BCom 2nd Year Working Hours for Adults Study Material Notes in hindi

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BCom 2nd Year Working Hours for Adults Study Material Notes in Hindi

Table of Contents

BCom 2nd Year Working Hours for Adults Study Material Notes in Hindi: Weekly Working Hours Weekly Holiday Compensatory Holiday Daily Hours Intervals for Rest Daily Spread Over of Working Time Night Shifts  Extra wages for Overtime Restriction on Double Employment Notice of Periods of Work For Adults Register of Adult Workers Working hours According to Sec 61 and 62 Power to Make Exempting Rules Important Questions Examination Long Answer Questions Short Questions Answer :

Working Hours for Adults
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BCom 2nd year Corporate Laws Safety Study Material Notes In Hindi

प्रौढ़ अथवा वयस्क श्रमिकों के कार्य के घण्टे

(WORKING HOURS FOR ADULTS)

कारखाने में कार्य करने वाले श्रमिकों की कुशलता उनके कार्य के घण्टों पर निर्भर करती है। किसी भी। श्रमिक से लगातार अधिक समय तक कार्य कराने से न केवल उसकी कार्यकुशलता में कमी आती है वरन उनका स्वास्थ्य भी निरन्तर गिरता जाता है। अतः श्रमिकों की कार्यकुशलता में वृद्धि के लिये यह आवश्यक है कि उनके काम करने के घण्टे उचित हों एवं कार्य के दौरान विश्राम-मध्यान्तर की भी व्यवस्था हो।

प्रौढ़ अथवा वयस्क श्रमिक (स्त्री एवं पुरुष दोनों) से आशय ऐसे व्यक्ति से है जिसने अपनी आय का 18वाँ वर्ष पूरा कर लिया हो । भारतीय कारखाना अधिनियम, 1948 की धारा 51-66 के अन्तर्गत प्रौढ़ श्रमिकों। के कार्यशील घण्टों के सम्बन्ध में निम्नलिखित प्रावधानों का समावेश किया गया है

Working Hours for Adults

1 साप्ताहिक कार्य घण्टे (धारा 51)

(Weekly Working Hours)

(i) सप्ताह में अधिकतम 48 घण्टे कार्य करनाकारखाना अधिनियम की धारा 51 के अनुसार, कारखाने । में किसी भी प्रौढ़ श्रमिक से किसी भी सप्ताह में 48 घण्टे से अधिक न तो काम लिया जा सकता है और न ही उसे काम करने दिया जायेगा। इस प्रकार इस धारा के विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि कोई भी श्रमिक 48 घण्टे प्रति सप्ताह से अधिक कार्य नहीं कर सकेगा। वह स्वयं चाहे तो भी उसे अधिक समय के लिये कार्य पर नहीं लगाया जा सकता है। परिभोगी एवं श्रमिक पारस्परिक समझौता करके भी कार्य के घण्टों में वृद्धि नहीं कर सकते हैं।

(ii) अधिसमय (Overtime) में कार्य कराने पर प्रतिबन्ध-कारखाने का प्रबन्धक किसी भी श्रमिक को वैधानिक रूप से अतिरिक्त समय (Overtime) काम करने के लिये बाध्य नहीं कर सकता जब तक कि इस सम्बन्ध में उसने धारा 65 के अन्तर्गत राज्य सरकार या मुख्य निरीक्षक की अनुमति प्राप्त न कर ली हो।

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2. साप्ताहिक अवकाश (धारा 52)

(Weekly Holiday)

(i) सप्ताह के प्रथम दिन अर्थात् रविवार का अवकाश-प्रत्येक प्रौढ़ श्रमिक सप्ताह के प्रथम दिन अवकाश प्राप्त करने का अधिकारी है अत: किसी भी प्रौढ़ श्रमिक से सप्ताह के प्रथम दिन जो “रविवार” है न तो कारखाने में कार्य करने के लिये कहा जायेगा और न ही उसे कार्य करने की अनुमति ही प्रदान की जायेगी। परन्तु निम्नलिखित शर्तों के पूरा होने पर सप्ताह के प्रथम दिन अर्थात् रविवार को कार्य कराया जा सकता है

() सम्बन्धित रविवार से ठीक तीन दिन पूर्व अथवा तीन दिन पश्चात् एक दिन का पूरा अवकाश लेने पर यदि किसी श्रमिक ने उस प्रथम दिन से तुरन्त पहले तीन दिनों में से किसी भी एक दिन का पूरा अवकाश लिया है अथवा उस प्रथम दिन के तुरन्त बाद के तीन दिनों में से किसी एक दिन का पूरा अवकाश लेगा।

() निरीक्षक को पूर्व सूचनाकारखाने के प्रबन्धक ने इस आशय की पूर्व सूचना निरीक्षक को दे दी है तथा इस बात की सूचना को कारखाने में भी निर्धारित तरीके से प्रदर्शित कर दिया गया है ।

सशर्त प्रतिस्थापन (Conditional Substitution)-यहाँ पर यह बात उल्लेखनीय है कि अवकाश का कोई ऐसा दिन नहीं बदलना चाहिये जिससे श्रमिक को एक पूरे दिन के अवकाश के बिना ही लगातार 10 दिन। से अधिक कार्य करना पड़े।

