ltd. issued the following:

(1) 5.000 equity shares of Rs. 100 each at par.

(2) 4,000. 6% Preference shares of Rs. 100 each at a premium of 10%.

(3) 3.000.9%Debentures of Rs. 100 each at 10% discount.

राधा तथा गीता लि० ने समस्त निर्गमन को अभिगोपित करने का एक समझौता आशा तथा ऊषा लि० के साथ, 500 अशों पर कमीशन तथा 2% ऋणपत्रों पर कमीशन के लिये किया।

जनता ने निर्गमन का केवल 60% क्रय किया, शेष अभिगोपन प्रसंविदे के आधार पर अभिगोपकों को लेना पड़ा। यह मानते हुए कि समरत राशि प्राप्त हो गई, आशा और ऊषा लि० के० की पुस्तकों में रोजनामचा प्रविष्टियाँ कीजिये।

Radha and Geeta Ltd., a firm of underwriters, entered into an agreement  with Asha and Usha Ltd., to underwrite whole of the issue at 5% commission on shares and 2% on debentures.

The public subscribed only for 60% of the issue and the balance Was issued to the underwriters as per underwriting rules. Assuming that all the money was duly received,show the journal entries in the books of Asha and Usha Ltd.

Underwriting Study Material Notes

उदाहरण 10. Exports Ltd . का समामेलन 1 जनवरी 2004 को हुआ और उसके 10 रु वाले 50,000 समात अंशों का निर्गमन करने के लिए एक प्रविवरण प्रकाशित किया। समस्त निर्गमन निम्न प्रकार अभिगोपित था :

incorporated on January 1, 2004, issued a prospectus for issuing 50,000 Equity Shares of Rs. 10 each. The whole issue was underwritten as below:

Krishna                           20,000 Shares

Brij                              15,000 Shares

Dinesh                           10,000 Shares

Mahesh                           5,000 Shares

प्रार्थना पत्र 45,000 अंशों के लिये आए जिनमें से निम्न चिन्हित थे :

Applications were received for 45.000 Shares out of which following were marked

Krishna                            22.000 Shares

Brij                                9,000 Shares

Dinesh                             11.000 Shares

Mahesh                           1.000 Shares

अंश 10% प्रीमियम पर निर्गमित किए गए थे और अभिगोपन कमीशन निर्गमन मूल्य पर 5% तय था। आपको (i) आभगापका के व्यक्तिगत दायित्व की गणना करनी है तथा (ii) रोकड के लेखों सहित आवश्यक जर्नल लेखे दने हैं ।

Shares were issued at a premium of 10% and the Underwriting Commission was agreed at yo. You are required to calculate liability of each underwriter and (ii) give journal entries including for cash transactions.

उदाहरण 11. लिबा लि0 10 रु० वाले 20,00,000 समता अंशों के सम मूल्य पर निर्गम के साथ आयी। 5,00,000 अंश । प्रवर्तकों को निर्गमित किये तथा बराबर-बराबर जनता को प्रस्तुत किये, शेष को तीन अभिगोपकों आनन्द, विजय और अशोक ने। बराबर-बराबर अभिगोपित किया। प्रत्येक ने 50,000 अंशों का फर्म अभिगोपन किया। कुल अभिदान 12.97,000 अंशों का हुआ जिसमें चिन्हित फार्म अग्र प्रकार थे:

आंनन्द                           4.25.000 अशं

विजय                            4,50.000 अशं

अशोक                           3,50,000 अशं

अभिगोपकों ने फर्म अभिगोपन किये अंशों के लिये आनेदन भेज दिये । आवेदन और आंबटन पर क्रमश

2.50 रु और 2 रु देय था । तय किया कमीशन 2.5% था ।

निम्न के लिये संक्षिप्त जर्नल प्रविष्टियाँ कीजिये :

(अ) अभिगोपकों को अंशों का आवंटन।

(स) भुगतान और/अथवा प्राप्त की गयी शुद्ध रोकड़।

नोट : अचिन्हित आवेदनों को अभिगोपकों में बराबर-बराबर क्रेडिट करना है।

Libra Ltd. came up with an issue of 20,00,000 equity shares of Rs. 10 each at par. 5,00,000 shares were issued to the promoters and the balance offered to the public was underwritten by three underwriters Anand, Vijay and Ashok – equally, with firm underwriting of 50.000 shares each. Subscription totalled 12.97,000 shares including the marked forms which were :

Anand                            4,25,000 shares

Vijay                              4,50,000 shares

Ashok                             3,50,000 shares

The underwriters had applied for the number of shares covered by firm underwriting. The amount payable on application and allotment were Rs. 2.50 and Rs. 2 respectively. Ti agreed commission was 2.5%.

