लागत संग्रहण
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(Cost Collection)
जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया जा चुका है कि इस पद्धति को केवल उन्हीं उद्योगों द्वारा अपनाया जाता है जिनमें एक ही प्रमापित वस्तु का उत्पादन किया जाता है। अत: व्ययों के अनुभाजन व विश्लेषण (Apportionment and Analysis) की समस्या उत्पन्न । नहीं होती है, क्योकि समस्त व्यय उसी वस्तु से सम्बन्धित होते हैं। कुल लागत को प्रत्यक्ष सामग्री, प्रत्यक्ष श्रम, प्रत्यक्ष व्यय व उपरिव्यय शीर्षकों के अन्तर्गत वर्गीकृत व विश्लेषित कर दिया जाता है। परन्तु जब संस्था द्वारा एक ही वस्तु विभिन्न आकारों या विभिन्न किस्मों में बनाई जाती हो तो प्रत्येक किस्म व प्रत्येक आकार की वस्तु पर होने वाले व्ययों की कुल राशि अलग-अलग ज्ञात करना आवश्यक हो जाता है तथा इसके लिए निश्चित अवधि में हुए खर्चों को उचित आधार पर अनुभाजित किया जाता है तथा उनका विस्तृत विश्लेषण भी करते हैं। व्ययों के विस्तृत विश्लेषण को सरल बनाने के लिए वित्तीय लेखे इस प्रकार रखे जाते हैं कि साप्ताहिक, मासिक, अर्धवार्षिक या वार्षिक अवधि की सूचना सुगमता से प्राप्त हो सके। ___ संक्षेप में, इस पद्धति के अन्तर्गत निश्चित अवधि में उत्पादित इकाइयों की कुल लागत तथा प्रति इकाई लागत ज्ञात करने के लिए लागत के विभिन्न तत्वों का संग्रहण निम्न प्रकार से किया जाता है
(1) सामग्री Material) यदि संस्था में लागत लेखांकन पद्धति के अनरूप समस्त लेखे रखे जाते हैं तो उत्पादित इकाइयों में प्रयुक्त सामग्री की लागत व मात्रा सामग्री-सार (Material abstract) से ज्ञात कर ली जाती है। परन्तु जिन संस्थाओं में लागत लेखांकन को पूर्ण रूप से नहीं अपनाया जाता व भ
(2) मजदूरी (Wages)-लागत लेखांकन की विधि पूर्ण रूप से अपनाये जाने पर उत्पादित इकाइयों पर व्यय की गई प्रत्यक्ष मजदूरी की राशि मजदूरी सूचियों (Wages sheet) तथा मजदूरी-सार (Wages abstract) के आधार पर ज्ञात की जाती है। परन्त जिन संस्थाओं में लागत लेखांकन को पूर्ण रूप से नहीं अपनाते वहाँ इस राशि को वित्तीय लेखों से ज्ञात किया जाता है।
(3) प्रत्यक्ष व्यय (Direct expenses)-सामग्री तथा श्रम के अतिरिक्त होने वाले अन्य व्यय जिनका कि प्रत्यक्ष रूप से लागत केन्द्र (Cost centre) या लागत इकाई से सम्बन्ध होता है, प्रत्यक्ष व्यय कहलाते हैं। इन व्ययों को भी लागत लेखों की दशा में सारांश सूची बनाकर लागत लेखों से और उनके अभाव में वित्तीय लेखों से ज्ञात करते हैं।
(4) उपरिव्यय (Overheads)-जो संस्थाएँ अपने वित्तीय लेखों से ही उपरिव्यय की राशि ज्ञात करना चाहती हैं, वे अपनी गोकड़ बही से अलग-अलग अप्रत्यक्ष व्ययों पर खर्च की गई राशि ज्ञात कर लेती हैं। इन व्ययों को क्रियाओं के आधार पर वाखाना उपरिव्यय (Factory overhead), कार्यालय उपरिव्यय (Office overhead) तथा विक्रय एवं वितरण उपरिव्यय (Selling and Distribution overhead) में वर्गीकृत कर दिया जाता है।
दूसरी ओर यदि सम्बन्धित संस्था में पूर्ण रूप से लागत लेखे रखे जाते हैं तो उपरिव्ययों की राशि वित्ति लेखों से ज्ञात करने के स्थान पर एक निश्चित आधार पर उपरिव्ययों का अवशोषण किया जाता है । उपरिव्ययों के अवशोंषण कि विभिन्न विधियों का उल्लेख पूर्ण अध्यायों में किया जा चुका है ।
इकाई लागत लेखांकन के अन्तर्गत लागत प्रस्तुतीकरण की विधियाँ
(Methods of cost presentation under unit costing)