केस लों-जॉन बनाम पश्चिमी बंगाल की सरकार (1955) के विवाद में भारत में उच्चतम न्यायालय। से अपने निर्णय में कहा है कि अवकाश के दिन में परिवर्तन करने के लिये अलग-अलग अनुमति प्रदान की। जानी चाहिये । मुख्य कारखाना निरीक्षक सभी श्रमिकों के साप्ताहिक अवकाश के दिन को बदलने की अनुमति नहीं दे सकता है।

(ii) सूचना को निरस्त करनायदि उपरोक्त सचना को निरस्त करना हो तो उक्त दिवस के पहले के। दिन या निरस्त किये जाने वाले अवकाश के दिन जो भी पहले पडे के पहले किसी भी समय निरीक्षक के कार्यालय में सूचना भेजकर और कारखाने में ऐसी सूचना प्रदर्शित करके निरस्त किया जा सकता है।

उदाहरण-यदि किसी कारखाने में रविवार को अवकाश न रखकर कार्य करना है और उसके स्थान पर। सोमवार को अवकाश रखना है तो इसकी सूचना शनिवार तक दी जा सकती है, बाद में नहीं क्योंकि यदि शनिवार तक इसकी सूचना नहीं दी गई तो श्रमिक रविवार का अवकाश मानते हुये कार्य पर उपस्थित नहीं होंगे।

(iii) साप्ताहिक कार्य के घण्टों की गणनायदि श्रमिकों ने अवकाश के दिन कार्य किया है और उक्त दिवस के ठीक तीन दिन पूर्व के किसी दिवस में अवकाश दिया जा चुका है तो ऐसी दशा में उनके साप्ताहिक कार्य के घण्टों की गणना करने के उद्देश्य से यह उक्त दिवस पिछले सप्ताह में सम्मिलित किया जायेगा।

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3. क्षतिपूरक अवकाश (धारा 53)

(Compensatory Holidays)

कारखाना अधिनियम की धारा 53 के अन्तर्गत श्रमिकों के लिये क्षतिपूरक अवकाश के सम्बन्ध में निम्नलिखित प्रावधान किये गये हैं

(i) साप्ताहिक अवकाश मिलने पर क्षतिपूरक अवकाश का प्रावधान-यदि कारखाना अधिनियम की व्यवस्थाओं के अधीन राज्य सरकार ने ऐसा आदेश स्वीकार किया है अथवा नियम बनाया है जिसके कारण किसी कारखाने या श्रमिक को उपरोक्त वर्णित धारा 52 के प्रावधानों से छूट दी जाती है जिससे श्रमिक को साप्ताहिक अवकाश नहीं मिलता तो ऐसी दशा में श्रमिक को उसी माह में (जिसमें अवकाश मिलना था) अथवा उस माह के पश्चात् तुरन्त 2 माह के अन्दर उतनी क्षतिपूरक छुट्टियों का अधिकार दिया जायेगा जितनी छुट्टियों से वह वंचित रहा है।

नियम बनानाराज्य सरकार उस विधि या रीति का उल्लेख कर सकती है जिसमें उक्त क्षतिपूरक अवकाश दिया जायेगा।

4. दैनिक घण्टे (धारा 54)

(Daily Hours)

कारखाना अधिनियम की धारा 54 के अनुसार, किसी भी वयस्क श्रमिक से किसी भी दिन 9 घण्टे से अधिक समय कार्य नहीं लिया जायेगा तथा न उसे अधिक समय कार्य करने ही दिया जायेगा। किन्तु इस धारा का पालन करते समय धारा 51 के प्रावधानों (जिसमें अधिकतम 48 घण्टे प्रति सप्ताह कार्य करने का प्रावधान है) को भी ध्यान में रखा जायेगा। परन्तु मुख्य निरीक्षक की पूर्व स्वीकृति लेने पर दैनिक घण्टे पाली (Shift) में परिवर्तन की सुविधा के लिये बढ़ाये जा सकते हैं।

सेवायोजक का दायित्व इस आधार पर कम नहीं हो जाता कि बिना किसी अतिरिक्त भुगतान के श्रमिक अपनी इच्छा से ही अधिक काम करने के लिये तैयार हैं। धारा 54 में निर्दिष्ट कार्य के दैनिक अधिकतम घंटों को बढ़ाया जा सकता है बशर्ते कि

(i) इससे पारी के परिवर्तन को सुचारू किया जा सके; तथा

(ii) मुख्य निरीक्षक की पूर्व अनुमति ले ली गई है।

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5. आराम के लिये अवकाश

 (Intervals for Rest)

कारखाना अधिनियम की धारा 55 के अन्तर्गत मध्यान्तर अवकाश के सम्बन्ध में निम्नलिखित प्रावधान दिये गये हैं

(i) आधे घण्टे का आराम या विश्राम-किसी कारखाने में प्रत्येक दिन वयस्क श्रमिकों को काम की अवधि कारखाने में प्रतिदिन इस प्रकार नियत की जायेगी कि कोई भी श्रमिक निरन्तर 5 घण्टे से अधिक कार्य नहीं कर सके। 5 घण्टे के पश्चात् उसे विश्राम के लिये आधा घण्टा मिलेगा और मुख्य निरीक्षक के आदेश से किसी भी दशा में मध्यान्तर दिये बिना श्रमिक के कार्य के घण्टे 6 से अधिक नहीं होंगे। [धारा 55(1)]