Pass summary journal entries for :

(a) the allotment of shares to the underwriters;

(b) the commission due to each of them; and

(c) the net cash paid and/or received.

Note : Unmarked applications are to be credited to the underwriters equally.

Underwriting Study Material Notes

अभिगोपकों के खाते (Accounts of Underwriters)

अभिगोपन व्यवसाय में लाभ-हानि ज्ञात करने के लिये अभिगोपकों के खाते दो प्रकार से रखे जा सकते हैं :

        1. अभिगोपकों की पुस्तकों में केवल एक खाता खोलना।

        2. अभिगोपकों की पुस्तकों में कई खाते खोलना।

1. जब अभिगोपकों की पुस्तकों में केवल एक खाता खोलना हो

(When only one account is to be opened in underwriters’ books)

इस विधि के अन्तर्गत अभिगोपकों की पुस्तकों में प्रत्येक निर्गम के लिये केवल एक खाता “अभिगोपन खाता” (Underwriting Account) खोला जाता है। अभिगोपन खाता की जगह इस खाते का नाम “Investment in Shares/Debentures of …… Co…Account” भी प्रयोग किया जाता है। यह खाता लाभ-हानि खाते की प्रकृति का होता है और अभिगोपन प्रसंविदे के अन्तर्गत लाभ-हानि दर्शाता है। इस खाते को तैयार करने की निम्न प्रक्रिया होगी :

(i) अंश या ऋणपत्र प्राप्त करना (Receiving Shares or Debentures) : जब एक अभिगोपक को अभिगोपन प्रसंविदे और/अथवा फर्म अभिगोपन के अन्तर्गत अंश या ऋणपत्र आवंटित किये जाते हैं तो निम्न प्रविष्टि की जायेगी :

Underwriting Account                             Dr. with the amount paid

To Bank Account

कभी-कभी निर्गमकर्ता कम्पनी अभिगोपकों से अभिगोपन किये गये सभी अंशों या ऋणपत्रों पर पूर्ण आवेदन राशि भुगतान की मांग करती है। ऐसी स्थिति में पहले तो अभिगोपक अभिगोपित अंशों पर पूर्ण आवेदन राशि भुगतान करेगा। तत्पश्चात् जनता से अभिदान की स्थिति स्पष्ट हो जाने पर उसे आवंटित किये गये अंशों या ऋणपत्रों पर आवेदन की आधिक्ष्य राशि को समायोजित करके ही आवंटन राशि का भुगतान करेगा।

(ii) अभिगोपन व्यय (Underwriting Expenses):

Underwriting Account                           Dr. with the amount of expenses paid

To Bank Cash Account

(iii) अभिगोपन कमीशन (Underwriting Commission) : अभिगोपन कमीशन समझात काश अंशों या ऋणपत्रों में भुगतान किया जा सकता है। अतः इसके लिये निम्न प्रविष्टियाँ की जायगा ।

Underwriting Study Material Notes

(i) Bank Account                               Dr. (with the cash received)

Underwriting Account                      Dr. (with the shares or debentures received)

To Underwriting Commission Account            (with the total commission)

(ii) Underwriting Commission Account         Dr. with the total of Commission Account

To Underwriting Account

यदि सम्पूर्ण कमीशन नकट प्राप्त किया जाता है तो निम्न एक प्रविष्टि की जा सकती है।

Bank Account                                  Dr. with the total commission received

To Underwriting Account

उपयुंक्त लेखों से स्पष्ट है कि जब अभिगोपन कमीशन अंशों या ऋणपत्रों के रूप में मिलता है तो यह अभिगोपन खाते के दाना। पक्षों में आता है; डेबिट पक्ष में अंशों या ऋणपत्रों की संख्या और राशि दोनों लिखे जाते हैं जबकि क्रेडिट पक्ष में केवल राशि ही। लिखी जाती है।

