BCom 3rd Year Corporate Accounting Valuation Shares Study Material Notes in Hindi

BCom 3rd Year Corporate Accounting Valuation Shares Study Material Notes in Hindi:   Necessity of Valuation of Shares  Various types of Value Shares  par Value  Market Value Cost Price Intrinsic Value  Assets Valuation method of Valuation of Shares External Liabilities Balance Sheet Valuation of Shares Goodwill Calculation  Account Equity Shares:

Valuation Shares Study material
Valuation Shares Study material

BCom 2nd Year Cost Accounting Study Material Notes in Hindi.

अंशों का मूल्यांकन (Valuation of Shares)

प्रत्येक अंश पूँजी वाली कम्पनी की समस्त पँजी एक निश्चित मल्य के अंशों में विभक्त होती है। अंश का आशय कम्पनी का। पूजा में भाग से होता है। यह कम्पनी के स्वामित्व की एक अविभाज्य इकाई होता है। प्रत्येक अंश की एक निश्चित सख्या हाता ह तथा प्रत्येक अश का एक निश्चित मौद्रिक मूल्य होता है जिसे अंश का अंकित मुल्य (Face Value) या सम मूल्य (Par Value) कहते हैं। प्रायः कम्पनी के निर्माण के समय उसके पार्षद सीमानियम के 4जी वाक्य में यह उल्लेख किया जाता है कि उसकी कुल कितनी पूँजी है तथा यह कितने अंशों में विभक्त है और प्रत्येक अंश का मौद्रिक मूल्य क्या है। कम्पनी के आर्थिक चिठे में अशी। को इसी मौद्रिक मूल्य पर दर्शाया जाता है चाहे इनका बाजार मूल्य इनके मौद्रिक मूल्य से कितना भी भिन्न क्यों न हो। अतः यह आवश्यक हो जाता है कि यह ज्ञात किया जाय कि एक निश्चित तिथि पर कम्पनी के अंशों का मूल्य क्या है। इस क्रिया को ही अंशों का मूल्यांकन कहते हैं। सरल शब्दों में, अंशों के मूल्यांकन का आशय उनके उस मूल्य के ज्ञात करने से होता है जिस पर उनका क्रय, विक्रय, अन्तरण, कर निर्धारण आदि किया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण किन्तु जटिल समस्या है।

अंशों के मूल्यांकन की आवश्यकता (Necessity of Valuation of Shares)

मूल्यांकन की दृष्टि से अंशों को दो वर्गों में रखा जा सकता है – सूचीबद्ध अंश (Listed shares) और गैर-सूचीबद्ध अंश (Unlisted shares)। सूचीबद्ध अंश वे होते हैं जो कि किसी मान्यता प्राप्त स्कन्ध विपणि में क्रय-विक्रय के लिये रजिस्टर्ड होते हैं। जबकि ऐसे अंश जो किसी स्कन्ध विपणि में क्रय-विक्रय के लिये रजिस्टर्ड नहीं हैं वे गैर-सूचीबद्ध अंश कहलाते हैं। सूचीबद्ध अंशों का स्कन्ध-विपणि में क्रय-विक्रय होता है और इन अंशों के मूल्य स्कन्ध विपणि द्वारा प्रकाशित किये जाते हैं। साधारण लेनदेन में इन प्रकाशित मूल्यों को ही अंशों का उचित मूल्य माना जाता है। किन्तु स्कन्ध विपणि द्वारा प्रकाशित मूल्य सदैव और प्रत्येक दशा में उचित व शुद्ध नहीं होते हैं क्योंकि ये मूल्य कम्पनी की क्रियाओं के अतिरिक्त अनेक बाह्य कारकों से प्रभावित होते हैं। जहाँ तक गैर-सूचीबद्ध अंशों व निजी कम्पनियों के अंशों का प्रश्न है इनके मूल्य प्रकाशित नहीं होते। अतः सूचीबद्ध, गैर-सूचीबद्ध तथा निजी सभी प्रकार की कम्पनियों के अंशों के मूल्यांकन की आवश्यकता पड़ सकती है।