 (ii) धारा 55 के अनुपालन से मक्ति-राज्य सरकार या मुख्य निरीक्षक, लिखित आदेश द्वारा तथा उसमें निर्दिष्ट कारणों के लिये किसी कारखाने को इस धारा के प्रावधानों से मुक्त कर सकता है। लेकिन बिना किसी मध्यान्तर के एक श्रमिक द्वारा काम किये गये घंटों की कुल संख्या 6 से अधिक नहीं होगी।

6. प्रतिदिन कार्यसमय का विस्तार (धारा 56)

(Daily Spread Over of Working Time)

कारखाना अधिनियम की धारा 56 के अनुसार किसी कारखाने में वयस्क श्रमिकों के कार्य करने की अवधियाँ इस प्रकार निर्धारित की जायेंगी कि आराम करने के समय को मिलाकर किसी भी दिन साढ़े दस घंटे) से अधिक का फैलाव नहीं किया जायेगा। परन्तु मुख्य निरीक्षक उचित कारणों से काम की विस्तार अवधि 12 घण्टे तक बढ़ा सकता है।

7. रात्रिपारियाँ (धारा 57)

(Night Shifts)

यदि कारखाने में कोई श्रमिक मध्य रात्रि के बाद प्रारम्भ होने वाली पारी में कार्य करता है तो वहाँ निम्नलिखित नियम लागू होंगे

(i) पूर्ण दिवस अवकाश का आशयमध्यरात्रि के बाद प्रारम्भ होने वाली पारी में कार्य करने की दशा में साप्ताहिक अवकाश के आशय हेतु एक दिन का अर्थ 24 घण्टे की उस अवधि से है जो पारी के समाप्त होने के पश्चात् शुरू होती है अर्थात् पारी की समाप्ति के बाद शुरू होने वाली 24 घण्टे की अवधि का अवकाश ‘पूर्ण दिवस अवकाश’ माना जायेगा।

(ii) ‘आगामी दिनका आशय पारी समाप्ति के बाद शुरू होने वाली 24 घण्टे की अवधि से है तथा श्रमिक अर्द्धरात्रि के बाद जितने घण्टे कार्य करता है, वे घण्टे पिछले दिन में गिने जायेंगे।

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8. एक के बाद दूसरी पारी में काम लेने या करने पर प्रतिबन्ध (धारा 58)

(Prohibition of Overlapping Shift)

(i) श्रमिकों के समूहों पर एक से अधिक पारी में कार्य करने पर प्रतिबन्ध-किसी भी कारखाने में पारियों की व्यवस्था ऐसी नहीं होनी चाहिये कि श्रमिकों के एक से अधिक समूहों को एक ही समय पर एक जैसे कार्य में लगना पड़े। दूसरे शब्दों में,श्रमिकों का एक समूह एक पारी में कार्य करने के पश्चात् उसी दिन दूसरी पारी में समान कार्य पर नहीं लगाया जा सकेगा।

(ii) राज्य सरकार का अधिकार राज्य सरकार या राज्य सरकार के नियन्त्रण के अधीन मुख्य निरीक्षक लिखित आदेश द्वारा कारणों का उल्लेख करते हुये यथोचित शर्तों के अधीन किसी भी कारखाने या श्रमिक को इस धारा के प्रावधानों का पालन करने से मुक्ति प्रदान की जा सकती है।

9. अधिसमय के लिये अतिरिक्त मजदूरी (धारा 59)

(Extra Wages for Overtime)

(i) सामान्य दर से दो गुनी मजदूरीयदि कोई श्रमिक किसी भी दिन 9 घण्टे से अधिक अथवा किसी भी सप्ताह में 48 घण्टे से अधिक कार्य करता है तो अधिक समय काम करने के सम्बन्ध में उसे अपनी साधारण मजदूरी की दर से दोगुनी दर पर मजदूरी प्राप्त करने का अधिकार है।

(ii) साधारण मजदूरी दर से आशयसाधारण मजदूरी दर से आशय श्रमिक को प्राप्त उस मजदूरी से है जो उसे मूल मजदूरी एवं भत्तों (Basic Wages + Allowances) के रूप में प्राप्त होती है। इन भत्तों में उन सुविधाओं का नकद मूल्य भी जोड़ा जाता है जो उसे किसी भी रूप में प्राप्त होती है। रियायती दरों पर प्राप्त होने वाली खाद्य सामग्री तथा वस्तुओं की रियायत को भी भत्तों में जोड़ा जायेगा किन्तु बोनस तथा अतिरिक्त मजदूरी (Overtime wages) को भत्तों में नहीं जोड़ा जायेगा।

(iii) कार्यानुसार मजदूरीयदि किसी कारखाने में श्रमिकों को कार्यानुसार मजदूरी दी जाती है तो ऐसी दशा में राज्य सरकार सम्बन्धित नियोक्ता तथा श्रमिकों के प्रतिनिधियों के परामर्श या सलाह से इस धारा के आशय के लिये समय दर निश्चित करेगी। यह समय दर यथासम्भव उन श्रमिकों द्वारा अर्जित औसत आय की दरों के बराबर निर्धारित की जानी आवश्यक है तथा इस प्रकार निर्धारित की गयी दर श्रमिकों की मजदूरी की सामान्य दरें समझी जायेंगी।

(iv) लाभों के नकद मूल्य गणना की विधि श्रमिकों को खाद्यान्नों या अन्य सामग्रियों के रियायती विक्रय के फलस्वरूप प्राप्त होने वाले लाभ की नकद राशि की गणना, एक आदर्श परिवार को प्राप्त होने वाले खाद्यान्न तथा अन्य पदार्थों की अधिकतम मात्रा के आधार पर की जायेगी।