(iv) अंश या ऋणपत्रों में लेन-देन (Dealing in Shares or Debentures): अभिगोपक द्वारा प्राप्त किये गये अंश या अणपत्र उसका व्यापारिक स्कन्ध होता है और वह उन्हें उचित अवसर पर बेचता है। यदि इनके विक्रय से पूर्व इन पर कोई लाभांश या व्याज मिलता है तो इसे अभिगोपन खाते में क्रेडिट पक्ष में लिखा जायेगा। इसी तरह बोनस अंश प्राप्त करने पर अभिगोपन खाते के डेबिट पक्ष में प्राप्त बोनस अंशों की संख्या ही लिखी जाती है किन्तु अधिकार-अंश (Right Shares) प्राप्त करने पर डेबिट पक्ष में अंशों की संख्या तथा उन पर भुगतान की गई राशि दोनों ही लिखी जाती हैं।

अंश या ऋणपत्रों की बिक्री पर निम्न प्रविष्टि की जायेगी

Bank Cash Account                                        Dr. with the net sale proceeds

To Underwriting Account

सामान्यतया विक्रय किये गये अंशों या ऋणपत्रों पर लाभ की गणना नहीं की जाती है, अतः अवशेप रहे अंशों या ऋणपत्रों की लागत स्वतः ही घट जाती है किन्तु यदि अभिगोपक इन अंशों या ऋणपत्रों को दीर्घकाल तक रखने का इरादा रखते हैं और इनके मल्यों में गिरावट की सम्भावना नहीं है तो अंश या ऋणपत्रों के एक भाग के विक्रय पर लाभ को लाभ-हानि खाते में हस्तान्तरित किया जा सकता है।

Underwriting Study Material Notes

(v) अविक्रीत अंशों या ऋणपत्रों का मूल्यांकन (Valuation of unsold shares or debentures): लेखा-वर्ष की समाप्ति पर अभिगोपक के पास वचे अंशों या ऋणपत्रों का मूल्यांकन लागत या बाजार मूल्य, दोनों में जो भी कम हो, के आधार पर किया जाता है। लागत का यहाँ आशय औसत लागत से होता है। यदि बाजार मूल्य कम है तो अभिगोपन खाता हानि दर्शायेगा। अभिगोपन पर लाभ तभी आयेगा जबकि अंश या ऋणपत्रों के विक्रय से प्राप्त राशि कुल लागत को पूरा कर ले। कुल लागत को वसूल कर लेने के पश्चात यदि कछ अंश या ऋणपत्र शेष हैं तो इन्हें अभिगोपन खाते के क्रेडिट पक्ष में शून्य लागत पर दिखलाया जायेगा।

उदाहरण 12. नकदी में देय 2% कमीशन के प्रतिफल में रमेश बी लिमिटेड के 10 रु० वाले 10.000 संभों करता है। जनता ने केवल 9,000 अंश लिये तथा शेष अंश रमेश को लेने पड़े। उसके व्यय 100 रु० हुए। वर्ष के अन्त में जब वह अपने खाते बंद करता है तो उस समय तक एक भा अश की बिका नहीं हुइ तथा उस तिथि पर अंश का बाजार मलयन 20 पति अंश था। अगले वर्ष में रमेश न200 अश 10 रु० प्रति अंश का दर पर वेंच तथा उस वर्ष की अन्तिम तिथि का बाजार मूल्य 8 रु० प्रति अंश था। तृतीय वर्ष में अभिगापक ने अपने सभी अंश 7 रु० प्रति अंश की दर से बेचे। रमेशश की पुस्तकों में तीन वर्षों के लिये अभिगोपन खाता बनाइये।

Ramesh underwrites an issue of 10.000 shares of Rs. 10 cach of Bitd for 9 000 shares only and Ramesh has to take up commission of 2% payable in cash. The public subscribed for 4,000 shares only and Ramesh the remaining shares. His expenses amount to Rs. 100. When he closes his accou were sold and market value on that date was Rs. 7.50 pe value on that date was Rs. 7.50 per share. Next year Ramesh sold 800 shares at the Recharge and the market value of the share on the last date of that year was Rs. 8 per share in Third wear the underwriter sells all the remaining shares at the rate of Rs. 7 per share. She Underwriting Account for all the three years in the books of Ramesh.