सामान्यतया निम्न स्थितियों में अंशों के मूल्यांकन की आवश्यकता होती है:

1 जब ऐसे अंशों का क्रय-विक्रय करना हो जिनका मूल्य स्कन्ध विपणि द्वारा प्रकाशित नहीं किये जाते हैं।

2. जब निजी कम्पनी के अंशों का विक्रय करना हो या उसके अंशों का वास्तविक मूल्य ज्ञात करना हो। 3. जब दो या दो से अधिक कम्पनियों का एकीकरण (Amalgamation) करना हो।

4. जब एक कम्पनी दूसरी कम्पनी का संविलयन (Absorption) करती है।

5. कम्पनी के पुनर्गठन (Reorganisation) या आन्तरिक पुनर्निर्माण (Internal Reconstruction) पर यदि कुछ अंशधारी कम्पनी की योजना से सहमत नहीं होते तो इन असहमत अंशधारियों के अंशों के मूल्य का भुगतान करना है।

6. किसी अंशधारी की मृत्यु पर सम्पदा कर (Estate Duty) के लिये अंशों का मूल्य ज्ञात करना हो।

7. जब अंशों की जमानत पर ऋण प्राप्त करना हो।

8. जब कम्पनी को अपने एक प्रकार के अंशों को दूसरे प्रकार के अंशों में परिवर्तित करना हो।

9. जब कोई कम्पनी किसी दूसरी कम्पनी पर नियंत्रण अधिकार प्राप्त करने के लिये बड़ी मात्रा में अंश क्रय कर रही हो।

10. जब एक वित्तीय साय कम्पनी अथवा विनियोग प्रन्यास कम्पनी की सम्पत्तियों का मूल्यांकन करना हो।

11. सरकार द्वारा किसी कम्पनी के अधिग्रहण पर क्षतिपूर्ति की राशि निर्धारित करना हो

12. जब किसी व्यक्ति पर उपहार-कर (Gin Tax) अथवा सम्पत्ति-कर पर उपहार-कर (Gin Tax) अथवा सम्पत्ति-कर (Wealth Tax) का निर्धारण करना हो और उसकी सम्पत्तियों में किसी कम्पनी के अंश सम्मिलित हों।

13. कमचारियों द्वारा अंशों का क्रय, जबकि इन अंशों का धारण उनके सेवा काल की अवधि तक ही सीमित हो।

14 कभी कभी न्यायालय के आदेश पर भी अंशों का मूल्यांकन आवश्यक हो जाता है।

अशों के विभिन्न प्रकार के मूल्य

(Various Types of Values of Shares)

अश मूल्यांकन की विधियों के विवेचन से पूर्व इस सम्बन्ध में प्रयोग किये जाने वाले विभिन्न मूल्यों का अर्थ समझना आवश्यक है। अंशों का मूल्य निम्न प्रकार का हो सकता है :

1 सम मूल्य अथवा अंकित मूल्य (Par Value or Face Value): कम्पनी के पार्षद सीमानियम के पूँजी वाक्य में उल्लिखित पूंजी के प्रत्येक अंश का जो मूल्य अंकित होता है उसे सम मूल्य या अंकित मूल्य कहते हैं। कम्पनी की पुस्तकों में अंश पूजी को सदैव सम मूल्य पर ही प्रदर्शित किया जाता है भले ही इसके अंश प्रीमियम या कटौती पर क्यों न निर्गमित किये गये हों।

2. पुस्तकीय मूल्य (Book Value): कम्पनी की अंश पूँजी तथा संचिति एवं आधिक्य का योग उसकी पुस्तकीय पूजी होती है। और इस पुस्तकीय पूँजी में कुल निर्गमित अंशों की संख्या से भाग देकर आयी राशि प्रति अंश पुस्तकीय मूल्य (Book Value Per Share) कहलाता है।

3. बाजार मूल्य (Market Value) : अंशों के बाजार मूल्य का आशय उस मूल्य से होता है जो स्कन्ध विपणि में अंशों की माँग और पूर्ति के सन्तुलन से उत्पन्न होता है। सामान्यतया इस मूल्य पर ही अंशों का क्रय-विक्रय किया जाता है। स्कन्ध विपणि द्वारा प्रकाशित मूल्य प्रायः बाजार मूल्य ही होता है।