[धारा 59(4)] धारा 59 (4) में प्रयुक्त शब्दावली का स्पष्टीकरण

आदर्श परिवार का आशय (Meaning of Standard Family)-आदर्श परिवार से आशय उस परिवार से है जिसमें श्रमिक एवं उसकी पत्नी तथा चौदह वर्ष से कम आयु वाले दो बच्चे हों। इस प्रकार कुल तीन वयस्क उपभोग इकाइयों वाला परिवार आदर्श परिवार है।

वयस्क उपभोग इकाई (Meaning of Adult Consumption Unit) वयस्क उपभोग इकाई से आशय 14 वर्ष से अधिक आयु वाली स्त्री की उपभोग इकाई एक वयस्क उपभोग इकाई के 8/10 भाग के बराबर तथा 14 वर्ष से कम आयु वाले बालक की उपभोग इकाई एक वयस्क उपभोग इकाई के 6/10 भाग के बराबर गिनी जायेगी।

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(v) राज्य सरकार के अधिकार राज्य सरकार निम्नलिखित के सम्बन्ध में नियम बना सकती है

(a) किसी भी श्रमिक को खाद्य पदार्थों के रियायती विक्रय से मिलने वाले लाभ के नकदी मूल्य की गणना करने की विधि के सम्बन्ध में।

(b) ऐसे रजिस्टर रखने के सम्बन्ध में जो इस धारा के प्रावधानों के पालन हेतु कारखानों में रखा जाना आवश्यक है।

10. दोहरे रोजगार पर प्रतिबन्ध (धारा 60)

(Restriction on Double Employment)

दो कारखानों में एक ही दिन कार्य करने पर प्रतिबन्ध-किसी भी प्रौढ़ श्रमिक को किसी कारखाने में किसी ऐसे दिन कार्य नहीं करने दिया जायेगा और न उसे अनुमति दी जायेगी जिस दिन किसी दूसरे कारखाने में पहले से ही कार्य कर रहा हो अर्थात् यदि कोई श्रमिक किसी दिन एक कारखाने में कार्य कर रहा हो तो वह उसी दिन किसी दूसरे कारखाने में कार्य नहीं कर सकता है। परन्तु राज्य सरकार द्वारा निर्धारित विशिष्ट परिस्थितियों में किसी श्रमिक को एक दिन में दो कारखानों में कार्य करने की अनुमति दी जा सकती है।

11. वयस्कों के लिये कार्य की अवधियों की सूचना (धारा 61)

(Notice of Periods of Work for Adults)

(i) सूचना का स्पष्ट रूप से प्रदर्शनधारा 61(1) के अनुसार, प्रत्येक कारखाने में वयस्क श्रमिकों के कार्य की अवधियों की सूचना स्पष्ट रूप से लगायी जानी चाहिये। ऐसी सूचना में इस बात का भी उल्लेख होना चाहिये कि प्रत्येक दिन वयस्क श्रमिकों को किन-किन अवधियों में कार्य करना है।

धारा 108 के अनुसार ऐसी सूचना अंग्रेजी तथा ऐसी भाषा में होनी चाहिये जिसे कारखाने के अधिकांश श्रमिक पढ़ एवं समझ सकें। ऐसी सूचना कारखाने के प्रवेश द्वार पर लगायी जानी चाहिये तथा इसे साफ एवं स्वच्छ भी रखा जाना चाहिये।

(ii) कार्य अवधियों को पूर्व में निश्चित करनाधारा 61(2) के अनुसार, उपर्युक्त सूचना में बताई गई कार्य-अवधियाँ पहले से ही निर्धारत कर ली जानी चाहिये तथा कार्य अवधियों का निर्धारण करते समय धारा 51, 52, 54, 55, 56 तथा 58 का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिये।

(iii) समान अवधियों की दशा में प्रबन्धक द्वारा अवधि निश्चित करना-धारा 61(3) के अनुसार, यदि किसा कारखाने में समस्त वयस्क श्रमिकों को एक ही कार्य करना पड़ता है तो कारखाने का प्रबन्धक ऐसे श्रामकों के लिये सामान्यतया उनकी कार्य अवधियों को निश्चित करेगा।

(iv) श्रमिकों को समूहों में विभक्त करना [धारा 61(4)] यदि किसी कारखाने में समस्त प्रौढ़ श्रमिकों का हा एक अवधि में काम नहीं करना पड़ता है तो कारखाने का प्रबन्धक उन्हें समूहों द्वारा विभक्त कर देगा। समूहों का विभाजन काम के स्वभाव के अनुसार होगा। ऐसे विभाजन में यह भी स्पष्ट किया जायेगा कि प्रत्येक समूह में कितने श्रमिक होंगे।

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(v) समूहों के लिये अवधियों का निश्चित किया जाना [धारा 61(5)] श्रमिकों के प्रत्येक समूह के लाजस पारी-प्रणाली के अन्तर्गत कार्य नहीं करना पड़ता है,कारखाने का प्रबन्धक उन अवधियों को निश्चित करेगा, जिनमें कि ये समूह कार्य करेंगे।