उदाहरण 13. A Ltd. ने 100 रु० वाले 10,000 पूर्वाधिकार अंश और 10 रु० वाले 1.00.000 समता अंश जनता को तथा 10 रु० वाले 4,00,000 समता अंश विक्रेताओं को निर्गमित किये। निर्गम के 50% का अभिगोपन एक्स ने 5% कमीशन पर किया। इस कमीशन का 1% विक्रेताओं के अंशों में से आवंटित किया तथा शेष नकद में भुगतान होगा। जनता ने प्रत्येक वर्ग का 60% अभिदत्त किया। अभिगोपक ने अपना भाग लिया और पूर्वाधिकार अंशों को 75 रु० प्रति अंश की दर पर तथा समता अंशों को 12.50 रु० की दर पर बेचा। बाद में उसने कमीशन के रूप में प्राप्त अंशों को 30 रु० प्रति अंश की दर से बेचा। सभी लेन-देन एक ही वित्तीय वर्ष के अन्तर्गत हए। अभिगोपन के व्यय 5,000 रु० हैं। एक्स की पुस्तकों में अभिगोपन खाता दिखलाइये।

A Ltd. issued 10,000 preference shares of Rs. 100 each and 1,00,000 equity shares of Rs. 10 each to the public and 4,00,000 equity shares of Rs. 10 each to the vendor. X underwrites 50 per cent of the issue in consideration of commission at the rate of 5 percent, 1 percent of such commission to be allotted out of the vendor’s shares and the remainder to be paid in cash. The public subscribed for 60 per cent of each class. The underwriter took up his proportion, and sold the preference shares at the rate of Rs. 75 per share and equity shares at Rs. 12.50. Later on he sold equity shares received as commission at Rs. 30 per share. All the transactions took place within the same financial year. Expenses of underwriting are Rs. 5,000. Show underwriting account in the books of X.

Underwriting Study Material Notes

उप-अभिगोपन (Sub-Underwriting)

जब अभिगोपक यह समझता है कि उसने अपने ऊपर अत्यधिक जोखिम ले ली है तो वह निर्गम के कुछ भाग को किसी दूसरे अभिगोपक से उप-अभिगोपित करा लेता है और इस सेवा के लिये वह उप-अभिगोपक को कमीशन देता है। यहाँ ध्यान रहे कि उप-अभिगोपक का प्रसंविदा मुख्य अभिगोपक और उप-अभिगोपक के बीच होता है, कम्पनी इस प्रसंविदे का कोई पक्ष नहीं होती।

अतः उप-जामगापक अपना कमाशन मुख्य अभिगोपक से प्राप्त करता है तथा इसे मख्य अभिगोपक के अभिगोपन खाते मडाबाट । किया जाता हा इसी तरह वह अपने हिस्से के अ-अभिदत्त भाग (Unsubscribe I portion) को मुख्य अभिगापक सहा प्राप्त करता है। यहाँ यह ध्यान रहे कि उप-अभिगोपक को आवंटित अंशों या ऋणप पर आवेदन और आवंटन राशि तो मुख्य अभिगोपक प्राप्त करता है और इन्हें अभिगोपन खाते के क्रेडिट में लिखा जाता है लन्त आवंटन के बाद की याचनाये साथ कम्पना को ही भेजी जायेगी।

ओवरराइडिंग कमीशन (Overriding Commission)

यह एक अतिरिक्त कमीशन होता है जो कम्पनी द्वारा मुख्य अभिगोपक को उप-अभिगोपक की व्यवस्था करने की सेवा के लिये दिया जाता है। यह कमीशन मुख्य अभिगोपक द्वारा अभिगोपित सम्पूर्ण अंश या ऋणपत्र राशि पर एक निश्चित प्रतिशत से निकाला जाता है तथा अभिगोपन खाते के क्रेडिट पक्ष में अभिगोपन कमीशन के साथ ही दिखाया जाता है। ध्यान रहे कि कम्पनी अधिनियम की धारा 76 में निर्धारित अभिगोपन की अधिकतम सीमा में ओवरराइडिंग कमीशन भी सम्मिलित होता है। ओवरराइडिंग कमीशन कम्पनी द्वारा उप-अभिगोपित अंशों या ऋणपत्रों पर मुख्य अभिगोपक को देय कमीशन तथा मुख्य अभिगोपक द्वारा उप-अभिगोपक का देय कमीशन का अन्तर माना जाता है।