4. लागत मूल्य (Cost Price) : एक अंशधारी अंश प्राप्त करने के लिये जो कुल भुगतान करता है उसे उन अंशों का लागत मूल्य कहते हैं। अंशों के लागत मूल्य में उनके क्रय की लागत, क्रय पर दी गई दलाली अथवा कमीशन, अंश हस्तान्तरण फीस आदि सभी व्यय सम्मिलित होते हैं।

5. आन्तरिक मूल्य (Intrinsic Value) : कम्पनी की सम्पत्तियों का शुद्ध मूल्य ज्ञात करने के लिये कम्पनी की वास्तविक सम्पत्तियों (Real Assets) के प्राप्य मूल्य में से उसके बाह्य दायित्वों को घटाया जाता है। सम्पत्तियों के शुद्ध मूल्य में अंशों की संख्या का भाग देकर प्रति अंश आन्तरिक मूल्य ज्ञात किया जाता है।

6. उचित मूल्य (Fair Value) : अंशों के आन्तरिक मूल्य व बाजार मूल्य के औसत को अंशों का उचित मूल्य कहते हैं। यह अंशों के आन्तरिक मूल्य और बाजार मूल्य के योग में दो का भाग देकर ज्ञात किया जाता है।

7. पूँजीकृत मूल्य (Capitalised Value) : कम्पनी की लाभार्जन क्षमता का विनियोजित पूँजी पर आय की सामान्य दर के आधार पर पूँजीकरण किया जाता है। इस प्रकार ज्ञात लाभ के पूँजीकृत मूल्य में अंशों की संख्या का भाग देकर प्रति अंश मूल्य ज्ञात किया जाता है।

अंशों के मूल्यांकन को प्रभावित करने वाले तत्व

(Factors Affecting Valuation of Shares)

अंशों का मूल्य प्रमुखतया निम्न तीन बातों पर निर्भर करता है :

(1) कम्पनी के व्यवसाय की प्रकृति।

(2) कम्पनी की लाभार्जन क्षमता।

(3) कम्पनी की शुद्ध मूर्त सम्पत्तियाँ।

निम्न तीन तत्वों के अतिरिक्त निम्न घटनायें भी अंशों के मूल्य को प्रभावित करती हैं :

(1) बाजार में अंशों की माँग व पूर्ति की मात्रा।

(2) विभिन्न कम्पनियों में आपसी प्रतियोगिता की सीमा।

(3) गत वर्षों में कम्पनी द्वारा घोषित लाभांश

(4) कम्पनी का पूँजीकरण।

(5) कम्पनी की संचितियाँ।

(6) कम्पनी के अंशधारियों की संख्या।

(7) कम्पनी के अंश हस्तान्तरण पर प्रतिबन्ध ।

(8) बोनस तथा अधिकार अंशों के निर्गमों की सम्भावना।

(9) कम्पनी के उत्पादों की ख्याति।

(10) कम्पनी की भावी प्रगति की सम्भावना।

(11) कम्पनी के निदेशकों (संचालकों) की योग्यता, क्षमता एवं अनुभव।

(12) बहुसंख्यक अंशों के मालिक की मृत्यु अथवा ऐसे अंशधारी द्वारा अपने अंशों को बेच देना।

(13) कम्पनी प्रबन्ध में परिवर्तन।

(14) देश में राजनैतिक दशाएँ।

(15) देश में शान्ति व सुरक्षा की स्थिति।

(16) कम्पनी पर सरकारी नियंत्रण की सीमा।

(17) देश में विनियोगों पर प्रतिबन्ध की सीमा।

(18) सामान्य आर्थिक दशाएँ-जैसे श्रम एवं सामग्री की पूर्ति में कठिनाई, यातायात सम्बन्धित बाधाएँ, सामान्य व्यापारिक समृद्धि एवं अवसाद आदि।