(vi) पारी में परिवर्तन होने पर अवधियों का निर्धारण-यदि श्रमिकों के किसी समूह से पारियों के आधार पर कार्य कराया जाता है और यह समूह समय-समय पर पारियों में होने वाले पूर्व निर्धारित परिवर्तनों। के अधीन नहीं है तो कारखाने का प्रबन्धक उन अवधियों को निर्धारित कर सकता है जिनमें किसी समूह से। कार्य लिया जा सकेगा।

(vii) पर्व निर्धारित परिवर्तनों के अधीन कार्य करने वाले समह की दशा में यदि श्रमिकों का कोई। समूह पारियों के आधार पर कार्य करता है तथा वह समूह समय-समय पर पारियों में होने वाले पूर्व निर्धारित । परिवर्तनों के अधीन है, तो कारखाने का प्रबन्धक पारियों की योजना तैयार करेगा। इस योजना में यह स्पष्ट । किया जायेगा कि कौन-सा समूह किस अवधि में कार्य करेगा।

(viii) राज्य सरकार द्वारा सूचना का प्रारूप निर्धारित किया जाना-राज्य सरकार इस धारा की उप-धारा (1) के अन्तर्गत दी जाने वाली सूचना का प्रारूप तथा उसके पालन करने की विधि निश्चित कर सकती है।।

(ix) नये कारखाने द्वारा सूचना भेजना-इस अधिनियम के लागू होने के उपरान्त कार्य आरम्भ करने वाले कारखानों को उपरोक्त वर्णित धारा 61(1) में निर्दिष्ट सूचना की दो प्रतिलिपियाँ कार्य आरम्भ होने से एक दिन पूर्व निरीक्षक के पास भेजनी होगी।

(x) सूचना में परिवर्तन की विधिधारा 61(10) के अनुसार, यदि किसी भी कारखाने की कार्य पद्धति में कोई ऐसा परिवर्तन करना हो, जिससे उपर्युक्त सूचना में परिवर्तन करना आवश्यक हो जाए, तो ऐसा परिवर्तन करने के पूर्व निरीक्षक को परिवर्तन की सूचना दे देनी चाहिये। बिना निरीक्षक की सहमति के कोई भी परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिये । यहाँ पर यह भी उल्लेखनीय है कि एक सप्ताह में कोई भी दो परिवर्तन नहीं किये जाने चाहिये, अर्थात दो परिवर्तनों के बीच कम-से-कम एक सप्ताह का अन्तर अवश्य होना चाहिये।

Case Laws :

(I) एम्परर बनाम मनुभाई मानिक लाल (Emperor Vs. Manubhai Manik Lal) के मामले में निर्णय दिया गया कि कार्यशील घण्टों में किसी भी व्यक्ति की इच्छा या निर्देश से बार बार या अकस्मात परिवर्तन नहीं किया जा सकता है ।।

(II) अली भाई बनाम एम्परर (Ali bhai Vs. Emperor) के मामले में निर्णय दिया गया था कि गलत सूचना लगाने का आशय सूचना प्रदर्शित न करने से है ।2।

(III) एम्परर बनाम जानसन (Emperor Vs. Jonson) के मामले के अनुसार एक प्रबन्धक ने नियत घण्टों के अतिरिक्त समय में 18 श्रमिकों को नियुक्त किया था, उन 18 श्रमिकों ने अलग-अलग मुकदमे प्रबन्धक पर चलाये जिसमें यह फैसला दिया गया कि प्रबन्धक प्रत्येक मुकदमे में अपराधी है अत: उसे हर मुकदमे के लिये सजा मिलनी चाहिये।

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12. वयस्क श्रमिकों का रजिस्टर (धारा 62)

(Register of Adult Workers)

(i) प्रत्येक कारखाने का प्रबन्धक वयस्क श्रमिकों का एक रजिस्टर कारखाने में रखेगा। यह रजिस्टर कारखाना निरीक्षक को निरीक्षण के लिये काम के घण्टों के दौरान हर समय उपलब्ध होगा। इसमें निम्नलिखित सूचना रखी जायेगी

() कारखाने के प्रत्येक वयस्क श्रमिक का नाम;

() उसके काम की प्रकृति;

() वह समूह जिनमें उसे सम्मिलित किया गया है;

() वह किस रिले में रखा गया है (यदि पालियों के आधार पर काम होता है); तथा

() अन्य कोई विवरण जो निर्धारित किये जायें।

लेकिन यदि निरीक्षक की ऐसी राय हो कि किसी कारखाने के एक routine के भाग बतौर रखा गया कोई ‘मस्टर रॉल’ या रजिस्टर कारखाने में किसी या सभी श्रमिकों के सम्बन्ध में इस धारा के अन्तर्गत अपेक्षित विवरण देता है तो वह लिखित में आदेश द्वारा निर्देश दे सकता है कि ऐसे ‘मस्टर रोल’ या रजिस्टर को उस कारखाने में वयस्क श्रमिकों के रजिस्टर के रूप में माना जायेगा। एक रोजगार रजिस्टर को केवल तभी उचित तौर पर अद्यतन कहा जा सकता है यदि इसमें रोजमर्रा कारखाने में सेवारत व्यक्तियों के नाम, उनके काम के घंटे तथा उनके रोजगार की प्रकृति का समावेश किया जाता है।

कारखाना (संशोधन) अधिनियम, 1987 द्वारा प्रविष्ट उपधारा (1-A) व्यवस्था करती है कि किसी भी वयस्क श्रमिक को किसी कारखाने में तब तक काम करने नहीं दिया जायेगा जब तक उसका नाम तथा अन्य विवरणों को वयस्क श्रमिकों के रजिस्टर में दर्ज नहीं किया जा चुका हो।

