BCom 2nd Year Entrepreneurship Venture Capital Study Material notes in Hindi

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BCom 2nd Year Entrepreneurship Venture Capital Study Material notes in Hindi

Table of Contents

BCom 2nd Year Entrepreneurship Venture Capital Study Material notes in Hindi: Meaning and Definition of Venture Capital Evolution and Development of Venture Capital Essential Features or Characteristics of Venture capital Eligibility for Venture Capital Financing Guidelines for Venture Capital Stages of Venture Capital Financing Sources of Venture Capital Documentation Required ( Most Important Notes For BCom 2nd Year Students )

Venture Capital Study Material
Venture Capital Study Material

BCom 3rd Year Corporate Accounting Underwriting Study Material Notes in Hindi

उद्यम/जोखिम पूँजी

(Venture Capital)

‘उद्यम पूंजी, उच्च जोखिम में किया गया वित्तीय निवेश है, जो उच्च दर पर लाभ कमाने की आशा से किया। जाता है।’

Venture Capital Notes

शीर्षक

  • उद्यम पूँजी का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Venture Capital)
  • उद्यम पूँजी अवधारण का उद्गम एवं विकास (Evolution and Development of Venture Capital) ,
  • उद्यम पूँजी के लक्षण अथवा विशेषताएँ (Essential Features or Characteristics of Venture Capital)
  • उद्यम पूँजी वित्त के लिए योग्यताएँ (Eligibility for Venture Capital Financing)
  • अथवा उद्यम पूँजी के लिए मार्गदर्शिकाएँ (Guidelines for Venture Capital)
  • उद्यम पूँजी वित्तीयन की अवस्थाएँ (Stages of Venture Capital Financing)
  • अथवा उद्यम वित्त की अवस्थाएँ (Stages of Venture Financing)
  • प्रबन्धकीय नियन्त्रण हेतु वित्तपोषण (Management Buy out Financing)
  • भारत में उद्यम पूँजी के स्रोत (Sources of Venture Capital in India)
  • अथवा उद्यम पूँजी के स्रोत (Sources of Venture Capital)
  • आवश्यक प्रलेखीकरण (Documentation Required)

कुछ व्यक्तियों के पास बड़े अच्छे उत्पाद विचार होते हैं, बड़ी आकर्षक उत्पाद परियोजनायें होती हैं, तकनीकी ज्ञान व योग्यता होती है, परन्तु अधिक जोखिम व आवश्यक वित्तीय संसाधनों का अभाव होने के कारण वे अपनी परियोजनाओं को क्रियान्वित नहीं कर पाते। परिणामस्वरूप अच्छी-से-अच्छी उत्पाद परियोजनाएं फाइलों में दबी की दबी रह जाती हैं। उद्यम अथवा जोखिम पूँजी की अवधारणा का उद्गम ऐसे ही उद्यमियों की सहायता प्रदान करने के लिये हुआ है। उद्यम पूँजी ऐसे उद्यमियों के लिये प्रगति के नये द्वार खोलती है। आज के इस युग में बिना आधुनिक प्रौद्योगिकी एवं नवाचार को अपनाये औद्योगीकरण की कल्पना करना सम्भव नहीं है। आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाये बिना ऐसे उद्योगों में अधिक जोखिम होने के कारण इनकी स्थापना के लिये प्रारम्भिक पूँजी उपलब्ध नहीं हो पाती क्योंकि वित्तीय संस्थापन ऐसे किसी भी उद्योग में पूँजी विनियोजित करने से पूर्व उसकी लाभदेयता का मूल्यांकन करते हैं। वास्तव में उद्यम पूँजी का उद्गम एवं विकास ऐसे ही उद्यमों की स्थापना एवं विकास करने हेतु पूँजी उपलब्ध कराने के लिए हुआ है।

Venture Capital Notes

उद्यम पूँजी का अर्थ एवं परिभाषा

(Meaning and Definition of Venture Capital)

उद्यम पुँजी शब्द दो शब्दों उद्यम + पूँजी के योग से बना है। उद्यम से आशय ऐसे उपक्रम से है जिसमें अनिश्चितता जोखिम, खतरा एवं हानि निहित है। पूँजी से आशय ऐसे उपक्रम को प्रारम्भ करने के लिए आवश्यक वित्त उपलब्ध कराने से है। अतएव उद्यम पूँजी से आशय ऐसे उपक्रम के लिए प्रारम्भिक पूँजी उपलब्ध कराने से है जिसमें एक ओर तो अनिश्चितता। एव अत्यधिक जोखिम है तथा दसरी ओर अत्यधिक लाभों का आकर्षण। अतः उद्यम पूँजी से हमारा आशय ऐसे व्यावसायिका उपक्रम में धन विनियोजित करने से है जिसमें एक ओर तो अनिश्चितता एवं जोखिमों की भरमार रहती है तथा दूसरी ओर अधिक लाभ कमाने का आकर्षण। वास्तव में उद्यम पूँजी उद्यमियों के लिए प्रगति के नये-नये अवसर एवं मार्ग खोलती है। इसको हम जोखिम पूँजी भी कहते हैं।

विभिन्न विद्वानों ने जोखिम/उद्यम पूँजी को निम्नलिखित रूप से परिभाषित किया है—

(1) डेविड एच. हाल्ट (David H. Halt) के अनुसार, “उद्यम पूँजी से आशय निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र से प्राप्त विनियोजित कोषों को उच्च जोखिम एवं उच्च क्षमता वाले उपक्रमों की ओर निर्देशित करना है।”

(2) डिक्सन के अनुसार, “20वीं शताब्दी का महत्त्वपूर्ण नवोन्मेष साहसिक पूँजी है। इसको उच्च जोखिम पूँजी का पर्यायवाची भी कहते हैं। यह विशुद्ध रूप से उद्यम की प्रारम्भिक परियोजना अवस्था से ही वित्तीय संसाधन है।”

(3) सागरी एवं गुइडाटी के अनुसार, ” साहसिक उद्यम पूँजी का प्रादुर्भाव उच्चस्तरीय आधुनिक तकनीकी आधारित उपक्रमों के वित्तीय संसाधन के रूप में हुआ है।” ।

(4) प्रेट के अनुसार, “विकास महत्वाकांक्षी नव उपक्रमों के प्रारम्भिक स्तर के वित्त संसाधन को साहसिक पूँजी कहते हैं।”

(5) केन्द्रीय बैंक यू. के. के जर्नल में जोखिम पूँजी को इस प्रकार परिभाषित किया गया है— “जोखिम पूँजी द्वारा एक विनियोगी उद्यमीय योग्यता को बाजार के अवसर के सदुपयोग हेतु व्यावसायिक कौशल व वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इस प्रकार दीर्घकालीन पूँजी लाभ प्राप्त होता है।”

सांराश रूप में साहसिक उद्यम पूँजी एक विनियोग है। यह समता, अर्द्धसमता और ऋण पूँजी के रूप में शर्त सहित अथवा शर्त रहित होता है, जो कि आधुनिक अथवा प्रचलित तकनीक आधारित अथवा उच्च जोखिम वाले उपक्रमों में किया जाता है। इस प्रकार जोखिम पूँजी वित्त प्रदान करने के साथ-साथ संस्था को प्रारम्भ करने हेतु आवश्यक कौशल भी प्रदान करती है, विपणन युक्ति बनाती है, इसको संगठित व प्रबन्धित करती है।

Venture Capital Notes

उद्यम पूँजी अवधारण का उद्गम एवं विकास

(Evolution and Development of Venture Capital)