अंशों के मूल्यांकन की विधियाँ

(Methods of Valuation of Shares)

अंशों के मूल्यांकन की निम्नलिखित तीन विधियाँ हैं :

  1. सम्पत्ति मूल्यांकन विधि (Assets Valuation Method)
  2. आय मूल्यांकन विधि (Yield Valuation Method)
  3. उचित मूल्य विधि (Fair Value Method)

सम्पत्ति मूल्यांकन विधि

(Assets Valuation Method)

इस विधि के अन्य नाम निम्नलिखित हैं :

(i) शुद्ध सम्पत्ति विधि (Net Assets Method)

(ii) आन्तरिक मूल्य विधि (Internal Value Method or Intrinsic Value Method)

(iii) सम्पत्ति कवर विधि (Assets Cover Method or Assets Backing Method)

(iv) समता मूल्यांकन विधि (Equity Valuation Method)

(v) समापन मूल्यांकन विधि (Break-up Value Method)

(vi) पूँजी मूल्यांकन विधि (Capital Valuation Method)

इस विधि के अनुसार अंशों के मूल्यांकन के लिये निम्न क्रियाएँ की जाती हैं :

(1) शुद्ध सम्पत्तियों की गणना (Calculation of Net Assets): यह निम्न दो प्रकार से की जा सकती है

(अ) कम्पनी की अमूर्त सम्पत्तियों सहित सभी वास्तविक सम्पत्तियों (किन्तु बनावटी सम्पत्तियों को छोड़कर) के बाजार मूल्य के योग (जिसे कुल सम्पत्ति (Gross Assets) कहते हैं) में से बाहरी दायित्वों को घटाने पर शुद्ध सम्पत्तियों का मूल्य ज्ञात हो जाता है। सूत्र रूप में :

Net Assets = Realisable Value of Real Assets – External Liabilities

कम्पनी के अंशधारियों के अतिरिक्त अन्य पक्षों का कम्पनी के विरुद्ध दावा बाह्य दायित्व (External or Outside | Liabilities) कहलाता है। इसके अन्तर्गत ऋणपत्र, व्यापारिक लेनदार, देय बिल. अदत्त व्यय, कर के लिये आयोजन, कर्मचारी भविष्य निधि, कर्मचारी बचत खाता आदि दायित्व सम्मिलित हैं।

प्रस्तावित लाभांश (Proposed Dividend) : यदि समता अंशों का लाभांश-सहित (cum-interest) मूल्य ज्ञात करना हो तो । प्रस्तावित लाभांश को दायित्व की तरह नहीं घटाया जायेगा किन्तु यदि इनका लाभांश-रहित (ex-dividend) मूल्य ज्ञात करना हो तो। प्रस्तावित लाभांश को एक दायित्व की तरह घटाया जायेगा।

(ब) कम्पनी का अंश पूजी, संचितियाँ एवं आधिक्य और सम्पत्तियों के पनर्मल्यांकन पर लाभ के योग में से बनावटी सम्पत्तिया। (जस प्रारम्भिक व्यय, अभिगोपन कमीशन, अंशों या ऋणपत्रों के निर्गमन पर कटौती, आस्थगित व्यय आदि), व्यापारका सम्पत्ति के पुनर्मूल्यांकन पर हानि के योग को घटाने पर शुद्ध सम्पत्तियों का मूल्य ज्ञात हो जाता है। सूत्र रूप में

Net Assets = (Share Capital + Reserves and Suplus + Profit on Revaluation)- (Fictitious Assets +

Trading Losses + Loss on Realisation)

(2) प्रति अंश मूल्य ज्ञात करना (Finding out the value per share): विभिन्न स्थितियों में यह गणना निम्न प्रकार से की जायेगी:

(अ) एक प्रकार के समता अंशों की दशा में (In the case of one type of equity shares): यदि कम्पनी का अश पूजा। म कवल समता अंश ही हैं और प्रत्येक समता अंश पर समान राशि का भुगतान किया गया है तो शुद्ध सम्पत्तियों के मूल्य में समता अंशों की संख्या का भाग देकर प्रति अंश मूल्य ज्ञात हो जाता है। सूत्र रूप में :