(ii) राज्य सरकार के अधिकारराज्य सरकार वयस्क श्रमिकों के रजिस्टर प्रारूप तथा उसके रखे जाने की विधि की अवधि निर्धारित कर सकती है।

13. काम के घण्टे धारा 61 62 के अनुसार (धारा 63)

(Working Hours According to Sec. 61 and 62)

धारा 63 के अनुसार, किसी भी वयस्क श्रमिक से धारा 61 के अन्तर्गत कार्यविधि की सूचना और धारा 62 के अन्तर्गत रखे जाने वाले रजिस्टर का विवरण और उसके नाम की प्रविष्टियों के विपरीत न तो काम लिया जायेगा और न काम करने की अनुमति दी जायेगी।

14. छूट देने वाले नियम बनाने का अधिकार (धारा 64)

(Power to Make Exempting Rules)

() निरीक्षक अथवा प्रबन्धक अथवा गोपनीय पदों पर नियक्त व्यक्तियों के सम्बन्ध में राज्य सरकार को नियम बनाने का अधिकार राज्य सरकार ऐसे व्यक्तियों को परिभाषित करने के सम्बन्ध में नियम बना सकती है जो कि किसी कारखाने में निरीक्षण (Supervision) अथवा प्रबन्ध (Management) अथवा गोपनीय पदों पर नियुक्त हों। ऐसे व्यक्तियों पर अध्याय के सभी प्रावधान, उपधारा 66(1)(B) की व्यवस्थाओं को छोड़कर लागू नहीं होंगे।

उपर्युक्त पदों पर नियुक्त ऐसे व्यक्तियों को जिन्हें 750 रुपये मासिक से अधिक मजदूरी नहीं मिलती है, अतिरिक्त समय (Overtime) के लिये अतिरिक्त मजदूरी पाने का अधिकार है।

() वयस्क श्रमिकों को छूट देने सम्बन्धी नियम बनाने का अधिकार-धारा 64(2) के अनुसार, निर्धारित सीमा एवं शर्तों के अधीन किसी भी वयस्क श्रमिक को इस अधिनियम के प्रावधानों से मुक्त करने के लिये राज्य सरकार निम्नलिखित नियम बना सकती है

(i) अति आवश्यक मरम्मत के कार्य में लगे हुये श्रमिकों को धारा 51, 52, 54, 55, 56 के प्रावधानों से मुक्त करने के सम्बन्ध में।

(ii) प्रारम्भिक अथवा पूरक स्वभाव के किसी कार्य को जिसे अनिवार्य रूप से कारखानों की सीमाओं  के बाहर किया जाता है. में लगे हये श्रमिकों को धारा 51, 54, 55 व 56 से छूट देने के लिये।

(iii) अनियमित रूप से चलने वाले किसी ऐसे कार्य में नियुक्त श्रमिक जिन्हें धारा 55 के अन्तर्गत – मिलने वाले विश्राम मध्यान्तर से अधिक मध्यान्तर मिलते हों तो ऐसे श्रमिकों को धारा 51, 54, 55 व 56 के प्रावधानों से छुट देने के सम्बन्ध में।।

(iv) तकनीकी कारणों से निरन्तर किये जाने वाले कार्य में लगे हुये श्रमिकों को धारा 51, 52, 54 व 56 से छूट देने के सम्बन्ध में।

(v) प्राथमिक आवश्यकताओं की वस्तुओं को बनाने या पूर्ति करने के कार्य में लगे हुये श्रमिकों को धारा 51 एवं 52 के प्रावधानों से छूट देने के सम्बन्ध में ।

(vi) निश्चित मौसम में निर्माण प्रक्रिया में कार्य करने वाले श्रमिकों को धारा 51,52 व 54 के प्रावधानों से छूट देने के सम्बन्ध में।

(vii) प्राकृतिक शक्तियों की अनियमित क्रियाओं पर निर्भर समयों के अतिरिक्त और किसी भी प्रकार से न की जा सकने वाली निर्माण प्रक्रिया में लगे हये श्रमिकों को धारा 52 एवं 55 के प्रावधान से छूट देने के सम्बन्ध में।

(viii) ऐसे श्रमिक जो इन्जन कक्षों या बॉयलर गहों में या शक्ति यन्त्र या सम्प्रेषण यन्त्र पर काम करते हैं, को धारा 51 व 52 के प्रावधानों में छूट देने के लिये।

(ix) समाचार पत्रों के मुद्रण में लगे उन श्रमिकों को धारा 51, 54 व 56 के प्रावधानों से छूट देने के लिये जिन्हें मशीन में ट-फट हो जाने के कारण कार्य में रुकना पड़ता हो ।

(x) रेल के डिब्बों में व लारी में माल चढ़ाने और उतारने के काम में लगे हुये श्रमिकों को धारा 51,52, 54 व 56 के प्रावधानों से छूट देने के सम्बन्ध में।

(xi) राज्य सरकार द्वारा गजट में अधिसूचना प्रकाशित कर राष्ट्रीय महत्त्व के घोषित किसी काम में लगे श्रमिकों को धारा 51, 52, 54, 55 व 56 के प्रावधानों में छूट देने के सम्बन्ध में।