उद्यम पूँजी अवधारण का उद्गम सबसे पहले 20 वीं शताब्दी में अमेरिका एवं यूरोप सहित पश्चिमी देशों में हुआ। वर्तमान में तो लगभग सभी विकसित पूँजीपति देशों ने उद्यम पूँजी अवधारणा को अपनाया है। इन देशों में बड़ी तेजी से प्रौद्योगिकी आधारित उद्योगों की स्थापना एवं विकास हो रहा है। ऐसे उद्योगों की प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता अपार होती है। जहाँ तक भारत का प्रश्न है, उद्यम पूँजी अवधारणा का उद्गम हुए अभी अधिक समय व्यतीत नहीं हुआ है। भारत में उद्यम पूँजी अवधारणा का उद्गम करने क श्रेय भारतीय प्रौद्योगिक वित्त निगम को है, जिसने सबसे पहले 1975 में जोखिम पूँजी न्यास (Risk Capital Foundation or RCF) की भारत में स्थापना की। जनवरी 1988 में इसे कम्पनी में परिणित कर दिया गया। इसका नाम बदलकर’जोखिम पूँजी एवं प्रौद्योगिकी निगम लिमिटेड’ (RiskCapital and Technology Carporation Limited) रख दिया गया। तत्पश्चात् अन्य भारतीय वित्तीय संस्थानों ने भी अपने यहाँ उद्यम पूँजी कोष योजना की स्थापना की। भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (IDBI) ने अपने यहाँ सन् 1986 में उद्यम पूँजी कोष योजना की स्थापना की। इसी प्रकार औद्योगिक साख एवं विनियोग निगम (ICICI) ने सन 1988 में अपने यहाँ भारतीय प्रौद्योगिकी विकास इन्फास्ट्रक्चर निगम (Technology Development and Infrastructure Corporation of India Limited) की स्थापना की। भारतीय प्रौद्योगिकी विकास इन्फ्रास्ट्रक्चर निगम तकनीक सूचना तथा विकास क्रियाओं, वाणिज्यिक, श्रम अनुसंधान आदि के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करता है। यह 20 करोड़ रु. तक की उद्यम पूँजी का भी प्रबन्ध करता है। इसकी स्थापना इसने भारतीय यूनिट ट्रस्ट के सहयोग से की है।

उपर्युक्त के अतिरिक्त अनेक अखिल भारतीय सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों तथा निजी क्षेत्र की वाणिज्यिक बैंकों ने भी उद्यम पूँजी के क्षेत्र में प्रवेश किया है। उदाहरण के लिए, स्टेट बैंक पूँजी मार्केट, केन बैंक वित्तीय सेवा संस्थान तथा ग्रिण्डले बैंक आदि ने भी उद्यम पँजी कोषों की स्थापना की है। ग्रिण्डले बैंक का भारतीय विनियोग कोष अनिवासी भारतीयों की उपयुक्त । परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। निजी क्षेत्र में भारतीय साख पूँजी निगम ने एशियन विकास बैंक तथा कामनवेल्थ कोष (Commonwealth Fund) के सहयोग से साख पूँजी उद्यम इण्डिया लिमिटेड की स्थापना की है। भारत में आधुनिक तकनीकी उद्योगों की स्थापना एवं विकास ने बड़ी तीव्र गति से उद्यम पूँजी कोषों की स्थापना की जा रही है। उदाहरण के लिए टाटा समूह के विनियोग निगम ऑफ इण्डिया ने अनेक उपक्रमों का सफलतापूर्वक प्रवर्तन किया है, जैसेसिएट टायर्स ऐसोसियेट वियरिंग्स इत्यादि।

उद्यम पूँजी के लक्षण अथवा विशेषताएँ

(Essential Features or Characteristics of Venture Capital)

उद्यम पूँजी की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

(1) उद्यम पूँजी का विनियोजन सामान्यतः ऐसे नवीन उपक्रमों में किया जाता है। जिनमें एक तरफ तो अत्यधिक जोखिम होती है और दूसरी तरफ अत्यधिक लाभ प्रदान करने की क्षमता होती है।

(2) उद्यम पूँजी विनियोक्ता यद्यपि उपक्रम के प्रबन्ध में संलग्न होते हैं, किन्तु उन्हें उसके दैनिक कार्यों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं होता है, किन्तु वे प्रवर्तकों के सम्पर्क में निरन्तर बने रहते हैं तथा अपने वित्तीय हितों पर नजदीकी निगाह रखते हैं।

(3) सामान्यत: उद्यम पूँजी का उपयोग नवीन उपक्रमों को प्रारम्भ करने के लिए बीज पूँजी (Seed Capital) के रूप । में होता है।

(4) विनियोजन सामान्यत: समता प्रलेखों में होता है, जिनमें प्रत्याय पर पूँजीगत लाभों के रूप में कर लगता है, न कि सामान्य आय के रूप में।

(5) उद्यम पूँजी का उपयोग नवीन प्रौद्योगिकी द्वारा अत्यधिक लाभ कमाने की तमन्ना से नवीन उत्पादों का निर्माण करने के लिए किया जाता है।

(6) उद्यम पूँजीपतियों का दृष्टिकोण स्कन्ध बाजार विनियोक्ता तथा बैंकर से बिल्कुल भिन्न होता है।

(7) उद्यम पूँजी अत्यधिक जोखिमी होती है।

(8) उद्यम पूँजी दीर्घकालीन प्रकृति की होती है।

(9) उद्यम पूँजी में तरलता का अभाव होता है।

(10) उद्यम पूँजी प्रारम्भिक पूँजी के प्रारूप में होती है।

उद्यम पूँजीपति की विशेषताएँ (Characteristics of Venture Capitalist)

(1) उच्च विकास दर की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के संचालन हेतु उपक्रम को वित्त उपलब्ध कराना।

(2) उद्यम पूँजी करने के बदले सहायक प्रतिभूतियों का बन्धन स्वीकार नहीं करना।

(3) दीर्घकालीन एवं मध्यकालीन प्रतिफल की प्रत्याशा में रहना।

(4) प्रबन्धन एवं व्यावसायिक कौशल भी प्रदान करना।

Venture Capital Notes

उद्यम पूँजी वित्त के लिए योग्यताएँ

(Eligibility For Venture Capital Financing)

अथवा

उद्यम पूँजी के लिए मार्गदर्शिकाएँ

(Guidelines for Venture Capital)

भारत में उद्यम पूँजी कोष कम्पनियों की स्थापना एवं संचालन के लिए 18 नवम्बर, 1998 को भारत सरकार ने मार्गदर्शिकाओं का निर्गमन किया है। ये मार्गदर्शिकाएँ निम्नलिखित हैं

(1) स्थापना (Establishment) अखिल भारतीय लोक वित्तीय संस्थान, अनुसूचित बैंक तथा भारत में कार्यरत विदेशी बैंक एवं उनके सहायक (Subsidiaries) रिजर्व बैंक/भारत सरकार की पूर्व अनुमति से उद्यम पूँजी कोष/कम्पनियों की स्थापना कर सकते हैं।

(2) आकार (Size) उद्यम पूँजी कोष/कम्पनियों का न्यूनतम आकर 10 करोड़ रुपये होगा। यदि वह जनता से कोई को उगाहना चाहती है तो उसके प्रवर्तकों को कम-से-कम 40% अनुदान करना होगा।

(3) प्रौद्योगिकी (Technology)-नई या पूर्व में प्रयोग न हो चुकी तकनीक या वह तकनीक जो अभी-अभी आई। हो या जो भारत में प्रचलित तकनीक में सुधार कर सकती हो।

(4) विदेशी समता (Foreign Equity) उद्यम पूँजी कोषों/कम्पनियों में अधिकतम विदेशी समता कुल समता की। 25% तक होगी। अनिवासी भारतीय को 74% तक अनुदान करने की अनुमति होगी।

(5) विनियोग की सीमा (Limit of Investment)-प्रति इकाई अधिकतम विनियोजन की सीमा 10 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है।

(6) उद्यमी (Entrepreneur)-नए व्यावसायिक या तकनीकी रूप से योग्य व्यक्ति जिनके पास पर्याप्त संसाधन या परियोजना के लिए वित्त न हो।