उदाहरण 14. X ने Y लिमिटेड के साथ उसके 10 रुपये वाले 7.500 अंश 4% कमीशन पर अभिगोपन का अनुबन्ध किया। उसने दूसरा अनुबन्ध Z के साथ 1,500 अंशों को 2% कमीशन पर उप-अभिगोपन कराने के लिये किया। जनता ने केवल 3.000 अंश क्रय किये तथा शेष अंश X ने लिये, जिसने उन्हें 9 रुपये प्रति अंश की दर से बेच दिये। अभिगोपन के व्यय 6.000 रुपये हुये।X की पुस्तकों में अभिगोपन खाता तैयार कीजिये।

X enters into a contract with Y Ltd. to underwrite its 7.500 shares of Rs. 10 each in consideration of a commission of 4%. He also enters into a second contract with Z to sub-underwrite 1,500 shares of Y Ltd, at a commission of 2%. The public subscribes for 3,000 shares only and subsequently the shares are taken up by X who sells his shares at Rs. 9 each. The expenses of underwriting were Rs. 600. Prepare an underwriting account in the books of X.

उदाहरण 15. ए लि० ने 10 रुपये वाले 30,000 अंश जनता से अभिदान करने के लिये प्रस्तुत किये। पी ने उपरोक्त प्रस्तुति का 80% अभिगोपन किया। अंशों पर 2.50 रुपये प्रार्थना पत्र पर, 5 रुपये आवंटन पर तथा शेष मांग पर देय था। अभिगोपन अनुबन्ध 3% कमीशन के लिये किया गया। पी ने पुनः एक समझौता क्यू के साथ निर्गमन का 10% उप-अभिगोपन के लिये किया जिस पर कमीशन 27% था।

जनता ने 13,500 अंशों के लिये आवेदन किया। पी ने अभिगोपित अंशों पर प्रार्थना-पत्र की राशि अग्रिम दे दी थी। वर्ष के अन्त में अंशों का बाजार मूल्य 9.70 रुपये आँका गया।

आप पी की पुस्तकों में ‘अभिगोपन खाता’ बनाइये।

ALtd. offered 30,000 shares of Rs. 10 each for subscription. P underwrote 80% of the above offer. The amount payable on shares was Rs. 2.50 on application, Rs. 5 on allotment and balance on call. Underwriter is entitled for a commission of 3% on shares underwritten. Mr. P again entered into an agreement with to sub-underwrite 10% of the issue at a commission of 272%.

The public applied for only 13,500 shares. Underwriter P paid application money in advance on the shares underwritten by him. At the close of the year, market value of shares was Rs. 9.70 per share.

You are required to show underwriting account in the books of PDF

Underwriting Study Material Notes

नोट : सामान्यतया अभिगोपन में प्राप्त अंशों के कुछ भाग के बेचे जाने पर तब तक लाभ नहीं दिखाया जाता है जब तक कि कुल भुगतान राशि वसूल न हो जाये किन्तु यदि अभिगोपक का इरादा इन्हें दीर्घकाल तक रोके रखने का है तो 2,000 अंशों के विक्रय पर लाभ को लाभ-हानि खाते में हस्तान्तरित कर दिया जायेगा। इस स्थिति में अंशों की औसत लागत की गणना निम्न प्रकार से की जायेगी

Average cost of total shares acquired =    0 Rs. 8.5536 per share

8,000 – 2,400

चूँकि अंशों का बाजार मूल्य औसत लागत से कम है, अतः इस स्थिति में बचे 3,600 अंश 8 रु० की दर से मूल्यांकित किये जायेंगे और अभिगोपन खाते का शेष 700 रु० लाभ होगा जिसे लाभ-हानि खाते में हस्तान्तरित किया जायेगा।

उदाहरण 17. एक्स कम्पनी ने 100 रुपये वाले 20,000 ऋणपत्र जनता में अभिदान के लिए प्रस्तुत किए। वाई ने इन ऋणपत्रों के निर्गम का 80% 10% कमीशन तथा % अतिरिक्त कमीशन पर अभिगोपन किया। इस निर्गम का 25 रुपये प्रार्थना पत्र पर. 50 रुपये आवंटन पर तथा शेष माँग पर देय था। 1.5% कमीशन पर निर्गम के 10% के लिये जैड के साथ उप-अभिगोपन का समझौता किया गया।