(ब) विभिन्न प्रकार के समता अंशों की दशा में (In the case of different types of equity shares): यदि कम्पनी द्वारा निर्गमित समान अथवा भिन्नित अंकित मूल्य वाले समता अंशों के चकता मुल्य (paid-up value) में अन्तर है तो ऐसी स्थिति में । प्रत्येक प्रकार के समता अंश के मूल्य निर्धारण के लिये निम्नलिखित दो वैकल्पिक रीतियाँ हैं :

(i) पूँजी के इकाई मूल्य के आधार पर (On the basis of unit value of capital) : इसके अन्तर्गत कम्पनी की शुद्ध सम्पत्तियों (या आन्तरिक मूल्य) की राशि में समता अंशों के कुल चुकता मूल्य का भाग देकर पूँजी का इकाई मूल्य ज्ञात किया जाता है और फिर इस इकाई मूल्य को प्रत्येक प्रकार के समता अंश के चुकता मूल्य से गुणा करके उनका पृथक-पृथक प्रति अंश मूल्य ज्ञात किया जाता है। संक्षेप में, गणन क्रिया इस प्रकार रहेगी।

नोट : उदाहरण संख्या 7 और 8 को देखिये।

(ii) समता अंशों की चुकता पूँजी के अनुपात के आधार पर (On the basis of proportion of paid up capital) : इसके अन्तर्गत सर्वप्रथम कम्पनी की शुद्ध सम्पत्तियों को विभिन्न प्रकार के समता अंशों में उनकी चुकता पूँजी के अनुपात में विभाजित किया जाता है और फिर प्रत्येक प्रकार की चुकता पूँजी के समता अंश के भाग की शुद्ध सम्पत्तियों की राशि को सम्बन्धित समता अंश की संख्या से भाग देकर प्रत्येक प्रकार के अंश का पृथक-पृथक प्रति अंश मूल्य ज्ञात किया जाता है। यहाँ यह बतलाना महत्वपूर्ण है कि यदि किसी प्रकार के अंश पर किन्हीं अंशधारियों से कोई याचना अवशिष्ट (Calls-inArrear) है तो सभी मामलों में अवशिष्ट याचना की राशि को उस अंश पर प्राप्त हुआ मानकर उस प्रकार के अंश की चुकता पूँजी ज्ञात की जायेगी तथा उपर्युक्त (i) अथवा (ii) के आधार पर निकाले गये उस प्रकार के समता अंश के प्रति अंश मूल्य में से प्रति अंश अवशिष्ट याचना की राशि घटाकर ऐसे अंशों का मूल्य ज्ञात किया जायेगा।

नोट : उदाहरण संख्या 7 और 8 को देखिये।

(iii) अंश पूँजी के अयाचित भाग की काल्पनिक वसूली के आधार पर (On the basis of notional call of uncalled part of share capital) : इस विधि के अन्तर्गत कम्पनी के अंशतः दत्त अंशों की अयाचित राशि (uncalled amount) की काल्पनिक (Notional) वसूली की मान्यता के आधार पर शुद्ध सम्पत्तियों की गणना की जाती है। इसके लिये कम्पनी की अन्य सभी सम्पत्तियों के पुनर्मूल्यांकित मूल्य के योग में विभिन्न समता अंशों की अयाचित राशि को जोड़ा जायेगा और इस योग में से बाह्य दायित्वों को घटाया जायेगा। तत्पश्चात् इस प्रकार आगणित शुद्ध सम्पत्तियों की राशि में सभी प्रकार के अंशों की संख्या के योग से भाग देकर प्रति पूर्णदत्त अंश मूल्य ज्ञात किया जाता है। प्रत्येक प्रकार के अंशतः दत्त अंश का मूल्य ज्ञात करने के लिये आगणित प्रति पूर्णदत्त अंश मूल्य में से उस अंश की अयाचित राशि घटाकर उसका प्रति अंश मूल्य ज्ञात किया जाता है।