(7) ऋण-समता अनुपात (Debt-equity Ratio)-न्यूनतम ऋण-समता अनुपात 1:15 होगा।

(8) संगठन (Organisation) उन संगठनों को सहायता दी जाती है, जिनका जोखिम दूसरों की तुलना में नई तकनीक के कारण ज्यादा होती है तथा या जिनके उद्यमी भी नये होते हैं तथा उनका आकार भी उपयुक्त होता है।

(9) सहायता (Assistance) इन उद्यम पूँजी कोषों/कम्पनियों द्वारा वित्तीय सहायता मुख्य रूप में उन नवीन उद्यमों के उद्यमियों को दी जायेगी जिनमें आधुनिक प्रौद्योगिकी के अपनाये जाने के कारण अधिक जोखिम विद्यमान है।

उद्यम पूँजी वित्तीयन की अवस्थाएँ

(Stages of Venture Capital Financing)

अथवा

उद्यम वित्त की अवस्थाएँ

A(Stages of Venture Financing),

परम्परागत रूप में यह धारणा विद्यमान रही है कि उद्यम पूँजी की आवश्यकता किसी लघु उपक्रम की स्थापना के लिए होती है। यह ऐसी अवस्था होती है, जबकि आम विनियोक्ता ऐसे उपक्रमों में धन का विनियोजन करने से कतराते हैं। इसका कारण है कि ऐसे उपक्रमों की स्थापना के समय भारी जोखिम विद्यमान रहती है जिसे आम विनियोक्ता सरलता से वहन करने को तत्पर नहीं होता है। आधुनिक उद्यम पूँजीपति न केवल नवीन उपक्रमों के लिए प्रारम्भिक पूँजी उपलब्ध कराते हैं अपितु बाद में उनके विकास एवं विस्तार के लिए आवश्यक पूँजी भी उपलब्ध कराते हैं। इस प्रकार उद्यम पूँजी की आवश्यकता प्रत्येक स्तर पर होती है।

उद्यम पूँजी वित्तीयन की प्रमुख अवस्थाएँ निम्नलिखित हैं

प्राथमिक अवस्था उद्यम वित्त (Early Stage Venture Financing)

(1) बीज/उर्वरा पूँजी अवस्था (Seed Capital Stage)-बीज पूँजी से आशय प्रारम्भिक पूँजी से हैं जिसकी आवश्यकता किसी उपक्रम की स्थापना अथवा किसी परियोजना की व्यवहार्यता (Feasibility के ज्ञात करने के समय पर होती है। बीज पँजी का उद्देश्य उन उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है जिनके पास किसी नवीन उपक्रम परियोजना की स्थापना के। लिए अपने निजी वित्तीय संसाधनों का अभाव होता है।

(अ) विशिष्ट बीज पूँजी सहायता योजना (Special Seed Capital Assistace Scheme) विशिष्ट बीज पूँजी सहायता योजना के अन्तर्गत विशेष रूप में लघु इकाइयों को उनकी स्थापना के लिए बीज पूँजी सहायता उपलब्ध करायी जाती है। इसके अन्तर्गत वित्तीय सहायता की मात्रा 0-2 मिलियन रुपये अथवा परियोजना की लागत राशि का 20% इन दोनों में से जो भी कम हो, प्रदान की जाती है। इस योजना का प्रशासन एवं संचालन राज्य वित्त निगमों द्वारा किया जाता है।

(ब) बीज पूँजी सहायता योजना (Seed Capital Assistance Scheme)-बीज पूँजी सहायता योजना के अन्तर्गत ऐसी प्रौद्योगिक इकाइयों अथवा परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है जिनका लागत मूल्य 20 मिलियन रुपये से अधिक न हो। वित्तीय सहायता की अधिकतम राशि 1.5 मिलियन रुपये प्रति इकाई अथवा परियोजना की लागत तक सीमित होती है। वित्तीय सहायता की यह राशि भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (IDBI) के द्वारा राज्य स्तर के वित्तीय संस्थानों के माध्यम से प्रदान की जाती है। विशिष्ट मामलों में भारतीय औद्योगिक विकास बैंक सीधे ही उद्यमी को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। यह सीधी वित्तीय सहायता प्रस्तावित इकाई अथवा परियोजना के गुणों पर निर्भर करती है।

(स) जोखिम पूँजी न्यास योजना (Risk Capital Foundation Scheme)—इस योजना के अन्तर्गत स्वायत्तशासी न्यास की स्थापना की जाती है। उसे धन भारतीय औद्योगिक वित्त निगम द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। यह न्यास 20 मिलियन रुपये से लेकर 150 मिलियन रुपये की लागत वाली परियोजनाओं के प्रवर्तकों को आर्थिक सहायता प्रदान करता है आर्थिक सहायता की सीमा प्रति इकाई 1.5 मिलियन रुपये से लेकर 4 मिलियन रुपये तक की होती है जोकि आवेदक प्रवर्तकों की संख्या पर निर्भर करती है।

(2) प्रारम्भ करने पर वित्त अवस्था (Start-up Finance Stage)-यह उद्यम पूँजी वित्तीयन की वह अवस्था होती है, जबकि उद्यम की स्थापना की परियोजना की जाँच-पड़ताल के पश्चात् ज्ञात हो जाता है कि उद्यम की स्थापना की जा सकती है और परियोजना को क्रियान्वित किया जा सकता है। इस अवस्था को उद्यम पूँजी का सार कहा जाता है। इस अवस्था में यह निश्चित हो जाता है कि उद्यम की स्थापना, उत्पाद के विकास, प्रारम्भिक विपणन तथा उत्पाद सुविधाओं आदि के प्रदान करने के लिए कुल कितने वित्त की आवश्यकता होगी। जहाँ एक ओर परम्परागत विनियोक्ता इस अवस्था में वित्त प्रदान करने से कतराते हैं, वहीं दूसरी ओर, उद्यम पूँजीपति ऐसे उद्यमों का समर्थन करते हैं और आवश्यक उद्यम पूँजी उपलब्ध कराते हैं। इस अवस्था में धन विनियोजन की अवधि सामान्यत:5 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की होती है। इस अवस्था में जोखिम की मात्रा सबसे अधिक होती है।

(3) प्रथम अवस्था वित्त (First Stage Finance)—यह उद्यम पूँजी वित्तीयन की तीसरी अवस्था होती है। इस अवस्था में निर्माणी कार्य तथा विक्रय कार्य दोनों को सम्पन्न करने के लिए उद्यम पूंजी की व्यवस्था की जाती है। इस अवस्था में प्रारम्भ करने की अवस्था की तलना में अधिक संख्या में उद्यमी पूँजीपति पूंजी उपलब्ध कराते हैं। इस अवस्था में धन विनियोजन की। अवधि सामान्यतः 4 वर्ष से लेकर 6 वर्ष तक की होती है। जहाँ तक जोखिम की मात्रा का प्रश्न है, यहाँ पर भी जोखिम की। मात्रा अधिक होती है, किन्तु उद्यम प्रारम्भ करने की अवस्था की तुलना में कम होती है।

(4) द्वितीय अवस्था वित्त (Second Stage Finance)-प्रथम अवस्था वित्त की तुलना में द्वितीय अवस्था वित्त में प्रदान करने के लिए उद्यम पँजीपति अधिक आकर्षित होते हैं। प्रथम अवस्था वित्त में उद्यमों की स्थापना का कार्य परा हो। जाता है तथा निर्माणी कार्य भी प्रारम्भ हो जाता है, किन्तु अभी तक उनमें लाभ होना प्रारम्भ नहीं होता है। अधिकांश उद्यमों में। प्रारम्भ में घाटा होता है। इसके लिए उत्तरदायी विभिन्न आन्तरिक तथा बाहरी घटक हो सकते हैं, जैसे—पूर्ण क्षमता का उपयोग नहीं कर पाना जिसके कारण प्रति इकाई लागत अधिक होती है। इसी प्रकार सुदृढ़ विपणन व्यवस्था की स्थापना नहीं हो पाना यदि उघम पूँजि पातियों को इसके सही कारणों का पता लग जाता है तो वे अधिक उत्साह के साथ पूँजी का विनियोजन करते हैं।। २स अवस्था म सामान्यतः जहाँ एक ओर पुराने उद्यम पूँजीपति अपनी विनियोजित पूँजी को घटा देते हैं, वहीं दूसरी ओर, नये यमपूजापति पूजी विनियोजन के लिए आकर्षित होते हैं। इस अवस्था में भी जोखिम की मात्रा अधिक रहती है तथा पूंजी विनियोजन अवधि 3 से 7 वर्ष तक की होती है। वे इस आशा से पूँजी का विनियोजन करते हैं कि उद्यम यथाशीघ्र लाभ देना प्रारम्भ कर देगा और हानियों का क्रम समाप्त हो जायेगा।