() राज्य सरकार को अधिकारयदि राज्य सरकार उचित समझे तो निर्धारित शर्तों के अधीन उपरोक्त वर्णित धारा 64(2) के प्रावधानों में ही धारा 61 के प्रावधानों में छट देने सम्बन्धी नियमों को भी शामिल किया। जा सकता है।

() सीमायेंधारा 64 (4) के अनुसार सरकार को धारा 64(2)(i) को छोड़ कर छूट देने सम्बन्धी नियम बनाते समय निम्नलिखित सीमाओं को ध्यान में रखना होगा

(i) कार्यशील घण्टे किसी भी दिन 10 घण्टे से अधिक नहीं होंगे।

(ii) किसी भी दिन कार्यशील घण्टों का विस्तार विश्राम मध्यान्तर सहित कुल मिलाकर 12 घण्टों से अधिक न होगा।

(iii) एक सप्ताह में कार्यशील घण्टे अधिसमय (Over-time) मिलाकर 60 घण्टे से अधिक नहीं होंगे। (iv) किसी एक तिमाही के लिये अतिरिक्त कार्यशील घण्टों की कुल संख्या 50 से अधिक नहीं होगी।

यहाँ तिमाही से आशय तीन महीने की उस अवधि से है जो 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर को प्रारम्भ होती है।

() नियमों की अवधिइस धारा के अन्तर्गत बनाये गये नियम 5 वर्ष से अधिक समय तक लागू नहीं रह सकते।

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15. छूट देने वाले आदेश बनाने का अधिकार (धारा 65)

(Power to Make Exempting Orders)

(i) राज्य सकार को अधिकारयदि राज्य सरकार इस बात से सन्तुष्ट हो जाये कि किये जाने वाले कार्य की प्रकृति तथा परिस्थितियों के कारण किसी कारखाने अथवा वर्ग या वर्णन के कारखानों में नियुक्त वयस्क श्रमिकों के कार्य के घण्टे पहले से ही निश्चित करना अनुचित है, तो ऐसी दशा में वह लिखित आदेश द्वारा धारा 61 के प्रावधानों में छूट या संशोधन कर सकती है। यह छूट या संशोधन उस सीमा तक उस रीति से तथा उन शर्तों के अधीन किया जायेगा जो राज्य सरकार उचित समझे जिससे कार्य की अवधियों पर नियन्त्रण रखा जा सके।

(ii) छूट देने का अधिकार राज्य सरकार अथवा उसके नियन्त्रण के अधीन मुख्य निरीक्षक एक लिखित आदेश द्वारा किसी कारखाने अथवा वर्ग या वर्णन के कारखानों में नियुक्त किसी भी अथवा समस्त वयस्क श्रमिकों को उचित शर्तों पर धारा 51, 52, 53 एवं 56 के प्रावधानों के सम्बन्ध में छूट प्रदान कर सकता है। यहाँ पर यह उल्लेखनीय है कि ऐसी छूट कारखाने में कार्य के अत्यधिक दबाव को नियन्त्रित करने के लिये ही प्रदान की जायेगी।

(iii) छूट की सीमा तथा शर्तेउपर्युक्त धारा 65(2) के प्रावधानों से छूट निम्नलिखित शर्तों के अधीन ही दी जायेगी

(a) एक दिन में श्रमिकों के कार्य के घण्टे 12 से अधिक नहीं होंगे;

(b) कार्य के घण्टों का फैलाव जिसमें आराम करने का मध्यान्तर का समय भी शामिल है.एक दिन में 13 घण्टों से अधिक नहीं होगा;

(c) एक सप्ताह में कार्य के कुल घण्टे, जिसमें अतिरिक्त-समय (Over-time) भी शामिल है, 60 से अधिक नहीं होंगे;

(d) एक साथ एक श्रमिक को सात दिन से अधिक अतिरिक्त समय (Over-time) कार्य नहीं करने। दिया जायेगा और एक तिमाही में कुल अधिक समय तक कार्य 75 घण्टे से अधिक का नहीं होगा।

(iv) छूट की समयावधि–उपर्युक्त उप-धारा 65(2) में दी जाने वाली छूट 1 वर्ष में कुल मिलाकर 3 माह से अधिक की नहीं होगी।

16. महिला श्रमिकों की नियुक्ति पर अतिरिक्त प्रतिबन्ध (धारा 66)

(Further Restrictions on Employment of Women)

महिला श्रमिकों पर भी कारखाना अधिनियम के सभी प्रावधान समान रूप से लागू होते हैं परन्तु उनके काम के घण्टों तथा कार्य समय के सम्बन्ध में कुछ अतिरिक्त प्रावधान भी किये गये हैं। इन अतिरिक्त प्रावधानों का उल्लेख धारा 66 में किया गया है जो निम्नानुसार हैं

(i) नौ घण्टों से अधिक कार्य नहीं करना किसी भी महिला श्रमिक को किसी भी एक दिन में 9 घण्टों से अधिक समय के लिये कार्य पर नहीं लगाया जायेगा एवं धारा 54 के प्रावधानों के अन्तर्गत छूट देकर भी अधिसमय कार्य पर नहीं लगाया जा सकता है।