नोट : उदाहरण संख्या 12 को देखिये।

(iv) कम्पनी के निस्तारण की सम्भावना की दशा में (In the case of liquidation of the company): इस शाम कम्पनी की शुद्ध सम्पत्तियों में से सर्वप्रथम सभी प्रकार के समता अंशों का चुकता मूल्य घटाइये और अवशिष्ट या आधिक्य राशि को विभिन्न प्रकार के समता अंशों में उनकी संख्या के अनुपात में विभाजित करो। तत्पश्चात प्रत्येक प्रकार के अंश के चुकता मूल्य में आधिक्य से प्राप्त आनुपातिक भाग जोड़िये और फिर उसमें सम्बन्धित अंश संख्या का भाग देकर प्रति अंश मूल्य ज्ञात करो। (उदाहरण 12 देखिये)

(स) समता और पूर्वाधिकार अंशों की दशा में (In the case of equity and preference shares both): यदि कम्पनी का। अंश पूंजी में समता पूँजी के साथ पूर्वाधिकार अंश पूँजी भी सम्मिलित है तो अंशों के मूल्यांकन हेतु कम्पनी के अन्तर्नियमों में। पूर्वाधिकारी अंशधारियों के अधिकारों के सम्बन्ध में उल्लिखित व्यवस्थाओं पर ध्यान देना होगा। इस सम्बन्ध में अन्तर्नियमों में। निम्नलिखित दशायें हो सकती हैं :

1 पूर्वाधिकारी अंशधारियों को पूँजी वापसी और लाभांश दोनों के सम्बन्ध में प्राथमिकता प्राप्त हो : ऐसी स्थिति में शुद्ध सम्पत्तियों के मूल्य में से पूर्वाधिकार अंश पूँजी तथा अवशिष्ट लाभांश की राशि घटा देनी चाहिये और अवशेष में समता अंशों की संख्या से भाग देकर प्रति समता अंश मूल्य ज्ञात करना चाहिये। प्रति पूर्वाधिकार अंश का मूल्य ज्ञात करने के लिये इन अंशों के प्रति अंश चुकता मूल्य में प्रति अंश अवशिष्ट लाभांश को जोड़ देना चाहिये। किन्तु यदि पूर्वाधिकारी अंशों पर देय लाभांश दर और सामान्य लाभांश दर में अन्तर हो तो सर्वप्रथम पूर्वाधिकार अंशों पर देय लाभांश का सामान्य दर से पूँजीकृत मूल्य ज्ञात करना चाहिये और तत्पश्चात् इस पूँजीकृत मूल्य में पूर्वाधिकार अंशों की संख्या का भाग देकर प्रति पूर्वाधिकार अंश मूल्य ज्ञात करना चाहिये। इसकी प्रक्रिया निम्न प्रकार रहेगी :

2. पूर्वाधिकारी अंशधारियों को केवल पूँजी वापसी की ही प्राथमिकता प्राप्त हो : इस स्थिति में शुद्ध सम्पत्तियों के मूल्य में से केवल पूर्वाधिकार अंश पूँजी को ही घटाया जाता है तथा अवशेष में समता अंशों की संख्या का भाग देकर प्रति समता अंश मूल्य ज्ञात किया जाता है।

3. पूर्वाधिकारी अंशधारियों को केवल लाभांश की ही प्राथमिकता प्राप्त हो : इस स्थिति में शुद्ध सम्पत्तियों के मूल्य में से अवशिष्ट पूर्वाधिकार लाभांश की राशि घटायी जाती है। फिर अवशेष राशि का पूर्वाधिकार और समता अंशों में इनकी चुकता पूँजी के अनुपात में विभाजन करके दोनों के भाग की शुद्ध सम्पत्तियों में प्रत्येक की संख्या का भाग देकर प्रति अंश मूल्य ज्ञात करना चाहिये। समता अंशों का प्रति अंश मूल्य तो इस प्रकार ज्ञात हो जायेगा किन्तु प्रति पूर्वाधिकार अंश मूल्य ज्ञात करने के लिये प्रति अंश मूल्य में प्रति अंश बकाया लाभांश को जोड़ना होगा।