Venture Capital Notes

1 बाद की अवस्था में वित्त (Later Stage Financing)

(1) विकास तथा विस्तार अवस्था (Development and Expansion Stage)-किसी उद्यम का स्थापना । होने, निर्माण कार्य प्रारम्भ होने तथा उत्पाद विक्रय का कार्य प्रारम्भ होने के पश्चात् उसके विकास तथा विस्तार का कार्य प्रारम्भ होता है। इस अवस्था में जोखिम की मात्रा कम हो जाती है। अतएव उद्यम पूँजीपति आसानी से पूंजी का विनियोजन करने के लिए तत्पर हो जाते हैं। इस अवस्था में विनियोजित पँजी की अवधि सामान्यत: घटकर 1 वर्ष से लेकर 3 वर्ष के लिए रह जाती है।

(2) प्रतिस्थापन वित्त अवस्था (Replacement Finance Stage)-प्रतिस्थापन पूँजी से आश्य पुराने उद्यम पूंजीपतियों के हटने तथा उनके स्थान पर नये उद्यम पूँजीपतियों के आगमन से है। इस प्रकार इस अवस्था में नवीन पँजी की उत्पत्ति नहीं होती है अपितु पूँजी की प्रतिस्थापना होती है। इस अवस्था के कई कारण हो सकते हैं, जैसे—पुराने विनियोक्ताओं के द्वारा अपने अंशों का विक्रय किया जाना और उनके स्थान पर नये विनियोक्ताओं द्वारा उनका क्रय करके उद्यम में प्रवेश करना, इस अवस्था में भी जोखिम की मात्रा घट जाती है तथा विनियोजित पूँजी की अवधि सामान्यत: 2 वर्ष से लेकर 4 वर्ष तक की रह जाती है।

(3) वित्त वसूली अवस्था (Recovery Finance Stage)—इस अवस्था में उद्यमी अपनी पूर्ण क्षमता का उपयोग करते हुए उत्पाद करना प्रारम्भ कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप हानि के स्थान पर लाभ होने लगता है। उद्यम का आधुनिकीकरण होने लगता है। उद्यमी की विनियोजित पूँजी में हुई क्षति की वसूली होना प्रारम्भ हो जाता है। अतएव उद्यमी पूँजी में हुई क्षति की वसूली (Recovery) करते हैं। इस अवस्था में जोखिम में उतार-चढ़ाव आने लगते हैं अर्थात् कभी जोखिम घट जाती है तो कभी जोखिम बढ़ जाती है। इस अवस्था में विनियोजित उद्यम पूँजी की अवधि सामान्यतः 3 वर्ष से लेकर 5 वर्ष की होती है।

प्रबन्धकीय नियन्त्रण हेतु वित्तपोषण

(Management Buy Out Financing)

स्पष्ट है कि जोखिम पूँजी वित्तपोषण के प्रथम चरण में नवीन औद्योगिक उपक्रम के आरम्भ करने हेतु आवश्यक क्रियाकलापों; जैसे स्थापना, अनुसन्धान, विकास, विपणन आदि के लिए पूँजी प्रदान की जाती है। चूँकि यह पूँजी उपक्रम आरम्भ करने की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु होती है, इसलिए इसे आरम्भिक या प्रारम्भिक वित्त पोषण कहते हैं।

उपक्रम की स्थापना के पश्चात् उसके आकार व स्वरूप को विस्तार प्रदान करना होता है, जिसके लिए द्वितीय चरण में ‘विस्तार वित्तपोषण’ किया जाता है। इस चरण में प्रदत्त जोखिम पूँजी का उद्देश्य बढ़ी हुई संचालन आवश्यकताओं, विस्तार योजनाओं और अतिरिक्त निर्गमन की वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति करना होता है।

एक सुव्यवस्थित वसुनियोजित रूप से विकसित औद्योगिक उपक्रम अन्य प्रतियोगी उपक्रमों या पूरक उपक्रमों को अधिगृहीत करके विराट स्वरूप को प्राप्त करने तथा अपनी व्यावसायिक सीमाओं को दूर तक बढ़ाकर लाभ अर्जित करने की स्थिति में आ जाता है। इसके लिए उसे विभिन्न उत्पादों, उत्पादक फर्मों व प्रबन्धों का अधिग्रहण या क्रय करने हेतु तथा बीमार या शिथिल इकाइयों के उचित संचालन हेतु पर्याप्त वित्त की आवश्यकता होती है जिनकी पूर्ति जोखिम पूँजी पोषण के तृतीय चरण में की जाती है।

भारत में उद्यम/जोखिम पूँजी प्रदान करने वाली संस्थाओं का वर्गीकरण

भारत में जोखिम पूँजी प्रदान करने वाली संस्थाओं एवं कम्पनियों का महत्त्व शनैः शनैः बढ़ रहा है। किन्तु आज भी जोखिम पूँजी वाली कम्पनियों के कार्यालय मुख्य रूप से कोलकाता, मुम्बई, दिल्ली, बंगलुरू, चेन्नई या विभिन्न राज्यों की राजधानियों तक ही सीमित हैं। भारत में वर्तमान में मुख्य रूप से जोखिम पूँजी प्रदान करने वाली 15 कम्पनियाँ हैं जिनको अग्र प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है

(1) वित्तीय संस्थाओं द्वारा प्रवर्तित कम्पनियाँ (Companies setup by Financial Institutions) औद्योगिक विकास बैंक, औद्योगिक वित्त निगम आदि द्वारा भारत में जोखिम पूँजी की स्थापना की गई है तथा इनके द्वारा प्रवर्तित कम्पनियों । की स्थापना की गई है, जैसे TDICI तथा RCTFC..

(2) राज्यस्तर की वित्तीय संस्थाओं द्वारा प्रवर्तित कम्पनियाँ (Companies setup by State level Financial Institution) औद्योगिक दृष्टि से जागरूक राज्य वित्त निगमों जैसे गुजरात, आन्ध्र प्रदेश आदि द्वारा जोखिम पूँजी प्रदान करने वाली कम्पनियों की स्थापना की गई। जैसे GVCL तथा APVCL.

(3) वाणिज्यिक बैंकों द्वारा प्रवर्तित कम्पनियाँ (Companies setup by Commercial Banks) सार्वजनिक क्षेत्रों के वाणिज्यिक बैंकों जैसे केनरा बैंक, स्टेट बैंक, सैण्ट्रल बैंक आदि द्वारा जोखिम पूँजीकोष की स्थापना तथा जोखिम पूँजी। कम्पनियों का प्रवर्तन किया गया। जैसे Can Finance एवं SBI Capital Market Ltd.

(4) निजी क्षेत्रों में प्रवर्तित कम्पनियाँ (Companies setup in the Private Sector)-1991 में नवीन औद्योगिक नीति के द्वारा भूमण्डलीयकरण तथा निजी क्षेत्रों की सहभागिता बढ़ाने के लिए अनेक प्रभावी कदम उठाए गए। निजी क्षेत्रों द्वारा भी जोखिम पूँजी प्रदान करने वाली कम्पनियों की स्थापना 1990 के दशक से भारत में प्रारम्भ हुई; जैसे Indus VCF, CCVF 721 Grindlay.