(ii) रात्रि में कार्य करने पर प्रतिबन्ध-किसी कारखाने में किसी भी महिला श्रमिक से प्रातः 6 बजे से सायंकाल 7 बजे तक के घण्टों के अतिरिक्त किसी भी समय कार्य पर नहीं लगाया जा सकता है। परन्तु राज्य सरकार गजट में घोषणा करके किसी कारखाने अथवा वर्ग या वर्णन के कारखानों के लिये उपरोक्त समय-सीमा में वृद्धि कर सकती है परन्तु रात के 10 बजे से प्रात: 5 बजे के बीच किसी भी स्त्री श्रमिक को नियुक्त नहीं किया जा सकेगा। इसका अर्थ यह है कि स्त्री श्रमिकों को प्रात: 5 बजे से रात्रि 10 बजे तक नियुक्त किया जा सकता है।

(iii) पारियों में परिवर्तन नहींमहिला श्रमिकों की पारियों में साप्ताहिक अवकाश अथवा अन्य अवकाश के पश्चात् ही परिवर्तन किया जा सकता है। सप्ताह के बीच में कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।

अपवादराज्य सरकार चाहे तो नियम बनाकर उपर्युक्त वर्णित धारा 66(1) के प्रावधानों में निम्नलिखित कारखानों में नियुक्त महिला श्रमिकों को छूट दे सकती है

() मछलियाँ साफ करने वाले कारखानों में नियुक्त महिला श्रमिकों को;

() मछलियों को डिब्बों में पैक करने वाले कारखानों में नियुक्त महिला श्रमिकों को;

() कच्चा माल नष्ट होने या खराब होने से रोकने हेतु किसी कारखाने में नियुक्त महिला श्रमिकों को।

नियमों की समयावधिउपरोक्त धारा 65(2) के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा बनाये गये नियमों की समयावधि एक समय में तीन वर्ष से अधिक की नहीं होगी।

Working Hours for Adults

परीक्षा हेतु सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

(EXPECTED IMPORTANT QUESTIONS FOR EXAMINATION)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(LONG ANSWER QUESTIONS)

1. कारखाना अधिनियम, 1948 में वयस्क श्रमिकों के कार्य के घण्टों के सम्बन्ध में बनाए गए प्रावधानों का वर्णन कीजिए।

Discuss the provisions regarding the working hours of adult workers in Factories

2. एक प्रौढ़ श्रमिक के साप्ताहिक एवं दैनिक कार्यशील घण्टे क्या हैं ? क्षतिपूरक अवकाश से सम्बन्धित प्रावधानों को समझाइए।

What are the weekly and the daily working hours for an adult worker ? State the provisions regarding compensatory holidays.

3. कारखाना अधिनियम,1948 में अधिसमय के लिए अतिरिक्त मजदूरी भुगतान के सम्बन्ध में क्या प्रावधान ।

What are the provisions in the Factories Act, 1948 regarding the Payment of Extra wages for overtime?

4. पाढ़ श्रमिकों के कार्य की अवधि की सूचना कारखाने में लगाने के सम्बन्ध में कौन-कौन से प्रावधान हैं? समझाइए।

What are the provisions related to giving notice to adult labour of periods of work ? State.

5. क्या नियोक्ता श्रमिकों को अतिरिक्त समय कार्य करने के लिये बाध्य कर सकता है ? इसके लिये मजटरी किस प्रकार दी जायेगी ? समझाइए ।

Can an employer force a worker to work for extra overtime ? What wages will be given for it ? State.

लघु उत्तरीय प्रश्न

(SHORT ANSWER QUESTIONS)

1. साप्ताहिक घण्टे से क्या तात्पर्य है ? समझाइए।

What is meant by Weekly Hours ? State.

2. क्षतिपूरक अवकाश से सम्बन्धित प्रावधान बताइए।

State the provisions related to Compensatory Holidays.

3. दैनिक कार्य के घण्टे सम्बन्धी प्रावधान बताइए।

State the provisions related to Daily Hours.

4. आराम के लिए अवकाश से क्या तात्पर्य है ? समझाइए।

What is meant by Intervals for Rest ? State.

5. रात की पारी के सम्बन्ध में क्या प्रावधान हैं ?

What are the provisions related to Night Shifts?

6. दोहरे रोजगार पर प्रतिबन्ध का क्या तात्पर्य है ? समझाइए।

What is meant by Restriction on Double Employment ? State.

7. वयस्क श्रमिक का रजिस्टर रखने के सम्बन्ध में क्या प्रावधान हैं ? समझाइए।

What are the provisions related to keeping register of adult workers ? State.

8. साप्ताहिक अवकाश सम्बन्धी प्रावधानों को बताइए।

State the provisions related to Weekly Holidays.

9. पारी के जमाव पर क्या प्रतिबन्ध है?

What is the prohibition on the gathering of shifts?

10. अधिक समय कार्य की मजदूरी किस प्रकार दी जाती है ?

How extra wages for overtime are paid?

11. कार्य अवधि के विस्तार से सम्बन्धित प्रावधानों को समझाइए।

State the provisions related to expansion of work duration.

12. वयस्कों को कार्य की सूचना देने के सम्बन्ध में क्या प्रावधान हैं ?

What are the provisions related to giving notice to adults for work?

13. कार्यशील घण्टों के सम्बन्ध में क्या प्रावधान हैं ?

What are the provisions related to working hours?

14. मजदूरी सहित अवकाश सम्बन्धी प्रावधानों को संक्षेप में बताइये।

State the provisions related to holiday alongwith wages.

15. स्त्रियों के रोजगार पर अतिरिक्त प्रतिबन्ध क्या हैं ? समझाइए।

What are the further restrictions on employment of women ? State.

Working Hours for Adults

chetansati

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