एक निश्चित अवधि में उत्पादित इकाइयों की कुल लागत तथा प्रति ईकाइ लागत ज्ञात करने के लिए लागत प्रस्तुतिकरण की निम्नलिखित पद्धतियाँ प्रयोग में लायी जा सकती हैं
(1) लागत-पत्रक (Cost-sheet),
(2) लागत एवं लाभ विवरण (Statementof Cost and Profit),
(3) उत्पादन खाता (Production Account)
उपर्युक्त सभी को तैयार करने के मूलभूत सिद्धान्त एक ही हैं यद्यपि इनक प्रारूपमा
(1) लागत-पत्रक
(Cost-Sheet)
लागत पत्रक एक ऐसा विवरण है जिसमें किसी निश्चित अवधि में उत्पादित श्का के आधार पर प्रदर्शित करने के साथ-साथ प्रति इकाई लागत भी दर्शाया जाता हा पूर सम्बन्धी समस्त लागत सूचनाओं को मूल लागत (Prime Cost), कारखाना लागत ra of Production) तथा कुल लागत (Total Cost) के रूप में विश्लेषित करके एक विवरण का जाता है ताकि उत्पादन मात्रा, कुल लागत व प्रति इकाई लागत का स्पष्ट ज्ञान हो सका।
लागत-पत्रक साप्ताहिक, मासिक, त्रैमासिक. आदि सविधाजनक अवधियों के उत्पादन के लिए बनाया जा
जा सकता है। यह पत्रक मुख्यतः उन्हीं संस्थाओं में तैयार किया जाता है जहाँ लागत लेखों को दोहरा लेखा प्रणाली के आधार पर नहीं रखा जाता है ।
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लागत-पत्रक की मुख्य परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं
सी० आई० एम० ए० लन्दन के अनुसार, “लागत-पत्रक एक ऐसा प्रलेख है जो किसी लागत कन्द्रया लागत सम्बन्ध में अनुमानित विस्तृत लागत का संग्रहण प्रस्तुत करता है।”
व्हेल्डन के अनुसार, “लागत-पत्रक प्रबन्धकों के लिए तैयार किये जाते हैं और उनमें उन सभी आवश्यक विवरणों का सम्मिलित किया जाना चाहिए जो प्रबन्धकों को उत्पादन की कार्य-क्षमता जाँचने में सहायक हो सकें।”
जे० आर० बाटलीबॉय के अनुसार, “लागत-पत्रक एक तालिकाबद्ध विवरण है जो किसी निश्चित समय में किसी वस्तु। की एक निश्चित मात्रा के उत्पादन लागत का विवरण प्रस्तुत करता है।”
उपर्युक्त परिभाषाओं के अध्ययन से स्पष्ट है कि लागत-पत्रक किसी वस्तु के उत्पादन से सम्बन्धित सम्पूर्ण व्ययों का ऐसा विश्लेषणात्मक विवरण है जो निम्नलिखित तथ्यों को प्रकट करता है
(1) उत्पादन मात्रा, कुल लागत व प्रति इकाई लागत।
(2) लागत के विभिन्न अंगों जैसे, मूल लागत, कारखाना लागत, उत्पादन की लागत, बेचे गये माल की लागत तथा कुल लागत को प्रकट करना।
(3) प्रत्येक व्यय का कुल लागत के साथ प्रतिशत स्पष्ट करना।
(4) दो अवधियों अथवा दो उत्पादों की लागत की तुलना करने हेतु तुलनात्मक लागत को दर्शाना। लागत पत्रक के प्रकार (Types of Cost Sheet)-लागत पत्रक निम्नलिखित दो प्रकार का हो सकता है
1.ऐतिहासिक लागत पत्रक (Historical Cost Sheet)-ऐसे लागत पत्र जो उत्पादन कार्य पूरा होने पर उत्पादन पर किये गये वास्तविक व्ययों के आधार पर तैयार किये जाते हैं, वे ऐतिहासिक लागत पत्रक कहलाते हैं। इन लागत पत्रों में केवल वास्तविक लागतों को ही आधार बनाया जाता है।
2.अनुमानित लागत-पत्रक (Estimated Cost Sheet)-इन लागत पत्रों में उपरिव्ययों का अवशोषण वास्तविक कर एक निश्चित आधार पर होता है। व्ययों के अवशोषण की दर पिछले लागत आंकड़ों के आधार पर करा जाता हा जसे कारखाना उपरिव्ययों को मजदरी के एक निश्चित प्रतिशत के आधार पर वसूल करना।कार्यालय या ब्रिकी उपरिव्ययों को कारखाना लागत के एक निश्चित प्रतिशत के आधार पर वसूल करना। समय-समय पर अनुमानित लागतो का वास्तविक लागतों से मिलान किया जाता है ताकि लागतों पर प्रभावपूर्ण नियन्त्रण स्थपित किया जा सके ।