विगत वर्षों में बीमा कम्पनियों, विदेशी संस्थागत निवेशकों तथा अप्रवासी भारतीयों ने भी जोखिम पूँजी प्रदान करने वाली कम्पनियों के प्रवर्तन एवं स्थापना में रुचि प्रदर्शित की है।

Venture Capital Notes

भारत में उद्यम/जोखिम पूँजी के स्रोत

(Source of Venture Capital in India)

अथवा

उद्यम पूँजी के स्रोत

(Source of Venture Capital)

भारत में जोखिम पूँजी प्रदान करने वाली कम्पनियों का प्रवर्तन यद्यपि 20वीं शताब्दी के अन्त में हुआ, परन्तु अल्पकाल में ही भारत में इन कम्पनियों ने अपनी जड़ें जमा ली और उद्यमिता विकास एवं नवप्रवर्तन में उद्यमिता विकास एवं नवप्रवर्तन में उद्योगों को अपेक्षित वित्तीय सहायता प्रदान की।

वर्तमान में भारतीय वित्त बाजार में जोखिम पूँजी प्रदान करने वाली प्रमुख संस्थाएँ निम्नांकित हैं।

1. दि रिस्क कैपिटल एण्ड टैक्नोलॉजी फाइनेन्स कार्पोरेशन (RCTC) (आई. एफ. सी. आई. द्वारा प्रवर्तित)

2. टेक्नोलॉजी डिवलेपमेण्ट एण्ड इन्फार्मेशन कम्पनी आफ इण्डिया (TDICI) (आई.सी.आई.सी.आई. द्वारा प्रवर्तित)

3. गुजरात वेन्चर फाइनेन्स लिमिटेड (GVFL)

4. एस.बी.आई. कैपिटल मार्केट लिमिटेड (SBI Capital Market)

5. इण्डियन इन्वेस्टमेण्ट फण्ड बाई ग्रिन्डलेज़ बैंक

6. क्रेडिट कैपिटल वेन्चर फण्ड (CCVF)

7. इण्डस वैन्चर कैपिटल फण्ड

8. लाइन्स फाइनेन्स.

9. ट्वन्टियथ सेन्चुरी वेन्चर कैपिटल फण्ड

10. इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एण्ड फाइनेन्शियल सर्विसेज कम्पनी लिमिटेड

11. केन बैंक फाइनेन्शियल सर्विसेज

12. आन्ध्र प्रदेश इण्डस्ट्रियल डवलपमेण्ट कारपोरेशन

13. सिडबी (SIDBI) वेन्चर कैपिटल स्कीम

14. वेन्चर कैपिटल डिवीज़न ऑफ आई.डी.बी.आई.

15. आई.एफ.बी. वेन्चर कैपिटल फाइनेन्स लिमिटेड।

उपर्युक्त में से कुछ विशिष्ट स्रोतों का वर्णन निम्नलिखित है ।

Venture Capital Notes

(1) आई.सी.आई.सी.आई. के आत्म उद्योग (ICICI’s Initiatives) आई.सी.आई.सी.आई. उन प्रथम संस्थाओं। मसे एक है जिन्होंने भारत में जोखिम पूँजी कोष का प्रारम्भ किया। इस ने सुगम देशी तकनीकों के विकास तथा वाणिज्यीकरण हेतु वित्त प्रदान करते हुए वर्ष 1986 में जोखिम पूँजी प्रारम्भ की। इसकी वित्तीय योजना ऐसी परियोजनाओं को उत्पाद विकास की अवस्था से बाजार स्वीकृति की अवस्था तक की वित्त पोषण की थी। आई.सी.आई.सी.आई. ने 31 मार्च, 1988 तक जोखिम पूंजी के अन्तर्गत नौ कम्पनियों 55 मिलियन रुपये की कुल सहायता प्रदान की, इसके अतिरिक्त पी. ए. सी.टी. कोष के अन्तर्गत बारह परियोजनाओं को लगभग 40 मिलियन रुपये के बराबर की कल सहायता की अनुमति भी दी। तत्पश्चात् तकनीकी वित्त । हेतु ध्यान केन्द्रित करने के लिए, भारत में एक पृथक् योजना बनाने की आवश्यकता महसूस की गई। अत: एक नई कम्पनी का निर्माण हुआ जिसको कि टेक्नोलॉजी डवलपमेण्ट एण्ड इन्फॉर्मेशन कम्पनी ऑफ इण्डिया लिमिटेड (TDICI) नाम दिया गया।

(2) आई.डी.बी.आई. के जोखिम कोष (IDBI Venture Fund) आई.डी.बी.आई. का जोखिम पूँजी कोष जोखिम वित्त प्रदान करने हेतु 1986 में प्रारम्भ हुआ। यह उन परियोजनाओं पर विचार करता है जिनमें 0.5 से 25 मिलियन रुपये कोष की आवश्यकता होती है तथा जिनमें प्रवर्तकों का हिस्सा 5 मिलियन रुपये से कम जोखिम होने की दशा में 15 प्रतिशत होता है। यह सहायता कम-से-कम कानूनी औपचारिकताओं के साथ एक असुरक्षित ऋण की तरह दी जाती है। उत्पादन परीक्षण तथा तकनीकी विकास की समय अवधि में रियाय दर से ब्याज 9 प्रतिशत (6 प्रतिशत से वृद्धि होकर) चार्ज किया जाता है। जबकि बाजार से उत्पादित वस्तु स्वीकार होने के बाद यह ब्याज दर 17 प्रतिशत होती है।

आई.डी.बी.आई. जोखिम पूँजी कोष ने मार्च 31, 1998 तक 76 परियोजनाओं को 702 मिलियन रुपये कोष की मंजूरी दी जोकि विभिन्न क्षेत्रों, जैसे—कम्पूयटर, सॉफ्टवेयर, रसायन, जैव तकनीकी, खाद्य उत्पाद, चिकित्सा सम्बन्धी यन्त्र, आदि के लिए था।

कुछ प्रस्तावित सहायता में से 517 मिलियन रुपये वितरित किए गए। रसायन, विद्युत् तथा कुछ विशिष्ट पदार्थों के लिए क्रमश: 20.4 प्रतिशत, 14.8 प्रतिशत और 8.8 प्रतिशत वितरण किया गया।

(3) टी.डी.आई.सी.आई. के जोखिम कोष (TDICI Venture Fund) टी.डी.आई.सी.आई. जोखिम कोष का निगमन 5 जनवरी, 1988 को हुआ तथा इसने 1 जुलाई, 1988 से कार्य प्रारम्भ किया । इसके प्रारम्भ में अधिकृत पूँजी 200 मिलियन रुपये की थी जो कि 400-500 मिलियन रुपये तक होनी थी। आई.सी.आई.सी.आई. के अतिरिक्त समता पूँजी 60 प्रतिशत भाग का योगदान आई.डी.बी.आई., विश्व बैंक, के.एफ.डब्ल्यू.सी.डी.सी. तथा डी.ई.जी. द्वारा था। जबकि 40 प्रतिशत भाग लगभग 1000 लघु, मध्यम तथा वृहत् भारतीय औद्योगिक कम्पनियों द्वारा प्रदत्त था। टी.डी.आई.सी.आई. की योजनाओं में निम्नलिखित शामिल हैं—(i) तकनीकी जोखिम वित्त पोषण, (ii) तकनीकी सूचना और तकनीकी प्रबन्धकीय निर्देशन व सहयोग, (iii) वाणिज्यिक तकनीकी प्रगति के कार्यक्रम की प्रशासनिक सेवा (PACT) एवं भारत सरकार के वाणिज्य ऊर्जा शोध की गतिवृद्धि हेतु कार्यक्रम।