4. पूर्वाधिकारी अंशधारियों को किसी भी प्रकार की प्राथमिकता न हो : यदि दोनों अंशों के अंकित मूल्य और चुकता मूल्य एक समान हैं तो शुद्ध सम्पत्तियों के मूल्य में पूर्वाधिकार और समता अंशों की संख्या के योग से भाग देकर प्रति अंश मूल्य ज्ञात किया जाता है। इस स्थिति में पूर्वाधिकार और समता दोनों प्रकार के अंशों का प्रति अंश मूल्य एक समान ही होगा। किन्तु यदि दोनों प्रकार के अंशों का अंकित मूल्य और /अथवा चुकता मूल्य समान न हो तो सर्वप्रथम शुद्ध सम्पत्तियों के मूल्य को दोनों प्रकार के अंशों में इनकी चुकता पूँजी के अनुपात में विभाजित करना चाहिये और तत्पश्चात सम्बन्धित राशियों को सम्बन्धित अंशों की संख्या से भाग देकर दोनों का पृथक-पृथक प्रति अंश मूल्य ज्ञात करना चाहिये।

5. यदि पूर्वाधिकार अंश सहभागी (Participating) हों : इस स्थिति में शुद्ध सम्पत्तियों का दोनों प्रकार के अंशों में विभाजन कम्पनी के अन्तर्नियमों में उल्लिखित उनके अधिकारों के आधार पर किया जायेगा। तत्पश्चात् शुद्ध सम्पत्तियों में प्रत्येक के । भाग की राशि को उसकी सम्बन्धित संख्या से भाग देकर दोनों का पृथक-पृथक प्रति अंश मूल्य ज्ञात किया जायेगा।

सम्पत्ति मूल्यांकन विधि का उपयुक्तता (Suitability of Assets Valuation Method) : यह विधि निम्नांकित परिस्थितियों में अधिक उपयुक्त रहती है:

1 यदि घन कर (Wealth tax) के लिये अंशों का मूल्यांकन किया जा रहा है।

2. यदि किसी नई कम्पनी के अंशों का मूल्यांकन किया जा रहा है जिसके खातों से भावी लाभों का अनुमान लगाना सम्भव नहीं है।

3. यदि कम्पनी का व्यापार हानि पर चल रहा है और निकट भविष्य में कोई लाभ कमाने की सम्भावनायें नहीं हैं।

4. यदि कम्पनी के व्यवसाय में भारी उतार-चढ़ाव के कारण उसके भावी लाभों के कोई विश्वसनीय प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं।

5. यदि कम्पनी की अधिकतर सम्पत्तियाँ तरल हैं।

6. यदि कम्पनी के समापन का इरादा हो।

7. यदि अंशों का एक बड़ा भाग हस्तान्तरित किया जाता है।

8. यदि कम्पनी का एकीकरण, संविलयन एवं बाह्य पुनर्निर्माण के लिये मूल्यांकन करना हो।

9. यदि निजी कम्पनी के अंशों का मूल्यांकन करना है।

10. यदि किसी नियंत्रित कम्पनी के अंशों का मूल्यांकन करना है। नियंत्रित कम्पनी का आशय एक ऐसी कम्पनी से है जिस पर अधिक से अधिक पाँच व्यक्तियों का नियंत्रण हो और जो ऐसी सहायक कम्पनी न हो जिसमें जनता का सारवान हित हो। यदि मृतक का मृत्यु से तीन वर्ष पूर्व की अवधि में सारवान हित रहा है तो सम्पत्ति कर (Estate Duty) के लिये उसके अंशों का मूल्यांकन सदैव ही सम्पत्ति मूल्यांकन विधि से किया जायेगा।

उदाहरण 1. निम्न सूचना से प्रति समता अंश मूल्य ज्ञात कीजिये :

From the following information, find out the value of each equity share :