जनता ने केवल 9.000 ऋणपत्रों के क्रय के लिये आवेदन किया। अभिगोपित ऋणपत्रों पर आवेदन राशि का भुगतान अग्रिम में होना था। वर्ष के अन्त में ऋणपत्रों का 97.50 रुपये प्रति ऋणपत्र की दर से बाजार मूल्य पाया गया। ।

X Company offered for public subscription 20,000 Debentures of Rs. 100 each. Y, the underwriter underwrote 80% of the issue at a commission of 172% and overriding commission of 1% of the issue price of the debentures. The issue was payable as to Rs. 25 on application, Rs. 50 on the allotment and the balance on the call. A sub-underwriting contract with Z was arranged for 10% of the issue at a commission of 1.5%

The public applied for only 9,000 debentures. Application money on debentures underwritten was navigable in advance. The market value at the close of the year was Rs. 97.50 per debenture

Show underwriting accounts in the books of the underwriter.

Underwriting Study Material Notes

2. जब अभिगोपकों की पुस्तकों में कई खाते खोलने हों

(When several accounts are to be opened in underwriters’ books)

आभगोपकों की पुस्तकों में लेखांकन की एक वैकल्पिक विधि यह है कि केवल एक ‘अभिगोपन खाते’ के स्थान पर कई खाते खोले जायें। इस स्थिति में निम्न चार खाते खोले जा सकते हैं :

(i) अभिगोपन खाता (Underwriting Account) अथवा ….. कम्पनी के अंशों/ऋणपत्रों में विनियोग खाता (Investment in Shares/Debentures in ………. Co. Account)

(ii) अभिगोपन कमीशन खाता (Underwriting Commission Account)

(iii) निर्गमकर्ता कम्पनी का खाता (Issuing Company’s Account)

(iv) उप-अभिगोपक खाता (Sub-underwriter Account)

इस स्थिति में लेखा प्रक्रिया निम्न प्रकार होगी:

(i) अंश या ऋणपत्र प्राप्त करने पर :

Underwriting (or Shares/Debentures in Co.) a/c                          Dr  With

To Issuing Company Account                                                     amount due

(ii) अभिगोपन व्यय के भुगतान करने पर :

Underwriting (or Shares/Debentures in Co.) a/c                             Dr  With the amount

To Bank Account                                                                                 of expenses paid

(iii) अभिगोपन कमीशन उपार्जित करने पर :

Issuing Company Account                                                                  Dr   With commission

To Underwriting Commission Account                                               accrued

(iv) अंशों या ऋणपत्रों की राशि भुगतान करने पर :

Issuing Company Account                                                          Dr. With amount

To Bank Account

(v) कमीशन की राशि प्राप्त करने पर :

Bank Account                                                                                    Dr. (With commission paid in cash)

Underwriting (or Shares/Debentures in ……..Co.) Account Dr.  (With commission paid in shares or debentures)

Underwriting Study Material Notes

To Issuing Company Account                                                        (with total commission)

(iv) उप-अभिगोपक को प्रसंविदे के आधार पर अंश या ऋणपत्र हस्तान्तरित किये जाने पर :

Sub-Underwriters Account                                                               Dr. With amount

To Underwriting (or Shares/Debentures in ….. Co.)                  Account receivable

(vii) उप-अभिगोपक को कमीशन देय होने पर :

Underwriting Commission Account                                                  Dr. With commission

To Sub-Underwriters Account                                                                 payable

(viii) उप-अभिगोपक से हस्तान्तरित अंशों या ऋणपत्रों की राशि प्राप्त किये जाने पर :

Bank Account                                                                                        Dr. With amount

To Sub-Underwriters Account                                                                received

(ix) उप-अभिगोपकों को कमीशन भुगतान किये जाने पर :

Sub-Underwriters Account                                                                 (With total commission paid)

To Bank Account                                                                                   (With cash pald)

To Underwriting (or Shares/Debentures in Co…..) Account       (With shares or debentures transferred

(x) अंश या ऋणपत्र  बेचने पर :

Bank Account                                                                                   Dr With sale

To underwriting ( or shares Debentures in Co )                           Account  Preceeds

(xi) अभिगोपन कमीशन खाते के शेष को हस्तान्तरित करने पर :

Underwriting Commission Account                                                  Dr With  The amount

To Underwriting ( Or Shares / Debentures in Co …… )                  Account Trasferred

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chetansati

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