टी.डी.आई.सी.आई. के प्रथम जोखिम पूँजी कोष के 200 मिलियन रुपये का अंशदान, यू.टी.आई. के नव जोखिम पूँजी इकाई योजना (VECAUS-I) के अन्तर्गत, आई.सी.आई.सी.आई एवं यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया द्वारा समान रूप में था। टी.डी.आई.सी.आई. के द्वितीय जोखिम कोष (VECAUS-II) के 1000 मिलियन रुपये का योगदान यू.टी.आई., आई.सी. आई.सी. अन्य वित्तीय संस्थान, विश्व बैंक तथा कार्पोरेट क्षेत्रों, आदि द्वारा था। 31 मार्च, 1998 तक टी.डी.आई.सी.आई. ने 729-9 मिलियन रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की। इसमें 258.1 मिलियन रुपये पर कम्पनियों को VECAUS-I के अन्तर्गत तथा 460-3 मिलियन रुपये 79 कम्पनियों को VECAUS-II के अन्तर्गत प्रदान किए जो विभिन्न क्षेत्रों के उद्योगों को था।

(4) गुजरात वेन्चर फाइनेन्स लिमिटेड (GVFL)-गुजरात वेन्चर फाइनेन्स लिमिटेड की स्थापना गुजरात इण्डस्ट्रियल इन्वेस्मेण्ट कार्पोरेशन (GHC) लिमिटेड द्वारा जुलाई 1990 में जोखिम वित्त प्रदान करने हेतु की गई इसके कोषों को कुछ आकार 240 मिलियन रुपये है, जो कि जी.आई.आई.सी., आई.डी.बी.आई., विश्व बैंक, राज्यों के वित्तीय निगम तथा निजी वाणिज्यिक संस्थाओं द्वारा अंशदानित हैं। जी.वी.एफ.एल. जोखिम वित्त समता तथा समता जैसे लेख पत्रों के रूप में प्रदान करता है। 31 मार्च, 1998 तक इसने 12 कम्पनियों को विभिन्न क्षेत्रों जैसे रसायन, उपभोक्ता, उत्पादन, आदि में 106.7 मिलियन रुपये का। वित्तीय सहायता प्रदान की। जी.वी.एफ.एल.जैव तकनीकी, सॉफ्टवेयर, रसायन, प्लास्टिक, सर्जिकल इन्स्ट्रमेन्ट, आदि के क्षेत्र । में कई प्रस्ताव हैं।

(5) निजी क्षेत्र के जोखिम पूँजी कोष (Private Sector Venture Capital Funds)-भारत में कुछ निजी क्षेत्र के जोखिम पूँजी कोषों की स्थापना भी हुई। इण्डस वेन्चर कैपिटल फण्ड (IVCF) इनमें से एक है। आई.वी.सी.एफ. की स्थापना 210 मिलियन रुपये की पूँजी के साथ हुई जिसमें कई भारतीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय संस्थानों एवं कम्पनियों का अंशदान था। इसके कोषों का विनियोग पृथक् कम्पनी द्वारा प्रबन्धित होता है जिसका नाम इण्ड्स वेन्चर मैनेजमेण्ट लिमिटेड है। कम्पनी समता पँजी तथा उद्यमी को प्रबन्धकीय सहायता प्रदान करती है। कम्पनी किसी भी एक परियोजना में अपने कोषों के 10 प्रतिशत से अधिक विनियोग नहीं करती है तथा परियोजना की क्षमता का 50 प्रतिशत खुद लेती है।

(6) आई.एफ.सी.आई. की जोखिम पूँजी (IFCI’s Risk Capital) आई.एफ.सी.आई. ने 1975 में ‘रिस्क कैपिटल फाउण्डेशन’ (RCF) का प्रायोजन किया जोकि तत्पश्चात् जनवरी 1988 में रिस्क कैपिटल एण्ड टेक्नॉलोजी फाइनेन्स कार्पोरेशन लिमिटेड (RCTC) में परिवर्तित हो गई। इसकी अधिकृत पूँजी 250 मिलियन रुपये है तथा दत्त पूँजी 50 मिलियन रुपये है।

अपनी नई भूमिका में आर.सी.टी.सी. (RCTC) जोखिम पूँजी के रूप में सहायता साब्ध कराने के अतिरिक्त तकनीकी वृद्धि एवं विकास हेतु जोखिम पूँजी के रूप में उच्च तकनीकी परियोजनाओं को भी वित्त प्रदान करेगी। जोखिम पूँजी योजना के अन्तर्गत आर.सी.टी.सी. ने 31 मार्च, 1998 तक 350 मिलियन रुपये 236 परियोजनाओं को प्रदान करने की अनुमति दी तथा इसने तकनीकी वित्त एवं विकास योजना के अन्तर्गत भी 23 परियोजनाओं को 130 मिलियन रुपये प्रदान करने की की अनुमति दी। जोखिम पूँजी योजना के अन्तर्गत आर.सी.टी.सी. ने 17 परियोजनाओं को 160 मिलियन रुपये प्रदान करने की अनुमति दी जिसमें से 404 मिलियन 31 मार्च, 1998 तक वितरित कर दिये गये।

(7) वाणिज्यिक बैंकों के जोखिम कोष (Venture Capital Funds of Commercial Banks) भारतीय स्टेट बैंक, केनरा बैंक, ग्रिन्डले बैंक तथा कई अन्य बैंकों ने भी जोखिम पूँजी कोष प्रारम्भ किया। भारतीय स्टेट बैंक मर्चेन्ट बैंकिंग सहायक, भारतीय स्टेट बैंक पूँजी बाजार (SBI Cap.) जोखिम पूँजी का प्रारम्भ (Bought-out deals) हेतु किया। एस.बी.आई.कैप्स ने नई तथा अज्ञात कम्पनियों के समता अंशों में काफी विनियोग किया। केनरा बैंक ने भी अपनी सहायक द्वारा एक पूँजी कोष केन बैंक फाइनेन्सियल सर्विसेज (Can Fina.) का निर्माण किया। कैन बैंक म्यूचुअल फण्ड ने भी कई और जोखिम कोष की योजना बनाई है तथा ग्रिन्डले बैंक भी भारतीय विनियोग कोष के अन्तर्गत उच्च जोखिम परियोजनाओं को जोखिम पूँजी सहायता प्रदान करती है।

दूसरे निजी क्षेत्र की जोखिम पूँजी कम्पनियों में निम्नलिखित शामिल हैं।

  • ट्वन्टियथ सेन्च्युरी फाइनेन्स लिमिटेड (TCFC)
  • क्रेडिट कैपिटल वेन्चर फण्ड इण्डिया लिमिटेड (CCVF)
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एण्ड फाइनेन्शियल सर्विसेज लिमिटेड, आदि। ।

क्रेडिट कैपिटल ने 31 मार्च, 1998 तक 9 कम्पनियों को 24 मिलियन रुपये की समता की अनुमति प्रदान की, जबकि इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग ने 8 उपक्रमों को 81-25 मिलियन रुपये की सहायता प्रदान की।

Venture Capital Notes

आवश्यक प्रलेखीकरण

(Documentation Required)

प्रत्येक उद्यमी को, जोकि उद्यम पूँजी कोष से आर्थिक सहायता प्राप्त करना चाहता है, पात्रता को प्रमाणित करने के लिए आवश्यक प्रलेख प्रस्तुत करने होते हैं। कौन-से प्रलेख प्रस्तुत करने होंगे, यह बहुत कुछ सीमा तक उपक्रम का आकार तथा उसके स्तर पर निर्भर करता है जिसके लिए उद्यम पूँजी की आवश्यकता है। उद्यम पूँजी की आवश्यकता सामान्यत: किसी नवीन उद्यम की स्थापना करने, विकास करने एवं विस्तार करने के लिए होती है, किन्तु अधिकांश मामलों में उद्यम पूंजी की स्थापना। नवान उद्यम स्थापना करने के लिए ही होती है इसका कारण यह है कि सामान्यत: उद्यम पूँजी ऐसे व्यावसायिक उपक्रमों की स्थापना। के लिए दी जाती है जिनमें जोखिम की अधिक मात्रा होती है, आधुनिक प्रौद्योगिकी की आवश्यकता होती है, अधिक लाभ हाने । का सम्भावना रहती है तथा एक सामान्य विनियोक्ता उनमें आसानी से अपना धन विनियोजित करने के लिए तत्पर नहीं होता ।। एस प्रलेखों की आवश्यकता मुख्य रूप में सविश्वास, पात्रता, व्यवहार्यता (Feasibility), औचित्य तथा भुगतान क्षमता आदि शांत करने के लिए होती है। सामान्यतः एक नवीन व्यावसायिक उपक्रम को अपनी स्थापना के समय उद्यम पूंजी प्राप्त करने। के लिए उपयुक्त सत्ता के समक्ष अग्रलिखित प्रलेखों को फाइल करना पड़ता है