सम्पत्तियाँ अपने पुस्तकीय मूल्य के बराबर हैं। पूर्वाधिकार अंशों पर दो वर्ष का लाभांश बकाया है। ऋणपत्रों पर एक वर्ष का व्याज अदत्त है। अंशों का मूल्य ज्ञात कीजिए, जबकि (क) पूर्वाधिकार अंशों पर पूँजी भुगतान एवं लाभांश भुगतान की प्राथमिकता है; (ख) पूर्वाधिकार अंशों पर न तो पूँजी भुगतान और न ही लाभांश भुगतान की प्राथमिकता है; (ग) पूर्वाधिकार अंशों पर केवल पूँजी भुगतान की प्राथमिकता है; (घ) पूर्वाधिकार अंशों पर केवल लाभांश भुगतान की प्राथमिकता है।

The assets are worth their book values. Dividend on Preference Shares are in arrear for two years. Debenture interest is outstanding for one year. Find the value of share when – (a) Preference Shares have priority as to the payment of the capital and arrears of dividend; (b) Preference Shares have no priority as to the payment of capital and dividend; (c) Preference Shares have priority as to the payment of capital only; (d) Preference Shares have priority as to payment of dividend only.

निम्नलिखित शर्तों के अन्तर्गत प्रति अंश मूल्य ज्ञात कीजिये:

(क) यदि पूर्वाधिकार अंशों का पूँजी एवं लाभांश दोनों की प्राथमिकता हो और उन पर सामान्य आय दर 12% अनुमानित हो।

(ख) यदि पूर्वाधिकार अंशों पर पूँजी एवं लाभांश दोनों की प्राथमिकता हो और उन पर सामान्य आय दर 10% अनुमानित हो।

(ग) यदि समापन पर पूर्वाधिकार अंशों एवं समता अंशों के साथ एक समान व्यवहार किया जाना हो।

The market value of investments at the date on which the above Balance Sheet was prepared was 2,35,000, <1,12,500 is the appropriate amount for the Goodwill.

Find out the value per share under the following conditions:

(a) If the Preference Shares are preferential both as to capital as well as to dividend and normal return on them is estimated to be 12%.

(b) If the Preference Shares are preferential both as to capital and dividends and normal return on them is estimated to be 10%.

(c) If the Preference Shares and Equity Shares are to be treated at par in liquidation.

उदाहरण 12. निम्नलिखित समंक मैसर्स प्रोसपरस लि० की पुस्तकों से लिये गये हैं :

The following figures are extracted from the books of M/s Prosperous Limited :

Share Capital :

9% Preference shares of 100 each                                    3,00,000

1,000 Equity shares of 100 each, 50 called up                50,000

1,000 Equity shares of 100 each, 25 called up                25,000

1,000 Equity shares of 100 each, fully called up           1,00,000

4,75,000

Reserves and Surplus :

General Reserve                                               2,00,000

Profit & Loss Account                                    50,000

                                                          7,25,000

कम्पनी की समस्त सम्पत्तियों के उचित मूल्यांकन पर यह पाया गया कि उनमें 75,000 ₹ की वृद्धि हुई है।

अन्तर्नियमों में व्यवस्था है कि समापन की दशा में पूर्वाधिकारी अंशधारियों का बची हुई सम्पत्तियों में 10% का दावा और होगा। समापन मानते हुए प्रत्येक पूर्वाधिकार और समता अंश का मूल्य निर्धारित करो।

On a fair valuation of all the assets of the company, it is found that they have an appreciation of 75,000. The Articles of Association provided that, in case of liquidation, the Preference shareholders will have a further claim to the extent of 10% of the surplus assets. Ascertain the value of each Preference and Equity share assuming a liquidation.

Solution :

Tangible Assets (Share Capital + Reserves and Surplus)          7,25,000

Add Appreciation of Assets                                                                  75,000

Net Assets                                                                                                   8,00,000

Less Paid-up value of shares                                                              4,75,000

Total Surplus                                                                                             3,25,000

Share of Preference Shareholders (10%)                                       32,500

Surplus available for Equity Shareholders                                 2,92,500

In case of liquidation, the surplus is to be distributed among the three categories of equity shareholders in proportion of the nominal value of the shares held by them. In this case, it is equal. So, each category of equity shareholders will have 1/3 of 2,92,500 or 97,500 share in the surplus.

 

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