1 औद्योगिक (विकास एवं नियमन) अधिनियम के अन्तर्गत लाइसेन्स लेने के आवेदन की प्रति (यदि ऐसा करना आवश्यक हो)।

2 निजी व्यावसायिक क्षेत्र में इकाई की स्थापना के लिए औद्योगिक शेड की स्थापना हेतु उपयुक्त सत्ता से औद्योगिक शेड स्थापित करने के लिए आवेदन करने अथवा अनुमति-प्राप्ति की प्रति।

3. ज़िला उद्योग केन्द्र द्वारा निर्गमित अस्थायी पंजीयन प्रमाण-पत्र की प्रति। इसकी आवश्यकता राज्य वित्त निगम/राज्य औद्योगिक विकास निगम से उद्यम पूँजी प्राप्त करने के लिए होती है।

4. बिजली का कनेक्शन लेने की अनुमति। यह अनुमति भारतीय बिजली अधिनियम, 1910 के अन्तर्गत लेना आवश्यक सहै। इसकी अनुमति राज्य सरकार के विद्युत मण्डल द्वारा प्रदान की जाती है।

5. प्रवर्तकों द्वारा किये जाने वाले समता अनुदान का प्रमाण। शेष समता राशि किस प्रकार से प्राप्त की जायेगी, इसका उल्लेख।

6. व्यवहार्यता प्रतिवेदन (Feasibility Report) की प्रति। इसमें इस बात का उल्लेख होता है कि उद्यम को आर्थिक एवं तकनीकी दृष्टि से स्थापित किया जा सकता है।

7. यदि उद्यम की स्थापना औद्योगिक दृष्टि से पिछड़े एवं अविकसित क्षेत्र में की जाती है तो उसके प्रमाण-पत्र की प्रति इसे उसी स्थिति में देना आवश्यक है, जबकि उद्यमी ऐसी परियोजना के अन्तर्गत रियायतें लेना चाहता है।

8. तकनीकी विवरण-क्षेत्र, प्रक्रिया, स्तर, नक्शे, डिजाइन, उपलब्ध भौतिक संसाधन आदि का संक्षिप्त विवरण।

9. घोषणा-पत्र कि उद्यम की स्थापना हेतु सम्बन्धित सत्ताओं से आवश्यक अनुमति, स्वीकृति, निकासी आदि प्राप्त कर ली गई हैं अथवा प्राप्त कर ली जायेंगी।

10. परियोजना में निहित जोखिम का मात्रा व प्रकार का उपयुक्त विश्लेषण।

11. वित्तीय आवश्यकताओं का व्यापक वितरण।

12 यदि उद्यमी अनुसूचित जाति, अक्षम, एक्स-सर्विसमैन अथवा विधवा है तो उसके प्रमाण-पत्र कीप्रति।

13. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम से निकासी प्रमाण-पत्र की प्रति।

14. अन्य आवश्यक प्रलेख।

Venture Capital Notes

उपयोगी प्रश्न (Useful Questions)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

1 उद्यम पूँजी का अर्थ एवं इसकी प्रमुख विशेषताओं को बताइये।

Explain the meaning and characteristics of Venture Capital.

2. उद्यम पूजी क्या है? भारत में उद्यम पूँजी के स्रोतों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

What is Venture Capital ? Describe in brief the sources of Venture Capital in India.

3. उद्यम पूँजी के वित्तीयन की विभिन्न अवस्थओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

Describe in brief the different stages of financing of Venture Capital.

4. उद्यम पूँजी क्या है? उद्यम पूंजी प्राप्त करने के लिए आवश्यक विभिन्न प्रलेखों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

What is Venture Capital ? Describe in brief the various documents required for obtaining venture capital.

5. भारत में उद्यम पूँजी के विभिन्न कोषों/ कम्पनियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

Briefly describe the various Venture Capital Funds/Companies in India.

6. उद्यम पूँजी के उद्गम एवं विकास का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

Describe in Brief the Evalution and Development of Venture Capital.

7. जोखिम/उद्यम पूँजी से आप क्या समझते हैं ? इसे प्राप्त करने की क्या योग्यताएँ होनी चाहिए?

What do you mean by Venture Capital? Elaborate its eligibility requirement to avail of this facility.

8. निम्न को समझायें

Explain the Following

() बीज पूँजी

Seed Capital

() उद्यम पूँजी की वित्तीयन अवस्थायें

Stages of Financing Venture Capital .

Venture Capital Notes

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

1 उद्यम पूँजी का अर्थ समझाइए।

Explain the meaning of venture capital.

2. उद्यम पूंजी की प्रमुख विशेषताओं को बताइए।

Explain the main characteristics of venture capital.

3. उद्यम पूँजी के अखिल भारतीय स्तरीय वित्तीय स्रोतों के कोषों के नाम बताइए।

Name the all India level financial sources funds of venture capital.

4. बीज पूँजी का अर्थ बताइए।

State the meaning of seed capital.

5. उद्यम पूँजी के भारत में राज्य स्तरीय वित्तीय स्रोतों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

Describe in brief the state level financial sources of venture capital in India.

6. उद्यम पूँजी की वित्तीयन अवस्थओं के नाम बताइए।

State the name of stages of financing venture capital.

Venture Capital Notes

III. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

1 उद्यम पूँजी क्या है?

What is venture capital?

2. उद्यम पूँजीपति की विशेषतायें क्या हैं? कोई दो विशेषताएँ बतायें।

What are the characteristics of Venture Capitalist ? State any two.

3. आवश्यक प्रलेखीकरण क्या है?

What is documentation required?

4. उद्यम पूँजी कोष से क्या आशय है ?

What is meant by venture capital fund?

5. परम्परागत पूँजी तथा उद्यम पूँजी में अन्तर बताइए।

Differenciate between traditional capital and venture capital.

Venture Capital Notes

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

सही उत्तर चुनिए (Select the Correct Answer)

(i) उद्यम पूँजी अवधारणा का उद्गम हुआ था

(अ) भारत में

(ब) इंग्लैण्ड में

(स) अमेरिका में

(द) जापान में।

Venture Capital concept originated

(a) In India

(b) In England

(c) In America

(d) In Japan.

(ii) जोखिम पूँजी न्यास की स्थापना की गई थी

(अ) आई. एफ. सी. आई.

(ब) यू. टी. आई.

(स) आई. डी. बी. आई.

(द) आई. सी. आई. सी. आई.

Risk Capital Foundation was established by

(a) IFCI

(b) UTI

(c) IDBI

(d) ICICI.

(iii) जोखिम पूँजी न्यास की स्थापना हुई थी

(अ) 1970

(ब) 1975

(स) 1986

(द) 1988

Risk Capital Foundation was established in

(a) 1970

(b) 1975

(c) 1986

(d) 1988

(iv) उद्यम पूँजी में होती है

(अ) अधिक जोखिम

(ब) सामान्य जोखिम

(स) जोखिम नहीं

(द) इनमें से कोई नहीं।

In venture capital there is

(a) High Risk

(b) Normal Risk

(c) No Risk

(d) None of these.

Venture Capital Notes

(v) भारत विनियोग कोष की स्थापना की गई थी

(अ) आई. एफ. सी. आई. द्वारा

(ब) ग्रिण्डले बैंक द्वारा

(स) स्टेट बैंक द्वारा

(द) केनबैंक द्वारा।

India Investment Found was established by

(a) IFCI

(b) Grindlay Bank

(c) State Bank

(d) Can Bank.

(vi) उद्यम पूँजी मार्गदर्शिकाओं का निर्गमन किया गया था

(अ) 1975 में

(ब) 1980 में

(स) 1986 में

(द) 1988 में।

Venture Capital Guidelines were issued in

(a) 1975

(b) 1980

(c) 1986

(d) 1988.

(vii) भारतीय प्रौद्योगिकी विकास एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर निगम की स्थापना हुई थी

(अ) 1975

(ब) 1986

(स) 1988

(द) 19901

Technology Development and Infrastructure Corporation of India was established in

(a) 1975

(b) 1986

(c) 1988

(d) 1901

(viii) भारत सरकार द्वारा निर्गमित मार्गदर्शिका के अनुसार उद्यम पूँजी कोष/कम्पनी का ऋण-समता अनुपात होता है

(अ) 1.5

(ब) 2.0

(स) 0.5

(द) 2.51

According to Guidelines issued by the Government of India, the debt-equity ratio of Venture Capital Fund/Company is

(a) 1.5

(b) 2.0

(c)0.5

(d) 2.5.

(ix) उद्यम पूँजी उपलब्ध होती है

(अ) अत्यधिक जोखिमी इकाई के लिए

(ब) तकनीकी इकाई के लिए

(स) स्थापना के लिए

(द) इन सभी के लिए।

Venture Capital is available

(a) For Highly Risky Unit

(b) For Technical Unit

(c) For Establishment

(d) For all these. .

(x) भारत में नवीन जोखिमी व्यावसायिक इकाइयों की स्थापना के लिए उद्यम पूँजी है

(अ) अनावश्यक

(ब) आवश्यक

(स) अत्यधिक आवश्यक

(द) पूँजी की बर्बादी।

For establishing new and risky business units in India venture, capital is

(a) Unnecessary

(b) Necessary

(d) Extremely Necessary

(d) Wastage of Capital.

(xi) बीज पूँजी की सबसे अधिक आवश्यकता होती है

(अ) स्थापना की अवस्था में

(ब) विकास की अवस्था में

(स) विस्तार की अवस्था में

(द) आधुनिकीकरण की अवस्था में।

Seed Capital is needed most

(a) In Establishment Stage

(b) In Development Stage

(c) In Expansion Stage

(d) In Modernisation Stage.

[उत्तर-(i) (), (ii) (अ), (iii) (ब), (iv) (अ), (v) (ब), (vi) (द), (vii) (स), (viii) (अ), (ix) (द), (x) (स), (xi) (अ)]

Venture Capital Notes

2. इंगित करें कि निम्नलिखित वक्तव्य ‘सही’ हैं या ‘गलत’

(Indicate Whether the Following Statements are True’ or ‘False’)

(i) उद्यम पूँजी की अवधारणा का उद्गम जापान में हुआ था।

Concept of venture capital originated in Japan.

(ii) उद्यम पूँजी फर्म बीज पूँजी प्रदान करती है।

Venture capital firms provide seed capital.

(iii) उद्यम पूँजी अत्याधिक जोखिमी होती है।

Venture capital is highly risky.

(iv) जोखिम पूँजी न्यास की स्थापना भारतीय प्रौद्योगिक वित्त निगम द्वारा की गई थी।

Risk Capital Foundation was established by the Industrial Financial Corporation of India.

(v) आई. सी. आई. सी. आई, उद्यम कोष प्रबन्ध की स्थापना भारतीय रिजर्व बैंक ने की थी।

ICICI Venture Fund Management was established by Reserve Bank of India.

(vi) उद्यम पूँजी अवधारणा का उद्गम अमेरिका में हुआ था।

The concept of venture capital originated in America.

(vii) जोखिम पूँजी न्यास की स्थापना सन् 1988 में हुई थी।

Risk Capital Foundation was established in 1988.

(viii) भारत में उद्यम पूँजी मार्गदर्शिकाओं का निर्गमन सन् 1990 में हुआ था।

Guidelines for venture capital were issued in 1990 in India.

(ix) उद्यम पूँजी की मार्गदर्शिकाएं भारत में विदेशी बैंकों पर लागू नहीं होती है।

Guidelines for venture capital do not apply on foreign banks situated in India.

 (x) आई. डी. बी. आई. उद्यम पूँजी कोष की स्थापना सन् 1988 में हुई थी।

IDBI Venture Capital Fund was established in 1988.

(xi) उद्यम पूँजीपति व्यवसाय की जोखिम में सहभागी होते हैं।

Venture capitalist share the risk in the business.

(xii) उद्यम पूँजी व्यापारिक संस्थाओं के लिए भी उपलब्ध है।

Venture capital is also available for trading concerns.

उत्तर-(i) गलत, (ii) सही, (iii) सही, (iv) सही, (v) गलत, (vi) सही, (vii) गलत, (viii) गलत, (ix) गलत, (x) गलत. (xi) सही, (xii) गलत]

Venture Capital Notes

3. रिक्त स्थान भरें (Fill in the Blanks)

(i) उद्यम पूँजी में ………. होती है।

In venture capital there is …….. [अधिक जोखिम (High Risk)/सामान्य जोखिम (Normal Risk/जोखिम नहीं (No Risk)]

(ii) भारतीय विनियोग कोष की स्थापना ……….. की गई थी।

India Investment Fund was established by …….. स्टेट बैंक (State Bank)/रिजर्व बैंक (Reserve Bank)/ग्रिण्डले बैंक द्वारा (Grindlay Bank)]

(iii) उद्यम पूँजी मार्गदर्शिकाओं का निर्गमन ………. में किया गया था।

Venture Capital guidelines were issued in …….. [1988/1980/1999]

(iv) बीज पूँजी की सबसे अधिक आवश्यकता ……… होती है।

Seed capital is needed most ……. स्थापना अवस्था में (in established stage)/विकास की अवस्था में (in development stage)/ विस्तार की अवस्था में (in expansion stage)]

(v) जोखिम पूँजी न्यास की स्थापना …….. के द्वारा की गई थी।

Risk capital foundation was established by ……… आई. डी. बी. आई. (IDBI)/आई. एफ. सी. आई. (IFCI)/यू. टी. आई. (UTIDI

उत्तर6) अधिक जोखिम (High Risk), (ii) ग्रिण्डले बैंक द्वारा (Grindlay Bank), (iii) 1988.(iv) स्थापना की अवस्था में (in establishment stage), (v). आई. एफ. सी. आई. (IFCD]

Venture Capital Notes

4. मिलान सम्बन्धी प्रश्न (Matching Questions)

भाग-अ का भाग-ब से मिलान कीजिए (Match Part-A with Part-B)

भाग-अ (Part-A)

 

भाग-ब (Part-B)

1. उद्यम पूँजी में (In venture capital)

(a) तकनीकी इकाई के लिए (For technical unit)
2. उद्यम पूँजी उपलब्ध होती है (Venture capital is avail-

(b) 1988 में निर्गमित की गई थी (was issued in able)

1988)

 

3. उद्यम पूँजी मार्गदर्शिका (Venture Capital Guide-

(c) अधिक जोखिम होती है (The is a High risk)

lines)

4. नवीन जोखिमी व्यावसायिक इकाई की स्थापना के लिए (For For (d) स्थापना की अवस्था में (In establishment

establishing new and risky business unit) stage)

5. बीज पूँजी की सबसे अधिक आवश्यकता (Seed capital

(e) उद्यम पूँजी अत्यधिक आवश्यक है (Venture is needed most)

 

 [उत्तर1. (c), 2. (a), 3. (b), 4. (e), 5.(d).]

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chetansati

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